महेश ने अपने लंड को अपनी बेटी की चूत से निकलते हुए पानी से गीला किया और उसे पकड़ कर अपनी बेटी की चूत के छेद पर रख दिया।
“आह्ह्ह्ह पिता जी! डालिये ना!” ज्योति ने अपने पिता के लंड को अपनी चूत के छेद पर महसूस करके सिसकते हुए कहा।
“क्या डालूं बेटी?” महेश ने अपनी बेटी की तड़प को भांप कर उसके साथ मजे लेना शुरू कर दिया. वो जानता था कि उसकी बेटी कामुकता वश अब लंड लेने के लिए मचल रही है.
“पिता जी अपना ‘वो’ डाल दो ना!” ज्योति ने फिर से तड़पते हुए कहा।
“वो क्या बेटी? मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है?” महेश ने फिर से अपनी बेटी की चूत पर अपना लंड घिसते हुए कहा। ज्योति अपने पिता के मोटे लंड को अपनी चूत में लेने के तप रही थी और महेश उसको तड़पाने में लगा था.
“उईई आह्ह्ह्ह पिता जी … अपना लंड डाल दो ना … अपनी बेटी की चूत में!” ज्योति ने इस बार अपने चूतडों को उछाल कर ज़ोर से सिसकारी भरते हुए सारी शर्म को त्याग दिया.
“ओहहह बेटी … तुम अपने पिता के लंड से चुदना चाहती हो? तो कहो कि पिता जी अपना मोटा और लम्बा लंड मेरी चूत में घुसेड़ो और मेरी चूत को जमकर चोदो।”
“आह … पिता जी, आप क्यों मुझसे गन्दी बातें बुलवा रहे हो?” ज्योति ने फिर से मिन्नत करते हुए कहा.
“बेटी जितना तुम खुल कर गन्दी बातें करोगी तुम्हें चुदवाने में उतना ही मजा आयेगा.” महेश ने अपनी बेटी को समझाया।
“ओह्ह्हह पिता जी, डाल दो अपना मोटा मूसल लंड मेरी चूत में और खूब जमकर मेरी चूत का कचूमर बनाओ. अब बर्दाश्त नहीं होता.” ज्योति ने इस बार पूरी बेशर्मी से अपने पिता को देख कर सिसकते हुए कहा।
” लो आआह … अपने पिता के मोटे लंड को अपनी चूत में महसूस करो!” महेश ने एक ज़ोर का धक्का मार कर अपने लंड को आधे से ज्यादा अपनी बेटी की चूत में घुसा दिया।
“उईई माँ… बहुत मोटा है आपका पिताजी, आह … दर्द हो रहा है.” एक ही धक्के में अपने पिता का आधा लंड अपनी चूत में घुसते ही ज्योति ने ज़ोर से चिल्लाते हुए कहा।
“आह्ह्ह बेटी, कितनी गर्म चूत है तुम्हारी, बस थोड़ा दर्द ही होगा फिर तो मज़े ही मज़े होंगे.” महेश ने अपने लंड को बाहर खींच कर फिर से अंदर ड़ालते हुए कहा।
“उम्म्ह… अहह… हय… याह… पिता जी, ऐसे ही करते रहो … मजा आ रहा है.” ज्योति ने अपने पिता के मोटे लम्बे लंड को अपनी चूत में अंदर बाहर होता हुआ महसूस करके ज़ोर से सिसकारते हुए अपने चूतड़ों को उछालते हुए कहा।
अब ज्योति को दर्द से ज्यादा मजा आ रहा था और वो अपने चूतड़ उछाल उछालकर अपने पिता से चुदवाने लगी।
“आह्ह्ह … पिता जी बहुत टाइट और मोटा है आपका लंड. मैं झड़ने वाली हूँ. ज़ोर से चोदो, फाड़ दो मेरी चूत को!” ज्योति ने अचानक अपने पिता से ज़ोर से चिल्लाते हुए कहा।
महेश को भी इसी मौके की तलाश थी. वह अपनी बेटी को तूफ़ानी रफ़्तार से चोदते हुए उसकी चूत में ज़ोर के धक्के मारने लगा।
“ओह्ह्हह पिता जी, उईईई आह्ह मैं गई!” ज्योति का जिस्म अचानक अकड़ने लगा और वह ज़ोर से चिल्लाते हुए अपनी आँखें बंद करके झड़ने लगी।
महेश ने ज्योति को झड़ते हुए देख कर उसकी चूत में ज़ोरदार धक्के मारते हुए अपने लंड को जड़ तक उसकी चूत में घुसा दिया।
ज्योति की चूत से पानी निकल रहा था जिस वजह से उसे ज्यादा तकलीफ नहीं हुई. जब तक ज्योति झड़ती रही महेश उसकी चूत में वैसे ही धक्के मारता रहा।
पूरी तरह से झड़ने के बाद ज्योति ने अपनी आंखें खोल दीं और हांफते हुए अपने पिता के चेहरे को देख कर बोली- पिता जी, इतना मजा तो मुझे समीर के लंड से चुद कर झड़ते हुए भी नहीं मिला.
“बेटी अभी तो तुम मेरे आधे लंड से चुदी हो. अब मैं तुम्हें अपने पूरे लंड का मजा दूंगा.” महेश ने अपनी बेटी के ऊपर झुकते हुए कहा और अपनी बेटी की चूचियों को अपने हाथों से सहलाते हुए उसके होंठों को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा।
ज्योति भी अपने पिता की हरक़तों से फिर से गर्म होते हुए उसका साथ देने लगी. उसने अपनी जीभ को अपने पिता के मुँह में डाल दिया और अपनी जीभ को अपने पिता के होंठों से चुसवाते हुए अपने चूतड़ों को भी उछालने लगी.
