मैं तीसरी मंजिल पर जिस कमरे में रहता था उस कमरे की खिड़की और बालकॉनी से सामने वाला घर दिखाई देता था. मैंने उस दिन से ध्यान से देखना शुरू किया. वहां पर उस मकान के पीछे आंगन में एक अल्हड़ सी लड़की बार-बार मेरे कमरे की तरफ देखती रहती थी. वह कोई न कोई बहाना बनाकर बाहर निकलती थी और मेरे कमरे की ओर देख कर वापस चली जाती थी.
उसको मैं काली, छोटी, टाइट स्कर्ट और व्हाइट शर्ट में सुबह कहीं जाते हुए अक्सर देखता था और वह मुझे बहुत सेक्सी लगती थी, उसकी शर्ट में से उसके दोनों चूचे इतने टाइट दिखाई देते थे कि शर्ट के सामने के बटन टूटने को रहते थे. परंतु मैं अपनी पड़ोसन भाभियों में ही मस्त रहता था. उसकी स्कर्ट से उसके भरे हुए पट और सुडौल पिंडलियाँ बहुत सेक्सी लगती थीं. उसके घुटनों के पीछे से उसकी टांग और पट की चौड़ाई बता रही थी कि वह पूरी तरह से पक चुकी थी अर्थात पूरा लण्ड लेने के लिए उपयुक्त थी.
सोनू घर में हमेशा छोटा सा ऊँचा स्कर्ट और टॉप पहनती थी. उसका टॉप छाती से इतना उठा होता था कि टॉप, पेट को टच न करके पेट पर छतरी की तरह तना रहता था. सोनू का बहुत सुन्दर गोल चेहरा, मोटी आँखें थीं. गांड और चूतड़ भी अपना पूरा आकार ले चुके थे. कुल मिलाकर वह अच्छा खासा मस्त माल बन चुकी थी. उसका साइज़ 32-30-34 के आस पास होगा. वह अपनी टीन ऐज में थी और इस ऐज में लड़कियाँ अपने सपनों के सौदागर को ढूंढती रहती हैं और चुदवाने के लिए आसानी से खुद ही तैयार हो जाती हैं.
एक दिन मैंने देखा, वह लड़की सड़क पर बाहर सब्जी की रेहड़ीवाले के पास कुछ सब्जी ले रही थी. मैं भी मौका देख कर उस रेहड़ीवाले के पास चला गया. मुझे देख कर लड़की ने विश किया. मैंने भी उसे विश किया.
मैंने उससे पूछा- आपका नाम सोनू है?
उसने हाँ में उत्तर दिया और पूछने लगी- आपको मेरा नाम कैसे पता?
मैंने कहा- मालती भाभी आपकी बहुत तारीफ करती रहती हैं.
सोनू ने पूछा- आप राज हैं?
मैंने कहा- जी हाँ.
मैंने सोनू से कहा- आप कभी मेरे पास भी आओ, बैठकर बातें करेंगे.
उसने कहा- मैं मालती भाभी के पास आ जाऊंगी, आप वहीं आ जाना.
थोड़ी देर बाद वह लड़की फिर पीछे आंगन में आई और मालती भाभी के घर की तरफ इशारा करके बोली कि मैं वहां जा रही हूँ. उस वक्त मालती भाभी के हस्बैंड ऑफिस गए हुए थे. मैं भी नीचे चला गया और उससे उसके बारे में बातें की.
मुझे पता लगा कि सोनू ने बारहवीं कक्षा पास करके एक प्राइवेट फैशन डिजाइनिंग इंस्टिट्यूट में एडमिशन ले रखा था.
मैंने सोनू से कुछ बातें उसकी पढ़ाई के बारे में की. उससे पूछा कि उसे कोई प्रॉब्लम तो नहीं है?
उसने बताया कि उसे अंग्रेजी में कुछ प्रॉब्लम आती है.
मैंने कहा- ठीक है, यदि तुम्हें मुझसे कुछ हेल्प लेनी हो तो मुझे बता देना.
उसने कहा- ठीक है, मैं मम्मी को बोलूंगी कि आप मुझे पढ़ाने के लिए तैयार हैं.
सोनू जब सोफे के ऊपर बैठी थी तो मैं उसकी मोटी जांघों और चूचियों को देख रहा था. सोनू की चूचियों ने उसका टॉप बहुत ऊपर तक उठा रखा था, जिनको देखकर मेरा लंड मेरी पैन्ट में अकड़ गया था. सोनू चोर निगाहों से कभी-कभी मेरे पैंट के उभार को देख लेती थी.
भाभी किचन में हमारे लिए चाय बनाने चली गई.
मैंने सोनू से पूछा- तुम्हारी हॉबीज क्या-क्या हैं?
तो सोनू ने बताया- पिक्चर देखना और पहाड़ों पर घूमना फिरना मेरी हॉबी है.
मैंने सोनू से पूछा- क्या तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है?
तो सोनू ने मना कर दिया.
मैंने कहा- सोनू, मुझसे कुछ भी मत छुपाओ क्योंकि जिस दिन मैं और मालती भाभी पिक्चर देखने गए थे तो वहां तुम किसके साथ पिक्चर देखने गई थी?
सोनू ने कुछ झिझकते हुए यह बात स्वीकार कर ली और कहा कि वह मेरा बॉयफ्रेंड नहीं है, ऐसे ही मेरी क्लास में पढ़ता था और मुझे मिल गया था. फ्रेंडशिप नहीं है.
फिर मैंने चलती बात पर सोनू से पूछा- क्या मुझसे फ्रेंडशिप करोगी?
सोनू नीचे देखने लगी, उसने कोई जवाब नहीं दिया.
मैंने कहा- ठीक है, सोच कर बता देना.
मैंने सोनू से कहा- यदि फ्रेंडशिप करनी हो तो कल शाम को अपनी मम्मी से पूछ कर पढ़ाई के बहाने ऊपर मेरे कमरे में आ जाना.
इतनी देर में भाभी चाय ले आई, हम तीनों ने बैठकर चाय पी. जब मैं चलने लगा तो मैंने अपना हाथ सोनू की तरफ बढ़ाया, सोनू ने मेरे हाथ को पकड़कर हाथ मिला लिया. मैंने सोनू से कहा कि मैं उसका कल इंतजार करूंगा. यह कहकर मैं वहां से निकल लिया.
उससे पहले भाभी जब किचन में बर्तन रखने गई तो मैंने भाभी को कहा कि आधा तो यह तैयार हो गई है बाकी आप तैयार कर देना. मैंने भाभी को समझाया कि इसको पढ़ाई में हेल्प की जरूरत है इसलिए आप इसकी मम्मी से भी बात कर लेना.
भाभी कहने लगी- ठीक है, यही ठीक रहेगा.
अगले रोज सोनू शाम को 6:00 बजे के करीब एक किताब और एक नोटबुक लेकर मेरे कमरे में आ गई. आते ही मैंने सोनू से फिर हाथ मिलाया और कहा- तो फ्रेंडशिप पक्की!
सोनू ने अपना सिर हाँ में हिलाया.
उस रोज़ सोनू ने बहुत ही सेक्सी स्लीवलेस टॉप पहना था और नीचे एक मैचिंग टाइट, छोटी स्कर्ट पहन रखी थी. स्कर्ट इतनी छोटी थी कि जब वह चेयर पर बैठी तो उसकी स्कर्ट और थोड़ी पीछे हो गई और उसके पट और ज्यादा दिखाई देने लग गए. सोनू धीरे-धीरे उस स्कर्ट को अपने घुटनों तक खींचने की कोशिश कर रही थी परंतु छोड़ते ही वह फिर वापस वहीं चली जाती थी.
मैंने सोनू से उसके इंस्टिट्यूट और उसकी सहेलियों के बारे में पूछा तो उसने बताया कि उसकी दो सहेलियां हैं.
मैंने सोनू से कहा- सोनू हम अपनी फ्रेंडशिप की शुरुआत कैसे करें?
सोनू ने कहा- मुझे नहीं पता, आप ही बताओ?
मैंने कहा- ठीक है, पहले हाथ मिलाओ और फिर खड़ी हो जाओ.
सोनू ने हाथ मिलाने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया. मैंने उसके हाथ को चूम लिया. उसके बाद जब सोनू खड़ी हो गई तो मैंने खड़े होकर उस को बांहों में लिया और उसे होंठों पर किस कर लिया. सोनू मुझसे चिपक गई. दरअसल इस उम्र में लड़कियां शारीरिक सुख पाने के लिए बेचैन होती हैं और मैंने सोनू की बेचैनी तभी भांप ली थी जब मैंने उसको बार-बार अपने कमरे की तरफ देखते हुए पाया था. मैं समझ गया था कि वह भी मुझसे कुछ चाहती है.
मैंने सोनू को अपनी बांहों में लेकर अपने सीने से लगाया. सोनू चुपचाप मुझसे चिपक कर खड़ी हो गई. सोनू बार-बार दरवाजे की तरफ देख रही थी. मैंने हाथ बढ़ाकर दरवाजे की कुंडी लगाई और सोनू को अपनी बाहों में भरकर ऊपर उठा लिया. सोनू का कद केवल 5 फुट 1 इंच था. ऊपर उठाने से वह मेरे ऊपर लटक गई, मेरी लोवर में खड़ा लंड उसकी जांघों में चुभ रहा था. मैंने सोनू को नीचे उतारा और उसके होंठों पर बहुत बड़ा किस किया.
सोनू को इसमें बहुत आनंद आ रहा था. मैं सोनू की कमर में हाथ फिराते हुए हाथ को उसके चूतड़ों तक ले गया. सोनू सिसकारियां भरने लगी.
मैंने सोनू से पूछा- क्या तुम्हारे बॉयफ्रेंड ने तुम्हारे साथ ये सब किया है?
सोनू कहने लगी- नहीं ऐसा कुछ नहीं किया, वह लड़का मेरा बॉयफ्रेंड नहीं है, परंतु बनना चाहता है.
मैंने कहा- क्या अब तुम उसे अपना बॉयफ्रेंड बनाना चाहती हो?
सोनू ने कहा- आपसे अब फ्रेंडशिप हो गई है.
मैंने सोनू को फिर प्यार किया और कहा- ठीक है, आज से हम दोनों पक्के फ्रेंड हो गए हैं.
सोनू ने मुझसे थैंक्यू कहा. उसने मुझे बताया कि उसकी दोनों सहेलियों के भी बॉयफ्रेंड हैं.
मैंने सोनू से पूछा- मेरा साथ कैसा लग रहा है?
सोनू ने बताया- बहुत अच्छा लग रहा है.
मैंने सोनू से पूछा- तुम्हें मेरा किस करना और यह सब करना अच्छा लग रहा है या बुरा लग रहा है?
सोनू ने कहा- अच्छा लग रहा है.
मैं समझ गया कि लड़की चुदने के लिए बिल्कुल तैयार है. मैं कुर्सी पर बैठ गया और सोनू को अपनी गोद में बैठा लिया. सोनू को गोद में बैठाकर मैंने उसे फिर से किस करना चालू किया. सोनू भी मेरा साथ देने लगी. चूंकि पहला दिन था इसलिए मैं बड़ा संभल-संभलकर और उसकी सहमति ले लेकर कदम उठा रहा था और कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता था.
