नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम सम्राट है. समय बर्बाद न करते हुए मैं आता हूँ अपनी कहानी पर।
वो कहते हैं न कि प्यार कहीं भी किसी से भी हो जाता है वैसे ही मुझे भी प्यार हो गया था. मगर जिससे प्यार हुआ वह रिश्ते में मेरी बहन लगती थी. मैं अपने मामा की लड़की को पसंद करने लगा था. यह सिलसिला शुरू हुआ 2009 में. वो हुआ यूँ कि हम और मेरे मामा एक ही शहर में रहते हैं जयपुर में. मेरे मामा के घर में 3 लोग हैं. मेरे मामा, मामी और मेरी जान … कोमल!
कोमल की उम्र 19 साल थी और मेरी उम्र 24 साल.
मैं अक्सर मामी के घर जाया करता था. और सभी मुझे बहुत प्यार भी करते थे. मेरे मन में कभी कोमल के लिए ग़लत ख्याल नहीं आये. अक्सर वो मेरे साथ मेरे घर या किसी भी काम से मेरी गाड़ी पर जाया करती थी. हमारे बीच भाई-बहन जैसा ज्यादा कुछ रह नहीं गया था. मैं उससे अपनी हर बात शेयर कर लिया करता था और वह भी मुझ पर पूरा भरोसा करती थी.
कोमल और मैं आपस में खूब मस्ती करते थे. साथ में बाहर मार्केट में चाट वगैरह खाने निकल जाया करते थे. मैं उससे अपनी पसंद के बारे में बता दिया करता था कि मुझे किस तरह की लड़कियाँ पसंद हैं और वह भी मुझसे कुछ इस तरह की बातें अक्सर किया करती थी. इस तरह हम दोनों भाई-बहन आपस में बहुत खुल गए थे.
एक दोस्ती सी हो गयी थी हमारी. हम रात में भी बातें करने लगे थे. लेकिन इस सब के चलते अनजाने में ही मुझे कोमल से मोहब्बत होने लगी.
यह सब कब और कैसे हो गया मुझे पता नहीं चला. मगर जब पता चला तो तब तक बात मेरे हाथ से निकल चुकी थी. मैं कोमल को पसंद करने लगा था. अब समाज की नज़रों में तो हम दोनों भाई-बहन थे इसलिए मेरे सामने बड़ी मुसीबत आकर खड़ी हो गई थी.मैं धर्म संकट में था कि क्या ये सही होगा.
अगर मैं कोमल को अपने दिल की बात बता दूँ तो क्या यह सही है. और अगर मैं किसी तरह उसको यह बात बता दूँ तो क्या वह भी मुझे अपनाएगी. मैं सोच रहा था कि किसी तरह अगर मैंने कोमल से बात कर भी ली तो क्या उसके बाद हमारा वो रिश्ता किस कैटेगरी में आएगा.
घर वालों को तो इस बात की भनक भी नहीं लगने देना चाहता था मैं.
मैं अंदर ही अंदर इन सब बातों को सोचता रहता था. जब बार-बार आपको कोई बात परेशान करने लगे और आपको उसका कुछ समाधान न मिले तो फिर वह बात आपके अंदर घर कर जाती है. हम कितना भी छिपाने की कोशिश करें लेकिन किसी न किसी को आपके मन की हालत का पता लग ही जाता है. मेरी भी हालत कुछ ऐसी ही थी.
हर वक्त मैं इसी बात को लेकर परेशान रहने लगा था कि आखिर इस समस्या का इलाज हो तो हो कैसे. लेकिन बहुत सोचने के बाद भी मुझे कोई रास्ता नज़र नहीं आ रहा था और मैं अपसेट सा रहने लगा.
कई बार सोचा कह दूँ; लेकिन एक बार कोमल ने ही पूछ लिया उसने कहा- भैया, आजकल आप अपसेट से लग रहे हो, क्या हुआ?
मैं- बस यूँ ही मन नहीं लगता आजकल.
उसने मुझसे मज़ाकिया लहज़े में पूछा- कहीं किसी से प्यार तो नहीं हो गया आपको?
