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आंटी अब चुद भी जाओ ना

 

मेरा नाम रॉकी राज है, मैं लखनऊ में माता-पिता और दादा-दादी के साथ रहता हूं. मेरी उम्र 20 साल है, रंग गोरा, कद साढ़े पांच फिट है. मैं काफी हट्टा-कट्टा इंसान हूं. मेरी जिंदगी काफी अच्छे से चल रही थी.

उसी दौरान मेरी जिंदगी ने एक बहुत ही कामुक मोड़ लिया. जिसमें मैंने अपने दोस्त दीपक के घर पर जाकर उसके यौवन से भरपूर रसीली मधु भाभी के यौवन का रसपान किया. उनकी जमकर कामुक चुदाई की. जिसके बाद मुझे रसदार यौवन और चुत का नशा हो गया. अब मुझे दिन-रात चुत ही के ख्याल आने लगे.

मित्रो, जब एक बार आपका लंड किसी गर्म चुत में चला जाएगा, तब से आपको चुत चुदाई करने का मन बार-बार करता रहेगा.
मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ था.

दरअसल मुझे चुत चुदाई का नशा हो गया था. मधु भाभी को चोदने के बाद मैं, उनसे फिर दोबारा कभी नहीं मिल सका. पर मन तो बार-बार करता था कि मैं मधु भाभी के पास चला जाऊं और एक बार फिर उनके मज़ेदार यौवन के मज़े चूस लूं, पर दुबारा मौका ही नहीं मिला.

होली का टाइम आया, तो कॉलेज में छुट्टी हुई और मैं घर आ गया. घर आते ही मैं सबसे मिला, सभी खुश हुए.

मुझे पता चला कि इस होली में हमारे घर स्वीटी आंटी और मनोज अंकल आ रहे हैं. ये जानकर मैं काफी खुश हुआ. क्योंकि मैं स्वीटी आंटी को जानता हूं. मैंने उनको शुरुआत से ही खूब देखा है. वो बहुत खूबसूरत हैं.

मैंने सोचा कि चलो चुदाई का इंतजाम हो गया. मधु भाभी न सही, स्वीटी आंटी ही सही. पता नहीं इतने सालों बाद स्वीटी आंटी कैसी दिखती होंगी.

मैं आपको स्वीटी आंटी के बारे में बता दूं कि उनकी उम्र मेरी मामी की सभी सहेलियों में बहुत ही कम है. दरसअल स्वीटी आंटी मेरी मम्मी की सहेली सुषमा की छोटी बहन हैं … और मम्मी की भी सहेली हैं.

स्वीटी आंटी की उम्र 30 साल है. उनकी 8 साल की एक बेटी भी है. मैं बहुत खुश था और स्वीटी आंटी के लखनऊ आने का इंतजार करने लगा. मैं उनके नाम की मुठ तक मारने लगा था. पर मैं ये भी सच रहा था कि ये सब होगा कैसे … उनके साथ तो अंकल और उनकी बेटी भी आ रही है. मैं कैसे स्वीटी आंटी को चोद पाऊंगा.

बाद में पता चला कि स्वीटी आंटी सिर्फ अपनी बेटी के साथ आ रही हैं और अंकल होली के ठीक एक दिन पहले आएंगे.

यह सुन कर मैं खुश हो गया. उनकी बेटी को तो मैं खिलौने वगैरह देकर खेलने में लगा दूंगा और स्वीटी आंटी को चोद दूंगा.

जब स्वीटी आंटी लखनऊ आईं, तो मम्मी ने मुझे स्टेशन जाकर उन्हें लाने को कहा. मैं पापा की स्कूटी लेकर चला गया.

मैं स्टेशन पहुंचा तो देखा कि अभी गाड़ी आने में देर है, तो मैं वहीं इंतजार करने लगा. जब गाड़ी आई, तो सामने गाड़ी के गेट से उतरती स्वीटी आंटी अपने बेटी के साथ दिखाई पड़ीं.

वाह … शादी और बेबी होने के बाद तो स्वीटी आंटी क्या मस्त माल बन गई थीं. स्वीटी आंटी को देखते ही मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया. मैं उनके उतार चढ़ाव करते मम्मों को देख रहा था. बहुत ही बड़े बड़े खरबूजे जैसे मम्मे थे. स्वीटी आंटी हल्की ग्रीन कलर की साड़ी में थीं.

इस शिफोन की साड़ी में उनका छलकता यौवन देख मेरा मन किया कि बस अभी दौड़ते हुए जाऊं और मधु भाभी की तरह स्वीटी आंटी को भी नीचे झुक कर उनकी गांड से पकड़ कर उठा लूं. उन्हें अपनी बांहों में उठा कर अपने गले से लगा लूं. उनको अपने सीने से चिपका कर दोनों हाथों से उनकी मक्खन पीठ को रगड़ दूं और उन्हें और भी अधिक अपने से चिपकाता जाऊं. उनके मम्मों को अपनी छाती में दबाता जाऊं. पर अभी मुझे अपने सारे अरमानों पर कंट्रोल करके उनके पास जाना था.

मैं उनके पास गया और बोला- हाई आंटी, मैं रॉकी … पहचाना मुझे!
स्वीटी आंटी- हां … पहचान गई. तो मुझे लेने तुम आए हो.
मैं- क्यों … मैं नहीं आ सकता क्या?
स्वीटी आंटी- नहीं नहीं रॉकी … ऐसी बात नहीं है, अच्छा अब चलो.

मैंने झट से स्वीटी आंटी का सामान ले लिया और उन्हें प्लेटफार्म से बाहर ले आया. बाहर निकलते ही हम स्कूटी पर बैठने लगे.

मैंने कहा कि आंटी एक काम करते हैं खुशी को आगे खाली जगह पर खड़ा कर देते हैं. चूंकि आपके पास आपका लगेज भी है, मैं उसको पीछे बांध देता हूं. तो आपको कोई भार नहीं उठाना पड़ेगा.
स्वीटी आंटी- ठीक है … ऐसे में ही मैं आराम से तुम्हें पकड़ कर स्कूटी पर बैठ पाऊंगी.

हमने ऐसा ही किया, आगे खाली जगह पर खुशी को खड़ा कर दिया. पीछे रबड़ से मैंने लगेज़ को बांध दिया. फिर स्वीटी आंटी बैठ गईं. उसके बाद मैं बैठ कर स्कूटी चलाने लगा.

स्वीटी आंटी मुझे मेरे कंधे पर हाथ रख कर पकड़े हुई थीं. स्कूटी चल रही थी. तभी मुझे एक शरारत सूझी. मैंने कुछ कुछ दूरी पर ब्रेक मारना शुरू कर दिया, जिससे स्वीटी आंटी मेरे और करीब खिसक आईं. इससे उनके बड़े बड़े और सुडौल मम्मे मेरी पीठ पर दबने लगे.

