फिर एक दिन हेतल अपने पति रितेश के साथ हमारे यहाँ आ धमकी. मैं समझ गया कि अब मानसी की चूत के लिए राज के लंड की बारी आ गयी है. रितेश जीजू और हेतल दीदी की जोड़ी कमाल की लगती थी. ऐसा लगता था कि दोनों एक-दूसरे के लिए बने हैं. मेरी दीदी हेतल एक गोरे रंग वाली, 5.6 फीट लम्बी और 34-32-36 के साइज वाली लड़की थी. उसका ये फीगर शादी के बाद का बता रहा हूँ मैं. रितेश जीजू ने चोद-चोद कर उसकी कमसिन जवानी को फूल की तरह खिला दिया था.
जब वो दोनों हमारे घर आये तो हमारा घर जैसे खुशियों से भर गया. अभी तक हेतल दीदी और रितेश जीजू ने कोई बच्चा पैदा नहीं किया था. वो शायद अपनी जवानी के मजे अभी ज्यादा वक्त तक लेना चाहते थे इसलिए फैमिली प्लानिंग के बारे में सोच-समझकर आगे बढ़ रहे थे.
रितेश जीजू के बारे में भी जितनी तारीफ करूं शायद कम ही होगी. मेरी दीदी हेतल ने रितेश जीजू को अपने लिए खुद ही चुना था. उन दोनों की लव मैरिज हुई थी. उनकी जोड़ी को देख कर हर कोई कह सकता था कि ये दोनों तो एक दूसरे के लिए ही बने हैं. रितेश जीजू एक 6 फीट लम्बे और मजबूत कद-काठी के मर्द थे. दीदी से दो साल ही बड़े थे. मुझे नहीं पता दीदी ने उनको कहां से ढूंढा था लेकिन उनको देख कर मुझे ऐसा लगने लगता था कि काश मैं भी इनके जितना ही चार्मिंग होता.
उनका रंग गोरा और शरीर भरा हुआ था. लाल होंठ और काली नशीली आंखें थीं. जब हंसते थे तो किसी हीरो से कम नहीं लगते थे. उनकी बॉडी एकदम परफेक्ट थी उनकी हाइट के हिसाब से. कहीं से भी शरीर पर अतिरिक्त चर्बी नहीं दिखाई देती थी बल्कि उनको देख कर लगता था कि जैसे वो कोई मॉडल ही हों. मैं हेतल दीदी की पसंद को मान गया था जब पहली बार मैंने जीजू को देखा था.
उनको देख कर तो किसी अप्सरा की चूत में भी आग लग सकती थी. फिर हेतल दीदी तो बहुत ही चालू थी. उसने पता नहीं कैसे उनको पटा लिया था. जबकि हेतल दीदी जीजू के सामने उन्नीस ही लगती थीं. मगर शादी के बाद दीदी की जवानी पर अलग ही निखार आ गया था. अब दोनों की जोड़ी बहुत ही खूबसूरत लगती थी.
घर आने के बाद माहौल में गहमागहमी रहने लगी थी. जीजू के साथ मेरा अच्छा टाइम पास होने लगा था जबकि मानसी भी हेतल के आने के बाद ज्यादा ही खुश रहने लगी थी. उन दोनों के बीच में अब कुछ भी छिपा न रह गया था लेकिन हेतल को नहीं पता था कि मैं भी हेतल की बातें सुन चुका हूं और जानता हूं कि हेतल ने किस तरह मेरे लंड को छुआ था.
रात को हेतल और मानसी एक कमरे में ही सोते थे. रितेश जीजू कभी मेरे साथ मेरे रूम में सो जाते थे तो कभी हॉल में सो जाते थे. वो लोग वैसे तो यहां पर तीन-चार दिन के लिए ही आये थे लेकिन फिर उनका भी मन लग गया और उन्होंने ज्यादा दिन तक हमारे साथ रुकने का प्लान बना लिया. इसकी एक वजह शायद मानसी की राज का लंड लेने की चाहत भी थी.
मैं जानता था कि जब तक मानसी मामा के लड़के राज का लंड अपनी चूत में नहीं लेगी वो हेतल को यहां से नहीं जाने देगी. जब कई दिन मानसी की गांड मारे हुए हो गये तो मैंने उसको एक रात चुपके से अपने कमरे में बुलाया और दरवाजा बंद करके उसकी गांड की चुदाई कर डाली. तब जाकर मेरे लंड को कहीं चैन मिला. उस रात को जीजू हॉल में सो रहे थे.
हेतल तो जानती थी कि मेरे और मानसी के बीच चुदाई का खेल काफी दिन से चल रहा है लेकिन रितेश जीजू को अभी इस बारे में कुछ भी नहीं पता था. फिर एक दिन जोर की बारिश आने लगी और पावर कट हो गया. दोपहर से गई हुई लाइट शाम तक नहीं आई. हम लोग उस दिन घर पूरा दिन बोर होते रहे इसलिए शाम को मैं और जीजू घूमने के लिए निकल गये.
वापस आकर देखा तो तब भी लाइट नहीं आई थी. उस दिन तो बड़ी मुश्किल हो गई थी. फिर हमने इमरजेंसी लाइट के लिए भी जुगाड़ किया लेकिन वो बैटरी वाली लाइट भी ज्यादा देर नहीं चली. वैसे मौसम तो ठंडा था लेकिन घर में पूरा अंधेरा हो गया था. उस दिन हम लोग सब अपने-अपने रूम में ही सो रहे थे. जीजू बाहर हॉल में सो रहे थे. मानसी अपने रूम में और हेतल अपने रूम में सो रही थी.
उस दिन मौसम को देख कर मेरा मन मानसी की चुदाई करने के लिए मचल रहा था. मैंने सोचा कि एक बार जीजू और हेतल सो गये तो मैं मानसी के रूम में जाकर ही उसको चोद कर आ जाऊंगा.
मैंने मानसी के फोन पर मैसेज छोड़ दिया कि मैं रात 11 बजे के बाद उसके रूम में आऊंगा और वो दरवाजा खुला ही रखे.
उसने मैसेज में रिप्लाई किया- ठीक है, लेकिन आराम से करना, कहीं रितेश जीजू को पता न लग जाये. अगर उनको पता चल गया कि हम भाई-बहन में चुदाई चल रही है तो वो हमारे बारे में पता नहीं क्या सोचेंगे.
मैंने कहा- ठीक है, मैं चुपचाप आऊंगा और तुम भी चुप ही रहना. मैं चुपके से तुम्हारी चुदाई करके वापस चला जाऊंगा.
मानसी और मैंने चुदाई का प्लान फिक्स कर लिया था. मैं देर रात होने का इंतजार करने लगा. जब ग्यारह बज गये तो मैंने सोचा कि अब तक जीजू और हेतल दोनों सो चुके होंगे. हेतल से तो मुझे कोई डर नहीं था लेकिन जीजू को अभी इन सब घटनाओं के बारे में कुछ नहीं पता था.
