नमस्कार जी, मैं रविराज उर्फ़ राज और एक देसी पोर्न कहानी के साथ हाजिर हूँ.
मैं आप सभी की पसंदीदा वेबसाईट के लिए बहुत सारी सच्ची चुदाई की कहानी भेजना चाहता हूँ.
मैं बहनचोद रविराज हूँ.. हां बिल्कुल सही पढ़ा है आपने कि मैंने खुद को बहनचोद लिखा है.. दरअसल ये मेरे लिए एक गाली न होकर मेरी योग्यता को दर्शाने के लिए लिखा है.. आज मैं आप सभी के लिए एक नई पोर्न कहानी के साथ आया हूँ. मैं उम्मीद करता हूँ कि आपको मेरी ये देसी पोर्न कहानी बहुत पसंद आएगी.
मैं इस वेबसाईट का बहुत पुराना पाठक हूँ.. और इधर मुझे मेरी आपबीती आपके साथ शेयर करने का मौका मिला है, इसलिए मैं इस साईट का बहुत शुक्रगुजार हूँ.
ये कहानी कोई कहानी नहीं.. बल्कि मेरे साथ घटी हुई सच्ची घटना है. आप सब भाई लोग अपना लंड अपने हाथ में ले लें और अगर लड़की, भाभी या आंटी हैं तो चूत में उंगली घुसा लें और कहानी को ध्यान से पढ़ें.
मैं बहुत बड़ा चुदक्कड़ हूँ.. और मेरी चुदाई की शुरूआत मेरी अपनी बहन स्वाति से हुई थी. मैंने अपनी बहन को चोदा, मुझे मेरी बहन ने चोदना सिखाया है. आपको बता दूँ कि मेरी दो बहनें हैं और दोनों भी बड़ी चुदक्कड़ हैं. वो दोनों हर रात मुझसे चुदवाती थीं. मेरा एक भी दिन उन्हें चोदे बगैर नहीं जाता था. इस सबके अलावा और एक बात है कि हर दीवाली को मेरी मौसेरी बहन सुमन भी हमारे घर आती थी, उसे भी मेरी बहन ने मुझसे चुदवा दिया था. वो भी मेरे लंड की दीवानी थी.
अब मेरी दोनों बहनों की शादी हो चुकी थी और मेरे बड़े भैया की भी छह महीने पहले शादी हो गई थी. उनकी बीवी यानि मेरी भाभी भी एकदम मेरी बहन जैसी खूबसूरत थीं. एकदम पटाखा माल. उनके बड़े बड़े मम्मे, नाजुक कमर और उनकी मस्त फ़िगर देखकर मुझे मेरी बहन की बहुत याद आती थी.. लेकिन मैं कुछ भी नहीं कर सकता था. मेरे पास चुदाई का कुछ भी जुगाड़ नहीं था और चुत के बिना मेरा कहीं भी दिल नहीं लगता था. क्या करें, मेरे कुछ समझ में नहीं आ रहा था.
ऐसे ही दिन गुजर रहे थे. मैं हर रात चोरी से भैया भाभी की चुदाई के सीन देख कर मुठ मारके सो जाता था.
गर्मियों की छुट्टियों में मेरी महाचुदक्कड़ बहन स्वाति बहन हमारे घर कुछ दिनों के लिए आने वाली थी. मैंने माँ को बता दिया कि उसे लेने के लिए मैं ही जाने वाला हूँ. माँ को कुछ ऐतराज नहीं था. माँ ने हाँ कर दी और मेरी मम्मी ने बहन को मेरे आने की खबर दे दी. फ़िर उसी दिन मैं बहन को लेने निकल गया.
जब मैं स्वाति बहन के घर पहुंच गया तो घर पे बहन और उसकी सास, ये दोनों ही थीं. घर में इन दोनों के अलावा और कोई भी सदस्य नहीं था. घर में कोई रहे ना रहे, इससे मुझे कोई लेना देना नहीं था. मैं बहुत खुश था. मुझे देखते ही बहन पानी लेकर आ गईं. वो भी बहुत खुश दिख रही थीं. मेरे वहाँ पहुँचने से पहले ही बहन ने निकलने की पूरी तैयारी कर रखी थी. बहन ने मेरे लिए चाय बनाई. चाय पीने के बाद हम लोग निकलने को हो गए.