मैंने सोनू से उसके घर के बारे में पूछा, उसकी मम्मी के बारे में पूछा और उससे बहुत ही फ्रेंडली तरीके से पेश आता रहा. मैंने सोनू से कहा कि जो भी चीज उसे अच्छी न लगे, मुझे बता दे, मैं वह नहीं करूंगा.
सोनू बोली- नहीं ऐसी बात नहीं है, मुझे अच्छा लग रहा है.
उसने बताया कि उसकी फ्रेंड्स भी अपने बॉयफ्रेंड के साथ यह सब करती हैं. मैं समझ गया, सोनू को उसकी फ्रेंड ने ही अपनी बातें बता-बता कर उकसाया हुआ है. मैंने धीरे से सोनू के टॉप में हाथ डालकर उसके पेट को सहलाया, बहुत ही चिकना और मुलायम पेट था. एक हाथ से मैं सोनू के एक बाजू को सहला रहा था.
सोनू ने मुझसे एक अजीब सवाल पूछा, सोनू पूछने लगी- क्या आपकी मालती भाभी से भी फ्रेंडशिप है?
उसके मुंह से यह बात सुनकर मैं हंसने लगा.
मैंने कहा- यह कैसे हो सकता है? वह तो मुझसे बड़ी हैं और शादीशुदा हैं.
सोनू बोली- आप उनके साथ पिक्चर देखने क्यों गए थे?
मैंने सोनू से कहा- वह तो भाभी अकेली थी इसलिए उन्होंने मुझसे कहा कि आप मेरे साथ चल पड़ो तो मैं चला गया था, ऐसी कोई बात नहीं है.
मैंने सोनू को गोद से नीचे उतारा और सोनू को पीछे से बांहों में भरा और उसके चूतड़ों के ऊपर अपना लंड रख कर खड़ा हो गया. मैं उसके गालों को सहलाने लगा, मैं महसूस कर रहा था कि सोनू की सांसें तेज होने लगी थीं. मैंने सोनू के टॉप में से उसके चूचों पर हाथ रखा तो पता लगा सोनू ने ब्रा पहन रखी थी.
मैंने ब्रा के ऊपर से ही सोनू के मम्मों को थोड़ा-थोड़ा दबाया तो सोनू एकदम मस्त हो गई और सिसकारियां लेने लगी. मैंने अपने हाथ की हरकत बढ़ाई और उसकी ब्रा को ऊपर करके उसके दोनों मम्मों को बाहर निकाल दिया और उन पर हाथ फिराने लगा.
सोनू के मम्मे मीडियम साइज़ के खरबूजे के आकार के थे. उनके ऊपर बहुत ही छोटे छोटे निप्पल थे. मैं सोनू के मम्मों को दबाने लगा और जैसे ही मैंने उसके मम्मों के निप्पल को अपनी उंगली और अंगूठे के बीच में लेकर धीरे-धीरे मसला तो उत्तेजित होकर सोनू एकदम चुदास से भर गई और उसने अपना सिर मेरी छाती से लगा लिया. जब मैंने उसकी चूचियों को ज्यादा मसलना शुरू किया तो सोनू ने कहा- धीरे करो, दर्द हो रहा है.
मैंने धीरे-धीरे अपना काम जारी रखा. मैंने जब टॉप को ऊपर उठाना चाहा तो सोनू ने मेरा हाथ रोक दिया. मैंने उसके पटों पर हाथ फिराया तो मेरे आनंद की सीमा न रही. बहुत ही मखमली और मुलायम पट थे उस लड़की के. जैसे अंदर किसी ने रूई भर रखी हो.
मैं उसके पटों को सहलाता रहा और हाथ फिराते हुए जब मेरा हाथ उसकी चूत पर पहुंचा तो सोनू ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- यह नहीं करना.
मैंने अपना हाथ रोक दिया और सोनू को सॉरी कहकर छोड़ दिया.
सोनू पूछने लगी- नाराज़ हो गए क्या?
मैंने कहा- नहीं सोनू! फ्रेंडशिप वह होती है जिसमें दोनों की सहमति हो और मेरा यह उसूल है कि मैं कभी भी ज्यादती नहीं करता.
सोनू कहने लगी- मुझे आपकी यह बात बहुत अच्छी लगी, आप बहुत अच्छे हो.
मैंने सोनू से कहा- चलो और कोई बात करते हैं.
मैं उससे उसकी सहेलियों के बारे में फिर बातें करने लगा, उसने बताया कि उसकी सहेलियां यह सब कुछ करती हैं, परंतु यह ठीक नहीं है.
मैंने कहा- हां सोनू, यह सब ठीक नहीं है, लेकिन आजकल तो लड़कियां इतनी एडवांस हो गई हैं कि वे इन बातों की परवाह नहीं करती और शादी से पहले सब कुछ इंजॉय कर लेती हैं.
सोनू कुछ नहीं बोली.
हम दोनों को कमरे में लगभग एक घंटा हो गया था.
मैंने सोनू से कहा- अब तुम जाओ और तुम्हें अच्छा लगा हो तो कल इसी वक्त आ जाना.
सोनू कहने लगी- नाराज़ तो नहीं हो न?
मैंने सोनू को दोबारा बांहों में लिया और उसके होंठों पर एक लंबा किस किया और कहा- चिंता मत करो, मैं नाराज़ नहीं हूँ.
सोनू खुश हो गयी लेकिन उसका ध्यान बार-बार मेरे लोअर में उठे लंड की तरफ जा रहा था. मैंने उसके लिए कमरे का दरवाजा खोला और उसको बाय बोल कर विदा कर दिया.
सोनू अपने घर चली गई.
मैं सोनू की बेताबी समझ चुका था लेकिन कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता था. मैंने सोचा देखता हूं घर जाकर सोनू अपने पिछले आंगन में आकर ऊपर देखने के लिए कब आती है? मेरा अंदाजा सही निकला. सोनू अपने मकान में जाते ही पिछले आंगन में आई और ऊपर देखने लगी. मैं भी खिड़की में खड़ा था, मैंने उसे अपने हाथ को चूम कर किस का इशारा किया, उसने भी धीरे से अपने हाथ को अपने होंठों पर लगा कर किस किया.
उस दिन मैं सारी रात सोनू और उसके यौवन के बारे में सोचता रहा और सोचता रहा कि वह मेरा इतना मोटा लंड अपनी चूत में कैसे लेगी?
अगले रोज शाम के 6:00 बजे आकाश में काली घटाएं छाई हुई थीं. बारिश आने वाली थी. मैंने सोचा कि आज सोनू नहीं आएगी. लेकिन ठीक 6:10 पर सोनू अपनी किताब और नोटबुक के साथ मेरे कमरे में आई. मैं उसका इंतजार कर रहा था.
मैंने उससे किताब लेकर बेड पर रखी और उसे बांहों में भर लिया. सोनू फिर दरवाजे की कुंडी की तरफ देखने लगी. मैं समझ गया और मैंने कुंडी लगा ली.
कुंडी लगाने के बाद मैंने सोनू को गोद में उठा लिया और ताबड़तोड़ उसके होठों और गालों पर किस करने लगा. सोनू भी वासना की आग में जल रही थी.
उसी वक्त बारिश शुरू हो गई.
मैंने सोनू से कहा- सोनू, आज बहुत अच्छा मौसम है.
वह कहने लगी- ऐसा मौसम मुझे बहुत अच्छा लगता है.
मैं और सोनू कमरे में एक दूसरे की बांहों में खड़े रहे और एक दूसरे को चूमते चाटते रहे. मेरे हाथों के स्पर्श और किस करने से सोनू उत्तेजित हो गई. मैंने उसके टॉप के अंदर से उसकी ब्रा को ऊपर करके उसके मम्मों को हाथों से सहलाना शुरू किया. उसके मम्मों का साइज इतना बड़ा था कि मेरे हाथों में नहीं आ रहे थे. धीरे-धीरे उसके मम्मों के निप्पल को हाथ और उंगली से रगड़ना शुरू किया.
मैंने सोनू से कहा- सोनू, प्लीज मुझे अपने मम्मे देखने दो?
वह कुछ नहीं बोली तो मैंने सोनू का टॉप ऊपर उठाया और उसके दोनों मम्मों को बाहर देखते ही मुंह में ले लिया. मैं कुर्सी के ऊपर बैठ गया और सोनू को अपने सामने खड़ा कर लिया. मैंने अपनी दोनों टांगों के बीच में सोनू की दोनों टांगों को जकड़ लिया और एक हाथ से उसके एक मम्मे को पीने लगा और दूसरे हाथ से उसकी कमर को सहलाता रहा.
सोनू आंख बंद करके यह सब कुछ करवाती रही. मैंने बारी-बारी से उसकी दोनों चूचियों को लगभग 10 मिनट तक पीया.
इसी दौरान मैंने एक हाथ से उसकी स्कर्ट के नीचे से उसके चूतड़ों को सहलाना शुरु किया. उसने स्कर्ट के नीचे बड़ी सुंदर छोटी सी पेंटी पहनी हुई थी. कुछ तो मौसम और बारिश का असर था और कुछ पहले दिन का बढ़िया एक्सपीरियंस था जिसके कारण सोनू मेरा साथ देने लगी.
सोनू बार-बार मेरे लोअर में मेरे लंड की ओर देख रही थी. लेकिन मैं उसे इतनी जल्दी अपना लंड नहीं दिखाना चाहता था क्योंकि इससे हो सकता था सोनू डर कर भाग जाती.
मैंने धीरे से सोनू की टांगें चौड़ी कीं और अपने दोनों पांव को सोनू की टांगों के बीच ले जाकर उसे अपनी गोद में बैठा लिया. चूंकि मैं कुर्सी पर बैठा था इसलिए सोनू आराम से मेरे लंड के उभार के ऊपर बैठ गई. मेरा तना हुआ लंड मेरे लोअर में मेरे पेट की तरफ था जिससे सोनू की चूत मेरे लंड के उल्टे भाग पर रगड़ खा रही थी.
मैंने सोनू को उसके दोनों चूतड़ों से पकड़ा और चूतड़ों पर दबाव देकर उसकी चूत को लण्ड पर दबा दिया. सोनू की सांसें तेज हो गई थी.
जब मैं सोनू की चूची पीता या उसकी चूत पर अपने लंड का दबाव बढ़ाता तो सोनू के मुंह से सिसकारी की आवाज़ निकलती थी. मैं बेहताशा सोनू को जगह-जगह से मसल रहा था.
सोनू चूचियां दिखाने पर राजी तो हो गई थी लेकिन उसके गले में उसकी ब्रा और उसका टॉप फंसा हुआ था.
मैंने सोनू के कान में कहा- थोड़ी देर के लिए इस ब्रा और टॉप को निकाल दो.
