Header Ads Widget

Ticker

10/recent/ticker-posts

पड़ोसन भाभी ने अपनी बहन की चूत दिलायी

 


 पिछली सेक्स कहानी


से आगे की घटना लेकर फिर से हाजिर हूं. पिछली कहानी में आपने पढ़ा था कि मैंने अपनी पड़ोसन भाभी को पहले पटाया और फिर उसकी चूत भी चोद दी. पड़ोसन भाभी की चुदाई के बाद वो पेट से हो गयी. उनके पति यानि कि मेरे भैया को लगा कि जो बच्चा भाभी के पेट में है वह उन दोनों का ही है लेकिन वो बच्चा मेरा और भाभी का था. भैया को हमारी चुदाई के बारे में नहीं पता था.

कुछ दिन के बाद भैया को फिर से गुजरात जाना पड़ा और भाभी की देखभाल की जिम्मेदारी अब मेरे ही कंधों पर थी. मुझे परेशान होता देख भाभी ने कहा- जब मजा लिया है तो अब सजा भी मिलेगी.
मैंने कहा- आपके लिए हर सज़ा मंजूर है.

अब आगे की कहानी …

मैं भाभी की देखभाल करने लगा. इसी तरह समय बीत गया और 9 महीने के बाद भाभी ने एक बहुत सुंदर से बच्चे को जन्म दिया. भाभी को लड़का हुआ था. हम सब खुश हो गये. बच्चे के जन्म पर भैया और मैंने बहुत मिठाई बांटी. भैया नहीं जानते थे कि ये बच्चा मेरा है.

अब भैया अस्पताल में रहते थे और मैं अपने ऑफिस में होता था. बीच बीच में मैं अपने बेटे को भी देखने के लिए आ जाता था.
भैया ने एक दिन कहा- शुभम मेरी एक हेल्प और कर दो. मैं जिन्दगी भर तुम्हारा अहसान नहीं भूलूंगा.

मैंने कहा- भैया इसमें अहसान की कोई बात नहीं है, आप कहिये कि क्या काम है?
भैया ने कहा- तुम्हारी भाभी को अभी 2 दिन हो चुके हैं लेकिन अभी 2-3 दिन अस्पताल में ही रहना होगा. क्या तुम रात में इसकी देखभाल के लिए रुक सकते हो? रात में तुम रुक जाना और फिर सुबह मैं आ जाऊंगा. मुझे रात में काम पर जाना पड़ रहा है.

भैया को मैंने हां कर दी. उस दिन मैं शाम को 7 बजे ही अस्पताल पहुंच गया. मुझे देख कर भाभी खुश हो गयी. मेरे जाने के बाद भैया वहां से आ गये. उसके बाद भाभी और मैं बातें करने लगे.

भाभी ने कहा- एक बार अपने बेटे को गोद में तो ले लो.
जब भाभी ने उसे मेरा बेटा कहा तो मुझे बहुत खुशी हुई. मैंने अपने बेटे को गोद में लेकर खूब खिलाया.
भाभी बोली- थैंक्स शुभम, जो तुमने मुझे इतनी बड़ी खुशी दी.
मैंने कहा- ये तो मुझे बोलना चाहिए. खुशी तो आपने मुझे दी है.

फिर मैं बोला- भाभी, मेरा मन आपका दूध पीने का कर रहा है. आपकी दूध से भरी हुई चूचियां देख कर मुझसे रुका नहीं जा रहा.
वो बोली- मैं पिला तो दूंगी लेकिन यहां पर कैसे होगा.
मैंने कहा- मेरे पास एक तरीका है. आप बाथरूम में जाओ और वहां से अपना दूध निकाल कर ले आओ.

मेरे कहने पर भाभी अंदर गई और अंदर जाकर एक कटोरी में अपना दूध निकाल कर ले आई. मैंने दूध पीया जो काफी मीठा था.
मैंने भाभी से कहा- आप नहीं पीओगी क्या?
वो बोली- नहीं, तुम ही पीयो, मैं घर जाने के बाद तुम्हारा दूध पी लूंगी.
ये सुन कर हम दोनों हंसने लगे.

तभी भाभी ने कहा- शुभम, बहुत दिनों से मुझे तुम्हारे लंड की महक नहीं मिली है. तुम्हारे लंड को चूसने का बहुत मन कर रहा है.
मैंने कहा- यहां पर लंड तो चुसवाना ठीक नहीं है लेकिन उसकी महक जरूर दे दूंगा मैं आपको.