लेकिन उनकी सास बोलीं- क्या कर रही है तू? रवि अभी अभी तो आया है और तू सामान लेकर जा रही है. मैं तुम्हें ऐसे थोड़े ही जाने दूँगी.. पहले कुछ खाओ पियो फ़िर चले जाना.. तुम्हें मना कौन कर रहा है.
मैं मना करने लगा, लेकिन उन्होंने मेरी एक ना सुनी और फ़िर वो बाजार से कुछ लाने के लिए चली गईं.
बहन की सास के घर से बाहर जाते ही मैं बहन से लिपट गया. मैंने बहन की एक बड़ी चुम्मी ले ली और मैं बहन के बदन पे हाथ फ़िराने लगा. मदहोश होकर मैं बहन के बड़े बड़े मम्मे दबाने लगा. बहन की साँस फूल गई थीं, उसकी वजह से बहन के मम्मे ऊपर नीचे हो रहे थे. स्वाति बहन ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे अपने बेडरूम में ले गईं. मैंने बहन को बेड पे लिटा दिया और बहन की साड़ी ऊपर करने लगा.
बहन ने पेंटी नहीं पहनी थी, तो मैंने बहन से कहा- बहन क्या तुम पेंटी नहीं पहनती हो?
तो वो बोलीं- अरे बुद्धू तुम आने वाले हो, ये बात मुझे मालूम थी ना, इसलिए तुम्हारे स्वागत के लिए निकाल रखी है. फ़िर बहन ने मेरा हाथ अपनी चुत पे रख दिया और मुझे अपने ऊपर खींच कर मुझे चूमने लगीं.
मैं बहन के पैरों के बीच में बैठ गया और उनके पैरों को फैला दिए, उनकी चूत को अपने हाथ से फैला कर उसकी चूत के अन्दर वाले हिस्से को देखने लगा.
तो बहन सीत्कार भरते हुए बोलीं- आज इस चूत की गर्मी बुझा दो. मेरी चूत का कचूमर बना दो. आआअहह.. चोदो आआ अहह आहआ आअहह..
मैं बहन की चुत पर उंगलियां घुमा रहा था और एक हाथ से बहन के मम्मे दबा रहा था. जब मैं और तेज़ दबाने लगा. स्वाति बहन तेज़ आहें भरने लगीं- उम्म्ह… अहह… हय… याह… अह्ह.. आआह.. उह्ह्हु.. अहह!
फिर मैं बहन के एक मम्मे को मुँह में लेकर चूसने लगा.
मैं बहन की साड़ी हटा कर उन्हें पूरा नंगी करना चाहता था लेकिन बहन की सासू माँ के आने का डर था.. इसलिए मैंने बहन की साड़ी उसके शरीर पे रहने दी और बहन की नंगी चुत के साथ खेलने लगा. साथ ही मैं उनके पूरे बदन पर हाथ फेरने लगा.
बहन बोलीं- रवि.. बड़ा मजा आ रहा है.
मैं बोला- अभी तो असली मजा आना बाकी है मेरी जान..
मैं उंगली से उनकी चूत के साथ खेलने लगा. फ़िर मैं बहन की चूत में लंड डालने लगा.. मुझे पता था कि दर्द नहीं होगा, क्योंकि मेरी बहन आज तक ना जाने कितने लंडों से खेल चुकी थीं. सो मैंने मेरा लंड एक्दम से बहन की चुत में से घुसा दिया. एक पल के लिए बहन का मुँह खुल गया. उन्होंने अपने होंठ काटे और लंड के मजे लेने लगीं.
मैं उनके मम्मों को अपने मुँह में भर कर चूसने लगा. इसी के साथ एक हाथ उनकी चूत के ऊपर घुमाने लगा.
