अपने बारे में बता दूँ, मैं सचिन भोपाल का रहने वाला हूं। मेरी हाइट 5 फुट 9 इंच, वजन 58 किलो होगा, ज्यादा नहीं है. पर लिंग का साइज 6.5 इंच और मोटाई 2 इंच।
मैं समय बर्बाद ना करते हुए सीधा कहानी पर आता हूं।
मुझे नहीं पता कि उस रात मैंने और मेरी गर्लफ्रेंड संगीता ने कितनी बार चुदाई की और चुदाई करके हम सो गए. सुबह उठे 9:00 बजे नींद खुली और एक बार और चुदाई की। फिर दोनों नहाये साथ में।
अब फिर से चुदाई करने की हिम्मत हम दोनों में से किसी में नहीं थी क्योंकि उसकी उसकी चूत में और मेरे लंड में बहुत जलन हो रही थी।
फिर हम दोनों ने सोचा क्या किया जाए, अभी तो सिर्फ 12:00 ही बजे हैं।
हमने फैसला किया कि आज दिन भर हम दोनों रूम पर नंगे ही रहेंगे।
हम दोनों ने नंगे ही रहकर साथ में खाना बनाया और साथ में खाना खाया।
खैर शाम के 3:00 बजे गए थे। मैंने उससे बोला कि मैं अपने रूम पर जा रहा हूं। तो उसने भी ज्यादा मुझे नहीं रोका और मुझे एक किस किया. हम दोनों नंगे जिस्म एक दूसरे से गले लगे और फिर अपने अपने कपड़े पहने और मैं अपने रूम के लिए निकल पड़ा।
पर मुझे बहुत दिक्कत हो रही थी, मेरे लिंग में बहुत जलन पड़ रही थी। अब नींद भी बहुत आ रही थी। ऐसा लग रहा था कि कब मैं अपने रूम पर पहुंच जाऊं।
4:00 बजे के आसपास मैं अपने रूम पर पहुंच गया। मैंने अपनी गाड़ी खड़ी की और अपने रूम के लिए निकला।
ऐसे मैं सीढ़ियां चढ़कर अपने रूम पर पहुंचा तो तो सामने कविता भाभी खड़ी मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी- आओ सचिन, गाड़ दिया तुमने अपना झंडा?
मैं मुस्कुरा कर बोला- हां भाभी, झंडा तो गाड़ दिया पर झंडे में जलन बहुत तेज हो रही है, दर्द हो रहा है।
यह कहते हुए मैंने रूम का लॉक खोला और रूम में जाने लगा।
भाभी बोली- रुक तो सही मुझे तुझसे बात करनी है।
मैं बोला- भाभी, मैं अभी आ रहा हूं कपड़े चेंज करके, जींस में मुझे दिक्कत हो रही है.
भाभी- ठीक है, जल्दी आ।
और फिर मैं लोवर और टीशर्ट पहन के आ गया. लोवर के अंदर मैंने अंडरवियर नहीं पहना क्योंकि अंडरवियर पहनने के कारण मेरे लिंग मे जलन हो रही थी।
मैं बाहर आया और बोला- भाभी, बहुत जलन हो रही है।
कविता भाभी- कोई बात नहीं, पहली पहली बार में ऐसा होता है।
फिर बोली- चल बता मुझे तूने क्या-क्या किया? तुम दोनों के बीच में इतनी देर तक क्या होता रहा रात भर और आज दोपहर तक क्या करते रहे तुम दोनों?
मैंने उनको संगीता को मनाने और उसे संभोग करने और जो भी हम दोनों के बीच में हुआ था पूरी सेक्स स्टोरी भाभी को सुनाई और भाभी मजे लेते हुए हंसते-हंसते सुनती रहीं।
जब मेरी कहानी खत्म हो गई तो मैंने भाभी से पूछा- भाभी, मैंने जो भी किया वह ठीक किया ना?
कविता भाभी- तूने बहुत ठीक किया. लेकिन अभी भी तुझे बहुत कुछ सीखना बाकी रह गया है।
मैं बोला- वह तो मैं सीख लूंगा धीरे-धीरे सब सीख जाऊँगा।
भाभी बोली- जितनी जल्दी सीख जाएगा, उतना ज्यादा मजा लड़की को और औरत को भी दे पाएगा. और जिसको जितना ज्यादा तू मजा देगा, वह उतनी ही ज्यादा दीवानी तेरी रहेगी। तुम मेरी बात मान, जितना हो सके सीख ले।
मैं बोला- अचानक से कैसे सीखूँ? धीरे-धीरे करते करते ही तो आएगा मुझे।
कविता भाभी- ठीक है, आज डीवीडी पर तुझे सब सिखा दूंगी।
मैं बोला- पहले भैया को फोन लगा कर तो बात कर लो कि वे कब तक आएंगे?
भाभी- वो आज आज नहीं आएंगे. वे अपने दोस्त के साथ भोपाल के बाहर किसी दोस्त की शादी में गए हैं दोस्तों के साथ।
दोस्तो, मैं यहां पर अब कविता भाभी के शरीर के बारे में वर्णन कर रहा हूं।
कविता भाभी की उम्र उस समय 30 या 32 साल रही होगी। उनके शरीर का वजन 60 से 65 किलो के बीच में होगा। उनकी एक 2 साल की बच्ची थी जो बाजू के रूम में सो रही थी उस समय पर। मुझे उनके साइज तो नहीं पता पर वह एक भरे हुए बदन की मालकिन थी। जिसके शरीर को ना तो दुबला और ना ही मोटा कहा जा सकता हैं ना ही वह गोरी थी और ना ही काली।
भाभी उठी और अपनी अलमारी से एक डीवीडी निकाली और डीवीडी प्लेयर में लगाकर ऑन करके रिमोट हाथ में लेकर अपने पलंग पर आकर इत्मीनान से बैठ गई।
वे मुझसे बोली- तू भी बैठ जा.
