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मेरे भैया मेरी चूत के सैय्याँ-2

 


इस खेल से बोर होकर हमने बाहर घूमने जाने के लिए प्लान किया. आप लोगों को तो पता ही होगा कि रायपुर से थोड़ी दूरी पर ही गंगरेल डैम है. हम लोगों ने वहीं पर जाने के लिए सोचा.

मुझे और भाई को तो घर से निकलने में कोई परेशानी नहीं थी क्योंकि भाई और मेरा रिश्ता तो भाई-बहन का था. इसलिए किसी को शक नहीं होने वाला था. मगर चाचा की लड़की को साथ लेकर जाना एक चुनौती थी.

उसको साथ लेकर जाने के लिए हम लोगों को चाचा को भी मनाना था. बहुत मिन्नत करने के बाद चाचा ने भी दिव्या को हमारे साथ जाने के हामी भर दी. लेकिन उन्होंने जल्दी वापस लौटने के लिए भी हिदायत दे दी.

अगले दिन हम तीनों ने जल्दी से तैयार होकर खाने पीने का सारा सामान रख लिया. दिव्या और मैंने जीन्स और टॉप पहना हुआ था. हम दोनों ही काफी सेक्सी लग रही थीं.

हमारी ड्रेस को देख कर सुनील भैया भी तारीफ करने लगे कि हम दोनों बहुत ही हॉट लग रही हैं. वो बोला कि तुम्हें देख कर तो किसी का भी मन तुम्हें चोदने को हो जाये. ये बात सुन कर मैंने धीरे से भाई का लंड उसकी पैंट के ऊपर से ही दबा दिया. ये देख कर दिव्या भी हंसने लगी.

हमने बाइक पर जाने का ही प्लान किया था इसलिए हम बाइक लेकर गंगरेल डैम के लिए निकल गये. मेरा भाई सुनील बाइक चलाते हुए बहुत हैंडसम लग रहा था. मैं और दिव्या पीछे बैठे हुए थे. हम लोग सफर का मजा लेते हुए जा रहे थे.

मैंने और दिव्या ने स्कार्फ बांधा हुआ था. इसी बात का फायदा उठा कर मैं भैया की पीठ के साथ चिपक कर बैठी हुई थी. दिव्या पीछे बैठी हुई मेरे चूचों को दबा रही थी. हमारे चेहरे छिपे हुए थे इसलिए सफर के दौरान आने जाने वाले लोगों का हम पर शक नहीं हो रहा था.

दिव्या मेरे बूब्स को पूरा दबाने लगी थी. मैं पूरी तरह से भाई से चिपकी हुई थी और मेरी चूचियां और दिव्या के हाथ दोनों ही भाई की पीठ से सटे हुए थे. मैंने भी नीचे से हाथ ले जाकर भाई के लंड को उसकी पैंट के ऊपर से ही सहलाना शुरू कर दिया तो उसका लंड पूरा खड़ा हो गया.

मगर अगले ही पल दिव्या ने हद कर दी. उसने मेरे बूब्स को मेरी ब्रा के अंदर हाथ डाल कर मसलना शुरू कर दिया जिससे मैं बहुत ज्यादा एक्साइटेड हो गई. मैं भी जोर से भाई के लंड को सहलाने में लगी हुई थी और भाई भी बेचैन होने लगा था.

मुझसे रहा नहीं गया तो मैं दिव्या को मना करने लगी कि कुछ देर रहने दे क्योंकि हम लोग अभी ड्राइव कर रहे हैं. मगर दिव्या मेरी बात को नहीं सुन रही थी और मुझे गर्म करने में लगी हुई थी. मेरे रोकने पर उसने और जोर से मेरे चूचों को दबाना शुरू कर दिया.

मैंने भी पीछे से हाथ ले जाकर उसकी जीन्स को टटोलते हुए उसकी पैंट के अन्दर हाथ डाला तो मैंने पाया कि उसने पैंटी भी नहीं पहनी हुई थी.
मैंने पूछा- क्यों री? तूने पैंटी क्यों नहीं पहनी है?
वो बोली- बस, आज मेरा मन ऐसे ही रहने को कर रहा था. इसलिए मैं नहीं पहन कर आई.
मैंने कहा- तू तो मेरे जैसी हो गई है बिल्कुल।
वो बोली- तुमने भी नहीं पहनी हुई है क्या?
मैं बोली- तू खुद देख ले.

उसके बाद दिव्या ने भी मेरी पैंट में हाथ डालकर देखा तो मैंने भी पैंटी नहीं पहनी हुई थी. वो मेरी चूत पर हाथ फिराने लगी.

उसका हाथ लगने के कारण मैं सीत्कार करने लगी. मैंने अपने भाई को अपनी बांहों में जकड़ लिया क्योंकि मेरा मन लंड लेने के लिए करने लगा था.

उधर भाई भी अपना नियंत्रण खोने लगे थे. उनका लंड पूरे जोश में आकर बुरी तरह से झटके दे रहा था. इधर दिव्या की रफ्तार मेरी चूत पर बढ़ती ही जा रही थी. वो मेरी चूत में उंगली पर उंगली किये जा रही थी. मैं बेकाबू सी होने लगी थी.

अब मुझसे बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था. हमें ड्राइव करते हुए दोपहर के एक बजे का वक्त हो चला था. सारा इलाका सुनसान सा हो गया था. मैंने भाई से रोकने के लिए कहा क्योंकि मैं मूतना चाह रही थी.

भाई ने एक जगह देख कर बाइक को साइड में रोक दिया. पूरा रोड सुनसान था और हर तरफ खेत ही खेत दिखाई पड़ रहे थे. हम तीनों ही उतर कर एक खेत के अंदर जाने लगे. हम चारों तरफ देख रहे थे मगर कहीं कोई नजर नहीं आ रहा था.

कुछ दूर जाकर हम तीनों एक खेत में मूतने लगे. मैं और दिव्या जीन्स खोल कर बैठ गई और भाई ने भी अपनी पैंट की जिप खोल ली और हमारे साथ ही नीचे बैठ कर मूतने लगे. मैंने भाई के लंड को पकड़ कर खींच दिया.

मैंने जैसे ही भाई के लंड को हाथ में पकड़ा तो भाई एकदम से जैसे तड़प गये. फिर मूतने के बाद जब मैं उठने लगी और मैंने बटन लगाना शुरू किया तो भाई ने अपनी जीन्स से लंड को निकाला और झट से मेरी जीन्स को नीचे करते हुए मेरी चूत में लंड को पेल दिया.

भाई ने मुझे वहीं बीच खेत में चोदना शुरू कर दिया.

मुझे भी डर लगने लगा था कि किसी ने देख लिया तो क्या होगा. मैं भाई को मना करने लगी कि यदि कोई आ गया तो मुसीबत हो जायेगी.
तभी दिव्या कहने लगी- ये इलाका पूरा सुनसान है. यहां पर कोई नहीं आयेगा.

दिव्या की बात सुन कर भाई ने मुझे एक पेड़ से सटा दिया और मुझे जोर से चोदने लगे. मैंने भी सुनील भैया की गर्दन को पकड़ लिया और उनके लंड के मजे लेते हुए चुदने लगी.

