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रिश्तों में चुदाई स्टोरी Part - 1

 



महेश सरकारी नौकरी से रिटायर हो चुके हैं। उनकी पत्नी का नाम सरिता देवी है। उनका मकान दो मंजिला है. महेश की बीवी को बहुत कम दिखाई देता है. बिना चश्मे के तो बिल्कुल नहीं। वह ज्यादातर अपने कमरे में ही रहती है और पूजा पाठ करती है। महेश के एकलौते बेटे का नाम समीर है।

समीर की शादी हो चुकी है उसकी बीवी का नाम नीलम है। नीलम एक बहुत ही खूबसूरत लड़की है। इसके अलावा महेश की एक लड़की ज्योति है जो बहुत ही खूबसूरत और भरे हुए बदन की मल्लिका है। शादी के 2 साल के अंदर ही विधवा हो चुकी थी। अपनी सास के तानों से तंग आकर बहुत दिनों से ज्योति भी अपने पिता और भाई के घर पर ही रहती है।

समीर जिसकी उम्र 38 साल है, वह सेक्स के मामले में बहुत गर्म है और आज भी वह अपनी 36 साल की बीवी को उल्टा करके चोद देता है. नीलम ज़्यादा सेक्स पसंद नहीं करती थी, मगर समीर तो डेली चुदाई के बिना रह ही नहीं सकता था।

“आह्ह स्स …” नीलम अपने पति समीर की चुदाई से दूसरी बार झड़ रही थी।
नीलम ने समीर से कहा- अब निकालो बहुत हो गया, मुझे दर्द हो रहा है.
“यार तुम इतनी जल्दी फ़ारिग हो जाती हो इसमें मेरा क्या क़सूर?” समीर ने अपनी बीवी से कहा।
“मैं तुम्हें अपने हाथों से फ़ारिग कर देती हूँ.” नीलम ने थोड़ा आगे होते हुए अपने पति के लंड को अपनी चूत से निकाल दिया और सीधा होते हुए अपने हाथ से सहलाने लगी।

“हाथ से करना होता तो शादी क्यों करता?” समीर ने गुस्से से अपने लंड को नीलम के हाथ से छुड़ा लिया।
“मुझे नींद आ रही है, फिर मत कहना कि ऐसे ही सो गयी.” नीलम ने अपने पति को चेतावनी देते हुए कहा।
“भाड़ में जाओ!” समीर ने गुस्से से अपना अंडरवियर पहन लिया और कमरे से बाहर निकल गया।

समीर बाहर आते ही सोफ़े पर बैठ गया.

“क्या हुआ भाई जान?” समीर ने आवाज़ सुनते ही सामने देखा तो उसकी 36 साल की छोटी बहन ज्योति दूसरे सोफ़े पर बैठी थी।
“तुम्हें पता है फिर क्यों पूछ रही हो?” समीर ने गुस्से से अपनी बहन को जवाब दिया।
“यार. नीलम भाभी की क्या प्रॉब्लम है?” ज्योति ने अपने सोफ़े से उठते हुए अपने भाई के पास आकर बैठते हुए कहा। ज्योति समीर की विधवा बहन थी जो अपने पति के मरने के बाद 8 साल से अपने माँ-बाप के घर में रह रही थी।

ज्योति का पति उससे शादी के दो साल बाद ही मर गया था, उसे कोई बच्चा नहीं था और वह समीर के साथ बहुत फ्री थी। ज्योति कई दफ़ा अपने भाई के साथ उसकी पत्नी के बारे में बात कर चुकी थी, उसे पता था कि नीलम ज़्यादा चुदाई से नफरत करती है।

“यार पता नहीं किस दोष की सजा मिल रही है, दूसरी औरतें बड़े और तगड़े लंड से चुदने के लिए तरसती हैं और यह है कि भागती रहती है.” समीर ने उदास होते हुए कहा।
“उदास मत हो!” ज्योति ने अपने भाई के सिर को पकड़ कर अपनी गोद में रखते हुए कहा।
समीर अपना सिर अपनी छोटी बहन की गोद में रखते हुए उसे देखने लगा.

ज्योति आज एक नाइटी पहने हुए थी और बेहद सुंदर लग रही थी। समीर की नज़र आज पहली बार अपनी छोटी बहन को एक औरत की नज़र से देख रही थी।

समीर को इतने नजदीक से अपनी छोटी बहन की पतली नाइटी के अंदर से उसकी ब्रा में क़ैद आधी नंगी चूचियों का दीदार होने लगा। ज्योति का फिगर बहुत ज़बरदस्त था। उसका क़द 5 फीट 6 इंच था उसकी चूचियां 36 साइज की थी और उसके चूतड़ बहुत मोटे थे।

ज्योति अपने बड़े भाई के सिर में हाथ डाल कर उसके बाल सहला रही थी, अचानक ज्योति की नज़र अपने बड़े भाई के अंडरवियर पर पड़ी। ज्योति अपने भाई के अंडरवियर को देखकर हैरान रह गयी क्योंकि समीर के अंडरवियर में बहुत बड़ा तम्बू बना हुआ था।

अपने बड़े भाई के अंडरवियर में खडे लंड को ज्योति देखकर 8 सालों के बाद आज पहली बार गर्म होने लगी, ज्योति ने जैसे ही अपने भाई के चेहरे की तरफ देखा उसे एक झटका लगा क्योंकि उसका सगा बड़ा भाई नाइटी के ऊपर से ही उसकी चूचियों को घूर रहा था।

ज्योति सोचने लगी ‘बेचारा कितना बदनसीब है बीवी होते हुए भी अपनी बहन की गोद में पड़ा है.’

फिर उसके दिमाग में ख़याल आया कि अगर वह अपने भाई को चोदने दे तो उसका भाई भी खुश हो जायेगा और उसे भी मुफ़्त का लंड मिल जायेगा। ज्योति अगले पल ही मुस्करा उठी कि वह हवस की आग में क्या सोच रही है … भला कोई भाई भी अपनी बहन को चोदता है?
मगर ज्योति का दिल तो अपने भाई का लंड लेने के लिए तैयार था क्योंकि उसकी 8 साल की गर्मी आज पहली बार उसे तंग कर रही थी।

ज्योति सोफ़े पर बैठे हुए अपने पाँव नीचे किये हुए थी और उसका बड़ा भाई सीधा सोफ़े पर लेटे हुए अपना सिर अपनी बहन की गोद में रखे हुए था। ज्योति अचानक झुकते हुए अपने पाँव को खुजाने लगी, ज्योति के ऐसा करने से उसकी चूचियां सीधे अपने भाई के मुँह से टकराने लगी।

“उठ … यहाँ पर बहुत मच्छर हैं.” ज्योति अपनी चूचियों को अपने भाई के मुंह पर लगते ही सिसक उठी। मगर उसने बात को सँभालते हुए अपने पाँव को ज़ोर से खुजाते हुए मच्छर पर इल्ज़ाम लगा डाला।
ज्योति अपने पाँव को सहलाते हुए अपनी चूचियों को अपने भाई के मुंह पर ज़ोर से रगड़ने लगी।

समीर की भी हालत खराब होती जा रही थी वह अपनी बहन की चूचियों को सिर्फ अपने चेहरे पर रगड़ता हुआ देख रहा था और कुछ कर नहीं पा रहा था।

“भैया आप का ‘वो’ है ही इतना बड़ा कि भाभी को तकलीफ होने लगती होगी.” ज्योति ने सीधा होते हुए अपने भाई के अंडरवियर की तरफ इशारा करते हुए बड़ी बेशर्मी से कहा।
“तुम्हारे पति का इतना बड़ा नहीं था क्या?” समीर ने अपने बहन को ज़्यादा फ्री होते हुए देखकर कहा।

