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बहन बनी सेक्स गुलाम - दीदी की गांड का गुलाम - 2

 


लिफ्ट थर्ड फ्लोर पर खुली. मैंने शॉपिंग का समान उठाया, बाहर आया। रास्ता बिलकुल साफ था, कोई जगा हुआ नहीं था। न ही इस फ्लोर के बाद किसी के मिलने की आशंका थी। मैंने उसके हाई हील्स निकाल दिए ताकि सीढ़ी चढ़ने में उसे परेशानी न हो। सीढ़ी लिफ्ट के बगल में ही थी।

वो बिल्कुल नंगी थी. उसके हाथ उसी के ब्रा से पीछे बंधे हुए थे. वो अपनी पैंटी मुँह में लिए सीढ़ियाँ चढ़ रही थीं मैं उसके पीछे-पीछे था। मैं उसके मटकते हुए चूतड़ों को देख रहा था। वो किसी गुब्बारे की तरह हिल रहे थे। वो मार की वजह से लाल हो गए थे।

जब वो सीढ़ी चढ़ने के लिए मुड़ी, क्योंकि हमारे अपार्टमेंट की सीढ़ियाँ स्पाइरल हैं, मैं उसके उरोजों को देख रहा था। जैसे जैसे वो सीढ़ियाँ चढ़ रही थी उसकी थैली जैसी चूचियां भी ऊपर नीचे हो रही थी। यह दृश्य काफी कामुक था। मेरा तो लौड़ा खड़ा हो गया था। उसके चूचुक एकदम कड़क हो गए थे. मतलब कि वो वासना विभूत हो रही थी। मैं बता दूं कि मेरी बहन की चूचियां एकदम सुडौल हैं जैसे किसी पॉर्न एक्ट्रेस की होती हैं। वो जिम भी करती है और एक अच्छे फिगर की मालकिन है।

वो सर झुकाये सीढ़ियाँ चढ़ रही थी। जैसे ही हम फोर्थ फ्लोर पर पहुंचे वो पांचवे फ्लोर के लिए सीढ़ियों की ओर मुड़ी. मैंने उसे रोका. उसके पास पहुंचा. मैंने हाथ उसकी पीठ पर रख कर दूसरी तरफ घुमाया और फोर्थ फ्लोर की तरफ चल दिया। वो वैसे ही नंगी हाथ पीछे किये हुए मेरे साथ चलने लगी. वो थोड़ी सी डरी हुई थी क्योंकि ये कोई होटल नहीं, उसका खुद का घर था। यहाँ सब उसे जानते थे।
हालाँकि इस फ्लोर पर कोई रहता नहीं था. सारे फ्लैट्स बंद पड़े थे। मेरे हाथ उसकी पीठ पर थे. मैं हाथों को सरका कर चूतडों पर ले गया और उन पर फेरने लगा। चूतड़ गर्म थे। मैं ऐसे ही उसके साथ चलने लगा।

फ़िलहाल तो हम यहाँ चुदाई भी कर सकते थे। लेकिन वो मेरी बहन है कोई रखैल नहीं, जो जहाँ मन करे चोद दूं। वो मेरे लिए बहुत खास थी। मैंने कभी सपने में नहीं सोचा था कि मुझे मेरी ड्रीम गर्ल मेरी बहन के रूप में मिलेगी। ठंडा मौसम था। जब भी हवा उसके बदन को छू कर निकलती वो हल्की कांप सी जाती थी। हम फोर्थ फ्लोर आधा पार कर चुके थे।

उसका डर धीरे धीरे ख़त्म हो रहा था क्योंकि चारों तरफ सन्नाटा था। मैं उसके हाथ को छोड़ कर आगे हुआ. मैंने आस पास देखा तो कोई नहीं था। मैं सीढ़ी के पास पहुंचा। मैंने सीढ़ी के पास की लाइट ऑफ कर दी। उसे रोका तो उसने आश्चर्य भरी निगाहों से मुझे देखा. मैं अनुमान लगा रहा था कि अब मेरी बहन यही सोच रही होगी कि मैं उसको अब यहीं पर चोदने वाला हूँ. मैंने मुस्कराते हुए उसे देखा। वो डरी हुई थी। मैंने उसे घुमाया. उसकी गर्दन पर किस करते हुए आँखों पर पट्टी बांध दी।

यह वही ब्लैक रिबन था जो कल रात मैंने उसकी आँखों पे बांधा था। मैं उसके हाथ पकड़ के सीढ़ियाँ चढने लगा. वो डर से बिल्कुल सहमी हुई थी। हम अपने फ्लैट के दरवाजे के पास पहुंचे।

हमारे फ्लोर पर दो फैमिली रहती थीं. एक हम और एक शर्मा अंकल की फैमिली। शर्मा अंकल की बेटी की डेस्टिनेशन वेडिंग हो रही थी तो वो एक महीने के लिए शहर से बाहर गये हुए थे। ये बात मुझे पता थी। लेकिन शायद मेरी बहन को ये बात नहीं पता थी।

पूरे फ्लोर पर मैं और मेरी नंगी बहन ही थे। मैंने सामान वहीं रखा. उसे फ्लैट के सामने वाली दिवार पर चिपका कर खड़ा कर दिया। मैंने पैंटी उसके मुंह से निकाली. उसने लंबी सांस ली. उसकी सांसें तेज थीं. वो डर रही थी। उसका चेहरा पीला पड़ा हुआ था।

मैं उसके पास गया. उसके होंठों पर किस किया. उसके होंठ कांप रहे थे. वो किस नहीं कर पा रही थी। मैंने उसके कानों में जाकर धीरे से कहा- ट्रस्ट मी! (मुझ पर विश्वास करो)
यह सुनकर वो नॉर्मल हुई। मैंने उसे समय दिया. उसकी सांसें थोड़ी नार्मल हुई। उसका डर कम हुआ। तब तक मैं उसके चेहरे के पास ही था, उसकी खुशबू को महसूस कर रहा था। उसकी गर्म सांसें मेरे चेहरे से टकरा रही थी।

मैं बस उसके चहरे को देखे जा रहा था। उसकी आँखों पर काली पट्टी थी, लाल सुर्ख होंठ, बाल खुले हुए. मैंने उंगलियों से बालों को सहलाया और सीधा किया। उसे अच्छा लगा, उसने हांफना बंद कर दिया था। मैंने उसके माथे पर चूमा तो उसे अच्छा लगा।
उसका डर काम हो रहा था क्योंकि वो मुझ पर विश्वास कर रही थी। विश्वास तो वो मुझ पर अटूट करती थी, नहीं तो कोई लड़की अपने आप को ऐसे ही किसी को समर्पित नहीं करती। मैंने भी उसका विश्वास आज तक नहीं तोड़ा। मैं भी उससे उतना ही प्यार करता था।

मैं इसी स्थिति में पीछे गया और उसके हाथों को खोला। मैंने उसके कंधे व गर्दन पर चुम्बन बरसा दिए। वो चुपचाप खड़ी थी। थोड़ा डर उसके मन में शायद अभी भी था. जोकि किसी भी लड़की को होना सामान्य था ‘बदनामी का डर’ फिर भी वो मुझ पर विश्वास करके मेरा साथ दे रही थी।

मैंने उसके हाथों को आगे करके फिर से उसकी लाल ब्रा से बांधा और ऊपर कर दिया। मैंने उसके होंठ चूसना चालू किया. वो मेरा साथ दे रही थी। मैंने उसकी गर्दन पर किस किया. उसकी सांसें तेज हो रही थीं। इस बार उसकी सांसें कामुकता से तेज हो रही थी। डर को वो कुछ देर के लिए भूल चुकी थी।

मैं उसके बोबों पर गया, उसके चूचुक और कड़क चूचियां उठी हुई थीं मोटी गद्देदार … जैसे उनमें दूध भरा हो। मैं उसकी चूचियों को मुँह में भर कर चूसने लगा। मैं उत्तेजित हो रहा था क्योंकि मेरी बहन बिल्कुल नंगी घर के बाहर मेरे से चूचियां चटवा रही थी। मैं उसकी चूचियां उमेठ कर चूस रहा था मानो जैसे मैं उनसे दूध निकालने की कोशिश कर रहा हूँ।

