सिस्टर सेक्स: मेरी पहली चुदाई दीदी के साथ - Sister Sex: Meri Pahli Chudai Didi Ke Saath
कहते हैं कि पहला प्यार किसी को जल्दी नहीं मिलता, ऐसा सबके साथ होता है, क्या हो अगर किसी का पहला प्यार उसकी सगी बड़ी बहन हो…
मेरा नाम है पीहू और मैं भभुआ (बिहार) से हूँ, मेरी उम्र 20+ है और मेरी हाइट 5’9″ है। मैं दिखने में स्मार्ट हूँ, ऐसा लोग कहते हैं। मैं अभी बनारस में रहता हूँ जहाँ मैं बीएचयू से बी.काम कर रहा हूँ।
यह कहानी इसी साल जून की है। अपने बड़े भाई की शादी में मेरी बड़ी बहन निक्की आयी हुई थी। क्या बताऊँ दोस्तो, मैं दीदी से पूरे दो साल बाद मिला था। वो देखने में एकदम भोजपुरी स्टार अक्षरा सिंह जैसी लग रही थी। उनका फिगर 34-32-38 था, यह बात दीदी ने ही मुझे बाद में बतायी थी।
दीदी मुझसे बात कर ही रही थी कि इतने में उनकी बेटी अरु रोने लगी; उसे शायद भूख लगी थी।
मम्मी ने दीदी से कहा- तुम बच्ची को लेकर कमरे में जाओ, मैं पीहू से दूध भिजवाती हूँ।
दीदी अरु को लेकर कमरे में गयी।
मैं मम्मी से बच्ची के लिए दूध लेकर दीदी के कमरे में पहुँचा और अरु को दूध पिलाने लगा।
इतने में दीदी बोली- तू अरु को देख, मैं नहाने जा रही हूँ।
दीदी बाथरूम चली गयी, मैंने अरु को दूध पिला कर सुला दिया, फिर बैठ कर टीवी देखने लगा।
दीदी नहा कर वापस कमरे में लौटी, हल्का सा तौलिया बदन पर और पानी से भीगी … एकदम अप्सरा सी लग रही थी।
मेरी निगाह दीदी के हिलते हुए कूल्हों पर थी।
मैं कमरे से निकल कर तुरन्त बाथरूम में घुस गया। अंदर जाकर मैंने दीदी की ब्रा और पैण्टी को चूमा और चूसा, फिर बाथरूम में ही खड़े खड़े मुठ मारी। जब तबीयत थोड़ी हल्की हुई तो बाहर निकल कर काम में बिजी हो गया.
शाम में दीदी को कुछ काम था तो वे बोली- पीहू भाई, मुझे बाइक से मार्किट ले चल!
मैं खुश हो गया और दीदी को मार्किट ले जाने के लिए बाइक निकाला।
दीदी उस समय नीले रंग का सूट पहने थी। उस सूट में दीदी बहुत ज्यादा सेक्सी लग रही थी। उस सूट में उसकी चूची बहुत बड़ी लग रही थी।
खैर, मैं दीदी को बिठाकर जैसे थोड़ी दूर बढ़ा तभी रास्ते में छोटा सा पप्पी आ गया। मैंने तेजी से ब्रेक लगाया; दीदी मेरी ओर झुक गयी और उसकी चूची मेरी पीठ में चुभ गयी। क्या बताऊँ दोस्तो, क्या फीलिंग थी ओह्ह।
फिर मैं दीदी से बातें करता हुआ मार्केट पहुंच गया और एक डेढ़ घण्टे में हम दोनों भाई बहन काम निबटा कर वापस चले आये।
घर पर दीदी बाइक से उतरी, मैंने बाइक खड़ी की। दीदी ने सारा का सारा सामान मेरे हाथ में दे दिया। मैं दोनों हाथों से सामान उठाये हुए दीदी के पीछे पीछे चल रहा था। ऊपर जाने के लिए सीढि़याँ चढ़ते समय दीदी का पैर फिसला और सीधी मुझ पर गिर गयी। गिरते ही दीदी का हाथ सीधा मेरे लण्ड पर पड़ा। दीदी का सारा भार मेरे ऊपर था।
हम दोनों किसी तरह उठ खड़े हुए, मगर मेरा लण्ड उसके हाथ के स्पर्श से एकदम तन जैसा गया था जिसे दीदी भी समझ गयी थी।
हम दोनों ऊपर चली गये।
मम्मी को हमारे गिरने का पता चल गया था तो उन्होंने पूछा- कुछ ज्यादा चोट तो नहीं लगी?