मुझे स्वीटी आंटी के मक्खन से मम्मों से रगड़ खाने मजा आ रहा था. मैं थोड़ा इधर उधर करते हुए भी स्कूटी को चलाने लगा. जिससे उनके मजेदार चुचे, सेक्सी पेट और कमर मुझ पर महसूस होने शुरू हो गए.

फिर स्वीटी आंटी ने मुझे पीछे से मेरे कमर से होती हुई मेरे छाती पर हाथ रखा दिया और जोरों से मुझे थाम लिया. मैं जानबूझ कर ऊबड़-खाबड़ वाले रास्ते से घर जाने लगा.

जब स्कूटी ऊपर नीचे होने लगी, तब आंटी मुझसे एकदम से सट गईं. जिससे उनका सारा मालदार यौवन से भरा बदन मुझसे चक्की के दो पाटों की तरह टकराने लगा.

एक बार के लिए तो गाड़ी ऊपर की ओर चढ़ाई पर चली, उसके बाद मैं काफी तेजी से नीचे ढलान की ओर ले गया. तब तो काफी देर तक आंटी मुझसे जोर से एकदम चिपक गईं. वो मेरे साथ काफी देर तक ऐसे ही चिपकी रहीं.

जब तक स्वीटी आंटी मुझसे लगी रहीं, तब तक मैंने उनके गदराए हुए जिस्म को खूब महसूस किया और मज़ा लिया. अब तक मेरे पैंट में तम्बू बन गया था.

इसी तरह स्वीटी आंटी का मज़ा लेते हुए मैं घर आ पहुंचा. मेरी मम्मी, स्वीटी आंटी और उनकी बेटी खुशी से मिल कर काफी खुश हुईं.
मेरी मम्मी ने आंटी के रहने का इंतजाम ऊपर वाले कमरे में कर दिया था, जो ठीक मेरे बगल वाले कमरे में था.

एक घंटे बाद आंटी अच्छे से तैयार होकर पिंक सलवार सूट में खाने की टेबल पर आ गईं. उनके साथ में खुशी भी थी. काफी कसे और टाइट पिंक सलवार सूट में आंटी के बोबे बड़े खतरनाक नजर आ रहे थे. इस समय स्वीटी आंटी काफी मालदार और सेक्सी माल लग रही थीं.

आंटी ने खाना खाया और अपने रूम में आराम करने चली गईं.

शाम को जब हम फिर से खाना खाने के लिए एक साथ बैठे, तो मेरी मम्मी ने पूछा- मनोज भी साथ क्यों नहीं आए?
आंटी ने बताया कि उनका जरूरी काम था, इसलिए वह नहीं आ सके. लेकिन वो होली के ठीक एक दिन पहले आ जाएंगे.

इस दौरान मेरी लगातार नजर स्वीटी आंटी के गोल गोल और रसीले मम्मों पर ही लगी थी. मेरे मन में स्वीटी आंटी के मम्मों को दबाने और चूसने की इच्छा लगातार प्रबल हो रही थी और साथ ही मेरा लंड भी खड़ा हो गया था. अब तो बस मेरा मन, अपने लंड को स्वीटी आंटी की चुत में घुसाने को कर रहा था. मन कर रहा था कि अभी सेक्सी स्वीटी आंटी की चुत में घुसा कर घचाघच घचाघच चोदने में लग जाऊं.

स्वीटी आंटी मेरे बगल में ही बैठी थीं. मुझसे स्वीटी आंटी के ये मालदार मम्मे और उठी हुई गांड के पहाड़ बर्दाश्त नहीं हो रहे थे. मैंने थोड़ी सी हिम्मत जुटाकर बगल में बैठी गुलाबी सलवार सूट में वाली स्वीटी आंटी की एक जांघ पर हल्के से हाथ रखा.

स्वीटी आंटी की कोई प्रतिक्रिया न देखते हुए मैंने उनकी जांघ को आहिस्ता आहिस्ता रगड़ना शुरू कर दिया.

मैंने एक बार नजर बचा कर स्वीटी आंटी को देखा, तो स्वीटी आंटी की थोड़ी हल्की आवाज़ में सिसकारी निकली, पर आधी से ज्यादा सिसकारियों को वो अपने मुँह के अन्दर दबा गईं कि कोई सुन न ले. क्योंकि सभी डायनिंग टेबल पर ही खाना खा रहे थे. वो सबको ऐसा दिखा रही थी कि कुछ हुआ ही नहीं.

उनकी तरफ से ऐसा करने से मेरी हिम्मत और बढ़ गई. अब तो मैंने उनकी जांघ को दबाना भी शुरू कर दिया. आंटी थोड़ा कसमसाईं, पर फिर से खाना खाने में मशगूल हो गईं.

अब धीरे धीरे मैं उनकी जांघ रगड़ते हुए, उनकी चुत की ओर बढ़ने लगा. मैं उनके दोनों पैरों के बीच चुत के पास अपने हाथ को ले जा रहा था.

मैं बस उनकी चुत तक पहुंचने ही वाला था कि तभी अचानक स्वीटी आंटी उठीं और बोलीं- मुझे एक जरूरी कॉल करना है, मैं अभी आती हूं.
यह कह कर स्वीटी आंटी वहां से जाने लगीं. मेरी मम्मी बोलती ही रह गईं कि अरे खाना तो खा कर जाओ स्वीटी. लेकिन आंटी चली गईं.

मैं काफी डर गया था. मुझे लगा कि कहीं स्वीटी आंटी अकेले में मेरी मम्मी सब कुछ बता न दें.

हम सभी ने खाना खत्म किया और मैं पढ़ने अपने कमरे में चला गया. थोड़ी देर बाद नीचे आया, तो देखा कि सभी हॉल में टीवी देख रहे थे.

मैं भी साथ बैठ कर टीवी देखने लगा. मैं फर्श पर छोटी से चटाई बिछाकर स्वीटी आंटी के एकदम नजदीक बैठ गया था.

पापा ने मुझसे पूछा- क्यों पढ़ाई हो गई?
मैंने जवाब दिया- हां पापा.

उसके बाद सभी टीवी देखने में लग गए. स्वीटी आंटी ऊपर सोफे पर थीं और मैं नीचे बैठा था. तभी मुझे एक शरारत सूझी. मैं फिर से आंटी की जांघों पर अपने हाथ फेरने लगा और उनकी जांघ को सहलाने लगा.

आंटी कसमसाईं और फिर से सिसकारी छोड़ने लगीं, लेकिन धीमी आवाज़ में ही उनकी चुदास निकल रही थी.

मैं अब समझ गया था कि आंटी को मज़ा आ रहा है और अब चुदाई पक्की है. बस यहां से निकलने की देर है. इस बार मैं मौका चूकना नहीं चाहता था, तो इसलिए मैं जल्दी से आंटी की चुत की ओर बढ़ने लगा.

