“आहऽऽऽ… ओह… आहऽऽऽ… फक…फक मी हार्ड बेबी… डीप… डीप और अंदर… आहऽऽऽ” हर धक्के के साथ मेरी सिसकारियाँ बढ़ रही थी।
मेरे मुँह से निकलती हुई कामुक सिसकारियाँ सुनकर उसने अपने धक्के और तेज कर दिए, उसके हर धक्के से मेरे स्तन ज़ोरों से हिलने लगे। मेरे हिलते हुए स्तनों को अपने हाथों में पकड़कर वह मेरी चुत में सटासट लंड के वार करने लगा। हम दोनों की मादक आवाजें पूरे रूम में गूंज रही थी, चुत लंड की आवाजें भी उनमें घुल मिल रही थी।
पिछले दस मिनट से वह मुझे ऐसे ही कूट रहा था, मैं अब अपने शिखर की ओर बढ़ रही थी, उसकी पीठ को सहलाते हुए नीचे से कमर को हिलाते हुए उसका पूरा लंड चुत में ले रही थी। उसके मुख को देखते देखते अचानक मेरी नजर दरवाजे पर पड़ी… दरवाजे पर मम्मी खड़ी थी।
वो कब आयी … हमें पता ही नहीं चला, हमें उस अवस्था में देख कर ग़ुस्से से मम्मी का चेहरा लाल हो गया था। मैंने उसको धक्का देकर मेरे ऊपर से हटाया फिर चादर को अपने बदन पर लपेटकर सीधा बाथरूम में घुस गई।
मैं जाकर कमोड पर बैठ गयी, बाहर वह संकेत को … मेरे बोयफ़्रेंड को बहुत अपमानित कर रही थी। फिर उसके गाल पर दो चमाट मार कर उसको घर से बाहर निकाल दिया।
थोड़ी देर बाद डैड के बोलने की आवाज कानों में पड़ी, वे मम्मी को समझा रहे थे पर मम्मी उन पर ही चिल्ला रही थी।
थोड़ी देर बाद उनकी आवाजें बंद हो गयी तो मैं बाथरूम में रखी नाईट ड्रेस को पहनकर बाहर आ गयी।
बाहर दोनों ही नहीं थे, शायद हॉल में गए होंगे, इसलिए मैं बेड पर बैठ गई। कुछ ही देर पहले इसी बेड पर मेरा बॉयफ्रेंड मुझे कूट रहा था और अब उसी बेड पर किसी अपराधी की तरह बैठी थी। हमेशा देर से आने वाली मम्मी और पापा आज जल्दी घर आ गए और मुझे उस अवस्था में देख लिया।
कुछ देर मैं वैसे ही रूम में बैठी थी फिर थोड़ी देर बाद तैयार होकर बाहर जाने लगी।
“किधर जा रही हो?” मम्मी ने मुझे पूछा।
“तुमको क्या करना है?” मैं उससे आँखें चुराते हुए कार की चाबी लेने लगी।
‘चटाक… चटाक…’ मेरा जवाब सुनते ही उसने मेरे दोनों गालों पर ज़ोरों से दो चांटे जड़ दिए।
“चाबी रखो नीचे और बैठो यहाँ!”
उनकी ऊंची आवाज सुनकर मैं थोड़ा डर गई, चाबी फिर से टेबल पर रख कर मैं अपने रूम में जाने लगी।
“तुम्हें रूम में जाने को नहीं बोला, यहां बैठो!” उसके आवाज में गुस्सा साफ साफ झलक रहा था.
मैं सहम कर वही बैठ गई।
“तुम कुछ बोलते क्यों नहीं विक्रम?” मम्मी ने पापा को बोला।
“सुधा… हो गयी छोटी सी गलती बेटी से..” वे बोलते हुए रुक गए।
“यह क्या छोटी गलती है… लड़कों को घर में बुलाकर गंदी हरकतें करती है… शर्म नहीं आई तुझे…”
“गंदी हरकत नहीं की… वी आर इन रिलेशनसशिप सिन्स सिक्स मंथ!” मेरे गाल सहलाते हुए मैं ग़ुस्से से मम्मी को बोली।
“कल कुछ हो गया तो कहाँ जाओगी… उसने तुम्हारी बदनामी की तो किसको मुँह दिखाओगी? कौन तुमसे शादी करेगा?
“दैट्स नन ऑफ यूअर बिज़नेस, मैं मेरा देख लूंगी। तुम खुश रहो अपने पति के साथ, चाहो तो मैं जाती हूँ दूसरी जगह। वैसे भी मेरे पापा का घर खाली ही पड़ा है, मुझे नहीं रहना आपके साथ!” मैं उठकर अपने रूम में जाने लगी.
तभी पापा ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे रोक दिया- नीतू बेटा, अच्छी बच्ची हो ना तुम, ऐसा कोई बोलता है अपनी मम्मा को, से सोरी टू हर, आगे से ऐसी गलती मत करना!