महेश ने भी अपनी बेटी के चूतड़ों को हिलता देख कर अपने लंड को उसकी चूत में आगे पीछे करना शुरू कर दिया। वह अपने लंड को ज्योति की चूत में अंदर बाहर करते हुए उसकी जीभ को भी चूस रहा था। ज्योति का उस वक्त मज़े के मारे हवा में उड़ रही थी।
“बेटी अब बताओ, कैसा महसूस हो रहा है तुझे?” महेश ने अपनी बेटी की जीभ को अपने मुंह से निकाल कर सीधा होकर अपनी बेटी की चूत में ज़ोर के धक्के मारते हुए कहा।
“पिता जी, बहुत मजा आ रहा है. आपका लंड मुझे अपने पेट तक घुसता महसूस हो रहा है, आह्ह … मेरे प्यारे बापू … चोदो मुझे … आह्ह!” ज्योति ने अपने पिता की बात का जवाब सिसकारियां लेते हुए दिया।
“मेरी बेटी, मैं तो कब से तुझे मजा देने के लिए तैयार था मगर तुम ही नखरे कर रही थी.” महेश ने अपने लंड को पूरा बाहर खींच कर एक ज़ोरदार धक्के के साथ उसे फिर से अपनी बेटी की चूत में जड़ तक घुसाते हुए कहा।
“उईई पिता जी … आपके लंड ने तो मेरी चूत को पूरी तरह फ़ैला रखा है.” ज्योति अपने चूतड़ों को उछालते हुए अपने पिता के लंड को अपनी चूत में जड़ तक अंदर घुसवाते हुए बोली।
“हाँ बेटी मेरा लंड बहुत मोटा है और इसी वजह से तुम्हें इतना मजा आ रहा है क्योंकि लंड जितना ज्यादा लम्बा और मोटा होता है वह औरत की चूत को उतना ही ज्यादा मजा देता है.” महेश ने अब अपने लंड को पूरी तेज़ी के साथ अपनी बेटी की चूत में अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया था।
ज्योति अपने पिता के लंड को तेज़ी के साथ अपनी चूत में अंदर बाहर होता हुआ महसूस करके आनंद में डूबी जा रही थी। उसकी आंखें मजे के मारे बंद होने लगी थीं. महेश अपने लंड को इतनी तेज़ी के साथ अपनी बेटी की चूत में अंदर बाहर कर रहा था कि उसके धक्कों के साथ पूरा कमरा फच-फच की आवाज़ से गूँज रहा था।
“आह्ह पिता जी, मैं झड़ने वाली हूं!” अचानक एक बार फिर ज्योति की आंखें खुलीं और उसका पूरा जिस्म अकड़ने लगा और वह ज़ोर से चीखते हुए बोली।
“ओह्हह्ह बेटी, बस मैं भी आने वाला हूं!” महेश अपनी बेटी की बात सुनकर ज़ोर से सिसकारियां भरते हुए कहने लगा और वह अपनी बेटी की दोनों टांगों को अपने हाथों से पकड़ कर उसकी चूत में बहुत ज़ोर के धक्के मारने लगा।
“उईई आह्ह्ह … पिता जी ओह्ह्ह्ह …” ज्योति का पूरा जिस्म अचानक कांपने लगा और वह तेजी से आनंद लेते हुए सिसकारियों के साथ अपनी आंखों को बंद करके झड़ने लगी.
“बेटी मैं भी आया … आह्ह … ओहह् …” महेश भी अपनी बेटी के झड़ने की वजह से उसकी चूत के सिकुड़ने से अपने आप को रोक न सका और वह अपने लंड को अपनी बेटी की चूत में जड़ तक घुसाकर झड़ने लगा।
ज्योति अपने पिता के गर्म वीर्य को अपनी चूत की गहराइयों में महसूस करते हुए अपने पिता से लिपट गयी और मज़े से सिसकारियां लेते हुए अपने पिता के गर्म वीर्य को अपनी चूत में पिचकारियां मारते हुए उस अहसास का मजा लेने लगी.
महेश पूरी तरह से झड़ने के बाद अपनी बेटी के ऊपर ही ढ़ेर हो गया। उसका लंड अभी तक ज्योति की चूत में ही पड़ा हुआ था जो अब ढीला पड़ चुका था।
“बेटी देखा तुमने … तुम्हें मुझसे से चुदवाते हुए कितना मजा आया .. अब हर रोज़ मैं तुम्हें ऐसे ही मजा दूंगा.” ज्योति ने जैसे ही कुछ देर तक हाँफने के बाद अपनी आँखें खोलीं महेश ने उसे देखते हुए कहा।
ज्योति ने भी प्यार से अपने पिता को एक चुम्बन दिया और अपने ऊपर से उनको हटाने लगी।
महेश अपनी बेटी के ऊपर से हट गया। उसका ढीला लंड जैसे ही ज्योति की चूत से निकला ढ़ेर सारा वीर्य ज्योति की चूत से नीचे गिरने लगा, अपने पिता के मोटे और लम्बे लंड से चुदवाने की वजह से ज्योति की चूत का छेद उस वक्त पूरी तरह से खुला हुआ था और ज्योति की पूरी चूत सूजकर लाल हो गई थी।
ज्योति बेड से उठ कर बाथरूम में चली गयी और थोड़ी देर के बाद वह जैसे ही वापस आई महेश ने उसे फिर से अपनी बांहों में दबोच लिया।
“पिता जी छोड़िये न अब!” ज्योति अपने पिता की चुदाई से थक चुकी थी और वह अब उसको दूर रहने के लिए कह रही थी.
“क्या करूं बेटी … तुम्हारे जिस्म को देखकर यह कम्बख्त फिर से खड़ा हो गया है.” महेश ने ज्योति का हाथ अपने लंड पर रखते हुए कहा जो फिर कामुकता से खड़ा होने लगा था।
“नहीं पिता जी, मैं दूसरी बार यह मूसल नहीं झेल पाऊँगी!” ज्योति ने अपने हाथ को महेश के लंड से हटाते हुए कहा।
“क्यों बेटी क्या हुआ?” महेश ने हैरान होते हुए कहा।
“पिता जी एक बार में ही आपके इस मूसल ने मेरी चूत की हालत ख़राब कर दी है इसलिए कह रही हूं.” ज्योति ने झिझकते हुए कहा।
“अरे बेटी क्या कह रही हो? ज़रा दिखाओ अपनी चूत?” महेश ने अपनी बेटी की टांगों को फ़ैलाते हुए उसकी चूत को देखते हुए पूछा।
“अरे नहीं पिता जी, छोड़िये ना!” ज्योति ने अपनी टांगों को सिकोड़ते हुए अपने पिता को पीछे कर दिया।
“बेटी ज़िद छोड़ो, ज़रा देखने दो कहीं ज़ख़्म तो नहीं हो गया है?” महेश ने अपनी बेटी की टांगों को फिर से फ़ैलाते हुए उसे अपने पास कर लिया। इस बार ज्योति ने भी अपनी टांगों को फिर से नहीं सिकोड़ा और महेश अपनी बेटी की फूली हुई चूत को गौर से देखते हुए उसे अपने हाथों से सहलाने लगा।
“बेटी तुम्हारी चूत की हालत तो सच में ख़राब हो चुकी है. लगता है मुझे ही कुछ करना होगा.” कहते हुए महेश ने अपने मुंह को अपनी बेटी की चूत की तरफ ले जाना शुरू कर दिया था।
“आहहह कितनी अच्छी गंध आ रही है.” महेश ने अपनी नाक को ठीक अपनी बेटी की चूत के क़रीब करते हुए कहा।
“आहहह पिता जी, आप यह क्या कर रहे हैं …” ज्योति भी अपने पिता के मुंह से निकलती हुई गर्म साँसों को अपनी चूत पर महसूस करके आराम सा पाने लगी।
“कुछ नहीं बेटी, मैं तुम्हारी चूत को अपनी जीभ से चाट कर साफ़ कर देता हूँ ताकि अगर कोई ज़ख़्म वगैरह हो तो वह ज्यादा न बढ़े.” महेश ने यह कहते हुए अपनी जीभ को निकाल कर अपनी बेटी की चूत पर रख दिया और उसे अपनी बेटी की पूरी चूत पर फिराने लगा।
ज्योति भी अपने पिता की जीभ अपनी चूत पर लगते ही फिर से गर्म होना शुरू हो गई और वह अपने हाथों से महेश के बालों को पकड़ कर अपनी चूत पर दबाने लगी। महेश ने कुछ देर तक वैसे ही अपनी बेटी की चूत को चाटने के बाद उसे कुतिया की तरह कर दिया और खुद उसके पीछे आकर फिर से उसकी चूत को चाटने लगा।
महेश अब अपनी बेटी की चूत को चाटते हुए अपनी जीभ को उसकी गांड के छेद तक ले जाकर चाट रहा था। जिस वजह से ज्योति के मुंह से कामुक सिसकारियाँ निकल रही थीं।
महेश ने कुछ देर तक ऐसा करने के बाद अपने लंड को फिर से अपनी बेटी की चूत में घुसा दिया और उसे चूतड़ों से पकड़ कर ज़ोर के धक्के मारने लगा, ज्योति भी पीछे से अपनी चूत में इतना बड़ा लंड घुसने से ज़ोर से चिल्ला उठी. मगर महेश बिना रुके उसे चोदता रहा।
कुछ ही समय बाद ज्योति का दर्द ख़त्म हो गया और वह भी मज़े से अपने चूतड़ों को पीछे की तरफ धकेलते हुए अपने पिता के लंड को अपनी चूत की गहराइयों में महसूस करने लगी।
ज्योति और उसके पिता के बीच का यह खेल 30 मिनट तक चला जिसमें ज्योति फिर से दो दफ़ा झड़ी। अब ज्योति की हालत वाकई में ही काफी ख़राब हो चुकी थी। वह ठीक तरीके से चल भी नहीं पा रही थी और उसकी चूत तो सूज कर डबल रोटी की तरह मोटी हो चुकी थी।
महेश वहां से निकल कर चला गया और ज्योति अपने पिता के जाने के बाद दरवाज़ा अंदर से बंद करके अपनी चूत को देखने लगी.
