मेरा नाम समीर है; मेरी आयु छब्बीस वर्ष है. मेरा जन्म उत्तराखण्ड के एक छोटे से गांव में हुआ था. जब मैं स्कूल में पढ़ता था, तब तक मुझे सेक्स का पूरा ज्ञान मिल चुका था. मैं अपने घर में सबसे छोटा था और लाड़ला भी. उसी वक्त मेरे मामा की शादी होनी थी, हम सब नानी के घर गए थे. बारात पास के ही गांव में जानी थी, तो सभी छोटे बड़ों को भी ले जाया गया.
रास्ता पैदल का था और मैं सबसे छोटा मैं पूरे रास्ते घोड़े पर बैठ कर गया और वापस भी घोड़े पर ही आया था. बारात से आने के बाद सभी लोग बहुत थक चुके थे और थोड़ा सा नाचने के बाद सभी लोग सोने लगे.
मेरी मम्मी ने मुझे भी एक जगह पर लेटा लिया.
रात को मैंने अपने ऊपर कुछ भारी सा महसूस किया तो मेरी ऑंख खुली. ये तो किसी का पैर है, ये जानकर मैंने उसे हटाने का असफल प्रयास किया. मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था, लेकिन जैसे ही मैंने अपना हाथ आगे बढ़ाया, तो मुझे 440 वोल्ट का झटका लगा क्योंकि मेरा हाथ किसी के स्तन को लग गया था. मैंने एक झटके में हाथ वापस लिया और चुपचाप लेट गया. डर के मारे मुझे पसीना आने लगा था क्योंकि मैं एक लड़की के साथ सो रखा था और मेरी यह हालत हो रही थी कि मैं ढंग से पलट भी नहीं सकता था. थोड़ी देर बाद उसने करवट ली और अपना पैर हटा दिया, लेकिन अब हाथ मेरे ऊपर रख दिया.
अब हमारी स्थिति ऐसी थी कि उसके स्तन मेरे चेहरे पर थे और हाथ मेरे ऊपर था. मैं अब उत्तेजित होने लगा, क्योंकि वो जोर जोर से सांस ले रही थी. जिस वजह से उसके स्तन मेरे मुँह पर कभी दबाव बनाते, तो कभी दबाव हटाते.
जब दबाव कम होता, तो उस दौरान मैं सांस ले लेता और जब स्तन मेरे मुख में आते, तो मैं मजे लेता.
ये मेरे जीवन का पहला अनुभव था, तो मुझको पता भी नहीं चला कि मेरी लुल्ली कब उठ गई. लेकिन मेरी उत्सुकता अब बढ़ चुकी थी. मैंने पता नहीं कहां से हिम्मत जुटाई और अपना हाथ उसकी कमर पर रख दिया.
अब जैसे ही दबाव मेरे ऊपर आता, मैं उसे अपने हाथ से भींचता और अपना मुँह उसके स्तन पर रगड़ देता. वो मेरे इस कदम से हड़बड़ाई और अचानक से खड़ी हो गई. मैं चुपचाप उसे देखता रहा. फिर उसने अपना स्वेटर उतारा और फिर कमर के बल लेट गई. शायद उसे गर्मी लग गई होगी.
उसे तुरन्त ही नींद आ गई क्योंकि दिन भर पैदल चलने की वजह से सभी लोग थक चुके थे. दूसरी तरफ मैं तो पैदल चला ही नहीं था, तो नींद अभी कोसों दूर थी.
अभी शायद रात के एक या दो बज रहे होंगे और अब वह थोड़ा सा मुझसे अलग हो कर लेट गई. लेकिन अब मैं कहां रुकने वाला था. मैंने फिर अपना हाथ उसकी पहाड़ियों पर रख लिया और दबाने लगा. फिर एक उंगली जैसे ही उसकी दो पहाड़ियों के बीच में रखी, वो इस तरह से फिसली जैसे कोई पर्वतारोही किसी बर्फीली चोटी से अनायास ही फिसल रहा हो. मैं बिना किसी अंजाम की परवाह करे बस उस लम्हे का मजा लूट रहा था.
धीरे धीरे मैंने अपना पूरा हाथ अन्दर डाल दिया. उसके निप्पलों को उंगलियों के बीच में भर के मसलने लगा.
मैं थोड़ी देर ऐसे ही करता रहा; लेकिन मेरी जिज्ञासा बढ़ती ही जा रही थी. अब मैं अगले पड़ाव पर जाना चाहता था. मैंने निश्चय कर लिया था कि अब चाहे जो हो जाए, मैं कुछ न कुछ करके ही मानूंगा.
मैंने अपना दाहिना हाथ धीरे से बाहर निकाला और उसकी सलवार की तरफ हाथ बढ़ाने लगा. एक उंगली से सलवार की इलास्टिक को उठाया और बाकी की उंगलियों को आगे की तरफ खिसकाने लगा. जैसे ही मेरे हाथ बालों को टकराए तभी बाहर से दरवाजा खुलने की आवाज आई और मैंने अपने हाथ को झटके से बाहर कर दिया.
“उठ जाओ भाई चलना नहीं है क्या?” बाहर से आवाज आई.
मैं अभी भी यह नहीं जानता था कि आखिर मेरे बगल में सो कौन रखा है.
तभी आवाज आई- जी चाचा जी, बस उठ गई.
