मेरी उम्र 35 साल है और मेरी दीदी की 42 साल है.
ये उस रोज की बात है, जब मैं नागपुर में था, हमारी माँ का देहांत हुआ था. तब मेरी दीदी भी वहां आयी थी. दीदी का नाम प्रमिला है, वो अपनी सासू माँ के साथ आई थी. इससे पहले दीदी के पति का भी देहांत एक दुर्घटना में हो गया था. उसके बाद से दीदी अपनी 4 साल की छोटी सी बेटी और सासू माँ के साथ मुंबई रहती है. हमारे पिताजी पहले ही गुजर गए थे. माँ के चले जाने के बाद से अब मैं अकेला ही रह गया था.
माँ की सब विधि होने के बाद दीदी ने मुझसे कहा- देख प्रकाश, ये घर तो कहीं जाने वाला है नहीं, ये घर तो अपना ही है, तू यहां अकेला रह के क्या करेगा? हमारे पिताजी ने एक जगह मुंबई में भी बनायी है, तू वहीं हमारे साथ आ जा.
मैंने कहा- लेकिन?
दीदी ने मेरी बात काटते हुए कहा- लेकिन क्या … मैं तो सासू माँ के साथ रहूँगी, तू उस फ्लॅट पर रह जाना. तेरी लेकिन वेकिन कुछ नहीं, मैंने कह दिया बस तू हमारे साथ रहेगा.
उसकी सासू माँ ने भी कहा- हां, तेरी दीदी सही बोल रही है, तू हमारे साथ आ जा.
फायनली मैंने हां बोलते हुए कहा- ठीक है … तुम लोग जाओ, मैं पीछे से सामान आदि लेकर आता हूँ.
इसके बाद दीदी और उसकी सासू माँ चले गए. उनके बाद मैं भी उधर ही चला गया. दीदी ने मेरे लिए सब सैट कर के रखा था. मुझे भी जॉब मिल गया. दीदी अब अपने घर में सासू माँ के साथ और मैं उनके पास वाली दो गली छोड़ कर हमारे माँ बाप के लिए हुए घर में रहने लगा. मेरी पहली पगार मिली तो मैंने दीदी को मोबाईल भी गिफ्ट किया.
हम लोग ज्यादा बात नहीं करते थे, थोड़ा बहुत ही बात करते थे. वैसे भी मैं बहुत कम बातें करने वालों में से था. तब भी दीदी के घर के नजदीक होने से मेरा अब दीदी के घर आना जाना चलने लगा था. मेरी दीदी भी जॉब करती थी, उसका ऑफिस सुबह साढ़े दस बजे का था. वो पास में ही यानि दो स्टेशन छोड़ के ही उसका ऑफिस था, इसलिए वो सुबह मेरे लिए भी लंच बनाती थी. मैं उसके घर जाकर लंच का डब्बा लेता था और अपने ऑफिस चला जाता था.
मैंने दीदी को मोबाईल में सब सैट करके दिया था. मैं उसको व्हाट्सअप में गुडमॉर्निंग भी भेजता, वो भी रिप्लाय में गुडमॉर्निंग भेजती थी. कुछ जरूरत का काम हो, तो वो मैसेज भी करती थी.
कुछ दिन ऐसे ही निकल गए. मुझे सिगरेट पीने की थोड़ी आदत है, तो मैं घर के तीन चार गली के बाद एक चाय की दुकान है, वहां चाय और सिगरेट पीने हर शनिवार को सुबह जाता था.
एक दिन की बात है, मैं वहां चाय सिगरेट पी रहा था. मेरे बाजू में दो लोग खड़े थे. उसमें से एक ने अपने साथी को इशारा किया और कहा कि उधर देख क्या मस्त माल जा रहा है. इसको चोदने में बड़ा मजा आएगा.
उसका साथी भी बोला- हां यार, क्या मस्त उठी हुई गांड है, ये जिसकी भी बीवी होगी, उसका पति क्या लकी होगा.
मेरा ध्यान गया, तो मैंने देखा कि एक लाइट ब्लू कलर का पंजाबी ड्रेस पहनी हुई औरत जा रही थी, उसने डार्क ब्लू का दुप्पटा भी डाला हुआ था … जिसमें से उसके मम्मे के उभार काफी बड़े से दिख रहे थे. दुपट्टे के बाजू से उसके मम्मों की गोलाई ध्यान से देखी, तो उसके मम्मे खासे गोल दिख रहे थे. उसकी कमर थोड़ी बड़ी थी, लेकिन जब वो थोड़ी आगे को गयी, तो उसकी गांड तो फुल कयामत बरपा रही थी. उसकी गांड काफी बाहर को निकली हुई बहुत बड़ी एकदम गोलाई लिए हुए थी. जोकि उसके चलते वक्त बड़ी दिलकश तरीके से मटक रही थी.
उसके आगे जाते समय भी उन दोनों में से एक ने कहा- हाय … साली की क्या मस्त गांड है … देख ना क्या मस्त हिल रही है. इसको खुश रखना मुश्किल है.
दूसरे ने कहा- हां रे … इसको तो अपने को पूरा नशा करके स्टॅमिना बढ़ा कर ही चोदना होगा … साली को बहुत बड़ा वाला लंड लगेगा. देख ना वो रोड के उस पार है … कितनी दूर है, फिर भी इतनी मस्त दिख रही है, तो पास से क्या माल दिखती होगी रे … सच में यार ये तो कयामत है.
मैं भी उसे पीछे से ही देखता रहा. तभी वो औरत मुड़ गयी, मैंने थोड़ा पीछे देखा तो बस उसकी एक झलक दिखी और वो आगे निकल गयी.
उसकी एक झलक देख कर मेरे तो होश ही उड़ गए थे क्योंकि वो तो मेरी दीदी थी.
मैं डर के थोड़ा पीछे को हो गया ताकि उसे मैं दिखाई ना दे जाऊं.
हालांकि वो और दो बार पीछे मुड़ी और देखा अनदेखा सा करके आगे चली गयी. अब ये हमेशा का होने लगा. मैं नाके पे शनिवार रविवार जाता था, वो अपने घर की शॉपिंग के लिए आती थी. मैं उसे दूर से देखता था. वो भी सड़क पर बड़ी बिंदास चलती थी जैसे सड़कछाप मंजनुओं को चारा डाल रही हो.
शुरुआत में तो मुझे उसको इस तरह से देखना अटपटा सा लगा. लेकिन इसके बाद न जाने क्यों वो मेरे दिल में मेरी दीदी नहीं, एक मस्त औरत बन के आने लगी. वो रात रात भर मुझे दिखने लगी और मेरा मन अब उसे चोदने के लिए बेकरार होने लगा.
मैंने एक बात देखी कि वो घर पर तो साड़ी पहनती थी, तो उस वक्त वो एकदम नॉर्मल दिखती थी. लेकिन मुझे लगता ही नहीं था कि उसने साड़ी के अन्दर इतना खजाना छुपा कर रखा हुआ है.