मैं अचानक से उसकी चूचियों को छोड़ कर ऊपर गया और उससे बोला- स्टे हियर! (यहीं रुको)
मैं उसकी चूचियां चूसना चाहता था। लेकिन मैंने ऐसा उसे तड़पाने के लिए किया। मैंने उसे वहीं छोड़ा बरामदे में. शॉपिंग बैग उठाये, गेट खोला और फ्लैट के अंदर चला गया।

मेरी बहन प्रीति की जुबानी:
5 मिनट हो गए थे। मैं नंगी अपने ही फ्लैट के आगे दीवार के सहारे हाथ ऊपर किये खड़ी थी। मेरी आँखों पर पट्टी थी। मैं सब कुछ महसूस कर रही थी। मेरा दिमाग हाइपर एक्टिव मोड में था। चारों तरफ सन्नाटा था। मैं हवा के स्पर्श को अपने चूचुकों पर महसूस कर पा रही थी। मेरे चूचुक बहुत ही सेंसिटिव हो गए थे क्योंकि अभी 5 मिनट पहले मेरा भाई उनको बेदर्दी से चूस कर गया था।

ठंडी हवा जब मेरी चूचियों से टकराती तो मेरे बदन में झुरझुरी सी पैदा हो जाती, एक अजीब सी वासना की लहर दौड़ जाती मेरे नंगे बदन में। ऐसा ही कुछ अहसास मुझे तब हो रहा था जब मैं भाई के साथ नंगे चूतड़ लिए मॉल में घूम रही थी। मुझे याद आ रहा था कि कैसे भाई ने मेरी चूचियों को बीच सड़क पर नंगा कर दिया था, कैसे पार्किन्ग में उसने मुझे पूरी नंगी कर दिया, कैसे लिफ्ट में मेरे नंगे चूतड़ों पर चपत लगाई।

चूतड़ों पर लगी चपत का ख्याल आते ही मेरे शरीर में वासना की लहर दौड़ गयी, मैंने चूतड़ दीवार से चिपका लिए। मैं ठंडी दीवार की खुरदरी सतह को अपने चूतड़ों पर महसूस कर पा रही थी। किस तरह से मैं नंगी अपने अपार्टमेंट में घूम रही थी। हालाँकि मेरा भाई मेरे साथ कोई जबरदस्ती नहीं कर रहा था. ये सब मेरी ही आउट डोर फैंटेसी थी। जो मैंने उसे पहले बता रखा था।

फ्लोर की बात याद आते ही मेरा ध्यान टूटा. मुझे अहसास हुआ कि मैं अभी भी तो नँगी हूँ। मुझे डर फिर से लगने लगा। बगल में शर्मा जी का फ्लैट है. कोई निकल के आ गया तो मैं क्या करुँगी? मैं डर से कांप गयी एक समय के लिए। फिर मुझे मेरे भाई की बात याद आयी। उसने कहा था कि मैं उस पर भरोसा रखूं। मैंने मन ही मन खुद से बोला मेरा भाई मुझे दूसरों के सामने नंगी थोड़ी न करेगा।

मेरा डर गायब हो गया। कुछ ही पल में मैं वापस लिफ्ट में थी। मुझे अहसास हो रहा था कि मेरा भाई आज मुझे थोड़ा ज्यादा जोर से चपत लगा रहा था। शायद मैं भी यही चाह रही था। यह विचार मुझे अंदर ही अंदर रोमांचित कर रहा था। मुझे याद आ रहा था कि कैसे में सीढ़ियों पर चढ़ते समय अपनी ही चूचियों को हिलते देख उत्तेजित हो रही थी। जब उसने मेरे चूतड़ों पर हाथ फेरा तो मैं एक और चपत की कामना कर रही थी।

जब उसने मुझे लाइट ऑफ़ करके सीढ़ी के पास रोका, मैं चाह रही थी कि मेरा भाई मुझे यहीं पटक कर चोद दे। यहाँ मुझे नँगी गर्म कर आधी चूचियां चूस के छोड़ दिया साले ने। मुझे उस पर गुस्सा आ रहा था। मैं ख्यालों से बाहर आ चुकी थी। सन्नाटा कायम था. मैं अंदाजा लगा रही थी कि उसने बरामदे की लाइट ऑफ कर दी है क्योंकि मैंने आँखे खोल के बाहर झांकने की कोशिश की.
बाहर चारों तरफ अँधेरा था। बस हमारे फ्लैट से हल्की रोशनी आ रही थी।

मैं वर्तमान में आयी। चारों तरफ अँधेरा … चिर सन्नाटा। अंतिम आवाज मैंने अपने फ्लैट का गेट बन्द होने की सुनी थी। मेरे हाथ ऊपर मेरे ही ब्रा से बंधे हुए थे। मैं दीवार से अपनी नंगी पीठ और चूतड़ सटाये खड़ी थी. मैं खुरदरी सतह को महसूस कर सकती थी। खुरदरी दीवार मेरे मखमली जिस्म में चुभ रही थी। मेरे हाथ ऊपर थे। मेरे आर्मपिट से आ रही मेरे बदन और परफ्यूम की मिश्रित खुशबू मेरे नाक तक पहुँच रही थी।

मुझे कल की चुदाई याद आने लगी. कल रात पहली बार किसी ने मेरे आर्मपिट्स चूसे थे। ऐसा मजा मुझे मेरे बॉयफ्रेंड ने भी नहीं दिया कभी। यह सब सोच कर मैं सोचने लगी कि आज क्या करेगा भाई मेरे साथ।
मैं इमैजिन कर रही थी कि मैं पुल-अप बार से लटकी हूँ. भाई मेरे चूतड़ों पर जोर-जोर से कौड़े बरसा रहा है. मैंने अपने दाँत भींच लिए।

मैंने ध्यान दिया, उत्तेजना में मैं चूतड़ दीवार से रगड़ रही थी। मेरी चूत नीचे गीली हो चुकी थी। मेरी चूत से पानी बह कर नीचे मेरी टांगों पर जा रहा था।
तभी दरवाजा खुलने की आवाज मेरे कानों में आयी. मैं सहम गयी। मेरा सपना टूटा, मैं सावधान हो गयी। एक हाथ मेरी कमर पर मुझे महसूस हुआ। भाई मुझे खींच के अपने साथ ले जाने लगा. यह मेरा भाई था. मैं उसके पर्फ्यूम को पहचान रही थी। ये स्पर्श भी जाना पहचाना था. मैं उसके साथ हो ली।

विशाल:
मैंने सरप्राइज प्लान किया था। इसलिए मैंने उसे बाहर ही रखा। जब मैं वापस आया तो मेरी बहन नंगी, हाथों को ऊपर किये खड़ी थी। वो गर्म हो चुकी थी। सेक्स का अहसास उसे पागल बना रहा था। मैंने उसे उसकी नंगी कमर से पकड़ा। मेरे दरवाजा खोलते ही वह डर गयी उसके चेहरे पर डर साफ नज़र आ रहा था। मेरा स्पर्श पाकर वो सामान्य हुई। मेरा स्पर्श वो पहचानती थी। पहचाने भी क्यों न … पिछले तीन सालों से मैं उसे मजे देता आ रहा हूँ।

मैं उसे कमरे में ले आया। दरवाजा बंद किया। वो हॉल में नंगी हाथ ऊपर किये हुए खड़ी थी। शरीर पर एक भी वस्त्र नहीं. एक फटी हुई ब्रा थी जिससे उसके हाथ बंधे हुए थे। मैं खड़ा हुआ उसको निहार रहा था।
मैंने पूरा घर डेकोरेट कर रखा था. हर तरफ कैंडल लाइट्स थी। यह सरप्राइज था जो मैंने अपनी बहन के लिए प्लान किया था। मैं उसके पीछे से उसके पास गया। मैंने हाथ उसकी कमर पर रखा। वो थोड़ी कसमसाई क्योंकि गर्म तो वो पहले से ही थी।

मेरा स्पर्श उसे रोमांचित कर रहा था। मैंने बड़े ही प्यार से उसके जिस्म पर हाथ फेरा और फेरते हुए हाथ ऊपर ले जा रहा था। मेरे हाथ उसके बोबे तक पहुंचे. मैंने पीछे से उसकी नँगी पीठ से सट कर उसे हग किया। वो थोड़ा सिहर सी गयी. वो काफी गर्म हो चुकी थी आज की घटना से. मैंने उसके बोबे अपने हाथ में लिए और उसकी नंगी पीठ से बिल्कुल चिपक गया।

