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अब्बू और भाईजान से एक साथ चूत गांड चुदाई - Abbu Aur Bhaijaan Se Ek Sath Chut Gand Chudai

 


दोस्तो, मैं आपकी सेक्सी दोस्त बिलकीस, दिल्ली से!

अब मैं बड़ी क्लास में हो गई थी, पूरी जवान हो चुकी थी। बाकी फरीद के तजुर्बेकार हाथों ने मेरे जिस्म को बड़े अछे से तराशा था। अच्छे खान पान की वजह से और कच्ची उम्र में ही चुदाई ने मेरे बदन को बहुत जल्दी एक भरपूर औरत का रूप दे दिया था। अब मुझे अपनी अम्मी के कपड़े बिल्कुल फिट आने लगे थे, बल्कि उनकी ब्रा तो मुझे टाईट आती थी और मेरी ब्रा उनको ढीली आती थी। कद काठी और रंग रूप में भी मैं निखर चुकी थी। अम्मी और मुझमें फर्क करना मुश्किल था, मगर फिर मेरी अम्मी मुझसे ज़्यादा हसीब है, आज भी।

एक दिन मैं स्कूल से आते हुये बारिश में भीग गई, जब घर पहुंची तो जल्दबाज़ी में अम्मी की नाईटी उठा कर पहन ली, मगर नाईटी के नीचे मैंने कुछ नहीं पहना था।
मैं किचन में जाकर अपने लिए खाना लगाने लगी, अभी मैं अपनी प्लेट में खाना डाल ही रही थी कि तभी किसी ने मुझे आकर पीछे से पकड़ लिया।

मुझे लगा फरीद होगा, इस लिए मैं कुछ नहीं बोली, ना ही चौंकी। पकड़ने वाले ने एक हाथ से मेरे मम्में दबाये और दूसरे हाथ से मेरी चूत को सहला दिया।
मगर जैसे ही मैं पलटी, मेरे हाथ से खाने की प्लेट नीचे गिर गई, मैं तो देख कर हैरान ही रह गई, यह फरीद नहीं, ये तो अब्बा थे।

अब्बा भी बहुत भौचक्के से रह गए- अरे, मैं समझा तुम्हारी अम्मी है!
कह कर वो बाहर को चले गए।

बेशक मुझे भी हैरानी हुई, मगर अब्बा के हाथ मुझे अपने जिस्म पर फिसलते बहुत अच्छे लगे।
मैंने किचन साफ की और दोबारा अपने लिए खाना डाल कर अपने रूम में आ कर बैठ कर खाना खाने लगी, मगर मेरे दिमाग में वो 5 सेकंड का अब्बा का मेरे कोमल अंगों को सहलाना ही मेरे दिमाग में घूम रहा था। चाह कर भी मैं उस बात को अपने दिमाग में नहीं निकाल पा रही थी.

खाना खाकर मैं खुद ही फरीद के पास गई, वो बैठा काम कर रहा था।
मैंने उसे कहा- फरीद, क्या तुम मेरे बदन को सिर्फ सहला सकते हो?
बेशक उसने सहलाया, मगर मुझे वो मजा नहीं आया, जो अब्बा के हाथों में था। थोड़ा सहला कर उसने चोद कर मुझे वापिस भेज दिया, मगर मुझे तो आज उसकी चुदाई में भी कोई खास मजा नहीं आया।

तो क्या मैं अब किसी दूसरे मर्द को चाहती थी, और दूसरा मर्द भी कौन, मेरे अपने अब्बा!
अपनी ही अम्मी की सौत!
मगर इस में भी क्या बुराई थी? अम्मी ने भी अपने यार के सामने मुझे खुद ही पेश किया था। अगर मैं उनका यार बाँट सकती हूँ, तो शौहर क्यों नहीं।

आज अब्बा मुझे कुछ ज़्यादा ही प्यारे लगने लगे थे।

रात को जब हम सब खाना खाने बैठे तो मैं अपने अब्बा के बिल्कुल सामने बैठी, और बार बार उन्हें ही देखती रही, मगर अब्बा मेरे से नज़रें चुरा रहे थे।
खाने के बाद मैंने अम्मी को दोपहर वाली बात बता दी।
तो अम्मी ने कहा- तो क्या चाहती है तू?
मैंने कहा- मैं तो कुछ नहीं चाहती।
अम्मी बोली- देख तुझे फरीद दे तो दिया, तो तू उस से मज़े कर, और मुझे तेरे अब्बा से मज़े करने दे।

मैं चुप रही मगर मैं दिल ही दिल में सोच रही थी कि काश अब्बा भी मुझ पर मेहरबान हो जाएँ।
छोटी उम्र से चुदने के कारण अब मुझे किसी भी मर्द में सिर्फ उसका मजबूत लंड ही नज़र आता था। मुझे अब अपने किसी भी रिश्ते की कोई परवाह नहीं रही थी।

मेरा भाई मेरे साथ ही सोता था, कई बार मैंने उसके सोते हुये उसकी निकर के ऊपर से ही उसकी लुल्ली पकड़ कर देखी, कभी कभी उस से खेली और वो खड़ी हो गई। मैंने एक दो बार कोशिश की किसी तरह उसकी लुल्ली उसकी निकर से बाहर निकाल लूँ और उसके साथ खेल कर देखूँ, उसे चूस कर देखूँ, मगर कामयाब नहीं हो सकी। हाँ इतना ज़रूर करती के मैं अक्सर उसके साथ बहुत चिपक कर सोती, ताकि मेरे मम्में उसके बदन से लगें, और वो मेरे जिस्म की नरमी महसूस करे।

बड़ा भाई तो मुझ पर बहुत ही रोआब रखता था, अक्सर मुझे डांटता सा रहता था। उससे मैं थोड़ा डरती ज़रूर थी, मगर मैं उसकी लुंगी में हिलते हुये लंड को देख कर उसे भी छूना चाहती थी। बड़े भाई से तो मुझे कोई खास उम्मीद नहीं थी, मगर इतना मुझे ज़रूर लगता था कि मेरा छोटा भाई एक दिन मुझे चोदेगा।