सोनू कुछ नहीं बोली तो मैंने नीचे से टॉप और ब्रा को अपने हाथों से उठाकर उसके सिर और बाजू से निकाल दिया. सोनू अब मेरे कमरे में केवल स्कर्ट में थी. उसका ऊपर का नंगा बदन इतना सुंदर था कि कोई भी अपने होश खो सकता था, परंतु मैंने अपने ऊपर काबू रखा. मैंने सोनू को गोद से उतारा, उसके पीछे गया और पीछे से उसकी कमर को अपनी छाती से लगाकर उसके मम्मों से खेलने लगा.
मैं धीरे-धीरे सोनू के पेट पर हाथ फिराने लगा, पेट पर हाथ फिराते फिराते मैं अपनी उंगलियों को थोड़ा स्कर्ट के इलास्टिक के अंदर तक डालकर फिराने लगा. सोनू सिसकारियां भरे जा रही थी. मैं सोनू को ले कर बेड पर लेट गया और उसे अपने ऊपर लिटा लिया. सोनू चुपचाप मेरा साथ देती रही.
जब काफी देर हमने आपस में प्यार कर लिया और सोनू उत्तेजित हो गई तो मैंने सोनू से कहा- सोनू, जरा नीचे हाथ लगा लूं.
सोनू कुछ नहीं बोली और मैं समझ गया था कि वह मुझे परमिशन दे चुकी है. मैंने अपना हाथ सोनू की स्कर्ट से अंदर डाल कर पहले उसके चूतड़ों पर फिराया और कुछ देर चूतड़ों पर हाथ फिराने के बाद मैंने सोनू को सीधा किया और उसकी चूचियां पीने लगा.
चूचियां पीते-पीते मैं सोनू के पटों और जांघों में हाथ मारने लगा. मैंने धीरे-धीरे सोनू के पेट के निचले हिस्से पर हाथ फिराना चालू रखा. सोनू आंखें बंद करने लगी. मैंने मौका देख कर सोनू की पैंटी में हाथ डाला और सीधा हाथ चूत के ऊपर टिका दिया. मेरे हाथ को उसकी चूत बहुत गर्म लगी और साफ पता लग रहा था कि उसकी पानी छोड़ चुकी थी.
चूत पर जैसे ही मेरा हाथ गया सोनू ने मदहोशी की हालत में मुझसे कहा- नहीं, यह मत करो.
मैंने सोनू की बात नहीं सुनी और धीरे-धीरे अपना हाथ उसकी चूत के ऊपर फिराता रहा. मैं बेड के ऊपर लेट कर सोनू की चूत का क्लिटोरिस मसलने लगा और धीरे-धीरे एक उंगली उसकी चूत के छेद में भी चलाने लगा था. सोनू के मुंह से आह … आह … उई … मत करो … की आवाज निकालने लगी थी.
उसी वक्त मैंने सोनू की पैंटी नीचे करके उसकी चूत को देखा. बहुत ही शानदार गोरी उभरी हुई छोटी सी चूत थी. चूत के ऊपर हल्के हल्के रोयें से थे. मैंने सोनू की पेंटी को उसके पांव में से निकाल दिया और साथ ही उसकी स्कर्ट को भी निकाल कर उसको बिल्कुल नंगी कर लिया. सोनू ने अपने हाथों से अपनी आंखें बंद कर ली.
सोनू का नंगा बदन मेरे बेड पर मेरी आंखों के सामने था. धीरे-धीरे मैंने उसकी टांगों को खोला और देखा कि उसकी चूत का छेद इतना छोटा था कि उसमें मेरी एक उंगली ही जा सकती थी. मैंने धीरे-धीरे अपनी एक उंगली उसमें डाली और अंगूठे से सोनू की चूत का क्लिटोरिस रगड़ने लगा. मैं अपने बायें हाथ से सोनू के मम्मे दबाता रहा और दायें से उसकी चूत में उंगली करता रहा.
उसी वक्त मैंने सोनू का एक हाथ पकड़ा और अपने लोअर के अंदर डाल दिया. लोवर में सोनू का हाथ जैसे ही मेरे लंड पर टच हुआ तो सोनू ने उसे पकड़ लिया और पकड़ते ही वह उठकर बैठ गई.
मैंने सोनू से पूछा- क्या हुआ?
सोनू कहने लगी- मैंने नहीं करना.
मैंने पूछा- क्या नहीं करना है?
वह कहने लगी- आपका यह बहुत मोटा है.
उसने मेरे लोअर को नीचे कर दिया, और उसके सामने मेरा 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लंड लहराने लगा. सोनू उठकर कपड़े पहनने लगी.
मैंने कहा- सोनू क्या बात है?
वह कहने लगी- मुझे जाने दो, मैंने नहीं करना.
मैंने सोनू से कहा- मैंने कब कहा है कि करना है? तुम इतनी क्यों घबरा रही हो? क्या तुमने पहले कभी किसी आदमी का लंड नहीं देखा है?
उसने बताया कि उसने लंड देखा है.
मैंने भी पूछ लिया कि किसका देखा है?
सोनू ने बताया कि उसके पापा रात को 10.00 बजे घर आते हैं और खाना खाने के बाद मम्मी के साथ अपने बेडरुम में सो जाते हैं. मम्मी के बेडरूम के साथ ही हम दोनों बहन भाई का बेडरूम है. भाई जल्दी सो जाता है. एक दिन रात 11 बजे के करीब मम्मी के कमरे से अजीब सी आवाजें आ रही थीं. मम्मी के कमरे की लाइट जल रही थी. हमारा दरवाजा थोड़ा खुला था. जब मैंने उठकर दरवाजे में से देखा तो मम्मी पापा बिलकुल नंगे थे. मम्मी नीचे लेटी थी और पापा उनको ऊपर चढ़ कर चोद रहे थे.
वह बोली- मैं मम्मी पापा को यह काम करते हुए अक्सर देखती हूं. लेकिन मेरे पापा का लंड तो आपके लंड के आधे साइज से भी छोटा और पतला है.
मैंने सोनू से पूछा- तुम्हारी मम्मी कैसी हैं?
सोनू ने बताया- मेरी मम्मी बहुत सुंदर हैं और बहुत सेक्सी हैं, उनकी चूत तो बहुत सुन्दर और फूली हुई है. मम्मी चुदते वक्त बहुत सारी आवाजें निकालती हैं.
मैंने पूछा- क्या उनको नहीं पता कि तुम जागती रहती हो और उनको देखती रहती हो?
सोनू ने कहा- नहीं, मैं पिछले एक साल से यह सब देख रही हूँ और जब देखती हूँ तो मेरा भी बहुत दिल करता है.
मैंने पूछा- तुम्हारी मम्मी की ऐज क्या है?
सोनू ने कहा- 37 वर्ष है और पापा 44 के हैं.
मैंने पूछा- फिर तुम क्या करती हो?
सोनू ने कहा- एक बार मैंने अपने साथ सोए हुए भाई का लंड अपने हाथ में पकड़ लिया. मेरा भाई बड़ी गहरी नींद में सोता है. मम्मी पापा का बेड हमारे कमरे के दरवाजे से केवल चार-पांच फुट की दूरी पर ही है. जब मैंने पहली बार देखा तो देखा कि मेरी मम्मी नंगी नीचे लेटी हुई थी और मेरे पापा बिल्कुल नंगे मम्मी की चूत में लंड डालकर उसे आगे पीछे कर रहे थे. मैं एकदम यह देख कर पीछे हट गई और अपने बेड पर लेट गई, लेकिन कमरे से लगातार आवाजें आती रहीं. मैंने दोबारा उठकर देखा तो मेरे पापा नीचे लेटे हुए थे और मेरी मम्मी उनके ऊपर लेटी हुई थी और मम्मी की चूत में पापा का लंड आ जा रहा था. चूंकि मम्मी पापा के मुझे केवल चूतड़ ही दिखाई दे रहे थे इसलिए वह मुझे नहीं देख सकते थे. उस रात उनका वह काम देख कर मुझे नींद नहीं आई और मैं दिन में भी सारा दिन उदास रही क्योंकि मुझे अच्छा नहीं लगा था.
सोनू अपनी मम्मी और पापा की चुदाई बताती रही- अगली रात जब पापा आए तो खाना खाकर मम्मी पापा लेट गए. कुछ देर बाद मैं उठी और देखा कि मम्मी बेड के नीचे टांगे लटकाए बैठी थी और पापा ने अपनी पैंट और अंडरवियर निकाल रखा था तथा मम्मी को अपना लंड मुंह में देकर चुसवा रहे थे. मैंने देखा पापा का लंड लगभग 3 इंच का था. उसके बाद पापा ने मम्मी का गाउन निकाला और उनको नंगी कर दिया. पापा मम्मी की चूचियां पीने लगे, मम्मी को किस करने लगे, मैं खड़ी-खड़ी देखती रही, मुझे उस दिन कुछ अच्छा लगा.
मैंने देखा मम्मी पापा बेड पर लेटे थे. पापा करवट लेकर अपनी एक टांग को मम्मी के पट पर रखकर कभी मम्मी का चूचा सहला रहे थे तो कभी मम्मी की चूत पर हाथ फिरा रहे थे. कुछ देर बाद पापा नीचे की तरफ आए और मम्मी की टांगों को थोड़ा ऊपर करके मम्मी की चूत को चाटने लगे.
जब पापा मेरी मम्मी की चूत चाट रहे थे तो मम्मी के मुंह से अजीब सी आवाजें आ रही थी और मम्मी अपना सिर इधर उधर मार रही थी. कुछ देर बाद मम्मी ने पापा से कहा- अब अंदर डालो, मेरा होने वाला है.
पापा ने उठकर मम्मी की टांगों को मोड़ा और अपना लंड मम्मी की सुंदर चूत के अंदर दे दिया और ऊपर नीचे अपने चूतड़ों को करते हुए मम्मी को चोदने लगे.
मम्मी पापा दोनों एक दूसरे को चूम चाट रहे थे और तरह-तरह की आवाजें निकाल रहे थे. मैं यह सब आखिर तक देखती रही और न जाने कब मेरा अपना हाथ मेरी चूत को सहलाने लगा. कुछ देर बाद मैंने देखा कि पापा ने बहुत जोर से मम्मी को चोदना शुरू किया और लंड को जोर-जोर से अंदर घुसा कर मम्मी से चिपक गए. कुछ देर तक दोनों चिपके रहे.
फिर मैंने देखा जब मम्मी उठी तो उनकी चूत से सफेद सफेद गाढ़ा सा कुछ निकल रहा था, जिसे मम्मी ने पास में रखे हैंड टॉवल से साफ किया. मम्मी पापा दोनों बाथरूम में इकट्ठे चले गए. उनका यह काम लगभग दो-चार दिन के बाद मैं देख लेती थी और मुझे उस में मज़ा आने लगा था.
मैंने सोनू को सेक्स के लिए तैयार कर लिया था. मगर अभी वह चूत चुदवाने के लिए नखरे कर रही थी. फिर उसने बताया कि वह कई बार अपने मम्मी और पापा को सेक्स करते हुए देखती है और अपनी चूत की गर्मी को उंगली से शांत करने की कोशिश करती है.
