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मैं और मेरी प्यासी चाची

 





दोस्तो,
मेरा नाम मनु (बदला) है, मैं 21 वर्षीय सामान्य दिखने वाला लड़का हूँ, मेरी लम्बाई 5 फीट10 इंच है, औसत शरीर और
लंड की लम्बाई लगभग 7 इंच है।

आज मैं आपको अपने जीवन की एक सच्ची दास्तान सुनाने जा रहा हूँ जिसे सुनकर लड़कियों की बुर में खुजली होने लगेगी और लड़कों के लंड सलामी देने लगेंगे।

बात तब की है जब मैं अपने घर पर रहता था और हाई सेकेण्डरी में पढ़ रहा था।
मेरे चाचा की शादी हुए लगभग 6 साल हो चुके थे और अभी तक उनको बच्चा नहीं था।

मेरी चाची की उम्र तब यहीं कोई 25 साल थी। लम्बाई करीब 5 फीट 5 इंच, उभरा हुआ बदन, फिगर 34-30-36 है।

तब वह ज्यादा चुदी नहीं थी क्योंकि मेरे चाचा काम की वज़ह से अक्सर बाहर रहते थे।

मेरे मन में उनके लिए ऐसा कोई विचार नहीं था। मेरी चाची मुझसे एक दो बार ब्लू फिल्म देखने के लिए कह चुकी थी तभी से मैं उनके बारे में गन्दा सोचने लगा।

उन दिनों मेरे यहाँ घर बन रहा था तो सारा परिवार एक ही कमरे में रहता था।

हुआ यूँ कि एक दिन घर पर कोई नहीं था और हम लोगों का मूवी देखने का मन था। तब हमारे यहाँ डीवीडी प्लेयर नहीं था तो मैं गाँव में किसी के यहाँ से डीवीडी ले आया।

वो उस दिन भी ब्लू फिल्म लगाने की बात कर रही थी।
मैंने वो फिल्म गाँव में कई दुकानों पर खोजी पर मिली नहीं।

फिर भी मैं एक दो मूवीज लाया और उस देखने लगे।

एक मूवी थी द जंगल लव, उसमें कई जगह इंटिमेट सीन आते तो हम एक दूसरे को बहुत ध्यान से देखते फिर मुस्कुरा देते।

मूवी ख़त्म हो गई तो मैं और चाची एक ही बिस्तर पर सो गए क्योंकि वहाँ दो ही बिस्तर थे और दूसरे पर मेरे भाई सो रहे थे।

चाची सो गई पर मेरी आँखों से नींद गायब थी। मैं तो उनको चोदने का मौका खोज रहा था।

फिर मुझे एक शरारत सूझी, मैंने चाची के बायें हाथ को सहलाना शुरू कर दिया कि अगर बुरा लगेगा तो डांटेंगी पर कुछ नहीं किया तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई, अब मैं उनकी गर्दन सहलाने लगा।

फिर भी वो कुछ नहीं बोली तो मैं अब उनके बूब्स दबाने लगा।
अचानक वो उठी और मुझसे चिपक गई और मुझे चूमना शुरू कर दिया। मैं भी उनसे चिपक कर उनको स्मूच करने लगा।
काफी देर से सहलाने के कारण अब वो बर्दाश्त के बाहर थी, वो जोर जोर से चिल्लाने लगी- आह ऊह सी सी…

मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो कहने लगी- दर्द हो रहा है।

मैंने सोचा ‘बिना कुछ किये कैसे दर्द हो रहा है?’