तो दीदी ने कहा- नहीं मम्मी!
मैं ऊपर दीदी के कमरे में सामान रख कर वापस लौट आया।
रात में सारे अतिथियों को खिलाते पिलाते 12 बज गए। सारा घर अतिथियों से भर गया था। यहॉं तक कि मेरे कमरा भी अतिथियों से पूरा भरा था।
मैं मम्मी के पास जाकर बोला- मम्मी कहा सोऊँ?
तो मम्मी बोली- जाओ, निक्की दीदी के रूम में सो जाओ।
मुझे तो मानो मुँह मांगी मुराद मिल गयी हो। मैं दीदी के कमरे में सोने गया तो देखा कि दीदी काले रंग की नाईटी पहन कर सोई हुई है। मैं चुपचाप जाकर लाइट बुझा कर दीदी के बगल में लेट गया।
मुझे दिन में हुई घटना को याद करके नींद नहीं आ रही थी, मैंने सोचा कि चलो मुठ मार कर सो जाते हैं पर मुठ मारने का मन ही नहीं कर रहा था।
इतने में दीदी करवट बदल कर अरु की तरफ होकर सो गयी। करवट लेटने से दीदी की गांड बहुत बड़ी और सुन्दर दिखने लगी। अब मुझ पर सेक्स का भूत सवार हो गया। मैंने सोचा आखिर कब तक दीदी के नाम पर मुठ मारता रहूँगा। एक ज़िन्दगी मिली है, इसमें अपने पहले प्यार को नहीं चोदूँगा तो किसे चोदूँगा?
यही सोच कर मैं दीदी के पास सट कर सोने लगा। मुझे लगा दीदी शायद जाग जायेंगी पर ऐसा नहीं हुआ। बल्कि वह नींद में ही थोड़ा और पीछे खिसकी। इतना कि मेरा 8 इंच लम्बा लंड उनके गांड की दरार में सेट हो गया।
मुझे तो मानो जन्नत मिल गयी थी। क्या बताऊँ, कैसा फील हो रहा था.. आह।
फिर मेरी हिम्मत बढ़ी और मैंने अपना हाथ अपनी निक्कीदीदी के पेट पर रख दिया। दीदी के बदन में कोई हरकत न देख कर मैं हाथ को हल्का हल्का दबाने लगा जिससे मेरा लंड दीदी के नाइटी के ऊपर से ही गांड से सट कर उसको फाड़ने की कोशिश करने लगा।
दीदी अभी भी वैसी से सोई थी। मेरी हिम्मत थोड़ा और बढ़ी। मैं उसकी चूची को दबाने लगा और सहलाने लगा। इतने में दीदी की सांसें तेज़ चलने लगीं और उन्होंने हाथ पीछे ले जाकर मेरा लंड पकड़ लिया।
मेरी तो गांड फट गई। मुझे डर लगा कि दीदी अब उठ कर मम्मी पापा से जाकर बोलेंगी!