सुनील का आधा लंड जिप के अंदर ही था इसलिए पूरा लंड मेरी चूत में नहीं जा पा रहा था. फिर भाई ने अपनी जीन्स को थोड़ा नीचे कर दिया जिससे उनका लंड पूरा मेरी चूत में अच्छी तरह से जाने लगा. अब चुदाई में और मजा आने लगा.

पास में खड़ी दिव्या ने भाई को नीचे से नंगा होकर मेरी चूत में लंड डालते हुए देखा तो वो भी अपनी जीन्स को निकाल कर अपनी चूत में उंगली करने लगी. दिव्या भी उत्तेजना में आकर तेजी से अपनी चूत में उंगली चलाते हुए पीछे से आकर मेरे भैया को अपनी बांहों में भरने लगी और उससे लिपटने लगी.

अब हमें बिल्कुल भी होश नहीं था कि हम ऐसे खुले खेत में चुदाई का खेल मजा लेकर खेल रहे हैं. कुछ देर की चुदाई के बाद मैं झड़ने के कगार पर पहुंच गई थी क्योंकि मैं ऐसी खुले में चुदाई होने के कारण बहुत ही उत्साहित हो गई थी.

अचानक ही मेरा पूरा बदन अकड़ने लगा और मैं एक सांस में ही अपने भाई के लंड पर झड़ने लगी. मैंने भाई को कस कर अपनी बांहों में जकड़ लिया. मेरी चूत का सारा पानी भाई के लंड पर गिर गया. मेरा पानी निकलने के बाद भी भाई मुझे चोदता रहा.

अब मुझे दर्द हो रहा था और मैंने दिव्या को आगे आने के लिए इशारा कर दिया. दिव्या पीछे खड़ी हुई अभी भी अपनी चूत में उंगली कर रही थी. मेरे कहने पर वो सामने की तरफ आ गयी.

मैंने भाई को पीछे धकेलते हुए उसके लंड को अपनी चूत से निकलवा दिया और दिव्या को अपने आगे कर दिया. अब दिव्या अपनी चूत मरवाने लगी. वो उछल-उछल कर भाई का लंड अपनी चूत में लेने लगी.

अब भाई और दिव्या चुदाई में मस्त हो गये. मैं दिव्या का स्टेमिना देख कर हैरान हो रही थी कि वो लड़की एक मिनट भी सांस नहीं ले रही थी और लगातार मेरे भाई का मूसल लंड अपनी चूत में लेने में लगी हुई थी. वो दोनों अपनी चुदाई में इतने मस्त थे कि उनको कुछ होश नहीं था कि आस-पास कोई आ भी सकता है.

वैसे मुझे भी उन दोनों की चुदाई को देख कर मजा आने लगा. अब दिव्या ने भाई को पेड़ से सटा दिया और खुद ही अपनी चूत को भाई के लंड पर फेंकने लगी. वो अपनी मोटी सी गांड को हिला-हिलाकर भाई का लंड लेने में लगी हुई थी. भाई भी मजे से उसके सामने खड़े हुए थे और दिव्या की चूत अपने आप ही उसके लंड पर आकर घुस रही थी.

उसके बाद भाई नीचे ही बैठ गये और दिव्या ने उसको नीचे लेटा कर उसके लंड पर उछलना शुरू कर दिया. वो उसके लंड पर कूदते हुए खूब जोर-जोर से अपनी चूत में उसके लंड के धक्के लेने लगी. उन दोनों को देख कर मैं फिर से गर्म होने लगी.

मगर मैं आस-पास ध्यान भी रख रही थी कि कहीं कोई हमें ऐसे खुले में चुदाई करते हुए देख न रहा हो. दिव्या के मुंह से अब जोर-जोर की सिसकारियां निकलने लगी थीं ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… अम्म … मा …’ करते हुए भाई के लंड को अपनी चूत में घुसवा रही थी.

भाई अचानक कहने लगा- मेरा निकलने वाला है.
दिव्या बोली- रुको, थोड़ी देर और करते रहो. बहुत मजा आ रहा है.

दिव्या भाई के ऊपर से हटने के लिए तैयार ही नहीं थी. इतनी चुदक्कड़ लड़की मैंने पहली बार देखी थी. फिर दो मिनट तक किसी तरह भाई ने अपने वीर्य को कंट्रोल में रखा और दिव्या जोर-जोर से आवाजें करती हुई झड़ने लगी तो भाई के मुंह से भी आवाजें निकल पड़ीं. दोनों ने ही अपना पानी निकाल दिया.

सुनील भैया की सांसें तेजी के साथ चल रही थीं. ऐसा ही हाल दिव्या का भी हो गया था. सुनील ने हांफते हुए दिव्या को अपने लंड के ऊपर से उठने के लिए कहा.

भैया का पूरा बदन पसीने से भीग गया था और उसके लंड पर दिव्या और सुनील के लंड से निकला हुआ वीर्य धूप में अलग से ही चमक रहा था. जब दिव्या भाई के लंड के ऊपर से उठने लगी तो उसकी चूत से वीर्य निकल कर उसकी जांघों पर बह रहा था.

उसको ठीक से उठने में भी परेशानी हो रही थी. मैंने दिव्या को भाई के ऊपर से अपने हाथों का सहारा देकर उठाया और उन दोनों को पीने के लिए पानी दिया. हम तीनों की ही हालत खराब हो गयी थी. हमारी इतनी हिम्मत भी नहीं हो रही थी कि हम लोग अपनी बाइक के पास चले जायें.

कुछ देर हम वहीं पर बैठे रहे. हमने उठ कर अपने कपड़ों को ठीक किया और आस-पास ध्यान से देखा कि कोई हमें देख तो नहीं रहा था. जब सब कुछ ठीक लगा तो उसके बाद हम उठ कर अपनी बाइक के पास पहुंचे और फिर गंगरेल डैम के लिए निकल गये. हम तीनों ने बीच रास्ते में ही चुदाई कर ली थी.


हम लोगों ने मेन रोड पर पहुंच कर कुछ देर तक आराम किया और फिर हम लोग गंगरेल डैम के लिए निकल पड़े. रास्ते में हम लोगों ने सफर का खूब मजा लिया. अब तक हमारा जोश फिर से वापस आ गया था.

डैम पर पहुंचने में हम लोगों को आधे घंटे का समय लगा. वहां पर एक गार्डन था तो हम वहां पर आराम करने लगे. कुछ देर आराम करते हुए हम बातें में मशगूल रहे.

फिर मैंने दिव्या और भैया से कहा कि मेरे पास उन दोनों के लिए एक सरप्राइज़ है.
वो दोनों मेरी तरफ हैरानी से देखते हुए बोले- अब और कौन सा सरप्राइज़ रह गया है?
मैंने कहा- उसके लिए तुम दोनों को पहले अपनी आंखें बंद करनी होंगी.
मेरे कहने पर उन दोनों ने अपनी आंखें बंद कर लीं.

उन दोनों के आंखें बंद कर लेने के बाद मैंने अपने बैग से बीयर की बोतलें निकाल लीं और उन दोनों को आंखें खोलने के लिए कहा.
जैसे ही उन दोनों ने बोतलें देखीं तो वो मेरी तरफ देख कर मुस्कराने लगे.
भैया बोले- तू तो बहुत ही चालबाज है जैस्मिन. यहां पर भी मस्ती के लिए पूरा इंतजाम करके ले आई है.

