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बाप ने बेटी को रखैल बना कर चोदा-2

 



दूसरे दिन भी जब मिशाली बैंक चली गयी, तब मुकुल राय परीशा को अपनी बांहों में भर लिया और दोनों चुदाई में वयस्त हो गए। उसके बाद परीशा कॉलेज चली गयी, मुकुल ऑफिस.

फिर दोपहर बाद परीशा घर आ गयी और मुकुल भी बहाने से छुट्टी लेकर आ गया. दोनों साथ में ही नहाये जहाँ बाथरूम में ही मुकुल राय ने परीशा की जबरदस्त चुदाई की।

इस चुदाई से परीशा बहुत गर्म हो गयी तो बोली- पापा कल आप ऑफिस से छुट्टी ले लेना। कल हम दिन भर साथ रहेंगे। कल मेरा जन्मदिन है, मैं आपको एक सरप्राइज़ गिफ्ट देने वाली हूँ।

मुकुल राय बहुत खुश होता है और परीशा को बाथरूम में ही दोबारा कुतिया बना के पेलने लगता है। परीशा भी अपनी गांड पीछे करके अपने पापा के हर धक्के का जबाब देने लगती है।
आधे घंटे की चुदाई के बाद मुकुल राय अपना सारा माल अपनी कमसिन बेटी के मुँह में भर देता है जिसे परीशा चाट जाती है.
फिर दोनों बाप बेटी फ्रेश होकर बाहर आ जाते हैं।

अगले दिन मिशाली परीशा को जन्मदिवस की मुबारकबाद देकर बैंक चली जाती है।

मिशाली के बैंक जाने के बाद परीशा मुकुल राय के रूम में सिर्फ ब्रा और पेंटी में आकर बेड पर लेट जाती है। मुकुल राय भी अपने कपड़े उतारकर सिर्फ अंडरवियर में आता है और वो परीशा के बिल्कुल करीब आता है।

मुकुल राय परीशा की पेंटी में हाथ डालते हुए- अरे बेटी, तेरी चूत तो अभी सूखी है; मैं इसे 5 मिनट में गीली कर दूँगा।
परीशा- अगर नहीं कर पाये तो?
मुकुल राय- कर दिया तो मैं जो कहूँगा तुझे करना होगा. अगर नहीं किया तो तू जो कहेगी; मैं करूँगा … प्रोमिस!
परीशा- प्रोमिस.

वैसे मुकुल राय मंझा हुआ खिलाड़ी था। इसकी दो वजह थी एक तो उसका हथियार काफ़ी दमदार था और दूसरा वो बहुत संयम से काम लेता था किसी भी परिस्थिति में वो विचलित नहीं होता था। इसलिए उसे पूरा विश्वास था कि वो हर हाल में बाज़ी ज़रूर जीत जाएगा।

हालांकि परीशा की रगों में भी उसका ही खून था मगर परीशा इन सब मामलों में एक्सपर्ट नहीं थी। उसने तो अपनी ज़िंदगी में बस अपने पापा के साथ सेक्स किया था। इस वजह से उसे सेक्स के बारे में ज़्यादा पता नहीं था।

मुकुल राय एकदम धीरे से परीशा के पीछे आता है और और उसके कंधे पर अपने लब रखकर एक प्यारा सा किस करता है. और अपने दोनों हाथों को धीरे से बढ़ाकर परीशा के दोनों बूब्स को धीरे धीरे मसलना शुरू कर देता है। परीशा मदहोशी में अपनी आँखें बंद कर लेती है और उसके मुँह से सिसकारी निकल जाती है।

मुकुल राय फिर अपने होंठ परीशा के पीठ पर रखकर फिर से उसी अंदाज़ में हौले हौले चाटना शुरू करता है. परीशा की पैंटी पूरी भीग चुकी थी। वो तो बड़े मुश्किल से अपने आप को संभालने की नाकाम कोशिश कर रही थी.

परीशा- पापा बस भी करो; मुझे कुछ हो रहा है।
मुकुल- क्या हो रहा हैं बता ना? क्या तेरी चूत गीली हो गयी है? हां शायद यही वजह है.
और इतना कहकर मुकुल राय एक पल में अपना हाथ नीचे ले जा कर परीशा की चूत को अपनी मुट्ठी में थाम लेता है। परीशा के मुख से एक तेज़ सिसकारी निकल पड़ती है।

फिर धीरे धीरे वो अपना हाथ परीशा की पैंटी के अंदर सरका देता है और उसके क्लिट को अपनी उंगली से मसलने लगता है. परीशा एकदम से बेचैन हो जाती है और जवाब में वो अपना लिप्स को अपने पापा के लिप्स पर रखकर उसे चूसने लगती है।

एक हाथ से मुकुल राय परीशा के बूब्स को मसल रहा था और दूसरे हाथों से वो परीशा की चूत को सहला रहा था. परीशा उसके लिप्स को चूस रही थी।
माहौल पूरा आग लगा देने वाला था. थोड़ी देर में मुकुल राय का हाथ पूरा गीला हो जाता है।

परीशा- पापा … अब बस भी करो मुझसे अब बरदाश्त नहीं हो रहा. आप जीत गये।
मुकुल राय- अरे मेरी जान … तूने इतनी जल्दी कैसे हार मान ली। अभी तो शुरूआत है। देखना आगे आगे मैं क्या करता हूँ।

इतना बोलकर मुकुल राय अपने दोनों हाथ परीशा की पीठ पर रखकर उसकी ब्रा का स्ट्रिप्स को खोल देता है और अगले पल परीशा झट से अपने गिरते हुए ब्रा को दोनों हाथों से थाम लेती है।

मुकुल राय अगले पल परीशा के ब्रा को पकड़कर उसके बदन से अलग कर देता है और परीशा भी कोई विरोध नहीं कर पाती. बस अपनी नज़रें नीची करके अपनी गर्दन झुका लेती है।

मुकुल राय भी झट से परीशा के सामने आता है और वो परीशा के बूब्स को देखने लगता है। फिर वो अपना लिप्स को परीशा के निपल्स पर रखकर उसे एकदम हौले हौले चूसने लगता है। ना चाहते हुए भी परीशा अपने पापा की हरकतों को इन्कार नहीं कर पाती और वो अपना एक हाथ अपने पापा के बालों पर फिराने लगती है।

