“आआ आआह उम्म यस्सस्स..”
मैंने उसके निपल्स को चाटते हुए दांतों से दबा लिया. वो दर्द से चिहुंक गई- आ आहह आहह.
मैंने उसके निप्पल को छोड़ा और उसके चुचों को चूसना जारी रखा. वो आंखें बंद किये मजे ले रही थी. मैं नीचे की तरफ बढ़ा, मैंने उसके नंगे सपाट पेट पे किस किया.
वो सिसकारियां भरके मजे ले रही थी. मैं चूमते हुए नीचे आया. उसके सपाट पेट पे सबसे कामुक जगह उसकी नाभि थी. मैंने उसकी नाभि में जीभ घुमा दी. वो वासना से सिहर उठी. उसके मुँह से ‘ईस्स ऊम्म … हम्मम..’ की आवाज निकली. उसके हाथ उसके बालों में थे. वो वासना के वशीभूत होके अपने बालों को नोंच रही थी.
मैं किस करते हुए नीचे पहुंचा. मैंने देखा कि नाभि के नीचे अपनी कमर पे उसने एक ज्वेलरी पहन रखी थी जो कि पतली सी चैन थी. उस पर एक छोटा सा ताला बना था. वो गोल्डन चैन थी. इसी लिए मेरी नजर पड़ी. छोटे ताले पे कुछ लिखा था … जोकि इतनी कम रोशनी में मैं पढ़ नहीं सकता था.
मैं किस करते हुए उसकी झांटों के भाग में पहुंचा. उसकी झाटें बिल्कुल साफ क्लीन थीं, जैसे कभी उगी ही न हों.
वैसे वो हमेशा क्लीन रखती थी. मैंने उस भाग पे किस किया. वो पीछे हटी, मैंने हाथ पीछे ले जाके उसके चूतड़ों को पकड़ के खींचा और जीभ से चाटने लगा. मैं हाथ से उसके चूतड़ों को दबाता हुआ उसकी चुत के ठीक ऊपर के हिस्से को चाट रहा था.
वो पागल हुई जा रही थी. अपने हाथों से वो बालों से खेल रही थी. आंख बंद किये हुए सिसकारियां ले रही थी. मैंने जीभ उसकी चुत पे फिराई और इसके चुत में खोंस दी. वो तो जैसे बिन पानी के मछली जैसे छटपटा रही थी. ‘उम्म्म हम्म आहह उम्म्म …’ की आवाजें निकली.
मैंने जीभ जितना अन्दर जा सकी, ठूंस दिया. मैं जीभ उसकी चुत की अंदरूनी दीवारों पे फेर रहा था.
वो बस ‘उम्म ओह्हः सीईईई यसस्स हम्मम्म.’ कर रही थी. मैंने कुछ देर चुत चाटने के बाद उसे छोड़ा क्योंकि मैं उसे झड़ने नहीं देना चाहता था. लेकिन वो चाहती थी कि मैं उसकी चुत को खा जाऊं क्योंकि वो काफी गर्म थी. उसको ऐसे सेक्स के लिए तड़पाना मुझे अच्छा लगता था.
प्रीति के शब्द:
मेरी हालात तो जैसे किसी रंडी जैसी हो गयी थी. मैंने भाई को पूरी तरह से खुद को समर्पित कर दिया था. उसे जो मन करे, वो मेरे साथ कर रहा था. मैं उसकी गुलाम थी. वो मुझे 2 घण्टे से अलग अलग तरीकों से गर्म कर रहा था. अब मैं भाई से जबरदस्त चुदाई की उम्मीद कर रही थी. लेकिन उसे मुझे तड़पाने में मजा आता था. ये बात मुझे और उत्तेजित करती थी.
लेकिन आज भाई जैसे मेरे बदन से खेल रहा था. ऐसा एहसास पहले कभी नहीं हुआ. खुले में चुदाई की मेरी फैन्टसी सच हो रही थी. मुझे एहसास हो रहा था कि भाई मेरी इच्छाओं का कितना ख्याल रखता था. यही कारण था शायद मुझे उसकी गुलाम बनाने में खुशी मिलती थी. उसकी हर यातनाएं मुझे अच्छी लगती थीं.
विशाल के शब्द:
मैं उसे टांगों पे किस करने लगा. मैं दोनों टांगों पे किस करते हुए ऊपर उठा उसके सामने आ गया. उसने हांफते हुए आंख खोली और परेशानी से मुझे देखा. फिर हांफते हुए बोली- कर न, रुक क्यों गया!
मैंने उसके बाल पकड़ के खींचे और उसे घुमा दिया. मैंने उसका सर दीवार में दबा दिया. वो आगे की तरफ दीवार से सटी हुयी थी. उसने अपने हाथ ऊपर कर के दीवार का सहारा लिया हुआ था. वो हांफ रही थी.
मैंने उसके सर को दीवार में दबाये हुए पूछा- यू लाइक इट हार्डर (तुम्हें तो जंगली सेक्स पसंद है न)
उसने हांफते हुए कहा- हां … हम्म … आई लाइक इट हार्ड (जंगली तरीके से करना मुझे पसंद है)
मैंने उसके बालों को हटा के उसकी गर्दन पे किस किया. फिर मैंने उसके कंधे पे किस किया. उसके पीठ पे किस करता हुआ नीचे आने लगा.
वो ‘आहह उम्म्म हम्म …’ की सिसकारियां भरती रही. मैं उसके चूतड़ों पे पहुंचा. मैं उसके चूतड़ों को किस करने चाटने लगा. वो “आहह उम्म्म इसस हम्मम आहह..” की मादक आवाजें निकाल रही थी.
हम खुल्लम खुल्ला ये सब कर रहे थे. हमें डर भी नहीं लग रहा था. अगर कोई सुन ले तो क्या कहेगा … इस बात से हम दोनों को कोई असर नहीं था. हम वासना की आग में सब कुछ भूल चुके थे कि हम कहां हैं और क्या कर रहे हैं.
खैर डरने की कोई बात थी भी नहीं. हमें देखने वाला कोई नहीं था. रही बात आवाजों की, तो सबको यही लगता. लगता कि आज मिसेस जायसवाल (मम्मी) और मिस्टर (पापा) बालकनी में काफी मजे कर रहे हैं.
मेरा लंड कड़क हो चुका था. अब चुदाई के लिए वो भी तैयार थी. मैंने उसे वैसे बाल पकड़े लाया और झूले वाले सोफे पे पटक दिया.
हमारी इस बालकोनी में एक छोटा सा झूला था. पास में कुछ कुर्सियां थीं. पाप मम्मी अक्सर यहां बैठ के बातें किया करते थे. कभी कभी हम भी आके बैठते बातें करते.
मैं आपके आगे की कहानी में बताऊंगा कि यह जगह मेरे लिए काफी लकी रही है. क्योंकि यहीं मुझे वो मिली थी.
उसने गिरते गिरते सोफे के किनारे को पकड़ कर अपने हाथों से खुद को सम्भाला. उसने पीछे मुझे देखा, बोली- आराम से … पूरी रात के लिए तुम्हारी ही हूँ.
मैंने उसके बाल पकड़ के उसके सर को आगे सोफे पे दबाया और चूतड़ों पे चपत लगाई, मैं बोला- नो वर्ड्स (एक शब्द नहीं बोलोगी तुम)
वो दर्द भरी वासना से कराहते हुए नशीली आवाज में बोली- आहह उम्म्म ओकेकके मास्टर!
मैंने उसी हालात में एक झटके में लंड उसकी चुत में ठूंस दिया. वो दर्द से चिल्लाई ‘आ ओओओओ सीईई.’
वो धक्के से आगे सोफे के किनारे पे गिर गयी, जिसे पकड़ के वो सम्भली थी.
मैं उसकी स्थिति बता दूं. वो घुटने मोड़ कर एक पैर सोफे पे रखे थी. उसका एक पैर नीचे था. वो हाथ मोड़ के कोहनी के सहारे सोफे के किनारे से अपने को संभाले हुई थी. उसके चुचे लटक रहे थे. मेरा लंड उसकी चुत में था. मैंने उसके बल पकड़ के सर को सोफे पे दबाये हुआ था. मैंने इसी स्थिति में दूसरा धक्का दिया. मेरा पूरा लंड उसकी चुत में घुस गया.
वो चिल्लाई- आहह आहह … ओह ईस्स.
