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मौसी की बेटी ने चुदाई का मजा दिया

 


जब मैं बाइस साल का था. मई महीने की बात है. इन दिनों पढ़ाई से फुर्सत रहती थी, तो मैं अक्सर अपनी छोटी मौसी के घर आ जाया करता था.

मैं आपको अपने बारे में बता दूँ कि मेरी सात सगी मौसियां हैं. सबसे बड़ी मौसी की लड़की की शादी छः साल पहले हो चुकी है. मेरी सात में से चार मौसी एक ही गांव में रहती हैं. मेरा और मेरी मौसेरी बहन का बहुत ही नज़दीकी रिश्ता है. हम आपस में सारी बातें शेयर करते हैं, चाहे वो घर की हो या सेक्स की … हम एक दूसरे से कुछ नहीं छुपाते.

एक बार मैं गर्मियों के दिनों में छोटी मौसी के यहां दस दिनों के लिए गया था और मेरी बहन भी उन दिनों वहीं पर थी. जब उसे पता चला कि मैं छोटी मौसी के यहां रहने वाला हूँ, तो वो भी मेरे साथ रहने वहीं आ गई. मैं जिस दिन अपनी मौसी के घर आया, उसी दिन शाम को मेरी बहन भी वहां आ गई. हम सबने मिल कर खूब बातें की, फिर सभी ने खाना आदि खाया और सोने की तैयारी होने लगी. मेरी मौसी और मौसा जी अपने कमरे में सोने चले गए.

मेरी इन मौसी को कोई बच्चे नहीं हैं. इस वजह से हम दोनों दूसरे कमरे में जाकर सो गए.

मैं और मेरी बहन ने रात भर बातें की कुछ अपनी, अपने घर की और कुछ सेक्स संबंधी. हम दोनों ने रात में  कुछ Sexy कहानियां भी पढ़ीं और बातें करते करते सो गए.

सुबह जब हम उठे तो देखा कि मौसी और मौसाजी दोनों तनाव में थे और फोन पर बातें कर रहे थे.

हम दोनों ने उठकर मौसी से पूछा, तो हमें पता चला कि हमारी नानी को दिल का दौरा आया है और उन्हें तुरंत पास के एक हॉस्पिटल में दाखिल करना पड़ा है. इसी वजह से मौसी और मौसा जी का तुरंत ही वहां जाना ज़रूरी था.

मौसी ने मुझे और मेरी बहन से कहा- तुम दोनों यहीं पर रहो, हम जाकर आते हैं.
हमने भी हां कर दी और मौसी और मौसाजी दोनों रवाना हो गए.

हम दोनों दिन भर का काम समेट कर टी.वी. देखने लगे.
तभी मैंने दीदी से कहा- चलो पॉर्न वीडियो देखते हैं.
दीदी बोली- ओके.

मैंने बताया कि मेरे लैपटॉप में बहुत सारे पॉर्न वीडियो हैं. आप टीवी बंद कर दो.
दीदी ने हां कहकर टी.वी. बंद कर दिया. हम वीडियो देखने अपने रूम में चले गए.

तभी मेरा फोन बजा … मैंने मोबाइल उठा कर देखा कि मौसी का फोन था.
मैंने झट से फोन उठा कर बात की, तो मौसी बोलीं- नानी की तबीयत बहुत खराब है … तो मैं और तुम्हारे मौसाजी परसों सुबह तक घर आ पाएंगे.
मेरी बात पूरी होने पर मैंने दीदी को बोला, तो दीदी ने सर हिलाकर इशारा किया.

हम दोनों पॉर्न देखने बैठ गए. पॉर्न देखते देखते मेरे लंड ने खड़े होकर मेरी पैंट को तंबू बना दिया था. जब मेरी दीदी का ध्यान उस पर गया, तो वो हंसने लगी.
दीदी मुझसे बड़े ही प्यार से बोली- जा तू जाकर मुठ मारकर आ!

इतना कह कर वो दुबारा हंसने लगी. मैं उठकर मुठ मारने बाथरूम में गया और हाथ धोकर रूम में आने ही वाला था. तब मैंने देखा कि दीदी अपनी चूत को ऊपर से हाथों से सहला रही थी. ये नजारा मैं भी कमरे की दहलीज से देख रहा था. दीदी काफ़ी गर्म हो चुकी थी.