मैं चुपके से मानसी के कमरे की ओर चला. हॉल में देखा तो जीजू वहां पर सो रहे थे और उनके खर्राटों की आवाज जोर से सुनाई दे रही थी. मैंने सोचा कि काम और आसान हो गया है. रितेश जीजू और हेतल दीदी अभी गहरी नींद में होंगे. मैंने सोचा कि मानसी की गांड और चूत चोदने का यह अच्छा मौका है. मैं जल्दी से मानसी के कमरे में चला गया.
वो बेड पर सो रही थी. बाहर खिड़की से अंदर आ रही चांद की हल्की सी रोशनी में ज्यादा कुछ नहीं दिखाई दे रहा था मगर इतना जरूर पता लग रहा था कि बेड पर वो सोई हुई है. मैं जाकर पीछे से उससे लिपट गया. मेरे हाथ सीधे ही उसके चूचों पर पहुंच गये और मैंने उसके चूचों को जोर से दबाते हुए अपना लंड उसकी गांड पर रगड़ना शुरू कर दिया.
अगले दो मिनट में ही मैंने उसके बदन से नाइट ड्रेस उतार कर उसको नंगी कर दिया था. मैंने उसकी गांड पर लंड को रगड़ना शुरू किया तो उसने मुझे पकड़ कर आगे की तरफ खींचने की कोशिश की. जब मैं आगे की तरफ नहीं हो पाया तो वो पलट कर सीधी हो गई और मैं उसके ऊपर आ गया. उसके मोटे चूचों में उसने मेरा मुंह लगवा दिया और मेरी कमर पर हाथ फिराने लगी.
मैं उसके चूचों को चूसने लगा. उसकी चूत पर हाथ फिराते हुए उसकी चूत को सहलाने लगा. मैंने जल्दी से अपने अंडरवियर को नीचे किया और उसकी चूत पर लंड लगाकर उस पर पूरी तरह से लेटते हुए उसके होंठों को चूसने लगा.
उसने अपनी कमर को ऊपर उठाकर मेरे लंड को चूत पर एडजस्ट करते हुए लंड को चूत में जाने का रास्ता दे दिया. चूत में लंड उतरते ही मेरी कमर ने ऊपर नीचे होते हुए खुद ही उसकी गर्म चूत की चुदाई शुरू कर दी. बहुत दिनों के बाद मेरे लंड को चूत नसीब हुई थी. मैं तेजी से उसकी चूत को चोदने लगा.
जब मेरे धक्के तेज होने लगे तो उसके मुंह से उम्म्ह… अहह… हय… याह… की आवाजें निकलने लगीं. मैंने उसके होंठों को चूस डाला ताकि आवाज जीजू और हेतल के रूम तक न पहुंच पाये. मगर जैसे ही मैंने होंठ हटाये तो वह फिर से सिसकारियां लेने लगी. मगर यह आवाज कुछ बदली-बदली सी लग रही थी.
मैंने सोचा कि मानसी आज कुछ ज्यादा ही चुदासी हो गई है इसलिए इसकी आवाज भी अलग रही है. मैंने उसकी टांगों को ऊपर उठाकर तेजी के साथ उसकी चूत को पेलना शुरू कर दिया. चूत से पच-पच की आवाज होने लगी.
इतने में ही लाइट आ गई और कमरे की बत्ती जल उठी. मैंने देखा तो हेतल मेरे लंड के नीचे पड़ी हुई पूरी तरह चुदासी होकर मेरा लंड अपनी चूत में ले रही थी.
मैंने एकदम से लंड को बाहर निकाल लिया और सहम सा गया. मगर हेतल ने दोबारा मुझे अपने ऊपर खींचने की कोशिश की. लेकिन मैं अभी यह नहीं समझ पा रहा था कि मानसी की जगह हेतल कैसे आ गई.
फिर उसने मुझे खुद ही धक्का देकर नीचे गिरा लिया और मेरे खड़े हुए लंड पर बैठ कर उछलने लगी. मेरे लंड पर उछलते हुए उसके चूचे भी ऊपर नीचे डोल रहे थे. वो किसी रंडी की तरह मेरे लंड पर बैठ कर उसको गपागप अंदर ले रही थी. मैंने हेतल को पहली बार इस रूप में देखा था और वो भी तब जब मेरा लंड उसकी चूत में गपागप अंदर-बाहर हो रहा था.
वो बार-बार अपने चूचों को दबाती हुई मेरे लंड की चुदाई का आनंद लूट रही थी. उसकी चूत बहुत ही ज्यादा गर्म थी. इसलिए मैं ज्यादा देर तक उसकी चूत के सामने टिक नहीं पाया और पांच-सात मिनट की चुदाई के अंदर ही मेरे लंड ने उसकी चूत में अपना माल उगल दिया. मैं ढीला पड़ने लगा था. फिर धीरे-धीरे मैं बिल्कुल ही ठहर गया.
हेतल ने मेरे लंड को अपनी चूत से निकाला तो वो सिकुड़ने की राह पर चल पड़ा था. उसके तनाव में तेजी के साथ कमी आनी शुरू हो गई थी. हेतल ने मेरी तरफ देख कर कहा- क्यूं रे, इतनी जल्दी? तू अपनी बीवी को कैसे खुश रख पायेगा. मैं तो मानसी से बड़ी तारीफ सुन रही थी तेरी?
मैंने कहा- मगर दीदी, आप यहां पर क्या कर रही हो?
हेतल बोली- अभी तक तुझे पता ही नहीं चला कि मैं यहां पर क्या कर रही हूं?
मैंने कहा- मगर ये तो मानसी का कमरा है.
वो बोली- हां, मैं भी तुझसे पूछ रही हूं कि ये मानसी का कमरा है. तू भी तो यहां पर नंगा पड़ा हुआ है.
वो मेरे चेहरे को देख कर हंसने लगी और बोली- मेरे चोदू भैया, तुझ पर तो मेरी नजर तब से थी जब तेरा ये लौड़ा खड़ा होना शुरू ही हुआ था.
मैंने कहा- मैं जानता हूं. मैंने मानसी और तुम्हारी बातें फोन पर सुन ली थीं.
वो बोली- तो फिर इतना भोला क्यों बन रहा है? अब मेरी चूत का क्या? इसका पानी निकलवा जल्दी से।
कहकर वो नीचे आकर मेरी बगल में लेट गई और मैंने हेतल के मोटे चूचों को मुंह में भर लिया. एक हाथ से उसकी चूत को सहलाने लगा और वो फिर से उसी तरह चुदासी हो गई जैसे वो मेरे लंड पर उछल कर हो रही थी. मैंने हेतल की चूत में उंगली डाल कर तेजी के साथ उसको अपनी उंगलियों से चोदना शुरू कर दिया.