मेरे ऐसा करने से वो वासना में डूब गयी। मैं उसी अवस्था में उसके कंधों पर चूमने लगा। उसके मुंह से कामुक सिसकारी निकली- आहह!
मैंने चुंबन जारी रखा. मैं उसकी गर्दन, कानों, कंधों के भाग में चुंबन कर रहा था। चूमते हुए मैंने उसकी पट्टी मुँह से ही खोल दी, पट्टी गिरते हुए उसके मम्मों पर अटक गयी।

वो आंख बंद किये, सर हल्का मेरी तरफ घुमाये हुए वासना के सागर में गोते लगा रही थी। मुझे उसके आधे लाल होंठ दिख रहे थे। उसका मुँह खुला हुआ। वो आहह! उम्म्म! की ठंडी आहें भर रही थी। बदन स्थिर था, कोई जल्दबाजी नहीं। हाँ वो अपने चूतड़ जरूर रगड़ रही थी मेरे लौड़े पर।

मैं चुम्बन करता हुआ कान के पास पंहुचा। मैंने उसके कान पर किस किया और बोला- सी! (देखो)
आवाज सुनकर उसकी मृगतृष्णा टूटी। वो वासना के जोश में ये भी भूल गयी थी कि पट्टी नहीं रही है उसकी आँखों पर। उसने आँखें खोलीं जैसे सपने से जागी हो।

प्रीति:
कुछ देर लगी मुझे वर्तमान में आने में और समझने में। मैंने चारों तरफ नजर दौड़ाई। पूरा घर मोमबत्तियों से सजा हुआ था। कमरे में सिर्फ कैंडल्स की सुनहरी रोशनी थी। सारी लाइट्स ऑफ थी. पूरा घर सजा हुआ था। वो नजारा देख कर मुझे अपनी ही आँखों पर भरोसा नहीं हो रहा था।

भाई ने ये सब मेरे लिए किया था। यह मेरा ड्रीम था कि मैं अपने चाहने वाले के साथ कैंडल लाइट्स में चुदूं। मैंने उसे बताया था। लेकिन सेक्स के बाद की हुई बातें कौन याद रखता है। मेरा भाई अलग था। उसने मुझे अहसास दिलाया कि मैं उसके लिए कितनी खास हूँ। मेरे भाई के लिए प्यार जग गया मेरे दिल में। मैं बस अब उसके लिए समर्पित हो जाना चाहती थी।
ख़ुशी के कारण मैं वासना भूल चुकी थी। मैं पीछे मुड़ी, मैंने उसे बस गले से लगा लिया।

विशाल:
वो मेरे गले में अपने बंधे हाथ डाल कर गले लगी थी। मैंने भी उसे कस कर अपनी बाँहों मे जकड़ रखा था। मैंने इस कदर उसे अपने आग़ोश में ले लिया था कि वो जमीं से कुछ ऊपर तक हवा में मेरे से चिपकी हुई थी। मैंने उसके चूतड़ों पर हाथ रख कर उसे अपने से पूरा चिपका लिया।
उसने कांपती हुई आवाज में कहा- आई लव यू विशाल! आई ऍम सो लकी टू गेट यू! (मैं बहुत भाग्यशाली हूँ जो मैंने तुम्हें पाया)
उसकी आवाज कांप रही थी। वो जज़्बाती हो गयी थी।

मैंने उसकी पीठ पर हाथ रख कर अपने से और चिपकाते हुए कहा- आई लव यू टू!
उसने मुझसे कहा- आज से मैं पूरी की पूरी तुम्हारी हूँ.

विशाल तुम मुझे बहन समझने की गलती मत करना। आज पूरी तरह से तुम्हें समर्पित हूँ। एक रखैल की तरह चोदो मुझे।
मैंने कहा- जैसा तुम कहो मेरी जान!


मैं उसके जिस्म को निहार रहा था. मोमबत्ती की पीली रोशनी में उसका गोरा चिकना बदन चमक रहा था. उसकी चूचियां तनी हुई थीं. उसकी सांसें थोड़ी तेज थीं. जब वो सांस लेती, तो उसकी चूचियां कामुक अंदाज में ऊपर नीचे होने लगतीं. वो सर झुकाए खड़ी थी, मैं घूम कर उसके जिस्म की पैमाइश कर रहा था. फिर मैं पीछे आया और उसकी गांड पे हाथ फेरते हुए मैंने उसके चूतड़ पर एक जोर की चपत लगा दी. फिर लगातार मैं कई चपत उसके चूतड़ों पर लगाता चला गया. चपत लगने से उसके चूतड़ बड़े ही कामुक अंदाज में हिल रहे थे. चपत लगते ही उनपे लाल निशान पड़ जाते, जो कि धीरे धीरे गायब हो गए.

मेरे अचानक इन वारों से वो एक स्टेप आगे को आ गयी और ‘उम्मम्म ईस्स..’ की आवाज से कसमसा उठी.

मैंने पीछे से उसके बाल पकड़ कर खींचा, जिससे उसका सिर ऊपर को हो गया. मैंने उसके हाथ फिर से ऊपर कर दिए. मैंने उसके हाथ ऊपर करके नीचे आने लगा. मैं हाथ उसके जिस्म पे फेरते हुए नीचे आ रहा था. मैं उसकी कोहनियों से होते हुए उसकी दोनों बांहों पे हाथ फेरते हुए नीचे आ रहा था. उसकी त्वचा एकदम मुलायम मख़मल जैसी थी.

सच कहूँ तो आज से पहले कभी मैंने उसे ऐसे टच किया ही नहीं था. मेरा हाथ सरकता हुआ उसकी बांहों से नीचे की तरफ आ रहा था. मैं हाथ आगे की तरफ उसकी बगलों के नीचे से आगे बोबों की तरफ ले गया. मैंने उसके बोबों पे हल्के से हाथ फिरा रहा था. वो आंखें बंद किये हुए मीठी आहें भर रही थी. वो वासना भरे मेरे स्पर्श का मजा ले रही थी. मैंने एक ही झटके में उसके बोबों को दबोच लिया. उसके चूचुक मेरी उंगलियों के बीच दबा दिए. मैंने उसकी बाकी चूचियां हथेली से दबी हुई थीं.

मेरे अचानक हुए इस हमले की उसको अंदाजा ही नहीं था. उसे दर्द हुआ था … और दर्द उसके चेहरे पे साफ दिख सकता था. वो बेरहमी से दूध मसले जाने के दर्द से सिहर उठी थी. उसके मुँह से ‘आहह आहह आ ओहह..’ की आवाजें निकल पड़ीं.

इस दर्द को मैं उसके चेहरे पे पढ़ सकता था. कुछ पलों में वो सामान्य हुई. लेकिन मैंने उसे सामान्य होने का मौका ही नहीं दिया. मैंने उसके चूचुकों को दोबारा अपनी उंगलियों के बीच फिर से दबा दिया. वो फिर से दर्द से बिलबिला उठी. उसके मुँह से ‘आहह … आह …’ की दर्द भरी आवाजें निकल पड़ीं. वो सर ऊपर करके अपनी नंगी पीठ और चूतड़ों को मेरी तरफ धंसा रही थी.

इधर एक बात ध्यान देने योग्य थी कि उसे असहनीय पीड़ा हुई लेकिन उसने मुझे रुकने को नहीं कहा. वो बस आंख मूंदे उस दर्द का भी आनन्द ले रही थी. मैंने दांत से उसके कंधे पे काट के किस किया. जिससे उसके मुख से दर्द भरी कामुक आवाज निकल गई ‘इईस्स … उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओह.’

मैं उसके बालों को पकड़ कर खींच ले गया और उसे ले जाकर डाइनिंग टेबल पे पटक दिया. उसके गिरते ही मैं खुद उसके ऊपर चढ़ गया. मेरे भार से वो मेज पर दबी थी. मैंने उसके दूसरे कंधे पे दांत से काट के किस किया और वैसे ही दांत से काटते हुए नीचे आने लगा.

