ये बात उन दिनों की है जब कॉलेज की छुट्टी के दौरान मैं अपने मामा के यहां कुछ दिन रहने के लिए गई हुई थी. मैं अक्सर अपने मामा के यहां चली जाती थी ताकि अपने ममेरे भाई-बहन के साथ थोड़ा वक्त बिता सकूं.
मेरे मामा की लड़की का नाम सुमन है और उनके लड़के का नाम प्रशांत है.
प्रशांत अभी कॉलेज के सेकंड इयर में था और सुमन जिसकी कॉलेज की पढ़ाई खत्म हो चुकी थी, मैं उसको दीदी कह कर बात करती थी. हम दोनों में खूब सारी बातें होती थीं. वह मुझसे अपने दिल की हर बात बताती थी.
जब मैं मामा के घर गई हुई थी तो उसने मुझे ये भी बता दिया था कि उसके बॉयफ्रेंड के साथ उसका अभी अभी ब्रेक अप हुआ था. इसलिए वो थोड़ी परेशान सी रहती थी.
हालांकि मैं उसकी छोटी बहन थी फिर भी वो मुझसे अपने दिल की हर बात बता दिया करती थी. जब उन्होंने मुझे ब्रेकअप वाली बात बताई तो मैंने उनको समझाया और कहा कि वह कुछ दिन इंतजार करे.
लेकिन उसकी बातों से मुझे लग रहा था कि वो चुदाई करवाने के लिए बेताब सी थी क्योंकि उसको भी मेरी तरह ही चूत चुदाई करवाने का बहुत शौक है.
मुझे इस बात का पता तब लगा जब मैं एक दिन सुबह उठी तो मुझे बाथरूम से कुछ कामुक सिसकारियां सुनाई दे रही थीं. वो किसी अर्जुन का नाम ले रही थी बार-बार. आह्ह … अर्जुन … आई … अर्जुन करके जोर जोर से आवाजें कर रही थी.
उसी दिन मैं समझ गई थी कि दीदी अपनी चूत में उंगली करते हुए खुद ही अपनी चूत को शांत करने की कोशिश करती रहती है. मगर चूत भला बिना लंड के कैसे शांत होती?
उसके बाद दो दिन ऐसे ही निकल गये.
उस दिन घर पर कोई नहीं था. मैं जब टीवी देखने के बाद बोर होने लगी तो दीदी के कमरे में जाने लगी ताकि उनके साथ बात करके कुछ टाइम पास हो सके. दरवाजा अंदर से बंद नहीं किया गया था.
मैंने जैसे ही दरवाजा खोला तो सामने देखा कि सुमन दीदी बेड पर अपनी नंगी चूत में उंगली कर रही थी. मुझे देखते ही वो हड़बड़ा गई और उठ कर बैठ गई.
वो थोड़ी घबरा रही भी रही थी. उसको लग रहा था कि मैं उसकी इस हरकत के बारे में कहीं घर में न बता दूं. मगर मैं ऐसा नहीं करने वाली थी.
मैं दीदी के पास गई तो उसके बूब्स को देखने लगी. मैं बड़े ही ध्यान से दीदी के बूब्स देख रही थी.
वो बोली- ऐसे क्या देख रही है? तेरे पास नहीं हैं क्या?
मैंने कहा- मेरे पास भी हैं दीदी लेकिन आपके बूब्स तो बहुत ही ज्यादा सेक्सी हैं. आपका बॉयफ्रेंड तो इनको पकड़ कर निचोड़ देता होगा.
मुझे पता नहीं क्या हो गया था कि मुझे दीदी के बूब्स कुछ ज्यादा ही आकर्षक लग रहे थे.
फिर दीदी बोली- जैस्मिन, तेरे बूब्स कैसे हैं, दिखा ज़रा …
मैंने अपना टॉप उतार दिया और दीदी के सामने ही अपनी ब्रा भी निकाल दी. मेरे 32 के साइज के चूचे दीदी के सामने नंगे हो गये.
मेरे नंगे बूब्स को देख कर दीदी भी उनकी तारीफ करने लगी. वैसे तो दीदी के बूब्स का साइज भी 32 ही था लेकिन उनके बूब्स की शेप बहुत गोल थी. दीदी और मैं दोनों एक दूसरे के सामने चूचे लटकाये हुए बैठी थीं. मैंने दीदी को देखा और दीदी ने मुझे.
फिर दीदी ने मेरे बूब्स को छेड़ कर देखा. दीदी ने मेरे बूब्स को हाथ लगाया तो मुझे मजा सा आया. फिर दीदी ने अचानक ही मेरे बूब्स को अपने हाथ में भर लिया. वो मेरे चूचों को अपने हाथ में भर कर उनको दबाने लगी.
मैंने कहा- दीदी आप ये क्या कर रही हो? ये सब तो लड़के लोग करते हैं.
दीदी बोली- अगर तू चाहे तो हम दोनों भी मजे ले सकती हैं.
मैंने पूछा- वो कैसे?
फिर वो उठी और अपनी अलमारी खोल कर उसके अंदर से एक पिंक कलर का लंड की शेप वाला खिलौना सा लेकर आई.
मैंने पूछा- दीदी ये क्या है!
वो बोली- ब्रेकअप से पहले ये मुझे अर्जुन ने गिफ्ट किया था. इसे डिल्डो कहते हैं. वो जब मेरे साथ नहीं होता था तो मैं इसी से मजे ले लिया करती थी.
मुझे पता नहीं था कि मेरी दीदी इतनी सेक्सी निकलेगी. उनका बातें करने का अंदाज मुझे बहुत पसंद आया.
दीदी ने डिल्डो मेरे हाथ में दे दिया और कहने लगी- इसे अपने मुंह में लेकर चूसो और बताओ कि कैसा है।
उनके कहने पर मैं डिल्डो को चूसने लगी. मुझे बड़ा मजा आ रहा था.
दीदी ने मेरी उत्तेजना को देख कर मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और मेरे बूब्स को चाटने लगी. वो हल्के से जीभ लगा कर मेरे बूब्स पर हाथ फेर रही थी. उनका हाथ फेरना और चाटना मुझे और भी ज्यादा उत्तेजित कर रहा था.
मेरे मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं और मैं उसको चूसते हुए बिस्तर पर लेट गयी. दीदी भी मेरे ऊपर चढ़ गयी और मेरे बूब्स को खूब जोर जोर से चूसने लगी. दीदी ने धीरे से मेरी नीचे की लोअर और पैंटी निकाल दी और मुझे पूरी नंगी कर दिया. उसने मेरी चूत पर हाथ फेरना शुरू कर दिया और फिर नीचे झुक कर मेरी चूत पर एक किस कर दिया.
मैं बहुत गर्म हो गई.
मेरे शरीर पर दीदी की उंगलियां घूम रही थीं. उनकी उंगलियों में जैसे जादू सा था. जल्दी ही मेरी चूत से पानी निकलने लगा. मुझे इतना मजा आने लगा कि मैंने डिल्डो को किस करना छोड़ दिया और दीदी को ही किस करने लगी.
दीदी ने भी मेरा साथ देते हुए मुझे अपनी बांहों में लपेट लिया. दीदी की चूत मेरी चूत से रगड़ खाने लगी. दीदी की चूत से रगड़ते ही मेरा हाल बुरा होने लगा. मेरी चूत से पानी निकलने लगा. ऐसा लग रहा था जैसे मैं जन्नत का मजा ले रही हूं.
मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं किसी लड़की के साथ इस तरह से लेस्बियन वाला मजा लूंगी.
उसके बाद दीदी डिल्डो को लेकर मेरी चूत की तरफ बढ़ने लगी. दीदी ने उस लंड वाले खिलौने को मेरी चूत पर लगा कर रगड़ना शुरू कर दिया. वो एक हाथ से डिल्डो को मेरी चूत में डालने लगी. डिल्डो को उसने अंदर मेरी चूत में डाल दिया और उसको आगे पीछे करने लगी.
मेरी आंखें बंद होने लगीं क्योंकि मुझे बहुत मजा मिल रहा था. मैं मदहोश होकर उस नकली लंड को अपनी चूत में लेते हुए मजा ले रही थी. कुछ देर तक मेरी चूत को चोदने के बाद दीदी ने डिल्डो को पूरा अंदर डाल दिया और तेजी से उसको मेरी चूत में चलाने लगी. मैं पागल सी हो उठी और मेरी चूत से पानी निकल गया. मैं शांत हो गई थी.
