होली के बाद की रंगोली - 1
आखिर सचिन ने सब सोचना बंद करके सीधे बात करने की ठान ली। एक बात तो सच है कि शराब पीने के बाद दिमाग भले ही कम काम करे, लेकिन शायद इसी वजह से इंसान में हिम्मत बहुत आ जाती है क्योंकि दिमाग फिर बार-बार रोक-टोक नहीं करता।
सचिन सीधे रूपा के रूम में गया और उसके बाजू में धड़ाम से जा कर लेट गया।
रूपा- क्या हुआ? एक ही पेग में चढ़ गई?
सचिन- पता नहीं यार, पहली बार पी है तो समझना मुश्किल है कि चढ़ी या नहीं लेकिन इतना पक्का है कि तुम अभी तक दो तो दिखाई नहीं दे रही हो।
रूपा- हुम्म्म… मतलब ज़्यादा नहीं चढ़ी है।
सचिन- अब यार कितनी चढ़ी है वो तो पता नहीं लेकिन अभी इतना दिमाग काम नहीं कर रहा कि तुमको सेक्स के लिए पटा पाऊं। सुबह से जो भी तुम इशारे कर रही हो उनसे ये तो समझ आ गया है कि करना तुम भी चाहती हो लेकिन फिर भी पता नहीं क्यों सही से मूड नहीं बन पा रहा।
रूपा- तुम्हारा मलतब जैसा मूड फिल्म देखते समय बना था वैसा?
सचिन- हुम्म्म!
इतना कह कर रूपा सचिन के पास आ गई और उस से चिपक कर लेट गई। दरअसल सचिन को नशे की वजह से इतनी हिम्मत तो मिल गई थी कि उसने सबकुछ साफ़ साफ़ बेझिझक कह दिया लेकिन उसी नशे की वजह से उसका सारा शरीर ही धीमा हो चुका था और वो कोई उत्तेजना महसूस नहीं कर पा रहा था। रूपा को चोदना चाहता तो था, और रूपा ने मना भी नहीं किया था लेकिन चोदने के लिए लंड भी तो खड़ा होना ज़रूरी था।
वैसे तो लंड को भी हिला के रगड़ के खड़ा किया जा सकता था। जैसे अलाउद्दीन के चिराग को रगड़ने से जिन्न निकल आता है वैसे ही लंड भी खड़ा किया जा सकता है, लेकिन फिर जिन्न को काम क्या दोगे? खम्बे पर चढ़ने और उतरने का? चुदाई की सबसे बड़ी समस्या जो लोग अक्सर नज़रअंदाज़ कर जाते हैं, वो यही है। लंड को उत्तेजित करना कोई बड़ी बात नहीं है, उस से ज़्यादा ज़रूरी है दिमाग़ को उत्तेजित करना।
कामशास्त्र का इतना ज्ञान सचिन को तो नहीं था, लेकिन फिर भी उसकी सोच यही थी और वो समझ नहीं पा रहा था कि कमी किस बात की है? खुशकिस्मती से रूपा को इतना अनुभव हो गया था की वो समझ गई। उसने मामले को सही लाइन पर लाने के लिए विषय बदला।
रूपा- अच्छा ये बताओ कि दोपहर को जो तुम अपनी दीदी और अपनी कहानी सुना रहे थे वो आगे क्यों नहीं बढ़ी। तब भी ऐसा ही कुछ हुआ था क्या? सही मूड नहीं बन पाया?
सचिन- नहीं यार, तब तो सारा टाइम मूड बना रहता था लेकिन हिम्मत नहीं हुई?
रूपा- किस बात के डर से हिम्मत नहीं हुई? कहीं दीदी मम्मी को न बता दे?
सचिन- वो तो बाद की बात है। पहली बात तो यही है न की अगर दीदी को बुरा लग जाता, तो जो हमारा लुका-छिपी में खेल चल रहा था वो भी खत्म हो जाता। असली डर तो ये था।
रूपा- अच्छा मान लो अगर तुमको भरोसा हो जाए कि दीदी को बुरा नहीं लगेगा तो क्या तुम उनको चोद दोगे?
सचिन- क्या बात है यार, तुम तो एकदम सीधे सीधे बोल देती हो।
रूपा- यार, सीधे बोलने से ही तो मूड बनता है न।
इतना कह कर रूपा ने सचिन का लंड पकड़ कर हल्का सा दबा दिया। वो केवल ये देखना चाहती थी कि सचिन कितना उत्तेजित हुआ है। अभी तक सचिन का लंड थोड़ा बड़ा तो हो ही गया था लेकिन रूपा के छूने से थोड़ा कड़क भी हो गया।
रूपा- बताओ न?
सचिन- अब यार… अब तो उनकी शादी हो गई है न और वो भी तुम्हारे भाई से तो अब मैं क्या बोलूं?
रूपा- अरे यार मुझसे क्या शर्माना, मैं कौन सी दूध की धुली हूँ?
सचिन- अरे हाँ! दोपहर को तुमने बताया था। मुझसे तो सारी कहानी पूछ ली थी लेकिन खुद की कहानी नहीं बताई थी। अब तो पहले तुम बताओ।
रूपा- क्या बताऊँ यार, बता तो दिया था कि मैं भैया को नहाते हुए देखती थी। लेकिन तुम्हारे जैसा कुछ नहीं हुआ था हमारे बीच। मुझे कभी नहीं लगा कि उन्होंने कभी मुझे देखा हो।
सचिन- हाँ लेकिन तुम्हारा कभी मन नहीं हुआ आगे कुछ करने का?
रूपा- होता तो था… भैया के लंड के बारे में सोच सोच के अपनी चूत में उंगली कर लिया करती थी।
रूपा के मुँह से ऐसी बात सुन कर सचिन की आँखों में थोड़ी चमक आई और उसके लंड ने भी अंगड़ाई ली। उसने रूपा को अपनी बाँहों में ले कर कहा।
सचिन- मतलब अगर तुमको मौका मिलता तो तुम अपने भाई से चुदवा लेतीं?
रूपा- मौका मिले, तो मैं तो अब भी चुदवा सकती हूँ। और तुम?
सचिन- अब तक तो कभी हिम्मत नहीं हुई थी लेकिन अब अगर मौका मिला तो चोद दूंगा।
इतना कह कर सचिन पूरी तरह उत्तेजित हो गया और उसने अपने होंठ रूपा के होंठों से लगा दिए। सचिन का ये पहला मुख-चुम्बन (फ्रेंच किस) था। मन से तो वो पहले ही उत्तेजित हो चुका था लेकिन रूपा के होंठों का स्पर्श जितना कोमल था उतना ही कठोर अब उसका लिंग हो गया था। रूपा अनुभवी थी, उसने धीरे से अपनी जीभ सचिन के होंठों के बीच सरका दी। सचिन को एक बिजली का झटका सा लगा और उसने रूपा का एक स्तन अपने हाथों से पकड़ लिया।
एक और दोनों की जीभें एक दूसरे से लिपटने को बेचैन हो रहीं थीं तो दूसरी और दोनों शरीर भी एक दूसरे के और करीब आ जाना चाहते थे। दोनों के बीच से वस्त्र जैसे अपने आप ही सरक कर अलग होते चले गए। सचिन का एक हाथ रूपा के एक नग्न स्तन को मसल रहा था तो दूसरा उसे आलिंगन में लिए उसके नितम्बों पर फिसल रहा था। रूपा ने दोनों हाथों से सचिन को अपने बाहुपाश में जकड़ा हुआ था।
रूपा एक हाथ से सचिन के सर को पीछे से सहारा दे कर चुम्बन में व्यस्त थी। दूसरा हाथ सचिन के नितम्बों के साथ खेल रहा था। कभी कभी उन्हें दबा कर रूपा अपनी नर्म जाँघों को सचिन के कठोर लिंग से गुदगुदा भी रही थी।
चुम्बन इतना चुम्बकीय था कि दोनों को कुछ समय से ठीक से सांस लेने का मौका भी नहीं मिल पाया था। एक क्षण के लिए जब दोनों सांस लेने के लिए अलग हुए तो दोनों ने अपने सीने के ऊपरी हिस्से में सिमटे टी-शर्ट निकाल फेंके। अब दो पूर्णतः नग्न शरीर एक दूसरे में समा जाने के लिए फिर से मचलने लगे। कभी सचिन ऊपर तो कभी रूपा। इस बार जब रूपा ऊपर आई तो उसने सचिन के लिंग को अपनी उंगलियों से अपनी योनि का रास्ता दिखा दिया।
सचिन तो जैसे स्वर्ग की सैर पर निकल गया हो। उसने कभी सपने में भी ऐसा अनुभव नहीं किया था। हमेशा हाथ की कड़क मुट्ठी में हिलने वाला उसका लिंग आज रूपा की कोमल और चिकनी, रसीली योनि में फिसल रहा था। जल्दी ही वो इस नए अहसास की अनुभूति में डूब कर रूपा की चूत में हिचकोले खाने लगा। कभी वो रूपा के दोनों स्तनों को अपने हाथों में भर कर सहलाता तो कभी एक हाथ की उंगलियाँ उसके नितम्बों को सहलातीं और दूसरे से वो रूपा का एक स्तन पकड़ कर उसका रास पीता।
न तो नंगे जिस्मों की मस्ती रुकी और न चुदाई का इंजिन रुका। आज दिन में ही हस्तमैथुन कर लेने के कारण और शायद नशे की खुमारी की वजह से भी वो काफी देर तक रूपा को चोदता रहा और फिर उसकी चूत में ही झड़ गया। रूपा भी झड़ गई थी लेकिन एक बार से उसका क्या होना था। उसने तुरंत पोजीशन बदली और अब सचिन के चुम्बन के लिए रूपा के दूसरे होंठ उसके सामने थे। सचिन ने पहली बार इतनी पास से किसी लड़की की चूत को देखा था इसलिए वो उस पर टूट पड़ा।
दोनों अब भी एक दूसरे से वैसे ही नंगे लिपटे थे बस फर्क ये था कि अब वो दोनों एक दूसरे के होठों को नहीं बल्कि एक दूसरे के गुप्तांगों को चूम रहे थे। सचिन ने आज न केवल किसी लड़की की चूत को चूमा था बल्कि पहली बार उसने अपने ही वीर्य का स्वाद भी चखा था। इन सब के साथ रूपा ने इस निपुणता से सचिन के लंड को चूसा दो मिनट में वो वापस फौलाद का लंड बन गया और एक बार फिर सचिन के इंजिन का पिस्टन फुल स्पीड पर चल पड़ा।
अभी तक तो रूपा बस एक बार ही झड़ी थी लेकिन इस बाद तो उसके झड़ने की कोई गिनती ही नहीं थी। सचिन उसे चोदता रहा और वो झड़ती रही। एक के बाद एक जैसे झड़ने की झड़ी लगी हो। इतना मज़ा तो उसे उसके भाई के साथ भी कभी नहीं आया था। आखिर जब सचिन झड़ा तो उसने अपनी कमर उत्तेजना में ऊपर उठा दी और रूपा उसके ऊपर निढाल पड़ी रही। सचिन का लंड उसकी चूत में फव्वारे पर फव्वारे छोड़ रहा था और रूपा की चूत उसके लंड को ऐसे चूस रही थी जैसे कोई स्ट्रॉ से जूस चूसता है।
इन सब में कब सारी रात निकल गई थी पता ही नहीं चला। लेकिन जब दोनों की सांस में सांस आई तो सचिन ने कहा।
सचिन- आई लव यू रूपा!
रूपा- आई लव यू टू सचिन!
और दोनों वैसे ही नींद के आगोश में खो गए। सुबह जब सचिन की आँख खुली तो उसने पाया कि रूपा अब भी उसके ऊपर ही थी और उसका लंड अब भी उसकी चूत के मुँह से चिपका पड़ा था। सचिन के हिलने से रूपा की नींद भी खुल गई।
सचिन ने कहा- मुझसे शादी करोगी?
रूपा- हाँ, तुम नहीं पूछते तो शायद मैं ही पूछ लेती।
सचिन- मैं वादा करता हूँ फिर कभी दीदी के बारे में ऐसा वैसा नहीं सोचूंगा।
रूपा- हुम्म्म! तुमने ऐसा क्यों कहा?
सचिन- अब अगर हम शादी करेंगे तो तुमको शायद अच्छा न लगे कि मैं किसी और के बारे में ये सब सोचूं, इसलिए।
रूपा- हाँ, लेकिन याद करो कि ये हमारी रात भर की धमाकेदार चुदाई शुरू कैसे हुई थी? जब हम दोनों ने एक दूसरे से ये कहा था कि हम अपने भाई-बहन के साथ चुदाई करने के लिए तैयार हैं। और सच कहूँ तो इसी चुदाई ने हमें इतना करीब ला दिया कि रात को हमको प्यार हुआ और सुबह हम शादी के सपने देख रहे हैं। ऐसे में अगर इन सब की जड़ में जो है तुम उसे ही हटा दोगे तो क्या हमारी शादी टिक पाएगी?
सचिन- हम्म, बात तो तुम बिलकुल सही कह रही हो। बल्कि सच कहूं तो तुम्हारी इसी समझदारी की वजह से मेरा मन और भी करता है कि तुमको अपना जीवनसाथी बना लूँ।
रूपा- समझा तो तुमने भी था न मुझे। वरना कोई लड़की किसी और लड़के से चुदाने की बात करे उतने से ही लड़के उसे रंडी समझने लगते हैं। तुमने तो मुझे तब गले लगाया जब मैंने अपने भाई से चुदवाने की बात की थी।
सचिन- सच कहूं तो उस बात ने मुझे बहुत उत्तेजित कर दिया था। देखो मेरा तो फिर खड़ा हो गया।
रूपा- अभी तो मेरी चूत का रस सब सूख कर जम गया है। अभी और तो कुछ नहीं कर सकती… लाओ तुमको चूस कर मलाई खा लूँ। मेरा नाश्ता भी हो जाएगा।
इतना कह कर रूपा सचिन का लंड चूसने लगी। सचिन कहने लगा- मतलब ये हुआ कि अगर हमको इसी तरह प्यार से रहना है तो हमको एक दूसरे को अपनी इच्छाएँ पूरी करने में मदद करनी चाहिए। तो क्या तुम ये चाहती हो कि तुम सच में अपने भाई से चुदवाओ और मैं तुम्हारी इसमें मदद करूँ। और ऐसे ही तुम भी मेरी मदद करोगी मुझे दीदी को चोदने में?
सचिन का लंड चूसते हुए ही रूपा ने ‘हुम्म्म’ कह कर हामी भरी। उसके ‘हुम्म्म’ कहने से जो कम्पन्न हुआ और उसकी बात का जो मतलब निकला उसकी कल्पना मात्र से सचिन का छूट गया और रूपा उसे पी गई। फिर रूपा अपना टी-शर्ट पहन कर बाहर चली गई और सचिन भविष्य के सपनों में खो गया।
सुबह के 11 बजे थे, पंकज क्लिनिक के लिए बहुत पहले निकल गया था; सचिन अपनी कल्पना में कुछ ऐसे खोया था कि उसे याद ही नहीं रहा कि वो नंगा ही लेटा था और उसने चादर तक नहीं ओढ़ी थी। यूँ तो वो रात भर से ऐसा ही था, लेकिन अभी अभी रूपा के जाने के बाद से, दरवाज़ा बंद नहीं किया गया था। यह बात उसके कल्पनाओं की दुनिया में घूम रहे दिमाग से अभी परे थी। लेकिन हर सपना कभी न कभी तो टूटता ही है।
सोनाली- ये ले मेरे कुम्भकर्ण भाई, गरमा-गरम चाय… उईई… सॉरी…!!!
सोनाली जब सचिन को चाय देने आई तो उसने नहीं सोचा था कि सचिन उसे पूरी तरह नग्न अवस्था में मिलेगा। वैसे तो सोनाली सचिन को छिप कर हज़ार बार नंगा देख चुकी थी लेकिन ये पहली बार था जब ऐसा आमने-सामने हुआ था इसलिए वो थोड़ा हड़बड़ा गई और जल्दी से बेडसाइड-टेबल पर चाय रख कर जाने लगी।
सोनाली- ये यहाँ रखी है, पी लेना…
सचिन- ओह्ह! सॉरी दीदी…
इतना कहते हुए सचिन ने जल्दी से चादर ओढ़ ली। तब तक सोनाली की हड़बड़ाहट भी जा चुकी थी इसलिए वो जाते जाते दरवाज़े पर रुकी और पीछे मुड़ कर शरारती अंदाज़ में बोली- मुबारक हो! लगता है तेरे सांप को बिल मिल ही गया आख़िर! ही ही ही…
खिलखिला कर हँसते हुए सोनाली तो चली गई लेकिन सचिन की नींद तो बिना चाय पिए ही उड़ गई थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसे इस बात से चिंतित होना चाहिए या खुश? आखिर उसने भी अपने कपड़े पहने और चाय का कप लेकर बाहर आ गया।
बाहर डाइनिंग टेबल पर रूपा अपनी चाय लगभग खत्म कर चुकी थी।
जब सचिन अपने चाय का कप लेकर वहां बैठा तो रूपा अपनी चाय की आखिरी चुस्की लेते हुए उठ खड़ी हुई।
रूपा धीरे से- मैं नहाने जा रही हूँ चाहो तो आ जाना!
सचिन को आँख मारते हुए रूपा चली गई। सचिन की बड़ी तमन्ना थी किसी लड़की के साथ नंगे नहाने की। उसने जल्दी जल्दी अपनी चाय ख़त्म की और बाथरूम में चला गया। शॉवर का पर्दा पहले से बंद था सचिन ने बाथरूम का दरवाज़ा लगभग बंद सा कर दिया ताकि आते जाते कहीं दीदी की नज़र न पड़ जाए और फिर अपने कपड़े निकल कर नंगा हो गया।
सचिन ने शॉवर के दरवाज़े को सरकाया और देखा वो पूरी नंगी अपने अभी अभी निकाले हुए कपड़ों को रख रही थी। तुरंत अंदर जा कर सचिन ने उसे पीछे से पकड़ लिया। एक हाथ से उसके स्तनों को जकड़ा और दूसरे से उसके पैरों के बीच उस चिकनी मुनिया को टटोलने लगा। उसके लिंग ने भी नितम्बों के बीच की दरार में अपना स्थान बनाना शुरू कर दिया।
लेकिन ये क्या?