“उसका आपसे थोड़ा छोटा था, मगर वह 5 मिनट में ही झड़ जाते थे और आप तो कहते हैं कि आप भाभी को 30 मिनट तक चोदते हो तब भी आप झड़ते नहीं.” ज्योति ने शर्म से कन्धा नीचे करते हुए कहा।
“बहन आप इजाज़त दें तो एक बात पूछूं?” समीर ने अपनी बहन से कहा।
“हाँ पूछो?” ज्योति ने जवाब दिया।

“आपके पति को मरे हुए 8 साल हो चुके हैं, आपका मन नहीं करता कि आप किसी से सम्भोग करें?” समीर ने सीधा सीधा कह दिया।
“अरे पगले मन तो करता है, मगर मेरी किस्मत में नहीं लिखा था तो क्या कर सकते हैं.” ज्योति ने सीरियस होकर रोते हुए कहा।
“सॉरी बहन, मैंने आप को रुला दिया.” समीर ने अपनी बहन के गालों से आंसू को पोछते हुए कहा।
“नहीं भाई, तुम बहुत अच्छे हो.” ज्योति ने अपने भाई के माथे को चूमते हुए कहा।

“बहन आप औरत हो, आप ही बताओ कि अगर मर्द का लंड लम्बा और तगड़ा हो और वह बहुत देर तक न झड़ता हो तो औरत को मज़ा आता है या तकलीफ होती है?” समीर ने अपनी बहन की तरफ देखते हुए कहा।
“मेरा लाला … औरत तो ऐसे मर्द के लिए तरसती है.” ज्योति ने इस बार अपने भाई के गाल पर किस देते हुए कहा।
“फिर नीलम की क्या बीमारी है?” समीर ने गुस्से से कहा।
“यार किसी औरत में सेक्स की भूख बहुत ज़्यादा होती है मेरी तरह और किसी में बहुत कम नीलम की तरह!” ज्योति ने अपने भाई को समझाते हुए कहा।
“हमें आपके जैसी पत्नी चाहिए जो हमारा भरपूर साथ दे!” समीर के मुँह से जज़्बात में निकल गया।

“सच बतायें भाई? मैं आप को अच्छी लगती हूं क्या?” ज्योति ने अपने भाई से पूछा।
“हां बहना, आप हमें बहुत अच्छी लगती हो, काश आप हमारी बहन नहीं होती तो …” समीर अपनी बात पूरी न कर सका।
“तो क्या भाई?” ज्योति ने तेज़ साँसों के साथ कहा। उसकी साँसें अपने भैया की बात सुन कर तेज़ चलने लगी थीं।

“कुछ नहीं बहन, मैं बहक गया था.” समीर ने अपना चेहरा नीचे करते हुए कहा।
“भैया आप हम से कुछ नहीं छुपा सकते, मैं आप की बहन हुई तो क्या हुआ, मैं भी एक औरत हूँ। अगर आप को मैं इतनी ही अच्छी लगती हूँ तो आप मुझे ही क्यों नहीं चोदते?” ज्योति ने जज्बाती होकर कहा।
“बहन आप क्या बोल रही हो?” समीर ने शर्मिंदा होते हुए कहा।

“भैया कब तक आप तड़पते रहोगे और हम भी तो तड़प रहे हैं 8 सालों से!” ज्योति ने जज़्बाती होते हुए कहा।
“मगर हम आपस में बहन-भाई हैं, ज़माना क्या कहेगा?” समीर ने परेशान होकर कहा।
“तो क्या हुआ? हम दोनों प्यासे हैं और ज़माने को कौन बता रहा है?” ज्योति ने कहा।
“मैं समझ गयी, आपको मैं अच्छी नहीं लगती.”

कुछ देर तक दोनों खामोश रहे और अचानक ज्योति ने अपने भाई को अपनी गोद से हटाते हुए वहां से उठ कर जाते हुए कहा।
“ठहरो बहन!” समीर ने भी उठते हुए अपनी बहन को हाथ से पकड़ लिया।

ज्योति अपने भाई का हाथ पकड़ते ही उसके गले से जा लगी, समीर ने भी अपनी छोटी बहन को अपनी दोनों बाँहों में भरते हुए उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये। दोनों भाई-बहन दुनिया से बेखबर एक दूसरे के होंठ चूसने लगे।
समीर और ज्योति कुछ देर तक ऐसे ही दुनिया से बेखबर एक दूसरे के होंठ चूसते रहे।

“बहन आई लव यू … आप बहुत अच्छी हो.” समीर ने अपनी बहन से अपने होंठों को जुदा करते हुए कहा और अपने हाथों से अपनी छोटी बहन की नाइटी को उतारने लगा।
“भईया आई लव यू टू, मैं बहुत प्यासी हूँ। आज मेरी 8 सालों की सारी प्यास बुझा दो.” ज्योति ने अपनी नाइटी उतारने में अपने भैया की मदद करते हुए कहा।
“बहन आप बेहद ख़ूबसूरत हो.” नाइटी उतारते ही समीर ने अपनी बहन का गोरा जिस्म सिर्फ एक छोटी सी ब्रा और कच्छी में क़ैद देखकर कहा।

ज्योति ने अपनी नाइटी उतरते ही नीचे होते हुए अपने भैया का अंडरवियर उतारने लगी।

“भैया आपका लंड तो बहुत ही ज्यादा बड़ा है” ज्योति ने अपने भाई का अंडरवियर उतारते ही उसके मोटे और लम्बे गुलाबी लंड को देखते हुए अपने होंठों पर जीभ फिराते हुए कहा।
समीर का अंडरवियर उतरते ही उसका 8.5 इंच लम्बा और 2.5 इंच मोटा लंड हवा में उछलने लगा, ज्योति ने अपने बड़े भाई का लंड अपने हाथ में लेते हुए अपने होंठों से उसके गुलाबी सुपारे को चूम लिया।

“आह्ह …” ज्योति ने जैसे ही लंड को चूमा समीर के मुंह से सिसकारी निकल गई।
ज्योति ने अपनी जीभ से अपने बड़े भाई के लंड को चाटते हुए उसके गुलाबी सुपारे को अपने मुंह में ले लिया.

ज्योति ने जैसे ही अपने बड़े भाई के लंड को अपने मुंह में लिया उसे अजीब किस्म की गंध और ज़ायक़ा आने लगा।
“भैया आपके लंड से अजीब गंध और ज़ायक़ा आ रहा है.” ज्योति ने अपने भाई के लंड को अपने मुंह से निकालते हुए कहा और उसके लंड को ऊपर से नीचे तक चाटने लगी।
“आह्ह … इस पर तुम्हारी भाभी की चूत का पानी लगा हुआ है.” समीर ने सिसकारी भरते हुए कहा।

समीर की बात सुनकर ज्योति ने उसका सुपारा फिर से अपने मुंह में डाल लिया। समीर ने अपनी छोटी बहन के बालों में हाथ डालते हुए उसके मुँह को अपने लंड पर दबा दिया, ऐसा करने से समीर का आधा लंड उसकी छोटी बहन के मुंह में चला गया।

अपनी बहन के सिर को पकड़ कर समीर बहुत ज़ोर से अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा। समीर ने देखा कि उसकी छोटी बहन की आंखों से आंसू निकल रहे हैं इसीलिए उसने अपने लंड को अपनी छोटी बहन के मुँह से निकाल दिया।

समीर ने अपनी बहन के मुँह से अपने लंड को निकालते हुए उसे सीधा कर दिया और उसे अपनी बाँहों में भरते हुए उसके होंठ चूसने लगा। समीर ने अपनी बहन के होंठ चूसते हुए अपनी जीभ को उसके मुंह में डाल दिया।