वो आवाज मेरे बगल से आई थी; जैसे ही मैंने उसके चेहरे पर देखा, मेरी हवा निकल गई. अरे ये तो मामाजी की साली है, जो मामी जी के साथ आयी थी.
वह जा चुकी थी और मैं अभी भी सोच में पड़ा था कि कहीं उसे पता तो नहीं चला होगा कि मैं कौन हूँ और मैंने उसके साथ क्या किया था.
मैं भी उठ गया और अपनी मौसी के बेटे के साथ बोतल उठाकर शौच के लिए चला गया. जब हम वापस आ रहे थे तो हमें वो लोग छत पर बैठे मिले. जब मैंने उसे देखा, तो मैं देखता ही रह गया. वो एकदम गोरी लम्बी, पतली नपा तुला शरीर.. जैसे ऊपर वाले ने बड़ी आराम से सोच समझ कर बनाया हो. उसकी मुस्कराहट के तो क्या कहना; यारों कुल मिलाकर एक नपुंसक भी यदि उसके सामने आ जाए, तो वो भी मर्द बन जाए.
अब मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं खुशनसीब हूं या बदनसीब हूँ. खुशनसीब इसलिए कि मेरे साथ जो कुछ रात में हुआ.. और बदनसीब इसलिए कि मेरी उम्र उससे कम ही होगी. मैं स्कूल में पढ़ रहा था और वो पूरी जवान रही होगी.
शादी के बाद हम सब अपने घर आ गए. पहले की तरह ही जीवन चलने लग गया, लेकिन मैं उसे भूल नहीं पा रहा था.
फिर एक दिन मामी हमारे घर आ गईं. मैं मामी को देखकर बहुत खुश हुआ. मामी मेरे लिए क्रिकेट का बल्ला और गेंद लायी थीं तो ये देखकर मैं सीधे मामी के गले से लग गया और मामी ने मुझे चूम लिया.
दो दिन पता ही नहीं चले कि कब गुजर गए. अगले दिन मम्मी चाचाजी के घर चली गईं, वहां पर कोई पूजा थी. अब मामी और मैं ही घर पर थे.
मामी ने जल्दी से खाना बनाया और खाना लेकर सीधे मेरे कमरे में आ गईं. हमने खाना खाया और मामी बर्तन साफ करके मेरे बिस्तर पर आ गईं. हम दोनों टीवी देख रहे थे. मुझे नींद आ रही थी.
यह देखकर मामी ने मेरे गाल में हाथ फेरते हुए बडे ही प्यार से कहा- बेटा नींद आ रही है … चलो सो जाते हैं.
बस मामी बिस्तार से उठकर अपनी साड़ी उतारने लगीं. जैसे ही उन्होंने अपनी साड़ी का पल्लू नीचे किया, मुझे सीधे अन्नू (मामी की बहन) की याद आ गई.
मामी ने नीले रंग की साड़ी पहनी हुई थी, उनका पल्लू नीचे हो रहा था और मेरी सांसें तेज.
मुझे साइज तो पता नहीं, लेकिन मामी की चूची बहुत बड़ी थीं. मामी ब्लाउज और पेटीकोट में ही मेरे बगल में आकर लेट गईं. मैं निक्कर और बनियान में था. वो मेरे पास आकर मेरे बाल सहला रही थीं और मुझसे बातें कर रही थीं.
मैं भी उनसे चिपक गया, पर मेरा ध्यान तो बस स्तनों पर ही था. थोड़ी देर में वो सो गईं और मैं उनके स्तनों की तरफ हाथ बढ़ाने लगा. मैं डर और उत्तेजना के कारण कांपने लगा और अनायास ही मेरे हाथ उरोजों तक पहुंच गए. मैंने मामी की तरफ देखा वो सो रही थीं, तो मैंने अपना हाथ उनके ब्लाउज के अन्दर डाल दिया, लेकिन उसके अन्दर ब्रा थी, जो बहुत ही टाइट थी, जिससे मेरा हाथ अन्दर नहीं जा पा रहा था. मैंने जोर से ब्रा को खींचा, तो मामी जाग गईं. मामी ने मेरा हाथ पकड़ा और फिर बिना हाथ को हटाए मेरी तरफ देखा. मैंने कोई हलचल नहीं की, तो मामी को लगा कि मैं नींद में हूं.
मेरा हाथ हटाकर वो पलटकर सो गईं.
मैं डर के मारे पता नहीं, कब सो गया.
सुबह मामी ने मुझे उठाया और नहाने के लिए भेज दिया. मामी भी अन्दर आ गईं, वो मुझे नहलाने लगीं, मैंने मना किया पर वह नहीं मानी. वो मुझे साबुन लगाने लगीं, तो मेरी लुल्ली भी खड़ी हो गई. मुझे शरम आ रही थी.
जैसे ही उनकी नजर मेरे शिश्न पर पड़ी, वो मुस्करा दीं. उन्होंने अपना हाथ मेरे अण्डरवियर में डाल दिया और साबुन लगाने लगीं. फिर अचानक से मेरे शिश्न को दबा दिया, मेरे मुख से आह निकल गई. यह सब इतनी जल्दी में हुआ कि मैं समझ ही नहीं पाया.
वो अब भी मुस्करा रही थीं. मैं जल्दी से तैयार होकर स्कूल चला गया.
