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भाई और आशिक ने की 3 सम चुदाई - Bhai aur Aashiq Ne Ki 3 some Chudai

 



हमारे डायरेक्टर के युवा बेटे राजीव ने मुझे गर्म करके चोदना शुरू करके खुद ठंडा हो गया था.

मुझे उस समय तो बहुत गुस्सा आया था लेकिन मैं शांत हो गयी. क्योंकि राजीव का वो फ़र्स्ट टाइम सेक्स था. उसके बाद से राजीव मुझे बराबर ही चोदने लगा था. उसे जब भी मौका मिलता, वो मेरी ढंग से चुदाई करता था.

अब वो फ़ोटो शूट के दौरान मेरे से खेलने भी लगा था. उसका जब भी दिल करता, वो मुझे छेड़ देता और मैं भी उसका साथ बराबर दे रही थी. वो अब मुझ पर पहले से ज्यादा पैसा लुटाने लगा था. हालांकि मुझे ये बात पसन्द नहीं थी, फिर भी मैंने सोचा कि लुटाने दो, मेरे बाप का क्या जा रहा है.

वो मेरे पर बिल्कुल लट्टू हो चुका था. वो मुझे कहीं भी अकेला नहीं छोड़ना चाहता था, हमेशा मेरे पास रहने की कोशिश करता था. मैं कहीं भी जाती, तो वो साथ रहता. मैं जब भी शॉपिंग जाती, वो मेरे साथ ही रहता था और मुझे अपनी पसंद की ड्रेसेस दिलाता, अपनी पसंद के अंडरगारमेंट्स दिलवाता और कभी कभी तो वो मेरे साथ ट्रायल रूम में घुस जाता था.

धर जब तक वो मुझे अच्छे से मसल कर मेरे चूचे नहीं चूस लेता, बाहर ही नहीं निकलता था. इस तरह से वो हमेशा ही शॉपिंग के दौरान मेरे से खूब खेलता. मैं भी उसका साथ देती थी क्योंकि मुझे भी ऐसी हरकतें बहुत पसंद थीं.

फिर आप लोगों को तो पता ही है कि ये सब हरकतें मैं कॉलेज टाइम में खूब किया करती थी. इसीलिए मैं राजीव के साथ जब भी रहती, मुझे ऐसा लगता कि मैं अभी कॉलेज लाइफ जी रही हूँ.

अब मैं और राजीव बहुत अच्छे दोस्त बन चुके थे.

धीरे-धीरे उसे मेरे भाई के बारे में पता चला कि मैं अपने भाई से चुदती हूँ. अब वो मेरे घर पर भी आ जाता. उसने वो मेरे भाई से दोस्ती कर ली. कुछ दिनों में मेरे भाई को भी ये बात मालूम हो गयी कि मैं राजीव से भी चुदती हूँ.

ये सब खुलासा होने के बाद मेरा भाई और राजीव आपस में बिल्कुल फ्रेंक हो चुके थे. मेरी चुदाई के बात करते हुए वे दोनों आपस में बिल्कुल बेशर्मी से बात करते थे. मैं भी उनकी बातों का मजा लेती रहती. कुछ ही समय में हम तीनों आपस में बिल्कुल फ्रेंक हो चुके थे. अब जहां भी मैं जाती, वो दोनों मेरे साथ ही जाते और हम तीनों हर जगह बहुत एन्जॉय करते.

पहले एक मर्द मेरे साथ खेलता था और अब दोनों मेरे साथ हर जगह खेलने लगे थे. मुझे भी अब दो के साथ खेलने में मजा आने लगा था. उनके साथ चाहे मैं पार्क में होऊं या मॉल में … या किसी पब्लिक प्लेस में … वो लोग मेरे साथ हरकत करने का एक भी मौका नहीं छोड़ते.

मुझे तो सेक्स एडवेंचर पहले से बहुत पसंद था. ऐसी ही मस्ती भरी जिन्दगी को मैं जी रही थी. हालांकि अभी तक मैं उन दोनों के साथ एक ही बिस्तर पर एक साथ नहीं चुदी थी. इसकी चर्चा वे दोनों अक्सर करते रहते थे कि एक साथ कबड्डी खेलने का प्लान बनाओ. मगर मैं मना कर देती थी.

मेरी एक फैंटेसी थी कि मैं अपने जीवन में एक साथ कभी ग्रुप सेक्स करूं तो खुले आसमान के नीचे करूं.

