दोस्तो, मेरा नाम तो कुछ और है लेकिन आप मुझे सोनी बुला सकते हो, ये मेरा असली नाम तो नहीं, निक नेम कह सकते हो. मैं 27 साल का हूँ और सेंट्रल दिल्ली से हूँ, आशा करता हूँ आप लोगों को कहानी पसंद आएगी, थोड़ी लम्बी है क्योंकि जैसा जैसा मेरी ज़िन्दगी में हुआ वैसा वैसा ही मैं लिख रहा हूँ.
यह बात तब की है जब मैं स्कूल में पढ़ता था. इससे पहले में एक काफी अच्छे स्कूल में पढ़ता था, जहां किसी को गलत बोलने पर टीचर बहुत मारते थे और पढ़ाई इतनी ज्यादा होती थी कि किसी और चीज़ के लिए वक़्त ही नहीं मिलता था. जब मैं छोटी कक्षा में था, तो मेरे दादी की मृत्यु हो गयी और हमें अपना घर बदलना पड़ा, जिससे मेरा स्कूल भी बदल गया. स्कूल बदलने से मेरा माहौल भी बदल गया.
इधर का माहौल कुछ ऐसा था कि केवल एक साल में ही में लंड, चूत, चोदना, हाथ से हिलाना … इस सबके बारे में काफी कुछ सीख गया.
अब आप सभी को तो पता ही है कि एक बार इन सबके बारे में पता लग जाए, फिर तो बस दिमाग में एक ही बात चलती है कि एक बार कोई चोदने को मिल जाए बस.
मैं आपको अपने घरवालों के बारे में बता दूँ. मेरे पिता नौकरी करते हैं और उनकी रात की शिफ्ट होती है. मेरी मॉम एक गृहिणी हैं और मेरी एक बहन है, जो मुझसे दो साल छोटी है.
नए घर में कमरों के दरवाजे नहीं थे, बस परदे थे. तो कोई भी कभी भी किसी भी कमरे में आ जा सकता था. पहले जब हमको कुछ नहीं पता था, तो उस वक्त हमारा उनके कमरे में यूं ही घुस जाना साधारण सी बात था. यदि उस वक्त डैड मॉम के साथ सेक्स करते थे, तो वे कोई भी बहाना बना देते और हम भाई बहन मान लेते थे. लेकिन जब सब कुछ जान लिया तो समझ आने लगा था कि वो दरअसल क्या करते थे.
उन दिनों मेरा दिन का स्कूल होता था तो मैं दोपहर में स्कूल में होता था. डैड सुबह काम से आते और मॉम से साथ सेक्स करते थे. मैं थोड़ा देर से उठता था, जिससे उन्हें चुदाई करने का आराम से समय मिल जाता था. लेकिन जब एक बार मैंने उन्हें ये सब करते देखा, तो मेरी जिज्ञासा बढ़ गई. अब मैं उन्हें देखने का मौका देखता रहता था. मुझे मौका मिल भी जाता भी था और उन्हें सेक्स करता देख, मैं भी अपना सामान अपने हाथों से हिला लेता था. उस समय इसे सामान कहना ही ठीक था, लंड कहना ठीक नहीं है.
एक दो साल तो ऐसे ही निकल गए, फिर एक दिन स्कूल में मेरा दोस्त एक किताब लाया, जिसमें सेक्स स्टोरी थी. उसने ये कहते हुए मुझे किताब दे दी कि आज तू रख ले, मैं तुझसे कल ले लूँगा. मैं आज इसे अपने साथ नहीं रख सकता.
मैंने भी किताब ले ली, अब ऐसा मौका कोई थोड़ी ही छोड़ देता है. मैं एक दिन में पूरी तो नहीं पढ़ पाया, पर जितनी भी पढ़ सका, मुझे बहुत बढ़िया लगी थी.
अब तो मुझे भी सेक्स स्टोरी पढ़ने का शौक लग गया था और हाथ से हिलाने का … पर उन दिनों ऐसी किताब जल्दी नहीं मिलती थी और खरीदने की हिम्मत नहीं होती थी. जब भी कोई दोस्त दे देता था, तो पढ़ लेता था.
फिर बाद में कई दोस्तों ने मोबाइल ले लिए, जिसमें वीडियो क्लिप चलते थे. इसी के माध्यम से मैंने ब्लू फिल्म देखना शुरू किया. फिर तो कई बार तो सीडी तक मिलने लगी. बस यहीं से शुरू हुई मेरी सेक्स कहानी.
अब मैं बी.कॉम फाइनल इयर में आ गया था. एक दिन जब डैड काम पर गए हुए थे, मॉम बाज़ार गई थीं और बहन टयूशन क्लास में गई थी. तो मैं हमेशा की तरह ब्लू फिल्म की सीडी लगा कर हाथ से अपना लंड हिला रहा था. उधर बहन की क्लास जल्दी ख़त्म हो गई. जब भी कोई घर से बाहर जाता है और किसी और को बाहर नहीं जाना होता तो वो बाहर से लॉक कर जाता है. ऐसा ही मेरी मॉम ने किया था और घर की चाबी पड़ोसी को दे गई थीं. बहन ने चाबी ली, गेट खोला और अन्दर आ गई.
इधर मैं तो हमेशा की तरह हाथ से लंड हिलाने में खोया हुआ था, मुझे पता ही नहीं चला कि कब वो अन्दर आ गई.
उसने मुझे हिलाते हुए देखा तो वो कहने लगी- भाई क्या कर रहे हो?
उसकी आवाज सुनकर मैं एकदम से घबरा गया और मैंने अपना लंड अपनी पैन्ट में डाल लिया. मैं उससे बहाना करते हुए बोला- मुझे यहां खुजली हो रही थी, खुजा रहा था.
इस वक्त मेरी जान निकली हुई थी कि उसने मुझे कहीं मुठ मारते देख तो नहीं लिया, अगर देख लिया तो मॉम और डैड को बता देगी और फिर मेरा क्या हाल होगा.
कमरे में जहां से घुसते हैं, वहीं टीवी रखा था, तो उसने ब्लू फिल्म तो नहीं देखी होगी लेकिन और कुछ देखा या नहीं, यह नहीं पता था.
मॉम कुछ देर बाद घर आईं, तो बहन से पूछा- जल्दी क्यों आ गई?
तो उसने बता दिया.
उन्होंने फिर पूछा कि तेरा भाई क्या कर रहा था.. कहीं पढ़ने की जगह टीवी तो नहीं देख रहा था.
उस टाइम उसने बोल दिया- जब मैं आई तो वो टीवी देखते हुए अपने पेशाब करने की जगह को उछाल रहा था और मैंने पूछा तो उसने मुझसे कहा कि मुझे खुजली हो रही है.
उसने ऐसा कहा तो मेरी फट के हाथ में आ गई. मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा. मुझे ऐसा लगा कि काटो तो खून नहीं.
मॉम मुझसे पूछने लगीं- ये क्या बोल रही है?
अब मैं क्या कहता कि ब्लू फिल्म देखते हुए मुठ मार रहा था, तो मैंने झूठ बोला कि बहन झूठ बोल रही है.