उसके बाद मेरी बारी थी. दीदी नीचे लेट गई और मैंने दीदी के बदन को किस करना शुरू कर दिया. दीदी के चूचों को अपने हाथों से दबाया तो मुझे मजा आया. मैं भी दीदी के साथ ही दोबारा से गर्म होने लगी. फिर मैंने सुमन की चूत को किस कर दिया. उसके मुंह से स्स्स … करके एक आह सी निकल गई.
थोड़ी देर चूत को चूसने के बाद मैंने दो उंगली उसकी चूत में डाल दी और उनको आगे पीछे करने लगी. जब मैंने दीदी की चूत में उंगली डाल कर उसकी रफ्तार बढ़ाई तो दीदी उत्तेजित होने लगी. दीदी के मुंह से जोर की सिसकारियां निकलने लगीं.
सुमन की उत्तेजना को देख कर मैंने डिल्डो लिया और उसकी चूत में डाल दिया. वो एकदम से तड़पने लगी.
मैं तेजी से दीदी की चूत में डिल्डो को डाल कर उसको आगे पीछे कर रही थी तो दीदी को एकदम से पेन होने लगा. फिर मैंने अपने हाथ की स्पीड को कम कर दिया और आहिस्ता से सुमन की चूत में डिल्डो को चलाने लगी.
कुछ ही देर में दीदी की चूत से पानी निकल गया.
हम दोनों काफी देर तक एक दूसरे की बांहों में लेटे रहे.
उसके बाद जब भी हमें मौका मिलता तो मैं और दीदी दोनों ही एक दूसरे के साथ मजे लेने लगती. फिर उसके बाद दिन ऐसे ही निकलते रहे. अब दोनों की चूत को लंड की प्यास सताने लगी थी.
एक दिन मैंने अपने ममेरे भाई को बाथरूम से निकलते हुए देखा तो मेरा ध्यान उसके जिस्म पर गया. उसने अपने जिस्म पर तौलिया लपेटा हुआ था. उसकी जांघों के बीच में उसका लंड का उठाव भी दिख रहा था जिसको देख कर मेरी चूत गीली होने लगी. वो देखने में काफी हैंडसम था. उसको देख कर मैं उसकी तरफ आकर्षित होने लगी.
जब मैं उसको देख रही थी तो उसका ध्यान भी मुझ पर चला गया. फिर मैंने नजर हटा ली और वो दूसरे कमरे में चला गया.
अब मैं सोच रही थी कि क्यों न प्रशांत के साथ ही कुछ सेटिंग हो जाये. लेकिन वो मेरा भाई था इसलिए मैं थोड़ा घबरा भी रही थी. फिर मेरे दिमाग में एक ख्याल आया. मैंने उसको अपनी तरफ आकर्षित करने का प्लान बनाया. जब वो घर में होता था तो मैं तभी बाथरूम में नहाने के लिए जाती थी. मैं जानबूझकर बाथरूम से उसके सामने ही निकल आती थी. मेरे जिस्म पर तौलिया होता था तो वो भी चोर नजरों से मुझे घूरता था. मैंने यह बात नोटिस कर ली थी.
ऐेसे ही एक दिन जब मैं उसके सामने नहा कर बाहर निकली तो मेरे बालों की क्लिप नीचे गिर गई. मैं उसके सामने ही बैठ कर क्लिप को उठाने लगी तो मैंने उसको अपनी चूत के दर्शन करवा दिये क्योंकि मैंने तौलिये के अंदर कुछ भी नहीं पहना हुआ था.
जब मैं उठी तो मैंने देखा कि उसका लंड उसकी पैंट में तन गया था. मुझे उसका लंड अलग से ही खड़ा हुआ दिखाई दे रहा था.
मैं हल्के मुस्कराते हुए दूसरे रूम में चली गई. फिर मैंने दीदी को यह बात बताई तो दीदी को मेरी बात पर यकीन नहीं हुआ क्योंकि ने दीदी ने कभी अपने भाई की तरफ ध्यान ही नहीं दिया था. अब मैंने अपनी बहन सुमन के साथ अपने भाई से चूत चुदवाने के प्लान बनाने की सोची. दीदी भी मेरे साथ शामिल हो गई थी.
अब मैं प्रशांत को हर दिन इसी तरह किसी न किसी बहाने से अपनी चूत के दर्शन करवा देती थी ताकि वो मेरी चूत को चोदने के लिए मचल जाये.
ऐसे ही एक दिन प्रशांत हॉल में बैठा हुआ अखबार पढ़ रहा था. मैं नहा कर बाहर आई तो मैंने अपना नाटक शुरू कर दिया और नीचे बैठ गई. मैंने देखा कि वो अखबार को हटा कर चुपके से मेरी चूत को देखने की कोशिश कर रहा था.
जब उसने एक दो बार मुझे चुपके से देख लिया तो वो उठ कर चला गया. दूसरे रूम में जाकर उसने दरवाजा हल्का सा बंद कर लिया. उस दिन घर पर मेरे और भाई के अलावा कोई नहीं था. मैं जानती थी कि इस वक्त भाई का लंड तना हुआ होगा.
मैं चुपके से उसके कमरे के पास जाकर अंदर झांकने लगी तो मैंने देखा कि वो बेड पर बैठा हुआ था और उसकी आंखें बंद थीं और उसके हाथ में उसका लंड था. जिसको पकड़ कर वो जोर से लंड की मुठ मार रहा था. उसके मुंह स्स्स … आ … स्स्स आ … जैसी सिसकारियां निकल रही थीं.
भाई के हाथ में लंड को देख कर मुझे भी उत्तेजना होने लगी. मैंने सोचा कि घर में भी कोई नहीं है तो क्यों न इस मौके का फायदा उठा लिया जाये.
मैं धीरे से दरवाजा खोल कर अंदर चली गई. मैंने अपने बदन पर तौलिया लपेटा हुआ था. जैसे ही भाई ने मेरे आने की आहट सुनी तो उसके होश उड़ गये और वो अपने लंड को अंदर करने लगा लेकिन मैंने आगे बढ़ कर उसके लंड को हाथ में पकड़ लिया.
वो मेरी तरफ हैरानी से देख रहा था. फिर मैंने उसके लंड को हाथ में लेकर सहला दिया तो वो भी समझ गया कि मैं क्या चाहती हूं.
मैंने अगले ही पल अपने घुटनों पर बैठ कर उसके लंड को मुंह में ले लिया और उसके लंड को जोर से चूसने लगी. मैं डिल्डो की तरह ही उसके असली लंड अपने मुंह में लेकर मजे ले रही थी.
उसके लंड को चूसने में आज अलग ही मजा आ रहा था मुझे. भाई ने मेरे सिर पर हाथ रख लिये और वो भी लंड चुसवाने के मजे लेने लगा. कुछ ही देर में उसका वीर्य मेरे मुंह में निकल गया. मैंने भाई का वीर्य अंदर ही पी लिया. उसकी सांसें तेजी के साथ चल रही थीं.
दो मिनट के बाद भाई शांत होकर नॉर्मल हो गया. मैं भी उठ कर उसके पास ही बैठ गई.
वो बोला- जैस्मिन तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो. इतना कह कर भाई ने मेरे चूचों की तरफ घूरा तो मैं समझ गई कि भाई के अंदर हवस की आग लगी हुई है.
वो मुझे पकड़ कर किस करने लगा तो मैं एकदम से उठ कर अलग हो गई.
वो बोला- क्या हुआ?
मैंने कहा- ये सब गलत है भैया!
वो बोला- अभी तो तुमने ही सब किया है मेरे साथ तो फिर गलत कैसे हो गया.
मैंने कहा- वो तो मैंने अन्जाने में कर दिया. मैं बहक गई थी. हम दोनों के बीच में भाई-बहन का रिश्ता है. मैं आपके साथ इस तरह से लिमिट क्रॉस नहीं कर सकती.
कहकर मैं उसके रूम से बाहर आ गई.
ये सब दीदी और मेरा प्लान था क्योंकि हम दोनों ही प्रशांत के मजे लेना चाहती थीं. उसके बाद मैंने सारी बात दीदी को बता दी. वो खुश हो गई कि सब कुछ प्लान के मुताबिक हो रहा है.