अब मैं उसकी नंगी पीठ पर काटते चूमते हुए नीचे आ रहा था. मेरे काटने से उसके मखमली गोरे बदन पे मेरे दांतों के निशान पड़ जाते. वो बस मीठे दर्द से आनन्दित हो रही थी. वो आंखें बंद कर के ‘उम्म्म ईस्स … हम्म आह..’ की सिस्कारियां ले रही थी.

नीचे आते हुए मैं उसके चूतड़ों पर आ पहुंचा. मैंने उसके मस्त चूतड़ों को भी अपने दांतों से काट के खाने लगा. वो अपने दांतों से होंठों से कामुक अंदाज में भींचे हुए मेरे दांतों के लव बाइट के मजे ले रही थी. मैं उसके चूतड़ों को काटता हुआ चाटता जा रहा था. इससे उसके माथे पे हल्की सी सिकन भी नहीं थी. बल्कि उसके होंठों पर कामुक मुस्कान थी.

वो ‘ओह्ह … यस … हम्म …’ की आवाजें निकाल रही थी. मैंने नीचे देखा, तो उसकी चुत से उसका चूत रस बह के नीचे टांगों की तरफ जा रहा था. शायद अब तक वो गर्म हो के एक बार झड़ चुकी थी.

मैंने एक लंबी सांस ली और उसकी चुत की खुशबू को अपने ज़हन में उतार लिया. उसकी वो मादक खुशबू मुझे पागल कर रही थी. मेरा मन तो कर रहा था कि उसकी चुत में मुँह डाल के उसका रस चूस लूँ … खा लूँ, लेकिन मुझे उसे तड़पाना था. यही उसकी मर्जी भी थी.

मैंने मेज़ पर रखी उसकी पैंटी उठायी और चूत से रस पौंछने लगा. मैंने टांगों से लेकर चुत तक का सारा रस उसकी पैंटी से ही पौंछा. पैंटी उसके रस भीग गयी थी. फिर मैं उठा और उसी तरह उसकी पैंटी को उसके मुँह में ठूंस दिया. उसने मुँह खोल कर बड़े आराम से पैंटी को अपने मुँह में ले लिया. अभी भी वो इसी हालत में थी.

अब वो चुदने के लिए तैयार थी. मैंने उसे बाल पकड़ के ही उठाया और कमरे में ले गया. कमरा भी पूरी तरह से सजा हुआ था. कैंडल्स से रंग बिरंगी रोशनी वाले बल्बों से सजावट थी. मैंने उसे वहीं बांधा, जहां कल बांधा था. मैंने उसकी गर्दन पे किस किया और आंखों पे पट्टी बांध दी.

मैंने ध्यान दिया कि उसका मुँह वासना पूरी तरह लाल हो गया था. उसकी आंखों में नशा सा छाया हुआ था.

अपनी बहन के कानों पे मैंने किस किया और बोला- आर यू रेडी फोर होल नाइट फन? (क्या तुम पूरी रात मजे करने के लिए तैयार हो?)
उसने हामी में सर हिलाया.

मैंने उसे गाल पे किस किया और उसे वैसे छोड़ कर टेबल की तरफ बढ़ा, जहां वाइन की बॉटल रखी थी. आइस बकेट में आइस थी, वो बकेट ऊपर गुलाब से सजा हुआ था. मैंने एक ग्लास में वाइन डाली और आइस डाल कर उसके पास को बढ़ा. मैंने उसके मुँह से पैंटी निकाली और उसे वाइन पिलाने लगा. वो तो जैसे प्यासी थी, उसने झट से पूरा ग्लास खाली कर दिया.

मैंने उससे पूछा- डू यू वांट मोर? (और चाहिए?)
उसने नशीली आंखों से हां में सर हिलाया. मैंने ग्लास को वाइन से फिर से भरा और उसे पिलाने लगा. वो दूसरा ग्लास भी पी गयी.
मैंने तीसरी बार गिलास भर लिया और पूछा- और?

इस बार मैं आश्चर्य चकित था. उसने हां में सर हिलाया.

मैं ग्लास उसके मुँह के पास ले गया, वो पीने के लिए मुँह आगे करने लगी. मैंने वापस खींच लिया. उसने नाराज होने जैसा चेहरा बना लिया.
मैंने उससे बोला- ना … ना … ऐसे नहीं.

मैंने वाइन की एक सिप ली और उसके होंठों पे होंठों को रख दिया. उसके होंठ चूसते हुए मैंने वाईन को उसके मुँह में उड़ेल दिया. मुस्कुराते हुए वो गटक गयी. मैं उसके होंठों को चूसते हुए अलग हुआ.

इसी तरह मैंने वाइन उसे फिर से पिलाई और उसके होंठों पे फिर होंठों रख दिए. उसने वाइन मेरे मुँह में उढ़ेल दिया. मैं उसके होंठों को चूमते हुए पी गया.

कुछ देर ऐसा करने के बाद मैंने उसके गाल पकड़ के दबाये और पूरा मुँह खोल के ऊपर कर दिया. फिर पूरी बोतल उठा के उसे पिलाने लगा. वो वाइन को इस तरह से पीने को मजबूर थी. उसका मुँह मैंने जबरदस्ती खोल रखा था. मैं वाइन उसके मुँह में डाल रहा था. वो जितना हो सके वाइन अन्दर गटकती जा रही थी. करीब आधी बोतल मैंने ऐसे ही खाली कर दी.

जब मैंने उसे छोड़ा, तब उसने आखिरी घूँट गटक कर चिहुँक के ऐसे सांस ली, जैसे उसकी जान में जान आयी हो. कुछ वाइन उसके चेहरे पे फैल गयी थी. मैंने उसके बाल पकड़ के खींचे, जिससे उसका चेहरा ऊपर को हो गया. उसके चेहरे से लग रहा था कि उसे मेरी इस हरकत का अंदाज नहीं था. मैंने उसके मुँह से गिरी वाईन, जोकि उसके गालों पर लग कर टपक रही थी, उसी अवस्था उसके गालों को चाटना शुरू कर दिया.

मैंने ऐसे ही चाट चाट कर सारी वाइन उसके चेहरे से साफ की. मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था, जैसे उसके होंठों से लग के वाइन और भी नशीली हो गयी थी. मैं उसके होंठों को चूसते हुए अलग हुआ. वो मेरा पूरा सहयोग कर रही थी. उसे इस तरह की सेक्स क्रियाओं में बड़ा मजा आता था.

प्रीति के शब्दों में:

पिछले कई घंटे से मेरा भाई मुझे अलग अलग तरीकों से उत्तेजित कर रहा था. पहले हॉल में, फिर सड़क पर, फिर यहां अपनी ही बिल्डिंग में मुझे नंगी घुमा रहा था. मैं अब इतनी गर्म हो चुकी थी कि अभी मुझे जिस मर्द का भी लंड मिले, मैं उससे चूत खोल कर चुद जाऊं.

मैं कब एक बार झड़ चुकी थी … ये भी मुझे याद नहीं था. मुझे जो हल्की थकान महसूस हो रही थी, वो भी वाइन के नशे से गायब हो चुकी थी. मैं उससे कहना चाहती थी कि बस कर भाई … अब अपनी रंडी बहन को चोद दे.

लेकिन मैंने खुद को रोका. मैंने लॉकेट की तरफ देखा और खुद को याद दिलाया कि मैं भाई की गुलाम हूँ. वास्तव में मैं आपको बताऊं कि नार्मल सेक्स तो मैंने बहुत बार किया है. लेकिन ऐसे उसकी की निजी रंडी बनके चुदने का मजा ही कुछ और था.

मेरे दोनों हाथ ऊपर बार से बंधे हुए थे. इस वक्त मैं पीटी करने वाली पोजीशन में बंधी थी. उसने मुझे ऐसे बांध रखा था कि मैं अपनी एड़ियों पे उचक कर असहाय सी खड़ी थी. मैं कुछ देख नहीं सकती थी, मेरी आंखों पे पट्टी थी. भले ही मैं देख नहीं पा रही थी. लेकिन हां मैं महसूस सब कुछ कर रही थी. मैं अपने सगे भाई के जूतों की आवाज को सुन सकती थी. मुझे महसूस हो रहा था कि वो मेरे चारों तरफ घूम के मेरे जिस्म की पैमाइश कर रहा था. उसे मुझे ऐसे घूरने में पता नहीं क्या मजा आता था. मेरे मन में तरह तरह की ख्याल उठ रहे थे कि पता नहीं अब मेरा भाई मेरे साथ क्या करेगा. मैं एक नए दर्द भरे रोमांच के लिए खुद को तैयार कर रही थी.