मैं रुका, मैंने जमीन पे गिरी उसकी पैंटी ली उसके मुँह में ठूंस दिया. मैंने धक्के लगाने चालू किये. वो हर धक्के के साथ गूं गूं की आवाजें निकल रही थी. उसके मुँह में पैंटी थी. वो खुल के सिसकारियां नहीं ले पा रही थी. फिर भी उम्म … हुम्म … की आवाज आ रही थी.
मेरे धक्कों से पूरा झूला हिल रहा था. जिससे खचर खचर की तेज आवाज हो रही थी. मैं खचाखच धक्के लगाये जा रहा था. झूला कोई ठोस स्थिर वस्तु थी नहीं होती है, इसीलिए यहां बैलेंस बनाना काफी मुश्किल था.
मैंने 10-15 धक्कों के बाद उसे उठाया. वो घुटनों के बल आ गयी. मैंने पैंटी निकाली और लौड़ा उसके मुँह में पेल दिया. कुछ देर उसके मुँह की चुदाई करने के बाद मैंने उसे झूले के स्टैंड बार के सहारे झुकाया. उसकी चुत को चाटने लगा. वो मस्त हो उठी.
जब मैं उसकी चुत चाट रहा था, वो ‘उम्म्म हम्मम्म यस यस्स हम्म.’ की आवाजें निकाल रही थी. चूत चाटने के बाद मैं उठा और पैंटी को फिर से उसके मुँह में ठूंस दिया. अब लौड़ा उसकी चुत में पेल कर धक्के लगाना शुरू कर दिया. वो ‘गूं गूँ गूँ …’ की आवाजें निकाल रही थी. मेरे हर धक्के के साथ उसकी तेज स्वर में ;गूं गूं हम्म गूं उम्म्म …’ की आवाज निकल रही थी.
मैंने धक्के देना थोड़े और तेज किये. उसके माथे पे हल्की सी शिकन आई. मैंने धक्के लगाना जारी रखे.
करीब 10 मिनट उसे इसी स्थिति में चोदने के बाद जब मैंने लौड़ा बाहर निकाला, तो वो घूम गई. उसने झटके से पैंटी को अपने मुँह से निकाल कर मेरा लौड़ा मुँह में ले लिया और पूरे जोश में चूसने लगी.
कुछ पल लंड चुसाई का मजा लने के बाद मैंने उसे उठाया और झूले के स्टैंड बार के सहारे खड़ा कर दिया.
उसने एक हाथ ऊपर करके स्टैंडबार से लपेट के पकड़ रखा था. वो स्टैंड बार पर पीठ का सहारा दे कर खड़ी थी. इस स्थिति में उसने अपना बायां पैर झूले पे टिका रखा था … जिससे उसकी चुत साफ खुल के नजर आ रही थी. मैंने उसी स्थिति में लौड़ा उसकी चुत में फिट किया और धक्के लगाना शुरू कर दिया.
मैं उसके चेहरे को देख पा रहा था, उसके चेहरे पे कामुक भाव थे … माथे पे हल्की सी शिकन थी. वो लंड की हर थाप के साथ ‘उम्म्मम्म हूम्म हम्म उम्ममम…’ की आवाजें निकालते हुए चुत चुदाई का मजा ले रही थी. उसके मम्मे हर धक्के के साथ उछल कूद कर रहे थे.
मैंने उसे कुछ देर ऐसे चोदने के बाद उसके बाएं पैर को उठा लिया और चोदने लगा. बीच बीच में मैं उसके होंठों को जीभ फेर देता. उसने दोनों हाथ सर के पीछे करके स्टैंड को पकड़ रखा था. जिससे उसकी नंगी बगलें मेरी तरफ खुल गई थीं.
मैं उसे चोदते हुए उसकी बगलों पे जीभ फेर देता, तो वो और गर्म हो जाती.
कुछ देर ऐसे ही चुदने के बाद वो मेरी कमर में अपने पैर को लपेटने लगी. उसकी सांसें तेज हो गईं … उसका बदन अकड़ने लगा. तभी उसकी पकड़ ढीली हुई और वो मेरे ऊपर आ गिरी. वो मेरे बदन से चिपक गयी और मुझे अपने आगोश में लिए झड़ने लगी.
वो ‘आह हम्मम्मय सीसीईई हम्ममम हम्म…’ की आवाजें निकलते हुए जर्क लेते हुए झड़ रही थी … इस वक्त वो कांपते हुए झड़ रही थी. वो मेरी गर्दन में हाथ डाले हुए थी और अपने पैर मेरी कमर से लपेटे मेरे बदन से चिपकी हुयी थी. मैं उसे चूतड़ों से उठाये अपने सीने से चिपकाये बेडरूम में लाया और बेड पे पटक दिया. इस दौरान मेरा लौड़ा उसकी चुत में ही था.
वो कमर से ऊपर तक पीठ के बल बेड पे लेटी थी. मेरा लौड़ा उसकी चुत में था. वो आंखें बंद किये अपने तेज चलती सांसों को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही थी. मैं झुका और उसके होंठों पे होंठ रख दिए. अब मैं मेरी रंडी बहन के होंठों को चूसने लगा. वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी. उसकी उंगलियां मेरे बालों में थीं. वो मेरे सर को पकड़ के मेरे होंठों को जोर से चूस रही थी. वो इतनी जोर से चूस रही थी, लग रहा था मानो खा जाएगी.
कुछ ही पलों में वो फिर से गर्म हो रही थी. वो अब फिर से गांड हिलाने लगी. मैं उससे अलग हुआ और उसके दोनों हाथों को उसी अवस्था में सर के तरफ ले जाके क्रमशः अपने दोनों हाथों से पकड़ के बेड में दबा दिया. इससे मुझे एक पोजीशन मिली. उसने कमर पे मेरे पैरों की पकड़ थोड़ी ढीली कर दी. मैंने उसकी कमर के नीचे एक तकिया लगा दिया. उसकी चुत अब लंड खाने की पोजीशन में आ गयी थी. मैंने धक्के लगाना चालू किए.
वो बस ‘आह हम्म आह एससस्स हम्मम यसस्स हम्म…’ की आवाज निकाल रही थी.
मेरे धक्कों की गति बढ़ी … तो उसकी भाषा बदल गई. अब वो तेज स्वर में बोलने लगी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… फक मी … फक हार्ड … (चोदो चोदो चोदो और तेज चोदो)
मैं और तेज धक्के देने लगा.
वो और तेज चिल्लाने लगी. वो बोली- चोद दे … आह और जोर से चोद दे यस … भुर्ता बना दे मेरी चुत का. सॉरी मास्टर उम्म्म हम्म फ़क योर लिटिल स्लट हार्डर मास्टर (अपनी इस छोटी सी रंडी को और जोर से चोदो)
मैंने उसके दूध मसलते हुए चुदाई तेज कर दी.
“ओह्ह आह हम्म आई एम योर स्लट सिस्टर मास्टर. … फ़क मी!” (मैं आपकी रंडी बहन हूँ मास्टर, चोद डाले मुझे)
मैं उसकी इन सब बातों से उत्तेजित हो रहा था. उत्तेजना में मैं जल्दी झड़ जाता हूँ. मैं अपना एक हाथ उसके बांहों से हटा के उसके मुँह पे लाया और उसके मुँह को दबा दिया. अब वो कुछ बोल नहीं पा रही थी. मैंने फुल स्पीड बढ़ा दी, मेरी ताकत जबाव देने लगी थी. मैं उससे बोला- आह मैं गया.
अगले 5 मिनट में मैं झड़ गया. मैं उसके बदन पे निढाल सा गिर गया. मैं हांफ रहा था. वो मेरे नीचे दबी थी. उसने मुझे धकेल के अपने ऊपर से हटाया. मैं हट उसके बगल में बेड पे पीठ के बल लेट गया. मैं अपने सांसों पे काबू पाने की कोशिश ही रहा था.
तभी वो उठी और बोली- लेकिन अभी मेरा नहीं हुआ.
वो मेरे टपकते लौड़े मुँह में लेके चूसने लगी. जब कुछ देर में मैं सामान्य हुआ तो मैंने देखा. मैं बेड पे पीठ के सहारे लेटा था. वो गांड मेरी तरफ किये लौड़े को चूस रही थी. उसकी खुली हुई चुत का लाल सुराख़ मुझे दिख रहा था.
क्या मस्त पाव रोटी की तरह थी उसकी चुत. उसकी चुत से मेरा और उसका सम्मलित रस टपक रहा था. उसकी गुलाबी चुत चमक रही थी. मैंने एक उंगली डाल के उसकी चुत का मुआयना किया. कोई हलचल नहीं हुई. वो अपने काम में लगी हुई थी.
