घर आने के बाद पापा ने गाड़ी पार्क कर दी और हम चारों अंदर चले आये. तभी पीछे से हमारी कामवाली घर में दाखिल हुई.
उसने माँ से पूछा- मेमसाब, मैं पहले भी आई थी लेकिन घर का ताला लगा हुआ था.
माँ बोली- हां आशा, मैं तुझे फोन करके बताना ही भूल गई कि हम लोग मार्केट जा रहे हैं. चल अब तू आ गई है तो सबके लिये चाय ही बना दे। हम लोग तो थक गये हैं.
आशा बोली- जी मालकिन, मैं अभी चाय लेकर आती हूं.
इतना कहकर आशा रसोई में चली गई. सुमिना और काजल दोनों ही सुमिना के कमरे में चली गईं.
अपने कमरे में आने के बाद मैं सीधा बेड पर आकर गिर गया. बार-बार दिमाग में काजल के साथ हुई आज की घटना की कामुक तस्वीरें उभर कर आ रही थीं. उसने कैसे मेरे लंड पर हाथ रखा हुआ था. उसने मेरे लंड को दबा रखा था. उसका हाथ मेरे लंड पर था … स्स्स … ऐसा सोचते हुए मैं एक बार फिर से काम वासना के भंवर में फंसता चला गया. लंड सोच-सोच कर तन गया था.
मैंने पैंट की तरफ देखा तो मेरे लंड ने मेरी सफेद पैंट पर कामरस का एक बड़ा सा धब्बा बना दिया था. मैंने अपने खड़े हुए लंड को पैंट के ऊपर से ही सहलाना शुरू कर दिया. आज प्यार की जगह वासना ने ले ली थी. बार-बार मन कर रहा था कि काजल के होंठों को चूस लूं. उसके चूचों को दबा दूं.
इस तरह के कामुक ख्यालों में डूबा हुआ जब मैं अपने खड़े लंड को पैंट के ऊपर से सहलाने लगा तो पता चला कि लंड ने अंदर ही अंदर फ्रेंची का एक बड़ा हिस्सा गीला कर दिया है. मैंने पैंट को खोल दिया और अंडवियर को देखा तो अंडवियर के बीच वाला पूरा हिस्सा मेरे लंड के कामरस से भीग चुका था.
उस दृश्य को देख कर मन में सेक्स करने की प्यास सी उठी और मैंने अपनी पैंट को जांघों से नीचे करते हुए अपने अंडरवियर को भी नीचे खींच दिया. मेरे लंड का टोपा कामरस में सराबोर हो चुका था.
जब उसकी त्वचा को थोड़ा सा पीछे खींचा तो चिपचिपा पदार्थ लार बनाता हुआ लंड के टोपे पर एक सनसनी सी पैदा कर रहा था. मैंने पूरी त्वचा पीछे खींच दी और ऐसा लगा जैसे लंड के अंदर से आनंद रूप में जैसे कुछ बाहर निकल कर फटने वाला है. अब तो हस्तमैथुन ही एक मात्र जरिया था इस वासना के ज्वालामुखी का मुंह बंद करने के लिए.
मैंने पैंट को पूरी तरह से निकाल दिया. नीचे से सिर्फ फ्रेंची में रह गया. फ्रेंची भी जांघों पर फंसी हुई थी और मेरा तना हुआ लंड मेरे हाथ में था. मैंने आंखें बंद कर लीं और लेट कर लंड के टोपे को हाथ में दबोचे हुए आगे-पीछे करते हुए लंड की उस उत्तेजना का आनंद लेते हुए धीरे-धीरे मुट्ठ का आनंद लेने लगा.
मन के ख्यालों में अब मैंने काजल के चूचों को नंगा कर दिया था. स्स्स … हाय … मेरे मुंह से कामुक सिसकारियां ऐसे फूट रही थीं जैसे साक्षात कामदेव की आत्मा मेरे अंदर प्रवेश कर गई हो. लंड के टोपे पर कामरस की चिकनाई भी भरपूर थी इसलिए जब लंड की त्वचा टोपे पर आगे पीछे हो रही थी तो गुदगुदी के साथ एक खुजली सी लंड के तनाव को और कड़ा करती जा रही थी.
उस पल का आनंद यहां शब्दों में लिखना तो मुमकिन नहीं लग रहा है लेकिन वो अहसास इतना आनंदमयी था कि ऐसा लग रहा था कि इससे ज्यादा मजा किसी और चीज में हो ही नहीं सकता है.
मैंने ख्यालों में काजल के चूचों को चूसना शुरू कर दिया और मेरे लंड पर मेरे हाथ की गति तेज होना चाहती थी. लेकिन अभी मैं इस चुदास और इस प्यास का मजा कुछ और देर तक बनाये रखना चाहता था इसलिए मैंने दिमाग को आदेश दे रखा था कि हाथ को लंड पर धीमी गति से ही चलाता रहे.
धीरे-धीरे मेरा हाथ मेरे लंड पर कसता जा रहा था. काजल की आज की हरकत इतनी कामुक थी कि अगर वो घर में अकेली होती तो मैं अभी जाकर उसकी चुदाई कर देता। मगर ये महज ख्याल थे. इसलिए अभी सिर्फ ख्यालों में ही उसको नंगी कर सकता था.
जब कई मिनट तक हाथ लंड पर चलता रहा तो फिर मैंने हाथ को खुला छोड़ दिया और मन ने मुट्ठ मारने का चौथा गियर लगा दिया. हाथ बेरहमी से मेरे लंड के टोपे को रगड़ने लगा.
जितनी तेजी से हाथ लंड पर चल रहा था मजा भी उतना ही आ रहा था. काजल को चोदने की इच्छा भी उतनी ही प्रबल होती जा रही थी.
मेरी मुट्ठी मेरे लंड पर ऊपर-नीचे होते हुए मेरे अंडकोषों को ठोक रही थी और फट्-फट् की आवाज के साथ जांघों को भी बजा रही थी.
