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चचेरी बहन की चुदाई - Chacheri Behan Ki Chudayi

 


प्रिय दोस्तो, मैं नीरज (बदला हुआ नाम) हूँ. यह मेरी पहली कहानी है और बिलकुल सत्य है. लिखने में कोई गलती हो जाए तो माफ़ करना.
पहले मैं आप सब को अपने बारे में कुछ बता देता हूँ. मेरा लंड 6 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा है जो कि किसी भी लड़की या औरत को खुश कर सकता है।

ये कहानी मेरी और मेरी कज़िन बहन की है। वो बहुत सुन्दर है, दिखने में बहुत अच्छी लगती है। उसका बड़ा ही सेक्सी फिगर है जो 34-30-32 है। मैं उसको देखता हूँ तो मेरी आँखें मेरी बहन के बदन पर से हटती ही नहीं। मैं और मेरी बहन दोनों आपस में सब बातें शेयर करते हैं, चाहे वो कुछ भी हो। मैं जयपुर में पढ़ाई करता हूँ और यह बात तब की है जब मैं ग्रेजुएशन के तीसरे साल में था उस वक्त.
मेरी बहन ग्रेजुएशन के पहले साल में थी। मैं अपने घर कभी-कभी जाता था। मेरा और मेरी उस चचेरी बहन का घर थोड़ी दूरी पर ही था।

मैं घर जाता तो मेरे घर पर मन नहीं लगता था, तो मैं अपने घर से ज्यादा उसके घर पर ही रहता था। मैं उसको देखकर बहुत खुश हो जाता और मैं उसको अपनी बाँहों में भर लेता था।

एक दिन ऐसे ही जब मैं उसके घर पर गया तो मैंने उसको जाते ही हग कर लिया और उसको अपनी बांहों में कस कर भर लिया. उसकी चूचियां मेरे सीने पर लगीं तो मेरा लंड खड़ा हो गया जो शायद उसको भी फील हुआ. थोड़ी देर हम ऐसे ही खड़े रहे। फिर हम डर की वजह से जल्दी ही अलग हो गए।

उसके बाद मैं उसके साथ बैठ गया. हमने बैठ कर बहुत सारी बातें कीं जो इतने दिनों से नहीं हो पा रही थीं।

फिर एक दिन वो हमारे घर पर आयी थी और 5-7 दिन रुकी रही। एक दिन की बात है जब वो और मैं एक ही रूम में एक डबल बेड पर सो रहे थे और एक सिंगल बेड पर हमसे दूर मम्मी सो रही थी। रात को मेरी नींद खुल गयी तो मैंने उसकी तरफ देखा तो उसका मुँह मेरी ही तरफ था. मैंने उसको देखा तो सोते हुए बहुत अच्छी लग रही थी. मैं उसको देखता रहा। वो जैसे-जैसे साँस ले रही थी उसके चूचे ऊपर नीचे हो रहे थे जो मुझे अपनी ओर खींच रहे थे.
मेरी धड़कन तेजी से चलने लगी और मेरा गला सूख गया. मैंने थोड़ा सा पानी पीया, फिर मैं सोने की कोशिश करने लगा लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी और मेरी आँखो के सामने उसकी हिलती हुई चूचियां दिखने लगीं और मेरा मन जवाब दे गया. उसके बाद मैं उसके पास चला गया। मैं उसको गौर से देखने लग गया।

फिर मैंने अपना एक हाथ उसके पेट पर धीरे से रख दिया. मैं ऐसे एक्ट कर रहा था जैसे मैं सोया हूं, मैंने कुछ इस तरह का नाटक किया. मैंने बहुत देर तक तो कुछ नहीं किया फिर मुझे लगा कि बहन गहरी नींद में सो रही है तो मैं धीरे-धीरे अपने हाथ को ऊपर की तरफ ले गया और धीरे से उसकी बायीं चूची पर रख दिया और थोड़ी देर तक बिल्कुल हिलाया नहीं।

जब मुझे यकीन हो गया कि वो गहरी नींद में सो रही तो मैं धीरे-धीरे उसकी चूचियों को दबाने लग गया. फिर मैंने अपने होंठ उसके होंठ
पर रख दिए और चूसने लगा. सच कहूं तो मुझे ये सब करने में डर लग रहा था लेकिन मजा भी बहुत
आ रहा था. कभी उसके ऊपर वाले होंठ को तो कभी नीचे के होंठ को, कभी उसके कानों के पीछे चूम लेता तो कभी उसकी लड़ी को चूमता। अब उसकी सांसें तेज होने लग गई।
एक हाथ से मैं चूची को दबा रहा था और एक हाथ से उसके टॉप को मैंने ऊपर कर दिया और ब्रा के ऊपर से चूचों को दबाने लगा।