और यह सुन कर मेरा दिल की धड़कनें बढ़ गयी. जिस लड़की को मैं पसंद करता हूँ वह खुद मुझसे पूछ रही है कि मुझे कहीं प्यार तो नहीं हो गया. अब क्या जवाब दूँ उसको मुझे समझ नहीं आ रहा था.
कोमल मेरे सामने ही खड़ी मुस्करा रही थी. मैं उसको बस देखे जा रहा था जैसे उसको आँखों ही आँखों में सब कुछ समझाने की कोशिश कर रहा था. लेकिन जो प्यार मेरी तरफ से था क्या वो प्यार कोमल भी महसूस कर पा रही थी. या फिर वह मुझे बस भाई की नज़र से ही देख रही थी.
मुझे कुछ पता नहीं था. फिर भी मैंने हिम्मत की और मजबूत दिल कर लिया. इस घुटन से ज्यादा अच्छा है मैं अपने दिल की बात कोमल को बता ही दूँ।
मैंने मन ही मन सोच लिया और कह दिया- हाँ प्यार तो हो गया है.
उसने कहा- यह तो ख़ुशी की बात है, नाम बताओ कौन है, मैं बात करती हूँ उससे. आपको कोई कैसे ना कर सकता है?
मैंने कहा- ये नहीं हो सकता. वो मना कर देगी तो हमारी दोस्ती भी टूट जाएगी.
मैंने कोमल के सामने बात तो छेड़ दी थी मगर फिर वह भी मेरे पीछे ही पड़ गई थी क्योंकि हम दोनों में बहुत अच्छी बनती थी. अब मैं यहां पर यह सोचने में लगा हुआ था इसको आगे क्या बताऊं। एक तरफ तो मन कर रहा था कि बोल दूँ मगर साथ ही हिम्मत भी नहीं जुटा पा रहा था.
लेकिन वो ज़िद पर अड़ गयी और दावा करने लगी कि वो हाँ ही कहेगी और आपसे बात बंद नहीं करेगी. अब नाम बताओ फटाफट.
बस डरते हुए मैंने उसे नाम बताया और कहा- उसका नाम कोमल है.
उसके चेहरे के भाव बदल गए थे फिर उसने कहा- उसका नाम भी कोमल है.
मैंने कहा- हाँ!
उसने कहा-मिलवाओ जल्दी. अब बात करवाओ मेरी उससे.
मैंने उसे आईने के सामने खड़ा कर दिया और कहा- मिल लो … ये ही है.
वो इस बात पर नाराज़ हुई और रोने भी लगी. मैं डर सा गया लेकिन उसे यकीन नहीं हो रहा था तो मैंने उससे माफ़ी भी मांगी.
लेकिन अब उसने मुझे साफ़ मना कर दिया और बात करने से मना कर दिया और मैं चुपचाप आ गया.
4-5 दिन मैंने कुछ नहीं खाया और उदास ही रहा लेकिन एक हफ्ते बाद ही उसका मेसेज आया जिसमें उसने लिखा था- आपने मुझे जो भी कहा वो बुरा लगा बहुत, लेकिन कुछ दिन आपसे बात नहीं करके मुझे भी लग रहा है कि मुझे भी आपसे प्यार हो गया है. लेकिन हम रिश्ते में भाई-बहन लगते हैं इसलिए हम सिर्फ दोस्त रहेंगे. उससे आगे कुछ नहीं.
मैं बहुत खुश हुआ और अगले ही दिन सुबह उसके घर गया. मामा ऑफिस जा चुके थे और मामी भी किसी काम से बाहर जा रही थी जो 2-3 घंटे बाद ही आने वाली थी. मुझे कोमल के साथ रहने के लिए बोलकर चली गयी मामी.
अब मैं और कोमल घर में अकेले थे. हम दोनों को समझ नहीं आ रहा था कि अब इस नए रिश्ते में क्या बात करें! फिर वो चाय बनाने लगी मैं भी उसके पास गया और थैंक्स बोला बात करने के लिए.