मुकुल राय- परीशा बेटी, तुम्हारे ये दूध कितने मस्त हैं। जी तो करता है इन्हें ऐसे ही चूसता रहूं, निप्पलों को काट लूँ।
परीशा- तो चूसो ना पापा … मैंने कब मना किया है। जब तक आपका मन नहीं भरता आप ऐसे ही इन्हें चूसते रहो, काटते रहो।

फिर मुकुल राय एक हाथ से उसके निप्पल को अपनी उंगली में मसलने लगता है और दूसरी तरफ वो अपना मुँह लगाकर परीशा के बूब्स पीने लगता है। परीशा को तो लगता है कि अब उसकी जान निकल जाएगी।
मुकुल राय सब कुछ एकदम आराम से कर रहा था। उसे किसी भी चीज़ की जल्दी नहीं थी और वो जानता भी था कि ऐसे कुछ देर में परीशा का भी संयम जवाब दे देगा और वो सब कुछ करेगी जो वो चाहता है।

करीब 10 मिनट के बाद आख़िर परीशा का सब्र टूट जाता है और वो तुरंत अपना हाथ आगे बढ़ाकर मुकुल राय का लंड थाम लेती है, उसे अपने नाज़ुक हाथों से मसलने लगती है।
मुकुल राय यह देखकर मुस्कुरा देता है और अपना अंडरवियर उतारने लगता है. कुछ पल में वो एकदम नंगा उसके सामने हो जाता है।

परीशा एकटक अपने पापा के लंड को देखने लगती है. परीशा को ऐसे देखता पाकर मुकुल राय भी अपना लंड उसके सामने कर देता है।
मुकुल राय- ऐसे क्या देख रही है बेटी? सिर्फ देखती रहोगी क्या?
परीशा अपना थूक निगलते हुए- पापा, अब तो ये काफी बड़ा हो गया है।

फिर मुकुल राय परीशा को बिस्तर पर सीधा लेटा देता है और उसकी पैंटी भी सरका कर उसे पूरी नंगी कर देता है।
अब परीशा की चूत अपने पापा के सामने बे-परदा थी।

फिर मुकुल राय उसकी गर्दन पर अच्छे से अपनी जीभ फिराता है और एक हाथ से उसके बूब्स को कस कर मसलने लगता है. दूसरी उंगली उसकी चूत पर फिराने लगता है और अपना जीभ से उसके दूसरे निपल्स को चूसने लगता है। फिर धीरे धीरे नीचे आते हुए अपनी जीभ से परीशा की चूत को चूसने लगता है।

अब परीशा का सब्र जवाब दे देता है और वो ना चाहते हुए भी चीख पड़ती है- बस … पापा … आज .. मेरी … जान लोगे क्या? मैं … मर जाऊँगी … आह!
इतना कहते कहते उसकी चूत से उसका पानी निकलना शुरू हो जाता है और परीशा का ऑर्गस्म हो जाता है. वो वही एकदम शांत होकर अपने पापा की बांहों में पड़ी रहती है, उसकी धड़कनें बहुत ज़ोर ज़ोर से चल रही थी और साँसें भी कंट्रोल के बाहर थी।
बड़ी मुश्किल से वो अपनी साँसों को कंट्रोल करती है और अपनी आँखें बंद करके अपने पापा के लबों को चूम लेती है.

मुकुल राय- बेटी अब तेरी बारी है। चल अब तू मेरी प्यास को शांत कर!
इतना बोलकर मुकुल राय अपना लंड परीशा के मुँह के एकदम करीब रख देता है। परीशा बड़े गौर से मुकुल राय के लंड को देखने लगती है। फिर अपनी जीभ निकालकर धीरे से उसके लंड का सुपारा नीचे से ऊपर तक चाटने लगती है।
मुकुल राय के मुँह से सिसकारी निकल पड़ती है।

फिर वो परीशा के सर के बालों को खोल देता है और अपना हाथ परीशा के सर पर फिराने लगता है।

धीरे धीरे परीशा मुकुल राय के लंड पर अपना जीभ फिराती है। अचानक मुकुल राय को ना जाने क्या सूझता है … वो तुरंत परीशा के मुँह से अपना लंड बाहर निकाल लेता है।

परीशा हैरत भरी नज़रों से अपने पापा को देखने लगती है. मुकुल राय उठकर रसोई में चला जाता है और थोड़ी देर के बाद वो एक शहद की शीशी लेकर वापस आता है।

शहद की शीशी को देखकर परीशा के चेहरे पर मुस्कान तैर जाती है, वो भी अपने पापा का मतलब समझ जाती है।

मुकुल राय फिर शहद की शीशी को खोलता है और उसे अपने लंड पर अच्छे से लगा देता है। मुकुल का लंड बिल्कुल लाल रंग में दिखाई देने लगता है.

फिर वो परीशा के तरफ बड़े प्यार से देखने लगता है। परीशा मुस्कुरा कर आगे बढ़ती है और अपना मुँह खोलकर शहद से लिपटे अपने पापा के लंड को धीरे धीरे चूसना शुरू करती है। एक तरफ लंड रस का नमकीन स्वाद और एक तरफ शहद का स्वाद दोनों का टेस्ट कुल मिलकर बड़ा अद्भुत था।

थोड़ी देर के बाद परीशा अपने पापा के लंड पर का पूरा शहद चाट कर सॉफ कर देती है।

मुकुल राय- बेटी, एक बार मेरा लंड को पूरा अपने मुँह में लेकर चूसो ना। तुझे भी बहुत मज़ा आएगा।
परीशा- पापा आपका दिमाग़ तो नहीं खराब हो गया। भला इतना बड़ा लंड पूरा मेरे मुँह में कैसे जाएगा। नहीं मैं इसे पूरा अपने मुँह में नहीं ले पाऊँगी।

मुकुल राय- क्या तू मेरे लिए इतना भी नहीं कर सकती। मैं जानता हूँ बोलने और करने में बहुत फर्क होता है। ठीक है मैं तुझसे ज़बरदस्ती नहीं करूँगा। आगे तेरी मर्ज़ी!