लेकिन बहन कह रही थी कि मैं झूठ बोल रहा हूँ.
फिर मॉम ने बहन से कहा कि चल तू जा यहां से.
बहन चली गई.
फिर मॉम ने जोर डालते हुए मुझसे पूछा- सच बोल … क्या कर रहा था तू? वरना तेरे डैड से कह दूंगी.
अब मरता क्या ना करता मैं सच बताने को हुआ ही था कि तभी दिमाग में आया क्यों न अपने झूठ पर अड़ा रहूँ. मैंने यही किया और मॉम से बोल दिया कि मॉम सच में मुझे खुजली हो रही थी, घर पर कोई नहीं था तो पैन्ट खोल कर खुजा रहा था.
मॉम मुझसे कुछ और देर तक पूछती रहीं और जब मैंने जवाब नहीं बदला तो वे मान गईं और कहने लगीं कि तुझे पता ही है कि कमरों के दरवाजे नहीं हैं. अगर इतनी खुजली हो रही थी, तो तू बाथरूम में जाकर ही खुजा लेता.
अब मैं मन ही मन बोल रहा था कि बस जल्दी से मॉम के लेक्चर खत्म हो जाएं और मैं बहन को खरी खोटी सुनाऊं.
लेकिन मैं उसमें भी फेल हो गया. जब मैंने बहन को कहा कि तूने मॉम को क्यों बताया?
तो उसने ये बात भी मॉम को बोल दी और फिर से मेरी क्लास लगवा दी.
जैसे तैसे बात आई गई हो गई.
कुछ दिन बात एक रिश्तेदार के बेटा और बहू हमारे घर रहने आए. मैं उन्हें भईया और भाभी कहता था. भाभी उस समय प्रेग्नेंट थीं और उनका आखिरी महीना चल रहा था. भाई को काम से टूर पर जाना था और वे भाभी को अकेला नहीं छोड़ सकते थे. भाभी सफ़र भी नहीं कर सकती थीं इसलिए वो अपने पीहर भी नहीं जा सकीं. इसलिए भाभी कुछ दिन हमारे घर रहने को आ गईं.
अब तक बहन और मेरे बीच सब कुछ ठीक हो गया था, मतलब अब मैं उससे गुस्सा नहीं था. मैंने मान लिया था कि गलती मेरी ही थी.
बहन ने मॉम से पूछा- भाभी इतनी मोटी कैसे हो गई हैं?
उसकी मासूमियत पर मॉम ने उसे टाल दिया. लेकिन उसने भाभी से मजाक में बोल दिया कि भाभी इतना क्यों खा लिया कि आप इतनी मोटी हो गई हो?
भाभी इसका दूसरा मतलब निकाल बैठीं. वे समझ रही थीं कि ये भैया के लंड के बारे में ताना मार रही है कि ऐसा क्या खा लिया.
इसीलिए उन्होंने मॉम से बोला- लड़की बहुत तेज़ हो गई है.
मॉम ने बहन की डांट लगाई और बोली- तुझे पहले भी बोला था कि ये तेरे जानने की चीज़ नहीं है, तू फिर भी नहीं मानती, तुझे क्या पता है.
बहन बेचारी उस समय कुछ नहीं जानती थी तो वो बोली- जरूरत से ज्यादा खाना खाकर ही कोई भी मोटा हो जाता है. अगर मैंने भाभी से ये पूछ लिया कि वो क्या खाती है, तो क्या बुरा किया जो इतना डांट रही हो मुझे?
मॉम और भाभी शांत रह गईं, उन्होंने समझ लिया था कि मेरी बहन अभी कुछ नहीं जानती है.
जब मैं घर आया तो बहन ने सब बताया कि कहां से बात शुरू हुई और कहां खत्म हुई.
उसने मुझसे पूछा- भाई बताओ … मेरी गलती कहां थी, मैंने तो खाने के बारे में पूछा था.
मैंने कहा- अभी तू नादाँ है और ये सब तेरे जानने की चीज़ नहीं है, जब तू बड़ी हो जाएगी, तब पता चल जाएगा.
इस पर बहन ने पूछा- क्या आपको पता है कि भाभी इतनी मोटी कैसे हो गईं?
मैंने कहा- हां, मुझे पता है.
वो कहने लगी- मुझे भी बताओ.
अब मैं उसे कैसे बताता. मैंने टालने की कोशिश की, लेकिन वो बहुत जिद्दी है, नहीं मानी.
मैंने ये बोल कर टाल दिया कि तू इन सब बातों को जानने के लिए अभी छोटी है.
वो तपाक से बोल पड़ी- जब काम करवाना होता है, तब मैं छोटी नहीं होती, अब सबको छोटी लग रही हूँ.
वो नाराज़ हो कर बैठ गई और उसने बात करना भी छोड़ दिया.
कुछ दिन बाद मैं भी परेशान हो गया कि इसकी जिद तो लम्बी होती जा रही है.
मैंने अकेले में पूछा- अब बात कब तक नहीं करनी है?
उसने कहा- जब तक आप नहीं बताते तब तक!
मैंने बोला कि मैं तेरा भाई हूँ, मैं तुझे ये बातें नहीं बता सकता.
उसने कहा- फिर बहाना!
मैंने कहा कि ये बातें शादीशुदा लोगों की होती हैं.
उसने कहा कि क्या आपकी शादी हो गई है, जो मुझसे ये कह रहे हो? जब आप बिना शादी के सब जान सकते हो तो मैं भी जान सकती हूँ. अगर बताना है तो बताओ वरना बात भी मत करो.
अब मैं सोच में पड़ गया कि क्या करूँ, इसे बताऊं कि नहीं बताऊं. फिर दिमाग में आया कि इसको बताया और कहीं पहले की तरह इसने मॉम को बोल दिया तो उस समय तो बच गया था, अब की बारी नहीं बच पाऊंगा.
उससे बोल चाल बंद होने का नतीजा कुछ इस तरह से सामने आया कि पूरे घर में इसका असर दिखने लगा.
एक दो दिन ऐसे ही निकल गए लेकिन भाभी को शक होने लगा कि घर में कुछ गड़बड़ है. उन्होंने भाई को फ़ोन पर बताया और भाई ने डैड को कह दिया. अब डैड ने घर पर सब की क्लास लगा दी और कह दिया कि अपने अपने मन मुटाव अपने तक रखो, तुम्हारी भाभी तक घर की कोई भी टेंशन नहीं पहुंचनी चाहिए.
अब क्या था, इधर बहन तैयार नहीं थी, कशमकश बढ़ गई थी. मैं बहन से अकेले में मिला तो उसे बोला कि अगर तुम नहीं बताओगे तो मैं तुमसे बात नहीं करूँगी.
मैं डैड की बात भी नहीं टाल सकता था क्योंकि भाभी इस हालत में नहीं थीं और अगर वे जाने की बात करतीं, तो डैड को अच्छा नहीं लगता.
मैंने बहन से कहा- मुझे सोचने के लिए टाइम चाहिए.
