हाय दोस्तों मैं प्रीति हूं … मैं अपने भाई की सेक्स गुलाम हूं. मैं एक सेक्सी फिगर की मालकिन हूं. मेरा साइज मेरे भाई ने आपको पहले की कहानियों में बता दिया था. खैर अब मेरे भाई ने मेरा साइज़ और बढ़ा दिया है. मेरे मम्मे अब 36 नाप के हो गए है. मेरा निखरा हुआ साइज अब 36-30-32 का हो गया है.
ऐसा एक भी दिन नहीं जाता, जब वो मेरे मादक मम्मों को मसलता चूसता ना हो. आपने पिछली कहानियों में देखा होगा कि कैसे मैं उसकी पर्सनल रखैल बन चुकी थी. उसकी चुदाई का अंदाज ही अलग था. मैं उसके लंड की दीवानी थी.
तीन महीने हो गए थे. मेरी जॉब लग गई थी. मैं नए शहर में आ गयी थी, ये शहर मेरे लिए नया था, तो पापा ने मुझसे मामा-मामी के यहां रुकने को कहा. मेरे मामा की एक ही लड़की थी. हम दोनों बचपन से बहुत अच्छी सहेलियां हैं … हमारी बहुत पटती थी. वो भी काफी सुन्दर थी. वो फैशन डिजाइनिंग कर रही थी. वो मॉडलिंग के लिए भी ट्राय करती रहती थी. उसका नाम इशिता था. वो भी एकदम छप्पन छुरी जैसी आइटम थी.
हालांकि मैं उसे बचपन से जानती हूं, लेकिन इस बार उसका बर्ताव कुछ बदला बदला सा था. वो मेरे से कम बात करती और ज्यादातर घर से बाहर रहती. मैं भी अपने काम में व्यस्त रहती थी, तो उससे मिल पाना बहुत कम ही हो पाता था.
खैर मुझे जॉब अच्छी मिली थी. कुछ ही माह में मुझे अच्छी पोस्ट मिल जाने वाली थी.
अपने भाई को मैं यहां बहुत मिस कर रही थी. उसके बिना तो एक पल मेरा मन कहीं नहीं लगता था. यहां मैं कैसे रह रही थी, मैं ही जानती हूं. भाई ने मुझे पर कैसा जादू कर दिया था कि मुझे हर समय उसका ही ख्याल बना रहता था. मुझसे दूर हो कर भी वो मेरे पास ही था. उसके छुअन के अहसास को मैं पल पल महसूस करती. हवा भी चले, तो लगता था कि उसने ही छुआ हो.
खैर … हम दोनों रोज फ़ोन और मैसेज पर बातें करते और रोज रात को वीडियो चैट करते थे. कभी कभी उसके गिफ्ट्स भी आते थे. लेकिन वो किसी आम जोड़े की तरह नहीं होते, ज्यादातर मुझे उत्तेजित करने वाले ही होते थे. जैसे ब्रा पैंटी का जोड़ा, जिसे मुझे उसके निर्देशित स्थान पर बदलने होते थे. कभी ऑफिस में, कभी पब्लिक टॉयलेट में, कभी मामी के बेडरूम में. मैं उसका दिया हर टास्क पूरे मन से पूरा करती थी.
भाई के कारण किसी पराये मर्द का तो मेरे जहन में ख्याल भी नहीं आता था. हां लेकिन मुझे जिस्म की नुमाईश करने में बड़ा मजा आता है और भाई का बस चले, तो वो हमेशा मुझे नंगी ही रखे.
मुझे एक अच्छी जॉब मिली थी. मेरी बॉस भी एक महिला थीं. उनका नाम इलियाना था. वो काफी स्ट्रिक्ट थीं, सारे इम्प्लाइज की क्लास लेती थीं. मेरी कड़ी मेहनत और लगन से वो काफी प्रसन्न रहती थीं.
एक दिन रात को रोज की तरह मैं भाई से चैट कर रही थी. भाई का सख्त आदेश था. चैट करते समय मैं पूरी नंगी रहूं. पिछले आधे घंटे से मैं बेड के बीचों बीच घुटने मोड़ कर बिल्कुल नंगी बैठी थी. मेरे दोनों हाथ ऊपर हवा में थे. बेड पर लैपटॉप मेरे सामने था. मुझे एक मिनट के लिए भी लैपटॉप से नजर नहीं हटानी थी. भाई सामने वीडियो चैट पर मुझे घूर रहा था. वो मेरे अंग को ऐसे निहार रहा था, जैसे पहली बार देख रहा हो.
ये बिल्कुल आसान नहीं था. खास करके जब 8 इंच का लौड़ा आपकी चुत में हो. जी हां … ये भाई के गिफ्ट्स में से एक था. एक नकली लंड, जो उसके लौड़े के साइज का था. हालांकि मुझे इसे उसके आदेश के बिना इस्तेमाल करने की आजादी नहीं थी. मैं वासना से पागल हुई जा रही थी … लेकिन मुझे हिलने का आदेश नहीं था. मैं बहुत गर्म थी. आधे घंटे से एक मूसल सा लंड मेरी चुत में था.
तभी धड़ाक की आवाज से मेरा ध्यान बंटा, मैंने हड़बड़ा कर लैपटॉप बन्द किया. इशिता, मेरी छोटी बहन दरवाजा खोल कर अन्दर आ चुकी थी. वो मेरी तरफ बढ़ी, लेकिन उससे पहले ही लड़खड़ा कर गिर गयी. इशिता नशे में धुत्त थी. उसके हाथ में अभी भी एक बोतल थी.
“इशिता..!” मैं चिल्लाई और उसकी तरफ दौड़ी. वो जमीन पर बेसुध लेटी थी. मुझे बड़ी हैरानी हुई.
“उठ इशिता, कहां से आ रही है, तूने इतनी क्यों पी रखी है?”
“बूब्स … बिग बिग बूब्स..” इशिता ने मेरे नंगी चूचियों की तरफ इशारा करते हुए बोला. तब मुझे एहसास हुआ कि मैं पूरी तरह नंगी हूं.
“क्या बक रही है?”
इशिता कुछ नहीं बोल रही थी, अभी भी उसकी आंखें मेरे मोटे और बड़े चूचों पर ही टिकी थीं.
“बूब्स मिल्की बूब्स … टेस्टी … आई वन्ना सक इट..”
उसने शराबियों के लहजे में बोला.
इतना कह कर उसने मेरे एक चूचुक को मुँह में भर लिया. मैं तो उसके इस एक्शन से एकदम से सिहर उठी. महीनों बाद मेरी चूचियों की नोकों पर किसी की नर्म जीभ के स्पर्श का एहसास हुआ था. चूचुकों पर प्राप्त अन्तर्वासना से मेरे मुख से “आहहहह..” निकल गई. एक पल को मुझे अपने चोदू भाई की याद आ गयी. एक भी दिन ऐसा नहीं होता था. जब वो मेरे मम्मों को मसलता और चूसता न हो. मैंने खुद को ख्यालों से निकाला और वास्तविकता में आ गयी.
“इशिता छोड़ … क्या कर रही है?”
मैंने किसी तरह उससे अपने मम्मे छुड़ाए. इशिता ने बहुत ज्यादा पी रखी थी. वो इस हालत में नहीं थी कि मैं उसे उसके कमरे में ले जाऊं. मैं किसी तरह उसे बेड पर ले कर आयी. मैं उसके लिए पानी लेने गयी. तब तक वो मेरे बेड पर ही सो गई.
मैं सोने की कोशिश कर रही थी. पर मुझे नींद कहां आने वाली थी. पहले भाई ने, फिर इशिता ने मेरे अन्दर की अन्तर्वासना जगा ही दी थी. इन सबको सोचते सोचते कब मेरा हाथ मेरे स्तनों पर चला गया, मुझे पता भी नहीं चला. मैंने अनुभव किया कि मेरे निपल्स एकदम कड़क और सेंसटिव थे. जोकि अकसर भाई के ख्यालों से हो जाते थे.
मैंने खुद से बुदबुदाते हुए बोला कि ये मैं क्या कर रही हूं … एक लड़की की छुअन से मैं कैसे उत्तेजित हो रही हूं. मैं पागल हो गयी हूं भाई की तड़प में … शायद उसकी कमी और सेक्स के लिए मेरी तड़प ने मुझे ऐसा सोचने पर मजबूर किया है. मेरे मन में ऐसे तरह तरह के बहुत सारे ख्याल कौंध गए. मैंने खुद को समझाया और किसी तरह सो गई.
“मैं यहां कैसे..!” इशिता ने सुबह उठते ही मुझसे पूछा. मैं ऑफिस के लिए तैयार हो रही थी. तब वो उठी थी.
“ये तो तुझे बताना चाहिए.”
“आहहहह, मुझे कुछ याद नहीं दीदी.”
“हम्म रहेगा भी कैसे … तूने इतनी ज्यादा जो पी रखी थी.”
“पी रखी थी … ओ हां कल रात मैं पार्टी में थी फिर!”
“चल ज्यादा जोर मत डाल दिमाग पर … उठ जा, कॉलेज नहीं जाना क्या?”
“नो दीदी आई एम नॉट फीलिंग वेल..” (नहीं दीदी, मेरी तबियत कुछ ठीक नहीं लग रही है)
“चल उठ जा, मैं राधा को निम्बू पानी लाने को बोलती हूं.”
“ओके दीदी.”
मैं ऑफिस के लिए निकल गयी.
ऑफिस में जो हुआ वो लिख रही हूँ.
सांसों की आवाज आ रही थी.
“स्मेलिंग नाइस.”(क्या खुशबू है) मेरे दायें कंधे पर किसी के सांसों का आभास हुआ.
“टीना!” मैंने पहचानते हुए उसका नाम जोर से पुकारा.
टीना मेरी सहकर्मी है, हम दोनों काफी जल्द ही बहुत अच्छे दोस्त बन गए थे. उसकी आदत है … वो मज़ाक में मुझे जान, डार्लिंग, बिच (कुतिया) कह कर भी बुला देती थी और मैं उसे भी इन्हीं शब्दों से सम्बोधित कर देती थी. मतलब हम दोनों में काफी घनिष्ठ मित्रता थी. हम हर तरह की बातें शेयर किया करते थे.