आह्ह … काजल की चूत … आह्ह … उसकी चूत में लंड को पेल दूं … स्स्सस … काजल के चूचे … उसके नंगे चूचे … हाय … काट लूं उसके चूचों को … पी जाऊं उनको दबा कर … आह्ह स्स्स … मन में ऐसे उमड़ते भावों के साथ मैं अपने ही हाथ से अपने लंड को बुरे तरीके से रगड़ने लगा.
लंड की नस-तोड़ रगड़ाई को चलते हुए जब तीन-चार मिनट गुजर गये तो मेरे अंदर से एक ऐसा भाव उठा कि कुछ बहुत ही जोर से बाहर निकल कर आने वाला है. मैंने अपनी आंखें खोल कर गर्दन उठा कर देखा तो मेरे 6.5 इंच के सांवले से लंड का गहरा गुलाबी टोपा लाल रंग में तब्दील हो गया था. ऐसा लग रहा था कि टोपे में गाजर का गहरे रंग का जूस भरा हुआ है, उसके मुंह पर झाग पर बन गये थे. मगर हाथ की स्पीड उतनी ही तेज बनी हुई थी.
लंड पर तेजी से चलते हाथ की कैद में जकड़ा हुआ लंड कामुकता की भावनाओं में आनंदित होता हुआ दर्द तो कर रहा था मगर उसे आनंद भी उतना ही आ रहा था.
जब वीर्य के बाहर निकलने या अंदर ही रखने पर मेरा कोई वश न रहा तो मैंने वीर्य के आवेग को अपने मन में उठ रहे आनंद के हवाले कर दिया. आह्ह … आह्ह … आआ … आह्ह … दोगुनी तेजी के साथ हाथ को लंड पर चलाने लगा.
हाथ की गति इतनी तेज थी कि लंड में मिर्ची सी लगने लगी थी और हाथ भी दुखने लगा था. फिर अचानक ही आनंद की वो लहर जिस्म में उठी जिसमें मैं बहता हुआ उस पल को जैसे वहीं रोक देना चाहने लगा मगर वो पल ऐसा पल होता है कि उसको रोक पाना नामुमकिन होता है. उसका बस आनंद लिया जा सकता है.
मैंने और तेजी से लंड को मसला और मेरे बदन में करंट के झटके के समान लहर सी दौड़ी और लंड ने बंदूक की गोली की गति के समान वीर्य का शॉट बाहर फेंक दिया जो पता नहीं ऊपर हवा में उछल कर कहां पर जाकर गिरा … और फिर पिचकारी दर पिचकारी लंड से वीर्य के रूप में उसका लावा बाहर आने लगा. पूरा लंड वीर्य से सराबोर हो गया.
गर्म-गर्म वीर्य मेरे लंड के चारों ओर फैलकर मेरे हाथ पर भी फैल गया. गर्दन दुखने लगी तो मैंने उसे ढीला छोड़ दिया और वीर्य निकलने के बाद की उस शांति को महसूस करते हुए मैंने पूरे शरीर को ढीला छोड़ दिया.
मेरे पूरे बदन में पसीना आ गया था. माथे पर, गर्दन पर, बगलों में, पेट पर, जांघों पर, घुटनों पर सब जगह से पसीने की गर्मी महसूस होने लगी. मगर मन में पूर्ण शांति थी. कुछ देर तक मैं आंखें बंद किये हुए ऐसे ही पड़ा रहा।
फिर जब यह अहसास हुआ कि हाथ के साथ-साथ वीर्य झाटों तक को भिगो चुका है तब सोचा कि अब बाथरूम में जाकर इसे साफ कर लूं. मैं उठा और बेड से नीचे आकर पैंट को वहीं निकाल कर फर्श पर छोड़ दिया. अध-सोये दुखते लंड की तरफ देखा, जो मेरे हाथ की जबरदस्त रगड़ाई के बाद गर्दन तोड़ कर लटक चुका था. मैं बाथरूम में गया और पहले लंड को साफ किया. हाथों को धोया. मगर अब दोबारा कपड़े पहनने का मन नहीं कर रहा था.
मैंने शर्ट निकाल दी और शावर चालू करके उसके नीचे खड़ा हो गया. काजल ने मेरे लंड पर हाथ रख कर सेक्स का जो तूफान मेरे अंदर पैदा किया था वो अब शांत हो गया था. इसलिए अब मैं शरीर को ठंडा कर फिर से तरोताजा होना चाहता था.
मैंने शावर लिया और बाहर आकर तौलिया से बदन पोंछ कर एक जोड़ी धुले हुए साफ कपड़े बदन पर डाल लिये. ऊपर टी-शर्ट पहन ली और नीचे ढीली सी लोअर डाल ली.
टाइम देखा तो शाम के 6.30 बज चुके थे. बदन में कमजोरी महसूस हो रही थी इसलिए सोचा कि अब कुछ पेट में भी डाल लिया जाये. काजल के नाम की मुट्ठ मार कर अब उसकी चुदाई का ख्याल मन में नहीं आ रहा था.
बाहर गया तो देखा कि काजल और सुमिना दोनों ही बैठी हुई थीं. मेरे बाहर निकलने के बाद काजल ने एक बार मेरी तरफ देखा और फिर नजर फेर ली. मैं सीधा किचन में चला गया. आशा को आवाज़ दी और उससे चाय गर्म करने के लिए कहा.
वो किचन में आ गयी और मेरे लिये चाय गर्म करने लगी. मैं यहां-वहां कुछ खाने की सामाग्री जैसे बिस्किट या स्नैक्स वगैरह टटोलने लगा. फिर बिस्किट लेकर और चाय का कप लेकर फिर से अपने रूम की तरफ जाने लगा तो सुमिना ने मुझे रोक लिया.
वो बोली- सुधीर, मुझे तो ध्यान ही नहीं रहा. शॉपिंग से वापस आते समय मुझे अपने कपड़े जो ड्राइक्लीन के लिए देने थे वो गाड़ी में यूं के यूं रखे रह गये. तू एक बार जाकर मेरे कपड़े ड्राई क्लीनर के पास जाकर दे आएगा क्या?