फिर एक दिन उन दोनों ने बिना मेरे से पूछे ही थ्री-सम का प्लान बना लिया. प्लान बनाने के बाद उन दोनों ने मुझे बताया. मैं तो सुनकर बहुत खुश हो गयी थी कि बहुत दिनों बाद थ्री-सम करने का मौका मिलेगा. लेकिन मुझे थोड़ा ड्रामा करना था.

मैं उन दोनों से थोड़ी गुस्से में बोली- तुम लोग पागल हो गए हो क्या? मुझे तुम लोग समझ क्या रखे हो?

तो मेरा भाई मेरे पास आया और मेरे गालों को चूमते हुए बोला- यार दी, हम दोनों का एकाउंट तो तुम्हारे बैंक में है ही … बस हम दोनों एक साथ जॉइंट एकाउंट खोलना चाहते हैं.
मुझे उसकी बात पर अन्दर से बड़ी हंसी आ रही थी, मगर मैं शांत रही.

मैं कुछ बोलती कि इतने में राजीव मेरे दूसरी साइड में बैठ गया और मेरे दूसरे गाल पर किस करते हुए बोला- मधु जी मान जाइए ना … कसम से आपको भी बहुत मजा आएगा.

मैं तो मन ही मन खुश ही हो रही थी … सो बस कुछ नहीं बोली.
इतने में मेरा भाई बोला- यार दी मान भी जाओ ना. मैं भी तुम्हें चुदते देखना चाहता हूँ.
ये कह कर वो मेरी चुचियों को दबाने लगा.

मैं बोली- साले तू तो बहनचोद था ही … और अब अपनी बहन को दूसरों से चुदते भी देखना चाहता है.
इतने में राजीव ने मेरी चुचियों को दबाते हुए कहा- मैं दूसरा थोड़ी ही हूँ. मैं तो इसका जीजा हूँ.

इतना कहते ही मेरी हंसी छूट गई … और हम सब हंसने लगे.

फिर मैं बोली- ठीक है, जो तुम लोगों को अच्छा लगे.
इतना सुनते ही वो दोनों खुश हो गए और मेरे गालों और चुचियों पर अपनी खुशी जाहिर करने लगे.

मैं दोनों को अलग करते हुए बोली- लेकिन मेरी एक शर्त है.
वे दोनों एक साथ बोले- क्या शर्त है?
मैं बोली- मैं घर में थ्री-सम नहीं करवाऊँगी.
राजीव बोला- कोई बात नहीं मधु जी, हम होटल चलेंगे.

इतने में मेरा भाई बोला- क्यों न हम तीनों आउट ऑफ सिटी चलते हैं.
मैं उसकी तरफ देख कर बोली- किस सिटी में?
भाई- जिस सिटी में चलने के लिए तुम बोलो.
मैं बोली- ओके तुम लोगों की जहां मर्ज़ी हो, चलो … लेकिन मैं ओपन एयर में सेक्स करवाऊंगी.

इतना सुनते ही दोनों के मुँह खुले के खुले रह गए.

मैं बोली- क्या हुआ … फट गई क्या?
इतने में राजीव बोला- नहीं अभी फटी नहीं … फाड़ना है. मधु जी आपका बहुत बढ़िया प्लान है … आपको इस तरह से खुले में चोदने में बड़ा मज़ा आएगा.
फिर मेरा भाई बोला- दीदी यार इसमें रिस्क बहुत है. अगर किसी ने देख लिया, तो लेने के देने पड़ जाएंगे.
मैं बोली- कुछ नहीं होगा … अगर किसी ने देख लिया, तो तेरा एक जीजू और बढ़ जाएगा.

इतना सुनते ही राजीव और मैं हंसने लगे.

मेरा भाई बोला- तो ठीक है … फिर फ़ोर-सम का मजा भी आ जाएगा, चलो मुझे कोई दिक्कत नहीं है.

मैंने उसके मुँह से फ़ोर-सम की बात सुकर उसे तरेरा, तो वो भी हंसने लगा.

अब हम लोगों ने मिलकर गोवा का प्लान बनाया. फिर तय की हुई तारीख़ को हम तीनों लोग गोवा पहुंच गए.

मैंने उन दोनों के साथ रास्ते में बहुत मस्ती की थी, जिसे मैं अपनी किसी दूसरी सेक्स कहानी में बताऊंगी कि मैंने उन दोनों के साथ क्या-क्या और किस तरह से मस्ती की.