मैं पूरे दिन मामी के ही बारे में सोचता रहा. जैसे तैसे दिन कटा. जब घर पहुंचा तो देखा मां वापस आ गई थीं और मेरे सारे अरमान कांच की तरह बिखर गए थे. अगले दिन मामी भी चली गईं. जिन्दगी झंड हो गई थी.
समय बड़ी तेजी से निकल गया. मैं स्कू़ल पास कर भविष्य की चिन्ता में खो गया था. अब मुझे इंजीनियरिंग करनी थी. तो मैं प्रवेश की तैयारी करने देहरादून चला गया. मेरे पेपर का सेन्टर जिस जगह पड़ा, वहां मेरे मामा जी रहते थे.
यह सोचकर मैं बहुत खुश हुआ कि इसी बहाने मामी जी के दर्शन भी हो जाएंगे.
उस समय के बाद मैं उनसे नहीं मिला था. छब्बीस जून को मेरा पेपर था, तो मैं चौबीस तारीख को ही देहरादून से दिल्ली के लिए निकल गया. मुझे दस बजे बस मिल गई थी; तो मामाजी को मैंने बता दिया कि मैं निकल गया हूं और सुबह चार बजे तक पहुंच जाउंगा.
उस समय उत्तराखंड की गाड़ियां आनन्द विहार जाती थीं. तो मैं सुबह साढ़े तीन बजे ही दिल्ली पहुंच गया. वहां से मुझे उनके घर तक ऑटो मिल गया था. बताये गए पते पर पहुंच कर मैंने उनको फोन किया. मामाजी मुझे लेने नीचे आ गए और हम घर के अन्दर चले गए.
मामाजी ने मुझे चाय बना कर पिलाई और मुझे सोने के लिए कहा, लेकिन मैं तो मामी को देख रहा था. वो दिखी नहीं तो मुझे लगा शायद सो रही होंगी. मैं सो गया.
करीब नौ बजे के लगभग मेरी नींद खुली; मैं बाहर आया तो हॅाल से नीचे झांकने लगा.
तभी किसी ने मुझे पीछे से पकड़ दिया. मुझे समझने में बिल्कुल भी समय नहीं लगा कि कौन होगा. मैंने पीछे देखा तो मामी ही थीं. लेकिन मामी के इस रूप की तो मैंने कामना ही नहीं की थी. मैं उनको एकटक देखता ही रहा. यारों समझ में नहीं आ रहा था कि उनकी तारीफ करना कहां से शुरू करूँ.
तभी मामी ने कहा- अरे कहां खो गए?
मैं- मामी जी नमस्ते, मैं सोच रहा हूं कि आप तो पहले से भी ज्यादा …
मामी- क्या पहले से ज्यादा? मोटी हो गई हूं क्या?
मैं- नहीं मामीजी.. मेरा मतलब वो नहीं था.. वो आप तो..
मामी- चल छोड़.. बातें तो करते रहेंगे. जल्दी से नहा ले, तब तक मैं नाश्ता लगा देती हूं.
मैंने फटाफट अपने कपड़े निकाले और नहाने लगा.
तभी बाहर से आवाज आई- जल्दी कर … नाश्ता लगा दिया है.
मै जल्दी से बाहर आया, तब तक मामी भी नाश्ता लेकर आ गई थीं. मामी मेरे सामने बैठ गईं. मामी ने मुस्कराते हुए कहा- क्या तू अब खुद नहाने लग गया, मैंने सोचा कि मुझे आवाज देगा.
मैं- नहीं मामी जी, अब मैं बड़ा हो गया हॅूं.
मामी- हां सही कहा.. अब तो तू मुझसे भी लम्बा हो गया है; लेकिन मेरे लिए तो छोटा ही रहेगा ना. तब नहलाती थी मैं तुझे, भूल गया क्या?
मुझे वो दिन याद आ गया, जब मामी ने मेरी लुल्ली पकड़ी थी, जो कि अब लंड बन चुका था. मेरी लंड ने एक सलामी के साथ अपनी उपस्थिति का संकेत दिया और मैं मुस्करा दिया. मैंने मामी की तरफ देखा वो भी मुस्करा रही थीं. ऐसा लगा जैसे दोनों ने एक दूसरे की चोरी पकड़ ली हो. मैंने नजरें झुका दीं.
मामी किचन की तरफ चली गईं. एक पल के लिए दोनों चुप हो गए. मैं नाश्ता खत्म करके कमरे की तरफ चला गया और पढ़ने में लग गया.
दोस्तो, मैंने अपने मामा के विषय में तो बताया ही नहीं. मेरे मामा एक फार्मा कम्पनी में काम करते हैं, वो बहुत ही शान्त स्वभाव के हैं. उनकी उम्र पैंतीस साल के करीब होगी, मामी की आयु तीस साल की है. उनके दो बच्चे हैं, एक छह साल और एक आठ साल का है. वे दोनों स्कूल जाते हैं. अभी भी वो स्कू्ल ही गए थे.
घर में मैं और मामी ही रह गए थे. मामी को देखकर कोई बोल नहीं सकता है कि उनके दो बच्चे हैं. मामी एकदम माल लगती हैं. उनका दूध जैसा गोरा शरीर, हिरनी जैसी आंखें, पतली कमर, हंसमुख चेहरा और सबसे बेहतर उनके वो उरोज, जो मुझे पागल कर देते हैं. लेकिन अभी तक मुझे मामी के दूध दर्शन नहीं हुए थे.