जैसे ही मैं कमरे में गया तो दीदी ने झट से हाथ हटा दिया और वीडियो देखने लगी.
थोड़ी देर बाद मैंने दीदी के कंधे पर हाथ रख दिया, तो दीदी कुछ नहीं बोली. वो तो पॉर्न देखने में व्यस्त थी.

मैंने थोड़ी हिम्मत करके दीदी के कंधे पर से दूसरी तरफ के स्तन को स्पर्श किया.
अब दीदी ने कहा- ये क्या कर रहे हो? मैं तुम्हारी बहन हूँ और बहन के साथ ऐसा कोई करता है क्या?

मैं घबरा गया और झट से हाथ हटा दिया. मेरे हाव-भाव देख दीदी ज़ोर से हंस पड़ी और उसने खुद से मेरा हाथ अपने कंधे से लेकर अपने स्तन पर रख दिया.

फिर दीदी ने नशीली आवाज में कहा- चलो धीरे धीरे से सहलाओ.
मैं जैसे जैसे दीदी के स्तन को सहलाए जा रहा था, वैसे वैसे दीदी ज़ोर ज़ोर से सिसकारियां ले रही थीं. दीदी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… हय..’ कर रही थीं.

मैंने लैपटॉप को एक टेबल पर रख दिया और दीदी को चूमना शुरू कर दिया. पहले तो उसने इंकार कर दिया, पर मेरा थोड़ा ज़ोर देने पर वो मान गई. हम दोनों एक दूसरे को पांच मिनट तक चूमते रहे. वो भी मेरा उतना ही साथ दे रही थी. मैं दीदी को चूमने के साथ उसके स्तन को मसल भी रहा था. स्तन मसलना और उनके होंठों को चूमना एक साथ हो रहा था. जिसमें दीदी मुझे पूरा सहयोग दे रही थी.

फिर मैंने दीदी को बेड पर लेटा दिया और उसकी कुर्ती को उतार कर फेंक दिया. मेरी दीदी वैसे तो गोरी है और उसकी उम्र लगभग अट्ठाईस साल की है. उनका फिगर 36-38-40 का है, वो दिखने में भी सुंदर है. दीदी की हाइट पांच फुट एक इंच की रही होगी.

जैसे ही मैंने दीदी की कुर्ती उतारी, मेरी आंखों के सामने मानो एक बिजली सी चमक उठी. मुझे लगा जैसे एक अप्सरा का बदन सामने दिखने लगा था. एकदम दूध सा गोरा बदन और उसके बड़े बड़े स्तन क्या मस्त दिख रहे थे. अपनी दूधिया चूचियों पर दीदी ने नीले रंग की ब्रा पहन रखी थी, जिससे उसके दूधिया स्तन और भी उठ कर दिख रहे थे.

हम थोड़ी देर और चुंबन और मसाज़ का खेल खेलते रहे. फिर मैं दीदी के पज़ामे के नाड़े को खोल ही रहा था कि दीदी ने मना कर दिया.

मैंने दीदी से कहा- मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ और बस एक बार आपको को चोदना चाहता हूँ, प्लीज़ मेरी ये एक तमन्ना पूरी कर दो प्लीज़.
दीदी ने ना कहकर टाल दिया लेकिन मैं मानने वालों में से नहीं था. मैंने ज़बरदस्ती दीदी के पज़ामे का नाड़ा खोल दिया और अन्दर हाथ डाल कर उनकी चूत को सहलाने लगा.

दीदी के काफ़ी प्रयासों के बाद भी वो मुझे रोक नहीं पाईं और थोड़ी देर में उनको भी मज़ा आने लगा. वो ज़ोर ज़ोर से सिसकारियां भर रही थीं. मैंने देखते देखते दीदी का पज़ामा भी उतार दिया. अब दीदी मेरे सामने बस नीले रंग के ब्रा और पैंटी में थीं. कसम से दोस्तों उस दिन मेरी बहन क्या और लाजवाब मस्त दिख रही थी.

मैं अपने पास अक्सर एक कंडोम का पैकेट रखता ही हूँ, क्या पता कब कौन की चूत चोदने को कहां पर मिल जाए.

