“बेटी जब समीर ऑफिस से घर आता है तो तेरी सास और ज्योति सोयी हुयी होती हैं हमें उस वक्त कुछ ऐसा करना होगा जिससे समीर हैरान हो जाए.” महेश ने अपनी बहू को आइडिया देते हुए कहा।
“हाँ पिता जी, आपकी बात तो बिल्कुल ठीक है, मगर हमें क्या करना होगा?” नीलम ने अपने ससुर की तरफ देखते हुए पूछा।
“बेटी मैंने पहले ही कहा था कि तुम्हें यह सब करने में शर्म छोड़नी होगी. हमें समीर को ऐसे दिखाना है जैसे हमारे बीच जिस्मानी सम्बन्ध चल रहा है.” महेश ने अपनी बहू की तरफ हवस भरी नजरों से देखा।
“पिता जी मैं तैयार हूँ, मगर हमें करना क्या होगा?” नीलम ने अपने ससुर से पूछा।
“बेटी जब समीर घर में दाखिल होता है तो वह सीधे अपने कमरे में आता है, हमें उसके आने से पहले उस कमरे में बिल्कुल नंगे होकर एक दूसरे की बांहों में सोना होगा और जैसे ही वह दाखिल हो तुम्हें उठकर यह कहना होगा ‘अरे बापू, आपने दरवाज़ा भी बंद नहीं किया। आज यह टाइम इतनी जल्दी कैसे बीत गया.” महेश ने अपना प्लान अपनी बहू को समझाते हुए कहा।
“पिता जी आपने सही कहा था, मेरे लिए यह मुश्किल है, मगर मैं अपने पति को पाने के लिए कुछ भी कर सकती हूं.” नीलम ने अपने ससुर की पूरी बात सुनकर शर्म से अपनी नज़रें नीचे करते हुए कहा।
“वेरी गुड बेटी, ऐसे ही तुम्हें अपने ऊपर पूरा आत्मविश्वास रखना होगा.” महेश ने अपने बहू की तारीफ करते हुए कहा।
“ठीक है पिताजी, आप 4.30 बजे आ जाना। वह 5 बजे आते हैं तब तक हम बंदोबस्त कर लेंगे.” नीलम ने अपनी नज़रें नीचे किये हुए ही कहा।
“ठीक है बेटी, अब मैं चलता हूँ.” महेश ने अपनी बहू की बात सुनकर वहां से जाते हुए कहा।
महेश कमरे से निकलकर ख़ुशी से उछल पड़ा कि कितनी आसानी से उसने अपनी बहू को बेवक़ूफ़ बना लिया था, अब वह अपने कमरे में आकर बेसब्री से शाम का इंतज़ार करने लगा। आने वाले टाइम का सोचते हुए ही उसका लौड़ा तेज़ी से उछल रहा था।
नीलम भी कुछ देर तक बैठकर आने वाले टाइम के बारे में सोचती रही, जाने क्यों अपने ससुर के साथ नंगी सोने का सोचते हुए ही आज नीलम की चूत से पानी बहने लगा था। नीलम को अपने आप पर बहुत घिन आ रही थी इसीलिए वह उठकर घर का काम काज करने में लग गई. ऐसे ही टाइम बीत गया और शाम के 4.30 बज गये।
नीलम अपने कमरे में बैठी हुई अपने ससुर का इंतज़ार कर रही थी. उसका दिल आने वाले टाइम के बारे में सोचते हुए ज़ोर से धड़क रहा था।
अचानक कमरे का दरवाज़ा खुला और महेश अंदर दाखिल हो गये।
“बापू आप आ गये, मुझे तो बुहत डर लग रहा है शायद मैं यह सब नहीं कर पाऊँगी.” नीलम ने अपने ससुर को देखते ही बेड से उठते हुए कहा।
“क्या कहा बहू, कहीं तुम पागल तो नहीं हो गई हो?” महेश ने हैरानी और गुस्से से नीलम को देखते हुए कहा।
“बापू जी मैं सही कह रही हूँ, मुझसे यह सब नहीं होगा, मुझे अभी से शर्म आ रही है.” नीलम ने अपने ससुर को साफ़ जवाब देते हुए कहा।
“बहू तुम ज्यादा चिंता क्यों करती हो। मैं हूँ न तुम्हारे साथ!” महेश ने बात को अपने हाथ से जाता हुआ देखकर अपनी बहु के पास जाकर उसके हाथ को पकड़ते हुए कहा।
“न जाने क्यों मुझे अपने ऊपर यकीन नहीं हो रहा है, क्या मैं यह कर सकती हूँ?” नीलम ने अपने ससुर की तरफ अविश्वास की नजरों से देखा।
“बेटी क्या तुम चाहती हो कि तेरा पति सारी ज़िंदगी तेरे सामने किसी दूसरी औरत को चोदता रहे और तुम देखती रहो? हिम्मत करो बेटी, तुम कर सकती हो, मुझे तुम पर यकीन है।”
“पिता जी मैं जानती हूँ कि आप मुझे दुखी नहीं देख सकते, मगर न जाने क्यों मेरा दिल नहीं मान रहा है.” नीलम के चेहरे पर एक असमंजस थी.
“बेटी तुम्हारे लिए जब मैं हर हद पार करने को तैयार हूँ तो फिर तुम क्यों डर रही हो? लो पहले मैं ही शुरुआत कर देता हूँ अपने रिश्ते को तार तार करने की”
महेश किसी भी कीमत पर यह मौका गँवाना नहीं चाहता था। इसीलिए उसने अपनी धोती को खोलकर नीचे फ़ेंक दिया।
“बापू जी! ये … आपका …” नीलम अपने सामने अपने ससुर के नंगे फनफनाते हुए मूसल लंड को देखकर हैरानी से अपना हाथ अपने मुँह पर रखकर बोली।
“क्या हुआ बेटी?” महेश अपनी बहू के सामने यूं ही नंगा खड़ा हुआ बोला। नीलम की नज़रें अपने ससुर के लंड पर टिक चुकी थी। महेश का लंड देखते हुए नीलम को अपने पूरे शरीर में अजीब किस्म की सिहरन का अहसास हो रहा था और न चाहते हुए भी उसकी चूत गीली होने लगी।
“बापू जी, प्लीज अपनी धोती पहन लो.” नीलम ने बिना अपनी नज़रें हटाये ज़ोर से साँस लेते हुए कहा। नीलम ने अपनी ज़िंदगी में कभी इतना बड़ा और मोटा लंड नहीं देखा था।
“बेटी मैंने तुम्हारी शर्म ख़त्म करने के लिए ही अपनी धोती हटायी है.” महेश ने आगे बढ़ते हुए नीलम के बिल्कुल पास खड़े होते हुए कहा।
“प्लीज बापू, मुझसे दूर हटिये इसे देखकर मुझे जाने क्या हो रहा है.” नीलम फिर से उत्तेजना के मारे तेज़ साँसें लेते हुए बोली।
“बेटी, अगर तुमने मेरा साथ नहीं दिया तो मैं सारी ज़िंदगी अपने आपको माफ़ नहीं कर पाऊँगा कि मैंने अपनी बहू के लिए कुछ नहीं किया.” महेश ने नीलम का हाथ पकड़ते हुए कहा।
“हाहहह … पिता जी मुझे पता है आप यह सब मेरे लिए कर रहे हैं, मगर मुझे अपने ऊपर यकीन नहीं है कि कहीं मैं बहक न जाऊं!” नीलम ने अपने नर्म हाथ पर अपने ससुर का ठोस हाथ पड़ते ही कहा।
“बेटी तुम मेरा अपमान कर रही हो, क्या तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं है?” महेश के स्वर में अब एक बनावटी गुस्सा था ताकि वो नीलम को अपना लंड पकड़ने के लिए तैयार कर सके।
“नहीं पिताजी, मैं आप पर शक नहीं कर रही, ठीक है मैं तैयार हूँ. मगर सब कुछ आपको ही करना होगा.” नीलम ने आख़िरकार हार मानते हुए कहा।
“सब कुछ मुझे करना होगा? बेटी मैं समझा नहीं?”