मैंने देखा उसकी चुत एकदम गीली हो चुकी थी. मैंने 2 उंगलियां डाल दी कोई फर्क नहीं पड़ा. मैंने चार उंगलिया पेल दीं, उसने लौड़ा मुँह से निकाला और चीख उठी- आह आहह आहह …
उसका एक हाथ मेरे लौड़े पे अभी भी चल रहा था. मैंने उंगलियां निकालीं, जो उसके रस से भीगी हुई थीं. मैं उंगलियों को उसके मुँह के पास ले गया. वो चाट गयी और मुझे एक कामुक स्माइल दी.
मैंने भी उसकी चुत रस को चाटा. चुत रस सेक्स क्रिया में एनर्जी ड्रिंक की तरह काम करता है. मेरी बहन की चूत का रस तो मेरे लाइफ का सबसे टेस्टी माल था.
अब वो आगे झुक गयी और लौड़े को वापस मुँह में ले लिया और चूसने लगी. उसके फूले हुए चूतड़ तथा उभरी हुई गांड मुझे साफ नजर आ रही थी. मैंने एक हल्की सी चपत उसके चूतड़ों पे लगा दी. उसके चूतड़ों में कम्पन हुयी, तो मुझे बड़ा मजा आया. मैं ऐसे ही धीरे धीरे उसके चूतड़ों पे चपत लगाता रहा. उसके चूतड़ कामुक अंदाज में हिलते.
वो आगे की तरफ झुकी, मेरे लौड़े को फिर से खड़ा करने के मशक्कत में जुटी थी. कभी मेरी बहन मेरे लौड़ा को पूरा मुँह में ले के चूसती, मेरे बॉल्स को चाटती. वो पूरे मन से लौड़ा चूस रही थी.
कुछ मिनट बाद उसकी मेहनत रंग लाई. मेरा लौड़ा फिर से फुंफकारने लगा. मेरा लौड़ा फिर रॉड की तरह टाइट हो गया. वो फिर से तैयार था, उसकी चुत के परखच्चे उड़वाने के लिए.
मैं उसके चूतड़ों पे किस करते हुए उठा और मैंने उसे वहीं बेड पे ही घोड़ी बना दिया. मैं खुद घुटने के बल बेड पे खड़ा हुआ और लौड़ा पीछे से उसकी चुत पे सैट करके एक झटके में पेल दिया. इस झटके से वो थोड़ा आगे खिसक गई. उसकी चुत गीली थी, हम दोनों एक बार झड़ चुके थे. लौड़ा सरसराते हुए उसकी चुत के अन्दर घुस गया. उसकी चीखें निकल गईं- आहह आहह आहह उफफ सीईईई … मार डाला रे.
उसने दांत भींच लिए. मैंने उसके बाल पकड़ के धक्के लगाना चालू किए. वो हर धक्के के साथ मस्त हो रही थी, उसकी ‘आह आह … आहह ओह हम्मम फ़क फ़क हम्म..’ की आवाजें निकल रही थीं. मैं उसके बाल पकड़ कर अपनी तरफ खींच कर उसे ऐसे धक्के लगा रहा था जैसे कि वो मेरी घोड़ी है और मैं उसकी सवारी कर रहा हूँ.
मैं कुछ देर ऐसे ही धक्के लगाता रहा. फिर मैं बेड के नीचे उतर गया.
अब उसकी स्थिति मैं आपको बता देता हूँ. वो बेड पे कोहनी के सहारे थी. बाकी उसका पूरा शरीर हवा में था. मैंने उसकी दोनों जांघें कमर के नीचे पकड़ के उसे उठा रखा था. वो लगभग हवा में लटकी पोजीशन में थी. उसकी कोहनियों को छोड़ के उसका पूरा शरीर हवा में था. मेरा लौड़ा उसकी चुत में सैट था. मैं उसकी टांगें उठा कर चुदाई कर रहा था.
मैं तेज धक्के लगाने लगा. वो सर को बेड के गद्दे में घुसाये मादक चीखें निकाल रही थी- आह आह ओओ … फक आहह.
उसकी नंगी पीठ मेरे सामने थी. दोस्तो, जब भी उसकी नंगी पीठ को देखता हूँ न, तो मैं उत्तेजित हो उठता हूँ. मैं जंगली हो जाता हूँ. जैसा कि वो मुझे देखना चाहती थी. मेरा मन करता है उसकी मखमली सॉफ्ट पीठ को खूब चूमूं, चाटूं, काटूं, खाऊं. लेकिन यहां इस पोजीशन में यह अभी संभव नहीं था.
मैंने उसे खड़ी किया और एक पैर मोड़ के बेड पर रखवा दिया. उसकी नंगी पीठ पे चूमते हुए मैं उससे चिपक गया और अपना लौड़ा उसकी चुत में पेल दिया. अब मैं उसकी नंगी पीठ को मैं अपने सीने पे महसूस कर सकता था. मैंने हाथ आगे ले जाकर उसके मम्मों को मुठ्ठी में भींच कर अपने से चिपका रखा था. मेरा मुँह उसके दाएं कंधे पे था. उसने दाएं हाथ को ऊपर करके मेरे गर्दन को सहारे के लिए पकड़ रखा था. मैं उसे ऐसे ही पेलने लगा.
मैं लौड़ा उसकी चुत में बराबर पेल के चोद रहा था. उसका बदन गर्म था. चुदाई का एक राउंड हो चुका था. उसकी गर्दन पे पसीने की बूंदें थीं. उसके हाथ ऊपर थे, जिससे उसकी बगलों से आती हुई खुशबू मुझे पागल कर रही थी.
मैं और जोर जोर से चोदने लगा. मैं उसे साइड से देख सकता था. वो आंख मूंदे थी, मुँह खुला था. वो कामुक की आवाजें निकाल रही थी- आह आहह ओह फक आआह.
मैंने उसके बाल पकड़ के खींचा और ले जाकर दीवार के सहारे झुका दिया. वो हाथ से सहारा लिए दीवार से हल्की झुकी थी. मैंने छोटा वाला स्टूल पैर से खींचा और उसकी दाएं पैर को स्टूल पे रखवा दिया. इससे उसकी गांड उठ गई. मैंने लौड़ा पेल दिया और चुदाई करने लगा. वो होंठों को भींचे जोर जोर से कामुक आवाजें निकाल रही थी.
फिर मैंने उसे विंग चेयर पे पटक दिया. वो पिछले भाग से आगे की तरफ टांगें उठाए हुए चुदाई का मजा ले रही थी.
बीस मिनट की धकापेल चुदाई के मैंने उससे आँख मिलाई, तो वो समझ गई और मेरी कमर से लिपट कर बिना लंड निकाले लटक गई. मैंने उसे यूं ही लेकर बिस्तर पर लेट गया. वो मेरे ऊपर थी और मम्मे हिलाते हुए मुझे चोदने लगी थी.
कुछ ही देर में वो स्खलित हो गई और मेरे ऊपर ही झड़ गई. उसके साथ ही मैं भी झड़ गया.
मेरी रंडी बहन मुझे चुद कर मेरे सीने पर पड़ी थी.
सुबह हो गई थी तभी दरवाजे की घंटी ने मेरी नींद खोल दी. मैं जल्दी से अपने कमरे में गया. शॉर्ट्स, बनियान डाली और दरवाजा खोला.
ये वाचमैन था- ये आपका पार्सल है, कल शाम घर में कोई नहीं था, तो मैंने रख लिया था.
उसने बॉक्स मुझे थमाते हुए कहा.
मैंने उसे धन्यवाद किया.
वो बोला- और हां भईया, आपके पापा का फोन आया था. उन्होंने बात करने को बोला है.
मुझे याद आया कि मैंने फोन तो कमरे में ही छोड़ दिया था. आज पापा-मम्मी आने वाले थे. मैं दौड़ कर कमरे में गया. मैंने फोन देखा, तो 10 मिस कॉल्स थीं.
मैंने दीदी का फोन देखा, उनके मोबाइल पे भी पापा के 6 मिस कॉल थे. मैंने कॉल बैक किया.
किसी ने रिसीव नहीं किया. अब मुझे चिंता होने लगी. अगर पापा आ गए होंगे. मैं रिसीव करने नहीं गया … तो काफी डांट पड़ेगी … और अगर वे घर पहुंच गए … तो मैं क्या करूंगा. अपने रूम की दुर्दशा और अपनी बेटी को अपने बेड पर नंगी पा कर तो वे मुझे मार ही डालेंगे.