थोड़ी देर बाद बच्चे भी घर आ गए. हम सबने साथ में खाना खाया और मैं अपनी पढ़ाई में जुट गया. अगले दिन मेरा पेपर था.
शाम को मामी चाय लेकर आईं और उन्होंने मेरे गाल पर हाथ फेर कर कहा- मेरे लाल, पहले चाय पी ले, फिर पढ़ लेना.
मामी के कोमल हाथों का स्पर्श पाकर मैं धन्य हो गया. रात को मामा जी आ गए और उन्होंने मुझे समझा दिया कि कैसे मुझे अपने परीक्षा केन्द्र तक जाना है.
खाना खाकर हम सब सो गए.
सुबह मैं जल्दी उठ गया और रिवीजन करने लगा. जब बाहर आया तो देखा बच्चे स्कूल जाने लगे थे. मामी ने दोनों को किस किया और वो चले गए. मामा जी भी जा चुके थे. मैं भी तैयार हो गया मामी और मैंने साथ में नाश्ता किया.
जैसे ही मैं जाने लगा मामी दही लेकर मेरे पास आई और मैंने भी झट से मुँह खोल लिया. दही पीने के बाद मैं मामी की तरफ देखने लगा और सोचने लगा कि ये मुझे किस नहीं करेंगी क्या?
मामी मेरी तरफ देख कर अपनी भौं को ऊपर करके इशारा किया- अब क्या?
मैं मुस्कराते हुए कहने लगा- मुझे किस नहीं मिलेगी क्या?
मामी ने उसी समय मुझे किस कर दिया- अरे मेरे बाबू को भी किस्सी चाहिए.. तो ले ना; अब पेपर अच्छे से करके आना.
मैं चला गया. पेपर भी अच्छा हुआ.
घर आते आते रात हो गई. अब तक मामा जी भी आ चुके थे. मामी किचन में चाय बना रही थीं, मैं वहीं चला गया.
मामी के कन्धे पर सर रख कर मैंने कहा- मामी, आपकी किस ने तो कमाल ही कर दिया, अब देखना मैं पक्का टॅाप करूँगा.
वो अब भी पीछे ही मुड़ी हुई थीं, उसी स्थिति में मामी ने मेरे सर पे हाथ रखा और मेरा सर अपने कन्धे पर दबा कर कहा- सच?
अनायास ही मेरे हाथ उनकी कमर पर बंध गए. मेरे शरीर से उनका शरीर पूरा चिपक गया. उनका सिर मेरे कन्धे पर आ गया, जिस वजह से उनके दोनों स्तन सामने की ओर उभर गए.
मेरे लिंग का उभार बढ़ता जा रहा था, जो की मामी के नितम्बों से टकराने लगा. मामी ने शायद लिंग के उभरने का अहसास कर लिया था, वे जोर जोर से सांसें लेने लगीं.
तभी चाय उबल गई और हम दोनों अलग हो गए. मैं बिना कुछ कहे किचन से बाहर आ गया और मामा जी के साथ टीवी देखने लगा.
मामा जी मेरे साथ बातें कर रहे थे, तभी मामी चाय लेकर आ गईं. अभी जो कुछ हुआ था, उसकी वजह से मैं मामी से आंख नहीं मिला पा रहा था.
मामी चाय रख कर फिर से किचन में चली गईं.
मामा जी ने मुझे बताया कि हमारे बगल में एक परिवार रहता था, अब वह जालंधर चले गए हैं, उनकी बेटी की शादी है. मैं तो जा नहीं सकता. क्या तुम अपनी मामी के साथ चले जाओगे?
मैंने तुरन्त ही हां कर दिया.
मामी को जब पता लगा कि मैं उनके साथ जा रहा हूं, तो वो खुश हो गईं.
मैं पूरी रात सोचता रहा कि क्या मामी सच में पट जाएंगी. ये कल्पना करते ही मैं मामी को चोदने के सपने देखने लगा. मेरा लंड खड़ा हो गया. मैं बाथरूम में जाकर मुठ मारने लगा.
मैं जैसे ही बाहर आया, तो देखा मामी बाहर खड़ी थीं. मैं उन्हें सामने देख कर एकदम से घबरा गया, जैसे मेरी चोरी पकड़ी गई हो. मामी बिना कुछ कहे, मुस्करा के बाथरूम में चली गईं. मैंने अपने आपको संभाला और कमरे में जाकर सो गया.
सुबह जब मैं उठा तो मैंने मामी की आंखों में एक अलग ही चमक देखी. अब तक मामा जी भी जाने के लिए तैयार हो गए थे. मामा जी सीधे मेरे कमरे में आ गए और कहने लगे- समीर थोड़ी देर में तुम्हारी नानी आ जाएंगी, उसके बाद तुम अपनी मामी के साथ बाजार चले जाना. मैंने बाइक भी घर पर ही रख छोड़ी है.
मैं मामी के पास गया, तो मामी ने बताया- बच्चों की देखभाल के लिए सासु मां आ जाएंगी. तुम जल्दी से तैयार हो जाओ. वो किसी भी वक्त पहुंच सकती हैं.
मैं नहाने चला गया. तैयार होकर जैसे ही बाहर आया, तब तक नानी भी आ गई थीं. उनके साथ मेरे बड़ी मामा का लड़का भी आ गया था.