अपनी चूत को देखते ही ज्योति के मुंह से हंसी निकल गयी क्योंकि उसकी चूत उस वक्त सूजकर बिल्कुल लाल हो चुकी थी और उसकी चूत का छेद बिल्कुल खुला का खुला रह गया था। महेश का मोटा और तगड़ा लंड लेने के बाद ज्योति की चूत को अलग ही आनंद का अनुभव हो रहा था क्योंकि अभी तक तो उसने अपने भाई के लंड को ही अपनी चूत में लिया था.
मगर बाप का लंड भाई के लंड से कहीं ज्यादा दमदार और शक्तिशाली साबित हुआ. 8 सालों की उसकी चूत की प्यास उसके बाप और भाई ने ऐसी बुझाई कि वो मन ही मन फूली नहीं समा रही थी.
कुछ देर तक वह अपनी सूजी हुई चूत को देखती रही और उसके आकार परिवर्तन के बारे में विचार करती रही. उसके बाद वो उठ कर बाथरूम में घुस गयी और फ्रेश होकर वापस बेड पर आकर लेट गई।
अगले दिन हवस से भरा बाप फिर से बेटी के कमरे में घुस गया.
अगले दिन जब समीर ऑफिस चला गया और नीलम सोने चली गई तो महेश धीरे से अपनी बेटी ज्योति के बेडरूम में घुस गया।
वहाँ ज्योति अभी-अभी बाथरूम से नहा कर निकली थी और सिर्फ पेंटी और ब्रा में ही थी. वो भले ही अपनी उम्र के दूसरे पड़ाव को पार करने के करीब थी लेकिन उसका बदन अभी भी कसा हुआ था. एक तो उसके औलाद नहीं थी और पति की मौत भी शादी के दो साल बाद ही हो गई थी. इसलिए उसकी जवानी ज्यों की त्यों बरकरार थी. वो आज भी बहुत सेक्सी दिख रही थी।
महेश ने अपनी बेटी को अपनी बांहों में भर लिया और अपनी बेटी के रसीले होंठों को चूसना शुरू कर दिया।
फिर महेश अपनी बेटी की पेंटी को सूंघने लगा।
“पिताजी, आपको किसकी गंध ज़्यादा अच्छी लगी, मेरी पेंटी की या चूत की?” ज्योति बोली।
“अरे बेटी, दोनों ही बहुत मादक हैं.” कहकर महेश ने अपनी बेटी की पेंटी को नीचे करके निकाल दिया और बेड पर बिठाकर अपनी बेटी ज्योति की गीली चूत को चाटने लगा.
“हाय पिताजी, अब तो ये चूत और पेंटी दोनों आपकी हैं, जब मन करे ले लीजिए.”
काफ़ी देर चूत चाटने के बाद महेश उठ गया और अपने लंड का सुपारा अपनी बेटी ज्योति के होंठों पर टिका दिया. ज्योति ने जीभ निकाल कर उसको को चाटा और फिर पूरा मुँह खोल कर उस मोटे मूसल को मुंह में लेने की कोशिश करने लगी. बड़ी मुश्किल से उसने महेश का लंड मुंह में लिया.
अपने बाप का लंड चूसते हुए ज्योति जैसे खुद को धन्य महसूस कर रही थी. महेश अपनी बेटी के मुँह को पकड़ कर उसके मुँह को चोदने लगे. उसके मोटे मोटे बॉल्स नीचे पेंडुलम की तरह झूल रहे थे.
फिर महेश ने ज्योति के मुँह से लंड निकाला और उसके होंठों को चूमते हुए कहा- ज्योति मेरी जान, अब अपनी प्यारी चूत को चोदने दो.
ज्योति ने चुदवाने की मुद्रा में अपनी टाँगें चौड़ी करके मोड़ ली. अब ज्योति की चूत उसके बाप के सामने थी- लीजिए पिताजी, अब मेरी चूत आपके हवाले है.
महेश ने अपना लंड हाथ में पकड़ा और उसका मोटा सुपारा ज्योति की चूत के मुँह पर टिका दिया. ज्योति का दिल ज़ोर ज़ोर से धक-धक करने लगा. ज्योति ने पहले भी अपने बाप का लंड अपनी चूत में लिया था लेकिन उसके बाप के लंड से उसको अभी भी भय लगता था क्योंकि उसका लंड था ही इतना मोटा.
आख़िर वो घड़ी भी आ गयी थी जब पापा का लंड फिर से उसकी चूत में जाने वाला था.
महेश ने लंड के सुपारे को ज्योति की चूत के कटाव पर थोड़ी देर रखा और फिर धीरे से उसकी चूत में दाखिल कर दिया.
“हाँ पिताजी, अब जी भर कर चोद लीजिए अपनी प्यारी बिटिया को.”
अब महेश ने पूरा लंड बाहर निकाल कर ज्योति की चूत में पेलना शुरू कर दिया. सच! ज़िंदगी में किसी मर्द से चुदवाने में ज्योति को इतना मज़ा कभी नहीं आया था. अब ज्योति को अहसास हुआ कि क्यूँ वह रोज़ चुदवाने के लिए उतावली रहती है.
उसकी चूत बहुत गीली हो गयी थी उसमें से फ़च-फ़च-फ़च का मादक संगीत निकल रहा था.
कुछ देर तक चोदने के बाद उसके पिताजी ने अपना लंड ज्योति की चूत से बाहर खींचा और उसके मुँह में डाल दिया. महेश का पूरा लंड और बॉल्स ज्योति की चूत के रस में सने हुए थे. ज्योति ने अपने बाप का लंड और गोटियां चाट चाट कर साफ कर दीं.