इतने में ही दिव्या ने भी अपने बैग से बोतल निकालते हुए हम दोनों को दिखाई. इस पर हम तीनों ही हंस पड़े. हमने पीने के लिए एक बोतल खोल ली और उसी में से पीने लगे. एक बोतल में से हमने एक-एक पैग बना लिया और पीने लगे. दूसरी बोतल को हमने कुछ देर बाद पीने के लिए ऐसे ही रख दिया.

फिर हम लोग खाना खाने लगे. उसके बाद साथ में बैठ कर गेम भी खेलने लगे. कुछ देर गेम खेलने के बाद फिर हमने डैम की ओर जाने का फैसला किया. उस समय डैम खुला हुआ था. सब तरफ पानी ही पानी दिखाई दे रहा था.

पानी में उतरने के बाद हम तीनों ही एक दूसरे के साथ खेलने लगे. पानी में उतर कर हम लोग पूरा मजा ले रहे थे. मैंने इतने में ही भाई को पकड़ लिया और दिव्या ने भैया को पूरा का पूरा पानी में भिगो दिया. भैया ऊपर से नीचे तक पानी में नहा गये. यह सब देखने में काफी रोमांचक लग रहा था.

वहां पर मस्ती करने के बाद फिर हम लोग गार्डन की तरफ वापस आ गये. गार्डन में एक जगह पर काफी झाड़ियां थीं और हमने उसी तरफ जाने का फैसला किया क्योंकि वहां पर काफी सुनसान सा एरिया नजर आ रहा था. सब जगह पत्थर ही पत्थर दिखाई दे रहे थे.

मैं अपने भैया के आगे आगे चल रही थी और इसी बीच भैया के मन में पता नहीं क्या आया कि उसने मुझे पीछे से पकड़ लिया. मैं भैया को मना करने लगी लेकिन तब तक भैया का लंड खड़ा हो चुका था और मेरी गांड की दरार में चुभना शुरू हो गया था.

भैया से मैंने कहा- थोड़ा अंदर की तरफ जाने दो उसके बाद जो करना है कर लेना, क्योंकि यहां पर कोई देख लेगा.
मगर भैया जिद करने लगे, कहने लगे- मेरे खड़े हुए लंड को यहीं पर चूसो, मेरा बहुत मन करने लगा है.

बीच रास्ते में ही मैंने भैया के लंड को उनकी पैंट की जिप खोल कर बाहर निकाल लिया और उसको मुंह में लेकर चूसने लगी. मैं भैया का लंड चूस रही थी और वो दोनों आपस में किस करने लगे.

दो मिनट ही हुए थे कि भैया ने मेरे मुंह से लंड को निकाल दिया और दिव्या को झुकाने लगे. दिव्या वहीं पर झुक गई. उसने नीचे से पैंटी नहीं पहनी हुई थी. इसलिए दिव्या की जीन्स उतारते ही उसकी चूत दिखने लगी.

भैया ने दिव्या की चूत में लंड पेलना शुरू कर दिया और वहीं पर उसकी चूत को चोदने लगे. वो पीछे से उसकी चूत में लंड को पेलने लगे. अब मैंने भाई को और ज्यादा उत्तेजित करने के लिए उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया.

अब भैया ने मेरी जीन्स के अंदर हाथ डाल दिया. मैंने भी अंदर से पैंटी नहीं पहनी हुई थी. भैया का हाथ मेरी चूत को सहलाने लगा. हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे. भैया का लंड खूब जोर से दिव्या की चूत चोदने में लगा हुआ था.

चुदाई में हम लोग पूरी तरह खो गए थे. अचानक झाड़ियों से हमें किसी के आने की आवाज सुनाई दी. हम लोगों ने तुरंत अपने कपड़े ठीक करने शुरू कर दिये और दुरुस्त होकर वहां से चल दिये.

फिर हम लोग बोटिंग साइट पर चले गये. भाई ने बोटिंग करने का प्लान किया. दिव्या भी बोटिंग को लेकर खूब उत्साहित थी. भाई ने तीनों के लिये टिकट करवा लिये.

सबसे पहले हम सभी एक साथ बड़ी वाली मोटर में बैठे. हम तीनों उस समय काफ़ी मस्ती कर रहे थे और पानी का भी खूब मज़ा ले रहे थे.

उसके बाद भाई ने हम तीनों के लिये अलग-अलग मोटर बाइक वाला टिकट किया क्योंकि और भी बहुत लोगों को उसमें एन्जॉय करते देखने से हम लोग भी काफ़ी उत्साहित हो गये थे.

सबसे पहले भाई गए. उन्हें देख कर हमें खूब मज़ा आ रहा था. बाइक वाली बोटिंग में वो हीरो जैसे दिखाई दे रहे थे.

दिव्या भी भाई को देख रही थी. उसकी आधी चुदाई से उसकी चूत अभी भी प्यासी ही थी. उसने अपनी चूत को मसलते हुए कहा- मेरी चूत में खुजली हो रही है, मैं क्या करूं?
मैंने उससे कहा- अभी तो भाई बोट पर हैं और उनको देख कर ही तेरी चूत में फिर से खुजली होने लगी है. मगर जब तक वो वापस नहीं आ जाते तब को तेरी चूत को लंड नहीं मिलेगा.

मेरे समझाने पर दिव्या ने किसी तरह खुद को कंट्रोल किया. अब भाई वापस आ गये थे. अब दिव्या और मेरी बारी थी. हम दोनों अलग अलग मोटर बोट में बैठ गईं.

जैसे ही मैं मोटर वाली बोट में बैठी उसमें एक लड़का जो पीछे ड्राइव करने वाला था, उसने मुझे थोड़ा पकड़ने की कोशिश की. मैंने अपना हाथ दे दिया ताकि बोट में बैठते हुए सन्तुलन बना रहे.

फिर बोट को स्टार्ट कर दिया उसने और वो बाइक चला रहा था. मैं सामने बैठी हुई बोटिंग का मज़ा लेने लगी. धीरे धीरे वो लड़का मेरे करीब आ गया और मेरे बदन से चिपकने की कोशिश करने लगा. वो मेरे बदन पर पानी फेंक रहा था.

कभी पानी की बूंदें मेरे चेहरे पर फेंक रहा था. मोटर बोट की स्पीड काफी तेज थी और मेरे बाल उड़ कर उसके चेहरे पर लग रहे थे. उसने मेरे बालों को पकड़ कर सामने किया और मोटर बोट को अच्छे से चलाने लगा.

अब वो मेरे बदन से बिल्कुल ही चिपक गया था और उसकी कोहनी मेरे बूब्स को टच कर रही थी. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं इस राइड का मजा लूं या जो हरकत वो लड़का मेरे बदन के साथ कर रहा था उस पर ध्यान दूं.

मगर फिर भी मैं जैसे तैसे करके मोटर बोटिंग का लुत्फ उठाने में लगी हुई थी. मैं सच में बहुत इन्जॉय कर रही थी. मैंने महसूस किया कि उसका लंड उसकी पैंट में तन चुका था.

चूंकि मैंने नीचे से पैंटी नहीं पहनी थी तो उसका लंड मुझे अपनी गांड की दरार में लगता हुआ महसूस हो रहा था. उसका लंड तन कर सख्त हो चुका था. शायद उसको भी अहसास हो गया था कि मैंने नीचे से पैंटी नहीं पहनी है.