हम लोगों ने जल्दी से नाश्ता किया और फिर मामी और मैं बाइक से बाजार के लिए निकल गए. मामी ने हरे रंग की साड़ी पहन रखी थी. गली से बाहर निकलते समय ब्रेकर पर उछलने से मामी ने मुझे पकड़ लिया और अब वो मुझसे सट कर बैठ गईं. मुझे भी उनके सटकर बैठने से मजा आ गया.
अब जब भी मैं ब्रेक मारता, मामी के स्तन मुझसे सट जाते. क्या मस्त माहौल था यारो, मेरा जी चाह रहा था कि रास्ता कभी खत्म ही न हो. मामी रास्ता बता रही थीं और मैं बाइक चला रहा था.
हम सरोजनी नगर पहुंच गए. मामी ने बहुत सी शॉपिंग की और फिर मुझे दुकान के बाहर खड़ा करके वो अकेले ही अन्दर चली गईं.
जब वो बाहर आईं, तो मैंने पूछा- आपने क्या लिया?
तो उन्होंने कहा- कुछ नहीं, तुम्हारे मतलब का नहीं है.
यह कह कर मामी ने मुझे टाल दिया.
शॉपिंग करने के बाद हम वापस जाने लगे, लेकिन इस बार हमारे बीच में सामान था, तो मामी का स्पर्श नहीं मिल पाया. घर पहुंच कर मामी अपनी तैयारी में लग गईं और मैं नानी के साथ गप मारने में व्यस्त हो गया. नानी से मैं काफी समय के बाद मिला था, तो बातों में वक्त का पता ही नहीं चला और रात हो गई.
मामा जी घर आ गए. खाना खाने के बाद मामा जी हमें बस स्टैण्ड छोड़ने आ गए. शादियों का सीजन होने के कारण हमें बस नहीं मिल रही थी. आखिर एक स्लीपर वाली बस मिली, लेकिन उसमें एक ही सीट बची थी और अगली बस सुबह की थी. तो हमने उसी बस से जाने का निर्णय किया. हम दोनों बस में चढ़े और बस चलने लगी. हम लोग अपनी सीट पर बैठ गए. सभी लोग सोने लगे बस के कंडक्टर ने हमारा टिकट बनाया और परदा लगा के चला गया.
हम लोग एक की बर्थ पर दो बैठे थे, तो जगह नहीं हो पा रही थी. मामी ने मुझे कहा कि तू सो जा, मैं बैठ जाती हूं.
लेकिन मैंने मना कर दिया और मामी को कहा कि आप ही सो जाओ.
फिर मामी ने कहा कि हम दोनों ही सो जाते हैं.. एकाध गड्डे में जगह सैट हो ही जाएगी.
मैं हंस पड़ा. फिर हम दोनों ही लेट गए. जगह इतनी कम थी कि पहले मामी नीचे की तरफ मुँह करके लेट गई और मैं उनकी तरफ मुँह करके लेट गया.
बस में एसी चल रहा था, तो मामी को ठंड लग रही थी, तो वो काँपने सी लगीं. मामी ने मुझसे कम्बल मांगा और हम दोनों सीधे होकर एक दूसरे के बगल में लेट कर एक ही कंबल में घुस कर लेट गए. अब हम दोनों ने बातें शुरू कर दीं.
मामी- समीर तुम सही से तो लेटे हो ना.. कोई दिक्कत तो नहीं हो रही है ना?
मैं- नहीं मामी.. ठीक है, बस हाथ जरा सा मुड़ रहा है.
मामी- अरे यार मेरे ऊपर रख दे ना हाथ.. लेकिन कोई शरारत मत करना. मुझे याद है, बचपन में पता नहीं रात को तेरा हाथ कहां कहां चला जाता था.
इतना सुनते ही मेरे लंड ने हल्का सा झटका मारा और मैंने हाथ मामी की कमर पर रख लिया. मैंने जानबूझ कर मजा लेने के लिए पूछा- कहां चला जाता था मामी मुझे याद नहीं है?
मामी- कहीं नहीं … और अब चुपचाप सो जा.
मेरी हालत खराब होने लग गई थी. जिसके बारे में मैं रोज सोचता था, वो आज मेरे इतने करीब हैं. मेरा हाथ उनके पेट पर था.. पैर से पैर सटे थे. उनके शरीर से एक अलग ही खुशबू आ रही थी. मेरा मुँह उनके गले के एकदम पास था. मेरी उत्तेजना के साथ ही साथ मेरे शिश्न में भी उत्थान आ रहा था, जो मामी की जांघों में धंसा जा रहा था. मेरा तो जी कर रहा था कि अभी मामी के कपड़े फाड़ कर चूत में लंड पेल दूं. मेरे पैर कांप रहे थे. मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था.
मैंने मामी को हल्के से आवाज दी, लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया. मुझे लगा कि या तो वो सो गई थीं, या सोने का नाटक कर रही थीं. खैर जो भी हो, मैं अपने आपको रोक नहीं पाया. मैंने धीरे से अपना हाथ जो मामी की कमर पर था, उसे ऊपर बढ़ाना शुरू किया. मेरे हाथ मामी के स्तन तक पहुंच गए. मैंने बाहर से ही उनको सहलाना शुरू किया. जब कोई आपत्ति नहीं हुई तो बीच बीच में दबाने भी लगा. फिर मैंने अपना हाथ मामी के ब्लाउज के अन्दर डाल दिया और फिर ब्रा के अन्दर करके उरोजों को सहलाने लगा. गले को चूमने लगा. मेरी उत्तेजना बढ़ गई थी मैंने ब्लाउज के दो बटन भी खोल लिए.
