मेरा नाम रोहित है. मैं भिवानी का रहने वाला हूँ. यह बात तब की है, जब मैं स्कूल में पढ़ता था. मेरी गली में एक लड़की रहती थी. उसका नाम निहारिका था. उसकी उम्र 19 साल थी
निहारिका के गोल गोल चूतड़ों पर टिकी उसकी पतली कमर, एकदम नोक सी खड़ी चूचियां मेरा लंड खड़ा कर देती थीं. वो टाईट सा सूट सलवार पहनती थी. जब वो चलती थी, तो सलवार में उसके गोल गोल चूतड़ बड़े दिलकश अंदाज में मटकते थे. दोस्तों मैं तो रोज रात को उसके चूतड़ों को याद करके मुठ मार कर सोता था.
जब मुझसे रहा नहीं गया, तो मैंने उस पर लाइन मारनी आरम्भ कर दी. मुझे थोड़ी मेहनत लगी, पर वो मुझसे पट गयी. इसके बाद काफी दिन तक हमारी फ़ोन पर बात होती रही. हम दोनों खुलने लगे और अब रात को हम सेक्स की बात करने लगे.
वो मुझसे कहती थी- जानू जब रात को तुम्हारी याद आती है, तो मैं तकिये से चिपट कर सोती हूँ.
इसी तरह एक दिन ऐसा आया, जब वो मुझसे चुदने को मचलने लगी. उस दिन मैंने उसको नींद की गोलियां दीं और उससे कहा कि इन गोलियों को तुम अपने घर वालों को रात को खाने मैं मिलाकर दे देना. मैं रात को तुमसे मिलने आऊंगा.
उसने अपने घर वालों को गोली दे दीं.
करीब रात 11:30 बजे उसका फोन आया और उसने कहा- तुम जल्दी आ जाओ, सब सो रहे हैं.
मैं बेताब सा उसके घर पहुंचा. वो नीचे दरवाजे पर खड़ी मेरा इन्तजार कर रही थी. उसने मुझे अन्दर आने को कहा.
उसके दो भाई थे. वे दोनों उसके मम्मी पापा के साथ ऊपर वाले कमरे में सोते थे. नीचे वाले कमरे में कोई नहीं सोता था. वो मुझे नीचे वाले कमरे में ले गयी. कमरे में जाते ही मैंने दरवाजा बंद किया और उसके होंठ चूसने लगा.
मैं तो पहले से ही उसकी जवानी का प्यासा था. दस मिनट तक उसके होंठ चूसने के बाद मैंने उसको गोद में उठा लिया और बेड पर पटक दिया. फिर मैंने जल्दी से अपने सारे कपड़े उतार कर फेंक दिए और उसके ऊपर चढ़ गया.
वो भी मस्ती से मेरा साथ दे रही थी. मैंने उसकी कमीज निकाली और पन्द्रह मिनट तक उसकी चूची का रस पिया और खूब मसला. अब तक मेरा सात इंच का लंड एकदम लोहे सा कड़क हो चुका था.
मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोला और सलवार को उतार दिया. उसने अन्दर कच्छी नहीं पहनी थी. उसकी संगमरमर सी चूत देख कर मेरे से रहा नहीं जा रहा था. मैंने सोचा आज सीधे सीधे चुदाई कर लेता हूँ.. चुसाई का खेल बाद में कर लूँगा.
मैंने अपना लंड उसकी चूत पर सैट किया और उसकी पतली कमर पकड़ कर एक झटका दे मारा. मेरा आधा लंड अन्दर घुसता चला गया.
वो ‘उईईई ऊई उम्म्ह… अहह… हय… याह… आईई ऊऊऊ उफ़..’ करने लगी.
मैं जल्दी से उसका मुँह बंद करने के लिए उसके होंठ चूसने लगा. फिर मैंने एक और झटका मारा, तो लंड पूरा अन्दर चला गया. उसकी चूत से खून निकलने लगा. मैं कुछ देर तक रुक गया और उसके होंठ और चूची चूसता रहा. फिर धीरे धीरे झटके मारने लगा. अब उसका दर्द कम हो गया था और वो अपनी आंख बंद करके मेरे नीचे पड़ी थी. वो मुझे अपने ऊपर खींच रही थी और मैंने चुदाई की रफ़्तार तेज कर दी.