और मुकुल राय के चेहरे पर मायूसी छा जाती है। अपने पापा को ऐसे मायूस देखकर परीशा तुरंत अपना इरादा बदल लेती है।
परीशा- क्यों नाराज़ होते हो पापा … मेरा कहने का ये मतलब नहीं था। मैं तो बस … अच्छा फिर ठीक है अगर आपकी खुशी इसी में है तो मैं अब आपको किसी भी बात के लिए मना नहीं करूँगी। कर लो जो आपका दिल करता है। आज मैं साबित कर दूँगी कि परीशा जो बोलती है वो करती भी है।

मुकुल राय भी मुस्कुरा देता है और परीशा के बूब्स को पूरी ताक़त से मसल देता है। परीशा के मुख से एक तेज़ सिसकारी निकल जाती है।

मुकुल राय- मैं तो यही चाहता हूँ कि तू खुशी खुशी मेरा लंड पूरा अपने मुँह में लेकर चूसे। मैं यकीन से कहता हूँ कि तुझे भी बहुत मज़ा आएगा। हां शुरू में थोड़ी तकलीफ़ होगी फिर तू भी आसानी से इसे पूरा अपने मुंह में ले लेगी।

परीशा- जैसा आपका हुकुम सरकार … मगर मुझे तकलीफ़ होगी तो क्या आपको अच्छा लगेगा। पापा … बोलो?
मुकुल राय- अगर चुदाई में तकलीफ़ ना हो तो मज़ा कैसा। पहले दर्द तो होता ही है फिर मज़ा भी बहुत आता है। बस तू मेरा पूरा साथ दे; फिर देखना ये सारा दर्द मज़ा में बदल जाएगा।

मुकुल राय फिर शहद अपनी उंगली में लेता है और अपने टिट्स पर मलने लगता है और फिर अपने लंड के आखरी छोर पर भी पूरा शहद लगा देता है।

मुकुल राय परीशा को बेड पर लेटा देता है और उसकी गर्दन को बिस्तर के नीचे झुका देता है। परीशा को जब समझ आता है तो उसके रोंगटे खड़े हो जाते हैं। वो तो सोच रही थी कि वो अपनी मर्ज़ी से पूरा लंड धीरे धीरे अपने मुँह में ले लेगी मगर यहाँ तो उसकी मर्ज़ी नहीं बल्कि वो तो खुद अपने पापा के रहमोकरम पर थी। मगर वो अपने पापा की ख़ुशी के लिए उसे सब मंजूर था।

मुकुल राय भी परीशा के मुँह के पास अपना लंड रख देता है और फिर परीशा की ओर देखने लगता है। परीशा भी अपनी आँखों से उसे लंड अंदर डालने का इशारा करती है। मुकुल राय परीशा के सिर को पकड़कर धीरे धीरे अपने लंड पर प्रेशर डालने लगता है और परीशा भी अपना मुँह पूरा खोल देती है।

धीरे धीरे उसका लंड परीशा के मुँह के अंदर जाने लगता है। मुकुल राय करीब 5 इंच तक परीशा के मुँह में लंड पेल देता है और फिर उसके मुँह में अपना लंड आगे पीछे करके उसके मुँह चोदने लगता है।

परीशा की गर्म साँसें उसको पल पल पागल कर रही थी। वो धीरे धीरे अपनी रफ़्तार बढ़ाने लगता है और साथ साथ अपना लंड भी अंदर पेलने लगता है। परीशा की हालत धीरे धीरे खराब होनी शुरू हो जाती है।

वैसे यह परीशा का पहला था। वो अपने पापा का लंड कई बार चूस चुकी थी पर कभी अपने मुँह में पूरा नहीं ली थी इसलिए तकलीफ़ होना लाजमी था। मुकुल राय करीब 7 इंच तक परीशा के मुँह में लंड डाल देता है और परीशा की साँसें उखड़ने लगती हैं।

मुकुल राय एकटक परीशा को देखता है और फिर अपना लंड पूरा बाहर निकाल कर एक झटके में पूरा अंदर पेल देता है. लंड करीब 8 इंच से भी ज़्यादा परीशा के मुँह में चला जाता है. परीशा को तो ऐसा लगता है कि अभी उसका गला फट जाएगा. उसकी आँखों से भी आँसू निकल पड़ते हैं और आँखें भी बाहर की ओर आ जाती हैं।
तकलीफ़ तो उसे बहुत हो रही थी मगर वो अपने पापा की खुशी के लिए सारी तकलीफों को घुट घुट कर पी रही थी।

फिर मुकुल एक झटके से अपना लंड बाहर निकालता है तो परीशा को कुछ राहत मिलती है मगर मुकुल राय कहाँ रुकने वाला था, वो फिर एक झटके से अपना लंड उतनी ही स्पीड से वो परीशा के मुँह में पूरा लंड पेल देता है

इस बार मुकुल राय अपना पूरा लंड परीशा के हलक तक पहुँचने में सफल हो गया था। परीशा के आँसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। उसे तो ऐसा लग रहा था कि उसका दम घुट जाएगा और वो वहीं मर जाएगी।

परीशा ऐसे ही करीब 10 सेकेंड्स तक परीशा के हलक में अपना लंड फँसाए रखता है। परीशा के मुँह से गु … गु … गू … की लगातार दर्द भरी आवाज़ें निकल रही थी।
जब उसकी बरदाश्त की सीमा बाहर हो गयी तो अपना दोनों हाथों से अपने पापा के पैरों पर मारने लगती है.

मुकुल राय को भी तुरंत आभास होता है और वो एक झटके से अपना पूरा लंड परीशा के हलक से बाहर निकाल देता है। परीशा वही ज़ोर ज़ोर से खांसने लगती है. वो वहीं धम्म से बिस्तर पर पसर जाती है।

मुकुल राय के लंड से एक थूक की लकीर परीशा के मुँह तक जुड़ी हुई थी। ऐसा लग रहा था कि उसके लंड से कोई धागा परीशा के मुँह तक बाँध दिया हो। वो घूर कर एक नज़र अपने पापा को देखती है।
परीशा- ये क्या पापा … भला कोई ऐसे भी सेक्स करता है क्या? आज तो लग रहा था कि आप मुझे मार ही डालोगे। मुझे कितनी तकलीफ़ हो रही थी आपको क्या मालूम। देखो ना अभी तक मेरा मुंह भी दर्द कर रहा है।

मुकुल राय- तू जानती नहीं है परीशा बेटी … मेरा एक सपना था कि मैं किसी भी लड़की के मुँह में अपना पूरा लंड पेलने का। मगर आज तूने मेरा सपना पूरा कर दिया। मैंने तेरी मम्मी के साथ बहुत सेक्स किया है मगर उसने कभी भी मेरे लंड अपने मुँह में पूरा नहीं लिया। बेटी हो तो ऐसी हो!