हम लोग 11 बजे रात में गोवा पहुंच गए. वहां राजीव ने एक ही रूम बुक किया था. हम तीनों होटल के कमरे में आ गए. वो दोनों उसी समय मुझे चोदना चाह रहे थे, लेकिन मैं बुरी तरह थक चुकी थी … इसलिए मैं मना करके सो गयी. मेरे एक तरफ राजीव और दूसरी तरफ मेरा भाई लेट गया. वे दोनों मेरे अंगों के साथ खेलने लगे. मैं इतनी थकी थी कि मैं लेटते ही नींद के आगोश में चली गयी.

जब सुबह उठी, तो देखा कि उन दोनों ने मेरे पूरे शरीर पर अपने वीर्य की बौछार की हुई थी. मैं उनके वीर्य को देखते हुए मदमस्त हो गई थी. फिर मैंने उन दोनों को उठाया और नाश्ते का ऑर्डर कर दिया.

जब तक हम सब फ्रेश हुए. तब तक नाश्ता कमरे में ही आ गया था.

हम तीनों ने नाश्ता किया और बीच के लिए निकल पड़े. उस दिन मैंने होटल से ही एक ढीला सा वन पीस पहना था. बीच पर पहुंचते ही मैं उस वन पीस को उतार दिया और अब मैं एक छोटी सी बिकनी में रह गई थी. उन दोनों की मस्त और कामुक निगाहें मुझे गर्म करने लगी थीं.

फिर बीच पर हम लोगों ने ढेर सारी मस्ती की. जितने भी लोग हमारे आस-पास थे, वे सब हम तीनों को ही देख रहे थे. कुछ लोग तो हम लोगों की मस्ती की वीडियो भी बना रहे थे. कितने ही लड़कों ने तो मेरे साथ सेल्फी भी ली. मैं बहुत खुश थी.

हम तीनों ही वहां दिल खोलकर मस्ती कर रहे थे. राजीव और मेरा भाई मेरे साथ खुलकर रोमांस कर रहा था. कभी वो दोनों मुझे किस करते, तो कभी मेरे मम्मों से खेलते, तो कभी गांड पर चपत लगा देते. इस सबसे मैं भी काफी उत्तेजित हो रही थी.

फिर हम लोगों ने बोटिंग के दौरान भी खूब मस्ती की. मैं ऐसा अनुभव पहली बार ले रही थी. मेरा दिल तो कर रहा था कि ये दोनों मुझे यहीं ढंग से चोद दें … लेकिन वहां चुदना ठीक नहीं था.

हम लोग कामुकता की सारी हदें पार कर चुके थे. हम तीनों एक दूसरे में मग्न हो गए थे … लेकिन हम लोगों की ऐसी हरकतें कुछ लोगों को पसंद नहीं आईं. इसलिए कुछ लोग हम लोगों के पास आए और बोले- अगर आप लोगों को चुदना है … तो होटल जाकर चुदो ना. यहां और भी लोग हैं.

मेरा भाई उनसे झगड़ने लगा.
फिर मैंने उसे शांत करवाया और कुछ देर बाद हम तीनों होटल के कमरे में चले गए.

हम अभी तक थ्री-सम नहीं कर पाए थे. फिर हम लोगों ने प्लान बनाया कि रात में बीच के किनारे खुली हवा में चुदेंगे. ऐसा सोचते ही आगे का प्लान बन गया. चूंकि बीच की मस्ती से हम तीनों ही काफी थक गए थे, इसलिए हम लोगों ने कुछ देर रेस्ट किया. फिर दो घंटे बाद उठ कर आस-पास की जगहों पर घूमने चले गए.

हमारा बीच पर रात के 9 बजे जाने का प्लान बना था. अभी करीब 8:30 बज रहे थे.
राजीव बोला- मधु जी तैयार हो जाइए.
मैं बोली- तैयार क्या होना है. वहां जाकर तो चुदना ही है ना.

इतने में मेरे भाई ने मेरी बगल में बैठते हुए मेरे हाथ में एक पैकेट थमा दिया.

मैं बोली- इसमें क्या है?
मेरा भाई बोला- खुद खोलकर देख लो.

जैसे ही मैंने पैकेट खोला, तो उसमें से एक छोटी सी मिडी ड्रेस निकली.

मैं मज़ाक करते हुए बोली- इतनी बड़ी क्यों ले आए?
मेरा भाई भी मज़ाक करते हुए बोला- सही बोल रही हो दी, कुछ ज्यादा ही बड़ा साइज़ आ गया है.
राजीव हंस कर बोला- मधुजी आप चेंज कर लीजिए, फिर हम लोग चलते हैं.
मैं बोली- इसकी ब्रा पेंटी कहां है?
मेरा भाई कुटिल मुस्कान देते हुए बोला- मैं तो तुझे नंगी ही ले जाने को सोच रहा था. वो तो राजीव ने जबरदस्ती की, तो ले लिया.