उसने उस दिन टाइट सूट पहना था और बाल खुले थे. उस ब्लैक सूट में वो अप्सरा लग रही थी. उसका फिगर 34-30-34 था. मुझसे रहा नहीं जा रहा था. और वो भी शायद मेरे लिए ही तैयार हुयी थी. हम दोनों अकेले थे बस ये सोच कर मैंने हिम्मत की और उसके पीछे जाकर खड़ा हो गया.
उसकी कमर पर हाथ रखते हुए उसके बालों को हटा कर उसके गले पर किस करने लगा. वो मुझे हटाने लगी लेकिन बस मुँह से ही बोल रही थी, रोक नहीं रही थी.
मेरा लिंग उसकी गांड से रगड़ने लगा और वो मदहोश होने लगी. मैं उसकी कमर से उसके बोबों पर हाथ ले गया और दबाने लगा. उसकी सिसकारियां पूरे कमरे में गूँजने लगीं. पहली बार उसकी जवानी को किसी ने छुआ था!
मैं उसकी गांड के बीच में अपना लिंग रगड़ने लगा और उसे गले और पीठ पर चाटने लगा, बोबे दबाते हुए! उससे रहा नहीं गया और पलट कर उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रखकर पागलों की तरह चूसने लगी.
मैं भी उसकी कमर को सलाते हुए उसकी बड़ी सी गांड पर अपने हाथ ले जा कर सहलाने लगा. उसकी सिसकारियां और साँसें तेज़ होने लगी. उसकी गांड दबाते हुए मैंने उसे बिस्तर पर ले जाकर लेटा दिया और उसके ऊपर लेट गया.
उसकी आँखें बंद थी और जैसे मदहोशी में बेहोश सी होने लगी थी. इतनी सेक्सी और हॉट अप्सरा को देख कर मेरा लिंग सातवें आसमान पर था. मैंने उसके कुर्ते को ऊपर किया और ब्रा सहित उसे खोल दिया. उसके बोबे बहुत ही प्यारे थे और उसके गुलाबी निप्पल पर जैसे मैं टूट पड़ा और चूस-चूस कर उसे चरम सीमा पर ले आया. उसका जिस्म अकड़ने लगा.
उसी वक़्त उसकी सलवार का नाड़ा खोल कर उसकी पैंटी के ऊपर ही उसकी योनि को रगड़ने लगा. उसे जैसे करंट सा लगा और वो उछल सी गयी. उसने मुझे किस करते हुए मेरे होठों को काट ही लिया और मेरी पीठ पर नाख़ून से नोचने लगी.
अब मैंने भी अपने कपड़े खोलते हुए उसकी सलवार और पैंटी भी अलग कर दी. अब हम दोनों के जिस्म पर एक कपड़ा भी नहीं था. उसकी योनि गुलाबी थी और एक बाल भी नहीं था. फिर मैंने उसके पैरों के बीच में जाकर उसकी गीली-गीली योनि पर अपनी जीभ रख दी और होंठों से उसको प्यार करने लगा. उसकी सिसकारियां पूरे कमरे में गूँजने लगी. और अपनी कमर उछाल-उछाल कर मेरा मुँह अपनी योनि में घुसाए जा रही थी कोमल.
मैं पलट कर उसके ऊपर ही 69 की पोजीशन में आ गया और उसके हाथ में अपना 7 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लंड पकड़ा दिया. वो बंद आँखों से ही उसे सहलाने लगी. उसकी योनि को फैला कर मैंने जीभ से उसकी चुदाई करना शुरू कर दिया था.
वो भी मेरे लिंग को मुँह में लेकर चूसने लगी. मेरे लिंग को ऐसे चूस रही थी जैसे जन्मों से चुदाई की प्यासी हो. और गांड उछाल कर मेरे मुँह में अपनी योनि घुसाए जा रही थी. उसकी हरकतों से लग रहा था कि उसकी चूत का पानी बस छूटने ही वाला है.
उसने मेरा सिर दबा दिया और मैं उसकी चूत में जीभ रगड़ कर उसके गर्म-गर्म पानी का स्वाद लेता रहा.
