उस दिन चुदाई करने के बाद हम दोनों बेड पर लेट हुए बातें कर रहे थे. मामी ने कहा कि मैंने अपने जीवन में कभी इतनी जबरदस्त चुदाई नहीं की है. तुमने मुझे अपनी पत्नी की तरह संतुष्ट कर दिया है, जो कि मेरे पति का काम था. इसलिए अब से तुम ही मेरे असली चुदाई वाले पति हो.
इस बात पर मैंने कहा- मामी जी, पति को तो अपनी पत्नी की कुंवारी बुर मिलती है ना? पर मुझे नहीं मिली. चलो कोई बात नहीं, वो मेरे मामा जी ने मार ली है, पर मुझे भी आपकी कुंवारी मिल सकती है.. लेकिन जब आप दोगी तब.
मामी जी- मेरी क्या चीज कुंवारी बची है, जो कुछ मैं अपने चोदू पति को दे सकती हूं?
मैं- मामी जी आपके पास आपकी कुंवारी मख़मली गांड है, मैं आपके साथ सुहागरात में आपकी गांड मारना चाहता हूँ.
मामी जी इस बात से खुश हो गईं और वो इसके लिए तैयार भी हो गईं. मामी जी ने और मैंने, हमारे ख़ुद के पास वाले फार्म हाउस में सुहागरात मनाने का प्लान बनाया. इसके लिए हमने तैयारी की. बाजार गए, जनरल स्टोर से बॉडी मालिश करने के सामान खरीदे, कुछ कपड़े और खाने का सामान लेकर शाम को फार्म हाउस जा पहुंचे.
फार्म हाउस मैं हमारा बूढ़ा वॉचमेन रमेश अपनी दूसरी पत्नी रूपा के साथ वहीं रहता है. रूपा एक ज़वान औरत है, पर मजबूरी में उसे एक बूढ़े से शादी करनी पड़ी. हम जब फार्म हाउस पहुंचे तो उसने ख़ुशी से हमारा स्वागत किया.
रमेश- अरे छोटे मालिक, बहुत दिनों बाद आपके दर्शन हुए.
मैं- बात ही कुछ ऐसी है, मामी जी की तबियत खराब है और डॉक्टर ने उन्हें खुली हवा में रहने के लिए कहा है, तो हम दो दिनों के लिए यहां रहने आए हैं.
रमेश- अरे वाह, आप यहाँ पर रुकने वाले हैं.. बड़ी बहू भी, चिंता ना करें. यहां बहू की तबियत ठीक हो जाएगी. मैं भी आपके घर आकर दो दिन के लिए जाने की कहने की सोच रहा था. लेकिन आप फ़िक्र ना करें आपकी सेवा में ये रूपा यहीं रहेगी. मैं इसे अकेले छोड़ कर नहीं जा पा रहा था. अब आप लोग आ गए तो मुझे किसी बात की चिंता नहीं है.
मेरी निगाह रूपा के मस्त उठे हुए मम्मों पर थी जोकि रूपा ने भी भांप लिया था.
फिर बूढ़ा रमेश जाने की तैयारी करने चला गया और रूपा ने हमें खाना खिलाया, खाना रूपा ने बनाया था, तो उसे मैंने रूपा को सौ का नोट उपहार स्वरूप देकर कहा- खाना खाकर मन प्रसन्न हो गया.
वो शरमाते हुए चली गई.
उसके बाद मैंने रमेश से कहा- हम आज रात हम ऊपर सोने वाले हैं.. तो हमारा बिस्तर ऊपर छत पर लगवा देना.
उसके बिस्तर लगवा देने पर मैंने उसे एक बियर की बोतल दी, वो खुश होकर चला गया. वो पास के बैलों की शेड की तरफ बनी हुई झोपड़ी में सोता है.. लेकिन आज उधर रूप ही अकेली रहने वाली थी.
हमारा फार्म हाउस दो मंजिला बना है, जिसके चारों ओर तारों की बाड़ है, जिसके मेनगेट बंद होने पर कोई भी अन्दर नहीं घुस सकता है.
रात हो गई थी, खेतों में आठ बजे के बाद ही ऐसा महसूस होने लगता, जैसे शहरों में रात ग्यारह बजे के बाद लगता है. रात में सिर्फ मैं और मेरी मामी ही फार्म हाउस में थे.
मैंने फार्म हाउस का गेट बंद कर दिया. मैंने मामी से कहा- आप नीचे बाथरूम में नहा लीजिए और तैयार हो जाएं.
मैं ऊपर छत पर बेड लगवाकर पर चुदाई की तैयारी करने लगा. मैं सोच रहा था कि मामी की मखमली मोटी गांड आज जम कर मारूँगा.
कुछ ही में समय मामी जी नहाकर तैयार हो गईं और सज संवर कर ऊपर आ गईं. मामी बहुत ही हसीन लग रही थीं. एकदम नई दुल्हन सी लग रही थीं.
मुझसे रहा नहीं गया और फिर मैंने मामी जी को पैरों और कमर से पकड़ कर बाँहों में उठा लिया और बेड पर लिटा दिया.
मैंने मुस्कुराते हुए मामी जी से कहा- आई लव यू मामी जी.
मामी जी ने भी ‘लव यू टू जानू…’ कहा.
इसके बाद मैं उनके ऊपर आ गया, मैंने उनके माथे को चूमा, फिर उनके गुलाबी होंठों पर होंठ रख दिए और उनको चूमने लगा. उसी बीच मेरे हाथ उनके पल्लू में से पीठ, कमर पर होते हुए उनके स्तनों पर पहुँच गया. मेरा हाथ उनके ब्लाउज के ऊपर से उनके स्तनों को दबा रहा था. उनकी आँखें पूरी तरह से बंद थीं.. और वो उसका पूरा मजा ले रही थीं.
उसके बाद उनके पल्लू को मैंने उनके कन्धों से हटाया और वो एक तरफ गिर गया, साथ ही साड़ी का दूसरा हिस्सा जो पेटीकोट में घुसा हुआ होता है, उसे भी बाहर की तरफ खींच कर निकाल दिया. और इस तरह मामी की साड़ी पूरी तरह से निकाल दी. साड़ी निकालने की वजह से वो बेड से उठ गई थीं, अब वो मेरे सामने पेटीकोट और ब्लाउज में खड़ी थीं.
इतने में मैंने ब्लाउज के बटन खोलकर, उसे भी निकाल दिया. उनके मस्त मम्मों के ऊपर कसी हुई गुलाबी रंग की ब्रा सामने आ गई. फिर मैंने मामी की ब्रा के हुक भी खोल दिए तो उनके बड़े बड़े स्तन आजाद हो गए. अब मैं उनके बड़े बड़े स्तनों को बारी बारी से अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.
वो ‘आआ हाआ ऊऊन्न्ह ऊऊ म्म्ह ऊउम्म ऊउन्न्ह अहहाआ..’ करने लगी थीं. नीचे देखा तो उनके पैर मेरे पैरों पर रेंग रहे थे.
मैं फिर से ऊपर आकर उनके निर्वस्त्र स्तनों पर जीभ फेरने लगा. मामी के मुँह से तो बस मादक सिसकारियां निकली जा रही थीं- अह्ह्ह ह्ह्ह्ह.. मम्म.. और जोर से.. म्मम्मम्म…
मामी जी के स्तनों को दबाते हुए मैं नीचे उनके पेट पर आ गया और पेट पर जीभ फिराने लगा. मैं उनकी गहरी और गोल नाभि में जीभ डाल कर गोल गोल घुमाने लगा.
फिर मैं धीरे धीरे से अपना हाथ मामी जी के पेटीकोट के नाड़े पर ले गया और उसे ज़ोर से पकड़ कर खींच डाला, जिससे मामी का पेटीकोट एकदम से नीचे गिर पड़ा. मामी जी अब पिंक कलर ब्रा पैंटी में मेरे सामने थीं. मैंने उन्हें फिर से लिटा दिया.
मैं अब अपना मुँह मामी की पैंटी के पास ले गया और मामी की चूत को ऊपर से ही चूसने लगा. फिर मैंने उनकी पैंटी को पकड़ा और झटके से उनकी पैंटी निकाल दी. उनकी चूत मेरे सामने आ गई.
छत पर चांदनी रात में नंगी मामी.. क्या मस्त माल लग रही थीं. मामी जी की चूत, रात में एकदम चमाचमा उठी. उनकी चिकनी चूत कामरस से भीगी हुई थी.
इस तरह चूत के दर्शन करने के साथ मैंने अपनी जीभ उनकी चूत में घुसा दी मामी जी एकदम से तिलमिला उठीं. फिर मैं धीरे धीरे उनकी चूत को जीभ से सहलाने लगा. मैं उनकी चूत की दोनों पंखुड़ियों के बीच की दरार में अपनी जीभ नीचे से ऊपर करके चुत चाटने लगा.
