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रिश्तों में चुदाई स्टोरी Part - 3

 


महेश का लंड अपनी बहू की चूत को छूने के ख्याल से ही इतना अकड़ गया था कि महेश को अपने लंड में दर्द होने लगा।
“बेटी अब मैं अपने लंड को तुम्हारी चूत का रस चखाने जा रहा हूँ तुम्हें कोई ऐतराज़ तो नहीं है?” महेश ने अपने लंड को अपने हाथ में पकड़ते हुए कहा।
“ओहहह पिता जी, जल्दी से जो करना है कर लो!” नीलम का उत्तेजना के मारे बुरा हाल था. उसने अपने ससुर की बात को सुनकर सिसकारते हुए कहा।

महेश अपनी बहू की बात सुनकर अपने लंड को आगे बढ़ाता हुआ अपनी बहू की चूत तक ले गया और अपने लंड को अपनी बहू की चूत के ऊपर रख दिया।

“आह्ह्ह ओह्ह … पिता जी.” अपने ससुर के लंड का मोटा सुपारा अपनी चूत पर महसूस करते ही नीलम का पूरा शरीर कांप उठा जिस वजह से उसके मुँह से ज़ोर की सिसकारी निकल गई।
“क्या हुआ बेटी … अच्छा नहीं लग रहा हो तो मैं इसे हटा दूँ?” महेश ने अपने लंड का मोटा सुपारा अपनी नीलम की चूत पर धीरे धीरे घिसते हुए उसकी चूत से हटाकर कहा।
“ओहहह हहह नहीं पिताजी … आप अपनी ख्वाहिश पूरी कर लो.” नीलम को उस वक्त अपने ससुर का लंड जन्नत का मजा दे रहा था। जिस वजह से वह अपने ससुर के लंड के हटते ही अपने चूतड़ों को ऊपर की तरफ उछालते हुए सिसकारते हुए कहने लगी।

“बेटी सोच लो, फिर मत कहना कि मैंने कोई ज़बरदस्ती की तुम्हारे साथ?” महेश अपनी बहू को अपने लंड के सामने तड़पती हुई देख कर खुश हो रहा था। वो अपनी बहू की चुदाई करने के लिए आतुर था.
“आह्ह्ह्ह पिता जी … मुझे आपसे कोई शिकायत नहीं है.” नीलम इस बार अपनी आँखों को खोल कर अपने ससुर को तड़पती हुई नज़र से देखते हुए बोली।
“ठीक है बेटी, जैसी तुम्हारी मर्जी!” महेश ने यह कहते हुए नीलम की चूत के दोनों लबों को अपनी उँगलियों से अलग करते हुए अपने लंड का मोटा सुपारा उसके बीच रख दिया।

नीलम अपने ससुर के लंड को अपनी चूत के छेद पर महसूस करते ही ज़ोर से आह्ह भरने लगी, उसके चूतड़ अपने आप महेश के लंड को अंदर लेने के लिए उछल पड़े। मगर महेश के लंड का सुपारा बुहत मोटा था और नीलम की चूत का छेद छोटा … इस वजह से वह अंदर घुस न सका।

“बेटी अगर तुम इजाज़त दो तो मैं इसे थोड़ा अंदर डाल कर तुम्हारी चूत का रस चखाऊँ? ऐसे तो यह रस चख नहीं पायेगा?” महेश ने अपने लंड से अपनी बहू की चूत में उसके छेद पर हल्के धक्के मारते हुए पूछा।
“आह्ह्ह्ह पिता जी … जैसे आप ठीक समझें.” नीलम को उस वक्त इतना मजा आ रहा था कि वह अपने ससुर को कुछ करने से रोकने का सोच भी नहीं सकती थी।

नीलम को अपने पूरे शरीर में अजीब किस्म की सिहरन और अपनी चूत के अंदर चींटियों के काटने का अहसास हो रहा था, उस वक्त उसका दिल कह रहा था कि बस उसका ससुर अपना मूसल लंड उसकी चूत में घुसाकर ज़ोर से अंदर बाहर करे ताकि उसके जिस्म की सारी बेक़रारी ख़त्म हो सके।

“ठीक है बेटी लेकिन थोड़ा बर्दाशत कर लेना, इसका सुपारा ज़रा मोटा है … थोड़ी तकलीफ होगी तुम्हें!”
“हाहहह मैं बर्दाशत कर लूँगी … आपको जो करना है कर लो.” नीलम ने अपने ससुर से तड़पते हुए मिन्नत सी की. उसका पूरा जिस्म आने वाले पल के बारे में सोचते हुए ज़ोर से कांप रहा था।
महेश ने अपने लंड को नीलम की चूत से हटाया और अपने मोटे सुपारे को अपने थूक से चिकना करने लगा।

“क्या हुआ पिता जी?” नीलम ने अपनी चूत से अपने ससुर के लंड के हटते ही उसकी तरफ देखते हुए कहा।
“बेटी मैं तुमसे बुहत प्यार करता हूँ और तुम्हें कोई तकलीफ नहीं दे सकता इसीलिए मैं अपने इस मूसल को चिकना कर रहा हूँ ताकि इसके घुसने से तुम्हें कोई तकलीफ न हो.” महेश ने अपनी बहू को अपनी तरफ देखता हुआ पाकर अपने लंड को अपने हाथ में लेकर उसे दिखाते हुए कहा।

नीलम ने अपने ससुर के मूसल लंड को देखकर शर्म से अपनी नज़रें झुका लीं मगर अपने ससुर का लंड देख कर उसका जिस्म और ज्यादा गर्म हो गया,
“आआह्ह्ह पिता जी …” अचानक नीलम को अपनी चूत पर किसी सख्त गीली चीज़ का अहसास हुआ जिसे महसूस करके उसका पूरा जिस्म सिहर उठा।

“बस बेटी हो गया, अब मेरे लंड की तरह तुम्हारी चूत भी चिकनी हो गई है.” महेश ने अपने हाथ को अपनी बहू की चूत से हटाते हुए कहा जिसे वह अपनी लार से गीला करके अपनी बहू की चूत को चिकना कर रहा था।

महेश ने अपने दोनों हाथों से अपनी बहू की चूत के छेद को पूरी तरह से फ़ैला दिया।
“आह्ह्ह्ह बहू, तुम्हारी चूत का छेद कितना सुंदर है.” महेश ने अपनी बहू की चूत के लाल सिरे को देख कर कहा।

अपने ससुर की बात सुन कर नीलम के जिस्म में एक झुरझुरी सी फ़ैल गयी और उसकी चूत से पानी की कुछ बूंदें निकलने लगी, महेश ने अपनी बहू को इतना गर्म देखकर ज्यादा देर करना ठीक न समझा और अपने लंड को उसके छेद पर रख दिया।

महेश ने अपनी बहू को दोनों टांगों से पकड़कर एक हल्का धक्का मार दिया।
“आह्ह्ह् ओहह् पिता जी!” महेश का लंड नीलम की चूत में घुसने की बजाय ऊपर की तरफ खिसक गया जिस वजह से नीलम के मुंह से सिसकारी निकल गई,
“ओहहहह बेटी … तुम्हरा छेद तो बुहत टाइट है। लगता है हरामखोर ने तुम्हें अभी तक ठीक तरीके से चोदा भी नहीं!” महेश ने अपने बेटे समीर को गाली देते हुए कहा और अपना लंड फिर से अपनी बहू की चूत पर सही जगह टिका दिया।

महेश ने इस बार धक्का मारने की बजाय अपना पूरा वजन अपने लंड पर डाल दिया। दबाव पड़ते ही महेश के लंड का मोटा सुपाडा नीलम की चूत को फैलाता हुआ उसके अंदर जाकर फँस गया।
“उईई माँ … उम्म्ह… अहह… हय… याह… पीछे हटो, आह्ह्ह्हह फट गयी. बहुत मोटा है आपका!” महेश के लंड का सुपारा घुसते ही नीलम ज़ोर से चिल्लाते हुए छटपटाने लगी। नीलम को ऐसे महसूस हो रहा था जैसे उसकी चूत को फाड़ कर दो हिस्सों में अलग कर दिया गया हो।