मैं दीदी को थोड़ी देर और चूमता रहा. मैं एक हाथ से उसके स्तन को मसल रहा था और एक हाथ से उसकी चूत को सहला रहा था.
कुछ देर में दीदी की पैंटी गीली हो गई थी. शायद दीदी की चूत ने पानी छोड़ दिया था.

दीदी अब काफ़ी गर्म हो गई थी, मैंने आराम से दीदी की ब्रा का हुक खोल दिया और उसकी चड्डी भी उतार दी. अब दीदी मेरे सामने नग्न अवस्था में थी. वो भी खुद को रोक नहीं पा रही थी. उसने झट से मेरी टी-शर्ट को उतार दिया और मेरे शॉर्ट्स को भी उतारने के लिए उसे नीचे की तरफ खींच रही थी. मैंने उसकी मदद की और अपने आपको उसके सामने नंगा कर दिया. हम दोनों एक दूसरे के कामुक बदन पर टूट पड़े.

दीदी मेरे लंड को सहलाने लगी. मैंने उसकी चूत में उंगली फेरना शुरू कर दी. मैंने उसकी तरफ देख कर ओरल करने का इशारा करते हुए उसकी चूत के रस से भीगी उंगली को निकाल कर अपने मुँह में ले कर चूस ली.

दीदी ने भी सहमति देते हुए खुद को चित लिटा दिया अपनी टांगें फैला कर चूत खोल दी. मैं 69 की पोज़िशन में आ गया और उसकी चूत को चाटने लगा. वो मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूस रही थी.

हम एक दूसरे को लगभग दस मिनट तक चूसते रहे. दीदी ने इस चुसाई से एक बार पानी छोड़ दिया. ओरल सेक्स में मैंने भी अपना पानी उसके मुँह में छोड़ दिया. दीदी ने झट से पूरा पानी अपने मुँह के बाहर थूक दिया, लेकिन मैंने दीदी का पूरा पानी पी लिया.
क्या मस्त महक आ रही थी और उसका पानी बड़ा ही स्वादिष्ट मलाई जैसा था. मुझे मज़ा आ गया.

अब दीदी मुझे बोलने लगी- रॉकी प्लीज़ अब सहा नहीं जा रहा है … जल्दी से अपनी दीदी की चूत को अपने लंड से भर दो और अपनी दीदी की चूत को चोद दो.
मैंने जल्दी से कंडोम पहना और दीदी की चूत पर रगड़ने लगा. मैंने एक ही झटके में अपने लंड ज़ोर से अन्दर की ओर धकेल दिया.

दीदी बहुत ज़ोर से चिल्ला पड़ी और बोलने लगी- हरामखोर जल्दी बाहर निकाल. … बहुत दर्द कर रहा है … इतना मोटा लंड मेरे पति का भी नहीं है, जल्दी हट.
मैंने दीदी के होंठों पर अपने होंठ रख दिए और जो मेरा लंड आधा ही अन्दर गया था, उसको एक और ज़ोर के झटके के साथ पूरा का पूरा अन्दर डाल दिया.

पूरा लंड अन्दर घुस जाने से दीदी की आंखों से पानी आने लगा था. मेरे होंठ दीदी के होंठों पर रहने के कारण वो कुछ बोल भी नहीं पा रही थी. थोड़ी देर मैंने बिना कुछ करे दीदी पर लेटा रहा और फिर धीरे धीरे अपने झटके शुरू किए.

एक मिनट बाद दीदी को भी मज़ा आने लगा. उसका भी दर्द कम हो रहा था. अब वो भी झटके ज़ोर से मारने को कह रही थी.
फिर मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी और दीदी को ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा. दीदी भी टांगें उठा कर पूरी मस्ती से चुदवा रही थी. मैंने उसके ऊपर झुकते हुए उसके एक दूध के निप्पल को अपने होंठों के बीच दबाया और पूरे लंड से दीदी की चुदाई चालू कर दी.

दस बारह मिनट की चुदाई में दीदी दो बार झड़ चुकी थी और अब मैं भी झड़ने वाला ही था. इसीलिए मैंने अपने धक्के तेज़ कर दिए. अगले दो मिनट में मैं भी झड़ गया और निढाल होकर दीदी पर ही सो गया.

