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फुफेरी बहन की चुत और गांड चुदाई

 



यह उस समय की बात है, जब मैं इंटर के एग्जाम देकर छुट्टियों में अपने गांव गया. गांव में हम लोगों के छोटे छोटे तीन मकान जो इकट्ठे बने हैं, वहां पर मेरी बुआ का परिवार रहता है. बुआ खुद परिवार खेती बाड़ी सम्भालती हैं. फूफा जी राजगंज में लोको पायलट हैं, जो अधिकतर बाहर ही रहते हैं. ऐसे में सारे परिवार की मुखिया बुआ ही थीं.

हम लोग कभी कभी गाँव में होने वाले किसी उत्सव या पूजा में पहुंचते हैं. बुआ के लड़के दीपक(22) और दो बहनें रीनामुनी(20) एवं रंजुमुनी(18) के साथ गांव सैर सपाटे में खूब मजा आता है.

मैं भी अबकी एग्जाम के बाद उन्मुक्त होकर गांव पहुंचा. जब से रंजु को देखा तब से मेरे मन में हरदम उस की छवि घूमती रहती थी. उसकी गोल गोल कठोर चूचियों के नीचे संगमरमर की तरह तराशी हुई लचकती कमर और चौड़े चूतड़.. जो उसकी 32-28-32 की अद्भुत देसी काया रचने में बड़ी मस्ती से उठे हुए थे. उस पर कजरारी आँखें किसी कहानी की परी की तरह लगती हैं.

लेकिन बड़ी बहन रीना बिल्कुल अलग है, वो मेरी हर बात का ख्याल रखती थी और जिसे उम्र के साथ दायित्वबोध कुछ ज्यादा ही है. रीना तीखे नैन-नक्श वाली और पाक कला में कुशल है. उसकी झील जैसी गहरी आंखें, सुराहीदार गर्दन और दो रसीले नर्म चूचों पर पतली कमर के नीचे थिरकते गोल गोल गद्देदार चूतड़ के साथ उसकी 34-28-32 की काया किसी भी लड़के को अपनी तरफ आकर्षित कर लेती थी.

इस वक्त गर्मी पूरे जोर से पड़ रही थी इसलिए कहीं निकलना मुश्किल ही होता था. ऐसे में बुआ की कड़ी निगरानी में दिन निकल जाता, पर रात कुछ आनन्द करते थे. हम सब आपस में बहुत खुलने लगे थे. ऐसे में सेक्स की बातें हम सभी सरेआम इशारों में कर लेते थे. कभी कभी तो दोनों बहनें मुझे अकेला पाकर मेरा टार्चर करतीं, जैसे मेरी गांड में उंगली करना और गाल खींचना लेकिन दीपक भैया से वो बहुत डरती हैं.

रीनामुनी और दीपक B.com के छात्र हैं तथा रंजुमुनी ने इंटर के एग्जाम दिये थे.

गंगा दशहरा के दिन हम लोग चारों भाई बहन गंगा स्नान करने गए. उस दिन दोनों का जवान पानी में भीगा जिस्म देखकर मेरा लंड पानी में खड़ा होने लगा और मेरी आंखें फटी की फटी रह गईं. रीना और रंजु भी मेरी बाजू पर बनीं मछलियों को तिरछी नजरों से घूरती रहीं.

मुझे पहल करना उचित लगा तो मैंने एक पानी में गोता लगाते हुए दोनों के चूतड़ जोरों से भींच दिए. तभी रीना मुझे पकड़ने को लपकी. अभी उसके हाथ लोअर तक ही पहुंचे तो मैं बचने के लिए चाह कर भी हिल नहीं सका क्योंकि मेरा लंड लोअर के साथ उसकी पकड़ में आ गया था.

लंड का अहसास होते ही रीना ने मेरा लंड छोड़ कर दोनों हाथ से अपना मुँह ढक लिया. उस की आंख मुंदते ही मैंने उस की चुत को पानी के अन्दर ही अपने हाथ से भर कर मसल दिया.. रानी सीत्कार उठी और उसने उलाहनावश अपनी आँखें खोलीं.
मैंने उसकी मदभरी आँखों से आँखें मिलाईं. उसकी नशीली आँखों को देखा तो मैं मुस्कुरा दिया. रीना भी पहले थोड़ा मुस्कुराई… फिर शर्मा कर उसने आँखें बंद कर लीं. मैं समझ गया कि लाइन क्लियर है और कभी भी रीना की चुत मेरे लंड के नीचे आ सकती है.

दीपक भैया इन हरकतों से अनजान तैरने में मशगूल रहे और रंजु उन पर पानी की थपेड़े मारती, हम दोनों को देख कर गंदे इशारे करते हुए हंसती रही.

दीपक को छोड़ कर हम तीनों सेक्स के लिए मूक सहमत हो गए और जगह एवं समय तलाशने लगे.
रंजु और मैंने एक प्लान के तहत शाम की चाय में बुआ को एक नींद की गोली दे दी और दीपक को चाय में *** की एक गोली दे दी.