पर ऐसा नहीं हुआ।
ओह … वे तो मेरा लंड अंदर से पकड़ कर सहलाने लगी। मैं समझ गया कि दीदी अब चुदाई चाहती हैं… मैं और ज़ोर ज़ोर से उनकी चूची दबाने लगा। जितना जोर से मैं उनकी चूची दबाता था उतनी ही ज़ोर से वो मेरा लंड दबाती थी।
मैं तो मानो सपना देख रहा था- जिस लड़की को मैं बचपन से पसन्द करता था, वो मेरे लंड के साथ खेल रही थी।
फिर दीदी मेरे तरफ घूम गयी और मेरे लंड को पकड़ कर उस पे थूक लगाकर खूब मसल रही थी और मैं उनके गुलाबी गुलाबी होंठों को किस कर रहा था। कभी लिप्स, कभी कान, कभी गर्दन, कभी चूची का पूरा रस पीना चाह रहा था।
फिर दीदी ने इशारा किया- मैं तुम्हरा लंड चूसना चाहती हूँ।
मैं उठ कर खड़ा हुआ और अपने लंड को दीदी के मुँह के पास लगा दिया। दीदी तो मानो पागल हो गयी मेरा लंड पाकर … उसे मुँह में अंदर तक लेकर चूसने लगी।
फिर मैं दीदी के मुँह में ही झड़ गया। दीदी मेरे पानी को पूरा का पूरा पी गयी…
फिर मैं दीदी को चित लिटा कर अपनी बहन की चुत के रस को पीने लगा। जैसे ही मैंने उसकी चुत पर हाथ रखा.. आह.. क्या चुत थी दीदी की एकदम मक्खन। फिर मैं दीदी के चुत को जैसे ही जीभ से टच किया वो खुद ब खुद अपनी गांड ऊपर कर चुसवाने लगी और अपने मुँह से आह.. आह.. की आवाज निकालने लगी।
मैं दीदी की चुत को बहुत प्यार से चूस रहा था जैसे आइसक्रीम हो…
दीदी आहें भरे जा रही थी और मैं उनकी चुत चूसे जा रहा था- आह अह आह और पीहू और चूसो.. मेरी चुत को.. और..
दीदी की मस्त सिसकारी के साथ मैं अपनी दीदी की प्यारी चुत को चाट रहा था।
तभी दीदी ने मेरे सर को अपनी चुत पर दबोच के अपना पानी छोड़ दिया।
मैं भी दीदी का पानी पी गया पूरा का पूरा और दीदी को अपने ऊपर लाकर कर अपने लंड को दीदी के चुत पर सेट किया और अंदर घुसाने लगा तो मुझे हल्का हल्का सा दर्द होने लगा.
तो मेरी सिस्टर ने पूछा- तूने कभी सेक्स नहीं किया है ना किसी लड़की के साथ?
मैं- आपको कैसे पता?
दीदी- भाई मेरे … पहली बार सेक्स में दर्द होता है, समझा मेरे स्वीटू।
मैं- तो क्या, आपको भी दर्द हुआ था दीदी?
तो वे बोली- हाँ, मेरी में से तो खून भी निकला था।
मैं- दीदी, तो आप रोई होंगी ना?
दीदी- हॉं बहुत। पर कुछ देर बाद मज़ा आने लगता है जैसे तुझे भी आने लगेगा।
मैं- दीदी आई लव यू।
दीदी- आई लव यू टू, मेरे जाना!
मैं हल्का हल्का दीदी के चुत में लंड डालने लगा तो पता चला साला जान निकल जाएगी। दीदी की चुत काफी कसी थी और मेरा लंड मोटा था। इसलिए बहुत मुश्किल से जा पा रहा था।
मैं दीदी से बोला- दर्द हो रहा है!
तो दीदी बोली- होता है जानू … आँखों बंद करो, फिर देखो क्या होता है…
मुझे आँखें बंद करवा कर दीदी ने नीचे लिटा दिया। मेरी अक्षरा जैसी दीदी मुझे अपनी चूची पिलाते हुए मेरे लंड पर धीरे धीरे बैठने लगी।
जब मैंने देखा तो पता लगा कि मेरा लंड आधा दीदी के चुत में धँसा हुआ है और दीदी अपने मुँह पर हाथ रखे आह भर रही है। शायद उसको डर था कि अरु ना जाग जाये। दीदी मेरे ऊपर ऐसे ही 15 मिनट तक सवारी करती रही फिर खुद नीचे होकर और मुझे ऊपर चढ़ कर चोदने को कहा।
मैंने दीदी की टांगों को अपने कंधे पर रखा और एक ही बार में पूरा का पूरा 8 इंच का लंड दीदी के योनि में घुसा दिया जिससे दीदी के मुँह से हल्का सी चीख भी निकली पर दीदी ने उसे अपने अंदर ही दबा लिया।
फिर मैं बहुत तेज़ी से दीदी को चोदने लगा जिससे दीदी भी खूब मज़े लेने लगी।
दीदी मस्त होकर बोल रही थी- पीहू मेरे भाई … और तेज़.. जानू! आज से मैं तुम्हारी हूँ.. जी भर के चोदो।
फिर एक पल के लिए दीदी ने मुझे पकड़ लिया और बोली- मेरा हो गया। तुम भी अपना पानी निकाल दो जल्दी से!