एक दिन तो ऐसा हुआ कि मैं नाके पे सिगरेट चाय पी रहा था. दीदी सामने से जा रही थी. मैं हमेशा की तरह उसे देख कर अपना लंड सहला रहा था. लेकिन तभी मैंने देखा कि उसने तुरंत ही रोड क्रॉस किया और इसी कैंटीन की ओर आने लगी. उसको आते देख कर मेरी फट गयी, मैं तुरंत ही कैंटीन में अन्दर चला गया और उसे अन्दर से ही देखने लगा. मेरा पूरा ध्यान था कि उसकी नजर कैंटीन में अन्दर ना जाए. वो आगे आयी. उसने लाईट ग्रीन कलर का पंजाबी ड्रेस पहना था. उधर ही बाजू में एक सब्जी वाला था, उसने कुछ सब्जी ली. सब्जी लेते वक्त नीचे दीदी नीचे को झुकी. उसका काले कलर दुपट्टा थोड़ा खिसका.
‘ओओओओ … क्या मम्मे थे उसके …’
तभी उसने झट से अपना दुप्पटा सीधा किया और हल्का सा ऊपर कर लिया. उसकी गहरे गले की वजह से उसके मम्मों के पूरे दीदार होने लगे. साथ ही उसकी चुचियों के निप्पल का पॉईंट की भी एक झलक दिख गई. उसने कैंटीन की ओर एक नजर डाल कर देखा और मुझे अनदेखा करके आगे चली गयी.
ऐसा काफी दिन तक चलता रहा.
अब मैं उसे मोबाइल पर मैसेज करने लगा. नॉर्मली वो भी रिप्लाय देने लगी.
फिर एक दिन…
मैसेज में मैं- प्रमिला दीदी … मेरे घर में सीलिंग का कुछ प्रॉब्लम है.
प्रमिला दीदी- ठीक है, मैं देखती हूँ.
मैं- ठीक है.
कुछ देर बाद दीदी मेरे घर पर आई.
प्रमिला दीदी- चलो देखते हैं
वो मेरे रूम में आयी और उसने कहा- प्रकाश चलो तेरे रूम का थोड़ा रिनोवेशन करवा लेते हैं. ये काफी टाईम से बंद था न. जब तक ये ठीक होता है, तब तक तू हमारे साथ रह जा.
मैंने कहा- ओके दीदी ये ठीक रहेगा.
मैं उसके घर रहने लगा, लेकिन फिर भी शनिवार रविवार को नाके पे जल्दी जाता था … ताकि दीदी को देख सकूं. तब भी अब मुझे दीदी को चोदने की लालसा कुछ ज्यादा ही घेरने लगी थी.
एक दिन उसकी सासू माँ ने खाना खाते वक्त कहा- मैंने इससे बोला कि तू दूसरी शादी कर ले, कब तक अकेली रहेगी, लेकिन ये है कि मानती नहीं. इसकी बेटी भी छोटी है, तो अभी आसान भी है.
दीदी ने कहा- क्या माँ फिर से वही …
सासू माँ- ठीक है बाबा, मैं कुछ नहीं कह रही, जैसे तेरी मर्जी.
दीदी ने कहा- ठीक है … चलो अब खाना खाओ … कल ऑफिस जाना है.
वो सुबह मेरे लिए ब्रेकफास्ट और डब्बा भी बनाकर देती थी. उस वक्त वो साड़ी में ही होती थी और पूरी तरह से संभाल के अपने जिस्म को ढके रहती थी.
एक दिन शनिवार को मैंने उसे हमेशा की तरह नाके पे देखा. मैं वहीं था … मैंने सोचा कि कुछ मैसेज करूँ.
मैंने मोबाइल पर मैसेज भेजा- गुडमॉर्निंग दीदी.
उसका कुछ रिप्लाय नहीं आया. मैंने समझा कि इसका मोबाइल घर पर होगा.
तभी मेरे मोबाइल में मैसेज की घंटी बजी- गुडमॉर्निंग.
मैं- एक बात बोलूँ, आपको गुस्सा तो नहीं आएगा ना?
प्रमिला दीदी- हां रे बोल न?
मैं- क्या हम दोनों आज मूवी देखने जा सकते हैं?
प्रमिला दीदी- लेकिन आज …
मैं- क्यों क्या हुआ?
प्रमिला दीदी- सासू माँ को मालूम है आज मेरी छुट्टी है और … आज तो कामवाली भी नहीं है.
मैं- कुछ बहाना बनाओ ना.
प्रमिला दीदी- चल देखती हूँ.
मैं- व्हाट्सैप पे रहना.
प्रमिला दीदी- ओके.
मैं वहीं था, तभी फिर घंटी बजी.
मैसेज आया था. प्रमिला दीदी- कितने बजे का शो है?
मैं खुश हुआ. मैं- तीन बजे का देखते हैं … छह तक घर आ जाएंगे.
प्रमिला दीदी- कहां है?
मैं- दो स्टेशन छोड़ के.
प्रमिला दीदी- ठीक है … तू रूक जा जरा.
फिर थोड़ी देर के बाद घंटी बजी, मैसेज आया- सुन मैं क्या बोलती हूँ … आया आ जाएगी तो बेबी को संभाल लेगी. मैंने सासू माँ को बोला है कि ऑफिस से एक फाईल लानी है, तो मैं उधर जाके आऊंगी.
मैं- ठीक है.
प्रमिला दीदी- तू बोल ना, मैं भी एक पुराने फ्रेंड को मिलने जा रहा हूँ. फिर हम लोग बाहर से ऑटो पकड़ कर जायेंगे.
दीदी की इस तरह की बातें सुनकर मुझे कुछ ऐसा लगा कि इसकी बातों में भाई बहन वाली फीलिंग नहीं लग रही है. क्या इसका मन भी मेरे साथ कुछ अलग होने लगा है. फिर मैंने सर को झटका और बस फिल्म की बात को लेकर मूड बनाने लगा.
मैं- दीदी आप एक काम करो, आप आओ, मैं टिकट निकाल कर रखता हूँ.
प्रमिला दीदी- ठीक है.
मैं खुश था और मुझे जान बूझकर जल्दी जाना था ताकि मैं उसे दूर से निहार सकूं. मैं बहुत खुश था.
मैं टिकट लेकर दीदी के आने का इंतजार कर रहा था. इस वक्त मैंने सनग्लासेस पहने हुए थे. वो ऑटो से उतरी, रोड क्रॉस करके आ रही थी. उसने रेड कलर का पंजाबी ड्रेस और व्हाईट कलर का दुपट्टा डाला हुआ था. वो जैसे जैसे नजदीक आयी, उसका बदन और उभर के दिखने लगा … उसके मम्मे इस ड्रेस में एकदम तने हुए थे … और सब कुछ दिलकश दिख रहा था. इस बार तो मुझे दीदी की गांड भी देखने को मिली जब वो काउंटर पे जाके बर्गर लेके आयी.