पापा मुझे गले लगाते हुए शांति से बोले तो मेरा गुस्सा थोड़ा कम हुआ।
“सॉरी मम्मा सॉरी डैड, अब आगे से ऐसा नहीं होगा.” कहकर मैं अपने रूम में चली गई।
मेरे पीछे उनकी खुसुर पुसुर शुरू हो गयी, शायद मम्मी को पापा का शांत रहना पसंद नहीं आया। वह दिन तो जैसे तैसे कट गया पर आगे मुझ पर कड़क वॉच रहने लगी।
अरे हाँ… मेरे बारे में बताना तो भूल ही गई।
मैं नीतू, पिछले ही महीने मैंने अपने 22 साल पूरे किये। पर जैसे मुझे समझ आने लगी वैसे 18 साल से ही मैने अपनी सेक्स लाइफ की शुरुआत की। तब से लेकर आज तक मेरी चुत ने न जाने कितनों के लंड खाये थे, स्कूल कॉलेज के लड़कों से लेकर टीचर तक, एक बार तो पैसे कम थे तो टैक्सी वाले को भी अपनी चुत का स्वाद दिया था। और आज तो अपने आफिस कलीग संकेत से चुद रही थी। मैंने इतनी कम उम्र में ही बहुत सारे लंडों की लंबाई और मोटाई नापी है।
मेरे शरीर ने भी कम उम्र में विकसित होकर मेरी कामुकता को साथ दिया, 19 उम्र में ही मेरा शेप 34-26-34 हो गया था और उसे मैंने अभी तक मेन्टेन किया था। उस वजह से मुझे नए नए लंड मिलने में कोई मुश्किल नहीं हुई, अब तो हाल ऐसा है कि बहुत दिन बिना लंड के रही तो बीमार होने जैसा लगता।
पर उस दिन मम्मा ने मुझे संकेत के साथ पकड़ लिया और पूरा रामायण हो गया।
मेरी मम्मी सुधा विक्रम जाधव पहले की सुधा हेमंत पाटिल। हेमंत मेरे पापा एक कार एक्सीडेंट में उनकी मौत हो गयी। मेरी माँ एक फाइनेंस कंपनी चलाती है। विक्रम मेरे सौतेले पापा है…वे कंपनी में पार्टनर हैं, मेरे पापा और विक्रम दोनों ने मिलकर उस कंपनी की शुरुआत की थी। पापा के गुजर जाने के बाद मम्मी वह कंपनी चलाने लगी।
मम्मी की उम्र 45 की होगी, उसके प्रोफेशन की वजह से उसने अपने आप को काफी फिट रखा है। उसने कंपनी जॉइन करने के पांच छह महीने में ही उसके मादक फिगर की वजह से बहुत फायदा हुआ।
विक्रम को मैं पहले अंकल बुलाती थी, लंबे हैंडसम विक्रम अंकल अक्सर हमारे घर पर आते थे। कभी कभी तो पापा के पीठ पीछे भी हमारे घर पर आते थे, उनका और मम्मी का शायद बहुत पुराना अफेयर था पर मैंने कभी उनको रंगे हाथ नहीं पकड़ा था।
पापा के गुजर जाने के एक डेड साल बाद ही उन्होंने मेरी मम्मी से शादी कर ली। उन्होंने पहले शादी क्यों नहीं की, यह सवाल हर दम मेरे दिमाग में आता था, शायद उनकी बीवी की कमी मेरी मम्मी पहले से ही पूरी करती होंगी।
मेरे पापा के जाने का मुझे बहुत बड़ा सदमा लगा पर शायद मम्मी को उस बात का ज्यादा फर्क नहीं पड़ा, पापा के जाने के बाद विक्रम अंकल का हमारे घर में आना जाना बढ़ गया, कभी कभी तो वे सारी रात हमारे ही घर पर रुकते।
कुछ ही दिन बाद उनके कहने पर मम्मी ने कंपनी जॉइन कर ली।
आफिस जॉइन करने के बाद मम्मी का पहनावा और मॉर्डन हो गया वह अब शॉर्ट्स और स्कर्ट्स पहनने लगी थी। विक्रम अंकल अब रोज हमारे घर आने लगे, काम का बहाना कर वह दोनों मम्मी के बैडरूम में रुकते। बहुत दफा उनके कारनामों की आवाजें मेरी रूम तक आती तो मेरे हाथ अपने आप ही मेरी चुत की तरफ जाते।
उनका ऐसे रोज हमारे घर आना मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था, एक बार मैंने मम्मी को बोला भी तो उन्होंने मुझे डांट कर चुप करा दिया।
अब मम्मी को मेरे लिए टाइम मिलना कम हो गया, रात को सात आठ बजे आने वाली मेरी मम्मी अब रात के ग्यारह बारह बजे आने लगी, कभी कभी तो डेढ़ दो बजे आती वो भी नशे में!
धीरे धीरे मुझे मम्मी के प्रति द्वेष भावना शुरू होने लगी, मेरे मार्क्स कम हो गए फिर भी उनको कोई परवाह नहीं थी। वे बस अपने में ही मस्त थी, उसी दौरान मेरे लाइफ में अंकुश नाम का लड़का आया और मेरी सेक्स लाइफ की शुरुआत हो गयी।
मम्मी का देर से घर आना मुझे लाभदायक रहा, पूरा घर मुझे खाली मिलता था। मैं मेरे सारे बॉयफ्रेंडज़ को घर पर बुलाकर अपनी जवानी को लुटाती थी और मम्मी के घर लौटने तक मैं सो जाती थी.
धीरे धीरे हम दोनों के बीच बातचीत बहुत कम होने लगी। अब मैं अपने दुनिया में मस्त रहने लगी।
एक दिन मम्मी ने मुझे बहुत बड़ा धक्का दिया, अचानक ही मम्मी मुझे विक्रम अंकल को पापा बुलाने को बोलने लगी। मेरी चिढ़ मम्मी के प्रति और बढ़ गई पर मैं कर भी क्या सकती थी?