तभी अचानक जूतों की आवाज रुक गई. एक कामुक से अहसास से मेरी सांसें तेज हो गईं. मैं नहीं जानती थी कि अगले ही पल क्या होने वाला है. मेरे नंगे जिस्म में वासना की एक लहर सी दौड़ गयी.

विशाल:

मैं अपनी बहन के नंगे जिस्म को तरसा रहा था. मैं मन में सोच रहा था कि यह लड़की न जाने मुझे कैसे चोदने को मिल गई. आह … उसका गोरा जिस्म … कड़क उठे हुए चुचे, उन पे गुलाबी निपल्स, सपाट पेट, नंगी पीठ, गोरी बांहें, सुराही दार गर्दन, पतली कमर, उठे हुए चूतड़ और कसी हुई गांड. सब मिला के मुझे वो कामवासना की देवी लग रही थी.

उसके नंगे जिस्म को देख के इतनी उत्तेजना बरस रही थी कि कोई भी झड़ जाए. मेरे कदमों की आहट से वो अवगत थी. मेरे कदमों के आहट से उसकी सांसें तेज हो रही थीं. हर बार जब वो सांस लेती, तो उसके मम्मे ऊपर नीचे होने लगते. उसके मम्मों का इस तरह से उठाना गिरना, उस पूरे दृश्य को और भी कामुक बना रहे थे.

मैं एक पल के लिए रुका. मैंने ड्रावर खोला, जिसमें उसने सारे सेक्स के सामान रखे हुए थे. उसमें से मैंने कुछ सामान निकाला. उसे पास में स्टडी टेबल पे रखा … फिर वापस उसके पास आया.

अब मैं उसके नीचे आ गया. मैंने अपनी बहन के चूतड़ों पे किस किया. उसकी नंगी पीठ पे किस करते हुए ऊपर की तरफ बढ़ा. मैंने उसके लेफ्ट हाथ को खोला और उसे पुलअप मशीन के दूसरे बार से फैला कर बांध दिया. यही काम मैंने उसके पैरों के साथ किया. अब वो लगभग एक्स आकार में पिछली रात की तरह बंधी थी. वो नशे तथा वासना से लिप्त थी. उसे बस सेक्स दिख रहा था. मुझे याद है कि जब मैं उसके नंगी पीठ पे किस कर रहा था. वो किस तरह कामुक तरीके से दांते भींचे हुए मजे ले रही थी. मैंने सेक्स खिलौनों में से झाड़ूनुमा एक खिलौना लिया, जिसे ‘व्हिप’ कहते थे, उसे अपने हाथ में उठाया.

यह व्हिप नामक सामान एक झाड़ू जैसा खिलौना होता है. जो कि सॉफ्ट लेदर की रस्सियों का बना था. आगे यह रस्सियां खुले गुच्छे के रूप में खुली हुई होती हैं. पीछे ये सब गुंथ कर एक हैंडल सा बनाती हैं. इन सब चीजों से उसी ने मुझे अवगत कराया था. मैंने उस व्हिप को लिया और वापस उसके पास आया.

मैं अब घूम के फिर से उसकी हालत का मुयाअना करने लगा. उसका पूरा जिस्म स्थिर था. क्योंकि वो रस्सी से बंधी थी. बस मेरे कदमों की आहट पाकर उसकी सांसें फिर से तेज हो जाती थीं.

मैं घूमते हुए उसकी दायीं तरफ आया और व्हिप से उसके नंगे सपाट पेट पे दे मारा. वो ‘आ..’ की आवाज से चिहुंक उठी. उसकी सांसें एक सेकंड के लिए जैसे अटक सी गईं. हालांकि उसे दर्द हुआ होगा … लेकिन दर्द पे वासना हावी था. कुछ सेकंड में उसकी सांस में जान आयी. उसने लम्बी संतोष भरी हम्मम … की आवाज के साथ सांस छोड़ी.

मैंने उससे पूछा- हाव इज इट?(कैसा लगा)
वो सांसें सम्भालते हुए कांपती सी आवाज में बोली- ईट्स वंडरफुल मास्टर (ये बहुत ही अच्छा था)

मैंने दूसरी बार में व्हिप को सामने से उसके पेट वाले हिस्से पे मारा, वो फिर से चिहुंकी. सांसें उसकी फिर से अटक सी गईं. लेदर उसके जिस्म पे सटीक चिपक रहा था. स्लो मोशन में देखें, तो लेदर उसके नंगे स्किन पे सटाक से चिपकता और एक कम्पन के साथ वापिस आता. हर बार पे उसकी सांसें अटक सी जातीं.

मैंने उससे इस दूसरे वार के साथ बोला- से … वन्स मोर मास्टर … एंड बेग फॉर इट. (बोलो एक और मेरे मालिक, आग्रह करो मारने के लिए)
उसने कांपते हुए दर्द भरी आवाज में कहा- यस्स … प्लीजज … वन्स हम्म वन्स मोर्रर्र … मास्टर (हां मेरे मालिक, कृपया एक और लगाएं)
उसकी आवाज से जाहिर था कि उसे दर्द हो रहा था. लेकिन उसके चेहरे पे वासना के भाव थे.

मैं घूमते हुए उसकी बायीं तरफ आया और उसके नंगे सॉफ्ट चूतड़ों पे दे मारा. वो जोर से चिहुंकी.
‘आहह ईसस्सस … हम्म..’
‘से … अगेन..’ (फिर से कहो)
उसने एक झटके में जल्दी से बोला- वंस मोर मास्टर (एक और मास्टर).

मैंने उसके दूसरे चूतड़ पे मारा. वो दांत भींच कर दर्द से चिहुंक उठी.
‘आहह … उक्क..’
उसकी ‘आहह..’ दर्द से अटक के रह गयी. फिर एक पल बाद उसने ‘उम्मम्मम … ईस्स..’ की आवाज के साथ लंबी सांस छोड़ी.

मैं होंठों को दांत से चबाते हुए बड़े ही कामुक लहजे में बोला- फिर से बोलो.
‘उम्म्म यसस्स … वंस मोर मास्टर … हम्म आहह … (एक बार और)

उसके इस अंदाज से मेरे अन्दर वासना की लहर सी दौड़ गयी. वो किसी एक्सपर्ट रंडी की तरह बर्ताव कर रही थी. शायद यह वाइन के नशा का नतीजा था. वो दर्द को अपना चुकी थी और अब मेरे वार का मजा ले रही थी. साथ ही वो बड़बड़ा भी रही थी- उम्म्म … ओह … यस मास्टर … आई लाईक दैट … उम्म्मम … हम्मम … आहह … यस प्लीज मास्टर … वन्स मोर मास्टर ( एक और मेरे मालिक)

ऐसा करते हुए वो अपने चूतड़ बड़े कामुक अंदाज में हिलाते हुए दांतों से होंठों काटने लगी. वाइन के नशे ने उसे सड़कछाप रंडी बना दिया था.

उसके इस अंदाज से मैं भी गर्म हो गया और मैंने जोर से उसकी नंगी पीठ, उठे हुए नग्न चुचों, नंगे पेट, नंगी गांड (चूतड़), मखमली टांगों पे लगातार कई कोड़े बरसा डाले.
वो बस दर्द के मारे ‘आ आहह … ओह ओ ईईईई … ऊम्म..’ करके चीखती रही. वो कुतिया की तरह चिल्ला रही थी.
मैंने कोड़े बरसाना रोका. उसने सिसकते हुए सांस ली … वो रो रही थी. उसकी आंखों में आंसू थे. लेकिन चेहरे पे वही कामुक भाव थे. वो निढाल पड़ी सांसों पे काबू पाने की कोशिश कर रही थी. उसकी चीखें काफी तेज थीं. मुझे लगता था कि उसकी तेज आवाजें आसपास के नजदीक फ्लैट तक सुनाई पड़ी होंगी.