“ज्योति बेटी, अब ज़रा कुतिया बन जाओ. अपनी इस मतवाली गांड के दर्शन भी तो करा दो.”
“आपको अपनी बहू के नितम्ब बहुत अच्छे लगते हैं ना?” ज्योति ने पापा के बॉल्स को अपने हाथ से सहलाते हुए पूछा।
“हां बेटी, बहुत ही सेक्सी नितम्ब हैं नीलम के.” महेश ने अपनी बहू की गांड की तारीफ करते हुए जवाब दिया.
“और मेरे? मेरे नितम्ब नहीं अच्छे लगे आपको?” ज्योति बोली।
“तुम्हारे नितम्ब तो बिल्कुल जानलेवा हैं बेटी. तुम जब नहा कर टाइट पेटिकोट में घूमती हो तो ऐसा लगता है जैसे पेटिकोट फाड़ कर बाहर निकल आएँगे. तुम्हारे मटकते हुए चूतड़ देख कर तो मेरा लंड न जाने कितनी बार खड़ा हो जाता है.”
“हाय पापा, इतना तंग करते हैं मेरे नितम्ब आपको? ठीक है मैं कुतिया बन जाती हूँ. अब ये नितम्ब आपके हवाले. आप जो चाहे कर लीजिए.” इतना कह कर ज्योति ने जल्दी से अपने बाप के लंड को चूम लिया और फिर कुतिया बन गयी.
अब ज्योति की बड़ी बड़ी चूचियाँ बिस्तर पर टिकी हुई थीं और चूतड़ हवा में लहरा रहे थे.
ज्योति ने चूतड़ चुदवाने की मुद्रा में उचका रखे थे. महेश अपनी बेटी के विशाल चूतड़ों को देख कर दंग रह गया. ऐसे चूतड़ तो नंगी फिल्मों में काम करने वाली रंडियों के भी शायद न हों. उसने ज्योति के दोनों चूतड़ों को अपने हाथ में दबोचा और अपना मुँह उनके बीच में घुसेड़ दिया.
अब ज्योति कुतिया बनी हुई थी और सगा बाप पीछे कुत्ते की तरह अपनी बेटी के चूतड़ों के बीच मुँह दिए हुए उसकी चूत चाट रहा था. फिर महेश ने ज्योति के चूतड़ों को पकड़ कर चौड़ा किया और अपनी बेटी की गांड के छेद के चारों ओर जीभ फेरने लगा.
ज्योति तो अब सातवें आसमान पर थी. बहुत ही मज़ा आ रहा था उसे. महेश ने अपनी जीभ ज्योति के गांड के छेद में घुसेड़ दी. ज्योति ये ना सह सकी और एकदम से झड़ गयी.
काफ़ी देर तक इसी मुद्रा में महेश ने अपनी बेटी की चूत और गांड से सारा पानी चाटने के बाद अपने दोनों हाथों से ज्योति के चूतड़ों को पकड़ा और अपने मोटे लंड का गर्म गर्म सुपार अपनी बेटी की लार टपकाती चूत पर टिका दिया.
ज्योति का दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा. तभी महेश ने एक ज़बरदस्त धक्का लगा दिया और उसका लंड ज्योति चूत को चीरता हुआ पूरा अंदर समा गया.
“उम्म्ह… अहह… हय… याह…” ज्योति के मुँह से ज़ोर की चीख निकल गयी.
“बेटी ऐसे चिल्लाओगी तो नीलम जाग जाएगी.” महेश ने ज्योति को सावधान किया.
“आप भी तो मुझे कितनी बेरहमी से चोद रहे हैं पिताजी.” ज्योति ने कराहते हुए कहा क्योंकि महेश के मोटे मूसल ने ज्योति की चूत को बुरी तरह से फैला कर चौड़ा कर दिया था.
ज्योति को डर था कि कहीं मेरी चूत सचमुच ही ना फट जाए.
अब महेश ने ज्योति की कमर पकड़ कर धक्के लगाना शुरू कर दिया. अब आसानी से लंड ज्योति की चूत में जा सके इसलिए अब ज्योति ने टाँगें बिल्कुल चौड़ी कर दी थीं. मीठा मीठा दर्द हो रहा था उसे. अब ज्योति अपने ही बाप से कुतिया बन कर चुदवा रही थी.
“ज्योति बेटी तुम्हारी चूत तो बहुत गर्म है. आह्ह् … आह्ह!” महेश के मुंह से निकलती सिसकारी के बीच ही उसने कहा. ज्योति की चूत बुरी तरह से पानी छोड़ रही थी. अब ज्योति इतनी उत्तेजित हो गयी थी कि अपने चूतड़ पीछे की ओर उचका उचका कर अपने बाप का लंड अपनी चूत में ले रही थी.
ज्योति तो वासना में पागल हुई जा रही थी. शायद अपने ही बाप से चुदवाने के अहसास ने उसकी वासना को और भड़का दिया था. महेश ने अपनी बेटी ज्योति के चूतडों को पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से धक्के मारते हुए कहा- ज्योति बेटी. सच में, इन चूतड़ों ने तो मेरा जीना ही हराम कर रखा था और तुम्हारा ये गुलाबी छेद!”
यह कहते हुए उसने एक उंगली ज्योति की गांड में सरका दी.
“आआआह … ईस्स … ये क्या कर रहे हैं पिताजी?”
“बेटी कभी किसी ने इस छेद को प्यार किया है?” महेश ने ज्योति की गांड में उंगली अंदर बाहर करते हुए पूछा।
“आआ … जी किसी ने कभी नहीं किया.” ज्योति ने उचकते हुए जवाब दिया.
ज्योति अब समझ गयी थी कि अब उसके पिताजी उसकी गांड भी मारना चाहते हैं. ज्योति को नहीं मालूम था कि पापा को गांड मारने का भी शौक है. अपने ही बाप से गांड मरवाने की बात सोच सोच कर ज्योति बहुत उत्तेजित हो गयी थी और उसकी चूत तो इतनी गीली थी कि रस बह कर उसकी टाँगों पर बह रहा था.
आख़िर वही हुआ जिसका उसे अंदेशा था.
“क्या मैं तुम्हारी गांड के इस गुलाबी छेद को प्यार कर सकता हूं बेटी?” महेश ने हवस भरी आवाज में पूछा.
“हां पिता जी. आपको जो मन करे वो कर लीजिये.” ज्योति ने भी अपने पिता के मूसल लंड की चुनौती को स्वीकार करते हुए कहा.
“शाबाश मेरी जान, ये हुई न बात. मुझे पता था कि मेरी प्यारी बिटिया मुझे गांड ज़रूर देगी. अब अपने ये लाजवाब चूतड़ थोड़े से और ऊपर करो!” ज्योति ने अपने चूतड़ ऊपर की ओर इस तरह उचका दिए कि उसके बाप का लंड आसानी से उसकी गांड में जा सके.
महेश ने ज्योति की गांड से उंगली निकाली और नीचे झुक कर अपनी जीभ उसकी गांड के छेद पर टिका दी. ज्योति तो वासना से इतनी भड़क उठी थी कि अब और सहन नहीं हो रहा था. वासना के नशे में उसका बाप धीरे-धीरे गांड चाट रहा था और कभी कभी जीभ गांड के छेद में घुसेड़ दे रहा था.