“वो पिताजी… मेरा मतलब है कि मुझे शर्म आ रही है इसीलिए मेरे कपड़े आपको ही …” कहते हुए नीलम रुक गई और उस ने शर्म से अपनी नज़रें झुका लीं।
“ओह्ह्ह्ह … मैं समझ गया, ठीक है मैं ही तुम्हारे कपड़े उतारता हूँ.” महेश ने कहा और नीलम की साड़ी में हाथ डालकर उसे उसके जिस्म से अलग करने लगा, दो मिनट में ही नीलम की साड़ी उसके जिस्म से हट गयी और वह अपने ससुर के सामने आधी नंगी होकर सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में ख़ड़ी थी।
“ओहह बेटी, तुम कितनी सुंदर हो फिर भी वह नालायक …” महेश ने अपनी बहू की साड़ी उतारने के बाद सिर्फ इतना कहा और अपनी बहू के ब्लाउज को खोलने लगा।
ब्लाउज खोलने के बाद महेश ने अपनी बहू की ब्रा को भी उसके जिस्म से अलग कर दिया, ब्रा के हटते ही नीलम की 36 की चूचियाँ बिल्कुल नंगी होकर उसके ससुर के सामने आ गयी।
महेश का लंड अपनी बहू की नंगी चूचियों को देखकर ज़ोर से झटके खाने लगा। नीलम शर्म से अपना सर नीचे किये हुए थी। इसीलिए उसे अपनी आँखों के सामने सीधा अपने ससुर का झटके खाता हुआ मूसल लंड नज़र आ रहा था, अपने ससुर के लंड को घूरते हुए नीलम को अपने पूरे शरीर में अजीब सिहरन हो रही थी और उसकी चूत से उत्तेजना के मारे और ज्यादा पानी निकल रहा था।
महेश ने अब नीचे झुक कर अपनी बहू के पेटीकोट को भी उसके जिस्म से अलग कर दिया और उसकी छोटी सी काली पेंटी को गौर से देखने लगा जो उसकी चूत के पानी से भीगी हुइ थी।
महेश ने कुछ देर तक अपनी बहू की पेंटी को गौर से देखने के बाद उसे अपने दोनों हाथों से पकड़कर नीलम के चूतड़ों से नीचे सरका दिया।
“ओहह बेटी … क्या गज़ब चूत है.” पेंटी के हटते ही अपनी बहू की गुलाबी चूत को देखकर महेश के मुँह से निकल गया।
नीलम की हालत खराब हो चुकी थी। वह खुद हैरान थी कि आज वह इतनी गर्म कैसे हो गई है और उसकी चूत से इतना पानी कैसे निकल रहा है।
“बेटी समीर आने वाला ही होगा हमें जल्दी से सोना होगा.” महेश ने सीधा होते हुए कहा।
“जी पिता जी!” नीलम ने सिर्फ इतना कहा और धीरे धीरे चलते हुए बेड पर जा लेटी।
हेश भी बेड पर चढ़कर अपनी बहू के साथ जा लेटा। उसका लंड ज़ोर के झटके खा रहा था।
“बेटी अब तो हमने एक दूसरे को नंगा देख ही लिया है तो शर्म कैसी। लेकिन हमें समीर को जलाने के लिए थोड़ा और आगे बढ़ना होगा.” महेश ने अपनी बहू की तरफ देखते हुए कहा।
“जी पिता जी, जैसे आपको ठीक लगे, मैं तैयार हूं.” नीलम ने शर्म के मारे अपनी नज़रें झुकाते हुए कहा. यह बात कहते हुए नीलम की साँसें ज़ोर से चल रही थी।
“बेटी मुझे गलत मत समझना, मगर जब तक समीर न आ जाये हमें एक दूसरे की बांहों में बांहें डालकर सोना होगा.” महेश ने अपनी बहू की इजाज़त पाते ही अपने एक बाज़ू को नीलम के सिर के नीचे डालकर उसे अपनी तरफ सरकाते हुए कहा।
“ठीक है पिता जी!” नीलम ने सिर्फ इतना कहा। महेश ने अपनी बहू की बात सुनकर उसको कमर से पकड़कर अपनी तरफ करते हुए अपनी बांहों में भर लिया।
“आआह्ह बेटी, अपने बाज़ू को मेरी पीठ पर रख लो ताकि देखने वाले को हम पर कोई शक न हो.” अपने नंगे सीने से अपनी बहू की नंगी नर्म चूचियों के टकराने से महेश ने ज़ोर से सिसकते हुए आदेश दिया।
नीलम को आज तक किसी गैर मर्द ने छुआ तक नहीं था। यहाँ तो वह पूरी नंगी होकर अपने ससुर के साथ लिपटी हुयी थी जिस वजह से उसका पूरा जिस्म तपकर आग बन चुका था। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे? बस उसे अपने पूरे जिस्म में चींटियाँ रेंगते हुए महसूस हो रही थीं। अपने ससुर की बात सुनकर उसने अपने हाथ को महेश की पीठ पर रखकर उसे ज़ोर से अपने सीने से दबा दिया।
“आह्ह्ह बेटी, शाबाश … अब हमें एक दूसरे का चुम्बन लेना होगा.” महेश ने अपनी बहू को गर्म देखकर उसे बहुत ज़ोर से अपनी बांहों में दबाते हुए कहा।
नीलम को भी उस वक्त कुछ समझ में नहीं आ रहा था। उसका पूरा जिस्म टूट रहा था. उसका मन बस यह चाह रहा था कि उसके जिस्म को कोई बहुत ज़ोर से अपनी बांहों में लेकर दबाए, महेश ने अपनी बहू को खामोश देखकर उसके सिर को ऊपर करके अपने होंठों के बिल्कुल क़रीब कर दिया।
“बेटी क्या मैं आगे बढ़ सकता हूँ?” महेश ने अपने होंठों को अपनी बहू के होंठों से बिल्कुल सटाते हुए पूछा।
महेश और नीलम के मुँह एक दूसरे से इतना क़रीब थे कि दोनों को एक दूसरे की साँसें महसूस हो रही थी। नीलम का तो उत्तेजना के मारे बुरा हाल था. वह शर्म के मारे मुँह से कुछ बोल नहीं पा रही थी इसीलिए उसने अपने होंठों को थोड़ा आगे कर दिया जो सीधा जाकर महेश के होंठों से लग गए।
अपनी बहू के गर्म होंठों को अपने होंठों पर महसूस करते ही महेश का पूरा बदन कांप उठा और वह अपनी बहू को ज़ोर से अपनी बांहों में दबाते हुए उसके होंठों को चूमने और चाटने लगा।
इधर नीलम का भी वही हाल था. वह अपने ससुर के होंठों से अपने लबों के मिलते ही वह भी सब कुछ भूलकर अपने ससुर के आग़ोश में खो गई, दोनों ससुर-बहू तेज़ी के साथ एक दूसरे को अपनी बांहों में दबाते हुए एक दूसरे के लबों को चूस रहे थे।
अपने ससुर से चूमा चाटी करते हुए नीलम का पूरा जिस्म कांप रहा था और उसका हाथ महेश की पूरी पीठ को सहला रहा था।
अचानक नीलम ने अपनी एक टाँग को उठा कर अपने ससुर की टाँग पर रख दिया, महेश अपनी बहू की इस हरकत से तिलमिला उठा और वह अपने पैर से अपनी बहू की पूरी टाँग को सहलाते हुए अपने हाथ से नीलम के चूतड़ को पकड़कर सहलाने लगा और उसकी चूत को अपने लंड से सटा दिया।
नीलम अपनी चूत पर अपने ससुर के लंड को महसूस करते ही गर्म होते हुए पागलों की तरह अपनी चूत को उसके लंड पर दबाने लगी। महेश भी अपनी बहू को गर्म देख कर उसके चूतड़ों को पकड़कर ज़ोर से अपने लंड पर दबाने लगा और अपनी बहू की जीभ को पकड़ कर अपने मुँह में लेकर चूसने लगा।
नीलम का जिस्म अचानक अकड़ने लगा और उसकी चूत ज़ोर के झटके खाते हुए झड़ने लगी। नीलम ने झड़ते हुए अपने नाखूनों को ज़ोर से अपने ससुर की पीठ में गड़ा दिया और खुद अपने मुँह को अपने ससुर के मुँह से अलग करके ज़ोर से हाँफते हुए झड़ने लगी।
“आआह्ह्ह बेटी!” अपनी पीठ पर नीलम के नाख़ून के लगते ही महेश के मुँह से ज़ोर की चीख़ निकल गयी और उसने गुस्से से अपनी बहू की एक चूची को पकड़ कर अपने मुँह में भरकर ज़ोर से काट दिया।
“उईई माँ … बापू जी!” नीलम ने दर्द के मारे चीखते हुए कहा.