रीना रसोई तैयार करने लगी, मैं बुआ के साथ था, अब गोली के असर से बुआ का सिर भारी होने लगा इसलिए शाम से ही वे अपने कमरे में लेटी रहीं. उधर रंजु लगातार दीपक भैया पर नजर रख रही थी. करीब 8 बजे सभी को खाना के लिए रीना आवाज देने लगी. रंजु किसी साये की तरह दीपक का पीछा करती खाने के लिए पहुँच गई. मैं भी बुआ को उठा कर खाने के टेबल तक लाया, वो कुछ बेमन से खाना खा रही थीं. यह देख रंजु और मेरी आँखों में खुशी चमक गई और एक दूसरे को देख कर मुस्कुराते हुए सभी ने खाना खा लिया.

उसके बाद हम सभी सोने की तैयारी करने लगे.
दीपक भैया बेचैन हो कर छत पर टहल रहे थे. उन्होंने मुझे देखकर संयत होने की बेकार कोशिश की. उनकी आंखों में वासना के लाल डोरे तैरते नजर आ रहे थे. उनका लंड भी लोवर में सख्त हो गया था, जिसे छिपाने की वे नाकाम कोशिश कर रहे थे.
मैं भी उनकी मनोदशा के अनुकूल सेक्सी बातें करने लगा, जिसने उनकी दिलचस्पी को और बढ़ा दिया.

धीरे धीरे तीर निशाने पर लगते देख मैंने कमरे में बैठ कर सेक्सी फिल्म देखने का आग्रह किया. कुछ ही पलों बाद हम दोनों भाई मोबाइल पर चुत चुदाई का आनन्द ले रहे थे.

तभी दूध का जग और गिलास लिए दोनों बहनों ने धमाकेदार एंट्री की. कमरे में घुसते ही रंजु मेरे हाथ से मोबाइल झपट कर ले गई. मोबाइल पर चलती सेक्सी फिल्म से अनजान रीना ने चार गिलासों में दूध निकाल कर सभी को पीने को कहा, लेकिन दीपक और रंजु की हालत ऐसी थी, जैसे सांप सूँघ गया हो. वे एक दूसरे से नजरें चुराने लगे. मैंने भी अचानक आए माहौल को हल्का करने की कोशिश करते हुए रंजु से मोबाइल वापस लिया.
साथ ही मैंने दीपक भैया को दूध पीने का आग्रह किया.

उसके बाद चुपचाप सभी दूध पीने लगे. मैनें खामोशी भंग करते हुए बुआ का हाल पूछा. रंजु ने बताया कि अभी सभी रसोई के काम निपटा कर बुआ को दूध के साथ एक गोली और दी है. सुबह तक बिना जगाए नहीं उठने वाली हैं.

रंजु ने गजब का साहस दिखाया और हम दोनों भाई के बीच आकर बेड पर जम गई और मोबाइल पर चलती फिल्म दिखाने को कहा. मुझ से मोबाइल लेकर स्क्रीन टच करने लगी, पर मेरे ऑफ़ करने के कारण ऑन करने के अलावा कुछ नहीं कर सकी.

इधर मेरा और दीपक का खड़ा लंड रंजु के चूतड़ों में लग रहा था, जिसे वह भी महसूस कर रही थी, पर वासनामय होने के कारण मजे से मोबाइल पर लगी रही. रीना शरमा कर उठ कर जैसे ही जाने को हुई, मैंने लपक कर उसे बेड पर खींच लिया. रीना किसी कटे पेड़ की तरह मुझे लेकर बेड पर ढह गई, जिससे उसके चुचे मेरे मुँह के सामने और उसका मुँह ठीक दीपक के खड़े लंड के सामने आ गया. मौका न चूकते हुए मैं उसको बांहों में भर के उसके मस्त चुचों को दांतों से काटने लगा. इस अचानक हुए हमले से छूटने को रीना छटपटाने लगी और तभी रंजु दीपक के लंड को नंगा कर रीना के मुँह में लगाने लगी.

दीपक जैसे किसी सपनों की दुनिया से जगा और हड़बड़ा कर अलग हो गया. अब रंजु की बारी थी, जिसने बिना भला बुरा समझे, दीपक का लंड पकड़ कर खींच लिया और मोबाइल में चलती फिल्म की तरह चूसने लगी.

दीपक भैया की आंखें बन्द हुईं और मुँह से दर्द और आनन्द की मिली जुली आह निकल गई. अब रंजु को दीपक भैया का लंड चुसते देखकर रीना ने प्रतिरोध कम कर दिया. मैं धीरे-धीरे उसके रसीले चूचों को चूमता हुआ, उसकी टी-शर्ट हटा कर पेट पर पहुँच गया और नाभि को चूम लिया.

मेरा चूमना क्या हुआ कि रीना तो अपनी छाती उठा उठा कर सिसकारियाँ भरने लगी- स्स्स्स्श उह्ह्ह्हा.. आअस्श्ह्ह श्शस..

घोड़ी बनी रीना के नीचे से निकल कर उसका पेट चूमने चाटने के बाद मैं अब नीचे टांगों में आ गया. उसकी सफेद लांग स्कर्ट के नीचे पैन्टी पूरी तरह से भीग गई थी. मैंने प्यार से उसकी पैन्टी उतार दी.
हाय क्या चूत थी.. एक भी बाल नहीं.. चिकनी चमेली.. गुलाबी.. सुनहरी भीगी चूत.
उसकी चुत की महक ने मुझे दीवाना बना दिया. मैंने गीली चूत को पैन्टी से पोंछ दिया और चाटने लगा.
वाह.. क्या नमकीन सी चूत थी..

