हम एक मिडिल क्लास परिवार से हैं. घर में हम दोनों के अलावा मम्मी और पापा हैं, यह कहानी आज से लगभग 4 साल पहले शुरू हुई. उस समय बाथरूम नहीं होने के कारण दीदी आंगन में नहाती थी. जिस समय दीदी नहाती थी, उस समय हमें और पापा को बाहर आना पड़ता था या जब उसे कपड़े पहन बदलना होता था तो वो हमें बाहर जाने को कहती थी और दरवाजा बंद करके कपड़े बदलती थी. लेकिन कभी-कभी वह दरवाजा बंद करना भूल जाती थी और और अचानक से मैं आ जाता था.
आपको बता दूँ कि मैं जानबूझ कर ऐसा नहीं करता था, लेकिन जब ऐसा होता था तो मुझे कभी दीदी के चूचे दिख जाते थे, तो कभी उसके नंगे चूतड़ दिख जाते थे. जिससे एक बार मेरे मन में थोड़ी सी शर्म भी आ जाती थी, पर अच्छा भी लगता था.
दीदी गुस्सा करती तो मैं बोलता रहता कि दरवाजा बंद कर लिया करो.
फिर दीदी कहती कि क्या करूं भाई भूल जाती हूं और वो हंस कर रह जाती थी.
ऐसे ही दिन निकलते गए और 4 साल बीत गए. अब दीदी पूरी जवान हो गई थी, उसके चूचे बड़े बड़े हो गए थे. पिछवाड़ा भी बड़ा हो गया था. उसे देखते ही मेरे मन में कुछ कुछ होने लगता, पर जानता था कि वह मेरी बहन है. फिर भी उसे देखने को मन करता. जब वो झाड़ू लगाती तो उसके गहरे गले वाले कुरते में से उसके मलाई से गोरे चूचों के दर्शन हो जाते. वो भी इस बात को जानती थी कि मैं उसे देखता रहता हूं लेकिन वह कुछ नहीं बोलती.
फिर एक दिन ऐसा आया कि दीदी आंगन में नहा रही थी और वह दरवाजा बंद करना भूल गई थी. मैं उसी समय अन्दर आ गया और नजारा देखकर हैरान रह गया. दीदी उस समय केवल ब्रा पेंटी में थी और उसके बड़े बड़े मम्मे दूध की फैक्ट्री की तरह नजर आ रहे थे. दीदी ने जैसे ही मुझे देखा, वह बैठ गई और तिरछी नजर से मुझे देखते हुए मुस्कुरा रही थी. मैं कुछ पल वहां रुका और उसको नजर भर कर देखकर वहां से चला गया.
उस दिन के बाद दीदी मुझसे बहुत फ्रेंडली हो गई थी. यह सब देख कर मेरा मन करता कि मैं अभी दीदी के दूध पी जाऊं लेकिन हिम्मत नहीं होती. फिर घर में हमेशा मां भी रहती थीं.. इसलिए कुछ भी होना सम्भव नहीं था.
एक दिन मेरी नानी की तबीयत बहुत खराब हो गई और मम्मी को उनके पास जाना पड़ा. पापा भी किसी काम के सिलसिले में घर से बाहर चले गए और घर में मैं और दीदी अकेले रह गए. उस समय दीदी बहुत खुश नजर आ रही थी.. ऐसा क्यों था.. वो मुझे पता नहीं.
अगले दिन मैं घर में बैठकर खाना खा रहा था और दीदी उसी समय नहाने लगी. जब मैं घर में होता तो दीदी कपड़े पहन कर नहाती थी. मैं खाना भी खा रहा था और उसके भीगे बदन को भी देख रहा था. जब दीदी को नहाना हो गया तो दीदी मुझसे बाहर जाने को बोली.
मैंने कहा कि दीदी मैं खाना खा रहा हूँ, मैं अभी नहीं जाऊंगा और वैसे भी मैं आपको कई बार देख चुका हूं.
तब दीदी बोली- अच्छा बच्चू, अपनी दीदी से होशियारी कर रहा है.
यह कह कर वो मुस्कुराने लगी, लेकिन उसने कपड़े नहीं बदले. मैं भी खाना खाता रहा और उसे देखता रहा. खाना खत्म करके मैं बाहर चला गया, तब दीदी ने कपड़े बदले.
अगले दिन मैं टॉयलेट कर रहा था, तभी दीदी वहां आ गई और उसने मेरा खड़ा लंड देख लिया. लंड देख कर दीदी हंसने लगी. मुझे उसकी हंसी देख कर मजा भी आया और चिढ़ भी आई.