मेरा सारा ध्यान अब अपने अब्बा पर ही था, क्योंकि मैंने बहुत बार अपने अब्बा को दारू के नशे में मेरी अम्मी की माँ चोदते देखा था, क्या ज़बरदस्त, और जोरदार चुदाई करते हैं अब्बू। फरीद भी अच्छा चोदता है, मगर उसमें वो दम नहीं है जो अब्बू में है।
और मैं तो चाहती यही थी कि जो भी मुझे चोदे मुझे तोड़ कर रख दे, और ये काम सिर्फ अब्बू ही कर सकते थे। मुझे पता था कि अक्सर अब्बू रात को बहुत ज़्यादा शराब पी कर आते हैं, और जिस दिन उन्होंने बहुत पी होती है, उस दिन तो अम्मी की खैर नहीं होती।

उसके बाद मैं इस बात का खास ख्याल रखने लगी कि कब अब्बा घर आते हैं, कब जाते हैं, मैं उनकी हर बात का ख्याल रखने लगी। अक्सर मैं अम्मी को काट कर अब्बा के हर वक़्त नजदीक रहने की कोशिश करने लगी और अब्बा भी इस बात को नोटिस करने लगे हैं कि जिस दिन से उन्होंने गलती से मेरे जिस्म को सहला दिया था, उस दिन से मैं उनके ज़्यादा नजदीक आ गई थी।

मगर मुझे अभी तक वो नहीं मिला था मुझे जो मैं चाहती थी। मगर कभी कभी आप जो सोचते हो, वो आपको इतनी आसानी से भी मिल जाता है, जितना आपने सोचा नहीं होता।

एक दिन अम्मी की तबीयत ठीक नहीं थी तो खाना मैंने ही बनाया। उस दिन अब्बू रात को देर से घर आए, और उन्होंने बहुत शराब पी रखी थी। मुझे लगा कि इससे अच्छा मौका मुझे और नहीं मिलेगा, अगर मैं फिर से उन मजबूत मर्दाना हाथों को अपने बदन पर सहलाते हुये, घुमाते हुये महसूस करना चाहती हूँ, तो आज ही मुझे कुछ करना पड़ेगा।

मैंने जानबूझ कर अम्मी की वही नाईटी पहनी जो उस दिन पहनी थी, जिसमें अब्बू ने मुझे पकड़ लिया था। भाई तो दोनों खाना खा कर सो चुके थे, मैंने अब्बा को खाना दिया, मगर उन्होंने बहुत थोड़ा सा खाया और अपने कमरे में जाकर लेट गए।

मैंने बर्तन किचन में रखे और फिर जाकर अम्मी को देखा, उनका बदन बुखार में तप रहा था, मैंने अम्मी से कहा- अम्मी आप मेरे रूम में सो जाओ, यहाँ अब्बा ए सी चलायेंगे तो आपको और ठंड लगेगी।
और मैंने अम्मी को समझा कर अपने रूम में ले जा कर लेटा दिया।

उसके बाद मैं बाथरूम में गई, अपने बाल ठीक से बनाए, थोड़ा सा मेकअप किया और बड़े आराम से जा कर अब्बा के साथ लेट गई। मगर अब्बा तो सो चुके थे, ज़ोर ज़ोर से खर्राटे मार रहे थे। मैं थोड़ा मायूस सी हो गई कि यार ये क्या बात हुई, मैं तो कुछ और ही सोच कर आई थी, मगर यहाँ तो लगता है मुझे कुछ भी नहीं मिलने वाला।

मगर फिर भी मैंने उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा और अब्बू के बिल्कुल साथ सट कर लेट गई। कुछ देर मैं लेटी लेटी जैसे किसी बात का इंतज़ार करती रही। फिर अब्बा ने करवट बदली और सोते सोते बोले- ऊँह, थोड़ा सा उधर को होना!
और अपनी बाजू से उन्होंने मुझे करवट के बल कर दिया और पीछे से मेरे साथ अपना जिस्म चिपका दिया। उनका पेट मेरी पीठ से लगा और और उनका लंड मैं अपने चूतड़ों से लगा महसूस कर रही थी।

बेशक अब्बू का लंड सोया हुआ था, मगर फिर मुझे वो गर्म और ज़बरदस्त लग रहा था। मैंने खुद अपनी कमर हिला कर अब्बू के लंड को अपने चूतड़ों में सेट कर लिया। मगर मुझे इससे भी चैन नहीं आया, तो मैंने अपना हाथ पीछे को घुमाया और लुंगी में ही अब्बू का लंड पकड़ लिया।
मोटा और मजबूत लौड़ा।
मगर जब हाथ में पकड़ लिया तो मुझे और चुदास होने लगी, सिर्फ पकड़ कर क्या करती, मैंने बड़े हल्के से अब्बू के लंड को हिलाया, और हिलाया… और हिलाया… कभी दबाया तो कभी आगे पीछे किया।

बेशक अब्बू सो रहे थे, मगर उनका लंड जाग रहा था और मेरे हिलाने से वो ताव खाता जा रहा था और अपना आकार ले रहा था।
फिर अब्बा की आवाज़ मेरे कानों में पड़ी- क्यों पंगे ले रही है, सो जा कुतिया।
मगर मैं कैसे सो सकती थी, अब्बू के लंड को हाथ में पकड़ने के बाद मैं तो उसे अपनी चूत में लेने को तड़प रही थी।

मैंने धीरे धीरे अपनी नाईटी सरका कर ऊपर को खींच ली और अपनी कमर तक खुद को नंगी कर लिया, अब मैंने नीचे से कोई ब्रा या पेंटी तो पहनी नहीं थी, तो कमर तक नाईटी उठाते ही मैं नंगी हो गई। अब मेरा दिल चाह रहा था कि अब्बा की लुंगी भी ऊपर सरका कर उनका लंड बाहर निकाल कर देखूँ।
इसीलिए मैंने अपने अब्बू की लुंगी का एक किनारा पकड़ा और उसे ऊपर की ओर सरकाने लगी। मैंने कोई जल्दी नहीं की, बड़े आराम से सरकाते हुये मैं अब्बा की लुंगी उनकी जांघों तक उठा लाई।

अब तो बड़ा आसान था, मैंने आगे से लुंगी को ऊपर को उठाया और अब्बा का लंबा मोटा लंड, जिसे मैंने अम्मी के हाथों में, मुँह में और चूत में घुसते देखा था, मेरी मुट्ठी में था।
मैंने पकड़ कर अब्बा के लंड को अपने चूतड़ों के साथ लगाया।
अब्बा की नींद शायद टूट गई, मगर वो जगे नहीं, नींद में ही बोले- क्या हुआ अमीना, बहुत तड़प रही है, सो जा और मुझे भी सोने दे।