मैं बाथरूम में गया और अपने लंड को रुमाल से पोंछा. मैंने अपनी लंड की महक रुमाल में ली और फिर बाहर आकर वो रुमाल भाभी को दे दिया. भाभी ने मेरे लंड की महक को रुमाल से लिया.

भाभी बोली- अब तो मेरा मन तुम्हारे लंड का पानी पीने का कर रहा है.
मैंने मना कर दिया ये कह कर कि अभी आपको बच्चा पैदा हुआ है. अगर आप मेरे लंड का पानी पिओगी तो कहीं बच्चे पर कुछ असर न हो जाये. इसलिए लंड का पानी मैं आपको बाद में पिला दूंगा.

भाभी मेरी बात मान गयी. उसके बाद हम दोनों बातें करने लगे. सेक्स के बारे में भी बातें होने लगीं.
भाभी बोली- डॉक्टर ने दो महीने तक सेक्स करने के लिए बिल्कुल मना कर दिया है. लेकिन मैं तुम्हें अपनी बहन की चूत दिलवा दूंगी.
मैंने कहा- नहीं भाभी, मैं आपके सिवाय किसी और की चूत में अपना लंड नहीं दूंगा.

मेरे मना करने पर भाभी ने हम दोनों के बच्चे की कसम दिलवा दी और बोली- तुमको मेरी बहन की चुदाई करनी ही होगी.
भाभी ने कहा- मेरी बहन बहुत बड़ी रंडी है. उसको अपनी चूत में लंड चाहिए ही होता है. मैं तुम्हारे लंड से उसको चुदवा कर रहूंगी.
भाभी के जोर देने पर मैंने भी हां कर दी.

जब तक भाभी अस्पताल में रही तब तक मैं भी उनके साथ ही रहा. रोज रात को भाभी मुझे अपनी दूध पिलाया करती थी. मैं भी अपने लंड की महक रोज भाभी को दिया करता था.

घर आने के पहली रात को अस्पताल में मैं भाभी के साथ था. बच्चा और भाभी दोनों ही सो गये थे. मुझे नींद नहीं आ रही थी. मैं भाभी की ओर देख रहा था. उसकी चूचियां बहुत मोटी हो गयी थीं. उनमें दूध भरा हुआ था. मेरा मन भाभी की चूची का दूध पीने के लिए कर गया.

मैंने धीरे से भाभी की चूचियों को दबाना शुरू कर दिया. जैसे ही मैंने चूची को दबाया तो उनकी चूची से दूध निकलने लगा. भाभी एकदम से जाग गयी.
वो बोली- क्या कर रहे हो शुभम?

उसकी चूचियों को सहलाते हुए मैंने कहा- भाभी, मेरा मन आपकी चूची पर मुंह लगा कर दूध पीने का कर रहा है.
वो बोली- घर जाकर जितना मन कर उतना पी लेना, अभी सो जाओ.
मैंने कहा- ठीक है भाभी.
उसके बाद मैं भी सो गया.

अगले दिन भाभी को अस्पताल से छुट्टी मिल गयी. मेरा बेटा और भाभी दोनों ही घर आ गये थे. भैया भी बहुत खुश हो गये. जब भाभी घर में आई तो मैंने भाभी और अपने बेटे के ऊपर से 5100 रूपये वार कर दिये. मगर ये मैंने भैया के सामने नहीं किया. उसके बाद वो पैसे मैंने गरीबों में बांट दिये.

रात को जब भैया चले गये तो मैं भाभी के पास गया और उनसे बातें करने लगा.
मैंने कहा- आज तो अपनी चूची का दूध पिला दो भाभी. मुझे आपकी चूची पर मुंह लगा कर आपका दूध पीने का बहुत मन कर रहा है.

मेरे कहने पर भाभी तैयार हो गयी. मैंने अपने मुंह को भाभी की बड़ी सी चूची पर लगा दिया. उनके निप्पल भी एकदम से फूले हुए थे. मोटे अंगूर के दाने के जैसे निप्पल एकदम से नर्म और मुलायम थे जिनमें दूध भरा हुआ था. उनको देख कर ही मेरे मुंह में पानी आ रहा था.