“बस बेटी थोड़ी देर में सब ठीक हो जायेगा.” महेश अपने लंड का सुपारा डाले हुए ही अपनी बहू के ऊपर झुक गया और अपने हाथों से उसकी गोरी गोरी चूचियों को सहलाने लगा।
“पिता जी.. आआ आप क्या कर रहे हैं?” नीलम अपने ससुर के हाथ अपनी चूचियों पर लगते ही सब कुछ भूलकर सिसकारी लेते हुए बोली।
“ओहहहह बेटी, मुझे अपना वादा याद है, मगर मैं तुम्हारी तकलीफ कम करने के लिए ही इनसे छेड़ छाड़ कर रहा हूँ.” महेश ने अपनी बहू से कहा और अपना मुँह खोलकर उसकी एक चूची के गुलाबी दाने को अपने मुंह में भर लिया।

“आहहह पिता जी… आप कितने अच्छे हैं” नीलम अपनी एक चूची को अपने ससुर के मुँह में महसूस करके ज़ोर से आहें भरने लगी और उसका हाथ अपने आप अपने ससुर के बालों में चला गया। महेश अपनी बहू का साथ पाते ही बुहत ज़ोर से उसकी चूची को चूसने लगा और वह अपनी बहू की चूची को चूसते हुए हल्का हल्का काटने भी लगा।
“उईई आआह्ह्ह्ह पिता जी!” नीलम भी बड़े ज़ोर से सिसकारते हुए मज़े से अपने ससुर से अपनी चूची चुसवा रही थी।

नीलम ने अचानक अपने ससुर को बालों से पकड़कर अपनी चूची को उसके मुंह से निकाल दिया।
महेश सवालिया नज़रों से अपनी बहू को देखने लगा. नीलम ने उसके मुँह को अपनी दूसरी चूची पर रख दिया। महेश फिर से पागलोँ की तरह अपनी बहू की दूसरी चूची पर टूट पड़ा और उसे बड़े प्यार से चूसने, चाटने और काटने लगा।

नीलम अब अपने चूतड़ों को भी हिला रही थी। महेश समझ गया कि उसकी बहू का दर्द ख़त्म हो गया है इसीलिए वह अपनी बहू की चूचियों को छोड़कर सीधा हो गया।

महेश ने देखा कि उसका लंड उसकी बहू की चूत में बुरी तरह से फँसा हुआ था और उत्तेजना के मारे नीलम की चूत का रस निकल रहा था जिससे उसका आधा लंड भीग चुका था। महेश ने अपनी बहू की टांगों को पकड़ लिया और अपने लंड के सुपारे को धीरे धीरे वहीं पर थोड़ा आगे पीछे करने लगा।

नीलम अपने ससुर के लंड की रगड़ महसूस करके मज़े से भर गई।

महेश ने ऐसे ही धीरे धीरे अपने लंड को वहां पर आगे पीछे करते हुए एक हल्का धक्का मार दिया।
“उईईई पिता जी …” महेश का लंड 4 इंच तक उसकी बहू की चूत में घुस गया जिसकी वजह से नीलम के मुँह से एक हल्की चीख़ निकल गयी। महेश अब फिर से अपने लंड को अपनी बहू की चूत में अंदर बाहर करने लगा।
“आह्ह्ह्ह पिता जी … आपने तो सिर्फ रस चखने का कहा था लेकिन आप तो अब मेरी चूत में वो कर रहे हैं…” नीलम ने अपने ससुर के मोटे लंड को अपनी चूत में महसूस करके मज़े से सिसकारते हुए कहा।

“क्या कर रहा हूँ बेटी, रस ही तो चख रहा हूँ?” महेश ने अपनी बहू की बात सुनकर उसे तेज़ी के साथ चोदते हुए एक और धक्का मारते हुए कहा।

“ओह्ह्ह्हह पिता जी, आपका बहुत मोटा है, मुझे दर्द हो रहा है.” महेश के इस धक्के से उसका लंड 6 इंच तक नीलम की चूत को फाड़ता हुआ घुस चुका था जिसकी वजह से नीलम दर्द के मारे चिल्ला उठी।

महेश ने जैसे ही अब अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू किया नीलम का दर्द थोड़ी देर में ही ख़त्म हो गया और उसे इतना मजा आने लगा कि वह बहुत ज़ोर से अपने चूतड़ों को उछाल उछालकर अपने ससुर से चुदवाने लगी.

नीलम की चूत को उसके ससुर के लंड ने बुरी तरह से फ़ैला रखा था जिस वजह से हर धक्के के साथ उसकी चूत में इतनी ज़ोर की रगड़ हो रही थी कि मज़े के मारे उसके मुंह से सिसकारियां निकल रही थीं।
“आआह्ह्ह्ह पिता जी, सच में आप बहुत बड़े बदमाश हैं, बहला फुसलाकर आखिर आपने अपनी बहू को चोद ही दिया” महेश के ज़ोरदार धक्कों से चुदते हुए नीलम ने ज़ोर से सिसकारी लेते हुए शिकायत सी करते हुए कहा.

“क्यों बेटी, मैंने कोई ज़बरदस्ती तो नहीं की है. तुमने खुद ही हर बात अपने मुँह से कही है. अगर तुम्हें अच्छा नहीं लग रहा है तो मैं अभी इसे निकाल देता हूं.” महेश ने 3-4 ज़ोर के धक्के मारते हुए अपना लंड अपनी बहू की चूत से बाहर निकाल लिया।

“आआह्ह्ह्ह पिता जी, आप तो नाराज़ हो गये मैं तो मज़ाक़ कर रही थी.” नीलम जो इस वक्त मज़े के सागर में तैर रही थी, अचानक उसकी चूत से लंड निकलते हुए वो तड़प उठी थी.
“नहीं बेटी, अब ऐसे नहीं डालूंगा, तुम्हें अपनी जुबान से कहना होगा कि पिता जी आप मेरी चूत में अपना लंड घुसाओ.” महेश ने अपने लंड को अपनी बहू की चूत के खुले हुए छेद पर घिसते हुए कहा।

“हाहहह पिता जी घुसाओ न अपना लंड.” नीलम ने ज़ोर से तड़पते हुए कहा।
“क्या घुसाऊं बेटी?” महेश ने अपनी बहू से मज़े लेते हुए कहा।
“ओहहहह पिता जी वह… अपना लंड घुसाओ ना!” नीलम ने भी अपनी शर्म छोड़ते हुए कहा।
“क्या बेटी, तुम्हें मेरा लंड चाहिए, कहाँ पर, किधर घुसाऊं मैं अपना लंड?” महेश ने इस बार अपनी बहू की चूत के दाने पर अपना लंड घिसकर उसे छेड़ते हुए कहा।

“पिता जी, मेरी चूत में घुसाओ अपना लंड.” नीलम से अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था। वह जल्द से जल्द अपनी चूत में अपने ससुर का मोटा लंड घुसवाना चाहती थी इसीलिए उसने ज़ोर से सिसकारते हुए कहा।

“ओहहहह बेटी… यह ले, मैं अभी तुम्हारी चूत में लंड घुसाता हूँ.” महेश का लंड भी अपनी बहू की बातों से और ज़्यादा कठोर होता जा रहा था। जिसे वह अपनी बहू की चूत पर रख कर 2-3 धक्के मारते हुआ बोला।
महेश का लंड फिर से नीलम की चूत में 6 इंच तक अंदर घुस चुका था जिसे महसूस करके उसके मुंह से मज़े से सीत्कार निकल रहे थे.