इसके कुछ देर बाद मैं जब खाना खाने बैठा, तभी दीदी नहाने के लिए आ गई और पहले के जैसे कपड़े पहन कर नहाने लगी. आँगन में नहाने के बाद मुझे बाहर जाने को बोली.
पर मैंने कहा- दीदी तुमने भी तो मेरा देख लिया है, अब तुम मेरे सामने ही कपड़े बदल लो.
वह हंस दी और मना करने लगी, तब मैं उससे विनती करने लगा- दीदी प्लीज़ दीदी…
तब दीदी बोली- ओके, मैं कपड़े बदल रही हूं, जितना दिखेगा सो देख लेना.
अब वो अपने गीले कपड़े उतारने लगी. पहले उसने अपना पजामा उतारा, जिससे उसकी नंगी टांगें दिखाई देने लगीं. उसकी टाँगें एकदम चिकनी थीं, उस पर बहुत थोड़े से बाल थे जो सुनहरे रंग से चमक रहे थे. फिर उसने अपनी चड्डी उतारी जो ब्लैक कलर की थी. उसने मेरे सामने ही दूसरी चड्डी पहन ली और इसके बाद अपना पाजामा भी पहन लिया. इस सब क्रिया में मुझे नीचे की कुछ खास चीज ना दिख सकी.
इसके बाद वह अपना कुर्ता उतारने लगी, उस समय वह मेरी तरफ करके पीछे को मुड़ी हुई थी, जिससे उसकी पीठ मुझे दिख रही थी. जिस पर काले रंग की ब्रा की पट्टी चमक रही थी. चूंकि उसकी चूचियां दूसरी ओर थीं जो मुझे दिखाई नहीं दे रही थीं. फिर उसने पीछे हाथ करके अपनी ब्रा भी खोल दी और दूसरी ब्रा पहनने लगी.
तब मैंने दीदी से कहा- दीदी एक बार इधर तो मुड़ो.
वो हंस कर बोली- नहीं भाई, जितना दिखता है, बस उतना ही देख लो.
मैंने कहा- दीदी, ऐसे में तो कुछ नहीं दिख रहा है.
तो वह ब्रा पहनने के बाद मेरी तरफ मुड़ी और उसकी छोटी सी ब्रा में कैद चूचियां मुझे दिखाई देने लगीं.. जो बाहर निकलने के लिए मचल सी रही थीं.
फिर उसने मुस्कुराते हुए अपना कुर्ता भी पहन लिया और बोली- बस अब बहुत हुआ.
तब मैंने कहा- दीदी तुमने तो कुछ दिखाया ही नहीं, जबकि तुमने मेरा लंड देख लिया.
वह मेरे मुँह से लंड के शब्द भरी बात को सुनकर हंसने लगी.
मैंने फिर कहा- दीदी, तुमने तो मुझे दिखाया तो है ही नहीं, अब मुझे थोड़ा छू ही लेने दो.
वह मना करने लगी.
मैंने रिक्वेस्ट की तो वह मान गई और बोली- केवल ऊपर से ही छू लो.
वो अभी भी नहाने की जगह पर खड़ी थी और उसके भीगे भीगे से बाल उसके गाल से चिपके हुए थे, जो क़यामत बरपा रहे थे, दीदी बहुत मस्त लग रही थी. मैं उसके पास गया और पहले उसके गाल से बालों को हटाया और उसकी चूचियों को ऊपर से दबाने लगा. कुछ देर तक दबाने के बाद दीदी गरम होने लगी.
कुछ देर बाद उसको अपने आप पर कंट्रोल किया और अपने आपको मुझसे अलग करके दूर हो गई. फिर वो खाना खाने लगी. मैं अभी भी उसके पास ही बैठा था
दीदी मुझसे बोल रही थी कि भाई तुम बहुत शैतान हो गए हो.
मैं हंसने लगा और बोला- दीदी आप हो ही इतनी गजब कि और अधिक शैतान बनने का जी करता है.
दीदी हंसने लगी.
फिर दोपहर को अचानक बारिश शुरू हो गई. दीदी बाहर से जल्दी से कपड़े उतारने चली गई. लेकिन जल्दी-जल्दी में उसका पैर फिसला और वो कीचड़ में गिर गई, जिससे गंदा पानी उसके शरीर में लग गया. इस सब में कुछ देर हो गई और गंदगी से उसका शरीर खुजलाने लगा.
दीदी कहने लगी- भाई बहुत खुजली हो रही है.. मैं क्या करूं?
मैं बोला- पहले तुम नहा लो.