अब बहन पागलों की तरह मचलने लगीं. मैं भी नीचे से उनकी कमर पकड़ कर शॉट लगाने में जुट गया और उनके उछल रहे मम्मों को हाथ से पकड़ कर मसलने लगा. चुदाई करते वक्त हम एक दूसरे को चूम रहे थे.
फ़िर मैंने पीछे से लंड को बहन की लपलप करती चूत पर लगा दिया, वो एकदम से मस्त हो गई थीं. मैं भी जोश में आ गया था. उनकी कमर पकड़ कर एक के बाद एक तगड़े शॉट लगाने शुरू कर दिए. मैंने मेरे लंड को बहन की चुत से फिर से बाहर निकाला और बहन के मुँह पर लगा दिया.
मेरे लंड को देख कर बहन बोलीं- ये पिछली बार से थोड़ा बड़ा और मोटा कैसे हो गया है?
मैं बोला- मेहनत हुई है इसके साथ..
बहन ने मेरा लंड अपनी चुत में घुसा लिया और धीरे-धीरे अन्दर बाहर करने लगीं. उनको ऐसा करते हुए बहुत मजा आने लगा और वो गांड उठा-उठा कर मेरा साथ देने लगीं. इस पोज़िशन में चोदते हुए कुछ समय हो गया था.. तो मैंने उन्हें उठाया और ड्रेसिंग टेबल के सामने ले गया. उनका एक पैर ड्रेसिंग टेबल पर रखा और एक नीचे को थोड़ा सा झुकाया और शीशे में देखते हुए उनकी चूत में लंड पेल दिया.
मुझे शीशे में उसके चेहरे के भाव और उसके हिलते हुए मम्मे नज़र आ रहे थे. इससे मेरा मजा दो गुना हो रहा था. इसी पोज़िशन में मैंने बहन को कुछ देर चोदा.
फ़िर बहन बोलीं- मैं झड़ने वाली हूँ.
अब मैं भी झड़ने के ही करीब था.. तो मैंने भी बहन से कहा- बस मैं भी झड़ने वाला हूँ.. कहाँ निकालूँ?
बहन बोलीं- चूत में ही निकाल दो.
लंड ने पानी छोड़ दिया और हम दोनों लेट गए. वो लंड को मसलने लगीं और मैं उनकी चूचियों को. वो भी पूर्ण सन्तुष्ट हो चुकी थीं और मैं भी.
हमारी चुदाई के 10-15 मिनट बाद बहन की सासू माँ चिकन ले कर आ गईं और बहन से बोलीं- जल्दी से पका दे, सब मिलकर खाना खायेंगे और फ़िर तुम लोग चले जाना.
बहन ने ‘ठीक है..’ बोला और वो चिकन पकाने लगीं.
आधे घंटे में खाना तैयार हो गया. हम तीनों ने खाना खाया और खाने के बाद हम दोनों निकल पड़े.
कुछ देर बाद बहन और मैं बस स्टॉप पर खडे थे. कुछ देर में बस आ गई. हम लोग गाड़ी में अन्दर चले गए. बहन विंडो सीट खोज रही थीं. लेकिन ऐसी कोई सीट खाली नहीं थी. एक जगह पर विंडो के पास एक हट्टा कट्टा लड़का बैठा था. उसके बाजू में दो सीट खाली थीं. लड़के की बाजू में मैं बैठ गया और मेरी बाजू में स्वाति बहन बैठ गईं. बस चालू हो गई.
अब तक सब कुछ ठीक था. थोड़ी देर बाद अगला स्टॉप आ गया. वहाँ पर गाड़ी में गर्दी हो गई. बहन की बाजू में कुछ आवारा टाईप के लड़के आ कर रुक गए. जैसे ही गाड़ी चालू हुई, ये लड़के बहन को छेड़ने लगे. ये बात मेरी समझ में आ गई और मैंने स्वाति बहन को मेरे और मेरे बाजू वाले लड़के के बीच में बिठा दिया. ऐसे ही कुछ टाईम बीत गया
कुछ देर बाद मैंने देखा बाजूवाले लड़के का हाथ मेरी बहन के हाथ पर रखा था. मुझे लगा शायद गलती से हो गया होगा. इसलिए मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया और वैसे भी बहन को मैंने चोद कर संतुष्ट भी कर दिया था. इसलिए उन दोनों के बीच कुछ गलत होगा, ऐसा मुझे नहीं लगा.