मैं हंस दी और ड्रेस लेकर बाथरूम के तरफ बढ़ी.

तभी मेरे भाई ने मेरी कलाई पकड़ते हुए कहा- यहीं बदल लो रानी … हमसे क्या छुपाना.
मैं मुस्कुराते हुए बोली- थोड़ी सब्र करो … इंतजार का फल मीठा होता है साले बहनचोद.
उसको प्यार से गाली देते हुए और हंसते हुए मैं बाथरूम में घुस गई.

मैंने बाथरूम में जाकर ड्रेस चेंज की और खुद को आईने में देखकर मेरे मुँह से आह निकल गयी कि कोई इतनी हॉट कैसे हो सकती है. अगर मैं ड्रेस की बात करूं तो ऐसी मिडी आप लोगों ने हॉलीवुड की फिल्मों में देखी होगी. इस बदन से चिपकी हुई मिडी में मेरे आधे से ज्यादा चूचियां बाहर थीं. और नीचे पूरी गांड भी नहीं ढक पा रही थी.

अगर मैं दिन में ये ड्रेस पहन कर निकलती, तो लोग मुझे देख कर छोड़ते ही नहीं.

तभी मैं बाथरूम से बाहर निकली. मुझे देखते ही दोनों की आंखें फ़टी की फटी रह गईं और दोनों झट से मेरे पास आ गए.
लेकिन मैंने दोनों को दूर कर दिया और कहा- अभी कुछ नहीं … जो करना है बीच पर करना.

तभी मेरा भाई बोला- यार दीदी गजब की माल लग रही हो. अगर मेरी बहन ना होती, तो पक्का मैं तुमसे शादी कर लेता.
राजीव बोला- हां यार, तुम्हारी तो बहन है. मगर मैंने तो कितनी बार इससे शादी के लिए बोला है, लेकिन ये मानती ही नहीं है.
उन दोनों की बात सुनकर मैं बोली- ये भी सोचो कि तुम लोग खुशनसीब हो, जो बिना शादी किए शादी के सारे फायदे ले रहे हो.

मेरी बात सुनकर वे हंसने लगे.

फिर हम लोग जाने के लिए तैयार हो गए थे. तभी अचानक तेज बारिश होने लगी. पहले तो हम लोगों ने सोचा कि थोड़ी देर में बारिश खत्म हो जाएगी. लेकिन बारिश तो धीरे धीरे और तेज होती जा रही थी. मैं अब मायूस होने लगी थी.

राजीव बोला- मधुजी बारिश बहुत तेज है … रूम में ही थ्री-सम कर लेते हैं.
मगर मैं बोली- नहीं … बिल्कुल नहीं. अगर थ्री-सम करना है, तो ओपन में ही करूंगी.

इतने में मेरा भाई मेरे पास आया और मेरी गांड पर चपत मारते हुए बोला- मेरी बहना तुझे ओपन सेक्स ही करना है ना!
तो मैं उसके गालों को प्यार से उमेठते हुए बोली- हां मेरे चोदू भैया राजा.
वो हंस कर बोला- कोई दिक्कत नहीं है. … आज तो खुले में ही तेरी चूत और गांड फाड़ेंगे. आज तुझे ओपन सेक्स बारिश में करेंगे.
मैं बोली- वो कैसे?
मेरा भाई बोला- होटल के टैरेस पर चलते हैं.

मैं बोली- नहीं … वहां कोई आ गया तो!
मेरा भाई हंसते हुए बोला- तो क्या हुआ … मेरा एक जीजा और बढ़ जाएगा.
इतने में राजीव भी हंसते हुए बोला- बिल्कुल सही बोल रहे हो भाई, तेरी बहन को बारिश में चोदने में मजा आ जाएगा.

मैं भी उन लोगों की बातों को सुनकर रोमांचित हो गई. इतने में दोनों मुझे मनाने लगे. मेरी भी चूत में आग लगी थी, इसलिए मैं तुरंत मान गयी और हां कर दी.

तभी मेरे भाई और राजीव दोनों ने ही मुझे जकड़ लिया और चुम्बनों की बरसात कर दी. वे दोनों मेरे मम्मों, गांड, चूत के साथ खेलने लगे.

मैं बोली- रुको भी … पहले छत पर तो चलो.
इतने में मेरा भाई बोला- धीरज रखो मेरी बहना रानी … आज की चुदाई तुम हमेशा याद रखोगी.