मैंने कहा- चाय पी लूँ, फिर चला जाऊंगा.
इतना कहकर मैं चाय लेकर अपने रूम में चला गया.
चाय पीकर पंद्रह मिनट के बाद बाहर आया तो काजल अभी भी वहीं बैठी हुई थी. मैंने चाय का खाली कप किचन में जाकर रख दिया और वापस आने लगा तो सुमिना ने कहा- भाई, एक बार जाकर कपड़े दे आ, नहीं तो वो शॉप बंद करके चला जायेगा.
मैंने कहा- हां जाता हूँ, थोड़ा चैन तो लेने दे मुझे!
काजल मेरा जवाब सुनकर मुस्कराने लगी. वो उठते हुए बोली- अच्छा सुमो, अब मैं भी घर निकल जाती हूं, नहीं तो बहुत देर हो जायेगी.
सुमिना बोली- कैसे जायेगी?
काजल ने कहा- ऑटो से … और कैसे जाती हूँ मैं?
सुमिना बोली- तो फिर तू सुधीर के साथ ही निकल जा. ये भी तो बाहर जा रहा है. तुझे ड्रॉप कर देगा.
मैं तो मुट्ठ मारकर शांत हो चुका था लेकिन जब सुमिना ने काजल को मेरे साथ भेजने का प्रस्ताव उसके सामने रखा तो मेरे अंदर का शैतान फिर जगने लगा.
मैंने कुछ नहीं कहा. न हां कहा और न ही ना कहा।
फिर काजल बोली- रहने दे ना यार … इनको क्यूं परेशान कर रही है? मैं खुद ही चली जाऊंगी.
सुमिना बोली- अरे इसमें परेशानी की क्या बात है? जब ये गाड़ी लेकर जा ही रहा है तो तू भी साथ में निकल जा। तुझे ऑटो में धक्के नहीं खाने पड़ेंगे।
काजल बोली- मुझे कौन सा लंदन जाना है! ये रहा पास में मेरा घर। दस-बीस मिनट में पहुंच जाऊंगी.
सुमिना बोली- मगर अब बाहर अंधेरा होने वाला है. मैं तो तेरी सेफ्टी के लिए कह रही हूँ. बाकी तेरी मर्जी…
“ठीक है … जैसा तू कहे।” काजल ने सुमिना की ज़िद के सामने घुटने टेक दिये.
मैं अपने कमरे में गया और पर्स लेकर आ गया. गाड़ी की चाबी उठाई और काजल मेरे पीछे-पीछे चल पड़ी. बाहर सच में ही अंधेरा होना शुरू हो गया था. काजल का इस समय अकेले जाना ठीक नहीं था.
मैंने गाड़ी को अनलॉक किया और काजल ड्राइवर की बगल वाली सीट पर बैठ गई. मैंने ड्राइवर की साइड वाला दरवाजा खोला और मैं भी अंदर बैठ गया. गाड़ी स्टार्ट की और हम निकल गये.
काजल मेरे साथ गाड़ी में बैठी हुई थी। पहले मैंने सुमिना के कपड़े ड्राइक्लीनर की दुकान पर दिये और फिर मैं काजल से उसके घर का पता पूछने लगा. उसने अपने घर का पता बताया तो और फिर हम दोनों में बातों का दौर शुरू हो गया.
अब मेरे अंदर काजल के लिए प्यार और वासना दोनों का मिला-जुला भाव उमड़ रहा था. मैं काजल से आज की घटना के बारे में बात करना चाह रहा था लेकिन शुरूआत कहां से करूं इस असमंजस में फंसा था. मैं जानता था कि काजल भी मेरी तरफ उतनी ही आकर्षित है जितना कि मैं उसकी तरफ हूँ लेकिन पता नहीं क्यों हम दोनों के बीच खुल कर कुछ बात हो नहीं पा रही थी इस बारे में।
फिर मैंने ही हिम्मत करके मैंने कुछ बात छेड़ दी, मैंने कहा- आपकी लाइफ में भी मेरी तरह कोई नहीं है क्या?
वो बोली- क्या मतलब?
मैंने कहा- मतलब, जैसे मैं अभी सिंगल हूँ, आपकी जिंदगी में भी कोई नहीं है क्या?
वो बोली- ये तो बहुत पर्सनल सवाल है। मगर आप ऐसा क्यों पूछ रहे हैं?
मैंने कहा- बस ऐसे ही, आज मॉल से आते वक्त गाड़ी में जो हुआ?
मेरी बात पूरी होने से पहले ही उसने मेरी बात को काटते हुए कहा- क्या हुआ आज गाड़ी में?
मैंने कहा- वो … आप … आपका … हाथ …
उसने अचानक से फिर मेरी जांघ पर हाथ रख दिया.
मैंने उसकी तरफ देखा तो वो मेरे चेहरे को देख रही थी. मुझे इसकी उम्मीद नहीं थी कि काजल इतनी जल्दी आगे बढ़ जायेगी. उसकी आंखों में मुझे मेरे लिए एक प्यास सी दिखाई दी. जैसे वो मेरे करीब आना चाहती हो।
मेरा लंड तुरंत मेरी लोअर में खड़ा होकर पूरे तनाव में आ गया. अब जब हम दोनों गाड़ी में अकेले थे तो लंड में जोश भी दोगुना था मगर लंड मुट्ठ मारने के बाद दुख रहा था.
मैंने कहा- काजल सच बताना, आपको मैं पसंद हूं क्या?
वो बोली- अगर पसंद नहीं होते तो क्या मैं ऐसा करती … उसने मेरे लंड पर हाथ फेरते हुए कहा.
मेरे मन में लड्डू से फूट पड़े। जिसको मैं पटाने की कोशिश कर रहा था वो तो पहले से ही पटी हुई थी.
मैंने कहा- कोई देख लेगा, यहां रोड पर …
वो बोली- प्यार भी करते हो और डरते भी हो?
मैंने कहा- कहीं और चलें?
वो बोली- कहाँ?