कुछ देर बाद मैंने देखा वो लड़का मेरी बहन की जांघ पर हाथ फ़िरा रहा था और बहन मजे ले रही थीं. कुछ देर बाद बहन ने ठंडी का बहाना बना कर बैग में से शॉल निकलकर ओढ़ ली. बहन ने अपना पूरा बदन शॉल के नीचे ढक लिया.
मैंने मेरा एक हाथ शॉल में से अन्दर डाला और मेरी तरफ वाला संतरा दबाने लगा. लेकिन बहन ने जो ब्लाउज पहन रखा था वो बहुत तंग था, इसलिए मुझे बहन के मम्मे दबाने में दिक्कत हो रही थी.
यह बात बहन भी समझ रही थीं. तो बहन ने शॉल के अन्दर अपना ब्लाउज खोल दिया. अब बहन के बड़े बड़े मम्मे आजाद हो गए थे. मैं बड़े मजे से उनके मम्मे दबाने लगा. कुछ देर के बाद मैंने बहन का दूसरा मम्मा दबाने के लिए अपना हाथ बहन के दूसरे मम्मे पर ले गया तो मैंने महसूस किया कि बाजू वाला लड़का मेरी स्वाति बहन का दूसरा मम्मा दबा रहा था.
पल भर के लिए मुझे बहन पर बड़ा गुस्सा आया, लेकिन मैंने खुद पे काबू कर लिया. मेरी तरफ़ देखकर बहन मुस्कुरा रही थीं. मैंने उसे कुछ ना बोलते हुए बहन के मम्मे दबाना जारी रखा. कुछ देर बाद बहन ने अपनी टांगें ऊपर कर लीं. दोपहर में जब मैंने बहन को चोदा था, तब से ही उन्होंने पेंटी नहीं पहनी थी, ये बात मुझे मालूम थी. शॉल के अन्दर बहन ने अपनी साड़ी कमर तक ऊपर कर दी. अब बहन के मम्मे के साथ साथ चुत भी खुल गई थी और हम दोनों उसकी चुत के साथ भी खेल सकते थे.
मैंने अपना हाथ बहन की टांग पे रख दिया और एक उंगली बहन की चुत में अन्दर बाहर करने लगा. बाजू वाला लड़का भी जोश में आ गया और उसने भी अपनी उंगली बहन की चुत में घुसा दी.
अब मेरी बहन एक साथ दो उंगलियों से मजे लेने लगीं.
क्या बताऊं दोस्तो मुझे कितना मजा आ रहा था. एक चालू गाड़ी में मेरी सगी बहन के साथ मैं एक गैर लड़के के साथ बहन के चुत के मजे ले रहा था. दोस्तो ये कहानी नहीं है बल्कि ये एक सच्ची हकीकत है.
थोड़ी देर में गाड़ी में अंधेरा हो गया. पिछले आधे घंटे से हमारा खेल चालू था. अंधेरे का फ़ायदा लेते हुए मेरी बहन उस लड़के के लंड के साथ खेलने लगीं. गाड़ी के अन्दर की लाईट बंद थी ये हमारी किस्मत थी. मेरी बहन बाजू वाले लड़के के लंड के साथ मजे ले रही थीं. बहन का मुँह उसकी तरफ़ था, इस बात का फ़ायदा उठाते हुए मैंने बहन को थोड़ा टेड़ा किया और मेरा लंड पीछे से बहन की चुत में पेल दिया. इस फंसी सी स्थिति में लंड इतना अच्छा तो नहीं आ रहा था लेकिन एक चालू गाड़ी में अपनी सगी बहन को चोदने का मजा ही कुछ और था.
अब वो बाजू वाला लड़का बहन के मम्मे चूस रहा था.