मैंने हल्के से उंगली भी करनी शुरू की, रीना मदहोश हो गई थी, वो मेरे बालों में हाथ फिराने लगी. रीना पर चुदास चढ़ गई थी, अब वो आपे से बाहर हो रही थी. उसने मेरे सर को टांगों में जकड़ लिया और जीवन में पहली बार चरम आनन्द को पाकर चीख चीख कर झड़ने लगी.

मैं लगातार चूत चाटे जा रहा था और कुंवारी चुत का मदनरस पी कर मैं धन्य हो गया क्योंकि रीना अभी तक वर्जिन थी. किसी कुंवारी चूत की सील देखना अब मेरे अनुभव में शुमार हो गया था, तो मैंने उसकी पैक सील चूत खोल कर देख ली थी.

धीरे धीरे हम दोनों के कपड़े फर्श पर आ गिरे थे. अब मैंने चाटना बंद किया और खींच कर दीपक के लौड़े को रीना चूत के मुँह पर टिका दिया. दीपक ने लौड़ा पीछे की तरफ स्प्रिंग की तरह टाइट करके.. एकदम से चूत में छोड़ दिया और झटका लगा दिया. लौड़ा सील तोड़ता हुआ चूत में घुस गया. रीना ने दर्द के मारे चीख मारी, पर दीपक उसके मुँह को होंठों में दबा लिया और रीना ने दर्द के मारे तड़फ कर तकिया, बिस्तर की चादर सब नोंच डाली.

दीपक ने एक हल्का झटका और लगाया और रीना ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ की आवाज़ के साथ उसकी चूत पूरा 6 इंच का लंड गटक गई. उसके बाद कमरे में सिर्फ भाई-बहन की सिसकारियां तब तक गूँजती रहीं, जब तक दोनों थक कर गिर नहीं गए.

इधर मैं रंजु के ऊपर लेट गया, उसके होंठों से होंठ मिला दिए और चूमना शुरू किया. उसने अब तक मेरे लंड को चूस चूस कर तैयार कर दिया था. सहेलियों के साथ लेस्बो सेक्स करने के कारण रंजु को सेक्स के काफी तरीके मालूम थे. दोनों 69 की पोजीशन में एक दूसरे को चाट कर शांत करने की कोशिश करने लगे.

रंजु एक बार झड़ चुकी थी, जिस से उस की चुत गीली हो गई. मैंने रंजु को बेड पर सीधा लिटा कर उसकी मोटी मोटी जाघों को मोड़ दिया, जिससे उसकी पाव जैसी फूली चुत उभर कर आ गई.

आह.. उस सेक्सी के शरीर के बयान करने को मेरे पास कोई शब्द नहीं रहे. मैंने ताव में चुत के मुहाने पर लंड टिकाया और नारी शक्ति का जयकारा लगा कर अपना 7 इंच का लंड आधा पेल दिया. रंजु ने मुझे कस कर पकड़ लिया और मेरी कमर पर नाख़ून गड़ा दिए, चूमतेचूमते मैंने 2-4 झटके और प्यार से लगा दिए. फिर मैं खड़ा हुआ और लंड से और चूत से खून साफ़ किया. रंजु ने खून देख लिया और घबरा गई.

मैंने कहा- पहली बार ऐसा होता है अब तुम वर्जिन नहीं रही हो.. तुम पर मेरी मोहर लग गई है. अब तुम्हें अच्छा लगेगा.

मैंने फिर से लंड चूत में डाला और झटका लगा दिया और हम एक दूसरे की बाँहों में झूल रहे थे, वो मेरी पीठ पर अपने नाख़ून गड़ा रही थी. रंजु की दर्द और सिसकारियाँ से कमरा गूँज उठा ‘आह आह हाअहाहह.. श्श्ह्श्स ह्श्सश्ह्स श्श आह आह आहाह आहाह्ह्ह आहा आहा अह्हाअ..’
उसे बेहद दर्द हो रहा था, मेरा 7 इंच का पूरा लौड़ा उसकी फुद्दी के अन्दर आतंक मचा रहा था.

मैंने अब धीरे धीरे झटके लगाने शुरू किए और आनन्दमयी गति से चुदाई चालू कर दी. तभी रंजु की नजर रीना से मिली जो दीपक के साथ दूसरी राउंड की चुदाई करते बहुत खुश लग रहे थी.

रीना के हाथ कभी रंजु की चुत, तो कभी मेरी कमर एवं आंड को सहला रहे थे. इधर रंजु को भी मजा आ रहा था, वो अपने होंठों को चबा रही थी. मेरा पूरा लंड अब उसकी चूत के पूरा अन्दर तक जाता था. मेरा लौड़ा रंजु की बच्चेदानी के मुँह पर टक्कर मार रहा था. हर टक्कर पर रंजु ऐंठ जाती थी.

चूत की गहराई में लंड के उतरते ही कुछ देर के बाद रंजु झड़ गई और कुछ मिनट झटके लगाने के बाद मेरा माल भी निकल आया, मैंने सारा माल चूत के अन्दर ही छोड़ दिया.
कुल तीन बार रंजु झड़ कर बेहाल हो गई थी. उसकी चुत भी बीस मिनट की चुदाई में छिल गई थी.

अब तक का मजा उसके लिए सजा बन गया इसलिए चुत में जलन और दर्द के कारण रोने लगी. उसके बाद मैं रंजु की चुत पर पोंड्स पाउडर छिड़क कर ऊपर लेट गया.