आंटी की जांघों का मज़ा तो मैं ले ही चुका था. जैसे ही मैं उनके दोनों पैरों के बीच उनकी चुत के करीब पहुंचने को हो रहा था, मैंने चोर नजर से आंटी को देखा, तो आंटी का तो बहुत ही बुरा हाल था. वह बहुत ही चुदासी दिख रही थीं. उनकी आंखों में वासना के लाल डोरे बता रहे थे कि आंटी की चुत लंड लंड कर रही है.
उनका चेहरा बता रहा था जैसे वो मन में बोल रही हों कि रॉकी ये क्या कर रहे हो.

अब मैं उनके दोनों पैरो के बीच अपनी उंगलियों को घुसाते हुए उनकी मादक चुत की तरफ बढ़ने लगा. आंटी समझ चुकी थीं कि अब ये फिर से मेरी चुत छूने वाला है, इसलिए आंटी ने और जोर से अपने दोनों पैरों को काफी मजबूती से सटा रखा लिया, ताकि अपनी चुत को छूने से बचा सकें.

पर मैं भी कहां मानने वाला था. मैंने काफी ताकत से अपने अंगूठे के बाद के तीन अंगुलियों को उनके दोनों पैरों के बीच घुसाना शुरू कर दिया.

मेरे ऐसा करने से आंटी ने अपने दोनों पैरो को और जोर से सटाना शुरू कर दिया.

आखिरकार मैंने उनके दोनों मजबूती से सटे दोनों पैरों के बीच से काफी तेजी से हाथ की उंगलियों को आगे बढ़ा दिया. चिपके हुए पैरों के बीच से उंगलियों को निकालते हुए मैंने उनकी मादक चुत पर ले जाकर गड़ा दिया.

इससे स्वीटी आंटी के मुँह से निकला- आह सी … सी.
इस मेरे पापा ने पूछा- क्या हुआ आपको.
स्वीटी आंटी- नहीं … कुछ नहीं.

मेरे हाथ अब स्वीटी आंटी की चुत लग चुकी थी. मैंने आंटी की चुत पर अपनी उंगलियों की नोकें मारने लगा. मैं उनकी चुत को रगड़ नहीं पा रहा था … क्योंकि वो अभी भी अपने पैरों को सटाए हुए थीं.
मेरी उंगलियां उनकी चुत पर अच्छे से रगड़ नहीं पा रही थीं. पर इस तरह मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.

उसके बाद पापा अचानक उठते हुए हमारी तरफ बढ़े … जिससे मैं काफी डर गया था. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अब मैं क्या करूं.

तभी अचानक स्वीटी आंटी ने अपनी दुपट्टा मेरे हाथों पर रख दिया, जिससे किसी को पता न चल सका.

पापा आए और हमारे सामने से ही जाते हुए पीछे निकल गए. उधर रखी ही डेस्क से पापा ने अपने लिए हाजमे की एक गोली निकाली और वापस हमारे सामने से ही जाते हुए अपनी सीट पर दुबारा बैठ गए. किसी को शक भी नहीं हुआ.

अब आंटी उठीं और उन्होंने कहा कि मैं सोने जा रही हूं. आंटी खुशी को लेकर ऊपर चली गईं.
मेरे मन भी में जाने का कर रहा था, पर मैं भी अभी उठता … तो सबको शक हो सकता था.

थोड़ी देर इंतजार करने पर मैं उठा और बोला- मम्मी, मैं भी अब सोने जा रहा हूं.

ऐसा कह कर मैं जल्दी से ऊपर गया और स्वीटी आंटी के कमरे के पास जा कर देखने और सुनने की कोशिश करने लगा. मुझे कुछ पता नहीं चल रहा था. अन्दर से दरवाजा बंद था और कुछ भी दिखाई न देने के साथ कुछ सुनाई भी नहीं दे रहा था.

मुझे लगा कि स्वीटी आंटी सो गई हैं. मन मार कर मैं भी अपने कमरे में घुस गया और बिस्तर पर लेट कर सोने लगा. तभी मेरे दरवाजे पर दस्तक हुई. मुझे लगा कि मम्मी होंगी और उनको कुछ काम होगा. लेकिन जैसे ही मैंने दरवाजा खोला, तो देखा कि सामने स्वीटी आंटी हैं.

स्वीटी आंटी झट से मेरे कमरे में अन्दर आईं और उन्होंने दरवाज़ा बंद कर दिया. मैं समझ गया कि आंटी मुझसे चुदवाने आई हैं.

आंटी तो पहले मुझे थोड़ी देर देखा और फिर बोलीं कि रॉकी ये तुम क्या कर रहे थे. क्या मैं ये सब तुम्हारे मम्मी पापा को बताऊं?
यह सुन कर तो मैं काफी डर गया और बोला- नहीं नहीं आंटी … ऐसा मत करना. अगर आप सबको बता दोगी, तो पापा मुझे बहुत मारेंगे. प्लीज़ मत बताना.
स्वीटी आंटी- ओके … नहीं बताऊंगी. पर दुबारा ऐसा मत करना.
मैं- ठीक है आंटी. पर मैं क्या करूं आप है इतनी खूबसूरत कि मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ और मैंने ऐसा किया … सॉरी आंटी.
स्वीटी आंटी मुस्कुराते हुए बोलीं- अच्छा मुझमें ऐसा क्या है, जो तुमसे बर्दाश्त नहीं हुआ?

अब स्वीटी आंटी धीरे धीरे लाइन पर आ गई थीं. मैं इसका अच्छे से फायदा उठाना चाहता था.

मैंने कहा कि आपकी ये गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होंठ, गुलाबी गाल, मालदार मम्मे और आपकी उभरी हुई ये मदमस्त गांड … जिसे देख कर मेरा लंड बार बार ठनक जाता है … और ऊपर से आपने ये गुलाबी सूट पहना है, जिसमें से आपके मम्मे बड़े बड़े पपीते जैसे दिख रहे हैं. आपके मम्मों को चूसने, चाटने और खाने का मेरा बड़ा मन कर रहा था. बल्कि उस समय तो मेरा मन कर रहा था कि उसी समय आपके दूध अपने हाथों से पकड़ कर दबा दूं.

ऐसा कहते हुए मैं आंटी की ओर बढ़ा, तो आंटी पीछे को हो गईं.
स्वीटी आंटी ने शरमाते और मुस्कुराते हुए बोला कि बस बस … बहुत हो गई मेरी तारीफ.
ऐसा कहते हुए स्वीटी आंटी वहां से अपने कमरे में चली गईं.

मुझे उस रात काफी अच्छी नींद आई और मैं स्वीटी आंटी को मन में सोच कर मुठ मार कर सो गया.

सुबह उठ कर हाथ मुँह धोकर जब नीचे हॉल में आया, तो मैंने देखा कि सभी नीचे कबसे मेरा इंतजार कर रहे थे. मम्मी पापा, दादा दादी और स्वीटी आंटी भी खुशी के साथ नीचे आई हुई थीं और डाइनिंग टेबल पर चाय पी रही थीं.

मम्मी ने मुझसे पूछा- रॉकी आज का तुम्हारा क्या प्लान है?
मैंने कहा- कुछ भी तो नहीं.
मम्मी ने कहा- तो जाओ, स्वीटी आंटी के साथ चले जाओ … और उन्हें लखनऊ की फेमस जगहों पर घुमा लाओ.