हमने मूवी देखी, कुछ खाया और अलग अलग से निकले. हमने बाद में भी दो तीन बार मूवी देखी, लेकिन हफ्ते के बीच वाले दिन में, शनिवार को नहीं. लाईफ नॉर्मल था, सिवाए एक के बात के. मेरा हर शनिवार रविवार नाके पे जाना दीदी को दूर से देखना और उसका शॉपिंग के लिए जाना मुझे कुछ इशारा देने लगा था.
फिर एक दिन की बात है. जब मैं नाके पे था और मैंने दीदी को देखा. दीदी ने इस बार भी सब्जी वाले के पास आके सब्जी लेते वक्त अपनी चूचियों की झलक दिखाई. इस वक्त उसने लाईट पीले कलर का पंजाबी ड्रेस पहना था. इस बार उसने जब दुप्पटा ऊपर किया, तब उसकी चुचियों का पॉईंट ज्यादा ही दिख गया था … इस बार निप्पल उभर कर आ गए थे और कड़क से दिख रहे थे.
इस बार मैं उसकी चुचियों को देख कर कुछ ज्यादा ही पागल हो गया. मैंने सोचा अब तो कुछ करना ही होगा.
मैं वहीं था, वो चली गयी.
मैंने उधर ही बैठे उसको मैसेज किया- गुडमॉर्निंग दीदी.
कोई रिप्लाय नहीं आया, मुझे मालूम था कि वो घर जाके रिप्लाय करेगी.
कुछ देर बाद उसका जबाव आ गया- गुडमॉर्निंग कहां हो?
मैं- यहीं बाहर.
प्रमिला दीदी- नजदीक हो?
मैं- हां.
प्रमिला दीदी- तो जल्दी आ ना, नहा ले … जल्दी आ जा, फिर पानी जाने वाला है. मुझे भी बाहर जाना नहीं है, जाऊंगी तो सासू माँ गुस्सा होगी.
मैं- ओके अभी आता हूँ.
मैं उसके घर गया, उसने दरवाजा खोला और कहा- तू बाथरूम में जा … मैंने पानी गर्म किया है, वो लेके आती हूँ.
सासू माँ दूसरे रूम में थी.
मैं बाथरूम में गया. दीदी एक बड़े से तपेले से पानी ले आई.
दीदी ने कहा- वो बाल्टी देना.
उसने पानी बाल्टी में डाला, तो उस वक्त उसकी साड़ी का पल्लू थोड़ा खिसका और उसके मम्मे दिखाई दिए. उसके मम्मों को मैंने घूर कर देखा, तो वो भी शर्माई और साड़ी ठीक करके चली गयी.
कुछ दिन के बाद एक दिन शनिवार को सुबह मेरी कुछ आवाज के कारण नींद खुली. मैंने घड़ी की तरफ देखा, तो 7 बज कर 30 मिनट हुए थे. मैं बाहर गया. रूम में परदे लगे थे, तो थोड़ा अंधेरा था. मुझे याद आया कि आज शनिवार है. तो जल्दी से मैं अन्दर गया और देखा तो मुझे शॉक ही लगा.
किचन छोटा था. देखा तो दीदी किचन में सब्जियां काट रही थी. उसने ऊपर काले कलर का ब्लॉउज और नीचे साया बस पहना था.
इस वक्त उसके छोटे से ब्लाउज में से उसके बड़े बड़े मम्मे काफी बाहर को आए हुए थे. उसके टाईट पेटीकोट से भी उसके उभरे हुए चूतड़ साफ़ नुमायां हो रहे थे. दीदी की लाजवाब गांड बाहर को आयी हुई लग रही थी.
मैं उधर ही खड़ा होकर पीछे से दीदी को देखने में लगा था.
तभी प्रमिला दीदी ने कहा- अरे तू उठ गया?
मैंने कहा- हां दीदी.
प्रमिला दीदी ने कहा- चलो मैं तुम्हारे लिए चाय बनाती हूँ.
मैं उधर ही उसके पीछे था. आज उसके हावभाव ने मुझे पागल कर दिया था. मैं उसके पीछे एकदम करीब आ गया. फिर मैंने अपने दोनों हाथ पीछे से आगे को लिए और उसके मम्मों को छूना चालू कर दिया. मैंने पहले हल्के से कुछ ऐसे किये सामान लेने के बहाने से आगे किये थे, ताकि उसे गलत न लगे.
जब वो कुछ नहीं बोली, तो मैंने उसके मम्मे को हाथ से दबाना चालू किया. फिर भी वो कुछ नहीं बोल रही थी. उल्टा चाय बनाते वक्त उसके हाथों से उसके मम्मे और भी दबे जा रहे थे.
थोड़ी देर ऐसे ही चला. मुझे समझ आ गया कि ये ग्रीन सिग्नल है. फिर मैंने उसके मम्मे और जोर जोर से दबाना चालू किए. साथ ही मैंने पीछे से अपने खड़े लंड को उसके चूतड़ों की दरार से उसकी गांड के साथ घिसना चालू किया. वो कसमसाने लगी, लेकिन उसने मुझे कुछ भी नहीं कहा. मतलब उसकी रजामंदी थी.
अब मैंने तुरंत ही मेरी शॉर्ट उतार दिया. मैं इस वक्त उसके पीछे पूरा नंगा था और वो ब्लॉउज व साये में थी. मैंने उत्तेजित होकर दीदी के मम्मे दबाने और जोर से चालू किए, उसके चूचुकों को उंगलियों से मसला और उसके चूतड़ को ठोकर दी. तो अचानक उसने गैस को बंद किया और वो पलट गयी.
वो मुझे पीछे को धक्का दे कर जमीन पर लेट गयी. उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे भी अपने ऊपर खींच लिया. उसने नीचे हाथ डाल के अपना साया ऊपर किया और कहा- आ जाओ मेरे छोटे भैया, चढ़ जाओ मेरे ऊपर और प्यास बुझा दो मेरी चूत की.
मैंने भी उसके सामने अपना लंड हिला कर दिखाया. मेरा लंड काफी बड़ा और टाईट हो गया था.
दीदी ने कहा- जल्दी करो टाइम नहीं है, मेरी सासू माँ आ जाएगी.
उसने मुझे गर्म करने के लिए अपने ब्लॉउज के बटन खोल दिए. ब्लाउज खुलते ही उसके कसे हुए मम्मे ऐसे बाहर उछल आए, जैसे दो कबूतरों को पिंजरे में रखने के बाद जैसे आजादी मिल गई हो और कबूतरों ने उड़ने की कोशिश की हो.
मैं तो और भी पागल होके उसके कबूतरों को चूसने लगा, उसकी चूचियों को काटने लगा.
दीदी मस्त होकर बोलने लगी- ओहह और चूसो … आह काटो और …
अब उससे रहा नहीं गया, तो उसने अपने हाथ से मेरे लंड को पकड़ा और अपनी चुत क फांक पर रख कर इशारा किया.