“सच बेटी, तुम्हारी गांड बहुत ही ज़्यादा स्वादिष्ट लग रही है. तुम्हारी गांड में से बहुत मादक खुशबू आ रही है.” ज्योति को आज तक ये बात समझ नहीं आई थी कि मर्द लोगों को औरत की गांड चाटने में क्या मज़ा आता है.
अब महेश ने ज्योति की चूत के रस में से सना हुआ लंड अपनी बेटी की कुँवारी गांड के छेद पर टिका दिया.
ज्योति भी कुतिया बनी उस पल का इंतज़ार कर रही थी जब उसके बाप का लंड उसकी कुँवारी गांड में प्रवेश करेगा.
महेश ने अपनी बेटी के चूतड़ों को पकड़ कर चौड़ा किया और साथ ही एक ज़ोर का धक्का लगा दिया.
“आआई! … अहह् इस्स …” जैसे ही लंड का मोटा सुपारा ज्योति की कुँवारी गांड में घुसा उसके मुँह से चीख निकल गयी.
“हाय मेरी बच्ची! क्या मस्त गांड है तुम्हारी!” महेश ने ज्योति के चूतड़ पकड़ कर एक ज़ोर का धक्का लगा कर आधे से ज़्यादा लंड उसकी कुँवारी गांड में उतार दिया था.
ज्योति का दर्द के मारे बुरा हाल था. उसे पक्का विश्वास था कि आज तो उसकी गांड ज़रूर फटेगी, लेकिन अपने बाप से गांड मरवाने की चाह में उसे दर्द का अंदाजा नहीं हो पाया. अब जब उसके बाप का हथौड़े जैसा लंड उसकी कुंवारी गांड में घुसा तो उसे मालूम हुआ कि गांड की चुदाई करवाना बच्चों का खेल नहीं है.
“बेटी, जितना मज़ा तुम्हारी गांड मारते हुए आ रहा है उतना मज़ा तो तुम्हारी मां की गांड मार कर भी कभी नहीं आया.”
ज्योति को सबसे ज़्यादा खुशी इस बात की थी कि उसको चोदने में उसके बाप को उसकी मम्मी से भी ज़्यादा मज़ा आ रहा था.
इस बार महेश ने पूरा लंड बाहर खींच कर एक ज़बरदस्त धक्के के साथ पूरा लंड जड़ तक ज्योति की गांड में पेल दिया और ज्योति दर्द से फिर चीख पड़ी.
लेकिन महेश अब रुकने वाला नहीं था. बहुत दिनों के बाद उसको ऐसी कुंवारी गांड मिली थी. अब महेश ने ज़ोर ज़ोर से धक्के मार मार कर लंड ज्योति की गांड के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया.
दो मिनट के अंतराल पर ज्योति को भी गांड चुदाई का मजा आने लगा. अपने बाप के लंड को गांड में लेकर वो एक अलग ही आनंद में डूब गयी. कुछ देर के अंदर ही ज्योति फिर से झड़ गई.
महेश के धक्के अब तेज़ होते जा रहे थे और शायद महेश भी झड़ने वाला था.
अचानक ज्योति को अपनी गांड में गर्म गर्म पिचकारियाँ सी महसूस हुई. उसके पिताजी उसकी गांड में झड़ गये थे. उसकी गांड लबालब उसके बाप के वीर्य से भर गयी थी.
उसके बाप ने जैसे ही बेटी की गांड से अपना लंड बाहर खींचा, वीर्य गांड में से निकल कर ज्योति की चूत और जांघों पर बहने लगा. ज्योति पीठ के बल लेट गयी और अपनी गांड से निकला हुआ अपने पापा का लंड अपने मुँह में ले लिया.
किसी मर्द का लंड चूसने में आज तक इतना मज़ा नहीं आया था उसे जितना अपनी गांड की गंध से सना अपने बाप का लंड चूसने में आ रहा था. उसके बाप के लंड से ज्योति की चूत और गांड दोनों की गंध आ रही थी. ज्योति ने बड़े प्यार से महेश के लंड और बॉल्स को चाट चाट कर साफ किया.
महेश भी काफी समय से ज्योति की चूत गांड और मुंह को चोद रहा था. वो भी थक कर निढाल हो गया था.
इतने में कुछ देर बाद ज्योति को ख़र्राटों की आवाज़ सुनाई दी. उसके पिताजी थकावट के कारण सो गये थे. ज्योति ने जी भर कर अपने बाप के लंड को सहलाया, चूमा और चाटा. थोड़ी देर वो बिस्तर पर पड़े हुए ही अपने पिताजी के लंड और उसकी गोटियों को सहलाती रही.
ज्योति अब धीरे से बिस्तर से उठी. उसकी गांड में से पापा का वीर्य निकल कर बह रहा था. ज्योति जल्दी से बाथरूम में गयी और अपनी चूत और गांड को साफ किया. गांड को साफ करते हुए उसने देखा कि उसकी गांड कई जगह से फट गई है. उसकी गांड में जलन सी हो रही थी लेकिन उसके अंदर एक अलग ही तरह का उन्माद भी भरा हुआ था. गांड चुदवाने में उसे काफी मजा भी आया और मोटे लंड वाले मर्द से चुदाई का एक नया अनुभव भी मिल गया.
भाई बहन और ससुर बहू की चुदाई अब बाप बेटी की गांड चुदाई स्टोरी का रूप ले चुकी थी. लेकिन परिवर्तन तो प्रकृति का नियम है. महेश ने अपनी बहू को चोदा और फिर अपनी बेटी की चूत और गांड भी चोद डाली. लेकिन उसका मन अभी भी अपनी नीलम बहू की चूत पर अटका हुआ था.
उस दिन समीर ऑफिस में था और ज्योति बैंक के किसी काम से बाहर गई हुई थी. उसको कुछ शॉपिंग भी करनी थी. महेश की पत्नी अभी तक घर नहीं लौटी थी तो घर में ससुर और बहू ही थे.
नीलम रसोई में खाना पका रही थी. पिछले कुछ दिनों से उसने अपने ससुर को अपनी चूत से महरूम रखा हुआ था. इसलिए महेश का लंड और दिल दोनों ही बेताब थे.
ज्योति को गए हुए आधा घंटा बीत चुका था। महेश अपने कमरे में टीवी देख रहा था. नीलम को टीवी की आवाज़ सुनाई दे रही थी। नीलम ने सब्जी को तड़का लगा कर जैसे ही आटा गूंथना शुरू किया, उसके ससुर ने आकर उसे पीछे से जकड़ लिया.
वो सेल्फ पर झुकी हुई आटा गूँथ रही थी इसलिए खुद को महेश की पकड़ से छुड़ा भी न पाई. महेश ने उसके मम्मों को दबाना और मसलना शुरू कर दिया।
नीलम- क्या कर रहे हैं पिताजी? छोड़िए न … आटा गूँथने दो न!
