ये बात उन दिनों की है, जब मेरी मौसीजी की 25 वीं एनिवरसिरी थी और मुझे घर की डेकोरेशन में मदद के लिए बुलाया था. हालांकि फंक्शन एक हॉल से होकर था.
घर की डेकोरेशन करते समय वो मस्ती कर रही थी, उसी मस्ती में दो बार मेरा उसके मम्मों पर हाथ लग गया और वो शर्मा गई.
फिर सब लोग तैयार होने लगे और हॉल में जाने के लिए निकले. मेरी बाइक पर मैं मेरी वाइफ और मेरी दोनों सालियां चलने को आई, तो मैंने मेरी छोटी साली को मेरे पीछे बिठा लिया ताकि मैं उसके मम्मों का मजा ले सकूँ. बाइक स्टार्ट की और हम सब चल दिए.
चलते-चलते मैं जानबूझ कर अपनी पीठ से उसके मम्मों को दबा रहा था और गड्डे में होकर ही गाड़ी को चला रहा था, जिसकी वजह से वो आगे-पीछे हो रही थी और मैं उसके मदमस्त मम्मों की नरमी का मज़ा ले रहा था.
फिर हम लोग हॉल पहुँच गए. मेरी साली को उसके पापा ने कुछ बोला और वो उदास सी हो गई. उसके बाद मैं और साली केक लेने चले गए, और केक लाने बाद जब हम हॉल में पहुँचे तो कार्यक्रम शुरू होने में अभी टाइम था.
वो बोली- चलो, केक घर पे रख आते हैं. मैं उसके साथ चला गया.
घर जाकर केक फ़्रीज़ में रखा और उसके उदास चेहरे को देख कर मैंने उससे कहा- क्या हो गया.. ऐसा चलता रहता है, मन खराब मत करो.
मैंने उसको गले लगा लिया और वो मान गई. फिर मैंने उसका चेहरा दोनों हाथों से पकड़ कर उसके नाज़ुक होंठों को चूम लिया. जब उसका कोई ऐतराज नहीं हुआ तो मैं उसके गाल पर, गले पर किस करने लगा.
वो शर्मा गई और अन्दर चली गई. मैं समझ गया कि उसे भी अच्छा लगा है. मैंने उसके पीछे से जाकर उसे जकड़ लिया और गले पर किस करने लगा. वो मुझसे छुड़ाने कोशिश करने लगी और दूर हो गई. फिर मैंने उसको खींचते हुए दीवार से चिपका कर उसे फिर किस करने लगा और उसके मम्मों को दबाने लगा. वो मुझसे छूटने के लिए मचलती रही और कहने लगी- प्लीज़ जीजू नहीं मत करो.
अब मैं कहाँ मानने वाला था, मैंने साली की चुदाई करनी थी लेकिन टाइम की कमी के कारण मैंने उसे छोड़ दिया और हम वापस हॉल को चले गए. उस दिन मेरी साली पूरा दिन मेरे साथ मेरी वाइफ की तरह रही. फिर फंक्शन ख़त्म होते ही हम लोग वापस चले आए.
फिर एक दिन मेरी मौसीजी को कहीं बाहर गाँव जाना हुआ, साथ में मेरी वाइफ भी गई हुई थी. मेरे मौसाजी दुकान चले गए थे तो मैं मौका देख कर घर आ गया और उसे चोदने का प्लान बना लिया.
मैं जैसे ही वहां पहुंचा तो उसने कहा- अरे जीजू, यहाँ कैसे आना हुआ?
तो मैंने कहा- कुछ नहीं.. यहाँ से गुजर रहा था, सोचा सबको मिलता चलूँ.. पर कोई दिख नहीं रहा है.. सब कहाँ गए?
उसने कहा- मम्मी बाहर गाँव गई हैं और पापा दुकान गए हैं, आप अन्दर आइए ना..!
फिर हम बातें करने लगे और फिर मेरी साली ने पूछा- जीजू क्या लेंगे चाय ठंडा?
तो मैंने मस्ती में कहा- आज तो तुम्हारा दूध पीना है.