शाम को लगभग आठ बजे तक हम एक दूसरे से चिपके हुए सो रहे थे. फिर मेरा मोबाइल बजा, इससे दीदी की नींद खुल गई. दीदी ने टेबल से मोबाइल लिया और देखा, तो मौसी का फोन था.

उसने फोन उठाया और मौसी से बात करके फोन रख दिया. थोड़ी देर वैसे ही सोने के बाद दीदी ने मुझे उठाया और हम दोनों बाथरूम में नहाने चले गए. हम दोनों ने साथ में शावर लिया और मैंने दीदी से कहा- हम कल तक हम घर में नग्न अवस्था में ही रहेंगे.
दीदी हां कह कर शावर से बाहर आ गई.

उस रात का खाना उसने नग्न अवस्था में ही बनाया.
दोबारा हमने किचन में और सोते वक़्त और दूसरे दिन नहाते वक़्त भी सेक्स किया. दीदी को मेरे लंड से चुदवाना पसंद आ गया था. वो खुद ही मेरे लंड को बार बार अपने मुँह में लेकर चूस लेती थी. उसको जीजा के लंड से कहीं अधिक मजा मेरे लंड से चुदने में आया था.

दीदी ने मुझसे खाना खाते हुए कहा कि तेरे जैसा लंड मैंने आज तक नहीं लिया.

उसकी इस बात से मैंने उससे पूछा कि क्या आपने जीजा जी के अलावा और भी लंड लिए हैं.
इस पर दीदी ने हंस दिया. वो बोली- चल पहले खाना खा ले, फिर बिस्तर में सब बताऊंगी.


उस दिन जब हम खाना खाकर उठे, तो मैंने दीदी से पूछा- क्या आपने कभी जीजू के अलावा किसी और को अपनी चूत के मजे दिए हैं?
दीदी बोलीं- अगर तुझे ये जानना ही है कि मैंने जीजू के अलावा किसी और का लंड ठंडा किया है या नहीं … तो आज तू मुझे ऐसे चोद कर दिखा कि आज मैं जन्नत के भी ऊपर चली जाऊं.

मैं दीदी की चुदाई की कहानी को जानने के लिए बहुत ही उत्सुक था. उनकी बात सुनकर मैंने झट से सब कुछ समेट लिया और तैयार होकर मेडिकल शॉप के लिए निकल गया. ये दुकान मौसी के घर से थोड़ी ही दूरी पर है, वहां जाकर मैं कंडोम के पैकेट लेकर आ गया. मुझे आज दीदी की वो चुदाई करनी थी, जिससे वो पागल होकर मुझे अपनी जिन्दगी के मजेदार चुदाई के किस्से सुना दें.

कंडोम के पैकेट मैंने जेब में रखे हुए थे. मैं मस्त और कामुक सोच में डूबा हुआ मौसी के घर में अन्दर आ गया. मैंने घर के सारे दरवाजे और खिड़कियां बंद कर दिए और झट से बेडरूम में आ गया. उधर दीदी थीं. मैंने दीदी को अपने बाहुपाश में भर लिया और उनके होंठों पर ज़ोर से चुंबन धर दिया.

दीदी समझ गईं कि चुदाई का खेल शुरू होने वाला है. वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा दीं.

मैंने दीदी से कहा- चलो आज हम मौसी के कमरे में जाकर सेक्स करेंगे.
जैसा कि मैंने आपको पिछली कहानी में बताया था कि मेरी इन मौसी के कोई बच्चे नहीं थे. जिस वजह से मुझे विश्वास था कि वो पक्का सेक्स के खूब मज़े लेती होंगी.

हम दोनों मौसी के कमरे में जाने के लिए उठ गए. मैंने दीदी को गोद में उठा लिया और बेड की तरफ जाकर उससे बेड पर पटक दिया. दीदी को बिस्तर पर लिटाने के बाद मैंने मौसी के कमरे में बनी अलमारी की तलाशी लेना शुरू कर दिया.

मुझे उस अलमारी में से एक बिकनी मिली, जो काफ़ी सेक्सी दिख रही थी. मैंने बिकनी हाथ में झुलाते हुए दीदी को दिखाई और आंख दबा दी.
दीदी भी हंस दीं.