उसकी छूट होने के बाद वो थोड़ी शांत हुई. वो थोड़ी होश में आयी और मेरे लिंग को मुँह से निकाल दिया. मैंने पलट कर उसके मुँह में फिर से अपना लिंग घुसा कर उसके मुँह की ही चुदाई करने लगा और और उसके निप्पल को रगड़ता रहा.
थोड़ी देर में उसके मुँह में ही अपना पानी निकाल दिया और पूरा पानी उसने पी लिया. मैं हाँफ रहा था और कोमल ने मेरे सारे वीर्य को अपने अंदर गटक लिया था. मेरा लंड बिल्कुल खाली हो गया था और मुझे थकान सी महसूस होने लगी थी.
कोमल के साथ मेरा वह पहला अनुभव था वीर्य छोड़ने का. और थक कर कुछ देर हम ऐसे ही आंखें बंद करके एक दूसरे की बांहों में पड़े रहे.
जोश में जो होना था वह सब हो चुका था. मैं भी कुछ सोच रहा था और कोमल भी कुछ सोच रही थी. कोमल का तो पता नहीं लेकिन मैं अंदर से काफी खुश था. मेरा सपना पूरा होने से कम नहीं था यह सब.
तभी मेरे पापा का कॉल आया, उन्हें मार्किट ले कर जाना था. मैं फटाफट कपड़े पहन कर उसे किस करके वहाँ से वापस अपने घर पर पापा को मार्केट ले जाने के लिए आ गया. और रास्ते भर ये सोचता रहा कि कहीं ये सपना तो नहीं था. कोमल के साथ जो भी हुआ क्या वह सच में हुआ है. मुझे अभी भी यक़ीन नहीं हो पा रहा था कुछ वक्त पहले बीती उस घटना पर.
उस शाम को मैं अपने ही ख्यालों में खोया हुआ था. मन में काफी खुशी थी. एक अजीब सी खुशी थी जिसको मैं शायद शब्दों में नहीं कह पा रहा हूँ।
उसी वक़्त कोमल का मैसेज आया- जानू, आज पहली बार किसी ने मुझे इतना प्यार किया है; आज से मैं तुम्हारी हो गई हूँ.
उसका यह मैसेज पढ़कर मेरी खुशी का ठिकाना न रहा. उसने अपनी तरफ से लाइन क्लीयर कर दी थी. उस दिन मेरे मन में लड्डू फूटने लगे थे और मैं ख़ुशी से उसकी चुदाई के सपने देखने लगा.
एक दिन मेरे ऑफिस में मेरा एक फ्रेंड, जो कि उसकी गर्लफ्रेंड के साथ में घूमने जाने का प्रोग्राम बना रहा था, उसने मुझसे भी जिद की कि मैं भी अपनी गर्लफ्रेंड को साथ लेकर चलूं. वैसे मुझे डर था कि कैसे बहन को गर्लफ्रेंड बता कर जाऊंगा साथ में?
लेकिन वो न तो मेरे शहर का था और न बहुत ख़ास दोस्त. बस ऑफिस तक का साथ था.
मैंने प्रोग्राम बनाया, फिर कोमल और मैं उन दोनों के साथ एक वाटर फॉल की ट्रिप पर चले गए. उनके लिए हम गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड ही थे. उस दिन मैंने जब कोमल को देखा तो देखता ही रह गया. उसने वाइट टी-शर्ट और ब्लू जीन्स पहना था और टी शर्ट बहुत टाइट थी. जिसमें उसके बोबों का उभार बहुत ही मस्त कर देने वाला लग रहा था. रास्ते भर में कोमल मुझसे चिपक कर अपने बोबों को मेरी पीठ पर सहला रही थी.
हम सभी 11 बजे तक वाटर फॉल पहुँच गए. पहुँचने के बाद हम एक पत्थर पर बैठ गए और मेरा दोस्त अपनी गर्लफ्रेंड के साथ पानी में मस्ती करने लगा. वो दोनों पूरे भीग गए थे. जब मैंने उसकी गर्लफ्रेंड को देखा तो वह पानी में भीगकर बिल्कुल गीली हो चुकी थी. उसके छाती के उभार अपनी पूरी शेप बाहर दिखा रहे थे. एक बार तो उसको देखकर मेरा भी मन भटकने को हो गया. मैं अपने दोस्त की गर्लफ्रेंड को देख रहा था.