मैंने अपनी पढ़ाई अपने मर्जी से चुनी फिर अपने पसंद का करियर चुन कर जॉब करना शुरू कर दिया।
मम्मी की दूसरी शादी के बाद हम विक्रम अंकल के घर जाकर रहने लगे, उनका घर जैसे एक बंगला ही था। पुराने घर से बहुत बड़ा और कम पब्लिक वाली जगह पर था।
मम्मी और पापा सुबह ही आफिस चले जाते, एक कामवाली थी जो दोपहर तक घर पर रहती फिर चली जाती। दोपहर के बाद पूरा घर मेरा था। किसी फ्रेंड को घर पर बुलाना और उसके साथ बिस्तर गर्म करना बहुत आसान था। बड़ी सोसाइटी में रहने का यही फायदा था कोई रोक टोक करने वाला नहीं था।
मेरे सारे यारों को मेरा घर पता था, पर संकेत के साथ हुए कांड के बाद मेरी मम्मी ने घर के गेट पर कैमरा लगा दिया और उसका कनेक्शन अपने मोबाइल पर ले लिया। होटल या लॉज पर यह सब करना बहुत रिस्की हो जाता और लड़कों के घर पर तो उससे भी ज्यादा रिस्क थी। अगर किसी ने छुप कर रिकॉडिंग की तो बहुत प्रॉब्लम हो जाती।
जब मुश्किल आती है तो चारों तरफ से आती है। दो चार दिन से मैं ऑफिस नहीं गयी थी और जब गयी तब पता चला कि संकेत को दो दिन पहले ही दूसरे शहर ट्रांसफर किया था। आशिकों की कोई कमी नहीं थी, प्रॉब्लम थी तो सिर्फ जगह की।
लाइफ में पहली बार इतनी लाचार हो गयी थी, बारह दिन हो गए थे मेरी चुत को लंड का दीदार किये हुए। इतना उपवास तो सिर्फ एग्जाम के टाइम पर होता था। उंगलियाँ डाल कर जैसे तैसे चुत को शांत करती रही पर जो मजा लंड में है वह उँगलियों से कैसे मिलता।
उस घटना के बाद मम्मी ने मुझे प्यार से समझाने की बहुत कोशिश की पर हर बार मैं वहां से चली जाती थी। पापा के देहांत के बाद मेरे अंदर मम्मी के प्रति जो द्वेष उत्पन्न हुआ था वह दिन पर दिन और बढ़ रहा था।
एक रात को मुझे नींद नहीं आ रही थी मेरी चुत ने भी बगावत कर दी थी, उंगलियों से भी शांत नहीं हो रही थी। मैं सीधा दरवाजा खोल कर गार्डन में गयी, गार्डन की ठंडी हवा में अच्छा महसूस हो रहा था मैं आधा घंटा टहली।
गार्डन में घूमते वक्त मैं अपने सौतेले पापा के बारे में सोचने लगी। इस घर में शिफ्ट होने के बाद वह हर बार मुझे छेड़ते रहते, मेरे स्तनों को घूरते तो कभी मेरे नितम्बों को सहलाते पर चेहरे पर मासूमियत रखते के जैसे गलती से हो गया हो।
पर मुझे सब समझ में आता था, मैं ज्यादा ध्यान न देते हुए उनका टच एन्जॉय करती थी। पर उस दिन जिस दिन मैं अपने यार से चूत चुदाई करवाती पकड़ी गयी थी, के बाद उन्होंने मुझे उस तरह का टच नहीं किया था।
थक कर मैं वहाँ से बेडरूम में जाने ही वाली थी कि मेरे कान पर मम्मी की सिसकारियों की आवाज पड़ी, मुझे समझ में आ गया कि अंदर दोनों की चुदाई चल रही थी। उनकी आवाजों को अनसुना करके मैं घर के अंदर जाने लगी तभी मेरी नजर उनके रूम की खिड़की पर हिल रहे परदे पर पड़ी। मैं दबे पाँव वहाँ पर गयी तो समझ आया कि खिड़की खुली हुई थी। मैं दीवार को सट कर खड़ी हो गयी और खिड़की के अंदर झांक कर देखने लगी.
अंदर का नजारा देख कर मैं स्तब्ध हो गयी। अंदर पापा मम्मी को घोड़ी बनाकर चोद रहे थे, उनका लंबा कड़क लंड उनकी चुत के अंदर बाहर हो रहा था। मम्मी की गोरी गोल गोल गांड पर चमाट लगाते हुए पापा अपना मूसल मेरी मम्मी की चुत में पेल रहे थे। एक हाथ से मम्मी की कमर को पकड़ कर तूफानी स्पीड में अपना लंड अंदर बाहर कर रहे थे, तो दूसरे हाथ से मम्मी के बालों को पकड़कर उसको तूफानी स्पीड से चोद रहे थे।
मम्मी की सिसकारियों से पूरा कमरा गूंज रहा था- आह … विक्रम, फ़क मी… यू सन ऑफ अ बीच… ड्रिल माय पुसी!
“आह… यू बिच… यह ले… जितना भी चोदूँ… तुम्हारी चुत की आग शांत ही नहीं होती!”
अंदर का नजारा और उनकी कामुक बातें सुनकर मेरी टाँगों के बीच गीलापन महसूस होने लगा। मेरा हाथ मेरी चुत पर घूमने लगा। बाहर का तापमान ठंडा था, फिर भी उनकी चुदाई की वजह से हर तरफ वासना की गर्मी फैली हुई थी।
थोड़ी देर बाद पापा ने अपना लंड बाहर निकाला और मम्मी की गांड पर जोर से चमाट मारी फिर उसको पीठ के बल लेटने को बोला. पापा उनको बहुत तकलीफ दे रहे थे, फिर भी मम्मी उनको रोक नहीं रही थी और हंस कर उनका साथ दे रही थी।
मम्मी ने पीठ के बल लेट कर अपनी टांगें फैलाई, पापा मम्मी की टाँगों में एडजस्ट होते हुए अपना लंड मम्मी की चुत पर रखा और एक ही झटके में पूरा लंड अंदर पेल दिया, मम्मी के चेहरे पर दर्द साफ साफ दिखाई दे रहा था।
उनकी चुदाई देख कर मेरी अंदर की गर्मी बढ़ने लगी, गाउन ऊपर कर के मैंने अपनी उंगलियाँ चुत में डाली और अंदर बाहर करके चुत की आग शांत करने लगी। अंदर पापा मम्मी के हिलते हुए स्तनों को हाथों में पकड़कर मसलने लगे, बीच बीच में उनके निप्पल्स को मुँह में लेकर के चूसने लगे तो कभी कभी उनके निप्पल्स को काटकर उन्हें और सताने लगे। मम्मी तो बिना पानी के मछली के तरह तड़प उठी, दोनों की सिसकारियों से पूरा कमरा गूंज रहा था।