करीब बीस मिनट की धकापेल चुदाई के बाद हम दोनों का पानी छूट गया. कुछ देर हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे क्योंकि हम ठाक गए थे.
फिर वो मुझे अलग करके अपने कपड़े पहनने लगी और अपनी सलवार का नाड़ा बांधने लगी. पर मैंने अभी भी अपने कपड़े नहीं पहने थे, मेरी चुदाई की भूख अभी शांत नहीं हुई थी.
मैंने उसे अपनी तरफ खींचा और उसकी सलवार का नाड़ा खोल कर उसको अपने ऊपर खींच लिया. इस बार मैं नीचे था और वो मेरे ऊपर सवार थी. मैंने अपने दोनों हाथों से उसकी कमर को कस कर पकड़ा और लंड को चूत पर लगा दिया. लंड चूत में धकापेल पेल चुदाई शुरू हो गई.
उसके मुँह से निकलती ‘आईई ईईईई ऊऊऊऊ आआआ..’ की आवाजें मुझे और भी गर्म कर रही थी. मैं नीचे से उसकी कमर पकड़ कर जोर जोर से झटके मार रहा था. बीस मिनट बाद मैंने उसकी चूत में ही रस छोड़ दिया और अपने कपड़े पहनने के बाद अपने घर वापस आ गया.
यह हम दोनों का रोज का नियम बन गया था. रात को ऐसे ही उसके घर जाकर उसकी चुदाई करता था.
फिर एक दिन निहारिका ने मुझसे फोन पर कहा- मुझे तुमसे जरूरी बात करनी है.
मैंने कहा- जान रात को आऊंगा, तब जी भर कर बात कर लेना.
उसने ओके कहा और फोन काट दिया.
जब रात को मैं उसके घर गया, तब निहारिका ने मुझे बताया कि उसके घर वालों ने उसकी शादी तय कर दी है.
यह कह कर वो मेरे गले लग गई और रोने लगी. वो बोली- जानू, मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं.
मैंने उसको चुप कराया और समझाया- जानू, तुम अपने घर वालों के कहने पर उधर शादी कर लो, जहां वो चाहते हैं. मैं शादी के बाद भी तुमसे प्यार करता रहूंगा.
वो मेरी बात मान गयी. हम दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगे. वो मुझे बेहद गर्म तरीके से चूम रही थी. आज चुदास कुछ ज्यादा ही भड़क गई थी.
कुछ देर बाद मैंने उसकी सलवार खोली और लंड को चूत पर लगा कर धकापेल चुदाई शुरू कर दी. मेरा लंड उसकी चिकनी चूत में पूरा अन्दर घुस गया. पूरा लंड जाते ही मैंने उसको गोद में उठा लिया और उसने अपनी दोनों टांगें मेरी कमर पर लपेट लीं. मैं उसको अपने ऊपर टांग कर उठा उठा कर चुदाई करता रहा.
उस रात को मैंने निहारिका को चार बार चोदा. फिर कुछ दिन बाद निहारिका की शादी भिवानी के पास किसी गाँव में हो गई थी. मुझे तो उसकी चूत की आदत पड़ गयी थी, इसलिए उसकी शादी के बाद उसके बिना मुझसे रहा नहीं गया. रोज रात को मुझे उसकी याद आती थी और हर रात को मुठ मार कर अपनी भूख शांत करता था.
फिर अचानक एक दिन उसका फोन आया और मैंने उससे कहा- जानू, मैं तुम्ह़ारे बिना रह नहीं सकता.
उसने मुझसे कहा- मुझे भी तुम्हारी याद आती है.
उसने बताया उसका पति एक अखाड़े का पहलवान है, उसका लंड बहुत बड़ा और मोटा है. वो मेरी दिन रात बुरी तरह से चुदाई करता है. मुझे पूरी रात सोने नहीं देता और दिन मैं भी तीन चार बार चोदता है. मेरी चूत छोटी है इसलिए मुझे बहुत तकलीफ होती है. वो तो बस मेरी छोटी सी चूत में लंड पेल कर मजा लेता रहता है. एक बार की ठुकाई कम से कम आधे पौने घंटे की करता है. एक बार मैं ही मेरा पूरा शरीर तोड़ देता है. फिर मुझे घर का काम भी करना पड़ता है. मैं पूरी तरह से टूट जाती हूं. पति रात को मेरे पिछवाड़े में लगा रहता है. उस वजह से अब तक मेरे पिछवाड़े का दर्द ठीक नहीं हुआ.