मैं इसी टेंशन में था कि इसे बताऊं या न बताऊं … अगर बताऊं तो कैसे कहूँ. और नहीं बताया तो इस मुसीबत से कैसे बाहर निकलूँ. मुझे केवल एक ही डर था कि कहीं बहन मॉम या डैड से कुछ न बोल दे.
इतने में बहन ने पूछ लिया- बताना भी है या सिर्फ टाइम वेस्ट कर रहे हो?
मैंने कहा- मेरी एक शर्त है.
उसने बोला- क्या?
मैंने कहा- जो भी मैं तुम्हें बताऊंगा, वो तू सिर्फ अपने तक ही रखेगी.
उसने तपाक से बोल दिया- ठीक है.
लेकिन मुझे पता नहीं क्यों विश्वास नहीं हो रहा था. मैंने टालने के लिए बोल दिया कि जब शादी होती है और जब पति पत्नी आपस में प्यार होता है तो पत्नी पेट से यानि प्रेग्नेंट हो जाती, इसीलिए पत्नी मोटी हो जाती है.
उस वक्त तो बात आई गई हो गई, लेकिन मुसीबत जल्दी छोड़ कर नहीं जाती. उसे कहीं से पता चल गया था यानि अपनी फ्रेंड्स से मालूम हो गया कि शादी के बाद सेक्स होता है, तभी लड़की प्रेग्नेंट होती है.
अब बहन ने कंफ़र्म करने के लिए मॉम से पूछ लिया और जो मैंने बताया वो भी बता दिया. अब मेरी क्लास डैड ने ले ली- तूने ये सब क्यों बताया?
मैं क्या बोलता, फिर भी जितना मैंने बोला था, मैंने बता दिया और कहा कि ये नहीं बोलता तो क्या बोलता.
तो उन्होंने कहा- ये बात हमें भी तो बता सकता था.
फ़ालतू की बातें गहरी होती जा रही थीं लेकिन इसके बिना मेरी कहानी को लिखा ही बेकार है.
अब मेरे घर में पारा चढ़ने की बारी मेरी थी. मैंने अपनी बहन को खूब सुनाया और बोला- अगर मेरी बातों में कोई भी कनफ्यूजन था, तो मुझसे बात करती ना, मॉम से क्यों कहा. ये वो बातें होती हैं जो सिर्फ पति पत्नी या दोस्त आपस में करते हैं और तूने मॉम से ये बातें कह दीं. इसी मारे मैंने तुझे सारी बातें नहीं बताई थीं, अगर बता देता तो आज पता नहीं क्या होता.
वो मुझसे माफ़ी मांगने लगी.
मुझे गुस्सा तो बहुत था, लेकिन भाभी के सामने जाहिर नहीं होने दिया. परन्तु जब एक घर में रह रहे हों, तो पता चल ही जाता है.
भाभी इन बातों को लेकर मुझे कुरेदने लगीं- क्या हुआ है, मुझसे ठीक से बातें क्यों नहीं कर रहे हो.. क्या चल रहा है तेरी लाइफ में?
इसी तरह की बातों में भाबी के एक सवाल ने मुझे हिला दिया. जब उन्होंने पूछा कि तेरी लाइफ में कोई है क्या?
तो मैंने कह दिया- कोई नहीं है.
तो फिर उन्होंने कहा- तो तुम ऐसा बर्ताव क्यों कर रहा हो?
मैंने कहा कि बहन को कुछ बताया था और बोला कि घर पर पता नहीं चलना चाहिए, लेकिन उसके पेट में बात नहीं पची और उसने बता दिया.
फिर उन्होंने उसी बात पर जोर दिया कि गर्लफ्रेंड के बारे में बताओ न … क्या उसने इस तरह की कोई बात मॉम को बता दी है?
मैंने कहा- कहा तो भाभी, कोई नहीं है.
उन्होंने मुझे मेरी गन्दी आदतों के बारे में पूछा, तो मैं भौंचक्का होकर उनकी तरफ देखने लगा.
उन्होंने बोला कि बुरी आदतें मतलब सिगरेट पीना या ड्रिंक करना पूछा है.. क्या तेरी बहन तेरी इन बातों के बारे में जानती है?
मैंने हंसते हुए बोला- भाभी ऐसी कोई बात नहीं है.
अब भाभी ने सीधे सीधे पूछा- फिर बात क्या है?
मैंने बोला- ऐसी कोई बात नहीं है, जो उसे पता नहीं होनी चाहिए. मैंने उस पर भरोसा करके उसे आपके प्रेग्नेंट होने की पूरी बात न बताते हुए, एक इशारे में समझाई, लेकिन उसने वो बात मॉम को बता दी.
भाभी समझदार थीं, पर वो भी बात नहीं समझ पाईं. लेकिन उनके जवाब ने मेरा नजरिया बदल दिया.
उन्होंने बोला- अगर किसी को पूरी बात में से कुछ हिस्सा बताया जाए, तो आप पर विश्वास कर सच तो मान लेता है. लेकिन अगर उसे आगे की बात किसी और से पता चलती है तो वो सही जानने के लिए किसी तीसरे से पूछता है, वही तुम्हारे साथ हुआ है. अब या तो तुम ही उसे पूरी बात बता दो या बात खत्म कर दो.
मैंने भी सोचा कि गलती तो मेरे ही हुई है. इसलिए मैं ही इसे ठीक करने की कोशिश करता हूँ.
मेरी बहन इस वक्त मुझसे बहुत ज्यादा गुस्सा थी. वो मुझसे बात भी नहीं कर रही थी.
मैं छुट्टी के टाइम पर बहन के स्कूल उसे लेने गया, लेकिन वो सबके सामने ही शुरू हो गई- क्यों लेने आए मुझे … तुमने तो कहा था कि बात भी मत करियो. अब क्यों आए हो?
तब उसकी सहेली ने बोला- भाई से ऐसे बात मत कर … क्या पता क्या बात है.. क्यों लेने आया है तुझे?
तब जाकर वो मेरे साथ आई.
फिर उसके स्कूल और घर के बीच में रास्ते में बीच में एक जगह है, वहां रुक कर मैंने उससे बात करना ठीक समझा. क्योंकि वहां कम लोग आते जाते थे और अगर कोई आता भी तो ठीक से सुन नहीं पाता.
तब मैंने बहन से पहले गुस्सा करने की माफ़ी मांगी, फिर पूरी बात न बताने की माफ़ी मांगी. अब उसके मन में लालच आ गया कि अब मैं उसे पूरी बात बता सकता हूँ.
तो उसने बोल दिया कि मैं तभी माफ़ करूँगी, जब तुम मुझे पूरी बात बताओगे.
मैंने बोला कि अगर मैंने बताया तो हमारा ये भाई बहन का रिलेशन खत्म हो जाएगा.
वो बोली- फ्रेंड की तरह बता दो. एक फ्रेंड से बड़ा रिलेशन कौन सा होता है.
अब मैं क्या करता मेरे पास जवाब ही नहीं था, तो मैं उसे चुपचाप घर ले आया.