महेश ने अपना लंड तो नीलम की चूत में घुसा दिया मगर वह धक्के नहीं मार रहा था जिस वजह से नीलम बेचैनी में अपने चूतड़ों को ज़ोर से उछाल रही थी।
“आआह्ह्ह पिता जी, क्या हुआ कीजिये ना?” नीलम ने इस बार अपने ससुर को नशीली आँखों से देखते हुए आग्रह किया।

महेश अपनी बहू की बात सुनकर अपने लंड को उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगा. 5-7 धक्कों के बाद ही महेश का पूरा लंड जड़ तक अपनी चूत में महसूस करके नीलम का पूरा जिस्म अकड़कर झटके खाने लगा क्योंकि वह झड़ने वाली थी। महेश ने अपनी बहू को झड़ने के क़रीब देख कर उसकी टांगों को छोड़कर उसके ऊपर झुकते हुए उसकी चूत में ज़ोरदार धक्के मारना शुरू कर दिया।

“आहहहहह पिता जी …” अचानक नीलम झड़ने लगी. उसने झड़ते हुए अपनी दोनों टांगों को अपने ससुर की कमर में डाल दिया और अपनी आँखें बंद करके अपने दोनों हाथों से अपने ससुर को बालों से पकड़ कर उसके होंठों को अपने होंठों पर रख कर बेतहाशा चूमने लगी।

महेश अपनी बहू के होंठों को ज़ोर से चूसते हुए उसकी चूत में धक्के मार रहा था। नीलम ने झड़ते हुए मज़े से अपने नाखुनों को अपने ससुर की पीठ में गड़ा दिया और वह झड़ते हुए अपने चूतड़ों को ज़ोर से उछाल उछालकर अपने ससुर के लंड को अपनी चूत में लेने लगी.

महेश ने अपनी बहू के नाखूनों को अपनी पीठ पर महसूस करते ही गुस्से से उसके एक होंठ को काट दिया और बहुत ज़ोर से उसकी चूत को चोदने लगा।

नीलम की हालत बहुत ख़राब थी उसकी चूत से न जाने कितनी देर तक पानी निकलता रहा जिस वजह से उसे अपने ससुर का लंड अपनी चूत में पूरा घुसने का भी पता नहीं चला। नीलम बस मज़े के आलम में अपने ससुर से लिपटी हुई उसके होंठों को चूस रही थी और महेश भी बड़े आराम से अपने पूरे लंड से अब उसकी चूत को चोद रहा था.

नीलम ने कुछ देर बाद ही अपनी आँखें खोलते हुए अपने ससुर के होंठों से अपने होंठों को हटा दिया और ज़ोर से हाँफने लगी।
“आहहह पिताजी … आपने तो जान ही निकाल दी, लेकिन प्लीज आप इसे पूरा मेरी चूत में मत घुसाना वरना मैं मर जाऊँगी.” नीलम ने कुछ देर तक हाँफने के बाद अपने ससुर की तरफ देखते हुए कहा।

“बेटी, तुम्हें अब कोई चिंता करने की ज़रूरत नहीं, मेरा पूरा लंड तुम्हारी चूत में घुस चुका है.” महेश ने अपनी बहू की चूत में अपने लंड को जड़ तक पेलते हुए कहा।
“क्या कहा पिता जी?? इतना मोटा और बड़ा लंड मेरी चूत में पूरा घुस गया?” नीलम ने हैरानी से अपने ससुर के लंड पर हाथ लगाते हुए कहा। नीलम का हाथ सीधे उसके ससुर की गोटियों पर जा लगा क्योंकि लंड तो पूरा उसकी चूत में था।

“ओहह्हह मेरी भोली बहू, तुम्हें पता नहीं है कि औरत की चूत समुन्दर की तरह विशाल है जो किसी भी चीज़ को अपने अंदर ले सकती है.” महेश ने अपने लंड को तेज़ी के साथ अपनी बहू की चूत में अंदर बाहर करते हुए कहा।
“हाहहह पिता जी, आपसे चुदवाकर ही मुझे पता चला है कि औरत को दुनिया का सब से बड़ा सुख मर्द से चुदवाने में मिलता है.” नीलम फिर से गर्म होते हुए अपने चूतड़ों को उछालते हुए बोली।
“सही कहा बेटी, यही बात तो मैं तुम्हें समझाना चाहता था” महेश ने अपनी बहू की तरफ देखा और उसकी चूत को बड़ी तेज़ी और ताक़त के साथ चोदने लगा। ससुर बहू की चुदाई का खेल अपने चरम पर था.

महेश और नीलम की चुदाई अब अपने पूरे जोश पर थी. पूरा कमरा थप थप की आवाज़ से गूँज रहा था जो आवाज़ महेश का लंड नीलम की चूत में अंदर बाहर होते निकल रही थी। कुछ देर की चुदाई के बाद ही महेश का बदन अकड़ने लगा और वह ज़ोर से हाँफते हुए अपनी बहू की चूत चोदने लगा।

“पिता जी आप झड़ने वाले हैं प्लीज अंदर मत झड़ना!” नीलम अपने ससुर के लंड को अचानक अपनी चूत में फूलता हुआ महसूस करके चिल्लाते हुए बोली।
“आह्ह्ह्हह बहू मुझे माफ़ कर देना, मगर आज मैं अपना वीर्य तुम्हारी चूत में ही गिराऊंगा.” महेश ने अचानक ज़ोर से हाँफते हुए अपना पूरा लंड जड़ तक नीलम की चूत में पेल दिया।

नीलम भी खुद झड़ने के बिल्कुल क़रीब थी. वह अचानक अपने ससुर का लंड जड़ तक अपनी चूत में महसूस करके कांप उठी और उसका पूरा जिस्म भी अकड़ने लगा।

अचानक नीलम को अपनी चूत में कुछ गर्म चीज़ गिरने का अहसास हुआ. अगले ही पल मज़े से नीलम की आँखें भी बंद हो गईं और उसने ज़ोर से अपने ससुर को अपनी बांहों में दबा लिया।
“आहहहह पिता जी, ओहहह ओह्ह्ह्ह …” नीलम की चूत झटके खाते हुए झड़ रही थी जिसकी वजह से नीलम के मुंह से ज़ोर की सिसकारियाँ निकल रही थीं।

नीलम को अब भी अपनी चूत में अपने ससुर के लंड से निकलता हुआ गर्म वीर्य महसूस हो रहा था। महेश का लंड जैसे ही पूरी तरह झड़कर नीलम की चूत से निकला उसकी चूत का छेद बिल्कुल खुलकर रह गया और उसकी चूत से बहुत सारा सफेद सफेद पानी निकल कर बेड पर गिरने लगा जो उसका और उसके ससुर का मिला-जुला वीर्य था. महेश और नीलम अब भी एक दूसरे की बांहों में पड़े हुए ज़ोर से हांफ रहे थे ।


नीलम ने कुछ देर तक यूं ही हाँफने के बाद अपने ससुर को अपने ऊपर से हटा दिया और खुद उठकर बाथरूम में चली गयी।

नीलम बाथरूम में घुसते ही नीचे बैठकर मूतने लगी एक मधुर आवाज़ के साथ नीलम की चूत से पेशाब निकलकर नीचे गिरने लगा, नीलम मूतने के बाद पानी से अपनी चूत साफ़ करने लगी.