फिर मैंने निहारिका को समझाया कि जानू डरो मत … तुम्हें धीरे धीरे आदत पड़ जाएगी.
वो कुछ नहीं बोली.
मैंने निहारिका से पूछा- तुम भिवानी कब आओगी?
उसने कहा- जानू, मेरा बस चले तो अभी आ जाऊं.. पर मेरे पति आने नहीं देते.
मैंने निहारिका से कहा- जानू, मुझे रोज रात को तुम्हारी याद आती है और मुझे मुठ मार कर गुजारा करना पड़ता है.
वो भी मुझसे याद करने की बात कहने लगी.
मैंने निहारिका से पूछा- तेरी ससुराल में कौन कौन रहता है?
निहारिका ने बताया कि उसके सास ससुर साथ ही रहते हैं. वो दोनों नीचे कमरे में रहते हैं और हम ऊपर वाले में.
फिर मैंने निहारिका से कहा- जब रात को तेरा पति तेरी चुदाई करे, तो मेरे फोन से कॉल मिला कर यूं ही रख देना. मैं तेरी और तेरे पति की चुदाई की आवाज सुनना चाहता हूं.
निहारिका ने कहा- ठीक है … अभी फोन रखती हूँ.
उसने फोन काट दिया.
फिर रात को निहारिका का फोन आया और मुझे निहारिका की चुदाई की आवाज़ साफ साफ सुनाई दे रही थीं. निहारिका का पति निहारिका की पलंग तोड़ चुदाई कर रहा था. निहारिका चिल्ला रही थी- आईईई ईईईई ऊऊऊऊ आआआआ छोड़ दे आआह.. ऊऊऊऊ ईईईईई.. मर गई.. आह..
वो कामुक सीत्कार भर रही थी. इधर मैं निहारिका की आवाज़ सुन कर गर्म हो गया था और मुठ मारने लगा.
निहारिका की चुदाई एक घन्टे तक चलती रही और उतनी देर में मैं दो बार मुठ मार चुका था.
फिर अचानक निहारिका की आवाज़ आनी बंद हो गई. मैं समझ गया था कि अब निहारिका की चुदाई ख़त्म हो चुकी है. मैंने फोन कट किया और सो गया.
सुबह निहारिका का फोन आया और उसने कहा- सुना तुमने, इससे तुमको पता चला गया होगा. मेरा पति मुझे कितनी बुरी तरह से चोदता है.
मैंने कहा- यार निहारिका तू है ही इतनी सेक्सी … किसी का भी मन न भरे.
मेरी इस बात से वो हंसने लगी.
मेरी हर रोज निहारिका से फोन पर बात होने लगी थी. हर रात उस की चुदाई की आवाज सुनकर मैं मुठ मार लेता था. एक दिन तो फोन पर निहारिका की आवाज सुन रहा था. निहारिका के पति ने पूरी रात निहारिका को खूब ठोका. निहारिका के चूत और चूतड़ों की आवाज आ रही थी ‘पट पट पट पट …’
उसकी सिसकारियों की भी ‘आईईई आआह उफ्फ्फ … आईई माँ आआ मार दिया रे …’ आवाज आ रही थी. उस रात उसके पति ने उसको रात भर बहुत ठोका.
फिर अगले दिन निहारिका का फोन आया.
मैंने पूछा- कल रात को क्या खा लिया था तेरे पति ने?
तो निहारिका ने कहा- पता नहीं, पर मुझे पूरी रात बजाया. मुझे कभी अपने नीचे दबा कर रगड़ता रहा और कभी अपने ऊपर लेटा कर उछालता रहा. पूरी रात मेरी चूत में ही लंड पेलता रहा. उसका रस भी मेरी चूत में गया है.