परीशा- अब तो आप खुश हो ना?
मुकुल राय- हां बेटी … अच्छा तुम मुझे गिफ्ट देने वाली थी ना? क्या है वो तेरी स्पेशल गिफ्ट?
परीशा मुस्कुराकर- आप गेस करके बताइए? आपकी इस समय सबसे बड़ी इच्छा क्या है, मैं वो पूरी करुँगी। वही आपका स्पेशल गिफ्ट होगा।

मुकुल राय- मेरा तो इस समय सबसे ज़्यादा मन तेरी गाण्ड मारने को कर रहा है. अगर तू मुझे इसकी इजाज़त दे तो?

परीशा- चलो पापा आज आपको अपनी गांड आपको गिफ्ट में दिया। आप जैसे चाहो मेरी गांड मार लो।

मुकुल राय झट से परीशा को अपनी बांहों में ले लेता है और उसके लब चूम लेता है।
मुकुल राय- तू सच में बहुत बिंदास है बेटी। मैंने आज तक तेरे जैसे लड़की नहीं देखी. सच में तेरा पति बहुत किस्मत वाला होगा।

परीशा- और आप नहीं हो क्या?
परीशा धीरे से मुस्कुरा देती है।
मुकुल राय- सच में तेरी जैसे बेटी पाकर तो मेरा भी नसीब खुल गया.
और इतना कहकर वो परीशा की गान्ड को कसकर अपने दोनों हाथों से भींच लेता है।

मुकुल राय- बेटी, मेरा लंड को पूरा खड़ा कर ना फिर मैं तेरी गांड मारूँगा।

करीब 5 मिनट तक परीशा मुकुल राय के लंड को पूरा थूक लगाकर चूसती और चाटती है. तब मुकुल राय का का लंड परीशा की कुँवारी गांड को फाड़ने के लिए तैयार हो जाता है।
मुकुल राय- बेटी, पहले तेरी गदराई गांड से तो जी भर के प्यार कर लूँ।

वो बस देखने लगता है अपनी बेटी के गान्ड की खूबसूरती … उफफ्फ़ … क्या नज़ारा था. भारी भारी गोल गोल उभरे हुए गोरे गोरे चूतड़ … जिन्हें अपनी हथेलियों से बड़े ही हल्के से दबाता हुआ अलग करता है … दरार चौड़ी हो जाती है … दरार के बीच थोड़ी सी डार्कनेस लिए गान्ड के छेद की चारों ओर का गोश्त … गांड की सूराख पूरी बंद हुई … पर चारों ओर का गोश्त एकदम टाइट! बन्द सूराख इस बात की गवाही दे रहा था कि गान्ड में कोई लंड अंदर नहीं गया है … और पूरी दरार चिकनी और चमकती हुई.

उसने अपने अंगूठे से गान्ड की दरार को हल्के से दबाया … अंगूठा उसकी चिकनी गान्ड में फिसलता हुआ ऊपर की ओर बढ़ता गया। उफ़फ्फ़ इतनी चिकनी और मुलायम गान्ड मुकुल राय ने आज तक नहीं देखी थी.

परीशा अपने पापा की हरकतों से मस्त थी, मुस्कुरा रही थी.
वो अंगूठे के दबाव से सिहर उठी … उसने अपनी गान्ड थोड़ी सी ऊपर उठाते हुए कहा- हां … हां पापा, अच्छे से छू लो, दबा लो देख लो … आपके लौड़े के लिए सही है ना?
“बेटी … बहुत शानदार, जानदार और मालदार है तेरी गान्ड … उफ … सही में तुम ने काफ़ी मेहनत की है … ज़रा चाट लूँ बेटी?

यह बात सुन कर परीशा और भी मस्ती में आ जाती है और अपनी गान्ड और भी ऊपर उठाते हुए पापा के मुँह पर रखती है- पापा … पूछते क्यूँ हो … आप की बेटी है … आपकी प्यारी बेटी की गान्ड है … जो जी चाहे करो ना … चाटो … चूसो खा जाओ ना … पर लौड़ा पूरा जड़ तक अंदर ज़रूर पेलना!
और अपने पापा के मुँह से अपनी गान्ड लगा देती है.

मुकुल राय उसकी गान्ड नीचे पलंग पर कर देता है, दरार को फिर से अलग करता हुआ अपनी जीभ उसके सूराख पर लगाता है और पूरी दरार की लंबाई चाट जाता है..जीभ को अच्छे से दबाता हुआ … उफ्फ़ उसकी गान्ड की मदमस्त महक और एक अजीब ही सोंधा सोंधा सा स्वाद था.

दो चार बार दरार में जीभ फिराता है … जीभ के छूने से और जीभ की लार के ठंडे ठंडे टच से परीशा सिहर उठती है … और फिर मुकुल राय उसकी गान्ड के गोश्त को अपने होंठों से जकड़ लेता है और बुरी तरह चूसता है … मानो गान्ड के अंदर का पूरा माल अपने मुँह में लेने को तड़प रहा हो.

परीशा मज़े में चीख उठती है- आआआह … पापा … उईईई … देखो ना मेरी गान्ड कितनी मस्त है? अब देर ना करो … बस पेल दो ना अंदर … प्लीज्ज।

मुकुल राय किचन में जाकर तेल की शीशी लेकर आता है।

परीशा जब अपने पापा के हाथ में तेल की शीशी देखती है तो उसकी हालत बिगड़ जाती है। उसने बोल तो दिया था कि वो अपने पापा से अपनी गान्ड मरवायेगी मगर इतना मोटा और लंबा लंड वो अपनी गान्ड में कैसे बरदाश्त कर पाएगी ये उसकी समझ में नहीं आ रहा था।

मुकुल राय तेल की शीशी खोलता है और थोड़ा सा तेल लेकर परीशा की गान्ड के छेद पर गिरा देता है. अपनी दोनों उंगलियों में अच्छे से तेल लगाकर वो उसकी गान्ड में धीरे धीरे उंगली पेलना शुरू कर देता है। कुछ देर के बाद वो अपनी दोनों उंगली को परीशा की गान्ड में डालकर अच्छे से आगे पीछे करने लगता है।

परीशा फिर से गर्म होने लगती है। उसको समझ में नहीं आ रहा था कि उसे क्या हो गया है; भला वो बार बार कैसे गर्म हो रही है।