रात के अँधेरे में देख तो नहीं पा रहा था, बस महसूस कर रहा था।
फिर एक हाथ को पीछे ले जाकर उसकी ब्रा के हुक को खोल दिया और ब्रा को ऊपर करके दबाने लगा. उसके बूब्स बहुत ही सॉफ्ट थे जो मेरे एक हाथ में अच्छे से समा भी नहीं पा रहे थे. ऐसा लग रह था जैसे क़ि रुई को दबा रहा हूं। फिर एक हाथ को धीर-धीरे नीचे ले गया और लोअर के ऊपर से ही उसकी चूत पर रख दिया. इधर मेरा लंड लोअर में से फाड़ कर निकलने को हो रहा था. फिर मैं उसकी चूत को धीरे से दबाने लगा.
मुझे उसका लोअर गीला महसूस हुआ. फिर धीरे-धीरे मैं अपने हाथ को उसके लोअर के अंदर ले गया और उसकी पैंटी में उसकी चूत पर रख दिया जो कि बहुत गीली और फूली हुई लग रही थी।

पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत में उंगली करने लग गया और पैंटी की साइड से चूत में उंगली करने लगा जो कि बहुत ही ज्यादा कामरस से भीगी हुई थी. धीरे से मैंने एक उंगली उसकी चूत में डाल दी. फिर धीरे-धीरे उंगली अंदर बाहर करने लगा और एक हाथ से ऊपर उसके बूब्स दबा रहा था और दूसरे बूब्स को मुंह से चूस रहा था.

इस सब ने मुझे बहुत ही कामोत्तेजित कर दिया. फिर धीरे से मैंने अपना लंड लोअर से बाहर निकाल लिया जो कि बहुत ही दर्द कर रहा था. मैंने लंड को उसकी चूत के ऊपर पर रख दिया और धीरे-धीरे हिलने लगा.

थोड़ी देर तक मैं ऐसा ही करता रहा. थोड़ी देर में उसका शरीर अकड़ने लगा और वो झड़ गयी और उसने मुझे अपने से अलग कर दिया. उस रात मैं उसे चोद नहीं पाया और मैंने अपने लंड को हिला कर झाड़ लिया और मैं अपना लोअर पहन कर करवट बदलकर सो गया।
सुबह जब मैं जागा तब तक वो जाग चुकी थी, पर मैं उससे आँखें नहीं मिला पा रहा था, लेकिन वो पहले की तरह ही व्यवहार कर रही थी जैसे पहली रात को कुछ हुआ ही नहीं। फिर मैं फ्रेश होकर नाश्ते के लिए तैयार हो गया. हम दोनों ने साथ में नाश्ता किया.

उस दिन इससे ज्यादा कुछ नहीं हो पाया। फिर रात को हम दोनों उसी बेड पर सो गए. फिर इस रात भी मुझे नींद नहीं आई क्योंकि मुझे तो उसकी चूत को छेड़ने का चस्का लग चुका था. मैंने धीरे से बहन के पास लेटकर उसके पेट पर हाथ रख दिया और धीरे से टॉप को ऊपर करते हुए उसके चूचों पर जाकर रुक गया।

फिर धीरे-धीरे उसके चूचों को दबाने लगा, फिर मैंने उसकी टॉप को थोड़ा ऊपर कर दिया और हाथ को उसकी ब्रा के ऊपर रखकर दबाने लगा. फिर मैंने दूसरे हाथ से धीरे से उसकी ब्रा के हुक खोल दिए और उसके बूब्स को ब्रा से बाहर निकाल दिया. उनको हाथ में लेकर दबाने लगा. फिर धीरे से अपने मुँह को उसके बूब्स पर रखकर चूसने लगा और उसकी निप्पल को दांतों से काट देता था. वो थोड़ी सी हिली तो मैं थोडा रुक गया और फिर से चूसने लगा. उसके बाद मैंने दूसरे मम्मे को दबाना शुरू किया और तुरंत ही मैंने अपने होंठों को उसके होंठों पर रखकर बहन को चूमने लगा.

लेकिन उसने अपना मुँह नहीं खोला. मगर मैं कभी उसके ऊपर के होंठ को चूम रहा था तो कभी नीचे वाले होंठ को. फिर मैंने उसके कान के नीचे से आते हुए अपने होंठों से उस भाग को चूमने लगा. एक हाथ को नीचे ले जाकर उसकी चूत के ऊपर उसके लोअर के ऊपर रख दिया और दबाने लगा. उसके बाद मैंने फिर हाथ को उसकी पैंटी के अंदर घुसा दिया और उसकी चूत पर रख दिया जो कि गीली हो रही थी और बहुत ही गर्म थी जैसे भट्टी जल रही हो.
धीरे से मैं चूत को मसलने लगा. कभी उसकी चूत में उंगली कर देता और कभी मैं अपनी सुन्दर बहन के ऊपर के बूब्स को चूस रहा था.

फिर उसकी नाभि को चूसने लगा और उंगली को उसकी चूत में अंदर-बाहर करने लगा और मेरी इन हरकतों के कारण वह झड़ गयी और मेरे हाथ को अपनी टाँगों से भींच लिया। थोड़ी देर बाद मेरा हाथ उसने हटा दिया और करवट बदल कर सो गयी. आज भी मैंने अपने लंड की मुट्ठ मारनी पड़ी और सो गया। फिर जब तक 2-3 दिन वह घर पर रही तो यही सब चलता रहा पर इससे आगे कुछ नहीं हो पाया.

