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नई-नवेली भाभी की चुदाई देवर से

 


जिस भैया की शादी हुई थी उसके मां-बाप दूर कहीं गांव में रहते थे. उस घर में केवल भैया और भाभी ही रहने वाले थे. दो-तीन दिन के बाद सभी लोग अपने-अपने घर वापस लौट चुके थे.

भैया के मां-बाप भी अपने गांव जाने की तैयार कर रहे थे. भैया के साथ मेरी अच्छी पटती थी तो मुझे वहां पर कई दिन बाद तक रुकना था. अब आप सोच रहे होंगे कि मुझे ही भैया के घर पर क्यों रुकने के लिए कहा गया था?

दरअसल मेरे भैया सुबह ही काम पर चले जाते थे और शाम को वापस आते थे. भाभी घर पर अकेली रहती थी इसलिए मुझे वहां पर शादी के कई दिन बाद तक रुकने के लिए कहा गया था.

भाभी घर में अभी नई नई थी और वो डर न जाये इसलिए मैं उनको कंपनी दे रहा था. उस दिन जब दिन भैया काम पर गये थे तो वो भाभी के साथ मेरा पहला दिन था. उस दिन मेरे और उनके बीच में कुछ खास बातचीत नहीं हुई.

फिर दूसरे दिन से धीरे-धीरे भाभी मुझसे खुलने लगी. भाभी मुझसे अब कुछ ज्यादा बात कर रही थी. मैंने भी उनसे उनकी पसंद और नापसंद के बारे में पूछा. इस तरह हम दोनों के बीच में खूब सारी बातें होना शुरू हो गईं.

भाभी और मैं धीरे-धीरे अब खुलने लगे थे. फिर पांच या छह दिन के बाद जब दोपहर में मैं सो रहा था तो मुझे पेशाब लगी. मैं उठ कर गया तो मैंने देखा कि भाभी अपने कमरे में थी.

बाथरूम में जाकर मैं अपने लंड को निकाल कर पेशाब करने लगा. मैंने सोचा कि दो मिनट की ही तो बात है इसलिए ऐसा सोच कर मैंने गेट भी नहीं लगाया था. चूंकि मैं सोकर उठा इसलिए मेरा लंड पहले से ही तना हुआ था.

अपने तने हुए लंड को निकाल कर मैं पेशाब करने लगा. मुझे मस्ती सी चढ़ने लगी और लंड अपने पूरे आकार में आ गया था. जब पेशाब करने के बाद मैं अपने लंड को हिला कर वापस अपनी लोअर में डालने वाला था तो मेरी नजर बाहर गई.

मैंने देखा कि भाभी बाहर खड़ी थी. पता नहीं कब वो बाथरूम के पास आई और कब से मेरे लंड को देख रही थी. फिर मैंने हड़बड़ाहट में दरवाजा पूरा बंद कर दिया.

जब मैं बाहर निकला तो मेरी लोअर में मेरा लंड अलग से ही दिख रहा था. मैंने देखा कि भाभी की नजर नीचे थी और वो मेरी तरफ देख कर मुस्कराती हुई अंदर बाथरूम में चली गई.

उस घटना के बाद से मेरा दिमाग घूमने लगा. रात हो गई यही सोचते हुए कि आखिर भाभी मेरी तरफ देख कर क्यों मुस्करा रही थी. रात को लेटे हुए मेरा लंड भी पूरा खड़ा हुआ था. उधर भैया और भाभी अपने रूम में चुदाई के मजे ले रहे थे और इधर मेरा हाथ भी मेरे लंड पर चलने लगा था.

अब मेरे मन में भाभी की नई नवेली चूत के ख्याल भी आने लगे थे. मैं भाभी भी चूत चुदाई के ख्वाब देखने लगा. भाभी के बारे में सोचते हुए ही मैंने अपने लंड की मुठ मारना शुरू कर दिया. उस दिन पहली बार मैंने भाभी के नाम की मुठ मारी.

