बात 5 साल पुरानी है. मैं बाईस साल का था और सीए का एग्जाम पास करके नौकरी शुरू ही की थी. हमारे बराबर वाली कोठी में मेरे ताऊ जी का बेटा विजय राज सिंह और उसकी पत्नी नेहा रहते थे.
विजय तीस साल का था और नेहा भाभी छब्बीस साल की थी. नेहा पर मेरा दिल आ गया था और मैं हर समय उसके बारे में सोचता रहता था.
नेहा बहुत सुन्दर थोड़ी सांवली दुबली पतली, लंबी करीब 5 फुट 4 इंच की थी. वो तीखे नयन नक्श वाली मस्त मनचली औरत थी और मेरे साथ खूब दिल खोल कर बातचीत, धींगा मुश्ती, हंसी मज़ाक करती रहती थी.
एक दिन मैं शाम को ऊपर छत पर घूम रहा था. नेहा भाभी कपड़े उठाने आ गई. मुझे देख कर बदमाशी वाली मुस्कान से बोली- क्यों राजू यहां क्या कर रहा है? किसी लड़की पर तो लाइन नहीं मार रहा न?
मैंने हंस कर उसके ब्लाउज में तनी हुई चूचियों और साड़ी में नंगी कमर देखते हुए कहा- अरे भाभी हमारी ऐसी किस्मत कहां. कोई लड़की हाथ ही नहीं लगती.
उसने अपना पल्लू दोनों चट्टानों के बीच संभालते हुए हंस कर जवाब दिया- हाय राम.. ऐसी क्या बात है राजू, इतना सुन्दर है, हंसमुख है, अच्छा कमाता है.. और क्या चाहिए.. चल आज से तू मुझे ही अपनी गर्ल फ्रेंड बना ले.
चूंकि उसके साथ मस्ती चलती रहती थी तो मैंने उसके चूतड़ दबाते हुए कहा- हाय सच्ची.. फिर तो मज़ा आ जाएगा, खूब मस्ती करूँगा.
“हाय राम अभी से मसलने लगा बदमाश..” वो भी मुस्कराते हुए चली गई.
उसकी इस हरकत से लगा कि वो भी मस्ती और चुदाई के लिए मचल रही है.
इसके बाद कई बार दबाना छूना चलता रहा. मेरा उसकी मस्त कसी खड़ी 36-28-36 साइज की फिगर वाली रेशम सी चिकनी चिकनी जवानी को घूरना और उसका मस्ती में अपनी गर्म जवानी का दिखावा, हम दोनों को ही मज़ा दे रहा था.
कुछ दिन बाद एक दिन मैं शाम को ऑफिस से वापिस आने के बाद ऊपर छत पर कमरे में बैठ कर लैपटॉप में ऑफिस का कुछ काम कर रहा था.
नेहा भाभी अपनी तरफ कपड़े उठाने आई तो मैं उसे खिड़की से देख रहा था. नेहा कपड़े छोड़ कर मेरे कमरे में आ गई और बोली- हाय राम राजू, आज तुझे क्या हो गया, बहुत जोर से घूर रहा है? उसके सुन्दर चेहरे पर सेक्सी चंचल चुलबली मुस्कान थी.
“हाय राम नेहा भाभी, मुझे कुछ हो गया है या तुझे बदमाशी सूझ रही है. कितनी नीची साड़ी पहन रखी है. क्या मस्ती से बदमाशी से अपनी मस्त चिकनी-चिकनी कमर, पेट, नाभि, ब्लाउज में तनी हुई चूचियां दिखा रही हो.”
“मैं दिखा रही हूँ?” नेहा मेरे सामने खड़े हो कर बनावटी गुस्से से मेरी तरफ देख रही थी और लड़ना चाहती थी.
मैंने दोनों हाथ से उसकी लम्बी पतली कटाव वाली रेशमी कमर पकड़ कटाव पर काट लिया.
नेहा मस्ती और उत्तेज़ना से तड़फ उठी- हाय मैं मर गई.. सी.. अह्ह.. मसल डाला.. खा गया.
“सी.. सी.. चुप.. चुप भाभी.. दरवाज़ा खुला है.. कोई सुन लेगा.. कम ऑन भाभी तू यही तो चाहती है और खेल खेलना चाहती है. ठीक है.. चल आज तुझे खेल खिलाता हूँ.”