कुछ देर बाद दर्द की वजह से मम्मी ने पापा को लंड बाहर निकालने को बोला तो पापा ने उनको गाली देते हुए अपना लंड बाहर निकाल कर उनके मुँह की तरफ ले आये, चुत के रस से सना हुआ उनका लंड ट्यूब लाइट की रोशनी में चमक रहा था। उनके लंड की लंबाई और मोटाई देख कर मेरी चुत में गुदगुदी होने लगी।
पापा अपना लंड मम्मी की मुँह के पास हिलाने लगे, मम्मी ने उसको पकड़ कर उसके सुपारे को अपनी जीभ से चाटा तो अगले ही पल उस चूतरस से सने लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। पापा भी अपनी कमर को हिलाते हुए मम्मी के मुँह को चोदने लगे, मम्मी भी किसी रंडी की तरह मजे से लंड चूस रही थी।
उधर उत्तेजना की वजह से मुझे खड़े रहना भी मुश्किल हो गया था। दबे पाँव मैं बेडरूम में वापस आयी, बेड पर लेटकर पापा के लंड का ख्याल मन में लाते हुए मेरी चुत में लंड अंदर बाहर करने लगी। जैसे जैसे उंगलियों की स्पीड बढ़ती चली गई, वैसे वैसे मेरी सिसकारियाँ बढ़ती गयी। मैने उँगलियों की स्पीड बढ़ाई और अगले ही पल मेरा बांध छूट गया और मैं झड़ने लगी। उत्तेजना से हुई थकावट की वजह से कब सो गई मुझे पता ही नहीं चला।
“पापा को ही अपने जाल में फंसा कर घर में ही लंड का जुगाड़ किया जाए तो?” सुबह उठते ही मेरे दिमाग में यह आईडिया आया, पर यह इतना भी आसान नहीं था।
पर मम्मी से बदला लेने का यही तरीका था, मेरे मम्मी के प्रति द्वेष मेरी सोचने की क्षमता पर असर कर रहा था। उसने मेरी सेक्स लाइफ बर्बाद की थी, अब मैं उसकी सेक्स लाइफ बर्बाद करूंगी. यही खयाल मेरे मन में चल रहा था और मैं उस बारे में योजना बनाने लगी।
तभी दरवाजे पर दस्तक हुई, घड़ी में देखा तो सुबह के साढ़े नौ बजे थे। दरवाजा खोल कर देखा तो सामने पापा खड़े थे।
“गुड मॉर्निंग नीतू… हो गयी नींद पूरी?”
“गुड मॉर्निंग पापा…”
“आज छुट्टी लेने का प्लान है क्या?”
“प्लान तो नहीं था … पर उठने में देर हो गयी, अब आफिस में लेट नहीं जा सकती तो छुट्टी ही समझो!”
“हम्म ग्रेट… तुम्हारी मम्मी गांव गयी है तुम्हारी दादी की तबियत ठीक नहीं है। अब चार पांच दिन तुम्हें ही घर संभालना है.”
“अच्छा… पर मुझे तो कुछ नहीं बोला उन्होंने?”
“अरे तुम सोई हुई थी… वह सुबह ही चली गई… और वैसे भी तुम दोनों के बीच…”
“हम्म… ईट्स ओके… लीव इट… आपका नाश्ता हो गया?”
“यस… तुम भी तैयार होकर कुछ खा लो.”
“ओक पापा … हॅव अ गुड डे!”
“थेंक्स डार्लिंग… बाय दी वे…कल रात का शो कैसा लगा?”
उनके शब्द सुनकर मैं डर गई।
“क… को… कौन सा शो?” मैंने जैसे तैसे जवाब दिया।
“ओके … लीव इट … पर तुम सब संभाल लोगी न…”
“यस पापा… नाउ गो… मुझे बाथरूम जाना है.”
“बाय… टेक केअर…” कह कर वे घर से बाहर चले गए।
उनकी बातों से यह साफ पता चल रहा था कि उन्होंने मुझे खिड़की से देखते हुए पकड़ा था, पहले मुझे अजीब सा लगा; पर बाद में मैंने सोचा कि यही मौका है। मम्मी की गैरमौजूदगी में मैं पापा को अपने हुस्न के जाल में फंसा सकती हूं।
दिन भर मेरे दिमाग में वही सब चल रहा था और शाम को पापा घर पर आ गए।
“क्या किया दिनभर?” उन्होंने पूछा।
“कुछ भी नहीं… पिज़्ज़ा मंगवाया और दिन भर सोई!” मैंने जवाब दिया।
“अरे वाह… मुझे लगा किधर तो घूमने जाओगी.”
“मूड नहीं था पापा.”
“ओके चलो आज हम मूड बनाते हैं!”
“मतलब?”
“मतलब चलो कहीं बाहर जाते हैं… बस हम दोनों…”
“पर कहाँ?”
“हम्म… लॉन्ग ड्राइव… या जहाँ तुम चाहो?”
“पब…”
“ओके जैसी तुम्हारी मर्जी!”
“ओके…मैं तैयार होती हूँ, दस मिनट!”
उनको बोलकर मैं रूम में आ गयी, जो दिन भर सोचा है उसको असल में करने का वक्त आ गया था। आज हम दोनों ही थे तो उन्हें अपने जाल में फंसाना थोड़ा आसान हो गया था। कुछ भी कर के यह करना ही है सोच कर मैं रोमांचित हो गयी थी।
उनको आकर्षित करने के लिए मैंने नहाकर कुछ ही दिन पहले खरीदा हुआ मिनी स्कर्ट पहना और ऊपर मैचिंग टॉप पहना। अंदर रेड कलर की पैंटी और पुशअप ब्रा पहनी हुई थी। बाहर जाने से पहले मैंने अपना रूप आईने में निहारा, स्कर्ट मेरी जांघों को ढकने में असमर्थ था और उसपर छोटी से पैंटी पहनी थी तो लोगों को यही लगने वाला था कि स्कर्ट के अंदर कुछ भी नहीं पहना।
और मेरे टॉप के गले से अच्छी खासी क्लीवेज दिख रही थी।
अच्छा सा परफ्यूम लगा कर बाहर आ गयी, पापा पहले से ही जीन्स और टीशर्ट पहन कर तैयार बैठे थे। मुझे देख कर उन्होंने धीरे से सीटी मारी।
“कम ऑन पापा, मैंने पहली बार नहीं पहने ऐसे कपड़े!”