अपना वीर्य निकालने के बाद मैं सो गया. अगले दिन सुबह जब उठा तो एक बार फिर से टट्टी करते हुए मैंने भाभी के बारे में सोचते हुए मुठ मारी. मैं अपने लंड को शांत करने की कोशिश कर रहा था मगर मेरे अंदर की हवस और बढ़ती जा रही थी.

अब मेरी नजर भाभी के लिए बदल गई थी. अब मैं उनके पास बैठने के बहाने ढूंढता रहता था. कभी कभी हंसी मजाक में उनको आंख भी मार देता था. वो भी मुझे फुल लाइन दे रही थी. मगर अभी तक न तो मेरी ही हिम्मत हो रही थी पहले करने की और न ही भाभी की तरफ से ही कोई इशारा मिल रहा था.

एक दिन की बात है कि मैं भाभी के रूम में ही टीवी देखते हुए सो गया. मुझे कब नींद लग गई पता नहीं चला. काम खत्म करने के बाद भाभी भी रूम में आ गई. मुझे लेटा हुआ देख कर वो भी मेरे बगल में ही लेट गई मगर उन्होंने मुझे उठाया नहीं.

नींद में ही मेरा हाथ उनके बूब्स पर चला गया. उन्होंने भी मेरे हाथ को अपने ऊपर से नहीं हटाया. जब मेरी आंख खुली तो मैंने देखा कि भाभी की चूचियों पर मेरा हाथ रखा हुआ था. मैं एकदम से अलग हट गया और उनकी बगल में चुपचाप लेट गया.

मैंने आंखें बंद कर रखी थीं मगर अंदर एक तूफान सा उठा हुआ था. कुछ देर के बाद भाभी ने मेरी तरफ ही करवट ले ली और अपना मुंह मेरी तरफ कर लिया.
मैंने आंख खोल कर देखा तो भाभी मेरी तरफ ही देख रही थी.

अपनी गलती के लिए मैंने उनसे सॉरी कहा तो भाभी बोली कि कोई बात नहीं.
फिर भाभी बोली- निक, मेरे मन में एक बात है जो मैं तुमसे कहना चाहती हूं.
मैंने पूछा- क्या बात है भाभी?
वो बोली- तुम मुझे बहुत अच्छे लगते हो. मगर यह बात अपने भैया के सामने मत बता देना.

मेरे मन में लड्डू से फूट पड़े.
मैं बोला- नहीं बताऊंगा. भाभी मुझे भी आप बहुत पसंद हो मगर मेरी किस्मत में आप हो ही नहीं. इसलिए मैं खुद को कोसता रहता हूं.

भाभी ने कहा- क्यों, किस्मत में क्यों नहीं हूं मैं? अगर तुम चाहो तो मुझे अपनी बना सकते हो.
मैंने कहा- सच भाभी!
वो कहने लगी- तो क्या मैं तुमसे ये सब मजाक में कह रही हूं?

इतना कहते-कहते वो मेरे सीने के करीब आ चुकी थी. उनकी सांसें मेरी सांसों से टकराने लगी थीं. मुझे घबराहट भी हो रही थी और रोमांच भी महसूस हो रहा था.
फिर उन्होंने मेरे चेहरे के करीब अपने होंठों को लाते हुए मेरे होंठों पर एक किस कर दिया.

यह सब इतना जल्दी हो गया कि मुझे कुछ समझ में ही नहीं आया.
अब मैंने भी भाभी के होंठों पर अपने होंठों को रख दिया और दोनों एक दूसरे को बांहों में लेकर किस करने लगे. दोनों की जीभ एक दूसरे के मुंह में जाने लगी.

आग दोनों तरफ बराबर की लगी हुई थी. किस करते हुए ही हम दोनों कब नंगे हो गये हमें खुद भी पता नहीं चला. पहली बार भाभी को नंगी देख कर मैं तो जैसे पागल सा हो गया. मैंने पहली बार किसी लड़की को इस तरह से पूरी की पूरी नंगी देखा था.