मैंने साड़ी के ऊपर से उसके चूतड़ मसल डाले, नाभि पर चूम लिया और दूसरे हाथ से ब्लाउज में चूची मसल दी.
नेहा दाँत भींच कर सिस्याते हुए वो फुसफुसा उठी थी- उई.. ई.. उई.. हह.. हाय.. हाय राम जालिम राजू क्या कर रहा है. आज तो सच में गर्ल फ्रेंड की तरह मसल रहा है. सारा रस ऐसे ही निचोड़ डालेगा.
मैंने भी फुसफुसा कर उसकी गहरी सेक्सी नाभि में अपनी जीभ चलाते हुए पूछा- बोल देगी कि नहीं?
“उह्ह्ह.. सी.. हाय ले लेना जालिम चोदू सांड.. पर अभी तो छोड़ दे.. मुझे जाने दे.”
नेहा पीछे हट गई. मुस्कराते हुए उसने जाकर दरवाज़ा बंद कर दिया और वापिस आकर मेरे सामने टेबल से लग कर खड़ी हो गई.
उसने प्यार से मुझे देखा और मेरा चेहरा अपने हाथ में ले कर बोली- हां अब बोल क्या कह रहा था.. देगी कि नहीं? हाय मेरे राजा तू नहीं लेगा, तो और कौन लेगा? तू तो मेरी जान है राजा.. सबसे सुन्दर सपना.. मेरी कल्पना का शहजादा.
ये कहते हुए उसने मेरा सर अपनी ब्लाउज में रुई सी मुलायम चूची पर दबा लिया.
“उफ़ भाभी, तुझे हर समय धींगा मस्ती क्यों चढ़ी रहती है?” मैं मस्ती से बदमाशी से उसकी कमर पेट पर चूम रहा था, चाट रहा था, काट रहा था.
नेहा चुदास से भरी कामुक आवाजें निकाल रही थी- एहह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… हाय.. सी.. उई.. उई.. ई.. बस तुझे देख कर कुछ बदमाशी करने को दिल करता है राजा.. सच तो यह है राजा कि आज मैंने सोच लिया था कि पूछ के रहूँगी कि क्या तू मेरे साथ सेक्स करेगा?
उसकी बात सुन कर मैं हंस पड़ा और अपने हाथ उसके उसकी साड़ी के ऊपर से चूतड़ों पर लपेट लिए.
“ओह.. ओह.. तो यह बात है.. आज तू देने आई थी.” मैंने उसकी ब्लाउज में बंद चूची को काट लिया.
नेहा उछल पड़ी- हाय.. सी.. मर गई साले ऐसे लेगा मसल मसल कर.. उफ़ जालिम.. ऐसे तो बिना कुछ करे हो जाएगा.. मेरे जादूगर राजा.
“ओह.. ईहह.. यही तो मैं चाहता हूँ मेरी प्यारी भाभी जान.. यही तो जवानी का असली मस्ती है. यही तो तू चाहती है.. दबा कर चूस कर मसल कर, चूतड़ पर कमर पर जांघों पर सहला कर, तेरा रस निकाल दूँ.”
“वो सब दबाना चूसना सहलाना सही है पर मेरे राजा तू मेरा इस तरह निकाल नहीं सकता. जब तक तू अपना मस्त मोटा तगड़ा लंड मेरी चूत में नहीं घुसा कर जोरदार धक्के मार कर चुदाई नहीं कर देता. इसके लिए बहुत दम चाहिए.” नेहा भाभी मुझे चिढ़ा रही थी.
मुझको इस में बहुत मज़ा आ रहा था और मालूम था कि यह सब नेहा को इतना उत्तेजित कर देगा कि चुदाई के बिना ही वो इतनी गर्म और चुदासी हो कर झड़ जाएगी.
“ओह.. कम ऑन भाभी, मुझे ऐसे मत ललकारो. तुझे और मुझे दोनों को मालूम है कि तुझे चुसाई में, दबाने में.. और चूत में उंगली करवाने में बहुत मज़ा आता है और तुझे ऐसे झड़ने में चुदाई से ज्यादा मज़ा आता है. क्यों कर दूँ उंगली चूत में?”
मैंने हंस कर उसकी चूची दबा दी.