वो शर्मा गई और किचन में चली गई. मैं भी उसके पीछे किचन में आ गया और उसको पीछे से पकड़ लिया.
अब मैं उसकी गर्दन पर किस करने लगा. वो पहले तो कुछ नहीं बोली तो मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैं उसके मम्मों को को सहलाने लगा.
अब वो मुझे दूर हटाते हुए कहने लगी- नहीं जीजू, प्लीज़ ये ग़लत है.
मैंने कहा- प्यार करना ग़लत या बुरा नहीं होता.
वो कुछ नहीं बोली और मैं उसे गले पर चूमने लगा और उसके मम्मों को दबाने लगा. अब वो भी थोड़ी गर्म होती जा रही थी.
तभी अचानक उसने फिर से बोला- नहीं जीजू मत करो..
लेकिन अब मैं कहाँ मानने वाला था. मैंने कहा- क्या तुम मुझे प्यार नहीं करती?
तो वो बोली- ऐसी बात नहीं है.
मैंने कहा- प्यार करती तो हो.. लेकिन मुझे करने नहीं देती.
वो फिर से शर्मा गई और उसने मुझसे चिपके रह कर दुबारा पूछा- क्या पीओगे?
मैंने कहा- वही.. जो मैंने पहले कहा था.. तेरा दूध पीना है.
वो इठला कर बोली- अभी इसमें से दूध कैसे निकलेगा?
मैंने कहा- वो तुम मुझ पर छोड़ दो.
लेकिन उसने मना कर दिया, तो मैं उसे मनाते हुए बोला- तो ठीक है, मैं जा रहा हूँ, तुम मुझे प्यार नहीं करती, बाय.
मैं ये कहकर जाने लगा तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा- प्लीज़ मत जाओ.. पर ये ग़लत है.
मैं नहीं माना तो आख़िर में उसने ‘हाँ’ कर दी.
उसके हामी भरते समय मैंने उसके चेहरे पे एक अजीब सी लाली देखी. उसी वक्त मैं उसके मुँह को पकड़ कर उसके लब पर किस करने लगा और उसके लब चूसने लगा. अब वो भी मेरा साथ देने लगी.
फिर मैं उसका टॉप निकालने लगा तो वो बोली- नहीं..
तो मैंने कहा- फिर मैं दूध कैसे पीऊंगा?
बोली- सिर्फ़ ऊंचा करके कर लो.
मैंने कहा- चलो, ठीक है.
मैंने उसका टॉप ऊंचा करके उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा को साइड में करके उसके मस्त मम्मों को देखने लगा. उसने पूछा- क्या देख रहे?
तो मैं बोला- तुम्हारे मम्मों को.. कितने गुलाबी हैं.
वो शर्मा गई.. मैंने उसके मम्मों पे जैसे हाथ रखा, उसने अपनी आँखें बंद कर लीं. उसके बाद मैंने उसके लब चूसना शुरू कर दिए और दस मिनट तक चूसे.
अब मेरी साली बोली- सिर्फ होंठ ही चूसोगे कि दूध भी पीओगे?
तो मैंने कहा- क्या बात है.. बहुत उतावली हो रही हो?
उसने आँखें नीचे कर लीं. फिर मैं सोफे पर बैठ गया. मैंने मेरी साली को गोद में अपनी तरफ मुँह करके बिठा लिया और उसके एक मम्मे को अपने मुँह में ले लिया. जैसे ही मैंने उसकी निप्पल पे जीभ फिराई.. तो उसकी सिरहन निकल गई- सीईईई.. और मेरा सिर पकड़ लिया.
मैंने उसके मम्मों को चूसना शुरू कर दिया और वो सिसकारी लेने लगी ‘आहह.. सीईईई.. उऊहह.. बस जीजू प्लीज़ कुछ हो रहा है..’
मैंने जोर से उसका निप्पल दबा दिया.. तो वो उछल पड़ी.