तो मैंने बाजू से कुर्सी उठाई और कुर्सी पर बैठ गया. भाभी ने प्लेयर चालू कर दिया और मूवी चलने लगी।
उस वीडियो में पति और पत्नी आपस में सेक्स कर रहे थे। वीडियो के बारे में मैं आपको क्या बताऊं? आपको पता ही है.
हम दोनों आधे घंटे तक मूवी देखते रहे। कई बार मेरा लिंग खड़ा भी हुआ मेरे लिंग में जो दर्द हो रहा था वह भाभी ने समझ लिया।
जब मूवी खत्म हुई। तब भाभी मुझसे बोली- सचिन एक बात पूछूं?
मैं बोला- पूछो भाभी, क्या पूछना है?
भाभी- जब तुम मूवी देख रहे थे तब मैंने महसूस किया कि तुम्हें दर्द हो रहा है वहां पर।
मैं बोला- भाभी आपको बताया तो था कि मेरे उस में दर्द हो रहा है।
भाभी वाली- दर्द हो रहा है तो मुझे बता चला कहां दर्द हो रहा है?
मैं- नहीं भाभी, मैं देख लूंगा मैं आप को नहीं दिखाऊंगा. यह गलत होता है।
भाभी बोली- पागल, मैं जो बोल रही हूं चुपचाप करते जा. अभी तूने पहली बार किया है और तुझे दर्द हो रहा है. उस दर्द का इलाज नहीं किया गया तो तुझे बहुत दिक्कत होगी कल को और ज्यादा दर्द हुआ तो तुम्हारा कभी खड़ा नहीं होगा।
मैं- लेकिन आपको दिखाऊं कैसे? मुझे बहुत शर्म आ रही है।
भाभी- अब शर्म किस बात की … हम दोनों ने एक साथ बैठकर ब्लू फिल्म देख ली. और अब तुम मुझसे शर्म आ रही है?
मैं- भाभी, मूवी देखने से कोई शर्म थोड़ी चली जाती है। आप एक औरत हो तो आपके सामने तो मुझे शर्म आएगी ना?
भाभी ताना देते हुए बोली- संगीता के सामने तुझे शर्म नहीं आई बिना कपड़े की राहा।
मैं बोला-भाभी, वह मेरी गर्लफ्रेंड है
कविता भाभी बोली- और मैं कौन?
मैं बोला- आप भाभी हो।
भाभी बोली- तेरी शर्म का इलाज मैं करती हूं।
भाभी उठ कर मेरे पास आई और मुझसे बोली- सचिन, मुझसे बिल्कुल मत शरमाओ. मुझे अपनी दोस्त ही समझो.
और प्यार से उन्होंने मेरे सर पर हाथ फेरा और मेरा हाथ पकड़ कर उठाया और पलंग पर मुझे लेटने के लिए बोला।
मैं पलंग पर पीठ के बल लेट गया। वो मेरे पास पलंग पर आकर बैठी और बोली- सचिन, मैं जो करूंगी मुझे करने देना। मैं तेरा इलाज कर दूंगी तुझे कोई दिक्कत नहीं होगी लेकिन मैं जो करूंगी मुझे करने देना तू मुझे रोकना मत।
मैंने हां में सिर हिलाया।
फिर भाभी मेरे लोअर को पकड़कर खींचने लगी तो मैंने कमर उठा कर लोअर उतारने में भाभी की मदद की। कविता भाभी ने मेरा लोअर खीच कर मेरे घुटने तक कर दिया। उनके स्पर्श के कारण मेरे लिंग में तनाव आ गया और वह अपने पूरे रूप में आ गया।
भाभी उठी, कमरे की लाइट जलाई और मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर गौर से देखने लगी.
मेरे अंदर कुछ अजीब सी गुदगुदी होने लगी। मैं भाभी से बोला- भाभी, मुझे गुदगुदी हो रही है।
भाभी बोली- चुपचाप लेटा रह, मुझे चेक करने दे।
उन्होंने मेरे लिंग को हाथ में लेकर दोबारा देखा और बताया- तुम्हारे लिंग की चमड़ी छिल गई है और इसका सही से इलाज ना किया तो तुम्हें बहुत जलन होगी दिनों तक। और आगे चलकर परेशानी भी होगी। तुम्हें गुप्त रोग भी हो सकता है।
मैंने बोला- मैं क्या करूं?
कविता भाभी- कोई डरने की बात नहीं है। मैं तुम्हारा सब ठीक कर दूंगी मुझे सब अनुभव है।
भाभी उठी और तेल की शीशी लाई और बोली- यह यह जैतून का तेल है। इससे मालिश करने में तुम्हारे लिंग की सूजन और जलन सब खत्म हो जाएगी और बार-बार मालिश करने से तुम्हारा लिंग अच्छा मस्त और तगड़ा हो जाएगा जो किसी भी औरत को खुश कर सकने में सक्षम होगा। मैंने तुमसे वादा किया था ना कि मैं तुम्हें सब कुछ सिखा दूंगी तो आज से उसकी शुरुआत हो रही है।
फिर भाभी ने अपने हाथ में थोड़ा सा तेल लिया और मेरे दोनों पैर पर बैठ गई और अपने दोनों हाथों से धीरे-धीरे मेरे लिंग की मसाज करने लगी।
मुझे भी काफी मज़ा आ रहा था. ऐसा मेरे साथ कभी नहीं हुआ था.
काफी देर तक मालिश करने के बाद में मुझसे रहा नहीं गया- भाभी, मेरे अंदर कुछ हो रहा है। ऐसा लग रहा है कि मेरे लिंग में से कुछ निकल रहा है.