दो-तीन दिन ऐसा कोई मौका नहीं मिला कि मैं कुछ और इससे आगे भी कर सकूँ. मैं रोज उसके घर जाता और हम बात करते लेकिन कोई भी मौका नहीं मिला। फिर एक दिन चाचा-चाची कहीं शादी में गए थे और दूसरे दिन आने वाले थे और मुझे घर सोने के लिए बोल दिया. मैं मन ही मन खुश होने लगा कि आज तो बहन की चुदाई करने को मिलेगी और मेरी बहन शादी में नहीं गयी. उसने अपने मम्मी पापा से ये कह कर मना कर दिया उसके एग्जाम हैं। मैं चाचा-चाची को बस स्टॉप तक छोड़ आया और उसके घर आकर बैठ गया.

मैं वहीं घर में बैठकर टीवी देखने लग गया. वो भी मेरे पास आकर बैठ गई. हम टीवी देखने लग गए. मैं रिमोट से चैनल बदल कर मूवी देखने लगा. बहुत ही अच्छी मूवी आ रही थी. हम देखने लगे. फिर उसमें एक किस सीन आ रहा था. उसने देखा और शरमाकर अपनी नजरें नीचे कर लीं और वह वहाँ से चली गयी और रसोई में खाना बनाने लग गयी.

हमने दोनों ने ही साथ में खाना खाया और खाना खाकर फिर से टीवी देखने लग गए. 10 बजे उसने मुझसे बोला कि उसे नींद आ रही है और वह कमरे में सोने जा रही है. उसने मुझसे कह दिया कि जब सोना हो तो कमरे में आकर ही सो जाना. मेरी बहन ये बोलकर कमरे में चली गयी।

अब मेरा टीवी देखने में मन नहीं लग रहा था. उसके जाने के बाद से ही मेरे मन में एक बेचैनी सी होने लगी थी. घर में हम दोनों के अलावा कोई भी नहीं था. इससे पहले मैं उसके बदन के साथ खेल भी चुका था. मगर आज तो मेरे पास मौका भी अच्छा था और मुझे किसी का डर भी नहीं था. मेरे मन में बार-बार उसकी चूत को देखने के ही ख्याल आए जा रहे थे. बार-बार उसके जिस्म को भोगने का प्लान बनाने लगा.

इसलिए थोड़ी देर बाद मैं टीवी बंद करके अन्दर चला गया. जब तक वो सो गई थी. मैंने सोने के लिए जगह देखने के लिए मोबाइल की लाइट जलाई कि मुझे किधर सोना है. मैंने देखा कि वो बेड पर एक साइड सो रही थी. वो सोती हुई बहुत अच्छी लग रही थी। उसने महरून कलर का गाउन पहन रखा था. वो नीचे घुटनों तक आ गया था. उसकी चिकनी टांगें मुझे साफ दिखाई दे रही थी। उसको देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया। मुझे डर लग रहा था कि कहीं बहन जाग न जाये और मैं अपनी जगह पर आकर सो गया.

मैं बेड पर लेटा हुआ था लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी और सोचने लगा कि कैसे शुरुआत की जाए. फिर मैं उसके बिल्कुल बगल में आकर लेट गया. थोड़ी देर तक ऐसे ही लेटा रहा, वो बिल्कुल सीधे सो रही थी।