वो धीरे-धीरे गर्म होती जा रही थी.. उसी वक़्त मैंने उसकी टॉप निकाल दिया, उसको पता ही नहीं चला. अब मैं उसके पेट पर किस करने लगा और धीरे से सलवार का नाड़ा भी खोल दिया. इसके तुरंत बाद मैंने अपने हाथ को सलवार के अन्दर डाल कर चड्डी के ऊपर से ही उसकी चुत को छुआ, वो एकदम से हिल गई.
वो सिसयाते हुए कहने लगी- नहीं जीजू प्लीज़.. ये ग़लत है.
लेकिन मैं कहाँ रुकने वाला था. मैं उसका एक बूब मुँह में लेकर चूस रहा था और दूसरा बूब एक हाथ से मसल रहा था. साथ ही दूसरे हाथ से उसकी चुत को भी रब कर रहा था. वो मस्ती में आँखें बंद करके चुत की चुदास से मचल कर सिसकारी ले रही थी ‘अह.. सीईई.. अहह उम्म्म्म.. आअहह जीजू.. नीचे कुछ हो रहा है.. प्लीज़ हाथ हटा लो..’
अब वो पूरी गर्म हो चुकी थी और मेरा सिर पकड़ कर खुद अपने बूब पे दबा रही थी, उसकी ‘आअहह ससईईईई और जोर से चूसो आअहह..’ की सिस्कारियां मुझे उत्तेजित कर रही थीं.
फिर मैंने उसको बेड पे लिटा दिया और उसके पूरे बदन को चूमने लगा और धीरे-धीरे नीचे आकर उसके पेट को चूमा, उसकी नाभि में जीभ डाल कर चूसने लगा. वो इतनी मदहोश हो गई थी कि मैंने उसकी सलवार और पेंटी पूरी तरह से उसकी टांगों से निकाल दी और उसे पूरी नंगी कर दिया.
अहा.. क्या कयामत लग रही थी..
फिर मैंने उसके पैरों को खोल कर उसकी गुलाबी चुत के दाने पर अपनी जीभ को फेरा.. तो उछल पड़ी.
वो बोली- अह.. जीजू नहीं ये नहीं प्लीज़..
लेकिन मैंने अपना काम चालू रखा. वो कुछ नहीं बोली.. बस ‘सीईईईह.. आअहह ऊहह और करो.. आअहह..’
अब मैं भी जोश में आ गया और उसकी चुत का दाना खींचते हुए चुत को चाटने लगा. उसकी चुत से अजीब सा रस निकल रहा था. वो झड़ने लगी थी.. मैं उसका पूरा रस पी गया.
वो जोर से चिल्ला उठी- आअहह उईई.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… मैं गई.. अह..
इतना कह कर वो ढीली हो कर निढाल हो गई. थोड़ी बाद मैंने उसको मेरा लंड चूसने को कहा, पहले तो मना करने लगी.
बोली- मुझे अच्छा नहीं लगता.
तो मैंने कहा- एक बार ले कर देखो.. अगर मज़ा ना आए तो निकाल देना.
वो मान गई.. लेकिन मेरा लम्बा लंड देख कर पहले तो डर गई और बोली- जीजू ये तो बहुत मोटा है.. मेरे मुँह में नहीं आएगा.
मैंने कहा- जितना आ जाए.. उतना ले लो.
जैसे ही उसने अपना मुँह खोला मैंने लंड के सुपारे को उसके मुँह में डाल दिया. वो लंड पर जीभ फेरने लगी और मैं अपने लंड को आगे-पीछे करके उसके मुँह को चोदने लगा. धीरे-धीरे करके उसने मेरा लंड अपने गले तक ले लिया.
अब वो लंड को मुँह से निकालना चाहती थी लेकिन मैंने नहीं निकाला और अन्दर तक झटके मारने लगा.
उसके मुँह से अजीब सी आवाजें निकलने लगीं- उगम्म्म्मम उगउंम्म..
उसकी आँख से आंसू आने लगे. फिर मैंने लंड बाहर निकाल लिया. उसका चेहरा सांस रुकने से पूरा लाल हो गया था.