वह भी हंसी और बाजू में पड़े हुए रुमाल को उठाकर मेरे लिंग के आसपास रख दिया और फिर से मसाज करने लगी। इस तरह उन्होंने बार-बार मसाज की. ऐसा करते-करते आधे घंटे हो गया, मेरा पानी नहीं निकला।
फिर अंत में भाभी को भी जोश चढ़ने लगा और वे मेरे लिंग को पकड़ कर बहुत तेज मुठ मारने लगी. मुठ मारते मारते मेरे चेहरे के भाव देखकर उन्होंने रूमाल उठाया और मेरे लिंग के पास में कर दिया. मेरे लिंग की पिचकारी चली और मैं शांत हो गया।
कुछ देर ऐसे ही पड़ा रहने के बाद भाभी बोली- कुछ आराम मिला?
मैं बोला- हां भाभी, अब दर्द लगभग खत्म हो गया है।
अब मुझे भी लगने लगा था कि भाभी मेरे साथ संभोग करना चाहती हैं। पर मेरी अभी इतनी हिम्मत नहीं थी कि मैं संभोग कर सकूं।
मेरा काम होने के बाद मैंने लोवर पहना और अपने रूम के लिए निकलने लगा.
भाभी बोली- सचिन, एक बात और बोलूं?
मैं- हां भाभी बोलिए।
भाभी- किसी से कुछ कहोगे तो नहीं? वादा करो.
मैं बोला- वादा किया।
भाभी- मुझे भी संभोग करना है तुम्हारे साथ!
मैं बोला- भाभी, अभी मेरी बिल्कुल ताकत नहीं बची है।
भाभी बोली- कोई बात नहीं. आज रात 8:00 बजे तुम मेरे रूम पर आ जाना. हम साथ में खाना भी खाएंगे। मैं खाना बना कर रखूंगी तुम्हारे लिए।
मैं हां बोल कर चला गया.
6:00 बज चुके थे भाभी के रूम निकलते निकलते और मुझे अब खाना भी नहीं बनाना था तो मैं अपने रूम पर आया और एकदम सो गया।
मेरी नींद तब खुली जब भाभी ने मुझे मेरे रूम में आकर जगाया। मुझे ऐसा लगा कोई मुझे जगा रहा है और मेरे कानों में आवाज पड़ी- उठो सचिन, खाना नहीं खाना है क्या? 9:00 गए हैं रात के।
मैं- आप चलिए भाभी मैं आ रहा हूं हाथ धोकर।
भाभी- ठीक है जल्दी आना।
मैं तैयार होकर अपने रूम से भाभी के रूम पर गया.
वहां पर जाकर देखा कि भाभी अपनी बच्ची को सुला चुकी थी और हम दोनों के लिए खाना लगा हुआ था.
खाने में उन्होंने खीर, पूड़ी आलू की सब्जी बनाई हुई थी जो मुझे अभी तक अच्छी तरीके से याद है। खाना खाने के बाद भाभी अपने बर्तन उठा के ले गई और मुझसे बोली- तुम उस रूम में चले जाओ. टीवी देखो जब तक मैं आती हूं सफाई करके।
उनकी बच्ची सो गई थी तो उसके जागने का कोई डर नहीं था। मैं भाभी के बेडरूम में जाकर टीवी देख रहा था कि भाभी अपने बेडरूम में आई।
वे मेरे पास आकर मेरे से सट कर बैठ गयी और बोली- सचिन, मैं आज तुमको सब कुछ सिखा दूंगी। आज मैं तुम्हें काम क्रीड़ा में मास्टर बना दूंगी। बस मैं जैसा करती जाऊं, तुम भी वैसा ही करते जाना जब तक मैं तुमको ना रोकूं।
मैंने हां में सिर हिलाया।
उन्होंने मेरे दोनों हाथों से मेरा चेहरा पकड़ा। मैंने भी अपने दोनों हाथों से उनका चेहरा पकड़ा. उन्होंने अब मेरा चेहरा थोड़ा तिरछा किया मैंने भी उनका चेहरा थोड़ा तिरछा किया.
हम दोनों ने एक दूसरे को किस करना चालू कर दिया. जैसे-जैसे भाभी किस कर रही थी, वैसे वैसे मैं भी करने लगा।
पहले उन्होंने मेरे ऊपर के होंठ चूसे तो मैं भी उनके नीचे का होंठ चूसने लगा. जब वे मेरे नीचे के होंठ चूसती तो मैं उनके ऊपर के होंठ चूसने लगता.
फिर उन्होंने अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी. बदले में मैंने अपनी जीभ उनके मुंह में डाल दी।
दोस्तो, ऐसा एहसास मुझे अभी तक कभी नहीं आया था। अभी तो और आना बाकी था.
इस तरह हम एक दूसरे को काफी देर तक किस करते रहे। फिर वह मुझसे अलग हुई।
हम दोनों की सांसें बहुत तेज चल रही थी. बात करते भी नहीं कर पा रहे थे.
फिर वे खड़ी हुई और मुझे भी खड़ा होने के लिए बोला।
भाभी फिर से किस करने लगी और उन्होंने मेरे दोनों हाथ पकड़ कर अपने नितंबों के रख दिया और दबाने लगी. मैं भी वही कर रहा था जैसे वह मुझसे करा रही थी।
काफी देर तक किस करने के बाद मुझे अलग हुई और पूछने लगी- समझ में आ गया कि किस कैसे किया जाता है?
फिर उन्होंने अपना साड़ी का पल्लू मेरे हाथों में दे दिया और मैं उनका इशारा समझ गया.
