Header Ads Widget

Ticker

10/recent/ticker-posts

ट्रेन में भाई ने बहन की चुत को चोदा - Hindi Incest Story: Train Me Bhai Bahan Ki Chut Ko Choda

 


हाय, मेरा नाम जूही है और मैं भारत में उत्तर प्रदेश से हूँ. हमारे परिवार में अब्बू और अम्मी के अलावा मेरा भाईजान भी हैं जो मुझसे 4 साल बड़े हैं. उनका नाम जहीर है. भाईजान की उम्र 22 साल की है और मेरी उम्र 18 साल की है. हम ओग एक अमीर घराने से ताल्लुक रखते हैं. मैं आज आपको अपनी एक सच्ची सेक्स स्टोरी सुनाने जा रही हूँ. मेरी फूफी के घर उनकी लड़की की शादी थी. अम्मी ने मुझे एक हफ्ते पहले ही उनके घर चले जाने को कहा. अम्मी ने कहा कि जूही तुम अपनी फूफी के घर पहले से चली जाओ.. उधर उनके काम में हाथ बंटाना. तो भाईजान मुझे फूफी के घर छोड़ने के लिए जा रहे थे.

हम लोगों ने ट्रेन में पूरा एक केबिन बुक करवा लिया था. पूरी रात का सफ़र था. दस बजे ट्रेन में हम लोग बैठे और ट्रेन चल दी. करीब 11 बजे जब मैं सोने लगी तो भाईजान ने कहा- जूही, तू आराम से लेट कर सो जा.
मैंने कहा- जी भाईजान, पर मैं ऊपर की बर्थ पर लेटूंगी.
भाईजान बोले- जहाँ तेरा मन करे, वहां लेट जा, पूरा केबिन बुक है.

फिर मैं ऊपर की बर्थ पर लेट गई और कुछ देर में ही सो गई. एकाध घंटे के बाद मुझे अपनी चूचियों पर किसी का हाथ चलता महसूस हुआ. मैंने आँख खोली तो केबिन में नाइट लैम्प रोशन था जिसकी हल्की रोशनी में मैंने देखा कि भाईजान खुद ही मेरे पास खड़े हैं और अपने एक हाथ को धीरे-धीरे मेरी एक चूची पर चला रहे हैं.

मैं अभी गुस्सा करके उनका हाथ झटकने ही वाली थी कि तभी मैंने सोचा कि देखती हूँ कि भाईजान आगे करते क्या हैं?

करीब 8-10 बार मेरी पूरी चूची पर हाथ फेरने के बाद भाईजान ने दूसरी चूची को सहलाने की कोशिश की, जो कि मेरे करवट से लेटने की वजह से दबी थी और उनकी पकड़ में नहीं आ रही थी.

अब तक मुझे भी मज़ा मिलने लगा था, इसलिए मैं खुद ही भाईजान से मज़ा लेने को बेकरार हो गई. भाईजान ने मेरी चूची को मेरी करवट के नीचे से निकालने की कोशिश की, पर निकाल ना सके.

तभी मुझे तरस भी आ गया कि भाई जान परेशान हो रहे हैं, क्यों न मजा लेने के लिए मैं खुद ही सोते होने का बहाना करते हुए करवट बदल लूँ. मैंने यही किया और सीधी लेट गई. भाईजान मेरे हिलने से कुछ देर तो खामोश रहे, फिर धीरे से पास आए और मुझे खामोशी से सोता देख कर उन्होंने मेरा सामने से खुलने वाले जंपर (कुर्ता) के ऊपर के तीनों बटन खोल दिए.

मेरा जम्पर ऊपर से लगभग पूरा खुला हो गया. भाईजान ने बहुत ही आहिस्ता से जंपर के दोनों सामनों को इधर-उधर कर दोनों चूचियों को थोड़ा थोड़ा नंगा कर दिया. मैं अधमुंदी आँखों से भाईजान को देख रही थी. भाईजान कुछ देर तक मेरी दोनों चूचियों को देखते रहे, फिर दोनों मम्मों पर अपने हाथ फेरने लगे.

भाईजान ने 8-10 बार हाथ से चूचों को सहलाने के बाद धीरे से एक चुचे को दबाया और झुककर बारी बारी से दोनों को अपने लब लगा कर चूमा और मुझे देखा मैं शांत पड़ी रही. तो भाईजान ने इसके बाद मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और मुझे अपनी गरम साँसों का अहसास कराते हुए हल्के से चूम लिया.

मैंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, तो उन्होंने मुझे चार बार चूमा और मेरे होंठों को अपने होंठों से मसला भी. मुझे बड़ा मजा आ रहा था, लेकिन मैं चुपचाप लेटी हुई गरम हो रही थी.