तभी उसे महसूस हुआ कि कोई उसे देख रहा है. नीलम ने चौंककर जैसे ही अपना सर ऊपर करके देखा वह शर्म से पानी पानी हो गई।
महेश भी बिल्कुल नंगा ही बाथरूम में खड़ा नीलम को घूर रहा था।

“पिता जी आप यहाँ? आपको शर्म नहीं आती?” नीलम ने गुस्से से कहा और उठकर वहां से बाहर जाने लगी.
“अरे बेटी इतनी भी क्या जल्दी है, अब तो हम दो जिस्म एक जान बन चुके हैं फिर भी तुम इतना शर्मा रही हो?” महेश ने अपनी बहू को कलाई से पकड़ते हुए कहा और उसे अपने साथ अंदर ले जाते हुए शावर के नीचे खड़ा कर दिया।

“पिता जी छोड़िये न … हमें शर्म आ रही है.” नीलम ने अपने आप को छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहा।
“बेटी तुम्हें मेरी कसम … चुप होकर खड़ी हो जाओ.” महेश ने अपनी बहू को देखते हुए कहा।
“पिता जी आप ये क्या कर रहे हो?”
“अरे बेटी कुछ नहीं … बस तुम्हारे साथ एक बार नहाने का सपना पूरा कर रहा हूँ.” महेश ने अपनी बहू को देखते हुए कहा।
उसके ससुर का मूसल लंड फिर से तनने लगा था।

“बेटी एक बात बताओ … क्या तुम्हारे पति का लंड भी मेरे जितना ही लम्बा और मोटा है?” महेश ने अपनी बहू को अपने लंड की तरफ घूरता हुआ देखकर कहा।
“पिता जी आप भी कैसी बात पूछ रहे हो?” नीलम ने फिर से शरमाकर अपनी नज़रों को महेश के लंड से हटा दिया।

“अरे बेटी इसमें शर्माने की क्या बात है, तुमने अपने पति का लंड भी देखा है और यह लो इसे भी गौर से देख कर बताओ कि दोनों में से किसका लंड ज्यादा लम्बा और मोटा है?” महेश ने इस बार अपनी बहू का हाथ पकड़कर अपने नंगे लंड पर रखते हुए कहा।

“पिता जी मुझे नहीं पता!” नीलम ने बगैर अपना हाथ वहां से हटाए हुए कहा। अपना हाथ अपने ससुर के नंगे लंड पर पड़ते ही नीलम की साँसें ज़ोर से चलने लगी और उत्तेजना के मारे वह गर्म होने लगी थी मगर वह शर्म से कुछ बोल नहीं पा रही थी।

“बेटी, अगर तुम्हें यह अच्छा लगता है तो इससे खेलो न … क्यों इतना शर्मा रही हो?”
नीलम को भी अपने ससुर के लंड पर अपना हाथ आगे पीछे करते हुए मजा आ रहा था इसीलिए वह अब तेज़ी के साथ अपने ससुर के लंड को आगे पीछे करने लगी।

महेश ने अब अपना हाथ नीलम के हाथ से हटा दिया था क्योंकि वह खुद ही उसके लंड को आगे पीछे करने लगी थी, थोड़ी ही देर में महेश का लंड फिर से पूरी तरह गर्म होते हुए लोहे की तरह सख्त होकर झटके खाने लगा। महेश का लंड तनकर इतना बड़ा और मोटा हो गया कि नीलम को अब उसे अपने दोनों हाथों से पकड़कर आगे पीछे करना पड़ रहा था और अपने ससुर के लंड को आगे पीछे करते हुए वह भी बड़े ज़ोर से हांफ रही थी।

“ओह्ह्हह पिता जी, आपका मेरे पति से बड़ा और मोटा है.” नीलम ने भी इस बार ज्यादा गर्म होते हुए कहा।

“बेटी क्या तुमने कभी अपने पति का लंड अपने मुँह में लिया है?”
“छी छी… इसे मुंह में? नहीं मुझे तो बहुत गन्दा लगता है.” नीलम ने अपने ससुर की बात को सुनकर कहा।
“अरे बेटी जब लिया ही नहीं तो तुम्हें गन्दा कैसे लगा? एक बार चख लिया तो बार बार इसे चाटने का मन करेगा.” महेश ने अपनी बहू की बात को सुनकर कहा।

“नहीं पिता जी मैं यह नहीं कर सकती.” नीलम ने अपने ससुर के लंड को आगे पीछे करते हुए कहा।

“बेटी तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं है? मैं कह रहा हूँ तुम्हें बहुत मजा आएगा। चलो मेरी खातिर एक बार इसे चूमकर देखो.” महेश ने अपनी बहू को कंधे से पकड़कर नीचे झुकाते हुए कहा।

नीलम अपने ससुर की बात को टाल न सकी और खुद घुटनों के बल नीचे बैठ गई, नीलम के बैठते ही महेश का भयानक मूसल सीधा उसके मुँह के सामने आ गया।
नीलम अपने ससुर के लंड को इतना क़रीब से देख कर बहुत ज्यादा गर्म हो गई और बगैर कुछ सोचे अपने ससुर के लंड को अपने दोनों हाथों से पकड़ उसके गुलाबी सुपारे को तेज़ी के साथ हर जगह चूमने लगी।

“उम्म्ह… अहह… हय… याह… बेटी अपनी जीभ से भी चाटो ना …” नीलम के होंठ अपने लंड के सुपारे पर पड़ते ही महेश मज़े के मारे ज़ोर से सिसकते हुए बोला।
नीलम ने अपने ससुर की बात को सुनकर अपना मुँह महेश के लंड से हटा दिया और एक बार उसके गुलाबी सुपारे को गौर से देखने के बाद अपनी जीभ को निकालकर अपने ससुर के लंड के गुलाबी सुपारे पर रख दिया।

नीलम अपनी जीभ को अपने ससुर के गुलाबी सुपारे पर चारों तरफ घुमाने लगी। शावर से पानी के गिरने की वजह से नीलम को अपने ससुर के लंड पर अपनी जीभ के घुमाने से भी कुछ ख़ास महसूस नहीं हो रहा था इसीलिए वह अब तेज़ी के साथ अपनी जीभ से अपने ससुर के लंड का सुपारा चाट रही थी।

“आजहहह बेटी ऐसे ही ओह्ह्ह… अब सुपारे को अपने मुंह में लो और इसे अपनी जीभ और होंठों के बीच लेकर चूसो.” महेश ज़ोर से सिसकते हुए अपनी बहू को समझाते हुए बोला।
नीलम को उस वक़त जैसे होश ही नहीं था. वह इस वक्त अपने ससुर की गुलाम बन चुकी थी जो अपने आका का हर हुक्म मानती जा रही थी। नीलम ने अपनी जीभ को अपने ससुर के लंड से हटाया और अपना मुँह खोलकर उसके लंड का मोटा सुपारा अपने मुँह में ड़ालने की कोशिश करने लगी मगर महेश के लंड का सुपारा बहुत ज्यादा मोटा होने के कारण वह ऐसा नहीं कर पायी।

“आअअअह बेटी … अपने मुँह को पूरी तरह से खोलो!” महेश ने अपनी बहू को देखते हुए कहा।
नीलम ने भी अपने ससुर की बात मानते हुए अपना मुँह जितना हो सकता था खोल दिया।

महेश ने भी मौका देख कर अपनी बहू के सर को पकड़ कर अपने लंड को एक धक्का मार दिया। उसके लंड का मोटा सुपारा नीलम के मुँह को फ़ैलाता हुआ अंदर घुस गया।

अपने ससुर के लंड का मोटा सुपारा अपने मुंह में जाते ही नीलम की साँसें बंद होने लगी। उसे तकलीफ होने लगी.

मगर महेश को उस वक्त कुछ पता ही नहीं था इसीलिए उसने अपनी बहू के सर को पकड़ कर एक धक्का और मार दिया जिससे महेश का लंड 4 इंच तक नीलम के मुँह में घुस गया। नीलम की आँखों के सामने अँधेरा छाने लगा उसे लग रहा था कि बस आज तो उसकी मौत आ चुकी है, वह बहुत ज़ोर छटपटा रही थी.

महेश को तो जैसे कुछ पता ही नहीं था. वह अब पागलों की तरह अपनी उसके सर को पकड़ कर अपने लंड को उसके मुँह में अंदर बाहर करने लगा। नीलम की आँखों से आंसू निकलने लगे जिसे महेश ने देख लिया और उसे अहसास हुआ कि उसकी बहू को शायद तकलीफ हो रही है इसीलिए उसने जल्दी से अपने लंड को अपनी बहू के गर्म मुँह से निकाल दिया.