मैं धीरे-धीरे उनकी साड़ी को खींच रहा था और वे खड़े खड़े घूमती जा रही थी। उनकी पूरी साड़ी निकलने के बाद वह सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज में रह गई।
मेरे हाथों में अब उनकी साड़ी थी जो मैंने एक साइड रख दी।
उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींचा. मेरा एक हाथ पकड़ कर उन्होंने अपने पेटिकोट के नाड़े पर रखा और मुझे खींचने का इशारा किया।
मैंने उस नाड़े को पकड़कर खींचा तो वो खुल गया. भाभी का पेटीकोट उनके पैरों से होता हुआ नीचे गिर गया।
अब मेरे सामने एक अलग ही नजारा था। जो मैंने संगीता का नजारा देखा था उससे हटकर नजारा भाभी का था भाभी की जांघें एकदम भरी हुई थी।
फिर भाभी ने मुझे अपना हाथ पकड़ कर अपने ब्लाउज के बटन खुलवाए। ब्लाउज के बटन खोलने के बाद उनका ब्लाउज मैंने उतार के अलग कर दिया. भाभी मेरे सामने लाल ब्रा और रेड पेंटी में थी।
अब बारी भाभी की थी।
मैं लोअर टी शर्ट में था तो भाभी ने सबसे पहले मेरी टी-शर्ट उतारी और उसके बाद लोअर उतार दिया।
भाभी मेरे पास आ गई और मुझे कस कर जकड़ लिया अपनी बांहों में … मैंने भी उनको कसकर जकड़ लिया.
वे मेरे कान को चूमती तो जवाब में मैं भी उनके कानों को चूम रहा था।
वे मेरे पेट पर हाथ फेरती तो मैं भी उनके पेट पर हाथ फेरता जा रहा था। वे जैसे जैसे करती जा रही थी, वैसे वैसे मैं भी उनका अनुसरण करता जा रहा था। फर्क सिर्फ इतना था कि मैंने अपने तन पर कुछ नहीं पहना था और उन्होंने अपने तन पर ब्रा और पेंटी पहन रखी थी।
फिर भाभी मुझसे अलग हुई और बोली- रुको 1 मिनट!
और भाभी ने अपने पलंग पर बिछी हुई चादर हटाकर दूसरी चादर बिछाई।
भाभी बोली- सचिन पेट के बल लेट जाओ।
मैं बोला- पेट के बल क्यों?
भाभी बोली- आज मैं तेरी मसाज करूंगी और मसाज करना सिखा दूंगी कि मसाज कैसे करते हैं. मसाज करने के बाद सेक्स करने में बहुत मजा आता है।
मैं बोला- पर मुझे तो मसाज करना आता ही नहीं!
भाभी बोली- मैंने तुम से बोला ना कि तुम्हें मैं सब कुछ सिखा दूंगी। अब ज्यादा बातें मत करो और चुपचाप लेट जाओ।
मैं पेट के बल लेट गया। भाभी अब मेरे नितंबों पर अपने नितंब रख कर बैठ गयी और अपने हाथ से मेरी पीठ में तेल लगाकर मसाज करने लगी।
दोस्तो, क्या बताऊं … जब भाभी के हाथ मेरी पीठ पर घूम रहे थे, तब मुझे ऐसा आनंद आ रहा था जिसको मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता। इस आनंद को वही समझ सकते हैं जिन कपल ने अपनी पार्टनर से मसाज ली हो। ना कि किसी मसाज पार्लर में जाकर।
फिर भाभी मेरी जांघों पर बैठकर कुछ तेल मेरे नितंबों पर डालकर मसाज करने लगी।
कभी वे अपने हाथों से मेरे कूल्हों को दबाती, कभी धीमी धीमी अपने मुट्ठी से मेरे नितंबों में मारती. फिर एक उंगली मेरे दोनों नितंबों के बीच से होते हुए मेरे नीचे तक ले जाती और ऊपर नीचे करती. ऐसा आनंद आता जो मैं बयां नहीं कर सकता.
मैं चुपचाप पड़े आंखें बंद करें इस आनंद का मजा लेता रहा।
फिर वे मेरे पेट कमर और नितंब की मसाज करने के बाद भाभी मेरी जान घर पर मसाज देती रही।
15 मिनट मसाज करने के बाद भाभी ने मुझसे बोला- अब पीठ के बल लेट जाओ।
मैं उनकी बात मानते हुए पीठ के बल लेट गया. भाभी मेरी बायीं ओर आकर अपने हाथों में तेल लेकर मेरी छाती पर मलने लगी।
वे धीरे-धीरे मेरी छाती पर काफी देर तक मसाज करती रही. और फिर मेरी नाभि तक आई, नाभि में उंगली करती रही।
उसके बाद उन्होंने मेरे जांघों पर और पैरों पर मसाज की. लेकिन मेरे लिंग को छुआ भी नहीं.
जांघों पर मसाज करने के बाद उन्होंने मेरे पैरों को फैलाने के लिए बोला।
मैंने अपने पैर फैला दिए।
भाभी मेरे दोनों पैरों के बीच में आकर मेरे लिंग पर मसाज करने लगी। अपने हाथों में तेल लेकर उन्होंने मेरे लिंग पर लगाया और अपने दोनों हाथों से बारी-बारी से ऊपर करती रही। मेरे लंड को ऊपर खींचती रही।
ऐसा काफी देर तक करने के बाद मेरा लिंग खड़ा हो गया। मैं उन्हें मसाज करते हुए देख रहा था. वे बड़ी तन्मयता से मेरे लिंग की मसाज करने में लगी हुई थी।
फिर मेरी नजर उनकी नजर से मिली तो वे भी मुझे देख कर मुस्कुरा दी। उन्होंने एक आंख मार कर इशारा किया और अपने होंठों पर जीभ फेरी.