मैंने लैंड लाइन पर कॉल किया. मम्मी ने कॉल उठाया. उन्होंने बताया कि इधर नानी चाहती हैं कि मैं कुछ दिन यही रुकूं … तुम्हारे पापा आ रहे हैं. तेरे पापा को तुझसे कुछ काम है, ले बात कर ले. पापा ने मुझे पार्सल, जो वाचमैन ने दिया था, को लेकर एयरपोर्ट आने को कहा. उनकी बंगलौर में कोई मीटिंग थी.
मैंने उनसे पूछा- आप घर नहीं आ रहे क्या?
उन्होंने कहा- नहीं ये मीटिंग बहुत इम्पॉर्टेन्ट है … मुझे जाना होगा.
मैंने न चाहते हुए भी उनसे पूछ लिया- आप वापस कब आओगे?
“मैं सोमवार को आऊंगा.”
यह खुशखबरी सुन कर तो मैं ख़ुशी से उछल पड़ा. तीन दिन और … इतने में तो मैं दीदी के चुत का भुर्ता बना दूंगा.
मैंने फोन रखा. उन्होंने बस कहा- अच्छे से रहने, अपनी बहन का ख्याल रखना.
मैंने मन ही मन कहा कि वो तो मैं बहुत अच्छे से रख रहा हूँ.
जल्दी से मैं ये खुशखबरी दीदी को देना चाहता था.
मैं ऊपर मम्मी पापा के बेडरूम में गया. दीदी अभी तक सो रही थी. मैं कमरे में दाखिल हुआ, तो मैंने देखा. दीदी करवट लिए सो रही थी. उसने पैर एक तरफ मोड़ रखे थे. उसकी गांड उभरी हुई मस्त लग रही थी. मैं उसके पास गया, उसके चेहरे पे हल्की रोशनी पड़ रह थी. उसका वो मासूम प्यारा सा चेहरा. वो सोते हुए बिल्कुल किसी बच्चे की तरह लग रही थी. उसने मेरी कल वाली वाइट शर्ट पहन रखी थी. मैंने उसकी चेहरे पर से बालों को हटाया. कुछ देर तक उसे ऐसे निहराता रहा, जैसे मैंने उसे पहली बार देखा हो.
फिर मैं उसके गाल पे किस करके बोला- गुड मॉर्निंग बेबी.
“गुड मॉर्निंग.” उसने आंखें बंद किए हुए ही बोला.
“उठ जाओ बेबी.”
“उम्म ह्म्म.”
मतलब अभी नहीं.
“क्या हुआ बेबी को?” मैंने उसे फिर से किस करते हुए पूछा.
“मुझे नींद आ रही है.”
“उठ जाओ यार … काफी दिन चढ़ गया है, बाद में सो लेना.”
थोड़ी देर में वो उठी और आंखें मलते हुए बोली- गुड मॉर्निंग.
सुबह सुबह लड़कियां कितनी क्यूट हो जाती हैं. बिल्कुल छोटे बच्चों की तरह. उसने अपनी बांहें फैला कर मुझे करीब बुलाया.
“कम!”
मैं उसके करीब हो गया. उसने मुझे जोर से हग किया, फिर बोली- लव यू.
“लव यू टू दीदी.” मैंने उसके माथे पर चूमते हुए कहा.
“तुम फ्रेश हो जाओ, मैं ब्रेकफास्ट लाता हूँ.”
“ओके.”
वो बाथरूम जाने के लिए उठी … लेकिन लड़खड़ा के बेड पे गिर गयी. मैंने उसे सम्भाला.
“क्या हुआ दीदी.” मैंने चिंता से पूछा.
“पता नहीं … सर दर्द से फटा जा रहा है.”
“हैंग ओवर है शायद.”
वो अपना सर पकड़ते हुए बोली- हो सकता है.
उसने कल रात काफी शराब पी थी. हैंगओवर तो होना ही था. करीब आधी से बोतल मैंने उसे पिला दी थी.
मैंने उसकी पीठ के पीछे तकिया लगा दिया- तुम यहां आराम से बैठो, मैं अभी निम्बू पानी लेके आता हूँ.
मैं झट से नींबू पानी लेके आया … उसे पिलाया. कुछ देर में उसे आराम हुआ. जब उसे थोड़ा आराम हुआ.
तो मैंने कहा- आर यू ओके?”
“यस..”
“तुम फ्रेश होके नाश्ता कर लो, फिर एक एस्प्रिन खा लेना.”
उसने हां में सर हिलाया. मैंने उसे बाथरूम तक छोड़ा.
प्रीति के शब्द:
यह जंगली चुदाई का आईडिया मुझे काफी महँगा पड़ा था. कल भाई ने मुझे इतनी बेदर्दी से चोदा था कि मेरे बदन के हर कोने में दर्द था, चुत भी सूज गयी थी.
लेकिन सच कहूं तो मुझे उसकी रखैल बनाने में बड़ा मजा आया. कल की चुदाई से मैं तृप्त हो गयी. एक सन्तोषजनक चुदाई हुई थी मेरी. मैं भाई की दीवानी हो गई थी. क्या मस्त अंदाज है उसका. मैं तो जिंदगी भर के लिए उसकी रखैल बनने के लिए तैयार हूँ.
विशाल के शब्द:
मुझे ज्यादा कुछ बनाना नहीं आता, लेकिन मैं कुछ डिशेस बना लेता हूँ जैसे कि ऑमलेट एंड कॉफी. ये सब मैंने हॉस्टल में सीखा था. क्योंकि मैं एक अच्छा शेफ हूँ, मुझे ब्रेकफास्ट तैयार करने में 30 मिनट लगे होंगे.
मैं ब्रेकफास्ट लेके कमरे में पहुंचा. वो बेड पे बैठी मोबाइल में घुसी हुई थी.
“ब्रेकफास्ट तैयार है!”
“पापा के मिस कॉल्स हैं.” उसने परेशानी से बोला.
“कोई नहीं, बात हो गयी है.”
“कब आ रहे हैं वे लोग?”
“ब्रेकफास्ट कर लो, मैं सब बताता हूँ.”
“ओके.”
“अब कैसा लग रहा है?” मैंने ब्रेकफ़ास्ट सर्व करते हुए पूछा.
“मत पूछो … पूरे बदन में दर्द है.”
मैंने उसे अपने हाथों से ब्रेकफ़ास्ट कराया.
“बस मेरा हो गया.” उसने मोबाइल दोबारा उठाते हुए बोला और मोबाइल पे लग गयी.
मैंने ट्रे को साइड में रखा- लेकिन मेरा नहीं हुआ.
उसने आश्चर्य से मेरी तरफ देखा.
मैं उसके सामने गया, उसके होंठों पे किस करते हुए बोला- अगले तीन दिनों तक तुम कोई कपड़े नहीं पहनोगी.
वो समझ नहीं पायी. मैंने उसे बताया कि पापा मम्मी नहीं आ रहे हैं और क्यों नहीं आ रहे हैं, ये भी बताया.
“सच!” उसकी आंखें ख़ुशी से चमक गईं.
मैंने हां में सर हिलाया.
वो उठी मेरे होंठों पे होंठों को जड़ कर बोली- आई लव यू.
“लव यू टू.” उसके माथे पे किस करते हुए मैंने बोला.
“रेमेंम्बर नो क्लोथ्स फॉर थ्री डेज.” ( याद रखना, अगले तीन दिनों के लिए कोई कपड़े नहीं.)
मेरे इस मास्टर वाले अंदाज पे वो शायद उत्तेजित हो गयी. वो घुटने के बल बेड पे खड़ी हुई. हाथ से शर्ट के आस्तीन को पकड़ा और एक झटके में खींचा. उस शर्ट के सारे बटन टूट के अलग हो गए और शर्ट उसके बदन से अलग हो गयी. उसके थलथलाते मम्मे उछल के मेरे सामने आ गए. उसने शर्ट को बड़े मादक अंदाज से मेरी आंखों में देखते हुए बेड के नीचे गिरा दिया. फिर उसने हाथ पीछे ले जाके ब्रा का हुक खोला और उसे भी वैसे ही बेड के नीचे गिरा दिया.
“टेक मी मास्टर.” उसने नशीली आवाज में कहा.