वो फिर से तड़पने लगी और मेरे होंठों को चूसते हुए मेरे सोये हुए लंड को हाथ में लेकर सहलाने लगी. मगर लंड में इतनी जल्दी तनाव आना संभव नहीं था. इसलिए वो कभी मेरे टट्टों को सहला रही थी तो कभी लंड को.
मैंने और तेजी के साथ उसकी चूत में उंगली चलानी शुरू की तो उसकी आवाजें और थोड़ी बढ़ गईं- हां … आह्ह … हां मेरे भाई, अब मजा आ रहा है … तेजी से कर … आह्ह … चोद दे मेरी चूत को, इसका पानी निकाल कर पी जा … अम्म … अह्ह … उफ्फ … ओह् … करती हुई वो पूरी तरह से चुदासी हो चली थी.
तीन-चार मिनट की मशक्कत के बाद वो मेरे बदन से लिपटती चली गई और अपनी चूत को मेरे हाथ पर फेंकने लगी. उसकी चूत से निकलता हुआ गर्म-गर्म पानी मुझे अपनी उंगलियों पर से बहता हुआ महसूस हो रहा था. वो हांफती हुई एक तरफ लेट गई और उसके चूचे उसकी छाती पर ऊपर नीचे हो रहे थे.
मैंने उसके बदन को गौर से देखा. उसका नंगा बदन सच में कमाल का लग रहा था. हालांकि मानसी की चुदाई करके मैं कुंवारी चूत को भी भोग चुका था लेकिन हेतल की शादीशुदा चूत को चोद कर मुझे अलग ही अहसास हुआ. वो इतनी मस्ती से मेरे लंड को अपनी चूत में ले रही थी कि मैं जल्दी ही झड़ने पर मजबूर हो गया. अब मेरी समझ में आया कि उसने रितेश जीजू के साथ शादी क्यों की. उसकी प्यासी चूत को रितेश जीजू जैसा छैला मर्द ही बुझा सकता था.
मैंने हेतल से कहा- दीदी, अगर आप यहां हो तो फिर मानसी कहां पर है?
वो कुछ देर तो चुपचाप पड़ी रही. फिर उसने मेरी तरफ गर्दन घुमाई और फिर एकदम जोर से ठहाका मारकर हंस पड़ी.
मैं उसकी इस हंसी का मतलब नहीं समझ पाया. मैंने दोबारा पूछा तो उसने तब भी कुछ नहीं बताया.
फिर मैंने उसके तने हुए निप्पलों को अपने हाथ में लेकर कचोटते हुए जोर से मसल दिया और वो सिहर उठी.
वो बोली- रुक ना हरामी, बताती हूं.
उसके बाद वो फिर से हंसते हुए बोली- मानसी ने मुझे फोन पर पहले ही बता दिया था कि तू उसकी चूत को चोदने के लिए तड़प रहा है. मैंने मानसी से कहा कि खेल को थोड़ा रोचक बना देते है. फिर हमने ये प्लान बनाया कि पहले मैं तेरे लंड को अपनी चूत में लूंगी और वो भी तुझे बिना बताये हुए.
मानसी भी मेरी बात को झट से मान गयी. फिर मैं प्लान के मुताबिक चुपके से मानसी के कमरे में यहां आकर लेट गई और मानसी मेरे कमरे में जाकर लेट गई. अब अगर तेरा लंड तैयार हो गया हो तो ज़रा मानसी को जाकर भी देख ले. उसको लंड लेने का नया-नया शौक लगा है. वो बेचारी अपनी गर्म चूत के साथ परेशान हो रही होगी तेरे लिये.
मैंने कहा- तुम दोनों बहनों ने मिलकर तो मेरा पपलू बना दिया.
वो बोली- क्यों बे, तुझे मजा नहीं आया मेरी चूत चोदकर?
मैंने कहा- अगर जीजू को पता लग गया तो?
वो बोली- तेरे जीजू को कोई पता लगने देगा तब ना, वो तो हॉल में खर्रांटे ले रहे होंगे. अब तू मानसी के पास जा. वो बेचारी तेरे लंड का इंतजार कर रही होगी.
मैंने कहा- और आप?
हेतल बोली- मैं जरा तेरे जीजू की नींद खराब करके आती हूं.
इतनी बात होने के बाद हम दोनों मानसी के कमरे से बाहर निकलने लगे.
मैं हेतल दीदी के साथ मानसी के रूम में जाने के बाहर निकला. मगर हेतल और मैंने देखा कि रितेश जीजू बाहर सोफे पर नहीं थे. हमने सोचा कि यहीं कहीं बाथरूम में गये होंगे. उसके बाद मैं हेतल के रूम में पहुंचा जहां पर मानसी मेरा इंतजार कर रही थी. मगर जैसे ही मैं हेतल के कमरे के बाहर दरवाजे के पास पहुंचा तो मुझे अंदर से कुछ आवाजें आती हुई सुनाई दीं.
मैं दरवाजे के लॉक वाले छेद से एक आंख से अंदर झांक कर देखने लगा तो सामने मुझे रितेश जीजू बेड के किनारे खड़े हुए दिखाए दिये. उन्होंने कपड़े पूरे पहने हुए थे लेकिन उनके मुंह से आह्ह … स्स्स … आह मानसी … हम्म … जैसी कामुक आवाजें निकल रही थीं. उन्होंने हाथ अपनी कमर पर रखे हुए थे. उनकी कमर आगे पीछे होते हुए उनकी गांड को आगे की तरफ धकेल रही थी. रितेश जीजू की गांड पर मानसी के हाथ रखे हुए थे. वो उनकी गांड को सहलाते हुए उनके लंड को चूस रही थी.
मुझे समझते देर नहीं लगी कि मानसी ने अंधेरे में रितेश जीजू पर हाथ साफ करने की तैयारी कर ली होगी. शायद रितेश जीजू यह सोचकर हेतल के कमरे में आए होंगे कि यहां पर हेतल की चूत चुदाई करेंगे लेकिन पता नहीं उन दोनों के बीच में क्या बातें हुईं. अब नजारा कुछ और ही था. मानसी तबियत से रितेश जीजू का लंड चूस रही थी. रितेश जीजू भी पूरी मस्ती में अपनी गांड को आगे-पीछे करते हुए मानसी को लंड चुसवा रहे थे.
मैंने हेतल को जाकर इस बात की खबर दी. हम दोनों भाई-बहन एक बार तो हैरान हुए मगर फिर सोचा कि जब ये जीजा-साली अब मजे लेने में लगे हुए हैं तो इनके आनंद में विघ्न डालना ठीक नहीं है. मानसी तो राज के लंड के लिए हेतल से जिद कर रही थी लेकिन उसने तो रितेश जीजू पर ही हाथ साफ कर लिया.