मैं उनका इशारा समझ गया कि वह मेरे लिंग को मुंह में लेना चाहती हैं। मैं भी मुस्कुरा दिया.
भाभी ने मेरे लिंग को अपने मुंह में ले लिया और अपने मुंह से मसाज देना चालू कर दिया।
फिर भाभी मेरा लिंग मुंह में से निकाल कर बोली- इसे मुख मैथुन कहते हैं.
और फिर से अपने मुंह में मेरा लिंग ले लिया और जितना हो सके उतनी अंदर तक ले रही थी।
क्योंकि पहली बार मेरा लिंग का मुखमैथुन हो रहा था तो मैंने उनके सर को पकड़ कर अपने लिंग पर दबाना चालू किया और अपनी कमर उठाने लगा.
भाभी समझ गई कि मेरा पानी निकलने वाला है।
तो उन्होंने अपने मुंह से लिंग निकाल दिया और बोली- तेरा पानी निकलने वाला है। अब मैं उसको पियूंगी.
और फिर से अपने मुंह में अब मेरा लिंग लेकर आगे पीछे करने लगी.
कुछ देर बाद मैंने पूरा पानी भाभी के मुंह में छोड़ दिया। भाभी उसको पूरा पी गई. मुझे कुछ अजीब सा लगा लेकिन उन्होंने मुझे समझाया कि यह सब चलता है सेक्स में. जब तक ऐसा नहीं हो, सेक्स का मजा नहीं आता।
मैं कुछ नहीं बोला।
अब मेरा लिंग छोटा हो गया. उन्होंने मेरे लिंग को पास पड़े हुए कपड़े से साफ किया और उठ कर खड़ी हो गई बोली- चल अब तेरी बारी … अब तू मेरे जिस्म की मालिश करेगा।
जब मैं खड़ा हुआ और अपने आपको लाइट में देखा तो मेरा पूरा बदन तेल की मालिश की वजह से चमक रहा था।
मेरे खड़े होते ही भाभी पलंग पर पेट के बल लेट गई और बोली- चल शुरू हो जा।
मैं बोला- नहीं, पहले आप पीठ के बल लेट जाओ, मैं आपका पूरा जिस्म देखना चाहता हूं।
और भाभी हंसती हुई पेट के बल से पीठ के बल लेट गई।
अब दोस्तो, मैं यहां पर भाभी के जिस्म का आपको वर्णन कर रहा हूं। आप बस कल्पना करें।
भाभी के रंग को गोरा नहीं कहा जा सकता तो काला भी नहीं कहा जा सकता था। भाभी के बिखरे हुए बाल हैं जो उन्होंने एक साइड पलंग पर बिछा दिए। उनके माथे पर लाल बिंदी, उनकी नाक में नथनी, गले में मंगलसूत्र, कानों में कुंडल. कविता भाभी लाल रंग की ब्रा पहने हुए हैं। जिसमें उनके दोनों बड़े बड़े स्तन छिपे हुए हैं। स्तन उनके इतने बड़े कि मेरे दोनों हाथों में ना आए।
नीचे आते ही उनकी नाभि जो अंदर को दबी हुई हैं 1 इंच तो गहरी होगी ही.
उनकी नाभि के नीचे यानि कि कमर में उन्होंने एक पतली सी चांदी की चेन पहन रखी है।
और नीचे आते ही उन्होंने जो पैंटी पहन रखी थी वह जालीदार हैं जिसमें उनकी चूत साफ-साफ दिख रही है जो खुल और बंद हो रही है।
मोटी मोटी उनकी जांघें जिन पर हाथ रखने को मेरा दिल मचल रहा है।
और नीचे पैरों में उन्होंने पायल पहनी हुई थी और अंगूठे के बगल की उंगलियों में उन्होंने बिछिया पहन रखी हैं।
मैं भाभी की गांड पर अपनी गांड रख कर बैठ गया। उनकी गांड पर बैठते ही मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं किसी बहुत ही मुलायम गद्दी पर बैठा हुआ हूं।
अपने दोनों हाथों में तेल लेकर मैं भाभी के कंधों पर मालिश करने लगा। पर बीच में उनकी ब्रा आ रही थी मालिश करने में। जो उन्होंने पीछे हाथ करके उसके हुक को खोल के उतार दी।
मेरा मन उनके दूध देखने को बेचैन हो रहा था। वह मेरी बेचैनी देखकर मुस्कुराई और बोली- थोड़ा सबर कर … वे भी मिल जाएंगे तुझे।
मैं भी हंस दिया।
फिर मैं उनकी पीठ पर अच्छे से मालिश करता रहा और धीरे-धीरे नीचे आया. जिस तरह उन्होंने मेरी मालिश की थी, उसी तरह मैं भी उनकी मालिश करता रहा.
पीठ और कमर की मालिश हो जाने के बाद मैं उनकी जांघों की और पैरों की मालिश करने लगा। पैरों की मालिश खत्म हो जाने के बाद में वापस उनके दायीं ओर आकर बैठा।
मैं- भाभी, अपनी चड्डी उतार दो।
कविता भाभी हंसती हुई बोली- तू ही उतार ले मेरी पेंटी. और उसे चड्डी नहीं बोलते हैं, पेटी बोलते हैं।
मैंने कहा- ठीक है, आप की पैंटी में ही उतार देता हूं.
मैंने अपने दोनों हाथों की दोनों उंगलियां भाभी की चड्डी में सॉरी पेंटी के अंदर की और धीरे-धीरे उसे उतारने लगा. भाभी ने भी अपनी कमर थोड़ी ऊपर कर दी जिससे मुझे उसकी पैंटी उतारने में दिक्कत नहीं हुई और मैंने उसकी पैंटी निकाल दी।
अब भाभी मेरे सामने पेट के बल लेटी हुई थी पूरी नंगी.