फिर मैंने उसको लेटा दिया और ऊपर चढ़ कर उसे चूमने लगा. साथ ही एक हाथ से मैं अपने लंड को उसकी चुत पर सैट करने लगा. उसके बाद उसके दोनों हाथ पकड़ कर मैंने एक जोर का धक्का दे मारा, लेकिन चिकनाई के वजह से लंड फिसल गया. मैंने दोबारा से लंड को चुत पर साधा और एक जोर का धक्का लगा दिया. अबकी बार सुपारा अन्दर जाकर फंस गया और वो जोर से उछल कर चिल्लाने लगी- अह जीजू ,मर गई.. बाहर निकालो.. मैं मर जाऊंगी.. बहुत दर्द हो रहा है.. प्लीज़..
मैंने उसकी चिल्ल-पों को नजर अंदाज किया और दूसरे झटके में पूरा लंड पेल अन्दर तक दिया.
उसकी आँख से आंसू निकल आए और मेरा लंड उसकी बच्चेदानी से टकरा गया. मैं अब रुक गया और उसको चूमने लगा.. सहलाने लगा. वो धीरे-धीरे नॉर्मल हुई और उसका दर्द कम हो गया.
जब वो अपनी गांड उठाने लगी तो मैं समझ गया और मैं भी झटके मारने लगा. उसके मुँह से ‘आअहह आऊहह सीईई.. उम्म्म्म..’ की आवाज़ पूरे रूम में आ रही थी.
तकरीबन दस मिनट बाद वो झड़ गई, लेकिन मेरा काम अभी बाकी था. वो ढीली हो गई थी, मैं उसे जोर-जोर से चोदने लगा और कुछ मिनट बाद मैं उसकी चुत में झड़ने को हो गया.
फिर हम दोनों साथ में झड़ गए और मेरे वीर्य से उसकी चुत भर गई. उसने देखा तो चादर पर खून लगा था और उसके साथ में रस भी गिर रहा था.
वो घबरा गई और बोली- जीजू कुछ होगा तो नहीं?
मैंने कहा- तुम टेंशन मत लो.. कुछ नहीं होगा.
फिर हम दोनों बाथरूम जाकर साथ में नहाए और मेरी साली को किस करके पूछा- कैसा लगा?
तो शर्मा कर बोली- आप पागल हो.. ऐसे कोई करता है भला.
मैंने उसे चूमते हुए कहा- आई लव यू.
वो बोली- आई लव यू टू जीजू.
उसने मुझे गले लगा कर कहा- बहुत मज़ा आया पति जी.
मैंने कहा- दूसरी बार करना है?
तो बोली- अभी नहीं.. बाद मैं, अभी कोई आ जाएगा.
तो उस रोज सुबह से ही हल्की बारिश हो रही थी। मैं घर पर अकेला था और टीवी पर एक हॉट सी मूवी लगा ली थी। मूवी में थोड़े सेक्सी सीन थे। मूवी पर चल रही सेक्सी सीन ने मेरे ख्यालात बदल दिए। मेरा मन अकेले में बहुत उत्तेजित हो गया। मैंने सेक्सी सीन देखने के साथ साथ अपने लण्ड को सहलाना शुरू कर दिया।
तभी दरवाजे की घंटी बजी, उसने मुझे चौंका दिया। मुझे लगा कि जैसे किसी ने मुझे देख लिया हो। फिर मुझे ख्याल आया कि घर में मेरे सिवा कोई और तो है ही नहीं। यह सोच कर मुझे हँसी सी आयी कि मैं बेकार में ही डर गया था।
मुझे लगा कि घंटी की आवाज मेरा भ्रम था। मगर जब दुबारा घंटी की आवाज सुनाई पड़ी तो मैंने रिमोट से टीवी बंद करते हुए पैरों में चप्पल डाली और दरवाजे की तरफ बढ़ा।
तब तक एक घंटी और बजी और मैंने दरवाजा खोल दिया।
बाहर बारिश रिमझिम रिमझिम हो रही थी। मेरे सामने धारा खड़ी हुई थी, मेरी वही साली जिसका किस्सा आप पिछले भाग में सुन चुके हैं। धारा का बदन पानी से पूरी तरह भीगा हुआ था।
मैंने धारा के अभिवादन में अपने दोनों हाथ जोड़े।
उसने कहा- नमस्ते जीजू!