तभी कमरे का दरवाज़ा खुला और समीर अंदर दाखिल हो गया। समीर जैसे ही अंदर दाखिल हुआ अपने पिता और अपनी पत्नी को बिल्कुल नंगा एक दूसरे की बांहों में देख कर उसका मुँह खुला का खुला रह गया।
नीलम दरवाज़े की आवाज़ को सुनकर अपने ससुर से अलग हो गई और जल्दी से अपनी साड़ी को उठाकर अपने जिस्म को आगे से ढक लिया।
“बापू जी आप भी न … दरवाज़ा तो बंद कर लेते! आप को पता है जब हम दोनों साथ में होते हैं तो टाइम कितनी जल्दी आगे बढ़ता है.” नीलम ने एक क़ातिल मुस्कान के साथ समीर को देखते हुए कहा।
“सॉरी बेटी, मैं अगली बार ख़याल रखूँगा.” महेश ने भी अपनी धोती उठाकर पहनते हुए कहा और चुपचाप वहां से निकल गया।
“नीलम तुम बापू के साथ नंगी? नहीं! मुझे अब भी अपनी आँखों पर यकीन नहीं हो रहा है.” समीर ने अपने पिता के जाने के बाद बेड पर अपना माथा पकड़ते हुए कहा।
“डार्लिंग, ज्यादा मत सोचो, वरना सर में दर्द हो जायेगा। सच्ची में मुझे तो आज पता चला है कि चुदाई का असल मजा क्या होता है और बापू के साथ तो मुझे इतना मजा आया कि पूछो मत। मैं तो अपने ससुर की दीवानी हो गई। असली मर्द है वह. कितना लम्बा और मोटा था उनका ओफ्फ … मेरी तो जान ही निकल गयी उनके साथ करते हुये!”
नीलम अपने पति को जलाने के लिए जाने क्या क्या बोल गयी. उसे खुद हैरानी हो रही थी कि वह अपने पति से इतना गन्दा कैसे बोल गयी।
“नीलम तुम इतना गिर सकती हो, मैं सोच भी नहीं सकता!” समीर ने गुस्से से अपनी पत्नी को देखते हुए कहा।
“अभी तो शुरुआत है मेरे पति देव. मैं तुम्हें बताऊँगी कि जब औरत अपने पर आती है तो वह क्या कर सकती है!” नीलम ने मुस्कराते हुए कहा और अपने कपड़ों को लेकर बाथरूम में चली गयी।
“ख़ाना डार्लिंग!” नीलम कुछ देर में ही बाथरूम से निकलकर किचन से खाना ले आई और उसे अपने पति के सामने रखते हुए कहा।
“क्यों आज तुम नहीं खाओगी?” समीर ने नीलम की तरफ देखते हुए कहा।
“डार्लिंग, मैंने अपनी हर भूख को तुम्हारे बिना ही मिटाने का बंदोबस्त कर लिया है.” नीलम ने अपने पति को देखते हुए मुस्कराकर कहा।
समीर को कुछ समझ में नहीं आ रहा था। कहाँ कल उसकी पत्नी उसके पीछे पीछे भागती थी. आज वह उसके साथ खाना खाने के लिए भी तैयार नहीं थी। समीर ने अपने हाथों को साफ़ करके जैसे तैसे खाना खाया और सोचते हुए बेड पर लेट गया, नीलम खाने के बर्तनों को वापस रसोई में छोड़कर खुद बाहर जाकर टीवी ऑन करके देखने लगी।
नीलम आज बुहत खुश थी, मगर वह अपने ऊपर शर्मिंदा भी थी कि वह अपने ऊपर कण्ट्रोल न रख सकी और अपने ससुर के साथ ही वह इतना आगे बढ़ गयी। नीलम ने दिल ही दिल में सोच लिया था कि वह अब अपने ससुर से अपनी गलती की माफ़ी माँगेगी।
“क्या हो रहा है बेटी?” अचानक महेश अपने कमरे से निकलकर अपनी बहू के पास खड़ा होकर बोले।
“पिता जी थैंक्स, आपकी वजह से आज मुझे अपने पति को सजा देने में मदद मिली.” नीलम ने अपने ससुर को देखते ही सोफ़े से उठकर उनके गले से लगते हुए कहा।
“बेटी इसमें शुक्रिया की क्या बात है, यह तो मेरा फ़र्ज़ था.” महेश ने मौके का फ़ायदा उठाते हुए अपनी बहू को जोर से अपनी बांहों में दबाते हुए कहा। नीलम को अपने ससुर से गले लगते ही अहसास हो गया था कि उसने गलती कर दी है क्योंकि महेश से गले लगते ही उसका लंड जो उस वक्त भी बिल्कुल तना हुआ था वह आगे से नीलम की चूत पर टक्कर मारने लगा।
“पिता जी मुझे माफ़ कर दें.” नीलम ने जल्दी से अपने ससुर से अलग होते हुए कहा।
“क्या हुआ बेटी अब माफ़ी किस बात के लिए माँग रही हो?” महेश ने हैरान होते हुए कहा।
“वो … पिता जी हमें इतना आगे नहीं बढ़ना चाहिए था.” नीलम ने शर्म से अपना मुँह दूसरी तरफ कर रखा था।
“बेटी इसमें तुम्हारा कोई दोष नहीं है, बस हम दोनों इंसान हैं और गलती तो इन्सानों से ही होती है. मगर मैं उस बात के लिए तुम से बिल्कुल ख़फ़ा नहीं हूँ। हकीकत तो यह है कि उस वक्त मैं भी बहक गया था तुम्हारे साथ!” महेश ने अपनी बहू के पीछे जाकर खड़ा होते हुए कहा।
“बापू, मगर यह सब ठीक नहीं है, हमें अपने ऊपर कण्ट्रोल रखना चाहिये.” नीलम ने चिंता जताते हुए कहा।
“बेटी तुम हो ही इतनी सुंदर कि तुम्हें देखकर कोई भी कण्ट्रोल खो बैठेगा.” महेश ने थोड़ा आगे होते हुए अपनी बहू को पीछे से अपनी बांहों में भर लिया।
“पिता जी यह आप क्या कर रहे हैं?” नीलम ने अपने ससुर के खड़े लंड को अपने चूतड़ों पर साड़ी के ऊपर से ही महसूस करके ज़ोर से साँसें लेते हुए कहा।
“बहू सच कह रहा हूँ, मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ.” महेश ने अपनी बांहों को अपनी बहू के जिस्म पर कसते हुए कहा।
“पिता जी छोड़िये मुझे, यह सब ठीक नहीं है.” नीलम ने अपने आप को अपने ससुर से छुड़ाकर सोफ़े पर जाकर बैठते हुए कहा।
नीलम की साँसें ज़ोर से चल रही थी. उसे खुद पर हैरानी हो रही थी कि वह अपने ससुर के क़रीब आते ही इतनी गर्म क्यों हो जाती है कि उसे अपने ससुर की हर हरकत मजा देने लगती है।
“बहू तुम बस मेरी एक बात का जवाब दो, जब मैं तुम्हें छूता हूँ तो तुम्हें कैसा महसूस होता है?” महेश ने भी अपनी बहू के पास जाकर बैठते हुए कहा।
“पिता जी, यह कैसा सवाल है?” नीलम ने शरमाते हुए कहा।
“बेटी, जो मैं पूछ रहा हूँ उसका जवाब दो.” महेश ने अपनी बहू का हाथ पकड़ते हुए कहा।