यह मेरा पहली बार था, वो कहने लगी- जल्दी डालो, बहुत दर्द हो रहा है।
मैंने सोचा बिना किये दर्द हो रहा है तो करने पर तो और होगा इसलिए मैं हिचकिचा रहा था लेकिन वो जबदस्ती करने लगी।

मैंने डरते हुए उनकी साड़ी ऊपर की और बुर की फांकों को खोल के अपना लंड सटा दिया उनकी बुर जैसे भट्ठी तप रही थी और एक बार झड़ चुकी थी।

मैंने जैसे ही लंड बुर में डाला एक जोर की चीख चाची के मुख से निकली, मैंने अपने होंठ चाची के होंठों से सटा दिए ताकि शोर न हो।

अब मैं चाची को जोर जोर से चोद रहा था और बीच बीच में उनके दूध भी पी रहा था।

चाची के मुंह से मादक सिसकारियाँ निकल रही थी
आह आह.. उम्म्ह.. उईइ.. धीरे… धीर्रररे… सी… स्स्स्स्सि!

करीब 5 मिनट में मैं उसकी बुर में ही झड़ गया पर मेरा लंड अब भी कड़क था और अपने काम पर लगा था।
मैं रुका नहीं बल्कि और तेज़ी से अन्दर बाहर करने लगा।

करीब दस मिनट बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए और मैं चाची
के ऊपर ही निढाल पड़ गया। वो मेरे बालों में हाथ फेरने लगी और मुझे किस करने लगी।
फिर मैं नीचे बिस्तर पर आ गया और हम किस करते रहे।

फिर चाची ने मुझसे वादा लिया कि मैं यह बात किसी को न
बताऊँ।
और मैंने आज तक किसी को नहीं बताया!

उसके बाद मैंने उसी रात उसकी तीन बार चुदाई की।

उसके बाद भी कई बार मैंने उसकी भिन्न भिन्न पोजीशन में चुदाई की।


मैं, मेरा भाई, मम्मी और चाची. चाची और मेरा छोटा भाई एक बिस्तर पर सोते थे. माँ और बड़ा भाई एक पर और मैं बगल में एक बड़े से बॉक्स पर सो जाता था.

जिस बॉक्स पर मैं सोता था, वो बॉक्स और चाची का बिस्तर बगल बगल में था और चाची एकदम बॉक्स के बगल में लेटती थी. मैं और चाची हमेशा एक दूसरे के उल्टे ही सोते थे. सबके सोने के बाद मैं बॉक्स पर लेटे हुए ही चाची के पैरों को अपने पैरों से सहलाने लग जाता था.

चाची को गर्म करने के लिए मैं ऐसा करता था. उस रात भी मैंने ऐसा ही किया. पहले मैंने उनके पैरों के नीचे के हिस्से को सहलाया और फिर धीरे धीरे उनकी केले के तने जैसी और मक्खन के जैसी मुलायम जांघों से होते हुए, उनकी साड़ी को अपने पैर से ऊपर खिसका दिया.

जल्दी ही चाची की सांसें मुझे भारी होती हुई सुनाई दी. दो मिनट के बाद ही चाची के मुंह से सिसकारी निकलने लगी थी. गर्म होकर चाची ने खुद ही अपनी पैंटी को उतार दिया. पैंटी के उतरने के बाद मैं अपने पैर का अंगूठा चाची की बुर में देकर सहलाने लगा.

अंगूठा उनकी मखमली और चिकनी चूत में आगे पीछे करते हुए मुझे बहुत मजा आ रहा था. मैंने अंगूठे को पूरा चाची की चूत में डाल कर तेजी से उनकी चूत को कुरेदना शुरू कर दिया.

ऐसा करते करते चाची की हालत खराब होने लगी. उनका शरीर अकड़ने लगा. चाची की चूत बहने लगी. उनका कामरस बह कर मेरे अंगूठे को भिगोता हुआ उनके पेटीकोट पर फैलने लगा. चाची झड़ गयी थी. मन कर रहा था चाची की चूत में मुंह देकर उनकी चूत के सारे रस को चाट कर मजा लूं.

मेरा लंड अभी भी खड़ा हुआ था. लंड में जैसे तूफान उठा हुआ था. फिर वो उठी और मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ कर सहलाने लगी. मुझे मजा आने लगा. मैंने अपनी निक्कर को जांघों तक नीचे कर लिया और अंडरवियर को भी थोड़ा और सरका लिया जिससे चाची के हाथ को मेरे लंड को सहलाने और हिलाने के लिए पर्याप्त जगह मिल जाये.