मैंने दीदी को वो बिकनी पहनने को कहा. दीदी ने मेरे हाथ से बिकनी ली और बाथरूम की तरफ बढ़ गईं.
मैंने कहा- अब मुझसे क्या पर्दा है, यहीं पहन लो ना.
दीदी बोलीं- फिर बिकनी ही क्यों पहना रहे हो? सीधे नंगी ही होने को बोल दो ना … अरे बिकनी का ग्लैमर देखना है, तो जरा सब्र करो.

मैं मान गया और दीदी बाथरूम में चली गईं. उनको बाहर आने में कुछ समय लगा. मैं बाथरूम के दरवाजे पर दस्तक देने लगा.

मैं- क्या हुआ … बिकनी पहनने में देर क्यों लग रही है?
दीदी ने सिर्फ हंस कर कहा- जरा सब्र रखो यार … पूरा मजा लेना है या आधा?
मैंने कहा- पूरा मजा लेना भी है और देना भी है दीदी. आप बस जल्दी से बाहर आ जाओ.

लेकिन दीदी ने अपना पूरा टाइम लिया और करीब दस मिनट बाद दीदी बाथरूम से बाहर आ गईं.

मेरी दीदी ने बिकनी पहनी हुई थी … वो एकदम अप्सरा सी लग रही थीं. उनके मम्मे उस बिकनी से पूरी तरह से ढक ही नहीं पा रहे थे. आप यूं समझो कि उनके दो तिहाई दूध साफ़ साफ़ नजर आ रहे थे. एक पतली सी डोरी से बिकनी उनके कंधों पर टिकी हुई थी. बिकनी ने दीदी की कमर का हिस्सा पूरा खुला छोड़ा हुआ था.

नीचे चूत के पास एक त्रिभुज जैसा कपड़ा दीदी की चूत को ढके हुए था. और चूत के निचले हिस्से से एक पतली पट्टी उनकी गांड के छेद को ढके हुए पीछे पीठ से ऊपर चली गई थी. ऊपर जाकर ये डोर कंधों के पास दो हिस्सों में बंट कर उनकी चूचियों की तरफ से आती हुई डोरियों से से सम्बद्ध हो गई थी. मतलब पीठ और दीदी के दोनों चूतड़ एकदम अनावृत थे.

चिकनी देह वाली दीदी इस वक्त एक बहुत ही मादक कामुक दिखने वाली पोर्न एक्ट्रेस लग रही थीं.
मैं बस मन्त्रमुग्ध सा दीदी को देखता ही रह गया और मेरे मुँह से सिर्फ ‘वाओ … क्या माल लग रही हो..’ निकल सका.

दीदी ने मुझे एक आंख मारी, तो मुझे मानो जैसे कोई झटका सा लगा हो. उसी समय दीदी ने हंसी बिखेरी, तो मैं दीदी पर झपट पड़ा.

दीदी पीछे हटते हुए बोलीं- अरे क्या खा जाने का विचार है … आज तो तुम बड़े ही फॉर्म में दिख रहे हो … क्या बात है मेरे छोटे शेर?
मैंने कहा- दीदी, आज आपको जन्नत से भी ऊपर का मजा दिलाना है … तो फॉर्म में होना ज़रूरी है.

इतना बोल कर मैंने दीदी को दबोच लिया और उनके होंठों को बेतहाशा चूमने लगा.

दीदी ने हंस कर मेरे होंठों को ज़ोर से जकड़ लिया और मुझे किस करने में पूरा सहयोग करने लगीं. मैंने दीदी को बिस्तर पर धक्का दे दिया और दीदी पर चढ़ गया. दीदी ने अपनी बाँहें फैला कर मुझे अपने आगोश में भर लिया और मेरे प्यार को अपने प्यार से रंगने लगीं.

मैंने दीदी को चूमते हुए कहा- अगर आप जन्नत के उस पार जाना चाहती हो, तो आज हम ब्लाइंड सेक्स करेंगे.
दीदी बोलीं- ब्लाइंड सेक्स? ये क्या होता है?
मैंने कहा- ब्लाइंड सेक्स मतलब हम दोनों एक दूसरे की आंखों पर पट्टी बाँध कर सेक्स का मज़ा लेंगे.