अब मैं रुक गया. मैं उसकी आंखों में आंसू नहीं देख सकता था. मैंने उससे पूछा- डू यू वांट इट स्लो डाउन (आराम से करना चाहती हो)
वो कुछ नहीं बोली, उसने बस न में सर हिलाया.
मैंने उससे बोला- वी कैन ड्राप इट … डू इट व्हेन यू वर रेडी (हम कभी बाद में कर सकते हैं जब तुम तैयार हो रहोगी.)

उसने गुस्से से मुझे देखा.

मैं अपने पूरे होशोहवास में था. लेकिन उस पर सेक्स का भूत सवार था. ऊपर से वाइन ने उसे और खोल दिया था. वो इस वाइल्ड सेक्स का पूरा मजा ले रही थी. हालांकि मैं उसके स्वभाव को जानता था. उसे रोका नहीं जा सकता. मैं ढीला पड़ा, तो वो नाराज हो जाएगी. फिर मुझे कई दिनों तक सेक्स करने को नहीं मिलेगा. यह वाइल्ड सेक्स ही तो उसकी इच्छा थी. उसने मेरे कई सेक्स इच्छाओं को पूरा किया था, आज मेरी बारी थी.


मैं उसके पीछे आया और उसके बाल पकड़ कर खींचे. वो दर्द के साथ कामुकता भरी सिसकियां ले रही थी. उसने फुंफकार के सर ऊपर किया. गुस्से और कामवासना का सम्म्लित भाव उसके चेहरे पे था. वो जोर जोर से सांस ले रही थी या यूं कहें वो हांफ रही थी. सच में वो “हम्म हम्मम..” करके हांफ भी रही थी.

मैंने बोला- डू यू लाइक इट स्लट ( तुम्हें पसन्द आया मेरी रंडी)
उसने हामी में सर हिलाया.

मैंने उसे बनावटी गुस्से से डाँट के कहा- से इट लाऊड स्लट (तेज बोलो मेरी रंडी)
वो रोती सी आवाज में कांपती आवाज में बोली- यस आई लाइक इट मास्टर ( मुझे ये अच्छा लग रहा है मेरे मालिक)

मैंने उसके चूतड़ों पर फिर से व्हिप से मारा. उसने गांड उचकाते हुए “उम्म्म हम्म उम्मम्म …” की आवाजें निकालीं. वो अपनी सिसकारियों को दबा रही थी … या यूं कहें कि जितना हो सके, वो धीमी आवाज कर रही थी.
दर्द कामुकता और सेक्स की गर्मी से उसका बदन जो तप रहा था, वो पिघलना शुरू हो गया था. पसीने की कुछ बूंदें उसके माथे पर झलक रही थीं.

मैंने अगला कोड़ा उसकी चूचियों पर मारा वो पहले जैसे ही जोर से सिसकी- उम्म्म हूँ उम्मम्म … आह इस्स.
दर्द भरी मादक आवाजें उसके मुँह से निकल पड़ीं. मैं यहां बताना चाहूंगा कि अब मैं उसे धीरे धीरे कोड़े मारने लगा था ताकि उसे दर्द न हो. लेकिन उसका जिस्म इस वक़्त काफी सेंसटिव था. हल्का सा स्पर्श भी उसे गर्म कर रहा था.

उसकी आंखों में आंसू थे. लेकिन चेहरे पे वही कामवासना का भाव था. वह पक्की रंडी की तरह वो बर्ताव कर रही थी.

अब मैंने उसके चूतड़ों पे कोड़ा मारा और बोला- से … यू आर माय स्लट (कहो तुम मेरी रंडी हो)
वो अपनी सांसें सम्भालते हुए बोली- उम्म्म हम्म यस आई एम योर परमानेंट स्लट सर (मैं आपकी निजी और हमेशा के लिए रखैल हूँ)
मैंने उसके नंगे पेट पे एक और कोड़ा मारा और बोला- से आई एम योर लाइफटाइम स्लट. ( कहो मैं तुम्हारी जिंदगी भर के लिए रंडी हूँ)
उसने वैसा ही बोला- यस विशाल, आई विल बी योर परमानेंट स्लट फॉर लाइफ टाइम. (मैं तुम्हारी रखैल रहूंगी जिंदगी भर)

अब उसकी आवाज सामान्य थी. उसने रोना बंद कर दिया था. मैंने दो-तीन कोड़े लगा कर व्हिप को साइड में रखा और उसके जिस्म को ताड़ने लगा. दोबारा अब वो सामान्य हो रही थी. उसका जिस्म वासना से तप के लाल पड़ गया था.

वो सर झुकाये पुल बार से बंधी खड़ी थी. मैंने एक दफ़ा उसके चेहरे को देखा. उसके माथे पे पसीने की बूंदें थीं. उसके गर्दन और कंधे के भाग से पसीना चूते हुए उसके चुचों के बीच की घाटी में आ रहा था. उसका बदन पसीने के बूंदों के कारण चमक रहा था.

मैं उसके पीछे गया और पीछे से उसके गाल पे किस किया. मेरे लबों का स्पर्श पते ही वो सिहर गयी. उसने सर ऊपर की तरफ उठा लिया.
मैंने उसके कान की लटकन को धीरे से काटा. उसके मुख से धीमी सी आवाज निकली- ईईस्स …

मैंने उसके कान के पीछे वाले भाग पे लगे पसीने की बूंदों पर जीभ को फिरा दिया. उसने दांत भींचे धीमी सी सिसकारी भरी- उम्म … विशाल.
उसका मुँह खुला था. आंखों पर पट्टी थी. वो धीमी धीमी कामुक सिसकारियां लेते हुए मेरा नाम पुकार रही थी.

यह काफी उत्तेजना भरा दृश्य था. वो काफी उत्तेजित भी थी. पिछले एक घंटे से मैं उसे अलग अलग तरीकों से उत्तेजित कर रहा था. मैं अपने हाथ आगे उसके सीने पे ले गया और अपनी तर्जनी उंगली से उसके सीने पर लगे पसीने को पौंछते हुए गर्दन तक आया और पीछे बाल पकड़ के उसका सर ऊपर कर दिया. इसके बाद मैंने अपनी उंगली को उसके मुँह में ठूंस दिया. वो कामवासना की आग में जल रही थी. उसने मेरी उंगली चाट ली.

मैंने उंगली को उसके लबों पे फेरा, तो वो मीठी आहों के साथ बस इन खुराफातों का मजा ले रही थी. इधर मैं भी उसके बालों को वैसे ही पकड़े हुए उसके उसके कंधे पे लगी पसीने की बूंदों को जीभ से चाट रहा था. मैंने जीभ उसकी पीठ पे फेरी, तो वो तो जैसे सिहर ही उठी. वो मुझे बोलने लगी- विशाल मेरे भाई … अब चोद दे ना … कितना तड़पाएगा.
मैं खड़ा हुआ और उसके होंठों पे उंगली रखते हुए बोला- नो साउंड … ( कोई आवाज नहीं)
वो चुप हुई तो मैंने कहा- मास्टर ओनली लाइक यू … आइदर साइलेंट और स्क्रीम.” (मास्टर को तुम या तो सिसकारियां” लेते हुए पसन्द हो या तो बिल्कुल चुपचाप)
उसने बोला- सॉरी मास्टर.

मैं उसकी चूचियों को आगे से पकड़ लिया और दबाते हुए कंधों पे, गर्दन पे, उसकी लटकती बांहों पे किस करने लगा. वो बस “हम्मम आह उम्म्मम यस्स..” की सिसकारियां ले रही थी.

मैं उसके चुचों को जोर जोर से दबाता, लेकिन उसे तो जैसे फर्क ही नहीं पड़ रहा था … उलटे उसे आनन्द आता. वो बस मादक सिसकारियां लेती- ओह्ह यस … उम्म्ममम्म हम्म … ओह्ह फ़क.
मैंने उसकी चूची को और जोर से भींचा.

वो फिर से बोल पड़ी- मास्टर प्लीज फ़क मी … (कृपया मुझे चोद दे मेरे मालिक)
“हम्म..”
“हां आप जहां जैसे चाहें. जहां चाहें, बस चोद दे मुझे.”
ये सब वाइन के नशे का असर था.

मैं बस उसे मसले जा रहा था.
वो दोबारा बोल पड़ी- विशाल प्लीज भाई चोद दे प्लीज भाई.
मैंने बोला- ओके … लेकिन यहां नहीं.