वो लोग हमसे भी उनके साथ पानी में भीगने की जिद करने लगे लेकिन कोमल नहीं जा रही थी. आखिर में फिर दोस्त की गर्लफ्रेंड ने हम दोनों को भी पानी में खींच ही लिया और हम सभी खूब एक-दूसरे पर पानी फेंकते हुए मस्ती करने लगे.
एक दो बार मेरा हाथ मेरे दोस्त की गर्लफ्रेंड के चूतड़ों पर भी टच हो गया.
अब कोमल पूरी भीग चुकी थी और उसकी टी-शर्ट उसके बदन से एकदम चिपक गयी थी जिससे उसके बोबे और निप्पल साफ़ झलक रहे थे. उसके चेहरे पर एक अजीब सा भाव था. वो बस मुझ में समा जाना चाहती थी. कोमल की इस बेताबी की कई वजह थी, जैसे मैं उसको पसंद करता था, उसी तरह वह भी मुझे पसंद करती थी. जब भी वह मुझसे मिलती थी मेरे साथ को पाकर मुझमें पूरी तरह खो जाती थी.
मगर आज तो हमें किसी का डर भी नहीं सता रहा था. अगर घर पर होते तो बात कुछ और होती क्योंकि घर पर तो सब कुछ चोरी-छिपे ही करना पड़ता था. लेकिन बाहर आकर कोमल पूरी तरह से खुल गई थी. उसे घर से बाहर निकलने का बहुत ही कम मौका मिलता था इसलिए वो खूब खुल कर मस्ती कर रही थी.
कुछ देर तक हम सब पानी में एक दूसरे के साथ खेलते रहे. उसके बाद मेरे दोस्त ने अपनी गर्लफ्रेंड को आंखों से ही इशारा सा किया. इस इशारे को मैंने भी देख लिया था. दोस्त के इशारा करते ही वह दोनों पानी से बाहर निकल गए.
मैं उन दोनों को ही देख रहा था कि ये सब चल क्या रहा है यहां पर. थोड़ी देर बाद मेरा दोस्त उसकी वाली को लेकर झाड़ियों में एक कोने में चला गया.
मैं अभी भी कोमल के साथ मस्ती करने में लगा हुआ था. मगर जब मेरा ध्यान मेरे दोस्त और उसकी गर्लफ्रेंड की तरफ गया तो मेरे मन के अंदर भी सेक्स का तूफान उठना शुरू हो गया. मैं भी कोमल के साथ कुछ ऐसा ही करना चाह रहा था. यह सोच कर कि मेरा दोस्त और उसकी गर्ल फ्रेंड किस तरह से झाड़ियों के पीछे एक दूसरे के साथ मस्ती कर रहे होंगे. वह साला अपनी वाली को वहां ले जा कर बड़े मजे के साथ चूस-चाट रहा होगा. यह सोच-सोच कर ही मेरे अंदर कोमल के लिए भी वैसी ही भावनाएं उठना शुरू हो गईं.
अब मेरा भी लंड खड़ा हो चुका था और कोमल को भी बार-बार टच होने से वो भी बेचैन होने लगी थी. जब मुझसे और ज्यादा बर्दाश्त करना मुश्किल होने लगा तो मैंने कोमल को अपने पास बुलाकर उसको अपने दिल का हाल बताया. कोमल की बेचैनी भी मुझे साफ नज़र आ रही थी.
मैंने कोमल बाहर निकलने के लिए कहा. कोमल भी तुरंत तैयार हो गई. हम दोनों भी पानी से बाहर आ गए. पानी से बाहर आकर हमने यहां-वहां देखा और अपने लिए कोई सुरक्षित सी जगह देखने लगे. मेरा लंड मेरे कपड़ों में ही तना हुआ था. मेरा भीगा हुआ लंड कोमल की भीगी चूत का रस पीने के ख्याल से ही मचला जा रहा था. इसलिए मैं जल्दी से अपने लिए एक अच्छी सी सेफ जगह खोज लेना चाह रहा था.