वो मेरी इसी बात का फायदा उठा रहा था. कुछ ही देर में मोटर बाइक नदी के किनारे से काफी दूर आ गई थी. मुझे इसके बारे में तब पता चला जब मैंने पीछे मुड़ कर देखा. अब तक मैं अपनी ही मस्ती में थी.

वहां पहुंचने के बाद दूर दूर तक कुछ दिखाई नहीं दे रहा था. चारों तरफ केवल पानी ही पानी था. अब उसने बोट की रफ्तार भी कम कर दी थी. मुझे उसकी नीयत पर कुछ शक हुआ तो मैंने उससे कहा कि अब बोट को वापस ले चले.

मगर वो मेरी बात पर कहने लगा- मुझे सब पता है कि तू यहां पर क्या करने के लिए आई है. मुझे ये भी पता है कि मेरा लंड तुझे तेरी गांड पर अच्छे से महसूस हो रहा है. लेकिन फिर भी तू आराम से मजा ले रही है.

मैंने उस लड़के से कहा- ये आप क्या बकवास बातें कर रहे हो!
इतना कहते ही उसने मेरे बूब्स को दबाना शुरू कर दिया.

मुझे पता नहीं क्या हुआ कि मेरे मुंह से विरोध की जगह कामुक सिसकारियां निकलने लगीं- आह्ह …अम्म … ओह्ह … भैया … ये क्या कर रहो हो, ओह्ह … ऐसे मत करो.
मगर वो मेरी बात पर ध्यान न देते हुए मेरी चूचियों को दबाने में लग गया और मेरी चूचियों के निप्पल भी खड़े हो गये.

फिर उसने अपनी लोअर को नीचे कर दिया. उसने नीचे से कुछ भी नहीं पहना हुआ था. उसने मेरी चूचियों को किस करते हुए अपने लंड को सहलाना शुरू कर दिया.

मैं उठ गई तो उसने मेरी जीन्स को भी नीचे कर दिया. अब वो एकदम से अपने खड़े लंड के साथ मेरी गांड के पीछे वाले हिस्से की तरफ आ गया. मेरी गांड पर लंड को लगाने लगा. मुझे मजा आने लगा.

मैं भी गांड चुदाई की भूखी थी इसलिए मैंने अपनी गांड के छेद को फैला दिया और उसके लंड पर बैठ गई. उसका लंड मेरी गांड में चला गया.

फिर वो जोर से सिसकारियां लेते हुए मेरी गांड में लंड को धकेलने लगा. आह्ह … इस्स … ओह्हह साली चुदक्कड़. तुझे देखते ही मैं समझ गया था कि तू कितनी चालू आइटम है. इस तरह से वो मेरी गांड को चोदने लगा.

उसका खड़ा हुआ लंड मेरी गांड में जा रहा था तो मुझे अपनी गांड में कसावट महसूस होने लगी थी. उसका लंड बहुत सख्त था.

अब मैं भी उसके लंड पर कूदने लगी. आह्ह … और डालो, मजा आ रहा है. उफ्फ … पूरा डालो मेरी गांड में. बहुत मजा आ रहा है. इस तरह से कहते हुए मैं उसके लंड से गांड को चुदवाने लगी.

वो बोला- साली तू कौन है, इससे पहले मैंने इतने सेक्सी अंदाज में किसी लड़की की गांड नहीं चोदी है.
मुझे कुछ होश नहीं था कि क्या हो रहा है. मैं उसके लंड पर कूद रही थी और नदी के बीचों बीच हम सेक्स का मजा ले रहे थे. मैंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसे नदी के बीच में मेरी गांड की चुदाई होगी.

अब मैं और जोर से उसके लंड पर अपनी गांड को धकेलने लगी और उसके साथ ही अपने बूब्स को भी दबाने लगी. उम्म्ह… अहह… हय… याह… और तेजी से … उफ्फ बहुत मजा आ रहा है, ऐसे कहते हुए मैं उस गैर मर्द से अपनी गांड को चुदवा रही थी.

वो भी पूरे जोश में मेरी गांड को चोद रहा था. अचानक ही वो जोर से चीखते हुए मेरे चूचों को कस कर दबाने लगा और उसका पानी मेरी गांड में ही गिरने लगा.

अपनी गांड में मैं उसका पानी महसूस कर पा रही थी. मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था. उसके बाद उसने अपनी लोअर को ऊपर कर लिया और मैंने भी अपनी जीन्स को ऊपर कर लिया.

उसके बाद काफी देर तक वो मुझे मोटर बोट में वहीं पर अच्छे से सैर करवाने लगा और मेरे बदन से एकदम से चिपक कर बोट को चला रहा था. वो मेरे बदन से एकदम चिपका हुआ था. मुझे भी मजा आ रहा था और मैं भी इन्जॉय कर रही थी.

थोड़ी देर के बाद हम वापस आ गये. अब तक दिव्या भी लौट आई थी और वो दोनों मेरी राह देख रहे थे. मैं नदी के किनारे पर पहुंच गई जहां पर भाई और दिव्या मेरा इंतजार कर रहे थे. जब मैं बोट से उतरने लगी तो उसने मेरी गांड को सहला दिया. मैं अंदर ही अंदर मुस्कराने लगी.

दिव्या बोली- तुझे इतना टाइम कैसे लग गया? मैं तो कब से यहां पर पहुंच गई हूं.
मैं बोली- वो लड़का बातों ही बातों में मुझे काफी दूर तक ले गया था. इसलिए आने में देर हो गई.

फिर दिव्या ने बताया कि जिस बोट पर वो गई थी उस बोट वाला लड़का भी उसके साथ गंदी हरकत कर रहा था. मगर दिव्या ने कुछ इन्जॉय नहीं किया और वो ऐसे ही बिना मजे लिए ही लौट आई थी


बोट चलाने वाले लड़के ने अपना लंड मेरी गांड में लगा कर मुझे गर्म कर दिया. मेरे अंदर भी गांड चुदवाने की प्यास जाग उठी और मैंने उसके सामने बोट में ही अपनी जीन्स को नीचे कर दिया.

उसने चलती हुई बोट में ही मेरी गांड चोद दी. जब मैं वापस आई तो बोट से उतरते हुए भी उसने मेरी गांड को मसल दिया. मैं उसकी इस हरकत पर मुस्करा दी.

दिव्या ने भी बताया कि उसकी बोट पर जो लड़का था वो भी उसके साथ मस्ती करना चाह रहा था मगर दिव्या ने कुछ नहीं किया.
जब हम तीनों वापस आ गये तो कुछ समय तक तो मैं नदी के बीच में अपनी गांड चुदवाने के ख्यालों में ही खोई रही.

बार-बार मेरे मन में उस लड़के के लंड पर कूदने के ख्याल आ रहे थे. मैं उसी के बारे में सोचती रही. मेरी गांड चुदाई के बारे में सोच सोच कर मेरी चूत से कामरस निकलने लगा था.

इधर दिव्या की चूत में भी खुजली हो रही थी. उसकी चूत की चुदाई भी अधूरी ही थी. साथ ही भाई का लंड भी उसकी पैंट में तना हुआ दिखाई दे रहा था.

अब हम तीनों को ही एक फाइनल राउंड करने की सख्त जरूरत थी. मगर दिमाग में कुछ नया विचार नहीं आ रहा था कि ज्यादा से ज्यादा मजा कैसे लिया जाये.