आईईईऽऽऽ…
घबरा कर चीखते हुए सोनाली पलटी और सोनाली को देख कर सचिन भी सकते में आ गया।
सचिन- ओह्ह नो! मुझे लगा रूपा…
तभी रूपा अपना बाथरोब लिए शावर के दरवाज़े पर आ गई। सोनाली ने तुरंत अपने स्तन एक हाथ से छिपा लिए और दूसरे से अपनी चूत।
रूपा- सचिन…! भाभी…!
सचिन- मुझे लगा तुम हो…
सचिन ने बड़ा ही असमंजस भरी शकल बनाते हुए कहा।
सोनाली की शकल देखने लायक थी जैसे उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि हो क्या रहा है।
सोनाली- यार, ये क्या है? मेरे तो कुछ समझ नहीं आ रहा। अब मुझे नहीं नहाना… मैं जा रही हूँ। तुमको जो करना है करो।
इतना कह कर सोनाली नंगी ही वहां से चली गई। रूपा अब तक सब समझ गई थी और उसकी तो हंसी ही नहीं रुक रही थी।
रूपा- क्या बात है सचिन! आखिर दीदी को फेस-टू-फेस नंगा देख ही लिया।
सचिन- वैसे तो उन्होंने मुझे देखा था सुबह बैडरूम में, अभी तो कुछ ज़्यादा ही हो गया।
रूपा- ऐसा क्या हो गया, मुझे भी तो पता चले?
तब तक रूपा ने भी अपने कपड़े निकाल लिए थे। सचिन ने उसे ठीक वैसा करके दिखाया जैसा उसने सोनाली को रूपा समझ कर किया था। रूपा ने सचिन को उस ही पोजीशन में खड़े रहने को कहा और फिर शॉवर चालू करके बोली।
रूपा- अब मुझे रूपा नहीं बल्कि अपनी दीदी ही समझो और ऐसे ही चोदो।
सचिन- वाओ! रूपा, आई लव यू!
और सचिन वैसे ही खड़े-खड़े नहाते हुए रूपा को चोदने लगा। अभी उसके मन में अपनी दीदी के नंगे जिस्म के स्पर्श की अनुभूति एकदम ताज़ा थी इसलिए उसके लिए ये कल्पना कर पाना मुश्किल नहीं था कि वो सोनाली को चोद रहा था। इस कल्पना ने दोनों को इतना उत्तेजित कर दिया कि दोनों जल्दी ही झड़ गए। फिर दोनों ने एक दूसरे को साबुन लगाया और अंग से अंग लगा कर खूब मस्ती करते हुए नहाए।
फिर जब दोनों कपड़े पहन रहे थे…
सचिन- तुम्हारे साथ तो मेरी ज़िन्दगी मस्त गुज़रेगी यार। तुम तो मुझे, मुझ से भी बेहतर समझती हो। मुझसे ज़्यादा ये तुमको पता होता है कि मुझे क्या उत्तेजित करेगा।
रूपा- तुम मुझसे शादी करने को लेकर इतने उत्साहित हो तो मुझे लगता है कि मुझे तुमको एक बात बता देना चाहिए।
सचिन- क्या?
रूपा- मैं कुंवारी नहीं हूँ, मतलब तुम पहले नहीं हो जिसके साथ मैंने सेक्स किया है। लेकिन रात को जो मैंने तुम्हारे साथ महसूस किया वो पहली बार ही था। और मुझे नहीं लगता कि मैं वैसा किसी और के साथ फील कर पाउँगी।
सचिन- हम्म, कौन था वो?
रूपा- वो मैं तुम्हें वक़्त आने पर बता दूँगी। तुम अभी बस ये बताओ कि तुम्हें इस बात से कोई गिला-शिक़वा तो नहीं है न?
सचिन- पता नहीं शायद ये बात मुझे ज़िन्दगी में कभी खलेगी या नहीं कि मैंने किसी कुंवारी लड़की की सील नहीं तोड़ी, लेकिन अगर इस वजह से तुम्हें छोड़ दिया तो ये ज़रूर लगता रहेगा कि तुम्हारे साथ जिंदगी कुछ और ही हो सकती थी।
इस तरह बातें करते करते दोनों बाहर आ चुके थे। सोनाली वहीं कुछ काम में लगी थी। उसने एक झीना सा गाउन पहना हुआ था जिसको ध्यान से देखो तो साफ समझ आता था कि वो अंदर नंगी ही थी। इन लोगों की बातें सुनकर उस से भी रहा नहीं गया।
सोनाली- क्या बातें चल रहीं हैं तोता-मैना की? एक रात में ज़िन्दगी भर की बातें करने लगे?
रूपा- अब भाभी, आपसे क्या छिपाना… हम सोच रहे थे कि जब भी शादी की बात चलेगी तो हम एक दूसरे से ही करेंगे।
सोनाली- इतनी जल्दी इतना बड़ा फैसला कैसे कर लिया?
रूपा- आपको याद है आपने एक बार कहा था ‘शायद इसी को प्यार करना कहते हैं।’ मुझे वो फीलिंग सचिन के साथ महसूस हुई है।
रूपा की बात सुन कर सोनाली कुछ उदास सी हो गई। उसे लगा शायद अब वो सचिन से दूर हो जाएगी। रूपा को ये बात समझते देर न लगी। वो सोनाली के पीछे पीछे किचन में गई और उसे धीरे से शैतानी मुस्कराहट के साथ समझाया।
रूपा- चिंता मत करो भाभी, प्यार एक से करो लेकिन चुदाई के लिए तो पूरी दुनिया पड़ी है। आपके भाई पर कब्ज़ा नहीं करुँगी। (आँख मारते हुए) जितना मर्ज़ी चुदवा लेना।
इतना सुनते ही सोनाली के मन में ख़ुशी की लहार दौड़ गई और दोनों ननद-भौजाई हँसते खिलखिलाते हुए किचन से खाना ले कर बाहर आईं। दोनों ने जल्दी से खाना टेबल पर लगा दिया और फिर सब खाना खाने बैठ गए।
रूपा- भाभी! मेरा तो अब ध्यान गया… आपके गाउन को ध्यान से देखो तो साफ़ समझ आता है कि आपने अंदर कुछ नहीं पहना। मुझे नहीं पता था कि आप सचिन के सामने भी इतना बोल्ड हो सकते हो।
सोनाली- अब यार अभी थोड़ी देर पहले ही तो तुम दोनों ने मुझे नंगी देखा है; इसलिए मैंने भी ज़्यादा परवाह नहीं की, जो सामने मिला, पहन लिया।
सचिन- जो भी हो, आप सुन्दर लग रही हो इस गाउन में!
सोनाली- ऐसा है तो अब से ऐसे ही गाउन पहन लिया करुँगी। मेरे पास तो अधिकतर ऐसे ही हैं सब।
सचिन को ऐसा लगने लगा था कि उसके और सोनाली के बीच जो एक पर्दा था वो गिर चुका था। अंदर ही अंदर वो दोनों जानते थे कि वो एक दूसरे को नंगे नहाते हुए देखते थे और यहाँ तक कि एक दूसरे को अपनी कामुक अदाएं भी दिखाते थे लेकिन फिर भी जब आमने सामने होते तो ऐसा व्यव्हार करते थे कि जैसे उन्हें कुछ पता ही नहीं हो। लेकिन अब सचिन को लग रहा था जैसे सोनाली ने वो पर्दा गिरा दिया है और वो अब दोहरी ज़िंदगी नहीं जियेगी।
सोनाली ने पहला कदम आगे बढ़ा दिया था और अब सचिन भी एक कदम आगे बढ़ाना चाहता था। उसके जीजा जी ने उसे जो बातें कहीं थीं वो उसे और हिम्मत दे रहीं थीं। क्योकि उसे पता था कि वो ऐसा कोई काम करने नहीं जा रहा था जिसमें सोनाली की मर्ज़ी न हो। जब तक आप किसी की मर्ज़ी से कुछ करते हो तब तक वो सही होता है इस बात ने उसे एक नई हिम्मत दी थी। रात को जो रूपा के साथ हुआ उसने इस बात को साबित भी कर दिया था।
और तो और उसने जिसे अपनी होने वाली जीवन संगिनी चुना था वो भी इस बात को समझती थी और उसे कोई ऐतराज़ नहीं था। अब तक जो भी समाज ने नियम क़ानून सचिन को रोकते आये थे वो सब बेमानी हो गए थे। सोनाली की बातों ने उसका ये डर भी मिटा दिया था कि वो ऐसी किसी बात का बुरा मान सकती है। लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे। इसी सोच में डूबे हुए उसने खाना खत्म किया और सोफे पर जा कर बैठ गया।
सचिन ज़्यादा देर तक सोच में डूबा न रह सका, रूपा और सोनाली भी खाना खा कर उठ चुकीं थीं।
रूपा- फिर आज क्या प्लान है कोई फिल्म देखना है या यूँ ही टीवी? या फिर गप्पें लड़ाना है?
सोनाली- नहीं यार, मैं तो नहाने जा रही हूँ, उसके बाद थोड़ी देर सोने का मूड है।
रूपा- क्यों भैया ने रात को सोने नहीं दिया क्या?
सोनाली- सोई तो बेटा तू भी नहीं है और मज़े मेरे ले रही है?
रूपा- हाँ यार! मैं भी सो ही लेती हूँ थोड़ी देर! सचिन तुम?
सचिन- मैं भी आ गया साथ में तो हो गई तुम्हारी नींद… हे हे हे…
रूपा- ठीक है तो फिर तुम टीवी देख लो।
रूपा सोने के लिए अपने रूम में चली गई। सोनाली भी नहाने चली गई और सचिन टीवी देखने के नाम पर फिर अपनी सोच में डूब गया। दीदी चाहती तो अपने गाउन के अंदर कुछ ब्रा-पैंटी पहन सकती थी। कम से कम रूपा के ये कहने पर कि तेज़ रोशनी में अंदर सब दिख रहा है, वो इसे अपनी गलती मान कर गाउन बदल भी सकती थी। लेकिन उसने जो कहा उसका तो सीधा मतलब यही है कि उसे अब फर्क नहीं पड़ता या शायद ये कि सुबह जो हुआ उसके बाद उसकी शर्म ख़त्म हो चुकी है।
ये सब सोच कर सचिन को इतना तो समझ आ गया कि अब डरने की ज़रूरत नहीं है। अब उसे कोई दबंग कदम उठा ही लेना चाहिए। वो उठा और उसने निश्चय किया कि अब सोचने का नहीं करने का समय है। पहले सचिन रूपा के कमरे की तरफ गया और देखा कि दरवाज़ा बंद था। उसने धीरे से खोलकर देखा तो वो अंदर सो रही थी। दरवाज़े को वापस धीरे से बंद करके सचिन बाथरूम की तरफ चला गया।
उसने बाथरूम का दरवाज़ा अंदर से बंद करके लॉक कर दिया ताकि रूपा अगर आये तो उसे लगे कि वो टॉयलेट गया था। फिर उसने आराम से अपने सारे कपड़े निकाले और सुबह की ही तरह शावर की तरफ गया। लेकिन अब उसे न तो कोई जल्दी थी और न कोई ग़लतफ़हमी। उसे साफ पता था कि उस परदे के पीछे कौन है। उसने एक लम्बी सांस ली और धीरे से पर्दे को पूरा खोल दिया।
क्योंकि पर्दा धीरे से खोला गया था, सोनाली को कोई झटका नहीं लगा और शायद उसे ऐसा कुछ होने की अपेक्षा भी थी। उसके एक हाथ में शावर था और दूसरा उसके स्तनों के बीच से होकर दूसरे कंधे को छू रहा था। कुछ देर वो ऐसे ही खड़ी रही। दोनों एक दूसरे की आँखों में आँखें डाले देखते रहे, मानो आँखों ही आँखों में कह रहे हों कि एक न एक दिन तो ये होना ही था।
फिर सोनाली को जाने क्या सूझा कि वो मुड़ी और पीछे लगे सेटिंग वाले पैनल पर कुछ करने लगी। थोड़ी ही देर में उसने शावर को स्टैंड पर लगा दिया और सेटिंग पैनल पर एक बटन दबा कर वापिस सचिन की ओर मुड़ गई।
म्यूजिक शुरू हो गया था और साथ ही सोनाली की कमर भी धीरे से लहराने लगी थी। संगीत की धुन से ही सचिन समझ गया था कि ये मोहरा फिल्म का गाना था… टिप टिप बरसा पानी… पानी ने आग लगाई…
सचिन कमोड के बंद ढक्कन के ऊपर जा कर बैठ गया और अपनी बहन का नंगा नाच देखते हुए धीरे धीरे अपना लंड सहलाने लगा। यूँ तो पहले भी बाथरूम के छेद से पहले भी उसने सोनाली को नंगी नाचते हुए देखा था लेकिन आज ये न केवल आमने सामने था बल्कि साथ में म्यूज़िक था, लाइट्स थी और तरह तरह के शॉवर थे जो म्यूजिक की धुन पर सोनाली पर मस्ती की बारिश कर रहे थे।
नाचते हुए सोनाली अपनी चूची और चूत बराबर रगड़ रही थी। ये नाच दिखाने में उसे और भी ज़्यादा मज़ा आ रहा था। वैसे भी अभी कुछ दिनों से उसे पहले की तरह दिन रात की लगातार चुदाई नहीं मिली थी।
गाना ख़त्म होते होते उससे रहा नहीं गया और वो नीचे बैठ कर ज़ोर ज़ोर से अपनी चूत रगड़ने लगी और दूसरे हाथ से उंगली भी करने लगी। जब तक गाने की धुन बंद हुई, सोनाली झड़ चुकी थी।
जब सोनाली को होश आया तो सामने उसे सचिन दिखाई दिया। उसके हाथ में अब भी उसका खड़ा हुआ लंड था जिसको हिलना अब वो बंद कर चुका था। सोनाली खड़ी हुए और शावर का पारदर्शी दरवाज़ा स्लाइड करके मुस्कुराते हुए बाहर आई। फिर धीरे धीरे स्टाइल से चलते हुआ सचिन के पास पहुंची। सचिन तब तक खड़ा हो चुका था। उसने वैसे ही मुस्कुराते हुए सचिन का लंड पकड़ा और उसे खींच कर बाहर की ओर चल दी।
सोनाली, सचिन को उसके लंड से पकड़ कर अपने बैडरूम तक ले गई, फिर उसने सचिन को बेड के पास खड़ा किया और जैसे फुटबाल के खिलाड़ी अक्सर करते हैं वैसे अपनी छाती से सचिन की छाती को धक्का मार कर उसे बिस्तर पर गिरा दिया। अपनी बहन के स्तनों को अपनी छाती पर टकराते हुए अनुभव कर सचिन का लंड और भी कड़क को गया।
सोनाली, सचिन की आँखों में आँखें डाल कर देखते हुए घुटनो के बल नीचे झुकी और सचिन का लंड अपने हाथों में पकड़ कर जीभ से चाटने लगी। बीच बीच में कभी वो आँखें बंद करके उसे चूसने लगती तो कभी अपनी क़ातिलाना निगाहों से सचिन को देखने हुए लंड को जड़ से सर तक चाटने लगती। कुछ ही देर में पूरा लंड उसके थूक से गीला हो चुका था।
अब सोनाली उठी और बिस्तर पर उसके सर के बाजू में बैठ गई।
सचिन उसके कूल्हों पर अपने हाथ फेरने लगा। सोनाली ने अब सचिन के लंड को अपने मुँह में ले लिया था और वो उसे ऐसे चूस रही थीं जैसे सारा रस अपने चूसने की ताक़त से ही निकाल लेगी। सचिन के हाथों को खेलने के लिए बहुत कुछ मिल गया था, वो उसके स्तनों को सहलाता तो कभी पीठ से होता हुआ कमर तक सोनाली की चिकनी त्वचा को महसूस करता। फिर कभी उसके नितम्बों को मसल देता।
तभी उसे अहसास हुआ कि सोनाली ने उसका लंड काफी ज़्यादा अपने मुँह में ले लिया है और उसका लंड अब सोनाली के गले के करीब पहुँच गया है। करीब 2-3 उंगल ही सोनाली के मुँह के बाहर था बाकी सब अंदर! ऐसे में सोनाली ने 2-4 बार अपना सर ऊपर नीचे किया और हर बार सचिन के लंड ने सोनाली के गले पर दस्तक दी। फिर उसने पूरा लंड बाहर निकाल कर उस पर थूका और हाथ से फैला कर पूरा लंड फिर गीला कर दिया।
कुछ समय तक सोनाली ऐसे ही तेज़ी से अपना सर हिला हिला के सचिन को अपने मुँह से चोदती रही। फिर वो उठी और उसने 2-3 बार गहरी सांस ली और वापस झुक कर सचिन का लंड गप्प कर गई।
इस बार जब सचिन का लंड सोनाली के गले तक पहुंचा तो उसने सर हिला कर उसे चोदने की बजाए, उसे निगलना शुरू कर दिया। उसके गले में ऐसी हलचल हो रही थी जैसे वो पानी पी रही हो। सचिन का लंड धीरे धीरे सोनाली के गले में समाने लगा।
जल्दी ही सोनाली के होंठ सचिन के अंडकोषों को चूम रहे थे और अब लंड के और अंदर जाने की कोई गुंजाईश नहीं थी। लेकिन सोनाली अब भी उसे किसी ड्रिंक की तरह गटक रही थी। इससे सचिन को ऐसा लग रहा था जैसे लगातार उसके लंड की मालिश हो रही हो।
उसने ऐसा पहली बार अनुभव किया था और वो आँखें बंद किये चुपचाप इसका पूरा आनन्द उठाने की कोशिश कर रहा था। उसे लग रहा था कि अब वो ज़्यादा देर रुक नहीं पाएगा और झड़ जाएगा.