मामी की सांसें तेज होने लगीं- आआह्हह्ह.. उईई.. ओह्ह.. अई..
वे मादक सिसकारियां भरने लगीं.
मैं मामी की चूत चुसाई करता रहा. उन्होंने अपनी दोनों टाँगों को उठा कर मेरे कन्धों पर रख दिया और मेरा सर अपने हाथों से अपनी चूत पर दबा दिया. मैं समझ गया कि अब वो झड़ने वाली हैं. मैं जोर जोर से अपनी जीभ मामी की चूत में अन्दर बाहर कर रहा था. वो बहुत ही उत्तेजित हो गई थीं, इसलिए ज्यादा समय तक सह नहीं सकीं और उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया.
मैंने चूत को चाट कर साफ दिया. चूत चुसाई से अब चूत का काम हो गया था.
अब मैंने अपने आज के मुख्य लक्ष्य की तरफ़ जाने का फैसला किया यानि कि मामी की गांड मारने की तरफ आ गया.
मैंने मामी जी को पलटने के लिए कहा. वो उठीं और पेट के बल लेट गईं. अब मेरे सामने मामी जी के चूतड़ थे, जिनको सिर्फ़ देख कर ही मेरा लंड खड़ा हो जाता था.
मैं- वाह, क्या गोल गोल चूतड़ हैं मामी जी आपके… इनकी संगत में आपकी गांड चुदाई में बहुत मजा आएगा.
मामी जी- सच राहुल तुम्हारे मामा जी ने तो आज तक इसको छुआ तक नहीं, एक बार गांड मारने का प्रयास किया था, लेकिन उस दिन क्या हुआ कि जब वह पीछे से अन्दर डालने का प्रयास करते, तो उनका लंड मेरे बड़े बड़े चूतड़ की गोलाई में ही फंस कर रह जाता था, क्योंकि उनका लंड छोटा है. इसके बाद उन्होंने कभी गांड मारने का प्रयास नहीं किया. वो कहते थे कि तुम्हारी गांड बहुत मोटी है.. इसलिए मुझे गांड मारना पसंद नहीं है.
मैं- अरे गांड मारना भी बड़े भाग्य से मिलती है.. आपकी इस सेक्सी गांड को तो मैं ही मारूंगा. चलो अब पीठ की मालिश कर देता हूँ.
मैंने एक हाथ में ढेर सारा तेल डालकर उनकी पीठ पर दोनों हाथों से मालिश करना शुरू कर दिया. पीठ से होते हुए मेरे हाथ अब उनकी कमर की मालिश कर रहे थे. कमर की मालिश करते वक़्त मेरे हाथ उनके चूतड़ों पर टच हो रहे थे. वाह क्या मुलायम और बड़े बड़े चूतड़ थे, जो न जाने कितने दिनों से मुझे दीवाना बना रहे थे.
मामी की कमर की मालिश के बाद मैंने उनकी टाँगों को थोड़ा खोल दिया. फिर उनके चूतड़ों के नीचे एक तकिये को रखा तो उनके चूतड़ ऊपर की तरफ उठ गए, जिससे मामी की चूत और गांड साफ दिखाई दे रहे थे. मैंने उनके चूतड़ों पर तेल डाल दिया. तेल उनके चूतड़ों पर फैलाकर मालिश करने लगा, फिर धीरे से चूतड़ दबाने लगा. उनके चूतड़ों पर मेरे हाथों का स्पर्श पाकर मामी मस्त हो गई थीं. उनके मुँह से हल्के हल्के स्वर में कामुक सिसकारियां निकल रही थीं. वो ‘अहह.. सस्स्सस्स.. अहह..’ कर रही थीं.
मैंने अपनी एक उंगली तेल से भिगो कर उनकी गांड के छेद लगा कर कुछ देर तक सहलाया, फिर और तेल से भिगोकर उंगली को मामी जी की गांड में धीरे से करीब आधा इंच अन्दर डाल दी. इससे वे मचल उठीं और उनकी सिसकारी निकल गई.
थोड़ी देर वैसे ही उंगली को मामी की गांड के अन्दर रहने दी. इसके बाद धीरे धीरे मैंने पूरी उंगली मामी जी की गांड में घुसा दी. फिर मैं उंगली को थोड़ा थोड़ा हिलाने लगा और अन्दर बाहर करने लगा.
अब मेरी एक उंगली आसानी से अन्दर बाहर हो रही थी, तो मैंने अपनी दूसरी उंगली भी मामी जी की गांड में घुसा दी, जिसकी वजह से उनको थोड़ा सा दर्द हुआ, लेकिन उन्होंने कहा कि अपना काम करते रहो.
फिर मैं धीरे धीरे उंगलियों को दोनों तरफ घुमाना शुरू कर दिया, साथ ही साथ अन्दर बाहर भी कर रहा था, जिसके कारण गांड में थोड़ी सी जगह बन गई.
अब यही मौका था उनकी गांड में लंड डालने का. मेरा लंड गांड में घुसने के लिए बेताब हुए जा रहा था. मैंने अपने लंड पर ढेर सारा तेल लगा दिया, खास कर लंड के सुपारे पर.. और साथ ही साथ एक बार फिर थोड़ा तेल लेकर मैंने गांड के छेद में और उसके आसपास मल दिया.
इसके बाद मैंने मामी जी से कहा- आप अपनी गांड को ढीली रखना, अगर दर्द होने लगे तो बता देना, सिर्फ जरा सा दर्द होगा, जैसा पहली बार चूत चुदवाने में होता है वैसा ही होगा बस.
मैंने अभी तक उनकी गांड पर लंड नहीं रखा था. मैंने मामी जी से कहा आपके नितम्ब बहुत ही बड़े बड़े हैं, तो आप अपने हाथों से उन्हें चौड़ा कीजिए.
तो मामी जी ने अपने दोनों हाथ पीछे किए और अपने नितम्बों को पकड़ कर उन्हें चौड़ा कर दिया, इससे गांड का छेद भी और खुल गया. फिर मैंने मामी जी कि कमर को जोर से पकड़ लिया और लंड का सुपारा गांड के छेद पर लगा दिया. गांड पर लंड का गर्म गर्म स्पर्श होते ही उनके बदन में एक सिहरन सी दौड़ गई.
मैंने धीरे से अन्दर की ओर दबाव बनाया पर मेरा लंड फिसल गया. मैंने यह कई बार प्रयास किया, किन्तु लंड हर बार फिसल रहा था. इधर उत्तेजना से मेरा हाल बुरा हो रहा था, लग रहा था कि मैं ऐसे ही झड़ जाऊँगा.. और उधर मामी जी की भी साँसें बहुत तेज चल रही थीं.
मैंने अपने एक हाथ से अपने लंड को सहारा दिया, जिससे कि वो अब बाहर ना निकल पाए. फिर दुबारा अपनी कमर से दबाव बनाया.
अबकी बार मेरे लंड का थोड़ा सा सुपाड़ा मामी जी की गांड में चला गया, जिसकी वजह से तो वो ज़ोर से चीख पड़ीं- आईईईईई मैं मर गई.. आज तो फाड़ ही दो मेरी इस गांड को आह्ह्ह्हह्ह.. आज मुझे वाकयी में लग रहा है कि मेरी असली सुहागरात तो आज ही है. इतना दर्द तो मुझे पहली सुहागरात को भी नहीं हुआ था. उई.. आह.. राहुल क्या लंड है आपका.. मार दो मेरी गांड.. फाड़ दो.
मुझे मालूम था कि मामी को दर्द हो रहा है.. लेकिन वो मुझे अपनी गांड मारने के लिए उकसा रही हैं. ये उनका साहस ही था, जिसे देख कर मैं खुश हो गया.
लेकिन अभी दर्द होना बाकी था. इसलिए मैं कुछ देर तक वैसे ही रुका रहा. कुछ देर रुक कर एक बार फिर से जोरदार झटका मारा. इस बार तो मेरा लंड का पूरा सुपाड़ा उनकी गांड में समा गया.
मेरा सुपाड़ा उसकी गांड में घुसते ही वो दर्द मिश्रित आवाज में बोलीं कि राहुल थोड़ा आहिस्ते आहिस्ते डालना.. प्लीज़ दर्द हो रहा है.. मैं पहली बार गांड मरवा रही हूं.
मैंने कहा- अरे आप डरो मत सिर्फ थोड़ा सा ही दर्द होगा.
अब में सिर्फ़ अपने सुपाड़े को ही धीरे-धीरे उनकी गांड में अन्दर बाहर करने लगा था. ऐसे ही थोड़ा सा अन्दर बाहर अन्दर बाहर करते करते एक ही झटका मारा, जिससे उनकी चीख निकल गई. मेरा लंड उनकी गांड को चीरता हुआ 2″ अन्दर तक घुस गया था. मैं थोड़ा रुक गया और बड़े प्यार से उनकी पीठ को सहलाता हुआ चूमने लगा.