बहुत ही मस्त फीगर था उनका. चूचियां मीडियम साइज की थीं. शरीर गदराया हुआ, चूत फूली हुई और गांड एकदम से उठी हुई. मैं उनको ध्यान से देख रहा था.

भाभी- ऐसे क्या देख रहे हो?
मैं- आपको देख रहा हूं.
वो बोली- ये देखा-देखी बाद में कर लेना, अभी पहले जिस्मों का मिलन कर लेते हैं.

इतना बोल कर भाभी ने मेरे तने हुए लंड को अपने हाथ में भर लिया. उन्होंने उसके टोपे को खोल कर देखा. मेरे लंड को गुलाबी सुपारा पानी छोड़-छोड़ कर चिकना हो चुका था. मेरे रसीले लंड को भाभी को एकदम से अपने मुंह में ले लिया और उसको चूसने लगी.

आह्ह … मैं तो पागल सा हो गया. मेरे मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं. दो मिनट के अंदर ही मेरे लंड का वीर्य निकल गया. ये सब मेरे साथ पहली बार हो रहा था. इसलिए मैं खुद को कंट्रोल ही नहीं कर पाया. मेरे वीर्य को भाभी अंदर ही पी गई.

अब मेरी बारी थी. मैंने भाभी की नंगी चूचियों को अपने हाथों में भर लिया. उनकी चूचियों को हाथ में भर कर दबाने लगा. नर्म चूचियों को दबा कर उनके निप्पल खड़े हो गये. मैंने देखा कि भाभी की चूचियों के निप्पल एकदम से लाल हो गये हैं.

भाभी सिसकारने लगी. आह्ह … निक … अब मेरी चूत की तरफ भी थोड़ा ध्यान दो. भाभी बेबाकी से बोल रही थी.
मैंने भाभी की टांगों को फैलाया और उनकी चूत पर अपने होंठों को रख दिया. मैं भाभी की चूत को चूसने लगा.

उनकी चूत से मस्त सी मदहोश कर देने वाली खुशबू आ रही थी. भाभी अब जोर से सिसकारने लगी थी. आह्ह .. स्स्स … यह्ह अअ … ऊऊस्स्स … करके वो काफी गर्म हो चुकी थी.
वो बोली- अब उंगली डाल कर चूसो.

मैंने वैसा ही किया. मैंने भाभी की चूत में उंगली डाल दी और चूसने लगा.
मेरे होंठों पर भाभी की चूत का रस लग गया था.
मैंने कहा- भाभी, गाली दो मुझे.

वो बोली- कुत्ते, जोर से चूस. तेजी के साथ चाट. पूरी घुसा दे अपनी जीभ भाभीचोद.
अब मुझे और मजा आने लगा.
वो बोली- चोद दे रंडी की औलाद, अपनी भाभी की चूत को फाड़ दे. मुझे चोद कर अपनी रंडी बना ले साले.

अब मैं भी जोश में आ गया और मेरा लंड भी दोबारा से खड़ा हो चुका था. मैंने भाभी की टांगों को फैला दिया और उनकी टांगों के बीच में उनकी लाल हो चुकी फूली हुई चूत पर अपने लंड को रख दिया और लंड से उसको सहलाने लगा.

वो तड़पने लगी.
बोली- चोद दे ना हरामी, अब किसका इंतजार कर रहा है!
मैंने भाभी की चूत में लंड को घुसाना शुरू किया मगर लंड अंदर नहीं घुस रहा था.