जल्दी ही हम भी झाड़ियों में अपनी जगह ढूंढते हुए एक जगह गए जहां कोई हमें देख न सके. हम पहुंचे ही थे कि कोमल ने मुझे कसकर अपने गले से लगा लिया. उसका पूरा शरीर मुझसे चिपका हुआ था. उसके बोबे मेरे सीने से दबे हुए थे और वो मेरे गले पर किस किये जा रही थी. मैं अपने हाथों से उसकी टी-शर्ट में हाथ डाल कर उसकी कमर पर हाथ घुमा रहा था.
मेरी छुअन से ही वो मचलने लगी. अब मैंने उसकी टी शर्ट ऊपर खिसकाते हुए उसके बोबों को दबाना शुरू कर दिया और उसकी ब्रा खोल कर निप्पल चूसने लगा. कोमल इतनी मदहोश हो गयी थी और उसकी आंखे बंद थीं. बस मंद-मंद आह्ह … उह्ह … ऊऊह्ह … की सिसकारियों से वह मधुर आवाजें निकाल रही थी. मेरा लंड बाहर आने के लिए बेताब हो रहा था. मैं कोमल के बोबों को रगड़ रहा था और एक हाथ से उसकी चूत को मसलने लगा.
कोमल के गीले कपड़ों के ऊपर से उसकी गीली चूत को रगड़ने में जो मजा मुझे आ रहा था वह बहुत ही कमाल का था. कपड़े तो गीले थे लेकिन हम दोनों के बदन गर्म थे. इसलिए उसके गीले कपड़ों के ऊपर से ही उसके गर्म बदन को भोगने में मुझे असीम आनंद मिल रहा था.
मैंने कोमल की चूत को और ज्यादा ज़ोर से मसलना और दबाना शुरू कर दिया. मैं उसकी चूत को तेजी के साथ रगड़ रहा था. इधर कोमल की हालत खराब होती जा रही थी. मैं कोमल को साथ ही साथ किस भी करता जा रहा था. मेरी हरकतों के कारण कोमल पागल सी होने लगी थी. उसके मुंह से ऐसी कामुक सीत्कार निकल रही थीं जो मैंने इससे पहले कभी नहीं सुनी थी. मैं कोमल को चूसने और चाटने में लगा हुआ था. इसके कारण वह मदहोश हो गई थी.
अब उससे खड़ा भी रहते नहीं बन रहा था और वो नीचे ही बैठ गयी. एक पल तो मैं भी डर गया कि कहीं बेहोश न हो जाए, लेकिन ये उसकी मदहोशी थी. अब मैंने उसकी जीन्स का बटन खोल कर उसकी पेंटी में हाथ डाला और चूत पर रखा. उसकी चूत से बाहर के पानी का गीलापन अब खत्म हो चुका था. उसकी चूत बिल्कुल गर्म हो चुकी थी. उसकी चूत इतनी गर्म हो चुकी थी उसने उसकी पैंटी को भी सुखाना शुरू कर दिया था. मैंने कोमल का हाथ पकड़ लिया.
उसकी चूत पानी छोड़ चुकी थी और भट्टी जैसे तप रही थी. उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था. शायद इसी मौके के लिए उसने चूत के बाल साफ़ किये थे. अब मैंने एक उंगली उसकी चूत में डाली और उसकी सिसकारियां निकलने लगीं.
मैं थोड़ा एडजस्ट हो गया और एडजस्ट होकर उसका एक हाथ अपने लंड पर रखा और उसके मुँह के पास ले आया. उसने बंद आँखों से ही आआह्ह्ह … उम्महहह … करते हुए लंड बाहर निकाला और उसे हिलाने लगी. बड़े ही प्यार से लंड पर जीभ फिराने लगी.