वो भी काफी हॉट लड़की है. ऑफिस में कई उसके आशिक़ थे और कई पार हो चुके थे. वो थोड़ी मॉडर्न ख्यालातों की थी. काफी खुले विचारों की और कुछ ज्यादा ही फैशन की शौकीन लड़की थी.
“तू नहीं सुधरेगी न!” मैंने उसे आंख दिखाते हुए कहा.
“जान तुझे देख के अच्छे अच्छे बिगड़ जाएं, मैं क्या चीज हूं.”
“चल हट.”
वो डेस्क पर बैठ गयी, फिर कुछ देर हमने बातें की. वही ऑफिस पॉलिटिक्स शुरू हो गई कि किसका किसके साथ चल रहा है, कौन किससे चुद रहा है. किसका लंड किसकी चुत में जा रहा है. उसके बाद वो अपने क्यूबिकल में चली गयी. फिर वही दिन भर काम काम काम और काम.
इंटरवल में मैं वाशरूम गयी. मैंने अपने शर्ट के दो बटन खोल दिए. मेरे बड़े बड़े मम्मे साफ झलकने लगे. मैंने दो तीन फोटोज लीं और विशाल को भेज दीं. फोटो के नीचे मैंने टाइप किया.
“सॉरी मास्टर, प्लीज पनिश मी.”(कृप्या मुझे दण्ड दें)
कल रात को मैं बिना कुछ बोले चली गयी थी. फिर इशिता मेरे कमरे में आ गयी … तो उससे बात नहीं हो पाई. सुबह से उसके एक भी कॉल या मैसेज भी नहीं आया था. यह तूफान के पहले की शांति थी. मुझे कोई कठिन पनिशमेंट (दण्ड) मिलने वाला था. सच कहूं तो मैं भी इसके लिए उत्साहित थी … एक नए रोमांच को मसहूस करने के लिए. मुझे उसकी पनिश्मेंट्स और दिए गए काम अच्छे लगते थे. मुझे खुद को उसके हवाले करना, दिल से अच्छा लगता था.
उस दिन ऑफिस में कुछ नया या रोचक नहीं हुआ … वही रोज की तरह पूरा दिन काम करते हुए ही गुजरा.
मेरे द्वारा विशाल को अपने मम्मों की फोटो भेजने और उससे दंड पाने की ख्वाहिश का मैसेज किया था. मुझे उसका जबाव मिलने की प्रतीक्षा थी.
मेरे मास्टर विशाल की विचित्र पनिशमेंट कुछ यूं मिली.
ऑफिस से छूटते ही मैंने कैब ले ली और घर आ पहुंची. मैंने किसी से लिफ्ट नहीं ली थी … क्योंकि मास्टर का आदेश था. एक घंटे पहले उसका मैसेज आया था.
“आई वांट टू सी माई प्रोपर्टी वैट एंड जूसी.”
(वो मुझे पसीने से भीगा हुआ देखना चाहता था)
मामी जी का फ्लैट दसवें माले पर था. गर्मी का मौसम था. पांच माले तक चढ़ने में ही मैं ही हांफ गयी थी. किसी तरह मैंने बाकी की सीढ़ियां भी चढ़ीं. घर पहुंचते पहुंचते मैं पसीने से लथपथ हो गई थी. मेरी सफ़ेद शर्ट पसीने से भीग चुकी थी.
मैं घंटी बजाई, तो मामी ने दरवाजा खोला.
“अरे प्रीति बेटा क्या हुआ?” मामी ने मेरी हालत देख कर पूछा.
“कुछ नहीं मामी वो लिफ्ट खराब थी.” मैंने बहाना किया.
“अच्छा … तुम फ्रेश हो जाओ, मैं खाना लगा देती हूं.”
मैंने लैपटॉप का बैग बेड पर फेंका और बाथरूम में घुस गई. मैंने खुद को आईने में देखा. मैं पूरी तरह भीग चुकी थी. मैंने अपने बाल थोड़े सही किए और लिपस्टिक लगाई.
मेरे मम्मे काफी बड़े होने के कारण शर्ट मेरे मम्मों पर चिपक गयी थी. मैंने शर्ट के तीन बटन खोल कर उसे मम्मों के नीचे तक सरका दिया, जिससे मेरी ब्लैक ब्रा दिखने लगी. मेरी ब्रा भी पसीने से भीग चुकी थी. मैंने दो तीन फ़ोटो क्लिक कीं और भाई को व्हाट्सअप कर दीं.
मैंने नीचे लिखा- योर स्लट इज वेटिंग फ़ॉर यू मास्टर.” (तुम्हारी रंडी तुम्हारा इन्तजार कर रही है.)
मैंने फोन साइड में रखा और आईने में देख कर खुद को निहारने लगी. मेरे माथे पर पसीने की बूंदें थीं … आंखों में काजल था, जिससे मेरी आंखें तीखी और नशीली लग रही थीं. मेरे गोरे चेहरे पर लाल रसीले होंठ चमक रहे थे. मेरा भीगा बदन ऐसे लग रहा था … मानो मैं सीढियों से चढ़ कर नहीं, बल्कि चुद कर आयी हूं. मेरी गर्दन से टपकते पसीने की बूंदें मेरे मम्मों की घाटियों में बहते हुए जा रही थीं. एक बार के लिए तो मैं खुद को ही देख उत्तेजित हो गयी.
करीब पांच मिनट बाद भाई का मैसेज आया.
“शो मी.” (मुझे दिखाओ)
मैंने वीडियो काल करके मोबाइल सामने रख दिया. मैंने आहिस्ते से हाथ अपने मम्मों पर फेरा और रंडियों की तरह मुस्कुराते हुए शर्ट के बटनों को खोलने लगी. अगले ही पल मैंने अपनी शर्ट को निकाल कर फर्श पर गिरा दिया. मैंने अपने नंगी भीगे बदन पर आहिस्ता से हाथ फेरा … मैं देख तो नहीं पायी, लेकिन मुझे अंदाज हो गया था कि भाई ने अपना लंड पकड़ लिया होगा. मैंने हाथ अपने भीगे बदन पर सरकाते हुए पीछे ले गयी और अपनी ब्रा का हुक खोल दिया. ब्रा खुलते ही मेरे चूचे उछल कर सामने आ गए, जैसे कि वो न जाने कब से बाहर आने के तड़फ रहे थे और मैंने उन्हें कैद कर रखा हो. लेकिन ब्रा अभी भी मेरे मम्मों पर चिपकी हुई थी.
उसने मुझे आदेश दिया- वेलकम पोज.
ये मास्टर वेलकम पोज उसका फेवरेट पोज था. क्योंकि इसमें उसे मेरे पूरे नंगे जिस्म को देखने को मिलता था. इसमें मुझे दोनों हाथ ऊपर उठा कर खुद को उसे सौंपना होता था.
मेरे हाथ ऊपर करने पर मेरे सीने से लगी ब्रा भी गिर गयी और मैं पूरी तरह नंगी हो गयी. मैंने गोल घूम कर उसे एक अच्छा लुक दिया. उसे मेरी नंगी पीठ उसे बहुत पसंद है. मैं सिर झुकाए खड़ी थी. मेरे हाथ अभी भी ऊपर थे.
“स्मेल ईट.” (खुशबू लो) उसने आदेश दिया.
मैं सोचने लगी कि ये क्या कह रहा है. मैं सोच में पड़ गयी.
उसने फिर बोला- ट्रस्ट मी, स्मेल इट. (मेरा विश्वास करो, खुशबू लो).
मैं संकोच करते हुए नाक अपने आर्मपिट्स के करीब ले गयी और लम्बी सांस ले कर अपने ही जिस्म की खुश्बू को अपने जहन में उतार लिया. मेरे जिस्म की महक़ आज मुझे मादक लग रही थी. मुझे नशा सा चढ़ गया, मेरी आंखें बंद हो गईं. मुझे वो दिन याद आ गए, जब हम पसीने से लथपथ घंटों चुदाई का खेल खेला करते थे. कैसे वो मेरे आर्मपिट्स को अमृत रस की तरह चाटता था.
मेरे हाथ खुद ब खुद मेरी चुत पर चले गए. वासना के सागर में डूबी मैं, अपने दाने को मसलने लगी. मेरे मुख से सिसिकारियां निकलने लगीं. मैं उससे चुदाई की गुहार लगाने लगी.
“फक योर स्लट मास्टर.” (अपनी रंडी को चोदिए मेरे मालिक)
“उम्मम हम्मम्म यसस … आहहहह फ़क मी लाइक होर..” (मुझे किसी बाजारू रंडी की तरह चोदो)
मैं इतनी उत्तेजित हो गयी थी कि जल्द ही झड़ने को हो गयी.
तभी “स्टॉप … इट्स इनफ फ़ॉर नाउ, रेडी फ़ॉर नाइट सो.”(रुको … अभी के लिए इतना काफी है, रात को मिलते हैं)
मैं कुछ कह पाती, तब तक उसने कॉल कट कर दिया. मैं हमेशा ही मचल उठती हूं, जब वो मुझे इस तरह धमकाता है. मैं गर्म हो चुकी थी. उसके इस बर्ताव पर मुझे बहुत गुस्सा आया … लेकिन ये पहली बार नहीं था. मुझे तड़पाना तो उसकी आदत है. उसे इसमें बड़ा मजा आता है. मैंने फोन उठाया, उसका मैसेज आया था.
“लव यू दीदी.”
“मी ओर माई बॉडी?” (मुझे या मेरे जिस्म को) मैंने नाराजगी में लिख दिया.
कुछ सोच कर उसने रिप्लाय किया- आल ऑफ यू. (आप, पूरी की पूरी)
“मिस यू छोटे.”(मैं तुम्हें मिस कर रही हूं,छोटे)
“मिस यू टू दीदी.”
“तो आ जा ना.”
“जल्द ही आऊंगा.”