तभी सोनाली के फ़ोन की घंटी बजने लगी।
लंड सोनाली गए गले में इतना अंदर था कि उसे अचानक से नहीं निकला जा सकता था। सोनाली ने उसे धीरे से निकालने की कोशिश की लेकिन वो अचानक लंड की मालिश बंद होने के डर से और कुछ निकालने की कोशिश में बढ़ी हुई हलचल से, सचिन रोक नहीं पाया और झड़ने लगा। जो वीर्य सोनाली के गले में ही निकल गया वो तो सोनाली पी ही गई लेकिन बाकी का उसके मुँह में निकला और तब तक सोनाली ने फ़ोन उठा लिया था।
पंकज ने कॉल किया था।
सोनाली- है…वो!
पंकज- क्या हुआ? ऐसे क्यों बोल रही हो?
सोनाली- रबड़ी ख़ा रही थी?
कहते कहते सोनाली ने सचिन का सारा वीर्य पी लिया और बाकी बात करते करते उसके लंड से चटख़ारे ले कर चाटने लगी जैसे खाने के बाद अपनी उंगलियाँ चाट रही हो।
पंकज- हाँ यार, इसी के लिए कॉल किया था। आज काम जल्दी निपट गया है तो सोचा वापस आते वक़्त बाज़ार से कुछ मिठाई वगैरा ले आऊं। परसों राखी है तो तुमको भी कोई सामान मंगाना हो तो बता दो।
सोनाली- हाँ यार! पूजा का कुछ सामान है, मैं लिस्ट बता देती हूँ, तुम ले आना।
अब तक सोनाली ने सचिन का लंड चूस कर और चाट कर पूरी तरह से साफ़ कर दिया था। वो उठ कर नंगी ही फ़ोन पर बात करते हुए बाहर चली गई। सचिन कुछ देर ऐसे ही पड़ा रहा फिर उठ कर बाथरूम गया और फ्रेश हो कर कपड़े पहन कर ड्राइंग रूम में जाकर टीवी देखने लगा।
सोनाली किचन में थी, उसने एक दूसरा सेक्सी सा गाउन पहन लिया था और वो शायद रात के खाने की तैयारी कर रही थी।
तभी रूपा अपने रूम से बाहर आई और फ्रेश होने के लिए बाथरूम में चली गई, वहां से आकर रूपा सचिन के पास चिपक कर बैठ गई।
रूपा- पता है मैंने एक मस्त सपना देखा।
सचिन- क्या देखा?
रूपा- सपने में हम दोनों चुदाई कर रहे थे, और तभी भाभी वहां आ गईं, और मैंने उनको पकड़ के तुम से चुदवा दिया। फिर हम तीनों ने मिल कर बहुत तरीकों से चुदाई की।
सचिन- वाओ ! काश, तुम्हारा सपना सच हो जाए।
रूपा- तो एक काम करो न! तुम मुझे अभी यहीं चोदने लगो। भाभी आवाज़ सुन कर आएंगी तो उनको पकड़ कर चोद देना।
सचिन- अरे नहीं! ऐसे जबरन नहीं करना चाहिए। सही मूड बनना ज़रूरी है। और वैसे भी आज जीजा जी जल्दी आने वाले हैं। अभी उनका फ़ोन आया था। अगर दीदी से पहले उन्होंने देख लिया तो।
रूपा- तुम कौन सा मेरा जबरन चोदन कर रहे हो। उनको भी पता है कि मैं दूध की धुली नहीं हूँ।
सचिन- क्या बात कर रही हो? उनको किसने बताया कि तुम चुदवा चुकी हो?
रूपा- अरे बाबा ! वक़्त आने पर सब बता दूँगी। अभी चुदाई नहीं तो किस तो कर ही सकते हो न यार?
तभी पंकज आ गया। वो अक्सर अपनी चाभी से दरवाज़ा खोल कर सीधे अंदर आ जाता है ताकि किसी को अपना काम छोड़ कर दरवाज़ा खोलने न आना पड़े। उसके आने से सचिन चौंक गया और अपना चुम्बन तोड़ कर अलग होने की कोशिश की लेकिन रूपा ने उसे नहीं छोड़ा। और तो और वो दोनों तरफ पैर करके सचिन के ऊपर चढ़ गई और उसे किस करने लगी।
इस बात पर पंकज ज़ोर से हंसने लगा।
पंकज- क्या है सचिन? मेरी बहन तुम्हारा जबर चोदन तो नहीं कर रही न? देखो इस घर में सब खुले आम हो सकता है लेकिन जबरदस्ती कुछ नहीं। कोई प्रॉब्लम हो तो बता देना मैं आ जाऊँगा मदद के लिए।
ऐसा कह कर हँसते हुए पंकज सामान रखने के लिए किचन की ओर चला गया।
जब तक वो फ्रेश हो कर कपडे बदल कर आया तब तक रूपा का किस ख़त्म हो चुका था। पंकज वहीं सोफे पर रूपा के बाजू में बैठ गया।
पंकज- मुझे अभी पता चला कि तुम लोग शादी करने का सोच रहे हो?
रूपा- हाँ भैया! मतलब अभी नहीं, लेकिन जब भी शादी के लायक हो जाएंगे तब।
पंकज- देखो, मैं बहुत खुले विचारों वाला हूँ तो अगर तुमको एक दूसरे के साथ अच्छा लगता है तो साथ रहो, जितनी मस्ती करनी है करो। लेकिन शादी के मामले में जल्दीबाज़ी में कोई फैसला मत लेना।
रूपा- चिंता मत करो भैया! सिर्फ मस्ती की बात नहीं है। हमको सच में प्यार हो गया है। फर्क बस इतना है कि कुछ लोगों को पहली नज़र में प्यार होता है, हमको पहली चु…
सचिन- मतलब हमको पहली मुलाक़ात में प्यार हो गया। वैसे भी दीदी तो रूपा को काफी दिनों से जानती हैं उन्होंने भी सिफारिश की थी।
पंकज- फिर ठीक है। वैसे भी शादी को तो अभी बहुत टाइम है, तब तक एन्जॉय करो।
ऐसे भी बातों और गप्पों में ये शाम भी गुज़र गई।
एक ज़रूरी बात दोस्तो, सोनाली ने जो सचिन के लंड को गटका था वो हर किसी के लिए संभव नहीं है। केवल कुछ खास गले की बनावट वाली लड़कियां ऐसा कर सकती हैं वो भी कुछ ही तरह के लंडों के साथ। इन सब के बाद भी ऐसा करने के लिए काफी अभ्यास की ज़रूरत होती है, इसलिए अपनी सेक्स की साथी को ऐसा करने के लिए ज़ोर न दें। धीरज से काम लें, और अगर वो न कर पाए तो उसे मजबूर न करें।
अभी डिनर में थोड़ी देर थी और सब टीवी देख रहे थे कि तभी रूपा ने सचिन को अपने पीछे पीछे बाहर आने का इशारा किया और बाहर टेरेस पर चली गई, सचिन भी पीछे पीछे चला गया।
वहां ताज़ा हवा में दोनों कुछ देर तक यूँ ही खड़े रहे।
रूपा- मेरे दिमाग में एक और आईडिया आया है।
सचिन- क्या? दीदी को पटाने का?
रूपा- हम्म! देखो, खाने के बाद मैं बेडरूम में दीदी से बातें करने बैठ जाऊँगी। फिर तुम मुझे बुलाने आ जाना और वहीं सो जाना। जब तक सोने का टाइम होगा तो मैं कह दूँगी कि अब इसकी नींद डिस्टर्ब नहीं करते यहीं सो जाने दो।
सचिन- मतलब उस दिन जो तुम्हारे साथ हुआ वही तुम चाहती हो कि मेरे साथ भी हो?
रूपा- हाँ! सही पकड़े हैं!
रूपा ने टी वी वाली अंगूरी भाबी जी की स्टाइल में कहा।
सचिन- ठीक है, तुम इतना सोचा है तो कोशिश करना तो बनता है।
तभी सोनाली ने सबको खाने के लिए बुला लिया। जैसा रूपा ने सचिन को कहा था वो खाने के बाद अपनी भाभी के साथ किचन में हाथ बटाने चली गई। उसने वहां सबसे पहले तो सोनाली को अपनी अभी की योजना के बारे में बताया फिर आगे और सलाह देने लगी।
रूपा- आप चाहो तो अपनी चूत की खुशबू उसको सुंघा सकती हो, ताकि वो और उतेजित हो जाए और कुछ करने लगे।
सोनाली- लेकिन योजना तो कल की थी न फिर ये आज ही क्यों?
रूपा- कल तो पूरी चुदाई की योजना है। मैंने सोचा, क्यों न आज ही इतना हो जाए कि थोड़ी आँख की शर्म मर जाए ताकि कल सब कुछ और भी आसानी से हो सके।
सोनाली- ठीक है, मैं कोशिश करुँगी।
सोनाली ने ये बात रूपा को नहीं बताई कि सचिन आज ही अपनी वासना का इज़हार कर चुका है और उसके जवाब में वो पहले ही सचिन का लंड चूस के उसका रस भी चूस चुकी है। कल तो सबके सामने वो सचिन से चुदने वाली थी ही लेकिन तब तक छुप छुप कर मस्ती करने में जो मज़ा है, वो उसे भी खोना नहीं चाहती थी। यहाँ तक कि अगर मौका मिला तो वो रूपा और पंकज से छिप कर सचिन से चुदवाने के लिए भी आतुर थी।
लेकिन उसके लिए अब समय काफी कम बचा था।
बहरहाल, रूपा ने योजना के हिसाब से सोनाली के बैडरूम में अड्डा जमा लिया और सचिन उसको बुलाने के बहाने वहां आकर वहीं सो गया। जब पंकज सोने के लिए आया तो रूपा तो अपने रूम में चली गई लेकिन सचिन वहीं सोने का बहाना करके पड़ा रहा।
पंकज- क्या बात है? आज सचिन यहीं सो गया? तुमने लोरी सुना दी थी क्या छोटे भाई को? हा हा हा…
सोनाली- नहीं यार, कल रात भर रूपा की चुदाई की इसने और आज दिन में सोया भी नहीं। रूपा को बुलाने आया था और यहीं गया तो मैंने सोचा कि सो लेने दो यहीं।
पंकज- वो तो ठीक है लेकिन मैं अपनी चुदाई कुर्बान नहीं करने वाला।
सोनाली- कोई बात नहीं, ये तो घोड़े बेच कर सोता है। अगर उठ भी गया तो क्या… उस दिन रूपा ने भी तो सब देखा था।
पंकज ने अपने कपड़े निकले और सोनाली ने अपने, दोनों सचिन के बाजू में ही लेट कर रतिक्रिया में लिप्त हो गए। सोनाली बीच में थी और उसके एक ओर सचिन सो रहा था और दूसरी तरफ पंकज चिपका हुआ था।
कुछ देर ऐसे ही नंगे चूमा-चाटी और लिपटा-चिपटी करने के बाद दोनों उत्तेजित हो गए।
सोनाली- तुम ज़रा नीचे आ के मेरी चूत चाट दो न।
पंकज- 69 कर लें?
सोनाली- नहीं पहले एक बार अच्छे से एक एक करके एक दूसरे की चटाई-चुसाई कर लें फिर 69 करेंगे, और उसके बाद चुदाई।
पंकज नीचे जा कर सोनाली की चूत चाटने लगा और सोनाली ने उसके सर को अपने दोनों पैरों के बीच ऐसे दबोचा कि वो हिल भी न सके। इसी के साथ सोनाली ने एक हाथ सचिन के शॉर्ट्स में डाल कर उसका लंड पकड़ लिया। सचिन जो सच में सो गया था, अचानक से सतर्क हो गया और उसने जैसे ही सर घुमा के देखा चार उंगल की दूरी पर नंगी लेटी उसकी बहन मुस्कुरा रही थी। जैसे ही उसने देखा पंकज सोनाली की जाँघों में दबा पड़ा है, वो सोनाली पर टूट पड़ा।
दोनों हाथों से उसके दोनों स्तन मसलता हुआ वो सोनाली के साथ मुख-चुम्बन करने लगा। एक क्षण में उसकी जीभ उसकी बहन के मुँह में होती तो दूसरे क्षण सोनाली की जीभ उसके भाई के मुँह में… दोनों भाई-बहन एक दूसर के होंठों और मुँह का कोई भी हिस्सा अनछुआ नहीं छोड़ना चाहते थे और समय कम था; सचिन ने हथेलियों और चार उंगलियों से अपनी बहन के दोनों स्तनों को जकड़ा हुआ था और अंगूठों से वो उसके चूचुकों को सहला रहा था। सोनाली भी सचिन के लंड को लगातार ज़ोर ज़ोर से मुठिया रही थी।
इन सब के साथ पंकज की जीभ सोनाली के चूत के दाने पर लगातार चल रही थी। सोनाली झड़ने ही वाली थी कि पंकज ने उसे चाटना बंद कर दिया। सोनाली ने उसे अपनी जाँघों में इतनी ज़ोर से जकड़ लिया था कि उसका दम घुटने लगा था।
सोनाली ने तुरंत अपना चुम्बन तोड़ा और सचिन को पंकज की तरफ इशारा करके दिखाया। पंकज को यूँ तड़पता देख सचिन तुरंत वापस जैसे सोया था वैसे ही सो गया, तब कहीं जा के सोनाली ने पंकज को छोड़ा।
पंकज- तुमने तो मुझे मार ही डाला था।
सोनाली- यार, वो सचिन बाजू में सो रहा है तो उसे देख कर कुछ ज़्यादा जोश में आ गई थी।
पंकज- अच्छा! तो फिर जगाऊँ उसे? उसी से चटवा लेना अपनी चूत, और ज़्यादा मजा आ जाएगा।
सोनाली- उसे सोने दो और तुम अपना लंड चुसवाओ।
इतना कह कर सोनाली ने पंकज को धक्का दिया और उसके लंड पर टूट पड़ी। अब पंकज का सर बेड के दूसरी ओर था; सोनाली उसके पैरों के बीच न बैठ कर उसके बाजू में यानि पंकज और सचिन के बीच घुटनों के बल बैठी थी और झुक कर पंकज का लंड चूस रही थी। ऐसा करने से उसकी चूत सचिन के सर से ज़्यादा दूर नहीं थी। और पंकज का सर दूसरी ओर होने से वो सचिन के केवल पैर देख सकता था।
सचिन ने इस बात का फायदा उठा कर सोनाली की चूत चाटना शुरू कर दिया। ये सब काम वो दोपहर को नहीं कर पाया था क्योंकि तब सोनाली ने इतनी अच्छी तरह उसके लंड को चूसा था कि और कुछ करने का मौका ही नहीं मिला था। सचिन ने अपने होंठों को गोल किया और सोनाली के चूत के दाने के चारों ओर होंठों को लगा कर चूसा। ऐसा करने से अंदर दबा हुआ चूत का दाना उभर कर उसके मुँह में आ गया; फिर वो अपनी बहन की चूत के दाने को अपनी जीभ से लपलपाने लगा।
यह पहली बार था जब सोनाली की चूत के दाने को अंदर तक इस तरह चाटा जा रहा था। अक्सर बस जो हिस्सा बाहर निकला होता था उसे ही चटवाने का सुख मिलता था। इस वजह से बाहर के हिस्से की संवेदनशीलता भी कुछ कम हो गई थी। लेकिन जिस तरह सचिन से चूस कर हवा के दबाव से खींच कर उसे बाहर निकला था, सोनाली के भगांकुर के अनछुए हिस्से भी अब सचिन की जीभ के निशाने पर थे।
जल्दी ही सोनाली झड़ने की कगार पर थी। इतनी उत्तेजना की वजह से सोनाली ने इस कदर सर हिला हिला के पंकज के लंड को अपने मुँह से चोदा था कि वो भी जल्दी ही सोनाली के मुँह में झड़ने लगा।
इधर सोनाली भी झड़ने लगी।
सोनाली ने पंकज का पूरा वीर्य पी लिया और उसके लंड को चाट कर साफ करने लगी। साथ ही उसने अपनी कमर मटका कर अपने भाई को इशारा किया कि वो हट जाए। सचिन वापस सीधा लेट गया।
पंकज- क्या यार, तुमने तो आज मुँह से ही चोद दिया। चलो अब इसको वापस खड़ा कर दो एक बार चूत की चुदाई भी हो ही जाए।
सोनाली- सीधे लेट जाओ, मैं तुम्हारे ऊपर आकर अपनी चूत से रगड़ के तुम्हारा लंड खड़ा करती हूँ।
पंकज अब सचिन के बगल में लेटा था और सोनाली उसके ऊपर घुड़सवारी करते हुए उसके लंड पर अपनी चूत रगड़ रही थी। वो लंड की जड़ पर अपनी चूत टिका कर बैठती फिर आगे सरक कर उसकी घुंडी तक आती और फिर उठ कर पीछे चूत टिका देती।
ऐसा करने से बिस्तर थोड़ा हिला और इसी बात का बहाना बना कर सचिन ने जागने की एक्टिंग की। उठते ही उसने सोनाली को देखा।
सचिन- क्या दीदी, आप भी! उठा देते न… मैं उधर जा कर सो जाता।
सोनाली- ही ही ही… तेरा तो खड़ा हो गया… कोई नहीं, अब तू जा के रूपा को चोद ले…हे हे…
सचिन- छि! आप बहुत गन्दी हो दीदी…
सचिन ने जाते हुए कहा।
पंकज- तूने हमारी चुदाई देखी है, अब हम आ के तेरी देखेंगे!