मुंह लगा कर मैं भाभी की एक चूची का दूध पीने लगा. भाभी के मोटे चूचे को दबा दबा कर मैं उसकी चूची का दूध पी रहा था. भाभी का दूध बहुत ही मीठा था. मैंने एक चूची का दूध पूरा पी लिया. उसके बाद मैं दूसरी चूची पर मुंह लगाने लगा. मगर भाभी ने मुझे रोक दिया.

वो बोली- सारा खुद ही पी लोगे क्या, अपने बेटे के लिए भी कुछ छोड़ दो!
फिर मैंने दूसरी चूची का दूध नहीं पीया.
भाभी बोली- शुभम बहुत दिन हो गये हैं, मैंने तुम्हारे लंड को मुंह में नहीं लिया. मैं तुम्हारे लंड को मुंह में लेकर चूसना चाहती हूं.

मैंने कहा- ठीक है. मगर लंड चूसने को ही मिलेगा. लंड का पानी नहीं मिलेगा. जब मेरे लंड से पानी निकलने को होगा तो मैं बता दूंगा और आप लंड को बाहर निकाल देना. पानी को मुंह में नहीं पीना.
भाभी बोली- ठीक है.

लंड चुसवाने के ख्याल से मेरा लंड भी खड़ा हो रहा था. मैंने अपनी पैंट की चेन खोल ली. अंदर हाथ डाल कर मैंने लंड को बाहर निकाल लिया. मेरा लंड आधा उठा हुआ था.

भाभी ने मेरे लंड को प्यास भरी नजर से देखा और उस पर एक किस कर दी. मुझे मजा आ गया. उसके बाद भाभी ने मेरे लंड को अपने गर्म गर्म मुंह में ले लिया और मजे से उसको चूसने लगी. जल्दी ही मेरा लंड लोहे की तरह सख्त हो गया. बीच बीच में भाभी मेरे लंड पर दांत भी गड़ा रही थी.

तेजी के साथ भाभी मेरे लंड को चूसती रही. भाभी के द्वारा मस्ती में लंड चूसने के कारण पांच मिनट के अंदर ही मेरा पानी निकलने को हो गया. मैंने भाभी से लंड को बाहर निकालने के लिये कहा. मगर भाभी मेरे लंड को नहीं छोड़ रही थी और चूसे जा रही थी.

जब मेरा वीर्य बिल्कुल निकलने ही वाला था तो मैंने जबरदस्ती भाभी के मुंह से लंड खींच कर निकाला. लंड को निकालते हुए मेरे लंड पर भाभी के दांत भी लग गये. बाहर निकालते हुए मेरे लंड से वीर्य छूट पड़ा. मेरे वीर्य की पिचकारी नीचे फर्श पर गिरी.

नीचे गिरे हुए वीर्य को भी भाभी ने अपनी उंगली पर लगाया और अपनी उंगली को चाटने लगी. मुझे बहुत गुस्सा आया.
फिर वो बोली- सॉरी शुभम, तुम्हारा पानी पीने का बहुत मन था मेरा. इसलिए मैं खुद को रोक नहीं पाई.
मैंने कहा- ठीक है, कोई बात नहीं. लेकिन ये बच्चे के लिए ठीक नहीं है.

फिर हम दोनों ने साथ में खाना खाया. खाना खाने के बाद हम बैठ कर बातें करने लगे. उसके बाद हम साथ में लेट गये. मैंने भाभी की चूचियों पर हाथ रख लिये और उनको सहलाने लगा. मेरा बेटा बगल में ही सो रहा था.

भाभी बोली- दो दिन के बाद मैं अपनी बहन को यहां पर बुला रही हूं. तुम्हें मेरी बहन की चुदाई करनी है.
मैंने कहा- वो सब तो ठीक है, लेकिन आप अपनी बहन को मुझसे ही क्यों चुदवाना चाह रही हो और मैं तो उसको जानता भी नहीं, न ही वो मुझे जानती है, फिर कैसे होगा?

वो बोली- देखो, मेरी बहन बहुत बड़ी रंडी है. वो तुम्हारे लंड को आराम से लेकर चुद लेगी. दूसरी बात के बारे में मैं तुम्हें बाद में बताऊंगी कि क्या करना है. बस एक बार तुम उसको बाहर लेकर चले जाना. उसके बाद सब हो जायेगा.