सोनू अपनी रात वाली कहानी बताते हुए कहने लगी- जब उनका काम खत्म हो जाता था तो मैं बेड पर भाई के साथ आ कर लेट जाती थी और भाई से चिपकने की कोशिश करती थी. एक दिन मैंने मेरे भाई के लोअर में हाथ डाला और भाई के लंड को सहलाने लगी लेकिन भाई का लंड पापा से भी बहुत छोटा और पतला था. मेरा भाई गहरी नींद में सोता है. एक रोज मैंने अपना कमरा अंदर से बंद किया और भाई का लोअर नीचे करके उसके लंड को सहलाने लगी. भाई की लुल्ली खड़ी हो गई.
मैं हाथ से ही उसके लंड को ऊपर-नीचे करती रही. मैंने अपनी पेंटी निकाली और जिस तरह से मम्मी पापा के ऊपर बैठी थी, उसी तरह से भाई के लंड पर बैठने की कोशिश की. मैंने अपने घुटनों को भाई के दायें बायें करके अपनी चूत में उसके लंड को पकड़कर रगड़ती रही.
जब भी मैं भाई के लंड को अंदर लेने की कोशिश करती तो भाई हिलने लग जाता था.
एक बार मुझे दर्द भी हुआ. मैं अपनी चूत की आग अपनी उंगली और भाई के पतले लंड से रगड़ कर शांत कर लेती थी. एक बार तो मैंने भाई के लंड और अपनी चूत के अंदर थोड़ा तेल लगा कर किया तो लंड चूत में आधे के करीब घुस गया था. मुझे लगा ऐसा करने से भाई को भी मज़ा आने लगा था. लेकिन मैं डरती थी कि कभी भाई की आँख न खुल जाए.
सोनू बोलती रही मैं सुनता रहा.
सोनू कहने लगी- मम्मी और पापा की चुदाई को देख-देख कर मेरा भी चुदने को मन करता था, परंतु मैं क्या करती?
मैंने सोनू से कहा- फिर अब क्यों डर रही हो?
सोनू कहने लगी- मेरे इस छोटे से छेद में जब भाई के लंड से मुझे दर्द हुआ था तो आपके इस लंड से तो मेरी जान ही निकल जाएगी.
मैंने सोनू को समझाया कि तुम अब पूरी जवान हो चुकी हो, औरत की चूत में भगवान ने इतनी जगह बनाई है कि वह बड़े से बड़ा लंड भी ले सकती है. मैंने सोनू को अपना लंड हाथ में पकड़ने के लिए बोला और उसको अपने लंड का सुपारा उसकी उंगलियों से दबाने के लिए बोला.
सोनू पहले तो झिझकी लेकिन फिर उसने सुपारे को अपने हाथ में लेकर दबाया.
मैंने सोनू से कहा- अब लंड को बीच से दबाओ.
उसने लंड को बीच से दबाया.
मैंने अंतर पूछा तो सोनू कहने लगी- लंड का आगे का हिस्सा बड़ा नर्म और सॉफ्ट है जबकि बीच का और पीछे का हिस्सा बहुत सख्त है.
मैंने सोनू को समझाया कि भगवान ने लंड का सुपारा सॉफ्ट इसलिए बनाया है कि पहली चुदाई में या बाद की चुदाई में लड़की की चूत को कोई नुकसान न हो. मैंने सोनू को समझाया कि चूत के अंदर एक पतली सी झिल्ली होती है जो पहली बार संभोग करने से फट जाती है और उससे थोड़ा सा खून निकलता है, जो लगभग 10-15 बूंदों के समान होता है और कुछ नहीं होता.
मैंने सोनू से पूछा- तुमने अपने मम्मी पापा को करते हुए लास्ट टाइम कब देखा था?
सोनू ने बताया- आज रात को ही देखा था.
उसने बताया कि कल शाम को जब पापा आए तब भी बारिश शुरू हो गई थी और सोते वक्त पापा ने मम्मी को कहा आज तो बारिश ने बड़ा सेक्सी मौसम बना दिया है. मम्मी कहने लगी आज तो मेरा भी बहुत दिल कर रहा है, वैसे भी तीन-चार दिन हो गए हैं और बच्चे भी सो गए हैं. मुझे तब समझ में आया की बारिश के मौसम में लोग सेक्स करते हैं.
मैंने सोनू से पूछा- फिर तुम्हारा दिल किया था करवाने को?
सोनू ने बताया- कल तक तो आपसे मिलकर मैंने यह सोचा था कि मैं यह काम नहीं करूंगी, परंतु रात को जब मैंने मम्मी पापा को देखा तो मेरा फिर दिल किया और मैंने उंगली से करके अपनी प्यास बुझाई और मन में सोचा कि कल अगर आप कुछ करेंगे तो मैं मना नहीं करूंगी.
मैंने अपने दोनों कपड़े निकाल दिए. मुझे पता था कि मुझे सोनू को चोदना है, तो दिन में ही मैं केमिस्ट से एक वाटर जैल ट्यूब ले आया था. मैंने सोनू को अलमारी में से जैल निकाल कर दिखाई और कहा कि यह जैल कुंवारी लड़की के साथ जब पहली बार किया जाता है तो लगाई जाती है और इससे लंड अंदर करने में कोई दिक्कत नहीं होती.
उसको समझाया कि वह चिंता न करे और मेरा साथ दे.
सोनू ने अपनी गर्दन और नजरें नीची कर ली.
मैंने सोनू को बेड पर नीचे टांगे लटका कर बैठने को कहा और अपना खड़ा लंड उसको पकड़ाया. सोनू मेरे लंड को अपने नाजुक हाथों की उंगलियों से आगे पीछे करती रही और मेरी नजरों में देखती रही.
मैंने कहा- चिंता मत करो, जब तुम कहोगी, मैं यह काम बंद कर दूंगा.
सोनू ने कहा- बहुत बड़ा है.
मैंने कहा- जब भी तुम्हें दर्द हो मना कर देना, पहले लण्ड के साथ दिल लगाकर खेलो.
अपने लंड को मैंने सोनू की दोनों चूचियों के बीच में रखा, सोनू की दोनों चूचियां मेरी जांघों में लग गई और हाथ से उसकी चूचियों को इकट्ठा करके उस में लंड चलाना शुरु कर दिया.
मैंने सोनू से कहा- लंड को मुंह में लो.
सोनू ने धीरे-धीरे अपने होंठों को लंड के ऊपर रखा और उसके ऊपर होंठ रगड़ने लगी. सोनू की धीरे-धीरे अब झिझक खुल रही थी और वह मेरा साथ देने लगी थी. उसने मेरे लंड को चूसना शुरू किया. ऐसा लग रहा था जैसे सोनू को लंड चूसने का एक्सपीरियंस था. इसका कारण यह था कि वह अपनी मम्मी को पापा का लंड चूसते हुए देख चुकी थी. वह मेरे मोटे लंड को अपने मुंह में मुश्किल से भर रही थी.
कुछ देर के बाद मैंने सोनू को बेड पर लिटाया और उसकी टांगों को ऊपर करके उसकी चूत के ऊपर अपनी जीभ टिकाई. जीभ टिकते ही सोनू कसमसाने लगी. मैंने सोनू की पूरी चूत को अपने मुंह में भरकर एक जोर का चुस्का मारा. मेरे मुंह में सोनू की चूत की दोनों फांकें और उसका क्लिटोरिस आ गया था और मैं उन्हें खाए जा रहा था. सोनू बार-बार मेरे मुंह को अपनी जांघों में भींचने लगी और कहने लगी- बस करो … बस करो!
मैंने सोनू से पूछा- सोनू बताओ लंड अंदर लेना है या नहीं?
सोनू कहने लगी कि लंड तो मैं बहुत समय से लेना चाहती हूँ, आपने जो करना है करो.
उसके बाद मैंने बेड पर रखी जैल उठाई और उसको सोनू की चूत के छेद और आसपास लगाया और काफी सारी क्रीम अपने लंड पर लगाई. मैंने सोनू की टांगें पूरी चौड़ी कर दी और पहले सोनू की चूत में अपने बीच वाली बड़ी उंगली डाली. उंगली को चला कर मैंने जैल को अंदर तक पहुंचा दिया. सोनू आहें भरती रही. उसके बाद मैंने सोनू की सील तोड़ने के लिए अपने लण्ड का सुपारा छेद पर लगा दिया. सोनू शी …शी … करती रही, मुझसे कहने लगी- बहुत दर्द नहीं करना, नहीं तो मैं चीख पडूँगी.
फिर मैंने सोनू से कहा- सोनू, यदि मजा लेना है तो थोड़ा सा दर्द बर्दाश्त करना होगा और अगर चीखना है तो तुम अभी उठो, अपने कपड़े पहनो और अपने घर जाओ.
सोनू ने मेरी ओर देखा और बोली- ठीक है करो.
कुछ देर तक मैं सोनू के नंगे शरीर के ऊपर लेट गया उसके दोनों गालों को अपने हाथों में लेकर उसके होंठों पर प्यार किया. उसकी चूचियों को हाथ से मसला और उसकी दोनों टांगों को थोड़ा चौड़ा करके अपने लंड को हाथ से पकड़ कर उसकी चूत के छेद पर लगाया. उसके ऊपर लेटे लेटे मिशनरी पोजीशन में ही थोड़ा अपने चूतड़ों का दबाव डाला, तो लण्ड अंदर जाने लगा.
मैंने अपने होंठों को सोनू के होंठों से जोड़े रखा और दबाव बढ़ाता गया. सोनू आंखें बंद करके मेरा लंड अंदर लेती रही.
मैं धीरे-धीरे सोनू से पूछता रहा- दर्द हो रहा है?
सोनू ने कहा- नहीं.
मैंने थोड़ा और दबाव दिया, लंड का सुपारा चूत के छेद को पकड़ चुका था. मैंने सुपारे को वहीं पर रोक दिया और कुछ देर तक उसको वहीं रखा.
मैंने सोनू से पूछा- दर्द हो रहा है?
सोनू ने कहा- दर्द तो नहीं हो रहा है लेकिन ऐसा लग रहा है जैसे मेरी चूत में कोई मोटा डंडा अड़ा हुआ है.
मैंने कहा- यही डंडा तुम्हें जिंदगी का असली मजा देगा.
अपनी दोनों कुहनियों से मैंने सोनू को अपने शरीर के नीचे साइडों से दबाया और लंड पर थोड़ा दबाव और डाला. लंड जैसे ही आगे सरका सोनू आई … आई … करने लगी.
मैंने सोनू से कहा- बस थोड़ी हिम्मत रखो, अभी सब कुछ ठीक हो जाएगा.
मैंने सोनू के मुंह को अपने हाथ से दबाकर, एक जोर का झटका दिया और सोनू की चीख को उसके मुंह में ही दबा दिया और अपने लंड की हरकत को जारी रखते हुए एक और जोरदार झटके से आधा लंड अंदर घुसेड़ दिया.
सोनू छटपटाने लगी और कहने लगी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… छोड़ दो … छोड़ दो …
मैंने सोनू से कहा- जो कुछ होना था वो हो गया है, झिल्ली फट चुकी है, अब आगे इससे ज्यादा दर्द नहीं होगा. इसको थोड़ा सहन करो.