मैं अपने लिंग को आगे की ओर धकेलने लगा और अचानक से मेरे लिंग ने मामी की साड़ी पर ही बहुत सारा लावा उगल दिया. मैं शान्त हो चुका था और न जाने मुझे कब नींद आ गई.. पता ही नहीं चला.
सुबह मामी ने मुझे उठाया, हम पहुंच गए थे. हम सामान उठाकर बाहर आ गए. मुझे डर लग रहा था कि मामी क्या सोच रही होंगी.
तभी मामी ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा- बाहर गाड़ी भेज रखी है, जल्दी चलो.
अभी उजाला नहीं हुआ था. बाहर कोई अंकल हमें लेने आए थे, तो हम गाड़ी में बैठ गए. मामी ने बताया कि हमें किसी होटल में जाना है. उसके बाद शादी वाले घर पर जाएंगे. अंकल ने हमें होटल के रूम तक छोड़ दिया.
अब पांच बज चुके थे. मामी ने कमरे का दरवाजा बन्द कर दिया. मामी मुझसे इस तरह बर्ताव कर रही थीं मानो रात को कुछ हुआ ही नहीं हो.
होटल का ये एक आलीशान कमरा था, जिस पर दो बेड लगे थे. एक सिंगल और एक डबल.
मामी ने कहा- तू सो जा, मैं चेंज करके आती हूं. लगभग ग्यारह बजे हमें निकलना है.
मैं फटाफट डबल बेड पर लेट गया और मामी का इन्तजार करने लगा. मामी ने बाथरूम में काफी टाइम लगा दिया. जब वो बाहर आईं, तो उन्होंने एक सैक्सी सा नाइट सूट पहना हुआ था, जिसका गला काफी गहरा था. वो इस वक्त मुझे किसी अप्सरा की तरह लग रही थीं. मैंने ध्यान दिया कि मामी ने रात वाली साड़ी भी धो दी थी. शायद इसी वजह से वो देर में बाहर आयी थीं.
मैंने चादर उठाकर उनको निमन्त्रण दिया- आ जाओ मामी, यहीं सो जाते हैं.
मामी- तू सो जा, मैं उधर सो जाती हूं. वैसे भी अब तू बहुत बड़ा हो गया है.
ये कहकर मामी अलग सो गईं.
दोस्तो, मेरे साथ यह पहली बार नहीं हो रहा था. मुझे जब भी मौका मिलता, तब तक कुछ ना कुछ हो जाता.
मैंने आज तक कभी सेक्स नहीं किया था. हां मुझे इसके बारे में सब पता तब चल गया था जब मैं छोटा था. गांव में टीवी पर पहले केवल दूरदर्शन चलता था. जो एंटीना से सिग्नल लेता था.. तो एक बार टीवी पर बीएफ चलने लगी थी, शायद बगल में कोई वी सी आर में देख रहा था और हमारी टीवी ने उनके सिग्नल कैच कर लिया था. मैं तभी से सब जान गया था. लेकिन इतने साल बाद भी चूत मारने का मौका नहीं मिला.
ग्यारह बजे हम शादी में चले गए. मामी वहां पर सब को जानती थीं, तो उनके साथ व्यस्त हो गईं, लेकिन मैं एक जगह पर बैठ कर बोर होने लगा. शाम को हम होटल जाकर शादी के लिए तैयार हो गए. मामी वैसे ही हॉट लगती थीं, लेकिन तैयार होकर वे और भी ज्यादा सुन्दर लग रही थीं.
शादी हमारे होटल से काफी दूर थी, तो हम ऑटो से वहां चले गए. मौसम काफी खराब हो गया था, किसी भी समय बारिश हो सकती थी. मामी भी अपनी सहेलियों के साथ मजे ले रही थीं और मैं अकेला बोर हो रहा था.
उधर दारू का इंतजाम भी था, तो मैंने पैग लगा दिए, फिर मस्ती से डीजे नाचने लगा. काफी देर हो गई थी, कुछ लोग वापस जा चुके थे और कुछ जा रहे थे.
तभी अचानक तेज बारिश शुरू हो गई. हम भी होटल के लिए निकले, तो हमें कोई गाड़ी नहीं मिली. हम एक घंटे से खड़े थे, हम परेशान हो चुके थे.
मामी की एक फ्रेंड ने हमें देख लिया, तो वो हमारे पास आई. उसने कहा कि बारिश की वजह से अब कुछ मिल पाना मुश्किल है. तुम एक काम करो कि सामने कुछ कमरे बुक करवा रखे हैं, तुम वहीं चले जाओ. कल सुबह अपने होटल में चले जाना.
हमें यही सही लगा.
उसने हमें कमरे की चाबी दे दी.