मैंने कहा- भाभी, यदि ऐसा है तो आप अपनी बहन की शादी मुझसे ही करवा दो.
भाभी बोली- नहीं, वो तुम्हारे लायक नहीं है. मैं उसको पसंद नहीं करती हूं. तुम्हें बस उसकी चुदाई करनी है.

दो दिन के बाद भाभी ने अपनी बहन को घर पर बुला लिया. घर आते ही भाभी ने मेरा परिचय अपनी बहन के साथ करवा दिया. जिस दिन भाभी की बहन घर पर आई थी उसके दूसरे दिन भाभी के कहने पर मैंने 2 दिन की छुट्टी ले ली थी.

भैया भी गुजरात चले गये थे. वो 15 दिन के बाद आने वाले थे.
अगले दिन भाभी ने कहा- शुभम, मेरी बहन को बाहर घुमा लाओ. ये शहर देखना चाहती है.
मैंने कहा- ठीक है, मगर ये जाना कहां चाहती है घूमने के लिये, एक बार इससे पूछ तो लो?

तभी उसकी बहन ने कहा- मैंने बहुत दिनों से मूवी नहीं देखी है. आज मूवी देखने के लिए चलते हैं.
उसकी बात से मैं समझ गया कि भाभी सही बोल रही थी. भाभी की बहन पूरी की पूरी रंडी ही थी. उसके रंग-ढंग को देख कर कोई भी बता सकता था कि वो बहुत ही चुदने वाली लड़की है.

दोस्तो, भाभी की बहन का नाम तो मैं आपको बताना भूल ही गया. उसका नाम आरती (बदला हुआ नाम) था. देखने में वो काफी गोरी थी, मगर बहुत ही चालू लड़की थी.

आरती का फिगर 36-38-42 का था. एकदम से तने हुए चूचे और बड़ी सी गांड. उसकी गांड को देख कर तो किसी का लंड भी खड़ा हो सकता था. चोदने के लिए भाभी की बहन बहुत ही मस्त माल थी.

वो भी मेरी पूरी बॉडी को ऊपर से नीचे तक देख रही थी. पहले दिन जब वो घर में आई थी तो तब से ही उसकी नजर मेरी पैंट की जिप पर रहती थी. कई बार मैंने उसको ऐसा करते हुए देखा था.

मैं तभी समझ गया था कि वो पहले से ही चुदने के लिए तैयार है. जैसा कि भाभी ने बताया था कि उसकी बहन की चूत में बहुत खुजली होती है. इसलिए वो लंड लेने के लिए कोई शायद ही छोड़ती होगी.


आरती और मैं दोनों तैयार हो गये थे. मैं आरती को बाइक पर लेकर जाने वाला था. हम दोनों नीचे आ गये. मगर मैं अपने हेलमेट को ऊपर ही भूल गया. मैंने आरती से कहा कि तुम 2 मिनट रुको, मैं ऊपर से हेलमेट लेकर आता हूं.
वो बोली- ठीक है, जल्दी आना.

मैं ऊपर गया तो भाभी अपने कमरे में आराम कर रही थी.
भाभी मुझे देख कर बोली- शुभम, आज तुम्हें किसी भी तरह इसकी चुदाई करनी ही है.
मैंने कहा- ठीक है भाभी, आज मैं आपकी बहन चोद दूंगा.
वो मेरी बात पर हँस पड़ी.

भाभी के होंठों पर मैंने अपने होंठ रख दिये और उनको लिप किस करने लगा. फिर मैंने भाभी की चूची को नंगी किया और उसके बूब्स पर मुंह लगा कर दूध पीने लगा. तभी नीचे से आरती आवाज देने लगी. मैं फिर भाभी को हग करके नीचे आ गया.

नीचे आते ही आरती बोली- बहुत टाइम लग गया हेलमेट लाने में?
मैंने कहा- क्या करता, हेलमेट मिल ही नहीं रहा था. बहुत ढूंढने के बाद मिला.
वो बोली- ठीक है. अब चलो. जल्दी चलो, नहीं तो मूवी छूट जायेगी.
मैंने बाइक निकाली और आरती दोनों ओर पैर करके बैठ गयी जैसे लड़के लोग बैठा करते हैं.

हम दोनों निकल लिये. रास्ते में थोड़ी दूर चलने पर ही आरती मेरी पीठ से चिपकने की कोशिश करने लगी. जैसे ही ब्रेक लग रहा था वो मेरी पीठ से चिपक रही थी.