“हाँ… पर हम पहली बार अकेले घूमने जा रहे हैं ना!”
उनके बोलने से और हावभाव से मुझे लगने लगा था कि उन्हें पटाने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी, और वैसे भी उनके वह चोरी चोरी स्पर्श करना और डबल मीनिंग बोलना यही दर्शाता था कि वो भी मुझमें इंटरेस्टेड हैं। मैं बस शर्म की खातिर पहल नहीं करना चाहती थी पर अगर वह पहल करेंगे तो मैं झूठमूठ का भी ना नहीं करने वाली थी।
घर से पब आधे घंटे की दूरी पर था, उस आधे घंटे में कई बार पापा का हाथ गियर से फिसलकर मेरी जांघों पर पड़ जाता, मैं भी विरोध न करते हुए उस स्पर्श से रोमांचित हो रही थी।
आखिर हम पब में दस बजे पहुँच गए, बार कॉउंटर के रास्ते में बहुत सारे लड़के लड़कियां नाच रहे थे, कुछ सिंगल्स कोई ग्रुप में तो बहुत सारे कपल्स भी नाच रहे थे। पब कम डिस्कोथेक होने की वजह से पीकर नाचने वालों की संख्या ज्यादा थी। सब की नजरें मेरे स्तनों पर और नितम्बों पर टिकी हुई थी, भीड़ में चलते हुए बहुत सारे लड़कों ने मेरी गांड पर भी हाथ साफ किया पर मैंने सब को बिना कुछ बोले सिर्फ स्माइल करके घायल किया।
फिर काउंटर पर जाकर हमने वाइन पी, फिर डान्स फ्लोर पर बहुत डांस किया। पापा का स्टैमिना बहुत था, 45 साल के होकर भी जब तक मैं नाच रही थी उन्होंने मेरा साथ दिया। सारे लोग लगभग थक गए थे पर हम दोनों आधी रात तक नाचते रहे।
डान्स फ्लोर पर नाचते हुए हमारे बदन कई बार आपस में टकरा जाते, कभी मेरे स्तन उनके सीने पर तो कभी उनका लंड मेरी गांड पर रगड़ खाता। कभी उनके हाथ मेरे पेट पर तो कभी कभी मेरी गांड पर … पर मैं उस बात पर कोई विरोध न जताते हुए उनको साथ देती रही। कुछ लोगों ने तो नाचना छोड़ कर हमें देखना शुरू कर दिया था; ‘एक कमसिन लड़की एक 45 साल के आदमी के साथ है!; सोच कर वे पापा के नसीब पर जल रहे थे और मैं भी उन्हें ज्यादा जलाने के लिए पापा से और चिपक कर नाच रही थी।
अंततः हम रात डेढ़ बजे अपने घर पहुँचे, नाच नाच कर हम दोनों ही बहुत थक गए थे। बदन पसीने से पूरा भीग गया था और हम दोनों भी डान्स करते समय हुए स्पर्श की वजह से उत्तेजित हो गए थे।
मैं सोच रही थी कि घर आने के बाद पापा अवश्य ही कुछ करेंगे और मैं भी उसके लिए तैयार थी.
पर घर आते ही पापा गुड नाईट बोलकर अपने रूम में चले गए और मेरे सारे अरमानों पर पानी फिर गया; मायूस होकर मैं अपने रूम में चली गयी और बिना कपड़े बदले ही बेड पर लेट गयी, सोने का प्रयास करने लगी पर नींद ही नहीं आ रही थी।
पापा के स्पर्श से मैं पागल हो गयी थी, उसकी याद आते ही मैं फिर से उत्तेजित हो गई। और कल रात का मम्मी और पापा का जंगली सेक्स भी याद आने लगा। फिर उत्तेजना में मैंने अपने मोबाइल में एक पोर्न फिल्म लगाई, फ़िल्म के सीन और डिस्कोथीक के प्रसंग को याद करते हुए चुत के ऊपर से पैंटी को हटाते हुए चुत पर उंगली घूमाने लगी।
फ़िल्म का हीरो हिरोइन की चुत में जीभ घुसाकर चाट रहा था, कभी उंगलियों से उसकी पंखुड़ियाँ खोल कर जीभ से उसके दाने को चूसता तो कभी दाने को अंगूठे से छेड़ता, उनकी सिसकारियों से अब कमरा गूंजने लगा।
वह सीन देख कर मेरी उत्तेजना बढ़ने लगी और मैं भी उँगलियों से मेरी चुत के दाने को घिसने लगी। मैं अपने काम में इतनी व्यस्त हो गयी थी कि पापा कब दरवाजा खोल कर अंदर आ गए, यह पता भी नहीं चला।
मैंने जब आँखें खोली तब मुझे पता चला कि पापा दरवाजे पर खड़े होकर मेरी हरकतें देख रहे थे।
मैंने चकित होकर मोबाइल बंद किया और कम्बल ओढ़कर कमर के नीचे का भाग ढक दिया।
“सौ… सौ… सॉरी पापा…” उनको देख कर मैं बोली और अपने कपड़े ठीक करने लगी।
“ईट्स आल राइट नीतू… तुम्हारे उम्र में यह सब कॉमन है… इसमें शर्माने की कोई भी जरूरत नहीं!”
मैं थोड़ा रिलैक्स हुई पर उन्होंने मुझे क्या करते हुए पकड़ लिया यह समझने के बाद मुझे खुद की शर्म आ रही थी।
“थैंक्स पापा…पर मम्मी को कुछ मत बताना…”
“ओके बेटा… पर आइंदा ध्यान रखना… कम से कम दरवाजा तो बंद कर लिया करो।”
“सॉरी पापा… ध्यान नहीं रहा… बहुत थक गई थी…”
“अच्छा… पर थका हुआ आदमी तो जल्दी सो जाता है पर तुम तो…”
“सॉरी पापा… वो … तो…”
“ईट्स ओक… पर तुमने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया.”