अपने ससुर का हाथ लगते ही नीलम के पूरे शरीर में एक सिहरन सी दौड़ गयी।
“बापू जी, जब आप मुझे छूते हैं तो मुझे पूरे शरीर में कुछ होने लगता है.” नीलम ने शर्म से अपना सर नीचे करते हुए कहा।
“बेटी आखिरी सवाल, जब मैं तुम्हारे क़रीब आता हूँ तो तुम्हारा मन मुझसे दूर भागने की सोचता है या और क़रीब आने की?” नीलम की बात सुनकर महेश ने उसके हाथ को सहलाते हुए पूछा।
नीलम का पूरा चेहरा शर्म से लाल हो गया था वह कुछ बोले बिना ही अपने सर झुकाये बैठी थी।
“बताओ न बेटी… मैं वादा करता हूँ इसके बाद मैं तुमसे कोई सवाल नहीं करूंगा” महेश ने नीलम की तरफ देखते हुए कहा।
“पिता जी सच तो यह है कि आपके क़रीब आने से मेरा अंग अंग झूम उठता है और न चाहते हुए भी मेरा दिल आपके क़रीब आने को कहता है। मगर बाद में मुझे यह सब गलत महसूस होता है.” नीलम ने अपने ससुर को जवाब देते हुए कहा।
“बेटी जब तुम्हें मेरा छूना अच्छा लगता है, मेरे क़रीब आने को दिल करता है तो फिर तुम्हें किस चीज़ की चिंता है. जब तुम्हारा पति ही तुमसे बेवफ़ाई कर रहा है तो फिर तुम क्यों घुट घुट कर जी रही हो?” महेश ने नीलम को समझाते हुए कहा।
“पिता जी शायद आप सच कह रहे हैं, मगर मेरा मन आपके साथ सम्बन्ध बनाने को पाप मानता है.” नीलम ने अपने ससुर से कहा।
“ठीक है बेटी मेरा तुम से वादा है जब तक तुम अपने मुँह से नहीं कहोगी मैं तुम्हारे साथ आगे नहीं बढूँगा मगर जितना हम एक दूसरे के क़रीब आ गये हैं उतने का तो मजा ले सकते हैं.” महेश ने आखिरी पत्ता फेंकते हुए कहा।
“मैं कुछ समझी नहीं पिता जी!” नीलम ने अपना चेहरा ऊपर करते हुए कहा।
“बेटी मेरे कहने का मक़सद है कि हम भले ही एक दूसरे के साथ सारी हदें पार न करें मगर थोड़ा बहुत जो हम एक दूसरे से जुड़ चुके हैं उसे तो हमें ख़त्म नहीं करना चाहिये.” महेश ने अपनी बहू की आँखों में निहारते हुए कहा।
नीलम समझ गयी कि उसके ससुर क्या कहना चाहते हैं इसीलिए उसने शर्म से अपना कन्धा नीचे कर दिया।
“बेटी इसका मतलब अब तुम मुझसे कोई रिश्ता बाकी रखना नहीं चाहती?” महेश ने नाटक करके वहां से उठते हुए कहा।
“पिता जी आपके सिवा मेरा कौन है यहां?” नीलम ने अपने ससुर के हाथ को पकड़ते हुए उनको रोका।
“ओह्ह बेटी, मैं तो समझा था कि तुमने मुझसे दूर होने का फैसला कर लिया है.” महेश ने ख़ुशी से अपनी बहू के साथ सोफ़े पर बैठते हुए कहा और अपनी बहू का हाथ पकड़कर उसे अपने ऊपर गिराते हुए खुद भी सोफ़े पर सीधा होकर लेट गया।
महेश के ऐसा करने से नीलम सीधा अपने ससुर के ऊपर गिर गयी और उसकी चूचियां सीधे उसके ससुर के सीने में दब गयीं। नीलम का मुँह अपने ससुर के मुँह के बिल्कुल क़रीब हो गया और दोनों की साँसें एक दूसरे से टकराने लगी, नीलम की साँसें ज़ोर से चल रही थी। महेश ने थोड़ी देर तक अपनी बहू के गुलाबी होंठों को देखने के बाद अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिये।
अपने ससुर के होंठों से अपने होंठ मिलते ही नीलम पर अजीब किस्म का नशा छाने लगा और वह अपने ससुर के साथ लम्बी फ्रेंच किस में खोती चली गयी। कुछ देर बाद जब दोनों की साँसें फूलने लगीं तो दोनों ने अपने होंठ एक दूसरे से अलग किये, नीलम फिर से बुहत ज़ोर से हाँफते हुए साँस लेने लगी।
“आहह बेटी … क्या मीठे होंठ हैं तुम्हारे!” महेश ने अपने होंठों पर अपनी जीभ फिराते हुए कहा।
“पिता जी, चलो मैं आप से बात नहीं करती.” नीलम शर्म से अपने ससुर के सीने पर मुक्के मारकर वहां से उठते हुए बोली।
“बेटी, तुम तो नाराज़ हो गई, क्या करूँ तुम्हारी हर चीज़ मुझे इतनी सुंदर लगती है कि मैं अपने आप को रोक नहीं पाता!” महेश ने अपनी बहू को बाज़ू से पकड़ते हुए कहा।
“छोड़ो पिता जी, इस वक्त यह सब ठीक नहीं है, हम रात को मिलेंगे.” नीलम ने अपने ससुर को समझाते हुए कहा।
“बेटी यह देखो तुम्हारे साथ थोड़ी देर रहने पर भी यह कैसे उठ जाता है.” महेश ने सोफ़े से उठकर अपने खड़े लंड को धोती के ऊपर से ही पकड़कर अपनी बहू को दिखाते हुए कहा।
“पिता जी आप बड़े बेशर्म हैं छोड़िये मुझे!” अपने ससुर के खड़े लंड को देखकर नीलम का पूरा शरीर सिहर उठा और उसने शर्म से अपना मुँह दूसरी तरफ करते हुए कहा।
“क्यों बेटी, तुम्हें यह अच्छा नहीं लगता?” महेश ने अपनी बहू के पीछे जाकर उसे अपनी दोनों बांहों में भरकर अपने लंड को उसके चूतड़ों से रगड़ते हुए कहा।
“आह्ह्ह्ह पिता जी छोड़िये ना!” नीलम ने अपने ससुर के लंड को अपने चूतड़ों पर लगते ही सिसककर कहा। नीलम को अपने ससुर का लंड अपने चूतड़ों पर इतना अच्छा लग रहा था कि वह उनसे दूर हटने की कोशिश भी नहीं कर रही थी।
महेश ने अपने दोनों हाथों को अपनी बहू की साड़ी में डालकर उसकी नंगी कमर को पकड़ लिया और उसे पकड़कर अपने लंड का दबाव देने लगा।
“आह्ह्ह्ह पिता जी छोड़िये न… कोई आ जायेगा.” नीलम ने फिर से सिसकते हुए कहा।
नीलम को अपने पूरे शरीर में एक अजीब किस्म के मज़े का अहसास हो रहा था, उसे खुद पता नहीं था कि उसके ससुर में क्या जादू है… जब भी वह उसके जिस्म को छूते हैं तो वह सब कुछ भूलकर उसका साथ देने लगती है।
महेश अब मज़े से अपने लंड को अपनी बहू के चूतड़ों में धक्के मार रहा था। ऐसा करते हुए महेश को जन्नत का मज़ा आ रहा था। इधर नीलम की चूत भी गीली हो चुकी थी. उसका पूरा शरीर कांप रहा था और उसने मज़े के सागर में डूबकर अपनी आँखें बंद कर ली थी।