मतलब अब्बा को यही अहसास था कि उनके साथ मैं नहीं उनकी बीवी ही लेटी है।
तो मैंने सोचा के क्यों न फिर खुल कर खेलूँ।

मैं उठ बैठी और मैंने अब्बा की सारी लुंगी ऊपर को खींच दी और उनका लंड अपने दोनों हाथों में पकड़ लिया। अब तो वो 8 इंच का मोटा मूसल मेरे हाथों में था, पूरा तना हुआ। रोशनी बहुत कम थी, मगर फिर भी मैं देख सकती थी।
मैंने पहले तो लंड को थोड़ा सा सहलाया, मगर लंड को हाथ में पकड़ने से मेरे जिस्म की आग भड़क गई थी, तो मैंने आव देखा न ताव, अब्बा के लंड का टोपा अपने मुँह में ले लिया।

लंड की मदमस्त गंध मेरी साँसों में और लंड का नमकीन कसैला सा स्वाद मेरे मुँह में घुल गया। मगर मुझे तो ये स्वाद पसंद है, बहुत पसंद है। मैंने लंड अभी थोड़ा सा ही चूसा था कि अब्बा की नींद फिर से टूटी, वो फिर से बिदके- क्या कर रही है, छिनाल, बहुत आग लगी है क्या?
मगर जब मैं फिर भी चूसती रही तो, अब्बा उठ बैठे- रुक अभी तेरी माँ चोदता हूँ कुतिया!
कह कर अब्बा ने अपनी लुंगी उतार फेंकी और मुझे धक्का दिया तो मैं खुद ही घोड़ी के पोज़ में आ गई।

अब्बा ने दारू के नशे कुछ आगा पीछा न सोचा और अपना लंड पकड़ कर मेरी चूत पर रखा और बड़ी बेदर्दी से अंदर घुसेड़ दिया।
“हाय अम्मी…” बस यही निकला मेरे मुँह से।

मगर अब अब्बा को जुनून चढ़ चुका था, उन्होंने बड़ी मजबूती से मेरी कमर को दोनों तरफ से पकड़ लिया और लगे लंड पेलने। पहले तो मुझे बहुत रोमांचक सा लगा कि आज मेरे मन की इच्छा पूरी ही गई। मगर अब्बा हर तरह से फरीद से कहीं बेहतर थे। उनके मजबूत हाथों की सख्त उंगलियाँ जैसे मेरे कूल्हों में गड़ी पड़ी थी कि मैं हिल न सकूँ, और उनके जोरदार घस्से, मेरे सारे वजूद को हिला रहे थे।
मेरे बाल बिखर गए, मैं तो जैसे पागल सी हो रही थी। फरीद ने आजतक मुझे ऐसा मजा नहीं दिया। इतनी ताकत, इतना ज़ोर, जैसे शेर ने अपने शिकार को पकड़ रखा हो और शिकार तो खुद शिकार बन कर बहुत खुश था।

अब्बा का नशा तो जैसे मुझे होने लगा था। उनकी चुदाई में मैं बस ‘आई अम्मी जी, ऊई अम्मी जी, हाय अम्मी जी। बस अम्मीजी अम्मीजी’ ही करे जा रही थी।
अब्बा ने मुझे करीब 20 मिनट चोदा।

बेशक ए सी चल रहा था मगर अब्बा तो पसीने में भीगे ही, मैं भी पसीना पसीना हो रही थी। एक बार मैं झड़ चुकी थी, मगर मैं चाहती थी कि न मैं दोबारा झड़ूँ, और अब्बा तो बिल्कुल भी न झड़ें। क्या अम्मी रोज़ इस शानदार मर्द से चुदवा कर अपनी ज़िंदगी के मजा ले रही थी, मेरी चूत तो जैसे पानी का दरिया हो रही थी, छप छप हुई पड़ी थी, मेरी चूत के पानी से।

पता नहीं दारू का नशा था या नींद… अब्बा ने मुझे चोदा तो खूब मगर मुझे और कहीं भी नहीं छुआ, न मेरे मम्में दबाये, न मुझे चूमा। मुझे भी इस लाजवाब चुदाई में ये ख्याल नहीं आया कि अब्बा मेरा मखमली बदन सहला कर तो देखो।

फिर अचानक अब्बा की जवानी में सैलाब आ गया और मेरी चूत अंदर तक अब्बा के गर्म, गाढ़े, रसीले माल से भर गई। अब्बा ने बहुत ज़ोर वो आखरी झटके मेरी चूत में मारे, और जब झड़ गए तो फिर से बिस्तर पर गिर कर सो गए।
मैं वैसे ही लेटी रही।
कितनी देर मैंने अपने सोये हुये अब्बू के सीने पर सर रख कर उनके ढीले लंड को अपने हाथ में लेकर लेटी रही। कितना सारा माल तो उनकी अपनी जांघों और कमर पर भी गिरा। मैंने एक उंगली उनके लंड के टोपे पर लगाई और फिर उस उंगली पर लगा हुआ अब्बा का माल मैंने अपने जीभ से चाटा।
बढ़िया गाढ़ा माल, नमकीन।

मैंने पहले फरीद का माल भी एक दो बार चखा था, मगर उसका माल पतला सा होता था। मगर अब्बा का माल तो गोंद की तरह गाढ़ा था।

उसके बाद मैंने अपनी नाईटी उतार दी और बिल्कुल नंगी हो कर अब्बा के साथ ही सो गई।

सुबह करीब 6 बजे मेरी आँख खुली, तब तक अब्बा सो रहे थे। मैं जाग तो गई, पर बिस्तर से नहीं उठी। मैंने देखा अब्बा बेशक सो रहे थे, मगर उनका काला लंड पूरी शान से सर उठाए खड़ा था। मगर अब मैंने अब्बा के लंड को नहीं छेड़ा। मैं चाहती थी कि अब्बा जाग जाएँ और उठ कर मुझे देखें।

थोड़ी देर बाद अब्बा भी उठे। मैं सोने का नाटक करने लगी, मगर मैं अपनी टाँगें खोल कर लेटी थी। अब्बा उठे और पहले आँखें मलते हुये उन्होंने अपनी लुंगी उठाई और खड़े होकर बांधने लगे। लुंगी बांधते बांधते उनका ध्यान मेरी तरफ गया।
पहले तो उन्होंने बड़े ध्यान से मेरे बदन को और फिर जब मेरे चेहरे को देखा तो चौंक पड़े- या अल्लाह…!
बस इतना ही बोल पाये और झट से दूसरे कमरे में गए।
उधर उन्होंने अम्मी को सोये हुये देखा और फिर वापिस मेरे कमरे में आए.