सोनाली- बस करो यार बेचारा पहले ही नर्वस हो रहा है। ही ही…
सचिन चला गया और सोनाली पंकज से चुदवाने लगी।
सचिन जब जीजा की बहन रूपा के कमरे में पहुंचा तो रूपा नंगी सो रही थी। सचिन ने देखा कि उसकी चूत बहुत ज़्यादा गीली थी, शायद सोने से पहले उसने अपनी चूत में उंगली की थी। सचिन को शरारत सूझी, उसने अपने लंड को थूक लगा कर बिल्कुल गीला कर लिया और थोड़ा थूक रूपा की गुदा पर भी लगा दिया और धीरे से अपना लंड रूपा के पिछले छेद पर टिका दिया। धीरे धीरे सचिन ने दबाव डाला और इतनी सारी चिकनाहट की वजह से उसका लंड रूपा की गांड में फिसलता चला गया।
जब उसका लंड आधा अंदर जा चुका था, तो उसने थोड़ा पीछे लेने की कोशिश की। अचानक रूपा का गुदाद्वार सिकुड़ कर काफी तंग हो गया और जैसे उसने सचिन के लंड को जकड़ लिया। रूपा की नींद खुल गई थी और उसने अपनी कमर को एक झटके से अलग कर लिया। सचिन का लंड एक झटके में बाहर आ गया। सचिन को तो मज़ा आ गया। इतने टाइट छेद से लंड के गुज़रने का मज़ा ही कुछ और था।
रूपा- ये क्या कर रहे थे? तुमने मेरी गांड में लंड डाल रखा था?
सचिन- हाँ! सोचा ट्राय करके देखूं। तुमको दर्द हुआ क्या?
रूपा- नहीं यार, मुझे तो पता ही नहीं चला। मुझे तो नींद में लगा जैसे मेरी टट्टी निकल गई इसलिए मैं झट से उठ गई।
सचिन- तुमने पहले कभी गांड नहीं मरवाई क्या?
रूपा- नहीं, आज पहली बार था, जब मैंने उस छेद में कोई बाहरी चीज़ अनुभव की है।
सचिन- चलो फिर से डालता हूँ।
रूपा- नहीं! दर्द होगा।
सचिन- पहले तो नहीं हुआ था न?
रूपा- निकलते समय थोड़ा हुआ था।
सचिन- डालते टाइम तो नहीं हुआ था। ट्राय करके देखते हैं न।
रूपा- ठीक है।
सचिन ने डालने की कोशिश की लेकिन लंड को गांड के छेद से छुआते ही छेद सिकुड़ जाता और लंड थोड़ा भी अंदर न जा पाता। जोर लगाने पर दर्द होने लगता। आखिर सचिन ने कोशिश करना ही बंद कर दिया।
सचिन- लगता है तब तुम नींद में थीं तो छूने से ये सिकुड़ा नहीं इसलिए आसानी चला गया था।
रूपा- हाँ वो तो मुझे भी समझ आ रहा है कि उसको ढीला छोड़ने की ज़रूरत है, लेकिन कोशिश करने पर भी नहीं हो पा रहा।
सचिन- शायद बहुत प्रैक्टिस करनी पड़ेगी, तब होगा।
रूपा- हम्म!
खैर, भले ही सचिन रूपा की गांड नहीं मार पाया, लेकिन उसने सोने से पहले जीजा की बहन की चूत की जम कर चुदाई की और फिर दोनों सो गए।
सुबह सचिन की आँख जल्दी खुल गई। इतनी भी नहीं कि सबसे पहले वही उठा हो, लेकिन रूपा अभी भी सो रही थी। सचिन ने अपने शॉर्ट्स पहने और दरवाज़ा खुला छोड़ कर बाहर चला गया। रूपा अपने पेट के बल औंधी पड़ी बिस्तर पर मदमस्त नंगी सो रही थी। और उसको कमरे के बाहर से भी देखा जा सकता था। ये बात और थी कि अभी कोई देखने वाला था नहीं।
सोनाली नाश्ता बना कर नहाने चली गई थी, और पंकज क्लिनिक जाने के लिए तैयार हो कर अभी नाश्ता करने बैठा ही था। सचिन भी डाइनिंग टेबल पर जा कर बैठ गया।
सचिन- गुड मॉर्निंग जीजाजी।
पंकज- गुड मॉर्निंग साले साहब… आज जल्दी उठ गए, रात को जा कर सीधे सो गए थे क्या?
सचिन- क्या फर्क पड़ता है… आप तो देखने नहीं आये न?
पंकज- मज़ाक कर रहा था यार। हाँ लेकिन दोनों मिल कर इन्वाइट करोगे तो आ सकते हैं।
सचिन- बुरा ना मनो तो एक बात कहूँ? माना, आप आधुनिक ख्याल के हो लेकिन फिर भी ये कुछ ज़्यादा नहीं है?
पंकज- इसका आधुनिक ख्यालों से कोई लेना देना नहीं है। ये सब कायदे क़ानून हमारे जैसे लोगों ने ही बनाए हैं। और शायद आम नासमझ लोगों की भलाई के लिए ही बनाए हैं, लेकिन एक तो हम आम नासमझ लोग नहीं हैं और दूसरा हमको सही गलत में फर्क करना आता है।
सचिन- मैं आपसे सहमत हूँ, लेकिन दुनिया के हिसाब से तो भाई बहन के बीच ये सब गलत है न?
पंकज- इतिहास उठा के देख लो या धर्मग्रन्थ तुमको इस से कहीं ज़्यादा मिल जाएगा। बाइबिल में बताया गया है कि लॉट की दो बेटियों ने उसे शराब पिला कर उसके साथ सेक्स किया और बच्चे पैदा किये। बाइबिल ने बाद में समझाया भी है कि ये गलत था। वेदों को देखो तो यम की जुड़वाँ बहन यमी ने उसको कहा था कि वो यम से एक बच्चा पैदा करना चाहती है लेकिन यम ने मना कर दिया था। उन दोनों में जो बहस हुई थी वो पढ़ोगे तो समझ आएगा कि क्यों गलत है।
सचिन- आपने ये सब पढ़ा है?
पंकज- थोड़ा बहुत! विवादास्पद विषय थे, तो पढ़ लिए थे। वैसे भी एक डॉक्टर होने के नाते मैं कह सकता हूँ, कि पास के रिश्ते में बच्चे पैदा करना गलत है। मानसिक स्वास्थ्य के हिसाब से अपनी माँ-बहन को वासना की नज़र से देखना भी गलत है। लेकिन अब तुम बताओ? गलत तो रिश्वत देना भी है, फिर भी हर कोई ट्रैफिक हवलदार को सौ का नोट पकड़ा कर आगे बढ़ता है या नहीं?
सचिन- हाँ लेकिन वो तो छोटी-मोटी गलतियाँ होती हैं।
पंकज- बिल्कुल सही! इस मामले में भी छोटी मोटी गलतियाँ चल जाती हैं। अगर कोई बिना जोर जबरदस्ती के कोई छोटी मोटी मस्ती कर ले तो क्या बुरा है? वो भी तब, कि जब आग दोनों तरफ बराबर लगी हो। इसीलिए तो कहा था ना, अगर तुम दोनों मिल कर बुलाओगे तो आ जाएंगे।
तभी रूपा भी वहां आँखें मलते हुए आ पहुंची। उसने पंकज की आखिरी वाली बात सुन ली थी। उसके पूछने पर सचिन ने संक्षेप में सारा किस्सा बता दिया। रूपा कुछ नींद के नशे में थी और कुछ सेक्स की मस्ती चढ़ी हुई थी।
रूपा- ऐसी बात है तो ठीक है। आज रात को हमारे समागम कार्यक्रम में आप और भाभी सादर आमंत्रित हैं।
सोनाली भी अभी अभी नहा कर वापस आई थी। उसने बहुत सेक्सी, पट्टियों वाली ड्रेस पहनी थी। घुटनों के ऊपर तक की मिनी ड्रेस थी। यूँ तो उस ड्रेस कि सारी पट्टियाँ पास-पास होने से पूरे शरीर को पूरी तरह ढके हुए थीं, लेकिन वो आपस में जुडी हुई नहीं थीं। बस बाजू से दो डोरियों के साथ सिली हुई थीं। मतलब अगर कोई २ पट्टियों के बीच हाथ डाले तो अन्दर का नंगा बदन छू सकता था। यहाँ तक कि झुकने या आड़े तिरछे बैठने पर अन्दर की झलक भी मिल सकती थी। सचिन तो उसे बिना पलकें झपकाए देख रहा था, कि कम कोई पट्टी सरके और उसे अन्दर की झलक मिले।
सोनाली- किस बात का आमंत्रण दे रही हो हमें रूपा?
पंकज- अरे यार, वो रात को मैंने मजाक में बोल दिया था ना, कि तुमने हमको देखा तो हम भी तुमको देखने आयेंगे, उसी बात को इन लोगों ने खींच कर इतना बड़ा कर दिया।
सोनाली- अरे ना बाबा! आमंत्रण तो हमको देना है। आज तो पार्टी हमारे बेडरूम में होगी। कल छुट्टी है तो सुबह जल्दी उठने का टेंशन नहीं है, तो आज ड्रिंक्स और ताश की पार्टी होगी। सही है ना पंकज?
पंकज- हाँ हाँ, क्यों नहीं? लेकिन छुट्टी कल है आज नहीं। मैं निकलता हूँ अब।
इतना कह कर पंकज चला गया। सोनाली ने सचिन और रूपा को भी फ्रेश होने भेज दिया। इतने बेशरम तो हो ही गए थे कि अब साथ नहाने जा सकते थे। सचिन का लंड तो वैसे ही सोनाली की ड्रेस देख कर खड़ा था, उसने रूपा को शॉवर में जी भर के चोदा फिर दोनों बाहर आ गए।
रूपा ने भी एक सेमी-ट्रांसपेरेंट टॉप और मिनी-स्कर्ट पहन ली थी। उसने खास तौर पर सचिन को ललचाने के लिए अपनी स्कर्ट ऊपर करके दिखाई थी, कि उसने अन्दर पैंटी नहीं पहनी थी। उसकी टॉप देख कर तो कोई भी कह सकता था कि उसके अन्दर ब्रा भी नहीं थी।
सोनाली किचन में व्यस्त थी और रूपा-सचिन बाहर टीवी देखने लगे। सचिन से रहा ना, गया उसने रूपा को खड़ा किया और अपने शॉर्ट्स को नीचे और उसकी स्कर्ट को ऊपर किया। सचिन ने अपने लंड पर थूक लगा कर एक बार में पूरा लंड रूपा की चूत में उतार दिया। एक दो धक्के लगाए ही थे कि रूपा ने रोक दिया।
रूपा- यार देखो! चोदना है तो फिर रुकना मत चाहे दीदी आये या भैया मैं फिर यहीं पूरी चुदाई करवाऊँगी। हिम्मत है तो चोदो, नहीं तो रहने दो।
सचिन- लेकिन यार, तू इतनी सेक्सी लग रही है कि कण्ट्रोल नहीं हो रहा। एक काम करता हूँ, तू टीवी देख और जब तक खाना नहीं बनता, तब तक मैं किचन में दीदी से बात करता हूँ।
इतना कह कर सचिन किचन में चला गया। सच कहें तो ये बस एक बहाना था। किचन में जाते ही सचिन, सोनाली के पीछे जा कर खड़ा हो गया, फिर उसने अपने हाथ सोनाली की ड्रेस के सामने वाले हिस्से से अन्दर डाले और उसके दोनों स्तनों को अपने हाथों में पकड़ कर मसलने लगा। थोड़ी देर बाद उसने एक हाथ से सोनाली की ड्रेस थोड़ी ऊपर की और अपना पहले से तना हुआ गीला लंड सोनाली की चूत पर टिका दिया।
सचिन- डाल दूँ?
सोनाली- क्या यार! पहली बार चोद रहे हो वो भी ऐसे। मैंने तो क्या क्या सपने देखे थे, कि भैया के साथ सुहागरात मनाऊँगी।
सचिन- अरे यार! कल दोपहर से अब तक हम सब कुछ कर चुके हैं लेकिन बस चुदाई ही नहीं की; अब मुझ से रहा नहीं जा रहा।
सोनाली- अभी पता नहीं खुल्लम खुल्ला कितना चोद पाओगे। पता चला अधूरा छोड़ना पड़ा। अगर पकड़े गए तो और भी मज़ा किरकिरा होगा।
सचिन- चिंता ना करो दीदी, रूपा को मैंने पटा लिया है। उसको हमारी चुदाई से कोई शिकायत नहीं होगी।
सोनाली- हाँ हाँ, पता है। वो तो खुद अपने भाई के नाम की उंगली करती है चूत में, उसे क्या शिकायत होगी। लेकिन छिप छिप कर अपने भाई से चुदवाने का मजा ही अलग है।
सचिन- अभी कौन सा किसी के सामने चुदवा रही हो दीदी, अभी भी चुपके चुपके ही है। रूपा यहाँ नहीं आएगी, लेकिन आपको कैसे पता कि उसको अपने भाई से चुदवाना है?
सोनाली- मैंने देखा है उसे, चूत में उंगली करते हुए। भैया-भैया बडबड़ाती रहती है।
सचिन- तो मिलवा दो ना प्यासे को कुँए से। इसी बहाने हमारा भी रास्ता साफ़ हो जाएगा।
सोनाली- आज रात पार्टी में कुछ जुगाड़ लगाते हैं। तुझे खुल्लम खुल्ला करने का शौक चढ़ा है ना…
इस बात पर दोनों बहुत उत्तेजित हो गए सोनाली पहले ही पीछे गर्दन घुमा कर बात कर रही थी, सचिन भी थोड़ा झुका और अपनी बहन के होंठों से होंठ जोड़ दिए। दोनों की आँखें बंद हो गईं और जीभें कुश्ती लड़ने लगीं।
थोड़ी देर तक ऐसे तीव्र चुम्बन के बाद जब साँस लेने के लिए अलग हुए तो…
सोनाली- डाल दे… चोद दे अपनी बहन को यहीं पर…
इतना सुनते ही सचिन ने एक धक्का दिया और बहन की चूत में लंड टिका कर चूत की गहराइयों में सरसराते हुये उतार दिया। उधर सचिन ने सोनाली के चूचुकों को सहलाना और मसलना भी शुरू कर दिया था।
काफी देर तक सचिन उसे ऐसे ही चोदता रहा। आखिर जब दोनों झड़ने की कगार पर थे, तो एक बार फिर दोनों के होंठ जुड़ गए। दोनों आनंद के अतिरेक पर सिसकारियां भर रहे थे लेकिन उनकी आवाजें अनके चुम्बन में घुट गई थीं… ऊम्म… उम्म्ह… अहह… हय… याह… आईईईई… ओह्ह!
आखिर झड़ते-झड़ते, सोनाली की चीख निकल ही गई। सचिन के लंड ने इतना वीर्य छोड़ा था, कि सोनाली की चूत से बह निकला और दोनों का मिला जुला रस उसकी एड़ी तक जा पहुँचा था। इनकी आवाज़ बाहर रूपा तक जा पहुंची थी।
रूपा- क्या हुआ भाभी?… रूपा ने कमरे से ही चिल्लाते हुए पूछा।
सचिन- कुछ नहीं! दीदी का हाथ जल गया था। मैंने जेली लगा दी है। ठीक हो जाएगा।
सचिन ने तुरंत पेपर नैपकिन के रोल से एक हिस्सा लिया और सोनाली की एड़ी से लेकर उसकी चूत तक पोंछ दिया और फिर उसे सोनाली को दिखाते हुए जोर से सूंघा।
सचिन- जेलीऽऽऽ!
वो धीरे से लेकिन संगीतमय अंदाज़ में बोला, और दोनों दबी दबी हँसी में हँस दिए.
जल्दी ही दोनों खाना लेकर डाइनिंग टेबल पर आये और सब खाना खाने लगे। रूपा इतना तो समझ गई थी कि सोनाली का हाथ नहीं जला था लेकिन उसने ये नहीं सोचा था कि सचिन ने उसे चोद ही दिया होगा। अभी सबके दिमाग में जो चल रहा था वो बड़ा रोचक था।
आज शाम की पार्टी में पंकज और रूपा कोशिश करने वाले थे कि वो सचिन और सोनाली को चुदाई के लिए उकसाएं। दूसरी तरफ सोनाली और सचिन, रूपा को पंकज से चुदवाने की कोशिश करने वाले थे।
सोनाली तो जानती थी, कि पंकज पहले से ही बहनचोद है लेकिन सचिन की इच्छा पूरी करने के लिए, वो भी सचिन के साथ, रूपा को पंकज से चुदवाने में सचिन की मदद करने वाली थी।
खाना खाते-खाते सब अपने मन ही मन शाम की योजना बनाने में लगे हुए थे। बातें बहुत ही कम हो रहीं थीं लेकिन ये तूफ़ान के पहले की शांति थी। वो तूफ़ान जो अभी सबके मन में था, और जल्दी ही बाहर आ कर इन चारों की ज़िन्दगी ही बदल देने वाला था।
बाकी का दिन यूँ ही ख्यालों में गुज़र गया। रूपा ने तो हल्की फुल्की छेड़-छाड़ से मना कर दिया था, लेकिन जब भी सचिन को मौका मिलता, तो सोनाली के उरोजों या नितम्बों को मसल देता, या फिर अपना लंड उसकी चूत में डाल के एक दो शॉट मार लेता। आखिर शाम हो गई और पंकज पार्टी का सारा सामान लेकर आ गया। स्कॉच तो घर में रहती ही थी, तो लड़कियों के लिए वोड्का और साथ में खाने के लिए कुछ नमकीन वग़ैरा ले आया था।
पंकज- देखो सोना, मैं तो अपनी तरफ से सब ले आया हूँ। तुम्हारी क्या तैयारी है?