मैंने कहा- जहां मैं कुछ पल तुम्हारे साथ अकेले में बिता सकूँ!
मैंने दिमाग दौड़ाया. किसी ऐसी जगह के बारे में सोचने लगा जहां पर मैं काजल को ले जाकर उसको चूस सकूँ. फिर मुझे ध्यान आया कि बगल में ही हाइवे के पास एक खाली मैदान है जहां पर लोग अक्सर गाड़ी चलाने की प्रैक्टिस करने के लिए आते रहते हैं. उससे अच्छी जगह काजल को चूसने की और हो ही नहीं सकती थी. गाड़ी में किसी को शक भी नहीं होने वाला था.
मैंने गाड़ी को हाइवे की तरफ मोड़ दिया. हाइवे के पास पहुंच कर एक कच्चा रास्ता हाइवे की तलहटी की ओर जा रहा था. मैं गाड़ी को उसी रास्ते पर ले गया. उस वक्त वहाँ पर दो-तीन गाड़ियां और चलती हुई दिखाई दे रही थीं. मैं जानता था कि वहाँ पर चलती हुई गाड़ियों में इस तरह चूसा-चुसाई के काम बहुत होते हैं. मैंने अपने दोस्तों से कई बार उस जगह के बारे में सुना हुआ था.
वहां पर जाकर मैंने गाड़ी की स्पीड धीमी कर दी. मेरा लंड तो पहले से ही तना हुआ था. अंधेरी सी जगह पर जाकर मैंने एक हाथ से स्टेयरिंग को संभाल लिया और दूसरे हाथ को काजल की गर्दन पर ले जाकर उसे अपनी तरफ खींच लिया.
हम दोनों एक-दूसरे के होंठों को चूसने लगे. आह्ह .. उम्म … कुछ ही पलों में चुदास की आग दोनों के अंदर भभकने लगी. मैंने उसके होंठों को चूसते हुए उसके चूचों को एक हाथ से ही छेड़ना, दबाना शुरू कर दिया. उसका हाथ मेरी लोअर में तने हुए लौड़े को पकड़ कर उसको दबा रहा था.
मैंने अपनी गांड को थोड़ी सी ऊपर उठाते हुए अपनी लोअर की इलास्टिक समेत फ्रेंची को भी खींच दिया. मेरी फ्रेंची और लोअर मेरे टट्टों के नीचे जा अटकी और लंड निकल कर बाहर आ गया. मैंने अपना लंड काजल के हाथ में दे दिया जिसे वो अपने हाथ में पकड़ कर उसकी मुट्ठ मारने लगी.
कल तक जिस लड़की के ख्यालों में जाकर मैं उसके नाम की मुट्ठ मार रहा था, आज उसका कोमल हाथ खुद ही मेरे लंड की मुट्ठ मार रहा था. जब मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ तो मैंन गाड़ी वहीं एक तरफ साइड में लगा दी.
मैंने काजल की सीट को नीचे कर दिया और उसे वहीं सीट पर लेटा दिया. उसके चूचों को जोर से दबाते हुए उसके होंठों को चूसने लगा. अब हम दोनों की लार की अदला-बदला हो रही थी. उसकी लार मेरे मुंह में आ रही थी और मैं अपनी लार उसके मुंह में छोड़ रहा था. मैंने उसके सूट को ऊपर उठाते हुए उसको निकालने की कोशिश की लेकिन सूट टाइट था इसलिए निकल नहीं सका और उसके चूचों के पास आकर फंस गया.
वो बोली- नहीं, अभी इतना सब करना ठीक नहीं है.
मैंने कहा- बस एक बार काजल, एक बार थोड़ा सा निकाल लो, प्लीज!
वो मना करने लगी तो मैंने उसके चूचों को फिर जोर से दबाना शुरू कर दिया. उसकी गर्दन पर किस करने लगा. उसके कानों को चूसने-काटने लगा. मैं उसे पूरी तरह गर्म कर देना चाहता था ताकि वो खुद ही कपड़े उतारने पर मजबूर हो जाये.
काजल के चूचों को दबाते हुए मैं उसके नंगे पेट पर किस करने लगा. उसकी नाभि के नीचे उसके सलवार के नाड़े के पास चूमने लगा. उसकी सलवार को खींचने लगा लेकिन वो बंधी हुई थी. वो मेरे हाथों को हटा रही थी. मैंने उसकी सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत को टटोलकर उस पर हाथ रख दिया और फिर से ऊपर जाकर उसके होंठों को चूसने लगा.
उसने मुझे बांहों में भर लिया और मुझे अपने जिस्म से चिपकाने लगी. मैंने हाथ को चूत से हटाया और मेरा लंड उसकी चूत पर सलवार के ऊपर से ही टकराने लगा.
मैंने उसके कमीज को जोर लगाकर खींचा तो उसकी ब्रा तक शर्ट ऊपर उठ गया. मैंने उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके चूचों को चाटना और चूसना चालू कर दिया. मेरा लंड उसकी चूत की तरफ धक्के देने लगा था. मैं उसको चोद देना चाहता था.
मैंने कहा- जान, बस एक बार उतार लो, प्लीज …
वो कमीज उतारने के लिए तैयार हो गई. जैसे ही उसने कमीज उतारा, मैं उसकी ब्रा पर टूट पड़ा और उसकी ब्रा के ऊपर से उसके चूचों को दबाते हुए उसके होंठों को काटने लगा. अब मैं खुद को रोक नहीं सकता था. मैंने उसकी ब्रा को ऊपर चढ़ा दिया और उसके चूचे नंगे हो गये.
अंधेरे में ज्यादा कुछ दिखाई तो नहीं दे रहा था लेकिन उसके चूचे बहुत मस्त लग रहे थे और बिल्कुल कसे हुए थे. मैंने उसकी एक चूची को मुंह में भर लिया और उसको पीने लगा. दूसरी चूची को अपने हाथ से दबाते हुए उसके निप्पल को कचोटने लगा.
उसके मुंह से आह्ह … स्स्स … की सिसकारी निकलने लगी.