मैंने लंड ठोक दिया अपनी सगी दीदी की चूत में …
दीदी की कराह निकल गई- आऊच आआआ. … मर गई …
मैंने उसकी चीख को अनसुना किया और फिर से जोर से लंड दे ठोका. इस बार के धक्के में मेरा आधा लंड उसकी चुत में चला गया था. उसकी दर्द के मारे मुट्ठियां भिंच गई थीं. काफी दिन बाद लंड मिलने से उसकी चूत एकदम मुंद सी गई थी.
अब मैं दीदी को और जोर से ठोकने लगा. अब वो भी अपनी गांड उछाल उछाल कर आगे पीछे होने लगी. मेरी स्पीड बढ़ती जा रही थी और उसकी गांड उछलने की लय भी लंड के साथ मिलने लगी थी.
तभी उसकी चुत से पचाक … पचाक पचाक आवाज आने लगी.
दीदी बोल रही थी- ओहहह भाई मुझे बहुत मजा आ रहा है … और जोर से चोद दे मुझे … आह कितना मस्त लंड है तेरा … आह पेल दे.
मैं भी बोल रहा था- यस मेरी हॉट दीदी मैं आज तुझे चोद चोद कर रंडी बना दूँगा … आह ले मेरी दीदी मेरा लंड ले आह.
दस मिनट की धकापेल के बाद मैं लंड से पानी गिराने सीमा पे आ गया था. मैंने बोला- दीदी मेरा पानी छूटने वाला है.
दीदी ने कहा- मेरा भी.
मैं अपना लंड निकालने लगा, तो दीदी ने आपने हाथों से मेरी गांड पकड़ ली और कहा- अन्दर ही डाल दे अपना पानी मेरे छेद में … ओह मजा आ रहा है … प्लीज़ अन्दर ही सिंचाई कर दे.
मैंने कहा- अगर तू पेट से ही गई तो?
दीदी ने कहा- ओह ओओओओ नहीं तू डाल दे … मैं नहीं होऊंगी पेट से.
अब मेरे ठोकरें बढ़ गईं. हम दोनों ने एक दूसरे को कसके जकड़ लिया और मैंने लंड का पानी दीदी की चूत के अन्दर छोड़ दिया.
झड़ने के बाद हम दोनों शांत थे. मैंने कहा- दीदी, क्या मैं थोड़ी देर आप के ऊपर लेटा रहूँ.
दीदी ने मुझे चूमा. उसके चेहरे पे एक अलग सा आनन्द था. उसने कहा- हां छोटे भैय्या मेरे ऊपर लेट रहो.
हम दोनों वैसे ही पड़े बातें कर रहे थे. कुछ देर बाद मैं फिर से उसकी चुत में उंगली डाल रहा था और उसके मम्मे चूस रहा था. हमारा पहला सेक्स कुछ मिनट ही चला था.
मैंने कहा- दीदी क्या मैं आपकी चुत चूस लूँ?
दीदी ने कहा- हां क्यों नहीं … लेकिन तू उसे चुत मत बोल, मुझे अच्छा नहीं लगता … तू उसे बिल्ली बोला कर.
मैंने दीदी की चुत को चाटना चालू किया, उसे भी चूत चटवाने में मजा आ रहा था. मैंने फिर से ऊपर आकर पूछा- दीदी एक बात बता न?
दीदी ने कहा- हां पूछ न?
मैंने कहा- दीदी आपकी साईज क्या है?
दीदी मेरी इस बात पर हंस दीं- हा हा हा … मेरी किस चीज की साइज़ जानना है तुझे?
मैंने कहा- आपके मम्मों की और कमर की साइज़ जाननी है.
दीदी ने कहा- मेरे मम्मे 38 D साईज के हैं … हैं न बड़े?
मैंने हामी भरते हुए दीदी के मम्मे को चूसा और फिर पूछा- और कमर की साइज़ क्या है?
दीदी ने कहा- कमर मेरी 36 इंच की है.
फिर मैंने नीचे से हाथ डाल कर उसके चूतड़ दबाये और कहा- सच्ची दीदी, ये बड़े मस्त हैं.
मैंने बाहर निकले हुए दीदी के चूतड़ मसले और पूछा- इनकी क्या साईज है?
दीदी ने कहा- क्या इनकी इनकी कह रहा है … चूतड़ बोल न, चूतड़ अच्छा शब्द है … मेरे चूतड़ की साईज 44 इंच की है.
फिर दीदी ने पूछा- क्या मैं एक बात पूछूँ?
मैंने कहा- हां पूछो न.
दीदी ने कहा- सच बताएगा?
मैंने कहा- हां पूछ … सच बताऊंगा.
दीदी ने कहा- तुम शनिवार और रविवार सुबह कहां जाते हो?
मैंने कहा- कहीं नहीं.
दीदी ने कहा- झूठ मत बोलो, तुम उस कैंटीन में जाते हो ना??
मैंने कहा- हां दीदी.
दीदी ने कहा- और वहां जाके तुम मुझे ताड़ते देखते रहते हो ना.
मैंने कहा- ओह ये दीदी आप को मालूम था.
दीदी ने कहा- हां मुझे सब मालूम है. तुझे याद है, जब मैंने लाईट ब्लू कलर का पंजाबी ड्रेस पहना था, तब मैं दो बार पीछे मुड़ी थी, उस वक्त मैंने तुम्हें वहां देखा था. मुझे मालूम था कि तू अब मुझे रोज देखेगा, तुम सब मर्द लोग पागल हो.
मैंने कहा- पागल … वो कैसे?
दीदी ने कहा- इशारे भी नहीं समझते यार.
मैंने कहा- इशारे? वो कैसे?
दीदी बोली- याद है जब मैंने लाइट ग्रीन कलर का पंजाबी ड्रेस पहना था. मैं रोड क्रॉस करके आयी और सब्जियां लेते वक्त झुकी थी. उस वक्त मेरा दुप्पटा फिसला था. मुझे मालूम था तू वहीं से सब अन्दर कैंटीन से देख रहा था. तुझे क्या लगा दुप्पटा अपने आप गिरा था? नहीं … मैंने जानबूझ कर गिराया था. याद है, एक दिन मैंने लाईट येलो कलर का ड्रेस पहना था. उस वक्त भी ऐसा हुआ था.
मैंने कहा- हां दीदी मुझे सब याद है. दीदी ने कहा- पागल वो ही तो इशारा था. जब पहली लाईट ग्रीन ड्रेस पहना था और दुप्पटा गिराया था, उसका मतलब था के मैं भी इंटेरेस्टड हूँ.
मैंने कहा- ओह अच्छा …
दीदी ने हंसते हुए कहा- याद है, जब मैंने येलो कलर का ड्रेस पहना था, उस वक्त भी मेरा इशारा था कि आ जा कुछ तो कर … तुझे याद है और भी दो तीन बार ऐसा हुआ था. ताकि मैं तुझे घर बुलाके जल्दी से चुदवा सकूं. मॉर्निंग को मेरी सासू माँ मंदिर जो जाती थी. लेकिन तुम मूर्ख ठहरे, इस बात को समझ ही नहीं पाए.
मैंने कहा- हां दीदी मैं नहीं समझ पाया सॉरी.
मैंने उसे किस किया.