ज्योति मज़े से अपने बड़े भाई की जीभ को अपने होंठों से चूसने लगी, समीर ने अपने हाथों से अपनी छोटी बहन की पीठ को सहलाते हुए उसकी ब्रा को पीछे से खोल दिया। ज्योति बहुत गर्म हो चुकी थी उसने अपने भैया की जीभ को चूसना छोड़कर अपनी जीभ को उसके मुँह में डाल दिया।

समीर अपनी बहन की जीभ को चूसते हुए उसकी ब्रा को उतारने लगा, ज्योति ने अपने मुंह को अपने भैया के मुंह से हटाते हुए अपनी बांहें ऊपर करते हुए अपनी ब्रा उतरवा दी। समीर अपनी छोटी बहन की ब्रा के उतरते ही उसकी चूचियों को देख कर पागल हो गया।

ज्योति की चूचियाँ बहुत गोरी थीं और उसकी चूची के दाने मोटे और हल्के गुलाबी थे। समीर ने अपने दोनों हाथों से अपनी छोटी बहन की दोनों चूचियों को पकड़ लिया और अपना मुंह खोलते हुए उसकी एक चूची को अपने मुंह में ले लिया।
‘आह्ह्ह्ह …’ अपनी चूची को अपने बड़े भाई के मुंह में महसूस करते ही ज्योति सिसक उठी।

समीर तो जैसे अपनी बहन की चूचियों का दीवाना हो गया, वह ज़ोर से अपनी छोटी बहन की दोनों चूचियों को बारी बारी से चूसने और काटने लगा।

ज्योति काफी गर्म हो चुकी थी, उसकी चूत से पानी निकल कर उसकी कच्छी को भिगो रहा था। समीर अपनी बहन की चूचियों को जी भरकर चाटने और काटने के बाद नीचे होते हुए उसके पेट को चूमने लगा। समीर अपनी बहन के पेट को चाटते हुए उसकी कच्छी तक आ गया।

“आह्ह्ह्ह…” अपनी कच्छी पर अपने भैया के होंठ पड़ते ही ज्योति के मुंह से सिसकारी निकल गई. समीर ने अपने हाथों से अपनी छोटी बहन की कच्छी को उतार दिया। ज्योति अब बिल्कुल नंगी अपने बड़े भाई के सामने खड़ी थी।

अपनी बहन की कच्छी को उतारने के बाद समीर खड़ा होकर बड़े गौर से उसे देखने लगा, ज्योति अपने बड़े भाई को अपना जिस्म ऐसे घूरता हुआ देख कर शर्म के मारे उसके गले से जा लगी।
समीर ने अपनी नंगी छोटी बहन को गोद में उठाते हुए सोफ़े पर ले जाकर लेटा दिया। समीर ने अपनी बहन की टांगों के पास बैठते हुए उसकी दोनों टांगों को दूर दूर फैला दिया और बड़े गौर से अपनी छोटी बहन की चूत को देखने लगा।

ज्योति की चूत पर घने बाल उगे हुए थे। समीर नीचे झुकते हुए अपने हाथों से अपनी छोटी बहना की चूत के बालों को साइड में करते हुए उसकी रस टपकाती चूत को घूरने लगा।
“बहन आप चूत के बाल साफ़ नहीं करती क्या?” समीर ने अपनी बहन की चूत की बड़ी झाँटों को सहलाते हुए कहा।

“भैया मुझे यहाँ बहुत शर्म आ रही है, मेरे कमरे में चलो ना!” ज्योति ने अपनी आंखें बंद करते हुए कहा।
समीर ने अपनी बहन की बात सुन कर उसे फिर से अपनी गोद में उठा लिया और अपनी छोटी बहन को चोदने के लिए उसे उसके कमरे में ले जाने लगा।

अपनी बहन को उसके कमरे के बेड पर लेटाते हुए समीर ने कमरे का दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया।
“भैया मैं अपनी चूत को किसके लिए साफ़ करती? लंड से वंचित इस चूत में ये बालों का जंगल इसीलिये उग आया है.” ज्योति ने दरवाज़ा बंद करने के बाद अपने भाई से कहा।
“अब तुम अपने भैया के लिए अपनी चूत को साफ़ करना!” समीर ने बेड की तरफ आते हुए कहा।
“आप ही मेरी झाँटों को साफ़ कर दो ना …” ज्योति ने अपने भाई से कहा।

“नहीं यार अभी छोड़, फिर कभी कर लेना.” समीर ने अपनी बहन की टांगों को फ़ैलाते हुए कहा।
ज्योति की चूत गोरी थी क्योंकि झाँटों को दूर करने से उसकी चूत और उसके गुलाबी होंठ नज़र आ रहे थे।

समीर ने अपनी छोटी बहन की चूत के झाँटों को दूर करते हुए उसके गुलाबी लबों को छू लिया।
“आह्ह …” अपनी चूत पर अपने बड़े भाई के होंठ पड़ते ही ज्योति मज़े से तड़प उठी।

समीर से अब रहा नहीं जा रहा था. उसने अपनी बहन की टांगों को घुटनों तक मोड़ते हुए उसके चूतड़ों के नीचे एक तकिया रख दिया। ज्योति की चूत अब बिल्कुल खुल कर ऊपर उठ गयी थी और उसकी चूत का छेद खुला हुआ था जिसमें से पानी निकल रहा था।
समीर अपनी छोटी बहन की टांगों के नीचे बैठते हुए अपने लंड को ज्योति की चूत पर रगड़ने लगा।

“आह्ह भैया … आराम से डालना 8 बरसों से यह बंजर है.” ज्योति ने सिसकते हुए कहा।
समीर ने अपने लंड को पकड़ कर अपनी बहन की चूत के छेद पर रख दिया और अपने लंड को अपनी छोटी बहन की चूत के छेद पर रखकर थोड़ा ऊपर नीचे करने लगा।

“भैया डाल दो, अब बर्दाशत नहीं होता!” ज्योति ने अपने चूतड़ों को उछालते हुए ज़ोर से सिसकते हुए कहा।
ज्योति की चूत में से उत्तेजना के मारे बहुत ज़्यादा पानी निकल रहा था। जिससे समीर का लंड पूरा भीग चुका था। समीर ने इस बार अपना लंड अपनी बहन की चूत के छेद पर रखते हुए एक हल्का धक्का लगा दिया।

“उम्म्ह… अहह… हय… याह…” ज्योति के मुंह से हल्की चीख़ निकल गई.

समीर के लंड का मोटा सुपारा उसकी छोटी बहन की चूत में फँस गया। समीर ने अपनी बहन की टांगों को पकड़ते हुए एक और धक्का मार दिया।
“उई माँ … मर गयी.” ज्योति दर्द के मारे झटपटाने लगी. समीर का लंड अपनी बहन की चूत को चीरता हुआ 3 इंच तक अंदर घुस गया।

“बहन क्या हुआ? आप शादीशुदा होकर भी इतना चीख़ रही हो?” समीर ने अपनी बहन से पूछा।
“भैया आपका लंड बहुत मोटा और लम्बा है और मेरी चूत 8 साल से चुदी नहीं है इसीलिए वह बंद हो चुकी है। प्लीज आराम से करना.” ज्योति ने दर्द के मारे सिसकते हुए कहा।


समीर अपनी छोटी बहन को जितना लंड अंदर गया था उसी से हल्के धक्के लगाते हुए चोदने लगा, कुछ ही धक्कों के बाद ज्योति की चूत में लंड ने अपनी जगह बना ली और वह मज़े से सिसकारियां लेते हुए अपने बड़े भाई से चुदवाने लगी।
ज्योति की चूत से मज़े से रस निकल रहा था जिस वजह से समीर का लंड आराम से उसकी चूत में अंदर बाहर हो रहा था। समीर अब अपनी बहन की टांगों को पकड़ते हुए ज़ोर से अपना लंड अंदर बाहर करने लगा। बहुत ज़ोर लगा कर चोदने की वजह से समीर का लंड सरकता हुआ 6 इंच तक उसकी बहन की चूत में घुस चुका था।