फिर मैंने उसकी सलवार के नाड़े को खोज लिया और उसको खोलने लगा. एक बार तो उसने मुझे रोका लेकिन अब मैं रुकने वाला नहीं था. मैंने उसके हाथों को हटाया और उसके नाड़े को खोल कर उसको नीचे से नंगी कर दिया. उसकी पैंटी पर जीभ फिरा कर उसको चूमने लगा. उसकी चूत से कामरस की खुशबू आ रही थी. मुझे वो ज्यादा पसंद तो नहीं आई लेकिन सेक्स करने का ऐसा खुमार चढ़ा था कि पसंद-नापसंद के बारे में सोचने के लिए वक्त ही नहीं था.
मैंने उसकी पैंटी को नीचे खींचना चाहा तो उसने पैंटी को पकड़ लिया.
वो बोली- नहीं सुधीर, ये नहीं प्लीज …
“बस मेरी जान, बस एक बार देखने दो अपनी चूत को … एक किस करने के बाद वापस पहन लेना!”
फिर भी उसने पैंटी को पकड़े रखा लेकिन मेरे जोर के आगे उसका जोर नहीं चला और उसकी चूत नंगी हो गई. मैंने उसकी चूत को बुरी तरह से चाट डाला और उसके मुंह से सीत्कार फूट पड़े- आह्ह् … आआ …आह सुधीर … बस करो ना यार …
मगर अब मैं कहां रुकने वाला था. मैंने और जोर से उसकी चूत पर जीभ फेरी और उसके हाथ खुद ही मेरे बालों को सहलाने लगे.
दो मिनट तक उसकी चूत को चाटने के बाद मैंने अपने लंड को हाथ में पकड़ कर उसकी चूत पर सेट किया और उसके ऊपर लेट गया. यहां-वहां लंड को आजू-बाजू हिलाते हुए उसकी चूत में घुसाने की कोशिश करते हुए उसके चूचों को चूसता रहा और थोड़े ही प्रयास के बाद मेरे लंड ने उसकी चूत में प्रवेश करने का द्वार खोजते हुए अंदर एंट्री मार दी.
लंड गच्च से उसकी चिकनी हो चुकी चूत में उतरता चला गया. उसने कसमसाते हुए मुझे कस कर अपनी बांहों में जकड़ लिया.
तेजी के साथ मैं उसके होंठों को चूसते हुए उसकी चूत को चोदने लगा. गाड़ी की सीट चर्र… चर्र … ऊपर नीचे हो रही थी. मन कर रहा था उसकी चूत को फाड़ दूं. सेक्स का ऐसा जोश चढ़ा हुआ था कि पांच मिनट से कम समय में ही मेरा वीर्य छूटने को हो गया. मगर अभी मैं अपनी बहन की सहेली की चूत चुदाई के इस आनंद को खोना नहीं चाहता था इसलिए मैंने धक्के रोक दिये.
मैंने अब सिर्फ उसके होंठों को चूसना जारी रखा और मेरा लंड उसकी चूत में ही था. एक मिनट का विराम देने के बाद फिर से उसकी चूत की चुदाई चालू की. अबकी बार मन बना लिया कि अगर वीर्य निकलता है तो निकल जाने दे, लेकिन चुदाई का पूरा मजा लेना है.
मैंने तेजी से मजा लेते हुए उसकी चूत को फिर से चोदना शुरू कर दिया. स्स्स … आह्ह् … हम्म्म … ओह्ह … आआ आह्ह् … काजल के साथ पहली चुदाई थी इसलिए दो मिनट के भीतर ही मेरे लंड ने काजल की चूत में अपना लावा फेंकना शुरू कर दिया.
मेरी गति धीमी पड़ने लगी. पूरा वीर्य खाली होने के बाद मैं शांत होकर उस पर लेटा रहा. कुछ ही क्षण बाद वो मुझे उठाने लगी.
बोली- चलो अब … कोई आ जायेगा नहीं तो…
मैं उसके ऊपर से उठा और मैंने अपनी लोअर और फ्रेंची को ऊपर खींचते हुए पहन लिया. फिर उसने भी सूट को नीचे किया और गांड को उठाकर सलवार को फिर से बांधने लगी. मैंने गाड़ी स्टार्ट की और हम फिर से हाइवे की तरफ बाहर निकल आये.
मैंने कहा- सॉरी काजल … मैं कुछ ज्यादा ही जोश में आ गया था.
उसने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया. वो चुपचाप बैठी रही. फिर हम उसके घर की तरफ निकल गये. मैंने उसको घर के बाहर ड्रॉप कर दिया.
उस दिन के बाद वो दो दिन तक हमारे घर नहीं आई. मैंने सोचा कि शायद मैंने उसे चोदने की ज्यादा ही जल्दी कर दी. मुझे अपने किये पर थोड़ा पछतावा हो रहा था.
मगर फिर तीसरे दिन वो फिर से घर आ गई. मैंने मौका पाकर उसको सॉरी कहा और वो बोली- कोई बात नहीं।
फिर उसका आना हमारे घर पर बदस्तूर जारी रहा. सुमिना भी उसके घर चली जाया करती थी. इस बीच मैंने एक बार और उसकी चूत उसी जगह ले जाकर मारी. लेकिन उस दिन दोपहर का समय था. हमारे अलावा बस एक गाड़ी और वहां पर थी. इसलिए चुदाई में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई. मैंने उस दिन उसके नंगे बदन को अच्छी तरह देखा. उसी के फोन में अपनी और उसकी कुछ फोटोज भी निकाली ताकि उसको ये न लगे कि मैं उसकी नंगी तस्वीरों का कहीं पर दुरूपयोग कर लूंगा. अब हम दोनों खुल गये थे. मैं भी खुश रहने लगा था.