अचानक महेश अपनी बेटी को दूर से आता देखकर अपनी बहू को छोड़कर सोफ़े पर बैठ गया।
नीलम ने जैसे ही महसूस किया कि उसके पीछे कोई भी नहीं है वह होश में आई और अपनी आँखें खोलकर देखने लगी।
“क्या हुआ भाभी खड़े खड़े नींद आ गयी क्या आपको?” नीलम के सामने ज्योति खड़ी थी जो मुस्कराकर उसे टोक रही थी।
“नहीं तो!” नीलम ने अपने आपको संभालते हुए कहा और वहां से अपने कमरे में चली गयी।
नीलम के जाते ही ज्योति अपने पिता के सामने सोफ़े पर जा बैठी। महेश चुपचाप सोफ़े पर बैठा हुआ था। उसे पता था कि ज्योति ने उसे नीलम के साथ चिपके हुए देख लिया है।
“पिता जी इस वक्त आप यहाँ…? क्या बात है?” ज्योति ने शरारती मुस्कान के साथ अपने पिता को देखते हुए कहा।
“वो बेटी बस ऐसे ही अपने कमरे में बोर हो रहा था तो यहाँ पर टीवी देखने आ गया.” महेश ने अपनी बेटी को जवाब देते हुए कहा ।
“ह्म्म्म पिता जी, फिर कैसा लगा प्रोग्राम?” ज्योति ने फिर से मुस्कराते हुए कहा।
“मैं समझा नहीं बेटी?” महेश ने चौकते हुए कहा।
“पिता जी जिस टीवी के प्रोग्राम को आप देख रहे थे वह कैसा लगा?” ज्योति ने इस बार अपने सोफ़े से उठकर अपने पिता के साथ बैठते हुए कहा।
“अभी तो प्रोग्राम स्टार्ट ही नहीं हुआ है” महेश ने झेंपते हुए कहा।
“पिता जी, जब मैं आई तो उस वक्त तो देसी पोर्न प्रोग्राम चल रहा था.” ज्योति ने अपने पिता की टांग खींचने की कोशिश की जिसका मतलब अब महेश भी समझ गया था।
“ह्म्म्म… तो तुम उस प्रोग्राम की बात कर रही हो… उसे तो तुमने बीच में आकर खराब कर दिया.” महेश ने इस बार अपनी बेटी को देखकर हिम्मत जताते हुए कहा।
“हाँ वो तो है, मैं उसके लिए सॉरी कहती हूँ. मगर यह पोर्न हिंदी स्टोरी कब से चल रही है और कहाँ तक पहुंची है?” ज्योति ने अपने पिता के खुल जाने पर उनसे दूसरा सवाल करते हुए पूछा।
“अभी तो शुरू ही हुआ है और वह भी तुम्हारी मेहरबानी से …” महेश ने अपनी बेटी को गौर से देखते हुए कहा। ज्योति उस वक्त सलवार कमीज में थी। कमीज पुरानी होने की वजह से उसका गला बुहत बड़ा था जिसमें से ज्योति की गोरी गोरी चूचियां आधी नज़र आ रही थी।
“मेरी वजह से? पिता जी वह कैसे?” ज्योति ने अपने पिता को अपनी तरफ यूं देखता पाकर झेंपते हुए कहा।
“अब बेटी इतनी भी भोली मत बनो, उस रात बहू ने तुम्हारा प्रोग्राम समीर के साथ लाइव देख लिया. तब से वह समीर से नफरत करने लगी है जिस का कुछ फ़ायदा मैं उठा रहा हूं.” महेश ने इस बार अपना हाथ अपनी बेटी की जाँघ पर उसके कपड़ों के ऊपर से ही रखते हुए कहा।
अपने पिता की बात सुनकर ज्योति का सिर शर्म से झुक गया और वह बगैर कुछ बोले चुप होकर बैठी रही।
“क्या हुआ बेटी? बोलो न … तुमने तो अपने भाई के साथ ही प्रोग्राम सेट कर लिया?” महेश ने ज्योति की जाँघ पर अपने हाथ को फेरते हुए कहा।
“पिता जी मुझसे गलती हो गई. इतने सालों से प्यासी थी और ऊपर से नीलम भाभी भैया को हाथ भी लगाने नहीं दे रही थी इसीलिए हम दोनों जवानी की हवस में अंधे हो गये.” ज्योति ने वैसे ही शर्म से अपना कन्धा नीचे किये हुए कहा।
“ह्म्म.. तुमने ठीक आदमी को चुना. अगर तुम यह काम बाहर करती तो हमारी ही बदनामी होती. और समीर का भी क्या क़सूर … तुम हो ही इतनी ख़ूबसूरत कि तुम्हें देखकर किसी भी आदमी का खड़ा हो जाए!” महेश ने इस बार अपने हाथ को अपनी बेटी की पेंटी तक लाकर उसे सहलाते हुए कहा।
“पिता जी आप यह क्या कह रहे हैं? मैं आपकी बेटी हूँ.” ज्योति अपने पिता के हाथ को अपने हाथ से पकड़ते हुए बोली।
उसे हैरानी हो रही थी कि उसका बाप भी उसके बारे में ऐसा कह सकता है।
“तो क्या हुआ बेटी, जब तुमने अपने भाई का चख लिया है तो फिर मुझसे क्यों शरमाती हो?” महेश ने ज्योति के हाथ को अपनी धोती के ऊपर से ही अपने खड़े लंड पर रखते हुए कहा।
अपना हाथ अपने पिता के लंड पर लगते ही ज्योति का सारा जिस्म कांप उठा और उसने अपने हाथ को फ़ौरन वहां से हटा दिया।
“क्यों बेटी… अच्छा नहीं लगा क्या? तेरे भाई से ज्यादा तगड़ा है.” महेश ने हँसते हुए कहा।
ज्योति का चेहरा शर्म से लाल हो चुका था। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे, उसके पिता की नॉनवेज हरकतें उसकी साँसें ज़ोर से चल रही थीं। ज्योति अचानक वहां से उठकर अपने कमरे में चली गयी. अपने कमरे में आकर ज्योति ने दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया।
वो बेड पर बैठकर ज़ोर से हाँफने लगी. उसका पूरा जिस्म गर्म हो चुका था। उसे बार बार अपने हाथ पर अपने पिता के लंड का अहसास हो रहा था। ज्योति अपना हाथ अपने पिता के लंड पर लगते ही समझ गयी थी कि उसके पिता का लंड बहुत मोटा और लम्बा है मगर वह अपने पिता के साथ यह सब कुछ करने का सोच भी नहीं सकती थी इसीलिए वह वहां से भाग आई थी।
इधर नीलम ने अपने कमरे में आते ही दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया और सोफ़े पर बैठ गयी। नीलम की साँसें अब भी फूली हुई थीं. उसे अपने ऊपर बहुत गुस्सा आ रहा था. वह खुद नहीं जानती थी कि उसके ससुर में क्या जादू है कि वह उसकी बातों में फँस जाती है और वह सब कर जाती है जिसकी वह कल्पना भी नहीं कर सकती.