मैं सोच में पड़ गया, कभी भाभी को कोसता कि क्यों इधर रहने आ गईं, कभी बहन के दिमाग को कोसता कि अजीब पगली है, कभी डैड को कोसने लगता कि उन्होंने क्यों कहा कि अपने झगड़े अपने तक रखो. अजीब घनचक्कर बन गया था.
इसी सब की वजह से सामने मेरे एग्जाम आने वाले थे और पढ़ाई भी नहीं कर पा रहा था. मैंने दिमाग झटकाया और सोचा बता देता हूँ, ज्यादा से ज्यादा क्या होगा कुछ दिन आपस में बात नहीं होगी. लेकिन दिमाग तो कम से कम शांत हो जाएगा.. रोज की टोक टाकी तो खत्म हो जाएगी.
मैंने बहन से बोल दिया कि ठीक है सब बताऊंगा.. लेकिन एक शर्त है, पहले की तरह कोई भी बात कभी भी किसी को भी, चाहे जो घर पर हो.. या दोस्त हो.. कभी भी पता नहीं चलना चाहिये, क्योंकि अब की बार किसी को बोला तो मैं तो बोल दूंगा कि मैंने नहीं बताया.
इस पर बहन ने कहा- ठीक है.
बस यही वो मोड़ था, जहां से हमारा रिलेशन बदल गया.
अगले दिन मॉम और डैड को बुआ के घर जाना था. मैंने कहा कि कल बता दूंगा.
मैं सारी रात सोचता रहा कि कैसे बताऊंगा, शुरू कहां से करूँगा, कैसे करूँगा.
फिर मैंने सर झटकाया और सोचा जो भी होगा देखा जाएगा.
जब मैं सुबह उठा तो भाभी ने बताया कि मॉम और डैड जा चुके हैं.
उन्होंने मुझे नाश्ता करवाया. मेरी आदत है कि ठण्ड हो या गर्मी, कोई भी घर पर आया हो … मैं रात में केवल कच्छा और बनियान में सोता हूँ. जब तक कि घर से बाहर न जाना हो, मैं पूरे कपड़े नहीं पहनता हूँ.
उन दिनों ठण्ड के दिन थे, तो बस रजाई में बैठा था कि आ गई मुसीबत. बस ये अच्छा था कि भाभी बाहर धूप में बैठी थीं.
बहन ने आते ही कहा- बताओ अब.
मैंने टालने की कोशिश की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. फिर क्या … शुरू हुई बात.
मैंने कहा- क्या जानना है?
तो बोली- पहले ये बताओ पहली बार में झूठ क्यों बोला था?
मैंने कहा- मैंने झूठ नहीं कहा था, लेकिन पूरा सच भी नहीं बताया था.
तो वो बोली- सेक्स क्या होता है?
इस सवाल पे मेरी बोलती बंद हो गई. काफी देर सोचने के बाद मैंने कहा- सच में तू इसके बारे में किसी को नहीं बताएगी?
इतने में भाभी कुछ काम से अन्दर आ गईं. वे पूछ रही थीं- क्या बात हो रही है?
तो उसी ने बोला- पढ़ाई से रिलेटिड बात चल रही है.
भाभी बोलीं- किताबें तो हैं ही नहीं.
मैं चुप रहा.
वो हम दोनों को अनदेखा कर चली गईं. मुझे थोड़ा यकीन होने लगा, तो मैंने सोचा कहीं और से इसे पता चला तो शायद ज्यादा जानने के चक्कर में कुछ गलत न कर ले.
मैंने उसे सेक्स के बारे में बताना सही समझा.
भाभी के जाने के बाद वो बोली- अगर बताना ही नहीं है तो छोड़ो.
उसने फिर से मुँह बना लिया.
मैंने कहा- सुन बता रहा हूँ, अब भाभी के सामने तो नहीं बता सकता था न … तू एक काम कर, कोई एक बुक ले आ, फिर बताता हूँ.
वो एक किताब ले आई. उसके बाद मैंने उसे बताना शुरू किया.
मैंने कहा- जब शादी हो जाती है तो पति और पत्नी आपस में प्यार करते हैं, तो उसे ही सेक्स कहते हैं.
इस पर वो बोली कि कई लोग तो खुल्लम खुल्ला अपने पार्टनर को किस करके सेक्स करते हैं?
अब मैंने सोचा बेटा पूरा बात बता दे.
मैंने आगे कहा कि पति अपने मूतने की जगह को अपनी पत्नी के मूतने की जगह में डालता है, उसे सेक्स कहते हैं.
वो बोली- ऐसा कैसे हो सकता है? मैं नहीं मानती.. आप गलत बोल रहे हो.
अब मुझे गुस्सा आया, मैंने एक तो उसे सब कुछ बताया, ऊपर से मुझे गलत बता रही थी.
इत्तेफाक से घर में एक भी ब्लूफिल्म की सीडी नहीं थी. मैंने उससे कहा- कुछ दिन रुक जा, मैं सच में दिखा दूँगा.
लेकिन वो बोली- अभी दिखाओ.
मैंने कहा- मेरी कौन सी पत्नी है जो करके दिखाऊंगा.. बस बोला है कि तुझे दिखा दूंगा.
वो बोली- ठीक है.
इसके बाद वो रोज़ मुझसे पूछने लगी- कब दिखाओगे.
मेरा दोस्त के पास जाना भी नहीं हो पा रहा था. एक दिन मौका आया कि भाभी अपने फ्रेंड के घर जो हमारे घर से 2 से 3 किलोमीटर दूर रहती हैं, वहां गई थीं. इस मौके पर मुझे याद आया कि डैड सुबह सुबह कैसे चोदते हैं. बस मैंने बहन को बोला- चल आज दिखाता हूँ कि सेक्स कैसे करते हैं.
वो दिन छुट्टी का था, मॉम ने आकर कहा कि तेरे डैड और मैं जरूरी बात कर रहे हैं, दूसरे कमरे में हैं. तुम लोग वहां मत आना … और न ही लड़ना. बस दोनों अपना काम कर लो पढ़ने का.
बस क्या था मैं समझ गया.
मैं बहन को खिड़की तक ले गया, पहले मैंने अन्दर का नजारा देखा और बहन को बोल दिया- कुछ भी पूछना हो तो याद रख लेना और बाद में पूछियो.
उसने कहा- ठीक है.
फिर मैंने उसे दिखाया. मॉम कपड़े उतार चुकी थीं और डैड बेड पर लेटे थे.
मॉम उनके पास गईं और उनका लंड चूसने लगीं. डैड मॉम की चूचियों को दबा रहे थे. मैं सब यूं देख रहा था कि बाद में जब ये पूछेगी कि ये क्या कर रहे थे.. तो मैं इसे कैसे बताऊंगा.
अन्दर डैड का खड़ा हुआ लंड हिनहिनाने लगा तो उन्होंने मॉम से कहा- आजा ऊपर.
मॉम खड़ी हुईं और डैड के लंड के ऊपर बैठ गईं. चुदाई आरम्भ हो गई.