एक दिन मैं सुमिना के साथ दोपहर में कैरम खेल रहा था. तभी दरवाजे की बेल बजी। आशा (हमारी नौकरानी) ने दरवाजा खोला तो एक सुंदर सा नौजवान घर में दाखिल हुआ. उम्र करीबन 20-22 के आस-पास रही होगी उसकी. लगभग 6 फीट लम्बा और देखने में भी हैंडसम था. चेहरे पर काली घनी दाढ़ी थी जिसको उसने स्टाइल में मेंटेन किया हुआ था. मूछों के साथ जंच रहा था लौंडा।
उसने हम भाई-बहनों को साथ बैठे देख कर पूछा- काजल आपके घर आई है क्या?
मैंने सुमिना की तरफ देखा तो वो जैसे उत्साहित सी लगी और उठते हुए बोली- नहीं, मेरे पास तो नहीं आई है।
उसका सवाल सुमिना से ही था.
फिर वो बोला- वो घर पर भी नहीं है. मैंने सोचा कि आपके पास आई होगी.
सुमिना ने फिर कहा- नहीं, आज वो मेरे पास नहीं आई है अभी तक। आप बैठिये न, मैं आपके लिए चाय बनाती हूँ.
वो बोला- नहीं, फिर कभी पी लूंगा.
सुमिना बोली- अरे बैठो न कुणाल! चाय तो पीकर ही जाना.
सुमिना ने जबरदस्ती उसको वहां पर बैठा लिया.
मैंने उसको देखा और उसने मुझे. पता नहीं क्यों मुझे ऐसा लगा कि वो मुझे जैसे पहले से ही जानता हो और उसने मुझे देखा हुआ हो. उसके चेहरे पर किसी तरह के भाव नहीं थे. बस आराम से बैठा हुआ यहां-वहां घर को देख रहा था.
मैंने उसकी तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दिया. न ही उसने मुझसे बात करने में कुछ दिलचस्पी दिखाई. हम दोनों एक-दूसरे के लिए अजनबी थे.
इतने में ही सुमिना उसके लिए चाय बनाकर ले आई. उसने चाय उसे दी और वो बैठ कर पीने लगा.
मैं उठकर अपने कमरे में चला गया. मगर सुमिना के बर्ताव से मैं हैरान था. वो आशा को भी तो बोल सकती थी चाय बनाने के लिए? मगर वो तो उस मुच्छड़ को देख कर ऐसे खुश हो रही थी कि पता नहीं किसी सुपर स्टार को देख लिया हो उसने।
खैर, उसके जाने के बाद मैंने सुमिना से उसके बारे में पूछा तो उसने बताया कि ये काजल का भाई था कुणाल।
मैंने सुमिना से काजल के भाई कुणाल के बारे में पूछा तो सुमिना उसके बारे में बातें करती हुई बड़ी ही रूचि के साथ उसका गुणगान कर रही थी.
मुझे उस दिन के बाद से सुमिना पर शक सा होने लगा क्योंकि सुमिना भी काजल के घर आती-जाती रहती थी. इसलिए उस दिन के बाद से मैंने सुमिना की गतिविधियों पर नजर रखना शुरू कर दिया.
काजल का हमारे घर पर आना जारी रहा. मगर हम दोनों को चुदाई का इतना मौका नहीं मिल पाता था क्योंकि घर पर सब लोग होते थे और काजल को लेकर मैं बार-बार बाहर नहीं जा सकता था. लेकिन फिर भी घर के अंदर ही मौका पाकर कभी उसके होंठों को चूस लेता और चूचों को दबा दिया करता था.
दिन ऐसे ही गुजर रहे थे. फिर सुमिना के इम्तिहान शुरू होने वाले थे और काजल ने अब हमारे घर पर आना कम कर दिया था. मैंने सुमिना से पूछा तो उसने बताया कि अब वो अपने घर पर रहकर ही पढ़ाई करती है. यहां आने में उसका समय अधिक बर्बाद हो जाता है।
मैं समझ गया कि शायद काजल इम्तिहान के दिनों में चुदाई-चुसाई जैसे कामों से बचना चाह रही है इसलिए वो नहीं आ रही है. मैं भी अपनी कॉलेज लाइफ में बिजी हो गया था मगर काजल से फोन पर बात होती रहती थी.
फिर एक दिन मां-पापा को मेरे चाचा के यहां काम से जाना पड़ रहा था. मेरे चाचा दूसरे शहर में रहते थे. वहां मां-पापा को कुछ जमीन-जायदाद से संबंधी काम था जिसका निपटारा करने में कई दिन का समय लगने वाला था.
उनके जाने के बाद घर में सुमिना और मैं ही रह गये थे. आशा अपना काम करके चली जाती थी. काजल ने भी घर पर आना बंद कर ही रखा था. मैं भी पढ़ाई में ध्यान दे रहा था. सुमिना की इम्तिहान से पहले की छुट्टियां थीं. इसलिए वो घर रहकर ही पढ़ाई करती थी. उसने भी काजल के घर जाना बंद कर रखा था.
एक दिन की बात है जब कॉलेज का हाफ-डे हो गया. मैं लगभग 11 बजे ही घर के लिए निकल पड़ा. गर्मियों के दिन थे और बाहर की तेज धूप बदन को झुलसाने का काम कर रही थी. मैं जल्दी से घर पहुंचना चाहता था. मैंने ऑटो किया और आधे घंटे में ही घर पहुंच गया. वैसे तो मैं दिन के 3-4 बजे घर आता था लेकिन उस दिन 11.30 बजे के लगभग मैं घर के बाहर पहुंच गया था.
मैंने ऑटो वाले को किराया दिया और घर के मेन गेट से अंदर घुस गया. घर के एक तरफ हमने एक गैलरीनुमा बरामदा बना रखा है जिसमें हमारी गाड़ी खड़ी रहती है। उसी गैलरी में घर का मेन दरवाजा लगा हुआ है जो घर के अंदर जाने का द्वार भी है. एक दरवाजा पीछे की तरफ भी बना हुआ है लेकिन हम लोग कभी साल-छह महीने में भी उसका प्रयोग नहीं करते हैं.