मैं ये सुन कर काफी खुश हो गया.

मैं काफी खुश था और स्वीटी आंटी के तैयार होकर आने का इंतजार कर रहा था. कुछ मिनट बाद स्वीटी आंटी आसमानी रंग की पारदर्शी साड़ी में तैयार होकर नीचे आईं. जिसमें उनकी सुंदर नाभि, पूरी सेक्सी कमर और लाजवाब पेट सब दिख रहे थे. उनकी साड़ी के साथ ही मैचिंग ब्लाउज में फंसे उनके चूचे काफ़ी बड़े बड़े एकदम गोल और सुडौल दिख रहे थे. सीढ़ियों से उतरते समय उनकी लहराती कमर को एक लय में ऊपर नीचे होते हुए देखा. उनके थिरकते मम्मे, मटकती गांड को देख कर मेरा लंड फिर से ठनक गया.

जब वह सीढ़ियों से नीचे उतर रही थीं, तब ऐसा लगा कि आसमान से कोई अप्सरा उतर रही है.
वे मेरे पास आईं और बोलीं- चलो … अब चलते हैं.
मैं भी तैयार होकर ही बैठा, उनका नीचे आने का इंतजार कर रहा था.

फिर मैं, आंटी और खुशी तीनों स्कूटी पर बैठ कर घूमने निकल गए. आज होलिका दहन था … तो मम्मी ने जल्दी घर आ जाने के लिए कहा था … ताकि मुहल्ले वालों के साथ रह कर होलिका दहन मना सकें.

मैं मम्मी को हामी भरता हुआ स्वीटी आंटी के संग निकल गया. सबसे पहले हम लखनऊ शहर के बीचों बीच बसा सबसे लोकप्रिय मार्केट हजरतगंज मार्केट गए. वहां सबसे सुंदर कपड़े और हर तरह के चीजें मिलती हैं. यहां नवाबों की तरह हर चीज बहुत ही महंगी मिलती है.

सबसे पहले हम वहां पर स्थित शुक्ला चाट का मज़ा लेने गए. हम बहुत मज़े से चाट का मजा ले रहे थे पर मेरी नजर तो लगातार साड़ी से ढकी स्वीटी आंटी की नंगी कमर पर थी.
मैंने टेबल के नीचे से सबकी नजर बचाते हुए अपने हाथ को स्वीटी आंटी की नंगी कमर पर फेरना शुरू कर दिया. स्वीटी आंटी कसमसाईं, फिर से आराम से बैठ गईं.

चाट का मजा लेने के बाद हम एक मॉल में गए और वहां पर शॉपिंग करने लगे. इस बीच स्वीटी आंटी को एक सलवार सूट पसंद आ गया और वो ड्रेसिंग रूम में जाकर कपड़े बदल आईं. लाल रंग के सलवार सूट में उनके बोबे काफी बड़े नजर आ रहे थे.

उसके बाद हम ब्रिटिश प्रेसिडेंसी घूमने गए. यह अंग्रेजों के जमाने का बना हुआ था. यहां घूमने के लिए बहुत अच्छे गार्डन हैं.

हम एक पेड़ के नीचे जाकर बैठ गए. तभी आंटी ने खुशी को जरा घूम आने को कहा और वह कुछ दूरी पर गार्डन में घूमने लगी. गार्डन में बहुत लोग थे, पर वे सब बहुत दूरी पर थे और सब अपने अपने में मस्त थे.

आंटी ने मुझसे कहा कि तुम फिर से ये क्या कर रहे थे. मेरी कमर छू रहे थे. इसलिए अब मैंने सलवार सूट पहन लिया.
मैंने भी हिम्मत से बोल दिया कि या ये भी हो सकता है कि आपने जानबूझ कर सलवार सूट पहन लिया हो, ताकि इसमें आपके बड़े बड़े मम्मे नजर आएं और मुझे इनको दबाने का मन हो जाए.

ऐसा कहते ही मैंने अपने दोनों हाथों से उनके दोनों बोबे पकड़ लिए और हल्का सा दबा दिए.

तभी स्वीटी आंटी ने मेरे हाथों को हटाते हुए कहा कि ये क्या कर रहे हो, कोई देख लेगा.
मैंने कहा- तो फिर कहां करें … ताकि कोई नहीं देखे.
आंटी ने कहा- कहीं भी नहीं. तुम समझते क्यों नहीं … तुम अभी मेरे सामने छोटे हो.

उनकी इस बात से मुझे बहुत गुस्सा आया और मैंने उनके दोनों मम्मे जोर से मसलते हुए और लिपकिस करते हुए बोला- मैं छोटा नहीं हूं … आप एक बार बोलो तो सही, मैं आपको बहुत अच्छी तरह से चोद सकता हूं.

मेरे मुँह से ‘चोद सकता हूँ.’ शब्द सुन कर आंटी सकपका गईं. फिर वो भी गुस्से में बोलीं- तुम्हारी उम्र में और मेरी उम्र में काफी अंतर है. मैं एक एडल्ट औरत हूं. मुझे चोद पाना तुम्हारे बस की बात नहीं.

मैंने इस बार उनके निप्पल को कपड़े के ऊपर से ही मींजते हुए कहा कि अच्छा ऐसी बात है, तो अभी चलो घर … आज ही आपको चोद कर निहाल कर देता हूँ.

इस पर आंटी का गुस्सा और भी ज्यादा भड़क गया. उन्होंने कहा- इसके लिए घर जाने की जरूरत नहीं है, मेरे पास एक जगह है, वहां चले चलते हैं. लेकिन मेरी एक शर्त है.
मैंने पूछा- क्या?

आंटी ने कहा- पहले तुम्हें मुझे चोदने के लिए तैयार करना होगा. मतलब कि तुम्हें कुछ ऐसा करना होगा कि मैं खुद तुमसे चुदने को तैयार हो जाऊं. इसके लिए तुम मुझे कहीं भी हाथ लगा सकते हो … लेकिन कपड़े के ऊपर से ही. इसके लिए मैं तुम्हें सिर्फ 5 मिनट देती हूं, जिसमें अगर तुमने मुझे गर्म करके चुदने के लिए मजबूर कर दिया, तो मैं तुमसे चुद जाऊंगी. और अगर ऐसा कुछ नहीं हुआ, तो आज के बाद मुझे छूने की कोशिश मत करना.
मैंने कहा- ठीक है.

उसके बाद हम लोग इमामबाड़ा चले गए. यह इमामबाड़ा अवध के नवाबों के द्वारा बनाया गया है. इस तरह से बनाया गया है कि यह बिल्कुल एक भूल भुलैया जैसा लगता है. जो कोई भी इसके अन्दर जाता है, फिर बाहर निकलने का रास्ता जल्दी नहीं मिलता है. इसके लिए आप सभी को ऊपर छत की ओर जाना पड़ेगा, जहां से फिर बाहर निकलने का रास्ता पता चलता है.