नीलम अपने ससुर का लंड अपने मुँह से निकलते ही बहुत ज़ोर से खाँसते हुए नीचे थूकने लगी और तेज़ी के साथ हाँफने लगी।

“सॉरी बेटी मुझे माफ़ कर दो, मुझे पता नहीं था कि तुम्हें इतनी तकलीफ हो रही है.” महेश ने अपनी बहू के पास जाते हुए कहा।
“पिता जी जाइये … मैं आपसे बात नहीं करती. भला कोई ऐसे भी करता है?” नीलम ने कुछ देर तक हाँफने के बाद अपने ससुर को डाँटते हुए कहा।
“बेटी कहा न मुझसे गलती हो गई माफ़ कर दो ना!” महेश ने छोटे बच्चे की तरह अपने कान पकड़ते हुए कहा।
“पिता जी आप भी …” महेश को देखकर नीलम की हंसी छूट गयी और वह अपने ससुर के क़रीब आकर उसके गले लग गयी।

महेश ने अपनी बहू को अपनी बांहों में कसकर दबा दिया और उसके साथ शावर के नीचे आकर खड़ा हो गया। महेश ने शावर के नीचे आते ही अपने होंठों को अपनी बहू के गुलाबी होंठों पर रख दिया और दोनों शावर के पानी के साथ एक दूसरे के होंठों का रस भी चूसने लगे.

कुछ देर तक अपनी बहू के होंठों का रस चखने के बाद महेश नीचे होते हुए उसकी दोनों चूचियों के कड़े दानों को बारी बारी से अपने मुंह में लेता हुआ चूसने लगा.

महेश अपनी उसकी चुचियों का रस चखने के बाद उसके चिकने गोर पेट को चूमता हुआ उसकी चूत की तरफ बढ़ने लगा। नीलम का तो मज़े के मारे बुरा हाल था। उसे आज तक इतना मजा पहले कभी नहीं मिला था क्योंकि वह खुद सेक्स से दूर भागती थी मगर आज उसके ससुर ने तो उसे अपनी दासी बना दिया था.

महेश नीचे होते हुए अपनी बहू की चूत के दाने को अपनी जीभ से चाटने लगा। नीलम ने अपार मज़े से अपने ससुर के सिर को बालों से पकड़कर अपनी चूत पर दबा दिया। महेश अपना मुँह खोलकर अपनी बहू की चूत के दाने को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और अपने हाथ से उसकी चूत के छेद को सहलाने लगा।

नीलम का पूरा शरीर अपने पिता की इस हरकत से कांपने लगा. उससे खड़ा होना भी मुश्किल हो रहा था इसीलिए उसने अपने दोनों हाथों से अपने ससुर को ज़ोर से पकड़ रखा था।

महेश ने कुछ देर तक ऐसे ही अपनी बहू की चूत के दाने को चूसने के बाद और नीचे होते हुए अपनी जीभ को अपनी बहू की बहती हुई चूत के छेद पर रख दिया और अपनी बहू की चूत से उत्तेजना के मारे निकलने वाले रस को अपनी जीभ से चाटने लगा।

कुछ देर तक ऐसे ही अपनी बहू की चूत को चाटने के बाद महेश ने अपने मुँह को उसकी चूत से हटा दिया और सीधा होकर खड़ा हो गया. नीलम जो उस वक्त मज़े की एक नयी दुनिया की सैर कर रही थी ऐसे अचानक अपने ससुर के उठ जाने से उसकी तरफ सवालिया नज़रों से देखने लगी।

महेश ने बिना अपनी बहू से कुछ बोले शावर को बंद किया और उसे अपनी बांहों में उठाकर बेड पर जाकर लेटा दिया। महेश खुद भी जाकर सीधा बेड पर लेट गया और अपनी बहू को अपने ऊपर आने के लिए कहा।

नीलम को शर्म तो बहुत आ रही थी मगर वह उस वक्त इतनी ज्यादा गर्म थी कि वह अपने ससुर की बात को मानते हुए अपनी दोनों टांगों को फ़ैलाकर अपने ससुर के मूसल लंड को अपनी चूत पर सेट करते हुए अपने वजन के साथ नीचे बैठने लगी।

नीलम की चूत गीली होने के कारण महेश का लंड सरकता हुआ उसकी चूत में घुसने लगा। नीलम भी धीरे धीरे अपने वजन के साथ नीचे बैठते हुए अपने ससुर के लंड को पूरा अपनी चूत में लेने की कोशिश करने लगी।
थोड़ी ही देर में नीलम की चूत में उसके ससुर का पूरा लंड घुस चुका था और वह मज़े से अपनी आँखें बंद करते हुए अपने चूतड़ों को ऊपर नीचे करने लगी।

“उम्म्ह… अहह… हय… याह… बेटी ऐसे ही …” महेश अपनी बहू को उसकी हिलती हुई चूचियों से पकड़कर उसकी तारीफ करते हुए बोला।

नीलम और महेश के बीच का यह राउंड 30 मिनट तक चला जिसमें नीलम 2 बार झड़ी. एक बार अपने ससुर के लंड की सवारी करते हुए और दूसरी बार उल्टी कुतिया की तरह अपने ससुर से चुदवाते हुए।

दोनों बुरी तरह से थक चुके थे और दोनों एक दूसरे से अलग होकर बेड पर लेटकर हांफ रहे थे।

“पिता जी, आपने दो बार मेरी चूत में अपना वीर्य गिराया है, मुझे तो डर लग रहा है कि कहीं मैं आपके बच्चे की माँ न बन जाऊं क्योंकि आपका वीर्य सीधा मेरी बच्चेदानी में गिरा है.” नीलम ने परेशान होते हुए कहा।
“अरे तो क्या हुआ बेटी, तुम चिंता मत करो वैसे भी मेरे नालायक बेटे ने तो इतने सालों से बच्चा जना नहीं, अगर मुझसे तुम्हें बच्चा होता है तो इससे अच्छी क्या बात होगी.” महेश ने अपनी बहू को समझाते हुए कहा।
अपने ससुर की बात सुनकर नीलम शर्म के मारे कुछ नहीं बोल सकी।

“बेटी अब मुझे चलना चाहिए, काफी देर हो गई है.” महेश ने बेड से उठकर अपनी धोती को पहनते हुए कहा।
“ठीक है पिता जी!” नीलम ने सिर्फ इतना कहा।

महेश धोती पहनने के बाद वहां से चला गया.

वैसे ही बिल्कुल नंगी लेटी हुई नीलम कुछ सोच रही थी. आज उसे जितना मजा आया था शायद वह उसे अपनी ज़िंदगी का सबसे हसीन सुख और यादगार दिन मान रही थी।

नीलम को अपनी चूत में हल्का हल्का दर्द भी हो रहा था मगर जो मजा उसे अपने ससुर के साथ चुदाई में आया उसके सामने यह दर्द कुछ भी नहीं था। नीलम चुदाई से काफी थक चुकी थी इसलिए कुछ ही देर में उसे नींद ने अपनी आग़ोश में ले लिया।

इधर समीर ने भी आज अपनी बहन ज्योति को 2 बार खूब जमकर चोदा था। वह भी काफी थक चुका था इसीलिए वह भी उसके कमरे से निकल कर अपने कमरे में जाने लगा।

समीर अपने कमरे में जाते हुए मन ही मन में दुआ कर रहा था कि उसका सामने अपने पिता से नहीं हो क्योंकि उन्हें देखकर ना जाने क्यों समीर को उस पर गुस्सा आ जाता था क्योंकि वह उसके सामने ही उसकी बीवी के साथ सोया हुआ था।

समीर ने दरवाज़े के पास जाकर जैसे ही दरवाज़े को धक्का दिया वह अपने आप खुल गया. समीर जैसे ही अंदर दाखिल हुआ अपनी पत्नी को बिल्कुल नंगी सोई देखकर वह समझ गया कि आज भी उसकी पत्नी ने उसके पिता के साथ चुदाई की है।

समीर ने दरवाज़ा बंद किया और बेड पर चढ़ते हुए अपनी पत्नी के पास लेट गया। समीर ने ऊपर चढ़ते हुए जैसे ही अपनी पत्नी की चूत को देखा वह हैरान रह गया और न चाहते हुए भी उसका लंड खड़ा होने लगा। नीलम की चूत का छेद अभी तक खुला हुआ था और महेश के मोटे लंड से चुदते हुए वह सूजकर लाल हो चुकी थी।

समीर मन ही मन में सोच रहा था कि क्या उसके पिता का लंड इतना बड़ा है कि उसकी पत्नी की चूत उससे चुदवाते हुए ऐसे सूज गयी है और उसकी पत्नी जिसने आज तक समीर को सही तरीके से चुदाई का सुख नहीं दिया था वह इतनी जल्दी उसके पिता के इतने बड़े लंड से चुदने के लिए कैसे राज़ी हो गई?