मैं बेड पर लेटा हुआ था लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी और सोचने लगा कि कैसे शुरुआत की जाए. फिर मैं उसके बिल्कुल बगल में आकर लेट गया. थोड़ी देर तक ऐसे ही लेटा रहा, वो बिल्कुल सीधे सो रही थी।< फिर मैंने अपना एक हाथ धीरे से उसके बूब्स पर रख दिया जैसे अनजाने में रखा हो लेकिन उसने मेरा हाथ नहीं हटाया. फिर मैं धीरे से बूब्स दबाने लगा. मुझे दबाने में बहुत मजा आ रहा था। फिर मैंने धीरे से उसके गाउन के बटन खोल दिए और ब्रा के ऊपर से ही बूब्स दबाने लगा। फिर ब्रा (जो कि रेड कलर की थी) को ऊपर करके बूब्स को बाहर निकाला और दबाने लगा। उसके निप्पल को धीरे से घुमाने लगा। फिर एक को मुँह में ले कर चूसने लगा और दूसरे को हाथ से छेड़ने लगा. फिर मैं उसके होंठों को चूमने लगा। कभी ऊपर वाले होंठ को चूम रहा था तो कभी नीचे वाले होंठ को चूम रहा था. 10 मिनट तक मैंने उसके होंठों को चूसा और उसके बाद मैंने कान के पीछे से चूमा. कभी दायें कभी बायें बूब्स को भी साथ में दबा रहा था। फिर एक हाथ को नीचे ले गया और गाउन को धीरे से कमर तक ले आया और उसकी चूत के ऊपर से पैंटी पर हाथ रख दिया जो कि बहुत ही गीली हो रही थी। फिर मैं धीरे से पैंटी के ऊपर से दबाने लगा और कभी चूत में उंगली कर देता था. एक चूचे को मुंह से चूस रहा था। कुछ देर के बाद मैंने पेंटी के अंदर अपना हाथ ले जाकर चूत पर रख दिया जो बहुत ही गीली और गर्म हो चुकी थी। मैं धीरे-धीरे उसकी गर्म चूत पर हाथ फेरने लगा। मैं कभी चूत में उंगली कर देता तो कभी उसके चूचे को दबा देता था. मेरी उंगली पूरी गीली हो गयी। फिर मैंने एक हाथ से अपनी लोअर में से लंड को बाहर निकाला जो कि बहुत ही कड़क हो रहा था। लंड को उसकी चूत के ऊपर फेरने लगा। धीरे से मुँह को उसके कान पर ले जाकर धीरे से बोला- मुझे पता है तू जग रही है और चुदना भी है, फिर क्यों ना आँखें खोलकर एन्जॉय लिया जाए? फिर उसने धीरे से आँखें खोल दीं। यह देखकर मैं उसके कानों की लड़ी को चूमने लगा तो उसको एकदम से करन्ट सा लगा. थोड़ी देर तक ऐसे ही चूमता रहा. फिर उसके उसके होंठों पर होंठ रखकर चूमने लगा। इस बार उसने भी मेरा पूरा साथ दिया और मैं उसके ऊपर चढ़ गया. उसकी चूची मेरे सीने पर लग रही थी और उसकी चूत पर लंड टच हो रहा जो पूरा खड़ा था। मेरी बहन भी कभी ऊपर, कभी नीचे वाले होंठ को चूम रही थी और हम एक दूसरे की जीभ को अंदर-बाहर कर रहे थे। मैं एक साइड में लेट गया और अपना एक हाथ उसकी चूची पर रख दिया और दबाने लगा. मैं उसकी चूची को चूसने लगा तो वो सिसकारियां लेने लगी और गरम हो गयी. आह ... अहा ... उह्ह्ह ... करने लगी. अब मैंने उसका गाउन उसकी सहायता से उतार दिया और ब्रा के ऊपर से ही चूचियों को दबाने लगा और एक चूची को चूसने लगा और वो मेरे बालों में प्यार से हाथ फेरने लगी. फिर मैंने एक हाथ नीचे ले जाकर ब्रा का हुक खोल दिया. एकदम से बूब्स उछल गए और मैंने बहन की ब्रा को उतार कर फेंक दिया। उसके बूब्स मुँह में ले कर चूसने लगा और दबाने लगा और कभी निप्पल को काट भी देता और वो जोर से उम्म्ह… अहह… हय… याह… करने लगी और कहने लगी- भाई धीरे करो ना, दर्द होता है। उसके बाद मैं धीरे से उसकी नाभि में जीभ को फिराने लगा और चूसने लगा तो वो तड़पने लगी और अपनी आँखें बंद करके मजे लेने लगी और जोर से सिसकारियां लेने लगी. आह ... आह... ऊऊह्ह्ह ... ऊऊम्मम्म ... और मैं जोर से उसके बूब्स दबाने लगा और नाभि को चूसने लगा. वो मेरे सिर पर और पीठ पर हाथ फेर रही थी। वह बोली- भैया, कुछ करो ना, अब मुझसे भी रहा नहीं जा रहा है. फिर मैंने धीरे-धीरे चूमते हुए उसकी चूत के ऊपर से पैंटी के ऊपर अपना मुँह रख दिया वो एकदम से सिहर गयी. उसकी चूत जो कि कामरस से भीगी हुई थी, जिसकी खुशबू मेरी नाक में आ रही थी। उस खुशबू ने मुझे बहुत ही उतेजित कर दिया और मैं जोर से चाटने लगा और वह भी उत्तेजित हो गयी और अपनी चूत में मेरा सिर छुपा लिया और अपना हाथ मेरे सिर पर रख दिया. मैं उसकी पेंटी को चूसने लगा जो कि पहले से ही गीली थी। वो उम्म्म्म ... ऊऊऊम्मम ... करने लगी. उसको मुंह से इस तरह की कामुक सिसकारियाँ सुनकर मेरे अंदर भी जोश बढ़ता ही जा रहा था. फिर मैंने एकदम से उसकी पेंटी टाँगों से अलग कर दी और उसने एकदम से अपने दोनों हाथ चूत पर रख दिए और शरमाने लगी। मैंने उसके हाथों को हटा दिया तो उसने अपने मुंह को छुपा लिया और मैं चूत को देखने लगा जिस पर थोड़े-थोड़े बाल थे। मैं उसे एकटक देखने लगा जो कि मेरे सामने बिल्कुल नंगी पड़ी हुई थी। सच कहूँ तो मैंने कोई भी लड़की पहली बार बिल्कुल