उसका यह रूप देख के मेरा तो लौड़ा खड़ा हो गया. लेकिन मैंने खुद को कंट्रोल किया. क्योंकि अभी उसे आराम की जरूरत थी. चुदाई की नहीं. हालांकि मैं अभी चोदने को कहता, तो वो मना नहीं करती. लेकिन उसका ख्याल रखना भी तो मेरी ही जिम्मेदारी है न.
“हम्म गुड..”
मैंने ट्रे से दूध का ग्लास उठाते हुए कहा- बट अभी मैं अपना ब्रेकफास्ट पूरा करूंगा.
मैंने उसे ग्लास थमाते हुए कहा.
वो समझ गयी कि क्या करना है. उसने चुचों के ऊपर दूध गिराना शुरू किया. मैंने उसके निपल्स में मुँह लगा दिया. दूध उसके गले के नीचे चुचों से बहता हुआ नीचे आता. मैं उसे निपल्स चूसते हुए पी जाता. मैं ब्रेकफास्ट करके अलग हुआ.
मैंने कहा- तुम शावर ले लो, फिर तुम्हारे बदन दर्द का इलाज करता हूं.
“कौन सा इलाज?” उसने पूछा. ये पूछते समय उसके चेहरे पे कातिल मुस्कान थी.
मैंने मुस्कुरा कर उसकी बात टाल दी. वो बाथरूम चली गयी.
प्रीति के शब्द:
मैं बेड पे पेट के बल बिल्कुल नंगी लेटी थी. भाई मेरी मालिश कर रहा था. मुझे मसाज की जरूरत भी थी. मेरी बॉडी का हर पार्ट दर्द कर रहा था. यह कल रात की घमासान चुदाई का असर था.
उसने ढेर सारा तेल मेरी नंगी पीठ पे डाला और हाथों से पूरी पीठ पे फैला दिया. वो मेरी पीठ की मालिश कर रहा था. वो कमर से लेकर मेरी गर्दन तक के पूरे भाग पे मालिश कर रहा था. तेल की वजह से उसके हाथ फिसलते हुए आगे बढ़ रहे थे. वो काफी अच्छी मालिश कर रहा था. बिल्कुल किसी प्रोफेशनल मसाज करने वाले की तरह. उसने ढेर सारा तेल मेरी कमर पर चूतड़ों के ठीक ऊपर डाला और कमर की अच्छे से मालिश करने लगा. कल कई घंटों तक उसने मुझे कई तरीकों से चोदा था. उसके तरीके आरामदेह तो होते नहीं … इसलिए मेरी कमर लचक गयी थी.
उसकी मालिश से मुझे काफी आराम मिल रहा था. तभी उसके हाथ ऊपर की तरफ बढ़े, उसने मेरे कंधे को मुट्ठी में भींच लिया. मैं सिहर उठी. भाई का स्पर्श मेरी वासना जगा देता था. मेरे मन में फिर से चुदाई के ख्याल आने लगे. वो मेरे कंधों को दबा दबा के अच्छी तरह मसाज कर रहा था. मेरे कंधों और हाथों में भी काफी दर्द था.
घंटों तक मैंने अपने हाथ पी.टी की पोजीशन में ऊपर कर रखे थे. फिर घंटों तक पुल बार से बंधी रही थी. ये सब उसी का नतीजा था. वो मेरी गर्दन से कंधों तक अच्छी तरह मालिश करता था. उसे इसकी अच्छी समझ थी.
मेरा दर्द कम हो रहा था. वो मेरे काँख के नीचे से पीठ तक मालिश करता. अब वो मेरी पीठ की मालिश कर रहा था. मेरी पीठ पे जख्म थे, जो कल रात उसने मुझे दिए थे.
जब वो उन जख्मों को हाथों से छेड़ता, तो मुझे मीठा सा दर्द होता. लेकिन मैं कुछ नहीं बोलती. दर्द की तो अब मुझे आदत हो गयी थी. अब मुझे दर्द में मजा आता था. भाई के द्वारा दिया गया हर दर्द मेरे लिए अनमोल था.
विशाल के शब्द:
उसकी मखमली पीठ तेल की वजह से और भी सॉफ्ट हो गयी थी. मेरे हाथ फिसलते हुए आगे बढ़ते गए. मैंने देखा उसकी पीठ पे कल की चुदाई के जख्म थे. मुझे बड़ी आत्मग्लानि हुई. इस फूल से जिस्म को, जिसे मैं इतना चाहता हूँ … उसे मैंने कितने सारे जख्म दिए है. मैं रुक गया.
मेरे रुक जाने पे वो बोली- क्या हुआ रुक क्यों गया?
“सॉरी दीदी.”
उसने पूछा- किस चीज के लिए?
“मैंने आपके साथ काफी कठोर बर्ताव किया.”
“जख्मों को देख के बोल रहा है?” उसने पूछा
“हम्म..”
“धत पगले, ये तो तेरे प्यार की निशानियां ही मेरे जिस्म पे सुन्दरता को बढ़ा देती हैं.”
मैं चुप रहा.
“और कल की चुदाई अब तक की बेस्ट चुदाई थी, मैंने सच में बहुत एन्जॉय किया.”
“सच दीदी!”
“और नहीं तो क्या! अगले तीन दिनों तक तू मुझे ऐसे ही चोदना.”
“लव यू दीदी.” मैंने उसकी पीठ पे पड़े जख्म पे ऊपर किस करते हुए कहा.
“लव यू टू जान.” दीदी ने जबाव में बोला.
प्रीति के शब्द:
उसके लबों के स्पर्श से मैं सिहर गयी थी. मेरे जिस्म में एक करेंट सा दौड़ गया था. उसके हाथ नीचे की तरफ बढ़ रहे थे. उसने मेरी कमर की दोबारा मालिश की, फिर चूतड़ों की तरफ बढ़ा. उसने ढेर सारा तेल मेरे चूतड़ों और टांगों में उड़ेल दिया. वो मेरे चूतड़ों को मसल रहा था. तेल की वजह से मेरी त्वचा मुलायम हो गयी थी. वो बड़े ही पेशेवराना तरीके से मेरे कमर व चूतड़ों की मालिश कर रहा था. ऐसी मसाज मैंने कभी किसी स्पा में भी नहीं ली थी. उसकी मालिश से मेरा दर्द कम हो रहा था.
उधर मेरी जांघों से सरकते हुए उसके हाथ मेरी टांगों की तरफ बढ़े. उसने अच्छे से मेरे टांगों की मालिश की. उसने मेरे अंगूठे को चूम लिया और मुझे बेड पे घुमा दिया. मैं पीठ के बल हो गयी थी और मेरा चेहरा उसके सामने हो गया था. उसने मेरे माथे पे किस किया और ढेर सारा तेल मेरे मम्मों पे उड़ेल दिया. मेरी सांसे तेज हो गयीं. मेरे मम्मे ऊपर नीचे हो रहे थे. मैं भाई के स्पर्श से गर्म हो चुकी थी.
आजकल मैं बहुत जल्दी उत्तेजित हो जाती थी. भाई के जिक्र मात्र से मेरी चुत पानी छोड़ने लगती. मैं बस दिन रात उससे चुदना चाहती थी. वो चाहता तो मुझे अभी भी चोद सकता था. लेकिन नहीं, वो मेरे बदन को आराम देने में लगा हुआ था. मैं उसकी इसी अदा की तो कायल हूँ. भाई मेरा मुझसे भी ज्यादा ख्याल रखता था. इसी लिए मुझे उसे खुद को सौंप देने में तनिक भी संकोच नहीं होता. ऐसा नहीं था वो सिर्फ सेक्स क्रियाओं में ऐसा था. वो हर जगह मेरा ख्याल रखता था. मेरे लिए किसी से भी लड़ने को तैयार रहता था. उसने मेरा साथ उन पलों में दिया है. जब मैं इतनी मजबूर थी कि खुदकुशी के सिवाय मेरे पास कोई चारा नहीं था.
मेरी निराश हताश जिंदगी को उसने खुशियां और रोमांच से भर दिया था.
उसके हाथ मेरे मम्मों पे थे. वो उनकी भी अच्छी तरह मालिश कर रहा था. उसके हाथ मेरे सीने पे हर जगह घूम रहे थे. वो मेरे कंधों तक पहुँच रहे थे, वो मेरे कंधों और गले की भी मालिश कर रहा था.
अब तक मेरे निप्पल सेंसटिव हो गए थे. हर बार उसके स्पर्श से मैं सिहर उठती और मेरे पूरे जिस्म में वासना की लहर दौड़ जाती.