तभी बहन का सारा शरीर अकड़ने लगा था. मैं समझ गया कि स्वाति बहन की चूत का पानी निकलने वाला है, मैंने भी अपनी गति बढ़ा दी. अब उसके मुँह से सिसकारियां निकल रही थीं.
बहन ने मुझे कस कर पकड़ लिया. इसी बीच मेरे लंड से भी गर्म वीर्य का लावा निकल कर उसकी चूत में भरने लगा. हम दोनों एक साथ झड़ गए.
इस तरह से मैंने अपनी बड़ी बहन को चोदा.
बड़े भाई के चले जाने के बाद से हमारे घर में अब मैं और मेरी माँ हम दोनों ही रहते थे. पापा तो काम के सिलसिले में पहले से ही अधिकतर समय घर से बाहर किसी न किसी दूसरे शहर में ही घूमते रहते थे.
हमारे घर में तो घर के सारे कामकाज का बोझ माँ के ऊपर आ गया था. अब मेरे माता पिता मेरी शादी के बारे में भी सोच रहे थे.
यह बात रक्षाबंधन के दिन की है. मुझे राखी बांधने के लिए मेरी दूसरी बहन नेहा अपनी ससुराल से हमारे यहाँ रक्षाबंधन के एक दिन पहले ही आ गई थी.
उस रात को दीदी का मूड सही नहीं था.. इसलिए वो जल्दी ही सो गई थीं. मैं रात भर परेशान रहा.. लेकिन कुछ न कर सका और फ़िर दूसरे दिन रक्षाबंधन का त्यौहार था.
दूसरे दिन सुबह मेरी बड़ी दीदी नेहा मुझे राखी बांधने के लिए सज धज कर तैयार थी. माँ हमारे लिए चाय बना रही थी, मैं दीवान पे बैठा था और नेहा दीदी न्यूज पेपर पढ़ रही थी. इतने में माँ को मेरी मौसी का फ़ोन आ गया कि मौसाजी की तबियत अचानक खराब हो गई थी. इसलिए माँ जल्दी ही तैयार हो कर मौसी के गाँव चली गईं. माँ के जाने के बाद हम भाई बहन दोनों ही घर में रह गए थे.
मैं नहाने के लिए बाथरूम चला गया. दो मिनट बाद नेहा दीदी बाथरूम में आ गईं और मुझसे बोलीं- क्यों रे बहनचोद.. आज तू अपने बाबूराव की मलाई मुझे नहीं खिलाएगा क्या अपनी बहाना को?
मैं बोला- मेरी प्यारी दीदी, मैं तो कल रात से ही आपकी चूत के लिए तरस रहा था.. लेकिन तुम ही नहीं आईं तो आखिर मुझे मुठ मार कर ही सोना पडा.
वो बोलीं- कल रात में मेरे सर में दर्द हो रहा था इसलिए नहीं आ सकी. लेकिन तू फ़िक्र मत कर मेरे भाई… आज मैं तेरी पूरी कसर निकाल दूंगी. तेरा जो दिल करे, कर ले मेरे साथ, मैं तुझे किसी बात से नहीं रोकूंगी… चोद ले अपनी बहन की चूत दिल भर कर!
मैं अपने कपड़े उतारने लगा. दीदी चुपचाप तमाशा देख रही थीं. मैंने पूरे कपड़े उतार दिए. अब मेरे शरीर पर सिर्फ़ अंडरवियर ही बाकी बचा थी. दीदी ने वो भी खींच कर निकाल दिया और मेरे लंड के साथ खेलने लगीं. मैं भी दीदी के मम्मों के साथ खेलने लगा.
दीदी ने बड़े गले का गाउन पहना था. मैंने ऊपर से दीदी के एक मम्मे को हाथ में लिया और मसलने लगा. दीदी आहें भरने लगीं. मुझे भी बहुत मजा आ रहा था.
मैंने दीदी का गाउन निकाल दिया. उनके बड़े बड़े मम्मे गाउन के बाहर आ गए. मेरे मुँह और लंड में पानी आ रहा था. मैंने दीदी का एक मम्मा मुँह में डाला और दूसरे को दूसरे हाथ से दबाने लगा. मैंने घूम कर उसे अपनी बांहों में जकड़ लिया. दीदी ने भी मेरे लंड को सहलाना छोड़ कर मुझे अपनी बांहों में भर लिया.