नंगी देखी थी। बहन की चूत बिल्कुल छोटी सी मुनिया (बच्ची) सी लग रही थी, अनछुई सी थी. किसी ने उसे अब तक छुआ भी नहीं था। अपनी बहन की चूत को मैं अपने हाथ से खोलकर देख रहा था. मैं तो तो उसे जी भर कर देखना चाहता था. पहली बार जो देखी थी मैंने अपनी बहन की चूत। फिर मैं धीरे से क्लिटोरिस को उंगली से छेड़ने लगा तो उसने मेरे हाथ को पकड़ लिया. मैं धीरे से उंगली अन्दर बाहर करने लगा तो उसे मजा आने लगा. मेरी बहन फिर से ओह्ह्ह्ह्ह ... उम्म्म्म्म्म ... आह्ह्ह्ह ... करने लगी. उसकी सिसकारियाँ अब पहले से ज्यादा तेज हो गई थीं. फिर मैंने उसकी चूत को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया. उसके बाद मैंने जीभ के आगे वाले भाग को नुकीला बनाकर उसकी चूत के अंदर घुसेड़ दिया ताकि मेरी गर्म जीभ उसकी गर्म चूत के अंदर तक जा सके. उसकी चूत चाटते हुए जो कामरस बाहर निकल रहा था उसका स्वाद मेरे मुंह में आना शुरू हो गया था. पहली बार मुझे इतना स्वादिष्ट पदार्थ चखने को मिला था. मैं उसकी चूत से निकल रहे कामरस को चखकर अलग ही मस्ती में खोने लगा था. मैं उसकी चूत को अब बिल्कुल अपने मुंह से खा जाना चाहता था. मेरी चचेरी बहन की चूत चाटते हुए जो कामरस बाहर निकल रहा था उसका स्वाद मेरे मुंह में आना शुरू हो गया था. पहली बार मुझे इतना स्वादिष्ट पदार्थ चखने को मिला था. मैं उसकी चूत से निकल रहे कामरस को चखकर अलग ही मस्ती में खोने लगा था. मैं उसकी चूत को अब बिल्कुल अपने मुंह से खा जाना चाहता था. वो अपने हाथ से मेरे सिर को पकड़ कर जोर से दबा रही थी और मेरी खूबसूरत बहन ने मेरे मुंह को जोर से अपनी टांगों में भींच लिया और झड़ गयी। मैंने उसके रस को चाट कर साफ कर दिया और मैं दोनों हाथों से दोनों बूब्स को दबा रहा था और निप्पल को चूंटी से काट रहा था. जब मैं ऐसा करता तो वो एक दम सिसकारी भरने लग जाती थी. फिर वो कहने लगी- प्लीज कुछ करो ना ... मुझे तो पूरी नंगी कर दिया और खुद के कपड़े उतारे भी नहीं? मैंने कहा- खुद ही उतार लो, किसने रोका है? फिर उसने मेरी टी-शर्ट और बनियान को एक साथ उतार कर फेंक दिया और मेरे निप्पल को चूसने लगी और काटने लगी. मुझे इतना मजा आ रहा था क़ि बता नहीं सकता। फिर धीरे-धीरे, चूमते-चूमते नीचे घुटनों के बल बैठ कर उसने मेरे लोअर के ऊपर से ही लंड को पकड़ लिया और मैं एकदम से चिहुँक गया. किसी लड़की ने पहली बार मेरे लंड को हाथ में पकड़ा था और वह लोअर के ऊपर से ही लंड को ऊपर नीचे करने लगी। मैं आह ... ऊऊह्ह्ह्ह ... करते हुए सिसकारी लेने लगा. थोड़ी देर में मेरी बहन ने मेरा लोअर को भी उतार दिया और चड्डी में से लंड को देखकर चौंक गई. उसके मुंह से निकल गया- हाय राम, कितना बड़ा है ये! मेरा लंड पूरा का पूरा तना हुआ था जो कि चड्डी में से बाहर आने को आतुर था. फिर उसने एकदम से चड्डी को उतार दिया और लंड जाकर उसके मुँह पर लगा तो उसने अपना मुँह हटा लिया और देखने लगी. मेरा लंड उत्तेजना के कारण ऊपर नीचे हो रहा था। फिर मैंने उसका हाथ पकड़ कर लंड पर रख दिया और धीरे से आगे पीछे करने लगा और लंड अपनी फुल साइज़ में खड़ा था और दर्द कर रहा था. उसके बाद फिर वो खुद मेरे लंड को आगे पीछे करने लगी और चमड़ी को खींचकर पीछे कर दिया। मुझे इसमें बहुत मजा आ रहा था क्योंकि कोई लड़की पहली बार मेरी मुट्ठ मार रही थी। मैं आँखे बंद कर के उस जन्नत में था जिसका आनंद मैं यहां पर बता नहीं सकता हूँ। फिर मैंने उसे लंड चूसने को कहा तो वो मना करने लगी. कई बार कहने पर नहीं मानी तो मैंने कहा कि एक बार मुँह में लेकर देखो अगर अच्छा नहीं लगे तो मत लेना. बहन ने फिर डरते हुए लंड के ऊपर मुँह रखा और होंठों से किस करने लगी. फिर मैंने कहा- आह्ह् ... चूसो अब इसको ... तो वो लंड के सुपा़ड़े को मुँह में लेकर चूसने लगी और धीरे-धीरे जितना लंड अंदर जा सका चूसने लगी. मैं तो जन्नत के मजे ले रहा था। फिर मैंने उसका सिर पकड़कर लंड को उसके मुँह में आगे पीछे करना शुरू कर दिया. मुझे लगा कि मेरी प्यारी बहन का दम घुटने ही वाला है. लंड उसके गले तक जा रहा था जिससे उसे सांस लेने में दिक्कत आ रही थी। उसके बाद फिर मैं जोर जोर से लंड को अंदर और बाहर करने लगा. कुछ ही देर में मैं झड़ने वाला था तो मैं उसके मुँह में ही झड़ गया और थोड़ी देर तक मैंने लंड को मुंह में ही रहने दिया और उसने मुझे जोर से धक्का देकर हटा दिया और थोड़ा वीर्य पी गयी मेरी प्यारी बहन. उसने बाकी के वीर्य को थूक दिया और एकदम से बाथरूम में भाग गयी और मुँह को धो कर आ गयी और बेड पर बैठ गयी। मैं भी उसके बगल में जाकर बैठ गया.