महेश- तुम आटा गूंथो और मैं तुम्हारे ये मोटे-मोट मम्में! महेश ने अपनी बहू की बड़ी बड़ी चूचियों को मसलते हुए कहा।
वो अपनी बहू की चूचियों को बुरी तरह मसल रहा था, रौंद रहा था और इसके साथ ही वो उसकी गर्दन चेहरे को चूमता जा रहा था. नीलम की सिसकारियाँ निकल रही थीं, वो आटा बनाते हुए ‘आह … ओह … माँ … ओह पिताजी … आह …’ कहकर पागल सी होती जा रही थी।
महेश ने अपना एक हाथ नीलम की मैक्सी के अंदर डाल लिया। नीलम ने उसका हाथ बाहर निकालने की कोशिश की तो महेश ने उसका स्तन बेहद बेरहमी से मसल दिया ‘आइ … आ … आ … मर गई!; नीलम चीत्कार कर उठी।
महेश- बहू, तुम्हारा आटा बन गया, अब चपातियाँ बनाओ, बाकी सब मुझ पर छोड़ दो। बड़ी प्यारी चूत है तुम्हारी … देखो कैसे फड़फड़ा रहा है तुम्हारी चूत का दाना … यह मुझे कह रहा है कि इसे लौड़ा चाहिए … बहू कस कर शेल्फ पकड़ लो!
नीलम- पिताजी प्लीज … नहीं!
वो महेश को हटाने की एक आखिरी कोशिश कर रही थी, उसने न चाहते हुए भी शेल्फ को दोनों हाथों से पकड़ लिया। झुकने के कारण उसकी चूत ऊपर की तरफ हो गयी। वह अब घोड़ी बन चुकी थी।
महेश ने नीलम को कमर से पकड़ लिया और लन्ड को चूत पर सेट करके ज़ोर से धक्का लगाया।
“आ … आ … माँ मर गयी मैं … ” नीलम को लगा जैसे लोहे का मोटा डंडा उसकी चूत में डाल दिया गया हो।
महेश ने नीचे की तरफ देखा तो लन्ड लगभग आधा अंदर जा चुका था। महेश ने अंदाज़ा लगाया पर यह समय रहम खाने का नहीं था, उसने पांच छह शॉट एक के बाद एक पेल दिए जैसे कि कोई ऐक्शन रीप्ले कर रहा हो. नीलम की दर्दनाक चीखों से सारा घर गूंज उठा, उसकी टाँगें काँपने लगी.
अगर महेश अपनी पूरी ताकत लगा कर उसे शेल्फ पर न झुकाता तो यकीनन वो गिर पड़ती। महेश ने अपनी पूरी ताकत से नीलम को शेल्फ पर दोहरा किया हुआ था. उसने अपने दोनों हाथों से नीलम के चेहरे को शेल्फ पर दबा रखा था।
नीलम के स्तन शेल्फ से लग कर पिचक रहे थे. उसकी साँस रुक रही थी लेकिन बेरहम ससुर को उसकी कोई चिंता नहीं थी. उसने अपनी बहू को इसी पोजीशन में दबाए रखा और पीछे से धक्कों की रेल चला दी। नीलम पसीने से तरबतर हो गयी। उसकी कमसिन जवानी को उसके मोटे तगड़े ससुर ने मसल कर रख दिया था। उसके कानों में धक्कों की फच-फच … पट-पट … फच-फच की आवाज़ गूँज रही थी।
तभी महेश की नजर कोने में रखे मक्खन पर चली गयी. मक्खन देख कर महेश के दिमाग में नीलम की मस्त गांड मारने का ख्याल आया। वह धीरे से मक्खन का डिब्बा अपनी तरफ खींच कर और मक्खन निकाल कर नीलम की टाइट गांड के गोरे छेद पर मक्खन लगाने लगा. फिर धीरे धीरे मक्खन नीलम की गांड के अंदर डालने लगा। साथ साथ नीलम की चूत की चुदाई भी जारी थी. जिससे नीलम पूरी तरह से गर्म हो रही थी और उसका ध्यान इस तरफ नहीं गया कि उसकी गांड के साथ क्या किया जा रहा था.
इधर महेश ने धीरे धीरे नीलम की गांड में ढेर सारा मक्खन डाल दिया। नीलम की गांड अब मक्खन से पूरी तरह भर गई. तब महेश ने अपना लंड नीलम की चूत से निकाल कर उसकी गांड के छोटे से छेद पर रख कर एक ही झटके में आधा लंड उसकी गांड में पेल दिया.
नीलम दर्द से चीखने लगी. महेश को तो अपने मजे से मतलब था. उसने नीलम को कस कर पकड़ा और चार पांच धक्कों के साथ पूरा 9 इंच का लंड नीलम की गांड में उतार दिया. नीलम ने अपनी गांड को महेश के लंड के चंगुल से छुड़ाने की बहुत कोशिश की लेकिन महेश की ताकत के सामने वो कुछ नहीं कर पा रही थी. आखिरकार वह अपनी गांड मरवाने लगी.
महेश- आह्ह्ह् साली रंडी. तेरी गांड कितनी मस्त है। बिल्कुल किसी कुतिया की तरह गरम गांड है तेरी साली रंडी।
5 मिनट की गांड चुदाई के बाद नीलम को भी मजा आने लगा और वो भी मस्ती में सिसकारियां लेने लगी- उम्म्ह… अहह… हय… याह…
उसके बाद दस मिनट तक नीलम की गांड को चोदने के बाद महेश लंड को एकदम से निकाल कर उसकी चूत में डाल दिया.
काफी देर तक अपने ससुर से अपनी चूत चुदवाने के बाद उसने एक लंबी आह भरी और उसी के साथ उसका बदन अकड़ा और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया।
महेश ने उसे अपनी पकड़ से आज़ाद कर दिया लेकिन नीलम निढाल होकर शेल्फ पर ही पड़ी रही … उसे परमानन्द का अनुभव हो रहा था. उसके ससुर का घोड़ा लन्ड अभी भी उसकी चूत में था लेकिन अब वो लंड नीलम को अपने ही बदन का हिस्सा लग रहा था. लन्ड की गर्मी उसे अच्छी लग रही थी।
महेश- बहू, आज तूने कमाल कर दिया!
नीलम- पिताजी, आपने तो पीस कर रख दिया है मुझे, मैंने क्या कमाल किया है, कमाल का तो आपका यह शैतानी लन्ड है।
महेश- सच बताना बहू, तुझे पौने घंटे की इस चुदाई में कितना मजा आया?
नीलम- पौना घंटा?? इतना टाइम हो गया! मुझे तो लगा कि कुछ ही मिनट हुए हैं … हटो पिताजी, अब निकालो अपने लन्ड को। मुझे रोटियां बनानी हैं।
महेश- लन्ड निकालने की क्या ज़रूरत है, तू रोटियां बना … मैं हल्के हल्के धक्के लगाता रहूंगा बेटी।
नीलम- पूरे चोदू हो आप … इतनी बुरी गत बना दी है मेरी फिर भी चैन नहीं है आपको!
महेश- मुझे तो चैन ही चैन है मगर अपने इस लन्ड का क्या करूँ?