सोनाली- यार, अब इतनी पार्टी-शार्टी करना है, तो खाना तो ज्यादा खाने का कोई मतलब ही नहीं है। तुम पिज़्ज़ा आर्डर कर दो, और फ्रेश हो जाओ, फिर करते हैं शुरू! बाकी सब तैयारी मैंने कर ली है।
पंकज (धीरे से)- और कॉन्डोम्स? भाई-बहन की चुदाई में बच्चा होने का खतरा बिल्कुल नहीं होना चाहिए।
सोनाली- चिंता न करो, जब से हमारा प्लान बना था, रूपा और मैं दोनों ही गोलियां खा रही हैं।
पंकज- वाओ यार! डॉक्टर मैं हूँ और मेरी बहन को गोलियां तुम खिला रही हो। गुड जॉब!
इतना कह कर पंकज अंदर चला गया, पहले उसने पिज़्ज़ा आर्डर किया, फिर फ्रेश होने चला गया।
जब पंकज फ्रेश होकर वापस आया, तो सब टीवी पर कोई कॉमेडी प्रोग्राम देख रहे थे, और खिलखिला कर हँस रहे थे। उसका ध्यान सोनाली की ड्रेस पर गया, वैसे तो उसका पूरा बदन लगभग ढका हुआ ही था, लेकिन उसका एक चूचुक (निप्पल) ड्रेस की पट्टियों से बाहर झाँक रहा था।
दरअसल ऐसा इसलिए हुआ था, क्योंकि पूरे दिन सचिन इधर-उधर से आ कर मौका मिलते ही कुछ ना कुछ छेड़खानी कर रहा था, जिसकी वजह से सोनाली बहुत उत्तेजित हो चुकी थी। उसकी चूत गीली और उसके चूचुक खड़े हो गए थे। इधर ठहाके लगा कर हँसने से ड्रेस हिल रही थी जिससे एक खड़ा हुआ कड़क चूचुक पट्टियों के बीच से बाहर निकल आया था।
पंकज ने कुछ कहे बिना, सीधे आ कर उसको अपने होठों में दबा लिया। सोनाली अचानक से सकपका गई और रूपा-सचिन का ध्यान भी उनकी ही तरफ चला गया। रूपा को तो जैसे तुरंत समझ आ गया और वो उनको देख कर ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी।
सोनाली ने तुरंत पंकज को हटाया और अपनी ड्रेस ठीक की- आप सच में बहुत बेशरम हो।
पंकज- अब वो बेचारा इतनी मेहनत करके बाहर आया और कोई उसे चूमे भी नहीं? ये तो बड़ी नाइंसाफी हो जाती ना, इसमें बेशर्मी की क्या बात है?
सोनाली- ठीक है, ठीक है… रहने दो।
तभी पिज़्ज़ा आ गया। रात के कुछ नौ बजे होंगे; सब ने मिलकर फैसला किया कि पहले वहीं पिज़्ज़ा खा लेते हैं, फिर अंदर बेडरूम में जा कर पीने और ताश खेलने का कार्यक्रम शुरू करेंगे।
लेकिन ताश कैसे खेलना है वो अभी तय नहीं हुआ था, इसलिए पिज़्ज़ा खाते-खाते ही इस बात पर विचार-विमर्श होने लगा।
सचिन- मुझे ताश खेलने का कोई अनुभव नहीं है इसलिए कोई आसान सा खेल होना चाहिए, जो मैं बिना अनुभव के भी खेल सकूँ।
पंकज- सत्ती सेंटर कैसा रहेगा?
सोनाली- लेकिन जब तक कुछ दाव पर ना लगाया जाए मजा नहीं आएगा।
रूपा- लेकिन हमारे पास तो पैसे ही नहीं हैं, हम क्या लगा पाएंगे दाव पर।
सचिन ने भी रूपा का साथ दिया। काफी बातें करने के बाद पंकज ने आखिर एक हल निकाला।
पंकज- एक काम करते हैं, सत्ती सेंटर ही खेलते हैं। दाव पर कोई कुछ नहीं लगाएगा लेकिन जीतने वाला हारने वालों से जो चाहे करवा सकता है। मतलब कोई भी टास्क। जैसे वो टीवी पर दिखाते हैं ना एक मिनट में कोई टास्क करने को बोलते हैं।
सचिन- लेकिन खेलना कैसे है वो तो बता दो; मुझे तो कुछ भी नहीं आता।
पंकज- अरे, बहुत सरल है, देखो! सबको बराबर पत्ते बाँट देते हैं फिर जिसको लाल-पान की सत्ती मिली हो वो उसको बीच में रख देता है और अगले की चाल आती है। उसके पास लाल-पान का अट्ठा या छक्की हो तो वो
इस सत्ती के ऊपर या नीचे रख सकता है। नहीं तो किसी और रंग की सत्ती बाजू में रख सकता है। और वो भी नहीं तो पास बोल दो। अगले वाले कि चाल आ जाएगी। सबसे पहले जिसके पत्ते ख़त्म हुए वो जीत गया समझो।
रूपा- फिर जिसके पास जितने पत्ते बचते हैं उनका जोड़ लगा कर नंबर मिलते हैं।
सोनाली- ठीक है। जिसको सबसे ज्यादा नंबर मिलेंगे उसको सबसे कठिन काम देंगे और सबसे कम नंबर वाले को आसान काम।
पंकज- हम्म! और अगर किसी को टास्क नहीं करना हो, तो गेम छोड़ के जा सकता है। कोई ज़ोर ज़बरदस्ती नहीं है; ठीक है?
तब तक पिज़्ज़ा भी खत्म होने को आ गया था, और खेल के नियम भी तय हो गए थे। सब लोग हाथ मुँह धो कर बैडरूम में पहुँच गए। लड़कियों ने अपने लिए पहले ही वोड्का मार्टिनी कॉकटेल बना कर रखा था; लड़कों ने अपने-अपने ग्लास में स्कॉच ऑन-द-रॉक्स ले ली। साथ में खाने के लिए सोनाली ने 3-4 तरह की चीज़ें बना रखी थीं, जो हर दो के बीच एक प्लेट में रखी हुई थीं। सबके ड्रिंक्स तैयार होने के बाद, सबने अपने-अपने ग्लास बीच में एक दूसरे से टकराए- चीयर्सऽऽऽ…!
पंकज- टू द न्यू लाइफ स्टाइल!
ये बात सचिन को कुछ समझ नहीं आई, लेकिन फिर उसने अपना ध्यान अपनी स्कॉच पर लगाने में ही भलाई समझी। सब ने एक एक घूँट पिया थोड़ा कुछ खाया और फिर पंकज ने सबको पत्ते बाँट दिए। सबने पत्ते उठाए और जमाने लगे। लाल पान की सत्ती सोनाली को मिली थी। उसने पहली चाल चली, फिर मदिरा के घूँट और पत्तों की चाल चलती रही और 15 मिनट के अंदर सोनाली के सारे पत्ते खत्म हो गए।
सोनाली- बताओ किसको टास्क देना है… अब आएगा मजा।
पंकज- एक मिनट… देखो सबसे ज्यादा नंबर रूपा के हैं, फिर सचिन और आखिर में मैं।
सोनाली ने सचिन की तरफ देख कर आँखों ही आँखों में इशारा किया “कर दूँ” और सचिन ने भी हामी भर दी।
फिर क्या था…
सोनाली- एक मिनट के लिए, सचिन रूपा के बूब्स दबाएगा…
पंकज- अरे, लेकिन टास्क तो रूपा को देना है न, और मेरा क्या?
सोनाली- बड़ी जल्दी पड़ी है खुद के टास्क की? सुन तो लो… और रूपा पंकज को किस करेगी।
पंकज- ये क्या बात हुई। रूपा को ये टास्क न करना हो तो?
सोनाली- तो रूपा गेम छोड़ सकती है। क्यों रूपा?
रूपा- कोई और ये टास्क देता तो मैं शायद आपकी तरफ देखती, लेकिन आपने ही दिया है तो ठीक है, मैं कर लूंगी।
रूपा उठकर पंकज के पास गई और उसके होठों से होंठ लड़ा दिए। सचिन ने भी पीछे से उसके स्तनों को टी-शर्ट के ऊपर से मसलना शुरू कर दिया। पहले तो रूपा के होंठ पास पंकज के होंठों पर रखे थे लेकिन जल्दी ही दोनों के होंठ खुल गए और जीभें आपस में अठखेलियाँ करने लगीं। ऐसा लग रहा था जैसे जीभों की कबड्डी चल रही हो और होंठ बीच की लाइन हों।
कभी रूपा जल्दी से जीभ बाहर निकाल कर पंकज के होंटों को छू जाती तो कभी पंकज रूपा के होंठों को चाट लेता। इस कबड्डी में कभी-कभी दोनों जीभें एक साथ निकल कर एक दूसरे से भिड़ भी जातीं।
इस सब में एक मिनट कब बीत गया पता ही नहीं चला। आखिर सोनाली के कहने पर उनको होश आया कि अब किस करने की ज़रुरत नहीं हैं।
सोनाली- रूपा! मजा आया?
रूपा- क्या भाभी आप भी! पहले खुद टास्क देती हो, और फिर खुद मज़े लेती हो।
सोनाली- वो इसलिए कि मैंने किस करने को कहा था, फ़्रेंच किस करना है ऐसा तो नहीं बोला था…
इतना कह कर सोनाली ने आँख मारी; सचिन और सोनाली ठहाका मार कर हँस पड़े। रूपा सकुचा कर रह गई। मन ही मन उसने सोचा कि मेरी बारी आने दो भाभी, फिर देखो मैं क्या करती हूँ।
शायद किस्मत ने रूपा के मन की बात सुन ली और अगला राउंड वही जीत गई। इससे भी बड़ी बात ये हुई कि सबसे ज्यादा पत्ते सोनाली के बचे थे। दूसरे नंबर पर पंकज और तीसरे पर सचिन था।
रूपा- देखा! सबका दिन आता है भाभी!
सोनाली- ठीक है यार! बता क्या करना है।
रूपा- वही, जो आपने मुझसे कराया था। भैया आपके बूब्स दबाएंगे और आप अपने भाई को किस करोगी… फ़्रेंच किस!
पंकज रूपा की बात सुन कर मुस्कुरा दिया। सोनाली ने भी पंकज को देख कर एक स्माइल दी और सचिन के पास चली गई। रूपा ने पंकज के साथ फ़्रेंच किस ज़रूर किया था, लेकिन उसे पकड़ा नहीं था। सोनाली ने सचिन को अपनी बाहों में लेकर उसके सर को पीछे से सहारा दे कर बड़े ही रोमाँटिक अंदाज़ में किस करना शुरू किया। उनके होंठ एक बार जो जुड़े कि फिर अलग नहीं हुए। दोनों की आँखें भी बंद थीं।
अंदर उनकी जीभें कैसी कुश्ती लड़ रहीं थीं, ये बस उनको ही पता था। बाहर से उनकी जीभे तो नहीं दिखाई दे रहीं थीं.
लेकिन रूपा को सचिन के हाथ, सोनाली की कमर सहलाते हुए साफ़ नज़र आ रहे थे। हाथ भले ही उसकी ड्रेस के ऊपर थे, लेकिन उंगलियाँ उन पट्टियों के बीच से उसकी नंगी कमर सहला रहीं थीं। कुछ देर बाद तो उत्तेजना में सचिन ने ड्रेस को थोड़ा ऊपर करके अपने दोनों हाथ सोनाली के नग्न नितम्बों पर रख दिए।
लेकिन तभी रूपा चिल्लाई- हो गया एक मिनट, हो गया।
सब अपनी अपनी जगह पर वापस चले गए।
रूपा- क्यों सचिन, बड़ा मजा आ रहा था अपनी बहन के साथ। बहुत हाथ चल रहे थे?
सचिन- मेरी बारी आने दो, फिर देखता हूँ, तुम क्या-क्या कंट्रोल करती हो।
खेल फिर शुरू हुआ, खाली जाम फिर से भर दिए गए। शराब और शवाब दोनों की खुमारी बढ़ती जा रही थी।
खेल खत्म हुआ और पंकज जीत गया। सबसे ज्यादा पत्ते सचिन के निकले, उसके बाद सोनाली और रूपा के।
रूपा- ये लो, आ गया तुम्हारा नंबर। टास्क, देने का तो पता नहीं, ले ही लो। ही ही ही…
पंकज- ठीक है मस्ती कुछ ज्यादा हो गई। अब सिंपल टास्क। सचिन तुम अपनी शर्ट निकालो और सोना- रूपा तुम दोनों इसका एक-एक निप्पल चूसो।
सचिन- इतना सिंपल भी नहीं है, लेकिन फिर भी ठीक है।
सचिन ने शर्ट निकाल दी, रूपा और सोनाली उसके दोनों तरफ आ कर बैठ गईं। दोनों ने सचिन के चूचुकों पर अपनी जीभ फड़फड़ाना शुरू किया। अभी कुछ ही सेकंड हुए थे कि रूपा ने सोनाली को आँख मार कर नीचे की तरफ इशारा किया। सोनाली ने देखा, कि रूपा ने अपना हाथ, सचिन के शॉर्ट्स के ऊपर से ही, उसके लंड पर रख दिया है, और उसे सहला रही है। ये देख कर सोनाली मुस्कुरा दी, और रूपा भी।
एक मिनट होते होते सचिन के लंड ने उसके शॉर्ट्स में तम्बू खड़ा कर दिया था। जब ये दोनों अलग हुईं तो रूपा ने सबको वो तम्बू दिखाया और सब ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगे।
अगली पारी के लिए पत्ते बांटे जाने लगे।
सचिन- रूपा! अब देख तू! अभी नहीं तो कभी तो मेरी बारी आएगी। जब भी आएगी मैं भी ऐसे ही हँसूँगा।
किस्मत को भी शायद सचिन की झुंझलाहट पर दया आ गई। इस बार उसे अच्छे पत्ते मिले और अब तक खेल खेल कर, वो इस खेल की बारीकियां भी समझ गया था। वो अच्छे से खेला और जीत गया। और तो और, इस बार सबसे ज्यादा पत्ते रूपा के ही बचे थे, उसके बाद पंकज और सोनाली का नंबर था।
सचिन- अब आई ऊँटनी पहाड़ के नीचे… निकाल अपनी शर्ट।
रूपा- मैं लड़की हूँ यार! ऐसे कैसे?
सचिन- वैसे भी, सब तो दिख रहा है। इतनी शर्मीली होतीं तो ऐसा शर्ट पहनतीं क्या?
रूपा- अब यार ऊपर वाले ने इतने मस्त बूब्स दिए हैं तो क्यों छिपाना।
सचिन- फिर अच्छे से ही दिखाओ ना, और दीदी-जीजा जी तुम्हारे निप्पल चूसेंगे।
रूपा- नहींऽऽऽ…! रूपा फ़िल्मी स्टाइल में दोनों कान पर हाथ रख कर चीखी।
रूपा ने शर्ट निकाल दिया और पंकज-सोनाली उसके निप्पल चूसने लगे। जैसे ही एक मिनट होने वाला था सचिन ने सोनाली का हाथ दबा कर इशारा किया और सोनाली ने एक उंगली जल्दी से रूपा की स्कर्ट में डाल दी। रूपा ने अंदर कुछ पहना तो था नहीं, तो उंगली सीधी चूत में चली गई।
इस से पहले रूपा कुछ समझ पाती, सचिन ने बोल दिया कि एक मिनट हो गया।
सोनाली ने रूपा की चूत के रस से भीगी उंगली सचिन को दिखाई। सचिन ने सोनाली का हाथ पकड़ा और रूपा को दिखाते हुए सोनाली की उंगली चूस ली। रूपा ने मुस्कराहट बिखेर के सचिन की जीत में भी अपनी ख़ुशी जाहिर की। सचिन अपनी जीत और रूपा को गीला कर देने से इतना खुश था, कि अगले गेम में उसने ज्यादा ध्यान नहीं दिया और हार गया। इस बार फिर पंकज जीता था।
पंकज- लगता है मेरी किस्मत में साला ही लिखा है। पिछली बार सिम्पल टास्क दे दिया था लेकिन अब नहीं दूँगा। एक काम करो तुम अपने शॉर्ट्स निकालो।
सोनाली- नहीं!… सोनाली बनावटी शर्म दिखाते हुए अपना चेहरा अपने हाथों से ढक कर बोली।
पंकज- तुमको बहुत शर्म आ रही है ना, तुम उसे किस करो फिर तुमको नीचे देखने की ज़रुरत नहीं पड़ेगी; और रूपा तुम! तुमको बड़ा मजा आ रहा था ना पिछली बार, उसका लंड सहलाने में? अब आराम से नंगा लंड सहलाओ।
सचिन ने अपने शॉर्ट्स निकाले और सोनाली ऐसे ही अपना चेहरा ढके हुए उसके पास गई। पास जा के उसने हाथ हटाए और सचिन को आँख मार दी। इधर रूपा ने सचिन का लंड मुठियाना शुरू कर दिया, उधर सोनाली का चुम्बन पिछली बार से और ज्यादा प्रगाढ़ था। दोनों आँखें बंद किये अपने चुम्बन में खोये हुए थे लेकिन सोनाली इस चुम्बन में सचिन की प्रतिक्रियाओं से ही महसूस कर पा रही थी कि नीचे रूपा क्या कर रही है।
सचिन ने भी पीछे से सोनाली की ड्रेस में हाथ डाल कर उसके नितम्बों को सहलाना शुरू कर दिया था। ये हरकत पंकज तो नहीं देख पा रहा था लेकिन रूपा की तिरछी नज़रें साफ देख पा रहीं थीं। रूपा ने मुठ मारना इतना तेज़ कर दिया कि एक पल तो सचिन को लगा कि वो झड़ जाएगा क्योंकि तीन लोगों के सामने नंगे हो कर अपनी बहन के साथ ऐसे चुम्बन का उसका ये पहला अनुभव था और उस पर ये रूपा का हस्तमैथुन।
लेकिन इस से पहले कि कुछ होता, एक मिनट पूरा हो गया।
पंकज- मेरा एक सुझाव है गेम को छोटा कर दिया जाए। ऐसा लग रहा है कि सबको खेल में कम और टास्क में ज्यादा दिलचस्पी है तो हम केवल तीन पत्ते देते हैं और उनके नंबर के हिसाब से टास्क देते हैं।
सब को पंकज का सुझाव सही लगा, लेकिन जब पत्ते बांटे गए तो पता चला पंकज ही हार गया। सोनाली ये बाज़ी जीत गई थी।
सोनाली- पंकज! तुमने मेरे भाई को नंगा किया, अब तुम्हारी बारी है। सचिन तुम इनका शर्ट निकालो और रूपा तुम अपने भाई की चड्डी खिसकाओ।
सचिन ने तो पंकज का शर्ट निकाल दिया लेकिन जब रूपा ने अपने भाई के शॉर्ट्स नीचे खिसकाए तो उसके टाइट शॉर्ट्स में से उसका तना हुआ लंड स्प्रिंग की तरह निकल कर रूपा के चेहरे पर लगा। इस पर सोनाली और सचिन अपनी हँसी रोक न पाए।
अगले राउंड में रूपा जीती और सोनाली हार गई।
रूपा- भाभी! बहुत देर बाद पकड़ में आई हो… कब से मस्ती चालू है आपकी… बहुत मज़े ले लिए सबके अब आपकी बारी है।
सोनाली- यही तो इस गेम का उसूल है। मैं तुम्हारे मज़े नहीं लेती, तो तुमको मेरे मज़े लेने में, मजा कैसे आता?