यह देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया. मैं बहन के पीछे ही खड़ा था. मेरा खड़ा लंड उसकी गांड में स्पर्श हो रहा था. एक बारी मैंने सोचा कि ये गलत है, फिर पता नहीं क्या हुआ, मैं उसके और नजदीक खड़ा हो गया. वो मॉम डैड की चुदाई देखने में मस्त थी. अन्दर मॉम डैड के लंड पर उचक उचक कर अपनी चूत में अन्दर तक ले रही थीं. एक बारी तो ऐसा आया कि बहन ने पीछे मुड़ कर देखा और वो कुछ बोलने ही वाली थी तो मैंने मुँह पर हाथ रख कर चुप कराया और वहां से कमरे में ले गया, जहां हम पहले बैठे थे.
मैं उसे कमरे में ले गया और वहां ले जाकर मैंने उससे बोला- मरवाएगी क्या? अभी पता चल जाता कि हम खिड़की से देख रहे थे तो भारी गड़बड़ी हो जाती.
वो बोली- लेकिन!
मैंने कहा- चुप … अब पढ़ाई पर ध्यान दे, मॉम आकर देखेगी कि तूने कितना काम किया है.
यह कह कर मैं बाथरूम में घुस गया और मुठ मारकर बाहर आ गया. मेरा लंड चुदाई देख कर लोहे की तरह खड़ा था. एक तो चुदाई देखकर चुदास चढ़ गई थी और दूसरा बहन के इतने पास खड़ा था कि आग और ज्यादा भड़क गई थी. इसलिए मुठ मारना जरूरी था.
फिर अगले दिन बहन से बात हुई. उसने तो सवालों की पूरी लिस्ट तैयार कर रखी थी. पहला डैड ने हाथ में काला सा क्या ले रखा था, जिस पर मॉम बैठी थी?
मैंने कहा- वही तो है, उनके मूतने की जगह.
वो बोली- झूठ.. मेरी तो ऐसी नहीं है.
मैंने कहा- आदमियों की अलग होती है और औरतों की अलग होती है. तभी तो आदमी खड़े होकर भी मूत लेते हैं.
वो बोली- अगर ऐसा है तो दिखाई क्यों नहीं देता कपड़ों में से?
मैंने पूछा- मतलब?
उसने कहा- ऐसे सीधे हवा में ऊपर की तरफ कैसे था.. यदि ऐसा ही रहता है तो कपड़ों में से क्यों नहीं दिखाई देता?
मैंने कहा- यही तो इसकी खासियत है. ये केवल सेक्स के टाइम पर ही बाहर आ जाता है, फिर छोटा हो जाता है.
तो उसने कहा- ऐसा तो फिर औरतों के साथ भी होता होगा.
मैंने कहा- नहीं.
उसने कहा- ऐसा क्यों?
मैंने कहा- इसका जवाब मेरे पास नहीं है.
उसने कहा- बताओ न?
मैंने कहा- इसे मुँह से बता नहीं सकते, करके बता सकते हैं.
इस टाइम तो मेरे अन्दर भी लालच आ गया था कि कहीं बहन की चूत सच में देखने को मिल जाए.
वो बोली- मॉम, जब डैड के मूतने वाली जगह पर बैठी थीं, तो उसके बाद उछलने क्यों लगी थीं?
मैंने कहा- उसे ही तो सेक्स कहते हैं.
उसका अगला सवाल भी आ गया- तो वो क्या था.. जब मॉम डैड के मूतने वाली जगह को मुँह में ले रही थीं?
मैंने कहा- वो सेक्स का ही हिस्सा होता है.
तो उसने बोला- मुझे समझ में नहीं आया, तुम क्या बोल रहे हो?
मैंने कहा- इससे ज्यादा मैं और क्या बताऊं?
तो उसने कहा कि मुझे एक बार और देखना है.
मैंने कहा- अब मॉम और डैड से ये तो कह नहीं सकता कि भाई हमें फिर से सेक्स देखना है, आप दोनों एक बार फिर सेक्स करो.
तो वो बोली- तुम ही दिखा दो.
मैंने कहा- पागल है … किसी ने देख लिया तो लेने के देने पड़ जाएंगे. अब बस बहुत हो गया, अब बाद में बात करेंगे.
अकेले में मैंने सोचा कि क्या ऐसा हो सकता है कि किसी को पता भी नहीं चलेगा और अपना काम भी हो जाएगा. हम दोनों की जरूरत भी पूरी हो जाएगी. हालांकि उसका तो मुझे नहीं पता था. लेकिन तब भी मुझे लगा कि उसके साथ सेफ भी रहेगा.
आज ये सब सोचा तो पहली बार बहन को इस नजरिये से देखा. उसकी काया को घूरा, वो एक एवरेज लड़की थी. जिसके जिस्म का सबसे आकर्षक हिस्सा था उसकी उठी हुई गांड. उसके चुचे बड़े नहीं थे, एक मुट्ठी में आने लायक जितने थे.
फिर एक रात को हम सोये हुए थे मेरे मन में शैतान जाग गया. मेरे बगल में बहन सोई थी. मैंने सोचा एक बार हाथ फिराने में क्या जाता है.ये सोच कर मैंने उसकी तरफ देखा. उसकी कमर मेरी तरफ थी. मैंने उसकी गांड पर हाथ फिराया, फिर गांड के छेद की तरफ उंगली की. तभी उसने करवट ली, तो मैंने हाथ हटा लिया.
अब वो सीधी हो गई थी. मैंने उसके चूचों पर हाथ फिराया. उसके चूचे इतने बड़े तो थे नहीं थे कि वो ब्रा पहने. मुझे चुचे महसूस होने लगे. इतने में ही मेरा लंड खड़ा हो गया.
तभी वो पानी पीने के लिए उठ गई और बोली- क्या कर रहे हो?
मैंने मुँह पर हाथ रखते हुए बोला- बोल मत और किसी को मत बताइयो.. बाद में बताऊंगा वरना मुसीबत हो जाएगी.
मैंने उसे सोने को बोला. वो सो गई मगर मुझे पूरी रात नींद नहीं आई. बस मैं ये सोचता रहा कि अगर इसने बोल दिया तो क्या होगा.
अगले दिन नज़र बचा कर मैं घर से निकल गया कि कहीं कल वाली बात न पूछ ले. मेरी बहन के दिमाग में जो सवाल घुस जाता था, वो जानकर ही दम लेती थी.
सुबह तो मैं बच गया. लेकिन कभी न कभी तो सामना होना ही था. फिर जब मैं उसके सामने आया, तो उसने पूछ लिया- क्या बात है आजकल नजर बहुत चुरा रहे हो … और उस रात की बात भी नहीं बताई?
मैंने बात टालते हुए कहा- जल्दी ही बता दूँगा … अब मुझे पढ़ने दे.
फिर मैं कुछ दिन के बाद एक ब्लू फिल्म की सीडी ले आया. दिन में डैड तो सो रहे थे, मॉम और भाभी डॉक्टर के गए हुए थे. मैंने सोचा कि यही सही मौका है.
मैंने बहन को बुलाया और बोला- चुप रहियो और देखती रहियो … कुछ पूछना हो तो हल्के से पूछियो.