“कौन सा सवाल पापा?”
“वह सुबह का… कल का शो कैसा लगा?”
“कम ऑन पापा… मुझे नहीं समझ में आ रहा कि आप क्या पूछ रहे हो?”
“ओके… ओके… लीव इट … हमें तो दिखाओ कि तुम क्या देख रही थी?”
“पापा प्लीज… मुझे ऐसे अपसेट मत फील कराओ.”
“अरे इसमें शर्माने की क्या बात है… आज कल सभी देखते हैं… मैं और तुम्हारी मम्मी भी …”
“ईट्स ओके पापा … वह आप की पत्नी है… आप उनके साथ कुछ भी कर सकते हो.”
“ईट्स ओके नीतू… तुम अब बड़ी हो गई हो … तुम मुझसे सब शेयर कर सकती हो, मुझे पता है तुम मुझे अपना पापा नहीं मानती … कम से कम हम अच्छे दोस्त तो बन सकते हैं.”
“पापा … पर …”
“ईट्स ओक… लीव इट!”
वे उठकर जाने लगे, मुझे यह मौका नहीं गंवाना था; यही मौका था मेरी मम्मी से बदला लेने का। खुद तो रंडी की तरह चुदती है और मुझे मेरे बॉयफ्रेंड के साथ चुदने से रोकती है। मेरी मम्मी के प्रति घिन इस तरह बढ़ गई थी कि मैं खुद अपनी चुत की आग सौतेले बाप के साथ शांत करने की सोच रही थी।
“ओके पापा … पर यह सीक्रेट किसी को पता ना चलने पाए!”
“डोंट वरी… मैं किसी को कुछ भी नहीं बताऊँगा.” पापा बेड पर मेरे नजदीक बैठते हुए बोले।
मैंने फिर से वह फ़िल्म शुरू कर दी, पापा बिल्कुल मेरे नजदीक बैठे थे तो उनका कंधा मेरे कंधे से टकरा रहा था। हीरो हिरोईन को किस करते हुए उसके मम्मे दबा रहा था। थोड़ी देर बाद उसने हिरोईन का गाउन उतार दिया और उसके खड़े निप्पल्स को मुँह में लेकर चूसने लगा और उसकी चुत को पैंटी के अंदर हाथ डाल कर रगड़ने लगा।
हम दोनों का ध्यान फ़िल्म पर कम एक दूसरे पर ज्यादा था, एक दूसरे की ओर देखते हुए जब भी हमारी नजर टकरा जाती, हम फिर से फ़िल्म देखने का नाटक करते।
थोड़ी देर बाद पापा ने अपना हाथ पीछे से ले जाकर मेरे कंधे पर रख दिया तो मेरी हल्की सिसकारी निकल गयी। फिर उनका हाथ मेरे कंधे पर घूमने लगा।
अब तक फ़िल्म में उस हीरो ने हिरोईन को पूरी नंगी कर दिया था और उसको चूम रहा रहा तो दूसरी तरफ उसकी चुत में उंगली चला रहा था।
तभी मुझे मेरी गर्दन पर पापा की गर्म सांसें महसूस हुई, उनकी तरफ देखने के लिए मुड़ी तो मेरी नाक उनके होंठों से रगड़ खा गई.
और उसी समय पापा मेरी गर्दन को पकड़ते हुए मुझे किस करने लगे। शुरू शुरू में मैं उन्हें दूर धकेलने का प्रयास करने लगी पर उनकी ताकत के सामने मेरा टिकाव नहीं लगा। पहले नीचे के फिर ऊपर के होंठों को चूसते हुए एक जबरदस्त किस देकर वे पीछे हटे।
“कैसा लगा?”
“यह सही नहीं है… मैं आपकी बेटी हूँ… हम यह गलत कर रहे हैं.”
“कम ऑन नीतू… तुम मेरी बेटी हो लेकिन सगी नहीं… समझी!”
“सौतेली ही सही पर मैं आपकी बेटी ही हूँ ना…”
“प्लीज नीतू …ये सही गलत मुझे मत सिखाओ… इतना ही गलत होता तो कल मैं तुम्हारी मम्मी को चोद रहा था तब तुम आँखें फाड़ कर नहीं देखती…” उन्होंने मुझे और करीब खींचते हुए बोला।
“पर पापा… मम्मी को पता चला तो…” आखिरकार मेरा झूठमूठ का विरोध खत्म हो गया और मेरे मन की बात मैंने उनसे बोल दी।
“नीतू… उसका डर मन से निकाल दो… अभी बस हमारे बारे में सोचो… तुम एक औरत हो और मैं एक आदमी… यह बाप-बेटी वाली बात भी मन से निकाल दो… और सिर्फ एन्जॉय करो.” कहते हुए उन्होंने मेरी गर्दन पर किस करना शुरू कर दिया।
“आहऽऽऽ… पापा…उम्म…” उनके स्पर्श से मेरी मादक सिसकारियाँ निकालनी शुरू हो गई।
“उम्म… यू आर सो स्वीट नीतू… तुम्हें खाने का मन कर रहा है.”
“तो खाओ ना पापा किसने रोका है?”
मेरी बात पर उन्होंने मेरी गर्दन पर हल्का सा काटा तो मैं दर्द से कराह उठी पर उन्होंने अपना काम चालू रखा। मुझे किस करते करते उन्होंने एक हाथ मेरी टॉप के अंदर सरका दिया और मेरे स्तनों से खेलने लगे।
उनकी हरकतों से मेरे निप्पल्स खड़े हो गए थे और पापा उन्हें अपनी उँगलियों में पकड़कर मसलने लगे, मेरी उत्तेजना हर बीतते सेकण्ड से बढ़ रही थी।
अब उन्होंने मेरी टॉप ऊपर से उतार दी और स्कर्ट की चैन खोल कर स्कर्ट भी नीचे से उतार दी। अब मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी में उनके सामने थी, पैंटी भी इतनी छोटी थी कि मानो ना के बराबर, पाव रोटी की तरह फूले हुए मेरी चुत के होंठ उस जाली वाली पैंटी में साफ साफ दिखायी दे रहे थे और पीछे की और वह मेरी गांड की दरार में घुस गई थी। ब्रा से मेरे आधे से ज्यादा स्तन बाहर निकले हुए थे.