“शुड आई वेट नेकेड फ़ॉर माय मास्टर?” (क्या मुझे तुम्हारे इन्तजार में नंगी रहना चाहिए)
“नो नो, मैं जल्द ही आने की कोशिश करूंगा.” एक स्माइली के साथ उसने लिखा.
“लव यू … बाय.”
“बाय, लव यू टू.”
“उम्माहह.”
मैंने उसको किस वाली इमोजी भेजी और फोन रख कर मैं बाथटब में आ गयी. ठंडा पानी मेरे जिस्म पर ऐसे लग रहा था, मानो तवे पर पानी छिड़क दिया हो. आंखें बंद करते ही मैं भाई के पुलअप बार से बंधी हुई थी. जहां उसने मुझे कई बार चोदा था. महसूस होने लगा कि वो मेरे नंगी जिस्म से खेल रहा है. वो मेरे जिस्म के हर एक भाग को प्यार करता और दर्द भी देता था, लेकिन उस दर्द में मजा था. एक रोमांच था. मुझे याद है कैसे वो मेरे हर एक अंग को प्यार करता.
ये सोचते ही मेरे हाथ खुद ब खुद मेरे मम्मों पर चले गए. मेरे मुख से हल्की सिसकारियां निकल गईं.
मुझे होश ही नहीं रहा कि कब मैं अपनी कल्पनाओं में भाई के साथ बेडरूम से हट कर अपने खुद के बेडरूम में आ गई थी. इशिता मेरे मम्मे चूस रही थी. ये मुझे पता ही न चल सका.
मुझे कल रात इशिता द्वारा मेरे मम्मों को चूसे जाने का एहसास मुझे रोमांचित कर गया. मैंने एक हाथ चुत पर फेरा, जो कि गीली हो चुकी थी. मैं अपनी चूत के दाने को मसलने लगी. फिर मैंने तीन उंगलियां अपनी चुत में पेल दीं और खुद की चुदाई करने लगी. भाई ने इन दिनों मुझे खुद से प्यार करना सिखा दिया था. मैं खुद के मम्मे मसलते हुए खुद की चुत की चुदाई कर रही थी. कुछ ही पलों मैं झड़ गयी. इससे मेरे मन को अस्थायी शांति तो मिल गई थी. लेकिन अभी भी कुछ सवाल बरकरार थे.
मैं खुद से पूछने लगी कि क्या मैंने अभी अभी अपनी बहन को सोच कर मुठ मारी? क्या हो गया है प्रीति तुझे, तू एक लड़की के बारे में ऐसा कैसे सोच रही है?
इस तरह के कई विचार थे मेरे मन में, जिनके जवाब मेरे पास नहीं थे.
डिनर पर मैंने मौका देख मामी से बात करनी चाही- मामी, मुझे आपसे कुछ बात करनी है.
“हां, हां प्रीति बेटा बोलो … किस बारे में बात करनी है?”
“इशिता के बारे में.”
इशिता का नाम सुनते ही मामी के चेहरे का तो जैसे रंग ही उड़ गया. वो एकदम से ऐसे सकपका गईं, जैसे उनकी कोई चोरी पकड़ी गई हो.
“इशिता … इशिता कुछ ज्यादा ही नशा करने लगी है … कल रात भी नशे में घर आई थी.” मैंने अपनी बात पूरी करते हुए कहा.
“हा हा हा, बेटा आज कल के बच्चों के शौक भी तो बढ़ गए हैं.” उन्होंने बनवाटी हंसी के साथ बोला.
“पर मामी ऐसे देर रात घर आना, नशे में आपको अनसेफ (असुरक्षित) नहीं लगता?”
मामी कुछ देर तक सोचा, फिर वे बोलीं- मेरी कहां सुनती है बेटा, तुम्हीं उससे बात करना … हो सकता है, वो तुम्हारी सुन ले.
“पर … मामी..” मैं अपनी बात पूरी नहीं कर पाई क्योंकि मेरे फोन की घंटी बज उठी. ये फोन विशाल का था. मैं ज्यादा कुछ बात नहीं कर पाई मामी से … बस जल्दी जल्दी खाना खाकर कमरे में चली आयी.
अगले दिन ही बाद रात को फिर इशिता वैसे ही फिर नशे में धुत्त आयी. आज मामी भी घर पर नहीं थीं. मैंने ही दरवाजा खोला.
मुझे देखते ही वो चहक उठी- दीदी, ओ माय सेक्सी हॉट दीदी. (मेरी सेक्सी हॉट दीदी)
यह कहती हुई वो मेरी तरफ बढ़ी, लड़खड़ा कर वो मेरे ऊपर आ गिरी. मैं उसे सहारा देकर उसके कमरे तक ले गयी. उसे बेड पर सुलाया.
वो अभी भी बड़बड़ा रही थी- स्लट, व्हेर इज माय स्लट?
“चल सो जा … तू बहुत नशे में है.” ये कहते हुए मैं जाने के लिए मुड़ी. उसने मुझे खींच कर अपने ऊपर गिरा लिया.
“क्या कर रही है? छोड़ इशिता.”
“दीदी, आप न बहुत हॉट हो, बहुत सेक्सी (कामुक) … लाइक सेक्स गॉडेज.” (काम की देवी)
ये सब तो उसने नशे में कहा … लेकिन नशे में अकसर लोग मन की बातें कह जाते हैं. मैं उसकी आंखों में देख रही थी. उसका ये मासूम चेहरा कई राज छिपाए बैठा था. मैंने उससे खुद को छुड़ाया. मैं वापस अपने कमरे में आ गयी.
मैंने सोने की कोशिश की. मैं इशिता के रवैये पर गुस्सा भी थी. वो लगभग हर दूसरे दिन नशे में धुत्त घर आती, लेकिन मामी उसे कभी नहीं डांटती थीं. आज तो हद था उसके कपड़े भी फटे हुए थे. मैंने उसी वक्त ये निश्चित किया कि सुबह ही मामी से दोबारा इसको लेकर बात करूंगी.
सुबह ब्रेकफास्ट के समय मैंने मामी से बात करनी चाही लेकिन मौका नहीं मिल पाया क्योंकि इशिता आ गयी थी.
मुझे ऑफिस के लिए लेट हो रहा था तो मैं निकल गयी.
उधर ऑफिस में टीना ने मेरे डेस्क पर बैठते हुए कहा- क्या बात है जान … आज तो तू बड़ी खिली हुयी है?
मैंने पिंक कलर का सूट पहन रखा था. मेरे गोरे रंग पर ये कलर काफी जंचता था. वो मेरे क्यूबिकल में थी, रोज की तरह ये हमारा गॉसिप टाइम था.
“टीना यार … प्लीज आईंम नॉट इन मूड..” (टीना यार प्लीज मूड खराब है … अभी मेरा)
“क्या हुआ?”
“कुछ नहीं, तू अभी जा प्लीज.”
“ह्म्म्म..”
“चल … उठ!”
वो मुझे जबरदस्ती उठा कर ले जाने लगी.
“कहां ले जा रही है?”
“जब मूड न हो, तो काम नहीं करते.”
वो मुझे पास के कॉफी शॉप में ले आयी. हमने कॉफी ली और बैठ गए.
उसने पूछा- हम्म … अब बता क्या बात है?
मैंने उसे सारी बात बता दी.
“हम्म तो तेरी बहन तुझे चोदना चाहती है.”
“टीना … तू कभी सीरियस हो जाया कर यार … मैं प्रॉब्लम बता रही हूं.”
“हा हा हा … सॉरी जस्ट किडिंग (मजाक कर रही थी), वैसे तेरे जैसी मस्त माल पर अच्छी अच्छी लड़कियों का भी मन फिसल जाए, इसमें उस बिचारी की क्या गलती है.”
मैंने उसे आश्चर्य के लहजे में देखा.
“सॉरी … हां तो तूने अपनी मामी से बात की?”
“कहां यार, टाइम ही नहीं मिला, वैसे मैंने पहले एक बार बात की थी लेकिन उन्हें फर्क ही नहीं पड़ता.”
“ह्म्म्म … कुछ तो झोल है.”
“तो पहले हमें तेरी बहन के बारे में पता करना चाहिए है. वो क्या करती है … कहां जाती है … बॉयफ्रेंड एंड फ्रेंड सबके बारे में जानकारी करना होगी.”
“हां पर कैसे?”
“कॉलेज से शुरू करते हैं, दोस्तों से पता चलेगा.”
“ओके डन.”
शनिवार को हमारा हाफ टाइम होता था. हम इशिता से मिलने के बहाने उसके इंस्टिट्यूट गए. इशिता आज क्लास नहीं आई थी. हमने उसके दोस्तों से पूछताछ की, लेकिन किसी ने ज्यादा कुछ नहीं बताया. हम वापस जाने … तो हमें एक लड़की मिली. दरअसल वो तीन लड़कियां थीं. एक ही ने हमसे बात की.
“एक्सक्यूज मी, आप इशिता की दीदी हो न … प्रीति, राइट?”
“हां, तुम्हें कैसे पता?”
“जानती हूं, इशिता ने काफी कुछ बताया है आपके बारे में.” वो मेरी बॉडी पर ऊपर से नीचे नजर दौड़ाते हुए बोली.
“अच्छा, क्या बताया है?”
“ये सब छोड़ो, आप यहां क्यों आई हो.”
मैंने और टीना ने एक दूसरे की तरफ देखा.
“उम्मम … वो मुझे इशिता से जरूरी कुछ काम था … कहां मिलेगी वो?” मैं गला साफ करते हुए बोली.
“वो तो वहीं मिलेगी.” कह के तीनों आपस में हंसने लगीं.
“कहां?”
“द फक क्लब.”
“व्हाट?”(क्या)
“हर सैटरडे (शनिवार) वो वहीं जाती है, जाओ मिल लो अपनी इशिता से.” कहते हुए वो चली गयी.
“व्हाट द फक, क्या बक रही थी ये लड़की …” मैंने टीना से बोला.
“तू चल पहले.” वो मुझे पकड़ कर वहां से ले आयी.
हमने काफी खोजबीन की, लेकिन हमें “द फ़क क्लब.” पूरे शहर में कहीं नहीं मिला. इस नाम का कोई क्लब ही नहीं था. हमारे पास कोई चारा नहीं बचा था. हमने उसका पीछा करने का फैसला किया. जैसा कि उस लड़की ने हमें बताया था. इशिता शनिवार को यहां जाती थी.