स्वीटी आंटी को शायद इस जगह के बारे में पहले से पता था. इसलिए वो इस जगह पर मुझे चुदाई के लिए गर्म करने की बात कर रही थीं.

मैं स्वीटी आंटी और खुशी सभी वहां घूमने के लिए गए. स्वीटी आंटी ने खुशी से कहा- तुम जरा वहां घूमकर आओ.
वो चहकते हुए चली गई.

फिर हम दोनों इमामबाड़े की एक ऐसी जगह पर पहुंच गए कि जहां पर कोई नहीं था. इधर हम लोग ने चैन की सांस ली.

उसके बाद मैं स्वीटी आंटी को देखे जा रहा था और वो मुझे. सबसे पहले मैंने स्वीटी आंटी का हाथ पकड़ा और फिर जैसे ही मैं आंटी को लिपकिस करने के लिए आगे बढ़ा, तो आंटी ने कहा कि जिस जगह पर कपड़े नहीं हैं, उसे तो तुम्हें छूना भी नहीं है.

ऐसा कह कर स्वीटी आंटी ने अपने रसीले होंठों और गोरे गालों को मुझसे बचा लिया. लेकिन आंटी के मालदार मम्मों का क्या … जिस पर मेरी कब से नजर थी.

मैंने अपना एक हाथ आगे बढ़ाया और आंटी की कमर के पीछे हाथ ले गया.

उनकी गजब ढाती गांड पर हाथ रख कर उसे बहुत ही जोर से दबा दिया. मैंने आंटी को अपनी तरफ खींचा और दूसरे हाथ को सीधा उनके मम्मे पर रख दिया. मैंने पहले तो आंटी के चूचे को हल्के से दबाया, तो आंटी के मुँह से वो कामुक आवाज़ निकाल गई, जिसे सुनकर किसी का भी लंड फुंफकार मारने लगता है.

आंटी ने जैसे ही ‘आह. … उन्ह..’ की आवाज़ निकाली, मैंने और जोर से उनके मम्मे दबा दिए.

आंटी के मुँह से फिर से आह की आवाज़ निकली. मेरा लंड इतना खड़ा हो गया था कि सीधा उनके चुत में सट रहा था और मैं अपने लंड को पजामे के ऊपर से ही आंटी के चुत में दबाने लगा.

आंटी लगातार ‘आह … उह..’ करती जा रही थीं. धीरे धीरे माहौल गर्म होता जा रहा था. मैं अपने लंड को आंटी के पजामे के ऊपर से ही उनकी चुत में भौंके जा रहा था.

फिर मैं उनके एक मम्मे को अपने हाथ में अच्छी तरह से थाम कर जोर जोर से दबाने लगा. आंटी के मुँह से ‘उफ्फ आह … ओह..’ की आवाज से मैं और भी गर्म होता गया. बस अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था. मुझे लगा कि बस बहुत हुआ, अभी ही आंटी का कुर्ता फाड़ कर और कर ब्रा खोल कर फेंक देता हूं … और इनकी चुत चोद देता हूं.

मैं अभी आंटी की चुदाई की कल्पना ही कर रहा था कि मैं इनके पजामे का नाड़ा खोल कर पैन्टी में हाथ डाल दूंगा, फिर अपने लंड को इनकी चुत में घचाघच घुसाने लगूंगा.
फिर मैंने सोचा कि नहीं … अगर आंटी गुस्सा हो गईं, तो ये भी चुदाई करने ही नहीं देंगी.

मैंने धीरे से अपने हाथ को उनकी कमर पर लाकर उनकी कमर को दबाया, तो आंटी ने मदमस्त आवाज निकलते हुए कहा- आह … ह उह … उह तुम तो पक्के खिलाड़ी निकले … शाबाश … लगे रहो मुझे और गर्म करो.

तब मैं अपने हाथ को उनकी चुत पर ले गया. पहले अपने अंगूठे से उनकी चुत रगड़ने लगा.

चुत पर रगड़न पाते ही आंटी के मुँह से आह का तेज शब्द निकला, जिससे मेरा लंड और भी तन गया. उसी समय अपने दोनों हाथों से उनके दोनों चूतड़ों को पकड़ा और अपना मुँह सीधा उनकी चुत में गड़ा दिया. अब मैं आंटी की चुत को उनके कपड़ों के ऊपर से ही बेतहाशा चूसने चाटने लगा.

आंटी का बहुत ही बुरा हाल हो रहा था. आंटी कामुकता से भरी सिसकारियां छोड़े जा रही थीं. आंटी अपने दोनों हाथों से मेरा माथा पकड़ कर अपनी चुत पर दबाने लगीं. उसी समय मैंने आंटी के पजामे के नाड़े की डोरी पकड़ी और खोल दी.

आंटी ने मुझे अलग करते हुए कहा- बस हो गए पूरे 5 मिनट … अब छोड़ो. तुम मुझे चुदने पर मजबूर नहीं कर पाए … इसलिए अब कभी भी मुझे छूने की कोशिश मत करना.
फिर आंटी वहां से उठ कर चली गईं. मेरे लंड का बहुत बुरा हाल हो गया था.

स्वीटी आंटी ने खुशी को खोजा और हम सब घर आ गए.

मेरा मन अभी भी चुदाई करने को कर रहा था. मैं हारने वाला नहीं था. शाम को सभी होलिका दहन में इकट्ठे हुए. वहां स्वीटी आंटी मस्त डार्क ब्लू कलर की साड़ी में आईं. उसमें उनकी लचकती कमर मुझ पर गजब ढा रही थी.

तभी मम्मी ने पूछा- अब तक मनोज नहीं आए?
आंटी ने कहा- वो कल होली के दिन सुबह आ जाएंगे.

कुछ देर बाद सभी वहां से जाने लगे.

जब सब लोग सो गए, तब मैं स्वीटी आंटी के कमरे की तरफ गया और हल्के से कमरा खोला, तो दरवाजा खुल गया.

कमरे में काफी अंधेरा था. खुशी आंटी से थोड़ा दूर, लेकिन एक ही पलंग पर सो रही थी.

मैं धीरे से स्वीटी आंटी के पास गया और उनके बगल में लेट गया. मैंने अपनी एक टांग को उनकी टांग पर चढ़ा दिया.

आंटी वही डार्क ब्लू कलर वाली साड़ी में सो रही थीं. मैंने आंटी के छाती पर से उनकी साड़ी का पल्लू हटा दिया. आंटी का ब्लाउज और नंगा सेक्सी पेट दिखने लगा.

मैंने अपने हाथों को उनकी कमर पर रखा और रगड़ने और दबाने लगा. आंटी थोड़ा कसमसाईं. मैंने आहिस्ते से उनकी साड़ी को पेटीकोट के साथ कमर से नीचे सरका दिया. उनकी सफेद पैंटी दिख गई. अब मैंने उनके ब्लाउज को वहां रखी एक कैंची से ऊपर से काट दिया. जिससे उनकी ब्रा दिखने लगी.