मुकुल राय फिर तेल की शीशी को अपने लंड पर लगाता है और कुछ परीशा की गान्ड में भी डाल देता है। फिर अपना लंड को परीशा की गान्ड पर रखकर धीरे धीरे उसे परीशा की गान्ड में पेलने लगता है।
परीशा के मुँह से चीख निकलने लगती है मगर वो अपने पापा को रोकने का बिल्कुल प्रयास नहीं करती।

जैसे ही मुकुल राय का सुपारा अंदर जाता है, परीशा की आँखों से आँसू निकल जाते हैं। उसे इतना दर्द होता है, लगता है की किसी ने उसकी गान्ड में जलता हुआ सरिया डाल दिया हो।
वो फिर भी अपने पापा के लिए वो दर्द को बरदाश्त करती है।

परीशा – उफ पापा, आप कितने बेरहम हो … पूरा घुसा दिया … उम्म्ह… अहह… हय… याह… इतना मोटा लौड़ा पूरा मेरी गान्ड में डाल दिया.
मुकुल राय- हां बेटी … पूरा ले लिया है तूने … ऐसे ही बेकार में डर रही थी.

परीशा- बेकार में … उउफ्फ़ … मेरी जगह आप होते तो मालूम चलता … अभी भी कितना दुख रहा है … धीरे करो पापा!
मुकुल- बेटी, अब तो चला गया है ना पूरा अंदर … बस कुछ पलों की देर है. देखना तू खुद अपनी गान्ड मेरे लौड़े पर मारेगी.
वो बेटी की पीठ चूमता बोला।

“धीरे पेलो पापा … हाय बहुत दुख रही है मेरी गान्ड …” परीशा सिसिया रही थी।
मुकुल राय का तेल वाला सुझाव वाकई में बड़ा समझदारी वाला था। तेल से लंड आराम से अंदर बाहर फिसलने लगा था। जहाँ पहले इतना ज़ोर लगाना पड़ रहा था लंड को थोड़ी सी भी गति देने के लिए अब वो उतनी ही आसानी से अंदर बाहर होने लगा था।

हालाँकि परीशा ने अपने पापा धीरे धीरे धक्के लगाने के लिए कहा था मगर पिछले आधे घंटे से किए सब्र का बाँध टूट गया और मुकुल राय ना चाहता हुआ भी अपनी कमसिन बेटी की गान्ड को कस कस कर चोदने लगा।

परीशा- हाए उउफफ्फ़ … आआह मार … डाअल्ल आआअ … ईईईईई … ओह माआआअ … हे भगवान … मेरी गान्ड … उफ फट गईईई।

बेटी चीख रही थी, चिल्ला रही थी मगर अपने पापा को रुकने के लिए नहीं कह रही थी। साफ था कि उसे इस बेदर्दी में भी मज़ा आ रहा था। वैसे भी वो रोकती तो भी मुकुल राय रुकने वाला नहीं था।
दाँत भींचे वह बेटी की गान्ड में पेलता जा रहा था और वो पेलवाती जा रही थी।

मुकुल राय- हाय … अब बोल बेटी … मज़ा आ रहा है ना गान्ड मरवाने में?
परीशा- आ रहा है पापा … हाए बहुत मज़ा आ रहा है … ऐसे ही ज़ोर लगा कर चोदते रहिए पापा … हाए मारो अपनी बेटी की कुँवारी गान्ड!

मुकुल राय- आह्ह बेटी … क्या मस्त गांड है तेरी इतनी गर्म और टाइट। मेरे लन्ड को बिलकुल जकड़ लिया है तेरी गांड ने। आज तेरी गांड को पूरी खोल दूंगा साली रंडी।
परीशा- छी पापा … कितनी गन्दी गाली देते हो अपनी बेटी को।
मुकुल- अरे बेटी, सेक्स के टाइम गाली देने से ज्यादा मज़ा आता है और उतेजना और बढ़ती है।
परीशा- ओह्हह पापा।

मुकुल राय- आअह्ह्ह बेटी तेरी गांड दुनिया की सबसे अच्छी गांड है अब तो मैं रोज अपना लौड़ा पेलूँगा। बेटी गांड में लण्ड पेलने का सबसे बड़ा फायदा क्या है तू जानती है।
परीशा- नहीं पापा, आप बताओ?

मुकुल राय- गांड हमेशा कुँवारी चूत का मज़ा देती है। गांड को छेद फिर से सिकुड़ जाता है जबकि चूत का छेद ज्यादा चुदाई या बच्चे पैदा करने से फ़ैल जाता है और कम मज़ा आता है। गांड मारने से गर्भ ठहरने का डर नहीं रहता है।

परीशा- हाँ पापा, ये बात तो है। पापा अब दर्द कम हो रहा है पूरा पेल दो अपना लंड मेरी गांड में!
मुकुल राय- ले बिटिया … ले … यह ले … मेरा लौड़ा अपनी गान्ड में!

मुकुल राय ने पूरी रफ़्तार पकड़ते हुए परीशा के चूतड़ों पर तड़ तड़ चान्टे मारने शुरू कर दिए।

परीशा- हाय … उउफ्फ़ … मारो … पापा … मारो अपनी बेटी की गान्ड … फाड़ो अपनी बेटी की गान्ड … हाय मारो फाड़ डालो। इसे … उफफ़ … हे भगवान … ले लो मेरी गान्ड … ले लो मेरे पापा।

और फिर मुकुल राय पूरी रफ़्तार से अपना लंड अंदर और अंदर पेलना शुरू करता है. वो तब तक नहीं रुकता जब तक उसका लंड परीशा की गान्ड की गहराई में पूरा नहीं उतर जाता।

परीशा की हालत बहुत खराब थी; वो दर्द से उबर नहीं पा रही थी।

करीब 5 मिनट तक वो ऐसे ही अपना लंड को परीशा के गान्ड में रहने देता है। फिर धीरे धीरे वो उसकी गान्ड को चोदना शुरू करता है। परीशा के मुंह से दर्द और सिसकारी का मिश्रण निकलने लगता है और मुकुल राय तब तक नहीं रुकता जब तक वो परीशा की गान्ड से खून नहीं निकाल देता।

करीब 20 मिनट तक ज़बरदस्त गान्ड मारने के बाद आख़िरकार परीशा का बदन भी जवाब दे देता है और वो भी चिल्लाते हुए ज़ोर ज़ोर से झड़ने लगती है। साथ में मुकुल राय भी परीशा के गांड में अपनी मलाई छोड़ देता है।