लंड को हाथ में लेकर कुछ देर सहलाने के बाद उन्होंने मेरे लंड को मुंह में ले लिया. चाची मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी. चूसते चूसते ही वो लंड को हल्का सा दांतों से काट भी रही थी. थोड़ी ही देर में उनका जोश बहुत ज्यादा बढ़ गया.

वो इतनी जोर से मेरे लंड को चूस रही थी कि जैसे मेरे लंड को खा ही जायेगी. चाची इतनी जोर से और मजा लेकर लंड को चूस रही थी कि मैं पांच मिनट भी उनके सामने टिक नहीं पाया. मैंने अपने खड़े लंड का गर्म गर्म लावा उनके मुंह में छोड़ दिया.

मैंने चाची के सिर को लंड पर दबा दिया और एक एक बूंद उनके गले तक जाने दी. जब तक पूरा लंड बूंद बूंद करके निचोड़ न दिया तब तक मैंने अपने लंड को चाची के मुंह से बाहर नहीं निकाला और चाची के सिर को अपने लौड़े पर दबाये रखा.

चाची भी मेरे लंड के सारे रस को पी गयी. उसके बाद हम दोनों एक दूसरे को लम्बी किस करके अपने अपने बिस्तर पर सो गये. असली कहानी अगली सुबह के वक्त शुरू हुई.

दोस्तो, मेरा ऐसा मानना है कि सुबह के समय में सेक्स करने का मजा ही कुछ और है. मेरे हिसाब से सेक्स करने के लिए सुबह का समय बहुत ही उत्तम होता है. उस समय पर सेक्स के लिए एक फ्रेश जोश होता है. शरीर के हर एक अंग की नसों में एक स्फूर्ति और ताजगी सी भरी होती है. इसलिए सुबह के समय में इन्सान ज्यादा कामुक रहता है.

सुबह की नींद भी बहुत ही गहरी और मीठी होती है. अगली सुबह 4 बजे के करीब मेरी आंख खुल गयी. मेरा लंड पहले से ही अकड़ा हुआ था. मैं लपक कर चाची के बेड पर पहुंच गया. हैरानी की बात थी कि चाची भी उठी हुई थी. वो शायद मेरे ही आने का इंतजार कर रही थी. बाकी के सब लोग गहरी नींद में खर्राटे ले रहे थे.

उनके बिस्तर पर पहुंच कर मैं चाची के ऊपर लेट गया. उनको बेतहाशा चूमने लगा. सबसे पहले उनका माथा, उसके बाद उनकी पलकों को प्यार से चूमा. फिर उनके होंठों को चूमा. उनके होंठ बहुत ही रसीले लग रहे थे. मैं बयां नहीं कर सकता उस वक्त चाची के होंठों का रस पीने में कितना मजा आ रहा था.

चाची के होंठों को चूसते हुए मैं अपनी जीभ उनके मुंह में डाल कर उनके मुंह की गहराई को नापने लगा. उनकी जीभ को मुंह से चूसते हुए मैं इतनी जोर से उनकी लार को खींच रहा था कि चाची की सांसें उखड़ने लगीं.

फिर मैंने उनकी कान की लौ को चूसना शुरू कर दिया. इससे चाची बेचैन हो उठी. उन्होंने मेरी निक्कर को खींच दिया और मेरे अंडरवियर के ऊपर से मेरे लंड को मसलने और सहलाने लगी. उनके मुलायम से हाथ का स्पर्श मिलते ही मेरा लंड एकदम से जैसे भड़क सा गया.

उसके बाद मैंने उनकी चूचियों को चूसना स्टार्ट कर दिया. उनकी रसीली चूची इतनी मस्त थी कि उनके बारे में सोचकर ही मेरे मुंह में पानी आ जाता है. चूचियों को मुंह में लेते ही चाची के मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं. मगर वो खुद को काबू में रखने की पूरी कोशिश कर रही थी.