नीलम ने कुछ देर तक सोचते रहने के बाद यह फैसला कर लिया कि चाहे जो भी हो जाये अब वह अपने ससुर को अपने क़रीब नहीं आने देगी।
दिन ऐसे ही बीत गया। रात हो गई. सभी खाना खाने के बाद अपने कमरों में जाकर सोने की कोशिश कर रहे थे।
“डार्लिंग, क्या अब भी नाराज़ हो?” समीर ने नीलम को पीछे से अपनी बांहों में भरते हुए कहा।
“ह्म्म्म … तुम जब तक अपनी बहन का साथ नहीं छोड़ते मैं तुमसे बात नहीं करने वाली!” नीलम ने ख्यालों से निकलते हुए अपने पति से कहा और उसकी बांहों से जुदा होते हुए आगे होकर लेट गयी।
समीर कुछ देर तक चुप होकर वहीं बैठा रहा और फिर वहां से उठकर अपनी बहन के कमरे में चला गया। समीर ने अंदर दाखिल होते ही दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया।
“भैया आप आ गये!” समीर के क़रीब आते ही ज्योति ने बेड से उठकर उसको गले से लगकर रोते हुए कहा।
“क्यों पगली क्या हुआ तुम्हें?” समीर ने हैरान होते हुए कहा। उसे शक हो रहा था कि कहीं नीलम ने तो उसे कुछ नहीं कहा।
“भैया कुछ नहीं!” ज्योति ने अपनी आँखों से आंसू पौंछते हुए कहा. वह अपने पिता के बारे में समीर को बताने से डर रही थी।
“सच बताओ ज्योति, क्या हुआ? तुम्हें मेरी कसम मैं तुम्हें दुखी नहीं देख सकता.” समीर ने अपनी बहन को बेड पर बिठाते हुए कहा।
“भैया आपने यह क्या कह दिया, अपनी कसम क्यों दे दी मुझे?” ज्योति ने अपने भाई की कसम को सुनकर उसके होंठों पर अपना हाथ रखते हुए कहा और फिर सारी बात समीर को बता दी।
“ज्योति इसी बात से तो मैं भी परेशान हूँ मैंने ऑफिस से लौटते हुए अपनी बीवी और बापू को एक दूसरे के साथ नंगा सोते हुए देखा था.” समीर ने मायूस होते हुए कहा।
“भैया आप चिंता मत करो, सब कुछ ठीक हो जायेगा.” ज्योति से अपने भैया का गम देखा नहीं गया इसीलिए उसने अपनी नाइटी को उतारकर अपने भैया को अपनी गोद में लिटा दिया।
समीर ने अपनी बहन के सर को पकड़कर उसके होंठों पर अपने होंठों को रख दिया और दोनों भाई बहन सारी बातें भूल कर एक दूसरे के आगोश में खो गये और नॉनवेज काम में लीन हो गए।
इधर महेश अपनी पत्नी के सोते ही अपने कमरे से निकलकर अपनी बहू के पास उसके कमरे में जाने लगा. महेश ने कमरे में दाखिल होते ही दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया।
नीलम उस वक़्त सिर्फ नाईट ड्रेस पहन कर लेटी हुई थी. वह अपने ससुर को देखकर सीधी होकर बैठ गई।
“पिता जी, मैं आपसे कुछ कहना चाहती हूं.” नीलम ने अपने ससुर के क़रीब आते ही उससे थोड़ा दूर होते हुए कहा।
“हाँ कहो बेटी, मगर तुम मुझसे दूर क्यों हो रही हो?” महेश ने हैरान होते हुए कहा।
“पिता जी मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा है, प्लीज आप मुझे अकेला छोड़ दो। मैं आपके साथ यह सब नहीं कर सकती.” नीलम ने रोने जैसी सूरत बनाते हुए अपने ससुर से कहा।
“मगर बेटी मैंने वादा किया है कि तुम्हारी इच्छा के बिना मैं कुछ नहीं करूंगा.” महेश ने अपनी बहू के बदले हुए तेवर को भांप लिया था.
“हाँ पिता जी, आपका कोई क़सूर नहीं है. सारा क़सूर मेरा ही है. आपके क़रीब आते ही मैं अपना कण्ट्रोल खो देती हूँ इसीलिए मैंने फैसला किया है कि आज के बाद मैं आपके क़रीब नहीं आऊँगी.” नीलम ने अपने ससुर को देखते हुए कहा।
“ठीक है बेटी जैसी तुम्हारी मर्ज़ी, मैं तो सिर्फ तुम्हें खुश देखना चाहता हूँ.” महेश ने अपना मुंह लटकाते हुए कहा।
“थैंक्स पिता जी, मगर आप मुझसे ख़फ़ा तो नहीं हैं?” नीलम ने अपने ससुर का लटका हुआ मुँह देखकर पूछा।
“नहीं बेटी, मैं भला तुमसे कैसे नाराज़ हो सकता हूं.”
“फिर बापू जी आपने अपना मुँह क्यों लटकाया हुआ है?”
“वो बेटी … मैंने आज सोचा था कि तुम्हारे ख़ूबसूरत जिस्म को देखकर मैं इसे अपने हाथ से ही शांत कर दूंगा मगर मेरा नसीब ही ख़राब है.” महेश ने अपने खड़े लंड के ऊपर से धोती को हटाते हुए कहा।
“पिता जी आप भी …” नीलम ने अपने ससुर के खड़े मूसल लंड को इतना क़रीब से देख कर शरमाते हुए अपनी नज़रें नीचे झुकाकर बोली।
“बेटी क्या मेरे लिए तुम मेरा एक काम कर सकती हो?” महेश ने अपने शैतानी दिमाग से आखरी दांव चलने की कोशिश की क्योंकि वह जानता था कि अपनी बहू नीलम की किस कमजोरी का फायदा वो आसानी से उठा सकता है।
“क्या पिता जी?” नीलम ने वैसे ही अपनी नज़रें झुकाये हुए पूछा।
“बेटी, तुम कहीं नाराज़ तो नहीं होगी?” महेश ने अपनी बहू से पूछा।
“पिता जी आपने मेरे लिए इतना कुछ किया है, मैं भला आपसे नाराज़ कैसे हो सकती हूं?”