सोनू कहने लगी- एक बार निकाल लो, फिर डाल लेना.
मैंने कहा- दोबारा फिर दर्द होगा.
मैंने सोनू के मुंह को अपने हाथ से जोर से दबा कर, एक झटके में सोनू की नई और कुंवारी चूत में अपना 8 इंच का लौड़ा ठोक दिया. सोनू अपने हाथ-पांव मारने लगी. मैंने उसके सिर पर हाथ फिराया और कहा- हो गया है, अब सारी उम्र तुम्हें इस काम में केवल मजा ही मजा आएगा.
सोनू की आंखों से आंसू निकल आए थे. वह कहती रही कि एक बार निकालो, मेरी जान निकल रही है, बहुत जलन हो रही है, ऐसा लगता है जैसे चूत के अंदर सबकुछ फट गया है.
मैंने कहा- कुछ नहीं फटा है, हर लड़की की ऐसे ही फटती है.
फिर मैंने लंड को एक दो बार आगे पीछे किया. सोनू की आंखों से आंसू निकल रहे थे और वह दर्द से बिलबिला रही थी. जब मैंने लंड को ऊपर नीचे किया तो ऐसा लग रहा था जैसे सोनू की चूत का छल्ला मेरे लंड के साथ चिपक कर बाहर आ रहा था. मैंने नीचे चूत की ओर देखा, मेरे लंड के ऊपर और सोनू की चूत पर खून लगा था. मैं उसे सोनू को नहीं दिखाना चाहता था. मैंने पास पड़े हैंड टावल से चूत और लंड के ऊपर लगे खून को साफ किया.
सोनू कहने लगी- प्लीज एक बार निकालो.
मुझे उस पर दया आ गई और मैंने धीरे-धीरे करके लंड बाहर निकाला और सोनू के देखे बगैर उसको फिर कपड़े से साफ किया और साथ ही चूत पर अपना हैंकी रख दिया. सोनू नीचे लेटी रही, उसकी चूत से जितना भी ब्लड निकला, मैंने अपने हैंकी से सोख लिया और चुपके से उसे बेड के नीचे डाल दिया.
उसका बुरा हाल था, उसने कहा बस और नहीं करना मुझे, अब जाना है.
मैंने कहा- सारा काम बीच में ही छोड़ कर जा रही हो?
सोनू कहने लगी- कोई बात नहीं, फिर कर लेना.
मैंने सोनू को छोड़ दिया और उससे कहा जब तुम्हारा दिल करे उस दिन फिर आ जाना, परंतु आज तो मेरे लंड से पानी निकाल दो.
सोनू कहने लगी कि उसे बाथरूम जाना है. सोनू मुश्किल से बेड से उतरी और दीवार पकड़ती हुई बाथरूम में गई. मैं भी उसके साथ बाथरूम में गया. उसने अपनी चूत को देखा उस पर थोड़ा लाल-लाल ब्लड लगा था. सोनू ने उसको धोया और टॉवल से पोंछ कर बाहर आ गई.
जैसे ही वह कपड़े पहनने लगी तो मैंने सोनू से कहा- सोनू, अभी कपड़े मत पहनो, तुम मेरा तो काम पूरा कर दो.
सोनू कहने लगी- आज नहीं करना.
मैंने कहा- मेरा लंड खड़ा है, अपने हाथ से पानी निकाल दो.
सोनू मेरी आंखों की तरफ देखने लगी और एक बार मुस्कराई.
मैंने उससे पूछा- मुस्कुरा क्यों रही हो?
वह कहने लगी- जो मम्मी की चूत में से निकलता है, वह निकालना है?
मैंने कहा- हां, वह तुम्हारी मम्मी की चूत में से नहीं निकलता, वह तुम्हारे पापा के लंड से निकला हुआ माल होता है, जो तुम्हारी मम्मी की चूत में भर जाता है. अब तुम मेरे लंड को हिलाओ इसको अपनी चूचियों पर लगाओ और देखो कि इसमें से कैसे पानी निकलता है.
मैंने पूछा- वैसे तुम कैसा फील कर रही हो?
सोनू ने कहा- नीचे चूत में जलन हो रही है.
मैंने कहा- एक दिन में ठीक हो जाएगी, चिंता मत करो.
यह कहकर मैंने उसे बैड पर बिठा दिया और उससे कहा कि मेरे लंड को हाथ से हिला कर, अपनी चूचियों पर लगा कर, इसका रस अपने ऊपर डाले. सोनू अपने हाथों से मेरे लंड को हिलाने लगी. मैं सोनू की दोनों चूचियों से खेलता रहा. धीरे-धीरे उसके निप्पल अपने अंगूठे और उंगली से रगड़ने लगा.
सोनू बोली- मुझे कुछ होने लगा है.
मैंने कहा- यही तो जिंदगी का असली मजा है, अब तुम नहीं लेती तो बात दूसरी है. अब जल्दी-जल्दी हाथ चलाओ.
सोनू अपने हाथों से फटाफट मेरी मुट्ठ मारने लगी, लंड अकड़ता गया और कुछ ही देर में जैसे ही मेरे लंड ने पिचकारियां मारनी शुरू की वैसे ही मैंने सोनू को एकदम धक्का देकर बेड पर लिटा दिया और अपने लंड की पिचकारियां उसके मुंह, चूचियों, पेट और उसकी चूत पर छोड़ना शुरू कर दिया.
मेरे लंड की पिचकारियों ने सोनू की चूत, उसके पेट, चूचियों और मुंह को तर कर दिया.
सोनू ने जब यह देखा तो कहने लगी- यह क्या है? ऐसा तो मैंने पापा का नहीं देखा था.
मैंने कहा- तुम्हारे पापा की एज बहुत बड़ी है और उनका लंड भी बहुत छोटा है इसलिए उनका कम डिस्चार्ज होता है. सोनू वीर्य को अपने ऊपर गिरा हुआ देखकर मस्त हो गई.
बारिश रुक चुकी थी और वह जाने के लिए तैयार हो गई.
मैंने सोनू से पूछा- सोनू सच बताओ, आज तुम्हें अच्छा लगा या बुरा लगा?
सोनू कहने लगी- बाकी तो सब अच्छा लगा, लेकिन दर्द बहुत हुआ.
मैंने कहा- अगर दो दिन बाद करोगी तो बिल्कुल भी दर्द नहीं होगा और बहुत मजा आएगा.
सोनू ने कहा- ठीक है मैं दो दिन बाद आऊंगी.
मैंने कहा- प्रॉमिस!
तो उसने कहा- प्रॉमिस!
और वह चली गई.
अगले दिन सुबह जब मैं यूनिवर्सिटी जाने लगा तो मुझे नीचे भाभी दिखाई दी.
उन्होंने तुरंत मुझसे पूछा- दो दिन से सोनू तुम्हारे पास आ रही है, तुमने उससे बात की?
मैंने भाभी को बताया कि आप मस्त रहो वह कभी भी यह नहीं बताएगी कि हम पिक्चर देखने गए थे, मैंने शॉर्ट में भाभी को बता दिया कि मैंने उसकी चूत में लंड डाल दिया है.
भाभी मुस्कुराई और बोली- देवर जी, मुझे मत भूल जाना.
मैंने कहा- भाभी जो मजा आप में है, वह सोनू में नहीं है.
भाभी कहने लगी- हर किसी को मक्खन लगाने लगे हो.
पूरे तीन दिन तक सोनू नहीं आई. मैं बार-बार उसके घर के पिछले आंगन की तरफ देखता रहता था, लेकिन वहां भी दिखाई नहीं दी. चौथे दिन फिर बारिश का मौसम था. सुबह से ही बारिश होने लगी थी. मैं यूनिवर्सिटी जाने के लिए तैयार हो ही रहा था कि मेरे दरवाजे पर दस्तखत हुई. मैंने दरवाजा खोला तो देखा, अपने इंस्टिट्यूट की यूनिफॉर्म में सोनू दरवाजे पर खड़ी थी. उसके हाथ में एक पर्स और किताबें थीं. मैंने झट से उसका हाथ पकड़ा और अंदर कर लिया.
मैंने पूछा- तुम इस वक्त यहां कैसे आ गई?
वह कहने लगी- जैसे ही घर से निकली बारिश होने लगी, सबसे नजदीक आपका ही कमरा था. मैंने झट से दरवाजे की कुंडी लगाई और सोनू को बांहों में भर लिया. दरअसल उस यूनिफार्म में सोनू बहुत ही सेक्सी लगती थी. उसकी व्हाइट शर्ट में से उसके चूचे शर्ट के बटन तोड़ने को उतावले रहते थे.
मैंने सोनू से पूछा- अब तबीयत कैसी है?
वह इठलाकर बोली- मेरी तबीयत को क्या हुआ था? बिल्कुल ठीक है.
मैं समझ गया कि यह आज चुदने आई है.
मैंने पूछा- रात को ठीक से सोई थी या मम्मी पापा का कुछ देखा था?
सोनू कहने लगी- गई रात, कई दिन बाद मम्मी पापा ने फिर से किया और मैंने बड़े ध्यान से उनके सारे खेल को देखा.
रात को मैंने पापा का लंड बहुत ही ध्यान से देखा था, उनका तो बिल्कुल छोटा सा है, मम्मी को क्या मजा आता होगा?
मैंने कहा- अपनी मम्मी से फ्रेंडशिप करवा दो?
सोनू कहने लगी- शर्म नहीं आती, आपकी मां के बराबर हैं.
मैंने कहा- कोई बात नहीं, मां है तो नहीं.
मैंने सोनू से कहा- सोनू वैसे मैं एक बात बिल्कुल सही बोल रहा हूं कि तुम्हारी मम्मी इस लोकैलिटी में सबसे सेक्सी लेडी है.
सोनू कहने लगी- वह तो है ही, तभी तो मेरे पापा मम्मी के ऊपर चढ़े रहते हैं.
मैंने कहा- अच्छा यह बताओ, तुम्हारी मम्मी की चूत कैसी है?
सोनू कहने लगी- एकदम सुंदर, चिकनी और गोरी, अंदर से पिंक कलर की है.
सोनू मुझसे पूछने लगी- लेकिन मेरी चूत तो इतनी मोटी नहीं है जितनी मम्मी की है?
मैंने सोनू से कहा- जब बच्चा हो जाता है तो औरत का शरीर और ज्यादा कामुक और मलाईदार हो जाता है और उसको चोदने में बहुत मजा आता है.
सोनू कहने लगी- मुझे आज इंस्टिट्यूट नहीं जाना है और मैं यही तुम्हारे साथ ही रहूंगी.
उसके मुंह से यह सुनकर मेरे लंड ने मुझे सलामी दे दी.
मुझे नहीं पता था कि वह मुझसे चुदाई करवाने के लिए और ज्यादा बेचैन हो चुकी है. फिर एक दिन वह यूनिफॉर्म पहनकर मेरे रूम में आ पहुंची. मैंने पूछा तो कहने लगी कि आज मैं सारा दिन तुम्हारे पास ही रहूंगी.
मैंने कहा- यह तो बहुत अच्छी बात है. और यह कहकर सोनू के होंठों को चूम लिया और उसे चूचियों से पकड़ लिया.