वही दोनों बाप बेटी वही बिस्तर पर एक दूसरे की बांहों में समा जाते हैं और परीशा अपने पापा को अपने सीने से चिपका लेती है। मुकुल राय भी उसके सीने पर अपना सिर रखकर लेट जाता हैं।



बाप बेटी की गांड मार लेता है, दोनों थक कर काफी देर आराम करते हैं।

कुछ देर बाद मुकुल राय को अपने लंड पर गीली गर्म जीभ का अहसास हुआ तो उसने आँखें खोल दी। उसने देखा उसकी बेटी किसी कुतिया की तरह उसके लंड को ऊपर से नीचे तक चाट रही थी। मुकुल राय का लंड फिर से अकड़ने लगा था। परीशा लंड को तेजी से चूस रही थी। अब मुकुल राय का लंड परीशा के थूक से पूरा गीला हो गया था।

जब लंड पूरा खड़ा हो गया तो मुकुल राय ने परीशा को सुला दिया और अपना लन्ड एक ही झटके में पूरा 9 इंच का लंड अपनी बेटी परीशा की चूत में पेल दिया।

परीशा- आआऐ ईईइ … इसस्स्स … ऊऊऊ इइइइइ मआआ … मर गयी … आअहह … इससस्स … आ.
पापा के मोटे लंड ने परीशा की चूत के छेद को इतना ज़्यादा चौड़ा कर दिया था, ऐसा लगता था कि चूत फट ही जाएगी.

“क्या हुआ बेटी?” मुकुल राय ने लंड थोड़ा सा और अंदर बाहर करते हुए पूछा.
परीशा- पापा, इसस्स … बहुत … बहुत मोटा लंड है आपका. आप तो मेरी चूत फाड़ डालेंगे.
मुकुल राय- हम अपनी प्यारी बिटिया की चूत कैसे फाड़ सकते हैं?
पापा ने परीशा के होंठों का रसपान करते हुए बोले।

मुकुल राय ने परीशा की दोनों टाँगें मोड़ के उसके घुटने उसकी चुचियों से चिपका दिए थे. अब तो वह बिल्कुल लाचार थी और उसकी चूत पापा के मोटे तगड़े लंड की दया पे थी। हालांकि अब तक तो उसके पापा अपने लंबे तगड़े लंड से कितनी बार परीशा को चोद चुके थे, लेकिन आज पापा का लंड झेलना भारी पड़ रहा था।

इतने में मुकुल राय ने अपना लंड थोड़ा सा परीशा की चूत के बाहर खींचा और फिर एक ज़ोर का धक्का लगा दिया। आधे से ज़्यादा लंड फिर से चूत में समा गया।
परीशा- आ आऐ ययईईईई … ऊऊऊईईईई माआआ … आहह धीरे … अया … धीरे … इससस्स.

इससे पहले कि परीशा कुछ संभलती, मुकुल राय ने फिर से अपना लंड सुपारे तक बाहर खींचा और इस बार एक और भी भयंकर धक्का मार के पूरा लंड परीशा की चूत में उतार दिया।

परीशा- आआअहह … आाययइ … मार डाला … फाड़ डालिए … आपको क्या? इससस्स … बेटी की चाहे फॅट जाए!
पापा का मोटा लंड आख़िर जड़ तक परीशा की चूत में घुस गया था और उनके मोटे मोटे बॉल्स उसकी गांड के छेद पे दस्तक दे रहे थे। परीशा का बदन पसीने में नहा गया था।

मुकुल राय थोड़ी देर बिना हिले परीशा के ऊपर पड़े रहे और परीशा की चूचियों और होंठों का रसपान करते रहे। परीशा की चूत का दर्द भी अब कम होने लगा था। अब उसे बहुत मज़ा आ रहा था।

“बेटी थोड़ा दर्द कम हुआ?” मुकुल राय परीशा की चूचियों को दबाते हुए बोले।
“हाँ पापा, अब जी भर के चोद लीजिए अपनी प्यारी बिटिया को.” परीशा उनके कान में फुसफुसाते हुए बोली।

अब मुकुल राय ने पूरा लंड बाहर निकाल के परीशा की चूत में पेलना शुरू कर दिया। सच! ज़िंदगी में चुदवाने में इतना मज़ा आएगा परीशा ने कभी सोचा नहीं था। अब परीशा को एहसास हुआ कि क्यूँ उसकी सहेलियां रोज़ चुदवाने के लिए उतावली रहती हैं।

अब परीशा की चूत बहुत गीली हो गयी थी. उसमें से फ़च … फ़च … फ़च का मादक संगीत निकल रहा था.
कुछ देर तक चोदने के बाद उन्होंने अपना लंड परीशा की चूत से बाहर खींचा और उसके मुँह में डाल दिया। पापा का पूरा लंड और बॉल्स परीशा की चूत के रस में सने हुए थे. परीशा ने पापा का लंड और बॉल्स चाट चाट कर साफ कर दिए।

अब मुकुल राय बोले- परीशा मेरी जान, अब तू कुतिया बन जा। अपने इन जानलेवा चूतड़ों के दर्शन भी तो करा दे.
“आपको मेरे चूतड़ बहुत अच्छे लगते हैं ना?” परीशा पापा के बॉल्स सहलाते हुए बोली।
मुकुल राय- हां बेटी, बहुत ही सेक्सी चूतड़ हैं तुम्हारे!”

परीशा- और मेरी गांड? मेरी गांड अच्छी लगी आपको?
मुकुल राय- तुम्हारी गांड तो बिल्कुल जानलेवा है बेटी। जब नहा के टाइट कपड़ों में घूमती हो तो ऐसा लगता है जैसे कपड़े फाड़ के बाहर निकल आएँगे। तुम्हारे मटकते हुए चूतड़ों को देख के तो हमारा लंड ना जाने कितनी बार खड़ा हो जाता है.”