उसके बाद भाई ने मेरी सलवार के इज़ारबंद को खोल दिया और सलवार को ढीला करते हुए उसे नीचे कर दिया. लेकिन मेरी सलवार मेरे चूतड़ों के नीचे दबी थी, इसलिए ज़्यादा नीचे नहीं हो सकी.. पर मेरी गुलाबी चड्डी में कसी हुई फूली चुत उनको दिखने लगी. मेरी रस छोड़ती पावरोटी सी फूली चुत को भाईजान कुछ देर प्यार से देखते रहे और अपनी जीभ को अपने होंठों पर यूं फेरते रहे जैसे किसी कुत्ते को मलाई की कटोरी दिख रही हो. फिर वे अपनी नाक को मेरी चुत के पास लाए और अन्दर की ओर तेज़ साँस ली.

या अल्लाह.. भाई जान अपनी बहन की चुत की खुशबू को सूंघ रहे थे. मुझे भाईजान की यह हरकत बहुत प्यारी लगी.

तभी भाईजान के मुँह से एक हल्की सी आवाज़ निकली- ओह.. आहह मेरी प्यारी बहन की चुत से कितनी मस्त करने वाली खुशबू आ रही है.
फिर उन्होंने मेरी चुत को हौले से चूम लिया.

उनका चुत का चूमना था कि मेरी नींद एकदम हराम हो गई. अब चुप रहना मेरे लिए मुश्किल था. मैंने सोचा कि जब भाईजान खुद ही यह सब चाहते हैं, तो मुझे भी खुल कर मज़ा लेना चाहिए. क्योंकि अगर मैं इनकार करूँगी तो भाईजान तो घर से बाहर किसी के साथ भी मज़े कर सकते हैं, पर मैं तो लड़की होने की वजह से शादी होने तक इस मज़े के लिए तरसती रहूंगी.. और अगर भाईजान ही मुझे चोदते हैं, तो कोई डर भी नहीं है. घर पर ही जब चाहो मज़ा ले लो.

यही सब सोचते हुए मैंने अपनी आँखें खोल कर उनके हाथ को पकड़ कर बोली- हाय भाईजान, यह आप क्या कर रहे हैं?
मुझे जागता देख भाईजान घबरा गए और मेरे पास से अलग हुए.

मैंने कहा- हाय आपने मुझे नंगी क्यों कर दिया भाईजान?
भाईजान घबराए से बोले- ओह्ह जूही मेरी बहन प्लीज़ तुम किसी से कहना नहीं, एम्म मुझे माफ़ कर दो.

मैंने सोचा कहीं ऐसा ना हो कि भाईजान डर जाएं और फिर मुझे मज़ा ही ना मिले इसलिए मैंने उनको अपनी सग़ी बहन को चोदने की हिम्मत बढ़ाने के लिए तैयार करने के इरादे से कहा- ओह्ह.. भाईजान मैं भला किसी से क्या कहूँगी, आपने कुछ किया तो है नहीं, भाईजान यह मेरी सलवार का ज़ारबंद और जंपर के बटन कैसे खुले हैं?

“ओह्ह.. जूही पता नहीं.. एम्म मैं तो..”
“मैं समझ गई भाईजान.”
“तू क्या समझ गई?”
“अरे भाईजान मेरी कई जंपरों के बटन लूज हैं.. जो अपने आप खुल जाते हैं और ज़ारबंद तो अक्सर सोते में खुल ही जाता है.”
“हां जूही यही तो मैं भी देख रहा था कि तुम्हारे कपड़े अपने आप खुल गए थे सोचा बंद कर दूँ.. कही कोई देख ना ले.”
“ओह्ह.. भाईजान आप कितना ख़याल रखते हैं अपनी छोटी बहन का..”
“हम्म..”
“सच अगर कोई आ जाता तो? वैसे भाईजान दरवाज़ा तो बंद है ना?”
“हां ठीक से बंद है और फिर पूरा केबिन बुक है, सुबह तक कोई नहीं आएगा.”
“भाईजान टाइम क्या हुआ है?”
“अभी तो सिर्फ 11:30 हो रहा है.”

मैंने अभी तक अपने कपड़े सही नहीं किए थे और भाईजान मुझे देखे जा रहे थे. उनको इस तरह से अपनी ओर देखते हुए मैंने खुश होकर कहा- भाईजान, आप मुझे आज इस तरह से क्यों देख रहे हैं?
“कुछ नहीं जूही आज तुम बहुत अच्छी लग रही हो.”
“रोज़ नहीं लगती थी क्या?”
“ऐसी बात नहीं पर तुम सच बहुत खूबसूरत लग रही हो.”