नीलम- भागे थोड़े न जा रही हूँ, जल्दी-2 रोटियां बनाने दीजिये, कोई आ गया तो दिक्कत हो जाएगी।
महेश- ठीक है बेटी, धक्के नहीं लगाऊंगा पर लन्ड अंदर ही रहने दे। बड़ा सुख मिल रहा है।
नीलम अपने ससुर के लंड को चूत में लिये हुए ही रोटियाँ बनाने लगी और महेश उसके मम्मों से खेलता रहा. बीच-2 में वो उसको दो चार झटके भी दे देता था।
“आह … आह … क्या कर रहे हो पिताजी? रोटी जल जाएगी.”
“अच्छा रोटी जलने की चिंता है तुझे साली और जो तेरी इस कसी हुई चूत में मेरा लन्ड जल रहा है उसका क्या?” महेश ने उसकी गांड पर हल्के हाथों से मारते हुए कहा।
नीलम- पिताजी निकालो न अपना लंड, देखो देर हो रही है … कोई आ जायेगा।
महेश ने टाइम देखा तो बारह बज चुके थे. उसने अपना लन्ड नीलम की चूत से बाहर निकाल लिया।
महेश- अब पड़ गयी तुझे ठंडक? ले बना ले रोटियां … मैं अपने कमरे में जा रहा हूँ।
महेश के चले जाने के बाद सबसे पहले नीलम ने अपनी मैक्सी ऊपर करके अपनी चूत चेक की. उसमें जमा हुआ वीर्य और सूज गयी चूत देख कर बेचारी डर गई ‘हाय राम, कितनी बेहरमी से चुदाई की है! कितनी सूज गयी है.’ उसने अपने आप से कहा और जैसे जैसे उसका बदन ठंडा पड़ता गया, उसका बदन शांत हो गया लेकिन चूत और गांड में दर्द अभी भी था।
अब बेचारी क्या करती, कोई चारा नहीं था उसके पास … उसने किसी तरह रोटियां पकाई।
वक़्त बीतने के साथ साथ दर्द बढ़ता जा रहा था, उसने पानी हल्का गर्म किया और एक कपड़ा लेकर टाँगों पर लगा हुआ वीर्य साफ किया और फिर अपनी चूत और गांड को गर्म पानी से साफ करने लगी. गर्म पानी से उसे जलन हो रही थी. मगर आराम भी मिल रहा था।
कुछ देर आराम करने के बाद बाथरूम में जाकर वो कपड़े धोने लगी। फिर कपड़े धोकर नीलम छत पर उन्हें सुखाने आ गई। उनकी छत पड़ोस के घरों की छत से काफी ऊंची थी. इसलिए वो दूसरों की छत पर देख सकती थी लेकिन कोई उसकी छत पर नहीं देख सकता था.
नीलम छत पर कपड़े सुखाने ही लगी थी कि पीछे से उसका ससुर आ पहुंचा. वो उनसे नजरें मिलाये बिना ही जल्दी जल्दी कपड़े हड़बड़ी में सुखाने लगी. वह जानती थी कि अगर ज्यादा देर वो उनके सामने रुकी तो उसकी चूत की शामत फिर से आ जायेगी.
मगर अचानक नीलम को अपने चूतड़ों पर अपने ससुर के हाथों का स्पर्श महसूस हुआ. उसे अंदेशा नहीं था कि उसके ससुर उसके साथ इस तरह से खुली छत पर भी छेड़छाड़ करेंगे. उसने ससुर का हाथ हटाया और वहां से जाने लगी.
लेकिन महेश ने उसे पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया.
“बहू, तुम मुझसे इतनी क्यों डरने लगी हो?” महेश ने नीलम की कमर में हाथ डाल कर उसे अपनी तरफ खींचते हुए कहा.
“बाबूजी! प्लीज छोड़िये मुझे … कोई देख लेगा ” नीलम अपने आप को उनसे छुड़ाने लगी। नीलम को खुली छत पर बहुत डर लग रहा था।
महेश ने नीलम को छोड़ दिया और तेज़ी से दरवाज़े की तरफ़ जाकर छत का दरवाज़ा बंद कर दिया। नीलम एकदम हक्की बक्की रह गई कि ससुरजी ये क्या कर रहे हैं।
“अब तो डर नहीं लग रहा है न बेटी?” महेश ने नीलम की तरफ अपने कदम बढ़ाते हुए कहा।
नीलम ने दबी आवाज में कहा- बाबूजी कोई देख लेगा। प्लीज … मुझे जाने दीजिए.
बहू जल बिन मछली की तरह महेश से अपने आप को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी … उसे डर लग रहा था कि किसी ने अपनी छत से उन्हें इस तरह देख लिया तो क्या होगा? लेकिन चारों तरफ छत पर बाउंड्री भी बनी हुई थी और शायद महेश इसी बात का फायदा उठा रहा था।
महेश ने नीलम की गांड को अपने हाथों से थामते हुए उस पर एक चुटकी काट ली. जैसे ही नीलम ने आह्ह … की तो उसने तुरंत अपने होंठ नीलम के होंठों पर रख दिए और बुरी तरह उसे चूसने लगा और अपने हाथों से नीलम के चूतड़ों को मसलने लगा।
नीलम को बड़ी शर्म आने लगी। आज खुले आसमान में दिन में ही महेश ने नीलम को पकड़ लिया था। नीलम ने अपनी आँखें बंद कर ली। महेश ने अपने दायें हाथ से नीलम की चूचियों को कपड़ों के ऊपर से ही दबाना शुरू कर दिया। नीलम दर्द से तड़पने लगी।
काफी देर तक वे दोनों ऐसे ही छत के बीच में खड़े रहे और महेश नीलम के होंठों को चूसता रहा. अब नीलम भी गर्म होती जा रही थी.
तभी महेश ने नीलम को छोड़ा और उसके बाल पकड़ कर नीलम को अपने सामने बैठा लिया। नीचे बैठाने के बाद महेश ने अपनी पैंट की ज़िप खोल ली और एक झटके में अपना मूसल लंड निकाल कर नीलम के चेहरे के सामने कर दिया- चल साली, चूस इसे!
हवस में डूबा हुआ ससुर अब अपनी बहू को गाली देने पर उतर आया था. इससे पहले उसने कभी इस तरह से नीलम के साथ ऐसा बर्ताव नहीं किया था. महेश के इस बर्ताव से नीलम भी हैरान थी. लेकिन उसे नहीं पता था कि यह महेश की एक और फैंटेसी है.
बहू सोच ही रही थी कि तभी उसने नीलम के बाल पकड़ कर खींच लिये और नीलम का मुंह अपने लंड पर रख दिया और रगड़ने लगा।
नीलम को पता था कि वो अब नहीं मानेंगे। नीलम ये सब जल्दी खत्म करना चाहती थी। उसने उनका लंड अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगी।
तभी महेश ने नीलम के मुंह में अपने लंड से एक जोर का झटका दिया और गुं गुं की आवाज हुई और नीलम की सांस रुक गई। लंड नीलम के गले तक चला गया था। उसके बाद महेश ने लंड एकदम बाहर निकाल लिया। फिर वो झटके मार मार कर अपना लंड नीलम के मुँह में अन्दर बाहर करने लगा।
नीलम की आँखों से आंसू निकल आए। लंड बहुत मोटा था और नीलम को उसे चूसने में बड़ी दिक्कत हो रही थी. नीलम के चूसने से उसका सुपारा एकदम लाल हो गया था। नीलम को ये मस्त लंड चूसने में मजा तो आ रहा था लेकिन साथ ही छत पर होने की वजह से डर भी लग रहा था.