उसकी चुदास समझ कर मैंने भी बाइक को जानबूझकर गड्ढे में से निकालना शुरू कर दिया. जैसे ही गड्ढे से बाइक निकलती तो आरती की चूचियां मेरी पीठ से सट जाती थीं. वो भी अपनी चूचियों को मेरी पीठ से रगड़ने का कोई मौका नहीं छोड़ रही थी.

मेरा लंड खड़ा हो चुका था. मन कर रहा था कि उसको रास्ते में ही चोद दूं लेकिन बीच सड़क में चुदाई नहीं हो सकती थी.
फिर वो बोली- ऐसे गड्ढे से बाइक मत निकालो, वरना मैं ऐसे ही चिपकती रहूंगी.
मैंने कहा- अगर तुम पहले ही चिपक जाती तो मुझे इस तरह गड्ढे से बाइक निकालने की जरूरत ही नहीं पड़ती.

यह सुनकर आरती ने अपनी छाती को मेरी पीठ से चिपका लिया. वो पूरी तरह से मेरी पीठ से अब सट कर बैठ गयी. मैं समझ गया कि ये लाइन पर आ गयी है.

जल्दी ही हम लोग मॉल में पहुंच गये. हमने गाड़ी को पार्किंग में लगा दिया. उसके बाद ऊपर गये और मूवी की टिकट लेने लगे.
मैंने पूछा- टिकट कौन सी सीट की लेनी है, आगे की या पीछे कोने वाली सीट की?
वो बोली- पीछे कोने वाली सीट की.
मैं मुस्करा दिया.

हम लोग अंदर जाकर बैठ गये. बैठ कर बातें करने लगे. मूवी अभी शुरू नहीं हुई थी.
मैंने आरती से पूछा- तुम्हें मैं पसंद आ गया क्या जो मेरे से इस तरह चिपक रही थी?

पहले तो उसने कुछ जवाब नहीं दिया, फिर वो बोली- हां. मुझे तो अच्छे लगे लेकिन तुम्हें मैं अच्छी लगी या नहीं ये मुझे नहीं पता.
मैंने कहा- अगर तुम मुझे अच्छी नहीं लगी होती तो मैं तुम्हें मूवी दिखाने के लिए नहीं लेकर आता.
मेरी बात पर वो मुस्करा गयी.

उसके बाद हम लोग मूवी देखने लगे. मूवी को लगे हुए काफी टाइम हो गया था. कम लोग ही आये हुए थे. हमने आसपास देखा तो कोई नहीं था. दूसरी तरफ कोने में दो कपल ही बैठे हुए थे.

मूवी के दौरान मैं कभी उसको किस कर देता तो कभी उसकी चूचियों को छेड़ देता. वो दिखावटी सा नखरा कर रही थी लेकिन रोक नहीं रही थी. फिर मैंने उसकी टीशर्ट में हाथ डाल दिया.

उसकी चूचियों को जोर से दबाने लगा. उसके मुंह से सिसकारियां निकल रही थीं जिनको वो कंट्रोल करने की कोशिश कर रही थी. मैंने उसकी टीशर्ट को बिल्कुल ऊपर कर दिया और उसकी ब्रा को भी ऊपर करके उसकी चूचियों को मुंह में लेकर पीने लगा.

वो मेरे बालों को सहलाने लगी. अंधेरे सिनेमा हॉल में लड़की की चूचियों को पीने का अलग ही मजा आ रहा था. मैंने उसकी जीन्स की ओर हाथ बढ़ाये तो वो रोकने लगी.
मैंने कहा- जीन्स ढीली करो.

उसने जीन्स का बटन खोल दिया. मैंने अंदर हाथ देकर उसकी चूत में उंगली दे दी. साली की चूत पहले से ही बहने लगी थी. वो एक नम्बर की चुदक्कड़ लड़की थी. अब मुझे शिवानी भाभी की बात का पूरा यकीन हो गया था.

मैं उसकी चूत के पानी को अपनी उंगली से निकाल कर चाट रहा था. कुछ देर तक मैंने ऐसे ही उसकी चूत में उंगली डाल कर उंगली को चाटा. उसके बाद मैंने उसको जीन्स सही करने के लिए कहा.

उसने जीन्स ऊपर कर ली. फिर मैंने उसको अपने पैरों में बैठने के लिए कहा. वो एक बार कहते ही मेरे पैरों में आकर बैठ गयी. मैंने उसको अपनी जीन्स की जिप खोलने के लिए कहा तो उसने जिप भी खोल दी.