उसके बाद एक बार मैंने अपने लंड को थोड़ा सा बाहर खींचा और फिर से एक धक्का और लगा दिया. इस बार लगभग मेरा आधा लंड, गांड की गहराई में उतर गया. मामी के मुँह से फिर से चीख निकल गई- इईईई.. श्श्शशश.. अआआआ.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… ह्ह्हह..
इस बार आवाज तेज निकल गयी थी. सुनसान जगह और रात का समय था सो उनकी चीख जरा ज्यादा ही तेज लगी. मैंने उनको बताया कि रूपा भी सुन सकती है तो वे चुप हो गईं.
उनका बदन थोड़ा सा अकड़ गया. फिर मैं अपने हाथ से मामी जी के बदन को सहलाने लगा, जिस से वो नॉर्मल होने लगीं.
मामी जी की गांड और मेरे लंड पर तेल लगाने से गांड बहुत ही चिकनी हो गयी थी, जिस कारण गांड लंड आसानी से घुस रहा था. मैंने जितना सोचा था, गांड मारना उतना ज्यादा टफ नहीं लगा.
अब तक मेरा आधा लंड मामी जी की गांड में घुस चुका था. ये मेरी आधी जीत थी. मैं ऐसे ही आधे लंड को अन्दर बाहर कर के मामी जी की गांड मारने लगा और थोड़ा थोड़ा अन्दर घुसेड़ता भी जा रहा था, जिससे लंड का काफी हिस्सा गांड के अन्दर घुस गया था. अब ऐसे करने से मामी जी की गांड का छेद भी थोड़ा खुल चुका था.
तभी मैंने फिर से थोड़ा लंड को बाहर निकाल के एक जोर का धक्का मारकर पूरा लंड उनकी गांड में घुसा दिया, जिस कारण उनकी गांड के अन्दर की दीवारों को चीरता हुआ मेरा लंड जड़ तक घुस गया.
इस बार हल्की सी आवाज़ से मामी चीख निकल पड़ी- आहह्ह्ह उह्ह्ह्ह..
मामी ने कसकर बेडशीट पकड़ ली और अपनी आँख बंद कर लीं. मैंने देखा कि मामी की आँख में से पानी निकल गया.
फिर में थोड़ी देर वैसे ही रहा. जैसे ही मामी थोड़ी नॉर्मल हुईं, तो मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए. अब उनको भी मज़ा आ रहा था. वो मादक कराह लेते हुए सिसकारने लगी थीं- हाईईईई रे.. हाई.. इसमें तो चूत से भी ज़्यादा मज़ा आता है.. और कसकर पेल मेरे राहुल, हाईईई रे.. बहुत मजाआअ आ रहा है.. सीईईईई हाईई.. चोदो.. सीईईईई और कसकर.. हायईईई.. उईईईई माँ.. आआह.. मजा आ गया रे..
अब मैं उनको बस धकापेल चोदता ही जा रहा था. वो ‘उफ्फ्फ… स्स्स्सस..’ करती जा रही थीं.
मैं मामी जी गांड मारता चला गया. मेरी गोटियां अब मामी के मुलायम नितंबों से टकरा रही थीं. मैं आराम से अपना आठ इंच लम्बे लंड को मामी की गांड में अन्दर बाहर कर रहा था. उनकी मक्खन जैसी कोमल मुलायम गांड में मेरा लंड बड़े प्यार से चल रहा था.
मामी जी भी अपनी गुदा ढीला करके, पूरा दिल खोल के खुशी से गांड मरवा रही थीं. वो अपनी गांड पीछे धकेल कर मेरा मोटा लंड अपनी गांड में ले रही थीं. उनको बहुत मज़ा आने लगा था. मामी जी बहुत ही उत्तेजित हो गई थीं.
उसी वक्त मैंने महसूस किया कि उनका जिस्म काँपने लगा. उनकी चूत में से योनि रस निकलने लगा, वो झड़ गई थीं.
मैंने देखा कि नीचे बेडशीट गीली हो गई थी क्योंकि उनकी चूत में से लगातार पानी निकल रहा था. इधर धीरे-धीरे मेरे धक्के तेज़ होने लगे थे.
मामी जी- अहहहहाआ इईई.. श्शशश.. आआह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… आउऊच.. श्श.. अया.. उई अई.. ह.. ऊऊऊओ.. मज़ा आ गया.. ऊफ्फफ.. फाड़ दे अपने लौड़े से मेरी गांड.. अया.. अब मैं तेरी बीवी हो गई हूँ.. आअ.. उईई.. उन्हह.. सुहागरात को आपके मामा जी ने मेरी कुंवारी चूत चोदी थी और आज आप उईई.. अहहहहाआ.. मेरी कुंवारी गांड मार रहे हो.. आह.. चोद मेरे राजा चोद मुझे.. जी भर के चोद आआअ.. उम्म उफ़फ्फ़ हाय मजा आ गया.
इसी के साथ मेरे धक्के और भी तेज होते जा रहे थे, मैं मामी जी को पूरे जोश के साथ चोद रहा था. गांड में तेल लगाने के कारण मेरा लंड पच पच की आवाज के साथ अन्दर बाहर हो रहा था.
मैं- मामी जी मेरी जान.. आपने तो मुझे जन्नत की सैर ही करवा दी आह.. मेरी जान.. मैं तो.. मैं.. तो.. ग..गयाआ.. आआह.. मेरा पानी निकलने वाला है, कहाँ निकालूँ?
मामी बोलीं कि मेरी गांड में ही अपना पानी निकाल दो..
फिर मैंने ‘ये आअहह.. ऊहह.. लो..’ कहा और उनकी गांड में ही अपना वीर्य छोड़ दिया.
मैं सारा वीर्य उनकी गांड में आखिरी बूँद तक डालकर ऐसे ही कुछ देर तक उनके ऊपर लेटा रहा. फिर जब मैंने अपना आधा सिकुड़ा हुआ लंड उनकी गांड से बाहर निकाला तो मैंने देखा कि उनकी गांड मेरे वीर्य से लबालब भरी हुई थी और थोड़ा थोड़ा करके उनकी गांड से वीर्य उनकी चूत की तरफ बहने लगा था.
फिर मैं उनके बगल में आकर लेट गया और वो मेरी तरफ करवट करके मेरे कंधे पर अपना सर रखकर लेट गईं. उनका नंगा मुलायम शरीर सच में बहुत खूबसूरत लग रहा था. हम दोनों मामी भांजे एक दूसरे से पूरी तरह से लिपट गए. थोड़ी देर बाद मैं उनके चेहरे तथा होंठों को चूमने लगा, साथ ही प्यार से में उनके गाल को चूमने लग गया.
फिर मैंने धीरे से उनके कान में कहा- मजा आया मामी जी.. कैसा लग रहा है?
मामी जी- आज से पहले मुझे पता ही नहीं था कि गांड चुदाई में इतना मज़ा आता है.. मुझे इसमें दर्द तो हुआ, पर मजा चूत चुदाई से दुगना मिल रहा था. अगर तुम नहीं होते तो मेरी जवानी एसे ही बेकार चली जाती … आज के बाद मैं तुम्हारी पत्नी हूँ.. जो कुछ में अपने पति के लिए करती हूँ, वो सब तुम्हारे लिए करूँगी.
थोड़ी देर बाद मामी जी ने अपनी लेफ्ट जाँघ को उठा कर मेरी कमर पे रख दी और प्यार से मेरे होंठों को चूमने लगीं. फ़िर मैंने हाथ बढ़ाकर मामी जी के नितंबों को दबाना शुरू कर दिया. उनकी गुदा का छेद अब एकदम नरम और चिपचिपा गीला था, खुला हुआ भी लग रहा था.
मैंने अपनी बीच की उंगली मामी की खुली हुई गांड में डाल दी और अन्दर बाहर करने लगा. मामी मस्ती से गनगना उठीं.
“हां.. और कर ना.. अच्छा लगता है.. कितनी अच्छी उंगली करते हो राहुल…”
यह कहते हुए मामी जी का हाथ खुद बा खुद ही मेरे के तने लंड की तरफ उठ गया और उन्होंने मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में भर लिया. वे लंड को धीरे धीरे सहलाने लगीं. मेरा लंड अब पूरी तरह से उत्तेजित होकर अकड़ गया था और मामी जी की गीली चूत में मेरा लंड घुसने की कोशिश कर रहा था.
मामी को इसका अहसास होते ही उन्होंने लंड को सहलाना बंद कर दिया और अपने दोनों हाथों से मेरे सर के बालों को सहलाते हुए अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख दिया. मैं भी पागलों की तरह अपनी मामी के गुलाबी रसीले होंठों को चूसने लगा. नीचे मेरा लंड उनकी चूत की फांकों पर रगड़ खा रहा था.