भाभी बोली- तेरा लंड बहुत मोटा है. इतनी आसानी से नहीं जायेगा. मैंने जिस दिन बाथरूम में तेरे लंड को देखा था उस दिन से ही मेरी चूत तेरे लंड को लेने के लिए मचल रही थी. तेरे भाई का लंड तो बहुत छोटा है. वो आसानी से चला जाता है. मगर तेरे लंड को अंदर जाने के लिए और अधिक चिकनाई चाहिए. जाकर तेल की शीशी उठा कर ले आ. जल्दी कर.

मैं उठा और तेल की शीशी लेकर आ गया. अपने लंड पर तेल लगा कर मैंने लंड को एकदम से चिकना कर दिया. मैंने तेल लगे हुए लंड को भाभी की चूत पर लगा दिया और एक झटके में ही भाभी की चूत में घुसा दिया.

भाभी चीखते हुए गाली देने लगी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… फाड़ दी मेरी चूत हरामी! आराम से डालने के लिए कहा था.
मेरी चूत अगर ढीली हो गई तो तेरे भैया को पता लग जायेगा. आराम से कर भड़वे. जब से मैंने तेरे लंड को देखा है तब से ही मेरी चूत में गर्मी हो रही थी. इसको चोद कर मेरी चूत की गर्मी को शांत कर दे.

अब मैं तेजी के साथ भाभी की चूत की चुदाई करने लगा. दोनों के मुंह से सिसकारियां निकल रही थीं. दोनों ही चुदाई का मजा लेने लगे. अब मैंने भाभी को घोड़ी बना दिया और पीछे से उनकी चूत में लंड को पेलने लगा.

मैंने भाभी की चूचियों को अपने हाथों में भर लिया और तेजी से उसकी चूत को फाड़ने लगा. वो भी मस्त हो चुकी थी और पूरे लंड को आराम से चूत में अंदर तक ले रही थी. अब मेरा दम भी फटने लगा था. मैं झड़ने की कगार पर पहुंचने ही वाला था.

तीन-चार शॉट जोर से खींच कर भाभी की चूत में घुसाए और मेरे लंड से वीर्य की पिचकारी उसकी चूत में गिरने लगी. पंद्रह मिनट तक चली इस चुदाई में भाभी दो बार झड़ गई थी. फिर हम दोनों नंगे ही पड़े रहे और मैं भाभी के बोबे चूसते हुए ही उनकी बांहों में ही सो गया.

जब हम उठे तो शाम होने वाली थी. अब हम दोनों अलग हो गये और भाभी शाम के खाने की तैयारी करने लगी. भैया के आने में कुछ ही घंटे का समय रह गया था. मैं भी अपने कमरे में चला गया. भाभी की चूत चोद कर मुझे मजा आ गया था.


मैंने कई बार भाभी के बारे में सोच कर मुठ मारी थी. उधर भैया और भाभी अपनी सुहागरात की चुदाई के मजे लेते थे और इधर मैं अपने कमरे में भाभी चूत चुदाई के सपने देखने लगा था.

फिर एक दिन दोपहर के समय मैं भाभी के कमरे में सो रहा था तो नींद में भाभी की चूचियों पर मेरे हाथ चले गये और उसने कुछ नहीं कहा. उस दिन हम दोनों ही गर्म हो गये और मैंने भाभी की चूत में उंगली करते हुए उसकी चूत को अपने मोटे लंड से रौंद डाला.

फिर शाम को भैया का फोन आया कि उस दिन वो अपने दोस्त के साथ काम के सिलसिले में उसके घर पर ही रुकेंगे. भाभी ने जल्दी से मेरे पास आकर मुझसे ये बात बताई और यह जानकर हम दोनों ही खुश हो गये. हमने जल्दी से खाना खाया और फिर भैया वाले कमरे में ही सोने के लिए आ गये.

दोनों को ही चुदाई का जोश चढ़ा हुआ था. लेटते ही दोनों ने एक दूसरे के जिस्मों को नंगा कर दिया. चूमा-चाटी करने के बाद जोश-जोश में ही मैंने एक बार फिर से भाभी की चूत में अपना वीर्य गिरा दिया. इस बार ज्यादा समय तक चुदाई नहीं चली. उत्तेजना ज्यादा थी.