कोमल मेरे लंड पर ऊपर से नीचे तक जीभ ले जाती और फिर वापस से नीचे से ऊपर तक जीभ फिराती हुई वापस ऊपर की तरफ आ जाती. उसकी इस हरकत से मैं तो जैसे पागल सा होने को हो रहा था. वह मेरे लंड को इतने प्यार से अपनी जीभ के साथ सहला रही थी कि मेरा खुद पर कंट्रोल करना बहुत मुश्किल होने लगा था. मुझे लगा कि अगर कोमल दो मिनट भी मेरे लंड के साथ यही हरकत करती रही तो मेरा लंड जल्दी ही वीर्य बाहर फेंक देगा.
फिर मैंने कोमल को रोक लिया क्योंकि मेरे लंड में बहुत ज्यादा तनाव आ गया था. फिर उसने लंड को मुंह में ले लिया और लंड को चूसने लगी. अब मैंने उसकी जीन्स घुटनों तक उतार कर उसकी चूत के होंठों पर अपने लबों को रख दिया. उसने उसी शिद्दत के साथ मेरे लंड को अपने लबों में दबा लिया. उसकी गुलाबी चूत बहुत ही मस्त और ब्रेड की तरह फूली हुई थी.
मैं अपनी जीभ उसकी चूत पर फिराने लगा और चूसने लगा. वो मेरे लंड से अपना मुँह चुदवा रही थी और मैं उसकी चूत को अपनी जीभ से चोद रहा था.
मैं कोमल की चूत के रस का दीवाना हो चुका था. मैं चाह रहा था कि उसकी चूत अब रस छोड़ दे. इसलिए मैं अपनी पूरी ताकत के साथ कोमल की चूत के अंदर अपनी जीभ को अंदर और बाहर करने में लगा हुआ था. धीरे-धीरे उसका कामरस बाहर आने लगा था. मेरे मुंह में उसकी चूत के पानी का स्वाद आना शुरू हो गया था.
मैंने अपनी ताकत को थोड़ा सा और ज्यादा बढ़ा दिया. अब मैं ज्यादा शक्ति के साथ उसकी चूत में जीभ को अंदर और बाहर करने लगा था. मेरी जीभ की रफ्तार काफी तेज़ थी. कभी मैं उसकी चूत की फांकों को काट लेता था, तो कभी उसकी चूत में फिर से जीभ चलाना शुरू कर देता था.
कोमल भी जोर-जोर से सिसकारी भरने लगी थी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ उसकी चूत में से अब पानी का बहाव तेज होने लगा था. मैंने उसके कूल्हों को अपने दोनों हाथों में पकड़ लिया और उसकी चूत की जोर से चटाई शुरू कर दी. मुझे अब और अधिक इंतजार करना भारी हो रहा था. मैं उसकी चूत के रस को बाहर निकलवाने के लिए पूरा जोर लगा रहा था. वो बहुत अकड़ने लगी थी और उसकी सिसकारियां भी बढ़ने लगी थीं. शायद कोमल का पानी अब छूटने ही वाला था और थोड़ी ही देर में उसकी चूत के रस ने मेरे होंठों को भिगो दिया.
मैंने दोनों हाथों से उसकी गांड दबा कर अपने मुँह को उसकी चूत में घुसा कर चूसना शुरू कर दिया और पूरा नमकीन चूत-रस पी गया. मेरी मेहनत सफल हो गई और मैंने कोमल की चूत का सारा पानी पी लिया. उसकी चूत का पानी पीकर मेरे होंठों की प्यास तो बुझ गई थी लेकिन कोमल की प्यास अभी नहीं बुझी थी. इधर मेरे लंड की प्यास भी अधूरी थी. कोमल के मुंह में वीर्य छोड़कर मेरा लंड अपनी प्यास बुझाना चाहता था और शायद कोमल मेरा वीर्य अपने मुंह में निकलवाकर अपने होंठों की प्यास बुझाना चाहती थी.