अगले शनिवार को हम दोनों थोड़ी पहले ही काम खत्म करके ऑफिस से जल्दी निकल गए. हमने कॉलेज से ही इशिता का पीछा करने का सोचा … शाम का समय था. इशिता कैब के लिए खड़ी थी. उसने जीन्स और टी-शर्ट पहन रखी थी. ऊपर उसने जैकेट भी डाल रखा था, चेहरे पर गॉगल्स लगाए हुए थे, कंधे पर एक बैग भी था. उसकी कैब आ गयी, वो अन्दर बैठ गयी. कैब आगे आगे चल रही थी. हम सावधानी से उसका पीछा कर रहे थे.
हमने डिसाइड किया था कि आज तो जो भी हो, देख कर ही रहेंगे.
उसकी गाड़ी एक जगह रुकी. इशिता निकली, उसने बैग लिया और पास की बिल्डिंग में घुस गई. उधर से निकली, तो उसका रूप ही बदल हुआ था. वो मिनी स्कर्ट में थी, जो उसके घुटनों से ऊपर तक थी. ऊपर उसने टाइट टी-शर्ट पहन रखी थी … जिसमें उसके मम्मों के उभार साफ नजर आ रहे थे. वो कैब में आकर बैठ गयी. कुछ ही दूर पर गाड़ी दोबारा रुकी, ये एक डिस्को बार था. इशिता फोन पर बात करते हुए बार में दाखिल हो गयी. हम भी पीछे पीछे उसके बार में चले गए. इशिता हर हफ्ते के दो दिन इसी क्लब में आती थी. अब मुझे ये जानना था कि आखिर वो किसके साथ मिलती है.
अन्दर पहुंचने पर हमने पाया ये तो सामान्य बार जैसा ही था. एक अच्छा सा सांग प्ले हो रहा था. कुछ लोग डांस कर रहे थे. सब कुछ सामान्य दिख रहा था. जैसा कि सामान्य तौर पर ऐसे बार में होता है.
मेरी नजर इशिता को खोज रही थीं. सबके चेहरों पर मास्क थे, इसमें से उसे पहचानना मुश्किल था. मैंने टीना को देखा … तो वो अपने में ही मस्त थी. ड्रिंक्स पर ड्रिंक्स आर्डर कर रही थी.
“टीना, क्या कर रही है, छोड़ चल मेरे साथ.”
हम भीड़ को चीरते हुए आगे बढ़े, मैंने इशिता को उसके कपड़ों से पहचाना. वो सीढ़ियों की तरफ बढ़ रही थी. वहां तीन लड़कियों से वो मिली, इशिता उन सबसे गले मिली. फिर उनमें कुछ कानाफूसी हुई और वो ऊपर जाने लगी. मैं उनकी तरफ बढ़ी, लेकिन सीढ़ियों से पहले बाउंसर ने मुझे रोक दिया. टीना उससे लड़ने लगी. मैंने झूठ मूठ का ऊपर की एक लड़की को हाय कहा और गार्ड से बच निकली … क्योंकि वो टीना से लड़ने में व्यस्त था. मुझे उसे चकमा देने में आसानी हुई.
मैं छुप कर देखा, इशिता और उसकी फ्रेंड्स कॉरिडोर से जा रही थीं. मैं चुपके चुपके उनके पीछे छिपते हुए चल रही थी. एक आगे चल रही थी, तीनों साथ में कंधे से कंधा मिला कर चल रही थीं. मैंने देखा दोनों लड़कियां धीरे से हाथ पीछे ले आईं और इशिता के चूतड़ों पर हाथ फेरने लगीं. इशिता उन दोनों बीच में थी.
कुछ दूर चलते ही एक लड़की ने झटके से इशिता को रेलिंग के सहारे झुका दिया. उसके हाथों को पीछे लाकर उसे हथकड़ी पहना दी. सेक्स के भाषा में इसे “हैंड कफ़.” कहते हैं और उसके चूतड़ों पर हाथ फेरते हुए दो चपत लगा दीं. इशिता के गोल चूतड़ नंगे थे. पतली सी पैंटी उसकी गांड की दरार में फंसी थी. दूसरी ने उसे खड़ा किया. पहली उसकी शर्ट के बटन खोलने लगी, तो दूसरी ने उसके किनारों को पकड़ा और फाड़ दिया. तीन बटन छिटक कर जमीन पर गिर गए. कॉरिडोर एकदम खाली नहीं था. कुछ लोग आ जा रहे थे. वो इशिता को देखते और हंसते हुए चले जाते.
इधर एक बात ध्यान देने वाली थी, जितने भी लोग कॉरिडोर में आ जा रहे थे. वे सभी लड़कियां थीं. वो भी जोड़े में, या फिर ग्रुप में. वैसे ही वो लड़कियां इशिता को लेकर चलने लगीं. इशिता अपनी मर्जी से उनके साथ जा रही थी. मुझे इशिता के मम्मे तो नहीं दिखे … क्योंकि ये सब मैं पीछे से देख रही थी.
उसे लेकर वो एक कमरे में घुसने को हो गईं. मैं तो ये सब देख कर ही गर्म हो गयी थी. भाई के साथ मैंने भी जंगली सेक्स किया है और उसकी तो मैं दीवानी भी हूं. लेकिन लड़कियों के बीच ये सब मैं पहली बार देख रही थी. वो भी किसी अंजान के साथ … और ऐसी भीड़ भाड़ वाली जगह पर. ये सब मेरे लिए एक कौतूहल जैसा था.
फिर आगे चल रही लड़की ने कार्ड से कमरे का दरवाजा खोला और इशिता को लेकर वो सब अन्दर चली गई.
कमरे के अन्दर मैं ज्यादा कुछ नहीं देख पायी. लेकिन अब मुझे कहानी थोड़ी थोड़ी समझ आ गयी थी. ये सब कुछ क्या चल रहा था. इशिता एक लेस्बियन थी. सामान्य लेस्बियन नहीं, एक जंगली चुदाई पसन्द लेस्बियन थी. उसके साथ की ये लड़कियां हो न हो, उसके कॉलेज की ही होंगी. लेकिन ये सब एक अंदाज था. असल बात मुझे अभी भी नहीं पता चली थी. मैं अपनी स्थिति बता नहीं सकती. मुझे ये सब गलत भी लग रहा था और मैं उत्तेजित भी हो रही थी. मैंने टीना को लिया और हम दोनों वापस घर आ गए. कार में मैंने टीना को सब कुछ बताया.
टीना बोली- वाह यार, तेरी बहन तो मस्त रांड है.
“तू कहना क्या चाहती है.”
“मैं कहना चाहती हूं, तेरे चेहरे की लाली बहुत कुछ बता रही है … मेरी जान.”
“क्या बता रही है?”
“यही कि तू अपनी बहन के लिए गर्म हो चुकी है.”
मेरी तो बोलती बंद हो गयी. मुझे नहीं पता क्या कहना है. मैं चुप रही. हम घर आए, लेकिन मेरे दिमाग में अभी भी टीना की कही हुयी बात घूम रही थी. क्या मैं सच में अपनी बहन से उत्तेजित हो रही थी? ऐसा है … तो क्यों मैं ये सब एक लड़की के लिए महसूस कर रही थी? कई ख्याल थे मेरे मन में.
अगले दिन की बात है. मैं रोज की तरह जिम से आई. मैंने अपनी स्पोर्ट्स ब्रा बेड पर निकल फेंकी और बाथरूम में घुस गई. कुछ देर में इशिता ने दरवाजा खटखटाया.
उसने बोला- दीदी, मेरे बाथरूम में पानी नहीं आ रहा … मैं तुम्हारे बाथरूम में नहा लूं, मुझे कॉलेज के लिए लेट हो रहा है.
“हां, तू रुक … मैं बस 5 मिनट में निकलती हूं.” मैंने बाथटब से ही उसे आवाज दी.
मैं जब नहा ली तो मुझे अहसास हुआ मैंने जल्दी जल्दी में कपड़े तो बाहर ही छोड़ दिए थे. मैंने इशिता को आवाज दी. जब 2-3 बार में उसने नहीं सुनी, तो मैंने दरवाजे खोल कर देखा. मैंने जो देखा बस देखती रह गयी.
इशिता के हाथों में मेरी ब्रा थी, जिसे वो अपनी नाक पर लगा कर सूंघ रही थी. उसने इस वक्त दूसरा हाथ अपनी पैंटी में डाल रखा था. वो नशे में खोई हुई थी. ये देख कर तो मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई.
मैंने जोर से उसका नाम पुकारा, तो वो अकबका गयी. वो घबराते हुए बोली- हहहहां दीदी.
“इशिता … टॉवल दे, कब से बुला रही हूं.”
वो अकबकाते हुए टॉवल ढूंढने लगी. मैंने टॉवल लपेटा और बाहर चली आयी. इशिता मेरे मम्मों को घूर रही थी. मैंने अनजान बनने का नाटक किया और कपड़े पहनने लगी.
अभी भी वो वहीं खड़ी थी, तो मैंने उसे कहा- जा अब कॉलेज नहीं जाना?
तब जाकर वो बाथरूम में घुसी.
ब्रेकफास्ट करने के समय भी वो मुझे प्यासी निगाहों से देख रही थी. उसकी प्यास दिन प्रति दिन बढ़ती ही जा रही थी.
ब्रेकफास्ट करने के समय भी वो मुझे प्यासी निगाहों से देख रही थी. उसकी प्यास दिन प्रति दिन बढ़ती ही जा रही थी.
फिर जब इशिता ने मुझको अपने कमरे में सोने को कहा, उस दिन क्या हुआ वो बताती हूँ:
उस रात को भाई से चैट करने के बाद मेरी आंख लगी ही थी कि किसी ने दरवाजे पर दस्तक दी. मैंने दरवाजा खोला, सामने इशिता थी.
“दीदी मुझे अकेले डर लग रहा है, आप मेरे साथ सो जाओ न प्लीज.”