मैंने कहा- नमस्ते! जल्दी अन्दर आ जाओ, बाहर भीग रही हो।
धारा अंदर आयी और पीछे से दरवाजा बंद किया। धारा के पीछे चलते हुए मेरी निगाह उसके बदन पर उसके गुलाबी रंग के ब्लाउज से झांक रही उसकी काले रंग की ब्रा पर पड़ी। वह आज पहले से भी ज्यादा जवान और खूबसूरत लग रही थी।
धारा ने कमरे में आकर अपना सामान सोफे पर रखा। वह पानी से तरबतर हो रही थी।
धारा ने मुझे बोला- जीजू मेरा बदन पूरी तरह पानी से भीग चुका है। क्या करूँ … बाजार में बारिश अचानक से तेज शुरू हो गयी।
फिर मुझसे कहने लगी- जीजू खड़े खड़े देख क्या रहे हो, अलमारी से एक तौलिया निकाल कर दे दो।
मैं एकदम से चौंक कर भागते हुए अंदर के कमरे में गया और वहाँ से एक तौलिया धारा को बदन पौंछने के लिए ले आया। मैंने तौलिया धारा के हाथों में पकड़ाया तो धारा सोफे पर रखे हुए सामान की तरफ इशारा करके कहने लगी- प्यारे जीजू, इतना सारा सामान हाथ में लटकाकर चलने में मेरे हाथ दुखने लगे हैं, इसलिए क्या तुम मेरा एक छोटा सा काम करोगे?
मैंने पूछा- क्या काम है?
धारा बोली- जरा मेरे बालों से पानी सुखा दोगे?
मैंने कहा, क्यूँ नहीं।
धारा सोफे पर बैठ गयी। मैंने देखा कि बालों से पानी टपक टपक कर उसके गालों पर बह रहा है। मैं धारा के पीछे बैठ गया। धारा को अपने दोनों पैरों के बीच में लेकर मैं उसके बालों को तौलिये से रगड़ने और सुखाने लगा। धारा का गोरा और भीगने के बाद भी गर्म बदन मेरे पैरों में सनसनी पैदा कर रहा था। बाल सुखाते हुए मैंने धीरे से धारा के कंधे पर अपना हाथ रख दिया। धारा चुपचाप बैठी रही। अब मेरे हाथ धारा के कमर के पास तक पहुँच गये। मैंने धारा के कमर को सहलाना शुरू किया।
तभी धारा ने कहा- जीजू, मेरे बाल सूख गये हैं अब मैं भीतर जा रही हूँ।
वह इतना कह कर कमरे में चली गयी पर मेरी सांस रुक गयी। मैंने सोचा कि शायद धारा को बुरा लग गया हो। वह मेरा इरादा भाम्प गयी हो।
बेडरूम के अन्दर जा कर धारा अपने कपड़े बदलने लगी। मैं उठ कर बेडरूम के दरवाजे के पास तक गया तो मैंने देखा कि धारा ने शायद भूल कर बेडरूम का दरवाजा बंद नहीं किया है। मैं बेडरूम के दरवाजे की झिरी से अंदर झांकने लगा।
धारा एक बड़े आदमकद शीशे के सामने खड़ी थी। शीशे में अपने बदन को निहारते हुए वह एक एक कपड़े उतारती जा रही थी। मैंने देखा कि धारा बड़े गौर से अपने गोरे गोरे बदन को ऊपर से नीचे तक ताक रही थी। यह सब देख कर मेरा मन अब और भी पागल होता जा रहा था। ऊपर से बारिश का मौसम, बाहर पड़ रही बारिश की रिमझिम बूंदें मेरे तन बदन में आग लगा रही थीं।
मैंने देखा कि धारा ने कनखियों से मुझे देख कर अनदेखा कर दिया था। मेरे लिए शायद यह हरी झण्डी थी।
मैं दरवाजा धकेल कर बेड रूम के अंदर दाखिल हो गया। अब धारा मेरी ओर पलटी, धारा ने अपने अंगों को मुझसे छुपाते हुए कहा- अरे जीजू, मैंने अभी कपड़े नहीं पहने हैं। तुम अभी बाहर जाओ जीजू। मान भी जाओ।