वह नहाने लगी, बाहर बारिश हो रही थी जिससे मैं बाहर नहीं जा सकता था. अब दीदी खुजली होने के कारण कपड़े पूरे खोलकर नहाने लगी. मैं भी बारिश होने के कारण बाहर नहीं गया और वहीं बैठा रहा. आज मैं उसे बहुत करीब से देख रहा था.
जब दीदी नहा कर अपना बदन पोंछने लगी तो मैंने देखा उसके शरीर पर कुछ चकत्ते से निकल रहे हैं.
मैंने कहा- दीदी, ये लाल लाल चकत्ते से क्या हो गए हैं.
वो उन चकत्तों को देख कर बहुत डर गई. मैंने कहा आप घबराओ नहीं मैं तुम्हारे बदन की दवा वाले तेल से मालिश कर देता हूं.
इस पर वो मान गई. मैं बिना समय गंवाए जल्दी से दवा डाल कर सरसों का तेल ले कर आया और तेल को हल्का गर्म कर लिया.
मैंने दीदी से कहा कि आप लेट जाओ.. मैं मालिश कर देता हूँ.
वो पेट के बल लेट गई.
मैंने कहा- दीदी पहले आप अपने कपड़े तो उतार लो.
उसने जल्दी से अपना कुर्ता उतार दिया और लेट गई. मैं उसके पीछे से पीठ पर मालिश करने लगा. मालिश करते करते मैं अपना हाथ पीठ पर ऊपर ले जा रहा था. मेरा हाथ दीदी की ब्रा में फंस रहा था.
मैंने कहा- दीदी यह ब्रा उतार दो.
उसने कहा- भाई, तुम ही उतार दो.
मैंने उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और मजे से मालिश करने लगा. उसके बदन की खुजली तो दूर हो गई लेकिन वह गर्म होने लगी थी. मुझे भी मस्ती चढ़ने लगी थी. मैं भी मजे से उसकी मालिश कर रहा था.
अब उसने कहा- भाई, नीचे पैर में भी मालिश कर दो.
मैंने कहा- ठीक है दीदी, अभी कर देता हूँ.
यह कह कर मैं उसका पजामा यूं ही खींच कर नीचे करने लगा लेकिन वो नीचे नहीं हो पा रहा था.
तब दीदी ने कहा- भाई पहले नाड़ा तो खोलो.
इतना कह कर उसने अपने चूतड़ उठाए और मैंने अपने हाथ को नीचे डाल कर उसका नाड़ा खोल दिया और उसका पजामा नीचे कर दिया. जैसे ही पजामा उतरा, मैं झट से उसकी जाँघों पर मालिश करने लगा. मालिश करते करते मैं अपना हाथ उसकी पैंटी में घुसा देता और उसकी गांड को अपनी हथेलियों से छू लेता. कभी-कभी तो मैं अपना हाथ उसकी चुत तक भी पहुंचा देता. वह मेरे स्पर्श से मदहोश हुए जा रही थी. इधर मेरा लंड भी खड़ा हो गया था, पर मैंने अपने आप पर कंट्रोल किया हुआ था. कुछ देर की मस्ती के बाद मैंने उसकी चड्डी भी उतार दी.
पहले तो दीदी ने हिचकते हुए कहा कि यह क्या कर रहे हो.. लेकिन उसकी इस बात में कुछ खास विरोध नहीं था.
मैंने अपने पैर उसकी दोनों तरफ कर दिया, जिससे मेरा लंड उसकी गांड के पास आ गया और मैं उसकी पीठ पर मालिश करने लगा. मैं अपना हाथ जब आगे ले जाकर उसकी मालिश करता, तो मेरा लंड उसकी गांड में टच हो जाता. उस वक्त मुझे बहुत मजा आ रहा था.
फिर मैंने कहा- दीदी, अब घूम जाओ आपकी आगे तरफ भी मालिश कर देता हूं.
वो झट से मान गई और जब वो मुड़ी तो उसकी ब्रा उसके शरीर से अलग हो गई और उसके बड़े बड़े मम्मों की उन्नत चोटियां मेरी आंखों के सामने थीं. वह अपने हाथों से अपने मम्मों को ढांपने की कोशिश करने लगी.
मैंने कहा- दीदी जाने दो, इसकी भी मालिश कर देता हूं.
उसने कुछ नहीं कहा.