लेकिन मुझे उनकी अभी तक ना चूत ही सही से दर्शन हुए थे और ना ही उनके दूध के!
उनका डैशबोर्ड अभी तक मैंने देखा नहीं था।
मैं आप एक और बात बता देता हूं। अभी तक हम जिस तेल से मालिश कर रहे थे वह तेल जैतून का तेल था जो मालिश करने में सबसे अच्छा होता है।
भाभी की पैंटी उतारने के बाद उनके दोनों पैर फैला दिए। मैं उनके दोनों पैरों के बीच में आकर बैठ गया और एक हाथ में तेल लेकर दोनों नितंबों पर तेल लगाया और शीशी का ढक्कन बंद करके भाभी की नंगी जाँघों के जोड़ यानि गांड और चूत से चिपका कर रख दिया।
जैसे ही मैंने शीशी भाभी की चूत से चिपकाई, उनके मुंह से एक लंबी आअह निकली।
मैं भाभी के नितम्बों की मालिश करने लगा थोड़ा सा तेल लेकर मैंने उनकी गांड की बीच की दरार में थोड़ा सा तेल लगा कर उनकी गांड की दरार के बीच में ऊपर नीचे करने लगा जिससे हाथ दाएं बाएं चढ़ाने लगे पर मुंह से कुछ नहीं बोल रही थी।
थोड़ी देर मसाज करने के बाद वह बोली- रुको.
और वे पलट गई।
मैं खड़ा होकर उनको देखने लगा।
दोस्तो, आप लोग यहां पर थोड़ी देर के लिए कल्पना करो, जो मैं बोल रहा हूं, उसे फील करो।
कविता भाभी मेरे सामने बिस्तर पर पैर फैलाए एकदम नंगी लेटी हुई। वे मुझे देख रही हैं और मैं उनको!
भाभी ने अपने हाथ की एक उंगली अपनी चूत पर फेरी और मुझे देख कर मुस्कुराने लगी.
मैंने उनका इशारा समझा कि वे मुझे चोदने के लिए बोल रही हैं।
तो मैं अपना लंड पकड़कर उनकी चूत के पास आया और टच किया।
उन्होंने बोला- अभी नहीं राजा, अभी तो पूरी मालिश बाकी है।
और वे हंसने लगी।
मैं हाथों में तेल लेकर उनकी जाँघों पर बैठा और उनके दूधों की मालिश करने लगा। फिर उनकी पेट की मालिश और नाभि की मालिश के बाद मैंने उनकी जांघों की मालिश की। और फिर धीरे-धीरे उनके पैरों की मालिश करने लगा.
अब बारी भाभी की चूत की मालिश करने की है।
मैं उनके पैरों के बीच में आकर थोड़ा सा तेल हाथों में लेकर उनकी चूत के आजू-बाजू मसाज करने लगा. और फिर कुछ ही देर के बाद एक उंगली उनकी चूत में डाल कर तेजी से अंदर-बाहर करने लगा।
मुझे पता नहीं था लेकिन मेरे हाथ खुद ब खुद यह सब कर रहे थे क्योंकि मैंने ऐसा पहले कभी नहीं किया था।
और कुछ देर बाद भाभी की चूत ने पानी छोड़ दिया। भाभी अपने हाथ से मेरा सर चूत पर दबाने लगी लेकिन मैंने उनकी चूत चाटने से मना कर दिया।
इस पर भाभी बोली- कोई बात नहीं, अभी तेरा पहली पहली बार है इसलिए थोड़ी सी घिन आ रही होगी तुझे. बाद में धीरे धीरे चूत चाटना भी सीख जाएगा तू और फिर तू बिना चूत चाटे भी नहीं रह सकता।
कविता भाभी की मसाज पूरी होने के बाद वह बिस्तर से उठी और नंगी बाथरूम में चली गई.
कुछ देर बाद भाभी अपनी योनि साफ करके आई और मुझे बिस्तर पर लिटा दिया. भाभी मेरे ऊपर चढ़कर मेरे ऊपर लेट गई और अपने शरीर को मेरे शरीर से रगड़ने लगी. हमारे शरीर में तेल पहले से ही लगा हुआ था।
कविता भाभी बोली- इसे ‘बॉडी टू बॉडी मसाज’ कहा जाता है सचिन!
और उनकी आवाज में अलग ही नशा था
भाभी की छाती मेरी छाती से रगड़ खा रही थी। उनका पेट मेरे पेट से रगड़ खा रहा था और वह अपनी चूत से मेरे लंड पर किस रही थी। कभी मेरे गालों को किस करती तो मेरे हाथों अपने हाथों में फंसाकर जोर से दबाती।
भाभी अचानक उठकर मेरे ऊपर बैठ गई और थोड़ा ऊंचा हो कर अपने हाथ से लंड अपनी चूत पर सेट किया और एकदम से लंड पर बैठ गई.
मेरे मुंह से दर्द भरी आवाज निकली और भाभी के मुंह से भी हलकी सी चीख निकल गयी!
कविता भाभी मेरे लंड पर कूदते हुए मुझसे कह रही थी- हां सचिन, कब से मैं तुझसे चोदना चाहती थी। आज आया है तू मेरी चूत के नीचे. तेरा बहुत-बहुत शुक्रिया संगीता। तेरी वजह से सचिन आज मेरी चूत के नीचे लेटा हुआ है। आज मैं तुझको इतना चोदूंगी … इतना चोदूँगी कि तेरी गांड फट जाएगी।
और ना जाने क्या-क्या वह बोलती रही।
फिर वो मेरे ऊपर से उतर कर घोड़ी बन गई और मुझसे बोली- सचिन, चोद अपनी घोड़ी को घोड़ा बन के!