“हाय मार डाला चोदू राजा, ठीक है कर ले, पर पहले मुझे तेरा मोटा तगड़ा गोरा-गोरा लंड अपने हाथ में पकड़ना है.” नेहा ने खींच कर मुझे खड़ा कर दिया और पजामे के ऊपर से खड़ा लंड अपने हाथ में ले कर दबा दिया.
“वाह.. वाह.. अब आया न कुछ मज़ा.”
मैंने नेहा का हाथ रोक कर कहा- एक मिनट रुक भाभी यहाँ नहीं, चल नीचे चलते हैं. आज मम्मी पापा फार्म हाउस गए हैं, घर में कोई नहीं है.
“ठीक है, तू नीचे चल मैं अभी आती हूँ. जरा माँ जी से कोई बहाना बना कर आती हूँ.”
नेहा ने उचक कर मुझे होंठों पर चूम लिया. मैंने भी उसकी चूची दबा कर मसल दी. वो “उह.. हाय..” करके मुस्कराती हुई चली गई. मैं भी कमरा बंद करके नीचे आ कर डाइनिंग टेबल पर बैठ कर काम करते हुए नेहा भाभी का इंतज़ार करने लगा.
नेहा भाभी की रेशम सी कसी जवानी, मस्त गोल-गोल चूची, चिकने चूतड़ का याद करके अपना लंड तूफ़ान मचा रहा था और पजामे में टेन्ट बना था.
जरा सी देर में नेहा मुस्कराती हुई आ गई. उसने मुझे हाथ पकड़ कर खड़ा कर होंठों पर चूमते हुए लंड पकड़ कर बोली- सच राजू, आज तुझे इस तरह प्यार करके मुझे सपने जैसा लग रहा है.
“क्यों मेरी जान ऐसा क्यों लग रहा है?”
“उस दिन तूने ऊपर छत पर मेरे चूतड़ दबाए थे.. उसी दिन रात को मैंने सपने में देखा था कि तू मुझे छत पर घोड़ी बना कर अपना मोटा तगड़ा लंड मेरी चूत में घुसा कर धमाधम चोद रहा है और मैं चिल्ला रही हूँ कि निकाल ले चूत फट रही है.. पर तू पेले जा रहा है और मैं इतनी जोर से झड़ गई कि क्या बताऊं. जब आँख खुली तो देखा सच में साड़ी जांघों तक गीली हो गई थी. उसके बाद मैंने यह सपना तीन चार बार देखा था और हर बार झड़ गई थी. इसीलिए आज सोच लिया था कि तेरे लंड का मज़ा तो ले कर देखना ही है.”
नेहा ने मेरा पजामा नीचे खिसका दिया. मेरा 7 इंच का लंड उछल कर बाहर आ गया. उसने झट से लंड हाथ में थाम लिया.
“उई.. वाह.. राजा.. सच में तेरा लंड तो सपने जैसा ही है.”
“हाय राम, भाभी मेरी इज़्ज़त लूट रही है नंगा करके..”
मैंने हंस कर उसकी साड़ी खींच कर निकाल दूसरे हाथ से उसके 36 साइज के चूतड़ दबा दिए. फिर पेटीकोट का नाड़ा खींच कर पैंटी के साथ नीचे खिसका कर नीचे से पूरा नंगी कर दिया.
“भाभी तेरी चूत, चूतड़, जाघें भी तो मेरी कल्पना से भी सुन्दर हैं. मैंने अपनी उंगली उसकी चूत पर लगा दी.
नेहा मस्ती और चुदास से मचल गई- ई.. ई उई.. राजा तू भी तो मुझे नंगा करके मस्त दबा कर चूस रहा है.
वो लंड को अपनी नंगी जांघ पर रगड़ रही थी.
“उह्ह्ह.. अह्ह्ह.. वाह भाभी तेरी चिकनी-चिकनी जांघों से रगड़ कर लंड बहुत मस्ती में है. सच भाभी तेरा माल बहुत गर्म और मस्त है.”
मैंने उसकी चूत में उंगली घुसा दी और अंगूठे से दाना रगड़ दिया.
नेहा उछल पड़ी- हाय.. सी.. ई.. ई.. ई..ए..हाय.. जालिम बहुत मज़ा आ रहा है.. सी.. सी.. जरा लंड को चूत पर रगड़ने दे ना राजा.. बहुत मज़ा आएगा.
मुझे धक्का देकर नेहा ने पीछे करने की कोशिश की, पर मैंने उसे कस कर पकड़ रखा था. मैंने ब्लाउज के ऊपर से उसकी चूची काट ली और कहा- नहीं भाभी.. आज तो तेरी जवानी का रस चूस कर निकालना है.