मैंने निहारिका से कहा कि मतलब तेरे पति ने तुझको प्रेग्नेंट कर दिया है और अब वो तुमको कई महीने नहीं चोदेगा.
निहारिका ने मुझसे कहा- अच्छा है, अब चैन से तो रह सकती हूं.
इस तरह निहारिका रोज मुझसे फोन पर बात करती थी.
फिर दो महीने बाद निहारिका के पापा की मृत्यु हो गई थी. उनको कैंसर था. उसी समय निहारिका भिवानी आयी हुई थी.
फिर एक महीने बाद उसके घर से सब गेस्ट जा चुके थे, तो मैं रात को निहारिका के घर चला गया. मैं कई महीनों बाद उससे मिला था. मेरे जाते ही वो मुझसे गले लग गयी. अब मैं उसको चोद भी नहीं सकता था. वो प्रेग्नेंट थी.
मैं बस उसके साथ बेड पर लेटा रहा और कभी उसके होंठ चूसता और कभी उसकी चुचियों को पीता. कभी उसकी कमर और चूतड़ों पर हाथ फेरता.
मैंने निहारिका से कहा- यार, तेरे जाने के बाद मैं बहुत परेशान हो गया हूँ.
उसने कहा- इसमें मेरा क्या कसूर है जानू.
मैंने निहारिका के हाथ में लंड देकर उससे मुठ मरवाना शुरू कर दिया. निहारिका मेरा लंड हाथ में लेकर हिला रही थी. मेरा एक हाथ उसकी कमर पर था. दूसरे हाथ से मैं उसकी चूची मसल रहा था और उसके होंठ चूसता रहा.
निहारिका ने अपना कमीज निकाल दी थी. बस सलवार पहनी हुई थी. वो मेरी मुठ मार रही थी. कुछ देर बाद मेरा लंड छूटने वाला था और पिचकारी निहारिका की सलवार पर जा गिरी. निहारिका की सलवार मेरे छूटने से गीली हो गई थी, तो जब निहारिका ने सलवार उतारी, तो उसके चूतड़ों के दर्शन मुझे कई महीनों बाद हुए थे. मैंने देखा कि निहारिका के चूतड़ पहले से भी ज्यादा बाहर निकल आए थे और खड़े हो गए थे.
शायद उसके पति ने उसकी गांड की बहुत ज्यादा ठुकाई कर रखी थी. मैं तो देखते ही पागल हो गया था, पर कुछ नहीं कर सकता था, वो प्रेग्नेंट थी.
मैंने निहारिका से कहा- यार तेरा पिछवाड़ा तो पहले से भी ज्यादा सेक्सी हो गया है.. गाँव जाकर क्या खाने लगी है?
निहारिका ने कहा- सब पति देव की मेहरबानी है … सुहागरात से ही गांड की चुदाई शुरू कर दी थी.
कुछ देर बाद मैं निहारिका के घर से आ गया.
इसके बाद जब तक निहारिका इधर रही, मैं हर रात को निहारिका से मुठ मरवा लेता था.
कुछ महीने बाद निहारिका को एक लड़की हुई थी और वो बहुत खुश थी. अब निहारिका का पति भी उसके पास आ गया था और एक महीने बाद निहारिका को वापस ले गया.
उसके जाने के बाद मेरा मन काफी उदास हो गया था. अब तो उसके खड़े चूतड़ों को याद करके मैं रात को बेचैन हो जाता था. मुझे लगता था कि न जाने कब उसके खड़े चूतड़ों की सेवा लूंगा.
फिर एक दिन निहारिका की माँ ने उसको फोन करके रहने को बुला लिया. पूरे एक साल बाद निहारिका अपने घर आई थी. उसको देखकर मैं काफी खुश हुआ था. उस दिन निहारिका के आने की खुशी मैं मैंने शराब भी पी ली. फिर एक नींद की गोली का पत्ता निहारिका को दिया और उसने अपने घर वालों को देकर सुलाने को कह दिया.
रात को मैं उसके घर गया. निहारिका मुझे अपने कमरे में ले गई. अन्दर जाते ही मैंने निहारिका को बेड पर लिटा लिया और और उसके ऊपर चढ़ गया. उसके पतले होंठ चूसने लगा.