इसके साथ ही आंटी भी उठ गईं. मैंने अपनी टांग उन पर चढ़ाते हुए उनको लिटा दिया और उन पर चढ़ गया. मैं उनके कड़क मम्मों को ब्रा के ऊपर से चूसने चाटने लगा. साथ ही में मेरा लंड भी आंटी के पैंटी के ऊपर से ही चुत पर रगड़ने लगा. मैं आंटी पर पूरा चढ़ गया था.

स्वीटी आंटी- आह रॉकी … ये सब क्या कर रहे हो … उफ़ … उफ … उम्म्ह… अहह… हय… याह… उह रॉकी छोड़ो भी न … आह रॉकी … आह रॉकी…
मैं- सिर्फ मज़े लो स्वीटी आंटी, अपने इस खजाने को आप मुझसे नहीं बचा सकती हो. अब और मत तड़पाओ. अब चुद भी जाओ न.

मैंने उनकी पैन्टी में हाथ डाल दिया और चुत को अपनी उंगली से छूने और रगड़ने लगा.

तभी आंटी का फोन बजा और आंटी ने मुझे धक्का देकर अपने आपसे मुझे छुड़ाया.
मैं नीचे फर्श पर गिर गया.

उसके बाद फोन पर बात करने बाद स्वीटी आंटी ने मुझे बताते हुए कहा- मनोज आ चुके हैं, वो नीचे दरवाजे के पास हैं. तुम अभी जाओ.

आंटी ने झट से दूसरा ब्लाउज पहन लिया और अपनी साड़ी ठीक करके नीचे चली गईं.

नीचे मेरे घर के मेन दरवाजे की घंटी बजी और हम नीचे आ गए, तो देखा कि अंकल सामने ही खड़े थे.
अंकल ने स्वीटी आंटी को गले लगाते हुए कहा- सरप्राइज!

मुझे तो उन्हें देख कर मानो बहुत गुस्सा आ रहा था कि इस साले को अभी ही टपकना था. इस कमीने की वजह से मैं इसकी बीवी को चोद नहीं पाया. वरना आज तो स्वीटी आंटी की चुदाई पक्की थी. पर कोई बात नहीं कल होली के दिन तो मैं किसी न किसी तरह से स्वीटी आंटी को चोद कर ही रहूंगा.

सब लोग सोने चले गए, पर मुझे नींद नहीं आ रही थी.

रात के लगभग 2 बजे थे कि तभी मुझे कुछ कामुक आवाजें सुनाई दीं. मैं स्वीटी आंटी के रूम की तरफ गया, तो वहां से मुझे स्वीटी आंटी की ‘आह उह उस … इस्स..’ की आवाज़ आ रही थी.

मैंने थोड़ा दरवाजा खोला, तो देखा कि स्वीटी आंटी पूरी नंगी होकर मनोज अंकल के लंड पर पर उछल-कूद कर रही थीं. मनोज अंकल भी उनके चूतड़ों पर जोर जोर से चमाट मार रहे थे. स्वीटी आंटी की पीठ मेरी तरफ थी, इसलिए मैं उनके लाजबाव मम्मे उछलते हुए नहीं देख पाया. आंटी खूब अंकल के लंड पर उछल कूद किए जा रही थीं. अंकल भी नीचे से अपने लंड को ऊपर की ओर खूब हिलाए जा रहे थे.

आंटी- आह मनोज … उम्म्ह… अहह… हय… याह… मनोज आह आह आह उह!

आंटी की कामुक आवाज़ों ने तो मेरा भी लंड खड़ा कर दिया. कुछ देर बाद अंकल ने आंटी को जल्दी से नीचे पटक दिया और जोर जोर से अपनी गांड को हिला हिला कर अपने लंड को स्वीटी आंटी की चुत में धकेलने में लग गए.

इसी तरह से चुदते हुए एक पल ऐसा आया, जब स्वीटी आंटी ने मुझे और मैंने स्वीटी आंटी को देख लिया. मुझे देखते ही स्वीटी आंटी शरमाई नहीं … बल्कि मुस्कुराते हुए अब तो वो और जोर जोर से कामुक आवाजें निकाल कर चुदने लगीं.
स्वीटी आंटी ने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी और जोर जोर से ऐसे आह ओह करने लगीं … मानो वो मुझे बोल रही थीं कि मैं इस तरह से चुदाई करवाती हूँ, तुम्हें चुत की चुदाई करनी आती है क्या.

कुछ देर बाद चुदाई खत्म हो गई और मैं अपने कमरे में चला गया.

सुबह हुई … आज होली का दिन था. आज मैंने सोच लिया था कि आज तो किसी न किसी कीमत पर स्वीटी आंटी को चोद कर ही रहना है.

हमारे घर के गार्डन में होली की बहुत ही धूम-धाम से तैयारी हुई थी. जहां लोग मिल कर होली मनाते हैं. सभी एक दूसरे को रंग और अबीर लगाने में व्यस्त थे. अच्छे अच्छे पकवान भी टेबल पर रखे थे. पर मेरी दिलचस्पी तो स्वीटी आंटी में थी.

थोड़ी देर बाद स्वीटी आंटी आईं. आज स्वीटी आंटी ने नारंगी रंग का लहंगा चोली पहना हुआ था. लेकिन ख़ास बात यह थी कि उन्होंने चोली बहुत छोटी पहनी थी, जिसमें उनकी सेक्सी कमर और सुंदर नाभि दिख रही थी. आज वो बिल्कुल वैसे ही लग रही थीं, जैसे पिया की पहरेदार सीरियल में तेजस्विनी प्रकाश होली वाली सीन में दिखती है. बिल्कुल वैसे ही हॉट कपड़े स्वीटी आंटी ने पहने थे. आज स्वीटी आंटी गुजराती एक्ट्रेस पूजा जोशी से तेजस्विनी प्रकाश जैसी दिखने लगी थीं.

तभी मनोज अंकल उनके पास आए और उन्हें अबीर लगाया. मेरे पापा मम्मी जब रंग लगाने के लिए गए, तो आंटी ने उन्हें यह कह कर रोक दिया कि उन्हें रंग लगाना पसंद नहीं, अबीर लगाइए.
तब सबने उन्हें अबीर लगाया.

फिर सब होली के गानों पर डांस करने लगे और सभी मस्ती में घुल-मिल गए. डांस करते हुए स्वीटी आंटी की कमर हिलती उछलती हुए बड़ी लाजवाब लग रही थी. उनकी सेक्सी नाभि को देख कर तो मेरा लंड खड़ा हो गया था. रही सही कसर उनके उछलते मम्मों ने कर दिया.

तभी मेरे दिमाग में एक आइडिया आया और मैं भांग लेकर स्वीटी आंटी के पास गया और डांस करने लगा.

मैं बोला- ये लो आंटी भांग … इसे होली में पीना ही होता है.
स्वीटी आंटी ने पहले तो मना किया लेकिन मैंने आखिरकार उनको भांग पिला ही दी.