मैंने उसे हां कर दी.
मैं उसके कमरे में उसके साथ ही सो गई. नींद मुझे कहां आने वाली थी. मैं इशिता के इरादों से वाकिफ थी. लेकिन मुझे अंदाज नहीं था कि वो क्या करने वाली है. मैं टी-शर्ट और हॉफ पैंट में सोई थी. इशिता जब मेरे कमरे में आई थी, तो नाईट ड्रेस में थी.
कुछ देर बाद मुझे मेरी जांघों पर एक कोमल मखमली स्पर्श एहसास हुआ. मेरा हॉफ पेंट छोटा था, इतना छोटा कि मुश्किल से मेरे चूतड़ों को ढक पाता था.
इशिता मेरी गोरी लम्बी टांगों पर हाथ फेर रही थी. पहले तो मैंने उसे रोकना चाहा, फिर ये सोचा देखती हूं कि ये क्या करती है.
वो मेरी तरफ करवट लिए हुई थी. उसकी गर्म सांसें मेरे चेहरे पर टकरा रही थीं. सरकता हुआ उसका हाथ ऊपर आया और मेरे चूतड़ों पर फिरने लगा. हौले हौले से वो मेरे चूतड़ों को दबाने लगी. मैं उसकी निडरता पर अचंभित थी. वो जरा भी नहीं डर रही थी, अगर मैं जग गयी तो क्या होगा.
टीना सही कह रही थी कि साली पक्की रांड थी.
मुझे उसकी गर्म सांसें मेरे सीने के ऊपरी भाग पर महसूस हुईं. वो मेरे मम्मों के काफी पास थी. अब मेरा कंट्रोल करने मुश्किल था.
मैं सोचने लगी कि अब क्या ये मेरे मम्मे चूसेगी … ओह्ह नहीं इशिता … तू अपने बड़ी बहन के मम्मों को चूसने वाली है. ये अहसास मुझे पागल कर रहा था. ये सोचते ही मेरे जिस्म में झुरझुरी सी दौड़ गयी.
अब तो मैं शर्म के मारे चुप थी. मुझे चेहरे पर उसके हाथों का एहसास हुआ, वो मेरे बालों को ठीक कर ही थी. मेरे होंठों पर उसकी गर्म सांसों का अहसास हुआ. ओह्ह नो … अब क्या ये मेरे होंठों को चूसेगी क्या. इस लड़की में जरा भी डर नहीं क्या. एक ही रात में लगता है सब ले लेगी. ऐसे विचार मेरे मन में चल रहे थे.
तभी गर्दन के पास मुझे तेज सांसों की आहट सुनाई दी. ऐसा लग रहा था कि कोई कुछ सूंघ रहा हो. सुबह का दृश्य मेरे मन में कौंध गया, जब वो मेरी स्पोर्ट्स ब्रा को सूंघ रही थी. अरे नहीं … इशिता तो मेरे बदन की खुशबू ले रही है. इस अहसास से मेरे तन बदन में करंट दौड़ गयी.
मैंने अपनी अन्तर्वासना को छिपाने के लिए झूठ मूठ का करवट बदला. इशिता हड़बड़ा कर मुझसे अलग हुयी. उसके बाद उस रात कुछ नहीं हुआ, शायद वो फिर से हिम्मत नहीं कर पाई.
भाई के पनिशमेंट के चक्कर में तीन दिन से मैं झड़ी नहीं थी. परसों रात को साले ने मुझे गर्म करके तड़पता छोड़ दिया था. पहले सेक्सी बातें करके मुझे गर्म किया. फिर जब मैं चुत में उंगली करने लगी, तो उसने मुझे रुकने का कहते हुए चला गया. मेरी दहकती चुत प्यासी छोड़ कर चला गया.
उसने जाते समय ये कहा था कि नो ओर्गेज्म फ़ॉर थ्री डेज. (अगले तीन दिनों तक तुम चरमानंद नहीं लोगी)
ऐसा वो अक्सर मुझे तड़पाने के लिए करता है ताकि अंत में वो मेरी जबरदस्त चुदाई कर सके. घर पर भी हमें जब पता चलता था कि मम्मी पापा कहीं साथ में जाने वाले हैं और हम अकेले रहेंगे, तो कुछ दिन पहले से वो मुझे चोदना बन्द कर देता था. ताकि उनके जाने के बाद दिन रात मुझे चोदे.
अभी मेरी जवानी मचल रही थी. मेरी उत्तेजना ऐसी हो गई थी कि रास्ते चलते किसी से भी चुदवा लूं.
अगले दिन भी इशिता बहाने मार कर मेरे पास सो गई. कुछ देर बाद उसने एसी ऑफ करने को बोला कि उसे ठंड लग रही थी.
मैंने एसी ऑफ कर दिया. मुझे गर्मी लगने लगी. मैंने टी-शर्ट निकाल दी. इशिता का मुझे याद तब आया, जब उसकी हरकतें चालू हुईं. मैं सिर्फ ब्रा में थी. नीचे हॉट पैंट पहने थी. लगभग अधनंगी हालत में थी.
बीच रात इशिता की हरकतें चालू हुईं. वो मेरे बदन पर हाथ फेरने लगी. मैं उत्तेजित होने लगी. बड़ी मुश्किल से मैं खुद को सामान्य दिखा पा रही थी.
उसके हाथ जब मेरे नंगे पेट पर पहुंचे, मैं मचल गयी. उसके कोमल हाथों का स्पर्श, हाय क्या मस्त एहसास था. मैं इतनी खोई हुई थी कि मेरी वासना में मुझे याद नहीं शायद मेरे मुख से सिसकारियां भी निकल गयी हों. मेरी सांसें स्वाभाविक रूप तेज थीं, जिन पर काबू पाने की मैं कोशिश कर रही थी.
मुझे मेरी हालात का अंदाजा लगते ही मैंने पुराना पैंतरा अपनाया. मैंने करवट बदल कर अपनी वासना छिपाने की कोशिश की. लेकिन शायद इशिता को मेरे हालात का अंदाजा लग गया था. इशिता अपने पैर मेरे पैरों पर चढ़ा कर मेरे जिस्म से चिपक गयी.
मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं. ये क्या वो पूरी तरह नंगी थी. मेरे नंगी पीठ पर अपने मम्मों को घिसते हुए शायद वो अपनी चुत में उंगली कर रही थी. उसके मुँह से सिसकारियां निकल रही थीं- ओह्ह यस हम्म फक मी हम्म.
यहां मैं पागल हुई जा रही थी. शर्म से पानी पानी हो गयी थी. उसके कठोर चूचुकों को मैं अपने पीठ पर महसूस कर सकती थी. ये क्या हो रहा था मुझे. मेरी चुत गीली हो रही थी. जीवन में पहली बार किसी लड़की के स्पर्श ने मुझे गीला कर दिया था.
झड़ते हुए इशिता मेरे बदन से बिल्कुल चिपक गयी. अनजाने में उसने मेरे मम्मे भींच लिए और झटके मारते हुए झड़ गयी. वो मेरे गर्दन पर किस करते हुए अलग हुयी और चादर ओढ़ कर सो गई.
अब मुझे नींद कहां आने वाली थी, मेरी नींद उड़ा दी थी उसने. कई तरह के सवाल थे मेरे मन में. रोज इशिता पूरी नंगी होकर ये सब करती थी? उसका कोमल स्पर्श, उसके नंगे बदन का स्पर्श उसकी गर्म सांसें, पूरा माहौल गर्म कर चुकी थी. मेरे अन्दर बेचैनी का तूफान दौड़ रहा था. करवट बदलते रात कटी.
सुबह देखा तो इशिता मेरे बगल में ही सो रही थी. उसके भोले चेहरे से लगता ही नहीं था कि वो इतनी बड़ी रंडी होगी. मैं उठी तैयार होने चली गयी, मुझे ऑफिस जाना था.
सुबह के ब्रेकफास्ट पर इशिता बिल्कुल सामान्य थी. जैसे कुछ हुआ ही नहीं.
फिर मैं रोज की तरह ऑफिस चली गयी. आज तीसरा दिन था. सुबह से भाई के तीन मैसेज आ चुके थे.
“हाय स्लट..!” (रंडी)
“हाय, सेक्सी!”
“हाय, जान!”
मैंने किसी का रिप्लाई नहीं किया था. मैंने उसे उसी दिन बोल दिया था. जब वो मुझे प्यासा छोड़ गया था. ठीक है तो मैं भी तीन दिन तुझसे बात नहीं करूंगी. तू भी तड़प थोड़ा, फिर मजा आएगा.
ऑफिस में उसका मैसेज फिर से आया- सॉरी दीदी.
मैं मुस्कुरायी, जैसे मैं बाजी जीत गयी हूं.
“क्या है?” मैंने इतराते हुए जबाव दिया.
“सॉरी जान … ये देखो तीन दिन में तुम्हारे बिना क्या हाल हो गया है.” साथ में उसने एक पिक भेजी.
आप सबके जैसे मुझे भी लगा था कि ये उसकी पिक होगी. लेकिन मैं उसके रग रग से वाकिफ हूँ सीधे काम उसे पसन्द कहां.
ये उसके फनफ़नाते लौड़े की तस्वीर थी. अचानक से उसके विशालकाय लंड को देख कर मैं डर गई. मोबाईल मेरे हाथ से छूट के नीचे गिर गया. मैंने आस पास देखा, बाकी के लोग मुझे घूर रहे थे. क्योंकि हम मीटिंग में थे.
बीस मिनट में मीटिंग खत्म हुई. क्यूबिकल में आके मैंने मोबाइल देखा, तो उसके मैसेज थे.
“सॉरी … दीदी.”
“सॉरी … सॉरी दीदी मान जाओ न.”
“पहले भी तो हम ये करते थे.”
और भी दस सॉरी के मैसेज थे.
मैंने झट से जबाव टाइप किया- ओके … बाबा ठीक है … लेकिन बोल दोबारा प्यासी छोड़ कर नहीं जाएगा.
“नहीं जाऊंगा ओके..”
“हम्म अब ठीक है.”
“अब अपनी चुत की फ़ोटो भेजो प्लीज.”