“ओह्ह.. भाईजान आप तो मेरी झूठी तारीफ कर रहे हैं. मैं तो रोज़ ही ऐसी ही लगती थी. आज कोई ख़ास बात है क्या?”
“पता नहीं पर घर पर तू जितनी अच्छी लगती थी, आज उससे ज़्यादा अच्छी लग रही है.”
“हहूंन भाईजान आप तो बस.. क्या मैं अकेले में ज़्यादा खूबसूरत दिख रही हूँ?”

भाईजान की हिम्मत मेरी बातों से बढ़ रही थी. वो बोले- तुम हो ही इतनी प्यारी की बस क्या बताएं, मन करता है कि अपनी प्यारी बहन को देखता ही रहूँ और…
भाईजान इतना कह कर रुके तो मैं कुछ कुछ समझती हुई बोली- और.. और क्या भाईजान.. आगे भी बोलो ना..
“कुछ नहीं.”
“कुछ तो भाईजान.. बताइए ना?”
“यही कि अपनी प्यारी बहन को देखता रहूं और उसे खूब प्यार करूँ.”
“ओह्ह.. भाईजान आप तो मुझसे वैसे ही बहुत प्यार करते हैं. फिर उसमें कहने की क्या बात है.”

इतना कह कर मैं नीचे उतरी तो भाईजान नीचे की सीट पर बैठ गए.

मैं उनके पास खड़ी होकर सलवार के ज़ारबंद को बाँधने को हुई, तो भाईजान ने कहा- लाओ, मैं बंद कर दूँ.
“ओह.. भाईजान मैं कर लूँगी ना.”
“अरे तो क्या हुआ आख़िर तुम मेरी छोटी बहन हो.”
“ठीक है भाईजान.”

फिर भाईजान ने ज़ारबंद पकड़ा और बाँधने की कोशिश करने लगे. मैंने देखा की उनकी नज़र मेरी चड्डी पर थी. ज़ारबंद उनके हाथ से छूट गया और सलवार नीचे गिर गई. मैं समझ गई कि भाईजान ने यह जानबूझ कर किया है.

मैं मन में खुश होती बोली- ओह.. भाईजान रहने दीजिए.. मैं ऐसे ही सो जाती हूँ, कोई आएगा तो नहीं?
भाईजान मेरी बात सुन खुश होते बोले- नहीं जूही कोई नहीं आएगा तू ठीक कह रही है, तुम ऐसे ही सो जाओ.”

मैंने सलवार को ऊपर खींचा और बिना नाड़े को बांधे, नीचे की बर्थ पर ही लेट गई और कुछ देर बाद मैंने आँखें बंद कर लीं. करीब 5 मिनट ही मुझे इंतज़ार करना पड़ा और भाईजान ने मेरे मन की मुराद पूरी कर दी. उनके दोनों हाथ मेरी दोनों चूचियों पर आए और हल्के से दबाव के साथ सहलाने लगे.

मैंने कुछ देर उनको यह करने दिया और फिर उनके दोनों हाथों को अपने हाथ से पकड़ कर आँख खोल आकर बोली- ओह.. हाय भाईजान यह क्या कर रहो हो आप?
इस बार मेरे कपड़े सही थे. भाईजान इस बार घबराए नहीं, पर खुलकर कुछ ना बोल कर धीरे से बोले- जूही मेरी प्यारी बहन.. मैं कुछ कर नहीं रहा बल्कि देख रहा हूँ!
“क्या देख रहे हो भाईजान?”
“यही कि मेरी छोटी बहन तो पूरी जवान हो गई है. कितनी खूबसूरत हो गई मेरी बहन जवान होकर.”

“ओह.. हाय.. आपका मतलब क्या है भाईजान?”
“अरे यही कि अब तो मुझे अपनी प्यारी बहन की शादी कर देनी चाहिए.”
“धत भाईजान आप भी..!”
“अरे पगली तू शर्मा क्यों रही है, आख़िर मैं तुम्हारा बड़ा भाई हूँ.. तो मेरी ही ज़िम्मेदारी है तुम्हारे हाथ पीले करने की.. तभी तो मैं देख रहा हूँ कि मेरी बहन कितनी जवान हुई है.”
मैं उनकी बात सुन मन में खुश होती बोली- आप बड़े वैसे हैं भाईजान.. मैं समझ रही हूँ.
“क्या समझ रही हो?”
“आप मुझे घर से भगाना चाहते हो.”
“अरे नहीं मेरी बहन.. मैं तो तुमको शादी के बाद भी ज़्यादा से ज़्यादा अपने घर में ही रखूँगा, हाय कितनी खूबसूरत हो तुम, मन करता है अपनी प्यारी बहन को खूब प्यार करूँ.”
“ओह भाईजान प्यार तो आप मुझसे करते ही हैं.”
“करता तो हूँ.. पर आज मैं पूरा प्यार करना चाहता हूँ और देखना चाहता हूँ कि मेरी छोटी बहन कितनी जवान हुई है?”