रूपा- ठीक है, ठीक है! पहले तो आप अपनी ड्रेस निकालो। सबको नंगा करके खुद को महारानी समझ रही हो। भैया! आप भाभी की चूत चाटो और सचिन तुम किस कर लो।
सोनाली तो वैसे भी दिन भर से खुद को नंगी ही महसूस कर रही थी। उसने एक सेकंड में अपनी ड्रेस निकाल दी और पंकज की तरफ चूत करके बैठ गई। उसके घुटने मुड़े हुए थे और वो अपनी कोहनियों के बल आधी लेटी हुई थी। पंकज नीचे झुक के सोनाली की चूत चाटने लगा और सचिन घुटनों और हाथों के बल किसी घोड़े की तरह चलता हुआ सोनाली को किस करने पहुंचा।
सचिन, सोनाली को किस कर ही रहा था कि रूपा ने चुपके से सचिन का लंड ऐसे मुठियाना शुरू किया जैसे कोई गाय का दूध निकालता है। सचिन कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो गया। उसने एक हाथ से सोनाली का एक स्तन मसलना शुरू किया और अपना चुम्बन तोड़ कर दूसरे स्तन के चूचुक को चूसने लगा।
रूपा को लगा सचिन कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो रहा है तो उसने उसे छेड़ने के लिए बोल दिया कि एक मिनट हो गया; सब वापस अपनी जगह बैठ गए।
रूपा- तुमसे किस करने को बोला और तुम तो निप्पल ही चूसने लग गए… इतने पसंद आ गए अपनी बहन के बूब्स?
रूपा ने सचिन को छेड़ने के अंदाज़ में कहा।
सचिन- क्या करता, तुम तो मुझे गाय समझ के मेरे लंड से ही दूध निकालने लग गईं थीं। सोचा थोड़ा अपनी बहन का दूध पी लूँ, ताकि तुमको थोड़ी मलाई ही मिल जाए।
रूपा को इस बात पर थोड़ी हँसी आ गई लेकिन उसने हँसी दबाते हुए मुस्कुरा कर अपनी आँखें नीची कर लीं।
लेकिन बाकी सबने हँसी रोकने की ऐसी कोई कोशिश नहीं की।
अगले राउंड में सचिन जीता और रूपा हार गई। सचिन को तुरंत मौका मिल गया रूपा के मज़े लेने का।
सचिन- सबसे पहले तो ये स्कर्ट निकालो। सबको नंगा करके अब क्या तुमको रानी बनना है?
सचिन ने ऐसा कहने के बाद सोनाली की तरफ देखते हुए गर्दन हिलाई, जैसे इशारे में कह रहा हो, कि मैंने आपका बदला ले लिया। सोनाली ने भी इसका जवाब अपना सर हिलाते हुए मुस्कुरा कर दिया।
सचिन- दीदी! आप इसके बूब्स के साथ खेलो और जीजाजी आप अपनी बहन की चूत चाटो।
सोनाली- नहीं यार! भाई बहन हैं। थोड़ा आराम से खेलो, इतना फ़ास्ट मत जाओ।
सचिन- ठीक है, तो आप अपने टास्क अदला-बदली कर लो।
अब रूपा उस ही स्थिति में थी जैसे थोड़ी देर पहले सोनाली आधी लेटी हुई थी। इस बार सोनाली अपनी ननद की चूत चाट रही थी और रूपा का भाई उसके बगल में घुटनों के बल खड़ा हो कर अपनी बहन के स्तनों के साथ खेल रहा था। कभी वो उनको उंगलियों से धक्का दे कर हिलता तो कभी चूचुकों को उमेठ देता। घुटनों को बल खड़े होने की वजह से उसका लंड भी रूपा के स्तनों के पास ही था।
रूपा ने अपने एक हाथ से अपने भाई के लंड को पकड़ कर अपने स्तन पर मारना शुरू कर दिया। सचिन रूपा की इस हरकत से बड़ा उत्तेजित हो गया और अपनी बहन के नंगे नितम्बों को सहलाने लगा; ना केवल हाथों से, बल्कि अपने गालों से भी वो सोनाली की तशरीफ़ सहला रहा था। उसे उसकी बहन की चूत की खुशबू मदमस्त कर रही थी।
उधर रूपा ने भी जब सचिन को ऐसा करते देखा तो अपने भाई का लंड मुँह में ले लिया लेकिन तब तक एक मिनट हो चुका था; सब लोग वापस अपनी जगह पर आ गए।
इस बार पंकज जीता और रूपा हारी।
पंकज- अब ये एक मिनट का प्रतिबंध, मजा कम और सजा ज़्यादा लग रहा है। अब ये आखिरी टास्क है, इसके बाद जिसको जो करना है कर सकता है। ठीक है?
सबको पंकज का प्रस्ताव पसंद आया और सबने हामी भर दी।
पंकज- ठीक है, आज शाम को रूपा ने हमको अपनी चुदाई दिखाने का आमंत्रण दिया था, तो अब यही उसका टास्क है। रही बात सोनाली की तो अभी मैंने देखा सचिन बड़ा व्याकुल हो रहा था तुम्हारी चूत चाटने के लिए, तो तुम जा कर अपने भाई से अपनी चूत चटवाओ।
इतना सुनते ही रूपा ने सचिन को धक्का दे कर उसे लेटा दिया और खुद उसके खड़े लंड पर जा कर बैठ गई।
सोनाली भी सचिन के सर के दोनों तरफ घुटनों के बल खड़ी हो गई। सोनाली ने अपने घुटनों को इतना मोड़ा कि उसकी चूत उसके भाई के मुँह को छूने लगे और फिर बाक़ी का काम सचिन की जीभ ने सम्हाल लिया।
तब तक रूपा ने भी सचिन का लंड अपनी चूत में डाल कर उस पर उछलना शुरू कर दिया था।
पंकज भी जल्दी ही वहीं बाजू में आ कर घुटनों के बल खड़ा हो गया और अपनी बहन और बीवी को अपनी बाहों में ले लिया। रूपा ने अब उछलने की बजाए अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था। रूपा और सोनाली दोनों के एक-एक स्तन पंकज के सीने से दबे हुए थे। तीनों पास आये और एक त्रिकोणीय चुम्बन में रम गए।
तीनों की जीभें और होंठ आपस में ऐसे गुँथ गए थे जैसे कुश्ती में पहलवान आपस भी भिड़ जाते हैं।
थोड़ी देर बाद चुम्बन टूटा लेकिन ज़्यादा समय के लिए नहीं क्योंकि अब पंकज पूरा खड़ा हो गया था, और उसका लंड रूपा और सोनाली के होंठों के बीच में था। ननद-भोजाई मिल कर अपने भैया-सैंया का लंड एक साथ चूसने-चाटने लगीं। कभी कभी दोनों के होंठ या जीभ एक दूसरे को छू जाती, तो अपने आप दोनों के चेहरे पर एक मुस्कुराहट खिल जाती।
रूपा ने जब देखा कि उसके भाई का लंड चट्टान बन चुका है तो वो सचिन के लंड पर से उठ गई। उसने बहुत घुड़सवारी कर ली थी, अब वो खुद, अपने भाई के लिए घोड़ी बन कर खड़ी हो गई।
रूपा- भाभी! दोनों लंड अब चुदाई के लिए तैयार हैं। अब आप भी भाई चोद बन ही जाओ।
सोनाली ने एक झटके में अपना आसन बदल लिया और उसकी चूत उसके भाई के मुँह से हट के लंड पर आ टिकी। उसने अपने भाई का लंड अपनी चूत पर ठीक से जमाया और सट्ट से बैठ गई। उसकी चूत ने भी सचिन का लंड गप्प से अन्दर ले लिया।
उधर सचिन ने देखा कि पंकज भी अपना लंड अपनी बहन की चूत पर रगड़ रहा है। इधर सोनाली ने भी उछल-उछल कर चुदाई शुरू कर दी। सचिन ने रूपा की तरफ देखा तो उसके चेहरे के भावों से ही पता चल गया कि पंकज ने भी अपनी बहन की चूत में लंड उतार दिया है।
रूपा- तुम जानना चाहते थे ना, कि वो कौन था, जिसने मुझे पहली बार चोदा था? ये ही थे, मेरे पंकज भैया; और तुम्हारी दीदी ने ही चुदवाया था मुझे इनसे।
सोनाली- अब यार, ये सचिन को तो इतने साल लग गए मेरी चुदाई तक आने में, सोचा तब तक तुम्हारी चुदाई देख कर ही खुश हो लूँ?
सचिन- दीदी! …आप? …कब से?
सोनाली- जब से तुझे बाथरूम में शो दिखाना शुरू किया था तब से, भोंदू!
तब तक दोनों भाई-बहन के जोड़ों की चुदाई भी ज़ोर पकड़ चुकी थी। सचिन इन नई-नई बातों से और भी उत्तेजित हो गया था। उसने सोनाली को खींच कर अपने सीने से लगा लिया। सोनाली के स्तनों की नरमाहट और चूत की गर्माहट ने सचिन को इतनी ताकत दी, कि वो पूरी रफ़्तार से लंड उछाल-उछाल कर नीचे से ही अपनी बहन चोदने लगा।
रूपा ने भी उसका जोश बढ़ाया- चोद, भेनचोद! चोद अपनी बहन को; पता नहीं कब से तेरे लंड की प्यासी है तेरी बहन की चूत; आज बुझा दे इसकी प्यास।
इन सब बातों ने सचिन और सोनाली को इतना उत्तेजित कर दिया कि दोनों भाई-बहन ज़ोर से झड़ने लगे “आँ… आँ… आँ… आँ… उम्मम्मम… आहऽऽऽ…!”
सचिन इतनी ज़ोर की चुदाई के बाद बिल्कुल बेदम हो गया था। सोनाली भी उसके ऊपर निढाल पड़ी हुई थी। सचिन उसकी पीठ और नितम्ब सहला रहा था।
इस तरह भाई से बहन ने अपनी चूत की चुदाई करवा ली. थोड़ी देर बाद जब जान में जान आई तो सोनाली उठी और देखा कि रूपा उसे इशारे से बुला रही थी।
वो रूपा के पास गई, और रूपा उसकी चूत चाटने लगी। सोनाली की चूत से अब तक उसके भाई का वीर्य निकल रहा था; रूपा सब चाट गई। उधर सचिन ने भी सोनाली से अपना लंड चटवा के साफ़ करा लिया।
सचिन और सोनाली अब रूपा और पंकज का उत्साह बढ़ाने लगे। सोनाली रूपा के नीचे 69 की की पोजीशन में आ गई। सोनाली, रूपा की चूत का दाना चूसने लगी जबकि पंकज उसे चोद भी रहा था।
ऐसे ही रूपा भी सोनाली की चूत का दाना चूस रही थी और सचिन ने साथ में अपनी बहन की चुदाई शुरू कर दी।
ननद भौजाई एक दूसरे की चूत का दाना चूस भी रहीं थीं और साथ-साथ अपने-अपने भाइयों से चुदवा भी रहीं थीं।
ऐसे ही पोजीशन बदल बदल कर अलग अलग तरह से चुदाई करते करते, आखिर सब थक कर सो गए। किसी को होश नहीं था कि कौन कितनी बार झड़ा और किसने किसको कितनी बार चोदा। ये सब हिसाब तो अब कल सुबह ही होगा जब सबकी नींद खुलेगी।
सूरज की सुनहरी किरणें पर्दों से छन-छन कर बेडरूम में दाखिल हो रहीं थीं। चार नंगे जिस्म एक बड़े से बिस्तर पर गोलाकार बनाए हुए अभी भी नींद की गोद से निकले नहीं थे। सूरज भी सोच रहा होगा कि भला ये कौन सा तरीका हुआ सोने का? लेकिन ये लोग ऐसे क्यों सोए थे इसके पीछे रात की अंधाधुंध चुदाई थी। शरीर थक कर चूर हो गया था नशा सर चढ़ चुका था लेकिन दिल है कि मानता नहीं।
आखिर सबने निश्चय किया कि कुछ ऐसा करते हैं कि आराम भी मिले और सेक्स का मजा भी। सब एक गोला बना कर, एक दूसरे की जाँघों को तकिया बना कर लेट गए। लड़के अपनी पत्नी या प्रेमिका की जांघ पर और लड़कियां अपने भाइयों की जाँघों पर सर रख कर लेट गईं।
सचिन रूपा की चूत चाट रहा था; रूपा, पंकज का लंड चूस रही थी; पंकज सोनाली की चूत में घुसा पड़ा था और सोनाली, सचिन लंड निगलने की कोशिश में लगी हुई थी।
इस तरह सब आराम से लेटे हुए भी थे और सबको मजा भी मिल रहा था। इसी तरह एक दूसरे के गुप्तांगों को चाटते चूसते सब आखिर सो गए थे।
सूरज की किरणों की थपकी से जब पंकज की आँख खुली तो सामने सोनाली की चूत थी। उसने उनींदी आँखें ठीक से खोले बिना उसे चाटना शुरू कर दिया। इस से सोनाली की नींद भी टूटी और वो अपने भाई का लंड बेड-टी समझ कर चूसने लगी। ऐसे ही सचिन और रूपा भी जाग गए।
थोड़ी देर ऐसी ही चटाई चुसाई के बाद सब उठे और नंगे ही रोज़मर्रा के कामों में लग गए। लेकिन आज काम के साथ साथ, काम वासना का खेल भी चल रहा था। जिसको जहाँ मौका मिल रहा था थोड़ी थोड़ी चुदाई कर ले रहा था। किचन में, बाथरूम में, बेडरूम में; लेकिन आखिर सब शॉवर में मिले और उस छोटी सी जगह में जहाँ मुश्किल से दो लोगों के लिये नहाने की जगह थी, चार लोगों ने अच्छे से मस्त खड़े खड़े चुदाई की।
इसका भी अलग मजा था।
सचिन, रूपा को और पंकज, सोनाली को चोद रहा था लेकिन साथ ही भाई-बहनों के नंगे शरीर भी आपस ने रगड़ रहे थे। कभी कमर, तो कभी भाई बहन के पुन्दे आपस में टकरा कर एक दूसरे
को धक्के मारने के लिए प्रोत्साहित कर रहे थे। चुदाई से ज्यादा मजा इस मस्ती में आ रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे लंड को चूत में घुसाने के लिए नहीं बल्कि एक दूसरे के नितम्बों से अपने चूतड़ टकराने की गद्देदार अनुभूति के लिए धक्के मारे जा रहे थे।
इस चुदाई स्नान के बाद सब फ्रेश हो कर बाहर आए। पंकज और सचिन ड्राइंग-रूम में नंगे ही बैठे बातें करने लगे, तब तक रूपा और सोनाली भी तैयार हो कर और पूजा की थाली सजा कर ले आईं थीं।
लेकिन कुछ अजब ही तरीके से तैयार हुईं थीं दोनों। बालों में गजरा, चेहरे पर सुन्दर मेक-अप, कानो में झुमके, गले में भरा हुआ सोने का हार, हाथों में मेंहदी और पैरों में महावर। दोनों बिल्कुल दुल्हन लग रहीं थीं, लेकिन एक ही बात थी जो अलग थी। दोनों ने कपड़ों के नाम पर बस एक लाल थोंग पहनी थी।
सचिन- ये क्या रक्षाबंधन की तैयारी है? ऐसा है तो चलो हम भी कपडे वपड़े पहन कर तैयार हो जाते हैं।
रूपा- रात भर मस्त अपनी बहन चोदने के बाद, तुमको रक्षाबंधन मनाना है?
सचिन- तो फिर ये पूजा की थाली क्यों? और उसमें राखी भी रखी है।
सोनाली- अब यार, भेनचोद भाई के हाथ में राखी बाँधने का तो कोई मतलब है नहीं; लेकिन तू यहाँ राखी मनाने ही आया था, तो बिना राखी घर जा के क्या जवाब देगा?
सचिन- तो फिर ये रूपा मना क्यों कर रही है?
रूपा- क्योंकि हम रक्षाबंधन नहीं मनाएँगे; हम चुदाई-बंधन मनाएँगे।
सचिन- अब ये क्या नया आइटम ले कर आई हो तुम? चुदाई-बंधन!