दो दिन के बाद भाई की तबियत खराब हो गई. दरअसल वो तबियत खराब होने का बहाना कर रहा था क्योंकि उस दिन भी घर पर प्रशांत, सुमन और मेरे सिवाय कोई नहीं था. वो सोच रहा था कि वो मेरे साथ बहाने से कुछ करे.
दोपहर में सुमन सोने का नाटक करने लगी. वो अपने कमरे में थी.
मैं भी दूसरे कमरे में लेटी हुई थी. फिर अचानक प्रशांत अंदर आ गया और मेरे पास बेड पर बैठ गया. मैं उठ कर बैठ गई.
मैंने कहा- क्या हुआ भैया, आपकी तबियत ठीक नहीं है, आपको कुछ हेल्प चाहिए क्या?
वो बोला- मुझे तुम भैया मत कहो. मुझे प्रशांत कहा करो.
मैंने कहा- ठीक है.
उसने मेरे चूचों पर हाथ लगाया तो मैं पीछे हटते हुए नाटक करने लगी. मैं जानती थी कि उसके अंदर मेरी चूत को चोदने की आग लगी हुई थी क्योंकि उसका लंड मैंने पैंट में खड़ा हुआ देख लिया था.
मैंने कहा- आप क्या कर रहे हो?
वो बोला- एक बार मुझे मौका दो. मैंने जब से तुम्हारी चूत को देखा है मैं तुम्हारे साथ सब कुछ करना चाहता था लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी.
मैंने कहा- लेकिन … प्रशांत … वो दीदी …
वो बोला- वो तो अपने कमरे में सो रही है. उसको कुछ नहीं पता चलेगा.
मेरी बहन के साथ लेसबीयन सेक्स और चचेरे भाई से चूत चुदाई की यह कहानी मेरी जुबानी सुन कर मजा लें!
इससे पहले कि मैं उसको कुछ कहती उसने मुझे पकड़ कर किस करना शुरू कर दिया. वो जोर से मेरे होंठों को चूसने लगा. पहले तो मैंने एक दो बार छुड़ाने का झूठा नाटक किया लेकिन उसके बाद मैं भी प्रशांत का साथ देने लगी.
अगले दो मिनट में हम दोनों नंगे हो चुके थे. उसने मुझे अपनी बांहों में ले लिया और मुझे किस करने लगा. काफी देर तक वो मेरे होंठों को चूसता रहा और फिर उसने मुझे दीवार के सहारे खड़ा कर दिया. मुझे दीवार के सहारे लगा कर वो मेरी नंगी चूत पर अपना लंड रगड़ने लगा.
मेरी चूत तो पहले से ही गीली हो चुकी थी. वो जब मेरी चूत पर लंड को रगड़ने लगा तो मुझे ऐसा लगा कि मेरा पानी अभी निकल जायेगा. उसके बाद वो नीचे घुटनों के बल बैठ गया और मेरी चूत पर किस करने लगा.
उसके ऐसा करने से मैं एकदम तड़प उठी. उसने मेरी चूत को इतना चाटा कि मेरी चूत एकदम से लाल हो गयी. मैं उसके बालों को पकड़ कर सहलाने लगी और मेरे मुंह से तेज तेज सिसकारियां निकल रही थीं.
हमारी आवाजें बाहर तक जा रही थी. मैं तेज आवाजें इसलिए कर रही थी कि ताकि सुमन को भी पता लग सके कि हमारी चुदाई कहां तक पहुंची है.
हमारी आवाजों को सुन कर वो भी अचानक से कमरे में आ गई और उसको देख कर प्रशांत घबरा कर अलग हो गया. वो अपने कपड़े उठाने के लिए बेड की तरफ लपका.
मगर तभी दीदी जोर से हंसने लगी. प्रशांत ये सब देख कर हैरान हो गया.
दीदी बोली- डर मत, मैं सब जानती हूं कि तेरा और जैस्मिन का क्या चक्कर चल रहा है.
प्रशांत ने मेरी तरफ देखा तो मैं भी मुस्करा दी. फिर दीदी मेरे पास आई और मुझे अपनी बांहों में लेकर मेरे होंठों को किस करने लगी. प्रशांत हम दोनों की तरफ हैरानी से देख रहा था. उसका लंड अब बैठने लगा था.
वो सुमन से कहने लगा- दीदी, ये सब क्या हो रहा है?
सुमन बोली- तुम भी आ जाओ.
इतना कहते ही प्रशांत को सब कुछ समझ में आ गया. वो भी मेरे पीछे आ गया और मुझे किस करने लगा. दीदी के हाथ में डिल्डो था तो उसने मेरी चूत में डिल्डो घुसेड़ दिया और तेजी से मेरी चूत की चुदाई करने लगी.
अब प्रशांत दीदी के कपड़े उतारने लगा और उसने अपनी दीदी को नंगी कर दिया. वो दोनों भी आपस में किस करने लगे. मैं प्रशांत के लंड को हाथ में लेकर सहलाने लगी. फिर प्रशांत बारी-बारी से हम दोनों के चूचों को दबाने लगा.
दीदी मेरी चूत में डिल्डो चला रही थी तो जल्दी ही मेरा पानी निकल गया. मैं थक गई थी. अब प्रशांत दीदी की चूत को चाटने लगा और मैं उन दोनों को देखने लगी. कुछ देर बाद मैं उन दोनों को देख कर फिर से गर्म हो गई.
मैं उनके पास गई तो प्रशांत ने मेरे मुंह में लंड दे दिया और मैं जोर से उसके लंड को चूसने लगी. वो दीदी की चूत में उंगली करने लगा और लंड को मेरे मुंह में देकर चुसवाने लगा. फिर उसने अपने लंड को मेरे मुंह से निकाल दिया और अपने गीले लंड को दीदी की चूत में घुसेड़ दिया.
दीदी प्रशांत के लंड से चुदने लगी और उसके मुंह से तेज-तेज आवाजें होने लगीं. प्रशांत दीदी की चूत में धक्के देते हुए उसकी चूत की चुदाई करने लगा और दीदी उसके लंड को मजे से चूत में लेती हुई आवाजें करने लगीं.
मैं दीदी के चूचों को दबाने लगी.
प्रशांत ने मुझे पकड़ कर मेरे होंठों को चूसना शुरू कर दिया.
तीनों ही फिर से मजा लेने लगे और पूरा कमरा कामुक सिसकारियों से गूंजने लगा.
कुछ ही देर में प्रशांत का वीर्य दीदी की चूत में गिरने लगा. दीदी भी जोर से आवाजें करते हुए झड़ने लगी. इस तरह से हम तीनों ने ही एक दूसरे को शांत किया और फिर हम शाम तक ऐसे ही नंगे पड़े रहे.
अगले दिन प्रशांत ने दीदी को गर्भ निरोधक गोली लाकर दी. फिर मेरे कॉलेज की छुट्टी खत्म हो गई और मैं अपने घर वापस आ गयी.
लेकिन अब हम तीनों में कुछ भी छिपा न रह गया था. मैं रात को अक्सर प्रशांत और सुमन के साथ फोन सेक्स का मजा लेने लगी. हम तीनों ही एक दूसरे के साथ फोन पर बातें करते हुए मजा लेते थे. लेकिन यह तभी होता था जब प्रशांत और सुमन घर पर अकेले होते थे. मैं अपने यहां अपनी चूत में उंगली करती रहती थी और उधर से वो दोनों एक दूसरे के साथ नंगे लेट कर गर्म चुदाई की बातें करते हुए मुझे भी गर्म करते रहते थे.
फिर एक दिन जब मैं प्रशांत और सुमन के साथ फोन सेक्स करते हुए जोर-जोर से कामुक आवाजें कर रही थी तो अचानक से मेरा सगा भाई सुनील मेरे कमरे में आ गया. उस वक्त मैंने अपनी चूत में उंगली डाली हुई थी और मेरे चूचे भी नंगे थे. मुझे ऐसी हालत में देखकर वो मेरे नंगे बदन को घूरने लगा.
मैंने अपने चूचों को भी कपड़े से ढक लिया.
सुनील बोला- क्या हुआ जैस्मिन … तू किसको गालियां दे रही है?