सोनू कहने लगी- मेरी शर्ट पर दाग पड़ जाएंगे.
मैंने कहा- ठीक है फिर इसको उतार दो.
मैंने सोनू की शर्ट के बटन खोले और उनमें से उसका एक मम्मा पकड़ा.
सोनू कहने लगी- इतनी जल्दी क्या लगी है, आराम से करते हैं.
मैंने फिर पूछा- रात को ऐसा क्या देखकर आई हो?
सोनू कहने लगी- पापा ने मम्मी की बहुत जबरदस्त चुदाई की. शायद उन्होंने कोई दवाई खा रखी थी क्योंकि मम्मी उनसे कह रही थी कि आज कोई टेबलेट खाई है क्या जो इतना चोद रहे हो? मम्मी और पापा के कमरे से बहुत देर तक उनके मजे से चिल्लाने की आवाज आती रही. एक बार तो मेरा दिल किया कि मैं रात को ही तुम्हारे कमरे में आ जाऊं, परंतु फिर सोचा कि कहीं कोई उठकर देख लेगा तो मुझे ढूंढेंगे, बड़ी मुश्किल से रात काट कर आई हूँ.
मैंने सोनू की शर्ट निकाल दी, उसकी ब्रा भी खोल दी. जब मैंने सोनू की ब्रा में से उसके मम्मे को आजाद किया तो देखा कि वहां पर मेरे काटने के नीले निशान पड़े हुए थे. मैंने अपने सारे कपड़े निकाल दिये और सोनू को भी बिल्कुल नंगी कर दिया. मैंने सोनू की चूत को देखा तो पता चला कि उसने चूत के जो रोयें थे वे भी साफ कर रखे थे और उसकी चूत आज कुछ थोड़ी सी फूली हुई लग रही थी. शायद उस दिन भारी लंड घुसने से चूत थोड़ा उभार ले गई थी.
हम कमरे में दोनों नंगे खड़े थे. मैंने सोनू को अपनी छाती से लगा लिया और उसकी टांगें चौड़ी करके अपने हैवी लंड को उसकी चूत के नीचे लगाया. सोनू ने लण्ड को अपने दोनों पटों के बीच भींच कर मेरे लंड को दबा लिया. मैंने सोनू की दोनों चूचियां फिर पीनी शुरू की. उस दिन की चुसाई ने सोनू के निप्पलों का आकार भी थोड़ा बड़ा कर दिया था.
मैंने सोनू को नीचे खड़ा किया और खुद कुर्सी के ऊपर बैठकर सोनू की चूचियों को बारी-बारी से पीता रहा और उस के नंगे गोल चूतड़ों को अपने हाथों से सहलाता रहा. मेरे लंड का सुपारा सोनू की चूत पर रखा था. मैंने सोनू की चूत में अपना अंगूठा लगाया और उसके क्लिटोरिस को रगड़ते हुए सोनू से पूछा- आज तुम्हारी यह चूत क्या मेरे इस लंड को लेने के लिए तैयार है?
सोनू ने कहा- ट्राई करके देखो.
मैंने सोनू को बेड पर लिटाया उसकी चूत को अपनी जीभ और होंठों से पांच मिनट तक चाटा, उसके बाद मैंने उसी जैल का सोनू की चूत और अपने लंड पर लेप किया. मैंने सोनू के ऊपर लेट कर, उसी मिशनरी पोजीशन में लंड को चूत के छेद पर सेट किया.
सोनू ने पूछा- दर्द तो नहीं होगा?
मैंने कहा- आज नहीं होगा.
मैंने धीरे-धीरे अपने चूतड़ों से अपने लंड पर दबाव दिया, चूत पानी छोड़ चुकी थी और जैल लगाने से चिकनी हो गई थी, अतः लंड का सुपारा जल्दी ही अंदर चला गया. सोनू थोड़ा कसमसाई और मेरी आंखों में देखने लगी. मैंने फिर जोर लगाया तो आधा लंड चूत में उतर गया.
चूत में लंड को ऐसा लगा जैसे आगे कोई अड़चन है. दरअसल यह वह जगह होती है, जहां झिल्ली होती है, झिल्ली तो फट चुकी थी, लेकिन चूत में वहाँ थोड़ी टाइट जगह होती है, इसलिए लगता है कि अंदर रास्ता नहीं है. मैंने लण्ड पर थोड़ा और दबाव दिया तो लण्ड चूत की दीवार को चौड़ा करके अंदर घुसा. सोनू थोड़ा कसमसाने लगी. मैंने सोनू के दोनों चूचों को अपने हाथ से दबाया और एक झटके में पूरा लंड अंदर बैठा दिया. सोनू फिर कसमसाने लगी उम्म्ह… अहह… हय… याह… और सिर मारने लगी.
मैंने सोनू से पूछा- दर्द हो रहा है?
उसने कहा- थोड़ा सा.
मैंने कहा- अभी ठीक हो जाएगा.
उसके बाद मैंने सोनू की चूत में धीरे-धीरे लंड पेलना शुरू किया. सोनू को मज़ा आने लगा. हर धक्के पर सोनू आई … आई … आह … आहा … करने लगी.
मैंने सोनू के कान में पूछा- मजा आ रहा है?
उसने कहा- हां, बहुत मजा आ रहा है, करते रहो.
मैं समझ गया कि सोनू पूरी वासना में डूबी हुई है. मैंने सोनू की टांगों के नीचे से हाथ डाला और उसके घुटनों को मोड़ते हुए लंड से चुदाई शुरू की. सोनू अपनी गर्दन को इधर-उधर मारती रही और जोर-जोर से आह … आह…. करती रही. कुछ देर बाद सोनू का शरीर अकड़ने लगा और उसने मुझे अपने दोनों हाथों से कमर से खींच लिया. यह उसकी जिंदगी का पहला डिस्चार्ज था.
कुछ देर बाद सोनू कहने लगी- एक बार हटो.
मैंने पूछा- क्या हुआ?
सोनू कहने लगी- आज जिंदगी में ऐसा पहली बार हुआ है. बहुत मजा आया और मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मेरी चूत में से कुछ निकला है.
मैंने उसको बताया कि जिस प्रकार आदमी का वीर्य छूटता है उसी प्रकार लेडी का भी वीर्य छूटता है. उसको चूतरस बोलते हैं, आज तुम्हें पहला मजा आया है, इसलिए तुम्हें मुबारक. सोनू ने अपना सिर उठाकर मेरे दोनों गालों को पकड़कर मेरे होंठ चूम लिए.
मैंने उसको बताया कि आदमी और औरत के मजे में अंतर होता है. इसको ओरगाज़्म बोलते हैं. औरत को एक ही बार में कई ओरगाज़्म आ जाते हैं, जबकि आदमी का जब छूटता है तो उसको एक ही आता है और लंड से वीर्य छूटने के बाद उसे कुछ देर के लिए वक्त लगता है.
सोनू मुझसे पूछने लगी- तुम्हारा कब निकलेगा?
मैंने कहा- अभी थोड़ी देर में जब तुम्हें चोदूंगा तो निकलेगा.
सोनू कहने लगी- मेरे पापा की तरह मेरी चूत के अंदर ही छोड़ना.
मैंने कहा- ठीक है लेकिन मैं तुम्हें आईपिल लाकर दूंगा … तुम खाती रहना, वरना तुम प्रेग्नेंट हो जाओगी.
वह कहने लगी- ठीक है, आप ला देना मैं खा लूंगी.
मैंने सोनू की टांगों की तरफ जाकर दुबारा सोनू की टांगों को उसके घुटनों पर मोड़ा. चूत थोड़ी सी मोटी हो चुकी थी और बहुत सुंदर शेप ले चुकी थी. चूत का छेद भी अब कुछ खुला लग रहा था. मैंने अपना सुपारा दोबारा चूत पर लगाया और पानी छोड़ चुकी चूत में लंड को एक ही झटके में अंदर तक पेल दिया. सोनू की आह … निकल गई.
उसके बाद मैंने सोनू की चूत में ताबड़तोड़ झटके मारने शुरू किए. हर झटके पर सोनू तरह-तरह की आवाजें निकाल रही थी. सोनू की चूत को मैं लगातार चोदे जा रहा था. नीचे झुक कर मैंने कुछ देर सोनू के होंठों को चूसा.
सोनू कहने लगी- रुको मत, करते रहो. जिस पोजीशन में मेरे पापा, मम्मी को चोदते हैं, उसी पोजीशन में तुम मुझे चोद रहे हो, वह भी ऐसे ही टांगे उठा-उठा कर चोदते हैं. मेरी मम्मी के चूतड़ एकदम भारी, गोरे और चिकने हैं. मेरे कैसे लगते हैं?
मैंने कहा- मेरी जान तुम्हारे तो और भी सुंदर हैं, बिल्कुल नए हैं. कुछ दिन और लण्ड लेती रहोगी तो और भी ज्यादा निखार आ जाएगा क्योंकि जैसे ही कोई कुंवारी लड़की चुदवाने लग जाती है और चूत में लंड का रस पीने लग जाती है तो उसमें एक खास प्रकार के हार्मोन डेवलप होते हैं जिससे लड़की के रूप रंग पर अलग ही निखार आ जाता है.
यह बात सुनकर सोनू खुश हो गई. वह कहने लगी- मैं हर रोज तुमसे चुदवाया करूंगी.
मैं सोनू के ऊपर चढ़ा हुआ उसकी चूत को ठोकता रहा और सोनू मेरे नीचे लेटी हुई मेरे पूरे मोटे लंड को अपनी चूत में लेती रही और मजे से कुछ-कुछ बोलती रही. चूंकि सोनू की चूत मरवाने की फैंटसी बहुत दिनों से थी अतः आज एक ही दिन में वह सारी चीजें करना चाहती थी जो उसने अपने मम्मी पापा की चुदाई में देखी थी.
मैं सोनू को चोदते हुए उसे हर प्रकार का सुख दे रहा था. कुछ देर बाद चुदाई अपनी चरम सीमा पर पहुंची. सोनू कहने लगी- आज बहुत मजा आ रहा है. थोड़ा जोर-जोर से करो.
मैंने उस नाटी सी लड़की को जोर-जोर से चोदना शुरू किया और वह भी हर झटके पर अपने चूतड़ उठा कर मेरा साथ दे रही थी. काफी देर की घमासान चुदाई के बाद मेरे लंड ने उसकी चूत में अपने वीर्य की गरम पिचकारी मारनी शुरू की.
सोनू का भी पानी निकल गया था और उसने मुझे कसकर भींच लिया था. जब मेरा वीर्य सोनू की चूत के अंदर पिचकारी मार रहा था तो सोनू को बहुत आनन्द आ रहा था.
सोनू बोली- गर्म गर्म क्या है?
मैंने कहा- यह वही है जो तुम चाहती थी.
कुछ देर बाद हम दोनों शांत हो गए. लंड को अंदर डाले हुए ही मैं सोनू के ऊपर लेटा रहा. सोनू अपनी आंखें बंद किए मेरे लंड के रस को अपनी चूत में सोखती रही. इस दौरान मैं सोनू को जगह-जगह पर चूमता रहा, इससे उसको पूरी संतुष्टि मिल गई.