मामी अपनी चूत की फांकों पर मेरे लंड की रगड़ को महसूस करके बुरी तरह मचल रही थीं. वो अपनी कमर को इधर उधर हिलाते हुए खुद भी अपनी चूत को लंड पर रगड़ने लगीं. इसी बीच मेरा लंड मामी जी की चूत के छेद पर जा भिड़ा.
मामी जी ने सिसकारी लेते हुए और मदहोशी से भरी हुई आंखों से मेरी आंखों में देखते हुए कहा- ऊऊऊ राहुल अब डाल भी दे.. कितना तड़पाएगा चुत में आग सी लग गई है.
मैं- मामी जी मुझे तो आपकी गांड मारनी है.
मामी- हां जानू, मुझे भी गांड मरवानी है, पर इसके पहले इस चुत को शान्त कर दे, बड़ी खुजली हो रही है.
मुझे भी अपनी मामी की चूत के छेद से निकल रही गरमी का अहसास अपने लंड के सुपारे पर हो गया था. फिर मैंने अपनी गांड को आगे की तरफ धकेलना शुरू किया तो लंड का सुपारा उनकी चूत के छेद को फैलाता हुआ अन्दर जा घुसा.
मामी- अया.. उई अई..ह.. ऊऊऊओ.. बहुत ही बढ़िया… मेरे राजा.. चैन मिल गया.
मैं- ओह मामी बहुत गरम हो गई है आपकी चूत.. आह..
अब मैं पूरे जोश में आकर अपने लंड को मामी जी की चूत के अन्दर बाहर करने लगा. मामी जी भी अपनी टाँगों को पूरा ऊपर उठा कर अपनी चूत में मेरा लंड ले रही थीं. मामी जी चरम सीमा पर थीं, वो अपने चूतड़ जोर जोर से हिला रही थीं.
मामी- राहुल, पूरी ताकत से चोद मुझे.. मैं बस आने वाली हूँ.
मैं भी पूरी तेजी से उन्हें चोदे जा रहा था. मामी जी का शरीर अब अकड़ने लगा था, उन्होंने मुझे कस कर पकड़ा और ‘ह्ह्ह्हह… अह्हह.. ह्ह्ह… अह्हह.. स्सस्सस..’ करते हुए वो झड़ गईं. लेकिन मेरा नहीं हुआ था, तो मैंने धक्के लगाने जारी रखे.
मामी जी- रुको.. लंड बाहर निकालो.
मैं- क्या हुआ मामी जी?
मामी जी- चलो अब दूसरा काम भी शुरू करते हैं.
मैं समझ गया और मैंने अपना लंड मामी जी की चूत से बाहर निकाला और कहा- चलो अब पलट जाओ मामी जी.
मामी जी- इस पोजीशन में नहीं.
मैं- फिर किस पोजीशन में चुदवाओगी अपनी गांड.. मेरी रानी मामी जी?
मामी जी- कोई भी.. लेकिन दूसरी पोजिशन में, जिससे गांड मरवाने में मजा आए.
मैं- चलो तो घोड़ी पोजीशन चुदाई करते हैं. उस दिन वो घोड़ा कैसे घोड़ी की चुदाई कर रहा था, ठीक उस जैसी.
मामी जी- ओह तो ठीक है मेरे घोड़े आ जाओ.
फिर छत पर मैंने खड़े होकर देखा, तो हर तरफ अँधेरा था.
इसके बाद मैंने मामी जी को छत पर उनके दोनों हाथों को सामने बाउंड्री के ऊपर रख कर घोड़ी बनाया और बोला कि अब थोड़ा झुक जाओ.
फिर मामी जी ने थोड़ा सा आगे की तरफ झुकते हुए, अपनी गांड को पीछे से बाहर की तरफ निकाल लिया.
अब मैं घोड़ी बनी मामी जी की गांड के ठीक पीछे आ गया और उनसे चिपक गया, पीछे से उनके दोनों मम्मों को पकड़कर मसल डाला. वो एकदम से सिसक उठीं. नीचे मेरा लंड मामी जी की गांड के ऊपर रगड़ खा रहा था. मामी जी भी मेरे लंड को अपनी गांड की दरार में चुभन महसूस करके मचल उठीं- ओह्ह्ह राहुल.. अब डाल दीजिए.
मैंने अपने दोनों हाथों से मामी जी के मुलायम मुलायम चूतड़ फैलाये और फिर अपने लंड का सुपाड़ा उनकी गांड के छेद पर टिका दिया. उनकी कमर को पकड़ कर एक जोरदार झटका मारा, मेरा आधा लंड उनकी गांड को चीरता हुआ अन्दर घुस गया, जिसकी वजह से उनकी सिसकारियां निकल गईं ‘आईईईई स्सीईईई…’
अब मैं धीरे धीरे धक्के लगाने लगा. ऐसे ही करते करते मैंने अपने लंड को सुपारे तक बाहर निकाला और एक जोरदार धक्का मारा, तो मेरा पूरा का पूरा लंड गांड के अन्दर घुस गया और उनकी मुँह से चीख निकल गयी- ऊऊईईई.. ईईई ईईईईई… चोद मेरे राजा चोद मुझे.. जी भर के चोद.. उम्म उफ़फ्फ़ हाय्यी उम्म्म अहह..
यह कहते कहते मामी जी और आगे की तरफ झुक गईं.
अब मेरे हाथ आगे की ओर होते हुए उनके स्तनों को मसल रहे थे, उनके निप्पल को पकड़कर खींच रहे थे. इस स्टाईल में उन्हें दोनों तरफ से इतना मज़ा आ रहा था कि वो ‘आहह, ऊहह, फफफ्फ़..’ करने के साथ बोले जा रही थीं- करते रहिए रुकिये नहीं.. बहुत मजा आ रहा है.
मेरा लंड उनकी गांड में धीरे धीरे अन्दर बाहर हो रहा था. मुझे भी बहुत मजा आ रहा था. मामी जी भी अपने नितंबों को पीछे की और धकेल कर अपनी गांड में लंड का मज़ा ले रही थीं.
मामी- हाँआआ.. राहुल अन्दर तक डाल दो अपने लंड को मेरी गांड में.. आह.. फाड़ दो इसे… लगाओ जोर के धक्के…
मैं- हाँ.. मेरी रानी.. ये लो.. यस.. हेया आहा आहह.. अह्ह्ह्ह ईए ले.. अह्ह्ह्ह..
मैं ज़ोर ज़ोर से धक्के देने लगा.
इतना मज़ा आ रहा था मामी जी को कि बिना चूत में कुछ डाले ही चरमोत्कर्ष के कारण स्वतः ही उनकी चूत का बाँध छूट गया और उनका कामरस जांघों से होते हुए नीचे गिरने लगा.
मामी- चल मेरे घोड़े.. फटाफट और ज़ोर से और जोर से आज आपकी मामी रानी मस्त हो गयी है.. आज मान गयी आपको राहुल.. आआआअह्ह्ह उउम्म्म्म जान बहुत मज़ा आ रहा है.. मुझे नहीं मालूम था कि इतना मज़ा भी आएगा.. उउम्म.. आआह्ह्ह्ह..
उनके मुँह से लगातार सिसकारियां निकल रही थीं, जो मेरे कानों में पड़ कर मेरा जोश बढ़ाने लगीं.
इससे मेरी रफ़्तार और तेज़ हो गई और मैं अपनी मंजिल के करीब पहुँच गया. अति-उत्तेजना के कारण मैंने अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी और उनकी कमर को कसकर पकड़ लिया. फिर अपने लंड से वीर्य का फव्वारा मामी जी की गांड के अन्दर ही छोड़ दिया.
मेरा वीर्य उनकी गांड से बह कर जांघों तक जा रहा था. मेरे वीर्य से मामी जी की गांड पूरी तरह से भीग गई थी.
झड़ने के बाद मैं अकड़कर मामी जी से वैसे ही लिपट गया. फिर कुछ देर बाद अपने लंड को बाहर निकाल लिया. इसके बाद हम दोनों बेड पर आकर सो गए.
सुबह के पांच बज गए थे, रात का अँधेरा छंटने लगा था. जब मेरी नींद खुली, तो देखा कि मामी जी उसी तरह नंगी मेरी बगल में सो रही थीं. उनके मुख पर असीम तृप्ति का आभास हो रहा था. उनके नंगे बदन को देख कर रात की घटना अब मेरे दिमाग में आने लगी थी और मेरा ध्यान मामी जी की चिकनी चमकती हुई गुलाबी चूत पर केंद्रित हो गया. उनकी चूत ऐसी लग रही थी, जैसे एक छोटा करेला किसी ने छील कर बीच में से चीर दिया हो. चूत के होंठ सूजकर एकदम फूली हुई पॉव रोटी जैसे हो गए थे … बिल्कुल लाल गुलाबी.