नेहा भाभी मस्ती और चुदास से भरी और भी मज़ा ले रही थी. उसने अपना ब्लाउज खोल ब्रा के साथ निकाल दिया. मैं झट से उसकी गोल-गोल चूची मुँह में ले कर चूसने लगा.
मैं एक हाथ उसके दाने को रगड़ रहा था और दूसरे हाथ से उसके चूतड़ कमर जांघ सहला रहा था. बीच बीच में मैं अपनी उंगली उसके चूतड़ों के बीच उसकी गांड पर दबा रहा था. इससे भाभी को बहुत मज़ा आ रहा था और वो झटके से अपने चूतड़ आगे कर देती तो उसकी चूत में घुसी उंगली अन्दर तक घुस जाती.
नेहा की चूत, रस से भर गई थी और छप छप कर रही थी. नेहा मस्ती में मचल रही थी. उसका सर पीछे लटका था और आँखें बंद थीं और वो धीरे-धीरे अपने चूतड़ हिला रही थी और कामुक आहें भर कर मस्ती में झूम रही थी- ई.. ई.. हां.. सी.. ई.. उई गई मेरे राजा गई.. सी.. हाय बस निकलने वाला है.
उसकी कमर पीछे को मुड़ी हुई थी और उसके चूतड़ झटके मार रहे थे.
“हाय.. हाय.. गई राजा.. गई.. निकल गया बस.. अपनी उंगली रोक दे. उसने अपनी जांघों को कसके भींच लिया और झटके देती हुई झड़ गई.
मैं एक हाथ उसके दाने को रगड़ रहा था और दूसरे हाथ से उसके चूतड़ कमर जांघ सहला रहा था. बीच बीच में मैं अपनी उंगली उसके चूतड़ों के बीच उसकी गांड पर दबा रहा था. इससे भाभी को बहुत मज़ा आ रहा था और वो झटके से अपने चूतड़ आगे कर देती तो उसकी चूत में घुसी उंगली अन्दर तक घुस जाती.
नेहा की चूत, रस से भर गई थी और छप छप कर रही थी. नेहा मस्ती में मचल रही थी. उसका सर पीछे लटका था और आँखें बंद थीं और वो धीरे-धीरे अपने चूतड़ हिला रही थी और कामुक आहें भर कर मस्ती में झूम रही थी- ई.. ई.. हां.. सी.. ई.. उई गई मेरे राजा गई.. सी.. हाय बस निकलने वाला है.
उसकी कमर पीछे को मुड़ी हुई थी और उसके चूतड़ झटके मार रहे थे.“हाय.. हाय.. गई राजा.. गई.. निकल गया बस.. अपनी उंगली रोक दे. उसने अपनी जांघों को कसके भींच लिया और झटके देती हुई झड़ गई.
मुझे उसकी मस्ती भरी चुदासी सिसकारियां बहुत अच्छी लग रही थीं. मैंने अपनी उंगली उसकी चूत के अन्दर रोक दी, पर अंगूठे से दाना रगड़ता रहा था और चूची चूस कर काट रहा था, चूतड़ भींच रहा था.
नेहा ने अपनी एक बांह मेरी गर्दन में लपेट रखी थी- हाय राम राजू.. मेरे चोदू राजा.. आज तो बहुत सारा रस निचोड़ डाला..
अपनी चूत से नेहा ने मेरा हाथ खींच कर मेरी उंगली अपने मुँह में लेकर चूसने लगी थी- वाह राजू.. तू तो सच में मेरी जान है.. क्या जोर से चूची दबा दबा कर मसल मसल कर निचोड़ा है.. पूरी लाल कर डाली.. देख कैसे लाल नीले निशान बना दिए.
“ओह कम ऑन भाभी.. यही तो असली मस्ती है. तूने भी मेरे लंड को इतनी जोर से दबाया.. खड़ा लंड लटक गया.” मैंने उसको चूम लिया. मेरे हाथ अभी भी उसके चूतड़ पर, कमर पर चल रहे थे.
“ओह.. लंड की फिकर मत कर राजा. जैसे तूने मुझे इतना गर्म कर के मस्ती में सिस्याने पर मजबूर कर, मेरी चूत का रस निकाल डाला, निचोड़ डाला. वैसे ही मुझे भी मालूम है कि तेरा लंड कैसे खड़ा करना है और इसका रस कैसे निकालना है.”