मेरे मुख से हल्की मदभरी सिसिकारियां निकल रही थीं- उम्म्ह… अहह… हय… याह…
उसने मेरी नाभि पे तेल गिराया … तो मेरे बदन में झुरझुरी पैदा हो गयी. गर्म तेल को मैं अपने पेट पे महसूस कर पा रही थी. उसने मेरी कमर की अच्छी तरह मालिश की और फिर से टांगों की तरफ बढ़ा. उसने मेरी टांगों की भी तबियत से मालिश की. इधर मेरी हालत अब खराब हो रही थी.
मैं काफी गर्म हो चुकी थी. उसने बचा हुआ सारा तेल मेरी चुत पे उड़ेल दिया. मालिश की जरूरत तो इसे भी थी, कल बुरी तरह चुदी जो थी. मेरी चूत पाव रोटी की तरह सूज के लाल हो गयी थी. चुत पे उसके स्पर्श को पाते ही में वासना से गनगना उठी. मैं छटपटाने लगी. उसका मालिश करना मुश्किल हो रहा था. उसने हार मान के अपना मुँह मेरी चुत पे रख दिया. जैसे ही उसने मेरी चुत पे जीभ को फेरा, मैं छटपटा गयी. चुदासी और गर्म तो मैं पहले से ही थी. मैंने उसके बाल पकड़ के उसके मुँह को चुत में दबा लिया. उसकी जीभ मेरे चुत के अन्दर जाती हुई महसूस हुई. मैं उसकी जीभ पे ही झड़ गयी. उसने सारा रस गटक लिया.
अब जाकर मैं शांत हुई. उसने चाट के मेरी चुत साफ की. फिर वो उठा और उसने मालिश फिर से शुरू की. उसने अच्छी तरह से मेरी चुत और गांड की मालिश की. उसने बड़े अच्छे तरीके से मेरे जबड़ों और चेहरे की मालिश की. मेरे जबड़े का भी दर्द गायब हो गया … जो कि उसके मूसल लौड़े को चूसने की वजह से हो रहा था.
उसने बर्फ से मेरी सूजी हुई चुत की सिकाई भी की व मेरे सर की भी मालिश की.
“तैयार रहना अपनी अगली चुदाई के लिए.”
मालिश के बाद उसने मुझे धमकाया.
“मैं हमेशा रहती हूँ.” मैंने मुस्कुरा के जवाब दिया.
उसके मर्दाना हाथों में तो जादू था. दर्द तो जैसे गायब ही हो गया. मुझे कब नींद आ गयी, पता भी नहीं चला.
विशाल के शब्द:
मुझे उसे चोदने का बड़ा मन कर रहा था लेकिन मैंने उसे आराम करने दिया. मुझे पापा का पार्सल लेकर एयरपोर्ट जाना था, तो मैं एयरपोर्ट निकल गया. यहां कुछ खास नहीं हुआ.
पापा को एयरपोर्ट पे मिला. उन्हें पार्सल दिया. मेरे पर्सनल कुछ काम थे. आते आते मुझे शाम हो गयी. शाम को मैं जब घर पहुंचा, तो वो किचन में खाना बना रही थी.
शाम को जब मैं वापस आया तो किचन में गया. मेरी दीदी खाना बना रही थी. मैं उसे दरवाजे पे खड़ा उसे निहार रहा था. उसने लाल रंग की एक टी-शर्ट पहन रखी थी. टी-शर्ट मुश्किल से उसके थलथलाते हुए मम्मों को ढक पा रही थी. उसके तने हुए मम्मे टी-शर्ट के ऊपर साफ नजर आ रहे थे. उसकी नंगी चिकनी टांगों की तरफ निगाह गई … तो उसने नीचे मिनी स्कर्ट पहन रखी थी. जो काफी छोटी थी. इससे उसकी उभरी हुई गांड मुझे साफ नजर आ रही थी.
उसका प्यारा सा चेहरा, उन पे बिखरे हुए बाल … आह … उसे देखते हुए मैं सोच रहा था. क्या माल है यार मेरी बहन. उसकी सुंदरता कमाल की थी. मैं उसे निहारते हुए ही गर्म हो चुका था.
मैं बनावटी गुस्से में किचन में घुसा.
“ये क्या है?” मैंने गैस ऑफ करते हुए पूछा.
वो चौकी, पीछे मुड़ी- क्या?
“ये क्या है, तुमने कपड़े पहन रखे हैं?”
वो सोचने लगी.
“मास्टर ने क्या कहा था? भूल गयी?”
“क्या कहा था मास्टर ने?” वो मुस्कुराते हुए मेरी तरफ आते हुए बोली.
“नो क्लोथ्स, रिमेम्बर.” (कोई कपड़े नहीं … याद करो) मैंने उसे नाराजगी दिखाते हुए बोला.
आप को याद होगा सुबह मैंने उसे क्या कहा था. मेरी कहानी का पिछला भाग पढ़ें.
“अच्छा जी.”
“हां और तुमने मास्टर को फॉलो नहीं किया, इस लिए तुम्हें पनिश (दण्डित) किया जाएगा.”
“तू मुझे पनिश करेगा?” वो रंडियों की तरह मुस्कुराते हुए बोली.
“हम्म..”
“तो आ … कर ना..” वो मेरा कॉलर पकड़ के खींचते हुए बोली.
मैं- दीदी क्या कर रही हो, मैं कैरेक्टर में हूँ.
वो बोली- और मैं रियलिटी (वास्तविकता) में हूँ. तू मुझे बिना कपड़ों के देखना चाहता है न?
उसने मेरे गर्दन में अपने बांहें पिरोते हुए मुझे अपनी बांहों में कसा.
मैंने हां में सर हिलाया.
“तो अपने अंदाज में निकाल दे न मेरे कपड़े…”
वो मुस्कुराती हुई बोली. मैंने उसे कमर से खींच के खुद से चिपका लिया और उसके होंठों पे होंठों जड़ दिए. उसके रसीले होंठों का रसपान करने लगा. कुछ देर बाद एक दूसरे में खोये रहने के बाद. उसने आंखें खोलीं. हम दोनों की आंखें मिलीं. मैं उसकी आंखों में प्यार समर्पण और अटूट विश्वास देखा.
वो मेरे से गले लगी हुई थी. मैंने हाथ पीछे उसके पीठ पे ले गया. उसकी टी-शर्ट पकड़ी और एक झटके में फाड़ दी, उसके बदन से अलग कर दी. वो सर झुकाए दोनों हाथों से अपने उरोजों को छुपाने की नाकाम कोशिश कर रही थी.
मैंने उसके हाथों को पकड़ के हटाया और ऊपर कर दिए. उसने शर्माने की एक्टिंग करते हुए आसानी से हाथ ऊपर कर लिए.
उसकी लाल रंग की ब्रा में उसके फूले हुए मम्मे मेरे सामने थे. मैंने उसे ध्यान से देखा. उसके मम्मे पहले से काफी बढ़ गए थे. उसकी यह पुरानी ब्रा अब उसमें टाइट होने लगी थी. ब्रा उसके चूचों से ऐसे चिपकी थी, जैसे अब फटे तब फटे.
मैंने उसकी चूचियों पे हाथ फेरा. उसकी चूचियों की गोलाई का जायजा लिया. आगे निप्पल के पास से दोनों कोने पकड़ कर एक झटके में उसकी ब्रा फाड़ दी.
वो थोड़ी सी कसमसाई. लेकिन हिली नहीं. उसने एक अच्छी स्लट की तरह हाथ ऊपर करके अपनी पूरी जवानी को मुझे परोस रखी थी. मैंने उसके बाल पकड़ के खींचे और पकड़ के स्लैब के सहारे झुक दिया. मैंने उसके मम्मों को दबोच लिया. उसके निपल्स को उंगलियों के बीच दबा दिया.
वो दर्द से बिलबिला उठी- आहह आहह आहह!
मैंने उसके कानों में कहा- व्हाट आई सेड?? (मैंने क्या कहा था?)
“आहह आहहह सीईईई … नो … उम्म्मम क्लोथ्स मास्टर..!” (कपड़े नहीं पहनना है)
“यस.”
मैंने उसके बालों को सही किया और उसके कान के पीछे सरका दिया.