हम भाई बहन एक दूसरे को चूमने लगे. वो मदहोश हो रही थीं.
दीदी ने मुझे थोड़ा पीछे होकर नीचे बैठने को कहा, मैं पीछे हो गया और नीचे बैठ गया. अब मैं दीदी के दोनों पैरों को फैला कर उनकी जाँघों के बीच आते हुए लेट गया.
दीदी अपनी चुत को मेरे लंड पर सैट करके ऊपर बैठ गईं. मेरा लंड दीदी की चूत में टच करने लगा था. दीदी की चूत बहुत ही गहरी थी. उन्होंने मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत के छेद में घुसा लिया. दीदी की चुत गीली हो गई थी. इसलिए मेरा लंड दीदी की चुत में सटाक से चला गया.
साफ़ जाहिर था कि दीदी बड़ी चुदक्कड़ थीं, उनकी कामवासना बहुत प्रबल थी, दीदी मेरे जीजाजी के अलावा और भी कई लड़कों से वो चुदवाती रही थीं. जिस भी लड़के को या मर्द को वो देखती थीं, सबसे पहले वो उसके लंड के बारे में सोचती थीं और अगर मौका मिल जाता तो वो उससे जरूर ही चुदवा लेती थीं.
प्यारे दोस्तो, मैं एक बात बताना चाहता हूँ कि मेरा ऐसा कोई दोस्त नहीं है, जिसने मेरी नेहा दीदी को ना चोदा हो और उसके ससुराल में भी कोई ऐसा मर्द नहीं होगा, जिससे दीदी ने ना चुदवाया होगा.
अब दीदी ने अपने दोनों हाथों से मेरा सिर पकड़ कर अपने मम्मों में जोर से दबा लिया और मादक सिसकारियां लेने लगीं. मैं मजे से दीदी को चोदने लगा. मेरी दीदी मुझसे ऐसे चुदवा रही थीं कि शायद ही कोई पोर्न की हीरोईन अपने हीरो से चुदवाती होगी.
दीदी कामुकता के आवेश में बोल रही थी- राखी के दिन मेरे भैया, इस चूत लंड के रिश्ते को निभाना… चोद मेरे बही… अपनी दीदी की गर्म चूत को चोद चोद कर फाड़ दे!
तभी दीदी मेरे दोस्तों के नाम ले लेकर बोलने लगी- भाई तू आशू का बुला ले, मैं उससे गांड मरवाऊँगी… भाई तो जग्गी को बुला ले… मैं उसका लंड चूसूंगी.
मैं दीदी को धीरे धीरे चोदने लगा, वो भी अपना बड़ी सी गांड को उठा उठा कर मेरे लंड से चुदवाने लगीं.
फिर मैंने उन्हें घोड़ी बनाया और दोनों चूतड़ों को पकड़ कर फिर से उनकी चूत में लंड ठोकने लगा. कुछ देर बाद मैं नीचे लेट गया और वो मेरे लंड को अपनी चूत में फंसा कर उछल उछल कर चुदवाने लगीं. दीदी की चूचियां रबड़ की गेंदों की तरह ऊपर नीचे झूल रही थी. बीच बीच में मैं उन्हें अपने दोनों हाथों से थाम लेता और मसलने लगता.
मैंने कहा- दीदी, आज तो राखी का दिन है.
तो वो बोलीं- इसलिए तो दिन के उजाले में पूरी नंगी होकर तुमसे चुदवा रही हूँ.
मैंने अपने बहन को बांहों में ले लिया और उनके रसीले होंठों को चूसने लगा. उनकी मदमस्त चूचियों को मसलने लगा.
वो ‘आआह उम्म्ह… अहह… हय… याह… उफ़्फ़..’ कर रही थीं और बोल रही थीं- आह आज तूने खुश कर दिया, चोद दम से आह.. आज तूने अपनी बहन को खुश कर दिया, आज मुझे मेरा राखी का गिफ्ट मिल गया, मैं खुश हो गई. आह चोद और सुन, आज का पूरा दिन और पूरी रात हम दोनों को नंगा ही रहना है.