“भैया बस और अंदर मत घुसाओ, मेरी चूत फट जाएगी. मेरे पति का इतना ही लम्बा था.” ज्योति ने बहुत तेज़ी से साँसें लेते हुए कहा।

समीर अपनी बहन को अब उतना लंड ही डाले चोदने लगा, 15-20 धक्कों के बाद ही ज्योति बहुत ज़ोर से सिसकारियां लेते हुए अपने चूतड़ उछालने लगी।

समीर अपनी बहन के चूतड़ उछालने से समझ गया कि वह झड़ने वाली है इसीलिए वह अपनी बहन की चूत में बहुत तेज़ी के साथ धक्के लगाने लगा।

अपनी चूत में 8 साल बाद अपने भाई के लंड की रगड़ से ज्योति पागल हो रही थी और उसका सारा बदन मज़े के मारे कांप रहा था। ज्योति का पूरा बदन पसीने से भीग गया और उसका पूरा बदन अकड़ने लगा।

ज्योति की चूत अचानक झटके खाते हुए झड़ने लगी और ज्योति अपने बड़े भाई के लंड पर बहुत तेज़ी के साथ अपने चूतड़ उछालते हुए मज़े से अपनी आंखें बंद करके “उह आह्ह्ह्ह ईह” करते हुए झड़ने लगी। समीर अपनी बहन की चूत से पानी निकलता हुआ देखकर उसे बहुत ज़ोर के धक्के लगाते हुए पेलने लगा।

ज्योति की चूत एक बार झड़ने से अंदर से बिल्कुल गीली हो चुकी थी। जिस वजह से अब समीर का लंड बड़े आराम से अंदर बाहर हो रहा था। समीर ने अपनी बहन के पूरा झड़ने के बाद उसकी टांगों को ज़ोर से पकड़ते हुए 3-4 ज़ोर के धक्के लगाते हुए अपना पूरा लंड अपनी छोटी बहन की चूत में घुसा दिया।
“उईई माँ … मार डाला … ओहह … मेरी चूत फट गई.” ज्योति अपने भाई का पूरा लंड अपनी चूत में घुसते ही ज़ोर से चिल्लाते हुए तड़पने लगी।

समीर अपनी बहन को ऐसे चिल्लाते हुए देखकर अपना पूरा लंड उसकी चूत में डाले ही उसके ऊपर झुक गया और अपनी बहन की एक चूची को सहलाते हुए उसकी दूसरी चूची के दाने को अपने मुंह में भरकर चूसने लगा।
ज्योति कुछ देर में ही कुछ शांत हो गई और अपने बड़े भाई के बालों में हाथ डालते हुए उसके सिर को अपनी चूची पर दबाने लगी।

“बहन बहुत दर्द हो रहा है क्या?” समीर ने अपनी बहन की चूची को अपने मुंह से निकालते हुए कहा।
“नहीं भैया, अब ठीक है. आपका लंड इतना बड़ा है कि वह मुझे अपने पेट तक महसूस हो रहा है.” ज्योति ने सिसक कर अपने चूतडों को अपने भाई के लंड पर उछालते हुए कहा।

समीर अपनी बहन को एक चुम्बन होंठों पर देते हुए उसकी चूचियों को अपने हाथों से पकड़ते हुए उसकी चूत में हल्के धक्के लगाने लगा। ज्योति अपने भाई के लंड को अपनी चूत में जड़ तक महसूस करके मज़े से बहुत ज़ोर से सिसकते हुए अपने भाई के होंठों को चूमने लगी.

अपनी बहन को गर्म होता हुआ देखकर समीर ने उसके ऊपर से उठते हुए उसकी टांगों को पकड़ लिया। बहन की टांगों को पकड़ते हुए अपने लंड को पूरा बाहर निकाल कर फिर से घुसाने लगा। ज्योति अपने बड़े भाई के हर धक्के के साथ मज़े से कांप उठती। ज्योति को इतना मजा आ रहा था कि वह अपने भाई के हर धक्के के साथ अपने मांसल चूतड़ उछाल उछाल कर उसके लंड को अपनी चूत में लेते हुए सिसकारियां ले रही थी।

ज्योति का बदन अकड़ने लगा और उसकी चूत अपने भाई के मोटे और लम्बे लंड से हारकर फिर से काँपते हुए आंसू बहाने लगी। ज्योति ज़िंदगी में पहली बार एक चुदाई से दो बार झड़ी थी।

समीर अभी तक झड़ा नहीं था, अब वह अपनी बहन की चूत में बहुत तेज़ और भयानक धक्के लगाने लगा। ज्योति की चूत दो बार झड़ने की वजह से बहुत गीली थी और समीर के हर धक्के के साथ उसकी चूत से फ़च-फच की आवाज़ निकल रही थी।

ज्योति की चूत आधे घन्टे से अपने बड़े भाई से चुदवाते हुए लाल हो चुकी थी, अचानक समीर हाँफते हुए ज़ोर-जोर से धक्के लगाने लगा।
“बहन मैं झड़ने वाला हूं, जल्दी बताओ अंदर झड़ूं या बाहर?” समीर ने तेज़ साँसें लेते हुए कहा।

“भैया अंदर झड़ना, मेरी चूत कब से प्यासी है, आज इसे अपने भाई के लंड का वीर्य पीने दो.” ज्योति ने अपने भाई को जल्दी से जवाब देते हुए कहा।
“आह्ह … बहन मैं गया.” समीर अपना लंड बहुत तेज़ी के साथ अपनी बहन की चूत में अंदर बाहर करता हुआ झड़ने लगा।
“ओहहह स्स्स … भैया आप बहुत अच्छे हो, आह्ह्ह्ह मैं भी आई.” अपने बड़े भाई के लंड का वीर्य अपनी सालों से प्यासी चूत में गिरते ही ज्योति भी अपनी चूत को अपने भाई के लंड पर ज़ोर से पटकते हुए झड़ने लगी।

समीर के लंड से न जाने कितनी देर तक पिचकारियां निकल कर अपनी सगी बहन की चूत को भरने लगीं। समीर झड़ने के बाद निढाल होकर अपनी बहन के ऊपर गिर पड़ा। ज्योति भी अपने भाई के मूसल लंड से चुदते हुए तीन बार झड़ी थी और वह भी अपनी आँखें बंद किये हुए हांफ रही थी।

समीर का ज्योति के साथ एक बार हम बिस्तर होने के बाद तो जैसे भाग ही खुल गया वह हर रात को अपनी बीवी के सोते ही वहां से उठकर अपनी बहन ज्योति के कमरे में चला जाता जहाँ पर दोनों भाई बहन सारी दुनिया को भूलकर एक दूसरे की हवस की आग को ठण्डा करते।

आज भी समीर अपनी बीवी के सोने का इंतज़ार कर रहा था, कुछ ही देर में नीलम नींद की आग़ोश में चली गयी।

नीलम के खर्राटों की आवाज़ सुनकर समीर बेड से उठकर बाहर जाने लगा. समीर के जाते ही नीलम ने भी अपनी आँखें खोल दीं। उसे कई दिनों से अपने पति पर शक था क्योंकि जहाँ हर रोज़ वह उसे चोदने के लिए मरा जाता था वह कई दिनों से उसके क़रीब तक नहीं आया था।

नीलम जल्दी से उठकर दरवाज़े तक आ गयी और वह अपने पति को देखने लगी कि वह कहाँ जा रहा है। समीर सीधा अपनी बहन ज्योति के कमरे में घुस गया, नीलम को यह देखकर बहुत हैरानी हुई कि इतनी रात को समीर अपनी बहन के कमरे में क्या करने गया है. वह भी बाहर निकलकर ज्योति के कमरे की तरफ बढ़ने लगी।