जब उनसे रुका न गया तो चाची ने मेरे लंड को हाथ से पकड़ कर खुद ही अपनी चूत पर सेट करवा दिया. वो मेरे लंड को अपनी चूत में लेने के लिए मचल गयी थीं. मगर मैं भी पूरा हरामी था. मैं चाची को और ज्यादा तड़पाने का मजा ले रहा था.

मैं उनके चूचे को ही चूसता रहा. बीच बीच में उनके निप्पल को भी काट रहा था. वो बस धीरे से आह्ह … आऊच … सस्स … आह्ह करके रह जाती. मगर अब बात उनके काबू से बिल्कुल ही बाहर हो चुकी थी. वो और ज्यादा तड़प बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी.

जब मैंने चाची को पहली बार चोदा था तो उसके बाद से मैं भी काफी बोल्ड हो गया था. मुझे इस बात का डर भी नहीं लग रहा था कि बगल में ही मेरा भाई सोया हुआ है. मैं अपनी मस्ती में उनकी चूचियों को पी रहा था और मेरी प्यासी चाची तो जैसे मेरे गर्म लंड से चुदने के लिए मरी ही जा रही थी.

इसी तरह हम दोनों एक दूसरे को काफी देर तक चूसते रहे. समय भी काफी बीत चुका था. बगल में सोये दूसरे लोगों के उठने का भी डर था क्योंकि मां तो सुबह में जल्दी ही उठ जाती थी. इस बात को मैं भी जानता था और चाची भी अच्छी तरह समझती थी. इसलिए बिना वक्त गंवाये चाची ने मुझे पलटा और मेरे ऊपर आ गयी.

चाची ने खुद ही अपने हाथ से मेरे लंड को अपनी चूत पर लगाया और अपनी चूत को मेरे लौड़े पर सेट करके बैठने के लिए तैयार हो गयी. जब लौड़ा चाची की चूत के मुंह पर अच्छी तरह से लग गया तो चाची ने अपना वजन मेरे लंड पर दे दिया और उनकी चिकनी चूत में मेरा लौड़ा उतर गया, या यूं कहें कि उनकी चूत मेरे लौड़े पर बैठती चली गयी.

आह्ह … बहुत ही मादक और उन्माद से भरा पल था वो. चाची की गर्म चूत में मेरा गर्म लौड़ा जाते ही जैसे स्वर्ग सा मिल गया मुझे. ऐसा ही हाल चाची का भी था. उनके चेहरे पर लंड लेने के लिए हाव भाव अलग से ही आनंद के रूप में दिखाई दे रहे थे.

घप्प-घप्प की आवाज के साथ मेरा लंड चाची की चूत की गहराई को मापने लगा. चाची भी मेरे लंड पर मस्ती में उछलने लगी. मगर वो मजबूर थी कि वो इस चुदाई के आनंद को सिसकारियों के रूप में बयां नहीं कर सकती थी.

चाची मस्त होकर मेरे लंड पर उछल रही थी. ऐसा लग रहा था कि हम दोनों जैसे सुबह की सैर पर निकले हैं. अब वो गांड उठा उठा कर मुझे ही चोदने लगी. उनकी जुल्फें मेरे चेहरे पर बिखर चुकी थीं. वो गांड को उछाल उछाल कर मेरे लंड पर हल्की सी पट-पट की आवाज के साथ पटक रही थी.

लंड जब चूत में उतर जाता तो चाची इधर उधर हिलते डुलते हुए लंड का पूरा मजा चूत में फील कर रही थी. जब वो थक जाती तो रुक कर मेरे चेहरे को चूमने लगती और चूत में लंड लिये हुए अपनी चूत को दायें बायें हिलाने लगती जिससे उनको बीच में कुछ आराम मिल जा रहा था.

जब चाची रुक गई तो मैं नीचे से धक्के लगाने लगा और नीचे से उनकी चूत को चोदते हुए मैं उनकी चूचियों को भी पीने लगा. बीच बीच में उनकी चूचियों से मुंह हटा कर मैं चाची के होंठों में जीभ डाल दे रहा था. मेरी जीभ भी जैसे चाची के मुंह को चोद रही थी. इतनी तेजी के साथ मैं उनके मुंह में जीभ को चला रहा था.