तभी मामी जी ने मेरी ओर करवट ली और उनके बड़े बड़े स्तन मेरे हाथों से टकराने लगे. मैं अपना हाथ सीधा किया और हल्के हाथ से मामी जी के स्तनों को दबाने लगा. इतने मक्खन से मुलायम उनके स्तनों को थोड़ी देर दबाने के बाद मैंने अपना बांया हाथ उनकी मख़मली चूत पे रख दिया. चूत पर हाथ के स्पर्श से मामी जी की आंख खुल गई और उन्होंने मेरी तरफ देखा.
हम एक-दूसरे को देख कर मुस्कुरा दिए.
मैंने उनकी चुत को सहलाते हुए कहा- गुड मॉर्निंग जानू..
मामी जी भी बोलीं- गुड मॉर्निंग मेरे सैंया.
तभी उनकी नजर मेरे लंड पर गई, मेरा लंड फिर से खड़ा हो चुका था. यह देख कर मामी मुस्कुरा दीं और लंड को अपने हाथ में लेकर हल्के हाथों से हिलाने लगीं.
मामी जी- क्या ये अभी भी भूखा है? सारी रात तो मुझे चोदता रहा और अब फिर से अकड़ गया.
मैं- अब ऐसी प्यारी चूत और गांड मिले, तो ये रात दिन खड़ा ही रहेगा मामी जी.
मामी जी- राहुल, आपकी चुदाई और आपका लंड तो इतना मस्त शानदार है कि जी चाहता है कि आप मुझे चोदते जाओ और मैं आपसे चुदवाती रहूँ.
मैं- मामी जी, मेरी भावनाएं भी कुछ ऐसी ही हैं. मुझे आपकी गांड मारने में बहुत मज़ा आया. ऐसा मज़ा आज तक मुझे कभी नहीं मिला था.
यह सुनकर मामी जी मुस्कराने लगीं. मामी जी ने मुस्कुराते हुए अपनी चूत की तरफ इशारा किया और कहा- देखो तो इस मूसल ने मेरी कोमल सी चूत का क्या हाल बना दिया है?
सच में दोस्तों मामी जी की चुत एकदम फूली हुई नजर आ रही थी. मामी जी ने थोड़ी करवट ली और अपनी चुदी हुई गांड को देखने लगीं और बोली- राहुल, देखिए क्या हालत कर दी आपने मेरी गांड की, कितनी छोटे से छेद वाली गांड थी.
मैं मामी की गांड देखने लगा.
मामी अपनी गांड के छेद को छूते हुए कहने लगीं- गांड का छेद कितना बड़ा हो गया है. मेरी तीन उंगलियां भी एक साथ अन्दर चली जा रही हैं.
मैंने देखा मामी जी की गांड का छेद पहले से वाकयी बहुत बड़ा हो गया था. मैंने उन्हें होंठों पर एक किस किया और कहा- बधाई हो मामी जी, आखिर आपकी गांड का उद्घाटन हो ही गया.
मामी जी- आपको भी बधाई हो राहुल … आखिर आपकी ही तो मेहनत का फल है. आपकी भी सुहागरात आज पूरी हुई है.
हम दोनों एक दूसरे को चूमने लगे.
मामी- राहुल मेरे शरीर में हल्की सी थकान महसूस हो रही है और गांड में भी दर्द हो रहा है.
मैं- ह्म्म्म मेरे पास इसका इलाज है, चलो मामी जी बाथरूम में हल्का सा शावर लेते हैं, वहां आपका दर्द में भगा दूँगा.
वो गांड में दर्द के मारे उठ नहीं पा रही थीं, तो मैंने उन्हें अपनी गोदी में उठाया और नीचे उतर कर दरवाजा बंद करके बाथरूम में ले गया. बाथरूम में हैंड शावर से हम दोनों ने अच्छे से एक दूसरे को नहलाया. मामी जी को अब काफी अच्छा लग रहा था.
मुझे एक बार और मामी जी की गांड मारनी थी. मैंने सोचा क्यों ना शावर में चुदाई हो जाए. यह सोच कर मैंने हैंड शावर चालू कर दिया. जैसे ही शावर का ठंडा पानी मामी जी के ऊपर पड़ा, उनकी जोर से सिसकारी निकल गई और वे मुझसे कसके लिपट गईं. पानी हल्का सा ठंडा और सेक्सी सा कम्पन दे रहा था.
मैंने भी मामी को बांहों में भर लिया. कुछ देर में हम दोनों का पूरा बदन भीग गया और हम दोनों फ़िर से गर्म हो गए. मैं उनके गाल, माथे, और गले पर चुम्बन करने लगा और दोनों हाथों से धीरे धीरे से उनकी पीठ को मैं सहलाता जा रहा था.
मैं- मामी जी क्यों ना मॉर्निंग वाली चुदाई हो जाए.
मामी जी- राहुल, आपके लंड के लिए मैं हमेशा तैयार रहती हूं.
यह सुनकर मैंने मामी जी को शावर की दीवार के साथ सटा कर खड़ा किया और उनके होंठों को अपने होंठों में भर लिया. साथ ही मामी जी के बड़े बड़े मुलायम स्तनों को मसलते हुए, उनके होंठों का मैं रसपान करने लगा. मामी जी के बदन में मस्ती की लहर दौड़ गयी और कामुकता के कारण वो भी मेरे होंठों को जोर से चूसने लगीं और मेरे मुँह के अन्दर अपनी जीभ डालने लगीं. हम दोनों पागलों की तरह एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे.
मामी जी के रसीले होंठ चूसने के बाद मैं उनके बड़े बड़े मुलायम स्तनों की तरफ बढ़ा. मैंने प्यार से उनके एक स्तन को अपने मुँह में लिया और जीभ फिरा फिरा कर चूसने लगा. कभी एक तो कभी दूसरा, मैंने लगातार मामी के दोनों मम्मों के निप्पलों को बारी बारी से चूस रहा था और उन्हें हल्के से बाइट भी कर रहा था.
जब मैं उन्हें बाइट करता, तो मामी जी जोर से ‘आहह … धीरे..’ की आवाज़ निकाल देतीं.
अब मैं मामी जी के स्तनों को चूमते हुए उनकी नाभि की तरफ बढ़ रहा था. फिर मैं नीचे घुटनों के बल बैठ गया और मामी जी के पेट पर प्यार से हाथ घुमाने लगा. फिर मैं उनकी नाभि में जीभ फिराते हुए नीचे की तरफ बढ़ने लगा. मैं जैसे ही नीचे जांघों के पास पहुंचा, मामी जी ने दीवार के सहारे खड़े खड़े ही अपने पैर खोल दिए. जिससे उनकी भरी हुई चूत पूरी तरह से मेरे सामने आ गई.
मामी जी एक टांग को उठा कर मैंने अपने कंधे के ऊपर रखा, इससे मामी जी की चुत की दोनों फांकें खुल गईं. मैंने अपने होंठों को उनकी चूत पर लगाया और चूत चूसने लगा. मै जैसे ही अपनी जीभ से उनकी चूत के दाने को सहलाने लगा, उनके अन्दर की औरत की वासना का सैलाब निकल पड़ा- अह्ह्ह्ह अहह्स्स राहुल … अह्ह्हह अह्ह्ह आह्ह्ह मजा आ रहा है … अह्ह्ह्ह अह्ह्ह.
मेरे सिर को अपनी चूत पर कस के दबा कर मामी सिसकारियां लेने लगीं, उनकी मादक सिसकारियां सुनकर मेरा जोश और बढ़ने लगा. मैं उनकी चूत को और जोर से चाटने लगा. थोड़ी देर बाद उनका पूरा बदन अकड़ने लगा और उन्होंने फिर से मेरे सिर को अपने चूत पर और कस के दबा लिया, वो झड़ गईं. मैंने उनका सारा कामरस चाट लिया और उनकी चूत को चाटकर साफ़ कर दिया.
उसके बाद मैं उठ कर खड़ा हुआ और मैंने मामी जी को पलट कर दीवार पर सटा दिया और उनको पीछे से अपनी बांहों में भर कर अपने होंठों को उनकी नंगी पीठ पर टिका दिया. मामी की नंगी पीठ को चूमते हुए मैं फिर से घुटनों के बल नीचे बैठ गया. अब मामी जी की मस्त मोटी गांड मेरे सामने थी, जिसका मैंने कल रात को उद्धाटन किया था.
ठंडे पानी की फ़ुहार मामी जी की गोरी कमर से फ़िसलते हुए चूतड़ों से जांघों पर बह रही थी. बड़ा ही कामुक दृश्य था. मैं मामी के दोनों मांसल चूतड़ों को अपनी मुट्ठी में ले कर मसलते हुए चूमते हुए चाटने लगा. मामी जी का उत्तेजित बदन एक बार और सिहर उठा. बिना कुछ बोले ही उन्होंने अपनी टांगें और फैला दीं.