नेहा ने लंड को हिलाते हुए मुझे चूम लिया.
“ओह.. ईह.. अब क्या बदमाशी तेरे बदमाश दिमाग में आ रही है भाभी..”
मुझे लग रहा था कि नेहा भाभी खूब खुश है और मस्ती में कुछ बदमाशी सोच रही है. मैंने खेलते हुए उसकी कमर पर चुटकी काट ली.
नेहा उछल पड़ी- हाय..सी.. राजू मैं तेरी जान ले लूंगी साले. आज तूने मुझे कितना नीला लाल कर डाला.. देख अब मैं तेरा क्या हाल करती हूँ. मैं तुझे कामसूत्र पोजीशन में चोदने वाली हूँ और तेरे लंड को अपनी चूत से दबा दबा कर तुझे भी चिल्ला चिल्ला कर निचोड़ दूँगी.
यह कह कर वो जोर से हंस पड़ी.
“ओह माय गॉड.. अब क्या तू मेरे लंड को लाल नीला करेगी?”
नेहा ने मुझे पीछे धक्का दे कर नंगा ही कुर्सी पर बैठा दिया. नेहा ने हंस कर कहा- ओह यस.. यही तो मैं करना चाहती हूँ राजा.
हम दोनों बहुत खुश और पूरे जोश में प्यार का खेल का मज़ा ले रहे थे.
मुझे भाभी का चुदाई का जोश और ख़ुशी देख कर बहुत अच्छा लग रहा था. वो नंगी मेरे सामने अपने घुटनों पर बैठ गई और मेरा लंड हाथ में पकड़ कर चूमते हुए टोपा मुँह में ले लिया. उसकी गोल गोल रुई सी मुलायम चूची मेरी जांघों के ऊपर दब रही थी.
“उफ़.. ओऊ यह क्या कर रही है भाभी.. लगता है.. आज कुछ खास होने वाला है..”
मैंने एक हाथ से उसकी चूची मसल डाली और मेरा दूसरा हाथ उसकी कमर और चूतड़ों पर चल रहा था.
“सी.. हह.. उई सच भाभी तू तो लंड खड़ा करने में बहुत माहिर है.. क्या जोर से तान कर खड़ा कर दिया.”
“खड़ा कैसे नहीं होगा मेरे राजा.. इसे मालूम है कि मेरे राजा को मेरी चूत मारनी है.”
नेहा हंस कर खड़ी हो गई और अपनी जांघों को दूर दूर तक खोल कर मेरी जांघों के ऊपर खड़ी हो कर बोली- कम ऑन अब तू इससे सीधा पकड़ कर रख, मुझे इससे अपनी चूत में घुसाना है.. और इसके ऊपर चढ़ कर चूत चोदना है.
नेहा ने अपनी चूत के होंठों को एक हाथ से पूरा खोल लिया और धीरे से खड़े लंड पर बैठ गई. उसकी चूत खूब रस से भरी थी.. जांघों तक रस बह रहा था.
“हाय राम भाभी तेरी चूत तो खूब गर्म-गर्म गीली-गीली चिकनी-चिकनी हो रही है. पूरा लंड अन्दर तक रपट गया..”
मैंने दोनों हाथ से उसके चूतड़ पकड़ कर लंड को अन्दर दबा दिया.
नेहा मस्ती में चिल्ला पड़ी- हाय.. ई.. उई.. सी.. मर गई जालिम.. फाड़ डाली उफ़.. क्या मोटा लंड है.. पूरा अन्दर घुसा डाला.. अह्ह्ह.. उह्ह्ह.. सी.. हां..”
भाभी पूरी मस्ती में मुझ से लिपट गई. उसकी चुचियां मेरे सीने में दब गईं और वो अपने चूतड़ हिला कर चूत में लंड का मज़ा ले रही थी.
मैंने उसके डांस करते चूतड़ पर एक चपत लगा कर, उसकी गांड पर उंगली दबा दी.. भाभी उछल गई. तभी लंड ने चूत की गहराई में चोट कर दी.
भाभी मस्ती में लहरा उठी और उसने अपनी चूत कस ली और बड़बड़ाने लगी- हां.. हां.. राजा एक बार फिर से चोट मार दे.. उफ़.. बहुत मज़ा आ रहा है.