भाभी के पीछे से अपना लंड मैंने भाभी की चूत में डाला और उन्हें चोदने लगा।
कुछ देर इसी पोजीशन में चुदाई के बाद कविता भाभी पीठ के बल अपनी टांगें चौड़ी करके लेट गई।
और मैं उनका इशारा समझ गया।
मैं उनके टांगों के बीच में आया और उन्होंने अपने दोनों पैर मेरे कंधे पर रख दिए और मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत मुंह पर रख लिया. मैंने पूरी ताकत से झटका दिया, मेरा पूरा का पूरा लंड भाभी की चूत में आवाज करते हुए चला गया.
भाभी अब तक शायद एक बार झड़ चुकी थी। भाभी ने मुझे स्पीड से चोदने को बोला- जितनी ताकत है तेरे अंदर … पूरी ताकत लगा कर मुझे चोद सचिन।
मैं पूरी ताकत से कविता भाभी को चोद रहा था कि अचानक मेरे लंड ने पिचकारी कविता भाभी की चूत में छोड़ दी।
साथ में भाभी भी आवाज करते हुए झड़ गई.
मैं भाभी के ऊपर गिर गया. उन्होंने मुझे अपनी छाती से लगा लिया. एक हाथ से कविता भाभी मेरी पीठ को सहला रही थी और दूसरे हाथ से मेरे सिर को। मैं उनके ऊपर पड़ा रहा और मैं उन्हीं के ऊपर सो गया.
मुझे नहीं पता मेरा लंड उसकी चूत से कब निकला।
मैं सोता रहा जब मेरी नींद खुली। तो रात के 11:30 बज रहे थे। मैं अभी भी कविता भाभी के ऊपर ही सो रहा था। उन्होंने मुझे अपने ऊपर से नहीं हटाया।
पर मैं उनके ऊपर से उतर के उनके बाजू में लेट गया और फिर हम दोनों नंगे बदन एक दूसरे से चिपक कर सो गए।
मुझे नहीं पता मेरा लंड उसकी चूत से कब निकला।
मैं सोता रहा जब मेरी नींद खुली। तो रात के 11:30 बज रहे थे। मैं अभी भी कविता भाभी के ऊपर ही सो रहा था। उन्होंने मुझे अपने ऊपर से नहीं हटाया।
पर मैं उनके ऊपर से उतर के उनके बाजू में लेट गया और फिर हम दोनों नंगे बदन एक दूसरे से चिपक कर सो गए।< जब मैं सुबह 5:00 बजे सो कर उठा तो कमरे की लाइट जल रही थी और भाभी का नंगा बदन तेल में मालिश की जाने के कारण चमक रहा था. मैं खड़ा होकर बेड से कुछ दूर भाभी को देखता रहा. भाभी भाभी के नंगे बदन को देख कर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और भाभी को चोदने की इच्छा मेरे अंदर मेरे जाग गई. मुझसे रहा ना गया और मैं भाभी के दोनों पैरों के बीच में आकर भाभी की चूत को चाटने लगा. अचानक भाभी के हाथ मेरे सर पर पड़े तो मुझे पता चल गया कि भाभी जाग गई हैं. उन्होंने प्यार से मेरे सर पर हाथ फेरा और अपने दोनों हाथों से मेरे गाल को पकड़कर मेरा चेहरा ऊपर करके बोली- सचिन क्या बात है आज तुम्हारा मन नहीं भरा? मैंने बोला- भाभी, जब आपने मुझे चोदना सिखाया है तो अब मैं आपको फिर से चोदना चाहता हूं। कविता भाभी बोली- मना किसने किया? कर ले अपने मन की! पर इस बार मैं तुझे कुछ नहीं बताऊंगी. अब तुझे ही अपने मन से करना है और कुछ नया ट्राई करना है। मैं बोला- ठीक है. अब तो मैं सब कुछ कर सकता हूं आपने जब मुझे सिखाया है तो. फिर मैं भाभी के बदन को चूमने चाहते लगा. उनके नंगे बदन पर हाथ लगा तो भाभी भी धीरे-धीरे गर्म हो गई और मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़ कर ऊपर नीचे करने लगी. मैं उठकर भाभी के दोनों टांगों के बीच में आया और भाभी की चूत में लंड डालने को हुआ. तो भाभी ने मेरा लंड पकड़ा और अपनी कमर पीछे खिसकाती हुई बोली- तुझे कुछ नया ट्राई करना है. मैं ऐसे तुम्हें चूत में नहीं दूंगी. यह तेरी परीक्षा है. अब तो अपने मन से कुछ नया ट्राई कर। मैं कुछ देर सोचने लगा पर मेरा दिमाग में कुछ आया, मेरी नजर भाभी के रूम की खिड़की पर गई. उसे देख कर मेरे मन में कुछ नया करने का आया. मैं उठा और भाभी का हाथ पकड़कर अपने साथ उसे खिड़की के पास ले गया. थोड़ा खिड़की के बारे में बता देता हूं। उनके रूम की खिड़की ऐसी थी कि अंदर की ओर ग्रिल लगी हुई थी और बाहर की ओर उस खिड़की के पल्ले खुलते थे. तो खिड़की उनकी पहले से ही लगी हुई थी. भाभी ने पूछा- क्या नया करना है? मैं खिड़की से सट के खड़ा हो गया, भाभी को मेरे पास खींचा और उन्हें किस किया. उनके दोनों हाथ उठाकर उठाकर दाएं बाएं की ओर दोनों हाथों को दोनों साइड की ग्रिल पकड़ने को बोला. अब मेरे पीछे बंद खिड़की की थी बीच