यही सब बातें सोचते हुए उसके सिकुड़े हुए लंड में जान आ रही थी मगर उसे पता था कि उसकी पत्नी उसे कुछ भी करने नहीं देगी इसलिए वह कुछ ही देर में सोचते सोचते नींद की आग़ोश में चला गया।

अगली सुबह हर रोज़ की तरह समीर ऑफिस के लिए निकल गया और नीलम काम काज में लग गयी। ऐसे ही दोपहर हो गई और खाना खाने के बाद सभी अपने कमरों में सोने के लिए चले गए।
नीलम की नींद अभी तक पूरी नहीं हुई थी इसलिए उसने भी नींद पूरी करने का फैसला कर लिया, वह बाथरूम में जाकर फ्रेश होने लगी फ्रेश होकर जैसे ही वह बाहर निकली उसने देखा कि उसका ससुर बेड पर बैठा हुआ उसका इंतज़ार कर रहा था।

महेश ने जैसे ही अपनी बहू को बाथरूम से निकलते देखा उसका लंड झटके खाने लगा क्योंकि नीलम ने अपने जिस्म पर सिर्फ एक टॉवल लपेटा हुआ था और उसके काले घने बाल खुले हुए थे जिस कारण वह कुछ ज्यादा ही सेक्सी दिख रही थी।

बेड से उठकर महेश अपनी बहू के पास आ गया और उसे अपनी बांहों में भरकर उसके गीले गुलाबी होंठों को चूमने लगा. महेश ने यह सब इतनी जल्दी किया कि नीलम को कुछ बोलने का मौका ही नहीं मिला।

महेश ने जैसे ही कुछ देर तक नीलम के होंठों को चूमने के बाद उसके होंठों से अपने होंठ हटाये नीलम ने धक्का देकर महेश को अपने आप से दूर किया और खुद बहुत ज़ोर से हाँफने लगी।
“क्या हुआ बेटी मजा नहीं आया क्या?” महेश ने फिर से अपनी बहू के पास आते हुए कहा।
“बापू जी एक मिनट … मुझसे दूर रहिये, भला कोई ऐसे भी करता है.” नीलम ने हाँफते हुए कहा।

“बेटी क्या हुआ?” महेश ने इस बार दूर से ही नीलम से पूछा।
“पिता जी मैं थकी हुई हूँ. आप अभी जाइये. मैं आराम करना चाहती हूं.” नीलम ने अपने ससुर को देखते हुए कहा।
“अरे बेटी रात को नहीं सोयी थी क्या?” महेश ने फिर से नीलम से सवाल किया।
“हाँ सोई थी, मगर मेरा बदन अभी तक बहुत दर्द कर रहा है, आप रात के समय आ जाना!” नीलम ने अपने ससुर को समझाते हुए कहा।
“बेटी कहाँ पर दर्द है मैं उसे अभी दूर करता हूं.” महेश ने अपनी बहू को देखते हुए कहा।

“आप जाइये मुझे आराम करना है.” नीलम ने मन ही मन में मुस्कराते हुए अपने ससुर से कहा।
अब नीलम को यह जानकर खुशी होने लगी थी कि उसका ससुर उसकी चूत का दीवाना बनता जा रहा है.

“बेटी यह क्या बात हुई? मुझे तुम्हारी चिंता हो रही है, बताओ न कहाँ दर्द है. मैं चला जाऊँगा.” महेश ने अपनी बहू से छोटे बच्चे की तरह ज़िद करते हुए पूछा।
“पिता जी आप ऐसे मानेंगे नहीं, मुझे यहाँ पर दर्द है … रात आपने इतनी बुरी तरह से किया था कि अभी तक मुझे दर्द महसूस हो रहा है.” नीलम ने अखिरकार हार मानते हुए अपनी नज़रों को झुकाकर अपना हाथ अपने टॉवल के ऊपर से ही अपनी चूत पर रखते हुए कहा।


“ओह्ह्ह्ह … अब समझा बेटी मेरा लंड बहुत लम्बा और मोटा है इसीलिए पहली बार लेने में तुम्हें तकलीफ हो रही होगी मगर जैसे ही तुम अगली बार मेरा यह लंड अपनी चूत में ले लोगी तुम्हारा दर्द ख़त्म हो जाएगा क्योंकि फिर तुम्हारी चूत में यह अपनी जगह बना लेगा.”
“ठीक है पिता जी अब आप जाइये.” नीलम ने शर्म से अपना सिर वैसे ही नीचे किये हुए कहा।
“बेटी एक किस तो दे दो न … फिर चला जाऊँगा.” महेश ने अपनी बहू के क़रीब जाते हुए कहा।
“पिता जी आप भी … अच्छा यह लो.” नीलम ने अपने ससुर के गाल पर एक किस देते हुए कहा।

“बेटी यह क्या … अब तुम्हें किस करना भी सिखाना पड़ेगा क्या?” महेश ने अपनी बहू की तरफ देखा.
“पिता जी जाइये न प्लीज!” नीलम ने अपने ससुर को वहां से जाने के लिए मिन्नत की.

“चला जाऊँगा, मगर एक बार तुम्हारे इन मीठे गुलाबी लबों का ज़ायक़ा चख लूं!” महेश ने अपनी बहू की तरफ देखते हुए कहा और नीलम को अपने क़रीब करते हुए उसके होंठों पर अपने होंठों को रख दिया, महेश जितनी देर तक अपनी साँसों को थाम सकता था उतनी देर तक वह अपनी बहू के होंठों का रस चखता रहा।

महेश ने जैसे ही अपनी बहू के होंठों से अपने होंठों को अलग किया नीलम उससे दूर होकर ज़ोर से हाँफने लगी। महेश भी अपनी बहू को देखते हुए हांफ रहा था।
“पिता जी, अब जाइये न … आपने तो मेरी जान ही निकाल दी.” नीलम ने कुछ देर हाँफने के बाद अपने ससुर की तरफ गुस्से से देखा.
महेश अपनी बहू की बात सुनकर कमरे से निकल गया। महेश के जाते ही नीलम ने अपने कमरे का दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया और बेड पर जाकर लेट गयी।

महेश अपनी बहू के कमरे से निकलकर अपने कमरे में जाने लगा कि अचानक उसके दिमाग में न जाने क्या ख्याल आया और वह अपनी बेटी के कमरे की तरफ मुड़ गया।

महेश ने अपनी बेटी के कमरे के पास आकर जैसे ही दरवाज़े को धक्का दिया तो वह अपने आप खुल गया. महेश ने अंदर दाखिल होकर दरवाज़े को वापस बंद कर दिया, महेश ने देखा कि अंदर कोई भी नहीं है, तभी उसे बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ आई जिसे सुनकर वह समझ गया कि उसकी बेटी नहा रही है।

वो अपनी बेटी के बेड पर जाकर बैठ गया। बेड पर बैठते ही उसे एक और झटका लगा क्योंकि उसकी बेटी के कपड़े वहां पर पड़े हुए थे। महेश को यह समझने में ज़रा भी देर नहीं लगी कि उसकी बेटी अंदर से या तो बिल्कुल नंगी या सिर्फ टॉवल में निकलकर अपने कपड़े पहनती है इसीलिए तो उसके सारे कपड़े बेड पर पड़े थे.
महेश का लंड अपनी बेटी के जिस्म को सिर्फ टॉवल में देखने के बारे में सोचकर ही ज़ोर के झटके खाने लगा।