हेतल ये देख कर वहां से चली गई. उसको शायद रितेश जीजू की ये हरकत हजम नहीं हुई. हेतल दीदी रितेश जीजू के के लिए थोड़ी पजेसिव लगी उस दिन मुझे. मगर मैं वहीं पर खड़ा रहा. मैं उन जीजा-साली की वो कामुक रास-लीला वहीं खड़ा रह कर देखने लगा क्योंकि मेरा लंड फिर से खड़ा हो चुका था ये कामुक दृश्य देख कर. रितेश जीजू ने जोर-जोर से मानसी के मुंह में अपना लंड पेलना शुरू कर दिया.
फिर उन्होंने मानसी को बेड पर पीछे की तरफ धकेल दिया और ऊपर चढ़ गये. मानसी की टांगों को चौड़ी करके वो उसकी टांगों के बीच में बैठ गये और उसका टॉप उतारने लगे. मानसी कुछ ही सेकेण्ड में ऊपर से नंगी हो गई. ब्रा उतरते ही उसके चूचे दोनों तरफ पसर गये. रितेश जीजू ने मानसी के चूचों को अपने हाथ में भरा और उनको जोर से दबाते हुए मानसी के ऊपर लेटते चले गये.
मानसी के ऊपर लेटकर रितेश जीजू ने उसके होंठों को जोर से चूसते हुए उसके चूचों को मसल डाला. वो चीख पड़ी. शायद उसको दर्द हो रहा था क्योंकि मैं तो मानसी के चूचों से प्यार से खेलता था लेकिन रितेश जीजू के हाथों की पकड़ ने मानसी को चीखने पर मजबूर कर दिया.
जीजा-साली शायद पहली बार एक-दूसरे के जिस्म को भोग रहे थे इसलिए रितेश जीजू के अंदर इतनी उत्तेजना भर गई थी. वो जोर-जोर से उसके चूचे मसलते हुए उसके होंठों को काटने लगे. मानसी ने जीजू को अपनी बाहों में भर लिया और उनकी कमर पर हाथ फिराते हुए उनके होंठों को चूसने लगी.
काफी देर तक एक-दूसरे को होंठों का रसपान करने के बाद मानसी ने जीजू को उठाया और उनको नीचे पटक दिया. वो जीजू की पैंट से बाहर निकल कर खड़े हुए लंड पर अपनी गांड रखते हुए उनकी टांगों के बीच में बैठ गई और जीजू की शर्ट उतारने लगी. जीजू की शर्ट के बटन खोलने के बाद उसने शर्ट को एक तरफ हटाया तो जीजू की उठी हुई चौड़ी छाती के निप्पल दिखाई देने लगे. मानसी जीजू के होंठों को दोबारा से चूसने लगी और फिर गर्दन पर आ गई. फिर वो जीजू की छाती के निप्पलों को चूसने लगी तो जीजू ने मानसी की गांड को दबाना शुरू कर दिया.
जीजू के मुंह से कामुक सीत्कार फूट रहे थे. आह्ह … स्स्स … मानसी तुम तो मर्दों की बहुत प्यासी हो. मैं तो सोच रहा था कि तेरी दीदी को ही मर्दों की भूख है लेकिन तुम भी कुछ कम नहीं हो.
मानसी ने जीजू के निप्पलों को चूसना जारी रखा और फिर जीजू ने उठते हुए अपनी शर्ट को पूरी तरह से निकाल दिया. उनकी चौड़ी छाती ऊपर की तरफ उठती हुई ऐसी लग रही थी जैसे अभी-अभी वो जिम करके आये हों.
वो दोबारा से लेट गये और मानसी ने एक बार फिर से जीजू की पैंट के बीच में पीसा की एक तरफ झुकी मीनार के समान खड़े लंड को अपने मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दिया.
जीजू ने अपनी पैंट को ऊपर से खोल दिया और अपने अंडरवियर को नीचे सरकाते हुए पैंट और फ्रेंची को जांघों तक ले आये. उनके भूरे से झाटों के बीच में खड़ा हुआ उनका लंड मानसी की लार में लिपटा हुआ था.
मानसी तब तक अपनी नाइट पैंट को निकाल चुकी थी. जीजू की जांघों पर बैठते हुए उसने जीजू की छाती पर हाथ फिराते हुए उसको सहलाना शुरू किया तो मानसी के कोमल हाथों की मदहोशी में आनंदित होते हुए रितेश जीजू उसके चूचों को मसलने लगे. जीजा-साली दोनों ही एक दूसरे के जिस्म को ऐसे भोग रहे थे जैसे इससे पहले न तो जीजू ने किसी महिला को नंगी देखा हो और न ही मानसी ने किसी मर्द को नंगा देखा हो.
एक बार फिर से मानसी जीजू के लाल रसीले होंठों को चूसते हुए उनकी छाती पर लेट गई और उसके चूचे जीजू की छाती से जा सटे. जीजू ने उसके चूतड़ों को दबाते हुए उसकी गांड के छेद को सहलाना शुरू कर दिया. मानसी की गांड ऊपर उठी हुई थी और जीजू का हाथ उसकी गांड पर फिरते हुए जैसे उसका नाप ले रहा था.
काफी देर तक मानसी जीजू के होंठों को पीती रही और जीजू ने नीचे से अपना हाथ निकालते हुए उसकी चूत को सहलाया तो मानसी के मुंह से निकल पड़ा- आआह्ह … जीजू का हाथ उसकी चूत पर लगते ही उसकी वासना ऐेसे भड़की जैसे जलती हुई आग में किसी ने घी डाल दिया हो. जीजू का लंड मानसी के चूतड़ों पर रगड़ खा रहा था और वो जीजू को बेतहाशा चूमने में लगी हुई थी.
फिर जीजू ने पीछे से ही अपने खड़े हुए लंड को मानसी की उबल चुकी चूत में सट से घुसा दिया तो मानसी खुद ही अपनी गांड को जीजू के लंड पर ऊपर नीचे पटकती हुई उनके गोरे लम्बे लंड से चुदने लगी. जीजू का लंड मानसी की चूत को फैलाता हुआ अंदर-बाहर हो रहा था. मानसी के उछलने से जीजू के टट्टों पर मानसी जांघें लग रही थी और पट्ट-पट की आवाज होने लगी जो बाहर दरवाजे तक आ रही थी.
उनकी ये चुदाई देख कर मेरे अंदर का कामदेव भी चूत चुदाई के लिए भीख मांगने लगा और मैं हॉल में जाकर सोफे पर लेटी हेतल को ये सीन दिखाने के लिए उठा कर ले आया. हेतल मना कर रही थी क्योंकि वो जीजू से नाराज सी लग रही थी लेकिन मेरे जिद करने पर वो मेरे साथ उठ कर आई और उसी छेद से अंदर का नजारा देखने लगी.
जीजा-साली की ऐसी गर्म चुदाई देख कर उसकी चूत ने भी वहीं पर पानी छोड़ना शुरू कर दिया और मैंने हेतल की गांड पर अपना तना हुआ लंड रगड़ना चालू कर दिया. हेतल ने अपनी नाइट पैंट को नीचे सरका दिया. वो दरवाजे छेद पर आंख लगाकर झुकी हुई थी और मैं उसकी गांड के छेद पर अपने लंड को लगाकर रगड़ने लगा. मानसी और रितेश की चुदाई देखते हुए उसे ये भी ध्यान नहीं रहा कि मैं उसकी चूत में लंड को लगा रहा हूं या गांड में.