मैंने कहा- कुछ नहीं भैया … वो … मैं बस … ऐसे ही!
सुनील ने मेरे हाथ से फोन ले लिया और अपने कान से लगा कर सुनने लगा. उधर से सुमन और प्रशांत अभी भी सेक्सी बातें कर रहे थे.
उसने देखा तो वो दोनों कॉन्फ्रेंस पर थे. उसको समझते देर नहीं लगी कि मैं उन दोनों के साथ फोन सेक्स कर रही थी.
वो बोला- ये सब क्या है?
मैंने कहा- सॉरी भैया … मैं फिर कभी ऐसा नहीं करूंगी.
वो मेरे जिस्म को घूरने लगा. मेरी जांघें और बूब्स के ऊपर का हिस्सा अभी भी नंगा ही था.
वो बोला- अगर तुझे इतनी ही सेक्स की प्यास लगी थी तो मुझसे कह देती. मैं तेरे बदन की गर्मी को शांत कर देता.
मैंने कहा- नहीं भैया, ऐसी बात नहीं है.
इतना कहकर मैं अपने कपड़े पहनने लगी तो उसने मेरा हाथ रोक लिया.
वो बोला- चल मैं घर में सबको बता दूंगा कि तू अपने कमरे में क्या कर रही थी.
मैंने कहा- नहीं भैया, मुझसे गलती हो गई. मैं फिर कभी ऐसा नहीं करूंगी. आप किसी को ये बात मत बताना. आप जो कहोगे मैं वो करने के लिए तैयार हूं.
वो बोला- ठीक है, तो फिर अपने बदन से कपड़े हटा.
उसने मेरे हाथ को पकड़ कर मेरे कपड़े हटा कर एक तरफ डाल दिये. मैं अपने भाई के सामने बिल्कुल नंगी हो गई. वो मेरे बदन को घूरने लगा. मुझे शर्म आने लगी और मैं अपने भाई से नजरें नहीं मिला पा रही थी.
भाई ने मेरे बदन को धीरे से स्पर्श करना शुरू किया और मेरे पूरे बदन पर हाथ फिराने लगे. फिर उसने मुझे खड़ी कर दिया और मेरे पूरे बदन को घूरने लगे. वो मेरे चारों तरफ चक्कर काट रहे थे.
मेरे जिस्म के हर अंग को ऐसे देख रहे थे जैसे कोई भूखा कुत्ता मांस के टुकड़े को देखता है. दो-तीन चक्कर मेरे चारों तरफ काटने के बाद वो मेरे पीछे की तरफ गये और मेरी गांड को दबा दिया.
मेरी आह्ह निकल गई. मैं सिकुड़ कर खड़ी रही. फिर भाई ने मेरे कंधे से पकड़ कर मुझे डॉगी स्टाइल में नीचे झुका दिया और मेरी चूत को देखने लगे.
कुछ पल तक देखने के बाद उसने मेरी चूत पर हाथ रख कर उसको सहला दिया तो मैं सिसक उठी. मेरी चूत से पहले ही पानी निकल रहा था. भाई के हाथ लगाने से मेरी चूत और ज्यादा गर्म हो गई.
मेरे भाई सुनील ने मेरी गीली चूत सहलाते हुए कहा- साली, तू कब से रंडी बन गई रे? तूने बताया भी नहीं? अगर तू चाहे तो मेरे दो-तीन दोस्त भी हैं, तुझे चुदाई के साथ पैसा भी मिलेगा.
मुझे भी गुस्सा आ गया और मैं बोली- साले जो करना है कर ले, मुझे क्यों सिखा रहा है. मेरी चूत पहले से ही इतनी गर्म हो रही है.
बस, फिर भाई को भी गुस्सा आ गया और उसने अपने पूरे कपड़े उतार फेंके और मेरे सामने ही नंगा हो गया. मैंने भाई का लंड देखा तो मेरी आंखें खुली रह गईं. उसका लंड बहुत दमदार था. उसको देख कर तो कोई भी लड़की उससे चूत चुदवाने के लिए तैयार हो सकती थी. मैं तो ऐसा लंड लेने के लिए बहुत तरसती रहती थी. मुझे घर में ही इतना बड़ा लंड मिल गया.
फिर भाई ने मेरे मन की बात खुद ही पूरी कर दी. जब मैं भाई के लंड को घूर रही थी तो वो बोला- देख क्या रही है, चूस ले इसे!
मैं तुरंत नीचे बैठ गई और भाई के लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी. उसका सात इंच का लंड मेरे मुंह में पूरा भर गया और मैं मजा लेकर उसको चूसने लगी. उसका लंड मेरे ममेरे भाई प्रशांत के लंड से भी बड़ा था.
मेरी तो जैसे लॉटरी लग गई थी. मैं अपने घुटनों के बल बैठ कर जोर से भाई का लंड चूसने लगी. वो भी दो मिनट तक वहीं खड़ा रह कर अपना लंड चुसवाता रहा और फिर उसने लंड निकाल लिया.
वो पीछे जाकर बेड पर बैठ गया. मैं उसके बुलाये बिना ही उसके पास चली गई और नीचे बैठ कर उसके तने हुए लंड को फिर से मुंह में लेकर चूसने लगी. उसने मेरे बालों को पकड़ लिया और तेजी के साथ मेरे मुंह में अपने लंड के धक्के देने लगा. उसका लंड इतना बड़ा था कि मेरे मुंह में पूरा जा भी नहीं पा रहा था.
उसने मेरे सिर को अपने हाथों से अपने लंड पर दबाया हुआ था. वो तेजी के साथ मेरे मुंह को चोद रहा था. उसके हाथों की रफ्तार बढ़ती जा रही थी. बीच-बीच में वो कह रहा था- साली … आह्ह … तुझे तो जिन्दगी भर मैं अपनी रंडी बना कर रखूंगा.
उसकी बढ़ती हुई रफ्तार के साथ उसकी सांसें भी तेज होती जा रही थी. उसके पैरों की नसें पूरी तन गई थीं. उसकी आंखें मजे में बंद हो चुकी थी और वो अचानक कहने लगा- आह्ह … आई एम कमिंग … (मेरा निकल रहा है) और एकदम उसके लंड से वीर्य की धार मेरे मुंह में छूटने लगी. भाई ने अपने लंड के वीर्य से मेरे मुंह को भर दिया.
भाई का वीर्य मुझे बहुत अच्छा लगा. मुझे उसका स्वाद बहुत पसंद आ रहा था. मैंने उसके लंड से चाट-चाट कर सारा वीर्य साफ कर दिया. अब मेरा मुंह भी दुखने लगा था. वो पीछे बिस्तर पर लेट गया और उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी जैसे उसको पूरी संतुष्टि मिल गई हो.
वो बोला- तूने तो मेरे लंड को खुश कर दिया.
फिर मैं उठ कर भाई के सीने पर लेट गई क्योंकि मेरी प्यास तो अभी नहीं बुझी थी. मेरी चूचियां भाई के सीने पर दब गई. मैं उसके होंठों को चूसने लगी. वो भी मेरा साथ देने लगे.
फिर सुनील ने कहा- चल, आज मैं तेरी प्यास ऐसे बुझाऊंगा जैसे किसी ने नहीं बुझाई होगी. वो चुपके से दूसरे रूम में गये और एक रस्सी और टेप लेकर आ गये.
मैंने पूछा- इसका क्या करोगे भाई?
वो बोला- तू चुप कर, मैं जो कर रहा हूं मुझे करने दे. कुछ देर के बाद तुझे सब कुछ पता लग जायेगा. आज तुझे इतना मजा दूंगा कि तू किसी और के पास कभी नहीं जायेगी.
उसने मुझे लेटने के लिए कहा तो मैं लेट गयी. फिर उसने मेरे मुंह पर टेप लगा दी. मेरी आवाज बंद हो गई. उसके बाद भाई ने मेरे दोनों हाथों को रस्सी से बिस्तर पर पीछे बांध दिया और मेरी टांगों को फैला कर दोनों तरफ बांध दिया. मेरी नंगी चूत मेरे भाई के सामने खुली हुई थी.
भाई एकदम से मेरे ऊपर टूट पड़े.