एक तो भैया घर पर नहीं थे और मुझे नई-नई चूत चोदने का चान्स मिला था. इधर भाभी को भी शादी के बाद एक मोटा लंड मिला था. इसलिए दोनों का ही जोश उफान मार रहा था. दोनों जल्दी ही झड़ गये थे.

भाभी की चूत में वीर्य छोड़ने के बाद हम दोनों एक दूसरे के साथ नंगे ही पड़े रहे. भाभी को नींद आ गई थी. जब मेरी आंख खुली तो देखा कि भाभी गहरी नींद में थी. उनको देख कर ऐसा लग रहा था कि वो घोड़े बेच कर सो रही है.

मेरी भाभी का जिस्म सच में कमाल था. चुदाई के जोश में मैं ध्यान से उसके जिस्म को नहीं देख पाया था. अब जब वो सो रही थी तो मैं ध्यान से उसके पूरे जिस्म को निहार रहा था.

भाभी की चूचियों के निप्पल पहाड़ की चोटियों के जैसे तन कर खड़े हुए थे. उसके गुलाबी होंठ जैसे कमल के फूल की पत्तियों की तरह थे. एकदम से नर्म और मुलायम, जैसे कह रहे हों कि इनके रस की एक-एक बूंद को निचोड़ लो.

उसकी नाभि जैसे किसी गहरी अंधेरी गुफा के समान अंदर तक धंसी हुई थी और चूत का तो कहना ही क्या. भाभी की चूत एकदम से उठी हुई थी. दो बार चुदाई के कारण थोड़ी सूजी हुई सी लग रही थी. चूत के छेद पर चुदाई के समय निकला हुआ कामरस लगा हुआ था. जोश-जोश में चुदाई में हल्का सा खून भी निकल आया था. जिसे देख कर ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे शेरनी के मुंह पर खून लगा हो.

भाभी की गांड को मैंने ध्यान से अभी तक नहीं देखा था. मन तो कर रहा था कि अभी पलट कर उनकी गांड को भी इत्मिनान से निहारूं मगर मैं जल्दी नहीं करना चाह रहा था. जब तक चूत की रानी खुद अपनी गांड को चोदने के लिए न कहे तो मजा नहीं आता है.

मैं भाभी के मुंह से कहलवाना चाहता था. अभी इस बारे में भी आश्वस्त नहीं था कि उनको गांड की चुदाई पसंद है भी या नहीं. मगर मेरा तो बहुत मन कर रहा था भाभी की गांड चुदाई करने का.

मगर अभी मैं अपनी प्यारी भाभी के नग्न जिस्म को अपनी मनोस्मृति में बसा लेना चाहता था. कुछ देर तक ऐसे ही उनके जिस्म को निहारने के बाद मैं उनके बगल में ही लेट गया. रात के 10 बजे का टाइम हो चला था.

लेकिन ज्यादा देर तक खुद को रोक नहीं पाया और उनको अपनी बांहों में भर कर हग करने लगे.
भाभी नींद में ही बड़बड़ाने लगी- क्या कर रहे हो, सोने दो ना प्लीज … मैं बहुत थक गई हूं. अब परेशान मत करो जानू.

भाभी मुझे ऐसे नाम से पुकार रही थी जैसे मैं ही उनका पति हूं, मैं ही उनका बॉयफ्रेंड हूं.
मैंने कहा- उनकी चूचियों के निप्पलों को छेड़ते हुए मैंने उनसे कहा- परेशान तो आपके इस कयामती जिस्म ने मुझे कर रखा है भाभी. इसको देख देख कर मेरे अंदर की आग फिर से भड़क रही है.