तो मैं दीदी से बोला- दीदी, मुझे आपकी गांड मारनी है अब।
दीदी बोली- नहीं, यहाँ तो तेरे जीजा का भी नहीं जाता है तो तेरा कैसे चला जायेगा?
तो मैं बोला- दीदी, वो साला कुत्ता, वो क्या जाने कि गांड कैसे मारी जाती है।
पर दीदी नहीं मानी तो मैं बोला- दीदी, बिलकुल दर्द नहीं होगा।
तो वह बोली- अगर दर्द हुआ तो तुम्हारी गांड फाड़ दूंगी!
मैंने कहा- ओके!
मैं नंगा ही रसोई में गया और वहाँ से तेल का डिब्बा लाकर दीदी की गांड पर तेल लगाया और पहले एक उंगली गांड के अंदर डाली, फिर दो उंगली।
तब जाकर दीदी को मज़ा आना शुरू हुआ और बोली- पीहू, जल्दी कर बाबू, चोद मुझे जल्दी से।
फिर मैं अपने लंड पर तेल लगा कर धीरे धीरे दीदी की गांड पर सहलाने लगा, फिर हल्का सा जैसे ही अंदर डाला दीदी आगे को होकर बोली- नहीं जाएगा।
पर मुझे दीदी की गांड मारनी ही थी तो मेरी ज़िद के आगे दीदी ने खुद ब खुद मेरा लंड पकड़ कर अपने गांड के छेद पर रख कर बोली- चल जोर लगा।
मैं उसकी 38 इंच का गांड पकड़ कर एक ही बार में आधा लंड दीदी की गांड में डाल दिया। दीदी अपना मुँह नीचे कर के रोने लगी और बोली- पीहू, निकाल अपना लंड!
पर मैं नहीं माना और उसकी चूची पीछे से हाथ बढ़ा कर दबाने लगा।
कुछ देर बाद दीदी खुद ब खुद अपनी गांड को आगे पीछे करने लगी। फिर मैं भी उसकी गांड को किस किया और दनादन चोदने लगा।
दीदी आह आह कर रही थी और बोल रही थी- और.. और ज़ोर से.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… पीहू और.. आह.. आह।
फिर मैंने दीदी के मुँह में लंड डाला और दीदी के मुँह में झड़ गया।
रात को 2:47 मिनट हो रहे थे। इसका मतलब मेरा पहला सेक्स 1 घंटा से भी अधिक देर तक चला था।
यह बात अगले दिन की है, जब मैं सुबह उठा, तो मैंने देखा दीदी और अरु नीचे चली गयी थीं. सुबह के 9 बजे चुके थे और मैं रात की बातें याद कर कर बहुत उदास था. साथ ही मुझे अपने ऊपर गुस्सा भी बहुत आ रहा था कि ये मैंने क्या कर दिया. मैंने अपनी दीदी से अपनी आंखें कैसे मिला पाऊँगा. अपनी शर्म के मारे मैं पानी पानी हो रहा था. फिर मैं उठ कर बाथरूम में चला गया. जैसे ही मैं बाहर आया, तभी दीदी अन्दर आईं. उनको देख कर मैंने शर्म के मारे अपना सर नीचे ही किये रखा.
दीदी शायद कुछ काम से अन्दर आयी थीं. उन्होंने भी मुझसे कोई बात नहीं की. मैं यही सब सोचता हुआ नीचे शादी के काम में लग गया. बीच बीच में मैं अपनी दीदी से आंखें भी मिला लेता था और वो भी मुझे देख कर मुस्कुरा देती थीं. पर मेरी हिम्मत नहीं हो पर रही थी कि मैं दीदी से कोई बात करूँ.
कुछ देर बाद मैंने देखा कि दीदी मेरी तरफ देख कर एक लड़की से बातें कर रही थीं. वो लड़की भी मेरी तरफ ही देख कर हंस रही थी. मैं कुछ समझा नहीं क्योंकि वो लड़की दीदी के ससुराल पक्ष की सहेली थी, जो भइया की शादी में आयी थी. उसका फिगर 34-30-32 का था. वह बहुत सेक्सी लग रही थी.