मैंने हेतल की गांड के छेद पर लंड को सेट किया और एक जोर का झटका देते हुए अपना लंड उसकी गांड में उतार दिया तो उसके मुंह से चीख निकलते-निकलते रह गई. वो चीखना चाहती थी लेकिन उसने आवाज को अंदर ही दबा लिया क्योंकि अगर रितेश और मानसी को आवाज सुनाई दे जाती तो सारा खेल बिगड़ सकता था. मेरा लंड अंदर जा चुका था और हेतल उसको निकालने के लिए छटपटाती हुई मुझे पीछे धकेलने लगी. मगर लंड तो अब गांड में जा चुका था इसलिए बाहर निकालने का तो सवाल ही नहीं था.
हेतल के चूचों को थामते हुए मैंने उसकी गांड को वहीं दरवाजे के बाहर ही चोदना शुरू कर दिया. अंदर रितेश जीजू मानसी की चूत को चोद रहे थे और मैं बाहर उनकी बीवी की गांड मार रहा था. हेतल फिर खड़ी हो गई और मेरे लंड की चुदाई का मजा उसको आने लगा. मेरा लंड उसकी गांड में ही था. वो खड़ी होकर आराम से मेरे लंड से चुदने लगी और मैं उसके चूचों को दबाते हुए उसकी गांड की खड़ी चुदाई करने लगा.
हेतल की गांड काफी टाइट थी. शायद जीजू ने हेतल की गांड को कम ही चोदा हुआ था. इसलिए हेतल की गरदाई हुई गांड चोदने में मुझे कुछ ज्यादा ही मजा आ रहा था. मैंने उसकी गांड की तेजी के साथ धक्के देते हुए चुदाई चालू कर दी और उसको चोदते हुए धीरे-धीरे हॉल की तरफ चलाने लगा. मेरा लंड हेतल की गांड में ही था और वो हर धक्के के साथ एक कदम बढ़ा रही थी.
हॉल तक पहुंचते-पहुंचते हेतल के अंदर इतनी चुदास भर गई कि उसने मुझे सोफे पर लेटा लिया और खुद ही अपनी गांड में लंड को लेते हुए ऊपर-नीचे उछलने लगी. हेतल मेरे लंड पर उछल रही थी और अंदर मानसी मेरे चार्मिंग रितेश जीजू के लंड का स्वाद लेते हुए उनके लंड की सवारी कर रही थी. हेतल अपने चूचों के निप्पलों को मसलने लगी और इस तरह तीन-चार मिनट के बाद ही मेरे लंड ने उसकी गांड में पिचकारी छोड़ते हुए अपना वीर्य गिरा दिया.
मगर वही हुआ जिसका मुझे डर था. वो अभी भी चुदासी थी और मैं झड़ गया था. वो उठ कर अपने रूम की तरफ जाने लगी जहां पर रितेश मानसी की चुदाई कर रहा था. मैं भी उसके पीछे-पीछे जाने लगा. वो चलते हुए एक बार दरवाजे के सामने रुक कर कुछ पल के लिये सोचने लगी मगर फिर उसने दरवाजा खोल दिया. मैं बाहर ही खड़ा था और वो अंदर चली गई.
रितेश और मानसी अपनी चुदाई में इतने खोये हुए थे कि उनको ये भी पता नहीं लगा कि हेतल उनके कमरे में दाखिल हो चुकी है. दरवाजा खुलते ही मानसी और रितेश के कामुक सीत्कार बाहर मुझे साफ-साफ सुनाई देने लगे. आह्ह … जीजू … आपका लंड कितना मस्त है … दीदी तो बहुत किस्मत वाली है … ओह … और जोर से करो जीजू … आपके लंड को लेकर तो मेरी चुदास बढ़ती ही जा रही है. मानसी के मुंह से कुछ इस तरह के शब्द निकल रहे थे.
मैंने झांक कर देखा तो रितेश जीजू पूरे के पूरे नंगे हो चुके थे और उनके चूतड़ लगातार तेजी के साथ आगे-पीछे हो रहे थे. वो मानसी की टांगों को अपने हाथ से ऊपर उठाकर उसकी चूत में लंड को पेल रहे थे. मानसी बेड पर पड़ी हुई रितेश जीजू के गोरे-मोटे लंड की चुदाई का मजा लूट रही थी. वो अपने चूचों को खुद ही मसल रही थी.
जब हेतल बेड के करीब पहुंची तब भी वो दोनों नहीं रुके. हेतल के पास जाने के बाद रितेश ने कहा- आओ डार्लिंग, मुझे पता है तुम हिरेन से चुदवा कर आ रही हो. मुझे दरवाजे पर तुम्हारी आवाजें सुनाई दे गई थीं लेकिन मैंने मानसी की चुदाई के रंग में भंग डालने की कोशिश नहीं की. देखो तुम्हारी छोटी बहन कैसे मेरे लंड को लेकर तृप्त हो रही है.
हेतल ने रितेश जीजू की पीठ थपथपाई और खुद भी बेड पर जाकर चढ़ गई. उसने अपनी टांगों को फैलाया और मानसी के मुंह पर अपनी चूत रख दी. मानसी ने हेतल की चूत को चूसना शुरू कर दिया और हेतल अपने हाथों से अपने चूचे मसलने लगी.
रिेतश हेतल को देख कर मुस्करा रहा था. वो जानता था कि उसकी बीवी कितनी चुदासी है. इसलिए वो बिना रुके मानसी की चूत में लंड पेलता रहा. हेतल अपनी चूत को मानसी के मुंह पर पटकती हुई चूचों को अपने हाथों से रौंदती रही.
लगभग दस मिनट बाद रितेश ने कहा- अब मेरा माल निकलने ही वाला है.
इतना बता कर उसने तेजी के साथ मानसी की चूत में जोरदार धक्के देने शुरू कर दिये.
तीन-चार धक्कों के बाद उसके लंड ने मानसी की चूत में अपना गर्म-गर्म पौरूष उगलना शुरू कर दिया और आगे की तरफ हेतल ने अपनी चूत के रस से मानसी के मुंह को भिगो डाला. वो तीनों के तीनों रुक कर शांत हो गये.
मैं वहीं दरवाजे पर खड़ा हुआ था. फिर रितेश बिना मेरी तरफ देख हुए आवाज लगाई- साले साहब, आप क्यों अजनबियों की तरह बाहर खड़े हो. हम तो तुम्हारे अपने ही हैं. अंदर आ जाओ.