“बेटी सिर्फ एक बार तुम मेरे सामने बिल्कुल नंगी हो जाओ। मैं तुम्हारे सारे जिस्म को एक बार गौर से अपनी आँखों में समेटना चाहता हूँ मेरा तुमसे वादा है कि इसके बाद मैं कभी भी तुम्हारे क़रीब नहीं आऊंगा.” महेश ने अपना आखरी पत्ता फ़ेंका।
“पिता जी आप यह क्या कह रहे हो?” नीलम का पूरा शरीर अपने ससुर की बात को सुनकर सिहर उठा और उसने शर्म से दबी हुयी आवाज़ में कहा।
“मुझे पता था बेटी, तुम इन्कार कर दोगी. इसीलिए तो मैं तुमसे यह सब नहीं कहना चाहता था। बेवजह तुम्हारी नज़रों में मेरी इज्ज़त और कम हो गयी.” महेश ने अपनी बहू की बात सुनकर चेहरा लटका लिया।
“नहीं पिता जी, आपकी इज्ज़त मेरे सामने कभी नहीं घट सकती.” नीलम ने अपने ससुर को समझाते हुए कहा।
“मैं जानता हूँ कि तुम यह सब मुझे दिलासा देने के लिए कह रही हो वरना क्या मेरी इतनी सी बात को तुम नहीं मानती?” महेश ने अपनी बहू की बात को सुनकर बनावटी गुस्सा दिखाया।
नीलम को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे, उसका दिमाग ज़ोर से चकरा रहा था।
“ठीक है पिता जी, मैं तैयार हूँ. मगर आप मेरे जिस्म को सिर्फ देखेंगे उस पर अपना हाथ नहीं लगाएँगे.” आखिरकार नीलम ने हार मानते हुए कहा क्योंकि वह अपने ससुर को किसी कीमत पर भी दुखी नहीं करना चाहती थी। नीलम ने सोचा कि एक बार अपना जिस्म दिखाने में भला उसका क्या बिगड़ जाएगा उसके बाद तो सारी ज़िंदगी उसकी जान छूट जायेगी।
“ओह्हह बेटी, मुझे अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा है। तुमने मेरी बात मान ली थैंक्स बेटी, मैं तुम्हारा अहसान सारी ज़िंदगी भर याद रखूँगा.” महेश ने अपनी बहू की बात सुन कर खुश होते हुए कहा।
“पिता जी मैं आपको दुखी नहीं देख सकती, मगर आज के बाद आप मुझे कभी कुछ करने को नहीं कहोगे.” नीलम ने अपने ससुर की बात सुन कर बेड से नीचे उतरते नंगी होने की तैयारी करते हुए कहा।
“नहीं बेटी, मैं तुमसे कभी कुछ नहीं कहूँगा. अब जल्दी से तुम मेरी बात को पूरी करो.” महेश ने अपनी बहू की तरफ हवस भरी नजरों से देखा क्योंकि उसका लंड पहले से ही तनतना रहा था और ज़ोर से उछल रहा था।
“पिता जी आप अपना मुँह उस तरफ कर लो, मुझे आपके सामने कपड़े उतारने में शर्म आती है।”
“अरे बेटी जब मैं तुम्हें नंगी देख चुका हूं और फिर से नंगी देखने वाला हूं तो फिर तुम ऐसे क्यों शरमा रही हो?”
“पिता जी शायद आप ठीक कह रहे हैं.” नीलम ने अपने ससुर से कहा और अपनी साड़ी को अपने जिस्म से अलग करती हुई उतारने लगी। नीलम कपड़े उतारते हुए अपने ससुर की तरफ नहीं देख रही थी क्योंकि उसे शर्म आ रही थी।
नीलम ने साड़ी उतारने के बाद अपने ब्लाउज और पेटीकोट को भी खोल दिया। इधर अपनी बहू को सिर्फ एक छोटी सी पेंटी और ब्रा में देख कर महेश का बुरा हाल हो चला था. वह अपनी धोती को उतारकर अपने मूसल लंड को सहला रहा था, नीलम ने अपनी ब्रा को आगे से नीचे सरका दिया और उसके हुक्स को आगे करके एक एक करके खोला और ब्रा को नीचे फ़ेंक दिया।
“आह्ह्ह्ह … बेटी दुनिया की सब से हसीन लड़की हो तुम!” अपनी बहू की ब्रा के उतरते ही उसकी गोरी गोरी चूचियों को देखकर महेश के मुँह से निकल गया।
“पिता जी आप क्यों नंगे हो गये?” अचानक अपने ससुर की आवाज़ सुनकर नीलम ने उसकी तरफ देखा मगर अगले ही पल वह अपने ससुर के मूसल लंड को देखकर शर्म के मारे अपनी नज़रें नीची करते हुए बोली,
“ओहहहह बेटी क्या करुं, तुम्हारे जिस्म को देख कर यह ज्यादा उतावला हो जाता है. मगर तुम ऐसे शरमाओ मत। जिस तरह मैं तुम्हारे जिस्म को अपनी आँखों में समाना चाहता हूँ वैसे ही तुम भी आज अपने इस दीवाने की तस्वीर अपनी आँखों में क़ैद कर लो.” महेश ने अपनी बहू को हवस भरी नजरों से ताड़ा.
“पिता जी बस कीजिये!” नीलम ने शर्म से लाल होते हुए कहा और वह अपनी पेंटी में हाथ डालकर अपने जिस्म से उतारने लगी। पेंटी के उतरते ही नीलम बिल्कुल नंगी अपने ससुर के सामने खड़ी थी।
“वाह बेटी क्या जिस्म है… मैं तो सच में तुम्हारे सारे जिस्म को देखकर पागल हो गया हूँ.” महेश ने अपनी बहू की हल्के बालों वाली भूरी चूत को घूरते हुए कहा।
“पिता जी, जल्दी से देख लो। मैं ज्यादा देर तक आपके सामने नंगी नहीं रह सकती.” नीलम ने अपने ससुर की बात सुनकर कहा। नीलम का जिस्म अपने ससुर की बातों को सुनकर गर्म हो रहा था। इसीलिए वह जल्दी से कपड़े पहनना चाहती थी।
“अरे यह क्या बात हुई बेटी? इससे अच्छा था कि तुम मेरी बात मानती ही नहीं.” महेश ने नाराज़ होने का नाटक सा किया।
“क्यों पिता जी, क्या हुआ, आप तो नाराज़ हो गये। अच्छा सॉरी… आप तसल्ली से मुझे देख लो, मुझे कोई जल्दी नहीं” नीलम ने अपने ससुर की बात को सुनकर कहा क्योंकि वह उनके सामने नंगी तो हो चुकी थी। इसीलिए उसने सोचा अब उसे नाराज़ करने का क्या फ़ायदा थोड़ी देर में भला उसका क्या बिगड़ जाएगा।
“सच बेटी, तुम बहुत अच्छी हो, मगर तुम शरमाती ज्यादा हो. जब तक मैं तुम्हें देख रहा हूँ तुम भी मुझे देखो ना …”
नीलम का सिर झुका हुआ था इसलिए जैसे ही महेश उसके सामने जाकर खड़ा हुआ उसका फनफनाता हुआ लंड सीधा नीलम की आँखों के सामने आ गया। नीलम की साँसें अपने ससुर के लंड को इतना क़रीब से देखकर उखड़ने लगीं और उसका पूरा जिस्म गर्म होने लगा, महेश का लंड बुहत ज़ोर से झटके खा रहा था। नीलम की आँखें अब भी अपने ससुर के लंड पर टिकी हुयी थीं. उसे अपने ससुर का मूसल लंड उछलते हुए अपनी नजरों के सामने बहुत अच्छा लग रहा था।