मैं ऐसे ही किसी काम से व्यस्त होकर घूम रहा था. तभी दीदी मेरे करीब आईं और बोलीं- पीहू, तुम बेबी को सामने वाले घर में शिफ्ट करवा दो.
उस लड़की का नाम बेबी था.
मैंने बोला- वहां पर क्यों?
तो दीदी बोलीं- यहां रूम कम हैं … तो अंकल ने कहा कि बेबी मेरे घर में जाकर रह सकती है … इसलिए ये वहां पर रेस्ट कर लेगी, तुम बस इसका सामान उधर रखवा दो.
दीदी से बात करके मुझे थोड़ा रात की बात से राहत सी मिली और अब मेरा ध्यान उस लड़की पर ठहर गया. मैं उस लड़की को ही देख रहा था. सच में क्या बताऊं, वो बहुत ही मस्त लड़की थी. उसका फिगर देख कर मेरा लंड हरकत में आ गया.
मैं उसे देख ही रहा था, तभी दीदी बोलीं- क्या देख रहे हो … जाओ इसे लेकर!
दीदी मुझसे बातें करने लगी थीं, पर मुझे अभी भी कुछ शर्म आ रही थी. इसलिए मैं उनसे आंखें नहीं मिला पा रहा था. पर दीदी की सहेलू बेबी मुझे ही देखे जा रही थी.
मैंने दीदी की बात मान कर उसका सामान अंकल के घर ले जाकर रख दिया और वापस जाने के लिए मुड़ा, तभी वो मुझे टोकते हुए बोली- तुम पीहू हो ना … निक्की के भाई?
मैंने बोला- हां …
फिर वो बोली- तुम मुझसे बातें क्यों नहीं कर रहे हो … मैं भी तो तुम्हारी बहन जैसी हूँ.
तो उसकी इस बात पर मैंने बोला- हां ये तो है ही.
वो बोली- हां … पर वो मत करना जो तुमने दीदी के साथ रात में किया था.
उसके इतना बोलते ही मैं सन्न रह गया और वो हंसने लगी. पर मुझे कुछ समझ में नहीं आया कि मेरी बहन इसको उस घटना के बारे में कैसे बता सकती है.
तब भी मैंने बात क्लियर करने के इरादे से उससे पूछा- मैंने क्या किया था?
वो बोली- वही … जो तुमने रात में निक्की के साथ किया था.
मैं समझ गया कि दीदी ने इससे सब कुछ बता दिया है, पर मैं अभी भी अनजान बना हुआ था. लेकिन मैं डर गया था, मेरी तो गांड फट गयी थी कि अब क्या होगा, अब सबको ये बात पता चल जाएगी.
तभी वो बोली- ओके तुम टेंशन मत लो … मैं किसी से कुछ नहीं कहूंगी, पर मेरी एक शर्त है?
मैंने बोला- मुझे तुम्हारी हर शर्त मंजूर है … पर प्लीज़ किसी को मत बोलना.
वो बोली- पहले शर्त सुन तो लो.
मैं बोला- हां बोलो.
तभी वो मुझसे बोली- तुमको भी मेरे साथ वैसा ही करना पड़ेगा, जैसे तुमने अपनी दीदी के साथ किया था.
मैं बोला- तुमको ये सब कैसे पता है कि मैंने अपनी दीदी के साथ क्या किया था?
इस पर वो बिंदास बोली- मुझे तुम्हारी बहन ने ही बताया है कि रात में मैंने अपने भाई का वर्जिन लंड अपने मुँह में लिया था, बहुत मज़ा आया था. उसकी ये बात सुनकर मैं तभी से तुमको पटाने की कोशिश कर रही थी, पर तुम हो कि सर नीचे किये ही चले जा रहे थे. इतने शर्मीले क्यों हो यार?
मैंने धीरे से बोला- कल रात जो मैंने किया था, वो गलती से हो गया. दीदी मुझे इस बात के लिए कभी माफ़ नहीं करेगी … इसलिए मैं दीदी से नज़रें नहीं मिला पा रहा था.
तो वो मेरी बात को अनसुना करते हुए बेशर्मी से बोली- मुझे निक्की ने बताया है कि तुम बहुत अच्छा चोद सकते हो … तुम्हारा लंड काफी बड़ा है.
अब मैंने भी उससे खुलते हुए कहा- हां पता है … पर आज तुम्हें भी पता चल जाएगा.