रूपा- ये रक्षा-बंधन का सेक्सी रीमिक्स है। ही ही ही…
इस बात पर सभी थोड़ा बहुत तो हंस ही दिए। सचिन की नज़रें पंकज पर टिक गईं क्योंकि ऐसे ज्ञान की बातों में उसकी विशेष टिप्पणी ज़रूरी थी। सचिन के देखने के तरीके से ही पंकज समझ गया कि सचिन उसकी राय जानना चाहता है। पिछले कुछ दिनों में उसने सचिन को ऐसे विषयों पर कुछ ज्यादा ही ज्ञान दे दिया था।
पंकज- देखो सचिन ऐसा है, रक्षाबंधन का मतलब है कि भाई अपनी बहन को वचन देता है कि वो उसकी रक्षा करेगा। अब लड़कियों की रक्षा का मतलब अक्सर उनकी इज्ज़त, लाज या अस्मिता की रक्षा करना होता है। यहाँ तो हमने ही अपनी बहनों को चोद दिया है; तो अब उस वचन का को कोई खास मतलब रह नहीं जाता। बाकी हिफाज़त तो हम अपने परिवार के सभी लोगों की करते ही हैं।
सचिन- ठीक है रक्षाबंधन ना मनाओ, लेकिन अब ये चुदाई-बंधन का क्या वचन देना है?
रूपा- ये हुआ ना सही सवाल!
सोनाली- सिंपल है यार, तुम कसम खाओगे कि जब भी मैं तुमको चोदने को कहूँगी तो तुम मुझे ज़रूर चोदोगे। बीवी बाद में बहन पहले। चुदाई का वचन, चुदाई-बंधन! समझे?
सचिन- समझ गया, ठीक है फिर बाकी सब तो वही है ना? वचन तो पहले भी कौन सा बोल कर देते थे वो तो मन में ही हो जाता था।
रूपा- नहीं यार! अपन नए ज़माने के लोग हैं। जब राखी का मतलब बदल गया, तो तरीका भी तो बदलना जरूरी है ना? मैंने कहा ना, सेक्सी रीमिक्स है। अभी तुम बताओ पहले राखी कैसे मनाते थे?
सचिन- देखो, सबसे पहले तो नहा-धो कर तैयार हो कर आमने-सामने बैठ जाते थे। फिर… दीदी मेरे हाथ में नारियल देती थी; फिर मुझे माथे पर तिलक लगाती थी; फिर मेरी आरती उतारती थी;
उसके बाद मुझे राखी बांधती थी; फिर वो मुझे मिठाई खिलाती थी और मैं उसे कोई गिफ्ट या पैसे देता था। बस…
रूपा- हाँ तो बस यही करना है लेकिन थोडा तरीका बदल गया है। एक काम करो पहले तुम ही आ जाओ मैं बताती जाऊँगी क्या करना है।
आसन तो थे नहीं, तो दो योगा मैट बिछा कर उन पर ही सचिन सोनाली, दोनों आमने सामने बैठ गए और बीच में पूजा की थाली रख दी गई। रूपा किसी पंडित की तरह उनको निर्देश देने लगी।
रूपा- हम्म, तो अब नारियल की जगह बहन अपनी इज्ज़त भाई के हाथ में देगी…
सोनाली ने उठ का अपनी लाल थोंग बड़े ही मादक तरीके से कमर मटकाते हुए निकाली और वापस बैठ कर उसे सचिन के हाथ में रख दिया।
सचिन ने अपनी बहन की चिकनी चूत को देखते हुए उस थोंग को सूंघा और फिर गोद में रख लिया।
रूपा- अब बहन, भाई को तिलक लगाएगी। इसके लिए थाली में खाने में डालने वाला लाल रंग रखा है, उसे बहन अपने भागोष्ठों (चूत के होंठों) पर लगा कर फिर भाई के माथे पर लगाए। ये बहन की चूत की सील है जो सबको बताएगी कि ये लड़का भगिनीगामी (बहनचोद) है।
इस बात पर सब के चेहरे पर मुस्कराहट आ गई। सोनाली ने खाने के रंग को अपनी चूत पर लगाया और खड़ी हो कर सचिन के पास अपने दोनों पैर चौड़े करके खड़ी हुए और उसका सर अपने पैरों के बीच ठीक से सेट करके अपनी चूत से चिपका दिया। सोनाली ने ना जाने कितनी बार अपने पैरों के बीच पंकज का सर दबाया था लेकिन हमेशा उसकी चूत पंकज के मुह पर होती थी। ये माथे पर चूत लगाने का उसका पहले अनुभव था।
रूपा- अब आरती उतारने की जगह बहन अपने भाई का लंड खड़ा करेगी. अपनी श्रद्धानुसार चूस कर या हिला कर आप ये क्रिया संपन्न कर सकती है।
रूपा के बोलने के तरीके ने एक हँसी मजाक जैसा माहौल बना दिया था। लेकिन फिर भी उत्तेजना की कोई कमी नहीं थी, इसीलिए सचिन का लंड सोनाली के हाथ लगाते ही खड़ा हो गया, और एक दो झटकों में एकदम कड़क भी हो गया।
रूपा- अब बहन अपने भाई के तने हुए लंड पर राखी बांधे।
पंकज- राखी तुम हाथ पर ही बाँध देना। लंड के लिए मैंने बेशरम की वेबसाइट से ये कॉक-रिंग आर्डर कर दी थीं। लंड पर तुम इसे पहना दो।
पंकज ने वो कॉक-रिंग सोनाली को देते हुए जब ऐसा कहा तो सब की नज़र उस कॉक-रिंग पर ही थी।
सोनाली उसे सचिन के लंड पर पहनाने लगी।
रूपा- अब ये क्या बला है?
पंकज- देखो जो लंड होता है वो खून के दबाव से खड़ा होता है। जैसे कार के टायर में हवा भर के कड़क करते हैं वैसे ही लंड में खून भरा होता है। धमनियां खून लाती हैं और शिराएँ उसे वापस ले जाती हैं लेकिन उत्तेजना के समय धड़कन बढ़ जाने से, धमनियां तो बहुत खून लाती हैं लेकिन शिराएं सिकुड़ का खून को वापस जाने से रोक देती हैं और इससे उसमे दबाव के साथ खून भर जाता है और लंड खड़ा हो जाता है।
सोनाली- वो सब तो ठीक है लेकिन इन सब बातों का इस लंड की अंगूठी से क्या वास्ता?
पंकज- ये वास्ता है कि ये रबर की बनी है और लंड को हल्का सा दबा के रखती है। धमनियां शरीर में अन्दर गहराई में होती हैं लेकिन शिराएं काफी ऊपर होती हैं तो ये हल्का दबाव शिराओं को सिकोड़ कर रखता है और लंड खड़ा ही रहता है। इस तरह से ये अंगूठी लंड को ज्यादा देर तक खड़ा रखने में मदद करती है। जब रूपा ने पहली बार बताया था कि वो राखी कुछ अलग ढंग से मनाने वाली है तभी मैं समझ गया था, और मैंने ये आर्डर कर दी थी।
सचिन- बात तो जीजाजी बिलकुल सही कह रहे हैं। इन्होने इतना ज्ञान पिला दिया लेकिन लंड अभी भी खड़ा हुआ है बैठा नहीं। मतलब काम तो करती है ये चीज़।
इस बात पर सब हंस पड़े।
लेकिन अभी तो बहुत कुछ बाकी था। रूपा ने सोनाली को कहा कि वो अपने भाई को मिठाई खिलाए। सोनाली थाली से उठा कर एक छोटा रसगुल्ला, सचिन को खिलाने लगी लेकिन रूपा का कुछ और ही प्लान था।
रूपा- अरे नहीं भाभी ऐसे नहीं… रसगुल्ला अपनी चूत में डाल लो फिर सचिन अपने मुंह से चूस कर निकालेगा और खाएगा। अब समझ आया आपको कि तिलक के लिए चूत पर खाने वाला रंग क्यों लगवाया था?
सोनाली ने वैसा ही किया, और अब उसे ये भी समझ आ गया कि ये रसगुल्ले रस में डूबे हुए क्यों नहीं मंगवाए थे, क्योंकि उनको चूत के रस में जो डूबना था।
सोनाली ने रसगुल्ला अपनी रसीली चूत में डाला और नीचे लेट कर दोनों टाँगें ऊपर कर दीं। सचिन ने आ कर सोनाली की चूत को बहुत चूसने के बाद रसगुल्ला आखिर निकाल ही लिया और खा लिया।
रूपा- मिठाई खा ली! अब गिफ्ट में अपना लंड दे दो अपनी बहन की चूत में और चोद दो। हो गया चुदाई बंधन!
सचिन ने वैसा ही किया। कॉक-रिंग की वजह से उसका लंड पहले से ही पत्थर के जैसे कड़क था, वो अपनी बहन को वहीं योगा-मेट पर चोदता रहा और रूपा-पंकज उन दोनों का हौसला बढ़ाते रहे। आखिर सचिन अपनी बहन की चूत में ही झड़ गया लेकिन तब भी उसका लंड ढीला नहीं पड़ा और वो उसके बाद भी कुछ देर तक चुदाई करता रहा और तब तक सोनाली दोबारा झड़ चुकी थी।
उसके बाद पंकज और रूपा ने भी ऐसे ही अपना चुदाईबंधन मनाया।
चुदाईबंधन के इस अनोखे त्यौहार को मनाने के बाद चारों बहुत थक गए थे। रात भर की चुदाई के बाद सुबह से भी कम से कम दो बार सबने बहुत अच्छे से चुदाई कर ली थी। सबको ज़ोरों की भूख लगी थी इसलिए सबने ज्यादा बातें ना करते हुए पूरा ध्यान खाने पर लगाया और पेट भर खाने के बाद सबको नींद सताने लगी। रात भर की नींद भी बकाया थी और वैसे भी त्योहारों पर खाना ज्यादा खाने के बाद नींद आने लगती है।
खाने के बाद सब जा कर बेडरूम में सो गए लेकिन इस बार व्यवस्था थोड़ी अलग थी। सोनाली सचिन के साथ रूपा के कमरे में सोई और रूपा अपने भैया पंकज के साथ उनके बेडरूम में। यूँ तो सब नंगे ही थे लेकिन अभी चुदाई से ज्यादा नींद की ज़रुरत महसूस हो रही थी। लेकिन फिर भी दोनों भाई बहन एक दूसरे से नंगे लिपट कर ही नींद के आगोश में गए थे।
तीसरे पहर तक तो किसी ने करवट तक नहीं बदली। फिर धीरे धीरे होश आना शुरू हुआ तो कभी भाई ने बहन स्तनों को सहला दिया या कभी बहन ने भाई का लंड पकड़ लिया ऐसे उनींदे छोटी मोटी हरकतें करते करते पाँच, साढ़े पाँच तक नींद खुली और फिर शुरू हुआ चुम्बनों और आलिंगनों का सलोना सा खेल। ये मासूम सा खेल धीरे धीरे कब चुदाई में बदल गया पता ही नहीं चला।
हर चुदाई का अंत होता है इनका भी हुआ। दो अलग कमरों में दो बहनें एक बार फिर अपने भाइयों से चुद गईं थीं, लेकिन कल रात से इतनी चुदाई हो चुकी थी कि अब आगे और करने की कशिश बाकी नहीं रह गई थी।
लेकिन इतनी चुदाई के बीच बातें करने का मौका कम ही मिला था।
सोनाली- एक बात पूछूँ?
सचिन- हम्म…
सोनाली- अगर तुम्हारी पहले से ही कोई गर्लफ्रेंड होती, जैसे अभी रूपा है, तो फिर भी क्या तुम मुझे बाथरूम के छेद से देखते?
सचिन- पता नहीं! अब तो ये कहना मुश्किल है, लेकिन शुरुआत तो आपने ही की थी ना। आप ने वो छेद बनाया ही ना होता और मुझे देखना शुरू ना किया होता तो मुझे शायद ये बात दिमाग में ना आती।
सोनाली- हाँ, लेकिन फिर भी अगर उस वक़्त तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड होती तो क्या करते?
सचिन- शायद मैं वो छेद बंद कर देता। हो सकता है मम्मी पापा से शिकायत भी करता। लेकिन आप ये क्यों पूछ रही हो?
सोनाली- इसलिए कि उस रात जब मैंने खिड़की से तुमको मुठ मारते हुए देखा था तो मैं अन्दर तक हिल गई थी। मैं भाई बहन का रिश्ता भूल गई थी और मुझे बस तुम्हारा लंड नज़र आ रहा था। मुझे लगता है अगर मैंने तुम्हारा लंड उस दिन ना देखा होता तो ये सब कुछ नहीं होता।
सचिन- हम्म… मुझे तो वैसे भी इस सब की उम्मीद नहीं थी। मेरा काम तो बाथरूम के छेद से ही चल रहा था।
सोनाली- हाँ, इस से याद आया… तू क्या अब मम्मी को देखने लगा है, उस छेद से?
सचिन- उम्म्म… हाँ, तुम चली गईं तो समझ नहीं आया क्या करूँ इसलिए…
सोनाली- अब कल जाने के बाद भी करोगे?
सचिन- पता नहीं।
उधर दूसरे कमरे में पंकज और रूपा ने भी कई दिनों के बाद अकेले में चुदाई की थी। लेकिन उनका मन भी काफी हद तक भर गया था इसलिए वो भी अब चुदाई के बाद बतियाने लगे।
पंकज- सचिन और तुम पढ़ाई पूरी करके पक्का शादी करने वाले हो ना?
रूपा- अब तो और भी पक्का हो गया है?
पंकज- ‘अब तो…’ मतलब?
रूपा- एक तो मुझे पहले ही लगा था कि सचिन और मैं एक दूसरे के लिए ही बने हैं, लेकिन अब हम चारों के बीच जिस तरह का रिश्ता बना है उसको देखते हुए सचिन से बेहतर लड़का मिल ही नहीं सकता। किसी और के साथ रही तो अपना रिश्ता छिपा कर रखना पड़ेगा और फिर वो सब टेंशन लेकर जीने का क्या फायदा?
पंकज- हाँ वो तो है। मतलब तुम शादी के बाद भी मेरे साथ रिश्ता बना कर रखना चाहती हो?
रूपा- अब हमारा कोई ‘वन नाईट स्टैंड’ जैसा तो है नहीं कि एक बार चोदा और भूल गए। खून का रिश्ता है, और दिल का भी, तो आगे भी साथ तो रहेगा ही। और जो शेर एक बार आदमखोर हो जाए वो आगे जा के सुधर जाए ऐसा तो होता नहीं ना?
पंकज- अरे वाह, मेरी शेरनी! क्या बात कही है!
इस बात पर दोनों खिलखिला कर हँस पड़े।
उधर सोनाली सचिन के उसकी माँ के साथ रिश्ते को लेकर चिंतित थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या ये उसकी जलन थी अपनी माँ से या सच में उसे माँ बेटे के रिश्ते में वासना की बात गलत लग रही थी? यदि बेटे की अपनी माँ के लिए वासना गलत थी तो फिर गलत तो भाई बहन के बीच का सेक्स भी होना चाहिए। लेकिन फिर क्यों उसे ये सही और वो गलत लग रहा था?
सोनाली- अच्छा, एक बात बताओ; अगर तुमको मौका मिले तो क्या तुम मम्मी को चोदना चाहोगे?
पंकज- हाँ हाँ क्यों नहीं! आपकी शादी के बाद से तो मैं उनको ही देख कर मुठ मार रहा था ना, तो अगर मौका मिला तो ज़रूर चोदूँगा।
सोनाली- तुमको पता है, जब मुझे पहली बार शक हुआ था कि तुम मम्मी को नहाते हुए देख कर मुठ मारते हो तो मैंने रूपा और पंकज को बताया था। फिर हमने रोल प्ले भी किया था कि तुम कैसे मम्मी को चोद सकते हो।
सचिन- अरे, तो फिर बताओ ना?
सोनाली- लेकिन यार वो तो रोल प्ले था उसमें तो हम कुछ भी कर सकते हैं। सच में सब इतना आसान थोड़े ही होता है। लेकिन तुम्हारा मन है, तो मैं पंकज से बात करती हूँ। अभी तो शाम होने को आ गई है चलो उठते हैं अब।
दोनों बाहर आये, सोनाली फ्रेश होने चली गई, उसे अभी खाना भी बनाना था। सचिन ने देखा रूपा और पंकज बाहर सोफे पर बैठ कर टीवी पर म्यूजिक वीडियो देख रहे थे। सचिन भी रूपा के दूसरे साइड में जा कर बैठ गया।
थोड़ी देर यूँ ही बैठे रहने के बाद सचिन के दिमाग में अचानक कुछ आया- जीजा जी, एक बात कहूँ बुरा तो नहीं मानोगे?
पंकज- बोलो यार, अब तो हम इतने खुल गए हैं कि सब नंगे ही बैठे हैं अब क्या बुरा मानेंगे।
सचिन- वो तो है, मेरा मतलब था कि दिल पर मत लेना लेकिन मैंने अपनी बहन आपको सील पैक दी थी लेकिन आपकी बहन की सील तो आपने पहले ही तोड़ दी।
पंकज- अब यार बात तो तुम सही कह रहे हो। लेकिन अभी कौन सी तुम्हारी शादी हो गई है। चाहो तो कोई कुंवारी लड़की ढूँढ कर उस से शादी कर लेना।
रूपा- ऐसे कैसे? सोचना भी मत!
सचिन- अरे नहीं यार! तुम्हारे अलावा मैं किसी से शादी नहीं करने वाला। और किसी के सामने अपनी बहन थोड़े ही चोद पाउँगा।
पंकज- वैसे एक उपाय है; रूपा ने बताया कि एक बार तुमने इसके पिछवाड़े में एंट्री मार दी थी! तो तुम इसकी गांड का उदघटन कर लो; और बोनस में जिस दिन तुम रूपा से शादी करोगे उस दिन सुहागरात पर तुमको गिफ्ट में अपनी बहन की सील पैक गांड मिल जाएगी। क्या बोलते हो?