“कुछ देर में भेजती हूं.”
“ओके.”
फिर मैं काम करने लगी. लंच ब्रेक में मैं बाथरूम गयी. मैंने दरवाजा लॉक किया. अपनी स्कर्ट निकाल दी और पैन्टी घुटनों तक सरका दी. दो तीन फोटोज अलग अलग ऐंगल्स से अलग अलग पोज में लिए और भाई को भेज दिए. फिर मैंने खुद फोटोज को जूम करके देखा तो मेरी चुत फूली हुई पाव रोटी की तरह दिख रही थी. भाई के साथ चैट से थोड़ी पनीली जरूर हो गयी थी. हल्की हल्की झांटें उग आयी थीं.
मैं गर्म तो हो चुकी थी लेकिन मैंने ठान लिया था.
“सुन … मुझे तुझसे कुछ बात करनी है.”
“हां, बोलो न?”
मैंने पूछा कि लड़की लड़की के बीच वैसा सेक्स हो सकता है क्या?
“ओहो … क्या बात है मेरी रंडी बहन को कोई रंडी मिल गयी क्या?”
“चुप कर … जो पूछा वो बता?”
भाई का फंडा क्लियर था. उसने बोला- सेक्स दो जिस्मों का मिलन है, ये मिलन, मेल (नर) मेल के बीच हो, मेल फीमेल (मादा) के बीच, या फिर फीमेल फीमेल के बीच. अपनी जरूरतों के अनुसार जब भी मौका मिले, इसका आनन्द उठाया जा सकता है.
मैं उसकी इस बात से सहमत थी.
उसकी बात सुन कर मैं मोटीवेट हो गयी. मैंने निश्चित किया कि चुत की प्यास तो अपनी बहन के हाथों ही बुझाऊंगी.
मैंने इशिता से खेल किया.
डिनर के बाद रोज की तरह इशिता ने मुझे उसके कमरे में सोने का आग्रह किया क्योंकि मामी भी आज घर पर नहीं थीं. वैसे उनके होने से उसे घंटा फर्क नहीं पड़ता था. वो एक सनकी लेस्बियन थी. लेकिन कल मेरी अन्तर्वासना को टटोल कर उसने मुझे बेशर्म बनाने पर मजबूर कर दिया था.
मैंने भी निश्चित कर लिया था कि आज अपनी तड़प बुझा कर रहूंगी. वो भी अपनी बहन के हाथों से प्यास बुझा लूंगी. मेरी चुत महीनों से तड़प रही थी.
मैंने इशिता को बोला- तू चल, मैं आती हूं.
मैं अपने कमरे में गयी. मैंने आईने के सामने खड़े होकर खुद को निहारा. मेरे मस्त उठे हुए चूचों पर हाथ फेरा. मेरे कातिल रूप को देख मैं इठला गयी. मैंने ड्रेस चेंज किया और एक नई सेक्सी ब्रा पहन ली. अपने बेस्ट परफ्यूम से खुद के बदन को महकाया. थोड़ा सा लिपस्टिक और काजल भी लगाया. थोड़ा सा ही मेकअप किया ताकि वो ये ना कहे कि दीदी सज धज के चुत चुसवाने आयी है.
मैंने वापस से अपनी टी-शर्ट पहन ली. नीचे हॉट पेंट पहन ली. रोज मैं इसी अवतार में सोती हूं, अगर भाई मुझे नंगी सोने का टास्क न दे तो.
खुले बदन सोने का मजा ही कुछ और है.
इशिता बेड पर लेटी टीवी देख रही थी. मैं भी बेड पर बैठ गयी और बुक पढ़ने लगी.
कुछ देर उसने चैनल पर चैनल बदले, फिर झल्ला कर टीवी को बन्द कर दिया- धत्त … इस पर कुछ नहीं आता, डब्बा है बिल्कुल.
मैंने उसे स्माइल पास की. इशिता सोने लगी.
कुछ देर बुक पढ़ने का दिखावा करने के बाद मैं भी सोने लगी. मैं उसके हर चाल से वाकिफ थी. लेकिन सेक्स की मेरी तड़प ने मुझे मेरी बहन के बिस्तर पर पटक दिया था. मैं विवस थी अपनी इच्छाओं से. नींद मुझे कहां आने वाली थी.
रात गए इशिता की हरकतें शुरू हो गईं. मेरी जांघों पर उसके मखमली हाथों का स्पर्श हुआ. मेरी गोरी चिकनी टांगों पर कोमल स्पर्श से मेरी तन में झुरझुरी सी पैदा हो रही थी. वो मेरे चूतड़ों के ऊपर पैंट के ऊपर से हाथ फेर रही थी.
एक बात तो मैं बताना भूल ही गयी. मैंने हॉट पैंट के बटनों को जानबूझ कर खोल रखा था. पैंट बस मेरे मोटे चूतड़ों के बदौलत मेरे बदन पर थी. उसके हाथ मेरे चूतड़ों पर फिरते हुए मेरी मस्त गांड की घाटियों का जायजा ले रहे थे. वो हौले हौले मेरे चूतड़ों को दबा भी रही थी.
अचानक से मैं उठी “उफ्फ्फ कितनी गर्मी है …” कहते हुए मैंने अपनी टी-शर्ट निकाल फेंकी. मेरा कातिल जिस्म, मेरी हब्शी लेस्बियन बहन के सामने नंगा हो गया.
उसके मुँह में तो पानी आ गया होगा. पीले कलर की ब्रा में मैं उसके सामने थी, जो मेरी पीठ पर एक पतली डोरी से बंधी थी. मैं करवट लिए सोई थी. मेरी नंगी मखमली पीठ उसके सामने थी.
“इशिता, तूने फिर से एसी बन्द कर दिया क्या?
“हहहह..हां दीदी … वो मुझे ठंड लग रही थी.” उसने जवाब दिया.
उसकी हकलाने से जाहिर था कि तीर निशाने पर लगा है.
मैं कुछ न बोली, बस सोने का दिखावा करने लगी. कुछ देर सब शांत रहा, फिर इशिता की हरकतें चालू हो गईं. उसने हाथ मेरी नंगी चिकनी बांहों पर फेरा. मैंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, तो उसकी हिम्मत बढ़ी. उसने हाथ मेरी हथेली में फंसाया और मेरी नंगी पीठ से चिपक गयी. मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई, जब मुझे कोमल जिस्म का एहसास हुआ.
जी हां इशिता बिल्कुल नंगी थी. उसकी गर्म सांसों का स्पर्श मेरे गर्दन के पास हुआ … फिर लंबी सांस लेने की आवाज.
ये क्या, इशिता अपनी बड़ी बहन की जिस्म की खुशबू ले रही थी. उसने मेरी गर्दन पर एक चुम्बन जड़ दिया. मेरी चुत में आग पहले से लग रखी थी, उसने ऐसा करके उसे और बढ़ा दिया. वो हाथ मेरे बांहों फेरते हुए ऊपर लायी. उसने मेरी गर्दन पर हाथ फेरा.
दूसरे ही पल मुझे मेरे स्तनों के ठीक ऊपर के भागों में मेरे सीने पर उसके हाथ महसूस हुए. मेरी धड़कनें तेज हो गईं. जाहिर है कुछ भी छिपा नहीं था. उसने हाथ बढ़ाकर मेरे दायें चुचे को कोमलता से सहलाया. वो मेरे बदन को सूंघें जा रही थी, जैसे मैं कोई फूल हूं.
उसकी गर्म सांसों की आहट मेरे गर्दन पर हो रही थी. धीरे धीरे उसके हाथ मेरे नंगी पेट की तरफ सरकने लगे. मेरी सांसें तेज होने लगीं, खुद पर काबू कर पाना मुश्किल था. इसका आभास शायद उसे भी था.
इशिता बे-ख़ौफ़ अपनी बड़ी बहन के जिस्म से खेल रही थी. मेरे पैंट पर पहुंचते ही वो चिहुंक उठी, जब उसने पैंट का बटन खुला पाया. उसे जैसे खजाने की चाभी मिल गयी हो. आश्चर्य से वो सोच में पड़ गयी. फिर उसके हाथ मेरे पैंट में अन्दर जाते महसूस हुए. इधर आग और बढ़ती जा रही थी, अब काबू करना मुश्किल ही नहीं … न मुमकिन था.
तभी मैंने उसका हाथ पकड़ लिया, मैं बोली- क्या चाहिए?
अपनी नंगी चूचियां मसलवा कर मैं भी बेशर्म हो चुकी थी.
अचानक मेरी प्रतिक्रिया के चलते इशिता अकबका गयी. डर के मारे उसने हाथ पीछे खींच लिया- कककक … कुछ तो नहीं दीदी, वो मुझे ठंड लग रही थी न … इसी लिए मैं आपको पकड़ कर सो रही थी.
उसके इस बचकाने बहाने पर मैं मन ही मन मुस्कुरा दी.
मैं उठी मैंने झट से लाइट ऑन कर दी. इशिता चौंक कर बेड पर बैठ गयी. इशिता मादरजात नंगी थी. उसने चादर से तन ढकने की जल्दी न की, शायद उसे नंगी रहने का ख़ासा अनुभव था.
“सच में तुझे कुछ नहीं चाहिए न!”
इशिता ने मेरे जिस्म को निहारा और सर नीचे कर लिया. मेरा ध्यान उसक नंगे जिस्म पर गया. वाकयी तराशा हुआ जिस्म था. बिल्कुल किसी मॉडल की तरह … हां उसके मम्मे मेरे से छोटे थे. बाकी मेरी बहन एक कातिल जवानी थी.
“बोल?” मैंने दोबारा पूछा.
“दीदी आप बहुत हॉट हो.”
‘पता है.’
“दीदी, आई लाइक यू.”
“हम्म … ये भी पता है.”
“क्या? आपको पता था?”
“हां सब पता है कि रोज रात को तू क्या करती है.”
उसने सर झुका लिया.
“और मुझे मंजूर है.”
“क्या, सच दीदी … लव यू दीदी..” कहते हुए वो मेरी तरफ बढ़ी.
“लेकिन मेरी दो शर्तें हैं.”