मैं बोला- तो ये राखी का उत्सव यादगार बनाना चाहती हो?
दीदी कुछ ना बोलीं.. सिर्फ़ मुस्कुरा उठीं. मैं समझ गया कि दीदी की चुत में भारी खुजली हो रही थी. दीदी मुझे उसी अवस्था में हाल में ले आईं.
अब दीदी ने मुझे सोफ़े पे बिठाया और मेरे लंड पर राखी बांधी. फ़िर अपनी चुत फ़ैला कर बोलीं- मेरे प्यारे चोदू भाई.. गिफ़्ट के तौर पर तुम अपना मोटा लंड मेरी चुत पे रगड़ो.. बड़ी जोर से चोदो, मुझे और बुझा दो प्यास मेरी.
मैंने वैसा ही किया. दीदी ने चुत को फ़ैला दिया और मैं शुरू हो गया. मुझे बहुत मजा आ रहा था. राखी पर जो घुंघरू लगे थे, उनका बड़ा ही मधुर आवाज आ रही थी. उस संगीत की लय पर हमारी चुदाई चालू थी.
एक बार मेरा लंड और दीदी की चुत में वासना का भयानक खेल चालू हो गया था जैसे कि तूफ़ान आ गया हो.
कुछ देर बाद दीदी ‘आअहह ऑश आहह..’ करते हुए एकदम से ढीली पड़ गईं और निढाल सी लेटी रहीं.
लेकिन मैं फिर भी दीदी और ऊपर होकर दीदी के पास लेट गया और दीदी से बोला- कैसा लगा दीदी?
वो कुछ नहीं बोलीं.. बस चुपचाप पड़ी रहीं.
लेकिन मैं रुकने वाला नहीं था, मैं दीदी के मम्मों को फिर से चूसने लगा और दीदी का एक हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया और ऊपर नीचे करने लगा. मैं उनकी गांड ले ऊपर से हाथ फ़ेरने लगा और गांड को धीरे-धीरे मसलने लगा. मुझे बड़ा मजा आ रहा था.
वासना की ये कैसी विडंबना थी यारो.. एक भाई अपनी सगी बहन को रक्षाबंधन के दिन चोद रहा था और वो बहन मजे से चुदवा रही थी. सच में वासना के आगे कोई रिश्ता नहीं होता.
अब मैं और भी गर्म हो गया था. दीदी के मम्मे जोर जोर से दबाने लगा और उनकी चुत को सहलाने लगा. फ़िर मैंने मेरा लंड दीदी की चुत पर सैट किया और धक्का मारने की कोशिश करने लगा. लेकिन मैं सफ़ल नहीं हो रहा था. दीदी की चुत ठंडी पड़ गई थी.
दीदी ने कहा कि भाई बस कुछ देर रुक जा.. मैं अभी सब करती हूँ.
दोस्तो, मैंने दीदी को दो बार चोदा और दोनों एक दूसरे को पकड़ कर सो गए.
पूरे दिन भर हम दोनों नंगे ही रहे.
फ़िर शाम को भी हमने नंगे ही खाना खा लिया. खाना खाते समय माँ का फ़ोन आ गया.
हमने माँ से बात की. माँ ने बताया कि मौसा जी की तबियत खराब होने के कारण वे चार-पांच दिन के बाद आ पाएंगी.
यह बात सुन कर हम दोनों भाई बहन बहुत खुश हो गए. देखिए कामवासना किस कदर दिमाग पर चढ़ जाती है कि अपने सगे रिश्तेदार की तबियत खराब होने पर भी दुखी होने की बजाए हम दोनों को खुश कर रही थी.
अब चार पांच दिन तो हमारी चांदी ही चांदी थी. आप अंदाजा लगा सकते हैं कि किस तरह से हम दोनों भाई बहन ने चूत लंड का खेल खेला होगा.


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