उसके बाद उनके साथ डांस करने लगा. डांस करते हुए मैंने उनकी सेक्सी कमर पर हाथ फेरना शुरू कर दिया. मैं अपनी उंगलियों से उनके नंगी कमर और नाभि को छूने, रगड़ने और दबाने लगा.

कुछ ही देर में आंटी पर भांग की मस्ती छाने लगी, इसलिए वो भी मुझे मना नहीं कर रही थीं.

मैंने कहा- आंटी आज आप बहुत सुंदर लग रही हो.
स्वीटी आंटी ने कहा- सिर्फ सुंदर … सेक्सी नहीं?
मैंने कहा- सेक्सी नहीं, बल्कि सेक्स करने लायक लग रही हो.

मेरी बात से आंटी जरा भी गुस्सा नहीं हुईं, बल्कि मुस्कुरा कर हंस दीं.

फिर मैं आंटी के पीछे से गांड पर हाथ रख कर सहलाने लगा. आंटी ने मेरा हाथ हटा दिया और घर के अन्दर चली गईं. मैं भी उनके पीछे पीछे चला गया.

घर में अन्दर जाते ही मैंने आंटी को पीछे से पकड़ लिया. अपने एक हाथ से उनके बोबे को, तो दूसरे हाथ से उनकी चुत को मसलने लगा.

आंटी आह आह करने लगीं.

ऐसा करते हुए मैं और आंटी दोनों मेरे कमरे में चले गए. बेड पर बैठने के बाद मैंने बड़े इत्मीनान से आंटी के जिस्म को ऊपर से लेकर नीचे तक देखा.

आंटी ने मुस्कुरा कर कहा- क्या देख रहे हो?
मैंने कहा कि सबने आपको अबीर लगा दिया, सिर्फ मैं रह गया.
आंटी ने कहा- तो रुके क्यों हो … तुम भी लगा दो न.

ये सुनकर मेरी बांछें खिल गईं और मैं जल्दी से एक थाली में हर रंग के अबीर ले आया. सबसे पहले मैंने आंटी की सेक्सी कमर को पीले रंग का अबीर से रगड़ा और उनकी कमर भी दबा दी. उनकी नाभि में उंगली की, जिससे आंटी चिहुंक उठीं.

मैंने उनके कमर को और रगड़ना और दबाना चालू रखा. वहीं दूसरी ओर मैंने आंटी को एक बार हल्के से लिपकिस भी किया.

उसके बाद आंटी ने मेरा सर पकड़ कर मेरे होंठों को अपने होंठों से चिपका लिया और हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूसने चाटने लगे.

कोई 5 मिनट तक यही सब करने के बाद आंटी ने अपनी छाती पर हाथ रखते हुए मुझसे कहा कि रॉकी … क्या यहां पर अबीर नहीं लगाओगे?
मेरी आंखें चमक गईं … मैंने कहा- क्यों नहीं.

अब मैंने लाल रंग का अबीर अपने हाथों में लिया और आंटी की छाती पर रगड़ने लगा.

आहा मुझे कितना मस्त मज़ा आ रहा था … ये मैं चाहूँ तब भी लिख नहीं सकता. बस वो सुख मैं ही समझ सकता हूं.

मैं आंटी की छाती पर अबीर रगड़े जा रहा था और ‘आह उह आह …’ की आवाजें पूरे कमरे में गूंज रही थीं. पूरा कमरा आंटी की कामुक आवाज़ से गर्म हो गया था.

मैं भी अब इतना अधिक जोश में आ गया था कि आंटी की छाती पर अबीर रगड़ते रगड़ते मैंने अचानक स्वीटी आंटी के एक बूब को दबा दिया … आंटी चिहुंक उठीं.

मैंने अपने दोनों हाथों से आंटी के दोनों मम्मों को भरा और जोरों से मसलने लगा. आंटी की आँखों में वासना की मस्ती छाने लगी थी.

इसके बाद मैंने आंटी का दुपट्टा हटा दिया और पीछे से आंटी की चोली की चैन नीचे को सरका दी. उनकी चोली लटक गई थी, तो मैंने उसको खोल कर अलग कर दिया.

आंटी के लाजबाव चूचे सफेद ब्रा में देख कर मैं मचल उठा. मैंने अपने दोनों हाथों से आंटी के मम्मों को अपने हाथों में अच्छे से पकड़ लिए और उनकी ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगा.

आंटी ‘आह रॉकी … उह आंह उई … रॉकी..’ की आवाज़ निकालने लगीं.

मेरे मुँह से भी आह आह की आवाज़ निकलने लगी. वाह यार आंटी क्या मस्त माल थीं.

इसके बाद मैंने उनका लहंगा निकाल कर दूर फेंक दिया. उनकी नंगी गोरी टांगें देख कर मैंने उन पर हरे रंग का अबीर मल दिया. मैं दोनों हाथों में अबीर लेकर उनके पैरों को रगड़ने लगा. ऊपर से नीचे तक उनके पैरों को मैं दबा दबा कर मजा ले रहा था. साथ ही मैं जांघों को चूमता चाटता भी जा रहा था.

स्वीटी आंटी- वाह रॉकी … मेरे कपड़े खोल कर मुझे ब्रा और पैन्टी में कर दिया और खुद अब तक कपड़े पहने हो … चलो तुम्हारे कपड़े मैं खोलती हूं.

ऐसा कहते हुए आंटी ने मेरे पजामा और कुर्ता को खोल दिया और बनियान निकाल कर अलग कर दी. मेरे नंगे होते ही आंटी ने पहले तो मेरी छाती पर अपनी प्यारी प्यारी उंगलियों को फिराते हुए हाथ फेरा.

उनकी मादक उंगलियों के गर्म स्पर्श से मेरे दिल की धड़कनें तेज हो गईं और मेरा लंड लोहे की तरह कड़क हो गया.

मैंने उत्तेजना में तुरंत ही स्वीटी आंटी के पैन्टी के अन्दर हाथ डाल दिया और उनकी चुत के पंखुड़ियों को अपने हाथों से रगड़ने लगा.

स्वीटी आंटी ने मादक आवाज निकालते हुए कहा- आह आह रॉकी … मार ही डालोगे क्या.
मैं- नहीं आंटी … चोद ही डालूंगा.

इसके बाद मैंने उनकी पैन्टी नीचे की ओर सरका कर पैन्टी को निकाल कर साइड में रख दिया. फिर मैंने उनकी लवली चुत पर बड़े ही प्यार से किस किया और चूसने चाटने लगा.
आह आह करती स्वीटी आंटी अपने हाथों से मेरे सर को अपनी चुत में और भी जोर से दबाते हुए सीत्कार भरने लगीं.

मैं उनकी सेक्सी कमर और पेट को चूमता हुए उनके मम्मों को ब्रा से आज़ाद करने लगा. एक पल बाद उनके चूचे हवा में छलने लगे थे, ब्रा को एक तरफ गिर जाने की सजा दे दी गई थी.