नीलम ज्योति के कमरे के पास आकर रुक गयी क्योंकि उसे कुछ आवाज़ें सुनायी देने लगी। नीलम ने अपना एक कान दरवाज़े से सटा दिया और अंदर से आने वाली आवाज़ों को सुनने लगी।

“ओह भैया, आप आ गये!” ज्योति ने अपने भाई को देखते ही खुश होकर कहा।

“मेरी प्यारी बहन, तुम नहीं जानती कि अगर मुझे तुम्हारा प्यार नहीं मिला होता तो मेरा क्या होता!” समीर ने आगे बढ़कर अपनी बहन को अपनी बांहों में भरते हुए कहा।

“आह्ह्ह्ह मैं भी तो कई बरसों से प्यासी थी, अगर आप का प्यार न मिला होता तो मेरे पास जीने का कोई मक़सद नहीं होता.” ज्योति ने भी अपने भाई के सीने में अपनी चूचियों को ज़ोर से दबाते हुए कहा।

“बस करो बहन, बातें करके टाइम बर्बाद मत करो.” समीर ने अपनी बहन से कहा और अपने होंठों को ज्योति के नर्म होंठों पर रख दिया. बाहर समीर की बीवी नीलम खड़ी हुई ये सब सुन रही थी. नीलम का सिर चक्कर खाने लगा। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे।
“क्या दो भाई बहन के बीच भी यह सब हो सकता है?” नीलम के मन में सवाल आया।

“नही ज़रूर उसे कोई गलफहमी हुई है, ऐसा कभी नहीं हो सकता.” नीलम के दिल ने जवाब दिया मगर अगले पल ही जो आवाज़ नीलम को सुनायी दी. वह यह साबित करने के लिए काफी थी कि अंदर दोनों भाई बहन के बीच क्या हो रहा है।

“ओह्ह्ह्ह भैया इतनी जल्दी भी क्या है, सारी रात पड़ी है … आह्ह्ह्ह एक ही धक्के में पूरा घुसा दिया.” ज्योति के ज़ोर से सिसकने की आवाज़ आई और नीलम का सिर ज़ोर से चक्कर खा गया. वह वहीँ पर दरवाज़े के बाहर घुटनों के बल बैठ गई, नीलम की आँखों से आंसू निकल रहे थे।

उधर दूसरे कमरे में समीर का पिता महेश और महेश की पत्नी सरिता

“जाओ मुझसे दूर हटो.” सरिता ने महेश को अपने ऊपर से हटाते हुए कहा।
“क्या हुआ जानेमन?” महेश ने सरिता के ऊपर से हटते हुए कहा।

“कुछ तो अपनी उम्र की शर्म करो, मुझसे अब यह सब नहीं होता. इतनी ही आग चढ़ी है तो जाकर किसी रंडी को चोद लो.” सरिता ने गुस्से में अपने पति की तरफ देखते हुए कहा।
“अगर किसी रंडी को चोदना होता तो तुमसे शादी क्यों करता?” महेश ने सरिता को मनाते हुए कहा।
“शादी के इतने साल जो करना था कर लिया। अब हमारे बच्चों की शादी हो गई है। हमें यह सब शोभा नहीं देता.” सरिता ने अपने पति को समझाते हुए कहा।

“जानेमन वह सब मैं समझ रहा हूँ मगर यह नालायक नहीं मानता.” महेश ने अपनी पत्नी का हाथ पकड़कर अपने लंड पर रखते हुए कहा।
“मैंने कहा न, अब मुझसे यह सब नहीं होता, बस … आज के बाद मेरे क़रीब मत आना। मैं अब इस उम्र में भगवान की पूजा पाठ करके अपने ग़ुनाहों की माफ़ी माँगना चाहती हूं.” सरिता ने गुस्से से महेश को देखते हुए कहा और अपना हाथ वहां से हटाकर दूसरी तरफ होकर सो गयी।

बेचारा महेश अपने खड़े लंड को सहलाता हुआ ही रह गया, महेश का लंड इस उम्र में भी डेली किसी को चोदने के लिए तैयार रहता था। उसके लंड का साइज बहुत ही लम्बा और मोटा था।
जवानी में उसके लंड को देखकर कोई भी लड़की अपनी चूत को उससे चुदवाने के लिए उतावली हो जाती थी। सरिता भी सुहागरात को अपने पति का लंड देख कर डर गयी थी और पहली बार चुदते हुए उसकी पूरी चूत बुरी तरह से फट गयी थी, आज भी जब महेश का लंड सरिता की चूत में घुसता था तो उसके मुँह से चीख़ निकल जाती थी।

महेश को बहुत प्यास लगी थी इसीलिए वह पानी पीने के लिए अपने कमरे से बाहर निकल आया। बाहर निकलते ही महेश की नज़र नीलम पर पड़ी जो नीचे बैठ कर रो रही थी।
“क्या हुआ बेटी?” महेश भागता हुआ अपनी बहू के पास आकर बोला।

“बापू जी?” नीलम ने अपने ससुर को देखते ही कहा और वह वहीं पर बेहोश हो गई।

महेश ने नीचे झुक कर अपनी बहू को अपनी बांहों में सुला दिया। उसको कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या माजरा है तभी उसे अंदर से आने वाली सिसकारियां सुनायी दीं। महेश को सिसकारियां सुनकर यह समझने में ज़रा भी देर न लगी कि यह सेक्स की आवाज़ है। लेकिन महेश को यह समझ में नहीं रहा था कि उसकी बेटी ज्योति किसके साथ वह सब कर रही है?

“आआह्ह्ह भैया मैं गई … आहहह!” तभी अंदर से ज्योति के एक ज़ोर की सिसकी भरी आवाज़ आई.
जिसे सुनकर महेश का दिमाग घूमने लगा और न चाहते हुए भी उसका लौड़ा तनकर झटके खाने लगा। महेश सारा माजरा समझ गया इसीलिए उसने उठकर नीलम को अपनी बांहों में उठाया और उसे उसके कमरे में ले जाकर बेड पर लिटा दिया। महेश ने अपनी बहू को बेड पर लिटाने के बाद उठ कर बल्ब जला दिया।

महेश बल्ब जलाकर वापस आ गया और वहां पर पड़े जग में से उसने एक ग्लास पानी का भर लिया। महेश की नज़र जैसे ही अपनी बहू पर गयी उसका पूरा बदन सिहर उठा क्योंकी नीलम नाईट ड्रेस पहने हुई थी और वह उसके आगे से खुल चुकी थी, नीलम का गोरा जिस्म बल्ब की रोशनी में चमक रहा था।
महेश का लंड अपनी बहू की गोरी जांघों और उसकी चूचियों के ऊपरी उभार को देख कर खड़ा हो गया और झटके खाने लगा। महेश का मन खराब होने लगा और वह अपनी बहू को पानी के छींटे मारकर उठाने की बजाये उसके पूरे जिस्म को घूरने लगा।

“कितनी सुंदर है बहू! काले घने बाल, गोरा जिस्म, गुलाबी गाल, चूचियों का ऊपरी उभार देखकर लगता है वे भी दूध की तरह सफेद ही होंगी। क्या ज़रूरत है समीर को अपनी पत्नी को छोड़कर अपनी बहन को चोदने की? कितना बड़ा पाप किया है उसने!” महेश मन ही मन में सोच रहा था।

अपनी बहू के जिस्म को पूरी तरह से घूरने के बाद महेश का लंड पूरी तरह तनकर झटके खाने लगा महेश न चाहते हुए भी अपने हाथ से अपने लंड को सहलाने लगा।