फिर मैंने उसके शरीर पर मालिश करना शुरू कर दिया. पहले मैंने उसकी नाभि में तेल डाल कर उसे लगाने का काम करने लगा. इसी क्रम में मैं अपना हाथ उसकी एक चूची तक ले गया और उसकी चूची पर जोर-जोर से मसलते हुए तेल लगाने लगा. तेल तो, जो भी लगा या न लगा.. लेकिन वो पूरी तरह हॉट हो गई. इधर मेरा भी जी कर रहा था कि मैं अभी इसके चूचों के दूध को पी जाऊं.. लेकिन उसके मम्मों पर दवा वाला तेल लगा हुआ था. मालिश पूरी हो जाने के बाद वो फिर से नहाने के लिए चली गई. उसने अच्छी तरह से साबुन लगाया लेकिन पीठ पर उसके हाथ नहीं पहुंचा रहे थे. पीठ पर तेल लगे होने के कारण सफाई भी जरूरी थी.
तब दीदी ने कहा- भाई मेरी पीठ का तेल तो साफ़ कर दो.
मैं साबुन लेकर पीठ पर लगाने लगा. पीठ से साबुन लगाते हुए मैं उसके पूरे शरीर पर साबुन लगाने लगा और फिर उसे पानी से धोया.
फिर उसने अपने कपड़े पहन लिए. जब वो मेरे सामने आई तो मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसे पकड़ कर एक झप्पी ले ली. उसने कोई ज्यादा विरोध नहीं किया तो मैं उसे किस करने लगा.
अब वो हल्के स्वर में मना तो कर रही थी लेकिन कोई ख़ास विरोध नहीं कर रही थी. मैं समझ गया कि अब हरी झंडी है. मैं उसे रगड़ कर किस करने लगा, वो भी मुझे साथ देने लगी.
लगभग दस मिनट बाद मेरा यह किस खत्म हुआ, तो दीदी मुझसे अलग हुई.
वो बोली- मुझे पेशाब लगी है, जरा छोड़ मैं पेशाब करने जा रही हूं.
मैं भी दीदी के पीछे पीछे चला गया. जब दीदी पेशाब करने के लिए बैठी, तो पहली बार मैंने दीदी की नंगी चुत को देखा. दीदी की चुत घने बालों के बीच में छिपी थी. मैं उसकी चुत देख रहा था.
तभी दीदी ने टोकते हुए कहा- क्यों रे भाई.. क्या देख रहे हो?
मैंने बोला- दीदी आपकी चुत को देख रहा हूं.. आप इसके बालों को क्यों नहीं काटती हो?
दीदी बोली- कभी कभी काट लेती हूं लेकिन बहुत दिनों से नहीं काटे हैं.
पेशाब करने के बाद मैंने अपने हाथों से दीदी की चुत को धोया. फिर हम दोनों कमरे में अन्दर आ गए.
मैंने उसको चूमते हुए कहा- दीदी, आप बहुत सेक्सी हैं.
तब दीदी बोली- तुम झूठ बोल रहे हो ऐसी कोई बात नहीं है.
मैंने कहा- दीदी मैं जैसा कहता हूं वैसा करो, मैं तुम्हारी फोटो निकालता हूं, फिर देखना तुम कितनी सेक्सी लगती हो.
अपनी फोटो को निकलवाने के लिए दीदी मान गई. मैं अपना मोबाइल लेकर आया और उसके सेक्सी फोटो निकालने लगा. मैंने उससे कहा- अब अपना कुर्ता और पजामा उतार दो.
उसने उतार दिए.
मैंने उसके ब्रा पेंटी में फोटो निकाले. इसके बाद उसने अपने सारे कपड़े पहन लिए. फिर मैंने उसके सेक्सी फोटो उसको दिखाए. वो अपने हॉट फोटो देख कर शर्माने लगी.
मैंने कहा- दीदी मैंने कहा था न.. तुम हो ना सेक्सी!
उसने शर्मा कर अपनी आंखें बंद कर लीं और इसी बात का फायदा उठा कर मैं दीदी को किस करने लगा. अब वो भी साथ देने लगी. किस करते करते एक अपना हाथ उसकी चुत पर ले गया और उसे दबाने लगा.
वो सिसकार उठी- आह आह.. भाई मजा ले रहे हो..
मैंने कहा- क्या तुमको मजा नहीं आ रहा है?
उसने भी बेआवाज हामी भरी और हम दोनों में चूमाचाटी अपने शिखर पर चढ़ने लगी.
मैं दीदी को किस करते करते मैं अपना एक हाथ उसकी गर्दन पर ले गया और उसे अपनी तरफ खींच कर चाटने लगा. फिर उसकी बगलों को चाटने लगा. दीदी की मादक कराहें मेरा उत्साह बढ़ा रही थीं. फिर मैं दीदी की चूची के ऊपरी भाग को चाटने लगा.