खजुराहो की देवी रंजु सेक्स में माहिर थी परंतु पहली जंग में ही घायल हो गई और उधर रीना जीवन में पहली बार झड़ने के बाद लगातार दो बार दीपक भैया से चुदकर तीसरी बार चुदने के लिए मेरे लंड से खेल रही थी.

रीना का उत्साह देखते ही बन रहा था. उसे चुदाई का चस्का लग चुका था. मैं भी छोटी की जबरदस्त चुदाई के बाद रीना की चुत बजाने की चाहत में 69 की पोजीशन में चुत चाटने लगा, जिसमें दीपक का वीर्य लबालब भरा था. चाटकर पूरी चुत का रस तो साफ़ किया ही साथ में मैंने दीपक भैया का वीर्य भी साफ कर दिया क्योंकि वो भी तो रीना की चूत में था.

अब रीना चूतड़ नचा नचा कर मुझसे चुदने के लिए व्याकुल हो रही थी. इसलिए मैं पीठ के बल सीधा लेट गया और अपने खड़े लंड पर रीना को सवार होने का संकेत दिया.

किसी माहिर चुदक्कड़ की तरह रीना दोनों तरफ टांग करके चुत के मुँह पर लंड टिका कर दबाव देने लगी. दीपक से मेरा लंड मोटा होने के कारण उसकी चुत में फंस रहा था. नीचे से मैंने एक जोरदार शाट मारा कि रीना उछल पड़ी और पूरा लंड चुत में समा गया. धीरे धीरे मैंने हिल डुल कर चुत में लंड सैट कर लिया.

मैं समझ गया था कि रीना एक ठंडी लड़की है जो देर से सेक्स में संतुष्ट होती है इसलिए उसको ड्राइव करने के लिए लंड पर सवार कर लिया. चुत में लंड लेकर रीना बहुत खुश लग रही थी. हो भी क्यों नहीं.. एक ही दिन में दो लंड का स्वाद जो मिल गया था.

मैंने रीना को लंड पर बैठ कर रंजु की चुमा-चाटी शुरू कर दी, जो अपनी जख्मी चुत लेकर दीपक के लंड को चूसकर खड़ा करने की कोशिश कर रही थी. रंजु के कड़क निप्पल मुँह में किशमिश की तरह महसूस हो रहे थे.

इधर रीना भी अपनी रफ्तार में मेरे लंड पर उछल कूद मचा रही थी. वो कभी कभी जोर से चीख भी रही थी.

रंजु की मेहनत रंग लाई देखते ही देखते दीपक का लंड तीसरी बार खड़ा हो गया पर रंजु ने अपनी जख्मी चुत का वास्ता देकर माफी मांग ली. तब दीपक उठा और रीना जो मेरे लंड पर उछल रही थी उसकी गांड में लंड लगा दिया. रीना हाथ पैर जोड़ती रही, लेकिन दीपक भैया नहीं माने.

मेरे ऊपर से थोड़ा सा धकेल कर रीना की चूतड़ों के बीच लंड फंसा दिया. अब रीना दो लंडों के बीच में फंसी थी. नीचे मेरा लंड चुत में जड़ तक समाया हुआ था और ऊपर से दीपक का लंड उसकी गांड फाड़ने को तैयार था.

बहुत सारा थूक लगा कर दीपक ने रीना की गांड में लंड पेल दिया, जो धीरे धीरे सरकते हुए पूरा गांड में समां गया. रीना की जीभ बाहर निकल रही थी, फिर भी दीपक भैया नहीं रुके और पूरा लंड पेल कर ही दम लिया. पहले दिन ही डबल चुदाई में फंसी रीना दीपक के हर शाट पर गरज रही थी.. क्योंकि दीपक भैया लंड जब रीना की कोरी गांड में पेलते तो मेरा लंड भी चुत में जाकर बच्चेदानी में ठोकर मारता. वो दोतरफा मार न झेल सकी और अब तक रीना दो बार झड़ चुकी थी. अब चुदाई में उसे कोई इन्टरेस्ट नहीं रह गया था, वो लगातार रहम की भीख मांग रही थी. लेकिन जब तक दीपक भैया अपना माल नहीं निकाल लेते, तब तक तो उसे लंड भुगतना ही था.

करीब दस मिनट तक गांड का गुन्जन करने के बाद दीपक भैया रीना की गांड में छूट गए और मैं भी रीना की चुत में झड़ गया.

अब जाकर रीना ने रोना धोना बंद किया लेकिन रंजु ने इस घनघोर चुदाई को मेरे मोबाइल में रिकार्ड कर लिया, जो आज तक सुरक्षित है. कभी कभी रीना को उसकी पहले दिन की चुदाई की वीडियो दिखा कर मैं आज भी उसे चिढ़ाता हूँ.

इसके बाद रोज ही रंजु और रीना दोनों दीपक भैया के साथ बारी बारी अपने घर में ही चुत के मजे लेतीं, लेकिन पकड़े नहीं जाएं इसलिए एक हमेशा रात में बुआ के साथ सोतीं.

मैं भी जब तक उनके घर रहा, रोज किसी एक को हम दोनों मिल कर चोदते रहे. रंजु को हम लोग बारी बारी चोदते, लेकिन रीना हम दोनों से एक साथ चुदना पसंद करती.

अप्रैल में रीना की शादी एक रईस से तय हुई है और उसकी बड़ी ख्वाहिश है कि वो अपनी कोख में मेरा बच्चा लेकर जाए.