दीदी ने कहा- कोई बात नहीं, वैसे भी सब मर्द नासमझ होते हैं.
फिर उसने अपना एक मम्मा अपने हाथों से पकड़ कर मेरे मुँह में डाला और कहा- प्लीज़ जरा जोर से चूसो इसे.
मैंने दीदी का दूध चूसना चालू कर दिया.
मैंने कहा- अब हमें एक मैसेज कोड रख लेना चाहिये.
दीदी ने बोला- ओके मैसेज वर्ड कौन सा?
मैंने कहा- क्विक फक … इसका QF रख लेते हैं. समझ गयी ना..
दीदी ने कहा- हां समझ गई. ये अच्छा कोड है … अब जल्दी से चूसो.
मैंने फिर से दीदी के मम्मे चूसना चालू कर दिए.
हम वैसे ही 20 मिनट तक लेटे रहे.
तभी डोर बेल बजी. दीदी ने कहा- तुम दरवाजा खोलो, मैं कपड़े बदल कर आती हूँ.
मैं झट से उठ गया मैंने कपड़े पहने. दीदी अपने नहाने के कपड़े लेकर बाथरूम में घुस गयी.
मैंने दरवाजा खोला तो सामने दीदी की सासू माँ थी. मैंने गुडमॉर्निंग बोला और रूम में जाकर बाथरूम के बाहर से आवाज दी.
मैं बोला- दीदी, मैं जरा बाहर जा रहा हूँ.
दीदी की सासू माँ बोली- बहू नहा रही है क्या?
मैंने ‘हां..’ बोला.
दीदी ने अन्दर से आवाज दी- आती हूँ माँ जी.
मैं कैंटीन पे आया. मैंने दीदी की चुदाई की खुशी के मारे एक सिगरेट ज्यादा पी. फिर मैंने सोचा कि एक मैसेज करके देखता हूँ कि दीदी को क्या लगा होगा.
मैंने मैसेज किया- गुडमॉर्निंग.
मैसेज के बाद काफी टाईम हुआ लेकिन दीदी का कुछ रिप्लाय नहीं आया. मैं टेन्शन में आ गया और एक सिगरेट पी और एक मैसेज और कर डाला.
मैं- हाय.
फिर और एक डाला.
मैं- गुडमॉर्निंग!
उस तरफ से उत्तर न पाकर मैं टेन्शन में आ गया था.
तभी फोन में मैसेज की रिंग बजी. प्रमिला दीदी- वेरी गुडमॉर्निंग.
ओहह फायनली उसका रिप्लाय आया.
मैं- कैसी हो?
प्रमिला दीदी- मैं ठीक हूँ
मैं- जो हुआ वो …
प्रमिला दीदी ने लिखा- क्या हुआ कुछ भी तो नहीं … तू कहां है? चल जाके नहा ले … घर के काफी काम बाकी हैं.
फिर मैं घर जाके नहाया और हमारा दिन शुरू हुआ. मैं थोड़ी देर बाद फिर बाहर निकल गया.
दोपहर को, दीदी का मोबाईल मैसेज आया- हाय, कहां हो?
मैंने तुरंत ही रिप्लाय करना शुरू किया- यहीं हूँ आस पास.
प्रमिला दीदी- चार बजे के पहले गहर आ जाना, थोड़ा काम है.
मैं- क्या?
प्रमिला दीदी- है एक काम.
मैं- बताओ ना टेन्शन हो रहा है.
प्रमिला दीदी- पड़ोस में शादी है, अलीबाग जाना है? थोड़ा सामान पैक करना है
मैं- कौन जा राहा है … तुम या हम दोनों?
प्रमिला दीदी- एक मिनट.
मैं- मुझे साथ जाना है?
कुछ रिप्लाय नहीं आया, मैं इस मैसेज का रिप्लाय का बेसब्री से इंतजार कर रहा था.
तभी रिंग बजी, प्रमिला दीदी- नहीं रे पागल..
मैं- फिर?
प्रमिला दीदी- सासू माँ जा रही है. उनका सामान गाड़ी में रखने के लिए तुझे हेल्प करनी है … वो कल शाम को वापस आएगी … समझा कुछ.
इसके बाद दीदी ने एक आँख मारने वाली स्माइली लगाई हुई थी.
यह मैसेज देख के और स्माइली देख के मैं तो और खुश हुआ. मैंने भी और रिप्लाय में चुम्मी का स्माइली भेजा.
मैंने और एक मैसेज भेजा- कुछ भेजता हूँ तुम्हें.
प्रमिला दीदी- ठीक है.
मैंने मैसेज में एक फोटो भेजा, एक औरत का जिसने नीचे साया और ऊपर लो नेक का डोरी वाला ब्लॉउज पहना हुआ था.
फिर काफी टाइम तक देखा कि उसने वो फोटो उसने देखा कि नहीं. फायनली उसने फोटो को देखा, लेकिन कुछ रिप्लाय नहीं.
मै 3 बज कर 30 मिनट पर घर गया, दीदी की सासू माँ का सामान पैक किया. लेकिन सासू माँ जिस बस से बारातियों के साथ जाने वाली थी, वो बस देर से 7 बज कर 30 मिनट पर आयी. मैंने देखा तो दीदी की बेबी भी तैयार थी. सासू माँ उसे भी लेके जा रही थी. बेबी को सासू माँ के साथ रहने की आदत थी, वो ज्यादा वक्त उसी के साथ होती थी.
सासू माँ को निकलते निकलते 8 बज कर 30 मिनट हो गए. फिर मैं घर आया तो दीदी ने पूछा- चढ़ा दिया सामान?
मैंने कहा- हां दीदी, वो चली गई.
दीदी ने कहा- चलो मैं फ्रेश होती हूँ और खाना बनाती हूँ.
मैंने कहा- चलो आज बाहर खाना खाने चलते हैं.
शुरू में हां ना हुआ और बाद में दीदी ने कहा- ठीक है.
दीदी ने महरून कलर का पंजाबी ड्रेस और ब्लॅक दुप्पटा डाल लिया. हम लोग बाहर निकल गए, खाना खाया थोड़े घूमे फिरे. फिर हम दोनों करीब 11 बजे घर वापस आ गए.
दीदी ने कहा- मैं फ्रेश होती हूँ, फिर तुम फ्रेश हो लेना.
मैंने कहा- ठीक है.
वो कुछ देर में शॉवर लेकर बाहर आयी. बाथरूम से आते वक्त उसने बेडरूम में जाते जाते मुझसे कहा- चलो तुम भी शॉवर ले लेना … और आते वक्त बाहर की लाईट बंद करके कुंडी लगा के आना.
मैंने कहा- ठीक है दीदी.
उसने जब आते वक्त लाईट और कुंडी लगाने का कहा, तो मैं समझ गया कि वो मुझे बेडरूम में चुदाई के लिए बुला रही है.
मैं शॉवर लेकर फ्रेश होकर बाहर आया. लाईट ऑफ की और दरवाजे की कुंडी लगा के बेडरूम की तरफ आ गया.