निहारिका को मेरे मुँह से शराब की गंध आ गयी.
उसने कहा- तुमने ड्रिंक कर रखी है?
मैंने निहारिका से कहा- तू इतने दिनों बाद आई है, तेरे आने की खुशी में पी ली.
निहारिका ने कहा- मेरी कसम खाओ आज के बाद कभी नहीं पियोगे.
निहारिका ने मुझे कसम दिलाई और मैं उसको चूसने लगा. उसकी कमीज को निकाला और उसकी दोनों चुचियों को पीने लगा. निहारिका ने मेरा सर दोनों हाथों से पकड़ रखा था और अपनी छाती से चिपका रखा था. फिर मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोल लिया और सलवार को उतार दिया. निहारिका को टेढ़ा लेटा कर अपना लंड उसके चूतड़ों के छेद पर रखा और उसकी पतली कमर को पकड़ कर जोर से झटका दे मारा. मेरा लंड पूरा अन्दर चला गया और कमर पकड़ कर जोर जोर से शराब के नशे में झटके मारता रहा.
उसके मुँह से तेज आवाजें आने लगी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… उफ्फ …’
मुझे उसके मुँह से निकलती आवाजें और जोश दिला रही थीं. मैं और जोर जोर से झटके मारने लगा. मैं एक साल से उसके खड़े चूतड़ों को चोदने के लिए बेचैन था. आज जी भरके मैंने उसके पिछवाड़े की सेवा ली थी.
एक बार चोदने से मेरी भूख शान्त नहीं होने वाली थी. मैं धकापेल चुदाई कर रहा था. फिर वो झड़ने लगी, पर मैं तो नशे में धकापेल में लगा रहा. काफी देर बाद मैंने भी उसके चूतड़ों में ही रस छोड़ दिया और बीस मिनट उससे चिपट कर पड़ा रहा.
कुछ देर बाद मेरा लंड खड़ा हो गया. अब मैं नीचे लेटा हुआ था और मैंने निहारिका को अपने ऊपर लेटा लिया. मैंने अपना लंड उसकी गांड में सैट किया दोनों हाथों से उसकी पीठ पकड़ कर झटके पर झटके लगाने लगा. उसके खड़े चूतड़ों को चोद कर मेरे मन को शांति मिली. उस रात निहारिका की सुबह चार बजे तक ठुकाई की.
फिर दो महीने तक मैं निहारिका को ऐसे ही चोदता रहा.
एक दिन जन्माष्टमी का अवसर आया. हमारे यहां जन्माष्टमी के दिन बहुत बड़ा मेला भरता है.
निहारिका ने मुझे फोन किया और पूछने लगी- जानू, तुम मेले में जाओगे?
मैंने हां कहा, तो निहारिका पूछने लगी- आज मैं क्या पहनूं?
मैंने कहा- जिसमें तू बहुत सेक्सी लगे, वो पहन ले.
इस पर वो हंसने लगी और फोन काट दिया. फिर शाम सात बजे मेला शुरू हो चुका था. मैं मेले में निहारिका को ढूंढ रहा था, पर निहारिका अपनी भाभी के साथ रात आठ बजे आई. मैं तो उसे देख कर हैरान रह गया. उसने काले रंग का सूट पहना था और लाल लिपस्टिक लगा रखी थी. बड़ी कयामत लग रही थी उसका ये सूट बहुत फिटिंग का था, इसलिए उसकी चूचियों का उभार मस्त दिख रहा था. जब वो चल रही थी, तो उसकी पतली कमर के साथ हिलते चूतड़ बहुत सेक्सी लग रहे थे.
मेले में सभी लड़के निहारिका का फिगर देख कर उसपे लाइन मार रहे थे. फिर निहारिका ने मुझसे इशारे में पूछा- कैसी लग रही हूँ.
मैंने भी इशारे में कहा- मस्त.
निहारिका अपनी भाभी के साथ घूम रही थी और मैं मेरे दोस्तों के साथ था. मेरे दोस्तों को सब पता था कि मैं रात को निहारिका चोदता हूँ. वो सब मुझे चिढ़ा रहे थे कि यार तेरी तो आज रात को दीवाली ही दीवाली है.