“मंजूर हैं.”
“सोच ले इशिता.”
“सोच लिया.”
“पहली शर्त … तू शराब पी कर घर नहीं आएगी.”
“ओके.”
“दूसरी शर्त ये कि तू उस क्लब में नहीं जाएगी.”
मेरी ये शर्त सुन कर वो स्तब्ध रह गयी. वो बेड पर मूर्ति के समान स्थिर हो गयी … जैसे उसे करंट लगा हो.
मैं उसके पास गई … उसे समझाते हुए बोली- देख इशिता, लेस्बियन होने में कोई बुराई नहीं, लेकिन जो करना है, घर में कर … बाहर मुँह मारने से क्या फायदा.
मैंने टी-शर्ट उठा ली और अपने कमरे को चल पड़ी.
लास्ट में मैंने उससे कहा- देख इशिता मुझे जो कहना था, मैंने कह दिया, आगे तेरी मर्जी.
मैं अपने कमरे में जाने के लिए दरवाजे के तरफ मुड़ी. मुझे खुद पर बहुत गुस्सा आ रहा था. मचलती चुत प्यासी छोड़ कर आ रही थी. मेरी वासना ने बगावत कर दी. मैं मन ही मन खुद पर झल्ला रही थी.
“बाबा बनने के चक्कर में प्यासी मरेगी कुतिया तू.” मैंने मन ही मन खुद को कोसा.
मैं टी-शर्ट पहन कर इशिता के कमरे से बाहर निकल आयी. मैं कॉरिडोर में थी. इशिता और मेरा कमरा आमने सामने ही था. कॉरिडोर एक सिरे पर सीढ़ियों पर खत्म होता था, जो कि मामी के कमरे में जाता था. दूसरा एक तरफ हॉल में जाता था.
मैं अपने कमरे का दरवाजा खोलने ही वाली थी कि मुझे एक जोर का धक्का महसूस हुआ. मैं दरवाजे से चिपक गयी. इशिता पीछे से मेरे गले लग गयी.
“आई लव यू दीदी.” वो बेतरतीबी से मेरे गर्दन पर चूमते हुए बोली.
मैं घूम गयी, मैंने देखा इशिता पूरी तरह नंगी थी. उसने झट से मेरे होंठों पर होंठ रख दिए. मैं कुछ न कर सकी, सिवाए वासना के सागर में डूब जाने के, मैं भी तो कब से तड़प रही थी. मैंने आंखें बंद कर लीं और लेस्बियन किस का मजा लेने लगी.
कुछ देर बाद में वो अलग हुयी. एक पल के लिए हमारी आंखें मिलीं, दूसरे पल ही वो मेरे ऊपर भूखी शेरनी की तरह टूट पड़ी. बेतहाशा मुझे चूमने लगी, मेरे गर्दन, गले, गालों पर चेहरों पे उसके चुम्बन होने लगे.
उसके हाथ मेरे मम्मों से खेल रहे थे. उसने मुझे किस करते हुए हाथ मेरी टी-शर्ट के नीचे डाल कर मेरे कबूतरों को भींच लिया. मैं हाथ उसके चिकनी नंगी पीठ पर फेर कर खुद से उसे चिपका रही थी. हाथ पीछे ले जाकर मैंने दरवाजा खोल दिया. हम दोनों रूम में आ गए. इशिता अभी भी मुझसे चिपकी मुझे किस ही कर रही थी. वो मेरी टी-शर्ट निकालने लगी, मैंने हाथ आराम से उठा दिया … जैसा मैं भाई ले लिए करती थी.
उसने खुराफाती नजर से मेरे जिस्म को निहारा और कामुकता से होंठ काट लिए. कमरे में हल्की सी रोशनी थी, हॉल में से आ रही थी. हमने लाइट अभी ऑन नहीं की थी. उसने मुझे धक्का दिया, मैं बेड पर जा गिरी. वो मेरे ऊपर चढ़ गई. हब्शियों की तरह मुस्कुराते हुए उसने अपनी जीभ को मेरे होंठों पर फेरा. फिर होंठों को चूसने लगी. जीभ से वो मेरा मुँह टटोल रही थी.
इस सबसे मेरे अन्दर जो थोड़ा बहुत संकोच बचा था, वो भी खत्म हो गया. मैं इस पल का आनन्द लेने लगी. कुछ देर बाद वो मुझसे अलग हुयी.
वो किस करते हुए नीचे जाने लगी. पहले उसने मेरे माथे पर चूमा, चेहरे पर किस किया. फिर गले के भाग, चेहरे के ठीक नीचे के भाग को चूसने और चाटने लगी. फिर मेरे सीने के नग्न भागों, मम्मों को ठीक ऊपर को चूमा चाटा … मेरे मम्मों को देखा.
मेरे चूचों को देख कर वो हब्शियों की तरह मुस्कुरायी. उसकी मुस्कुराहट में ठरक थी. वो मेरे मम्मों को छोड़ कर आगे बढ़ गयी. मुझे भी कुछ समझ न आया. वो मेरे नंगे पेट की तरफ बढ़ी और उसे चूमने चाटने लगी. मेरी आंखें बंद हो गईं. मेरे मुँह से सिसकारियां आने लगीं. उसने जीभ को मेरी नाभि में फेरा, आह मैं सातवें आसमान पर पहुंच गई. बदन में अकड़न सी आ गयी. ऐसा तो किसी ने नहीं किया था.
वो मेरी कमर के आस पास के भागों में बेतहाशा चूमने के बाद, वो मेरी हॉट पैंट की तरफ बढ़ी, जिसके बटन पहले से ही खुले थे.
उसने चूमते हुए उसने हॉट पैंट निकाल दी और एक तरफ फेंक दिया. वो मेरे पैरों को चूमने चाटने लगी. वो मेरे दायें पैर के अंगूठे को मुँह में ले कर ऐसे चूस रही थी, जैसे मैंने ब्लू फिल्मों में ही देखा था … उसके होंठों में चरम आनन्द था.
वह अपने इन मस्त और रसीले होंठों को फेरते हुए मेरी जांघों पर आ पहुंची. मेरी जांघों को चूमने चाटने के बाद वो मेरे दोनों टांगों के बीच आ गयी. मेरी पैंटी गीली हो चुकी थी. उसने लंबी सांस ली और मेरी चुत की खुशबू को अपनी धमनियों में उतार लिया.
वो अपना चेहरा चुत पर मलने लगी. मैं तिलमिला उठी, मेरे हाथ खुद ब खुद उसके सर पर आ गए. मुझे ऐसा करते देख उसने मेरे हाथों को पकड़ा और मेरी हथेली को चूम ली. मेरे हाथों को निर्देशित करते हुए अपने बालों में ले गयी और मेरी मुट्ठी में अपने बाल पकड़ा दिए. जैसे वो किसी घोड़ी की लगाम हो.
उसने चुत पर मेरी नेट वाली पैंटी के ऊपर से ही जीभ को फेरा. मैं पागल हो उठी. मैं उसका चेहरा अपनी चुत पर दबाने लगी. गीली पैंटी में मेरी चुत हद से ज्यादा सेंसटिव हो चुकी थी. वासना का सैलाब मेरे तन बदन में मानो उमड़ गया था.
फिर उसने मुँह से ही मेरी पैंटी सरकाई. अपने हाथों से तो वो मेरे चूतड़ मसल रही थी. उसने मेरी चुत को देखा और कातिल मुस्कान के साथ मुझे देखा, फिर दोबारा अपने काम पर लग गयी.
उसने मेरी चुत को चूमा, ठीक मेरे छेद के ऊपर … मेरी तो सांसें अटक गईं. वो मेरी टांगों और चुत के बीच के भाग से चाटना शुरू किया और पहले पूरे चुत के एरिया को चाटा. अपनी नाक चुत के अन्दर डाल कर उसकी सुगंध लेते हुए जीभ को मेरी चुत की दरारों पर फिराया. मैं मचल उठी, मैंने उसके बालों को पकड़ कर खींचा. उसकी नाक पूरी मेरी चुत में गड़ गयी … मुझे मीठा सा दर्द हुआ और मैं आनन्द में खो गयी. इशिता पूरे मन से चुत चाटने में लगी हुई थी. जैसे ये उसका पसंदीदा खेल हो और वो इसकी पारंगत खिलाड़ी हो.
इशिता ने दो उंगलियों से मेरी चूत की फांकों को अलग किया और अपनी जीभ को नुकीला करते हुए मेरी चुत में घुसेड़ दिया. उसके नरम जीभ के स्पर्श मात्र से ही मेरी चुत पिघल गयी और पानी छोड़ने लगी. इशिता से जितना हो सक रहा था, वो अन्दर तक मेरी चुत में जीभ डाल कर चूस रही थी. भले ही उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी. मगर सेक्स के लिए उसकी तड़प मेरे से कहीं ज्यादा थी.
आज तक ऐसे मेरी चुत को किसी ने नहीं चूसा था. उसका जोश ही अलग था. जादूगर थी वो लेस्बियन सेक्स की.
मैं इतनी गर्म थी कि ज्यादा देर टिक नहीं पायी और झड़ गई. इशिता ने मुँह अभी भी नहीं हटाया. वो मेरे रस को मस्ती में पी रही थी. उसने तनिक भी जल्दी न थी. उसने पूरा रस चाट कर मेरी चुत को साफ किया. फिर ऊपर मेरे तरफ बढ़ी.
अब उसने पूछा- कैसा लगा दीदी?
उसके चेहरे पर सन्तोष के भाव थे. लेकिन एक बार में मेरा कहां होने वाला था. यहां पूरी रात चुदने की आदत थी. भाई के साथ जंगली सेक्स करते हुए तो पांच-छह बार झड़ ही जाती थी.
हालांकि अभी मैं हांफ़ रही थी क्योंकि तुरंत झड़ी थी. अपनी सांसें सम्भालते हुए मैंने धीरे से कहा- बढ़िया.
फिर तो उसने सम्भलने का मौका ही नहीं दिया. मेरे होंठों पर होंठ रख दिए और जीभ अन्दर तक डाल कर डीप किस करने लगी. उसके मुँह से मेरे रस का स्वाद आ रहा था. मैं वाकिफ हूं इस ज़ायके से … कई बार मैंने खुद का रस चाटा है.