मैंने देखा तो दीदी ने रेड कलर का साया और ऊपर काले रंग का डोरी वाला ब्लॉउज पहना था.
हम दोनों ने एकदूसरे को देख के स्माईल किया. वो मेरी बांहों में आ गई. इसके बाद हम दोनों में सेक्स चालू हुआ. उस रात मैंने एक बाद 12 के बाद और सुबह 5 बजे तक उसे दो बार चोदा. बाकी की रात मैंने उसकी चुत और मम्मों को खूब चाटा. दूसरे दिन मैं दीदी के साथ शॉवर के नीचे सेक्स करना चाहता था, लेकिन उसने दीदी ने ना बोला.
दूसरे दिन रविवार को सासू माँ 3 बजे वापस आयी. उस हफ्ते में मुझे और एक बार चान्स मिला मैंने दीदी के साथ सेक्स किया.
मैंने उस वक्त दीदी को चोदते हुए पूछा- दीदी मेरा साथ कैसा लग रहा है?
दीदी ने नीचे से गांड उठाते हुए जर्क दिया और कहा- यानि?
मैंने कहा- तुम मुझसे संतुष्ट तो हो?
दीदी ने कहा- हां ठीक है, कोई चिंता नहीं.
वो मजा लेती रही, ज्यादा नहीं बोली. मेरी दीदी मुझे ज्यादा चोदने नहीं देती थी. वो थोड़ा खुद को संभाल कर रहती थी.
उधर मेरे भी रूम का रिनॉवेशन पूरा हुआ और मैं अपने रूम पर रहने लगा.
ये हफ्ता मस्त निकला था.
अगले हफ्ते एक शनिवार को कुछ यूं हुआ कि मॉर्निंग को मेरा कैंटीन पे जाना हुआ और दीदी का उसी वक्त वहां पे आना हुआ. ये सब पहले जैसे ही हुआ. मेरा उसे दूर से देखना … और उसका एक बार अपने मम्मों की घाटी का दिखाना. वो पूरा दिन नॉर्मल ही निकला था. रात को अचानक मेरे फोन की मैसेज रिंग बजी. उस वक्त करीब 11 बजे थे.
प्रमिला दीदी- हाय.
मैं- हाय.
प्रमिला दीदी- क्या कर रहे हो?
मैं- कुछ नहीं.
प्रमिला दीदी- ओके.
मैं- याद आ रही है तेरी.
प्रमिला दीदी- ओके … तो यहां अभी मेरे घर आ जाओ.
मैं- अभी?
प्रमिला दीदी- हां कुछ अर्जेन्ट काम है.
मैं- काम?
प्रमिला दीदी- QF
मैं- ओह … अभी कैसे आऊं?
प्रमिला दीदी- तुम आओ तो यार.
मैं- ओके आता हूँ.
प्रमिला दीदी- प्लीज़ जल्दी.
मैं- आता हूँ.
प्रमिला दीदी- थैंक्स.
मै दीदी के घर गया. रूम में अंधेरा था. वो मुझे किचन में लेकर गयी और मेरा हाथ अपने मम्मे पर रखा. मैंने दीदी के मम्मे दबाये. वो अगले ही पल नीचे लेट गयी. उसने झट से अपनी साड़ी ऊपर कर दी. मैंने भी तुरंत शर्ट पेंट उतारी और उसके ऊपर चढ़ गया.
मैंने लंड सैट करते हुए कहा- तेरी सासू माँ?
मेरी प्यासी दीदी ने गांड हिलाते हुए लंड सैट किया और कहा- वो सो रही है, तुम जल्दी अन्दर करो.
मैं लंड रगड़ कर दीदी को गर्म करने में चालू हो गया. उसके मम्मे दबाना, किस करना शुरू हुआ. फिर मैंने अपना लंड बाहर निकला, उसकी बिल्ली पे रख के उसे ठोकने लगा. अभी मेरा ठोकना चालू हो गया था. मैं उसे किस करना चाहता था, लेकिन उसने अपना मुँह दूसरी तरफ कर लिया, जहाँ बगल के कमरे में उसकी सासू माँ सो रही थी. मैं समझ गया वो सासू माँ की तरफ ध्यान दे रही है.
मैं दीदी की चूत में लंड ठोकता गया.
अचानक मैंने ऊपर देखा, सासू माँ सामने आकर खड़ी हो गयी. मैं डर गया … अब क्या होगा. मैं तुरंत ही उठा और कपड़े लेकर अपने आपको ढकने की कोशिश करने लगा. दीदी ने भी अपनी साड़ी नीचे कर ली. उसने उठ कर साड़ी को ठीक किया. अब रूम शांत था.
दीदी की सासू माँ ने कहा- क्या चल रहा है ये? चलो बेडरूम में दोनों बात करते हैं.
मैंने दीदी की ओर देखा, दीदी ने इशारा किया. हम दोनों बेडरूम में आ गए. बेडरूम में थोड़ा उजाला था, उधर एक डिम लाईट जल रही थी. लेकिन हम तीनों एक दूसरे को देख सकते थे. दीदी की सासू माँ वहीं आराम कुर्सी पे बैठ गयी. हम दोनों जमीन पर बैठे थे. सब शांत था. मेरी और दीदी की गर्दन नीचे थी. हमारी हिम्मत सासू माँ को देखने की नहीं हो रही थी.
फिर दीदी की सासू माँ बोलने लगी- क्या चल रहा था वो? और कब से चल रहा है?
हम दोनों चुप थे.
दीदी की सासू माँ ने बोलना चालू किया- मुझे सब मालूम है.
मैंने चौंक कर ऊपर देखा और फिर नीचे मुंडी करके बैठा रहा. दीदी की सासू माँ बोलने लगी- ये एक हफ्ते से चल रहा है ना … पूछो मुझे कैसे मालूम … याद है मैं एक दिन जब सुबह मंदिर से आयी, तुमने दरवाजा खोला और तुम्हारी दीदी बाथरूम में थी. उस दिन मैंने पूरा ध्यान दिया तुम्हारी दीदी के चाल चलन पर. मुझे लग गया कि ये सगे भाई बहन का नाता नहीं रहा, अब ये अलग नाता बन गया है. पहले तो मुझे बुरा लगा, फिर मैंने भी सोचा कि ठीक है, मेरा बेटा नहीं है … बहू भी अकेली है … वासना की इच्छा सबको होती है. ऊपर से ये जवान बहू है तो कौन पूरी करेगा उसकी वासना की इच्छा?
दीदी की सासू माँ वो बोले ही जा रही थी, हम सुन रहे थे. तभी दीदी उठ के अन्दर चली गयी.
दीदी की सासू माँ बोल रही थी- बाबू, तेरी दीदी ना शादी करना चाहती है. ठीक है वो पूरी ईमानदारी से मेरे साथ रही और वासना तो वासना है, सबकी जरूरत होती है. ना वो बाहर गयी किसी के साथ, अगर बाहर जाती, तो बदनाम होती और क्या क्या न होता, कुछ पता नहीं.