मैं इतना कह कर उसके करीब हो गया और बोला- क्यों क्या तुम मेरा लंड अभी ही लेने के लिए तैयार हो?
तो वो तुरंत मेरा लंड पैन्ट के अन्दर से पकड़ कर मसलने लगी. उसके स्पर्श से मेरा लंड तुरंत बड़ा हो गया, जिससे मेरे लंड ने पैन्ट में तम्बू बना लिया.
यह देख कर बेबी बोली- इसे जल्दी से बाहर निकालो … नहीं तो ये पैन्ट को फाड़ देगा.
मैं चुदासा सा बोला- तुम्हीं निकाल लो ना.
इतना कह कर मैं उसे किस करने लगा और वो भी मुझे पागलों की तरह किस करने लगी.
फिर वो घुटनों के बल पर बैठ कर मेरा लंड निकाल कर चूसने को जैसे ही हुयी, तभी दरवाजा पर किसी ने नॉक किया.
मैंने बोला- कौन है?
तो उधर से आवाज़ आयी- मैं हूँ!
मैं समझ गया कि ये आंटी की आवाज है. हम दोनों ने अपने कपड़े सही किये और मैंने आगे बढ़ कर दरवाजा खोला.
आंटी एकदम से बोलीं- क्या कर रहे थे?
मैं बोला- ये दीदी की सहेली है, इसको आपके घर का रूम दिखा रहा था.
आंटी उधर किसी काम से आयी थीं, कुछ देर बाद वो चली गईं.
आंटी के जाने के बाद मैं तुरंत दरवाजा बंद करके बेबी के रूम में चला गया, जहाँ बेबी भी मेरा इंतज़ार कर रही थी. मुझे देखते ही वो खड़ी हो गयी और मेरे पास आकर उसने मुझे गले से लगा लिया. उसके बड़े बड़े मम्मे मुझे मेरी छाती से दबते हुए महसूस हो रहे थे.
मैंने उसे बेडरूम में ले जाकर बेड पर पटक दिया और उसे किस करने लगा. वो भी चुदासी सी हो गई थी. वो जल्दी जल्दी मेरे कपड़े खोलने लगी.
आज यह मेरे जीवन का पहला सेक्स होने जा रहा था, जहाँ लड़की को मैं हीरो की तरह चोदने वाला था.
मैं अपने अंडरवियर को उतार कर नंगा हो गया. जब उसने मेरा लंड देखा तो बोली- इतनी छोटी उम्र में इतना बड़ा लंड कैसे हो गया?
मैं बोला- मैं रोज़ दीदी के नाम से लंड की मुठ मारता था, इसलिए ये खिंच कर इतना लम्बा हो गया.
उसने तुरंत आगे को होकर मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और लॉलीपॉप की तरह लंड चूसने लगी. मैं तो मानो जन्नत में था. कल रात में दीदी के मुँह में लंड चुसवा कर पानी उनके मुँह में छोड़ा था, अब उनकी सहेली के मुँह में मेरा लंड था.
दीदी की सहेली मेरा लंड चूसती रही … जिससे पूरे कमरे में लंड चुसाई की मधुर आवाजें छप छप छप … गूंज रही थीं. वो खेली खाई खिलाड़ी लग रही थी. कभी वो मेरा लंड चूमती, तो कभी काट लेती थी … वो तो ऐसे लंड चूस रही थी, मानो पूरा कर पूरा लंड खा ही जाएगी.
मुझे भी इतनी अधिक चुदास चढ़ रही थी कि मैं भी उसके सर को पकड़ कर मुँह चुदाई करने लगा. कुछ ही समय में मैं उसके मुँह में ही झड़ गया. मेरे लंड ने अपने पानी को उसके मुँह में डाल दिया, जिसे उसने अपनी जीभ से चटखारे लेते हुए एक एक कतरा चाट कर साफ़ कर दिया. फिर वो गांड हिलाते हुए बाथरूम में चली गई और अपना मुँह धो कर वापस आ गयी.