मेरे पास बीयर की एक बोतल बची हुई थी. हमने बीयर पीने का प्लान किया और सोचा कि शायद बीयर पीने के बाद ही कुछ दिमाग में आये. यही सोच कर भाई पास की एक दुकान से जाकर चखना लेकर आये.

हम लोग वहीं रेत में लगी हुई टेबल पर बैठ गये और बीयर पीने लगे. उस वक्त तक सभी लोग जा चुके थे क्योंकि शाम होने ही वाली थी. हमें डिस्टर्ब करने वाला वहां पर कोई नजर नहीं आ रहा था.

बातों ही बातों में मैंने भाई के सामने ही उस बोटिंग ड्राइवर से गांड मरवाने वाली बात बता दी. अब तो मेरी बात सुनकर दिव्या को भी अफसोस होने लगा था कि काश वो भी अपने वाली बोट पर ड्राइवर के साथ कुछ मजा कर लेती.

दिव्या कहने लगी कि मेरी चूत में तो खुजली हो रही है.
मैंने दिव्या की चूत में हाथ लगा कर देखा तो वो सच में गीली हो रही थी.
भाई बोला- तुम लोग तो एकदम रंडी हो चुकी हो.

मैंने कहा- अगर हम ऐसे ही एक दूसरे के साथ चिपक कर कुछ करेंगे तो किसी को कुछ पता नहीं चलेगा.
भाई बोला- मेरा लंड भी मेरी पैंट को फाड़ कर बाहर आने के लिए तड़प रहा है.
उसकी बात सुन कर मैं और दिव्या हंसने लगे.

भाई को गुस्सा आ गया और वो पैग बना कर पीने लगा. उसने एकदम से सारा पैग गटक लिया और नशे में हो गया. जिस टेबल पर हम बैठे हुए थे वो उससे नीचे गिर गया और उसका लंड उसकी पैंट में एकदम रॉड की तरह तना हुआ दिखाई दे रहा था.

अब भाई ने अपनी पैंट की जिप खोल कर अपने लंड को बाहर निकाल लिया. उसका लंड एकदम से टाइट था और उसके लंड की नसें साफ दिखाई दे रही थीं.
भैया का लंड देख कर दिव्या भी बेकाबू सी होने लगी और उसके पास जाकर उसके लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी.

इधर भाई के मुंह से सीत्कार निकलने लगे. आह्ह ..आह्स्स .. श्शआ आह्ह… करते हुए वो दिव्या से अपने लंड को चुसवाने लगा.
अब मुझसे भी रहा न गया और मैंने नीचे से दिव्या की जीन्स को निकाल दिया और उसकी चूत में मुंह देकर उसको चूसने लगी.

दिव्या भाई का लंड चूस रही थी और मैं उसकी चिकनी चूत को चाट रही थी. इधर भाई ने भी अपनी पैंट को निकाल दिया था. दिव्या ने पैंट निकलवाने में भाई की मदद की और अब भाई नीचे से पूरा नंगा हो गया था.

हम लोग अपनी मस्ती में लगे हुए थे कि तभी पीछे से तीन लड़के आ गये. उनमें से एक लड़का वही था जिसने बोट पर मेरी गांड की चुदाई की थी. मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो उसने हमारे कपड़े भी छिपा दिये थे.

उनको देख कर मैं और दिव्या उठ कर अपने कपड़े ढूंढने लगे और भाई अभी भी नंगा का नंगा वहीं पर बेसुध सा पड़ा हुआ था.

हम दोनों कपड़े ढूंढने में लगी हुई थी कि वो तीनों लड़के हंसने लगे. मैंने उस लड़के को गाली देते हुए कहा कि मादरचोद बोट पर तो तेरे लंड की प्यास बुझाई थी. अब हमारे कपड़े क्यों छिपा दिये तूने?

वो बोला- मैं तो तेरी चूत भी चोदना चाह रहा था लेकिन तू उस वक्त नखरे कर रही थी. अब अपने कपड़े मत ढूंढ क्योंकि तुमको कपड़े अभी नहीं मिलने वाले हैं. साली रंडी, तू तो बड़ी मस्ती से इस लड़के के लंड के साथ खेल रही है.

तभी वो लड़का फोन में हमारा वीडियो बनाने लगा. हम दोनों नंगी थी. हमने सोचा कि अगर इसने यह वीडियो इंटरनेट पर डाल दिया तो बहुत बदनामी होगी. इसलिए हम दोनों उनके सामने थोड़े नरमाई से पेश आने लगी.

मैंने कहा- भैया कपड़े दे दो. हम यहां से चले जायेंगे.
तभी दिव्या ने मेरे कान में कहा- साली पागल हो गई है क्या, मेरी चूत यहां तड़प रही है तू इनको जाने के लिए कह रही है!

तभी उन लड़कों में से जो दिव्या के साथ था वो दिव्या को गोद में उठा कर दूर चला गया. उसने वहां ले जाकर दिव्या को रेत में पटक दिया. दूसरा भी उसके साथ ही चला गया.

वो दोनों दिव्या के बचे हुए कपड़े भी उतारने लगे. उसको पूरी नंगी कर दिया. फिर वो दोनों दिव्या से लिपटने लगे.

यह देख कर तीसरा लड़का, जो मेरी बोट पर था वो मेरे पास आया और उसने मेरे कान में कहा- अगर तेरी गांड इतनी मस्त है तो तेरी चूत तो बिल्कुल जबरदस्त होगी.

यह कहकर उसने अपनी पैंट को खोलना शुरू कर दिया. उधर पास में ही दिव्या को वो दोनों लड़के बुरी तरह से चूस रहे थे. एक उसके चूचों को दबा रहा था तो दूसरा उसकी चूत तो चूस रहा था.

दिव्या भी मदहोश सी होकर अपनी चूत को चटवा रही थी. यह देख कर मेरा मन भी लंड लेने के लिए करने लगा और मैंने उस लड़के के लंड को पकड़ लिया और अपने मुंह में लेकर उसको चूसने लगी.

उसके लंड का टेस्ट मुझे कुछ ज्यादा नमकीन और स्वादिष्ट लग रहा था. इधर मैंने भाई का लंड भी अपने हाथ में पकड़ा हुआ था क्योंकि भाई अभी आधे होश में थे और उनके कहने पर ही हम दोनों उन लड़कों के साथ चुदने के लिए तैयार हुई थीं.

भाई ने पीछे से मेरी चूत को सहलाना शुरू कर दिया और मैं तेजी के साथ उस लड़के के लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी. फिर वो लड़का भी बेकाबू सा हो गया और मुझे खड़ी कर दिया और एकदम से अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया.

मेरे मुंह से जोर की चीख सी निकल गई. उसने लंड को एकदम से घुसा दिया था. मेरी चूत में दर्द होने लगा. मेरी चीख को सुन कर भाई भी उठ गये और उन्होंने पीछे से मेरी गांड में थूक दिया.

भाई का लंड भी पूरा तना हुआ था. उसने मेरी गांड में अपना लंड पेल दिया. अब मेरी चूत में आगे से उस अजनबी लड़के का लंड घुस चुका था और पीछे से मेरी गांड में भाई का लंड घुस चुका था. दो दो लंड लेकर मुझे अलग ही मजा सा आने लगा.