फिर मैंने मामी जी के चूतड़ अपने दोनों हाथों से पकड़कर फैलाए, जिससे उनकी गांड का छेद दिखने लगा. मैंने गांड के छेद के ठीक पास में दोनों तरफ अपने दोनों अंगूठे लगाए और छेद को चौड़ा कर जीभ नुकीली कर अन्दर घुसा दी.
मामी जी की सिसकारी निकल गई- अह्ह्ह्ह ओह राहुल … तुम मुझे मार ही दोगे.
मैं जीभ अन्दर बाहर करके जीभ से ही उनकी गांड छेद को चोदने लगा. मामी जी भी जोर-जोर से सीत्कारते हुए मेरी जीभ के मज़े ले रही थीं. इधर मेरा लंड भी अब ऐसा तन गया था कि उसमें तकलीफ़ होने लगी थी.
मुझसे अब सब्र नहीं हो सकता था. मैं खड़ा हो गया और उनको पीछे से पकड़ कर उनकी पीठ पर एक चुम्बन जड़ दिया. मेरा तना हुआ लंड मामी जी की गांड की दरार में रगड़ खा रहा था. मामी जी भी पीछे की ओर अपनी गांड मेरे लंड पर दबा कर अपने चूतड़ों की दरार में लंड महसूस करके मस्त हो रही थीं.
मैंने अपने लंड को पकड़ कर अपने घुटनों को थोड़ा सा मोड़ लिया और मामी जी के चूतड़ों को फैलाकर अपने लंड के सुपारे को उनकी गांड के छेद पर टिका दिया. मामी जी ने भी मस्ती में आकर अपनी जांघों को थोड़ा सा खोल कर दीवार पर अपनी हथेलियों को जमा दिया. इसके बाद मामी ने पीछे से अपनी गांड को थोड़ा सा बाहर निकाल लिया … जिससे मेरा लंड का सुपारा उनकी गांड के छेद में घुस गया.
‘सीईईई …’ सिसकते हुए मामी जी ने अपने पैर और पसार दिए.
मैंने मामी जी की कमर को दोनों तरफ से पकड़ कर एक जोरदार धक्का मारा. मेरा आधा लंड मामी जी की गांड को फाड़ता हुआ अन्दर चला गया.
मामी जी के मुँह से एक हल्की चीख निकल गई- ह्ह्ह उम्म्ह… अहह… हय… याह… सीईई ईईईई अहह..
उन्होंने अपने होंठों को दाँतों में भींच लिए. अब मैंने अपने हाथ आगे करके पीछे से मामी जी के दोनों स्तनों को कस के पकड़ लिया और फिर से एक जोरदार धक्का दे मारा. इस बार मेरा आधे से ज्यादा लंड मामी जी की गांड को चीरता हुआ अन्दर जा घुसा.
मामी जी- आहह … उईईईई, मज़ा आ गया … और जोर से डालो … अपना लंड. … मेरी गांड में … अह्ह्ह फाड़ डालो … ऊऊहह … आआहह … अन्दर … और अन्दर आज्ज्जाआ … आअहह … मेरी गांड.
मैंने अपनी पोजीशन बनाते हुए कहा- मेरी प्यारी मामी … आह. … मेरी जान … आहह ले ना मेरी रानी.. … उम्म्म्मम आहहहाहा..
इस बार मैंने सुपारे तक धीरे धीरे लंड को बाहर निकाला और मामी जी के दोनों स्तनों को कसके पकड़ के फिर से एक जोरदार धक्का देकर एक बार में ही पूरा अन्दर तक पेल दिया.
मामी जी- अहहह … अय्य्यीईई … मरर गयी … धीरे धीरे से … अह्ह्ह … ऊऊऊ … ईईई ऊऊ. … धीरे सेसीईई … मेरे राजा.
मैं- ओऊऊऊ क्या हुआ मेरी जानू… अभी तो बोल रही थी ज़ोर से … और अभी चिल्ला रही हो … मेरी रानी मामी.
मामी जी- राहुल आपका लंड. … सीईई हिह … इतना मोटा और लंबा है, बिल्कुल घोड़े जैसा है … ऊफ्फफऊ भूल गई थी … रात को तेल के कारण तकलीफ़ नहीं हुई.
मैं धीरे धीरे से अपने लंड को अन्दर बाहर करते हुए कहने लगा- तो क्या हुआ पहली बार थोड़ी ही ले रही हो मेरी जान … कल रात से ही तीसरी बार गांड में घुसवा रही हो मामी जी … ह्हम्म फिर भी आपकी गांड थोड़ी अभी भी कसी हुई ही लग रही है.
मामी जी- आह मेरे लंडधारी पतिईईई … सीईईई … ओ मेरे राजज्जा कल रात को ही तो आपने मेरी कुंवारी गांड की सील अपने विशालकाय लंड से तोड़ी है.
मैं- ह्हम्म क्या मस्त गांड है आपकी … ऊऊऊ कल रात की चुदाई कैसे भूल सकता हूँ. … रात को तो बहुत मजा आया अहहहहाआ…
मामी जी- जानू धीरे से उईईई … अभी भी आपके लंड से मेरी गांड की दोस्ती थोड़ी कम ही हुई है.
मैं- तो आज दोस्ती पक्की हो चुकी समझो मेरी जान.
मामी- हम्म..
मैंने अपने धक्कों को स्पीड़ थोड़ा बढ़ाते हुए कहा- अभी भी गांड क्या कसी हुई ईईई है … मेरे रानी!
मेरी बातें सुनकर मामी जी ने अपना चेहरा मेरी तरफ घुमाया और अपने एक हाथ से मेरे सिर को पकड़ कर अपने चेहरे के पास ले आईं. उन्होंने मेरे कान पर चुम्मा दिया और यह करते वक़्त वो धीरे धीरे पीछे होके और अपनी कमर हिला कर, मेरे लंड को अपनी गांड के अन्दर बाहर करने की कोशिश कर रही थीं.
इसके साथ ही मामी मेरे कान में फुसफुसा कर बोलीं- अहहहह … हम्म्म्म ऐसे ही मेरी जानू उहूहूहू धीरे धीरे … सब्र करो ऐसे दो तीन बार गांड चुदाई होने के बाद मेरी गांड की आपके लंड से दोस्ती हो जाएगी … फिर आराम से अन्दर बाहर होने लगेगा.
मैं अपने लंड को धीरे धीरे मामी जी की गांड में धक्के देकर अन्दर बाहर करते हुए बोला- फिक्र मत करो मामी जी, आज तो आपकी गांड से दोस्ती हो गई समझो … ओह … सीईई…
अब मैं लंड को उनकी गांड में थोड़ा जोर से अन्दर बाहर कर रहा था. मैं अपने लंड को बाहर खींचता और जब सिर्फ़ सुपारा अन्दर रहता, तो एक ही धक्के में अपना लंड उनकी गांड में पेल देता.
मामी जी भी अपनी कमर को पीछे की और धकेल कर मज़ा ले रही थीं. इसी बीच मेरे अण्डकोष मामी जी की गांड पर लगते और थप थप की आवाज़ आती.
मुझे भी जोश आता जा रहा था, इस समय मामी जी की गर्दन को पकड़ कर उनके चेहरे को अपनी तरफ घुमाया और उनके गुलाबी रसीले होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसना चालू कर दिया. मामी जी भी कामुक सिस्कारियां लेते हुए मेरे होंठों को चूसने लगीं.
इधर शावर का ठंडा पानी हम दोनों पर गिर रहा था. लेकिन फिर भी हम दोनों के बदन बहुत गर्म महसूस हो रहे थे. शावर से गिरता पानी मामी जी के स्तनों से होता हुआ चूतड़ों तक ओर फिर नीचे चुदाई के साथ लंड से होता हुआ गांड के अन्दर बाहर निकल रहा था, जिससे पच पच पच की आवाजें बाथरूम में गूंज रही थीं.
मैं मामी जी के होंठों को चूसते हुए, नीचे जोर जोर से अपने लंड को उनकी की गांड के अन्दर बाहर कर रहा था. मेरे लंड की रगड़ को अपनी गांड के अन्दर महसूस करके, मामी जी भी अब पूरी मदहोश हो चुकी थीं. मामी ने अब पूरे जोश में आते हुए तेज़ी से अपनी गांड को आगे पीछे करना शुरू कर दिया.
मामी जी मेरे के होंठों से अपने होंठ अलग करती हुई सीत्कारने लगीं- सीईईई … बहुत अच्छा लग रहा है … सीईईईई … हाय राजा … मारो धक्का … जोर जोर से चोदो अपनी मामी की गांड को … … हाय मेरे सैयां … हाय मेरी चुत भी पानी छोड़ने लगी है.