फिर वो जाकर फ्रिज से बर्फ लेकर आया और मेरे पूरे बदन पर चलाने लगा. मुझे इतना मजा आने लगा कि मैं बता नहीं सकती. मेरी चूत उसका लंड लेने के लिए तड़प उठी. उसने मेरी चूत के आस-पास के भागों को जोर से चूस डाला.
मछली की तरह मैं बेड पर पड़ी हुई तड़प रही थी. भाई को भी मुझे तड़पाने में मजा आ रहा था. वो मेरी चूत के दाने को हल्के से अपनी दाढ़ी लगा कर रगड़ रहा था. मैं तो जैसे पागल हो गई थी.
मेरे बदन में बहुत जोर से गुदगुदी हो रही थी. साथ ही साथ मुझे बहुत ज्यादा उत्तेजना हो रही थी.
अचानक से भाई मेरे ऊपर आकर बैठ गये. उनका लंड मेरे पेट पर था. वो दोनों हाथों से मेरे चूचों को दबाने लगा और हाथों में लेकर मसलने लगा.
भाई का तना हुआ लंड मेरे बूब्स के बीच में आ गया और उसने अपने लंड से मेरे बोबों को चोदना शुरू कर दिया. चूंकि मेरे चूचे काफी बड़े थे उसका लंड मेरे चूचों के अंदर छेद बना कर आगे पीछे हो रहा था. कभी कभी उसका लंड मेरे मुंह पर आकर टकरा जाता था.
उसका बदन पूरा पसीने से भीगने लगा और मेरी चूत अब चुदाई के लिए फड़फड़ाने लगी. मेरी चूत से पानी की धार बहे जा रही थी. भाई को भी मेरी तड़प महसूस हो रही थी. इसलिए उसने अपने लंड को मेरे चूचों के बीच से निकाल दिया.
उसने अपने लंड को मेरी चूत पर पटकना शुरू कर दिया. उसका सात इंच का लंड मेरी चूत पर लग रहा था तो मैं एकदम से उछल जाती थी. लेकिन मेरे मुंह पर टेप लगी हुई थी.
मैं जोर से सांसें ले रही थी और मेरी सांस फूलने लगी थी. फिर भाई ने मेरी हालत को देख कर मेरे मुंह से टेप हटा दी.
टेप हटाते ही मैंने भाई से कहा- चोद भोसड़ी के!
उसने तेजी से मेरी चूत को चोदना शुरू कर दिया. मेरे मुंह से अब जोर-जोर से सिसकारियां निकलने लगीं. मेरी चूत को चोदते हुए वो कभी बूब्स को मसल रहे थे तो कभी दांत से बूब्स के निप्पल को काट रहे थे.
मैं गर्म होकर नीचे से अपनी गांड को उछाल कर चुदवा रही थी.
मेरे पैरों पर बंधी हुई रस्सी अब मुझे चुभने लगी थी. भाई भी मेरी चूत को चोदते हुए थकने लगा था.
अचानक भाई ने जोर से लंड को मेरी चूत में दोगुनी ताकत से धकेलना शुरू कर दिया. उसका लंड मेरी बच्चेदानी पर जाकर टकराने लगा. उसके मूसल लंड को लेते हुए मेरा हाल बेहाल होने लगा लेकिन मजा भी बहुत आ रहा था.
बेड से चर्र … चर्र … की आवाज होने लगी. पूरा रूम हमारी सिसकारियों से भर गया. भाई का स्टेमिना देख कर मैं हैरान हो रही थी. मुझे लगने लगा था कि वो 3-4 लड़कियों को एक साथ खुश करने की ताकत रखता है.
उसके चोदने की रफ्तार बढ़ती जा रही थी. मेरी चूत ने न जाने कितनी बार पानी छोड़ दिया था. फिर एकदम से उसके लंड से पिचकारी छूट कर मुझे मेरी बच्चेदानी के पास महसूस होने लगी. उसने पूरा वीर्य मेरे अंदर भर दिया.
कुछ देर तक भाई ऐसे ही मेरे ऊपर पड़ा रहा. थोड़ी देर आराम करने के बाद भाई का लंड फिर से खड़ा हो गया. उसने मेरे हाथ और पांव खोल दिये और मुझे उल्टा लिटा दिया और खुद भी अपने खड़े लंड के साथ मेरे ऊपर आकर लेट गया.
उसने अपने लंड को मेरी गांड में टच किया और मेरी गर्दन को चूमने लगा. कभी-कभी मेरे कानों पर अपने दांतों से काट भी देता था. मैं उसका लंड अपनी गांड में लेने के लिए तड़प उठी.
फिर भाई ने कहा- मेरी रानी, अब मैं तेरी गांड मारूंगा.
मेरा मन तो खुद ही मेरे भाई का लंड अपनी गांड में लेने को हो रहा था. भाई ने मुझे बिस्तर में ही डॉगी बनने के लिए कहा और मैं अपनी गांड को उठा कर जैसे ही कुतिया की पोजीशन में आई तो भाई ने मेरी गांड में लंड को पेल दिया.
उसने काफी देर तक मेरी गांड की चुदाई की. मेरी गांड को दबा-दबा कर चोदा और दस मिनट के बाद फिर से अपना वीर्य मेरी गांड में निकाल दिया. उस दिन तो मेरी गांड फट ही गई दोस्तो. मुझे पहली बार गांड मरवाने में इतना मजा आया था. अब मेरा मन भाई से चूत मरवाने की बजाय गांड मरवाने को करने लगा था.
मुझे अब चूत चुदवाने से ज्यादा मजा गांड मरवाने में आने लगा.
उस दिन जब भाई ने मेरी चुदाई की तो भाई कहने लगा- तेरे बूब्स और तेरी चूत तो मेरी गर्लफ्रेंड से ज्यादा से मस्त है. अगर मुझे पहले से पता होता तो मैं तुम दोनों को एक साथ रगड़ कर चोद देता.
यह सुन कर मैं उत्तेजना से पूछने लगी- कौन है वो लड़की?
भाई ने कहा- तुम उसको पहले से ही अच्छी तरह जानती हो.
मैंने कहा- मैं भी उससे मिलना चाहती हूं.
भाई बोला- ठीक है, मैं उसको तुमसे मिलवा दूंगा लेकिन मैं तुम दोनों को एक साथ चुदाई का मजा देना चाहता हूं.
मैं भाई की बात मान गयी.
उन बातों को एक हफ्ता बीत गया. फिर उस दिन घर पर कोई नहीं था. उस दिन भाई ने सोचा कि आज जैस्मिन को अपनी गर्लफ्रेंड से मिलवा देता हूं. दोपहर के वक्त भाई ने बीयर पीने का प्लान बनाया.
भाई ने उस दिन बीयर भी मंगवा ली थी. हम दोनों बीयर का मजा ले रहे थे. मैं भाई की गोद में बैठ कर बीयर पी रही थी और भाई मेरे बूब्स को दबा रहा था. मैं भाई के होंठों को किस करने में लगी हुई थी.
अचानक से कमरे में मेरे चाचा की लड़की दिव्या आ गई. उसको देख कर मैं एकदम से खड़ी हो गई. मैं हैरान हो रही थी कि ये कहां से आ गई?
मैंने दिव्या से पूछा- तुम कहां से आ गई?
वो भाई की तरफ देख कर मुस्कराने लगी.
फिर बोली- मैं ही तुम्हारे भाई की गर्लफ्रेंड हूं.
भाई भी मेरी तरफ देख कर हंसने लगा.
मैंने कहा- साली, तूने मुझे कभी बताया भी नहीं कि तू मेरे ही भाई के साथ चुदाई करवा रही है?
वो बोली- तूने भी तो कभी नहीं बताया कि तू अपने ही भाई का लंड ले रही है!
फिर मैं भी हंसने लगी.
मैंने पूछा- लेकिन तुम आई कहां से? गेट तो अंदर से बंद है.
वो बोली- मैं छत से कूद कर आई हूं.
फिर भाई ने कहा- अगर तुम दोनों की बातें खत्म हो गई हों तो हम कुछ कर लें अब?
फिर हमने दिव्या के लिए भी पैग बना दिया. उसके बाद हम नाचने लगे. नाचते हुए ही दिव्या अपने कपड़ों को सेक्सी अंदाज में निकाल रही थी. भाई का लंड उसको देख कर पूरा तन गया था.