मैं उसके मुँह में ही झड़ गया और थोड़ी देर तक मैंने लंड को मुंह में ही रहने दिया और उसने मुझे जोर से धक्का देकर हटा दिया और थोड़ा वीर्य पी गयी मेरी प्यारी बहन. उसने बाकी के वीर्य को थूक दिया और एकदम से बाथरूम में भाग गयी और मुँह को धो कर आ गयी और बेड पर बैठ गयी। मैं भी उसके बगल में जाकर बैठ गया और होंठों पर किस करने लगा और दोनों हाथों से बूब्स दबाने लगा जिससे वो फिर से गर्म होने लगी और सिसकारी भरने लगी। उसके होंठों की चुसाई करने के कारण मेरे अंदर भी गर्मी आना शुरू हो गई और मेरा लंड भी खड़ा हो गया।

फिर मैंने उसको पीठ के बल लेटा दिया। उसके बाद मैं उसकी कमर के ऊपर बैठ गया और दोनों बूब्स के बीच में लंड को डालकर चोदने लगा। उसने अपने बूब्स को टाइट पकड़ लिया और मेरे धक्कों के कारण मेरा लंड उसके होंठों पर भी लगने लगा और इस तरह वो लंड को अपने होंठों से बीच बीच में चूम लेती. इस सब में बहुत मजा आ रहा था. फिर हम 69 पोजीशन में आ गए।

मैं नीचे और वो मेरे ऊपर थी। मैं उसकी चूत को चाट रहा था और वह मेरे लंड को जोर जोर से चूस रही। थोड़ी देर तक हम ऐसे ही करते रहे. उसके बाद हम एक दूसरे के मुँह में झड़ गए और थोड़ी देर तक ऐसे ही पड़े रहे। फिर मैंने उसको नीचे लिटा दिया और उसकी चूत को जीभ से चाटने लगा और एक उंगली को अंदर करने लगा. मेरी बहन ने मेरे मुँह को अपनी टांगों में फंसा लिया और एक हाथ से मुंह को जोर से दबाने लगी. मैंने भी अपनी जीभ को उसकी चूत में अंदर कर दिया और उसको जोर से चूसने लगा और बूब्स को भी साथ में ही दबाने लगा.

वो कहने लगी- अब मुझसे बिल्कुल भी रुका नहीं जा रहा है भाई. तुम कुछ करते क्यों नहीं. मुझे कुछ हो रहा है.
मैंने कहा- क्या हो रहा है?
तो वो बोली- पता नहीं लेकिन तुम कुछ तो करो प्लीज।
मैंने कहा- क्या करूँ?
उसने कहा- अब डाल दो ना प्लीज …
मैंने कहा- क्या डाल दूँ?
उसने कहा- मेरी चूत में तुम्हारा लंड डाल दो, वरना मैं मर जाऊंगी। अब मुझसे सहन नहीं हो रहा. आज इसमें घुसा दो अपना लंड और फाड़ दो।
मैंने कहा- एक बार दर्द होगा वो सहन करना होगा। फिर मजे ही मजे हैं।
उसने कहा- हाँ मेरे भाई, मैं तुम्हारे लिए कुछ भी सहन करने को तैयार हूँ। रोज सहन करने की बजाय एक ही दिन सहन करना सही है। अब डाल दो प्लीज! मैं चाहे कितनी भी रोऊं और कितनी भी हटाने की कोशिश करूं पर तुम हटना मत।