भाईजान अभी भी खुलकर कुछ नहीं बोल रहे थे और मैं सोच रही थी कि अब वो खुलकर पूरा खेल शुरू करें.

तभी भाईजान ने एकाएक ही मेरी दोनों चूचियों को पकड़ लिया, तो मैं घबराती सी बोली- हाय क्या कर रहे हो भाईजान… छोड़ो ना.. मैं आपकी बहन हूँ.
“अरे तुम डरो नहीं.. देख रहा हूँ कि तुम कितनी जवान हुई हो, आख़िर तुम्हारी जवानी के हिसाब से ही तो मुझे तुम्हारे लिए लड़का ढूँढना है.”
मैं कसमसाती सी बोली- ओह.. हाय नहीं भाईजान.

पर भाईजान ने दोनों चूचों को कसकर दबाते कहा- हाय मर गया.. कितनी कड़क चूचियाँ हैं तेरी, तेरे लिए तू बहुत दमदार लड़का खोजना पड़ेगा.
मैं खुश होती बोली- भाईजान, मेरी सहेली जरीना के भाई ने भी अपनी बहन की जवानी को इसी तरह से चैक किया था, फिर उसकी शादी की थी.
“अरे वाह.. कैसे.. ज़रा पूरी बात बताओ ना?”

“भाईजान जरीना बता रही थी कि उसके भाई ने उसे जवान होने पर खूब प्यार किया था और फिर उसकी शादी की थी. आप भी मुझे प्यार करेंगे क्या?”
भाईजान खुश हो बोले- हां जूही, मैं तो कब से तुझे प्यार करने को सोच रहा था. आज मौका मिला है.
“ओह.. भाईजान आपने कभी बताया ही नहीं.. वरना मैं तो घर पर ही आपको मौका दे देती, मैं भी तू आपसे प्यार करती हूँ.”

मेरी बात सुन भाईजान ने मुझे अपनी गोद में खींचा और कसकर दोनों चूचियों को दबाते मेरी जम्पर को उतारने लगे.
मैं बहानेबाज़ी करती बोली- नहीं, यह मत करिए ऐसे ही करिए ना.
“पगली कोई नहीं देख रहा है. मेरी जान सभी कपड़े उतारने से ही प्यार करवाने का असली मज़ा आता है.”

मैं चुप रही तो जंपर उतारने के बाद भाई ने शमीज़ भी उतार दी, जिससे मेरी दोनों गोरी-गोरी चूचियाँ नंगी हो गईं, जिसे देख मेरा भाई खुश हो गया और मुझे सीट पर लिटा झुककर एक को मुँह से चूसते हुए दूसरी को दबाने लगा. मैं मज़ा लेने लगी और दस मिनट बाद भाई ने सलवार को उतारने की कोशिश की.. तो मैंने चूतड़ों को उठा दिया और अपनी सलवार के साथ चड्डी को भी खुद ही उतार दिया और अपनी मक्खन चुत को भाईजान के लिए नंगी कर दिया.

भाई एकटक मेरी चुत को देखने लगे.
मैंने उनसे पूछा- भाईजान क्या देख रहे हो?
भाई खुश होकर बोले- ओह.. हाय कितनी प्यारी चुत है मेरी बहन की.
“शश.. भाईजान क्या मेरी चूचियाँ खूबसूरत नहीं हैं?”
“अरे उनका तो जवाब ही नहीं. तुम तो पूरी की पूरी ही मस्त माल हो. आह.. मैं कितना खुशकिस्मत हूँ कि मुझे इतनी खूबसूरत बहन मिली.”

“नहीं भाईजान आप इसलिए खुशकिस्मत नहीं हैं कि आपको इतनी खूबसूरत बहन मिली.. बल्कि इसलिए हैं कि आपको अपनी इकलौती खूबसूरत जवान कुँवारी बहन के साथ प्यार करने का मौका मिला.”
“तुम सच कह रही हो. मैं एक साल से तुझे रोज़ देखता था और तुम्हारी इन खूबसूरत चूचियों को मसलना चूसना चाहता था, हाय आज दिल की मुराद पूरी हुई.”
“भाईजान, अगर आपने पहले कहा होता तो मैं आपकी मुराद पहले ही पूरी कर देती क्योंकि मेरी सभी सहेलियाँ अपने अपने छोटे बड़े भाईयों के साथ शादी वाला प्यार करती हैं और उनकी कहानी सुन सुन कर मेरा मन भी करता था कि काश मेरे प्यारे बड़े भैया मुझे भी खूब प्यार करें.”
“तो तुझे ही कहना चाहिए था. साल भर मैं तो मैं तुमको चोद चोद कर एकदम जवान कर देता.”