परीशा- हाय पापा, इतना तंग करते हैं हमारे चूतड़ आपको? ठीक है मैं कुतिया बन जाती हूँ। अब ये चूतड़ आपके हवाले। आप जो चाहे कर लीजिए.
यह कह कर परीशा ने जल्दी से पापा के लंड के मोटे सुपारे को चूम लिया और फिर कुतिया बन गयी।
अब उसकी चूचियाँ बिस्तर पे टिकी हुई थी और चूतड़ हवा में लहरा रहे थे। परीशा चूतड़ चुदवाने की मुद्रा में उचका रखे थे।

पापा अपनी बेटी परीशा के विशाल चूतड़ों को देखकर गर्म हो गये। उन्होंने परीशा के दोनों चूतड़ों को अपने हाथ में दबोचा और अपना मुँह उनके बीच में घुसेड़ दिया।
अब परीशा कुतिया बनी हुई थी और मुकुल राय उसके पीछे कुत्ते की तरह परीशा के चूतड़ों के बीच मुँह दिए उसकी चूत चाट रहे थे।

फिर पापा ने परीशा के चूतड़ पकड़ के चौड़े किये और उसकी गांड के छेद के चारों ओर जीभ फेरने लगे. परीशा तो अब सातवें आसमान पे थी; बहुत ही मज़ा आ रहा था उसे।

इतने में मुकुल राय ने अपनी जीभ परीशा के गांड के छेद में घुसेड़ दी। परीशा ये ना सह सकी और एकदम से झड़ गयी। काफ़ी देर तक इसी मुद्रा में परीशा की चूत और गांड चाटने के बाद उन्होंने दोनों हाथों से परीशा के चूतड़ों को पकड़ा और अपने मोटे लंड का गर्म गर्म सुपारा परीशा की लार टपकाती चूत पे टिका दिया.

परीशा का दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा। तभी मुकुल राय ने एक ज़बरदस्त धक्का लगा दिया और उनका लंड चूत को चीरता हुआ पूरा अंदर समा गया।
“आऐ ययईईई… आआअहह … आह.” परीशा के मुँह से ज़ोर की चीख निकल गयी।
मुकुल- बेटी, ऐसे चिल्लाओगी तो आवाज बाहर तक जाएगी.

परीशा- आप भी तो हमें कितनी बेरहमी से चोद रहे हैं पापा.
मुकुल राय के मोटे मूसल ने परीशा की चूत को बुरी तरह से फैला के चौड़ा कर दिया था। अब मुकुल राय ने परीशा की कमर पकड़ के धक्के लगाना शुरू कर दिया। आसानी से उनका लंड परीशा की चूत में जा सके इसलिए अब उसने टाँगें बिल्कुल चौड़ी कर दी थी। मीठा मीठा दर्द हो रहा था। परीशा अपने ही बाप से कुतिया बन के चुदवा रही थी।

मुकुल राय- परीशा बेटी तुम्हारी चूत तो बहुत टाइट है.
फ़च फ़च.. फ़च… फ़च फ़च… फ़च… की आवाज़ें ज़ोर ज़ोर से आ रही थी। परीशा की चूत बुरी तरह से पानी छोड़ रही थी. वह इतनी उत्तेजित हो गयी थी की अपने चूतड़ पीछे की ओर उचका उचका के अपने पापा का लंड अपनी चूत में ले रही थी।

मुकुल राय- परीशा मेरी जान, तुम्हारी मम्मी को चोद कर भी आज तक इतना मज़ा नहीं आया था. बहुत मज़ा आ रहा है बेटी।
परीशा- मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा है पापा। इन दिनों मेरी चूत में बहुत खुजली हो रही थी। आज जाकर मेरी गर्मी शांत हुई। और चोदो पापा।

परीशा तो वासना में पागल हुई जा रही थी। शायद अपने ही बाप से चुदवाने के अहसास ने उसकी वासना को और भड़का दिया था।

मुकुल राय परीशा के चूतड़ों को पकड़ के ज़ोर ज़ोर से धक्के मारते हुए बोले- परीशा बेटी, सच इन चूतड़ों ने तो हमारा जीना ही हराम कर रखा था। आज इन्हें फाड़ने में बहुत मज़ा आया और तुम्हारा ये गुलाबी छेद!
यह कहते हुए उन्होंने एक उंगली परीशा की गदराई गांड में सरका दी।

“आआआहह… ईसस्स … ये क्या कर रहे हैं पापा?”
मुकुल राय- बेटी तुम्हारे पापा ने आज पहली बार इस छेद को प्यार किया है?
पापा अब परीशा की गांड में उंगली अंदर बाहर कर रहे थे।

“आईई ईई ई ईईईईईई …” परीशा समझ गयी थी कि अब पापा फिर से गांड मारना चाहते थे। परीशा को मालूम था कि पापा को गांड मारने का बहुत शौक है। अपने ही बाप से फिर से गांड मरवाने की बात सोच सोच कर वह बहुत उत्तेजित हो गयी थी और परीशा की चूत तो इतनी गीली थी कि रस बह कर उसकी टाँगों पे बह रहा था। आख़िर वही हुआ जिसका उसे अंदेशा था।

पापा परीशा की गांड में उंगली करते हुए बोले- परीशा बेटी, हम तुम्हारे इस गुलाबी छेद को भी प्यार करना चाहते हैं। इसमें अपना मोटा लंड डाल के पेलना चाहता हूँ।
“हाय पापा … आपको हमारे चूतड़ इतने पसंद हैं तो कर लीजिए जी भर के इस छेद से प्यार. आज के दिन मैं पूरी तरह से आपको खुश करना चाहती हूँ.”
मुकुल- शाबाश मेरी जान, ये हुई ना बात। हमें पता था कि हमारी प्यारी बिटिया हमें गांड ज़रूर देगी। अब अपने ये मोटे मोटे चूतड़ थोड़े से और ऊपर करो.

परीशा ने चूतड़ ऊपर की ओर इस तरह उचका दिए कि पापा का लंड आसानी से गांड में जा सके। पापा ने परीशा की गांड से उंगली निकाली और नीचे झुक के अपनी जीभ परीशा की गांड के छेद पे टिका दी। परीशा की तो वासना इतनी भड़क उठी थी कि अब और सहन नहीं हो रहा था।

वासना के नशे में वो धीरे धीरे परीशा की गांड चाट रहे थे और कभी कभी जीभ गांड के छेद में घुसेड़ देते। एक हाथ से वो मेरी गीली चूत सहला रहे थे।

मुकुल राय- सच बेटी, तुम्हारी गांड बहुत ही ज़्यादा स्वादिष्ट लग रही है. तुम्हारी गांड में से बहुत मादक खुशबू आ रही है.
परीशा को आज तक यह बात समझ नहीं आई थी कि लड़कों को लड़कियों की गांड चाटने में क्या मज़ा आता है।

अब पापा ने परीशा की चूत के रस में से सना हुआ लंड उसकी गांड के छेद पे टिका दिया.
हाय राम! परीशा के पापा उसकी गांड फिर से मारने जा रहे थे।
परीशा भी कुतिया बनी उस पल का इंतज़ार कर रही थी जब पापा का लंड उसकी गांड में घुसेगा।

पापा ने परीशा के चूतड़ों को पकड़ के चौड़ा किया और साथ ही एक ज़ोर का धक्का लगा दिया।

परीशा- आआई यईई … आआअहह … इसस्स स्स्स्स!
जैसे ही लंड का मोटा सुपारा परीशा की गांड में घुसा उसके मुँह से चीख निकल ही गयी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
मुकुल राय- हाय मेरी जान! क्या मस्त गांड है तुम्हारी!