रितेश सब जान चुका था कि मैं चुपके से छिप कर जीजा-साली की चुदाई देख रहा हूं. उस रात हम चारों के चारों ही नंग होकर एक-दूसरे से लिपट कर सोये. हेतल के चूतड़ों पर रितेश का लंड लगा हुआ था मानसी गांड पर मेरा. सुबह हुई तो हेतल और मानसी बेड पर नहीं थे. रितेश जीजू ने भी अंडरवियर पहना हुआ था. फिर मैं भी उठ कर बाथरूम में फ्रेश होने के लिए चला गया.
चाय-नाश्ता करने के बाद हेतल और रितेश वापस जाने की तैयारी करने लगे.
मानसी रितेश के लंड को सहलाते हुए बोली- जीजू, कुछ दिन और रुक जाते!
रितेश जीजू ने कहा- साली साहिबा, ऑफिस का काम भी तो देखना है. वैसे भी यहां पर हिरेन तो है ही तुम्हारी प्यास बुझाने के लिए.
मानसी बोली- लेकिन अब मुझे आपके लंड का चस्का लग गया है.
रितेश जोर से हंस पड़ा और मुस्कराते हुए बोला- ये चस्का तो तेरी बड़ी दीदी को भी शादी से पहले ही लगा दिया था मैंने.
फिर वो दोनों जाने लगे और मैं उनको बाहर टैक्सी स्टैंड तक छोड़ कर वापस घर आ गया.
आने के बाद मैंने मानसी से पूछा- क्यों री … तूने तो रितेश जीजू के लंड को भी चूस डाला.
मानसी बोली- मैं क्या करती. रात के अंधेरे में मैं हेतल दीदी के बेड पर लेटी हुई तुम्हारा इंतजार कर रही थी. कुछ देर के बाद किसी ने कमरे में आकर मेरे चूचों को दबाना शुरू कर दिया. मैंने सोचा कि तुम हो. इसलिए मैंने भी अंधेरे में ही उनके लंड को सहलाना शुरू कर दिया. वो बेड के किनारे खड़े हुए थे और मैं उनके लंड को अपने हाथ से पैंट के ऊपर से दबा रही थी. फिर अचानक से कमरे की लाइट जली तो देखा कि वो लंड तुम्हारा नहीं रितेश जीजू का था. मगर तब तक बात आगे बढ़ चुकी थी.
रितेश जीजू ने अपना लंड पैंट से निकाल कर मेरे मुंह में दे दिया और मैंने भी बहते पानी में चूत धो डाली.
मैंने कहा- मगर मैंने तो फोन पर सुना था कि तू मामा के लड़के राज से चुदने के लिए हेतल के साथ सेटिंग कर रही है.
मानसी बोली- क्या फर्क पड़ता है. लंड तो लंड ही होता है. चाहे वो जीजा का हो या ममेरे भाई का.
मैंने पूछा- तो फिर कैसा लगा जीजू का लंड लेकर?
वो बोली- सच कहूं तो हेतल ने बड़ा ही चोदू मर्द ढूंढा है अपनी चूत के लिए. अगर मैं बड़ी होती तो मैं ही रितेश से शादी कर लेती. ऐसे चोदू हस्बैंड को पाकर तो दीदी की लाइफ मस्त रहती होगी.
तभी मानसी का फोन बजने लगा. उसने फोन उठाया तो पता चला कि गीता मौसी अपनी बहन यानि कि मेरी स्वर्गवासी मां के यहां कुछ दिन रहने के लिए आ रही है.
एक दिन मेरी छोटी मौसी का फोन आ गया. उसका नाम गीता था. उसने फोन पर मानसी को बताया कि वह कुछ दिन के लिये हमारे पास रहने के लिए आ रही है. चूंकि मेरी माँ के गुजर जाने के बाद मानसी और मैं अकेले ही रहते थे इसलिए गीता मौसी अक्सर हमारे पास कुछ दिन ठहरने के लिए आ जाया करती थी.
दो दिन बाद ही मौसी घर आ पहुंची. मौसी का तीन साल पहले तलाक हो चुका था. तलाक की वजह थी मेरे मौसा का राजनीति में कुछ ज्यादा ही रुचि लेना. मौसी कई बार कह चुकी थीं कि वो राजनीति में इतने भी न घुसें कि उनके आपसी सम्बंधों में दरार आनी शुरू हो जाये मगर मौसा ने उनकी बात नहीं सुनी. आखिरकार दोनों अलग हो गये. मेरी मौसी भी शहर की पालिक प्रमुख रह चुकी थीं. मौसी के आने के बाद पता चला कि वो पार्टी के प्रचार के लिए अब 6 महीने यहीं पर रहने वाली हैं.
हमारी मौसी के आने के बाद मानसी और मेरी चुदाई बंद हो गई थी क्योंकि मौसी अब मानसी के साथ ही सोती थी.
मौसी की गांड भी बहुत मस्त थी. मानसी की गांड तो मौसी के सामने बहुत ही कम उठी हुई थी. मगर मौसी के साथ मैंने कभी भी ट्राई नहीं किया था. मौसी का रंग काफी गोरा था. उसके चूचे भी इतने बड़े थे कि मुश्किल से उसके कपड़ों में फंस पाते थे. वो चाहे सूट पहनतीं या साड़ी, आधे चूचे हमेशा बाहर ही दिखाई देते रहते थे. उनकी गांड के तो कहने ही क्या. गांड नहीं बल्कि जैसे कोई पर्वत थी. जिस पर चढ़ने के लिए अच्छी खासी ताकत की जरूरत थी.
चूंकि मानसी की गांड से अब मैं महरूम हो गया था इसलिए लंड के अंदर ललक उठने लगी थी. चूत से ज्यादा मैं गांड चोदने के लिए ललायित रहता था. ऐसा भी नहीं था कि मुझे चूत मारने में मजा ही न आता हो लेकिन गांड को तो मैं दीवाना था.
मगर मौसी थी कि हर वक्त मानसी के साथ ही रहती थी. रात में भी और दिन में भी. हम दोनों को चुदाई करने का मौका ही नहीं मिल पा रहा था. कुछ दिन मैंने इंतजार किया कि किसी तरह मानसी की चुदाई करने का मौका मिले लेकिन ऐसा कोई भी अवसर हम भाई-बहनों के हाथ नहीं लग पा रहा था.
फिर मैं परेशान हो गया, मैंने मानसी से कहा- ऐसे तो मैं तड़प कर ही मर जाऊंगा.
मानसी बोली- मैं कुछ सोचती हूं.
फिर कुछ सोचकर मानसी ने तपाक से जवाब दिया- तुम अपना पुराना तरीका क्यों नहीं अपनाते मौसी को पटाने के लिए?
मैंने कहा- कौन सा पुराना तरीका?
वो बोली- अरे नालायक, जैसे तुमने मुझे कामवर्धक दवा खिलाकर गर्म किया था, ऐसे ही मौसी भी तो गर्म हो सकती है.