करीब 10-15 मिनट तक ऐसे ही मदहोश कर देने वाली चुदाई चली. जल्दी ही मैं झड़ने के करीब पहुंच गया. चाची भी शायद झड़ने ही वाली थी. उनकी उखड़ती सांसें और उनकी चूत के मेरे लंड पर गहरे हो रहे धक्के इस बात का सुबूत थे कि वो भी स्खलन के करीब पहुंच चुकी है.

फिर मैंने एकाएक चाची के चूचे को कस कर मुंह में लेकर काट लिया और जोर से उनकी चूत में धक्के लगाने लगा. दो-तीन धक्कों के बाद ही मेरा लंड और लंड के साथ साथ पूरा शरीर जैसे अकड़ने लगा. मेरे लंड से वीर्य की धार पिचकारी के रूप में चाची की चूत में पचर-पचर करके अंदर गिरने लगी.

इसी दौरान चाची के मुंह से भी सीत्कार निकल पड़ा जिसको वो दबा गयी. उसने तुरंत मेरे होंठों पर अपने होंठों को रख दिया और चाची की चूत का गर्म पानी मुझे अपने लंड को भिगोता हुआ महसूस हुआ. दोनों जैसे पूरी तरह से संतुष्ट हो गये थे और एक दूसरे के जिस्म के अंदर ही घुस जाना चाह रहे थे.

कुछ देर तक एक दूसरे के ऊपर हम लेट कर मजा लेते रहे. तभी मेरे भाई के खांसने की आवाज हुई और मैं तपाक से उठ कर अपने बॉक्स पर पहुंच गया. चाची ने भी जल्दी से अपनी मैक्सी को सही कर लिया और मैंने अपनी निक्कर को ऊपर कर लिया और दोनों लेट कर सोने का नाटक करने लगे.

इस तरह से चाची के साथ चुदाई का मजा लेना मेरी रोज की दिनचर्या बन गयी थी. चाची भी अपनी चूत चुदवाने के लिए हमेशा ही तैयार रहती थी. उन दिनों मैं चाची की चूत को चूसने और उनकी चूत का रस चाटने के लिए बहुत पागल रहता था. मगर चाची के चूचों को चूसते ही वो मुझे चोदना शुरू कर देती थी और मैं उनकी चूत के रसपान से वंचित रह जाता था.

फिर एक दिन मैंने उनकी चूचियों पर ज्यादा ध्यान न देकर सीधा उनकी चूत की ओर मुंह कर लिया. उस दिन मैं पूरा मन बना चुका था कि आज तो चाची की चूत का रस पीना ही है. मैंने जोर जोर से उनकी चूत को चूसना शुरू कर दिया.

वो मुझे हटाने की कोशिश कर रही थी लेकिन मैंने अपना मुंह जैसे चाची की चूत में चिपका ही लिया था. मैं जोर जोर से अपनी जीभ को चाची की चूत में चलाता रहा. जब तक कि चाची की चूत ने अपना नमकीन और स्वादिष्ट रस छोड़ नहीं दिया मैंने दम नहीं लिया.

जैसे ही चाची की चूत से रस निकला मैंने उनकी चूत के रस की एक एक बूंद को चाट चाट कर अंदर पी लिया. उस दिन मुझे बहुत संतुष्टि मिली. जिस तरह से चाची मेरे वीर्य को पी कर संतुष्ट हो रही थी मैंने भी चाची की चूत का रसपान किया. बहुत मजा आया दोस्तो मेरी चाची के साथ मुझे.

आप लोगों के मेरी चाची के मेरी ये मदहोश कर देने वाली चुदाई की कहानी पढ़कर कैसा लगा मुझे इसके बारे में अपने विचार जरूर बतायें. मुझे आप लोगों की राय का इंतजार रहेगा. तब के लिए मुझे आज्ञा दीजिये.

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