वे दोनों मुझे फिर से चूमने लगे. मेरा भाई मेरे होंठों और गालों को चूम रहा था और बीच बीच में मेरी गांड को दबा रहा था. दूसरी तरफ राजीव मेरी अधनंगी चूचियों को मेरी मिडी के ऊपर से ही चाट रहा था … काट रहा था.

पता नहीं मुझे तो बस ऐसा लग रहा था कि आज मैं अपने जीवन की इस बहुप्रतीक्षित कल्पना के न जाने कितने करीब आ गई हूँ … मैं तो बस इस सबका लुफ्त उठाए जा रही थी. वो अपने हाथ से मेरी मिडी उठा कर मेरी चूत में उंगली कर रहा था, जिससे मैं गर्म होने लगी थी और दोनों का साथ दे रही थी. मैं कामवासना में बिल्कुल खो चुकी थी.

वो दोनों मेरे साथ क्या कर रहे थे … ये मुझे समझ में नहीं आ रहा था. बस मैं वासना के सागर की गहराई में गोते लगा रही थी. दो जवान लड़कों से ऐसे मैं पहली बार चुद रही थी. मैं इसके एक एक क्षण को महसूस करना चाहती थी. इसलिए मैं भी उन लोगों का जोश बढ़ाने के लिए दोनों के कभी होंठों को चूमती, तो कभी गाल. साथ ही मैं अपने दोनों हाथ उन दोनों की पैंट में डालकर उनके खड़े होते लंड मसलने लगी.

उनके लंड तो पहले ही विशाल रूप लिए हुए थे. मेरे हाथ लगते ही उनके लंड और भी ज्यादा अकड़ गए. हम तीनों एक दूसरे में बिल्कुल ही खो चुके थे. हम लोग भूल चुके थे कि हमें छत पर जाना था. मैं तो जैसे सातवें आसमान की सैर कर रही थी.

तभी मुझे अचानक याद आया की हमें तो ओपन सेक्स करना है. तभी मैंने ना चाहते हुए भी उन दोनों को अपने से अलग किया और बोली- सब कुछ यहीं करोगे क्या?
दोनों अलग होते ही मुझे खा जाने वाले नज़रों से देख रहे थे.
मेरा भाई गुर्राते हुए बोला- तो चल फिर आज तेरी यह तमन्ना भी पूरी कर देता हूं.

फिर हम रूम लॉक करके ऊपर छत पर आ गए. ऊपर जाने तक लिफ्ट में उन दोनों ने मिलकर मुझे बुरी तरह से मसल कर रख दिया था. मैं अब तक काफी गर्म हो गयी थी … बस यूं समझिए कि चुदने के लिए एकदम तैयार थी.


जैसे ही हम तीनों तक छत पर पहुंचे, तो बारिश बहुत तेज हो रही थी. मेरा भाई पहले बारिश में गया और उसने मुझे अपनी बांहों में खींच लिया और मेरे मम्मों को मसलने लगा.

तभी राजीव ने छत पर आने वाले दरवाजे को बंद कर दिया और मेरे पीछे आ गया. उसने पीछे से मुझे जकड़ लिया और अपने हाथों से मेरी गांड दबाने लगा.

मैं तो पहले ही गर्म थी … ऊपर से इस घटाटोप बारिश ने मेरी चुदाई की बेकरारी और बढ़ा दी थी. हम तीनों अब तक पूरी तरीके से भीग चुके थे. वो दोनों लगातार मेरे अंगों और जिस्म से खेल रहे थे. मैं तो पहले ही बहुत गर्म थी … लेकिन इन दोनों चूतियों को कौन समझाता कि मेरी चूत लंड मांग रही है.

कभी मेरा भाई मेरे होंठों को चूसता, मेरे गालों को काटता, तो कभी राजीव मेरी चूचियों को काटता, तो कभी गर्दन पर दांत चुभो देता.

फिर राजीव ने अपनी दो उंगलियां मेरी चूत में डाल दीं और आगे पीछे करने लगा.

चुत में उंगली आगे पीछे होने से अब मैं बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी. इतनी तेज बारिश में भी मेरा बदन जल रहा था. बारिश की एक एक बूंद मुझे और मदहोश कर रही थी. मेरे मुँह से बस मादक सिसकारियां निकल रही थीं- अअह्ह्ह … हम्मम … ओह्हह.

वो दोनों पूरे जोश में थे. मैं भी उन दोनों के लंड से खेल रही थी. उनके लंड इतने बारिश में भी आग की तरह गर्म थे.