उसकी बगलों की खुशबू मुझे पागल कर रही थीं. मैं उसे चाटना चाहता था. लेकिन बहन के आग्रह के आगे मजबूर होके मैंने अपनी इच्छा का त्याग कर दिया. मैंने उसकी आंखों की पट्टी हटाई और उसके हाथ खोल दिए. वो निढाल सी गिर पड़ी. मैंने उसको अपनी बांहों में सम्भाला. उसे वापस से खड़ा किया. वो एक सभ्य गुलाम की तरह खड़ी थी. मैंने उसके हाथों को ऊपर करा के आपस में रस्सी से बांध दिया. इस बार बंधन थोड़ा ढीला था. मैंने टेबल पे रखे कुछ सामान लिए.

फिर मैंने कमर में हाथ डाला और चलने लगा. वो वैसे हीं हाथ ऊपर किये चल रही थी.

हम हॉल में सीढ़ियों की तरफ बढ़ रहे थे. यह सीढ़ियां ऊपर जाती थीं. जहां मम्मी पापा का और मेरी बहन प्रीति का कमरा था. मैंने उसे सीढ़ी के हैण्ड-रेल के सहारे झुका दिया. मैं उसके नंगी पीठ पे किस करता हुआ, उसके कानों के पास गया.

मैं उसके कानों में बोला- वन मोर गेम. (एक आखरी खेल)

मैंने उसकी वही पैंटी को लिया, जो उसके जूस से भीगी हुई थी. मैं उसकी टांगों के बीच में आ गया. मैंने देखा उसकी चुत का रस टपक कर उसकी जांघों से बह रहा था. शायद वो दूसरी बार झड़ चुकी थी. मैंने उसकी चुत को उसी पैंटी से साफ किया और उसकी चुत में एक वाइब्रेटर, जो मैंने उसकी नजरों से छुपा के आज ही ख़रीदा था, ठूंस दिया. उसे बिल्कुल भी दर्द नहीं हुआ. होता भी कैसे, वो मेरा मोटा लंड पिछले तीन सालों से ले रही थी. वो काफी फिट थी और नशे में उसको बस यही सूझ रहा था कि उसकी जल्दी से चुदाई हो.

मैंने उसे उठाया, सीधी खड़ा किया और बोला- तुम चुदाई चाहती हो न?
वो बड़े उत्साह में सर हिला कर कहने लगी- हां … हां!
मैं- तो आज चुदाई हम पापा मम्मी के कमरे में करेंगे. तुम्हें बस कमरे में सीढ़ी चढ़ के जाना है.

उसने एक अच्छी स्लट की तरह हां में सर हिलाया. मैंने उसे कंधे पे किस किया और पैंटी उसके मुँह में ठूंस दी.

मैंने पूछा- आर यू रेडी (क्या तुम तैयार हो)
उसने हां में सर हिलाया- ओके.

इसके बाद वो लड़खड़ाती हुई सीढ़ियां चढ़ने लगी. उसके हाथ ऊपर हवा में ऊपर थे. वो बलखाते हुए सीढ़ियां चढ़ रही थी. मैं उसकी गांड को देख रहा था. क्या कामुक दृश्य होता है जब लड़की की गांड का पीछे से ऐसे दिखना होता है.

वो तीन सीढ़ियां चढ़ी थी कि मैंने रिमोट से बाईब्रेटर ऑन कर दिया. वो रुकी और उसने गुस्से से पीछे मुड़ के मुझे देखा. मैंने स्पीड 2 पे कर दी.

उसके बदन में एक जर्क सा लगा. उसके घुटने मुड़ने लगे. वो कांपते हुए आगे की तरफ झुकी और ऊपर की सीढ़ियों के सहारे सम्भली. मैंने उसे पीछे से प्रोत्साहित किया.
“कम ऑन दीदी, यू कैन डू इट.” (दीदी तुम कर सकती हो)

मेरा प्रोत्साहन बढ़ाना काम कर गया. वो धीरे से लड़खड़ाते हुए खड़ी हुई. उसने एक पैर आगे बढ़ाया और एक सीढ़ी चढ़ गयी. उसने किसी तरह हिम्मत की … और दो और सीढ़ियां उसने इसी हालत में चढ़ीं. मैंने स्पीड 3 पे कर दी. अब उसका सम्भल पाना और मुश्किल हुआ. वो कुछ बोल तो नहीं पा रही थी. पर वो तेज से सिसकारियां लेना चाहती थी. किसी तरह उसने रेलिंग पकड़ के 2 सीढ़ियां और पार की. अब मैंने स्पीड 4 पे कर दी, वो एकदम से निढाल सी हो के गिरी और रेलिंग पकड़ के वो किसी तरह सम्भली.

वो रेलिंग के सहारे बैठने लगी. मैं झट से उसके पास पहुंचा. मैंने उसे सम्भाला. वो रेलिंग के सहारे झुकी थी. वो न में सर हिला रही थी कि उससे नहीं होगा. मैंने वाइब्रेटर ऑफ किया और उसकी पैंटी मुँह से बाहर निकाली.

वो बोल पड़ी- भाई मेरे से नहीं होगा. तू चाहे तो मुझे यहीं चोद दे.

मैंने वाइब्रेटर उसकी चुत से निकाला और उसके मुँह में दे दिया. वो चाटने लगी.

मैंने उससे बोला- ओके इस बार सिर्फ़ एक पे.

वो कुछ नहीं बोली.

मैंने वापस उसकी चुत में वाइब्रेटर और पैंटी को उसके मुँह में ठूंस दिया.

मैंने वाइब्रेटर एक पे चालू किया. वो धीरे धीरे किसी तरह सीढ़ी की रेलिंग पकड़े सीढ़ियां चढ़ने लगी. किसी तरह उसने बाकी की सीढ़ियां चढ़ीं. आखिरी सीढ़ी पे उसकी हिम्मत जबाब देने लगी. अब वो घुटने मोड़ के वहीं बैठने लगी. मैंने उसकी कमर में हाथ लगा के उसे ऊपर चढ़ाया. वहां पहुचते ही वो घुटने के बल बैठ गयी … वो हांफ रही थी. मैंने वाइब्रेटर ऑफ किया और उसे उठाया. मैं उसे अपने साथ कमरे में ले जाने लगा. उसके हाथ बंधे थे. मुँह में पैंटी ठुंसी हुई थी. दर्द उसके चेहरे पे साफ था. हाथ आगे पेट के पास किये हुए वो मेरे साथ चल रही थी.

मैंने गेट पे उसे रोका और बोला- दीदी, तुम गेम पूरा नहीं कर पाईं, इसकी सजा तो तुम्हें मिलेगी.
उसने आश्चर्य से मेरी तरफ देखा, मैंने उसे देख के हां में सर हिलाया.
उसने भी हां में सर हिलाया. उसका मतलब था ‘ओके फ़ाईन.’

उसने इशारे से पूछा- क्या है मेरी सजा?
मैंने कहा- मैं तुम्हें बेड पे नहीं चोदूंगा.
उसने फिर इशारे से पूछा- फिर?

मैंने मुस्कुराते हुए खिड़की की तरफ इशारा किया. उसने मुस्कुराते हुए अपने बंधे हाथों से मेरे सीने पे धौल मारी और हंसने लगी.

मैं बता दूं कि मेरे पापा मम्मी के बेड रूम में बालकनी है. यह माध्यम आकार का है, लेकिन सामान्य से बड़ा है. मैंने बालकनी का दरवाजा खोला. यह सुविधा बिल्डिंग के टॉप फ्लोर्स के लिए थी. मम्मी को भी यह पसंद था, इसी लिए हमने ये फ्लैट भी लिया था.

मैंने लाइट ऑफ कर दी. दीदी को आने का इशारा किया. दीदी बीच बालकोनी में खुले आसमानों के नीचे बिल्कुल नंगी खड़ी थी. उसकी शर्ट मैंने कमरे में ही निकाल दी थी. मैंने अपनी पेंट निकाली और कमरे में फेंक दी. फिर मैंने आस पास देखा, कोई हमें देख नहीं सकता था. मैं उससे चिपक गया. मैंने उसके हाथों को खोला. अब मैं उसके कंधों पे किस कर रहा था. उसने एक हाथ पीछे करके मेरे गाल पे रखे हुए थे. मैंने ऐसे ही किस करना चालू रखा. मैं उसके कंधों और गर्दन के भागों को चूम रहा था तथा साथ में उसके उरोजों को भी दबा रहा था.