फिर उसने नीलम को उठने के लिए कहा और छत की चार-दीवारी पर टेक लगा कर झुकने के लिए कहा. नीलम उठ कर बाऊंड्री के पास जाकर अपने हाथ दीवार से लगा कर झुक गई. उसको छत से नीचे का नजारा साफ दिखाई दे रहा था और उसकी गांड महेश की तरफ उठी हुई थी.
महेश ने नीलम की साड़ी को पीछे से उसके चूतड़ों तक उठाया और उसकी कमर को पकड़ कर अपना लंड नीलम की चूत में लगा कर निशाना सेट करने लगा.
नीलम नहीं चाहती थी कि किसी को कुछ पता चले, इसलिए उसने अपनी चूत पर लंड की छुअन के बाद भी अपने चेहरे हाव-भाव को सामान्य ही बनाये रखा जैसे उसके साथ कुछ हो ही न रहा हो. मगर उसके मन में एक रोमांच उठ रहा था. इससे पहले उसने कभी इस तरह से खुले में चुदाई नहीं करवाई थी.
सामने की दूसरी छतों पर बच्चे खेल रहे थे. सामने ही एक आंटी भी बच्चों के पास खड़ी हुई थी. लेकिन वह छत इतनी पास नहीं थी कि चुदाई के बारे में सामने से देखने वाले द्वारा कुछ अन्दाजा लगाया जा सके.
तभी महेश ने एक झटका मारा और नीलम की चूत में पूरा लंड समा गया क्योंकि नीलम की चूत एकदम गीली थी इसलिए लंड फच्च से अंदर चला गया. उसे हल्का दर्द तो हुआ लेकिन वो उस दर्द को अंदर ही पी गई.
ससुर का लंड नीलम की चूत में घुस चुका था और उसे अब भी यकीन नहीं हो रहा था कि उसके साथ खुले आसमान के नीचे दिन दहाड़े ये सब हो रहा है.
महेश ने नीलम की कमर को पकड़ लिया और उसकी चूत में अपने मूसल लंड के धक्के देने शुरू कर दिये. नीलम अपने आपको बिल्कुल सामान्य बनाये रखने की कोशिश कर रही थी क्योंकि सामने वाली आंटी नीलम की तरफ देख रही थी.
चूत में लंड घुसने के बाद नीलम का मन तो कर रहा था कि वह भी खुल कर अपने ससुर का इस खुली चुदाई में साथ दे लेकिन उसे डर था कि अगर उसके चेहरे के भाव जरा भी बदले तो सामने खड़ी आंटी को शक हो जायेगा.
महेश- वाह बहू! कितनी सुशील है तू बेटी … अपने ससुर से ऐसे खुले में चुदाई करवा रही है. आह्ह … बस थोड़ी देर और मेरी रानी … आह्ह …
उसके मुंह से सिसकारियां निकल रही थीं.
महेश ने अपनी चुदाई की स्पीड को और बढ़ा दिया.
लेकिन अब आंटी नीलम को बड़े गौर से देखने लगी थी. जब आंटी के मन में कुछ जिज्ञासा उठी तो उसने दूसरी छत से नीलम को आवाज लगाई- बहू, कैसी हो तुम?
नीलम के चेहरे पर चुदाई का आनंद और डर के भाव दोनों ही बड़ी मुश्किल से दबे हुए थे और उसने अपने इन भावों को छिपाते हुए एक हल्की सी मुस्कान के साथ जवाब दिया- जी ठीक हूं आंटी!
आज खुले आसमान के नीचे नीलम चुद रही थी। बड़ा अच्छा लग रहा था उसे लेकिन बड़ा डर भी लग रहा था।
तभी एक तेज़ धार नीलम की चूत में चली और महेश अपनी प्यारी बहू नीलम से चिपक गये। वो झड़ गए थे। नीलम से भी कण्ट्रोल नहीं हुआ और उसने भी अपना पानी छोड़ दिया।
महेश ने तुरंत अपना लंड नीलम की चूत से निकाल लिया और पीछे से हट गये। नीलम की साड़ी अपने आप उसके नितम्बों से नीचे गिर गई। नीलम को बड़ी थकान सी लग रही थी। मगर वह वैसे ही खड़ी रही।
ठंडी ठंडी हवा चल रही थी, बड़ा अच्छा लग रहा था। नीलम को महसूस हो रहा था कि उसका और उसके ससुर महेश का वीर्य बहता हुआ नीलम की टाँगों पर आ रहा था। नीलम कुछ देर वैसे ही खड़ी रही और फिर पीछे मुड़ कर देखा तो ससुरजी नीचे जा चुके थे।
नीलम ने भी अपने आप को सम्भाला, अपने कपड़े ठीक किये और कपड़ों की बाल्टी उठायी और धीरे धीरे छत से नीचे आ गई।
आज महेश की एक और इच्छा पूरी हो गई थी और नीलम को एक ऐसा अनुभव मिल गया था कि वह किसी बिना डोर की पतंग की तरह जैसे आसमान में उड़ी जा रही हो.
मगर उसने समीर को तो जैसे भुला ही दिया था. वह अपने ससुर महेश के लंड की आदी हो गई थी. जब नीलम के पीरियड्स नहीं होते थे तो महेश उसको जमकर चोदता था.
फिर बाद में महेश ने ही नीलम से कहा कि वह अपने पति को भी कभी-कभार अपनी चूत देती रहा करे. ससुर के कहने पर नीलम समीर के साथ बेमन से चुदाई करवा लेती थी लेकिन वो अपने ससुर के मूसल लंड को लेकर ही संतुष्ट होती थी. नीलम और समीर ने अब एक दूसरे के साथ समझौता कर लिया था. कोई किसी की जिन्दगी में दखल नहीं देता था.
इस तरह से महेश ने चोद चोद कर अपनी नीलम बहू को गर्भवती कर दिया. चूंकि वह बीच-बीच में समीर से भी चुदाई करवा रही थी तो किसी को पता नहीं चला कि वह बच्चा किसका है, सिवाय नीलम के। वक्त के साथ-साथ नीलम अपने ससुर की इतनी दीवानी हो गई कि उसका ससुर कहे तो वह बीच चौराहे पर अपनी चूत और गांड की चुदाई करवा ले.
महेश ने सेक्स से परहेज़ करने वाली अपनी उस बहू को चोद-चोद कर अपनी रंडी बना दिया था.
ससुर अपनी बहू को अपने घर के हर कोने में चोद चुका था और अपनी हर फैंटेसी पूरी कर चुका था. नीलम के मान जाने के बाद समीर ने अपनी बहन ज्योति से दूरी बना ली थी और उसकी बहन ज्योति भी अपने पिता से चूत चुदाई करवा कर खुश रहने लगी.
अब नीलम मां बनने वाली थी. बच्चा भले ही महेश का था लेकिन उसको नाम समीर का मिल गया था.
समाप्त


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