“बहुत समय हो गया है उसे किसी नौजवान औरत के जिस्म को हाथ लगाए। आज मौका अच्छा है क्यों न वह अपने हाथ से अपनी बहू को छू कर देखे …” अचानक महेश के मन में ख़याल आया। वह अपने एक हाथ से अपने लंड को सहलाते हुए अपना दूसरा हाथ अपनी बहू के नंगे चिकने पेट की तरफ बढ़ाने लगा।

“महेश नहीं … यह पाप है.” अचानक उसके दिल ने उसे रोका।
“अरे छोड़ो आजकल पाप पुण्य कौन देखता है.” उसके दिमाग ने कहा। दिमाग की आवाज़ ने उसके दिल को मात दे दी और उसने अपना हाथ आगे बढ़ाकर अपनी बहू के चिकने पेट पर रख दिया।

“वाह … कितना नर्म और चिकना बदन है.” महेश के मन से आवाज़ निकली लेकिन वह सिर्फ अपना हाथ अपनी बहू के पेट पर रखे हुए था। महेश का मन आगे कुछ करने का हो रहा था मगर वह डर रहा था कि कहीं उसकी बहू उठ गयी तो उसको लेने के देने पड़ जाएंगे।

“बेटी … बेटी नीलम!” अचानक महेश को एक आइडिया सूझा और वह नीलम को झंझोड़ते हुए पुकारकर उठाने लगा।

नीलम पर अपने ससुर के झंझोड़ने और पुकारने का कोई असर नहीं हुआ और वह वैसे ही बेसुध बेहोश पड़ी रही, अब महेश को पूरा यकीन हो गया कि उसकी बहू ऐसे नहीं उठेगी. उसे जितना मजा लेना है ले सकता है।

महेश सिर्फ एक धोती में था. उसने अपनी धोती को उतारकर नीचे फ़ेंक दिया और खुद बिल्कुल नंगा ही अपना लंड अपने हाथ से सहलाते हुए बेड पर बैठ गया। महेश ने अपनी बहू की नाइटी को आगे से बिल्कुल खोल दिया और उसका हाथ पकड़कर अपने मूसल लंड पर रख दिया।
अपनी बहू का नर्म हाथ अपने लंड पर महसूस करते ही महेश का पूरा बदन कांप उठा और उसका लंड और ज्यादा तनकर झटके खाने लगा।

महेश ने अपने लंड को नीलम की हथेली में फँसाया और अपने हाथ से उसके हाथ को पकड़कर सहलाने लगा। महेश को अब अपने लंड पर सिर्फ अपनी बहू के नर्म हाथ का अहसास हो रहा था. उसे यह महसूस हो रहा था जैसे उसके लंड को उसकी बहू सहला रही है। महेश अपने एक हाथ से ऐसे ही अपनी बहू के हाथ को अपने लंड पर ऊपर नीचे करते हुए अपने दूसरे हाथ से अपनी बहू की ब्रा को उसकी गोल गोल चूचियों से हटाने लगा।

ब्रा बहुत ही टाइट थी इसलिए वह नीचे नहीं हो रही थी. महेश ने अपने हाथ को थोड़ा ज़ोर देकर अपनी बहू की ब्रा को नीचे सरका दिया। महेश अपनी बहू की चूचियों को देखकर लार टपकाने लगा, नीलम की चूचियाँ बहुत ज्यादा सुंदर थीं। उसकी चूचियां गोल गोल दूध की तरह सफेद थीं और उसके ऊपर गुलाबी दाने उसकी चूचियों को ज्यादा आकर्षक बना रहे थे।

“आह्ह्ह्ह कितनी नर्म हैं आह्ह …” महेश ने जैसे ही अपना हाथ अपनी बहू की एक चूची पर रखा उसके मुंह से ऐसे ही शब्द निकले.

महेश अपने हाथ से अपनी बहू की दोनों चूचियों को बारी बारी अपने हाथ से सहलाने और दबाने लगा, महेश को ऐसा करते हुए बहुत ज्यादा मजा आ रहा था। उसका दूसरा हाथ अब उसकी बहू के हाथ को अपने लंड पर बहुत तेज़ी के साथ ऊपर नीचे कर रहा था।

महेश के मन में आया कि क्यों न वह एक बार अपनी बहू की चूचियों को अपने होंठों से चूम कर देखे। यह ख़याल आते ही महेश का पूरा शरीर अगले पल आने वाले मज़े के अहसास को महसूस करके सिहर उठा।

महेश ने अपनी बहू के हाथ को छोड़ दिया और खुद नीचे झुककर अपना मुंह अपनी बहू की चूचियों की तरफ करने लगा। महेश के होंठ जैसे ही उसकी बहू की चूचियों के बिल्कुल नज़दीक पहुंचे उसने अपने एक हाथ से अपनी बहू की एक चूची को पकड़ा और अपना मुँह खोलते हुए उसकी चूची के गुलाबी दाने को अपने मुँह में ले लिया। महेश अपनी बहू की चूची के दाने को किसी बच्चे की तरह चूसने लगा, वह नीलम की चूची को ऐसे चूस रहा था जैसे कोई बच्चा अपनी माँ का दूध पीता है.


महेश ने बारी-बारी अपनी बहू की दोनों चूचियों को अपने मुंह में लेकर चूसा और उसके बाद वह अपनी बहू के गोरे चिकने पेट को चूमते हुए नीचे होता हुआ उसकी चूत की तरफ बढ़ने लगा। महेश ने अब अपने होंठों को अपनी बहू की पेंटी के ऊपर रख दिया और उसकी चूत को पेंटी के ऊपर से चूमने लगा, नीलम के बेहोश होने के बावजूद उसकी चूत पानी छोड़ रही थी जिससे महेश ने उसकी पेंटी को चूमते हुए महसूस किया।

महेश ने अब अपने और अपनी बहू के बीच पड़ा हुआ आखिरी पर्दा भी हटाने का फैसला किया और उसने अपनी बहू की पेंटी को अपने दोनों हाथों से पकड़कर नीचे सरका दिया।
“हे भगवान! क्या चूत बनाई है!” महेश अपनी बहू की गुलाबी चूत को देखकर अपने होंठों पर जीभ फेरते हुए बोला।

महेश ने आज तक अपनी बहू की चूत से ज्यादा सुंदर चूत कभी नहीं देखी थी, अपनी बहू की चूत को देखकर महेश का पूरा जिस्म एक्साइटमेंट में काँपने लगा और वह अपने कांपते हुए हाथ को आगे बढ़ाकर अपनी बहू की चूत की तरफ ले जाने लगा।

नीलम की चूत पर हल्के काले बाल थे।

महेश ने अपने काँपते हुए हाथ को जैसे ही अपनी बहू की चूत पर रखा उसका पूरा जिस्म सिहर उठा। महेश अपने हाथों की उँगलियों से नीलम की चूत के बालों को सहलाकर उसकी चूत को अपने हाथों में महसूस करने लगा, महेश के लंड का तो उत्तेजना के मारे बुरा हाल था. वह बहुत ज़ोर से उछलते हुए प्रीकम की बूँदें बहा रहा था।

अब अपने हाथ को महेश अपनी बहू की चूत के छेद की तरफ ले जाने लगा। महेश के हाथ ने जैसे ही नीलम की चूत के दाने को छुआ उसे अपने बदन में एक अजीब सी गुदगुदी का अहसास हुआ। महेश का हाथ अब उसकी चूत के छेद तक पहुंच चुका था। नीलम की चूत के छेद से अब भी पानी बह रहा था जिस वजह से महेश का हाथ गीला होने लगा।

महेश ने अपने गीले हाथ को अपनी बहू की चूत से हटाया और अपने नाक के क़रीब लाकर उसे सूँघने लगा।