उसने हां कर दी.
मैंने सीडी लगा दी. फिल्म जैसे जैसे आगे बढ़ी, उसके सवाल भी निकलने लगे. जैसे मुँह से मुँह की किस क्यों करते हैं? पूरे कपड़े क्यों उतारे हैं, वो लड़का उसके सीने को क्यों दबा रहा है.
मैंने उसके बाकी सब सवालों के जवाब तो ऐसे ही दे दिए. लेकिन मुख्य सवाल को लेकर मैं सोच में पड़ गया.
वो बोली- लड़के की टांगों के बीच में क्या है?
तो मैंने कहा- लड़के यहीं से मूतते हैं.
उसने कहा- क्या तुम्हारा भी ऐसा है?
मैंने कहा- हां … क्यों?
वो बोली- मुझे देखना है.
एक बार तो मन किया कि लंड खोल दूँ.. लेकिन मन में डर था कि डैड घर में हैं और दूसरा ये कहीं किसी से बोल न दे.
इतने में फिल्म आगे बढ़ी. अब लड़का लड़की की चूत चाट रहा था.
तो बोली- छी: कितना गन्दा है.
मैंने कहा- ऐसा करने पर मज़ा आता है.
वो बोली- तुमने कभी किया है?
मैंने कहा- नहीं.
बोली- तो तुम्हें कैसे पता?
मैंने कहा- सुना है.
चुदाई की फिल्म पूरी हुई, लड़का झड़ा तो फिर से बोली- इसने तो लड़की पर मूत दिया.
मैंने फिर समझाया कि इसने मूता नहीं है, ये उसका वीर्य है, जिससे बच्चे पैदा होते हैं.
बोली- लड़की का कुछ नहीं निकलता?
मैंने- निकलता है ना.. लड़की की मूतने की जगह से भी पानी निकलता है.
अब मॉम के भी आने का टाइम हो रहा था और मेरा लंड तन के खड़ा था. मैंने झट से सीडी निकाली और छिपा कर रखने के बाद बाथरूम में घुस गया. चुदाई की सोच कर मुठ मारी और बाहर आ गया.
बाद में बहन बोली कि जब फिल्म देख रहे थे तो मुझे नीचे कुछ खुजली हो रही थी … जो अभी भी हो रही है. मैं क्या करूँ?
अब करना तो मैं भी चाहता था … लेकिन ये टाइम सही नहीं था. मैंने कहा- तू ऐसा कर … नहा ले, क्या पता पसीने की वजह से खुजली हो रही हो.
ऐसा कुछ दिन चलता रहा. मैं उसे मौक़ा देख कर ब्लू फिल्म दिखाता रहा और गर्म करता रहा. मैं सोच रहा था कि क्या पता कहीं किस्मत खुल जाए.
एक दिन फिल्म देखते हुए बोली- क्या तुम अपनी मूतने की जगह मुझे दिखा सकते हो?
मैंने कहा- पहले तो समझ ले कि ये मूतने की जगह है और इसे लंड बुलाते हैं.
अब मुझे इतना भरोसा तो हो ही गया था कि इसको बता सकूँ कि इसे क्या बोलते हैं. और ये भी जान ले कि कुछ भी फ्री में नहीं मिलता.
उसने कहा- क्या मतलब? मैं पैसे दूं?
मैंने कहा- नहीं… जैसे तू मेरा देखना चाहती है.. वैसे ही मैं तेरी चूत देखना चाहता हूँ.
मैंने बोल तो दिया, लेकिन मेरी फट रही थी.
वो बोली- छोड़ो … बाद में.
मैं चुप हो गया.
वो फिर बोली- अच्छा दिखा दो ना?
मैंने कहा- पहले तू!
उसने कहा- ठीक है कब?
मैंने कहा- कल जब घर पर कोई नहीं होगा.
अगले दिन हम दोनों ब्लू फिल्म देखने लगे और उससे बोला- मेरा देखना है तो अपनी दिखा.
अब की बार वो मान गई लेकिन बाद में बोली- किसी को मत बताना.
जब वो पजामी उतार रही थी तो मैं एकटक उसे ही देख रहा था.
क्या मस्त नजारा था और फिर जब पेंटी उतार रही थी, तब तो हलक ही सूख गया. दोनों टांगों के बीच में एक छोटा का कट.. पिंक कलर का दिखा. तभी वो जल्दी से टांगें चिपकाकर बैठ गई और अपने हाथ से चूत ढक ली.
वो बोली- अब तुम?
मैंने कहा- पहले अच्छी तरह से देख लूँ.
अब उसकी चूत देखकर तो लंड एकदम तनतनाकर खड़ा हो गया. जब मैंने अच्छी तरह से देख लिया तो बोली- अब तो दिखा दो.
मेरा चूत छूने का मन तो था, लेकिन ये सोच कर रह गया कि कहीं बाजी हाथ से न निकल जाए. फिर मैंने सोचा कि देर नहीं करनी चाहिए इसलिए मैंने झट से अपनी निक्कर उतार कर अपना लंड दिखा दिया.
वो घूर घूर कर मेरे खड़े लंड को देख रही थी. मैंने बोल दिया- ऐसे घूर कर क्या देखती है.. अगर छूना है तो छू ले.
उसने मना कर दिया.
मैंने मन ही मन में कहा कि आज तो नहीं.. पर कभी न कभी तो छुएगी ही.
कुछ देर ऐसे ही बैठ कर ब्लू फिल्म देखी फिर कपड़े ऊपर किये और मुठ मारने चल दिए. लेकिन जब भी फिल्म देखते तो बहन कहती कि फिल्म देखते हुए उसे नीचे खुजली होती है.
एक दिन मैंने सोच लिया कि आज उसकी चूत छूकर ही रहूँगा. बस यही सोच कर मैं एक नई सीडी लाया और सबके जाने का इन्तज़ार करने लगा.
जैसे ही सब गए, मैंने बहन के साथ फिल्म देखना शुरू कर दी. अब जब उसने बोला कि मुझे फिर से खुजली हो रही है.
तो आज मैंने कहा- दिखा … मैं देख लेता हूँ कि तुझे खुजली होती क्यों है?
उसने मना कर दिया.
मैंने कहा- मैं तो तुझे पहले भी देख चुका हूँ. अब क्या शर्म?
तब भी वो मना करने लगी.
मैंने कहा- चल ठीक है.. कोई बात नहीं अपने हाथ से खुजली कर ले.
अब मुझे तो पता था कि क्या हो रहा है. लेकिन उसे क्या पता कि चूत की चींटियां कैसे मारी जाती हैं.
जब उससे बर्दाश्त नहीं हुआ तो उसने बोला कि खुजली कम नहीं हो रही है.
मैंने कहा- ला मैं कर देता हूँ, क्या पता कम हो जाए.
इस बात पर वो मान गई, लेकिन सिर्फ ऊपर से करवाने के लिए मानी.. यानि कपड़ों के ऊपर से.