ऐसी ही तमन्ना लिए अपने गांव गया और बुआ की खूबसूरत दोनों लड़कियों की चुत का उद्घाटन, उनके ही बड़े भाई के साथ कर दिया था. पर अगले दिन अभी मेरा मस्त मलंग लंड देसी बालाओं की और चुदाई करना चाहता, लेकिन बुआ से पकड़े जाने का डर हमेशा लगा रहता था.

ऐसे में रीना के दिमाग ने कम्प्यूटर से तेज काम किया और उसने रंजु को बुआ के पास सोने के लिए भेज कर एक फूलप्रूफ प्लान बना लिया, जिसमें बारी बारी से कोई एक बुआ के साथ रात में सोये और बाकी तीन चुदाई का आनन्द लें.

कल रात की पहली भयंकर चुदाई से त्रस्त 19 साल की मदमस्त रंजु गुदगुदाते मन से अपनी मम्मी के साथ सोने चली गई और दीपक एवं रीना के साथ मैं अपना दूध का गिलास लिए ऊपर वाले कमरे में आ गया. अपना दूध पीने में व्यस्त तीनों चुप बैठे थे. कमरे में ऐसा सन्नाटा पसरा रहा, जैसे भयंकर तूफान से पहले होता है.

रीना बहुत परेशान और संकोच में लग रही थी. मैंने चुप्पी तोड़ते हुए गिलास वापस नीचे किचन में रख कर आने को कहा. रीना जाने लगी तो उसके मटकते चूतड़ों को देखकर दीपक भैया अपना लंड मसलते रहे. कमरे की टयूबलाइट बन्द कर दूधिया नाइट लैम्प जला कर मैं वाशरूम में जाकर फ्रेश हो आया.

तभी मैंने रीना को मंद गति से आते हुए देखा. उसके मन में अब भी द्वंद्व चलता अनुभव हो रहा था. मैंने कारण जानने की कोशिश की, उससे पूछा तो उसने बताने से इन्कार कर दिया.

मैंने आगे बढ़ कर उनके थिरकते जोबन को दोनों हाथों से थाम लिया और एक लम्बा किस किया. धीरे से उसने कान में पहले मेरे साथ सेक्स करने की इच्छा प्रकट की. मैं समझ गया क्योंकि रीना एक ठण्डी लड़की है और वह जब तक गर्म होती है, तब तक दीपक भैया एक बार झड़ चुके होते हैं.

रीना की इच्छा को जान कर मैंने एक एक कर उसके दोनों 34 साइज के चुचों को पकड़ा और उन्हें मसलता और होंठों को चबाता रहा. उसके दोनों हाथ मेरे पीठ पर नाखून चुभते रहे और धीरे धीरे मैंने उसे दीपक भैया के बेड पर लेटा दिया. हम दोनों भाई एक साथ उसके साथ फोरप्ले करते हुए कपड़े निकालते रहे. दूधिया रोशनी में किसी संगमरमर की तरह चमक रहा 34-28-32 का रीना का जिस्म कमरे का तापमान बढ़ रहा था.
दीपक भैया ने रीना के नीचे कटि प्रदेश पर आक्रमण कर दिया और मैं पहले से ही उसके चुचों, होंठों की चुसाई करता रहा.

अब रीना के मुँह से रह रह कर मादक सीत्कारें फूटने लगीं. दीपक भैया चुत के भीतर तक जीभ डाल रहे थे.. जिससे ‘आह्ह सी सी..’ करते हुए रीना ऐंठ रही थी. वो कहती कि आह.. जोर जोर से चूसो बहनचोद.. आह.. आह्ह अन्दर तक मुँह लगा भडुए.. उई मां मैं मर गई रे.. ये कैसी आग लगा दी है तूने.. आह.. ठीक से लगातार चूसो नहीं… तो साले मुँह में मूत दूँगी.. अपनी रंडी की नोंच खा साले..

मैंने उसकी गरदन से होते हुए कान और पीठ को चाट चाट कर गीला कर दिया. उधर दीपक भैया उसकी टांगों को चौड़ी करके चुत और गांड में मुँह डाल कर चूसते रहे. करीब बीस मिनट के फोरप्ले में रीना के सब्र का बांध टूटने लगा परन्तु मैं जल्दबाजी नहीं करना चाह रहा था क्योंकि कल रात मैंने देखा था कि 21 साल की इस जवान ठण्डी लड़की के लिए दो मर्द कोई मायने नहीं रखते थे. दो बार के बाद और कैसे कल तीसरी बार मुझसे लिपट लिपट कर वो देर तक चुदती रही.

अब जवानी के बादल रीना पर मंडराने लगे और अबकी बार इतना अधिक बरसे कि जैसे रीना की चुत से बरसाती नाला निकल रहा हो. दीपक की बहन चिंघाड़ चिंघाड़ कर झड़ती रही और दीपक भैया अपनी बहन की बूंद बूंद योनिरस चाटते हुए बुरी तरह हांफ रहे थे.

सही मायने में रीना जैसी लड़की को इसके बाद ही चोदने में मजा आता है. अब वो 69 की स्थति में मेरा लंड पकड़ कर चूसने लगी और मैं चुत और गांड बारी बारी से उंगली पेलने लगा. उसकी पाव की तरह फूली चुत के चिकने होंठ किशमिश की तरह रसीले लग रहे थे. मेरा सात इंच का लंड रीना के कंठ तक फंसने लगा तो मैंने देर नहीं करते हुए उसकी दोनों टांगों को चौड़ी करके चुत पर लंड टिका दिया. रीना अपनी गांड उछाल कर चुत के अन्दर लंड लेने के बेचैन हो रही थी.