वो अपने चूतड़ मेरे लंड पे रगड़ रही थी. मैंने बालकोनी के रेलिंग के सहारे उसे झुकाया और उसकी चुत में पड़ा वाइब्रेटर निकाला. मैंने उसकी नंगी पीठ को चूमता हुआ उसे वापस खड़ा किया. मैंने उसके बाल पकड़ के अपनी तरफ घुमाया. वाइब्रेटर, जो उसके रस से भीगा था, उसके मुँह में डालने लगा. वो जीभ निकाल के अपना ही रस चाटने लगी. मैं भी उसके साथ उसके रस को चाटता. मैं उसकी जीभ और होंठों पे लगे रस को चाटता.

फिर मैंने वाइब्रेटर को एक तरफ फेंका और हाथ पीछे ले जाके उसकी कमर से उसे पकड़ कर उसके नंगे बदन को खुद से चिपका लिया. मैं उसके होंठों को चूसने लगा. मैं उसके होंठों को जोर जोर से चूस रहा था. वो अपनी कोमल बांहों का घेरा बना कर मेरे गर्दन में डाल के मुझसे चिपक गयी. मेरा पूरा साथ देने लगी.

हम दोनों बालकनी में बिल्कुल नंगे एक दूसरे से चिपके वासना का खेल खेल रहे थे. चांदनी रात थी. मौसम ठंडा था. चाँद की हल्की रोशनी में उसके होंठों के चूसने का मजा ही अलग था. हल्की ठंडी आरामदायक हवा बह रही थी, जो हमारे सेक्स की आग को और भड़का रही थी. यूँ कहूँ कि आज पूरी कायनात भी हमारा साथ दे रही थी.

मैं उसके रसीले होंठों को चूस रहा था. हम एक दूसरे में खो चुके थे. हम दोनों बस आंखें बंद किये वासना के सागर में गोते लगा रहे थे.

कुछ देर तक किस करने के बाद मैं रुका, मैंने आंखें खोली. मैंने एक सेकंड के लिए उसके चेहरे को देखा. उसकी बड़ी बड़ी सुरमयी आंखें, खुले बाल, चाँद की रोशनी में चमकते उसके रसीले होंठ.

ये सब देखते मैं उत्तेजित हो उठा, वासना की लहर सी दौड़ गयी मेरे शरीर में. मैंने दोनों हाथ उसके कमर पकड़ के खींचा, वो मेरे नंगे बदन से और सट गयी. उसके फूले हुए चुचे मेरे सीने से चिपक गए. मैं उसके कड़क निपल्स को अपने सीने पे महसूस कर सकता था. मैंने उसकी गर्दन पे स्मूच करते हुए किस करना चालू किया.

वो अपने सर को ऊपर करके आंखें बंद किये वासना भरी ठंडी आहें भर रही थी. उसका मुँह खुला था. वो धीमी सिसकारियां रही थी. मैंने उसके चूतड़ों के नीचे हाथ लगा के उठाया. वो मेरी गर्दन में बांहें डाले झूल गई और मेरी कमर में अपनी टांगें लपेट कर मेरे बदन से चिपक गयी. मैंने उसके होंठों चूसते हुए उसे ले जाके दीवार से चिपका दिया. वो नंगी पीठ के सहारे दीवार से चिपक गयी. मैंने उसके दोनों हाथ अपने हाथों में लिए और अपने होंठों के पास ला कर चूमा. फिर झटके से ऊपर कर के दीवार के सहारे चिपका दिए. मैंने उसके हाथों को जोड़ के दीवार से चिपका रखा था. मेरा ऐसा करना उसे अच्छा लगा, उसके होंठों पे हल्की मुस्कान थी.

मैंने दूसरे हाथ की उंगली को उसकी कोमल बांहों पे फिराया. वो मस्त हो उठी. उसने आंखें बंद किये हुए हल्की मुस्कान के साथ ‘उम्मम …’ की धीमी सीत्कार ली. मैं उसे उसी अवस्था में (हाथ ऊपर करके अपने एक हाथ से दीवार में चिपकाये) दूसरे हाथ की उंगलियां उसके नंगी कोमल बांहों पे फेरते हुए नीचे आ रहा था, वो मस्त हो रही थी.

मेरी उंगलियां उसकी गर्दन के पास पहुँची. वो मीठी सी मुस्कान के साथ मस्त होके ‘उम्म्म हम्मम्म …’ की सिसकारियां ले रही थी. मैंने उंगली उसके होंठों पे फेरा. वो सेक्स के लिए प्यासी थी, मेरे स्पर्श से उत्तेजित हो रही थी. उसने मेरी उंगलियों को चूम कर दांत भींच लिया.

कामवासना उसके चेहरे पे साफ नजर आ रही थी. मैंने उसके चेहरे पर से, जो उसकी जुल्फें आ गयी थी, को उंगलियों से हटाया. उसका नूर सा चेहरा मेरे सामने था. वो आंखें बंद किये, पता नहीं कहां खोयी थी. मैं उसके पास हो गया. उसके माथे पे चुम्बन किया. तो उसके होंठों की मुस्कान बढ़ गयी. उसकी सांसें तेज थीं, जो मेरे चेहरे से टकरा रही थीं. मैंने उसकी आंखों पे किस किया. उसकी नाक के ऊपर किस किया. बारी बारी से उसके दोनों गालों पे किस किया.

वो बस आंखें बंद किये मेरे लबों के स्पर्श का आनन्द ले रही थी. उसके होंठों पे मुस्कान थी. वो मुँह खोले सिसकारियां भर रही थी. मैंने दूसरे हाथ में उसके चेहरा पकड़ के दबाया. उसके दोनों गाल दबे हुए थे, जिससे उसके होंठों से पाउट्स बन गए थे. मैंने उसके रसीले होंठों को जीभ से चाट लिया.

प्रीति के शब्द:

अपने भाई की ये अदा मुझे बड़ी पसंद थी. वो धीरे धीरे प्यार करते करते अचानक से जंगली हो जाता था, जब मैं इसकी कामना भी नहीं कर रही होती थी. यह बात मुझे और उत्तेजित करती थी.

खैर यहां खुले आसमान के नीचे सेक्स का आईडिया, बहुत ही रोमांचक था. मैं खुले आसमान के नीचे नंगे, अपने भाई से चुदने आयी थी. यह नया था तथा काफी रोमांचक था. यह मेरे रोम रोम को उत्तेजित कर रहा था. मैं दो बार झड़ चुकी थी लेकिन एक बार फिर गर्म होने लगी थी. पिछले दो घंटों से अलग अलग तरीकों से गर्म होने के बाद फाइनली मेरी चुदाई होने जा रही थी.

विशाल के शब्द:

मैंने उसकी गर्दन पे किस किया. मैं किस करते हुए नीचे बढ़ रहा था. मैं उसके दोने चुचों को दबाये उसके सीने और गर्दन के भागों पे किस कर रहा था. मैं उसकी गर्दन और कंधों तक किस कर रहा था. ऐसे ही हालात में मैंने उसके चुचों को मुँह में लिया.

वो चिहुंक उठी- आहह..
फिर उसने दांत भींच लिए और ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… इस्स हम्म …’ की आवाजें निकालीं.

पिछले 2 घंटों के करतबों के दौरान उसकी चूचियां बहुत सेंसिटिव हो गयी थीं. मेरे होंठों का स्पर्श पाते ही जैसे उसे आराम मिला. मैं बारी बारी से दोनों चूचियां मुँह में लेके चूस रहा था. मैं उसकी चूचियों को पूरा मुँह में भरने की कोशिश कर रहा था. लेकिन उसकी चूचियां इतनी बड़ी थीं कि सम्भव नहीं था.

मैंने उसकी चूचियां चूसते हुए एक मिनट के लिए ऊपर देखा. मेरी बहन आंखें बंद किये हुए चूचियां चुसवाने में मस्त थी. उसकी बांहें अभी भी ऊपर थीं. उसका चेहरा दायीं तरफ मुड़ा हुआ था. वो दीवार से सटी सिसकारियां ले रही थी.

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