वो दोनों मिल कर एक साथ मेरी चूत और गांड को चोदने लगे और मेरे मुंह से कामुक सिसकारियां निकलने लगीं. इधर दिव्या को भी उन दो लड़कों ने चूस चूस कर पूरी तरह से लाल कर दिया था.

दिव्या ने मेरी तरफ देख कर उन लड़कों से कहा- मुझे भी ऐसे ही चुदना है.
वो बोले- हां, साली रंडी, पता है कि तेरी चूत बहुत प्यासी है.
इतना बोल कर वो दोनों जल्दी से नंगे हो गये.

एक ने दिव्या को घोड़ी बना दिया और पीछे से उसकी गांड में लंड को रगड़ने लगा और दूसरे ने आगे से उसके मुंह में लंड को दे दिया और उसके मुंह को चोदने लगा.

अब दिव्या की गांड पीछे से चुद रही थी और आगे से उसका मुंह भी चोदा जा रहा था. इधर भाई और वो लड़का मेरा हाल बेहाल कर रहे थे. मैं कई बार झड़ चुकी थी. मुझे कुछ होश नहीं था.

मैंने देखा कि सामने दिव्या को भी उन्होंने खड़ी कर दिया था. अब वो दोनों आगे और पीछे से दिव्या को चोदने लगे. खुले आसमान के नीचे हम दोनों दोस्त नंगी होकर नदी किनारे ऐसे चुद रही थी कि जैसे कोई ब्लू फिल्म चल रही हो.

ग्रुप सेक्स में इतना मजा आता है मैंने कभी नहीं सोचा था. मेरे भाई और उस लड़के ने चोद चोद कर मुझे पूरी तरह से हिला दिया था. अब वो दोनों जोर से चीखते हुए मुझे चोद रहे थे. मैं समझ गई थी कि उन दोनों का पानी निकलने वाला है.

यह देख कर मैं एकदम से नीचे बैठ गयी और उन दोनों का लंड हाथ में ले लिया. वो दोनों अपने अपने लंड को मेरे मुंह के सामने हिलाने लगे. कुछ ही पल के बाद उन दोनों के लौड़ों से वीर्य मेरे मुंह पर गिरने लगा और मैं उसको पीने लगी.

उन दोनों के लंड को मैंने चाट-चाट कर साफ कर दिया. फिर भाई और वो लड़का वहीं पर रेत में निढाल होकर गिर गये और लेट गये. अब मैं भी उन दोनों के बीच में जाकर लेट गयी और दिव्या की चुदाई देखने लगी.

दिव्या उछल-उछल कर अपनी चूत और गांड में लंड को ले रही थी. अब भाई और वो तीसरा लड़का भी उन तीनों की चुदाई को देखने लगे. दिव्या की चूत से बहता हुआ पानी साफ दिख रहा था. हम तीनों दिव्या की हालत को देख कर खुश हो रहे थे.

कुछ देर के बाद उन दोनों ने दिव्या की चूत और गांड में अपने लंड की स्पीड बढ़ा दी और उन दोनों ने ही अपना वीर्य उसके अंदर छोड़ दिया. दिव्या की चूत और गांड उन दोनों के वीर्य से भर गई.

उसके बाद हम सब साथ में मिल कर बैठ कर बातें करने लगे. हमने उन तीनों लड़कों से फिर से मिलने का वादा किया और वो फिर से हमारी चुदाई की बात कहने लगे.

उसके बाद दिव्या और मैंने नदी के किनारे पर जाकर अपने आप को साफ किया. वापस आकर हमने उन लड़कों से अपने कपड़े वापस ले लिये और उन्होंने फोन में जो वीडियो बनाया था उसको भी डिलीट करवा दिया.

फिर वो तीनों चले गये. हमने उनका नम्बर ले लिया था. इस वक्त तक अंधेरा भी काफी हो गया था. उसके बाद हम तीनों भी वहां से निकल लिये और अपने घर की तरफ चल पड़े.

उन तीनों के साथ ही भाई ने मेरी गांड भी चोद दी. इस दौरान मैं कई बार झड़ गई थी. फिर दिव्या और मैंने नदी के पानी में ही अपनी चूत को साफ किया और फिर हम तीनों ने उन लड़कों को फिर से मिलने का वादा किया और उसके बाद हम लोग अपने घर की ओर आ गये.

रात के 9 बजे तक हम लोग घर आ गये थे. उस दिन मेरी हालत बहुत खराब हो गई थी. मैं इससे ज्यादा चुदाई करवाने की हालत में नहीं थी क्योंकि मेरी चूत और गांड दोनों ही सूज गई थी.

कई दिनों तक मैंने अपनी चूत और गांड की सिकाई की तब जाकर मुझे आराम मिलने लगा. अब मेरी चूत और गांड दोनों ही पहले वाली पोजीशन में आ रही थी.

मैंने आप लोगों को अपने परिवार के बारे में बताया था कि मेरा परिवार ज्यादा बड़ा नहीं है. मेरे परिवार में मेरे अलावा भाई, मां और पापा ही हैं.
मां ज्यादातर मेरी नानी के यहां चली जाती है. घर में मैं, भाई और पापा ही रहते हैं.

उस दिन मैंने भाई को बोल दिया था कि अब और ज्यादा चुदाई नहीं करेंगे तो भाई ने भी मेरी बात मान ली और वो अब केवल पढ़ाई में ध्यान दे रहे थे.

तीज का त्यौहार था और उस दिन मेरी मां नानी के घर पर गई हुई थी. मेरी मां तीज मनाने के लिए वहीं पर जाती थी. घर में भाई और मैं ही थे. हमने रात का खाना भी खा लिया था मगर अभी तक पापा नहीं आये थे.

पापा के आने के बाद मैं उनके लिए गर्म खाना बनाती थी. हम दोनों ने खाना खा लिया और अब मैं रसोई में पापा के लिए खाना बना रही थी. उस दिन मौसम भी काफी खराब था. रात में बिजली कड़कने लगी थी और थोड़ी ही देर के बाद बारिश भी शुरू हो गई थी.

मैंने जल्दी से खाना बना दिया और फिर मैं वहीं अपने रूम में जाकर अपनी चूत और गांड की सिकाई करने लगी. अभी थोड़ी सूजन बाकी थी.
मैं सिकाई कर ही रही थी कि अचानक से मेन डोर की बेल बजी और मैं जल्दी से अपनी लोअर को ऊपर करके दरवाजा खोलने के लिए चली.

जाते हुए मैंने देखा कि भाई गहरी नींद में सो चुके थे. मैंने जैसे ही दरवाजा खोला तो पापा सामने खड़े थे. मगर वो बिल्कुल होश में नहीं लग रहे थे. उन्होंने उस दिन कुछ ज्यादा ही दारू पी रखी थी.

दरवाजा खोलते ही वो मेरे ऊपर आकर गिरने लगे तो मैंने उनको संभाला और फिर उनको अंधर करके दरवाजा बंद कर दिया. बाहर जोर से बारिश हो रही थी और मुझे थोड़ा डर भी लग रहा था.

मैंने देखा कि पापा पूरे के पूरे ऊपर से नीचे तक गीले हो चुके थे. मैं उनको उठा कर चेयर पर बिठाने लगी मगर वो मेरे ऊपर ही गिर गये. उनके हाथ मेरी चूचियों पर आ गये.