तभी मेरे भाई ने एक उंगली मेरी गांड में डाल दी. मैं इसको सहन नहीं कर पाई और मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया. लेकिन वो दोनों अभी भी उंगली करने में लगे हुए थे.

तब मैं उनके लौड़ों को ऐंठते हुए बोली- भोसड़ी के … सब काम उंगली से करोगे … तो अपने इन खड़े लौड़ों से एक दूसरे की गांड मारोगे क्या?
इतना सुनकर मेरा भाई बोला- ये तो बाद की बात है बहना. फिलहाल आज तो तेरी चुत और गांड के परख्च्चे उड़ा देंगे.
मैं बोली- तो उड़ा न साले … भैन्चोद … मैं तो कब से लंड लेने के लिए तैयार हूं.

मेरे इतना बोलते ही उसने मेरी मिडी को खींचा और मेरी चुचियों को बाहर निकाल कर चूसने लगा. उधर राजीव नीचे बैठ कर मेरी चूत चाटने लगा.

जैसे ही राजीव ने मेरी तप्त चूत पर अपनी जीभ लगाई, मैं तो मानो जैसे उसके वशीभूत हो गयी. मैं रोमांचित होकर उससे अपनी चूत चटवाने लगी.

तकरीबन पांच मिनट तक राजीव ने मेरी चूत को चाटा. फिर मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया. राजीव ने मेरी चुत से निकली मलाई को चाट चाट कर पूरा पी लिया.
राजीव ने अपने होंठों पर जीभ फिराते हुए चटखारा लिया और बोला- आह … मजा आ गया.

मैं उसकी जीभ से चुत चटवा कर मस्त हो गई थी.

फिर राजीव बोला- मधुजी अब आप रेडी हो जाओ … आज की चुदाई आप जिन्दगी भर याद रखोगी.

मैं तो अभी भी बुरी तरह वासना के आग में जल रही थी … लेकिन इतनी मदहोश हो चुकी थी कि मेरे मुँह से कामुक सिसकारियों के अलावा कुछ और निकल ही नहीं रहा था. मेरा मन तो बस कर रहा था कि मेरी चूत में जल्दी से कोई मोटा से बांस डाल कर चूत के चिथड़े उड़ा दे.

तभी मेरा भाई नीचे बैठ गया और मेरी चूत में जीभ डाल कर चुत को जीभ से चोदने लगा. चुत चुदाई से पहले जीभ से चुदना तो मुझे बहुत पसन्द है … लेकिन इस समय मेरी चूत को जीभ की नहीं, मोटे लंड की जरूरत थी.

मैं बड़ी जोर से चिहुंक कर बोली- साले भैनचोद … अब मत तड़पा … मैं मर जाऊँगी कुत्ते … जल्दी से मेरी चूत में लंड पेल कर इसको फाड़ दो. आह अपनी रंडी की चूत का भोसड़ा बना दो.

यह सुनकर वो और मस्ती से मेरी चूत को अपनी जीभ से चोदने लगा. वो बीच बीच में मेरी चुत के दाने को अपने दांतों से पकड़ कर खींच देता था … जिससे मैं और बेकरार हो जाती.

तभी राजीव ने अपनी उंगली मेरी गांड में डाल दी और आगे पीछे करने लगा.

मैं यह बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी. मेरा पूरा शरीर मेरे वश में नहीं रह गया था. मैं चुदासी सी उन दोनों से गुहार करने लगी कि प्लीज अब देर मत करो … मेरी चूत और गांड फाड़ दो.
लेकिन वे दोनों मेरी बातों को अनसुना करते हुए अपने काम में लगे रहे.

तकरीबन दस मिनट बाद मेरी चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया. इस बार मेरा भाई मेरी चुत की मलाई खाने लगा.

फिर मैंने उन दोनों को अपने से अलग किया और बोली- यार अब चोद भी दो.
वे दोनों लंड हिलाते हुए मेरी तड़फ का मजा ले रहे थे.

मैं अपने भाई से बोली- तू बहनचोद अपनी बहन को चुदते देखना चाहता था ना … तो अब देख भोसड़ी के.
इतना कहकर मैं आगे बढ़ी और दोनों के निक्करों खींच कर उतार दिया.

जैसे ही मैंने उन दोनों के निक्कर नीचे किए, उन दोनों के फनफनाते हुए लंड बाहर निकल आए. उनके खड़े मोटे लंड देखकर मेरी चूत मचल गयी. मेरी चूत में तो इतनी आग लगी थी कि मन कर रहा था कि दोनों लंड को अपनी चूत में घुसा लूं. मैंने उन दोनों के लवड़ों को अपने हाथों से पकड़ा और आगे पीछे करने लगी. इससे वो लोग मुझे चोदने के लिए आतुर हो गए थे.