उसने बेड पर पड़ी हुयी अपनी बेटी की पेंटी को उठाया और उसे अपने नाक के पास ले जाकर सूँघने लगा। पेंटी धुली हुई थी इसीलिए महेश को उसमें से कोई भी गंध महसूस नहीं हुई।
महेश ने एक बार अपनी बेटी की पेंटी को चूमा और अपनी धोती को आगे से खोलकर उसे अपने पूरे लंड पर जगह जगह रखकर महसूस करने लगा, महेश यह सोचकर अपनी बेटी की पेंटी को अपने लंड पर महसूस कर रहा था कि थोड़ी देर बाद उसके लंड से लगी हुई पेंटी उसकी बेटी की चूत में फँसी हुई होगी।

अचानक बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ बंद हो गई तो महेश समझ गया कि उसकी बेटी नहा चुकी है इसीलिए उसने अपनी बेटी की पेंटी को उसी जगह रखा और खुद वहां से उठ कर सोफ़े पर जाकर बैठ गया। महेश बेड से इसलिए उठा था कि उसकी बेटी जैसे ही बाथरूम से निकले उसे पता न लगे कि वह यहाँ पर है. सोफा थोड़ा साइड में था। इसीलिए महेश को वहां पर बैठने में कोई झिझक नहीं हुई.

ज्योति नहाने के बाद तौलिया लपेटकर अपने कमरे में आती थी और कमरे में आकर वह उसी तौलिये को अपने जिस्म से हटाकर अपने जिस्म को पौंछती थी और अपने कपड़ों को पहन लेती थी।
हर रोज़ की तरह आज भी ज्योति ने अपने जिस्म पर टॉवल लपेटा और बाथरूम से निकल आई।

ज्योति बाथरूम से निकल कर अपने बेड की तरफ बढ़ने लगी। उसे यह पता नहीं था कि उसका पिता सोफ़े पर बैठा हुआ है, महेश जो चुपचाप सोफ़े पर बैठा हुआ था, उसका लंड अपनी बेटी के टॉवल में लिपटे हुए आधे नंगे जिस्म को देख कर ज़ोर के झटके खाने लगा और महेश का गला भी अपनी बेटी की जवानी को देख कर ख़ुश्क होने लगा जिसे वह अपनी थूक से गीला करने की कोशिश करने लगा।

बेड के पास आकर हर रोज़ की तरह ज्योति अपने तौलिये को अपने जिस्म से अलग करते हुए अपनी टांगों को एक एक करके बेड पर रखते हुए पौंछने लगी। तौलिया हटते ही अपनी बेटी के नंगे चिकने पेट और उसकी गोरी सी गांड को देख कर महेश की तबियत बिगड़ने लगी. महेश का मन हो रहा था कि अभी जाकर अपने लंड को अपनी बेटी की गांड में घुसेड़ दे. मगर वह ऐसा नहीं कर सकता था।

महेश मन ही मन में दुआ कर रहा था कि उसकी बेटी एक दफ़ा सीधी हो जाये ताकि उसे अपनी बेटी की असल जन्नत का दीदार हो सके। महेश सोच रहा था कि जब उसकी बेटी की गांड ही इतनी प्यारी है तो उसकी चूत और चूचियों का क्या आलम होगा और यही सोच कर उसका हाथ अपने आप उसकी धोती के अंदर अपने लंड तक पहुंच गया था.

ज्योति ने अपनी टांगों को पौंछने के बाद थोड़ी देर तक अपने बालों को पौंछा और फिर तौलिया बेड की तरफ फ़ेंक दिया। ज्योति ने तौलिया फेंकने के बाद अपनी पेंटी को उठाया और सीधी होकर उसे पहनने लगी।

महेश का पूरा जिस्म ज्योति के सीधे होते ही मज़े से कांप उठा। अपनी बेटी की गुलाबी चूत जिस पर एक भी बाल नहीं था, उसे देख कर महेश के मुंह का पानी सूखने लगा. शायद वह अभी अपनी चूत के बाल साफ़ करके आई थी.

महेश के लंड ने 3-4 बार ज़ोर के झटके दिए जिस वजह से उस में से प्रीकम की एक दो बूँद निकल गई. महेश अपनी बेटी के पूरे जिस्म को बड़े गौर से देख कर अपने लंड को सहला रहा था।
ज्योति झुक कर अपनी पेंटी को पहन रही थी जिस वजह से उसकी निगाह अपने पिता की तरफ नहीं गयी।

वह पेंटी पहनने के बाद फिर से अपनी ब्रा को उठाने के लिए उलटी हो गई। महेश ने सीधा होते हुए अपनी बेटी की गोल गोल चूचियों को भी अपनी आँखों में क़ैद कर लिया। ज्योति की चूचियों के दाने भी उसकी बहू की चूचियों की तरह गुलाबी थे.

ज्योति ब्रा उठाने के बाद जैसे ही सीधी होकर उसे पहनने लगी उसकी नज़र अपने पिता पर गयी, जो अपने हाथ को अपनी धोती में डाले हुए था. अपने पिता को देखकर शर्म और डर के मारे ज्योति के मुँह से एक चीख़ निकल गयी।
ज्योति ने जल्दी से अपनी साड़ी उठा कर अपने जिस्म को आगे से ढक दिया।

“अरे क्या हुआ बेटी तुम तो ऐसे डर गयी जैसे अपने सामने कोई साँप देख लिया हो?” महेश ने सोफ़े से उठकर अपनी बेटी के सामने खड़े होकर मुस्कराते हुए कहा।
“पिता जी, आपको शर्म आनी चाहिये!” ज्योति ने गुस्से से सिर्फ इतना कहा।
“वाह बेटी मुझे शर्म आनी चाहिए और तुम जो हर रात को अपने भाई का बिस्तर गर्म करती हो?” महेश ने अपनी बेटी के सामने ही अपना हाथ अपनी धोती के अंदर डालते हुए कहा।

“पिता जी प्लीज… आप यहाँ से चले जाइये.” ज्योति ने शर्म और गुस्से से अपना कन्धा नीचे करते हुए कहा.
ज्योति की आँखों से आंसू निकल आये थे।

“अरे बेटी, यह वक्त आंसू बहाने का नहीं बल्कि मज़े लेने का है. जब तुम अपने भाई के साथ सब कुछ कर चुकी हो तो अपने इस पिता पर भी थोड़ी दया कर दो. वैसे भी मेरा लौड़ा तुम्हारे भाई से बड़ा और तगड़ा है. तुम्हें इससे वह मजा आएगा कि तुम ज़िंदगी भर इसे अपनी चूत में लेने के लिए मिन्नतें करती रहोगी.” महेश ने अपनी धोती से अपने खड़े लंड को निकालकर ज्योति की आँखों के सामने करते हुए कहा।

“पिताजी जाइये, मैं आपके साथ कुछ नहीं कर सकती.” ज्योति की साँसें अपने पिता के लंड को देखते ही ज़ोर से चलने लगी और उसने अपनी नज़रों को वहां से हटाये बिना कहा।

“तुम कुछ मत करो, मगर एक बार इसे अपने हाथों में तो लेकर देखो.” महेश अपनी बेटी को इस तरह से अपने लंड की तरफ घूरता हुआ देख कर समझ गया कि चिड़िया दाना चुगने के लिए तैयार है इसीलिए उसने अपने लंड को अपने हाथ से ऊपर नीचे करते हुए अपनी बेटी से कहा।

“नहीं पिता जी, मुझे शर्म आती है.” ज्योति ने अपने पिता के लंड को गौर से घूरते हुए कहा उसका दिल अपने पिता के इतने बड़े लंड को नज़दीक से देख कर बहुत ज़ोर से धड़क रहा था और उसका पूरा जिस्म भी गर्म हो गया था।
महेश ने अपनी बेटी के एक हाथ को पकड़ कर अपने लंड के ऊपर रख दिया।

“आआह्ह पिता जी … यह क्या किया आपने?” ज्योति ने अपने हाथ को अपने पिता के गर्म और सख्त लंड पर पड़ते ही ज़ोर से सिसकारी भरते हुए कहा। ज्योति का पूरा जिस्म अपने हाथ को अपने बाप के लंड पर पड़ते ही सिहर उठा और उसके पूरे जिस्म को जैसे चींटियाँ काटने लगीं, ज्योति की साँसें बहुत ज़ोर से ऊपर नीचे हो रही थीं और उसे अपना हाथ वहां रखे हुए अजीब किस्म का मज़ा आ रहा था।

“क्या हुआ बेटी … तुम्हें अच्छा नहीं लगा क्या?” महेश ने अपने हाथ से अपनी बेटी के हाथ को अपने लंड पर आगे पीछे करते हुए कहा।
“ओहहहहह पिता जी छोड़िये ना!” ज्योति अपने हाथ को अपने पिता के पूरे लंड पर आगे पीछे होने के कारण मजा लेते हुए बोली.