उस दिन मैंने देखा कि आगे वाला मेन दरवाजा अंदर से लॉक नहीं किया गया था. चूंकि सुमिना घर पर ही रहती थी इसलिए मैंने सोचा कि आशा शायद दरवाजे को यूं ही ढाल कर चली गई होगी. मैं घर में अंदर दाखिल हुआ और मैंने दरवाजा बंद कर दिया. अंदर जाकर मैंने घर की ठंडक में राहत भरी सांस ली.
सुमिना शायद अपने कमरे में थी. मैं वहीं सोफे पर बैठ गया. मगर थोड़ा शांत होने के बाद मेरे कानों में कुछ आवाज सी आती हुई मालूम पड़ी. पहले तो मैंने उस आवाज पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया क्योंकि मैं समझ रहा था कि सुमिना अपने कमरे में कुछ काम कर रही होगी.
मगर फिर वो आवाज तेज होने लगी. अब मेरा ध्यान उस तरफ जाकर ठहरने लगा. मैंने सुमिना के कमरे की तरफ कदम बढ़ाने शुरू किये तो आवाजें और तेज होती जा रही थीं. मेरे मन में एक चोर सा बैठता जा रहा था. मैं ये सोचता हुआ कदम आगे बढ़ा रहा था कि जो मेरे मन में ख्याल आ रहे हैं वैसा मुझे कुछ न मिले.
मैं अपनी बहन के कमरे के नजदीक पहुंचा तो उसका दरवाजा हल्का सा खुला हुआ था. मगर इतना भी नहीं खुला था कि अंदर का सब कुछ साफ-साफ दिखाई दे जाये. मैंने दरवाजे के पास कान लगाकर सुना तो अंदर से सेक्सी आवाजें आ रही थीं. मैंने एक आंख से हल्का सा अंदर झांक कर देखा तो जो नज़ारा मुझे दिखा उसने मुझे सन्न कर दिया.
सुमिना के कपड़े फर्श पर बिखरे पड़े हुए थे. बेड पर मेरी बहन के ऊपर एक लड़का लेटा हुआ था. जिसका चेहरा मुझे दिखाई नहीं दे रहा था. वो मेरी बहन की चूचियों को चूस रहा था और अपने एक हाथ से उसकी चूत को सहला रहा था.
फिर सुमिना ने उसे अपने ऊपर से हटाते हुए उसको पीछे किया और वो अपने घुटनों पर आ गया. सुमिना उसकी शर्ट के बटन खोलने लगी. उसने खुद ही उस लड़की के शर्ट उतारी और फिर उसकी पैंट की बेल्ट भी खोलने लगी.
बेल्ट को खोलने के बाद उसने पैंट को खोला मगर नीचे किये बिना ही अपना लंड बाहर निकाल लिया. सुमिना उसके लंड के झुक गई और मैंने देखा कि मेरी बहन की गांड पीछे की तरफ उठ गई और उसका मुंह उस लड़के की गांड के आगे की तरफ उसकी जिप वाले हिस्से में चलने लगा.
मैं समझ गया कि सुमिना उसका लंड चूस रही है.
वो भी उसके बालों को सहलाते हुए मस्ती में अपनी गांड को आगे-पीछे करते हुए उसको अपना लंड चुसवा रहा था. कुछ देर लंड चुसवाने के बाद उस लड़के ने अपनी पैंट को उतार दिया और अंडरवियर समेत उसे निकाल कर एक तरफ फेंक दिया. उसका चेहरा अभी तक मैं देख नहीं पाया था.
फिर वो मेरी नंगी बहन के ऊपर लेट गया और उसके चूचों को पीने लगा. मेरी बहन भी उसके नीचे लेटी हुई आनंद में कामुक आवाजें करने लगी. दोनों के दोनों एक दूसरे के जिस्म को ऐसे भोग रहे थे जैसे एक-दूसरे का रस निकालने के लिए मरे जा रहे हों. फिर उसने अपने लंड को पकड़ा और सुमिना की चूत में घुसा दिया और दोबारा से उसके होंठों को चूसने लगा.
मेरी बहन अपने बिस्तर पर नंगी थी और एक नंगे लड़के की पीठ पर उसने अपनी टांगें लपेट रखी थीं. उस लड़के ने मेरी बहन की चूत में लंड फंसा रखा था और वो उसकी चुदाई करने में लगा हुआ था. पहली बार में तो मैं तो सहम सा गया और पीछे हटने की सोचने लग गया. मगर फिर सोचा कि देखूं तो सही ये हरामी आखिर है कौन जिससे सुमिना अपनी चूत चुदवा रही है.
मैं वहीं पर खड़ा होकर उस लड़के का चेहरा देखने की कोशिश करने लगा लेकिन उसकी पीठ दरवाजे की तरफ थी. इसलिए सिर्फ मुझे उसकी चौड़ी पीठ और उसकी गोरी सी गांड ही दिखाई दे रही थी. वो भी पूरा का पूरा नंगा था और तेजी से मेरी बहन की चूत मार रहा था. सुमिना उसके होंठों को चूसते हुए चुदाई के आनंद में डूबी हुई थी. वो भी पूरे रिदम के साथ मेरी बहन की चूत में लंड पेल रहा था.
फिर जब उठा तो उसने लंड सुमिना की चूत से बाहर निकाल लिया. उसने लंड को बाहर निकाल कर सुमिना से उठने के लिए कहा. उसके कहने पर मेरी नंगी बहन उठ गई. उस दिन पहली बार मैंने सुमिना के मोटे चूचे नंगे देखे थे. उसके चूचों पर लाल निशान हो रखे थे जो शायद उसके यार ने चूस-चूस कर या दबा कर किये थे.
फिर जब वो बेड से उतर कर चला तो उसका चेहरा मुझे दिखाई दे गया. वो कुणाल था. काजल का भाई कुणाल! उसका 7 इंच का लम्बा लंड उसकी जांघों के बीच में तन कर दायें-बायें झूलता हुआ उसकी जांघों से टकरा रहा था. वो चलकर बेड के दूसरी तरफ जा रहा था.
उसने फिर सुमिना की टांग पकड़ कर खींच ली और सुमिना को बेड के किनारे पर कर लिया. उसने सुमिना की एक टांग को उठाया और अपना लंड उसकी चूत में सेट करके फिर उसकी चुदाई करने लगा.