तभी एकदम अचानक से दीदी पीछे मुड़ गई. मैंने उसे छोड़ा नहीं और पीछे से उसकी गर्दन को चाटने लगा. इसी तरह उसको चूमते चाटते मैंने दीदी के कुर्ते को उसके कंधे से नीचे कर दिया. इससे उसकी पीठ काफी नंगी हो गई थी. मैं उसकी पूरी पीठ को चाटने लगा.
जब चुदास बढ़ी तो मैंने उसके कुरते को उसकी कमर तक नीचे कर दिया और उसकी पूरी पीठ को चाटते चाटते उसकी कमर तक पहुंच गया. फिर वो आगे की ओर घूमी तो मैं उसके पेट को चाटने लगा. साथ ही उसे हल्का हल्का काटने भी लगा. दीदी अपनी आंख बंद करके ‘आहहहह आहहहह…’ किए जा रही थी.
मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसकी चूची को दबाने लगा. फिर मैंने उसकी ब्रा को खोल दिया, ब्रा खुलते ही उसकी चूचियां खुली हवा में फुदकने लगीं. मैं लगभग झपटते हुए उसके मम्मों के दूध को पीने का काम शुरू कर दिया.
यह मेरा पहला अवसर था, जब मैं किसी लड़की का दूध पी रहा था… वह भी अपनी बहन का! सच में बहुत मजा आ रहा था.
दोस्तो, मैं दीदी की एक चुची के दूध को पी रहा था और दूसरे को हाथ दूसरी चुची को दबा रहा था. इसके बाद मैं अपना हाथ उसकी पैंटी में ले गया और दीदी की चुत को मसलने लगा. उसकी चुत के चारों तरफ बहुत घने बाल थे. एक मिनट बाद मैंने उसकी चड्डी उतार दी. मेरा उसकी चुत को चाटने का तो मन कर रहा था, लेकिन बाल बहुत अधिक होने के कारण मजा नहीं आ पाया.
मैंने दीदी से कहा- मैं तुम्हारे बाल काट दूं… फिर मजा आएगा.
वो झट से मान गई. मैं अपनी शेविंग किट लाया और नीचे बैठ कर दीदी की चुत की झांटों को काटने लगा. वो भी अपनी पूरी चुत खोल कर झांटें बनवाने का मजा ले रही थी. उसकी चुत के बाल काटने के बाद देखा तो उसकी चुत गुलाब की पंखुड़ी की तरह नजर आने लगी… साथ ही मेरे हाथ लगाने से उसकी चूत लिसलिसी सी भी हो गई थी. उसकी चुत को मैंने साबुन लगा कर धोया. फिर मैं उसकी चुत को चाटने लगा, लगातार चाटते रहने से उसकी चुत से पानी निकलने लगा.
फिर मैंने अपना आसन बदला और दीदी के हाथ में अपना लंड दे दिया. दीदी लंड चाटने से मना कर रही थी, पर मेरे कहने पर उसने लंड मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगी. लंड चुसाई से मैं सातवें आसमान पर पहुंच गया था. दीदी को भी लंड चूसने में मजा आने लगा था. अब तो दीदी लॉलीपॉप की तरह मेरे लंड को चूस रही थी.
लगभग दस मिनट बाद मैं उसके मुँह में झड़ गया. मेरा इतना ज्यादा माल निकला कि वो पूरा रस पी ही नहीं पाई और बहुत सारा वीर्य उसके शरीर पर गिर गया.
हम दोनों अब शांत हो चुके थे. लेकिन मेरे लंड को दीदी की चुत की भूख अभी बाकी थी. मैं फिर से दीदी की चुत चाटने लगा. कुछ देर में मेरा लंड भी तैयार हो गया. मैं दीदी को भी खूब गरम करने के लिए उसका दूध पीने लगा और जल्द ही दीदी की चुत भी लंड लंड चिल्लाने लगी.
मैंने अपना लंड दीदी की चुत पर लगाया तो दीदी मना करने लगी. वो बोली- मैं बिना प्रोटेक्शन के सेक्स नहीं करूंगी.
मैं भी जानता था कि दीदी गर्भ ठहर जाने के डर से कह रही है कि वो चुदाई से प्रेग्नेंट ना हो जाए.
मैंने भी जिद नहीं की लेकिन मैंने बोला कि फिलहाल इस खड़े लंड का क्या करूं?
दीदी बोली कि इस खड़े लंड को मेरी दोनों चूचियों के बीच में डाल कर इसे चुत समझ कर चोद लो और रस टपका दो.