मेरे सब दोस्त गांजा पीते थे और वो मुझसे कहने लगे कि ले आज तू भी पी ले. पर मैंने मना कर दिया, तो वो सब कहने लगे- अबे साले आज पीके तो देख, रात को भाभी की मस्त चुदाई करेगा.
फिर मैंने भी उनके साथ दो तीन सुट्टे लगा लिए, जिससे मुझे नशा हो गया था.
रात के दस बज गए थे, निहारिका भी घर जा चुकी थी, तो मैंने निहारिका को फोन किया, उससे बोला- जान तुम कपड़े चेंज मत करना, जैसी मेले में दिख रही थी, वैसी ही रहना.
उसने कहा- ठीक है.
वो समझ गयी थी कि रात को मैं उसको इन्हीं कपड़ों में चोदना चाहता हूँ.
रात को मैं निहारिका के पास गया, तो वो उसी सूट में तैयार खड़ी, मेरा वेट कर रही थी. मैंने जाते ही उसको बेड पर गिरा लिया और चूमने लगा. उसने होंठों पर लाल लिपस्टिक और भी गहरी लगा ली थी. मैं उसके सेक्सी होंठों को चूसने लगा. आज बहुत देर तक मैंने निहारिका के होंठ चूसे थे. उसकी सारी लिपस्टिक चूस गया था.
इसके बाद मैंने उसकी कमीज को निकाला और उसकी ब्रा खोल दी. उसकी चूचियों को जी भर कर मसला और पिया. वैसे तो निहारिका रात को ब्रा और कच्छी निकाल कर सोती थी, पर आज मैंने फोन पर उसको रोक दिया था.
फिर मैंने उसकी सलवार खोली और घुटनों तक नीचे कर दी. आज मैंने उसकी सलवार पूरी नहीं उतारी थी क्योंकि मुझे उसके शरीर पर काली सलवार बहुत सेक्सी लग रही थी और मुझे कुछ ज्यादा जोश चढ़ा रही थी.
फिर मैंने उसकी कच्छी थोड़ी सी नीचे सरका दी थी और उसको टेढ़ा लेटा दिया. फिर अपना लंड उसके चूतड़ों के छेद पर लगा कर उसकी कमर पकड़ कर जोर से धक्का दे मारा.
एक ही बार में मेरा पूरा लंड अन्दर चला गया. उसके मुँह से ‘उईईई उई ईईईई..’ निकल गयी. पर आज मेरा लंड गांजे के नशे में तन रहा था और मैं धकापेल लंड पेल रहा था. मेरा हर धक्का निहारिका के पिछवाड़े पर लगने से पूरे कमरे में पटपटपट पटपटपट की आवाजें गूंज रही थीं. मेरे हर धक्के से वो हिल रही थी, तो साथ ही उसकी पाजेब और चूड़ियों की छमछम छमछम की आवाज़ गूंज रही थी. मैं धकापेल करने में लगा रहा. आज तो गांजे के नशे में मेरा लंड छूटने को तैयार ही नहीं था, पर मुझे तो मजा आ रहा था.
फिर काफी देर बाद मेरा छूटने वाला था. मैंने निहारिका के चूतड़ों में ही रस छोड़ दिया.
थोड़ी देर आराम करने के बाद वो उठी और मेरे सामने खड़ी होकर सलवार ऊपर करके नाड़ा बांधने लगी. वो मेरे सामने नाड़ा जब बांधती थी, जब उसका मन और चुदने को करता था क्योंकि उसे पता था कि मैं ये देख कर गर्म हो जाता हूँ.
वही हुआ, मैंने उसका नाड़ा खोला और उसको अपने ऊपर लेटा कर लंड पिछवाड़े में डाल कर धकापेल में लग गया. उसकी चूची हर झटके के साथ मेरे मुँह के ऊपर हिल रही थी. गांजे के नशे में दो घंटे तक उसको अपने लंड पर उछालता रहा.
हम दोनों का पानी छूटने लगा और फिर वो अपने कपड़े पहन कर सो गई और मैं अपने घर आ गया.
मेरी सेक्स कहानी निहारिका के साथ अब बस यूं ही चल रही है.

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