मैं नीचे बढ़ा, मैंने उसके चूतड़ों पे हाथ फेरा. मैंने उसकी स्कर्ट खींची. वो एक झटके में अलग हो गयी. जैसे उसने स्कर्ट को अटका रखा हो बस. उसने पैंटी नहीं पहनी थी. चुदाई की पूरी तैयारी थी उसकी. मेरे सामने उसके नंगे गदराए हुए चूतड़ थे. मैंने उसके चूतड़ों पे एक जोरदार चपत लगाई. वो थोड़ी सी कसमसाई, लेकिन सामान्य रही.
अब शायद उसे स्पैकिंग (झापड़) की आदत हो गयी थी. अब वो इसका आनन्द उठाती थी. मैंने लगातार 5-7 चपत लगाये. वो बस दांत भींचे मजे लेती रही. उसकी “हम्म आआहहह हम्मम..” की आवाजें निकलती रहीं.
अब मैंने एक मोटा खीरा उठाया और पीछे से उसकी चुत में घुसाने लगा. ये खीरा मेरे लौड़े से भी मोटा था. मैंने धीरे धीरे सरकाते हुए पूरा खीरा उसकी चुत में घुसा दिया. वो दर्द से बिलबिला उठी. दर्द होगा ही, खीरा मेरे लौड़े से भी मोटा था ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
वो टांगें चौड़ी करके गांड उचकाए स्लैब के सहारे झुकी थी. वो इस हालत में थी कि हिल डुल भी नहीं सकती थी. हिलने डुलने पे उसे असहनीय पीड़ा होती. मैंने आगे जाके उसके चूचुकों को फिर से भींच लिया. वो फिर से दर्द से चिल्ला उठी, उसने “आहह आह आह..” करके दांत भींच लिए. उसकी आंखों में आंसू आ गए.
“विल डू ईट अगेन स्लट.” (ऐसा दोबारा करोगी).
उसने बस न में सर हिलाया
मैंने उसके कंधों पे किस किया. उसके मम्मे मसलते हुए बड़े ही कामुक अंदाज में मैं उसकी गर्दन पे हर जगह किस करता … तो वो वासना से तिलमिला उठती. मैंने उसके बाल पकड़ के ऊपर कर दिए. उसकी गर्दन पे बाल के नीचे किस किया. उसकी गर्दन पे जीभ फेरा, वो सिहर उठी और उसे बड़ा मजा आया.
मैं उसकी कंधों से गर्दन पे होते हुए गालों तक किस करता गया. वो गर्म हो रही थी. मैं उसके सर को वैसे ही बाल पकड़े हुए हल्का सा घुमा के होंठों का रसपान करने लगा. वो मेरा पूरा साथ देती रही.
मैं चाहे जब भी उसे किस करता. वो पूरे शिद्दत से मेरा साथ देती थी. ऐसा लड़की तभी करती है, जब वो आप से बहुत ज्यादा प्यार करती हो.
मैं उसकी नंगी पीठ पे किस करता हुआ नीचे आने लगा. उसकी नंगी पीठ एकदम गोरी और चिकनी थी. उसके जिस्म पे मेरे लबों का स्पर्श मात्र से ही वो सिहर उठ जाती. उसकी नंगी पीठ मेरी कमजोरी थी. मैं खुद को उसे चूमने से रोक नहीं पाता था. मैं जीभ उसकी नंगी पीठ पे फेर रहा था. वो आहह उम्म्मम हम्म की आवाजें निकाल रही थी.
उसके गदराए चूतड़ों को चाटते हुए मैंने चुत से खीरा निकाला, वो उसके रस से भीग चुका था. मैं वो खीरा उसके मुँह में देने लगा. बड़ी मुश्किल से वो उसे मुँह में ले पा रही थी. उससे टपकते अपने ही रस को चूस रही थी. मैं भी चूस रहा था.
मैंने उसकी टांगें चौड़ी करके स्लैब पे बैठा दिया. उसकी टांगें खुली हुई थीं. गोरी मस्त चिकनी जाघें देख कर मैं मस्त हो गया. मैं उसकी मखमली जांघों पे किस करता हुआ चुत के पास पहुंचा. वो बस स्लैब पर गांड टिकाये खड़ी थी और मजे ले रही थी. उसकी चुत के बहती रस की खुशबू, जिसे मैंने एक लंबी सांस के साथ अन्दर उतार लिया. मैंने हल्की सी जीभ फेरी, वो वासना से सिहर गयी. मैं उसकी चुत चाटने लगा. वो मेरे बाल नोंच-नोंच के अपनी चुत में घुसा रही थी. मैं उसे झड़ने देना नहीं चाहता था … मुझे तो उसे तड़पाना था.
मैं कुछ देर चुत चाटने के बाद ऊपर आया. उसकी आंखें अभी तक बंद थीं. मैंने हाथ उसके बालों को कान के पीछे किया … तो उसने आंखें खोलीं. उसके आंखों में प्यार चेहरे पे वासना थी. मैंने उसके होंठों पे बड़े प्यार से किस किया. वो तो मेरे होंठों को चबा रही थी. वो हांफ रही थी. उसकी वासना चरम सीमा पे थी.
मैंने उसे चूतड़ों से पकड़ कर गोद में उठा लिया. मेरी गर्दन में बांहें डाले वो मेरे सीने से चिपक गयी. हम दोनों के होंठ भी चिपके हुए थे और हम जोर से किस कर रहे थे. उसे वैसे ही उठाए हुए मैं हॉल में ले आया और डाइनिंग टेबल पे लिटा दिया. इसके बाद मैंने चुम्बनों की बारिश कर दी. मैं उसके रसीले होंठों का रसपान कर रहा था. वो मेरे होंठों को चूमते हुए जल्दी जल्दी मेरे शर्ट का बटन खोलने लगी थी. हम दोनों अपनी मस्ती में मदहोश हो चुके थे.
तभी डोर बेल बजी … हम दोनों एकदम से हड़बड़ा गए. बाद में देखा कि हमारा आर्डर किया हुआ डिनर आ गया था.
मेरी बहन जल्दी से बाथरूम में घुसने को हुई. इधर मैंने अपने कपड़े सही किए और हजार का नोट दीदी के मुँह में ठूंसते हुए उसे डिनर का पैकेट लाने को बोल दिया. वो समझ गई कि क्या करना है. वो मुस्कुराते हुए कपड़े पहनने को चल दी.
मैंने उसे चेताया- नो क्लोथ्स … (कोई कपड़े नहीं)
मेरा आवाज सुन कर वो रुकी. वो सोच में पड़ गयी. ये बात सोचने वाली भी थी मैं उसको डिलीवरी बॉय के सामने नंगी ही जाने को कह रहा था.
कुछ सोच कर वो दरवाजे की तरफ मुड़ी. और हल्की डरी हुई नंगी ही गेट की तरफ चलने लगी … उसकी चाल में लड़खड़ाहट थी. वो हिम्मत करके आगे बढ़ रही थी.
मैंने उसे आवाज दी- स्टॉप.
वो रुकी, मैंने टॉवल उसके मुँह पे फेंका. उसने मुस्कुराते हुए टॉवल उठा कर झट से लपेट लिया और दरवाजा खोलने चली गयी.
प्रीति के शब्द:
मैं तो सुन्न पड़ गई थी, जब भाई ने मुझे नंगी ही डिलीवरी बॉय के सामने जाने को कहा. लेकिन मैं उसके लिए समर्पित थी. मैं तन मन से उसे खुद को सौंप दिया था. मेरे जिस्म पे उसका अधिकार था … वो जो कहेगा, मैं करने को राजी थी. वो मुझसे जहां कहेगा, मैं नंगी हो जाऊंगी. वो जिससे चुदने को कहेगा, उससे चुद जाऊंगी. बस मुझे अपने भाई से ज्यादा कुछ नहीं दिखता. मैं उसकी दीवानी हो गई थी.
जब मैंने दरवाजा खोला. एक अधेड़ उम्र का आदमी था, जो पैकेट लिए खड़ा था. मैंने भी बस टॉवल लपेटा हुआ था, जो बस मेरे मम्मों के निपल्स को छुपा पा रहा था. ये तौलिया भी मेरे चूतड़ों को आधा छुपा पा रहा था. बाकी मेरा पूरा जिस्म नंगा था.
वो आदमी मुझे ऐसे घूर रहा था … जैसे उसने नंगी औरत पहली बार देखी हो. उसकी नजर मेरे अधनंगे मम्मों पे गड़ी हुई थी. मैंने उसे तिरछी नजर से देखा. मेरे माथे पे पसीना देख कर वो सब कुछ समझ चुका था.