लेकिन मैं कहाँ मानने वाला था, मैंने धारा को अपनी बांहों में कस लिया। थोड़ा ना नुकुर उसने की मगर मैं उसे कुछ सोचने का वक्त ही नहीं दिया। मैंने बिंदास उसको चूमना शुरू किया। मैंने देखा कि धारा ने अपनी आँखें मूँद ली हैं। धारा की आँखों को मुँदते हुए देख कर मैंने महसूस किया कि धारा मेरे प्यार को एन्ज्वाय कर रही है। धारा की मुँदी हुई आँखों में उसकी सहमति छुपी हुई थी।
मैं लगभग दस मिनट तक उसको चूमता रहा। इस बीच मेरे गर्म होठों ने धारा के पूरे बदन पर चप्पे चप्पे का जायजा लिया।
अचानक धारा ने मुझे जोर से धक्का दे दिया। मैं इसके लिए तैयार नहीं था। अचानक धक्का लगने से मैं गिर गया। मैं एक बार को कुछ समझ नहीं सका। थोड़ा डर भी गया लेकिन अगले ही पल मैंने पाया कि धारा मेरे ऊपर आकर लेट गयी है। मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था।
धारा एक एक करके मेरे सारे कपड़े उतारते जा रही थी। हम दोनों के बीच कपड़ों की सारी दीवार गिर चुकी थी। मेरा लण्ड मोर्चा लेने के पूरी तरह से तैयार था। तभी उसने झुक कर मेरे लण्ड को अपने होंठों की नर्माहट के साथ छुआ और धीरे से मुँह के अन्दर लेने लगी।
वह मेरे ऊपर इस तरह बैठी थी जिससे कि उसकी चूत बिल्कुल मेरे होठों पर आ टिकी थी। मैंने भी धारा की चूत पर जीभ फिरायी। उसकी चूत का एक बार जीभ से पूरा जायजा लेने के बाद मैंने बिंदास उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया।
मेरी इस हरकत से धारा के बदन में हलचल हुई और उसके मुँह से मेरा लण्ड आजाद हो गया। उसके मुँह से आआहऽऽ … आआऽऽऽ … ऊऊऊऊ … ऊओफ्फ्फ्फ़ की आवाज बाहर आ रही थी।
तभी उसकी चूत ने भरभरा कर पानी छोड़ दिया।
इसके बाद मेरी ओर घूम कर बोली- ओह, मेरी चूत तुम्हारे इस सुडौल लंड को लिए बिना नहीं रह सकती, प्लीज़ अपने इस खिलाड़ी को मेरी चूत के मैदान में उतार दो ताकि यह अपना चुदाई का खेल सके।
धारा अब मेरे लण्ड को अपनी चूत में लेने के लिए तड़प रही थी।
मैंने भी देर करना उचित न समझा, धारा को लण्ड के लिए तड़पते देख कर मैंने साली को अपनी बांहों में भर कर उठाया और पास बिस्तर पर लिटा दिया। धारा की चूत एकदम पहले से ही गीली थी। मैं धारा के बदन के ऊपर लेट गया। मेरा लण्ड धारा की चूत के दरवाजे पर दस्तक दे रहा था। धारा ने अपनी चूत को खुद ही अपने दोनों हाथों से खोल रखा था। मैंने देर न करते हुए धारा की चूत में लम्बा और मोटा लण्ड पेल दिया।
काफी दिनों से धारा की चुदाई नहीं हुई थी इसलिए चूत एकदम टाइट थी। धारा की कसी कसी और गीली चूत में लण्ड का धक्का लगाते ही पूरा लण्ड उसकी चूत के आगोश में समा चुका था। धारा के मुँह से ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… आआह्ह.. मार डाला!’ की आवाज निकल गयी।