तेज बारिश की वजह से हम पूरी तरह से भीग गए थे. मामी ने कमरा देखा तो वो और ज्यादा परेशान हो गईं. एक छोटा सा कमरा और उसमें एक कुर्सी और एक छोटा सा बेड था. मैं बाथरूम में गया, तो वहां एक तौलिया मिला. मुझे मैंने तौलिया मामी को दे दिया. हमारे सारे कपड़े और सामान पहले वाले होटल में ही छूट गया था. रात के एक बज चुके थे. गीले कपड़ों में हम रह नहीं सकते थे, ऊपर से ठंड भी लग रही थी.
मामी- शम्मी बेटा, तू एक काम कर, ये तौलिया लेकर जा और अपने कपड़े उतार कर चादर में लेट जा.
मैं- नहीं मामी, ठीक है कोई बात नहीं मैं ऐसे ही सो जाऊँगा.
मामी- तू बीमार हो जाएगा. जैसा मैं बोल रही हूं, वैसा कर.
मैंने तौलिया लिया और बाथरूम में चला गया. अपने सारे कपड़े खोलकर तौलिया लपेटकर बाहर आ गया.
मामी मुझे देखकर मुस्करा रही थीं, मैं जल्दी से चादर में घुस गया.
मैं मामी को देखकर कहने लगा- मामी, आप कैसे रहोगी गीले कपड़ों में?
तो मामी फिर मुस्कराने लगीं.
मामी- गीले कपड़ों में मुझे भी बीमार होने का कोई शौक नहीं है. ला तौलिया वापस दे.
मैंने भी बिना कुछ सवाल किए तौलिया निकाल कर मामी को दे दिया और चादर लपेट ली. मामी अन्दर चली गईं, आज मैंने सोच लिया था कि चाहे कुछ भी हो जाए, मैं मामी को चोद कर रहूंगा.
यह सोचते ही मेरा लंड खड़ा होने लग गया. मामी जैसे ही बाहर आईं, मैं देख कर पागल हो गया. उनके शरीर में केवल वही तौलिया लिपटा था. तौलिया उनके उभारों पर तो पूरा था, पर उनकी टांगें पूरी नंगी थीं, भीगे हुए बाल उनसे टपकता पानी, एक हाथ से तौलिया को पकड़े वो मेरी ओर आ रही थीं कि तभी वो पलट गईं. इससे पहले मैं कुछ समझ पाता उन्होंने लाइट बंद कर दी. लेकिन एक नीले रंग का नाइट बल्ब अब भी जल रहा था. उसकी रोशनी ने मामी के यौवन पे चार चांद लगा दिए. दोस्तों मैं तो जैसे पागल ही हो गया था. वो मेरी ओर हाथ से सफेद रंग का तौलिया थामे हुये आ रही थीं. तभी पानी की एक बूंद उनके गालों से फिसलकर सीधे उरोजों के बीच में समा गई. मेरी नजर वहीं रुक गई.
मामी ने चादर मेरे नीचे से निकाली और उठाकर अन्दर आ गईं. बेड काफी छोटा था, तो मैं मामी से पूरा चिपक गया था. मैं दीवार की तरफ था, मामी नीचे की तरफ मुँह करके लेट गईं और मैं पेट के बल लेटा था, जिसकी वजह से मेरा हाथ मामी के नीचे दब गया.
मैं मामी की तरह लेट गया और बिना पूछे मामी के ऊपर हाथ रख लिया. लेटने की वजह से तौलिया थोड़ा सा खुल गया था, तो मेरा हाथ उनके नंगे पेट को लग गया. मामी के शरीर की गर्मी मुझे और ज्यादा उत्तेजित कर रही थी. मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया था, जो मामी के नितम्बों पर दबाव बना रहा था.
मेरा हाथ मामी के पेट पर चलने लग गया था. मुझसे रहा नहीं जा रहा था. मैंने हाथ मामी के स्तन पर रख दिया.
मामी ने मेरा हाथ पकड़ लिया- शमीर, ये गलत है, मैं तेरी मामी हूं.
लेकिन मामी ने अपना हाथ नहीं हटाया. मैंने बिना कुछ कहे हाथ और लंड का दबाव बढ़ा दिया. मैंने मामी के शरीर से तौलिया हटा दिया.
मामी ‘नहीं नहीं..’ कहे जा रही थीं, पर मैं अब कहां रुकने वाला था.
मामी ने अपना हाथ हटाया, तो मैंने मामी को अपनी तरफ घुमा लिया और उनके लबों पर अपने लब रख दिए. अब हमारे लब मिल चुके थे. मामी का हाथ मेरी कमर पर आ गया था. मेरा मामी की कमर पर था. उनके स्तन मेरी छाती से चिपके हुए थे. मैंने मामी का हाथ अपने लंड पर रख दिया. मामी ने मेरे लंड को थाम लिया और ऊपर नीचे करने लगीं. मैं मामी के मुँह में जोर जोर से जीभ को घुसाने लगा और मामी भी मेरा साथ देने लगीं.
उनका हाथ मेरे लंड पर जोर जोर से ऊपर नीचे होने लगा. मुझसे रहा नहीं गया, मैंने मामी को टाइटली पकड़ लिया और अपना सारा माल मामी के हाथ और पेट पर छोड़ने लगा. कम से कम दस सेकंड तक मेरा रस निकलता रहा.
मैं हैरान था क्योंकि जीवन में पहली बार मेरा इतना वीर्य निकला था.
हमारे होंठ अलग हो गए. मुझे बहुत शरम आ रही थी, मैं बिना कुछ किए ही झड़ गया था.