मैं भी जान बूझ कर उठने का नाटक सा करने लगी, और जब आँखें खोल कर अब्बा को देखा तो अपना मुँह अपने हाथों से ढक लिया। अब्बा सिर्फ इतना ही बोले- कपड़े पहन लो!
और बाहर को चले गए।

मगर मैं खुश थी, चुदाई का एक नया एहसास हुआ था मुझे।
अम्मी तीन चार दिन बीमार रहीं, और मैं ही हर रोज़ अब्बा के साथ सोती, पहले दो दिन तो अब्बा दारू पी कर आए थे, मगर बाद में वो सोफी ही आते, खाना खाते और जब मैं गहरी नींद में सोने का नाटक कर रही होती, तो वो मुझे जम कर पेलते।
एक कुँवारी लड़की के जिस्म से उन्होंने जी भर के खेला, बाद में तो मेरे सारे जिस्म को वो जैसे चाट गए, खा गए।
रोज़ रात को अब्बू दो बार मुझे चोदते।

फिर जब अम्मी ठीक हो गई तो वो अब्बू के साथ सोने लगी और मेरी और अब्बू की चुदाई का खेल बंद हो गया इस लिए अब ज़रूरी हो गया था कि अम्मी के सामने भी मैं अब्बू से चुदवा लूँ।


2 दिन बाद अम्मी घर में नहीं थी, उस दिन कोई कारीगर भी काम पर नहीं आये थे, मैं नहा कर निकली तो मैंने बिना ब्रा पैंटी के बिना ऐसे ही गाउन अपने पूरे नंगे जिस्म पर डाल लिया था. मेरे अब्बू जो मुझ पर पैनी नज़र रखे हुए थे, वे मुझे देखते ही समझ गए कि मैं अंदर से पूरी नंगी हूँ. मेरे अब्बू की निगाहें उनकी जवान बेटी के सेक्सी बदन पर जैसे गड़ सी गई थी.

मैं उनके लिए चाय बना कर उनको चाय देने गयी तो अब्बू ने मेरे हाथ से चाय लेकर मेज पर रख दी और मेरे को अपनी ओर खींच कर अपनी जांघ में बैठा कर ऊपर से मेरी चुचियों को दबाने लगे।
दोपहर का समय था, 12:30 बज रहे थे, घर में किसी को आना जाना नहीं था, मैं भी आराम से अब्बू की बाहों में चूची दबाने का मजा ले रही थी और अब्बू के पजामे में हाथ डाल कर अब्बू का लंड सहला रही थी।
हम दोनों बाप बेटी धीरे धीरे मजे से चुदाई की ओर बढ़ गए और मेरे अब्बू अपनी बेटी को घोड़ी बना कर मेरी चूत चोदने लगे, घर में कोई था नहीं तो मैं भी जोर जोर से आवाज़ें निकाल कर चुदाई का मजा ले रही थी।
हम दोनों में से किसी का ध्यान नहीं गया कि मेन गेट खुला हुआ है। मेरा बड़ा भाई एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता है, शायद उस दिन उसकी तबियत खराब थी वो दोपहर में 2 बजे आधी दिन की छुट्टी लेकर घर आ गया, दरवाजा खुला था तो भाई बिना आवाज दिए अंदर तक आ गया और मेरे और अब्बू के चुदाई की चीखें सुन कर हम दोनों की चुदाई देखने में मशगूल हो गया.

करीब आधे घंटे बाद मैं और अब्बू चुदाई से थक कर बिस्तर में ऐसे ही नंगे सो गए, भाई भी अपने कमरे में जा कर सो गया।

शाम को 5 बजे अम्मी आकर मेरे को अब्बू को उठा कर बोली- बिल्कुल नंगे हो कर बेटी के साथ सो रहे हो? घर में जवान लड़का है, देखेगा तो क्या सोचेगा? तू बेटीचोद भी बन गया, और तू कपड़े तो पहन लेती हवस की पुजारिन रंडी!

मैंने और अब्बू ने अपने कपड़े पहने और मैं शाम का खाना बनाने में अम्मी की मदद करने लगी। पर मन तो मेरा चुदाई के लिए तड़प रहा था कि कब फरीद या अब्बू का लंड फिर से मेरी चूत में अदरक कूटे।

रात में जब सब लोग खाना खाने बैठे तो सारे वक्त भाई मुझे खा जाने वाली नज़रों से देख रहा था, मैं शॉर्ट्स में थी, मेरे बड़े हो चुके बूब्स बाहर आने को बेताब थे, मैंने 2-3 बार नोटिस किया कि मेरा भाई मेरे बूब्स और मेरी चूत को घूर रहा था.
उस दिन तो मैंने इग्नोर कर दिया और सोने चली गयी, पर अगले कई दिनों तक भाई के देखने का नजरिया बदल गया था, जब भी मैं उसके सामने आती तो वो मेरे बूब्स को देखता रहता, अपना लंड खड़ा कर के मुझे दिखा दिखा के जलाने की कोशिश करता और अजीब अजीब इशारे कर के गंदी गंदी आहें भरता।

भाई की हरकतें देख कर खुजली तो मेरी भी चूत में बढ़ जाती थी पर समझ नहीं पा रही थी कि वो ऐसा कर क्यो रहे हैं।

शनिवार के शाम को उसका हाफ डे होता, उस दिन वो जल्दी घर आ गया, मैं काम कर रही थी और वो अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आ रहा था, रात में खाना खाते समय अपना लंड बरमूडा से निकाल कर मुझे दर्शन करवा दिया, भाई का लंड देख कर मेरी चूत में खुजली तो हुई पर मैं कोई रियेक्ट नहीं किया चुपचाप खाना खा कर अपने कमरे में सोने चली गयी।

रात में सब के सोने के बाद पता नहीं कब मेरा बड़ा भाई मेरे कमरे में आ गया और मेरे बूब्स सहलाने लगा, मुझे गालों में गले में पीठ में किस करने लगा। मुझे कोई खबर नहीं थी, न ही पता चला. मेरी सांसें तेज़ होने लगी जैसे सपने में कोई मेरी चुदाई कर रहा हो.