पापा मेरा अर्धनग्न शरीर अचंभित हो कर देख रहे थे- मार्वलस… नीतू तुम तो किसी संगेमरमर की मूरत की तरह हो.
“उम्म… पापा…” मेरे मुँह से इतने ही शब्द बाहर निकले।
और अगले ही पल पापा ने मेरे बचे हुए कपड़े भी उतार मुझे नंगी किया और मुझे बैड पर लिटाते हुए मेरी टाँगें खोल दी। पापा मेरी टाँगों के बीच बैठ गए और अपनी उँगलियों से मेरी चुत की पंखुड़ियों को खोला। मैं उनके स्पर्श से पागल हो गई, दाँटों तले होंठ दबाकर मैं उनके आगे बढ़ने की राह देखने लगी।
उन्होंने भी ज्यादा समय न गंवाते हुए अपना चेहरा मेरी चूत के नजदीक ले गए और उसकी खुशबू सूंघने लगे- उम्म… आहह… नीतू… अमेजिंग स्मेल है तुम्हारी चुत की… उम्म… मैं तो पागल हो गया हूं…”
और अगले ही पल उन्होंने मेरी चुत को चूमा।
उनके होठों के स्पर्श से मेरा पूरा बदन रोमांचित हो गया, उनके बालों में उंगलियाँ घुमाते हुए मैंने उनके सिर को हल्का सा चुत पर दबाया। उनको मेरा इशारा समझ में आ गया और वे मेरी चुत को चाटने लगे, ग़ुलाबी पंखुड़ियों को उँगलियों से खोलते हुए उनकी लपलपाती हुई जीभ मेरी चुत को चाटने लगी।
उनके चाटने से मेरी कामुकता बढ़ने लगी, मेरी सिसकिया ज़ोरों से निकलने लगी। उत्तेजना में मैं अपने स्तन को अपने ही हाथों से दबाते हुए मेरे खड़े निप्पल्स को मसलने लगी- उम्म… आऽऽऽ… पापा… यू आर किलिंग मी… आहऽऽऽऽ… ऐसे ही करो…पापा… उफ्फ…
मेरी कामुक बातें सुनकर पापा और भी जोश में आ गए और जबान के साथ उंगली भी मेरी चुत के अंदर बाहर करने लगे। उनकी हरकतों से मैं अपने शिखर पर पहुँचने लगी, अपनी जीभ खड़ी कर के वह उसको ज्यादा से ज्यादा चुत के अंदर डालने का प्रयास करने लगे।
धीरे धीरे मेरी उत्तेजना अपने चरम पर पहुँची और मेरा बदन अकड़ने लगा। उनको मेरी स्थिति का अंदाजा हो गया और उन्होंने मेरी जाँघों को कस कर पकड़ा और अपने होठों से मेरी चुत को कवर किया, अगले ही पल मैं ज़ोरों से झड़ने लगी। पापा ने मेरा सारा रस चाट लिया, कुछ रस तो उनके चेहरे पर भी उड़ा हुआ था। वह किसी कुत्ते की तरह मेरी चुत चाटकर साफ कर रहे थे।
“ओहऽऽऽ… पापा…यु आर अमेजिंग…”
अब तक तो पापा मेरे पास होकर अपने हाथों से मेरे स्तनों से खेलना शुरू कर दिया था।
“यस डिअर… वो तो मैं हूँ ही… पर तुम भी कुछ कम नहीं हो.” कहते हुए उन्होंने मेरे होंठों पर अपने होंठ रखकर चूमना शुरू कर दिया।
“आर यू रेडी टू फ्लाई इन दी एयर बेटा?” उन्होंने मुझे कामुकता से देखते हुए पूछा.
नीचे पापा का खड़ा हुआ लंड मेरी जांघों से रगड़ खा रहा था। मैंने अपना हाथ नीचे कर के उसको हल्के से दबाया तो पापा के मुँह से सिसकारी निकल गयी। मेरे हाथों में आने के बाद वह झटके मारने लगा।
“पापा … मैं पहली बार इतना लंबा और बड़ा लेने वाली हूँ.” मैं शर्माते हुए बोली।
“ओहऽऽऽ… नीतू… शर्माओ मत… मैं पापा हूँ तुम्हारा… मैं ठीक से खयाल रखूँगा अपनी बेटी का!”
“पर आप का लंड कितना मोटा है!”
“चिंता मत करो नीतू यह जब तुम्हारी चुत में घुसेगा ना … फिर देखो कैसी परी की तरह हवा में उड़ोगी!”
“आह… परी तो हूँ मैं मेरे पापा की…”
“तुम परी नहीं हो अब… रंडी हो मेरी …”
“आह… पापा, अपनी बेटी को कोई ऐसा बोलता है क्या?”
तब तक पापा मेरे ऊपर आकर लेट भी गए थे, उनका कड़क लंड मेरी चुत के आसपास की जगह पर रगड़ खा रहा था। उसके स्पर्श से मेरी चुत गीली होने लगी थी, थोड़ी देर बाद पापा ने मेरे पैर फैला दिए और अपने लंड को चुत की दरार पर रख कर धक्का दिया। मेरी चुत पहले से ही खुली हुई थी तो ज्यादा तकलीफ नहीं हुई पर जैसे जैसे उनका लंड अंदर घुसता गया मुझे दर्द होने लगा। उनका आधे से ज्यादा लंड मेरी चुत में घुसा हुआ था और धक्कों के साथ साथ उनका पूरा लंड मेरी चुत में घुस गया।
“आऽऽऽ मम्मी… मर गयी… पापा ईट्स हर्टिंग मी…नहीं…” अपने होंठ दाँतों तले दबाकर मैं कराहने लगी, उन्होंने अपना लंड मेरी चुत में ही रखा और नीच झुककर मेरे होंठ चूसकर मुझे शांत करने की कोशिश करने लगे। दर्द से मेरी चुत में जलन होने लगी थी, नाखुनों से उनकी बाहें नोचते हुए मैं नार्मल होने का प्रयास करने लगी।
“नीतू… आर यू ऑलराइट?” पापा ने मुझे पूछा।
“हाँ पापा… पर आपका लंड बहुत लंबा और बड़ा है ना… इसकी वजह से दर्द हुआ… बट आए एम ओके नाउ!”