में मैं था और मेरे सामने भाभी थी फिर मैंने उनका एक पैर उठाकर खिड़की के ऊपर रखा फिर दूसरा पैर मैंने खिड़की के ऊपर रखा ऐसा करने से भाभी झूल गई. और मैंने नीचे से अपना लंड भाभी की चूत में डाला और भाभी से कहा- भाभी, अब तुम ऊपर नीचे मेरे लंड पर कूदो और दोनों हाथों से खेल को मजबूती से पकड़ के रखो. भाभी ने ऐसा ही किया और मेरे लंड पर कूदने भी लगी। मेरे दोनों हाथ भाभी की पीठ पर घूम रहे थे कभी उनकी गांड को सहलाते तो कभी पेट को कभी उनके दूध को दबाते हुए. कुछ देर इस तरह चुदाई करने के बाद भाभी ने मुझसे बोला- सचिन, मेरे हाथ दर्द कर रहे हैं, अब मुझसे ग्रिल नहीं पकड़ी जाएगी। मैंने कहा- तो भाभी, आप नीचे उतर जाइए. तो उन्होंने खिड़की से एक-एक करके अपने पैर नीचे जमीन पर रखे. फिर अपने हाथ खिड़की से अलग करके मेरा लंड निकाला उन्होंने अपनी चूत से। भाभी ने मुझसे बोला- रुको जरा मैं मूत करके आती हूं. और भाभी ऐसे ही नंगी बाथरूम में चली गई. मेरा मन भी भाभी बाथरूम करते हुए हुए देखने का हुआ तो मैं भाभी के पीछे पीछे बाथरूम में पहुंच गया। जब भाभी बाथरूम में मूत रही थी, उसी समय मेरी नजर वहां बाथरूम में टंगे हुए रबड़ के एक होज़ पाइप पर गई जो लगभग एक इंच मोटा और 10 फीट लंबा होगा मैंने उसको उठाया। भाभी मूत कर चुकी थी तो मुझसे पूछा- इसे ऐसे क्यों निकाला? मैं बोला- देखती जाओ मैं क्या-क्या करता हूं अब तुम्हारे साथ। फिर मैं भाभी से बोला- घोड़ी बन जाओ. भाभी घोड़ी बन गई. फिर मैंने पाइप का एक सिरा थोड़ा गीला किया और भाभी की गांड में धीरे धीरे डालना चालू कर दिया लगभग 3 इंच अंदर चला गया होगा और और दूसरा सिरा नल की टोटी में लगा दिया। भाभी बोली- सचिन, क्या कर रहे हो? कुछ तो बताओ? मैंने भाभी की बात का कुछ जवाब नहीं दिया और नल चालू कर दिया. उसमें पानी होता हुआ पाइप में होता हुआ भाभी के गांड में जाने लगा और भाभी की गांड बढ़ने लगी। भाभी बोली- सचिन क्या कर रहे हो? मेरा पेट भर रहा है पानी से! मैं बोला- चुप रहो, अभी तुम्हारी गांड की सफाई कर रहा हूं। और जब भाभी को बर्दाश्त नहीं हुआ तो बोली- सचिन बस करो ... अब मेरा पेट फट जाएगा. मैंने पानी बंद कर दिया और धीरे से पाइप भाभी की गांड से बाहर निकाला. भाभी से बोला- अपनी गांड दबाकर बंद रखो और खड़ी हो जाओ। भाभी खड़ी हो गई. फिर मैंने अपने हाथ से भाभी के पेट को थोड़ा सा दबाया और फिर भाभी से बोला- अब अपनी गांड को खुला छोड़ दो. और जैसे ही भाभी ने अपनी गांड को हल्का सा ढीला किया तो उनकी गांड से गंदा पानी निकलने लगा. और पानी खत्म होने के बाद मैंने दोबारा भाभी की गांड में पाइप डाला और गांड में दोबारा पानी भरने लगा। उनका पेट पानी से दोबारा भर जाने के बाद मैंने दोबारा उनसे बोला कि आप अपनी गांड फिर से ढीला करो और फिर उन्होंने अपनी गांड को दोबारा से ढीला किया और उनकी गांड से कम गंदा पानी निकला इस तरीके से मैंने कई बार यह प्रक्रिया दौराई जब तक कि उनकी गांड से साफ पानी नहीं निकलने लगा जब उनकी गांड से साफ पानी निकलने लगा। तो मैंने बोला- भाभी अब आप नहा लो और यह गंदगी पड़ी हुई है, इसको साफ कर दो. फिर हम दोनों साथ नहाये और नंगे गीले बदन बाहर आकर पलंग पर लेट गए. मैंने भाभी से बोला- भाभी मेरा लंड खड़ा करो. भाभी ने अपने मुंह में लेकर लंड खड़ा किया. फिर मैंने भाभी के को घोड़ी बनने के लिए बोला. वह घोड़ी बन गई और मैंने अपना लंड भाभी की गांड में डाला और भाभी को चोदा. मैं भाभी की पहली बार गांड चोद रहा था तो मुझे मजा आ रहा था। कुछ देर भाभी की गांड चोदने के बाद मैंने अपना पूरा पानी भाभी की गांड में छोड़ दिया और भाभी के ऊपर लेट गया. थोड़ी देर में मेरा लंड छोटा हुआ तो उसकी गांड से बाहर आ गया। कुछ देर बाद भाभी बोली- एक बात पूछूं? मैं बोला- बोलो! भाभी ने बोला कि सचिन तुम्हारे दिमाग में यह आइडिया कहां से आया? मैं बोला- पता नहीं, बस पाइप देखा और मुझे यह ख्याल आ गया। उन्होंने बोला- पर जो भी है ... मुझे इस तरीके से गांड की सफाई कराने में बहुत मजा आया।


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