पर जब मेरे बदन पर भाई की पकड़ तेज़ होने लगी और वो मेरे बूब्स को जोर से दबाने लगा तो मेरी नींद खुल गयी, तो मैंने देखा कि भाई ये सब कर रहा है. पर अब मैं बिना हिले डुले लेटी रही, देखना चाहती थी, ये जानने के लिए उत्सुक थी तो कि वो क्या क्या करना चाहता है अपनी सगी बहन के साथ।

मेरे कुछ न बोलने पर उसकी हिम्मत बढ़ गयी, मैंने शॉर्ट टॉप पहना हुआ था, तो उसने मेरे टॉप को ऊपर कर के मेरे बूब्स को बाहर निकाल लिया और मुँह में लेकर चूसने लगा।
अब मैं भी वासना से उत्तेजित हो गयी तो मेरे मुँह से कामुकता भरी आहों की आवाज़ ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ निकलने लगी।

मेरी आहों को सुन कर वो जोर से बूब्स चूसने लगा और मेरी जांघों को सहलाने लगा और मेरी पैंट को खोल दिया. मैंने अंदर चड्डी नहीं पहनी थी तो पैंट उतार कर मेरी चूत यानी भाई अपनी बहन की चूत में अपनी जीभ लगा कर चूसने लगा.

जब मेरे बर्दाश्त से बाहर हो गया तो मैं चिल्ला कर बोली- चाट बहनचोद… पूरी जीभ घुसा के अच्छे से चाट अपनी छोटी बहन की चूत!
मेरी आवाज सुन कर वो शर्मिंदा भाव से जाने लगा, तो मैंने उसे रोक कर बोला- मादर चोद, अब कहाँ जा रहा है मुझे गर्म करके बहनचोद, अपनी इस रंडी बहन की चूत की आग को ठंडा कर के जा!
तो वो अपना साढ़े छह इंच का लंड निकाल कर मेरे सामने हिलाने लगा और मेरे मुँह में डालते हुए बोला- चूस इसको मेरी रंडी बहन बिलकीस, ऐसी मजेदार गर्म आइस क्रीम खाने को नहीं मिलेगी. चूस अपने भाई के लंड को और सारा माल पी जा इसका!

मैं उसके लंड को पकड़ के चूसने लगी, वो मेरे मुख की गरमी को ज्यादा देर बर्दाश्त नहीं कर पाया और अपना ढेर सारा माल मेरे मुंह में ही झाड़ दिया और मैं भी उसके पूरे माल को मिल्कशेक समझ कर चाट चाट कर पी गयी लेकिन मैं अपने भाई का लंड चूसना नहीं छोड़ा.

थोड़ी देर में मेरे भाई का लंड फिर से खड़ा हो गया, अब मैंने बोला- भाई, तेरी बहन की चूत में बहुत खुजली हो रही है, डाल दे अपना मूसल लंड अपनी रांड बहन की चूत में और बन जा आज बहनचोद, मादरचोद।

मेरी बात सुन के भाई ने मेरी नंगी जांघों को फैला के मेरी चूत को चाट कर गीला कर दिया, और एक बार में अपना मोटा लंड मेरी चूत में डाल दिया, मैं तो जैसे तड़प उठी, ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने गरम सरिया चूत में डाल दिया हो!

मेरा भाई भी चिल्लाते हुए बोला- बिलकीस, मेरी रंडी बहन… क्या चूत है तेरी… ऐसा लग रहा है समंदर की गहराई में गोते लगा रहा हूँ।

5 मिनट ऐसे ही पड़े रहने के बाद उसने अपना लंड बाहर निकाल कर मेरे मुंह में डाल दिया तो मैंने लंड को कुछ देर चूसा, अपने थूक से गीला किया और फिर भाई ने लंड को अपनी बहन की चूत के अंदर डाल कर बहन की चुदाई करना शुरू कर दिया.

मेरे भाई के लंड में अलग ही नशा छा रहा था, ऐसा मजा फरीद की चुदाई में भी नहीं मिला था.

10 मिनट बाद मैं झड़ने लगी, तो मैंने अपने भाई के पीठ में नाखून गड़ा दिए और उसके सीने में अपने दांत से काट दिया.
वो दर्द के मारे चिल्ला उठा, मैंने पूरी झड़ने के बाद उसको छोड़ा तो भाई ने उठ कर मुझे घोड़ी बना कर पीछे से मेरी चूत में लंड घुसेड़ दिया, और मेरी गांड में हर 3-4 झटकों के बाद थप्पड़ मार देता, जिससे मेरी गांड पूरी लाल हो गयी थी.

मेरा बड़ा भाई लगातार मेरी चुदाई में लगा हुआ था, लगभग 10 मिनट होने को थे, वो लगातार मुझे चोद रहा था और मेरी गांड लाल करने में लगा हुआ था, उसके थप्पड़ मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहे थे तो मैंने नीचे हाथ डाल कर उसके आंड को दबा दिए. तो वो दर्द से बिलबिला कर पीछे हट गया.

अब मैंने झट से उसको बिस्तर में पटका, उसका लंड छत की ओर इशारा कर रहा था, मैं अपने भाई के ऊपर चढ़ा गई और लंड को चूत में लेकर उस पर कूदने लगी।

मेरा भाई नीचे से अपनी बहन की चूत में झटके दे रहा था, मैं ऊपर से धक्के मार रही थी, हम दोनों भाई बहन को चूत चुदाई का भरपूर आनन्द मिल रहा था.