उसे इतना मजा आ रहा था कि उसकी चूत से पानी बहना शुरू हो गया था मगर वह सिर्फ अपने पिता को दिखाने के लिए मना कर रही थी जबकि उसको अपने पिता के लंड को हाथ में लेने के बाद मजा आ रहा था.

“बेटी छोड़ दूंगा, मगर पहले थोड़ी देर तुम इसे महसूस तो कर लो.” महेश ने अपनी बेटी के हाथ को वैसे ही अपने लंड पर आगे पीछे करते हुए कहा।

थोड़ी देर में ही ज्योति खुद अपने हाथ को अपने पिता के लंड पर आगे पीछे करने लगी जिससे उसका पूरा जिस्म तप कर आग बन चुका था.

महेश ने मौका देखकर अपना हाथ अपनी बेटी के हाथ से हटा दिया और ज्योति के एक हाथ से पकड़ी हुई उसकी साड़ी को जो उसने अपने सीने के आगे रखी हुई थी अपने हाथ से खींचकर छीन लिया।

महेश ने साड़ी को बेड पर फ़ेंक दिया।
“पिता जी?” ज्योति अपने सीने के आगे से अपनी साड़ी के दूर होते ही होश में आते हुए अपने दोनों हाथों से अपनी चूचियों को ढकने लगी।
“बेटी इतना शर्माओ मत, अपने भाई का लंड भी तो आराम से ले लेती हो. वैसे मैं कुछ नहीं करूँगा … बस जब तक तुम मेरे लंड को महसूस करती हो तब तक मैं अपनी प्यारी बेटी की चूचियों को गौर से देखना चाहता हूं.” महेश ने अपने बेटी को कमर से पकड़ते हुए बेड पर बिठाते हुए कहा और खुद भी अपनी धोती को उतारकर उसके साथ बैठ गया।

“नहीं पिता जी, मुझे शर्म आती है.” ज्योति ने शर्म से वैसे ही अपनी चूचियों को अपने हाथों से ढके हुए कहा।
“बेटी शरमाओ मत, मैंने कहा न … मैं आगे कुछ नहीं करूंगा.” महेश ने अपनी बेटी के एक हाथ को ज़बरदस्ती खींच कर अपने लंड पर रखते हुए कहा।

ज्योति का पूरा जिस्म फिर से अपने पिता के गर्म लंड को छूने से कांप उठा और उसका हाथ अपने आप महेश के लंड पर आगे पीछे होने लगा।
“बेटी कितनी प्यारी चूचियां हैं तुम्हारी!” महेश ने अपनी बेटी के दूसरे हाथ को भी अपने हाथ से पकड़कर उसकी चूचियों से हटा दिया और उसकी दोनों गोरी गोरी चूचियों को देखकर उसकी तारीफ करते हुए कहा।

महेश ने अचानक अपने एक हाथ से अपनी बेटी की एक चूची को पकड़ कर अपनी मुट्ठी में भर लिया और उसे धीरे धीरे दबाने लगा।
“आह्ह्ह्ह पिता जी … वहां से अपना हाथ हटाइये ना!” ज्योति ने ज़ोर से सिसकते हुए कहा।

अपने पिता के हाथ को अपनी चूची पर महसूस करते ही उसकी हालत खराब होने लगी थी. उसकी चूत से पानी निकल रहा था जिस वजह से वह ज़ोर से अपने पिता के लंड को आगे पीछे करने लगी।

महेश का लंड पूरी मस्ती में आकर झटके खा रहा था जिस वजह से वह ज्योति के एक हाथ में समा ही नहीं पा रहा था।
“बेटी, अपने दोनों हाथों से पकड़ कर हिलाओ इसे!” महेश ने अपनी बेटी को समझाते हुए कहा।

ज्योति अपने पिता की बात सुनकर अपने दोनों हाथों से उसके लंड को पकड़ कर आगे पीछे करने लगी, ज्योति का पूरा जिस्म पसीने से भीग चुका था और वह तेजी से साँसें ले रही थी।

महेश भी अब बारी-बारी अपनी बेटी की दोनों चूचियों को अपने हाथ से दबा रहा था. वह अपनी बेटी की चूचियों को दबाते हुए उसकी चूचियों के गुलाबी दानों को एक एक करके अपनी उँगलियों के बीच लेकर मसल भी रहा था जिस वजह से ज्योति के मुंह से ज़ोर की सिसकारियां निकल रही थी और वह ज्यादा गर्म हो रही थी।

महेश अब अपने एक हाथ को अपनी बेटी की चूची से हटा कर नीचे ले जाने लगा, वह अपने हाथ से अपनी बेटी के चिकने पेट को सहलाते हुए उसकी पेंटी तक पहुँच गया।

ज्योति के मुंह से ज़ोर की सिसकारी निकल गयी और उसके दोनों हाथ उसके पिता के लंड पर ज़ोर से कस गए। महेश अपनी बेटी की इस हरकत से समझ गया कि वह अब पूरी गर्म हो गई है इसलिए उसने अपने हाथ से अपनी बेटी की चूत को उसकी गीली पेंटी के ऊपर से ही मसलना शुरू कर दिया।

मज़े से ज्योति की आँखें बंद होने लगी थी. उसे अपने पूरे शरीर में बहुत ज्यादा उत्तेजना महसूस हो रही थी और वह अपने दोनों हाथों से अपने पिता के लंड को मज़बूती से पकड़े हुए आगे पीछे कर रही थी। महेश भी अपने हाथ को तेज़ी के साथ अपनी बेटी की चूत पर चला रहा था।
“उम्म्ह… अहह… हय… याह… पिता जी ओह्ह ह्ह्ह” अचानक ज्योति का पूरा जिस्म अकड़ने लगा और उसकी चूत ज़ोर के झटके खाते हुए झड़ने लगी। झड़ते हुए ज्योति के मुंह से ज़ोर की सिसकारियां निकलने लगीं।

ज्योति का हाथ झड़ते हुए महेश के लंड पर इतना कसकर आगे पीछे होने लगा कि वह भी अपने आप को रोक नहीं पाया।
महेश के मुँह से भी ज़ोर जोर से सीत्कार फूट निकले और उसके लंड से वीर्य की बारिश होने लगी। महेश के लंड से वीर्य की बूँदें निकल कर ज्योति के जिस्म और उसकी जांघों पर गिरने लगीं, ज्योति जब तक खुद झड़ती रही, तब तक वह अपने पिता के लंड को ज़ोर से पकड़ कर निचोड़ती रही।

ज्योति ने जैसे ही पूरी तरह झड़ने के बाद अपनी आँखें खोली शर्म के मारे उसने अपने हाथ को अपने पिता के लंड से हटा लिया और वह खुद के कपड़े लेकर बाथरूम में भाग गयी।

महेश भी झड़ने के बाद थक गया था. वह अपनी बेटी के आने का इंतज़ार करने लगा, थोड़ी ही देर में ज्योति कपड़े पहन कर बाहर निकली मगर वह बेड की तरफ आने की बजाय सोफ़े पर जाकर बैठ गयी।

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