फिर उसने अंदर हाथ डाल दिया. मेरा लौड़ा तना हुआ था. मैंने लंड को बाहर करने के लिए कहा. उसने मेरे लंड को पकड़ कर बाहर निकाल लिया. मैंने उसको लंड चूसने के लिए कहा तो उसने एक बार में ही मेरा लंड पूरा मुंह में ले लिया.

वो तेजी से मेरे लंड को चूसने लगी. पूरा लंड मुंह में लेकर वो मस्ती से चूस रही थी. साली एकदम से रंडी की तरह चूस रही थी. उसको लंड चूसने का बहुत एक्सपीरियंस था. बहुत सारे लंड चूस चुकी होगी ऐसा लग रहा था उसकी चुसाई को देख कर.

उसके द्वारा लंड चुसाई करवाने में मैं 5 मिनट भी नहीं टिका और मैं उसके मुंह में ही झड़ गया. वो मेरे लंड का पूरा पानी पी गयी. उसने मेरे लंड को जीभ से चाट चाट कर साफ कर दिया.

तब तक इंटरवल का टाइम होने वाला था.
मैंने कहा- जब तक इंटरवल हो, तुम बाथरूम में जाकर अपनी ब्रा और पैंटी उतार लाना. उतार कर बैग में रख लेना.
उसने वैसा ही किया.

इंटरवल के दौरान वो ब्रा और पैंटी को उतार कर आ गयी. मैंने पहले उसकी चूचियों को पीया और फिर उसकी चूत को चाटने की कोशिश की लेकिन सीट के आगे जगह कम थी इसलिए चूत चाटने का हो नहीं पाया.

फिर मैं दोबारा से उसकी चूचियों पर लग गया. उसकी चूचियों को खूब दबाया और मसला. वो सिसकार रही थी लेकिन मूवी की आवाज में किसी को पता नहीं लग रहा था. अब मैं उसकी चूत मारना चाह रहा था.
मैंने कहा- चलो घर चलते हैं. वहां पर मस्ती करेंगे.
वो बोली- घर पर तो दीदी है, वहां कैसे होगा?
मैं बोला- तुम बहाना मार कर मेरे रूम में आ जाना. किसी को कुछ पता नहीं चलेगा.

आरती तैयार हो गयी अपनी चूत चुदवाने के लिए. हम दोनों जल्दी से घर वापस आ गये. घर आकर मैंने शिवानी भाभी को सारी बात बताई.
भाभी बोली- बहुत अच्छे, अब उसकी चूत को जमकर चोदना. उसकी चूत को फाड़ देना.
मैंने कहा- हां भाभी, उसकी चूत की प्यास को बुझा दूंगा मैं आज.

फिर मैं अपने रूम में आ गया. थोड़ी देर के बाद मैं भाभी के पास गया. आरती भी वहां बैठी थी.
मैंने नाटक सा करते हुए भाभी से कहा- मैं और आरती मेरे रूम में कुछ बातें करने के लिए जा रहे हैं.
भाभी बोली- ठीक है. कर लो.

भाभी को पता था कि उसकी बहन की चुदाई का प्लान बन चुका है. मैं और आरती रूम में आ गये. हमने दरवाजे को लॉक किया और एक दूसरे के ऊपर टूट पड़े. दो मिनट में ही हमने एक दूसरे को पूरा नंगा कर दिया.

मैंने आरती की टांगों को फैला दिया और उसको बेड पर लिटा कर उसकी चूत में मुंह दे दिया. उसकी चूत पहले से ही पानी छोड़ कर गीली हो गयी थी. मैंने पूरी जीभ भाभी की बहन की चूत में दे दी और तेजी से उसको चोदने लगा.

कुछ ही देर में आरती की चूत ने पानी छोड़ दिया. उसके बाद वो मेरे लंड को चूसने लगी और पांच मिनट में ही उसने मेरे लंड का पानी निकलवा दिया जिसे वो अंदर मुंह में ही पी गयी. फिर हम दोनों शांत लेट गये.