भाई ने लोअर पहनी हुई थी जिसमें से उसका मोटा लंड अलग से दिखाई दे रहा था. अब भाई भी उसका साथ देने लगे और साथ में अपने टी शर्ट और फिर लोअर निकालते हुए मेरे कपड़े के ऊपर से बूब्स दबाने लगे और मेरे कपड़े उतारने लगे.
हम लोग पूरे नंगे होकर बस डांस किये जा रहे थे. हमारा घर एक रंडीखाने की तरह गूंज रहा था. भाई दिव्या के बूब्स को मसले जा रहा था. दिव्या के बूब्स भी क्या कमाल दिख रहे थे. उसका साइज भी 30-32 तो होगा ही.
भाई नंगा था और उसका लंड जो नीचे झूल रहा था, मैंने उसे चूसना शुरू कर दिया. मैंने उसकी गोटियों पर थूक मल दिया. चारों तरफ अपनी जीभ फिराते हुए मैं भाई की गोटियों को खूब चूस रही थी. भाई भी अब सीत्कार करने लगा था.
वो अपने मुंह से आवाजें करता हुआ दिव्या के चूचों को जोर से मसल रहा था. दिव्या के बूब्स बिल्कुल लाल हो गये थे.
मैं भी अपनी गांड हिलाते हुए भाई को इशारा कर रही थी कि वो आये और मेरी गांड को फाड़ दे. उसका लंड बिल्कुल तन कर खड़ा था. भाई ने भी मेरा इशारा समझ लिया और मुझे उल्टा कर दिया. पीछे से झुका कर मेरी गांड और चूत में थूक लगा कर चाटना शुरू कर दिया. गांड को चूमते हुए मेरी गांड में उसने उंगली करना भी शुरू कर दिया.
सामने से दिव्या अपनी चूत को मेरे मुंह के सामने करके खड़ी हो गई. उसकी चूत को मैंने फैला कर देखा तो दिव्या की चूत पूरी गीली हो चुकी थी. मैंने उसकी चूत को हल्के से चाटना शुरू कर दिया.
उसने अपने बूब्स को खूब जोर से मसलना शुरू कर दिया. मैं भी उसकी चूत को जोर से चाटने लगी.
भाई ने मुझे दिव्या की चूत को चाटते हुए देखा तो उससे कंट्रोल नहीं हुआ. उन्होंने अपना मूसल जैसा लंड पीछे मेरी गांड में पेल दिया. मैं ‘आह्ह …’ करके चिल्ला उठी. दिव्या भी अपनी चूत को मेरे मुंह से हटा नहीं रही थी. मेरी आवाज़ दिव्या की चूत में ही दब गई. मैंने दिव्या की चूत को चाट-चाट कर उसका सारा पानी पी लिया.
उसकी चूत को चाटने के बाद मैंने अपनी उंगली उसकी चूत में घुसा दी और भाई पीछे से मेरी गांड को बजाने लगा. मैं बस आह्ह … उह्ह … चोदो मुझे … ओह्हह … जैसी आवाजें करते हुए अपनी गांड को चुदवा रही थी. मेरी गांड की चुदाई को देख कर दिव्या भी चूत को चुदवाने के मचल उठी.
वो दोनों ही मुझे नोचने लगे. भाई कभी मेरी चूत में लंड को डालते तो कभी गांड में डाल कर धक्के लगा देते थे. मैं कई बार झड़ चुकी थी.
अब भाई की रफ्तार बढ़ती जा रही थी. इधर मेरी उंगलियों की रफ्तार भी दिव्या की चूत में बढ़ती जा रही थी. कुछ देर के बाद भाई ने तेज सिसकारियां लेते हुए अपना सारा माल मेरी चूत में निकाल दिया.
भाई जाकर बेड पर लेट गये. वो हांफ रहे थे. मैं अभी भी दिव्या की चूत में उंगली करने में लगी हुई थी. लेकिन वो अब लंड से चुदने के लिये मचल रही थी. उसने मुझे एक तरफ हटा दिया और फिर भाई के पास चली गई.
भाई का लंड सो चुका था.
उसने भाई के लंड को अपने मुंह में लेकर जोर से चूसना शुरू कर दिया. अभी भाई का लंड खड़ा नहीं हो रहा था. वो पांच मिनट तक पूरे जोश में भाई के लंड को चूसती रही और फिर भाई का लंड खडा़ होना शुरू हो गया. उसने चूस चूस कर भाई के लंड को पूरा खड़ा कर दिया और फिर खुद ही भाई के लंड पर बैठ कर चुदने लगी.
वो मेरे भाई के लंड पर बैठ कर ऐसे उछल रही थी जैसे उसकी चूत को बरसों से लंड की प्यास हो. उसकी हालत देखने लायक थी. साथ ही साथ वो भैया के होंठों को भी चूस रही थी. वो तेजी से ऊपर नीचे हुए भाई के लंड पर अपनी चूत को पटक रही थी.
उसकी रफ्तार तेज होने लगी और उसके मुंह से उम्म्ह… अहह… हय… याह… जैसी आवाजें निकलने लगीं. उसने फिर जोर से आवाजें करते हुए उसके लंड पर अपनी चूत का पानी गिरा दिया. कुछ देर तक वो भाई के लंड पर ऐसे ही पड़ी रही.
भाई के लंड में फिर से गुदगुदी होने लगी. इस बार भाई ने मुझे उन दोनों के पास बुला लिया. मैं भी बेड पर जाकर लेट गई. भाई ने हमें ऐसे ही लेटे रहने के लिए कह दिया था.
फिर उसने हम दोनों को ही गर्म करना शुरू कर दिया. कभी वो दिव्या की चूत में उंगली करने लगता तो कभी मेरी चूत को सहलाने लगता. कभी दिव्या के चूचों को पकड़ कर दबा देता तो कभी मेरे चूचों को सहलाने लगता. वो एक साथ हम दोनों को गर्म कर रहा था.
मुझे बहुत मजा आ रहा था.
उसने करीब पांच मिनट तक हम दोनों की चूत को खूब सहलाया. मेरी चूत से प्रीकम निकलना शुरू हो गया था.
भाई भी अपना मूसल लंड लेकर मेरे ऊपर आ गये और अपने लंड को गीला करने के लिए कहने लगे. मैंने भाई के लंड को अपने मुंह में लेकर पूरा गीला कर दिया ताकि चिकना होकर लंड मेरी और मेरे चाचा की लड़की की चूत में आसानी से चला जाये.
अब भाई ने मुझे और दिव्या को बिस्तर के किनारे पर आने के लिए कहा. हम दोनों ने भी वैसा ही किया. हम दोनों उठ कर बिस्तर के किनारे पर आ गईं. अब हमारी पोजीशन ऐसी थी कि चूत से लेकर पैर तक का भाग नीचे था और बाकी का आधा शरीर बिस्तर पर था.
भाई लंड हिलाते हुए हम दोनों के पैर फैलाते हुए हम दोनों की चूत के सामने आकर खड़े हो गये. मेरी और दिव्या की एक-एक टांग भाई की टांगों के बीच में थी. फिर भाई ने अपने हाथ से मेरी चूत को दबोच लिया और दूसरी ओर दिव्या की चूत में अपना लंड घुसा दिया.
जैसे ही भाई ने मेरी चूत को हाथ में दबोचा तो मैं सिहर उठी और आह्ह … आह्ह … की सिसकारियां लेने लगी.
मैंने भाई से कहा कि जल्दी से मेरी चूत में भी लंड को डाल दो.
फिर भाई ने दिव्या की चूत से लंड को निकाल लिया और मेरी चूत में डाल दिया.
भाई का लंड अपनी चूत में लेकर मुझे मजा आ गया. लेकिन अब दिव्या दूसरी तरफ से सिसकारियां लेने लगी क्योंकि भाई ने उसकी चूत को अपने हाथ से दबोचा हुआ था. भाई कभी मेरी चूत को अपने हाथ से दबोच रहे थे तो कभी दिव्या की चूत को.
जब भाई का लंड मेरी चूत में घुस रहा होता था तो वो दिव्या की चूत को दबोच लेते थे और जब दिव्या की चूत में लंड जाता था तो उनका हाथ मेरी चूत को दबोच लेता था.