पर तभी उन्होंने अपना लंड झट से खींच कर बाहर निकाला और बैड के पास खड़े हो गए.
“क्या हुआ पापा?” मैं आश्चर्य से बोली।
“मैंने तुम्हें बोला था ना … मम्मी के सब काम तुम्हें करने है… तो चलो मैं तुम्हें मम्मी की जगह भी दे देता हूँ.” कह कर उन्होंने अपनी बाहें फैला दी।
मैं उनकी तरफ सरकी और अपनी बाँहों से उनकी गर्दन पकड़ ली और पैरों से उनकी कमर को पकड़ लिया। पापा मेरे पूरे भार को अपने शरीर पर झेलते हुए रूम के बाहर जाने लगे, चलते हुए भी वे बारी बारी से मेरे मम्मे चूस रहे थे और हाथों से मेरे नितम्ब मसल रहे थे।
अब हम मास्टर बेडरूम में आ गए, जिस बेड पर कल रात को मम्मी रंडी की तरह चुद रही थी, उसी बेड पर आज पापा ने मुझे लिटा दिया और मेरी टाँगों के बीच आ गए।
“नीतू… अपनी मम्मी की जगह लेकर खुश हो न?” मेरे जवाब की राह न देखते हुए उन्होंने लंड झट से अंदर घुसा दिया।
“आह… पापा… दुखता है ना…”
“बेटा अब जब मम्मी की जगह ली है तो मम्मी जैसा चुदना भी पड़ेगा.”
“आह… पापा आपका लंड मस्त अंदर घुस रहा है… उम्म… जैसे मानो अंदर गड्डा खोद रहा हो.”
“ओह्ह… मेरी बेटी… मेरी बिल्ली हो तुम… कितने दिन से राह देख रहा था मैं इस पल की… आज जाकर मेरी हसरत पूरी हुई.”
“उह आप कर लो सारी हसरतें पूरी… मैं आज से मम्मी के सारे काम करूंगी…” नीचे से कमर उठाते हुए मैं उनको साथ देने लगी।
हम दोनों के बीच संभाषण भी बढ़ता गया और उसके साथ ही धक्कों की गति भी बढ़ती गयी। पूरा कमरा हमारी कामुक सिसकारियों से गूंज रहा था, नीचे उनकी गोटिया हर धक्के के साथ मेरी गांड पर टकरा रही थी और ऊपर मेरे स्तन ऊपर नीचे हिल रहे थे।
कुछ देर बाद पापा मेरी टाँगें अपने कंधे पर रखते हुए सटासट लंड के वार मेरी चुत में करने लगे। उस पोजीशन में उनका लंड किसी गर्म लोहे की रॉड की तरह मेरी बच्चेदानी से टकरा रहा था।
पापा मेरी आंखों में आँखें डाल कर मुझे चोद रहे थे, चुदते वक्त उनके कसरती शरीर को देख कर उनके प्यार में ही पड़ गई। मेरे सगे पापा जिंदा होते हुए भी मेरी मम्मी ने सौतेले पापा से संबंध क्यों रखे और उनके गुजर जाने के बाद उनसे शादी क्यों की… इन सभी सवालों के जवाब आज मुझे मिल गए थे। उनका जोश और चोदने की तकनीक कुछ और ही थी, उनके जैसा पार्टनर मिलना सच में भाग्य की बात थी।
बीस पच्चीस मिनट हो गए थे, दो तीन आसनों में मुझे चोदकर उन्होंने मुझे दो बार झड़वाया था पर खुद एक भी बार नहीं झड़े थे।
“आहऽऽऽऽ … मेरी बच्ची… मैं झड़ने वाला हूँ… अंदर डालूं क्या?”
“नो पापा… मुझे आपका पानी चखना है… आई एम नॉट इन अ सेफ डेज…”
मेरे शब्द सुनते ही उन्होंने झट से अपना लंड मेरी चुत से बाहर निकाला और मेरे मुँह के करीब लाकर हिलाने लगे। उनके लंड को मैंने भी मुट्ठी में पकड़कर हिलाते हुए अपना मुँह खोल दिया और अगले ही कुछ सेकण्ड्स में उनके वीर्य की पिचकारियां मेरे चेहरे को भिगोने लगी। ज्यादातर पिचकारियां मेरे मुँह में गयी पर कुछ कुछ मेरे गालों पर और गर्दन पर भी उड़ी, वीर्य से सने चेहरे से ही मैंने अपने पापा की तरफ देखा तो उनकी आंखों में सैटिस्फैक्शन साफ झलक रहा था। सारा वीर्य मेरे चेहरे पर खाली करते हुए वे मेरे पास लेट गए।
मैं ज्यादा से ज्यादा वीर्य चाट कर खा गई और बचा हुआ साफ करने के लिए बाथरूम में चली गई। मैंने अपनी चुत पर हाथ घुमाया तो ऐसा लगा कि मानो फूल गयी हो, पापा के मूसल ने उसे अंदर तक खोल कर रख दिया था।
शावर चालू कर के मैंने खुद को साफ किया, चुत को अच्छे से धोकर मैं बेडरूम में आ गई।
अंदर पापा मेरा ही इंतजार कर रहे थे फिर हम उसी रूम में एक दूसरे की बांहों में लेटकर सो गए।
उस रात के बाद जब तक मम्मी वापिस नहीं आई हम उसी बेडरूम में सोये।

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