तभी मैंने एक करारा शाट मारा और चुत की मुलायम दीवार भेदता हुआ मेरा आधा लंड चूत के लाल किले में समा गया.
रीना के मुँह से चीख निकली- उई मांई मार डाला रे बहनचोद..
उसको सम्हलने का मौका नहीं देते हुए मैंने उसकी दोनों चुचियों को पकड़ कर, जोर से खींचकर एक और शाट दे मारा.

मेरा पूरा लंड रीना की चुत की जड़ तक बैठ गया. रीना बिलबिलाती हुई कहने लगी- प्लीज़ गाण्ड मार लो केवल.. और अपने मूसल लंड को मेरी चूत में से निकालो.

लेकिन मैंने लंड को बाहर निकाला और उसकी चुत के मुहाने तक ला कर ज़ोर का लगा कर फिर धक्का मार दिया, जिससे लंड चुत में फिर से दाखिल हो गया.

“उम्म्ह… अहह… हय… याह… अहह मैं मरीईई ईईई.. फट गई.. बहनचोद.. साले कुत्ते.. हरामी.. रुक ज़ाआाअ.. भाई.. तू मुझे जिंदा नहीं रहने देगा.. साले तेरा लंड है या तलवार.. इसे निकाल लो उह्ह.. मेरी चुत फट गई रे…. ऊम ऊम प्लीज़.. छोड़ दो मुझे. मैं तुम्हारे पांव पड़ती हूँ.. आज मेरी जान निकाल दोगे क्या भाई?”

तड़पती रीना की चुत में लंड डालकर मैं थोड़ी देर उसकी चुचियों को चूमता चाटता रहा.

जब रीना सामान्य होने लगी तो मैंने धीरे से धक्के मारने शुरू कर दिए. थोड़ी ही देर में कल की सील टूटी लड़की किसी खिलाड़ी की तरह चूतड़ नचा नचा कर गटागट लंड घोंटने लगी.. और जोर से चोदने की मांग करते हुए मेरी पीठ में अपने नाखून चुभाने लगी.

उधर दीपक रीना के मुँह को चोद रहे थे.. इधर मैं चुत में लगा था.. लेकिन ताल सही नहीं बैठ रहा इसलिए रीना को अपने पेट पर लेकर मैं चित होकर दीपक भैया को उसकी गांड में ग्रीसिंग करने के लिए इशारा किया.
रीना के थूक से लिपटे लंड को दीपक भैया अपनी बहन रीना की चौड़ी गांड को फांक करके लंड डालने लगे. अभी सुपाड़ा ही गया था कि रीना कराहने लगी.
अब आगे पीछे दोनों तरफ से लंड के झटके लगने लगे. रीना सातवें आसमान में उड़ने लगी और ‘फक मी हार्ड.. ब्रदर फक मी हार्ड..’ करते हुए कांप कांप कर झड़ने लगी.

देखते ही देखते उसकी चुत से कामरस की धार फूट पडी. पूरे कमरे में चुदाई का सुगम संगीत गूंज रहा था. बीच बीच में रीना की कामुक स्वर लहरियां उन्माद बढ़ा रही थीं. दीपक ऊपर से करारा धक्का लगाते हुए गांड को गुडगांव बना रहा था और मैं भी नीचे से हर धक्के के जवाब में एक करारा ठाप चुत में लगाते रहा.

करीब पांच मिनट की घनघोर चुदाई से रीना दूसरी बार झड़ते हुए औंधे मुँह मेरे ऊपर गिर पड़ी.

अब उसकी काम शक्ति खत्म हो चुकी थी. हर धक्के पर आनन्द और दर्द मिश्रित कराह निकल रही थी. दीपक किसी बहशी की तरह गांड मारे जा रहा था और रीना कटे हुए पेड़ की तरह मुझ पर ढहती जा रही थी. उसके गुदाज चूतड़ लाल हो गए थे, जैसे अभी उनमें से खून निकल आएगा.

तभी जोर जोर से तीन चार धक्के मार कर दीपक भैया रीना दीदी की गांड में तुनक तुनक कर झड़ कर हट गए.

मैदान साफ देख मैंने रीना को बेड पर पीठ के बल लिटाकर उसकी चुत पर सवार हो एकदम से मस्त चुदाई करने लगा. रीना भी मेरा फिर से साथ देने लगी.

ऐसा नजारा देखकर मेरा जोश और बढ़ गया. देखते ही देखते मैं चुत और गांड दोनों की चुदाई करने लगा. कभी गांड में लंड डालता और कभी चुत में लंड डालता.

‘आह्ह आह्ह् और चोदो मुझे.. मेरी चुत फाड़ दो… इस निगोड़ी चुत ने बहुत परेशान कर दिया है.. नोंच डालो.. इसे खा जाओ.. बहन के गुलाम.. बहनचोद..’

ये कहते हुए रीना के साथ मैं भी भलभला कर अपनी बहन की गांड में झड़ गया.

करीब तीस मिनट की घनघोर चुदाई ने चुत और गांड की धज्जियां उड़ा दीं.