दीदी को यह वाला स्टाइल कुछ अलग लगा, तो उन्होंने झट से हां करके अपना सिर हिला दिया. उन्होंने मेरे लंड को सहलाते हुए कहा- ठीक है … आज हम अँधा प्यार करेंगे.

मैंने अलमारी से दो कपड़े निकाले और पहले दीदी की आंख पर पट्टी बाँध दी.
उसके बाद दीदी ने कहा- मुझे कैसे मालूम पड़ेगा कि तुमने पट्टी बाँधी है या नहीं.
मैंने कहा- तुम टटोल कर देख लेना.
दीदी हंस दीं और बोलीं- हाँ अब सब कुछ टटोल कर ही करना पड़ेगा, तुम्हारा लंड भी सिर्फ टटोल कर ही घुसवाना पड़ेगा.

मैंने भी हंसते हुए अपनी आंख पर पट्टी बाँध ली.
हम दोनों की आंखों पर पट्टी बंध चुकी थी और मैंने दीदी से बेड से हिलने के लिए मना किया था.
दीदी ने हाँ बोल कर सहमति दे दी थी.

फिर मैंने दीदी के पैरों से शुरू होते हुए अपनी जीभ उनके पैरों से रगड़ते हुए ऊपर की बढ़ना शुरू किया. मुझे सिर्फ अहसास मात्र से ही रोमांच हो रहा था और कमोवेश यही स्थिति दीदी की भी थी.

मेरे इस तरह से चुबंन करने की वजह से दीदी को मानो करेंट लग रहा था. वो आज अलग ही आवाज़ में सिसकारियां भर रही थीं.

मैं दीदी के पैरों से ऊपर जाते वक़्त उनकी चूत के रास्ते से होकर गया, जिस वजह से दीदी और भी गर्म हो गई थीं. मैंने दीदी चूत पर एक मिनट का विश्राम लिया और दाने को छेड़ता हुआ ऊपर बढ़ गया. मैं ऊपर नाभि पर पहुंचा, फिर पेट को चूमा, जिससे दीदी को एक बड़ी थरथराहट सी हुई, जो मुझे साफ़ समझ आ रही थी.

जब मैंने उनके स्तनों के नीचे के हिस्से पर जीभ की नोक को घुमाया, तो दीदी एकदम से मचल उठीं.

मैं धीरे धीरे दोनों स्तनों के निचले हिस्से को जीभ से चाटता रहा. दीदी का हाथ मेरे सर पर आ गया था और उनके हाथ में एक दबाव सा था, जो मुझे उनकी चूचियों पर लाने के लिए महसूस हो रहा था. मैं ऊपर चल दिया. अब दीदी के मम्मे मेरी मंजिल थे. अपनी मंजिल के रास्ते पर जीभ को ले गया. जैसे ही मैं दीदी के एक स्तन के निप्पल के करीब आया.

दीदी ने मेरा सर खींचते हुए मुझे अपने निप्पल पर रख दिया. मैंने दीदी के निप्पल को अपने होंठों के बीच में दबा लिया और प्यार से चुसकने लगा. मैंने जी भरके अपनी प्यास बुझाई. दीदी के मम्मों से थोड़ा सा जो दूध निकल रहा था. वो मैंने पी लिया और मेरी सवारी आगे निकल पड़ी. अब दीदी के होंठों के पास मेरा गंतव्य था. जहां हम दोनों ने काफ़ी मज़े किए.

दीदी ने ऐसा पहले कभी नहीं किया था. इस वजह से आज दीदी काफ़ी गर्म हो गई थीं. हम दोनों काफ़ी देर एक दूसरे को चूमते रहे. दीदी का अपने आप पर से काबू छूट रहा था. उन्होंने मेरा लंड ज़ोर से अपने हाथों में पकड़ कर अपनी चूत की तरफ मोड़ लिया. लेकिन मैं आज कुछ अलग मूड में था.

मैंने दीदी से कहा- आज मैं आपको बिना कंडोम के चोदूंगा.
उन्होंने मचलते हुए कहा- साले हरामी … आज तुझे जो करना है, वो कर … लेकिन जल्दी चोद … कंडोम पहना है, तो पहन या ना पहन … पर मेरी खुजली मिटा दे.