मैंने कहा- अरे हां मेरी चुदासी बहनिया, मैं तो भूल ही गया था कि मेरे पास तो रामबाण रखा हुआ है.
बस फिर क्या था … मैंने मौसी की गांड मारने की तैयारी शुरू कर दी. उस दिन प्लान के मुताबिक रात में मानसी और मैंने मौसी के दूध में कामवर्धक दवा मिलाने का मसौदा तैयार कर लिया था. मौसी आइसक्रीम खाना पसंद नहीं करती थी लेकिन उनकी आदत थी कि वो सोने से पहले दूध जरूर पीकर सोती थी. मैंने और मानसी ने पहले से ही सारी तैयारी कर रखी थी.
रात का खाना होने के बाद हम तीनों साथ में बैठ कर टीवी देख रहे थे. कुछ देर टीवी देखते हो गई तो मानसी मौसी के लिए दूध गर्म करके ले आई थी. मानसी ने मेरी तरफ देखा और हल्के से मुस्करा दी. उसने मौसी को दूध का गिलास पकड़ाते हुए कहा- ये लो मौसी, आपका दूध.
जब मानसी के मुंह से मैंने ‘दूध’ शब्द सुना तो मेरी नजर मौसी के चूचों पर चली गई. मैंने मन ही मन सोचा कि मौसी तो खुद ही इतनी बड़ी डेयरी की मालकिन है. फिर भी बाहर का दूध पीती है. पता नहीं मौसा इनके चूचों के बोझ को संभालते होंगे.
मौसी ने मानसी के हाथ से दूध का ग्लास ले लिया और दूध पीने लगी. फिर मानसी ने ही बात छेड़ दी. वो बोली- मौसी, अगर आप बुरा न मानें तो एक बात कहूं.
मौसी ने कहा- हां बेटा बता?
मानसी बोली- मौसा से तलाक लेने के बाद आपको अकेलापन तो महसूस होता होगा न?
मौसी बोली- होता तो है लेकिन उन्होंने मेरी बात मानी भी तो नहीं. फिर मैं क्या करती. रोज के लड़ाई झगड़े से अच्छा था एक ही दिन सब खत्म हो जाये. इसलिए मैंने उनसे तलाक ले लिया. वैसे भी मैं पार्टी के लोगों के साथ टाइम पास कर लेती हूं, अब ज्यादा कमी महसूस नहीं होती.
मौसी के कोई औलाद नहीं थी इसलिए वो हम भाई-बहनों को अपनी ही औलाद की तरह मानती थी. मगर मेरे मन में तो मौसी की गांड चोदने के ख्याल आने लगे थे. हालांकि पहले ऐसा नहीं था मगर जब से मैंने मानसी की गांड मारी थी, मैं गांड मारे बिना रह नहीं पाता था.
अब मानसी की गांड तो मिल नहीं रही थी इसलिए मानसी की गांड चुदाई का रास्ता मौसी की चूत चुदाई के रास्ते से होकर ही जाता था. मानसी भी इसमें मेरी पूरी मदद कर रही थी. उस दिन मानसी ने मौसी के अंदर मर्दों के लिए दबी हुई भावनाओं को कुरेदने का काम तो कर दिया था, अब आगे का मोर्चा मुझे संभालना था.
प्लान के मुताबिक मानसी ने एक नंगी तस्वीरों वाली किताब पहले से ही अपने बिस्तर पर तकिये के नीचे रख ली थी. वो वही किताब थी जिसे हेतल ने सबसे पहले देखा था. आज उस किताब का प्रयोग करने की फिर से बारी थी. उसने उस किताब का कोना हल्का सा बाहर छोड़ दिया था ताकि जब मौसी उस बिस्तर पर सोने के लिए जाये तो मौसी की नजर उस पर पड़ जाये.
दूध पीने के बाद हमने कुछ देर तक टीवी देखा और फिर आधे घंटे के बाद सब लोग सोने के लिए तैयार हो गये.
मैंने मानसी से जानबूझकर कहा- मैं आज हॉल में ही सोऊंगा.
मौसी ने भी मुझे ऐसा कहते हुए सुन लिया लेकिन उन्होंने इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया. उनके लिए तो मैं उनके बेटे के समान था. मगर हम भाई बहन का प्लान कुछ और ही था. मौसी और मानसी अपने कमरे में सोने के लिए चली गई.
मैं कुछ देर तो वहीं हॉल में लेटा रहा. फिर सोचा कि देखूं तो सही हमारे प्लान ने कुछ रंग दिखाया कि नहीं. फिर उसके बाद मैं उठकर चुपचाप मानसी के कमरे की ओर चला. दरवाजा खुला हुआ था और लाइट जल रही थी. मैंने सोचा कि वो दोनों ही जगी हुई हैं. मैंने धीरे से अंदर झांक कर देखा तो मौसी ने अपने घुटने मोड़ रखे थे और उनका एक हाथ उनकी टांगों के बीच में आकर उनकी चूत को तेजी के साथ सहला रहा था.
मौसी ने अपने गाउन को जांघों तक ऊपर कर रखा था और वो तेजी से अपनी चूत पर हाथ चलाते हुए कभी किताब में देखती तो कभी दूसरी तरफ करवट लेकर सोई मानसी की तरफ देख रही थी. मानसी भी सोने की एक्टिंग कर रही थी. मानसी ने अपना मुंह दूसरी तरफ फेरा हुआ था ताकि मौसी अपनी चूत की प्यास जगाने में सहजता महसूस कर सके. मगर मानसी के दिमाग को मानना पड़ेगा, मेरी चुदक्कड़ बहन का प्लान काम कर गया और मैं जानता था कि मानसी ये जो मौसी के सामने सोने की एक्टिंग कर रही है ये हमारे प्लान का ही हिस्सा है.
यह नजारा देख कर मैं वापस हॉल में आ गया और अपनी कैपरी निकाल कर सिर्फ फ्रेंची में ही सोफे पर लेट गया. मैं उम्मीद कर रहा था कि कामवर्धक दवा का पूरा असर होने के बाद मौसी की चुदास बढ़ेगी और उसे अपनी चूत को शांत करने के लिए लंड की जरूरत महसूस होगी ही होगी. इसलिए मैं मौसी का काम आसान करने के मकसद से ही हॉल में सोया था.
हॉल की बत्ती जल रही थी और टीवी भी चल रहा था. मैं सोफे पर आंख बंद करके लेटा हुआ था. मेरी टांगें फैली हुई थीं और मैंने ऊपर छाती पर बनियान और नीचे जांघों में फ्रेंची ही डाल रखी थी. काफी देर तक इंतजार करने के बाद भी मौसी नहीं आई.
अब मुझे सच में ही नींद आने लगी थी और मैं टीवी को रिमोट से बंद करके वहीं पर सो गया. मगर देर रात को मुझे अपने लंड पर किसी का हाथ चलता हुआ महसूस हुआ. एक बार तो मैं उठ कर देखने वाला था लेकिन फिर मेरी चेतना ने मुझे इशारा किया कि जरूर मौसी आ पहुंची है.