हम लोग को चुदाई करते आधा घंटा होने जा रहा था, मैं कई बार झड़ गयी थी लेकिन भाई का लंड तो झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था।

फिर मैं भाई के लंड को अपनी चूत से बाहर निकाल कर चूसने लगी. 5 मिनट चूसने के बाद फिर से लेट गयी और भाई को ऊपर आ कर चोदने को बोली.
तो भाई मेरे ऊपर लेट कर मेरी चुदाई करने लगा, मैं भी नीचे से पूरा जोर दे कर उसके झटकों के मज़ा को दोगुना कर दे रही थी.
5 मिनट बाद भाई के लंड का लावा फूट पड़ा और उसने पूरा माल मेरे चूत में ही छोड़ दिया और मेरे ऊपर लेट गया. उसके गरम गरम वीर्य की गर्मी से मैं भी एक बार और झड़ गयी औऱ हम दोनों भाई बहन ऐसे ही नंगे चिपक कर सो गए।

सुबह 5 बजे मेरी नींद खुली तो देखा कि भाई और मैं नंगे सो रहे हैं, उसका लंड सिकुड़ कर 2.5 इंच का हो गया है।
मैं भाई के लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी तो उसका लंड धीरे धीरे अपने आकर में आने लगा।

5 मिनट में भाई का लंड मेरी चूत में था, 15 मिनट तक अलग तरीके से मेरी चूत बजा कर अपना पूरा ताज़ा माल मेरे मुँह में डाल मुझे पिला दिया और कपड़े पहन कर अपने रूम में चला गया।
मैं भी अपने कपड़े पहन कर बाथरूम चली गयी और वहां बैठ कर शर्र शर्र मूतने लगी. उसके बाद मैं वापस आकर बिस्तर पर सो गई।

अब तो करीब करीब हर रोज़ रात को मेरा भाई मेरी चूत मारता है और दिन में मौका मिलता है तो कभी अब्बू से तो कभी फरीद से चुदवा लेती हूं।
मेरी चूत को तीन तीन लंड नसीब हो रहे हैं. एक हफ्ते में मेरी चूत दस बारह बार तो लंड खा ही लेती है. मेरी चूत के तो मजे ही मजे हैं.


एक दिन मैंने एक ग्रुप चुदाई की कहानी पढ़ी। उसमें एक लड़की की दो लोग मिल कर चुदाई कर रहे थे।
उस कहानी को पढ़ कर मैं पागल सी हो गयी, मैं सोचने लगी कि कितना मज़ा आये अगर एक साथ एक लंड मेरी चूत को फाड़ रहा हो और उसी समय दूसरा मेरे मुंह हो।

अब्बू भी धीरे धीरे इस बात को जान गए थे कि मैं आरजू भाई से भी चुदती हूँ। पहले तो उन्होंने गुस्सा किया लेकिन बाद में सब शांत हो गया।

एक दिन मैंने भाई को बोला कि मुझे एक साथ एक ही बेड पे दोनों से चुदना है लेकिन भाईजान ने मना कर दिया।
उस रात गुस्से में मैंने भाई को अपनी चुत चुदाई करने नहीं दी।

उसके बाद अगली दो तीन रात ऐसे ही गुजर गए। भाई अब एकदम बेचैन हो गया तो आकर बोला- साली रंडी, जा अब्बू से बात कर… अगर वो मादरचोद तैयार हो गया तो उसके सामने तो मैं अब तुझे व और तेरी अम्मी को भी चोद दूंगा।

फिर मैंने अब्बू को भी ब्लैकमेल करके भाई के साथ मिल कर सेक्स के लिए मना लिया। और फिर शुरु हुई हमारी जबरदस्त चुदाई।
मुझे तो मानो जन्नत मिल गयी जब मेरी चूत में अब्बू का 10 इंच का गधे वाला लंड और उसी समय भाई का 8 इंच का लंड मेरे मुंह में था। मेरी तो पूछो मत मैं सीधे जन्नत पहुँच गयी।

फिर भाई ने नीचे लेट कर मुझे उसके ऊपर लेटा लिया और ऊपर से अब्बू ने मेरी गांड में अपना विशाल लंड डाल दिया. मैं तो दर्द से रोने लगी- उम्म्ह… अहह… हय… याह…
मेरी गांड और चूत दोनों फट गई। मैंने बहुत विनती करी अब्बू से भी और भाई से भी… लेकिन दोनों लगे रहे… मुझे रंडी कुतिया और न जाने दुनिया की कौन कौन सी गालियाँ दी और मेरी जम कर गांड और चूत की चुदाई करी।

सच बोलूं तो बाद में मुझे भी बहुत मज़ा आया था। खैर इन सब बातों का मतलब यह था कि अब मेरे घर में सब चुदक्कड़ हो गए थे, सब के सामने सब लोग चुदाई के मामले में खुल गए थे, बस बाकी था तो भाई का माँ के सामने नंगा होना!

जल्द ही वो मौका भी आ गया.

जैसा कि मैंने बताया था कि मुझे मेरी अम्मी ने फरीद को एक दिन के लिए बेच दिया था, तो मेरी अम्मी भी मुझे मेरे शरीर के बारीकियों के बारे में बताने के लिए मौका देख रही थी कि कब वो मुझे एक औरत की खासियत के बारे बता सकें!
उसके लिए घर का खाली होना जरूरी था, पर ऐसा मौका नहीं मिल पा रहा थ, क्योंकि घर में हमेशा कर्मचारी रहते और रात में अब्बू और भाई दोनों होते तो अब्बू अम्मी को और भाई मुझे चोदते रहते थे तो वो खास मौका नहीं मिल पा रहा था.

एक दिन हमारे एक रिश्तेदार के यहाँ से शादी का बुलावा आया, वैसे जाना तो हम सब को ही था पर यही मौका देखते हुए अम्मी ने जाने से मना कर दिया और मुझे भी रोक लिया। बड़ी मान मनुव्वल के बाद अब्बू और भाई जाने के लिए तैयार हुए। उनको दूर शहर जाना था, सब जल्दी जल्दी में हुआ था तो रिजर्वेशन भी नहीं मिला था, अब्बू और भाई जाने के लिए रात में नौ बजे घर से निकल गए.

वैसे तो स्टेशन घर से 40 मिनट की दूरी पर है, परन्तु शाम के समय ट्रैफिक ज्यादा होता है तो अब्बू और भाई जल्दी निकल गए जिससे स्टेशन समय पर पहुँच सकें.

यहाँ मेरी और अम्मी के पेट की भूख मिटने के बाद अब बारी थी जिस्म की जानकारी लेने की, अम्मी ने मुझे अपने रूम में ले जा कर बैठा दिया और बताने लगी कि कैसे आदमियों को कहाँ छूने से वो पागल हो जाते हैं और मर्द औरतों को कैसे छूते हैं, कहाँ छूते हैं तो औरतें जल्दी गर्म होती हैं.

अम्मी ने सबसे पहले मेरे होंठो में होंठ रख दिए और बड़े प्यार से चूसने लगी. यह मेरे साथ पहली बार था, बड़ा अजीब सा लग रहा था. मेरे गालों को सहलाते हुए मेरे बाल खोल दिए और मेरे बालों को अपने हाथ में जकड़ कर मुझे बड़ी जोर से चूमने लगी, कभी मेरे होंठों को चूसती, कभी मेरे गालों में, कभी मेरी ठुड्डी को चूसती और लगातार मेरे बालो को पकड़ के कभी खींचती और कभी प्यार से सहलाती!