अब मैं दीदी की चूत पर लंड रख कर रगड़ रहा था. उनकी चूत एकदम रबड़ी सी लिसलिसी हो रही थी. चूत का चिकनापन देख कर मैं समझ गया कि दीदी को बाथरूम में देर क्यों लगी थी.

मैंने पूछा- अच्छा … झांटें साफ़ करने में देर लग रही थी.
दीदी हंसते हुए बोलीं- हां … बिकनी के बगल से झांटें दिखतीं, तो क्या मजा आता.

अब मैंने भी सोचा कि क्यों ना आज अपनी इस हॉट दीदी को इससे भी ज्यादा तड़पाया जाए. मैंने लंड हटा दिया और उनकी चिकनी चूत पर अपनी जीभ रख दी.
दीदी को मजा आने लगा और वो पैर पसार कर चूत उठा कर मुझसे चटवाने का मजा लेने लगीं.

मैंने 69 की पोजीशन में आकर अपना लंड दीदी के मुँह में ठूंस दिया … जिससे वो बहुत गर्म हो गई थीं. दीदी की चुदास इतनी अधिक बढ़ गई थी कि कुछ ही देर में उनको जीभ की जगह लंड की दरकार होने लगी. मैंने उनकी चूत को जीभ से चाटना जारी रखा. इससे दीदी एकदम से भड़क गईं और उन्होंने लंड चूसते चूसते मुझे काट लिया, जिससे मेरी चीख निकल गई.

कुछ देर उसी पोजीशन में रहने के बाद मैंने दीदी को कुतिया बना दिया और पीछे से अपना लंड दीदी की फुद्दी पर घुमाने लगा.

दीदी बेहद मचल रही थीं और अपनी गांड को मेरे लंड पर मार रही थीं. मैंने एक ज़ोर का झटका दे दिया, जिस वजह से एक ही झटके में मेरा पूरा का पूरा लंड दीदी की चूत की गहराई तक चला गया.

दीदी की आह निकल गई ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
धकापेल चुदाई का मंजर सिर्फ अहसास के जरिये महसूस होने लगा.

मैंने कुछ देर तक दीदी के दूध दबाते हुए उनकी जबरदस्त चुदाई की. फिर आसन बदला.

हमने उस दिन कई सेक्स पोजीशनों में चुदाई की. जिसमें कुछ का नाम लिख रहा हूँ … आप इन सेक्स पोजीशनों के बारे में मेल करके डिटेल ले सकते हैं.

१) फोल्डेड डेक सेक्स पोजीशन
२) डॉगी सेक्स पोजीशन
३) लव फ्रॉम बैक साइड
४) 69 पोजीशन
५) मिशनरी पोजीशन
६) दीवार के अगेंस्ट

ये सारी पोज़िशनें हमने ट्राई कीं. जिसमें दीदी काफ़ी बार झड़ गई थीं. मैं भी दो बार दीदी के अन्दर ही झड़ गया था.

दीदी ने मुझे चौथे राउंड में मुझे बताया कि मैंने तेरे जीजू के अलावा अब तक तीन लंड लिए हैं, जिसमें मुझे तुझसे चुदने में बहुत मजा आया है.

मैंने कारण पूछा, तो दीदी ने कहा- तेरे लंड में जान है और दूसरी बात मैं तुझसे एकदम से खुली हुई हूँ. बाकी के जो दो और मुझे चोद कर गए हैं, उनसे मेरा कोई बहुत अधिक परिचय नहीं था. जिस वजह से सिर्फ चुदाई हुई और मैं झड़ कर शांत हो गई थी.

मैं उनकी इस बात से पूरी तरह से सहमत था कि चुदाई सिर्फ लंड चूत की नहीं होती हैं. दो दिलों का मिलन भी चुदाई के रस को बढ़ाता है.

हमने सुबह चार बजे तक चार बार सेक्स किया. उसके बाद हम दोनों ने कपड़े पहन लिए और हम दोनों मौसी के कमरे से निकल कर अपने कमरे में जाकर सो गए.

सुबह मौसी आईं … तब तक हम दोनों उठ गए थे. अब रोज सोते वक़्त हम दोनों सेक्स करने लगे थे. आज भी जब मैं उससे राखी बंधवाने जाता हूँ, तो हम दोनों सेक्स ज़रूर करते हैं.

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