सासू माँ के बाजू में एक रेड कलर का सिल्की कपड़ा रखा था. उसन वो मेरी तरफ फेंका और कहा- इसे अपनी कमर पे लपेटो.
मैंने वही किया.
दीदी की सासू बोल रही थी- एक बात बताऊं बेटे … घर की बात घर में ही रहनी चाहिये, चौराहे में लाने का कोई मतलब नहीं होता है. अब मैं एक सवाल पूछती हूँ, जवाब देना? देगा ना?
मैंने कहा- हां.
दीदी की सासू माँ ने कहा- क्या तुम अपनी दीदी से प्यार करते हो? हां वो तुमसे सात साल बड़ी है, फिर भी अगर तुम्हारी दीदी तुम्हारी बीवी बन गयी, तो भी क्या तुम उसे पसंद करोगे?
यह बात सुन के मेरा लंड फिर से तन गया. सासू माँ ने हाथ में लकड़ी ली और मेरी पेंट के ऊपर लिपटा हुआ वो लाल सिल्की कपड़ा ऊपर किया. फिर मेरे खड़े होते लंड को देखा.
दीदी की सासू माँ बोलने लगी- याद है, उस दिन जब तुम लोगों में संग मिलन हुआ, तभी उसी दिन मैं शाम को शादी के लिए चली गयी? क्यों चली गई, मालूम है? ताकि तुम दोनों को थोड़ी प्राइवेसी मिले, एकांत मिले. उस रात में तुम लोगों ने फिर से किया. अब बताओ क्या तुम अपनी दीदी को अपनी पत्नी मानने के लिए तैयार हो?
उस वक्त मुझे याद आया, जब मैं कैंटीन में था. वो दो अजनबी थे. उसमें से एक ने दीदी को देख के बोला था कि हां यार ये जिसकी भी बीवी होगी, उसका पति क्या लकी होगा.
मेरे पास यही मौका था ‘लकी पति’ बनने का … मैंने भी तुरंत ही हां बोला- हां मैं तैयार हूँ अपने दीदी को अपनी पत्नी बनाने के लिए.
दीदी की सासू माँ ने इशारा किया. मैंने देखा तो दीदी बाजू में खड़ी थी. वो एक लाल साड़ी पहन कर आ गई थी. उसके ऊपर लाल साड़ी और लाल ब्लॉउज बड़ा फब रहा था. वो सर पे घूँघट लिए थी. दीदी एकदम शादी की दुल्हन टाईप की लग रही थी. फिर मैं खड़ा हो गया.
दीदी की सासू माँ ने मेरा और दीदी का हाथ पकड़ कर हमें पीछे बेड पर बिठाया और कहा- रुको मैं आती हूँ.
वो दूसरे रूम में जाके फिर आयी. उसके हाथ में दो शादी के बड़े हार थे. एक उसने मेरे हाथ में दिया. दूसरा दीदी के हाथ में दे दिया. हम अब दोनों आमने सामने खड़े हो गए थे. दीदी की सासू माँ ने कहा- अब एक दूसरे को हार पहनाओ.
मैंने मेरी दीदी के गले में हार डाल दिया और दीदी ने मेरे गले में हार पहना दिया.
फिर उसने एक मंगलसूत्र दिया और कहा- ये पहना अपनी दीदी को.
मैंने मंगलसूत्र पहनाया. फिर दीदी की सासू माँ ने एक डिब्बी निकाली और मुझसे कहा- भर अपनी दीदी की मांग.
सिंदूर लेकर मैंने दीदी की मांग भर दी. दीदी बहुत सुंदर दिख रही थी.
उसने हाथ पकड़ कर फिर से बेड पर बिठाया. मेरा ध्यान गया तो बेड पे गुलाब की पत्तियां बिछाई हुई थीं.
दीदी की सासू माँ ने कहा- अभी रुको, मैं आती हूँ.
फिर वो चली गयी.
मैंने दीदी को कहा- मोबाइल है?
दीदी ने कहा- हां.
मैंने कहा- जरा एक मिनट के लिए दो … कुछ टाईप करके दिखाना है.
मैंने टाईप और दीदी को दिखाया.
दीदी ने भी टाईप किया और स्माईल करके मेरे हाथ में दिया.
मैंने टाईप किया था- आज हम शादीशुदा पति पत्नी हैं, लेकिन मैं चोदते वक्त तुझे दीदी ही मान कर चोदना चाहता हूँ. वो मेरा पहला प्यार है.
दीदी ने रिप्लाय में टाईप किया था- तुम्हारी खुशी में मेरी खुशी है.
साथ में चुम्मी वाला स्माईली भी था.
मैंने देखा, फिर हम दोनों ने एक दूसरे को देख कर स्माईल किया. तभी दीदी की सासू माँ आ गयी. उसके हाथों में दूध से भरे दो गिलास थे. एक उसने मेरे हाथ में दिया, दूसरा दीदी के हाथ में पकड़ा दिया.
दीदी की सासू माँ ने कहा- रुको.
उसने अपने ड्रॉवर से एक जड़ी बूटी का बाउल निकाला, एक बड़ा चम्मच लिया. दो फुल जड़ी बूटी पावडर भरके भरा और मेरे गिलास में डाला. फिर दीदी के गिलास में दो नहीं, चार चम्मच भरके डाल दिया. फिर बचा खुचा पूरा उसके गिलास में डाल कर कहा- पियो.
हम वो मुँह तक लेके गए, तभी उसने हम दोनों के हाथ पकड़े और कहा- प्रमिला, तू अपने हाथ का गिलास का दूध प्रकाश को पिला. और प्रकाश तू अपने हाथ का गिलास का दूध अपनी पहली दीदी यानि अब तुम्हारी बीवी को पिला.
मैंने कहा- ओह लेकिन ये क्या है?
सासू माँ ने कहा- मूर्ख है … तू चुपचाप पिला दे.
यह सुन के दीदी मुझे देख कर थोड़ी हंस पड़ी.
दीदी की सासू माँ ने कहा- इतने साल से तेरी दीदी भूखी है. उसकी प्यास तो बुझानी पड़ेगी ना. हां और एक बात ये कल तक मेरी बहू और बेटी थी, लेकिन आज से सुन प्रमिला, तू मेरी बहू और ये तेरा भाई मेरा बेटा है. एक बेटा मैंने खोया, पर दूसरा पाया. तू भी सुन प्रमिला आज के बाद मेरे बेटे को खुश रख ना तेरा काम है और तू सुन प्रकाश, तेरी बहन अब जो तेरी पत्नी बीवी बनी है, वो मेरी लाड़ली बहू है, उसका पूरा ख्याल रखना. चलो अब जल्दी से पिलाओ एक दूसरे को दूध.
मैंने दो चम्मच वाला गिलास का दूध दीदी को पिलाया और चार चम्मच से भी ज्यादा पावडर वाला गिलास दीदी ने मुझे पिलाया. हमने एक दूसरे को दूध पिलाया. उसने गिलास लेकर टेबल पे रख दिए और वहीं सामने चेयर पे बैठ गयी.