मैं न चाहते हुए भी गर्म हो रही थी, समझ नहीं आ रहा था कि कैसे खुद को रोकूं, अब्बू और भाई भी नहीं हैं… तो कौन मेरी चुदाई करेगा? और कौन मेरी चूत में अपना लंड डाल कर मेरा पानी निकलेगा?
पर मैं सब सोचना छोड़ कर अम्मी का साथ देने लगी, और जैसे वो मुझे चूम रही थी मैं भी अम्मी के ऊपर चढ़ कर अम्मी को चूमने लगी.

तभी अम्मी मेरी कुर्ती उतार के ब्रा ऊपर से मेरे दूध दबाने लगी और मेरे पीछे बैठ के पीछे से मेरे गले में मेरे कान के पीछे किश करने लगी. अम्मी के इस तरह से करने में मेरी हालत तो जल बिन मछली जैसे हो गयी, ऐसा लगने लगा कि आज तक इतना मज़ा तो अब्बू ने भी नहीं दिया… और अभी तो अम्मी सिर्फ किस कर रही हैं तो ये हाल है कि मेरी चड्डी चूत के पानी से पूरी भीग गयी थी, बिना चूत को छुए इतनी बेचैन चूत पहले कभी नहीं हुई थी. ऐसा लग रहा था अभी कोई मेरी चूत में अपना लौड़ा घुसेड़ दे.

अम्मी धीरे धीरे मेरी ब्रा खोल के उतार दी और मेरे दोनों दूध के निप्पल को पकड़ के दबाने लगी. फिर अम्मी ने अपने कपड़े भी उतार दिए और नंगी मुझसे चिपक कर मेरे निप्पल को दबाने लगी, फिर उन्होंने मुझे अपनी और घुमा कर दोनों हाथ से मेरे निप्पल को ऊपर नीचे कर के उन्हें चूसने लगी.

ये सारी चीज़ें मेरी बर्दाश्त से बाहर थी और मैं अपनी चूत में उंगली लगाने लगी तो अम्मी ने मुझे आँख दिखते हुए मेरे हाथ को चूत से हटा कर किनारे कर दिया.
मैं छटपटाने लगी और अम्मी की पकड़ से छूटने की कोशिश करने लगी.

अम्मी ने एक झटके में मेरा लोअर उतार दिया और अपनी भी सलवार उतार कर पैंटी नीचे सरका के मुझे अपनी चूत दिखा के बोली- देख यहाँ अभी तक सूखा पड़ा है, तुझे बड़ी जल्दी है आंसू बहाने की?
फिर अम्मी ने मेरी पैंटी के ऊपर से मेरी चूत में अपनी जीभ लगा के चूत चाटना शुरू कर दिया. उस समय मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी ने गर्म तवे में बर्फ रख दी हो, ऐसा फील हुआ कि अभी कोई मेरी चूत में 2-2 लन्ड घुसेड़ दे, पर मजबूर थी क्योंकि आज मैं अम्मी के चंगुल में फसी हुई थी, अम्मी लगातार मेरी चूत चाटने में लगी हुई थी.

फिर अम्मी ने मेरी पैंटी उतार कर मेरी चूत का पूरा रस चाट चाट कर साफ कर दिया और मुझे 69 पोजीशन में लेटा कर बोली- मेरी चूत चाट!
मुझे बड़ा अजीब सा लगा, लन्ड तो कई बार चूसे थे पर चूत चाटना बड़ा गंदा लग रहा था.

अम्मी ने मेरी चूत में अपनी उंगली डाल के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया, यहां मेरी हालत खराब होने लगी और अम्मी मुझे तड़पाने में लगी थी और मैं अम्मी की चूत चूसने में लड़खड़ा रही थी। अम्मी ने चिल्लाते हुए कहा- चूसेगी रंडी की औलाद? छिनार साली बाप का लन्ड तो आइसक्रीम जैसे चूसती है, चूस मादरचोद!

मैंने डर के अम्मी के चूत में मुँह लगा दिया, जैसे ही मुँह लगाया मुझे टेस्ट गजब का लगा, अब मैं और अम्मी दोनों एक दूसरे की चूत चाट रही थी और उंगली कर रही थी.
मैं तो पहले ही सेक्स की आग में जल रही थी. अब अम्मी की भी सिसकारियां निकलने लगी थी, जैसे जैसे वो आवाज़ निकलती और आहें भरती, उतनी ही जोर से मेरी चूत में उंगली अंदर बाहर करती, और जोर से मेरी चूत को काटती!

इधर मैं भी जोश में आकर अम्मी की चूत में उंगली करने लगी थी, और हम दोनों लेस्बियन चुदाई में लगी हुई थी। ये सब करते करते लगभग 12:30 बज़ चुके थे।

तभी अम्मी ने मुझे उठा कर अपनी गोद में बिठा दिया और रबर का लन्ड अपनी चूत में घुसा के मुझे भी अपने ऊपर बिठा कर आधा लन्ड मेरी चूत में घुसेड़ दिया, अब मैं अम्मी के ऊपर गोद में बैठी अपनी चूत की खुजली मिटा रही थी।

थोड़ी देर में मुझे कुछ आहट सी सुनाई दी, अम्मी ने ध्यान नहीं दिया, वो मेरी चूत को उंगली से चोदने में लगी रही और मैं भी अम्मी की चूत चुदाई में लगी थी.

10 मिनट बाद मुझे फिर से आहट सुनाई दी, तो मेरी नज़र अब्बू और भाई पर पड़ी, मैंने देखा कि अब्बू अपना लौड़ा निकाल के हिला रहे थे और भाई पैन्ट के ऊपर से लन्ड मसल रहा था, तो मैंने चौंक के अम्मी को आवाज़ लगाई, अम्मी ने भी देखा तो आश्चर्य से पूछने लगी- तुम लोग गए नहीं? वापस क्यों आ गए?
तो अब्बू ने कहा- ट्रैफिक के कारण लेट हो गए तो ट्रेन छूट गयी इसलिए वापस आ गए! तुम लोग ये क्या कर रही हो?

अम्मी बोली- मैं बिलकिस को चुदाई के गुर सिखा रही हूं.