पहले तो मुझे गुस्सा आया लेकिन उन दोनों की ये मस्ती भरी चुदाई देख कर मैं खुद ही उस नजारे में खोने सा लगा था. एक तरफ मेरी बहन सुमिना का नंगा जिस्म और उसके हिलते हुए चूचे जो कुणाल के धक्कों के साथ उछल रहे थे, दूसरी तरफ कुणाल की मॉडल जैसी गठीली बॉडी जो पूरी ताकत के साथ मेरी बहन को चोद रही थी. सुमिना मस्ती में होकर अपने चूचों को अपने हाथों से खुद ही दबा रही थी.
कुणाल उसकी चूत की चुदाई भी उतनी ही मस्ती में कर रहा था. थोड़ी देर के बाद उसने मेरी बहन की चूत से लंड को निकाला और फिर उसको वहीं बेड के किनारे पर कुतिया की तरह झुका लिया. उसने अपने लंड को हाथ में लेकर सहलाया और फिर सुमिना की चूत पर रगड़ने लगा. सुमिना सिसकारियां लेने लगी … आह्ह … अम्म .. कुणाल … आई लव यू …
कुणाल कुछ नहीं बोल रहा था. उसने दो-तीन बार अपने लंड से चूत को रगड़ा और फिर सुमिना की गांड को पकड़ कर एक जोर के धक्के के साथ पीछे से सुमिना की चूत में लंड को पेल दिया. सुमिना मस्ती में फिर आवाजें निकालने लगी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… कुणाल … फक मी माय लव … (चोदो मुझे मेरे प्यारे) उफ्फ … आह्ह … आआ … आहाह … ओह … मजा आ रहा है डार्लिंग।
अपनी बहन के मुंह से ये मस्ती भरी आवाजें सुन कर मैं भी उत्तेजित सा हो गया. फिर कुणाल तेजी के साथ उसकी चूत को पेलने लगा. अब दोनों के मुंह से ही तेज-तेज आवाजें आने लगीं.
कुछ ही देर में कुणाल ने दो-चार शॉट पूरी ताकत के साथ लगाये और वो सुमिना की कमर पर झुकता चला गया. मैं समझ गया कि कुणाल का माल सुमिना की चूत में गिर रहा है। मैं वहां से धीरे से खिसक कर पीछे हो लिया और वापस हॉल की तरफ आ गया.
एक बार तो मैं अपने कमरे की तरफ बढ़ा लेकिन फिर सोचा कि अगर सुमिना को ये पता चल गया कि मैं आज कॉलेज से जल्दी घर आ गया हूँ तो उसको कहीं ये शक न हो जाये कि मैंने उसको काजल के भाई कुणाल के साथ चुदाई करते हुए देख लिया हो. इसीलिये मैं धीरे से घर के मेन दरवाजे से बाहर निकल गया और पास ही एक किरयाने की दुकान पर जाकर खड़ा हो गया.
मुझे पता था कि चुदाई खत्म होने के बाद कुणाल बाहर ही आने वाला है. मैंने सोच लिया था कि उस साले का जबड़ा तोड़ देना है मैंने आज. उसकी हिम्मत कैसे हुई मेरी बहन के साथ ये सब करने की?
मगर फिर अगले ही पल मेरे मन में ख्याल आया कि मैं भी तो उसकी बहन की चूत चोद चुका हूँ. मैं भी तो उसकी बहन को चोदने का मौका ढूंढता रहता हूँ. फिर अगर उसने मेरी बहन की चूत चोद ली तो मैं इसे गलत कैसे ठहरा सकता हूं. इसके अलावा फिर सुमिना भी तो अपनी मर्जी से ही कुणाल के साथ सेक्स कर रही थी.
अगर देखा जाये तो हम दोनों की करतूत में फर्क ही क्या है! जिस तरह से काजल सुमिना की सहेली है वैसे ही सुमिना भी तो काजल की सहेली है. अगर मैं अपनी बहन की सहेली की चुदाई के ख्वाब देख सकता हूँ तो फिर कुणाल क्यों नहीं?
कुछ देर पहले जिस कुणाल के लिए मेरे मन में इतनी गुस्सा था अब उसी कुणाल के किये में मुझे कोई गलती नज़र नहीं आ रही थी. सेक्स तो क्रिया ही ऐसी है जो दो व्यस्कों के बीच में आपसी सहमति से ही होती है. अगर मेरी बहन ने भी कुणाल को अपनी चूत चोदने की इजाजत दे दी तो फिर मैं इसमें कुणाल की क्या गलती कहूं!
मैं यही सब सोच रहा था कि कुछ देर बाद कुणाल मेरे घर से बाहर निकलता हुआ दिख गया मुझे.
जब वो चला गया तो मैं अपने घर में दोबारा दाखिल हुआ. मैंने जाकर बेल बजाई ताकि सुमिना को किसी भी तरह इस बात का शक न हो कि मैंने उन दोनों की चुदाई को देख लिया है या मुझे पता चल गया है कि उसका कुणाल के साथ क्या चक्कर चल रहा है।
सुमिना ने दरवाजा खोला तो उसका चेहरा खिला-खिला सा लगा मुझे. मैं सीधा अपने कमरे में चला गया. फिर रात को भी कुणाल और सुमिना के बारे में ही सोचता रहा। मगर किया भी क्या जा सकता था, इसलिए ज्यादा सोचने का कुछ फायदा ही नहीं था।
ऐसे ही सोचते-सोचते मुझे नींद आ गई. फिर अगले दिन मैं नॉर्मली कॉलेज के लिए निकल गया. मगर उस दिन के बाद से मेरे मन में हर लड़की के लिए अलग ही इज्जत का भाव अपने आप ही पैदा होने लगा था. जहां पहले में किसी भी लड़की को देखते ही उसकी चूत के बारे में सोचने लगता था, अब पहले ये ख्याल आता था कि ये भी किसी की बहन ही होगी.

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