सचिन- रूपा तो मुझे पता है कि तैयार है, लेकिन दीदी? उनका पता नहीं।
पंकज- वो चिंता तुम ना करो, उसको तैयार करने की ज़िम्मेदारी मेरी।
रूपा- हो गया तुम लोगों का? अभी एक जोक सुनो…
एक भाई पहली बार अपनी बहन चोद रहा होता है तो बहन बोलती है- भैया, तुम्हारा लंड तो पापा से भी बड़ा है।
तो भाई बोलता है- हाँ! मम्मी भी यही बोल रहीं थीं।
सचिन- क्या बात है, ऐसे जोक भी होते हैं? मैंने पहली बार सुना ऐसा जोक।
पंकज- तुम जोक की बात कर रहे हो, मैं तो तुमको संस्कृत में ऐसा मन्त्र भी सुना सकता हूँ। ये सुनो…
मतृयोनि छिपेत् लिङ्गम् भगिन्यास्तनमर्दनम्।
गुरूर्मूर्धनीम् पदम्दत्वा पुनर्जन्म न विद्यते॥
रूपा, सचिन दोनों एक साथ- ये क्या था!
पंकज- ये एक तांत्रिक मन्त्र है, जिसमे मोक्ष पाने का उपाय बताया गया है।
सचिन- लेकिन इसका उस जोक से क्या सम्बन्ध है?
पंकज- वैसे तो सरे तांत्रिक मन्त्र गूढ़ होते हैं इनके शब्दों के अर्थ उलटे सीधे होते हैं लेकिन उनके भेद बहुत गहरे होते हैं और बिना इन शब्दों के पीछे छिपे अर्थ को जाने हुए इनका कोई मतलब नहीं होता; लेकिन फिर भी कई बेवकूफ़ लोग केवल शब्दों का ही अर्थ निकाल कर वही करने लग जाते हैं और तंत्र विद्या को बदनाम करते हैं।
रूपा- लेकिन इसका मतलब तो बता दो?
पंकज- इसकी गहराई में जाने का न तो अभी मूड है न समय लेकिन शब्दों का अर्थ बता देता हूँ। लेकिन ध्यान रहे, शब्दों का अर्थ वास्तव में अनर्थक ही है। अभी केवल टाइम-पास चल रहा है इसलिए एक दम ठरकी भाषा में अर्थ बता रहा हूँ…
माँ की चूत में लंड डाल कर बहन के मम्मे मसल कर
गुरु के सर पर पैर रखो तो फिर पुनर्जन्म नहीं होता!
सचिन- हे हे हे… ये तो आसान है मैं कोशिश करूँ क्या?
पंकज- अरे न बाबा! कहा न, शब्दार्थ पर जाओगे तो अनर्थ हो जाएगा।
ऐसे ही हँसते हँसाते मस्ती करते हुए समय कट गया और रात का खाना खा कर सब बेडरूम में इकट्ठे हुए।
कल सचिन जाने वाला था तो आज रात फिर सबने एक ही कमरे में सोने का फैसला किया। सोने का तो नाम था सोना आज भी किसी को था नहीं लेकिन आज उतनी अधीरता भी नहीं थी। सब अधलेटे से या बैठे से बिस्तर पर पड़े थे। पंकज तकियों से टिक कर लगभग बैठा हुआ सा था और रूपा उसकी गोद में पीठ टिका कर लेटी पड़ी थी।
पंकज का एक हाथ रूपा की कमर पर थे और दूसरे से वो उसके स्तनों के सात खेल रहा था। सोनाली और सचिन वहीं लेटे हुए एक दूसरे से चिपके पड़े थे। सोनाली ने पंकज की ओर करवट ली हुई थी और सचिन ठीक उसके पीछे लेटा था। सोनाली का सर सचिन की बाँह पर थे और उस ही हाथ से सचिन ने सोनाली का एक स्तन पकड़ा हुआ था। उसका भी दूसरा हाथ सोनाली की कमर और उसके नितम्बों को सहला रहा था।
सोनाली- आपको पता है, मेरा शक सही था। मेरा ये भेनचोद भाई, मादरचोद भी बनना चाहता है। आपको क्या लगता है? क्या करना चाहिए?
पंकज- हम्म… मतलब बाथरूम के उसी छेद से अब तुम अपनी माँ को नंगी देख कर मुठ मारते हो? वो भी क्या सोनाली की तरह तुमको शो दिखातीं हैं?
सचिन- नहीं ऐसा तो कुछ नहीं है।
पंकज- इसके अलावा कभी उनकी हरकतों से ऐसा लगता है कि वो तुमको कोई हिंट दे रहीं हों सेक्स सम्बंधित?
सचिन- हाँ, कई बार उनका पल्लू सरक जाता है और उसमें से उनके स्तनों की घाँटियाँ पूरी दिखती रहतीं हैं लेकिन वो छिपाने की कोई कोशिश नहीं करतीं; या फिर खाना परोसते वक़्त आधे से ज्यादा मम्मे देखा देतीं हैं।
पंकज- नहीं नहीं नहीं… यही गलती अक्सर लोग करते हैं। वो तुमको घर का सदस्य समझ कर ध्यान नहीं देतीं और उनको लगता ही नहीं कि तुम गलत नज़र से देखोगे इसलिए बिना तकल्लुफ के ये सब हो जाता है। जब तक कोई सीधा सीधा इशारा न मिले तब तक ऐसी कोई ग़लतफ़हमी न पालना।
सचिन- चलो माना उनकी तरफ से कोई इरादा नहीं है अभी तक, फिर भी आप तो इतने ज्ञानी हो, कोई जुगाड़ बताओ न पटाने का।
पंकज- अगर सच में ज्ञानी मानते हो तो मेरी बात मानो और भूल जाओ। जहाँ तक हो सके खून के रिश्तों में कामवासना न आये तो अच्छा है। माँ को ममता की नज़र से ही देखो। वो तो अगर दोनों तरफ आग बराबर लगी हो तो अलग बात है और उसमें भी सेक्स तक ही ठीक है, बच्चे पैदा करने की गलती किसी कीमत पर नहीं होना चहिये। वो वैज्ञानिक तौर पर बहुत गलत है।
सोनाली- लेकिन अब ये बेचारा वहां अकेले कैसे काम चलाएगा?
पंकज- हम किसलिए हैं? रोज़ वीडियो सेक्स चैट पर इसको लाइव शो दिखाएंगे न। नंगी माँ को देख के मुठ मारने से तो बेहतर है न कि बहन और मंगेतर का ग्रुप सेक्स देख के मुठ मारे।
रूपा- अरे लेकिन अभी तो हम खुद यहाँ बैठे हैं, वीडियो सेक्स चैट जब करेंगे तब करेंगे अभी तो ये भी हमारे साथ ग्रुप सेक्स कर सकता है ना.
सोनाली- क्यों ना आज भी उस दिन जैसे रोल-प्ले करें? आज तो सच में सचिन यहाँ है, और इस बार मम्मी का रोल रूपा ही करेगी।
पंकज- हे हे हे… रूपा कुछ छोटी नहीं है मम्मी के रोल के लिए? और फिर मैं क्या करूँगा?
सोनाली- पिछली बार मुझे मम्मी बनाया था… मैं क्या बुड्ढी लगती हूँ? तुम एक काम करो तुम पापा बन जाओ। इस से हमारे लिए भी कुछ नया हो जाएगा। तुम सब से आखिर में एंट्री मारना।
सचिन- कोई मुझे भी समझाएगा कि ये सब क्या प्लानिंग चल रही है?
सोनाली और रूपा ने मिल कर सचिन को बताया कि कैसे उसके आने से पहले वो लोग रोल-प्ले करते थे और शुरुआत उसके और उसकी मम्मी की चुदाई के रोल-प्ले से ही हुई थी। पंकज ने उसे रोल-प्ले के फायदे भी समझाए।
पंकज- देखो, जिसके साथ तुम सच में चुदाई नहीं कर सकते उसको कल्पना में मान कर अपनी गर्लफ्रेंड या पत्नी को चोद लो। इससे कोई गलत काम भी नहीं होगा और तुम्हारा मन भी मान जाएगा। अगर सब लोग ऐसा ही करने लग जाएं तो कम से कम आधे जबरदस्ती वाले केस तो कम हो ही जाएंगे।
सबने पंकज की इस बात पर हामी भरी और फिर उसके बाद रोल-प्ले शुरू किया गया। सब कुछ वैसा ही हुआ जैसा पहले हुआ था, लेकिन इस बार जैसे ही शारदा की चुदाई शुरू हुई, प्रमोद (पंकज) की एंट्री हो गई।
प्रमोद, सोनाली और सचिन के पापा हैं जिनका रोल पंकज प्ले कर रहा था।
प्रमोद (पंकज)- अगर मैं ये सब सपने में भी देख रहा होता तो अब तक मेरी नींद टूट गई होती।
प्रमोद गुस्से में चिल्लाते हुए- कोई मुझे बताएगा ये हो क्या रहा है?
अचानक से सब रुक गया। सोनाली ने धीरे से सचिन को चुदाई चालू रखने को कहा और अपने पापा के पास जा कर नंगी ही उनके बाजू में चिपक कर खड़ी हो गई। शारदा (रूपा) के चेहरे पर डर और शर्मिंदगी के मिले जुले भाव थे लेकिन वो मजबूर भी थी क्योंकि उसकी चूत उसे उठ कर जाने की इजाज़त नहीं दे रही थी।
ऐसे में सोनाली ने अपने पापा को मनाने की कोशिश की- पापा, आप ये ना देखो कि ये कौन हैं। आप बस ये देखो कि ये क्या कर रहे हैं और उस से उनको कितनी ख़ुशी मिल रही है। ये देखो, मज़ा तो आपको भी आ रहा है।
सोनाली ने प्रमोद के तने हुए लंड पर पजामे के ऊपर से हाथ फेरते हुए कहा और साथ ही पजामे का नाड़ा खींच दिया। प्रमोद चुपचाप खड़ा था, लेकिन उसके अन्दर एक युद्ध चल रहा था, उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो इस सब का विरोध करे या खुद भी इस सब में शामिल हो जाए।
ये बात सोनाली ने अपने पापा के चेहरे पर पढ़ ली और उनकी चड्डी नीचे खिसका कर लंड पकड़ लिया।
सोनाली- ज्यादा सोचो मत पापा, आप बस एन्जॉय करो।
इतना कहकर सोनाली ने प्रमोद का लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। प्रमोद ने भी हार मान ली और इस पारिवारिक चुदाई का हिस्सा बनने में ही भलाई समझी। थोड़ी ही देर में एक ही बिस्तर पर माँ-बेटा और बाप-बेटी की चुदाई एक साथ होने लगी। कहने को ये रोल-प्ले था, लेकिन जब मानने से पत्थर भी भगवान बन सकता है, तो क्या नहीं हो सकता।
एक बार सब के झड़ जाने के बाद सबने दूसरा चक्कर लगाने की बजाए सोना ही बेहतर समझा क्योंकि सचिन का अगले दिन सुबह की ही गाडी से रिजर्वेशन था। चाहते तो नहीं थे, लेकिन आखिर सब सो ही गए।
अगली सुबह सोनाली सबसे जल्दी उठ गई और सचिन के रस्ते के लिए कुछ खाना भी दिया फिर जल्दी से तैयार हो कर बैठ गई ताकि बचे हुए समय में ज़्यादा से ज़्यादा वो अपने भाई के साथ बिता सके।
बाकी सब भी उठ कर जल्दी से तैयार हो गए और नाश्ता करके सचिन का सामान ले कर नीचे आ गए और सामान कार में रख भी दिया। सोनाली ने रूपा को आगे वाली सीट पर बैठने को कहा और खुद पीछे सचिन के साथ बैठ गई। स्टेशन पहुँचने में कम से कम आधा घंटा लगने वाला था। सोनाली ने होजरी के सॉफ्ट कपड़े की मिनी ड्रेस पहनी थी, जो घुटनों से थोड़ा ऊपर तक ही थी। उसे एक लम्बा टाइट टी-शर्ट भी कहा जाए तो शायद गलत नहीं होगा। उसने अन्दर ब्रा, पैंटी कुछ भी नहीं पहना था।
सोनाली- सच कहूँ तो मेरा एक आखिरी बार सचिन से चुदवाने का मन था; अब पता नहीं कब मिलना होगा। सुबह सब लोग बिजी थे और टाइम कम था इसलिए घर में तो मुश्किल था। तभी मैंने सोचा कि कार में इतना टाइम फालतू बरबाद होगा तो क्यों ना कार में जाते जाते ही चुदवा लूं।
रूपा- आपकी प्लानिंग की तो मैं फेन हूँ भाभी, ड्रेस भी एक दम चुन कर पहनी है इस काम के लिए।
सोनाली- अभी तो देखती जा, मैंने और क्या क्या प्लानिंग की है।
इतना कहते हुए सोनाली ने सचिन के पेंट की ज़िप खोल कर अपने भाई का लंड निकाल लिया और बाजू में बैठे बैठे झुक कर चूसने लगी। थोड़ी ही देर में सचिन का लंड खड़ा हो गया। सोनाली ने सचिन को सीट के बिलकुल बीच में बैठने को कहा और खुद उसकी गोद में बैठ पर अपने भाई के लंड को अपनी चूत में डाल लिया। सोनाली खुद पंकज और रूपा की सीट के पिछले हिस्से पर अपने कंधे टिका कर उनका सहारा लेते हुए पीछे अपनी कमर उछाल उछाल कर अपने भाई के लंड पर घुड़सवारी करने लगी।
सचिन भी मौका देख कर सोनाली के स्तनों को ड्रेस के ऊपर से ही सहला देता था। जब कभी खाली रास्ता आता तो ड्रेस के अन्दर भी हाथ डाल कर उसके उरोजों को मसल देता।
पंकज और रूपा भी दोनों को प्रोत्साहित करते जा रहे थे।
रूपा- चोद ले भेनचोद! अच्छे से चोद ले अपनी बहन को… फिर पता नहीं कब चोदने को मिले।
रूपा की इस बात से सचिन को जोश आ गया और वो नीचे से भी जोर जोर से धक्के मारने लगा। काफी देर तक ऐसे ही, खुली सड़क पर चलती कार में दिन दिहाड़े, भाई बहन की चुदाई चलती रही; फिर आखिर सचिन अपनी बहन की चूत में झड़ गया।
स्टेशन अब पास ही था, तो सोनाली वैसे ही अपने भाई का लंड चूत में लिए बैठे रही। स्टेशन पहुँचने तक सचिन का लंड भी इतना ढीला नहीं हुआ था। उसका वीर्य अब भी सोनाली की चूत में ही था।
कार के पार्क होने के बाद सबसे पहले सोनाली ने अपना पर्स खोला और उसमें से एक टेम्पॅान निकला और लंड से उठ कर तुरंत टेम्पॅान अपनी चूत में डाल लिया ताकि वीर्य बाहर ना निकल पाए।
रूपा- क्या बात है भाभी! सही कहा था आपने पूरी तयारी के साथ आई हो। चूत का रस बाहर ना निकले, इसलिए ढक्कन लगा लिया।
सोनाली- हाँ… और ढक्कन की डोरी नीचे ना लटके इसलिए ये सी-स्ट्रिंग (जी-स्ट्रिंग का आधुनिक रूप) भी लाई हूँ। कार में बैठे बैठे पेंटी पहनने में दिक्कत होती है इसलिए… सी-स्ट्रिंग रॉक्स!
सोनाली ने सी-स्ट्रिंग को अपनी चूत पर फिट किया और ड्रेस को नीचे खिसका कर बाहर आ गई।
सब सामान ले कर ट्रेन की तरफ चल पड़े। पंकज प्लेटफार्म टिकेट ले आया और सचिन का सामन भी ट्रेन में रखवा दिया। सचिन भले ही बहनचोद हो गया था, लेकिन वो संस्कार जो बचपन से उसे मिले थे, वो तो अपने आप ही काम करने लगते हैं। सचिन अपने जीजा जी के पैर छूने लगा तो पंकज ने उसे पकड़ कर गले से लगा लिया।
पंकज- अब तो हम यार हो गए हैं यार, आज के बाद दुनिया के लिए मैं तेरा जीजा रहूँगा लेकिन तू मुझे अपना दोस्त ही समझना। ठीक है?
उसके बाद सचिन सोनाली के पैर छूने के लिए झुकता उसके पहले ही सोनाली ने उसे अपने पास खींच लिया। सोनाली का एक हाथ सचिन को कमर से पकड़ कर उसे सोनाली के बदन से चिपका रहा था और दूसरे से उसने सचिन के सर को पीछे से अपनी ओर दबाते हुए उसके होंठों से होंठ जोड़ दिए।
दोनों की आँखें बंद हो गईं।
हमारे देश में ऐसे नज़ारे रेलवे स्टेशन पर कम ही देखने को मिलते हैं लेकिन फिर भी, जो भी उन्हें देख रहा था, उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि वो भाई बहन हैं। शायद लोगों ने यही सोचा हो कि कोई अपनी बीवी को मायके छोड़ कर वापस जा रहा है।
दोनों इस लम्हे को अपनी यादों में कुछ ऐसे संजो लेना चाहते थे कि जब भी एक दूजे की याद आये तो साथ में इस चुम्बन का मुलायम अहसास अपने आप ही होंठों पर तैर जाए। पंकज और रूपा भी इस रोमांटिक दृश्य को अपलक देख रहे थे। अगर ये कोई बॉलीवुड की फिल्म होती, तो ज़रूर बैकग्राउंड में फिल्म का टाइटल म्यूजिक चल रहा होता और कैमरा इन दोनों के के चारों ओर घूम रहा होता।
आखिर ट्रेन ने लम्बा हॉर्न मारा और दोनों को अलग होना पड़ा, सचिन ने जल्दी से रूपा को भी गले लगाया और एक छोटी सी चुम्मी उसके होंठों पर भी जड़ कर वो अपनी कोच के दरवाज़े पर चढ़ गया।
ट्रेन धीरे धीरे चलने लगी और ये सचिन हाथ हिलाते हुए सब से विदा लेने लगा। सोनाली, रूपा और पंकज भी हाथ हिला कर उसे विदा करते रहे जब तक वो आँखों से ओझल नहीं हो गया। सचिन चला गया था लेकिन रूपा और सोनाली की आँखों में एक नमी छोड़ गया था।


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