उसने मुझसे धीरे से पूछा- रेट क्या है?
वो मुझे कोई रंडी समझ रहा था. मैंने उसे इग्नोर किया. मैंने उससे पैकट लिया और जाने लगी.
वो मुझे अपना कार्ड देने लगा और बोला- मेरे पास भी मालदार पार्टी है.
“व्हाट द फक?” (क्या बकवास है)
मैंने पैसे उसे दिए और बोला- गेट लॉस्ट. (दफ़ा हो जाओ.)
वो- सॉरी मैडम, आप तो नाराज हो गईं.
“आई सेड … गेट लॉस्ट.” (मैंने कहा कि दफा हो जाओ.)
वो “सॉरी मैडम,..’ बोल के चला गया
विशाल के शब्द:
“क्या हुआ जान?”
मैंने उसे मुस्कुराते हुए पूछा. उसने खाना टेबल पे रखा और बोली- साला कुत्ता! कमीना..!
वो झल्लाते हुए बोली थी.
मैंने उसके हाथ पकड़ कर उसे अपने गोद में बिठा लिया. मैंने उसके गाल पे किस करते हुए पूछा- क्या बोला उसने?
वो नाराजगी में बोली- वो मुझे कोई कॉलगर्ल समझ रहा था.
मैंने उसके गालों पे किस करते हुए और उसे छेड़ते हुए पूछा- कॉलगर्ल मतलब क्या?
उसने मेरी तरफ गुस्से से देखा, मैं उसे देख के मुस्कुरा रहा था.
“रंडी.” उसने गुस्से में बोला.
कुछ भी हो लड़कियां गुस्से में और भी प्यारी हो जाती हैं.
“तो तुम नहीं हो?”
उसने दोबारा गुस्से से मेरी तरफ देखा.
“मेरी भी नहीं?”
मेरी इस बात पर वो हंस पड़ी और उसने मेरे सीने में मुक्का दे मारा.
“स्टुपिड.” (बेवकूफ)
मैंने उसके होंठों को चूम लिया.
उसने मुस्कुराते हुए कहा- चलो पहले डिनर कर लें, खाना ठंडा हो जाएगा.
वो मेरे गले में बांहें डाले मेरी गोद बैठी थी. मैं रोटियों का निवाला बना कर उसे खिलाता. इस वक्त वो मुझे बिल्कुल किसी छोटे बच्चे की तरह लग रही थी. जब मैं उसे खाना खिला रहा था.
हम दोनों एक दूसरे के नंगे जिस्म से चिपक कर हमने खाना खाया. मैंने उसे पानी भी पिलाया. मैंने ही उसके मुँह भी पौंछा. वो बस मेरी गर्दन में बांहें डाले गोद में बैठी रही थी.
खाना खत्म करते ही उसने मेरे होंठों पे होंठों जड़ दिए और किस करने लगी. मेरा लौड़ा भी खड़ा हो चुका था. बस 5 मिनट किस करने के बाद वो रुकी और मेरे आंखों में आंखें डाल के बोली- पैसे दिए हैं … तो चोदेगा भी या बस खिलायेगा ही!
(आपको याद होगा टेबल का वो दृश्य, जब मैंने उसके मुँह में नोट ठूँसा था.)
वो पक्की रंडी की तरह बर्ताव कर रही थी. यह सब वो मुझे उत्तेजित करने के लिए कर रही थी.
“आजा मेरे राजा.” एक पेशेवर रंडी की तरह कह कर वो खड़ी हुई. उसने बड़े कामुक अंदाज में हाथ ऊपर करके पोज दिया. उसने मुझे आंख मारते हुए ऐसे दोनों हाथ ऊपर करके अंगड़ाई ली कि उसका सीना फूल गया. उसके चुचों पे अटकी उसकी टॉवल खुल के नीचे गिर गयी. वो फिर से नंगी हो गयी.
अब मैं उठा और उसकी कमर पे दोनों हाथों को रख दिया. फिर हाथ सरकाते हुए ऊपर की तरफ ले जाने लगा. मैं उसके बदन पे हाथ फेरते हुए ऊपर आ रहा था. मेरे स्पर्श से उसके बदन में झुरझुरी सी आ गयी. वो हाथ के स्पर्श से उम्म्म हम्मम करके सिहरे जा रही थी. वो कांप जा रही थी.
वो हाथ ऊपर किये हुए खड़ी थी. मैंने हाथ पीछे ले जाके उसे अपनी तरफ खींचा. वो मेरे सीने से चिपक गयी. उसके हाथ अभी भी ऊपर थे. मैंने उसके होंठों पे होंठों जड़ दिए.
कुछ देर बाद मैं अलग हुआ.
किस करते हुए मैंने उसे घुमाया और डाइनिंग टेबल पे झुका दिया. वो टेबल पकड़ कर झुकी थी. मैंने एक झटके में लंड उसकी चुत में पेल दिया.
वो चिल्ला दी- आहह … मार डाला रे.
मैं रुक गया. मैंने उसके बाल एक तरफ किए … और उसकी नंगी पीठ पे चुम्बन करने लगा. मैंने दूसरा धक्का लगाया.
“उम्म्ह… अहह… हय… याह…”
मैं उसकी कमर पकड़ के धक्के लगाने लगा. मेरे हर धक्के के साथ उसकी कामुक आहहहह निकल जाती.
मैं लंड चूत से पूरा निकाल के फिर से पेल रहा था. हम दोनों पूरी तरह से गर्म थे. मैंने धक्के तेज कर दिए. उसके बाल पकड़ के टेबल पे दबा दिया और धकापेल चुदाई करने लगा. मैं फुल स्पीड में उसकी चुदाई कर रहा था. वो “आहह ओह … हम्मम..” की आवाजें निकाल रही थी. दस मिनट बाद मैंने उसे टेबल पे बिठा दिया. आगे से उसके चुचों को चूसते हुए लंड चुत में पेल दिया और चुदाई करने लगा.
मैंने उसके चेहरे की तरफ देखा, उसकी आंखें तृप्त होने जैसी अवस्था में बंद थीं. वो बस मस्ती में “आहह ओह्ह..” की आवाजें निकाल रही थी. मैंने चोदने की स्पीड बढ़ा दी और बीसेक धाके के बाद उसकी चुत में ही झड़ गया.
झड़ने के बाद मैं उसके ऊपर गिर पड़ा, वो भी मेरे कमर से पैर लपेटे झड़ रही थी. मैंने उसके होंठों पे होंठों जड़ दिए. हमने गहरा चुम्बन किया.
सेक्स के बाद डीप लिप किस करना एक बहुत ही बढ़िया स्टेप है. इससे आपके पार्टनर को ये अहसास होता है कि आप उससे बहुत प्यार करते हो. वो आपके लिए कितना महत्व रखता है.
दीदी का महत्व मैं शब्दों में नहीं बयां कर सकता. इसी लिए जो होता है कर के दिखाता हूँ.
चुदने के बाद उसके चेहरे पे सन्तोष का भाव था … एक सुकून था. मैंने उसके माथे पे किस किया और उसे गोद में उठा लिया. वो मेरी आंखों में बड़े प्यार से देख रही थी. आज कुछ अलग था. जिसे मैं शब्दों में नहीं लिख पा रहा हूँ. मैंने फिर से उसके होंठों को चूमा. उसने आंखें बंद करके मेरा स्वागत किया.
मैं उसे गोद में उठाए अपने कमरे की तरफ बढ़ा. मैंने उसे बेड पे पटक दिया.
फिर क्या एक बार और चुदाई हुई दीदी की. उस रात मैंने दीदी को 4 बार चोदा.
प्रीति के शब्द:
तीन दिनों तक बस दिन रात हमने सेक्स ही किया. पापा के आने तक न उसने कोई कपड़ा पहना, न मैंने. हम दोनों नंगे ही रहते. जब मन करता, तब चुदाई कर लेते. उसने मुझे घर के हर कोने में चोदा, हर तरीके से चोदा. अगले तीन दिनों तक मैं उसकी रखैल बन के चुदती रही. अब तो मैं मन से खुद को उसकी सम्पति मान चुकी थी.
विशाल के शब्द:
मित्रो, मैंने अपनी बहन के साथ हजारों बार सेक्स किया, लेकिन उससे मेरा मन कभी नहीं भरा. मेरी बहन है ही इतनी हॉट … जब भी उसे चोदूँ, तो लगे कि पहली बार ही चोद रहा हूँ.

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