मैं आंटी के मम्मों को चूसते चाटते हुए दबाने में लग गया. मैं उनके मम्मों के साथ खेलने लगा, मस्ती करने लगा.

अब मेरा लंड स्वीटी आंटी के चुत में अंडरवियर के ऊपर से ही सट रहा था.

मैंने अपनी अंडरवियर को खोल दिया. स्वीटी आंटी ने मेरा लंड देख कर कहा- वाउ … इतना कड़क लंड … तुम तो सच में बड़ी अच्छी चुदाई कर दोगे.

स्वीटी आंटी को मैंने चित लिटा दिया और उनकी चुत पर अपना लंड रख कर रगड़ने लगा. स्वीटी आंटी आहें भरने लगीं. मैंने झट से स्वीटी आंटी की चुत के अन्दर अपने लंड का धक्का मार दिया. मेरा आधा लंड पक्क की आवाज के साथ आंटी की चुत के अन्दर घुसता चला गया.

स्वीटी आंटी के मुँह से ‘उई … माँ … मर गई … आह..’ की आवाज़ निकल गई.

मैंने उनकी आवाज पर ध्यान न देते हुए स्वीटी आंटी के चुत में दूसरा धक्का दे दिया. इस बार मैं अपना पूरा लंड उनकी चुत में पेल दिया था.

स्वीटी आंटी से मैं … और स्वीटी मुझसे बिल्कुल लिपट गए थे. मैं उनकी चुत में लंड को अन्दर बाहर करने लगा. जिस जबरदस्त जिस्म को मैं देखना चाहता था, आज वो न केवल मेरे सामने नंगा था … बल्कि मेरे लंड से चुद भी रहा था.

आज मैं अपनी कोशिश के बाद स्वीटी आंटी की सेक्सी कमर, रसीली चूत, लाजवाब चूचे … के पूरे मज़े ले रहा था. सच में आज मुझे अपने आप पर यकीन नहीं हो रहा था, पर यह सच था.

थोड़ी देर ऐसे ही चुदाई करने के बाद हम दोनों का एक ही टाइम पर वीर्य निकला और कमरे में गचागच की आवाज़ अब फचाफ़च में बदल गई.

चुदाई पूरी होने के बाद हम दोनों एक अलग ही ऐसा आनन्द का अनुभव कर रहे थे … जैसे कि न जाने कब से अधूरे थे और अब चुदाई के बाद परिपूर्ण हो गए हों.

इस मस्त चुत चुदाई के कुछ देर बाद हम एक दूसरे अलग हुए और अपने अपने कपड़े पहन कर रेडी हो गए. हम दोनों एक एक करके बाहर गए. मैंने देखा कि सभी होली के नशे में मगन थे. उनके इसी नशे का फायदा उठा कर हम दोनों ने अच्छे से चुदाई कर ली थी.

फिर रात को हम सब सोने चले गए. पर मुझे नींद नहीं आ रही थी. क्योंकि कल स्वीटी आंटी जाने वाली थीं और मैं एक बार और उनकी चुदाई करना चाहता था. इसलिए मैं उनके कमरे में गया और दरवाज़ा खटखटाया.

स्वीटी आंटी बाहर निकलीं. वो एक सेक्सी ब्लू कलर की नाईटी पहने हुई थीं. मैंने धीमे से कहा- आंटी कल तो आप जा ही रही हो, तो मेरे साथ इस सेक्सी नाईटी में एक बार फिर आ जाओ न.
स्वीटी आंटी ने भी हल्के स्वर में कहा- कमरे में मेरे पति और खुशी है, हम सब अभी सोने वाले हैं. तुम चुदने की बात मेरे कमरे के पास आ कर कहने लगे हो. मेरे पति अभी कमरे में ही हैं. इतनी हिम्मत तुम में कहां से आ गई?
मैंने कहा- आपकी सेक्सी चुदाई के नशे ने मुझे निडर बना दिया है.

उनकी चुचियों को मैंने अपने दोनों हाथों से पकड़ते हुए कहा- प्लीज़ एक बार फिर चुद जाओ न. मुझे आपकी चुदाई का नशा हो गया है. मैं आज आपको विदेशी स्टाइल ने चोदना चाहता हूं. जिस तरह से आप उस दिन अपने पति से चुद रही थीं. उनके लंड पर उछल कूद कर रही थीं, बिल्कुल वैसे ही एक बार मेरे से भी चुद जाओ न.

उन्होंने कहा- ठीक है, तुम बस अपने कमरे में 5 मिनट इंतजार करो, मैं अभी आती हूं.

फिर 5 मिनट बाद वो मेरे कमरे में आईं और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे नीचे ले गईं.
मैंने पूछा- कहां ले जा रही हो?
तो वो बोलीं कि जिस तरह की चुदाई तुम्हें चाहिए, वैसी चुदाई में काफी आवाजें होती हैं. इसलिए नीचे गैराज में चलो, मैं वहीं तुम्हारे साथ चूदूंगी.

उनकी ये बात सुन कर तो मेरा लंड खड़ा हो गया. मैंने उनसे पूछा- अंकल का क्या हुआ?
उन्होंने कहा कि तुम्हारे अंकल को मैंने दूध में नींद की गोली डाल कर सुला दिया है और खुशी को सुला कर आई हूं.
मैंने कहा- वाह क्या कमाल कर दिया आपने स्वीटी आंटी!

यह कहते हुए मैंने स्वीटी आंटी को अपने आगोश में भर लिया और उन्हें खूब किस करने लगा.

अब गैराज में हम दोनों आ गए थे. मैंने बड़े ही प्यार से स्वीटी आंटी की नाईटी उतारी. उनकी नाईटी जमीन पर गिर गई थी. इसके साथ ही आंटी ब्लू ब्रा और पैन्टी में आंटी एक मस्त सेक्सी विदेशी एक्ट्रेस लगने लगी थीं.

उन्हें इस तरह देख कर मेरा लंड तन कर लोहे हो गया. मैंने उनके दूधिया गोरे बदन को छूते हुए कहा कि वाह क्या मस्त माल लग रही हो आप … मैं आपको कैसे बताऊं.

स्वीटी आंटी ने कहा- तुम्हारा फुंफकारता हुआ लंड देख कर ही मैं समझ गई हूं … बताने की कोई जरूरत नहीं है. बस अब तुम चुदाई करो.

फिर हम दोनों कुछ देर की लंड चुत की चुसाई के बाद चुदाई में लग गए. दोस्तों उस रात हमने बिल्कुल विदेशी स्टाइल में चुदाई की. जिसमें आंटी मेरे लंड के ऊपर पूरी नंगी होकर खूब उछलीं और कूदीं. ‘आह आह उन्नह उम्हा आहा औष फ़्क फच..’ की आवाजें खूब जोर जोर से पूरे गैराज में गूंजी. उस दिन की चुदाई को मैं अपने पूरे जिंदगी में मरते दम तक नहीं भूलूंगा.

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