मैं पूरा जोर लगा कर धक्का मारते हुए चिल्लाया- हाय सीईईई … क्या कसी है मामी तुम्हारी गांड … मजा आ गया …
मामी जी- अह्ह्ह फाड़ डालो. … आज इसे … अपने मोटे लंड से. … अह्ह्ह्ह्ह्ह. … सच में बहुत मजा आ रहा है … हां…ऐसे ही … ओह्ह्ह सैयां जी … मैं आज से आपकी पत्नी बन गयी.
मैं- हां मेरे रानी अब तो ये पति तुम्हारी दिल से सेवा करेगा.
मामी जी- अह्ह्ह्ह … ऐसे ही मन लगा कर बीबी की सेवा करना … हाय … सीईईईई … उफ्फ्फ … मेरे राज्जाअ … राहुल … और तेज़ … अओउरर्रर तेज. … सीईई …
मैं मामी जी के स्तनों को मसलते हुए उन्हें कस-कसकर चोद रहा था, जिससे बाथरूम में जोर जोर से पच पच पच की आवाजें हो रही थीं. मामी जी भी जोर जोर से सिस्कारियां लेते हुए उतनी तेजी से गांड आगे पीछे करके मेरा पूरा साथ दे रही थीं. पूरे बाथरूम में चुदाई का मधुर संगीत गूंजने लगा था.
मामी जी और मैं वासना के सागर में इस कदर डूबे हुए थे कि हम को अंदाज़ा तक भी नहीं था कि शावर का पानी बंद हो गया था. अब हम दोनों भी अपनी चरम सीमा तक पहुंच चुके थे. आखिर में मैंने एक बहुत ही ज़ोरदार झटका मारा, तो मामी जी के मुँह से फिर से चीख निकल गई- अहहहहाआ … मररर्रर गईई.
तभी मेरे लंड से गर्म गर्म वीर्य की मोटी मोटी पिचकारियां निकलने लगीं. इतना अधिक माल निकला कि मामी जी की पूरी गांड भर गयी. लेकिन मैं मामी जी की गांड में अभी भी दीवानों की तरह अपने लंड को अन्दर बाहर कर रहा था. मेरे लंड से वीर्य की पिचकारियां मामी जी की गांड में निकल कर गिरने लगी थीं. अपनी गांड में वीर्य की गर्माहट महसूस करती मामी जी एक बार फिर जोर से चीखते हुए झड़ने लगीं- औअहह हहहहहहा … मैं भी गयी … अहम्म्म्म ममम.
इस चीख से पूरा बाथरूम फिर शांत हो गया. हम दोनों पूरी तरह से हांफ रहे थे. मैंने पूरा शांत हो कर मामी जी के कंधे पर अपना सर टिका कर उनको कस के पकड़ लिया. जब हम दोनों की साँसें दुरुस्त हुईं, तो अपना लंड मामी जी की गांड से धीरे धीरे बाहर निकाल लिया. जैसे ही मेरा लंड मामी जी की गांड से बाहर आया … तो मामी जी सीधी हुईं और उन्होंने घूम कर मुझे चूम लिया. उनके सीधे खड़े होते ही, उनकी गांड से वीर्य की धार बह कर बाहर निकलते हुए, उनकी जांघों से होते हुए नीचे फर्श पर गिरने लगी थी.
हमें बहुत देर हो गई थी. लगभग सवा घण्टे से हमारी कामलीला चल रही थी. हम कुछ देर बाद अलग हुए और बाथरूम से निकल कर अपने बेडरूम में चले गए. मैंने और मामी जी ने अपने आपको टॉवल से साफ़ किया. फिर हम कपड़े पहनने की सोच ही रहे थे कि तभी याद आया कि हमारे कपड़े तो ऊपर छत पर ही हैं.
मैंने अपने कपड़ों के बैग में से नए कपड़े निकाल कर पहन लिए और एक दूसरे से चिपक कर सो गए.
सुबह नौ बजे मेरी आंख खुली और मैंने मामी जी की ओर देखा. वह अब भी गहरी नींद में सो रही थीं. सुबह की रोशनी खिड़कियों पर लगे पर्दों के बावजूद बेडरूम में पहुंच रही थी.
मैं उठा और बाथरूम में गया. जल्दी फ्रेश होकर बाहर निकला. सामने देखा तो रमेश अपनी पत्नी रूपा से कुछ खुसर फुसुर कर रहा था. पर मैंने सोचा कि ये तो कल रात ही गांव गया था ना … फिर इधर कैसे? मैंने उसे आवाज लगाई … तो वो मेरे पास आ गया.
मैं- अरे रमेश काका, आप तो गांव गए थे ना?
रमेश- वो छोटे मालिक जिस काम के मैं लिये जा रहा था, वो काम मेरे दोस्त भूरिया जो अपने पास वाले फार्म हाउस में रहता है ना, उसने कर दिया. तो मालिक मैं रात को ही वापिस आ गया था.
मैं- ओह चलो अच्छा हुआ, आपको तकलीफ नहीं हुई.
रमेश ने मुस्कुराते हुए कहा- अरे मालिक मेरा छोड़िए आप बताईए, रात को कुछ तकलीफ तो नहीं हुई ना आपको और छोटी बहू को?
मैं मुस्कुरा कर बोला- अरे नहीं नहीं काका मुझे कोई तकलीफ नहीं हुई, सिर्फ आपकी बहू को थोड़ी सी तकलीफ हुई, लेकिन आप चिंता न करें, अब सब ठीक है.
रमेश ने शरारती आंखों से मुझे देखते हुए कहा- मालिक, वो पानी खत्म हो गया था, तो मैंने सुबह ही पानी की टंकी भर दी थी, नहाने में कोई दिक्कत तो नहीं हुई ना.
मैं मन ही मन सोचते हुए खुद से बोला कि अरे वही तो, सुबह चुदाई के दौरान पानी खत्म हो गया था, शायद इसको सब पता तो नहीं चल गया.
प्रत्यक्ष में मैंने कहा- नहीं, कोई दिक्कत नहीं हुई काका.
रमेश मुझसे कुछ ओर पूछता कि इतने में मामी जी आ गईं.
मैं- अरे मामी जी आप इतने जल्दी क्यों उठ गईं, थोड़ी देर ओर आराम कर थोड़ी लेतीं.
रमेश- हां मालकिन, वैसे रात में सोते वक्त कुछ तकलीफ तो नहीं हुई ना?
मामी जी- वो तो क्या बताएं काका … बहुत ही अच्छी नींद आई.
अब मुझे लगने लगा था कि रमेश काका को रात की रासलीला पता चल गई होगी. पर इससे मुझे कुछ फर्क नहीं पड़ता. क्योंकि रमेश हमारा सबसे वफादार नौकर था. आज तक उसके सामने मैंने कई लड़कियों को यहां फार्म हाउस पर लाकर चोदा था.
मैं अपने ही सोच में डूबा हुआ था कि रमेश ने मेरी तरफ देख कर पूछा- अरे छोटे मालिक, कहां खो गए?
मैं कुछ कहता कि रूपा वहां आ गई.
रूपा- मालिक आज नाश्ते में क्या खाएंगे?
रमेश ने मेरे बोलने से पहले मुस्कुराते हुए कहा- नाश्ता बनाने की कोई जरूरत नहीं है रूपा, क्योंकि मैंने पास के गांव के फेमस नाश्ता मंगवाया हैं, भूरिया कुछ देर में लेकर ही आ रहा होगा.
मैं- अरे वाह बहुत बढ़िया काका.
रमेश- मुझे पता है मालिक आप जरूर खुश होंगे.
फिर उसने रूपा की ओर देखते हुए कहा- रूपा जरा तब तक छोटी बहू को अपने खेत खलिहान घुमाने ले जाओ और हां, इनकी अच्छे से देख भाल करियो, हमारे यहां पहली बार आई हैं, खातिर में कोई कमी ना रहे.
मैं- हां मामी जी, चली जाएं, सुबह सुबह थोड़ा टहलने से आपको भी अच्छा लगेगा.
रूपा ने मुस्कुरा कर कहा- चलिए भौजी, आपको अपने खेत दिखाती हूँ.
फिर वो दोनों बातें करते हुए चली गईं.
अब मैं आपको रूपा के बारे में कुछ बता देता हूँ. वो एक 26 साल की बहुत मस्त और चुदैल औरत है, जिसकी शादी 6 साल पहले बुड्डे रमेश से हुई थी. उसके घर वालों ने रमेश से पैसे लिए थे, जो उसको वापिस ना लौटा पाए तो बदले में उसकी शादी रमेश से कर दी.
बुड्डे रमेश से रूपा के भरे हुए बदन को ठीक से संतुष्ट करना नहीं हो पाया, तो रूपा ने अपने आस पड़ोस के मजदूरों के साथ संबंध बना लिए थे.
उधर रूपा और मामी जी बातें करते हुए खेतों की तरफ जा रही थीं, मैं और रमेश काका उनकी तरफ देख रहे थे. मामी जी को शायद थोड़ा चलने में अभी भी मुश्किल हो रही थी. उनके चूतड़ फैले हुए लग रहे थे. उनको देख कर कोई भी कह सकता था कि अभी अभी गांड मारी गई है.