मैंने फिर से गांड में उंगली कर दी और अपनी बाहें उसकी कमर में लेट कर उसको भींच लिया- हांआ.. हां.. भाभी.. हां.. लगा धक्के.. कस ले अपनी चूत जोर से.. बहुत मज़ा आ रहा है चूत की मालिश से.. बस अपना होने वाला है.
“हाय राम राजू मेरे राजा निकाल दे ना अपने लंड का रस.. मेरी चूत में जल्दी से सी.. उई अह्ह्ह हां.. राजा.. हां मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा है.. मेरी चूत भी पानी छोड़ रही है यार..”
नेहा अपने नाख़ून मेरी कमर पर गाड़ रही थी और अपने दाँत मेरे कंधे पर गाड़ रही थी.
मैं चिल्ला पड़ा- हाय.. मर.. गया सी.. अह्ह्ह.. मैं गया भाभी गया..
मैंने भाभी को अपनी बांहों में भींच कर उसकी चूत की जड़ में पिचकारी मार दी.. भाभी भी मेरे साथ फिर से झड़ गई. हम दोनों एक दूसरे की बांहों में लिपटे हुए कुछ मिनट तक ऐसे ही चूमते रहे.
अपनी चूत से दबा दबा कर लंड का पानी चूत में निकालने के थोड़ी देर बाद नेहा मेरी तरफ मुस्करा के देख कर बोली- क्यों राजू मज़ा आया कि नहीं..?
“नेहा.. आज तो तूने लंड को अपनी चूत से दबा दबा कर निचोड़ डाला.. बहुत जोर से निकल गया भाभी.. बहुत मज़ा आ रहा था. तूने मुझे भी लाल नीला कर डाला भाभी..”
मैं उसके मुँह में अपनी जीभ डाल कर चूम रहा था. वो भी अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल रही थी.
थोड़ी देर बाद नेहा धीरे से मेरे ऊपर से उठ कर खड़ी हो गई. वो बहुत खुश नज़र आ रही थी. उसका चेहरा ख़ुशी से चमक रहा था, आँखें नाच रही थीं. मैं उसकी मस्ती भरी नंगी जवानी निहार रहा था.
“हाय राम राजू अब ऐसे क्या देख रहा है साले बदमाश इतना सब कुछ तो देख चुका है.. अब बाकी क्या रह गया है यार.”
“अरे भाभी तुझे देख कर तो मन ही नहीं भरता.. दिल करता है कि बस तुझे देखता ही रहूँ. तेरी इस मस्ती को, इस ख़ुशी को, बदमाशी वाली मुस्कान को.”
नेहा मेरी आंखों को अपने मस्ती भरी जवान बदन पर महसूस करते हुए अपने कपड़े बटोरने लगी.
मैंने हंस कर कहा- सच भाभी तेरी यह मस्त खड़ी चूची, चूतड़ बहुत सेक्सी और सुन्दर लग रहे हैं.
“उफ़ राजू तेरी यह बदमाशी तो मुझे पागल कर देगी राजा.. जरा अपनी तरफ देख.. क्या सुन्दर और स्मार्ट है. चल अब मुझे सफाई करने दे, इस बीच तू चाय बना कर पिला दे मेरे राजा.
मैं भी आलस से उठ कर खड़ा हो गया और नेहा को अपनी बाँहों में लेकर चूम लिया.
“चल भाभी मुझे भी सफाई करनी है. उसके बाद मैं तुझे चाय बना कर पिलाता हूँ, इतनी मेहनत से लंड को चूत से दबा-दबा कर निचोड़ने के बाद तुझे उसकी बहुत जरूरत है.
नेहा हँसते हुए बाथरूम में चली गई.. दरवाज़ा खुला था. मैंने अपने लंड को उसके पेटीकोट से पोंछ कर साफ किया और लुंगी बांध कर रसोई में जा कर चाय बनाने लगा.
थोड़ी देर में नेहा भी रसोई में आ गई. उसके चेहरे पर बदमाशी वाली मुस्कान थी.
उसने मेरी तरफ देख कर पूछा- मैं कैसी लग रही हूँ?”
उसने अपने नंगे बदन को पेटीकोट ब्लाउज के बिना खाली साड़ी से लपेट रखा था.