मैंने उसकी चूचियों को दोनों हाथों से पकड़कर उनके बीच में लंड डाला और आगे पीछे करते हुए चूची चुदाई का मजा लेने लगा. कुछ देर बाद मेरा माल निकल गया और सारा माल दीदी की चूचियों पर गिर गया. वो अपने हाथों से उठा उठा कर मेरे माल को चाटने लगी.
इतनी देर की बूब फकिंग और चुसाई से हम दोनों बहुत थक गए थे, इसलिए नंगे ही दोनों सो गए. उस समय दोपहर के 2:00 बज रहे थे.
काफी देर तक सोने के बाद जब मेरी आंख खुली तो शाम के 5:00 बज चुके थे. दीदी पहले ही उठ चुकी थी और मैं नंगा ही सोया हुआ था. मैंने उठकर अपने कपड़े पहने और बाहर आया तो देखा दीदी खाना बनाने की तैयारी कर रही थी.
हम दोनों की नजरें मिलीं और हम दोनों मुस्कुरा दिये. फिर मैं दीदी के पास गया और उसे किस करने की कोशिश की.
तब दीदी ने कहा- अभी नहीं भाई, अभी खाना बनाना है.
मैंने कहा- ठीक है दीदी मैं बाजार जा रहा हूँ, तुम्हें कुछ मंगाना है?
दीदी ने कहा- नहीं भाई मुझे कुछ नहीं मंगाना है.
मैंने दीदी से पूछा- दीदी, रात का क्या प्रोग्राम है?
दीदी ने शर्म से आँख नीचे कर ली. मैंने दीदी से पूछा- कौन सा फ्लेवर पसंद है तुम्हें?
दीदी ने कहा- जो तुम्हें पसंद हो ले लेना.
मैं जब जाने लगा तो दीदी बोली- रूको भाई.
मैंने पूछा- क्या हुआ दीदी?
तो दीदी बोली- कंडोम मत लेना… दवाई ले लेना.
मैं समझ गया कि दीदी चुत में लंड का का पूरा मजा लेना चाहती है, वह भी बिना कंडोम के चुदने का मन बना चुकी है.
इस बात से मैं भी खुश हो गया, मुझे खुद ऐसा लग रहा था कि दीदी की पहली चुदाई का मजा नंगे लंड से ही लेना चाहिए. मैं आँख मार कर बोला- ठीक है दीदी, मैं दवा ले आऊंगा.
मैं बाजार चला गया और वहां जाकर मैंने दवाई ले ली. मैं बाजार में घूम रहा था तो मेरे सामने दीदी की चूची और गुलाब के फूलों जैसी चुत घूम रही थी. मैंने बाजार का सारा काम किया और घर आ गया.
घार आया तो सबसे पहले दीदी के करीब जाकर पीछे से दीदी की गांड को टच कर लिया.
दीदी बोलने लगी- भाई, जरा बर्दाश्त करो.
मैंने कहा- अब सब्र नहीं हो रहा है दीदी.
वो वहीं बैठ कर मुझसे बातें करने लगी. कुछ देर बाद उसने खाना बनाया था वो हम दोनों ने मिल कर टेबल पर लगाया और बैठ कर खाना खाया. हम दोनों ने साथ में खाना खाते वक़्त एक दूसरे के अंगों का पूरा मजा लिया. दीदी झुक झुक कर अपनी चूची दिखलाए जा रही थी. मेरा जी तो कर रहा था कि उसको खींच कर पूरा दूध चूस लूँ.
फिर हमने किसी तरह खाना खत्म किया और दीदी बर्तन धोने चली गई. बर्तन धोने के बाद दीदी मेरे पास आकर बैठ गई.
मैंने दीदी से कहा- दीदी, क्या प्रोग्राम है?
दीदी ने कहा- भाई आज की रात को यादगार बनाया जाए, आज हमारी सुहागरात होगी.
एक भाई और बहन की सुहागरात का मंजर याद करके मैं भी खुश हो गया. मैं दीदी की तरफ देखने लगा. उसने उठा कर अलमारी से मेरे कपड़े निकाल कर मुझे दिए और कहा कि पहन कर तैयार हो जाओ.
वो अपनी गांड मटकाती हुई खुद तैयार होने अपने कमरे में चली गई. जाते समय मुझे आँख मारते हुए बोली- आधे घंटे के बाद कमरे में आना.
मैं बाहर ही रह गया… कपड़े आदि पहन कर तैयार हो गया और दीदी कमरे में चली गई. मैं आधा घंटा बाद कमरे में गया तो देखा दीदी नई नवेली दुल्हन की तरह बेड पर बैठी हुई थी और उसने अपना चेहरा ढका हुआ था.
यह नजारा देख कर मैं बहुत खुश हो गया.