भाईजान ने अब पहली बार खुलकर चुदाई अल्फ़ाज़ का इस्तेमाल किया था. मैं भी खुलकर बोली- भाईजान अब पुरानी बातें छोड़ो और और अपनी छोटी बहन को चोद कर जवान कर दो.
“अरे साली तुम तो पूरी जवान हो ही, बस एक बार मेरे लंड से चुद जाओगी तो तेरा कुँवारापन खत्म हो जाएगा और लड़की से औरत बन जाओगी.”
“तो जल्दी से चोद कर बनाइए ना भाईजान.”

मेरी बात पर भाईजान मेरे बगल में लेट कर मेरे होंठों को चूमने लगे. इसके बाद दोनों मेरी चूचियों को प्यार से दबाते हुए बोले- ओह…. मैंने अब तक कई लड़कियों को चोदा है, पर जो मज़ा अपनी बहन के साथ आ रहा है, ऐसा अब तक किसी के साथ नहीं आया.. अब से मैं सिर्फ़ तुमको ही चोदूंगा. चलो ज़रा सामने खड़ी हो जा.

मैं सीट से उठी तो भाईजान भी बैठ गए. मुझे अपने सामने करके भाईजान मेरे चूतड़ों पर हाथ लगा कर दबाते हुए मुझे अपने पास को खींचा और अपने मुँह को मेरी चुत पर लगा दिया. मैं अपने भाई का मुँह अपनी चुत पर महसूस होते ही गनगना गई.

उन्होंने 5-6 बार मेरी चुत पर जीभ चलाई, फिर जीभ को चुत में डाल चाटने लगे. मैं मज़े से भरके उनके सर को हाथ से पकड़ कर अपनी चुत पर दबाने लगी. सच में चुत चटवाने में तो अनोखा मज़ा आ रहा था.

भाई ने मेरी चुत को 14-15 बार ही चाटा था कि मेरे बर्दाश्त से बाहर हो गई और मैं झड़ने लगी. भाईजान ने बिना मुँह हटाए सारे रस को पी लिया और फिर मुझे सीट पर लिटा दिया.

“आह भाईजान मज़ा आ गया.. आप बहुत अच्छे हैं भाईजान.”
“तुम भी बहुत अच्छी हो.. हाय आज तुमने मेरी बरसों की मुराद पूरी कर दी मेरी बन्नो.. हाय कब से मैं अपनी बहन की चूचियों को दबाना और पीना चाहता था, कब से मैं अपनी छोटी बहन की कुँवारी चुत को चाटना चाहता था, आह कब से मैं तुझे चोद कर बहनचोद बनना चाहता था.. आज मेरी यह आरजू भी पूरी होगी.”

“बिल्कुल होगी भाईजान खूब मजे से चोदिए अपनी छोटी बहन को.. सच कितने अच्छे हैं मेरे बारे भाई, जो अपनी छोटी बहन का इतना ख्याल रखते हैं. भाईजान आपने भी हमेशा मेरी आरजू पूरी की. मुझे जब भी किसी चीज़ की ज़रूरत हुई, आपने ही पूरी की. अब जब मुझे एक ब्वॉयफ्रेंड की जरूरत थी, जो कि मुझे जवान होने का मज़ा दे, मेरी चुत और चूचियों को प्यार करे और मेरा कुँवारापन तोड़कर मुझको औरत होने का मज़ा दे.. तो भी आपने मेरी यह आरजू पूरी की.. हाय भाईजान अब आप जल्दी से अपनी बहन को चोदकर बहनचोद बनिए और मुझे भी जवान होने का मज़ा दीजिए.”

“ओह.. जूही.. मेरी बहन मैंने आज तक इतनी खूबसूरत चुत और चूचियों को नहीं देखा. आज जब अम्मी ने तुम्हारे साथ जाने को कहा था, तो मैंने तभी सोच लिया था कि आज ट्रेन में ही अपनी प्यारी बहन की कुँवारी चुत और चूचियों का मज़ा लूँगा. क्यों जूही, अभी तुम कुँवारी हो या तुम्हारी चुत चुद चुकी है?”