मैं और दिव्या दोनों ही एक दूसरे की चूचियों को दबा रही थीं. दिव्या मेरी चूचियों को दबा कर मुझे मजा दे रही थी और मैं दिव्या की चूचियों को दबा कर उसको गर्म किये जा रही थी. भाई ने एक बार भी महसूस नहीं होने दिया कि उनका एक लंड दो लड़कियों को एक साथ चोद रहा है.
अब भाई की रफ्तार तेज होती जा रही थी. वो बारी बारी हम दोनों की चूत में लंड पेल रहा था. हम दोनों के मुंह से बस आह्ह … ऊह्ह … जैसी सिसकारियां निकल रही थीं.
दिव्या की सांसें बहुत तेज चलने लगी थीं और जब भाई का लंड उसकी चूत में घुसता तो वो अपने चूतड़ तेजी के साथ उछालने लगती थी.
अगले कुछ पलों के बाद उसने कहा- आह्ह … मैं आ रही हूं!
वो जोर से चिल्लाते हुए झड़ने लगी. उसने भाई के लंड को अपनी चूत के पानी से पूरा का पूरा भिगो दिया.
जब दिव्या की प्यास बुझ गई तो उसकी चूत के पानी से सने हुए लंड को भाई ने मेरी चूत में घुसा दिया. मैं भी जोर से सिसकारियां लेते हुए मजा लेने लगी.
मेरी चूत के पानी की वजह से भाई का लंड मेरी चूत में फच-फच की आवाज करते हुए मेरी चूत की चुदाई करने लगा. उसका मोटा लंड मेरी चूत को चुदाई के लिए और भी ज्यादा उत्तेजित कर रहा था.
फिर भाई ने मेरी चूत से लंड को निकाल लिया. सामने जो सोफा था उस पर मुझे डॉगी स्टाइल में झुकने के लिए कहा. मैं उठ कर सामने सोफे पर डॉगी स्टाइल में झुक गई. भाई पीछे से आकर खड़ा हो गया और उसने मेरी चूत में फिर से अपना लंड घुसा दिया.
चूत में लंड को घुसाकर वो तेजी से मेरी चूत को चोदने लगा. सोफे पर हिलते हुए मेरे बूब्स आगे टच हो रहे थे. अब भाई ने मेरी चूत से लंड निकाल कर मेरी गांड में डाल दिया. इस प्रकार वो कभी मेरी चूत को चोदता तो कभी गांड में लंड को डाल देता.
भाई के लंड के द्वारा डबल चुदाई से मैं बहुत ज्यादा मजा लेते हुए अपने आप पर काबू नहीं रख पाई और मैंने अपनी चूत के पानी से भाई के लंड को भिगो दिया.
मेरी भाई बहन की सेक्स स्टोरी मेरी आवाज में सुनें!
मेरे भैया अभी भी मेरी चूत को चोदे जा रहे थे. वो अब मुझे गालियां देने लगे थे- आह्ह … आह्ह … रंडी, मैं आ रहा हूं!
ऐसा बोल कर भाई ने मेरी गांड पर थप्पड़ देने शुरू कर दिये और अपने वीर्य को मेरी गांड में निकाल दिया.
लंड से वीर्य को मेरी गांड में निकाल कर भाई मेरे ऊपर ही निढाल हो गये. मुझे गांड पर थप्पड़ पड़ने वाली आज की इस चुदाई में बहुत मजा आया. उस दिन भाई ने एक बार फिर मुझे खुश कर दिया. अब तो घर पर अकेले होते ही हम तीनों ही ग्रुप सेक्स का मजा लेने लगे.
इस खेल से बोर होकर हमने बाहर घूमने जाने के लिए प्लान किया. आप लोगों को तो पता ही होगा कि रायपुर से थोड़ी दूरी पर ही गंगरेल डैम है. हम लोगों ने वहीं पर जाने के लिए सोचा.
मुझे और भाई को तो घर से निकलने में कोई परेशानी नहीं थी क्योंकि भाई और मेरा रिश्ता तो भाई-बहन का था. इसलिए किसी को शक नहीं होने वाला था. मगर चाचा की लड़की को साथ लेकर जाना एक चुनौती थी.
उसको साथ लेकर जाने के लिए हम लोगों को चाचा को भी मनाना था. बहुत मिन्नत करने के बाद चाचा ने भी दिव्या को हमारे साथ जाने के हामी भर दी. लेकिन उन्होंने जल्दी वापस लौटने के लिए भी हिदायत दे दी.
अगले दिन हम तीनों ने जल्दी से तैयार होकर खाने पीने का सारा सामान रख लिया. दिव्या और मैंने जीन्स और टॉप पहना हुआ था. हम दोनों ही काफी सेक्सी लग रही थीं.
हमारी ड्रेस को देख कर सुनील भैया भी तारीफ करने लगे कि हम दोनों बहुत ही हॉट लग रही हैं. वो बोला कि तुम्हें देख कर तो किसी का भी मन तुम्हें चोदने को हो जाये. ये बात सुन कर मैंने धीरे से भाई का लंड उसकी पैंट के ऊपर से ही दबा दिया. ये देख कर दिव्या भी हंसने लगी.
हमने बाइक पर जाने का ही प्लान किया था इसलिए हम बाइक लेकर गंगरेल डैम के लिए निकल गये. मेरा भाई सुनील बाइक चलाते हुए बहुत हैंडसम लग रहा था. मैं और दिव्या पीछे बैठे हुए थे. हम लोग सफर का मजा लेते हुए जा रहे थे.
मैंने और दिव्या ने स्कार्फ बांधा हुआ था. इसी बात का फायदा उठा कर मैं भैया की पीठ के साथ चिपक कर बैठी हुई थी. दिव्या पीछे बैठी हुई मेरे चूचों को दबा रही थी. हमारे चेहरे छिपे हुए थे इसलिए सफर के दौरान आने जाने वाले लोगों का हम पर शक नहीं हो रहा था.
दिव्या मेरे बूब्स को पूरा दबाने लगी थी. मैं पूरी तरह से भाई से चिपकी हुई थी और मेरी चूचियां और दिव्या के हाथ दोनों ही भाई की पीठ से सटे हुए थे. मैंने भी नीचे से हाथ ले जाकर भाई के लंड को उसकी पैंट के ऊपर से ही सहलाना शुरू कर दिया तो उसका लंड पूरा खड़ा हो गया.
मगर अगले ही पल दिव्या ने हद कर दी. उसने मेरे बूब्स को मेरी ब्रा के अंदर हाथ डाल कर मसलना शुरू कर दिया जिससे मैं बहुत ज्यादा एक्साइटेड हो गई. मैं भी जोर से भाई के लंड को सहलाने में लगी हुई थी और भाई भी बेचैन होने लगा था.
मुझसे रहा नहीं गया तो मैं दिव्या को मना करने लगी कि कुछ देर रहने दे क्योंकि हम लोग अभी ड्राइव कर रहे हैं. मगर दिव्या मेरी बात को नहीं सुन रही थी और मुझे गर्म करने में लगी हुई थी. मेरे रोकने पर उसने और जोर से मेरे चूचों को दबाना शुरू कर दिया.
मैंने भी पीछे से हाथ ले जाकर उसकी जीन्स को टटोलते हुए उसकी पैंट के अन्दर हाथ डाला तो मैंने पाया कि उसने पैंटी भी नहीं पहनी हुई थी.
मैंने पूछा- क्यों री? तूने पैंटी क्यों नहीं पहनी है?
वो बोली- बस, आज मेरा मन ऐसे ही रहने को कर रहा था. इसलिए मैं नहीं पहन कर आई.
मैंने कहा- तू तो मेरे जैसी हो गई है बिल्कुल।
वो बोली- तुमने भी नहीं पहनी हुई है क्या?
मैं बोली- तू खुद देख ले.
उसके बाद दिव्या ने भी मेरी पैंट में हाथ डालकर देखा तो मैंने भी पैंटी नहीं पहनी हुई थी. वो मेरी चूत पर हाथ फिराने लगी.
उसका हाथ लगने के कारण मैं सीत्कार करने लगी. मैंने अपने भाई को अपनी बांहों में जकड़ लिया क्योंकि मेरा मन लंड लेने के लिए करने लगा था.