यह दृश्य देख कर रमेश काका मेरी तरफ देख के मुस्कुरा दिया.
रमेश- वो छोटे मालिक जरा देखिए तो छोटी बहू को चलने में शायद कुछ तकलीफ हो रही है? देखिए ना कैसे पैरों को पसार के चल रही हैं.
फिर उसने मुझे आंख मारते हुए कहा- या शायद कुछ बड़ा सा कांटा चुभ गया होगा.
मैंने अपना मुँह इधर उधर घुमाते हुए कहा- अब आपको क्या बताएं काका कि कितना बड़ा कांटा चुभा है.
रमेश- हा हा हा … इधर ऊपर टैरेस पर मालिक आपको कुछ दिखाना चाहता हूं.
मैं समझ गया था वो क्या दिखाना चाहता है. हमारे रात के सभी कपड़े वहीं पड़े हुए थे.
हम जल्दी से टैरेस पर पहुंचे तो वहां का दृश्य देखकर मुझे थोड़ी शर्म आने लगी. वहां पर एक नीचे वाला बेड पूरी तरह से अस्त व्यस्त था. बेडशीट पर मालिश के तेल के धब्बे लगे हुए थे. इधर उधर हमारे कपड़े पड़े हुए थे, मामी जी साड़ी, ब्लाउज और पेटीकोट बेड के एक किनारे पर थे, तो उनकी ब्रा पैंटी दूसरे किनारे पड़े थे. मेरे कपड़े उनमें ही मिल गए थे.
उस मनमोहक दृश्य को दिखाते हुए रमेश काका मुझसे पूछने लगा- मालिक.. तो यह कारण है छोटी बहू की बिगड़ी हुई चाल का.. ह्हम्म!
मैंने शरमाते हुए कहा- क्या बताएं काका हमें तो आदत ही है, अच्छी अच्छियों की चाल ढाल बदलने की.
रमेश- ह्म्म्म … ये तो मुझसे बेहतर कौन जानता है मालिक हा हा हा लेकिन आप छोटी बहू की भी चाल बदल देंगे, यह तो मैंने भी नहीं सोचा था.
मैं- रमेश काका क्या बताएं आपको, मेरे सब राज तो मालूम हैं आपको, इसे भी क्या छुपाऊँ.
रमेश- जी मालिक मुझे सब पता है, पर ये बात नहीं है, मैं तो आपका वफादार हूँ मुझसे क्या छुपाना. क्या आपको मुझ पर शक है?
मैं- अरे नहीं नहीं काका, कैसी बात कर रहे हैं. मुझे आप पे भला क्यों कोई शक होगा. आपको भी पता है हम सबसे ज्यादा आप पर ही भरोसा करते हैं.
रमेश- हां मालिक, मैं जानता हूँ और मरते दम तक आपके परिवार और आपका वफादार रहूंगा. अब तो बताएं मालिक … आखिर क्या कारण है जो आपको अपनी मामी हमारी छोटी मालकिन बहू के साथ संबंध बनाना पड़ा?
मैं- आपको तो मालूम है काका मामा जी का पूरा ध्यान बिजनेस में ही है, वह दिन भर, तो कभी कभी हफ्तों तक बाहर रहते हैं और मामी जी को ज्यादा वक्त नहीं दे पाते. और अब तो वो संबंध बनाने में भी रूचि नहीं रखते. मामी जी भरी जवानी में खुद को प्यासी महसूस कर रही थीं. बेचारी पूरे दिन भर घर रहकर बोर हो जाती हैं, इसलिए जब उन्होंने मुझे देखा, तो वह खुश हो गईं. अब आप ही बताएं काका क्या मेरा ये फर्ज नहीं बनता कि अपनी मामी जी की प्यास बुझाऊं.
रमेश- ऐसी बात है तो मालिक आपने बिल्कुल ठीक किया.
मैं झूठ मूठ का दुखी चेहरा करके बोला- मामी जी जवान हैं, अगर उनकी मामा जी जैसे बड़े उम्र के व्यक्ति से शादी ना होती, तो शायद मुझे ये सब करने की जरूरत ना पड़ती.
रमेश काका शरारती मुस्कान लेते हुए बोला- अरे छोड़िए न मालिक जो हुआ अच्छा ही हुआ. अगर ऐसा नहीं होता तो सोचिए आपको इतनी अच्छी मामी जी मिलतीं क्या?
मैंने हंसते हुए कहा- हां वो तो है. पर एक बात बताओ काका, रात वाली बात आपको कैसे पता चली?
रमेश- सुबह जब मैं यहां से गुजर रहा था, तो बाथरूम में से छोटी बहू की कामुक सिसकारियां सुनाई दीं और साथ ही आपकी भी.. बस मैं समझ गया आप क्यों ऊपर सोने के लिए गए थे.
मैं- अच्छा तो ये बात थी.. आपके अलावा अन्य किसी को तो मालूम नहीं है न?
रमेश- नहीं मालिक यहां कोसों दूर तक हमारे सिवा कोई और नहीं है.
मैं- वो आपका दोस्त भूरिया?
रमेश- मालिक वो तो कभी कभी आता है, जब उसे कुछ काम हो.. या फिर मुझसे मिलने आता है. उसको तो आपके अन्य लड़कियों के साथ की बात भी नहीं पता है. यह तो अपने घर की बात है मालिक. आप यकीन मानिए ये सब बातें सिर्फ मुझ तक ही रहेंगी.
मैं- यहीं हमारे लिए ठीक रहेगा काका.
रमेश काका ने झूठी मुस्कान लाते हुए कहा- हां मालिक, वो रात की बात रूपा को भी पता चल गई है, पर यकीन कीजिए वो भी किसी को नहीं बताएगी. आखिर मेरी पत्नी जो है.
मैं- हां. पर उसे कैसे पता चला?
रमेश- वो सुबह उठकर यहां आ गई थी, तो उसने सब कुछ देख लिया था, पर मैंने उसे कह दिया है कि वो हमारे मालिक हैं. बड़े लोगों में यह सब चलता रहता है.
मैं- ह्म्म्म तो ये बात सिर्फ हम चारों में ही रहेगी. ठीक है! चलो अब आप नीचे जाओ, इससे पहले की यह और कोई देखे मुझे हमारे कामलीला के सबूतों को मिटाना है.
रमेश लड़खड़ाती जुबान से बोला- छोटे मालिक.. व्वो एक बात और है.. दरअसल वो बात है कि…
मैंने बीच में टोकते हुए कहा- घबराओ नहीं.. साफ साफ बात करो काका.
रमेश- रूपा की भी चाल मालिक आप बिगाड़ देते, तो अच्छा होता आखीर है तो वो आपकी दासी ही ना. जोश जोश में शादी तो कर ली मालिक, अब वैसा दम नहीं रहा.
मैंने आंख मारते हुए कहा- नेकी और पूछ पूछ … आप सिर्फ उसे दोपहर को तैयार रहने को बोलना बस, इधर दोपहर में मामी जी को सुला कर मैं उसके पास आता हूँ.
रमेश- ठीक है मालिक.
थोड़ी देर बाद भूरिया आ गया, उसी वक्त मामी जी और रूपा भी आए थे. फिर हम सबने मिलकर नाश्ता किया. इसके बाद सब लोग अपने अपने काम में लग गए. रूपा खाना बनाने चली गई और भूरिया के साथ रमेश काका खाद लेने गांव चले गए. मैं और मामी जी भी अपने कमरे चले गए और बैठ कर आराम से रात की चुदाई की बातें करने लगे.
आधे घंटे में रूपा ने खाना खाने के लिए हमे हॉल में बुलाया. रूपा डायनिंग टेबल पर खाना परोसा, उस वक्त मेरी नजर उसकी बड़ी बड़ी चुचियों पर थी. रूपा की आंखें बहुत पारखी थीं. जब उसने देखा, कि मैं उसकी चुचियों को देख रहा हूँ, तो रूपा के होंठों पर मुस्कान से फैल गयी. जिसे उसने अपने होंठों पर अपनी साड़ी का पल्लू रख कर छुपा लिया.
यह सब देख कर जैसे तैसे मैंने अपना खाना खत्म किया. मामी जी का भी हो गया था. पर हम डायनिंग टेबल पर ही बैठे बातें कर रहे थे.
मामी जी- राहुल, मुझे थकान महसूस हो रही और नींद भी आ रही है.
मैं- मामी जी तो आप प्लीज़ कमरे जाकर थोड़ा सो जाएं, इससे आपको आराम मिलेगा.
मामी जी उठकर कमरे में चली गईं और दवा पी कर सो गईं. थोड़ी देर बाद रूपा आई और टेबल पर पड़ी प्लेट को उठा कर किचन में ले गयी.

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