कुछ देर बाद मैंने अपने लंड को निकाला तो सोनू की चूत से मेरा वीर्य बाहर निकलने लगा. सोनू ने अपनी चूत पर हाथ लगाया तो उसका हाथ वीर्य से भर गया. उसने बैठकर चूत को देखना शुरु किया, बेड की चादर पर वीर्य टपक रहा था.
मैंने सोनू से पूछा- तुम्हारी मम्मी की चूत से ऐसे ही निकलता है?
उसने कहा- हां, ऐसे ही निकलता था लेकिन वह तो कुछ एक बूंद होती थीं, यह तो निकले जा रहा है.
मैंने सोनू से कहा- सोनू, आज तुम कली से फूल बन गई हो, आज का दिन याद रखना.
सोनू खुश हो गई. मैंने उसको चूत साफ करने के लिए हैंडटॉवल दिया. उसने चद्दर और चूत को साफ किया और उठ कर बाथरूम जाने लगी. जैसे ही वह बेड से उठी, वीर्य उसकी चूत से निकल कर उसके दोनों पटों पर बहने लगा. वह टांगें चौड़ी करके चलती हुई बाथरूम गई. बाथरूम में जाकर उसने अपनी चूत को साफ किया.
जब बाहर आई तो बड़ी खुश लग रही थी.
मैंने कहा- मैं तुम्हारे लिए कुछ आईपिल लाकर दूंगा, जिस दिन भी तुम चुदवाओगी, उस दिन यहीं से वह आईपिल खाकर जानी है.
सोनू कहने लगी- बहुत सारी ले आना.
मैं हंसने लगा और मैंने सोनू से कहा- अब देखना, एक दो महीने बाद तुम्हारे ऊपर पूरा निखार आएगा और तुम्हारा शरीर और सुंदर होगा.
सोनू खुश हो गई.
हम दोनों बेड पर लेट गए. सोनू मुझसे चिपक कर सोने लगी. दोपहर के 12:00 बज चुके थे. मुझे भूख लगने लगी थी.
मैंने सोनू से कहा- मैं नीचे जाकर कुछ खाने के लिए ले आता हूं.
सोनू कहने लगी – मेरे हैंडबैग में सैंडविच हैं, जो मैं दोपहर को खाती हूं, आज मैंने ज्यादा रख लिए थे.
हमने सैंडविच खाए और कुछ देर बाद मैं चेयर के ऊपर बैठ गया और सोनू को लंड चूसने के लिए कहा. सोनू नीचे जमीन पर बैठ गई और अपने दोनों हाथों को उसने मेरे पटों पर रखा और मेरे लंड को चूसने लगी. थोड़ी देर में लण्ड फिर सख्त हो गया.
सोनू से मैंने कहा- अपनी दोनों टांगें चेयर के आसपास फैला कर मेरे लंड को अपनी चूत में लेकर मेरी गोद में बैठ जाओ.
सोनू अपनी चूत को मेरे लंड के ऊपर रखकर धीरे-धीरे नीचे तक आने लगी.
जब वह बहुत नीचे गई तो एकदम बोली- आई … यह तो बहुत लगता है.
मैंने उसके चूतड़ों को अपने हाथों से सहारा दिया और उन्हें ऊपर नीचे करते हुए धीरे-धीरे सोनू को अपनी गोद में पूरा लंड फिट करके बैठा लिया. इस पोजीशन में मेरा लंड उसके आधे पेट में घुसा हुआ था. पता नहीं भगवान ने चूत में कितना रास्ता बनाया है. छोटे से कद की लड़की, मेरा 8 इंच का लंबा मोटा लौड़ा पूरा ले गई.
इस पोजीशन में मैंने उसके सिर के पीछे हाथ लगा कर उसको अपनी छाती से लगाया उसकी कमर पर हाथ फिराता रहा और उसको कहा थोड़ा ऊपर नीचे होती रहो. परंतु उसकी टांगें छोटी होने के कारण नीचे जमीन पर नहीं टिक रही थीं. इस पोजीशन में बैठे-बैठे मैंने सोनू को उठाया और खड़ा होकर अपने लंड पर टांग लिया. मैंने देखा कि सोनू के चेहरे पर पूरी संतुष्टि के भाव थे.
कुछ देर में सोनू कहने लगी कि बेड पर ही अच्छा लगता है, वैसे ही करो, जैसे पहले किया था.
मैंने सोनू को फिर बेड पर लिटाया और उसके ऊपर चढ़ गया. चढ़ते ही मैंने सोनू की चूत की चुदाई शुरू की. अबकी बार चूंकि चूत के अंदर मेरा वीर्य भी लगा हुआ था तो फच-फच की आवाज आने लगी.
चुदाई में सोनू को भी बहुत मजा आ रहा था. सोनू नीचे से अपने चूतड़ उठा-उठा कर मजा ले रही थी. जब मैं अपने लंड को अंदर डालने से रोक देता था तो सोनू नीचे से अपने चूतड़ उछालती थी और मुझे कहती- करो.
मैंने पूरा जोर लगा कर सोनू की चुदाई की. सोनू की चूत ने पानी छोड़ दिया और उसने कस कर मुझे अपनी ओर खींच लिया.
सोनू कहने लगी- मेरी चूत से फिर पानी निकल गया है.
उससे मैंने कहा- घोड़ी बनो.
सोनू कहने लगी- हां, पापा भी मम्मी को घोड़ी बनाकर चोदते हैं. लेकिन मम्मी के तो चूतड़ बहुत भारी हैं और पापा का लंड छोटा है, तो वह अंदर कैसे करते हैं?
मैंने कहा- तुम्हारी मम्मी को उसी से आदत पड़ी हुई है तो उसी से काम चल जाता है.
सोनू कहने लगी- हाय, मम्मी बेचारी.
मैंने कहा- तुम्हें, मम्मी पर बड़ा तरस आ रहा है.
सोनू बोली- काश! मैं एक बार मम्मी को तुम्हारा लौड़ा दे सकती.
मैंने कहा- तो इसमें कौन से पैसे लगते हैं? मैं तैयार हूँ.
सोनू कहने लगी- राज, मेरी मम्मी की चूत तो पाव रोटी सी है और उनका गुलाबी छेद भी थोड़ा चौड़ा है, तो उनके लिए तो तुम्हारा लौड़ा फिट रहेगा.
मैंने कहा- मैं तो तैयार हूँ.
सोनू कहने लगी- यार ये हो जाए तो कसम से मम्मी को मज़ा आ जायेगा.
सोनू ने बताया कि उसके पापा बेड से नीचे खड़े होकर उसकी मम्मी को पीछे से चोदते हैं और कभी-कभी तो अपना एक पाँव बेड के ऊपर रखकर चुदाई करते हैं.
मैंने सोनू से कहा- मैं तुम्हें सारे एक्सपेरिमेंट दिखाता हूं.
सोनू बेड के किनारे पर घोड़ी बन गई. मैंने उसकी चूत को अपने अंगूठे और उंगली से थोड़ा खोलकर देखा. तीन-चार बार चोदने के बाद चूत की शेप बदल गई थी, अब उसके बाहर का हिस्सा फूल कर ज्यादा मोटा हो गया था. मैंने सोनू की चूत में अपना सुपारा अंदर किया, सोनू पीछे मुड़कर मेरी तरफ देखने लगी.
मैंने कहा सोनू- तुम्हारी गांड और चूत बहुत सुंदर हैं. मेरी अच्छी किस्मत है जो मुझे तुम्हारी चूत चोदने को मिल रही है.
सोनू कहने लगी- मेरी भी अच्छी किस्मत है कि पहली बार ही मुझे इतना बड़ा और मोटा लौड़ा मिला है. मम्मी ने तो ऐसा देखा भी नहीं होगा.
मैंने सोनू से कहा- अगर तुम चाहो तो अपनी मम्मी को यह लौड़ा दिलवा सकती हो.
सोनू कहने लगी- मगर यह सब होगा कैसे?
इसी बीच उसने मुझसे अपने मम्मी और पापा की चुदाई की बातें करना शुरू कर दीं. मैं उसकी बातें सुनकर और ज्यादा जोश में आ गया था.
अब आगे:
सोनू कहने लगी- मैं चाहती हूं कि मम्मी जिस अदा से पापा से चुदती हैं उस अदा से यदि मम्मी इस लौड़े से चुदे तो मुझे बहुत अच्छा लगेगा.
सोनू की इन बातों ने मेरे मन में एक नया जोश भर दिया और मैंने उसकी जांघें पकड़ कर एक शॉट दे मारा. सोनू की चीख निकल गई.
वह बोली- बहुत अंदर तक लगता है. बस लेट कर चोदने में ही सबसे ज्यादा ठीक लगता है.
मैंने कहा- अभी तुम्हारी चूत में पूरी जगह नहीं बनी है और मेरा लंड बड़ा है, इसलिए तुम्हें अंदर लग रहा है, यदि यही शॉट मैंने तुम्हारी मम्मी की चूत में मारा होता तो वह झूम उठती.
सोनू भी रोमांच से भर गई और कहने लगी- राज बात तो तुम ठीक कह रहे हो, मम्मी के चूतड़ तो मेरे चूतड़ों से कहीं ज्यादा भारी हैं. उम्म्ह… अहह… हय… याह… जब वह तुम्हारे इतने बड़े लंड से चुदेगी तो उनको जो मजा आने वाला है मैं उसकी अपनी चूत में अभी से फील करने लगी हूँ।
सोनू के मुंह से ऐसी सेक्सी बातें सुन-सुनकर मेरा जोश हर पल और ज्यादा बढ़ता जा रहा था. मैं सोनू चूत में दोगुनी ताकत से धक्के मार रहा था और मेरा लंड उसके पेट में जाकर घुस जाता था. शरीर से तो लंड सोनू की चूत में जा रहा था मगर दिमाग में उसकी मां की चूत आने लगी थी.
खैर मैंने धीरे-धीरे पीछे से सोनू की चूत में लंड चलाना शुरु किया. सोनू मजे से आह … आह … करती रही. फिर मैंने सोनू की फैंटेसी को पूरा करने के लिए अपना एक पैर बेड पर रखा और अपने घुटने को उसकी कमर के साथ लगाया और हाथ बढ़ाकर उसकी दोनों चूचियां पकड़ी और पूरा लंड उसकी चूत में डालकर उसके चूतड़ों से चिपक कर खड़ा हो गया.
सोनू अपनी गर्दन इधर-उधर मारने लगी और मुझसे बोली- करो … ऐसे ही चोदो… ऐसे बहुत अच्छा लग रहा है.
मैं सोनू की चूत में पीछे से शॉट मारता रहा और सोनू आई … आई … बोलती रही और अपनी गर्दन और सिर को ऊपर नीचे झुलाती रही.
कुछ देर में मैंने सोनू की गर्दन पर हाथ रखकर उसे कहा कि अपनी चूचियां बेड पर रख लो. सोनू ने ऐसा ही किया. ऐसा करने से लंड और अंदर तक गया और सोनू को बहुत मजा आया.