थोड़ी देर एक दूसरे के नंगे जिस्मों को सहलाने के बाद दोनों फिर से गर्म हो गये. मैंने अपने लंड पर कॉन्डम लगा दिया और आरती की चूत चोदने लगा. मेरे लंड के तेज धक्कों से उसकी तेज चीखें निकलने लगीं. मैंने उसको आवाज कम करने के लिए कहा. वैसे भाभी को पता था कि उसकी बहन अंदर कमरे में चुदने के लिए गयी है.

दस मिनट की चुदाई में आरती एक बार फिर से झड़ गयी. फिर मैं भी झड़ गया. उसके बाद वो कपड़े पहन कर चली गयी. जाते हुए मैंने उसको बोला कि रात को भैया-भाभी के सोने के बाद आना. वो हां करके चली गयी.

भाभी के पास जाकर मैंने उनको बताया कि उनका काम हो गया है. मेरी बात सुनकर भाभी खुश हो गयी.
मैंने कहा- वो रात में फिर से चुदने के लिए आयेगी.
भाभी बोली- ठीक है, मैं तुम्हारे भैया को पता नहीं लगने दूंगी. वैसे वो रात में नहीं रहेंगे. तुम आराम से उसकी चूत चोदना.

रात को 12 बजे आरती मेरे रूम में आयी. उस रात मैंने तीन बार उसकी चूत चोदी. तीन दिन तक आरती की चुदाई चलती रही. भाभी को सब पता था कि उसकी चुदाई कैसे हो रही है.
एक दिन भाभी बोली- शुभम, मेरा मन तुम्हारा माल पीने के लिये कर रहा है. तुम एक कॉन्डम में अपना माल भर कर दे दो.

मैंने वैसा ही किया. भाभी को कॉन्डम में वीर्य भर कर दे दिया.
मैंने पूछा- आपने क्या किया उस पानी के साथ?
भाभी बोली- बाद में बताऊंगी.

चौथे दिन आरती अपने घर जाने लगी. जाने से पहले वो मेरे रूम में मिलने के लिए आयी. हम दोनों बातें करने लगे.
आरती बोली- मैं आपको बाद में घर जाकर कॉल करूंगी.
मैंने कहा- ओके, मुझे तुम्हारे फोन का इंतजार रहेगा.

मैं बोला- एक बार जाते हुए प्यार नहीं करोगी?
वो बोली- अगर दीदी आ गयी तो?
मैंने कहा- तुम्हारी दीदी को मैं कह कर आता हूं कि आरती के साथ मैं कुछ बात कर रहा हूं.

ये बोल कर मैं शिवानी भाभी के पास गया और उनसे कहा कि मैं आपकी बहन की चुदाई करके थोड़ी देर में वापस भेज रहा हूं.
भाभी बोली- ठीक है, लेकिन आज उसको ऐसे चोदना कि उसको चलने में भी दिक्कत हो जाये.
मैंने कहा- ठीक है.

उसके बाद मैं रूम में आ गया. मैंने आते ही आरती के कपड़े उतार दिये. उसको नंगी कर दिया. नंगी करने के बाद मैं उसकी चूचियों को पीने लगा. उसके बूब्स को काटने लगा. वो मस्ती में हो गयी. उसके बाद मैंने उसकी चूत में उंगली दे दी.

आरती ने मुझे नीचे बेड पर लिटा लिया और मेरे लंड को चूसने लगी. पांच मिनट तक उसने मेरे लंड को बहुत मस्ती में चूसा. फिर मैंने उसकी चूत में जीभ से चाटा और वो झड़ गयी.

उसके बाद मैंने अपने लौड़े पर कॉन्डम लगा दिया. मैंने उसकी चूत में लंड डाला और जोर से चोदने लगा. अबकी बार मैंने उसको बहुत जोर से चोदा.
वो चिल्लाने लगी- आआआ … आह्ह … लग रहा है अंदर, आराम से करो, आई … ईईई … आह्ह … आराम से करो शुभम।

मैंने उसकी नहीं सुनी. मैं उसकी चूत को उतनी ही स्पीड से चोदता रहा. 20 मिनट तक मैंने उसकी चूत को खूब चोदा बिना रुके हुए. फिर हम दोनों एक साथ झड़ गये.

कॉन्डम मेरे वीर्य से भर गया था. मैंने लंड को बाहर निकाल लिया. मैंने उसको वीर्य से भरा कॉन्डम दिया और उसको पीने के लिए कहा. वो मेरे माल को पी गयी.