उधर भाई भी अपना नियंत्रण खोने लगे थे. उनका लंड पूरे जोश में आकर बुरी तरह से झटके दे रहा था. इधर दिव्या की रफ्तार मेरी चूत पर बढ़ती ही जा रही थी. वो मेरी चूत में उंगली पर उंगली किये जा रही थी. मैं बेकाबू सी होने लगी थी.
अब मुझसे बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था. हमें ड्राइव करते हुए दोपहर के एक बजे का वक्त हो चला था. सारा इलाका सुनसान सा हो गया था. मैंने भाई से रोकने के लिए कहा क्योंकि मैं मूतना चाह रही थी.
भाई ने एक जगह देख कर बाइक को साइड में रोक दिया. पूरा रोड सुनसान था और हर तरफ खेत ही खेत दिखाई पड़ रहे थे. हम तीनों ही उतर कर एक खेत के अंदर जाने लगे. हम चारों तरफ देख रहे थे मगर कहीं कोई नजर नहीं आ रहा था.
कुछ दूर जाकर हम तीनों एक खेत में मूतने लगे. मैं और दिव्या जीन्स खोल कर बैठ गई और भाई ने भी अपनी पैंट की जिप खोल ली और हमारे साथ ही नीचे बैठ कर मूतने लगे. मैंने भाई के लंड को पकड़ कर खींच दिया.
मैंने जैसे ही भाई के लंड को हाथ में पकड़ा तो भाई एकदम से जैसे तड़प गये. फिर मूतने के बाद जब मैं उठने लगी और मैंने बटन लगाना शुरू किया तो भाई ने अपनी जीन्स से लंड को निकाला और झट से मेरी जीन्स को नीचे करते हुए मेरी चूत में लंड को पेल दिया.
भाई ने मुझे वहीं बीच खेत में चोदना शुरू कर दिया.
मुझे भी डर लगने लगा था कि किसी ने देख लिया तो क्या होगा. मैं भाई को मना करने लगी कि यदि कोई आ गया तो मुसीबत हो जायेगी.
तभी दिव्या कहने लगी- ये इलाका पूरा सुनसान है. यहां पर कोई नहीं आयेगा.
दिव्या की बात सुन कर भाई ने मुझे एक पेड़ से सटा दिया और मुझे जोर से चोदने लगे. मैंने भी सुनील भैया की गर्दन को पकड़ लिया और उनके लंड के मजे लेते हुए चुदने लगी.
सुनील का आधा लंड जिप के अंदर ही था इसलिए पूरा लंड मेरी चूत में नहीं जा पा रहा था. फिर भाई ने अपनी जीन्स को थोड़ा नीचे कर दिया जिससे उनका लंड पूरा मेरी चूत में अच्छी तरह से जाने लगा. अब चुदाई में और मजा आने लगा.
पास में खड़ी दिव्या ने भाई को नीचे से नंगा होकर मेरी चूत में लंड डालते हुए देखा तो वो भी अपनी जीन्स को निकाल कर अपनी चूत में उंगली करने लगी. दिव्या भी उत्तेजना में आकर तेजी से अपनी चूत में उंगली चलाते हुए पीछे से आकर मेरे भैया को अपनी बांहों में भरने लगी और उससे लिपटने लगी.
अब हमें बिल्कुल भी होश नहीं था कि हम ऐसे खुले खेत में चुदाई का खेल मजा लेकर खेल रहे हैं. कुछ देर की चुदाई के बाद मैं झड़ने के कगार पर पहुंच गई थी क्योंकि मैं ऐसी खुले में चुदाई होने के कारण बहुत ही उत्साहित हो गई थी.
अचानक ही मेरा पूरा बदन अकड़ने लगा और मैं एक सांस में ही अपने भाई के लंड पर झड़ने लगी. मैंने भाई को कस कर अपनी बांहों में जकड़ लिया. मेरी चूत का सारा पानी भाई के लंड पर गिर गया. मेरा पानी निकलने के बाद भी भाई मुझे चोदता रहा.
अब मुझे दर्द हो रहा था और मैंने दिव्या को आगे आने के लिए इशारा कर दिया. दिव्या पीछे खड़ी हुई अभी भी अपनी चूत में उंगली कर रही थी. मेरे कहने पर वो सामने की तरफ आ गयी.
मैंने भाई को पीछे धकेलते हुए उसके लंड को अपनी चूत से निकलवा दिया और दिव्या को अपने आगे कर दिया. अब दिव्या अपनी चूत मरवाने लगी. वो उछल-उछल कर भाई का लंड अपनी चूत में लेने लगी.
अब भाई और दिव्या चुदाई में मस्त हो गये. मैं दिव्या का स्टेमिना देख कर हैरान हो रही थी कि वो लड़की एक मिनट भी सांस नहीं ले रही थी और लगातार मेरे भाई का मूसल लंड अपनी चूत में लेने में लगी हुई थी. वो दोनों अपनी चुदाई में इतने मस्त थे कि उनको कुछ होश नहीं था कि आस-पास कोई आ भी सकता है.
वैसे मुझे भी उन दोनों की चुदाई को देख कर मजा आने लगा. अब दिव्या ने भाई को पेड़ से सटा दिया और खुद ही अपनी चूत को भाई के लंड पर फेंकने लगी. वो अपनी मोटी सी गांड को हिला-हिलाकर भाई का लंड लेने में लगी हुई थी. भाई भी मजे से उसके सामने खड़े हुए थे और दिव्या की चूत अपने आप ही उसके लंड पर आकर घुस रही थी.
उसके बाद भाई नीचे ही बैठ गये और दिव्या ने उसको नीचे लेटा कर उसके लंड पर उछलना शुरू कर दिया. वो उसके लंड पर कूदते हुए खूब जोर-जोर से अपनी चूत में उसके लंड के धक्के लेने लगी. उन दोनों को देख कर मैं फिर से गर्म होने लगी.
मगर मैं आस-पास ध्यान भी रख रही थी कि कहीं कोई हमें ऐसे खुले में चुदाई करते हुए देख न रहा हो. दिव्या के मुंह से अब जोर-जोर की सिसकारियां निकलने लगी थीं ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… अम्म … मा …’ करते हुए भाई के लंड को अपनी चूत में घुसवा रही थी.
भाई अचानक कहने लगा- मेरा निकलने वाला है.
दिव्या बोली- रुको, थोड़ी देर और करते रहो. बहुत मजा आ रहा है.
दिव्या भाई के ऊपर से हटने के लिए तैयार ही नहीं थी. इतनी चुदक्कड़ लड़की मैंने पहली बार देखी थी. फिर दो मिनट तक किसी तरह भाई ने अपने वीर्य को कंट्रोल में रखा और दिव्या जोर-जोर से आवाजें करती हुई झड़ने लगी तो भाई के मुंह से भी आवाजें निकल पड़ीं. दोनों ने ही अपना पानी निकाल दिया.
सुनील भैया की सांसें तेजी के साथ चल रही थीं. ऐसा ही हाल दिव्या का भी हो गया था. सुनील ने हांफते हुए दिव्या को अपने लंड के ऊपर से उठने के लिए कहा.
भैया का पूरा बदन पसीने से भीग गया था और उसके लंड पर दिव्या और सुनील के लंड से निकला हुआ वीर्य धूप में अलग से ही चमक रहा था. जब दिव्या भाई के लंड के ऊपर से उठने लगी तो उसकी चूत से वीर्य निकल कर उसकी जांघों पर बह रहा था.
उसको ठीक से उठने में भी परेशानी हो रही थी. मैंने दिव्या को भाई के ऊपर से अपने हाथों का सहारा देकर उठाया और उन दोनों को पीने के लिए पानी दिया. हम तीनों की ही हालत खराब हो गयी थी. हमारी इतनी हिम्मत भी नहीं हो रही थी कि हम लोग अपनी बाइक के पास चले जायें.
कुछ देर हम वहीं पर बैठे रहे. हमने उठ कर अपने कपड़ों को ठीक किया और आस-पास ध्यान से देखा कि कोई हमें देख तो नहीं रहा था. जब सब कुछ ठीक लगा तो उसके बाद हम उठ कर अपनी बाइक के पास पहुंचे और फिर गंगरेल डैम के लिए निकल गये. हम तीनों ने बीच रास्ते में ही चुदाई कर ली थी

0 Comments