हम तीनों भाई बहन इस जोरदार चुदाई से संतुष्ट होकर अपनी सांसों पर नियन्त्रण पाने की कोशिश करने लगे. रीना बहन की चुत और गांड से वीर्य के मोटे मोटे थक्के निकल रहे थे. आज बहन अपने दो भाईयों से चुद कर आत्मसंतुष्ट हो रही थी. मैंने आज तक इतना देर तक रुकने वाली दूसरी लड़की नहीं देखी थी.


गुजरते पांच साल से मेरी मामी अपनी वासना पूरी करने में मेरा इस्तेमाल करती रही. किन्तु समय के साथ मैं चूत का जबरदस्त आशिक बन गया. बिना चूत चोदे मुझे रात में नींद कहां आती।

पिछले रात मैंने अपनी बुआ के बेटे दीपक के साथ बुआ की बेटी रीना की जबरदस्त चुदाई की थी. और आज बुआ की दूसरी बेटी रंजुमुनी की पेलने की बारी है।

रीना अपनी मम्मी के साथ सोने वाली है. लेकिन उसने अपनी पड़ोस की एक असंतुष्ट भाभी आएशा को वासना पूर्ति के लिए शाम को बुलाया है।

34 साल की आएशा एक शेयर कारोबारी हमीद दलाल की तीसरी बीवी है जो अपने ४८ साल के खसम से खुश नहीं है।
रीना की प्लानिंग सुन मैं दंग रह गया.

ठीक शाम साढ़े तीन बजे अपने मायके जाने के लिए बोलकर आएशा तयशुदा कार्यक्रम के अनुसार आ पहुंची।
बुरके में होने के कारण मैं कुछ भी नहीं देख पाया.

आएशा के आते ही रीना ने उसे और दीपक को दीपक के कमरे में अंदर बंद कर ताला लगा दिया।
बुआ से पकड़े जाने के डर से मेरी रीना और रंजु की हालत ख़राब हो रही थी। दोनों बहनों ने बुआ को बातों ही बातों में दीपक के कमरे में नहीं होने की खबर बता दी और मैंने वहीं बैठे टीवी देखने में भलाई समझी।

लेकिन बंद ताले के अंदर जो मल्ल युद्ध हो रहा था उसके लिए बेचैन रहा।

चाय के समय का इंतजार खत्म हुआ. मुस्कुराते हुए रीना ने नींद की गोलियों के साथ चाय बुआ को पकड़ा दी. अब भी हम तीनों की आंखों में भय साफ़ दिख रहा था।

करीब साढ़े पांच बजे सब्जी काटकर बुआ अपने कमरे में जाने लगी. शायद गोली अपना काम कर रही थी।

खतरा टलता देख मैं भी ‘बाहर घूमने जा रहा हूं.’ बोलकर दीपक के कमरे के सामने खड़ा हो गया.
तुरंत रंजु ने मुझे अंदर कर ताला लगा दिया।

कमरे के अंदर आएशा और दीपक किसी हारे हुए खिलाड़ी की तरह बेसुध पड़े थे जो मुझे देख सजग हो गए।

बातों में पता चला कि 69 फोरप्ले में एक बार और चुदाई में दो राउंड झड़ चुकी है।

मैंने आएशा भाभीजान के डील-डौल देखने हेतु हाथ पकड़ कर बिस्तर से नीचे खींच दिया. भाभी मादरजात नंगी सरक कर नीचे खड़ी हो गई।

चौंतीस की उमर में भाभी ने फीगर पच्चीस की मेंटेन कर रखी थी. अनुमान ऐसा लगा कि भाभी जब तक गर्म होती हमीद दलाल खलास हो जाता होगा।

इकहरी काया की भाभी 34-30-36 फीगर की और हाईट 5 फीट 3 इंच है. वो दिखने में बहुत सेक्सी है. उसकी सेक्सी जवानी इतनी कातिलाना है कि उसे देखते ही लंड खड़ा होकर सलामी देने लगे. और बिना कुछ किए लंड का पानी निकल आए.

भाभीजान का चेहरा एकदम गोल भरा हुआ, आँखें झील सी गहरी एकदम नशीली. गहरी नाभि, रंग एकदम दूधिया तन बुर्के में ढके रहने के कारण।
अब अगर जींस टी-शर्ट पहना दी जाए तो उसके चूचे और कूल्हे पच्चीस से ज़्यादा नहीं लगते।

मेरी नज़र से झेंपकर आएशा मेरे बांहों में झूल गई। उसका गुदाज़ और गर्म जिस्म मेरे तन बदन में आग लगा रहा था।

धीरे धीरे मैंने उसकी रसीले होंठों और नर्म चूचियों को चूसना शुरू कर दिया. उसको भी मज़ा आने लगा। उसकी वासना चरम सीमा तक पहुंचने की असफल कोशिश कर रही थी.