“क्यों बेटी, कैसा लगा तुम्हें मेरा यह बदमाश?” महेश ने अपनी बहू को अपने लंड की तरफ घूरते हुए देखकर अपने हाथ से अपने लंड को पकड़ते हुए पूछ लिया।
“पिता जी बहुत हो चुका, मैं अब कपड़े पहनना चाहती हूं.” अपने ससुर की बात को सुनकर अचानक नीलम को होश आया और वह अपने ससुर से थोड़ा दूर हटकर बोली।
“बेटी तुम इतना क्यों डर रही हो. अब कैसा डर है हमारे बीच में … तुम कुछ ज्यादा ही शर्मीली हो इसलिए मुझे ही कुछ करना होगा.” महेश ने अपनी बहू को अपनी बाँहों में उठाकर बेड पर ले जाकर लिटा दिया।
“पिता जी आप यह क्या कर रहे हैं? आपने वादा किया था कि आप सिर्फ मुझे देखोगे.” कहते हुए नीलम की साँसें ज़ोर से चल रही थीं। महेश के हाथ का स्पर्श नीलम को अब भी अपनी कमर और जांघों पर पर महसूस हो रहा था।
“हाँ मुझे याद है और मैं तुम्हारी मर्ज़ी के ख़िलाफ तुम्हें हाथ भी नहीं लगाऊँगा, बस मैंने तुम्हें यहाँ पर लिटाने के लिए ही अपने हाथ का इस्तेमाल किया क्योंकि मैं तुम्हारे सारे जिस्म को अच्छी तरह से देखकर अपनी आँखों में समेटना चाहता हूं.” महेश ने भी बेड पर चढ़ते हुए कहा।
“पिता जी, देख तो लिया अब बाकी क्या रहा है?” नीलम ने परेशान होते हुए कहा।
“अरे बेटी, अभी कहाँ देखा है … तुम अपने बाज़ू को ऊपर करके सीधी लेट जाओ। मैं तुम्हें सर से लेकर पाँव तक नज़दीक से देखूँगा.” महेश ने अपनी बहु को समझाते हुए कहा ।
नीलम अपने ससुर की बात मानते हुए अपने बाज़ू को ऊपर करके सीधी लेट गयी। महेश ने अपनी बहू के क़रीब जाते हुए अपने मुँह को नीलम के गालों के क़रीब कर दिया।
“ओहहहह बेटी कितने गोरे हैं तुम्हारे गाल और यह गुलाबी होंठ.” महेश ने अपने मुँह को नीलम के गालों से उसके होंठों की तरफ कर दिया। नीलम को अपने ससुर की साँसें अपने मुँह से टकराती हुई महसूस हो रही थी, महेश नीलम को छू तो नहीं रहा था मगर उसकी यह हरकत नीलम को गर्म करने के लिए काफी थी।
“आहहह… बेटी कितनी गोरी और नर्म हैं तुम्हारी दोनों चूचियां … ओह्ह्हह इसके दाने तो देखो, इन्हें देखकर ही अपने मुँह में भरने का मन करता है.” महेश अब नीचे होकर अपनी बहू की चूचियों को गौर से देखते हुए उसकी तारीफ कर रहा था।
नीलम को ऐसे महसूस हो रहा था जैसे उसका ससुर उसके जिस्म को ऊपर से लेकर अपने होंठों से चूमता हुआ नीचे हो रहा है, नीलम की चूत से पानी बहना शुरू हो गया था। वह न चाहते हुए भी कुछ कर नहीं सकती थी. सिर्फ चुपचाप देखने के सिवा अब उसके वश में कुछ नहीं था।
“अरे वाह बेटी … कितना गोरा और चिकना है तुम्हरा पेट, बिल्कुल दूध की तरफ सफेद और शीशे की तरह साफ़.”
नीलम मज़े से अपनी दोनों टांगों को आपस में मिलाकर घिस रही थी. वह अपने ससुर की हरक़तों से बुहत ज्यादा गर्म हो चुकी थी।
“बेटी अपनी दोनों टांगों को खोलो, अब मैं नीचे बैठकर तुम्हारी अनमोल चीज़ को देखूँगा.” महेश ने नीलम के पेट को पूरी तरह से अपनी आंखों में उतारने के बाद अपनी बहू से कहा।
नीलम ने अपने ससुर की बात को सुनकर अपनी टांगों को खोल दिया और अपने दोनों हाथों से बेड की चादर को ज़ोर से पकड़ते हुए अपनी आँखें बंद कर ली क्योंकि वह जानती थी कि उसका ससुर जब उसकी चूत को देखकर उसकी तारीफ करेगा तो वह बर्दाशत नहीं कर पायेगी।
महेश अपनी बहू की टांगों के खुलते ही उनके बीच आ गया और अपना मुंह नीचे करते हुए बिल्कुल नज़दीक से अपनी बहू की गीली चूत को देखने लगा।
“आह्ह बेटी क्या चूत है … गुलाबी-गुलाबी … ओह्ह्हह और क्या ख़ुशबू है भीनी-भीनी. मेरा तो मन ही नहीं करता अपना नाक यहां से हटाने के लिए। कोई भी इसे देख कर इसे चूमे बगैर नहीं रह सकता.” महेश ने अपनी बहू की चूत के पास ज़ोर से अपनी साँसें खींचते हुए कहा।
नीलम को भी अपने ससुर की साँसें अपनी चूत से टकराती हुई महसूस हो रही थी। उसका पूरा जिस्म कांप रहा था और उसकी चूत से ढ़ेर सारा पानी निकल रहा था।
“आह्ह्ह हल्के भूरे बाल तुम्हारी चूत को और ख़ूबसूरत बना रहे हैं, ओह्ह्हह बेटी, तुम्हारी चूत से तो पानी निकल रहा है … हाय रे किस्मत मैं अपनी बहू के क़ीमती रस को चख भी नहीं सकता.” महेश ने अपनी बहू की चूत से पानी को निकलते देखकर एक सिसकारी ली।
“आआह्ह्ह बेटी, क्या तुम मेरी आखिरी बात मानोगी? मैं सारी ज़िंदगी तुम्हारा गुलाम बनकर रहूँगा.” महेश ने अपनी बहू को गर्म होता देखकर कहा।
“क्या पिता जी?” नीलम ने नशीले अन्दाज़ में कहा।
“बेटी सिर्फ एक बार मैं तुम्हारी चूत और और उसके रस को अपने लंड पर महसूस करना चाहता हूं.” महेश ने अपना मुँह नीलम की चूत से बिल्कुल सटाते हुए कहा।
“आहहह नहीं पिता जी.” अपने ससुर की गर्म साँसों को फिर से अपनी चूत पर महसूस करके नीलम ने सिसकारते हुए कहा।
“बेटी तुम्हें मेरी कसम, इन्कार मत करो. सिर्फ एक बार की तो बात है.” महेश ने इस बार अपने होंठों से नीलम की गीली चूत को चूमते हुए कहा।
“उईई ओहह … पिता जी यह क्या कर दिया आपने!” नीलम ने ज़ोर से सिसकारते हुए कहा।
अपने ससुर के होंठों को अपनी चूत पर महसूस करते ही नीलम एक नयी दुनिया में पहुंच गई।
“बेटी क्या हुआ … जवाब दो ना?” महेश ने अपनी बहू की टांगों से अपने मुँह को हटाते हुए पूछा।
नीलम अपनी चूत से अपने ससुर के होंठों के हटते ही मछली की तरह तड़पने लगी। उसका पूरा जिस्म आग की तरह गर्म हो चुका था। उस वक्त उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि अपनी बढ़ती हुई जिस्म की आग पर काबू पाये या फिर अपने आप को अपने ससुर के मूसल लंड के हवाले कर दे।


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