“क्या कह रहे हो भाईजान… जानते हो अभी तक किसी ने भी टच नहीं किया था. आप पहले मर्द हैं. मैं तो कई महीनों से परेशान हूँ कि काश कोई मुझे चोद कर कली से फूल बना दे, पर मैंने बदनामी के डर से कभी किसी लड़के को लिफ्ट नहीं दी. भाईजान मैंने सोच लिया था कि अगर शादी से पहले सुहागरात मनाई, तो सिर्फ़ अपने प्यारे भाईजान के साथ ही मनाऊंगी.”

भाईजान मेरी बात सुन मेरे ऊपर झुक मुझे चूमकर मेरे गालों पर जीभ फेरते बोले- ऐसा क्यों सोचा जूही?
“वो इसलिए भाईजान क्योंकि मुझे आप बहुत अच्छे लगते हैं. मैं मन ही मन आपको प्यार करती थी और चाहती थी कि मेरे प्यारे भाईजान ही सबसे पहले मुझे चोदकर मेरी जवानी का मज़ा लें.. और फिर अपने भाई से चुदवाने में कोई डर भी नहीं है, कोई जान भी नहीं पाता और जब भी मन करे, आपसे घर पर ही चुदवा भी सकती हूँ.”

“तू सच कह रही है. मैं भी कई दिन से सोच रहा था कि अब तो मेरी बहन जवान हो गई है और अब चोदने में मज़ा देगी, इसलिए घर का माल घर पर ही रहना चाहिए. अब तुम रोज़ रात को मेरे कमरे में आना और सुबह होते ही चली जाना. चल ज़रा अपनी चुत तो चटवा.”
“ओह.. भाईजान.. अभी तो चाटी थी..”
“और चटवा ना, मुझे चुत चाटने में बहुत मज़ा आता है और फिर तेरी चुत का टेस्ट बहुत ही लाजवाब है. तेरी इस कुँवारी चुत से बहुत ही प्यारी खुश्बू आ रही है.”

फिर भाईजान अपने दोनों हाथों से मेरी दोनों चूचियों को पकड़ कर दबाते हुए मेरी चुत को जीभ से चाटने चोदने लगे.

इस मज़े को पाकर मैं दुनिया को भूल गई. मैंने अपने हाथों से अपनी चुत को भाईजान के लिए फैला रखा था, जिससे वे मेरी चुत को आराम से चाट सकें. भाईजान लपर लपर करते हुए मेरी चुत को चाट रहे थे और मैं अपनी चुत से रस को निकाले जा रही थी. वो जीभ को अन्दर तक पेलकर चुत चाट रहे थे और चुत से निकलने वाले रस को भी चूसते जा रहे थे. चूचियों को दबवाते हुए चुत को चटवाने का मज़ा मुझे जन्नत की सैर करा रहा था.

पूरे दस मिनट बाद भाईजान ने चुत से मुँह हटाया तो मुझे कुछ राहत मिली. मैं सीट पर उठकर बैठी और झुककर अपनी जमकर चाटी गई चुत को देखा तो खुश हो गई. पहली चटाई मैं ही मेरी कुँवारी चुत का रंग रूप बदल गया था. पूरी चुत भाईजान के थूक से भीगी थी, जिससे चुत चमक रही थी. चुत की दोनों फाँकें फूल और पिचक रही थीं.

हल्के गुलाबी रंग की अपनी चुत को देख मस्त होकर मैं अपने भाईजान से बोली- ओह.. भाईजान आपने तो खुश कर दिया अपनी बहन को..
“चल अभी ज़रा तेरी इन रसीली चूचियों का रस पी लूँ.. फिर तेरी जवानी का दरवाज़ा खोलता हूँ.”
“लो पियो ना.”

मैंने अपने हाथ से पकड़ कर चूचियों को भाईजान के मुँह के पास किया तो भाईजान ने एक निप्पल को मुँह में लिया और चूसते हुए पूरी चूची को मुँह मैं ले-लेकर दबा दबाकर पीने लगे. चूचियों को पिलाने का मज़ा भी बेहतरीन था, पर चुत चटवाने से कम.

फिर भी करीब 5 मिनट तक दोनों चूचियों को अपने प्यारे भाई के मुँह में दिए रही और जब बर्दाश्त से बाहर हो गया तो बोली- अब फिर कभी चूस लेना भाईजान.. अभी तो प्लीज़ एक बार मुझे पेल दीजिए ना.. आअहह सस्शह.