यह सुन कर अब भाभी ने भी आंखें खोल दीं. मैंने अपने तने हुए लंड को हाथ में लेकर हिलाते हुए भाभी को दिखाया और कहा- देखो, कैसे उतावला हो रहा है मेरा औजार आपकी इस प्यारी सी मुनिया (चूत) को एक बार फिर से प्यार करने के लिए.

मेरा लंड जोर जोर से झटके दे रहा था. लंड की नसें फूल गई थीं.
मैंने कहा- देखो भाभी, कैसे तड़प रहा है. कहीं फट ही न जाये.
भाभी बोली- खबरदार जो इसके बारे में कुछ उल्टा सीधा कहा तो! तुमसे ज्यादा प्यार करती हूं मैं इस शेर के बच्चे को। इसके (लंड के) बारे में मैं कुछ भी उल्टा सीधा नहीं सुन सकती.

भाभी ने मेरे तने हुए लंड को पकड़ कर जोर से अपनी तरफ खींचते हुए कहा- इसमें मेरी जान बसती है.
वो जोर से मेरे लंड को अपनी तरफ खींच रही थी और मेरे लंड में असहनीय दर्द हो रहा था.

मैंने कहा- आराम से भाभी, दर्द दे रही हो आप इसको.
भाभी ने लंड को प्यार करते हुए उसके करीब मुंह ले जाकर कहा- हाय, मेरा शोना … मेरा बाबू, मैंने तुमको दर्द कर दिया. सॉरी बाबू, माफ कर दो मुझे. आई लव यू बाबू!
कहते हुए भाभी ने मेरे लंड के टोपे पर एक किस कर दिया और मेरे मुंह से एक कामुक आह्ह … करके सिसकारी सी निकल गई.

भाभी ने लंड को छोड़ा तो वो झटके देते हुए ऊपर-नीचे होने लगा.
भाभी बोली- देखो, इसने मुझे माफ भी कर दिया.
यह बोल कर वो जोर से हंसने लगी.

मुझे भी भाभी की इस हरकत पर हंसी आ गयी. मैंने कहा- इसको इतना प्यार दे रही हो, थोड़ा प्यार अपने देवर को भी कर लो भाभी!

वो बोली- नहीं, मेरी चूत की खुजली तो यही शांत करता है. इसी से मेरी गर्म चूत की प्यास बुझती है. मैं तो इसी को प्यार करूंगी.
ऐसा कहते हुए भाभी ने मेरे फनफना रहे लंड को एक बार फिर से अपने हाथ में ले लिया. उसके टोपे को पूरा खोल दिया और एकदम गलप् करके उसको अपने मुंह में भर लिया.

भाभी के गर्म मुंह में लंड गया तो मुझे भी चैन सा मिला और मेरी आह्ह … निकल गई. वो तेजी के साथ मेरे लंड को अपने मुंह में भरते हुए चूसने लगी. मैं उनके बालों को सहलाने लगा.

वो बड़े ही प्यार से मेरे लंड को चूस रही थी. उसके गोरे हाथों का लाल चूड़ा और मांग का सिंदूर मेरे लंड के पास देख कर ऐसा लग रहा था जैसे वो भैया की नहीं बल्कि मेरी बीवी हो. उसके होंठ तेजी के साथ मेरे लंड पर चल रहे थे.

अचानक हुए इस हमले के लिए मैं मानसिक रूप से तैयार नहीं था. भाभी के मुंह में लंड को देकर इतना मजा आ रहा था कि मैं दो-तीन मिनट की लंड चुसाई के बाद ही अपना संयम खो बैठा और मैंने भाभी के मुंह में ही वीर्य निकाल दिया. भाभी ने मेरे वीर्य को अंदर ही पी लिया.

पूरा लंड साफ करके भाभी उठी और बोली- देखा, पिला दिया ना इसने अपना पानी मुझे. ये ऐसे ही मेरी प्यास बुझाता है. इसलिए मैं इसको इतना प्यार करती हूं.
अब मैंने भाभी को लिटाते हुए उनकी टांगों की तरफ अपना मुंह कर लिया और मेरे होंठ भाभी की चूत पर जा सटे.