पापा ने बेटी के चूतड़ पकड़ के एक ज़ोर का धक्का लगा के आधे से ज़्यादा लंड परीशा की मोटी गांड में पेल दिया।
परीशा- आआईईई आआआआ … ऊऊऊओ … ईईस्स्स.
परीशा का दर्द के मारे बुरा हाल था। उसे पक्का विश्वास था कि आज तो फिर से उसकी गांड ज़रूर फटेगी. पापा से गांड मरवाने की चाह ने उसे अँधा कर दिया था।

मुकुल राय- परीशा बेटी जितना मज़ा तुम्हारी गांड मार के आ रहा है उतना मज़ा तो तुम्हारी मम्मी की गांड मार के कभी नहीं आया.

परीशा को सबसे ज़्यादा खुशी इस बात की थी कि उसको चोदने में पापा को मम्मी से भी ज़्यादा मज़ा आ रहा था।
इस बार मुकुल राय ने पूरा लंड बाहर खींच कर एक ज़बरदस्त धक्के के साथ पूरा लंड जड़ तक परीशा की गांड में पेल दिया।
परीशा- ऊऊईई ईईईई ई…आआआ आआआ आआह आ … आअहह … मर गयी … इसस्स!

अब मुकुल राय ने ज़ोर ज़ोर से धक्के मार मार के लंड परीशा के गांड के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया था। हर धक्के के साथ उनके बॉल्स परीशा की चूत पे चिपक जाते।
पापा अब जोर जोर से परीशा की गांड मार रहे थे, साथ ही साथ चूत में भी अपनी उंगली पेलने लगे थे जिससे परीशा एक बार फिर झड़ गयी।

मुकुल राय के धक्के अब तेज़ होते जा रहे थे और शायद वो झड़ने वाले थे।

अचानक परीशा को अपनी गांड में गर्म गर्म पिचकारियाँ सी महसूस हुई। उसके पापा झड़ गये थे। परीशा की गांड लबालब उनके वीर्य से भर गयी थी।

उन्होंने जैसे ही परीशा की गांड से अपना लंड बाहर खींचा, वीर्य गांड में से निकल कर परीशा की चूत और जांघों पे बहने लगा। परीशा पीठ के बल लेट गयी और अपनी गांड से निकला हुआ पापा का लंड अपने मुँह में ले लिया।
पूरा लंड, बॉल्स और जांघें परीशा की चूत के रस और उसके पापा के वीर्य के मिश्रण में सनी हुई थी। उनके लंड से परीशा को चूत और गांड दोनों की गंध आ रही थी।

परीशा ने बड़े प्यार से अपने पापा के लंड और बॉल्स को चाट चाट के साफ किया। उसके पापा भी लम्बे समय से बेटी की चूत गांड चुदाई कर रहे थे। वो भी तक कर निढाल हो गये थे।
फिर परीशा भी अपने कपड़े पहन कर अपने रूम में सोने चली गई।

अब मुकुल राय अपनी जिंदगी के सारे मजे ले रहे थे।
सुबह जब मिशाली बैंक चली जाती तो मुकुल राय परीशा को पूरी नंगी कर देते और खुद भी नंगे हो जाते। दोनों के पास लगभग एक घंटे का समय होता। एक घंटे तक मुकुल राय अपनी बेटी को घर के हर कोने में हर जगह चोदते। कोई ऐसा जगह नहीं जहाँ मुकुल पापा ने अपनी बेटी को पेला न हो; किचन से लेकर बाथरूम आँगन से लेकर ड्राइंगरूम तक।

शाम को भी मुकुल राय साढ़े चार बजे तक आ जाते। उस टाइम तक परीशा भी आ जाती जबकि मिशाली को आते आते 6 बज जाते। शाम को भी डेढ़ घंटे बाप बेटी की चुदाई होती। परीशा भी आते ही मुकुल राय से लिपट जाती और उनके लन्ड को चूसने लगती। लंड चूसने में परीशा का कोई जबाब नहीं था।

शाम को तो दोनों साथ ही नहाते जिसमें एक राउंड जबरदस्त चुदाई होती शावर के नीचे। मुकुल राय कभी परीशा को कुतिया बनाकर उसकी गांड मारते तो कभी अपनी गोद में उठाकर उसकी गांड मारते हुए पूरा घर घूम लेते।

परीशा को मुकुल राय ने समझा दिया था कि उसको जब ज्यादा देर मजा लेना हो, वह स्कूल से छुट्टी करके अपने पापा को बता दे, फिर दोनों मजे करेंगे। लेकिन माँ मिशाली के घर में रहने पर कभी भी किसी भी समय अपने पापा के पास मजे के लिए नहीं आए।

अब मुकुल राय परीशा के साथ दिन में कभी भी कहीं भी मजे लेने लगा था क्योंकि वह जानता था कि अब परीशा को भी कोई प्रॉब्लम नहीं है। मुकुल राय अपने आप को दुनिया का सबसे किस्मत वाला समझ रहा है। उसकी बेटी परीशा जो उसका पत्नी की तरह ख्याल रखती है; वह जो कहे करने को तैयार।

उसकी बेटी परीशा जिसको रफ सेक्स भी पसंद है। मुकुल राय परीशा को अपनी सगी बेटी को अपनी प्रेमिका बना चुका है जो अपने पापा को खुश करने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहती है।

परीशा को गर्भ निरोधक दवा की भी जरूरत नहीं क्योंकि मुकुल राय हमेशा अपनी बेटी के मुँह या गांड में ही अपना वीर्य गिराते है।

उनकी बेटी परीशा एक कच्ची कली थी जिसे मुकुल राय ने रस चूसकर धीरे धीरे उसको फूल बना दिया है।
क्योंकि इसका रस उसे बहुत दिन तक चूसना है।

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