मैं बेड पर गया और सबसे पहले मैंने उस का घूंघट उठाया. दीदी ने नई दुल्हन की तरह शर्मा कर अपना मुँह दूसरी और कर लिया, उसका गोरा चेहरा एकदम गुलाब सा चमक रहा था. होंठों पर लाल लिपस्टिक लगाई हुई थी, मालूम चल रहा था मानो कोई अप्सरा मेरे सामने बैठी हो.
फिर मैं दीदी के होंठों को किस करने लगा. वह भी पूरा साथ दे रही थी. किस करते करते मैंने उसके साड़ी का पल्लू नीचे किया और उसे लिटा दिया. मैं एक उसके होंठों की किस करता रहा और एक हाथ से उसके दूध को दबाता रहा.
मुझे बहुत मजा आ रहा था.
अपनी सगी बहन को किस करते करते मैं उसके कान तक आ गया और उसके कान को काटने लगा. दीदी मादक आवाजें निकाल रही थी और मेरी बांहों में मचल रही थी. फिर मैं उसके कान की लौ को चाटने लगा. उसकी गरम आहें निकलने लगी थी. कान की लौ को चाटने से वो चुदासी हो उठी थी.
इसके बाद मैं अपनी सगी बहन के ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चूचियों को पीने लगा. उसके ब्लाउज के हुक पीछे से थे. मैंने उसके चूचों को ऊपर से ही खूब पिया. फिर मैं नीचे आ गया और उसके पेट को चाटने लगा. मैं उसके पेट को चाट ही रहा था कि वह एकदम से मुड़ी. अब उसकी पीठ मेरे सामने थी. मैंने उसके पीठ को भी खूब चूमा और चाटा. फिर उसके ब्लाउज के हुक्स को खोल दिया. अब उसकी चूचियां केवल ब्रा में फंसी थीं. मैं फिर नीचे को गया और उसके पैरों को चाटने लगा. पैर चाटते चाटते ऊपर की ओर बढ़ने लगा. मैंने उसके पेटीकोट को साड़ी समेत ऊपर चढ़ा दिया और उसकी चिकनी जाँघों तक पहुंच गया. उसकी मांसल जांघें बेहद जानलेवा थीं, मैं बिना एक पल रुके उसकी मरमरी जाँघों को चाटने लगा. वो भी एकदम से सिहर उठी.
अब मैंने उसका पेटीकोट और साड़ी को उतार दिया. वो वहां केवल चड्डी और ब्रा में लेटी हुई रह गई थी. मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मैं उससे अलग हुआ और अपने कपड़े भी उतार दिए.
मैं उसके सामने मात्र एक चड्डी में खड़ा था. दीदी चड्डी और ब्रा में थी.
मैंने कहा- दीदी इतना शर्माओ मत यार… आंखें खोलो… देखो मेरा लंड कितना तैयार है.
वो शर्माते हुए हंसने लगी. उसने अपनी जीभ को बड़े ही कामुक और अश्लील अंदाज में अपने होंठों पर फेरा और एक हाथ से अपनी चुत पर फेरा तथा दूसरे हाथ की उंगली के इशारे से मुझे अपनी तरफ पर बुलाया.
मैंने भी अपने लौड़े को सहलाया और दीदी के पास आ गया. उसने अपनी बाँहें मेरी तरफ फैला दीं. मैं दीदी का चुम्बन करने लगा और उसके मम्मों को दबाने लगा. वो भी चड्डी के ऊपर से ही मेरे लंड को हिला रही थी. मैं अपना हाथ उसके पीछे ले गया और उसकी ब्रा को खोल कर अपनी सगी बहन की चूचियों को ब्रा की कैद से आजाद कर दिया.
अब मेरी दीदी की मस्त और रसीली चूचियां मेरे सामने हवा में उचल रही थीं. मैं अगले ही पल उसके एक दूध को पी रहा था.
दीदी कामुकता से बोली- ओह… भाई पहले मेरी चुत को चाट दो.
मैं झट से नीचे गया और उसकी चड्डी को उतार कर उसकी चुत को चाटने लगा. कुछ ही देर में चुत में मानो आग लगी हुई थी. मैं अपनी जीभ बहन की चुत में डालकर उसे चोदने लगा. वो कामुक सिसकारियां ले रही थी.
फिर मैंने कहा- दीदी तुम भी मेरा लंड चाटो न.
वो तो जैसे लंड चूसने के लिए तैयार थी. हम दोनों 69 में हो गए. अब वो मेरे लंड को चूस रही थी और मैं उसकी चुत चाट रहा था. कुछ देर बाद हम दोनों ने एक दूसरे के मुँह में ही अपने माल को झाड़ दिया. वह मेरा पूरा माल पी गई और मैं भी उसका रस चाट गया.