“आह्ह्ह्ह क्या खुशबू है …” अपने हाथ को सूँघते हुए महेश के मुँह से सीत्कार निकला और वह अपनी जीभ निकालकर अपने गीले हाथ को चाटने लगा। अपने हाथ को पूरी तरह से चाटने के बाद महेश अपनी बहू की चूत की तरफ देखते हुए अपनी जीभ को अपने होंठों पर फिराने लगा।

महेश नीलम की चूत को बड़े गौर से देख रहा था. शादी के इतने सालों के बाद भी उसकी चूत के होंठ आपस में बिल्कुल सटे हुए थे। उसकी चूत को देखकर लग रहा था जैसे उसकी बहुत ही कम चुदाई हुयी हो।

महेश अब अपना मुंह नीचे करते हुए अपनी बहू की चूत की तरफ बढ़ाने लगा, महेश ने नीचे झुकते हुए अपने होंठों को नीलम की चूत के दाने पर रख दिया।

ससुर का एक्साईटमेंट के मारे बुरा हाल था. वह अपनी बहू की चूत के दाने को चूमते हुए अपनी जीभ से चाटने लगा। महेश कुछ देर तक अपनी चूत के दाने से खेलने के बाद नीचे होते हुए अपने होंठों को उसकी चूत के छेद की तरफ ले जाने लगा, महेश के होंठ अब चूत के दोनों बंद होंठों तक पहुंच चुके थे।

महेश ने अपने होंठों से एक बार चूत के बंद होंठों को चूमा और फिर अपने हाथ की उँगलियों से उसकी चूत के छेद को खोल दिया।

“ओहह … यह अंदर से कितनी लाल है.” उसने अपनी जीभ निकाली और अपनी चूत के लाल छेद में डाल दी।
वो चूत के छेद को तेज़ी के साथ अपनी जीभ से चाटने लगा। वह बिल्कुल पागल हो चुका था। चूत को ज़ोर से चाटते हुए यह भी भूल गया था कि अगर वह होश में आ गयी तो क्या होगा।
अचानक महेश को महसूस हुआ कि बहू नीलम का जिस्म हिल रहा है वह डर के मारे अपनी बहू से अलग हो गया और जल्दी से उसके कपड़ों को ठीक कर दिया।

वह अपनी धोती को पहन कर फिर से अपनी बहू को उठाने की कोशिश करने लगा. मगर वह वैसे ही पड़ी रही। सामने लेटी हुई बहू के सामने ससुर का लंड अब भी तना हुआ था. उसके जिस्म से खेलने के बाद वह बहुत ज्यादा एक्साइटेड हो गया था.

महेश ने अपनी धोती को फिर से उताकर नीचे फ़ेंक दिया और वहां पर खड़े हुए ही अपनी बहू के गालों पर हाथ फेरते हुए अपना लंड हिलाने लगा।
अचानक महेश अपने हाथ से अपनी बहू के गालों को सहलाते हुए उसके गुलाबी होंठों की तरफ हाथ ले जाने लगा, नीलम के होंठों पर अपने हाथ के लगते ही महेश का पूरा जिस्म काँपने लगा और उसका हाथ अपने लंड पर बुहत तेज़ हो गया। महेश की आँखें मज़े से बंद हो चुकी थी और वह ज़ोर से हाँफते हुए झड़ने लगा।

महेश को यह भी पता नहीं था कि वह कहाँ पर झड़ रहा है. उसके लंड से निकलते हुए वीर्य की बूँदें नीलम के पेट, चूचियों और उसके जिस्म के दूसरे हिस्सों पर गिरने लगी, महेश के लंड से इतना ज्यादा वीर्य निकला था कि नीलम का पूरा जिस्म ही उसके वीर्य से भीग गया।

महेश ने जैसे ही पूरी तरह झड़ने के बाद अपनी आँखें खोलकर अपनी धोती उठाई उसके होश गायब हो गये क्योंकि उसके सामने उसका बेटा समीर खड़ा था।
महेश ने अपने बेटे को देखकर काँपते हुए अपनी धोती पहन ली और अपना सर नीचे झुकाकर खड़ा हो गया।

“वाह … यहाँ पर तो बहुत बड़ा नाटक हो रहा है. ससुर अपनी बहू के जिस्म से खेलकर उसके जिस्म पर अपना वीर्य गिरा रहा है और बहू सोने का नाटक कर रही है जैसे वह गहरी नींद में हो। उठ छिनाल!” समीर ने चीखते हुए अपनी पत्नी से कहा।

“नहीं बेटे वह बेहोश है.” महेश ने अपने बेटे को गुस्से में देखकर कहा।

“बेहोश है? क्यों क्या हुआ इसे?” समीर ने हैरान होते हुए कहा।

महेश ने अपने बेटे को सारी बात बता दी कि कैसे नीलम बेहोश हुई और वह उसे यहाँ लेकर आया।
“बापू जी, आपको शर्म नहीं आई अपनी बेटी जैसी बहू के बेहोश होने का फ़ायदा उठाते हुए?”

“वाह बेटे … उल्टा चोर कोतवाल को डांटे? यह सब तुम्हारी वजह से हुआ है. शर्म तो तुम्हें आनी चाहिए। अपनी विधवा बहन का फ़ायदा उठा रहे हो, तुमको उसके साथ देखने से ही बहू बेहोश हुई और मेरी नियत भी तुम भाई बहन को देखकर ही फिसली.” महेश ने इस बार अपने बेटे को दबाव में लाते हुए कहा।

अपने पिता की बात सुन कर समीर को जैसे साँप सूंघ गया. वह चुप होकर खड़ा रहा।

“क्या हुआ बेटे? निकल गयी सारी हवा? मगर तुमने अपनी बहन के साथ जो पाप किया है उसकी सजा तुम्हें भुगतनी होगी.” महेश ने अपने बेटे को चुप खड़ा देख कर खुश होते हुए कहा।
“पिता जी उसमें जितना मेरा क़सूर है उतना ही ज्योति दीदी का!” महेश ने हकलाते हुए कहा ।
“हाँ … तुम्हारे साथ उसे भी सजा मिलेगी!” महेश ने अपने बेटे की तरफ देखते हुए कहा।

“पिता जी मैं हर सजा के लिए तैयार हूं.” समीर ने अपने सिर को झुकाये हुए कहा।
“बेटे तुम ज्यादा चिंता मत करो, यह हवस की आग होती ही अंधी है. बस इस बात का पता तुम्हारी माँ को मत पड़ने देना और तुम्हारी सजा यह है कि अगर मैंने अपनी बहू और बेटी को पटा लिया तो तुझे कोई ऐतराज़ नहीं होगा.” महेश ने अपने दिल की बात बताते हुए कहा।

“बापू आप यह क्या कह रहे हो?” समीर ने हैरान होते हुए कहा।
“हाँ बेटे, बिलकुल सही कह रहा हूँ मैं। तुम्हारी माँ तो मुझे नज़दीक आने नहीं देती और मेरा यह नालायक लंड सारा दिन मुझे तंग करता रहता है इसीलिए अगर हमें घर में ही कोई चूत मिल जाए तो बाहर जाने की क्या ज़रूरत!” महेश ने अपने बेटे को जवाब देते हुए कहा।

“पिता जी, ठीक है, जैसे आपकी मर्ज़ी। मैं आपके बीच में कभी नहीं आऊंगा.” समीर ने थोड़ी देर सोचने के बाद कहा।
“ठीक है बेटे अब मैं चलता हूँ. अपनी पत्नी को साफ़ कर देना.” महेश ने अपने बेटे से कहा और वहां से चला गया।

समीर अपने पिता के जाने के बाद एक गीला कपड़ा उठाकर अपनी पत्नी को साफ़ करने लगा ताकि उसे कोई शक न हो। समीर अपनी पत्नी के मुँह पर पानी के कुछ छींटे मारकर उसे उठाने लगा।