अब हम 69 की पोजीशन में आ गये. वो मेरे लंड को अभी भी चूस रही थी. मेरे लंड में गुदगुदी हो रही थी मगर मजा भी आ रहा था. मैं भाभी की चूत में उंगली करने लगा और फिर उसकी चूत को चाटने लगा.

भाभी की गर्म चूत पर जब मेरी जीभ लग रही तो भाभी के मुंह से सिसकारी निकल जाती थी. एक बात यहां पर मैं पाठकों को बता देना चाहता हूं कि औरत के शरीर में दो प्रकार होंठ होते हैं.
इस समय उसके ऊपर वाले होंठ मेरे लंड का मर्दन कर रहे थे. नीचे वाले होंठों का यानि कि चूत का मर्दन मैं अपने होंठों से कर रहा था.

दोनों ही प्रकार के होंठों का रस बहुत ही मधुर आनंद देने वाला होता है. पांच मिनट तक मैं भाभी की चूत को चाटता रहा और फिर वो एकदम से उठ कर बैठ गई.
भाभी बोली- आह्ह निक … बस करो अब, इसमें अपना लंड डाल दो. अब चूसने से काम नहीं चलेगा.

मैंने कहा- जो हुक्म सरकार! बताओ कैसे चुदना पसंद करोगी?
वो बोली- बस जैसे तुम्हारा मन हो, चोद दो मुझे. अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है.
मैंने कहा- कुत्ता और कुतिया वाली पोज कैसी रहेगी?

इतना सुनते ही वो झट से कुतिया वाली पोज में आ गयी. इस पोज में भाभी की गांड साफ दिख रही थी. मैं ध्यान से भाभी की गांड को देखने लगा. उसकी गांड का छेद देख कर मेरा औजार भी एकदम से टाइट हो गया.

भाभी की गांड का छेद गुलाबी सा था. एकदम छोटा सा. उसके गोरे चूतड़ों के बीच में उसकी गांड का गुलाबी सा छेद बहुत सुंदर दिखाई दे रहा था. कुछ देर तक तो मैं उसको देखता ही रहा. मन तो कर रहा था कि इसकी गांड को अभी फाड़ दूं.

मगर अभी मैं धीरज से काम लेना चाह रहा था. फिर मैंने चूत पर निशाना बनाया और गच्च से उसकी चूत में लंड को घुसा दिया. मैं भाभी की चूत में लंड घुसा कर उस पर चढ़ गया. उसके चूचों को दबा दिया.

वो चीखने लगी. मैंने कुत्ते की तरह उसकी चूत को चोदना शुरू कर दिया. कुछ देर के बाद वो खुद ही अपनी गांड को हिलाते हुए अपनी चूत को चुदवाने लगी. अब दोनों के मुंह से सिसकारियां निकल रही थीं.

भाभी बोली- आह्ह … और जोर से चोद निक. तेरे लंड से चुद कर ऐसा लगता है जैसे कि मेरी चूत में मूसल घुसा दिया गया हो. बहुत मजा देता है तेरा लंड. तेरे भैया के लंड से तो ऐसा मजा कभी नहीं ले पाती मैं.
मैंने कहा- आह्ह … मेरी कुतिया, मुझे भी तेरी चूत चोद कर बहुत मजा आ रहा है. मगर मेरी एक और भी ख्वाहिश है.

वो बोली- क्या इच्छा है, जो मन में हो कह दो मेरे राजा.
मैंने कहा- मैं तेरी गांड की चुदाई का स्वाद भी चखना चाह रहा हूं मेरी रानी.
अब मैं पूरे लंड को बाहर निकाल कर फिर से पूरे लंड को अंदर कर रहा था. इस तरह से भाभी की चूत में अंदर तक चोट लग रही थी.