मामी मुस्करा रही थीं. मामी मेरी नजरों को भांप गई थीं, मामी ने अपना हाथ और पेट तौलिया से साफ किया और फिर तौलिया वहीं पर रख कर नंगी ही वाशरूम में चली गईं.
वापस आकर मामी ने देखा कि बेडशीट भी गीली हो गई थी. उन्होंने उसे भी साफ किया. मैं शरम के मारे पेट के बल लेट गया था.
मामी मेरे पास आकर बैठ गईं, मेरी चादर हटाकर उन्होंने मुझे सीधा लेटाया. मेरा लंड अब सिकुड़कर छोटा हो गया था. वो ये देखकर हंसने लगीं. मैंने नजरें झुका लीं. मामी ने लंड पकड़ कर देखा तो उसमे भी वीर्य लगा था.
मामी ने हाथ से पकड़कर चमड़ी को पीछे करके सुपारा बाहर निकाला और ऐसे ही पकड़ कर मुझे बाथरूम में ले गईं.
मामी ने नल चला दिया और मेरा मुँह नल की तरफ कर दिया. पानी मेरे लिंग के ऊपर गिर रहा था. मामी मेरे पीछे नंगी खड़ी थीं. उनके स्तन मेरी पीठ से चिपके थे. इसी स्थिति में वो धीरे धीरे नीचे हो रही थीं, उनका बांया हाथ मेरे लिंग पर आ गया और दूसरा हाथ मेरी टांगों के बीच से निकलकर मेरे अखरोटों से खेलने लगा था. वो नीचे बैठ कर ये सब कर रही थीं.
मेरा लंड फिर से पूरी तरह से कड़क हो गया था. फिर खड़े होकर मामी ने मेरा चेहरा अपनी तरफ कर दिया. वो मेरे होंठों को चूमने लगीं, मैं भी उनका साथ देने लगा.
कुछ देर बाद वो फिर नीचे बैठ गईं और बिना हाथ लगाये मेरे लंड को मुँह में ले कर चूसने लगीं. ऐसा करते हुए वो मेरी आंखों में देख रही थीं. मैंने मामी के बाल पकड़ लिए और उनके मुँह में नद के झटके मारने लगा. कभी कभी मामी के गले में ज्यादा अन्दर पेल देता, तो वो मेरे लंड को बाहर निकाल लेतीं और जोर जोर से सांस लेने लगतीं. फिर गपाक से लंड अन्दर ले लेतीं. मेरा रस निकलने वाला था, पर मैंने बाहर नहीं निकाला और मामी के मुँह में ही पिचकारी मार दी.
मामी ने मुँह से बाहर निकाल कर हाथ से मुठ मारनी शुरू कर दी. बाकी का सारा वीर्य उनके स्तनों पर गिर गया.
हम दोनों थक चुके थे. मेरा लिंग फिर से छोटा हो गया था. मामी ने उसे साफ किया और हम कमरे में आ गए.
मामी और मैं लेट गए, लेकिन इस बार मामी का हाथ मेरे ऊपर था. मैं उनके स्तनों को चूसने लगा और एक उंगली मैंने उनकी चूत पर भी डाल दी. वो गीली हो रखी थी.
मैं उंगली अन्दर बाहर कर रहा था और मामी सिसकारियां ले रही थीं. मामी और मैं 69 की पोजीशन में आ गए.
मामी मेरे ऊपर थीं, मैं मामी की चूत चाट रहा था और वो मेरे लंड को चूस रही थीं. मेरे लंड ने फिर से विकराल रूप धारण कर लिया था.
मामी की चूत से निकलने वाली खुशबू मुझे मदहोश कर रही थी. मामी सीधी होकर लेट गईं और मुझे अपने ऊपर खींच लिया. मैं लिंग को मामी की योनि के अन्दर घुसाने लगा, लेकिन वो इधर अधर चला जाता.
फिर मेरी प्यारी मामी ने मेरे लंड को रास्ता दिखाया. पचाक की आवाज के साथ मेरा पूरा लंड मामी की योनि में घुस गया. मामी ने अपने दांतों से होंठों को दबा दिया, आंखें बन्द कर दीं और मेरी पीठ पर नाखून रगड़ने लगीं. मैं भी पूरी जोर आजमाइश के साथ अपने वर्षों पुराने सपनों को हकीकत में तब्दील करने में जुटा था. मैं धीरे से बाहर लंड निकालता और फिर पूरी ताकत के साथ अन्दर पेल देता.
‘पच पच.. आह आह..’ की आवाज से पूरा कमरा गूंज रहा था. आखिर वो समय आ ही गया, जब हम दोनों ने एक साथ पिचकारी मार ली. उस समय ऐसी स्थिति थी कि मामी ने मुझे.. और मैंने उन्हें पूरे जोर से जकड़ा हुआ था. हम दोनों ही असीम तृप्ति को पा रहे थे.
मैं मामी के ऊपर ही निढाल होकर बिना लंड बाहर निकाले लेटा रहा. वो दिन मेरे जीवन का सबसे हसीन दिन था. आज मैं छब्बीस साल का हो गया हूं, दिल्ली में नौकरी करता हूं और मैंने मामी के बाद चार चूत और चोदी हैं, लेकिन मामी की चूत चुदाई का मजा ही कुछ और था.

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