समीर की थोड़ी कोशिश के बाद ही नीलम को होश आ गया।

“समीर तुम निकल जाओ यहाँ से, मुझे तुमसे बात नहीं करनी. बापू कहाँ है?” नीलम ने होश में आते ही फिर से रोते हुए कहा।
“नीलम संभालो अपने आपको. वह चले गए हैं यहाँ से!” समीर ने अपने पत्नी को समझाते हुए कहा।
“तुम मुझे सँभलने के लिए कह रहे हो? अब बचा क्या है मेरे लिये?” नीलम ने फिर से रोते हुए कहा।
“नीलम वह सब तुम्हारी ही गलती की वजह से हुआ है अगर तुम मुझे हर चीज़ का सुख देती तो मैं कभी दूसरी तरफ नहीं जाता.” समीर ने नीलम से कहा।

“हाँ मेरा ही क़सूर है, मगर तुम अपनी बहन के साथ … छी! छी… मुझे सोचते हुए भी शर्म आती है.” नीलम ने चिल्लाते हुए कहा।
“नीलम तुम समझने की कोशिश करो. अगर मैं बाहर जाता तो घर की बदनामी होती और दीदी भी कब से प्यासी थी अगर वह किसी गैर मर्द से नाता जोड़ती तो भी हमारे लिए शर्म का सबब बनती.” समीर ने अपनी पत्नी को समझाते हुए कहा।

“समीर मैं अगर तुम्हें प्यार दूं तो तुम उसके साथ कोई सम्बन्ध नहीं रखोगे?” नीलम ने अपने पति की बात सुनकर उसे गले से लगाते हुए पूछा।
“देखो नीलम वह भी एक औरत है, अगर मैंने उसे छोड़ दिया तो वह किसी न किसी से सम्बन्ध बनाने की कोशिश करेगी जो हमारे घर के लिए बदनामी का सबब बनेगा इसीलिए मैं उसे नहीं छोड़ सकता.” समीर ने अपनी पत्नी को समझाते हुए कहा।

“समीर, अगर तुमने उसे नहीं छोड़ा तो मैं भी तुम्हारे अलावा किसी गैर मर्द से सम्बन्ध बना लूंगी.” नीलम ने गुस्से से समीर की तरफ देखते हुए कहा।
“हा हा हा … तुम और दूसरे मर्द से? ठीक है, अगर मेरी तरह तुमने अपने ही किसी घर के शख्स से सम्बन्ध बनाया तो मुझे कोई एतराज़ नहीं होगा.” समीर ने हँसते हुए कहा क्योंकि वह जानता था कि नीलम को सेक्स पसंद नहीं इसीलिए वह कभी किसी से सम्बन्ध नहीं बना सकती मगर वह एक औरत की ज़िद को नहीं जानता था।

“ठीक है समीर अब मैं तुम्हें बताऊँगी कि औरत क्या कर सकती है …” नीलम ने गुस्से में कहा और अपना मुँह दूसरी तरफ करके सो गयी।

नीलम ने फैसला कर लिया था कि वह खुद को पूरी तरह चेंज करेगी और अपने पति को बतायेगी कि अगर औरत कुछ करने पर आये तो वह कुछ भी कर सकती है।

हर रोज़ की तरह सुबह उठते ही समीर नाश्ता करने के बाद ऑफिस के लिए निकल गया। नीलम नाश्ता करने के बाद सारा सामान रसोई में रखकर अपने कमरे में चली गयी क्योंकि बर्तन धोने का काम ज्योति करती थी।

नीलम अभी अपने कमरे में आकर बैठी ही थी कि उसका ससुर महेश कमरे में दाखिल हुआ जिसे देख कर वह बेड से उठकर खड़ी हो गयी।
“बैठो बेटी, तुम खड़ी क्यों हो गयी?” महेश ने अपनी बहू को खड़ा देखकर कहा और खुद सामने पड़े सोफ़े की कुर्सी पर बैठ गया, नीलम अपने ससुर के बैठते ही खुद भी बेड पर बैठ गयी।

“बेटी रात को क्या हुआ था जो तुम बेहोश हो गई? मैंने जब तुमको कमरे में जाकर सुलाया तो समीर भी वहां नहीं था?” महेश ने अन्जान बनने का नाटक करते हुए अपनी बहू से पूछा।

नीलम अपने ससुर की बात सुनकर कुछ देर खामोश रही और फिर सारी बात उसे बता दी।

“बेटी मुझे अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा है. तो क्या फिर समीर से तुम्हारी बात हुई?” महेश ने दूसरा सवाल किया।
नीलम ने रोते हुए अपने ससुर को सारी बात बता दी जो भी समीर और उसके बीच पहली रात को हुई थी।
“बेटी अपने आपको सम्भालो, तुम्हें अगर अपने पति को वापस पाना है तो उसे जलाना होगा.” महेश ने नीलम को सलाह देते हुए कहा।

“मगर कैसे पिताजी?” नीलम ने अपने ससुर की बात सुनकर कहा।
“बेटी अगर वह अपनी बहन के साथ यह सब कर सकता है तो तुम्हें भी कुछ ऐसा करना होगा जिससे उसे जलन होने लगे.” महेश ने अपनी बहू को रास्ता दिखाया।
“पिता जी, मगर यहाँ पर तो समीर के सिवा कोई और है ही नहीं!” नीलम ने सोचते हुए कहा।

“बेटी तुम बुहत पगली हो? मैं तुम्हारे पिता समान हूँ, मगर मैं तुम्हारा साथ दे सकता हूं.” महेश ने सीधा सीधा अपनी बहू से कह डाला।
“पिता जी, मगर आपके साथ नहीं, मैं सोच भी नहीं सकती.” नीलम ने शर्म से पानी पानी होते हुए कहा।
“बेटी मैं कुछ करने की नहीं सिर्फ नाटक करने की बात कर रहा हूं” महेश ने अपनी बहू को समझाया।

“नाटक? हाँ पिता जी… आप सही कह रहे हैं, अगर मैं समीर के सामने आपके साथ नाटक करुं तो वे ज़रूर गुस्सा होंगे.” नीलम ने खुश होते हुए कहा।
“बेटी शुक्र है तुम्हें समझ में तो आया, मगर यह इतना आसान भी नहीं है इसके लिए तुम्हें सारी शर्म छोड़नी होगी.” महेश ने अपना प्लान कामयाब होता देख कर खुश होते हुए कहा।

“हाँ पिता जी, मैं कुछ भी करने के लिए तैयार हूं.” नीलम ने अपने ससुर को यकीन दिलाते हुए कहा।
“ठीक है बेटी फिर आज के लिए कोई प्लान बनाते हैं.” महेश ने अपनी बहू की बात को सुनते हुए कहा।

“बेटी एक बार और सोच लो। हो सकता है तुम्हें यह सब अच्छा न लगे क्योंकि तुम्हें मेरे साथ बुहत कुछ करना होगा। हो सकता है तुम्हें मेरे सामने नंगी भी होना पड़े या उससे ज्यादा कुछ गंदा!” महेश ने अपनी बहू की आँखों में देखते हुए कहा।
“नहीं पिता जी, मैंने सोच लिया है. मैं समीर को सबक सिखा कर ही रहूंगी. इसके लिए मैं तैयार हूं, चाहे मुझे कुछ भी करना पड़े.” नीलम की आंखों में बदले की भावना झलक रही थी.

“ठीक है बेटी मेरे पास आज के लिए एक प्लान है, तुम बस वैसा ही करती जाना जैसा कि मैं तुम्हें कह रहा हूं. अगर तुम मेरे बताये अनुसार चलती रही तो तुम्हारा पति तुम्हारी विधवा ननद को छोड़ कर तुम्हारी ही बांहों में होगा. मैं तुमसे वादा करता हूं.” कहते हुए महेश ने अपनी बहू के हाथ पर हाथ रख दिया.




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