फिर मैं उसको जोर से चूसने लगा और बूब्स को भी दबा रहा था। जिससे मेरी बहन बहुत ज्यादा गरम हो गयी थी. फिर मैंने सोचा कि अब लोहा गर्म है, लंड घुसा दिया जाए। फिर मुंह को हटाया और अपने लंड को उसके मुँह में डाल दिया. थोड़ी देर चुसवाकर मैंने अपने लंड को वापस बाहर निकाल लिया। अब देर ना करते हुए लंड को चूत पर रगड़ने
लगा तो वो बार बार चूत में डालने के लिए बोलने लगी. मुझसे मिन्नतें करने लगी. मैं उसे थोड़ा और तड़पाना चाहता था. मैं थोड़ी देर तक लंड को रगड़ता रहा. कुछ देर बाद जब उसकी हालत खराब होने लगी तो मुझे लगा कि अब डालना सही है।

हालात देखकर मैंने उसकी कमर के नीचे एक तकिया लगा दिया। जिससे उसकी चूत थोड़ी ऊपर की ओर हो गयी और साफ दिखने लगी। मैंने उसकी कमर को ऐसे अपने हाथों से पकड़ लिया क़ि बिल्कुल हिले नहीं।
उसके बाद मैंने उसकी चूत पर लंड को सेट किया और एक धक्का मारा तो वह एकदम से ऊपर हुई और लंड फिसल गया। फिर उसने अपने हाथ से लंड को पकड़कर चूत पर रखा और अब डालने का इशारा किया। मैंने
एकदम से जोर लगाया तो लंड का सुपाड़ा अंदर चला गया और वो चिल्लाई- उई माँ … माँ … मर गयी उम्म्ह… अहह… हय… याह…

मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर पहले से ही रख दिए। मुझे पहले ही पता था क़ि ये चिल्लायेगी। उसकी आँखों में आंसू आने लग गए और मुझे धक्का देकर हटाने की कोशिश करने लगी। मगर मैंने पहले से ही कमर को जोर से पकड़ रखा था जिससे वो हिल भी नहीं सकी, कहने लगी- निकालो इसे, मुझे नहीं करवाना. मैं दर्द के मारे मरी जा रही हूँ।

अब मैंने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया और मैंने लंड को निकाला नहीं । अगर मैं लंड को उस वक्त निकाल लेता तो वो कभी भी नहीं चुदवाती।
फिर मैं थोड़ी देर तक ऐसे ही लंड को डाले ही पड़ा रहा और अपने होंठों से उसके होंठों को चूसने लगा और बूब्स को दबाने लगा। जिससे वो थोड़ी शांत हुई और सिर पर हाथ फेरने लगी। फिर मुझे लगा क़ि अब दर्द कम है तो मैंने एक और धक्का दे दिया और तीन-चौथाई लंड अंदर चला गया और सील टूट गयी. वो एक दम से मुझे धक्का देने लगी लेकिन मैंने उसे पकड़ रखा तो वह हिल नहीं पाई और चिल्ल्लाई- ओ … ओ … माँ … मर गयी।

वह रोने लगी। आंसूं आने लगे उसकी आंखों में.
मैंने कहा- तुमने ही तो बोला था कि कितना भी चिल्लाने पर अपने लंड को बाहर नहीं निकालना. बस थोड़ा सा दर्द तो बर्दाश्त करना पड़ेगा. उसने मेरी बात समझते हुए मेरी पीठ पर नाख़ून गड़ा दिए।

मेरे लंड का धागा टूट जाने के कारण लंड में जलन हो रही थी तो मैं ऐसे ही उसके ऊपर पड़ा रहा। उसके होंठों को चूम रहा था और उसके आंसुओं को जीभ से साफ कर रहा था और साथ में बूब्स को दबाने लगा। जब उसका दर्द कम हुआ तो वो नीचे से कूल्हे हिलाने लगी। अब उसका दर्द कम हो गया और उसको मजा आने लगा तो मैं भी लंड को अंदर तक डालने लगा. मैंने देखा कि लंड पर खून लगा हुआ है और उसकी चूत में से भी खून निकल रहा था। लेकिन उसे पता नहीं चला।

मेरी बहन अब मेरे लंड की चुदाई का मजा लेने लगी थी और उसके मुंह से सिसकारी निकल रही थी. अब उसका दर्द मजे में बदल गया तो मैंने सही समय समझ कर एक जोर का धक्का दे दिया और पूरा लंड अंदर घुस गया। फिर मैं अपनी बहन के बूब्स को चूसने लगा और दांतों से निप्पल को काट रहा था। उसे भी मजा आने लगा और मेरे बालों में हाथ फेरने लगी।

उसने दोनों टांगों से मेरी कमर को जकड़ लिया और धीरे से कूल्हों को हिलाने लगी. अब उसकी आँखों में चमक और होंठों पर स्माइल थी। फिर मैं उसे धीरे-धीरे चोदने लगा और फिर मैंने उसकी टाँगों को अपने कंधे पर रखकर लंड को पूरा बाहर निकाला और जोर से एक ही बार में पूरा लंड चूत में डाल दिया. उसके बाद मैं धीरे-धीरे लंड को अंदर बाहर करने लगा.