मैंने हल्के से थोड़ी सी आंख खोल कर देखा तो मौसी मेरी फ्रेंची पर हाथ फिराते हुए मेरे लंड को सहला रही थी. वो मेरी जांघों पर उंगलियों को चला रही थी. कभी लंड पर हाथ रख देती थी. वो कभी मेरे जांघों पर किस कर रही थी और कभी लंड पर उंगलियां चला रही थी.
चूंकि अब मैं भी निद्रा से बाहर आ चुका था इसलिए मौसी के हाथों के स्पर्श के कारण देखते ही देखते मेरा लंड मेरी फ्रेंची में तन गया. मौसी ने मेरे तने हुए लंड पर फ्रेंची के ऊपर ही अपने होंठ रख दिये. मेरा लंड झटके दे रहा था. मगर मेरी आंखें बंद थीं. अभी मैं मौसी को ये जाहिर नहीं करना चाहता था कि मैं उठ गया हूँ और यह सब कुछ हम भाई-बहनों का ही प्लान है. मौसी ने फिर धीरे से मेरी बनियान को ऊपर करके मेरी फ्रेंची को नीचे खींच दिया और मेरा तना हुआ लौड़ा बाहर आ गया.
उसके बाद मौसी ने मेरे उफनते लंड को अपने गर्म मुंह में भर लिया और तेजी के साथ मेरे लंड को चूसने लगी. मौसी की जीभ मुझे अपने लंड के टोपे पर महसूस हो रही थी. मौसी मेरे लंड के टोपे पर जीभ लगा-लगाकर मस्त चुसाई कर रही थी. मुझे मौसी के मुंह द्वारा अपने लंड की वो चुसाई पागल करने लगी. मैं उठना चाहता था लेकिन पता नहीं क्या सोच कर मैं अभी ऐसे ही लेटे हुए मौसी के होंठों द्वारा अपने लंड की चुसाई का मजा लेना चाहता था.
मौसी तेजी के साथ मेरे लंड को चूसने में लगी हुई थी. जब मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने जागने का नाटक किया और एकदम उठ कर बैठ गया. मौसी मुझे देख कर एक बार तो थोड़ी हिचकी लेकिन उनके अंदर की चुदास इतनी प्रबल हो चुकी थी कि उसने सीधे मेरे होंठों को चूसना शुरू कर दिया.
मैंने भी मौसी का साथ देना शुरू कर दिया. मैंने फिर सोफे से नीचे उतरते हुए मौसी को वहीं फर्श पर लिटा लिया और उनका गाउन निकलवा दिया. मौसी के भारी-भरकम चूचों को उनकी ब्रा संभाल ही नहीं पा रही थी. मौसी ने ब्रा को ऊपर खींच दिया और उनके फुटबाल जितने मोटे चूचे उनकी छाती पर दोनों दिशाओं में फैल गये.
उसके बाद मैंने मौसी की पैंटी को खींच निकाला और उनके ऊपर सवार हो गया. मौसी की चूत में अपने तने हुए लौड़े को लगाकर मैं मौसी की छाती पर जैसे झूलने लगा था मैं. मौसी का बदन काफी भारी था. मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं किसी रूई के गद्दे पर लेटा हुआ हूं. मैंने मौसी की बालों वाली चूत में धक्के देने शुरू कर दिये और मौसी मेरी गर्दन को चूमने लगी.
कामवर्धक दवा ने अपना पूरा असर किया था मौसी की चुदास पर इसलिए मौसी बस मेरे लंड से चुद कर शांत होना चाह रही थी. मैं भी मौसी की प्यास बुझाने के लिए पूरी ताकत लगा रहा था. फिर मौसी ने मुझे उनके ऊपर से उतार दिया और खुद मेरे ऊपर आ गई. मेरी जांघों पर बैठती हुई वो मेरे लंड को अपनी चूत में सेट करने लगी और लंड को अपनी चूत पर लगाकर उछलने लगी.
मौसी की चूत में लंड गपागप की आवाज के साथ उनकी चूत की चुदाई करने लगा.
मौसी ने मेरी जांघों पर अपने हाथ रखे हुए अपने शरीर के भार को संभाला हुआ था. जब मौसी को तीन-चार मिनट तक खुद ही चूत में लंड लेते हुए थकान होने लगी तो फिर मैंने नीचे से धक्के लगाने शुरू किये.
मौसी की चूत काफी खुली हुई थी. ऐसा लग रहा था जैसे मैं हवा में ही धक्के मार रहा हूं लेकिन मौसी की चुदाई करने के बाद ही मैं मानसी की चुदाई कर सकता था इसलिए इस वक्त मौसी की चूत को शांत करना बहुत जरूरी था. उसके लिए मैंने भी कामवर्धक दवा पहले से खा ली थी.
फिर मैंने मौसी को उठ कर घोड़ी बनने के लिए कहा और मौसी वहीं फर्श के कालीन पर कुतिया की पोजीश में आकर अपनी गांड को उठाकर अपनी चूत को मेरे लंड के सामने ले आई. मैंने पीछे से मौसी की चूत में लंड को पेल दिया और उनकी कमर को अपने हाथों से थाम कर तेजी से उनकी चूत की चुदाई करने लगा.
मौसी के मुंह से उम्म्ह… अहह… हय… याह… और तेज … पूरा डालो … आह, हिरेन … मजा आ रहा है … बहुत दिनों के बाद किसी मर्द के लंड से चुद रही हूं मैं. तेरे मौसा की बेरूखी के कारण मैं तो मर्दों के लंड का स्वाद लेना भूल ही चुकी थी.
मेरी मौसी के मुंह से कुछ इस तरह के शब्द बाहर आ रहे थे.
मैं भी सारी ताकत लगा रहा था मौसी की चूत को शांत करने के लिए. काफी देर तक मौसी की चूत की चुदाई करने के बाद मेरे लंड ने जवाब दे दिया और मैं मौसी की चूत में झड़ने लगा. आह … ओह्ह … आह्ह … करते हुए मैंने सारा का सारा वीर्य मौसी की चूत में खाली कर दिया.
मौसी भी मेरे लंड से चुद कर शांत हो गई थी. उस रात मौसी की चूत चोद कर मानसी और मैंने अपनी चुदाई का रास्ता साफ कर लिया था. अब एक दिन मैं मौसी की चूत चोदता और फिर दूसरे दिन मानसी मेरे कमरे में आकर मुझसे चूत और गांड चुदवाने पहुंच जाती थी. मैं दोनों को ही चोद कर मजे लूटने लगा था. मौसी जब तक हमारे साथ रही उसने कई बार मुझसे अपनी चूत की प्यास बुझवायी.
फिर वो वापस अपने घर चली गई. मैं और मानसी आज भी मौसी की चूत चुदाई वाले प्लान को याद करते हुए हंस पड़ते हैं.

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