भाईजान चूचियों को मुँह से बाहर करके बोले- जूही.
“जी भाई.”
“यार तू एक बात तो बता?”
“क्या?”
“यही कि तू आज पहली बार यह सब करवा रही है, फिर तुझे सब कुछ मालूम कैसे है?”
“भाईजान मेरी सहेलियाँ मुझे अपनी लव स्टोरी सुनाती रहती हैं. जानते हैं भाईजान मेरी 5 फ्रेंड हैं, जिनमें से 3 का अपने बड़े भाई से और एक का अपने छोटे भाई से चक्कर है. एक का कोई भाई नहीं है इसलिए वो अपने पापा से मज़े लेती है. वे सभी मुझे रोज़ अपनी चुदाई के किस्से सुनाती हैं.. तो मेरा भी बहुत मन करता था कि काश मुझे भी मेरे भाईजान चोदें तो मैं भी उनको अपनी चुदाई की कहानी सुनाया करूँ. ओह.. भाईजान अब मैं भी उनको अपनी और अपने भाई की चुदाई की स्टोरी बताऊंगी.”

भाईजान मुझे देखते बोले- तुम्हारी सहेलियाँ क्या बताती हैं तुमको? यही कि आज उनको कैसे चोदा गया, कैसे चुत चटवाई या किसने अपने भाई के लंड को कैसे चाटा.. क्या ये सब बताती हैं?
“हां भाईजान ओह.. प्लीज़ भाई अब आप ज़रा अपने लंड को चुसवाओ ना.. यास्मीन और निम्मो कह रही थीं कि उनको सबसे ज़्यादा मज़ा चुत चटवाने और फिर लंड को मुँह में लेकर चूसकर उसका पानी पीने में आता है. प्लीज़ भाईजान एक बार अपने लंड का पानी मुझे पिला दीजिए ना, फिर जी भर कर चोद लेना अपनी कुँवारी बहन को.”

भाईजान मेरी बात सुन खुश होकर बोले- लो चूसो ना.. भला मैं अपनी प्यारी बहन की किसी बात से मना कर सकता हूँ.
भाईजान मेरे सामने खड़े हो गए. वो अभी तक कपड़ों में थे. वो खड़े हुए तो मैंने जल्दी से उनकी पैन्ट के बटन को खोला और पैन्ट नीचे कर उनकी अंडरवियर भी नीचे खिसका दी. अंडरवियर नीचे होते ही उनका मोटा, लंबा तना तना सा लंड मेरी आँखों के सामने झटके लेने लगा, जिसे देख मेरी चुत की धड़कन बढ़ गई.

मैंने कुछ देर प्यार से अपने भाई के लंड को देखा, फिर आगे झुककर उसे मुँह में ले लिया. भाई के लंड को अपने मुँह में लेकर सुपारे पर जीभ चलाई. फिर हाथ से पकड़ कर पूरे लंड को जीभ से चाटा.
भाईजान की आँखें बंद हो चुकी थीं और वो अपनी कमर पर हाथ रख कर लंड को आगे की और उठाए हुए अपनी बहन से लंड चुसवा रहे थे.

कुछ 2-3 मिनट तक मैंने भाई के लंड को जीभ से चाटा, फिर लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी. सच में सहेली का कहना सही था. लंड चूसने में बहुत मस्त मज़ा मिल रहा था. खूब कस कस कर 5 मिनट तक लंड चुसाई की.

भाईजान “ओह.. ओह.. आहह स्ष..” करने लगे और लंड को मेरे मुँह में ही आगे पीछे करते हुए बोले- अहहाआ.. ययययई जूही मेरी बहन आहह साली.. मेरा माल निकलने वाला है.. आहह जल्दी बोल कहां निकालूँ?
मैंने लंड को मुँह से बाहर निकाल कर कहा- भाईजान प्लीज़ मैं आज पहली बार झड़ते हुए लंड को देखूँगी इसलिए लंड का पानी निकलते देखना चाहती हूँ, पर भाईजान मुझे आपने प्यारे भाईजान के मोटे तगड़े लंड के पानी को पीना भी है इसलिए पानी मेरे मुँह के अन्दर ही गिराना.”
“ठीक है साली ले मुँह खोल.”

मैंने अपने मुँह को खोल दिया. भाईजान अपने लंड को हाथ से पकड़ कर मेरे मुँह की ओर करे खड़े थे कि तभी उनके लंड ने एक तेज़ धार के साथ अपना सफेद गाढ़ा पानी मेरे मुँह के अन्दर डालना शुरू किया.

भाईजान के मूसल लंड के तेज़ शॉट से पानी सीधा मेरे हलक तक गया. भैया का लंड मेरे मुँह में एक मिनट तक झड़ता रहा. फिर जब केवल कुछ ड्रॉप्स उनके लंड से चिपके रह गए, तो उनके झड़े हुए लंड को मैं मुँह में लेकर चूसने लगी. निम्मो और यास्मीन का कहना सही था. भाईजान के लंड का पानी बहुत ही टेस्टी पानी था. एक मिनट तक लंड चूसा, फिर लंड को बाहर किया तो भाईजान का लंड मेरे थूक से चमक रहा था.