मैंने बिना समय गंवाए भाभी को अपना लंड निकाल कर मुंह में पकड़ा दिया। आएशा शहरी लड़कियों की तरह लंड चुसाई कर रही थी, बहुत मज़ा आ रहा था।

उकड़ु बैठने से भाभी की चूत से वीर्य के थक्के बाहर निकल आए जो दो राउंड की चुदाई में दीपक ने अंदर छोड़ा था।

साक्षात काम की देवी को सामने पाकर मैं अपने को अब रोक न सका. मैंने उसे उठा कर पलंग पर लिटा दिया जहां दीपक बेसुध पड़ा था।

मैंने भाभीजान की दोनों टांगों को फैला कर चूत के दर्शन किए. भाभी की चूत ढाई इंच के लाल पंखुड़ियों की बीच आगंतुक के सत्कार के लिए तैयार हो गई थी।

शायद अभी तक भाभी को बच्चे पैदा करने का सुख नहीं मिला था।

मैं अपने लौड़े को उसकी चूत पर रगड़ने लगा और दोनों चूचियों को मसलने लगा. आएशा भाभी आह उंह आअई माई की आवाज करके अपने चूतड़ नचाने लगी। किसी शेरनी की तरह वो लंड खाने के लिए बेताब मचलने लगी.

पूछने पर पता चला कि हमीद भाई की दूसरी बीवी हमीद को आएशा के पास नहीं आने देती, इसलिए चुदाई से मरहूम रहती है।

कुछ सोच कर मैंने कि उसके बच्चे ठहर जाए, इसलिए बकरी बना कर पीछे से चूत में लंड डाल दिया।

दो बार की चुदी चूत में अब भी कसावट बाक़ी थी. भाभीजान कंधे बिस्तर पर टिका कर हर शॉट का इंतजार कर रही थी जिससे मेरा जोश दुगुना हो जाता।

मन में मैंने एक संकल्प लिया कि भाभी को आराम से चोद कर आज गर्भवती करना है।

करीब आधे घंटे की धीमी-धीमी चुदाई में भाभी के शरीर में ऐंठन होने लगी. मैं भी उसके जांघों को पकड़ बिस्तर से उठा कर जड़ तक लंड पेलने लगा।
हर ठाप पर भाभी कांप जा रही थी.

चार पांच ठाप पर भाभी और मैं दोनों एक साथ झड़ने लगे। खलास होने पर मैं दोनों हाथों से टांगों को चौड़ा कर भाभी को नीचे लटका दिया जो किसी लाश की तरह लटक रही जैसे जान ही नहीं हो।

करीब पांच मिनट बाद उसने सम्हलने के लिए जमीन पर दोनों हाथों का सहारा लिया, फिर भी मैंने नहीं छोड़ा। मैंने मन भर कर पड़ोसन को चोदा.

अचानक दरवाजे पर कुंडे खुलने की आवाज़ आई तो मैं उसे गोद में लेकर बिस्तर पर दुबक गया और बोला- ईश्वर ने चाहा तो आप अगले महीने मां बनने के खुशखबरी दे सकती हैं।

दरवाजे धीरे खोल कर रीना अंदर दाखिल हुई। हम तीनों को एक बिस्तर पर दुबके पड़े देख वो व्यंग्य बोली- एक मोमिन भाभी ने दोनों को हिजड़ा बना दिया।
मैंने क्रोध में रीना को झपट कर पलंग के सिरहाने दबा लांग स्कर्ट के नीचे मुंह लगा दिया। उसने पेंटी नहीं पहनी थी. सीधे चूत पर हमला होने से वह कांप गई।

वह मुझसे छुटने के लिए बहाने बनाने लगी- मुझे खाना बनाना है.
लेकिन मैं कहां मानने वाला था. मैंने उसकी चूत का पानी निकाल कर ही छोड़ा।

धौंकती सांसों को संयत करके रीना बोली- मम्मी दोनों को पूछ रही हैं कि अभी तक घूम कर नहीं आए क्या? दोनों जा कर मिल लो. नहीं तो मम्मी इधर आ गई तो हंगामा खड़ा हो जाएगा।

जाते जाते रीना कह रही थी- अच्छा हुआ कि तुमने मेरे चूत का पानी निकाल दिया. वरना आज मुझे यूं ही सोना पड़ता क्योंकि आज रंजुमुनी की पेलने की बारी है।

बिना समय गंवाए हम दोनों भाई रीना के पीछे एक एक कर के कमरे के बाहर निकल आए और फ़िर ताला लगा दिया।

बुआ के बेटे के साथ मैं बुआ से मिलने पहुंचा तो बुआ पर नींद की गोलियों का असर साफ दिख रहा था. बुआ अब सिर्फ खाना खाकर सोने के लिए तैयार थी।
घड़ी में आठ बजने वाले थे इसलिए दीपक भैया दारू की बोतल लाने बाहर निकल गए। मैं बुआ के पास बैठ अपनी खोई हुई उर्जा समेटने की कोशिश कर रहा था.

तभी किचन से रीना ने सबको खाने के लिए आवाज लगाई। बुआ खाना खा कर सोने की तैयारी में लगी.
और हम लोग दीपक के आने का इंतजार कर रहे थे।

दीपक के आते ही रंजु खाना खिलाने की तैयारी में जुट गई. सभी ने दीपक के कमरे में इकट्ठे की चुस्कियां लेते हुए आएशा भाभी के साथ खाना खाया।

आएशा को कुछ ज्यादा चढ़ गई तो उसने रीना को अपने बांहों में जकड़ा और रीना की चूत चुसाई करके उसे धन्यवाद दिया. बिना किसी प्रतिरोध के रीना चुदासी के मजे ले रही थी और चुदाई के बिना शाम से दो बार झड़ चुकी थी।
रीना खुशी से झूम उठी.

फिर वह सारे बर्तन समेटकर बुआ के साथ बिस्तर पर सोने चली गई।

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