फिर वो उठने लगी.
मैंने कहा- जान… एक बार गांड भी चोदने दो.
वो बोली- अब जब मैं दोबारा आऊंगी तब चोद लेना.
मैंने कहा- ठीक है.
वो फिर बाथरूम में गयी साफ करने के लिए.

उसके बाद वो तैयार होकर जाने लगी.
मैंने कहा- मैं तुम्हें बस डिपो तक छोड़ देता हूं.
वो बोली- ठीक है चलो. हम दोनों साथ में गये और मैं उसको छोड़ कर आ गया.

आते ही मैं भाभी के पास गया.
भाभी बोली- जी भर कर चोद दिया न उसको?
मैं बोला- हां भाभी, जैसे आपने कहा था वैसे ही चोद दिया आपकी बहन को. मगर आपने ये चुदाई करवाई क्यों?
वो बोली- जब रात में साथ में सोयेंगे, तब बताऊंगी.

फिर मैंने कहा- भाभी, बहुत थकान हो रही है. अपना दूध पिला दो.
भाभी ने अपनी चूची खोल दी. मैं भाभी की चूची पीने लगा. मैं भाभी का दूध पीया और थोड़ी ताकत मिली.

भाभी की चूची पीकर मैं जाने लगा तो भाभी बोली- अपना माल तो पिला दे!
मैंने कहा- अभी तो बहुत थका हुआ हूं. आपकी बहन भी दो बार पी गयी. अभी और नहीं बचा है. रात में पिला दूंगा.
वो बोली- ठीक है.

वहां से जाकर मैं अपने रूम में जाकर सो गया. उसके बाद रात को 8 बजे मेरी नींद खुली.
मैं उठा और फ्रेश हुआ. भाभी अपने बेटे के साथ खेल रही थी. मैं भाभी के पास गया.

उसके बाद भाभी ने हमारे बेटे को मुझे दे दिया और किचन में चली गयी. खाना खाने के बाद हम दोनों साथ में लेट गये.
मैंने भाभी की चूचियों को छेड़ते हुए पूछा- अब बताओ भाभी कि आपने अपनी बहन की चुदाई मेरे से क्यों करवाई?

भाभी बोली- उसकी चूत मैंने इसलिए चुदवाई क्योंकि उसने मेरी जिंदगी खराब की है.
मैंने कहा- वो कैसे?
भाभी बोली- मैंने इसको तुम्हारे भैया के साथ दो बार सेक्स करते हुए देखा है. उस दिन के बाद से मुझे ये पसंद नहीं है. इसीलिये मैं इसको यहां नहीं बुलाती हूं.

वो बोली- जीजा-साली की चुदाई एक साथ मिलते ही शुरू हो जाती है. अब भी मैंने इसको तुम्हारे भैया कि गैरमौजूदगी में बुलाया है. अगर वो होते तो मैं इसको नहीं बुलाती. ये अपने जीजा के लंड को भी चूत में ले जाती है. मुझसे ये बर्दाश्त नहीं होता है.

इतना कहते हुए भाभी रोने लगी. मैंने भाभी को चुप करवाया. उसके बाद मैंने भाभी को लिप किस किया. हम दोनों गर्म हो गये. मैंने भाभी की चूची नंगी कर ली और पीने लगा.

भाभी ने मेरे लंड को पकड़ लिया और मुठ मारने लगी. मैं भाभी की चूची चूस रहा था और वो मेरे लंड को रगड़ रही थी.
फिर शिवानी भाभी ने मेरे लंड को मुंह में ले लिया और चूसने लगी. दस मिनट तक भाभी ने मेरे लंड को मजे से चूसा.

मैं भाभी के मुंह में ही झड़ गया. भाभी मेरे माल की बूंद-बूंद पी गयी. उसके बाद हम दोनों लेट गये.
मैंने भाभी की चूत को छेड़ना शुरू कर दिया. फिर उसकी चूत को चाटते हुए मैंने कहा- भाभी मुझे आपकी रबड़ी पीना है.
वो बोली- बाद में पी लेना. अब मैं थक रही हूं.

उसके बाद हम दोनों साथ में लिपट कर सो गये. फिर अगले दिन भैया भी घर आ गये. उसके बाद रोज का वही रुटीन हो गया. अब भैया के सामने कुछ नहीं हो पाता था. मैं अपने ऑफिस चला जाता था और भाभी हमारे बेटे के साथ बिजी हो जाती थी.

Post a Comment

0 Comments