अब मैं खड़ा हो गया और वो बैठे हुए मेरे लंड को चूसे जा रही थी. मैं अपने दोनों हाथों से उसके सिर को पकड़ कर उसके मुँह की चुदाई कर रहा था. उसके बड़े-बड़े बोबे और गुलाबी निप्पल हिलते हुए बहुत ही मस्त लग रहे थे. अब मेरा लंड भी अकड़ रहा था और मैंने भी अपने लंड का रस उसके मुँह में गिरा दिया. वो फिर भी लगातार उसे चूसे जा रही थी और आखरी बूंद तक अपनी जीभ से चाट कर वैसे ही लंड को मुँह में लेकर ही मेरी कमर में हाथ डाल कर बैठी रही. उसकी आँखें अब भी बंद थीं.
मुझे महसूस हुआ कि थकान से उसकी साँसें बहुत तेज चल रही थीं. मैं वैसे ही उसे निहारता रहा. जब वो थोड़ी होश में आयी तो अपने कपड़े ठीक करने लगी. मैंने वैसे ही उसे खींच कर खड़ा किया और अपने गले से लगा लिया. उसका अधनंगा शरीर मुझसे चिपका हुआ था. मैंने महसूस किया कि उसकी आँखों से आंसूं आ रहे थे और वो रो रही थी.
फिर मेरे पूछने पर वो बस मुस्करा कर मेरे गले लग गयी. मैं कोमल के साथ कुछ और वक्त वहीं पर बिताना चाहता था. अभी मेरे मन की प्यास नहीं बुझी थी. मैं उससे और बातें भी करना चाहता था. लेकिन उसी वक़्त मेरे दोस्त का भी कॉल आने लगा. मेरा दोस्त फोन पर मुझसे वापस चलने के लिए कहने लगा. जबकि हम 3 घंटे और रुक सकते थे.
मैंने अपने दोस्त से कहा कि कुछ देर और रुक जाते हैं लेकिन वो साला मान ही नहीं रहा था. मुझे लग रहा था कि मेरा दोस्त और उसकी गर्ल फ्रेंड अपनी चुदाई पूरी कर चुके हैं इसलिए अब उनको वापस जाने की जल्दी मची है.
लेकिन मैं अभी वापस नहीं जाना चाहता था. मैं कोमल के साथ कुछ और वक्त बिताने के बारे में ही सोच रहा था. मैंने अपने दोस्त को रोकने के लिए बहुत बहाने किये लेकिन वह नहीं माना.
कोमल भी काफी खुश थी मेरे साथ बाहर आकर. यह बहुत ही अच्छा मौका था हम दोनों के लिए क्योंकि घर पर हमें इतनी आज़ादी नहीं मिल पाती थी. घर पर तो सब कुछ देख और सोच समझकर ही करना पड़ता था. एक तो हम दोनों का रिश्ता ही ऐसा था और ऊपर से इस बात का भी डर लगा रहता था कि कहीं कोई देख न ले. इसलिए हम दोनों इस ट्रिप का पूरा फायदा उठाना चाहते थे. लेकिन मेरा दोस्त मेरी एक बात भी सुनने के लिए तैयार नहीं था. इसलिए मैंने कोमल को वापस चलने के लिए कह दिया.
हमने अपने कपड़े ठीक किये और बाहर आ गए लेकिन चुदाई का अरमान दिल में ही रह गया. मगर फिर भी पछतावा नहीं था. घर आते हुए रास्ते में बारिश होने लगी और हम भीग गए तो मैंने मामी को कॉल करके कोमल को मेरे ही घर रुकने के लिए कह दिया.
यह सुनते ही कोमल के चेहरे पर एक मंद मुस्कान फैल गई. वह भी समझ गई थी कि मैंने मामी को यह फोन किसलिए किया है. शायद कोमल भी वही चाहती थी जो मैं चाहता था. मैं कोमल को रात भर अपने पास रख कर उसके बदन के साथ खूब मस्ती करना चाह रहा था. इधर कोमल भी शायद यही सोच कर खुश हो रही थी कि जो मौका हमें वॉटर फॉल में नहीं मिल पाया वह मौका अब हमें घर पर मिल जाएगा.
मेरे घर पर मेरा रूम अलग है. कोमल मेरी बात समझ चुकी थी इसलिए उसने भी ख़ुशी से मेरे गाल पर एक किस कर दिया!

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