“ओह माय गॉड.. ओह माय गॉड.. सच भाभी तेरी मस्ती का तो जवाब नहीं.. हर समय बदमाशी सूझती रहती है.. उफ़ क्या पटाखा लग रही है. परफेक्ट चूची.. चूतड़.. लंबी पतली कमर चपटा पेट, उस पर यह गहरी सेक्सी नाभि.. वाह क्या 36-26-36 की फिगर वाली कॉलेज की लड़की लग रही है. क्या मस्त गदराई चुदासी जवानी है तेरी भाभी.”
मैंने उसे पीछे से अपनी बाँहों में ले कर उसकी चूची मसल डाली.
“हाय राम दबा लिया.. सी.. अह्ह्ह.. क्यों मज़ा आया न ऐसे देख कर.”
“सच में गदर माल लग रही हो.”
नेहा ख़ुशी में लहरा रही थी. वो अपने चूतड़ हिला रही थी. कॉलेज की कमसिन लड़की की तरह मचल रही थी. वो बहुत खुश थी.
“तुझे मालूम है राजू.. जब से तू मेरी ज़िन्दगी में आया है.. ज़िन्दगी बहुत सुन्दर और मस्त लगने लगी है. मैं हर समय बहुत ख़ुशी और उत्तेजित महसूस करती हूँ और कुछ न कुछ बदमाशी सूझती रहती है.”
ये कहते हुए नेहा ने अपनी गर्दन घुमा कर मुझे चूम लिया.
“ओह यस भाभी.. तूने मुझे बहुत बार यह बात बताई है. पर सच में तू बहुत हॉट और सेक्सी लग रही है. जरा रुक मुझे अपना वीडियो कैमरा लाने दे, तेरी इस सुंदरता का वीडियो बनाता हूँ.”
“ओह.. येईह.. क्या सच में मैं इतनी सुन्दर लग रही हूँ? नेहा ने मुझको चूम लिया.
मैं अपना कैमरा ले आया और उसकी वीडियो बनाने लगा. नेहा बहुत खुश थी और वो पल्लू हटा कर अपनी नंगी चूची लंबी पतली कटावदार कमर चपटा पेट नाभि उभार उभार कर दिखा रही थी.
नेहा को अपनी फोटो खिंचवाने का बहुत शौक था और मुझ पर बहुत भरोसा था कि मैं यह वीडियो किसी और को नहीं दिखाऊंगा.
हम दोनों रसोई में ही फर्श पर एक दूसरे से सट कर बैठ गए और एक दूसरे को छेड़ते हुए चाय की चुस्की ले रहे थे. नेहा मुझे चूम रही थी.
वो बोली- राजू तुझे मालूम है कि आज टूर पर जाने से पहले विजय ने मुझे चैक दिया.. मालूम है क्यों? यह मेरा 7 दिन का पॉकेट मनी है. मालूम है, क्यों दिया उसने? क्योंकि मैंने कल रात को नौटंकी की थी. जब मैं उसका लंड अपने चूतड़ से रगड़ रही थी मैंने ऐसा किया कि मेरी चूत का पानी भी निकल गया. मतलब चूतिया बना दिया. बस वो यह सोच कर बहुत खुश हो गया कि उसने चोद कर मुझे झाड़ दिया.”
नेहा हँसते हुए मुझे चूम कर मेरी जांघों पर सहला रही थी.
“ओह वाओ भाभी.. मालूम है कि तू कितनी ड्रामेबाज़ है.”
नेहा हंसने लगी.
मैंने भी हंस कर उसे चूमते हुए उसकी रेशम सी चिकनी नंगी जांघों पर हाथ चलाने लगा.
“सच भाभी तू बहुत मदमस्त सुन्दर अमीर चुदासी जंगली औरत है.”
“ओह.. यस.. और मुझे इस पर घमंड है. पर राजा कितना भी पैसा हो.. वो मस्ती.. उतेज़ना.. ख़ुशी नहीं खरीद सकता, जो मुझे तेरे साथ मिलती है और मैं इसके लिए बहुत खुश हूँ.”
“यस माय लव भाभी..”
“अच्छा चल अब उठ.. मुझे चलना चाहिए.. बहुत देर हो गई है.. अब आज रात को तेरे ऊपर वाले कमरे में मिलेगे.. और खूब जम कर चुदाई चुसाई का मज़ा लूटेंगे.
नेहा उठ कर अपने कपड़े पहन अपने घर चली गई.

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