मैंने एक हाथ अपने लंड कर रखा और एक हाथ से उसकी चूत सहलाने लगा. चूत पर हाथ लगते ही उसे मज़ा आने लगा. बस अच्छा सा मौका देख मैंने हाथ अन्दर डाल दिया. उसकी रोकने की हालत थी ही नहीं … मैं बस चूत के ऊपर का दाना सहलाता रहा और वो झड़ गई.
वो मस्ती में आंखें बंद करे हुए अपनी जांघें जोर से दबाए हुए और अपने दोनों हाथों से मेरे हाथ पकड़ते हुए बैठ गई थी. मैंने अपना हाथ छुड़ाया और हाथ बाहर निकाल कर उसे ऐसे ही छोड़ कर टीवी बंद करके बाथरूम में घुस गया और जम कर मुठ मारी.
जब मैं बाहर आया तो बहन सो गई थी.
जब पहली बार कोई झड़ता है, तो कमजोरी सी तो लगती ही है. ऐसा उसके साथ भी हुआ था.
बाद में जब हमें अकेले में टाइम मिला तो उसने पूछा- मुझे क्या हुआ था?
मैंने बताया उसे कि तू मजे लेते हुए झड़ गई थी.
वो मुझे देखती रही.
फिर मैंने पूछा कि जब मैं खुजा रहा था तब तुझे मज़ा आया कि नहीं?
तो उसने बोला कि बहुत मज़ा आया. हम फिर से कब करेंगे?
मैंने बोल दिया- जल्दबाज़ी ठीक नहीं … और गलती से भी किसी को न बता देना कि हमने ऐसा किया है. और ना ही ये बताना कि तुझे इन सबके बारे में पता है.
उसने हामी भर दी.
फिर जुगाड़ लगा कर मैंने बहन को अपने साथ सोने के लिए राजी कर लिया. पहले वो कभी कभी ही मेरे बाजू में सोती थी. अब जहां मैं सोता हूँ, उसे वहां सोने के लिए घरवालों को मना लिया. ये सब मेरे लिए भाभी ने भी देर रात तक पढ़ाई की बात कह कर आसान बना दिया.
फिर क्या था … सबके सोने के बाद हम बातें करते रहे क्योंकि मॉम तो भाभी के साथ सोती थीं और मैं बहन के साथ सोने लगा था. कई बार रात को मैंने उसकी चूत सहलाई और उसने मेरा लंड हिलाया.
अब आगे बढ़ने की बारी थी, लेकिन कैसे बढ़ूँ, ये समझ नहीं आ रहा था.
लेकिन कहते है न कि जिस चीज़ की चाह रखो और पाने की कोशिश करो तो वो मिल ही जाती है.
बिल्कुल ऐसा ही मेरे साथ हुआ. भाभी की डिलीवरी होनी थी तो उनको हॉस्पिटल में एडमिट कराया. मॉम रात में भाभी के पास रूकने लगी थीं और घर पर मैं और बहन अकेले ही रहते थे.
बस फिर क्या था, मैं उसे चुदाई के लिए मनाने लगा. वो दर्द से डरती थी, वैसे मैंने उसे सब बता रखा था, लेकिन कोई भी नया काम करते वक़्त सबको डर लगता ही है.
मैंने उसे समझाया और मना लिया.
फिर जब रात हुई, मॉम हॉस्पिटल गईं, कुछ देर बाद खाना खाकर जब हम दोनों सोने के लिए गए तो मेरे अन्दर एक बेचैनी सी थी. एक उत्साह भी था और डर भी था.
फिर चूमा चाटी का दौर शुरू हुआ. मैंने पहले उसे खूब गर्म किया, फिर उसकी चूत चाटना शुरू किया तो चूत में से पानी निकलने लगा. इसके बाद मैंने अपने लंड पर थूक लगाया और उसकी चूत पर सैट किया.
तो वो बोली- अगर दर्द हुआ तो?
मैंने कहा- हाथ से कर लेंगे … अन्दर किसी और दिन कर लेंगे.
वो राजी हो गई.
अब मैंने लंड अन्दर करना शुरू किया पहले पहल तो लंड अन्दर जा ही नहीं रहा था. तो मैंने हाथ से चूत को थोड़ा सा खोला और लंड को पकड़ कर अन्दर करने लगा.
इतने में ही बहन के मुँह पर दर्द शिकन आने लगी. अभी लंड का केवल आगे का ही हिस्सा अन्दर गया था, लेकिन वो दर्द से छटपटाने लगी, मुँह से चीखने वाली हो गई थी कि मैंने मुँह पर एक कपड़ा रख दिया.
मैं उसके ऊपर से बिल्कुल नहीं हिला लंड घुसाए पड़ा रहा.
वो कहने लगी- मुझे बहुत दर्द हो रहा है. प्लीज बाहर निकालो.. मुझसे दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहा.
मैं उसे दर्द नहीं देना चाहता था. मैंने उसे समझाया लेकिन उसने कुछ नहीं सुना तो मैंने लंड बाहर निकाल लिया. लेकिन लंड को चूत की जो गर्मी मिली, उस अहसास को मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता कि कितना मज़ा आया. ऐसा मज़ा न मुठ मारकर आता है, न ही चुसवाने में आता है.
बस इसके बाद तो अब वो कुछ भी करना नहीं चाहती थी. मुझे अपने हाथ से ही मुठ मारकर शांत होना पड़ा. आज मैंने उसके सामने ही लंड हिला कर पानी निकाला था. वो मुझे मुठ मारते हुए देख रही थी.
मैंने अपनी वासना को शांत करने के बाद उससे बात की, तो बोली- मुझे इतना दर्द हो रहा था और तुम और अन्दर किये जा रहे थे. मैं मर रही थी, तुम मजे ले रहे थे.
मैंने उसे चुप कराया और कहा- अगर मुझे मजे लेने होते तो पूरा अन्दर करता, न कि बीच में रुक जाता और दर्द केवल झिल्ली के मारे हो रहा था, क्योंकि तू कुँवारी है. अगर एक बार लंड पूरा अन्दर चला गया तो फिर कभी दर्द नहीं होगा.
पर वो नहीं मानी तो मैंने भी ज्यादा जोर नहीं दिया. लेकिन कभी किसी और दिन करने के लिए मना लिया.
फिर उसके साथ मैंने ओरल सेक्स किया ताकि कहीं वो सेक्स के नाम से ही ना डर जाए. कुछ और दिन कोशिश की क्रीम लगा कर, तेल लगा कर… लेकिन उसके दर्द के आगे मैं हार जाता था क्योंकि मैं उसे चोट नहीं पहुंचाना चाहता था.
इस तरह कई महीने बीत गए. हम सेक्स में अलग अलग खेल खेलते, लेकिन सेक्स में ज्यादा से ज्यादा मैं अपना लंड उसकी चूत पर रख कर रगड़ता था, अन्दर नहीं डालता था.. बस चूत में उंगली कर लेता था और वो भी अपने हाथ से मेरा लंड सहला लेती और मुठ मार देती थी.
हम अपने आपको ऐसे ही चूस कर या उंगली करके संतुष्ट कर लेते थे.