पापा ने मेरी चूचियों को पकड़ लिया और गिरते-संभलते हुए मैं उनको कमरे की तरफ लेकर जाने लगी. वो मेरे बदन के साथ सटे हुए थे. मैं उनको उनके कमरे की तरफ लेकर जा रही थी. मुझे यह भी ध्यान नहीं था कि उनके हाथ मेरी चूचियों पर थे.

कमरे में ले जाकर मैंने उनको बेड पर लिटा दिया. उनके कपड़े पूरे गीले थे तो मैंने सोचा कि ऐसे तो पापा की तबियत खराब हो जायेगी. मैंने पापा की शर्ट के बटन खोलना शुरू कर दिये.

पापा ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया. वो बहुत नशे में थे. उनको कुछ पता नहीं था कि वो क्या कर रहे हैं. मैंने उनका हाथ छुड़ाया और फिर से उनकी शर्ट को उतारने लगी.

सामने से मेरा टीशर्ट भी गीला हो गया था क्योंकि पापा के कपड़ों का पानी मेरी टीशर्ट पर भी आ गया था. मैंने पापा की शर्ट को खोला ही था कि उन्होंने मुझे अपनी ओर खींच लिया और मेरे होंठों के पास अपने होंठों को ले आये. उनके मुंह से दारू की स्मैल आ रही थी. पापा की आंखें एकदम नशे में लाल थीं.

वो मेरी तरफ घूर कर देख रहे थे. फिर एकदम से उन्होंने मेरे होंठों पर अपने होंठों को रख दिया. मैंने खुद को वापस खींचने की कोशिश की मगर पापा मेरे होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगे. उनको कुछ होश नहीं था कि वो क्या कर रहे हैं.

मेरे बदन में अब करंट सा दौड़ने लगा था. कोई मर्द मुझे ऐसे किस करता था तो मुझे भी अजीब सा मजा आने लगता था. पापा ने मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया और मेरे होंठों को पीने लगे.

अब मुझे भी अच्छा लगने लगा और फिर पापा ने एकदम से मेरे टीशर्ट के अंदर मेरी चूचियों के अंदर हाथ डालकर उनको दबाना शुरू कर दिया. वो मेरे बूब्स को तेजी के साथ मसलने लगे.

मैं अभी भी उनसे अलग होने की कोशिश कर रही थी क्योंकि वो नशे में थे और मुझे पता था कि अगर मैंने उनको नहीं रोका तो फिर बात बहुत आगे तक बढ़ जायेगी. मैं उनसे छूटने की कोशिश करने लगी मगर पापा ने मेरी चूचियों को पकड़ कर जोर से उनको भींचना शुरू कर दिया.

मुझे मजा आने लगा. मगर मैं इस हालत में नहीं थी कि मैं चुदाई करवा सकूं क्योंकि अभी तक मेरी चूत और गांड की सूजन पूरी तरह से नहीं गई थी.

पापा जोर से मेरी चूचियों को मसल रहे थे और मैं सिसकारियां लेते हुए उनको रोकने की कोशिश कर रही थी. मैंने उनको समझाने की कोशिश की कि ये सब ठीक नहीं है मगर पापा मेरी बात पर ध्यान ही नहीं दे रहे थे.

उन्होंने दोनों हाथों से मेरी चूचियों को पकड़ लिया और जोर से ऐसे दबाने लगे जैसे उनका दूध निकाल देंगे दबा-दबा कर. मुझे मजा आ रहा था. मगर साथ ही डर भी लग रहा था क्योंकि चुदाई की हालत में नहीं थी मैं.

मुझे डर था कि कहीं पापा मेरी चूत को चोदने लगे और मेरी चूत फट ही न जाये. पापा ने अब मुझे अपने सीने से चिपका लिया. उन्होंने मेरे टीशर्ट को निकलवा दिया और मेरी चूचियां नंगी हो गईं. मैंने नीचे से ब्रा भी नहीं पहनी हुई थी.

मैं पापा के गीले बदन पर लेट गई थी. पापा ने मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया और मेरे होंठों पर किस करने लगे. मैं भी अब उनका साथ देने लगी. अब पापा ने एक हाथ को नीचे ले जाकर अपनी पैंट के बटन को खोलना शुरू कर दिया.

फिर अगले ही कुछ पलों में उन्होंने मेरी लोअर को भी खींच कर नीचे कर दिया. मैंने नीचे से पैंटी भी नहीं पहनी हुई थी क्योंकि पापा के आने से पहले मैं अपनी चूत की सिकाई करने में लगी हुई थी.

पापा का जोश अब सच में बढ़ता ही जा रहा था. उन्होंने धीरे से अपने पैरों को हिलाते हुए नीचे से अपनी पैंट और अंडरवियर दोनों को ही निकाल दिया था. अब वो मुझे किस करने लगे और एक हाथ से अपने लंड को भी हिला रहे थे.

उनके मुंह से दारू की स्मैल आ रही थी. मगर अब मुझे अच्छा लगने लगा था क्योंकि मेरी चूचियों के निप्पल भी अब खड़े हो गये थे. मेरी चूत पापा की गीली जांघों से टच कर रही थी.

पापा ने शर्ट भी निकाल दी थी. उनकी छाती पर जो हल्के बाल थे उन पर मेरी चूचियां टच हो रही थीं. मुझे एक अलग ही मजा सा आने लगा था. अब पापा की हर हरकत मुझे पसंद आ रही थी. अब मैं चुदने के लिए खुद ही तैयार होने लगी थी.

अब पापा ने मुझे अपने नीचे कर लिया और मुझे जोर से चूमने और काटने लगे. भले ही मेरी चूत में दर्द था मगर पापा जिस तरह से मेरे बदन के साथ खेल रहे थे मुझे बहुत मजा आ रहा था. अब उन्होंने अपने लंड को मेरी चूत की दरार के आसपास रगड़ना शुरू कर दिया. उनका लंड पूरा तन गया था.

उनको मेरी चूत में लंड डालने की काफी जल्दी लग रही थी. वो नशे में थे और जोश में हड़बड़ा रहे थे, इसलिए मेरी चूत के आसपास लंड फिसल रहा था लेकिन अंदर नहीं जा पा रहा था.

उसके बाद पापा ने मेरी चूत को अपने हाथ से टटोला और उसको अपने हाथ से सहलाने लगे. अब मुझे और मजा आने लगा. फिर पापा ने एकदम से मेरी चूत पर लंड को लगा दिया और मेरी चूत में लंड को घुसेड़ दिया.

मेरी चूत में पहले से ही दर्द था. पापा का लंड एकदम से चूत में गया तो मैं तड़प उठी ‘उम्म्ह … अहह … हय … ओह …’
मैंने उनके चंगुल से छूटने की कोशिश की मगर पापा ने मेरी चूचियों को अपने मुंह में भर लिया और मेरे निप्पलों को अपने दांतों से काटने लगे.

चूत में पापा का लंड पूरा घुस चुका था मेरे निप्पल पापा के मुंह में थे. मेरा पूरा बदन पापा के बदन के ऊपर था और हम दोनों के जिस्म गर्म हो चुके थे. मुझे अब धीरे धीरे मजा आने लगा. पापा ने अपनी गांड को ऊपर नीचे करते हुए मेरी चूत में लंड के धक्के देना शुरू कर दिया.