“अब तू लेट जा.. तो तुझे चोद दूँ.”
“भाईजान अभी तो आपने माल झाड़ा है, अब इतनी जल्दी यह तैयार कैसे होगा?”
“पगली झड़ने के बाद जो तुमने दुबारा लंड चाटा है ना, उससे यह रेडी हो गया है. वैसे भी तेरी कुँवारी चुत को देख यह एकदम रेडी है. आख़िर आज इसे अपनी बहन की चुत मिलने वाली है.”

“लो भाईजान चोद लो अपनी बहन की कुँवारी चुत.. पर प्लीज़ आराम से धीरे-धीरे करना, पहली चुदाई है इसकी. अभी तो इसमें उंगली भी नहीं गई है.”
“तू घबड़ा मत.. बस चुत खोल कर लेट जा.”

मैं लेटी तो भाईजान मेरी टांगों के बीच आ गए. मैं उनको देखकर मुस्करा रही थी. वो भी खुश थे. उनका लंड उनकी टांगों के बीच फुदक रहा था. मेरी टांगों के बीच आकर उन्होंने मेरे पैरों को घुटनों के पास से मोड़कर मेरे पेट की ओर किया. फिर लंड को मेरी चुत के गुलाबी छेद पर लगा कर दोनों हाथों को मेरी चूचियों पर रखा और झुककर मेरे होंठों को चूम मेरे कान में सरगोशी की.

“जूही..”
“हूँ..”
“मेरी बहन कैसा लग रहा है?”
“ओह.. भाईजान बहुत अच्छा लग रहा है.”
“चोद दूँ?”
“हां..”
“एकदम से पेल दूँ या धीरे-धीरे?”
“नहीं भाईजान प्लीज़ एकदम से नहीं.. फट जाएगी.. कुँवारी है ना इसलिए धीरे-धीरे पेलना.”

फिर भाईजान धीरे-धीरे लंड को चुत पर दबाने लगे. लंड अपना रास्ता बनाता हुआ चुत में अन्दर जाने लगा. मैं पहली बार लंड ले रही थी, इसलिए मज़े से भरी थी, पर आधा लंड जाते ही कसमसाने लगी. मेरी तड़फ देख कर भाईजान बोले- बस करें.. क्या दर्द हो रहा है?

“नहीं ओह.. मेरे प्यारे भाई.. पूरा डाल दो अपनी कुँवारी बहन की चुत में.. मज़ा आ रहा है.”
फिर जोर लगाते हुए भाईजान ने अपना पूरा मूसल लंड मेरी चुत के अन्दर डाल दिया और मेरी चूचियों को एक मिनट तक चूसा.

फिर बोले- चोदें?
“हां..”
फिर भाईजान धीरे-धीरे लंड को मेरी चुत के अन्दर बाहर करते चुदाई करने लगे. दो-तीन मिनट तक इसी तरह भाईजान मेरी चुत चुदाई करते रहे.

मैं दर्द से निजात पा चुकी थी और मज़े से भर कर भाईजान से बोली- हाय भाई.. मज़ा आ गया ओह.. भाईजान और तेज़ और जोर से चोदो.
मेरे इतना कहते ही भाईजान ने स्पीड तेज़ की तो मुझे असली चुदाई का मज़ा मिलने लगा. बहुत ही दमदार चुदाई कर रहे थे भाईजान.. मैं बहुत मस्त थी.

पांच मिनट तक हचक कर चोदने के बाद भाईजान बोले- मैं बहुत खुशनसीब हूँ कि मुझे इतनी खूबसूरत और प्यारी बहन मिली.
“हां भाईजान हम दोनों ही खुशनसीब हैं.”
“हाँ बहना..”
“ओह मेरे भाईजान भी तो कितने अच्छे हैं भाईजान.. बहुत कम लड़कियाँ इतनी खुश किस्मत होती हैं, जिनको उनके भाई चोदते हैं. आह भाईजान आप बहुत अच्छे हैं और आपका लंड भी बहुत मस्त है.”

फिर 7-8 मिनट की दमदार चुदाई के बाद मैं शायद झड़ चुकी थी. तभी भाईजान ने भी अपने लंड को बाहर निकाला और फिर एक तेज़ शॉट के साथ लंड की मलाई को मेरी चूचियों पर गिराने लगे.

Post a Comment

0 Comments