एक दिन जब वो साईकल चला रही थी तो एक जगह अपनी साईकल भिड़ा दी और उसे साईकल के पाइप से नीचे लग गई. उसने बताया कि खून भी निकला. कई दिनों तक उसने हाथ भी नहीं लगाने दिया. शायद इस दुर्घटना से उसकी चूत की झिल्ली टूट गई थी. कुछ दिन बाद हम दोनों ने जैसे पहले करते थे, शुरू कर दिया.
फिर वो दिन आया, जिस दिन मैंने पहली बार अपनी बहन की चूत मारी.
उस दिन शाम को मॉम और डैड शादी में जा रहे थे और हम दोनों नहीं जा रहे थे क्योंकि शादी कहीं दूर थी और घर में केवल एक ही स्कूटर था. सब को साथ जाने में दिक्कत थी. अब मॉम और डैड गए और फिर हम शुरू हो गए. मैंने पहले बहन को किस किया, फिर गर्दन पर किस किया.
जब भी मैं उसे पीछे से गर्दन पर किस करता था, तो वो बहुत उत्तेजित हो जाती थी और मुझे भी मज़ा आता था.
आज मैं वैसे ही कर रहा. पीछे से गर्दन चूम रहा था और उसके चुचे दबा रहा था. बाद में मैं एक हाथ से उसकी चूत को मसलने लगा था. फिर आगे आकर उसके चुचे चूमने लगा, चूत में उंगली करने लगा. वो भी मेरा लंड सहलाने लगी.
बाद में मैं उसकी चूत चाटने लगा और वो मेरा लंड चूसने लगी. इस वक्त हम दोनों 69 के पोज में आ गए थे. पता नहीं उसे क्या हुआ, उसने कहा कि आज फिर से एक बार फिर अन्दर करके देखते हैं.
मैंने कहा- रहने दे यार … तुझे फिर दर्द होगा और मैं तेरा दर्द नहीं देख पाऊंगा और सारा मूड खराब हो जाएगा.
मैंने उसकी बात नहीं मानी. हमने बस वैसे ही किया, जैसे करते थे और दोनों झड़ गए.
उसके बाद उसने फिर से कहा- एक बार अन्दर करने में क्या जाता है.
मेरे मना करने पर उसने बोला- सिर्फ तुम सीधे लेट जाओ बाकी मुझ पर छोड़ दो.
मैं लेट गया, वो खड़ी हुई और दोनों तरफ टांगें करके उसने अपनी चूत को सीधा लंड के ऊपर सैट किया और नीचे बैठने लगी, जिससे उसे भी दर्द होने लगा और मुझे भी … क्योंकि लंड सूख चुका था.
मैंने कहा- एक बार लंड को चूस ले, जिससे वो गीला हो जाएगा. तब फिर से कोशिश करियो.
उसने वैसे ही किया. लंड चूस कर फिर से बैठने लगी. अब की बार लंड आसानी से उसकी चूत के अन्दर जाने लगा. लेकिन जैसे जैसे लंड अन्दर जा रहा था, उसे दर्द होने लगा. मुझे इतना मज़ा कभी भी नहीं आया था. चूत के अन्दर की गर्मी जब मुझे लंड पर महसूस होने लगी, उसकी फीलिंग को शब्दों से बयान नहीं कर सकता. मुझे उसकी चूत में जाता हुआ लंड इंच ब इंच महसूस हो रहा था.
अब रुक पाना मेरे बस में नहीं था, लेकिन जब मैंने देखा कि उसे दर्द हो रहा है, तो मैंने सिर्फ इतना कहा- अगर दर्द हो रहा है तो यहीं रुक जा.
मन तो नहीं कर रहा था लेकिन उसका दर्द नहीं देख सकता था.
तभी उसने कहा- नहीं, कोई बात नहीं, मुझे उतना दर्द नहीं हो रहा.
मैंने कहा- ऐसे ही रुक जा, मुझे बहुत अच्छा लग रहा है.
थोड़ी देर रुक कर वो फिर से नीचे होने लगी. धीरे धीरे करते करते लंड अन्दर करने लगी. बस पूरा अन्दर होने ही वाला था कि वो रुक गई.
उसने कहा- बस, अब और अन्दर नहीं जा रहा!
बस ज़रा सा ही रह गया था लेकिन मैंने ज़बरदस्ती नहीं की और उससे कहा कि धीरे धीरे ऊपर नीचे हो.
जब वो ऐसा करने लगी तो उसे थोड़ा दर्द होने लगा.
मैंने कहा- ऐसा कर तू नीचे आ जा … मैं ऊपर आके करता हूँ.
वो मान गई और धीरे से खड़ी हुई. जब लंड चूत से बाहर आया तो पक से आवाज आई. फिर मैंने उसे नीचे लेटाया और उसकी चूत चाटने लगा. मैंने सोचा कि अगर थोड़ा मज़ा आने लगेगा तो वो भी साथ देगी.
फिर मैंने अपने लंड पर थूक लगाया और धीरे से चूत के अन्दर डालने लगा. थोड़ा दर्द तो हुआ उसे, लेकिन जो अहसास उस समय मुझे हो रहा था मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता.
जैसे जैसे लंड चूत में जाता जा रहा था, वैसे वैसे उसकी गर्मी महसूस हो रही थी और मज़ा तो सातवें आसमान पर था. ज़िन्दगी में इतना मज़ा कभी नहीं आया.
कुछ देर तो ऐसे ही रुक कर बस चूत में लंड अन्दर जाने का मज़ा लेता रहा, उसके बाद मैंने धीरे धीरे धक्के मारना शुरू किए. मज़ा तो इतना जो लाइफ में कभी महसूस नहीं किया था. फिर धक्के धीरे धीरे तेज़ होने लगे.
अब उसे भी मज़ा आने लगा. उसने अपनी टांगों से मेरी कमर को पकड़ रखा था. मैं धक्के लगाता हुआ कभी गर्दन पर चूमता, कभी होंठ चूमता.
जब वो झड़ने को हुई तो उसने अपने आप ही मेरे सर को बालों से पकड़ लिया और लिप टू लिप किस करने लगी. उसने अपनी टांगें इतनी जोर से कस ली थीं कि मानो मुझे अपने अन्दर ही समा लेना चाहती हो.
कुछ देर बहुत ज़ोर शोर से किस हुई. अब वो झड़ जाने के कारण थक गई थी. मैंने भी ज़ोर से धक्के लगाये और जल्दी छूट गया.. लेकिन छूटने से पहले मैंने अपने लंड को बाहर निकाल लिया था.
अब हम दोनों इतने थक गए थे कि कपड़े भी नहीं पहनना चाहते थे. ना चाहते हुए भी कपड़े पहने और एक दूसरे से किस करते हुए सो गए.
पता नहीं मैं कितनी देर सोया, लेकिन जैसे ही लगा कि शायद मॉम डैड आ गए हैं, तो मैं बहन से थोड़ा दूर होकर सो गया.
यह थी मेरी सेक्स कहानी, जब मैंने अपनी सगी बहन को पहली बार चोदा. लेकिन ये आखिरी बार नहीं था.

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