रस चूसने के बाद भी हम दोनों एक दूसरे के लंड चुत की चाटते रहे. इससे नतीजा यह हुआ कि कुछ ही देर बाद हम दोनों फिर से हॉट हो गए. अब हम दोनों चुदाई के लिए तैयार हो गए थे. दीदी ने कहा भाई अब और मत तड़पाओ… जल्दी से डाल दो अपना लंड मेरी चुत में…
मैंने कहा- ठीक है दीदी…
मैं अपना हाथ लंड को पकड़ कर उसकी चुत पर लगाने लगा और जोर से झटका मारा. मेरा लंड उसकी चुत में अन्दर नहीं जा रहा था. दीदी की चुत बहुत टाइट थी. उसने मेरी तरफ परेशानी से देखा, तो मैं उठ कर किचन में गया और अपने लंड पर घी लगा लिया. घी से सने हुए हाथों से लंड की मालिश करता हुआ कमरे में आया.
मैंने आकर दीदी की चुत पर अपने हाथ में लगा घी लगाया और अपने घी से सने लंड को दीदी की चूत की फांकों में लगा कर एक झटका दे मारा. मेरा लंड का सुपारा दीदी की चुत में चला गया.
दीदी चिल्लाने लगी और कहने लगी- आह माँ मर गई… भाई जल्दी से बाहर निकालो… बहुत दर्द हो रहा है.
मैंने अपनी सगी बहन की कुछ ना सुनी और लंड को उसकी चुत में पेले रहा. अगले पल मैं एक और तेज झटका मारा और मेरा खड़ा लंड बहन की चुत में घुसता चला गया. मैं लंड को उसकी चुत में डाल कर कुछ देर रुक गया. कुछ देर बाद दीदी को भी आराम मिला और वो अपने चूतड़ों को हिलाने लगी. मैं समझ गया कि दीदी को भी मजा आने लगा है. मैं अपने लंड को उसकी चुत में आगे पीछे करने लगा.
अब दीदी भी अपनी गांड उठाते हुए चुदाई का मजा ले रही थी. दीदी कहने लगी- आह आज अपनी बड़ी बहन की चुत को छोटा भाई चोद रहा है… आह कितना मजा आ रहा है आह्ह… और चोद दे… अपनी दीदी की चुत चोद दे…
यह सुनकर मुझे भी जोश आ गया और मैं दीदी को जमकर चोदने लगा. उसकी चुत से पच पच की आवाज आ रही थी और पूरे कमरे में गूँज रही थीं. मैं उसको बिना रुके हचक के चोदा.
दीदी के मुँह से लगातार ‘आह… आहहह…’ की आवाज निकल रही थी. तभी अचानक दीदी का शरीर अकड़ने लगा. मैं समझ गया कि दीदी झड़ने वाली है. थोड़ी ही देर में दीदी की चुत से पानी निकल गया. मैं अभी भी दीदी को चोद रहा था. थोड़ी देर में दीदी फिर से जोश में आ गई और चुत की रगड़ाई करवाने लगी.
कुछ देर बाद मैंने दीदी से कहा- दीदी मैं जाने वाला हूं.
दीदी ने कहा- आह… मेरी चुत में ही धार मार दे… मैं तेरे माल को चुत में लेना चाहती हूं.
थोड़ी देर में दीदी और मैं दोनों साथ में झड़ गए.
दीदी मुझे चूमते हुए बोली- भाई तूने मेरी चुत चुदाई करके मेरी बरसों की प्यास बुझा दी. न जाने कब से भाई बहन की चुदाई की कहानी पढ़ कर तेरे लंड से चुदने का मन बनाया हुआ था.
अब मुझे समझ आया कि दीदी का मन मेरे साथ चुदाई का क्यों बन गया था.
चुदाई के बाद अब भी हम दोनों एक दूसरे से चिपके हुए इधर उधर की बातें करने लगे. थोड़ी देर बाद हम दोनों फिर से चुत चुदाई के लिए तैयार हो गए. हम दोनों ने फिर से चुत चुदाई का खेल शुरू किया.
उस रात हम दोनों ने चार बार चुदाई की और फिर कब आंख लग गई, पता ही नहीं चला.
इसके बाद तो जब तक मम्मी वापस नहीं आईं, हमारा चुदाई का खेल भाई बहन का सेक्स चलता रहा और अभी भी चल रहा है. मैंने दीदी की गांड को भी चोदा है.

0 Comments