वो तब तक किस करती रही, जब तक मेरी सांसें न फूल गईं और मैंने उसे धक्का दे कर खुद को छुड़ाया नहीं.
“पागल, मार डालेगी क्या?”
“उफ्फ दीदी तुम्हारे होंठ हैं ही इतने रसीले … मैं क्या करूँ.”
“तू हट … मूझे नहीं करना ये सब.” मैं उठ कर जाने लगी. वास्तव में मैं पानी पीने जा रही थी. क्योंकि इतने जबरदस्त ऑर्गेज्म (चरमआनन्द) के बाद मुझे प्यास लग रही थी.
मैं जाने के लिए उठी. इशिता ने मेरी ब्रा की डोरी पकड़ ली, जो पीठ पर बंधी थी. मैंने मुड़ने को हुयी, तो उसने डोर खींच दी. मेरी ब्रा भी मेरे बदन से अलग हो गई. मैं पूरी तरह नंगी हो गयी. मैंने हाथों से अपने निप्पल छुपाने लगी, शायद अभी भी थोड़ी शर्म बच गयी थी मुझमें.
“कहां जा रही हो दीदी?” ये कहते हुए उसने मुझे खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया.
मैंने कोई विरोध नहीं किया. मेरी चुत चाट कर उसने मुझे अपना कर्जदार बना दिया था.
“अभी तो पूरी रात बाकी है.”
ये बात मेरे दिल में घर कर गयी. महीनों से तड़पती चुत को उसने झाड़ कर मुझे अपना दीवाना बना लिया था. मैं अपनी वासना से विवस थी, किसी भी प्रकार के प्रतिरोध करने में असमर्थ थी.
इस वक्त उसकी कड़क चूचियां मुझे अपनी नंगी पीठ पर महसूस हो रही थीं. इशिता ने बाल हटा कर मेरी गर्दन को चूमा. उसकी चुत मेरे चूतड़ों से मसल रही थी.
मेरी गर्दन पर जीभ फेरते हुए मेरे कानों में बोली- दीदी आप बहुत टेस्टी हो.
उसके इस कामुक लफ्जों ने मेरी अन्तर्वासना को छू लिया. मुझे अजीब सा नशीला एहसास हुआ. वो मेरे कंधे, गर्दन पीठ का ऊपरी हिस्सों को बेतहाशा चूमने और चाटने लगी.
मेरी आंखें बंद होने लगीं … मैं फिर से गर्म होने लगी. वो मेरे पीछे के भागों को चूमते हुए ही हाथ सरका कर मेरे मम्मों के पास लायी. मेरे हाथ उसके स्वागत में खुद बा खुद हट गए. उसने मेरे मम्मों को धीरे से सहलाया. उसके कोमल स्पर्श से मैं मचल उठी. वो हौले हौले मेरे मम्मों को सहलाते हुए मुझे चूमती चाटती रही.
मैंने खुद उसके होंठों पर होंठ रख दिए चूसने लगी. मैं खुलने लगी थी, वैसे खुलने को कुछ बचा नहीं था. मैं उसके सामने पूरी तरह नंगी थी. इशिता मेरे इस क्रिया से जोश में आ गयी. वो मेरे मम्मों को सहलाते हुए जोर से मुझे किस करने लगी. ऐसा नहीं हम पहले कभी एक दूसरे को नंगी नहीं देखा. लेकिन आज बात कुछ और थी. वो मेरे भाई की जगह थी और मैं हमेशा की तरह अपनी वासना की गुलाम थी. हां मैं उसकी गुलाम नहीं थी. वो तो खुद मेरे जिस्म की दीवानी थी.
वो एक ठरकी लेस्बियन थी और मैं उसकी बांहों में नंगी थी.
कुछ देर मेरे नंगी पीठ को प्यार करने के बाद उसने मुझे बेड पर दुबारा लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ गई. हमारे होंठ अभी भी जुड़े थे. कुछ देर में वो मेरे होंठों से अलग हुई, तो हम दोनों हांफ़ रहे थे.
वो मेरी प्यास देख कर हब्शियों की तरह मुस्कुरायी. दूसरे ही पल मुझपर दोबारा झपट पड़ी. मेरे होंठों को चूसते हुए मेरे बदन पर हाथ फेरने लगी. कुछ देर में अलग हुयी और किस करते हुए नीचे जाने लगी. मेरे मम्मों पर पहुंच कर उसने एक पल के लिए मम्मों को निहारा और अपने होंठों पर जीभ फेर दी, जैसे उसे उसकी फेवरेट मिठाई दिख गयी हो. उसने अपने दोनों हाथों से मेरे मम्मों को पकड़ा और दबाते हुए जोड़ दिया. मेरे दोनों मम्मों के बीच में अपनी नाक घुसा कर उधर की महक को सूंघा और मस्त हो गयी.
इसी मस्ती में वो मेरे मम्मों को अपने चेहरे पर मलने लगी. मुझे नहीं पता था कि वो क्या कर रही थी. लेकिन मुझे उत्तेजित जरूर कर रही थी. उसने जीभ निकाल कर मेरे मम्मों पर फेरी, मैं मदमस्त हो उठी. मेरी आंखें बंद होने लगीं.
इशिता पूरे मन से मेरी चूचियों को चूसने लगी. क्या मस्त चूचियां चूसी उसने … मैं इतनी गर्म हो गई कि एक बार फिर झड़ने को तैयार थी.
उसने निचोड़ कर मेरी चूचियां चूसी थीं, मन भर के. फिर वो मुझे किस करते हुए मेरी कमर पर बैठ गयी … पेट से नीचे चुत के ठीक ऊपर. वो पैर मोड़ कर बिस्तर पर बैठी थी. उसकी चुत मेरी झांटों के पास थी. वैसे तो मैं चुत एकदम चिकनी रखती हूं. क्या पता कब कौन से लंड से चुदने का मौका मिल जाए. लेकिन भाई के प्रतिबंध के चलते तीन दिनों से इसे छुआ तक नहीं था. इस पर हल्की नर्म झांटें उग आई थीं.
इशिता अपनी चुत मेरी झांटों पर रगड़ने लगी. नई उगी झांटें कड़ी होती हैं. आगे से उसने मेरे मम्मों को भींच का रखा था. वो मेरे मम्मों को ऐसे मसले जा रही थी, जैसे की आटा गूँथ रही हो. हम दोनों की सिसकारियां कमरे में गूँज रही थीं “आहहहह … हम्म्म्म … ओह्ह … यसस्स..”
मैं अपना हाथ उसकी कमर से हटा कर उसकी चुत के पास ले गयी. जैसे ही मैंने उसकी चुत पर अपनी उंगलियां फेरीं, वो मस्त हो गयी. उसने मेरी तरफ वासना भरी निगाहों से देखा और मैंने दो उंगलियां उसकी चुत में डाल दीं. वो ऐसे चिहुंक गयी, जैसे इस आनन्द में शायद सांसें लेना ही भूल गयी हो. उसके मुख से एक गहरी “आहहहह..” निकल गयी. दूसरे ही पल उसके चेहरे पर रहस्यमयी मुस्कान थी.
वो अपना हाथ नीचे मेरे हाथों के पास ले गयी. उसने मेरा हाथ चुत से निकाला और मेरी चार उंगलियां जबरदस्ती अपनी चुत में ठुंसवा लीं. साथ ही एक तेज दर्द से उसके मुँह से आह निकल गयी. लेकिन दूसरे ही पल उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई थी. वो लड़की सेक्स के लिए पागल थी. अपनी सीमा से बाहर जाना, तो मानो उसकी आदत सी थी.
उसने आगे की तरफ झुक कर मुझे किस की और गांड हिला कर चार उंगलियां अपनी चुत में लेने लगी. उसे देख कर ऐसा लग रहा था, मानो मैं कोई लड़का हूँ और वो मेरे लंड पर बैठे खुद से चुद रही हो.
फिर इशिता ने हाथ पीछे ले जाकर मेरी चुत को मलना शुरू कर दिया. एक बार फिर कमरे में “आहहहह ह्म्म्म यस्स..” की सिसकारियां गूंज उठीं. मैंने पहली बार किसी औरत की सिसकारियां ऐसे सुनी थीं और मैं उत्तेजित भी हो रही थी. मुझे ऐसा लग रहा था कि इस खेल में हम दोनों की ही चुदाई हो रही हो. पूरा माहौल गर्म हो चुका था. मेरे मम्मे मसलते हुए इशिता उंगलियां चुत में ले रही थी.
ये सब बहुत ही कामुक था. हम ज्यादा देर नहीं टिक पाए, जल्द ही झड़ गए. ओह्ह … सच में झड़ने का क्या मस्त आनन्द था. इस बार मैं मन से झड़ी थी. इशिता झड़ते हुए निढाल सी मेरे ऊपर गिर गई. वो मेरे बदन से चिपक कर झड़ती रही. अभी वो कच्ची कली थी, लेकिन इस कम उम्र में भी उसने काफी कुछ सीख लिया था.
मुझे किस करते हुए वो उठी. वो मेरा हाथ अपनी चुत से बाहर निकाल कर मेरे उसने हाथों पर लगे अपने ही रस को चाट कर साफ कर दिया.
मेरी उंगलियों को चूसते हुए वो मुझे एक पालतू रंडी लग रही थी. नीचे उसका रस मेरी चुत के ठीक ऊपर से बह कर मेरी चुत में मिल रहा था. वो मेरी टांगों के बीच आ गयी और अपने और मेरे मिश्रित रस को भी चाट कर साफ कर दिया.
अब वो मेरे बगल में आकर लेट गयी. वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुरायी, मैंने भी बदले में हल्की सी मुस्कान पास कर दी. उसके चेहरे पर संतोष का भाव था. उसने मेरी हथेली पकड़ कर चूमा. मुझे पाकर वो काफी खुश थी … मैंने भी उसे प्यारी स्माइल दी.
फिर हम दोनों बहनें वैसे ही नंगी ही सो गई.

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