धारा ने अपने हाथ के इशारे से मुझे धक्का लगाने से मना किया क्योंकि वह मेरे दमदार लण्ड का अचानक वार झेल नहीं पा रही थी। मैंने भी धारा की बात मान कर धक्का लगाना कुछ देर के लिए रोक दिया।
यह क्या मेरे रुकने के थोड़ी देर बाद धारा ने खुद ही नीचे से हल्का हल्का झटका देना शुरू किया। अब मुझे साली की चूत चोदने का दुगुना मजा मिलना प्रारम्भ हो गया। धारा उत्तेजित होकर नीचे से धक्का लगा रही थी। मैंने भी उत्तेजना में उसके हर धक्के का जवाब अपने लण्ड के धक्के से देना शुरू किया। दोनों से तरफ से लगातार शाट चुदाई के आनन्द में अभूतपूर्व वृद्धि कर रहे थे।
जितनी तेजी से मैं अपनी साली की चुदाई कर रहा था, उतनी ही सेक्सी सेक्सी आवाजें धारा के मुँह से निकल रही थीं ‘आह्ह … आह … ऊऊ ऊऊ … ईई ईशशर … आआआआ … ऊऊओफ़ फफ … ऊऊऊ फफ फ अआ ह्ह्ह … की आवाज से कमरा गूँज रहा था।
करीब दस मिनट की चुदाई के बाद धीरे धीरे धारा की चूत ढीली पड़ती जा रही थी। जोर जोर से चुदाई के कारण धारा अपनी सांसों पर नियन्त्रण नहीं कर पा रही थी। कुछ देर बाद धारा मुझसे अचानक जोर से लिपट गयी। उसने चूत को अन्दर से सिकोड़ लिया था जिससे मैं अपने लण्ड पर धारा के चूत की गिरफ्त को पूरी तरह महसूस कर रहा था।
मैं धारा के बूब्स को जोर से मसलने लगा और धारा की चूत में दमदार धक्के लगाना शुरू कर दिया। दस बीस शाट और लगाने के बाद मैं धारा की चूत में ही झड़ गया। मेरे लण्ड ने दो तीन बार पिचकारी के साथ पूरा वीर्य धारा की चूत में भर दिया। धारा का जिस्म काम्प रहा था। उसने मेरी कमर को जोर से अपने हाथों से जकड़ रखा था।
हम दोनों काफी देर तक ऐसे ही निढाल लेटे रहे। बीच बीच में मैं धारा के सूखे होंठों को अपनी जीभ से गीला कर रहा था। देर तक धारा को इसी तरह लेटे लेटे चूमने चाटने के बाद हम दोनों की जान में जान आयी।
करीब दस मिनट बाद हम दोनों बिस्तर से उठ खड़े हुए। उसके बाद कमर में हाथ डाले हुए हम दोनों ने बाथरूम की तरफ रुख किया। बाथरूम में अंदर शॉवर चला कर एक दूसरे के बदन को चाटते हुए रगड़ते हुए हम लोग करीब बीस मिनट तक नहाते रहे।
थोड़ी देर बाद नहाते नहाते मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया। धारा ने वहीं बाथरूम की फर्श पर बैठ कर शावर के नीचे मेरे लण्ड का सुपारा अपने मुँह में ले लिया। धारा मेरे लण्ड को अपने मुँह में लेकर अन्दर बाहर करने लगी। मेरी उंगलियाँ धारा के बालों को जकड़ हुए थीं। मैं धारा के मुँह में धीरे धीरे लण्ड ठूस रहा था।
मैंने अचानक धारा के मुँह में काफी गहराई में लण्ड पेल दिया तब धारा ने मेरा लण्ड मुँह के बाहर फेंक दिया। इसके बाद धारा ने मेरा मुठ मार कर दुबारा मेरा पानी बाहर निकाला। नहाने बाद हम दोनों ने कपड़े पहने।
धारा किचन से दो कप काफी बना कर लायी। हम दोनों ने साथ चाय पी। बाहर बारिश थम चुकी थी। धारा ने मुझसे फिर मिलने का वायदा करके विदा ली।

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