अब मैं उसको किस करते करते उसके कपड़े उठाने लगा. मैंने उसे बेड पर लिटा कर उसकी ब्रा को उतारने की बजाए फाड़ दिया … जिससे वो थोड़ी ग़ुस्सा सी हो गयी. वो बोली- मेरे पास ब्रा की दुकान नहीं है … जो मैं बदल बदल कर पहन लूँगी … अब तुम्हें ही बाजार जाकर मेरे लिए ब्रा लानी होगी.
तो मैं बोला- हां ठीक है ला दूंगा मेरी जान … अभी चोदने तो दो ठीक से …
मैं उसके 34 इंच के मम्मों को चूसने लगा, जिससे वो ‘आह आअह आह प्लीज़ आह …’ करते हुए मादक सीत्कार भरने लगी. मम्मों से मजा लेने के बाद मैं नीचे को होकर उसकी चुत पर आ गया. मैंने जैसे ही उसकी चूत पर हाथ लगाया … आह … क्या बताऊं यारों … उसकी चुत पर एक बाल तक नहीं था. एकदम चिकनी चमेली चूत थी और इस वक्त तो उसकी चुत पूरी की पूरी पानी हो रखी थी.
मैं जैसे ही नीचे चुत चाटने को हुआ तो वो बोली- जानू … नीचे अभी गन्दा है.
मैं बोला- मैं उसे ही तो चूसना चाहता हूँ.
वो बोली- नहीं … पहले जल्दी से अपना लंड डाल कर मेरी चुदाई करो … मुझे अभी बर्दाश्त नहीं हो रहा है.
मैं भी उसे जल्दी ही चोदना चाहता था. इसीलिए मैंने अपने लंड पर थूक लगा कर जैसे ही उसके चुत पर लंड रखा, उसकी चुत ने मेरे लंड के लिए अपना मुँह खोल दिया और लंड अन्दर ऐसे घुसता चला गया … जैसे मानो किसी आइसक्रीम पर चाकू घुसता चला गया हो.
साली की चूत एकदम गीली हो जाने के कारण लंड ने एकदम से अटैक कर दिया था.
हालांकि उसकी एक तेज चीख निकल गई ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ इसका कारण मेरे लंड की लम्बाई थी. फिर एक पल रुकने के बाद मैंने उसके पैर को अपने कंधे पर रखा और उसकी गांड में नीचे तकिया रख कर एक ही झटके में अपना पूरा का पूरा लंड अन्दर डाल दिया और ज़ोर ज़ोर से धक्के देने शुरू कर दिए. वो आह भर कर कराहने लगी.
थोड़ी ही देर में वो मुझे अपने तरफ खींच कर मुझे अपने ऊपर लेकर कस के पकड़ कर आहें भर रही थी. वो चुदासी सी बोल थी- अहह … हय … आह … चोद दो मुझे … और तेज पेल दो … आह आह आह जानू … और तेज हां … ऐसे ही आह और चोदो.
मैं भी गचागच उसे चोदे जा रहा था.
तभी वो एकदम से खुद को ऐंठते हुए झड़ गयी और उसने मुझे अपने ऊपर जकड़ सा लिया. वो हांफते हुए बोली- सही में यार तुम बहुत मस्त चुदाई करते हो … कभी मुंबई आओ, उधर की सारी लड़कियां तुम्हें चाहने लगेंगी और खूब चुदाई करवाएंगी.
मैं अभी भी उसके चुत को चोदे जा रहा था. कुछ देर बाद वो भी फिर से मुझे किस करने लगी और चुदाई के मज़े ले लेने लगी ‘आहह हह आसीई ईईइ प्लीज और ज़ोर से चोदो मेरी चूत को … आअहह फाड़ दो …’
मैं लगातार ज़ोर ज़ोर से धक्के देने लगा, जिसकी वजह से उसके चूचे ज़ोर ज़ोर से हिलने लगे. वो अब मेरी धकापेल चुदाई के दर्द से चीखने चिल्लाने लगी. लेकिन कुछ देर की चुदाई के बाद वो अपने चूतड़ों को उठा उठाकर मेरा लंड पूरा अन्दर लेने लगी.
कुछ मिनट के बाद मैं उसके अन्दर ही झड़ गया. मेरे लंड की तेज रगड़ से उसकी चुत से हल्का हल्का खून भी निकलने लगा था. मैं समझ गया कि इसने मेरे जितना लम्बा लंड अपनी चुत में अब तक नहीं लिया था.

0 Comments