मुझे लगा कि वो चली जाएगी, लेकिन वो वहीं बैठी रही.
मैंने धीरे से दीदी से पूछा- ये तेरी सासू माँ और मेरी नयी माँ इधर क्यों बैठी है?
दीदी ने कहा- वो हमारा सेक्स देखना चाहती है.
मैंने कहा- इसके सामने तो मुझसे नहीं होगा, मुझे शर्म आती है.
दीदी ने कहा- रुको.
फिर दीदी अपनी सासू माँ को बोली- माँ जी, उन्हें थोड़ी दिक्कत है. आप समझ रही हो ना?
सासू माँ ने ‘हम्म..’ करके इशारा किया. दीदी पलंग से उठी और पलंग और सासू माँ के बीच में ऊपर एक रॉड था, उस पर एक नेट वाला परदा पड़ा था, वो खींच लिया. अब सासू माँ उस नेटवाले परदे के उस तरफ थी और हमारा सेक्स देखने वाली थी.
मैंने दीदी की ओर देखा. दीदी ने कहा- ठीक है, तुम उधर ध्यान मत दो.
अब 12:30 बज गए थे. मेरा भी लंड उठ गया था. मैंने अब दीदी को चूमा और उसके ब्लॉउज में हाथ डाल कर उसका ब्लॉउज लगभग फाड़ कर खोल दिया. अब उसने भी अपनी साड़ी उतार कर फेंक दी. मैंने दीदी का साया खींचा और उसकी कच्छी निकाल दी. फिर उसे चुदाई की पोजीशन में लिटा कर मेरा लंड उसकी बिल्ली में घुसेड़ दिया. मैं ठोकर देने लगा और वो भी अपनी चूतड़ हिला हिला कर रिस्पॉन्स देने लगी.
उसके मुँह से मादक आवाजें आने लगी ‘ओओह … आह … आह …’
मैं जड़ीबूटी वाला दूध पीकर कुछ एक्स्ट्रा ताकत महसूस कर रहा था. मैंने अपनी दीदी को चोदता चला गया.
आखिरी मुकाम पर आके, मैंने अपना पानी उसकी बिल्ली में छोड़ दिया. इस तरह ये पहला राउंड पौना घंटा चला. उसके बाद हर एक घंटे के बाद एक और राउंड हुआ. सासू माँ भी वहीं बैठ कर हमारा सेक्स देख रही थी. पता नहीं दीदी की सासू माँ ने क्या पिलाया था. सुबह जब 11 बजे नींद खुली, तो हम दोनों नंगे ही पड़े थे.
सासू माँ फिर आ गयी. हम रात को इतना मदहोश थे कि हमें पता ही नहीं चला कि वो कब उठ कर चली गयी. अब वो फिर हमारे रूम में आ गयी.
दीदी की सासू माँ ने कहा- चलो अब.
उसने हमारे दोनों के हाथ पकड़े और बाथरूम में ले गयी. मैंने बाथरूम में भी शॉवर के नीचे दीदी, जो अब मेरी बीवी है उसको घोड़ी बना कर चोदा. सासू माँ भी बाहर ही थी और हमारी चुदाई की कामुक आवाजें सुन रही थी.
फिर हम दोनों नहा कर बाहर आ गए तो दीदी की सासू माँ ने कहा- चलो तुम्हारे घर चलते हैं, मुझे कुछ रस्में पूरी करनी है.
दीदी ने साड़ी पहनी और सासू ने गृहप्रवेश करवाया. पंडित जी आए हमारे घर की पूजा की. शाम हुई सासू माँ का फोन आया. उसने कहा- मेरे घर तैयार होके आ जाओ.
हम दोनों गए. दीदी की सासू माँ ने कहा- घर की चाबी मुझे दो. मुझे और भी कुछ करना है. तुम दोनों आज रात बाहर खाना खाओ, रात घर जाते वक्त फिर चाबी लेकर जाना.
हम बाहर गए, घूमे फिरे, मूवी देखी, फिर खाना खा कर सासू माँ के घर आ गए. तब करीब 11 बजे थे, थोड़ी देर उनके साथ बैठ कर बातें की. सासू माँ ने घर चाभी दी, हम लोगों ने उसके पैर पड़े और आशीर्वाद लिया. फिर उधर से निकलने लगे.
तभी सासू माँ ने दीदी को बुलाया और उसका हाथ पकड़ कर चाबी दे कर उसके गले से लगी. उन दोनों में कुछ बात हुई और दोनों थोड़े हंस पड़े.
फिर मैं और मेरी दीदी यानि मेरी पत्नी हम फ्लॅट पे आ गए. मैं सोफे पे बैठ गया.
दीदी ने कहा- मैं फ्रेश होती हूँ, उसके बाद तुम भी फ्रेश हो जाना और बेडरूम में आ जाना.
उसने मेरी तरफ एक रेड कलर का सिल्की कपड़ा फेंका. मैं भी फ्रेश हुआ और सब लाइट ऑफ करके रूम में चला गया. अन्दर जाकर देखा तो दीदी रेड कलर की साड़ी पहन कर खड़ी थी. उसने इशारा किया. मैंने देखा टेबल पे दो गिलास थे. उसने जड़ी बूटी वाला पावडर चार चम्मच निकाला. एक गिलास में चार चम्मच डाले और दूसरे गिलास में आठ चम्मच डाल दिए.
आठ चम्मच का गिलास दूध उसने मुझे पिलाया. हम थोड़ी देर में उत्तेजित हो गए. फिर से सेक्स चालू हुआ.
मैं बोला- इस बार मुझे तेरी गांड मारनी है.
उसने झट से अपनी गांड फैला दी.
मैंने उसके खूब जम कर गांड मारी. रात भर अलग अलग पोजीशन में सेक्स किया.
दूसरे दिन हमारी नींद 12 बजे खुली. देखा, तो पलंग पूरा चरमराया हुआ था. वो देख कर हम हंस पड़े. फिर हम दोनों ने एक साथ शॉवर लिया, पानी के नीचे चुदाई की.
शॉवर में चोदते वक्त मैंने दीदी से पूछा- दीदी बता ना … तेरी सासू माँ क्या बोली थी और तुम दोनों हंस पड़े थे?
दीदी ने कहा- उसने मुझे चाबी दी और जड़ी बूटी वाला पावडर हाथ में थमाकर कहा था कि इस बार दो चम्मच ज्यादा डालना … आज रात तुम्हारी असली सुहागरात है … पलंगतोड़ कबड्डी होनी चाहिये … मैं देखने आऊंगी. उसकी इस बात से हम दोनों एक दूसरे को हंस पड़े थे.
अब मेरी दीदी मेरी पत्नी है और मैं लकी पति हूँ. आज भी मैं हर शनिवार रविवार सुबह कैंटीन जाता हूँ और दूर से दीदी को देखता हूँ और दीदी भी शॉपिंग के बहाने आती है, झलक दिखाती है. ये हम दोनों एक दूसरे को याद रखने के लिए जरूर करते हैं.

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