अब्बू बोले- तो फिर मैं तुम दोनों की चुदाई करूँगा!
तभी भाई भी बोल दिया- तो क्या मैं यहाँ खड़ा होकर लन्ड हिलाऊंगा, मैं भी इन दोनों रंडियों को चोदूंगा।

तो अब्बू ने उसके गाल पे चांटा मरते हुए बोले- भोसड़ी के, तू अपनी अम्मी को चोदेगा मादरचोद?
तो भाई ने कहा- जब आप रोज अपनी बेटी की चुदाई करते हो तो मैं भी दोनों को आज चोदूंगा।

तभी अम्मी ने कहा- चल आ मादरचोद… देखूं तेरे लन्ड में कितना दम है?

सभी लोग नंगे हो कर बिस्तर में आ गए और शुरू हो गया सेक्स का नंगा नाच।

भाई ने मुझे दबोचा और अब्बू ने अम्मी को दबोच लिया, भाई मेरे बूब्स को अपने हाथों में पकड़ कर दबाने लगा और मेरे होंठ में किस करने लगा. उधर अब्बू का लन्ड अम्मी के मुंह में था और वो लपलप कर के लन्ड को चूसे जा रही थी. भाई का लन्ड अब्बू के लन्ड से छोटा था तो मुझे अब्बू के लन्ड से चुदने की इच्छा ज्यादा थी, पर अब्बू के लन्ड पर आज अम्मी मुँह मार के बैठी थी।

भाई लगातार मेरे बूब्स दबा रहा था. फिर वो धीरे से अपने हाथ को चूत में डाल कर मेरे दूध को जोर जोर से चूसने और काटने लगा, जिससे मुझे दर्द भी हो रहा था और मज़ा भी आ रहा था.

उधर अम्मी अब्बू के लन्ड को चूस चूस के लाल करने में लगी थी और मेरा भाई मेरी चूत के उंगली कर कर के मुझे गर्म करने में लगा था।

मैं भाई को 69 पोजीशन में आने के लिए बोली और उसको चूत चाटने के लिए बोल कर मैं उसका लन्ड चाटने लगी, हम लोग की देखा देखी अम्मी अब्बू भी 69 पोजीशन में आ गए और अम्मी अब्बू भी एक दूसरे का लन्ड और चूत चूसने लगे।

15 मिनट तक चूसने चुसाने का कार्यक्रम चलता रहा और सारे लोग एक एक बार झड़ कर थक चुके थे, सभी लोग ऐसे ही नंगे लेट गए, मेरे बगल में अब्बू थे, उनके बगल में भाई, फिर अम्मी!
थोड़ी देर बाद अम्मी ने भाई के लन्ड को पकड़ के हिलाना शुरू किया और अब्बू ने मेरी चूत चाटने लगे। आज उन्होंने मेरी गांड मारने की बात कही तो मैंने बोला- अब्बू आप चूत में डाल दो, भाई को गांड में डालने दो, मैं दोनों के लन्ड का मज़ा एक साथ लेना चाहती हूं।

अब्बू ने भाई को नीचे लिटा के मेरे को उसके ऊपर लेटा कर भाई को मेरी गांड में लन्ड डालने बोल दिया, और जब वो मेरी गांड में लन्ड डाल दिया तो अब्बू ने मेरी चूत में पूरी तरह से अपना लन्ड डाल के चुदाई शुरू कर दी.

उस टाइम तो ऐसा लग रहा था किसी ने मेरे शरीर में 2-2 तलवारें घुसा दी, मज़े के चक्कर में दो दो लन्ड लेना मेरे लिए जान की आफत बन गया, पर अब कर क्या सकते थे, दोनों लोग मेरी चूत और गांड की अच्छी तरह से बैंड बजा रहे थे।

तभी अम्मी भी मेरी मुँह में अपनी चूत दबा के बैठ गयी और मुझे चुसाने लगी, साथ ही साथ मेरे दोनों बूब्स दबा रही थी, आज तो मानो मैं एक ब्लू फिल्म की रंडी बन गयी थी और मेरे साथ थ्रीसम चुदाई हो रही थी।

फिर अब्बू ने अपना लन्ड निकाल के दूसरी तरफ मुँह कर के फिर से लन्ड घुसेड़ के चुदाई स्टार्ट कर दी। इधर अम्मी ने रबर के लन्ड को अपने चूत में डाल के उसको मेरे मुंह में डाल के मज़ा लेने लगी, भाई नीचे से हाथ निकाल के मेरे बूब्स दबाने लगा.

ये सब करते करते लगभग 15 मिनट हो चुके थे, भाई 1 बार मेरी गांड में अपना वीर्य भर चुका था, 2 बार मेरी चूत पानी बहा चुकी थी, अब्बू अभी तक टिके हुए थे, अम्मी की चूत का पानी पूरा मेरे मुंह में और गले में भर रहा था।

मैंने अम्मी को किनारे किया और भाई मेरे नीचे से निकल कर अम्मी की चूत में अपना लन्ड डाल दिया और अब्बू ने मेरे तीसरी बार झड़ते ही अम्मी की गांड में घुसेड़ दिया, और दोनों ने एक साथ अम्मी की चुदाई शुरू कर दी.

भाई चोदते हुए खुद को गाली देने लगा था, जिसमें वो खुद को मादरचोद कह कर हँस रहा था और अम्मी को जोर जोर से चोद रहा था, अब्बू भी अब थकने लगे थे। मैं अम्मी के दूध दबाने में लगी थी और उनके पेट में हाथ फिरा रही थी।

5 मिनट में भाई ने अम्मी चूत में अपना पूरा माल छोड़ दिया, जैसे ही वो हटा, अब्बू ने अपना लन्ड निकाला और अम्मी की चूत में डाल दिया, और भाई के वीर्य की चिकनाई में ही लन्ड अंदर बाहर करते हुए अपना भी वीर्य अम्मी की चूत में डाल कर लेट गए.

इधर मैं और भाई भी थकान के कारण जहां जगह मिली, सो गए।

लगभग सब की चुदाई होते होते 3 बज़ गए थे। दूसरे दिन रविवार था, कर्मचारियों को आना नहीं था, तो सब नंगे ही सो रहे थे.

पर 10 बजे दरवाज़े के खुलने की आवाज़ आयी, शायद रात में भाई ने दरवाजा बंद करना भूल गया और मौके का फायदा उठा कर कोई अंदर आ गया और उसने हम सब को ऐसे नंगे हालात में देख लिया।

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