मैं उसके एक मम्मे को दबा रहा था और एक को चूस रहा था। वो मेरे सिर पर अपना हाथ घुमाने लगी और एक हाथ पीठ पर फिराने लगी।
थोड़ी देर बाद वो मेरे ऊपर आ गयी और मेरे लंड को चूसने लगी. फिर मेरे ऊपर बैठ कर मेरे लंड को अपनी चूत पर सेट करके एकदम से बैठ गयी और चूत में पूरा लंड घुस गया और जोर जोर से कूदने लगी. इस सब में मुझे बहुत ही मजा आ रहा था।

थोड़ी देर में वो थक कर परेशान हो गयी और नीचे उतर गयी तो मैंने उसको लेटा दिया और फिर से लेटा कर चोदने लगा। अब वो मेरा पूरा साथ दे रही थी। वो अब झड़ने वाली थी और कहने लगी- जानू जोर से चोदो …
अपनी प्यारी बहन को मैं और जोर से चोदने लगा. 5-7 धक्कों में वो झड़ने लगी और मेरी पीठ पर नाख़ून गड़ा दिए और वो झड़ गयी. मेरे लंड पर उसका गरम वीर्य महसूस हुआ. अब उसके वीर्य की वजह से लंड आराम से अंदर बाहर हो रहा था। फच्च … फच्च … की आवाज आ रही थी जो मुझे ज्यादा उत्तेजित कर रही थी। कभी उसके मम्मों को चूस लेता तो कभी दबा देता. कभी उसको होंठों को चूस रहा था. अब वह फिर से गर्म हो गयी और मजे से नीचे से कूल्हों को हिलाने लगी.

अब मैं झड़ने के करीब था तो मैंने पूछा- कहाँ निकालूं?
उसने अंदर ही निकालने को कहा और बोली कि मैं तुम्हारा वीर्य अंदर ही महसूस करना चाहती हूँ।
मैं जोर से धक्के देने लगा. 10-12 धक्के देने के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ने लगा और वीर्य से उसकी चूत भर दी. वह भी साथ में झड़ने लगी. उसकी चूत मेरे लंड को जकड़ने लगी. मेरे लंड को ऐसा महसूस हुआ कि जैसे किसी ने जोर से पकड़ लिया हो.

मैं लंड को उसकी चूत में डाले ही उसके ऊपर लेट गया और उसको चूमने लगा और लंड सिकुड़ कर धीरे धीरे बाहर निकलने लगा और साथ में चूत में से खून मिक्स वीर्य भी निकलने लगा। अब मैं उसकी बगल में लेट गया और होंठों को चूमता रहा. उसकी आँखों में ख़ुशी की अलग ही चमक थी।

मैंने उससे पूछा कि कैसा लगा, तो उसने कुछ नहीं कहा और स्माइल करके मेरी बाँहों में अपना सिर रखकर अपने दोनों हाथों से मेरे बदन से लिपट गयी। फिर वो बाथरूम जाने के लिए उठी तो चादर पर खून देख कर और चूत पर लगे हुए खून को देखकर रोने लगी। चूत सूज गयी थी उसकी।

वह बोली- तुमने तो मेरी चूत फाड़ दी।
फिर मैंने उसे अपनी बाँहों में लेकर समझाया क़ि पहली बार में सबको ही खून निकलता है और अब दोबारा नहीं निकलेगा।
मेरे समझाने के बाद वह थोड़ी नॉर्मल हो गई।

वो बाथरूम के लिए जैसे ही खड़ी हुई तो उसे दर्द हुआ और लड़खड़ाकर बेड के ऊपर ही गिर गयी. फिर मैंने बहन को अपनी गोद में उठा लिया, अपनी बांहों में उठाकर मैं उसको बाथरूम में ले गया और उसको कमोड पर बैठाया. मैं वहीं खड़ा रहा तो वो शर्म की वजह से पेशाब भी नहीं कर पा रही थी।

मैंने उससे कहा- अब मुझसे क्या शर्मा रही हो. कर लो, मैं नहीं देख रहा.

उसने अपने मुंह पर हाथ रखा और पेशाब करने लगी. फिर मैंने भी उसके सामने ही पेशाब कर दिया। फिर हमने एक दूसरे को पानी से साफ किया और नहलाया. साफ करते-करते मैं उसकी चूत में उंगली भी डाल रहा था जिससे वो फिर से गर्म हो गयी और मेरा लंड वहीं अपने मुंह में लेकर चूसने लगी. मैंने एक बार फिर से अपना वीर्य उसके मुंह में छोड़ दिया जिसको वह पूरा का पूरा पी गयी.

फिर उसको गोद में लाकर मैंने बेड पर लिटा दिया। उसके होंठों को चूमने लगा. कुछ ही देर में वह फिर से गर्म हो गई और हमने एक बार फिर से चुदाई कर डाली. उसके बाद हम नंगे ही एक दूसरे की बाँहों में सो गये।

उसके बाद तो जब भी मौका मिलता हम अपनी चुदाई चालू कर देते थे। 

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