सोनू ने बताया- मम्मी पापा ऐसे नहीं करते राज, मैंने मम्मी को पापा के ऊपर चढ़कर चुदवाते देखा है, वह भी करना है.
मैं नीचे लेट गया और सोनू को अपने ऊपर चढ़ा लिया और उसे बोला कि मेरे लंड को अपनी चूत में घुसा कर मेरे ऊपर लेट जाए. सोनू ने ऐसे ही किया. जब मेरे लंड को लेकर सोनू मेरी छाती पर लेटी तो मैंने अपना हाथ उसके चूतड़ों से नीचे ले जाते हुए उसकी चूत और अपने लंड को छूकर देखा. सोनू ने भी अपना हाथ पीछे ले जाकर लंड को देखा. बहुत देर तक सोनू मेरे ऊपर लेटी रही और लंड को लेकर ऊपर नीचे होती रही.
कुछ देर बाद सोनू कहने लगी- मुझे नीचे डाल कर ही चोदो.
अब यह बात मुझे समझ में अच्छी तरह आ गई थी कि सोनू को बेड पर नीचे लेटकर चुदने में ही मजा आता था. मैंने उसके अलग-अलग तरह की पोज में चोदने का मजा देना चाहा मगर वह उन सब आसनों में ज्यादा सहज नहीं हो पाती थी.
फिर मैं भी यही सोचता था कि अभी यह नई-नई लंड की शौकीन है इसलिए इसके साथ ज्यादा जोर-जबरदस्ती करना भी ठीक नहीं है. वैसे सच कहूं तो मुझे सोनू बहुत ही प्यारी लगती थी. मैं उसकी बातों को बड़े आराम से मान जाता था.
वह भी मुझ पर बहुत विश्वास करती थी. उसे पता था कि मैं उसके साथ कुछ भी गलत नहीं होने दूंगा.
हाइट में छोटी होने के कारण सोनू को गोदी में लेकर चोदते हुए मुझे बड़ा मजा आता था लेकिन वह मेरा लंड बर्दाश्त नहीं कर पाती थी इसलिए भी मुझे वापस उसको बेड पर लेटाना पड़ जाता था और वह भी उसी पोजीशन में चुदकर ज्यादा खुश होती थी.
इस बार भी यही हुआ और मैंने उसको बेड पर लेटा दिया.
मैंने कहा- दूसरे तरीके से चोदता हूं.
मैंने सोनू को खींचकर बेड के किनारे पर किया और उसकी दोनों टांगों को अपने कंधों पर रखकर उसकी चूत में लंड डाला. लंड डालने के बाद मैंने उसके घुटनों को मोड़ दिया और उसकी दोनों छातियों को पकड़कर भींचने लगा. सोनू आह … आह … करती रही.
उसकी नई-नई चूचियों को भींचते हुए उसकी चूत में लंड डालने का चस्का मुझे ऐसा लग चुका था कि मैं जल्दी ही अपने चरम पर पहुंच जाता था. मैं उसकी चूचियों को पकड़ कर मसलते हुए उसकी टाइट चूत में लंड को पेलता जा रहा था और वह मेरी चुदाई के आनंद में गोते लगा रही थी.
हालांकि मैं दो भाभियों की चूत कई बार मार चुका था मगर कुंवारी चूत को चोदने का मजा ही कुछ अलग होता है. अभी सोनू का जिस्म खिलती हुई कली जैसा था. बिल्कुल नया-नया, मुलायम और सॉफ्ट. इन्हीं सब चीजों के बारे में सोचते हुए मैंने उसकी चूत की ताबड़तोड़ चुदाई जारी रखी.
लगभग 20 मिनट की जोरदार चुदाई के बाद मेरे लंड ने अकड़ना शुरू कर दिया और मैंने सोनू को अपनी बांहों में कसकर भींच लिया. मैंने एक बार फिर जोर-जोर के झटके मार कर सोनू की चूत में अपने लंड की पिचकारियां मारी और लंड बाहर निकाल लिया. सोनू की चूत से गर्म-गर्म वीर्य निकलता हुआ सोनू की गांड को भिगोता हुआ नीचे गिरने लगा.
मैंने झुककर सोनू के गाल, माथे, आंखों को चूमा. उसे बहुत अच्छा लगा. सोनू कहने लगी- मैं थक गई हूं.
मैं भी थक गया था. हम दोनों नंगे ही बेड के ऊपर आपस में लिपटकर सो गए. 4:00 बजे मेरी आंख खुली. सोनू सो रही थी. मैंने सोनू को जगाया.
उसने टाइम पूछा तो बोली- मेरा घर जाने का टाइम हो गया है.
मैंने सोनू को अपना लंड पकड़ाया.
सोनू कहने लगी- बस आज बहुत थक गई हूं अब और नहीं. अब मैं जा रही हूं.
मैंने कहा- ठीक है.
सोनू ने उठकर अपनी ब्रा पहनी और शर्ट पहनी. सोनू ने शर्ट पहनी तो शर्ट के आगे से खुले भाग में से उसकी चूत दिखाई दे रही थी और शर्ट का दोनों साइड का कट उसके सुडौल पटों पर बहुत सेक्सी लग रहा था. शर्ट का पीछे का हिस्सा उसके गोल चूतड़ों तक आधा आया हुआ था.
मैंने सोनू को पकड़ लिया और कहा- ऐसे तो बहुत सेक्सी लग रही हो.
मेरा लंड उसी वक्त खड़ा हो गया. मैंने पीछे से सोनू के चूतड़ों में अपना लंड लगाया और उसको बांहों में ले लिया.
सोनू कहने लगी- मेरा शर्ट खराब हो जाएगा.
मैंने कहा- सोनू जो मर्जी हो जाए, ऐसे तुम बहुत सेक्सी लग रही हो. मुझे इस शर्ट में ही तुम्हारी चूत मारनी है.
मैं बहुत देर तक उसके पीछे चूतड़ों में लण्ड लगाए खड़ा रहा और उसके पेट पर हाथ फिराता रहा. उसको मैंने फिर छेड़ना शुरू किया.
सोनू ने ड्रेसिंग टेबल में देखा और कहने लगी- ऐसे तो वाकई सेक्सी लग रही हूं.
उसने पीछे से देखा तो उसको मेरा लंड चूतड़ों में लगा हुआ बहुत अच्छा लगा.
सोनू कहने लगी- आपने मेरा फिर मन खराब कर दिया …चलो, करो फटाफट.
मैंने सोनू की चूत में आगे से शर्ट हटाकर लंड को लगाया. सोनू अपनी चूत में लगे लंड को ड्रेसिंग टेबल में देख रही थी.
मुझसे कहने लगी- आपकी सेक्स की सेंस बहुत अच्छी है.
मैंने सोनू को अपनी टांगें चौड़ी करने के लिए कहा तो उसने टांगें चौड़ी कीं और मैंने नीचे खड़े-खड़े उसकी चूत में लंड को अड़ा दिया और पीछे से उसके चूतड़ों के नीचे से दोनों पटों को सहारा देकर उसे अपने लंड पर टांग लिया. हम दोनों को बहुत मजा आया.
सोनू ने फिर इशारा किया- बेड पर लिटाओ.
मैंने उसी पोजीशन में सोनू को उठाकर बैड पर लिटा लिया और उसकी शर्ट के ऊपर के दो बटन खोल कर उसके मम्मे बाहर निकाले और एक मम्मा चूसते हुए उसकी ताबड़तोड़ चुदाई करने लगा. कुछ ही देर में सोनू की आवाजें निकलने लगी.
उसने कहा- राज मेरी चूत पानी छोड़ रही है.
मैंने कहा- मुझे अभी टाइम लगेगा.
मैं बहुत देर तक उसकी चूत में लण्ड पेलता रहा. कमरे में बेड चरमराने और फच-फच की आवाजें आने लगी.
सोनू बोली- बस करो, अब दर्द होने लगा है.
मैंने 15-20 जोर-जोर के झटके मारे और अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया. जब वह उठी तो एक बार फिर उसकी टांगें वीर्य में सन गई. सोनू दोबारा चूत धोकर आई.
बाहर आकर बोली- मेरी चूत तो बहुत सूज गई है.
मैंने कहा- दिखाओ?
उसने अपना शर्ट थोड़ा ऊपर उठाया. चूत वाकई फूली हुई थी, लेकिन बहुत सुंदर लग रही थी.
मैंने सोनू से कहा- जिस दिन तुम पहली बार मेरे पास आई थी और मैंने जो तुम्हारी चूत देखी थी, उसमें और इसमें दिन-रात का अंतर है. तुम ध्यान से देखो, क्या तुम्हें अब अच्छी नहीं लग रही है?
उसने ड्रेसिंग टेबल में देखा और बोली बहुत अच्छी लग रही है, अब तो यह कुछ-कुछ मम्मी जैसी लगने लगी है.
मैंने कहा- अब तुम घर जाओ और आती रहना.
सोनू के लिए मैं बहुत सारी आईपिल ले आया.
अब सोनू लगभग हर रोज शाम को मेरे पास आती थी और चुदाई का एक दौर लगा लेती थी. मैं भी अपना लंड उसकी सेवा में हाजिर कर देता था और उसकी चूत में वीर्य की धार मारकर उसको गोली खिला देता था ताकि गर्भ धारण जैसी कोई समस्या में न तो वह फंसे और न ही मेरे ऊपर कोई आफत आए.
सोनू के अंदर अपने मम्मी-पापा की चुदाई देखकर कामुकता भर गई थी और वह आसानी से मुझसे चुदवाने लगी थी. उसकी बाद में यह भी फैन्टसी बन गई कि एक बार मेरे बड़े लौड़े से अपनी मम्मी को उसी तरह से चुदते देखे जैसे उसके पापा चोदते हैं. वह जब भी मुझसे चुदने आती तो अपनी मम्मी का जिक्र जरूर करती थी. मैं उसकी मां की चूत के सपने देखने लगा था. मैं चाहता था कि जल्दी ही उसकी मां की चूत भी मुझे चोदने का मौका मिल जाए.
एक दिन सोनू की मम्मी मेरे कमरे में आई और मुझसे पूछने लगी- सोनू की पढ़ाई कैसी चल रही है?
मैंने कहा- बहुत अच्छी चल रही है. यह बहुत होशियार लड़की है.
मैं पहली बार सोनू की मां को देख रहा था. जैसा सोनू बताया करती थी उससे तो कहीं ज्यादा सुंदर थी उसकी मां देखने में. मैंने उसकी मां को बस दूर से ही देखा था मगर आज वह मुझसे कुछ फीट की दूरी पर ही खड़ी थी.
मैं बातें तो मुंह से कर रहा था लेकिन मेरे ख्यालों में सोनू की मां नंगी हो चुकी थी और मैं वैसे ही सोचते-सोचते उसकी नंगी माँ की कल्पना करने लगा था जैसा कि सोनू मुझे उनकी चुदाई के बारे में बताया करती थी. मैं सोनू की मां को देखता रहा और मन ही मन सोनू के बताए हुए उनके नंगे शरीर की कल्पना करता रहा.


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