मेरी बात सुन कर भाभी कहने लगी- आह्ह … हरामी मुझे पता था कि तू मेरी गांड भी चोदने के लिए सोच रहा होगा. मगर अभी तू सिर्फ चूत की प्यास को शांत करने पर ध्यान दे. मेरी गांड फिर कभी चोद लेना.

मैंने कहा- भाभी, आपको तो बहुत टाइम लग रहा है अब झड़ने में.
वो बोली- साले मादरचोद, दस मिनट से मेरी चूत को रगड़ रहा है, तेरा ध्यान किधर है? मैं दूसरी बार झड़ने जा रही हूं. जोर से चोद कुत्ते.

मैंने कहा- सॉरी भाभी, मैं आपकी गांड के बारे में सोचने लगा था.

भाभी अब बेड पर चित लेट गयी और अपने पैरों को खोल कर फैला दी. उसकी चूत मेरे लंड को खुला बुलावा दे रही थी.
अब मैंने भी दम भरा और एक बार फिर से उसकी चूत में लंड को पेल दिया. उसके होंठों को चूसते हुए उसकी चूत में लंड को घुसाने लगा.

मेरे हाथ उसके निप्पलों को मसल रहे थे. कभी उसकी चूचियों को दबा रहा था तो कभी उसके निप्पलों को मसल रहा था. फिर मैंने सोचा कि भाभी का पानी ऐसे नहीं निकलेगा.
मैंने भाभी के निप्पलों को मुंह में भर लिया और जोर से काटने और चूसने लगा.

अब मैंने पूरे जोश के साथ चूत में लंड को पेलना शुरू कर दिया. अब भाभी के मुंह से चीखें निकलने लगीं और कहने लगी- आह्ह … अहह बस होने ही वाला है निक, और जोर से चोद, आह्ह … घुसेड़ दे पूरा लंड मेरी चूत में. फाड़ दे अपनी रंडी भाभी की चूत को आज!

मैंने कहा- मेरा भी होने ही वाला है भाभी, बस थोड़ा रुक जाओ. दोनों साथ में ही झड़ेंगे.
इतना कहने के बाद मैंने 15-20 जोर के शॉट मारे और हम दोनों साथ में ही झड़ने लगे. उम्म्ह… अहह… हय… याह… करके दोनों के मुंह से ही आहें निकलने लगीं.

भाभी की चूत मेरे वीर्य से भर गई थी. मैंने अपने लंड को उसकी चूत से बाहर खींच लिया. लंड पूरा भीगा हुआ था. उसने मेरे लंड को चाट कर साफ कर दिया.

फिर वो उठ कर बाथरूम की ओर जाने लगी. जब उठी तो उसकी चूत से मेरा वीर्य और उसकी चूत का पानी दोनों साथ में मिल कर उसकी जांघों से बह रहे थे. उसने अपनी जांघों पर बहते रस को अपनी हथेली से पोंछा और उसको चाटने लगी.

उसके बाद वो मुस्कराती हुई बाथरूम में घुस गई. मैं वहीं बेड पर निढाल होकर पड़ा रहा. कुछ देर के बाद वो बाहर निकली और कहने लगी कि अब सोने की तैयारी करते हैं. तुम भी अपने कपड़े पहन लो.

हम दोनों अपने कपड़े पहन कर सो गये. मैं तो सच में बहुत थक गया था. सुबह ही मेरी आंख खुली. मैंने सोचा था कि रात में भाभी की गांड चुदाई भी कर डालूंगा, मगर रात बीत जाने के बाद सुबह कब हुई मुझे पता ही नहीं चला.

सुबह उठा तो भाभी नहा-धोकर तैयार हो चुकी थी. मुझे उठाते हुए बोली- जल्दी से उठ कर फ्रेश हो जाओ. तुम्हारे भैया कभी भी आ सकते हैं.
मैं भी फटाक से उठ गया. फ्रेश होकर मैं बाहर टहलने के लिए निकल गया.

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