तभी मेरा भाई लंड हिलाते हुए बोला- दीदी, आज इस लंड से पहले तुम्हारी चूत फाड़ूँगा और फिर गांड मारूंगा.
इतने में राजीव बोला- नहीं यार, आज मैं पहले मधु जी की चूत मारूंगा.

इसी बात पर दोनों बहस करने लगे. फिर दोनों ने अपने आप डिसाइड कर लिया कि जो पहले मेरे तन से मिडी को उतारेगा, वो पहले चूत चोदेगा.

इतना तय होते ही वे दोनों मेरी मिडी उतारने की कोशिश करने लगे.

मेरे जिस्म पर मात्र एक छोटी सी मिडी थी. अन्दर ब्रा पैंटी तो मुझे पहनने के लिए मिली ही नहीं थी. तो ये पक्का था कि मिडी हटते ही मेरी चूत में पहले किसका लंड घुसेगा ये तय हो जाएगा.

वे दोनों जल्दीबाजी करने लगे. मेरा भाई मिडी को ऊपर से खींच रहा था और राजीव नीचे से खींच रहा था. मैं बस इस खेल को एन्जॉय कर रही थी.

वे दोनों अपनी अपनी तरफ से मिडी खोलने की भरसक कोशिश कर रहे थे. तभी मेरा भाई उठा और मिडी को फाड़ने लगा. ये देख राजीव भी कहां पीछे रहने वाला था. वो मिडी को नीचे से फाड़ने लगा. कुछ ही पल बाद दोनों ने मिलकर मेरी नई मिडी के छितरे छितरे उड़ा दिए. अब वे दोनों अपना लंड चूत में पेलने में लग गए.

ये देख कर मैं गुस्से से बोली- तुम लोग पागल हो गए हो क्या? छोड़ो मुझे नहीं चुदना है. तुम लोगों के चक्कर में मेरी चूत फट जाएगी.
मैं उठकर जाने लगी.

तभी दोनों ने आपस में कुछ तय किया और दोनों ने आकर मुझे जकड़ लिया.
मेरा भाई बोला- मेरी बहना रानी नाराज न हो … आज तो तेरी चूत, गांड फाड़ कर ही तुझे जाने देंगे.

उसने मुझे वहीं तेज बारिश में खुले छत पर चित लिटा दिया. बारिश इतनी तेज थी कि बारिश की बूंदों से चोट लग रही थी … साथ ही चुदाई की आग में तप्त शरीर की मदहोशी भी बढ़ रही थी. मैं ऐसी चुदाई पहली बार करवा रही थी.

तभी मेरे ऊपर राजीव आकर मेरी चूत में लंड डालने लगा. मैं बोली- अरे कुछ लगा भी लो.
इस पर मेरा भाई बोला- बहना रानी आज ऐसे ही ले लो. इस बारिश में क्या लगवाएगी.

मेरा भाई अभी ये बोल ही रहा था कि इतने में राजीव ने बिना सोचे समझे लंड घुसा दिया. एक ही झटके में उसका आधा लंड मेरी चूत में दाखिल हो गया. लंड सूखा होने की वजह से दर्द से मैं कराह गयी और राजीव को ऊपर से हटाने लगी. लेकिन पता नहीं उस समय लड़कों में इतनी शक्ति कहां से आ जाती है … वो टस से मस नहीं होते हैं.

इसी के साथ राजीव ने जोरदार झटका मारा और उसका पूरा लंड मेरी चूत में समा गया. उसके लंड ने मेरी बच्चेदानी की पप्पी ले ली.

इस बार मैं जोर से चिल्लायी और बोली- आह हट जा बहनचोद … साले मेरी चूत फाड़ दी.
इतने में राजीव बोला- मैं बहनचोद नहीं हूं … रानी मैं तो तेरा पति हूं.

इतना कहकर वो लंड आगे पीछे करने लगा. मैं दर्द से उसे गाली दे रही थी.

उधर मेरे भाई का लंड सलामी दे रहा था. उसने राजीव को नीचे किया और मुझे राजीव के ऊपर चढ़ा दिया. अब मैं अपनी खुली गांड से राजीव के लंड पर चुत फंसाए चढ़ी हुई थी. मेरे भाई ने मेरी गांड को ऊपर किया और लंड सैट करने लगा. नीचे से राजीव गांड उठा कर मेरी चूत को चोद रहा था.