अब मेरी चूत को लंड लेकर मजा आने लगा. पापा ने मेरी चूचियों को छोड़ कर अब फिर से मेरे होंठों को चूसना शुरू कर दिया. पापा के हाथ मेरी गांड पर चले गये. वो मेरे होंठों को चूसते हुए नीचे से लंड के धक्के मेरी चूत में लगा रहे थे.

उनके हाथ मेरी गांड को बार-बार दबा रहे थे. मुझे बहुत मजा आने लगा था. अब मैं भी पापा के लंड की तरफ अपनी चूत को धकेलने लगी थी. मगर पापा की रफ्तार अब धीमी हो गई. वो शायद थक से गये थे. फिर वो धीरे-धीरे मेरी चूत की चुदाई करने लगे.

ऐसे ही कुछ देर तक धीमी चुदाई करने के बाद एकदम से उन्होंने दोबारा से अपने लंड की स्पीड को बढ़ा दिया. उनकी ताकत अब वापस आ गयी थी. पापा मेरी चूत की चुदाई अब तेजी के साथ करने लगे.

अब मेरे मुंह से भी सिसकारियां निकलने लगीं थी. आह्ह पापा … ओह्ह आराम से करो, मेरी चूत में दर्द हो रहा है. मगर पापा अब पूरे जोश के साथ झटके लगा रहे थे. पापा का लंड मेरी चूत में अंदर जाकर मेरी चूत की दीवारों को अंदर तक हिला रहा था. वो मेरी बात पर ध्यान नहीं दे रहे थे.

पांच मिनट के बाद ही ऐसा लगने कि अब पापा झगड़े के कगार पर पहुंच गये हैं. उन्होंने मेरी चूत में ऊपर की ओर लंड को धकेलते हुए दोनों तरफ से बेड की चादर को पकड़ लिया और एकदम से मेरी चूत में पापा के लंड से वीर्य की पिचकारी मेरी चूत में लगती हुई मुझे महसूस होने लगी.

पापा का गर्म वीर्य मेरी चूत में गिरने लगा. कई पिचकारी मेरी चूत में लगती हुई मुझे महसूस हुई. पापा पूरे निढाल होकर मेरी चूचियों के ऊपर गिर गये और काफी देर तक ऐसे ही पड़े रहे. पापा की प्यास तो बुझ गई थी लेकिन मैं अभी प्यासी ही थी.

मेरी चूत में अब पानी निकले बिना चैन नहीं आने वाला था. पापा एक तरफ बाजू में लेट गये. मैं बिन पानी मछली की तरह हो गई थी. मैं अभी पापा के लंड से और चुदना चाह रही थी. मेरी प्यास को बुझाने के लिए अब मैंने सारी शर्म छोड़ दी.

मैंने पापा के लंड को अपने हाथ में ले लिया और उनके लंड को हिलाना शुरू कर दिया. मगर पापा का लंड सो चुका था. काफी देर तक पापा के लंड को हिलाने के बाद भी वो उठता हुआ नहीं दिखा तो मैंने पापा के लंड को अपने मुंह में ले लिया और जोर से चूसने लगी.

उनके लंड को चूस चूस कर मैंने एकदम से लाल कर दिया और आखिरकार पापा का लंड टाइट हो गया. मैंने और जोर से लंड को चूसा और उसमें पूरा जोश भर दिया. जब पापा का लंड बिल्कुल कड़क हो गया तो मैंने अपनी टांगों को फैला कर पापा के लंड पर अपनी चूत को रख दिया.

पापा के लंड पर चूत को सटा कर मैं उस पर बैठती चली गई. पापा का लंड मेरी गर्म और प्यासी चूत में उतर गया. उनका लंड मेरी चूत में घुसते ही मैं उनके लंड पर कूदने लगी. कभी ऊपर नीचे हो रही थी तो कभी आगे पीछे करते हुए पापा के लंड को अपनी चूत में पूरा ले रही थी.

अब उनके मुंह से दोबारा से कामुक सिसकारियां निकलने लगी थीं. वो बस आह्ह ओह्ह आह्ह ऊह्ह … हम्म … याह्ह करते हुए मजा ले रहे थे. पापा की आंखें बंद हो गई थीं. मैंने अपनी चूचियों को दबाते हुए लंड पूरा अंदर तक घुसेड़ना शुरू कर दिया.

मेरी प्यासी चूत की खुजली में अब मजा आ रहा था. उछल-उछल कर मैं पापा के लंड को अपनी चूत में भर रही थी. साथ ही अपने हाथों से मैं अपने बूब्स को दबा रही थी. मेरे बूब्स लाल हो गये थे. कुछ देर पहले ही पापा ने मेरे बूब्स को मसला था और अब मेरे हाथ भी मेरी चूचियों को जोर से दबा रहे थे.

हम दोनों चुदाई में लीन हो गये थे. पूरे रूम में हम दोनों की सिसकारियां गूंज रही थीं. पूरे रूम से चुदाई की आवाजें आ रही थीं. अब मेरी चूत का पानी निकलने को हो गया और मैंने पापा के लंड पर चूत को जोर से फेंकना शुरू कर दिया.

कुछ ही देर के बाद मेरी चूत से पानी की धार फूट पड़ी और मेरी चूत के पानी से पापा का लंड भीगने लगा. अब मैं भी थक गई और ऐसे ही उनके लंड को चूत में रख कर उनके ऊपर ही लेट गई. ऐसे ही लेटे हुए मुझे नींद आ गयी.

रात को हम दोनों चिपक कर सोते रहे. दोनों को कुछ पता नहीं था. सुबह पांच बजे करीब मेरी आंख खुली तो मुझे थोड़ा होश आया और मैंने देखा कि पापा मेरी बगल में ही नंगे पड़े हुए थे. मैं चुपके से उठ कर अपने कपड़े उठा कर पहनने लगी. मुझे बाप बेटी की चुदाई में मजा आया था.

उसके बाद मैं धीरे से अपने रूम में चली गयी. फिर मैं फ्रेश होकर रसोई में गयी और पापा के लिए चाय बनाई. मैं चाय लेकर उनके कमरे में गयी तो पापा अभी तक वैसे ही नंगे होकर सो रहे थे. मैंने पापा के ऊपर चादर डाल दी. चाय को रख कर मैं वापस जाने लगी तो पापा उठ गये.

मुझे देख कर पापा ने आवाज लगायी. मैं उनके पास गई तो वो थोड़ा शर्मिंदा हो रहे थे.
वो बोले- जैस्मिन कल रात को मैंने नशे में तुम्हारे साथ पता नहीं क्या- क्या किया. मुझे कुछ याद नहीं है मगर जो भी हुआ उसके लिए मैं तुमसे सॉरी कह रहा हूं.

मैंने कहा- कोई बात नहीं पापा.
वो बोले- देख बेटी, तेरी मां मुझे अब उसके साथ सेक्स नहीं करने देती है. बहुत दिनों से मैंने सेक्स नहीं किया था. इसलिए कल रात नशे में मुझसे रहा नहीं गया. मैं बहक गया था.
मैंने पापा का हाथ पकड़ कर सहलाते हुए कहा- पापा कल रात में जो भी हुआ, मुझे बहुत मजा आया.

बाप बेटी की चुदाई मुझे अच्छी लगी, यह बात सुन कर पापा के चेहरे पर स्माइल आ गयी.
हम दोनों ही मुस्कराने लगे.

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