मुझे भी अब चूत चुदवाने में मजा आने लगा था. मैं भी उसके लंड से उछल उछल कर चुदवा रही थी. मुझे मजा आने लगा था.

तभी मेरे भाई ने मेरी गांड पर लंड टिकाया और मैं जब तक कुछ बोलती, इससे पहले उसने जोरदार झटका दे मारा. उसके लंड का टोपा मेरी गांड को चीरते हुए अन्दर तक घुस गया.

मैं जोर से चिल्ला पड़ी- आह मर गई … छोड़ो मुझे … साले ने मेरी गांड फाड़ दी … हट जा कुत्ते छोड़ दे मुझे!

मैं छटपटाने लगी. मगर राजीव नीचे से चूत को मस्ती में चोद रहा था. इतने में ही मेरे भाई ने मेरी गांड में दूसरा झटका दे मारा. इस झटके से उसका आधे लंड से ज्यादा मेरी गांड को चीरता हुआ अन्दर घुसता चला गया.

मैं दर्द से रोने लगी और गाली देने लगी- बहन के लंड छोड़ मुझे … साले अपनी सगी बहन की गांड क्यों नहीं मारता जाकर … हट जा साले. मैं तेरी गांड तोड़ दूंगी.

मैं दर्द से बहुत रो रही थी. तभी उसने एक और झटका मारा और पूरा का पूरा लंड मेरी गांड में समा गया. दर्द से मैं चिल्ला रही थी … बिलबिला रही थी, लेकिन उन दोनों को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था.

ऐसा नहीं था कि मैं पहली बार गांड मरवा रही थी. इससे पहले भी मैं बहुतों बार गांड मरवा चुकी थी. लेकिन जब भी जिसने भी मेरी गांड को मारा, बड़े प्यार से मारा. लेकिन मेरा भाई तो अभी बिल्कुल जल्लाद बना हुआ था. उसे मेरी आवाज जैसे सुनाई ही ना दे रही थी. वो झटके पर झटके मार रहा था.

इस रूप में मैंने अपने भाई को पहले कभी नहीं देखा था. शायद उसे पहले चूत मारने को नहीं मिली, इसलिए वो गुस्सा था. अपना सारा गुस्सा वो मेरी गांड पर निकाल रहा था. मुझे तो लगा शायद मैंने थ्री-सम के लिए हां करके ही कुछ गलती कर दी.

मैं इस असहनीय दर्द को बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी. जहां गांड में भयानक दर्द हो रहा था. वहीं मेरी चूत में मजा आ रहा था. मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं दर्द से रोऊं या चूत लंड के मिश्रण को एंजॉय करूं. मैं कभी कराह रही थी … तो कभी मचल मचल कर चुदवा रही थी.

कुछ देर बाद मेरा दर्द मजा में तब्दील होने लगा और धीरे धीरे मैं अपनी गांड को हिलाने लगी. अब मैं गांड भी मजे में चुदवाने लगी. मेरी चूत और गांड की घपाघप चुदाई हो रही थी. मैं ऐसा आनन्द पहली बार महसूस कर रही थी. मेरे मुँह से कामुक सिसकारियां निकलने लगी थीं.

मैं अब जोश में चिल्लाने लगी थी- आह और तेज … और तेज से … चोदो फाड़ दो मेरी चूत को भोसड़ा बना दो. आह गांड को गड्डा बना दो.
वे दोनों भी पूरी मस्ती में मेरी चूत और गांड को फाड़ने में लगे थे.

तकरीबन 15 मिनट तक मेरी चुत गांड की ऐसे ही चुदाई चलती रही. फिर मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया.

तभी राजीव भी बोला- मैं भी झड़ने वाला हूं.

उन दोनों अपना लंड निकाला और छेद एक्सचेंज कर लिए. वो दोनों फिर से लग गए और चोदने लगे.

तकरीबन 5 मिनट बाद राजीव ने मेरी गांड में अपना वीर्य निकाल दिया. मैं भी अब शांत हो रही थी … लेकिन मेरा भाई तो अभी भी मेरी चुत फाड़ने में लगा हुआ था. वो पागलों की तरह मेरी चुचियों को मसल रहा था, दांतों से काट रहा था … और लगातार धक्के पर धक्के दिए जा रहा था.

इसके कारण मैं फिर से गर्म होने लगी और साथ ही साथ मेरी चूत में जलन होने लगी थी. मेरी चुत में जलन हो भी क्यों ना … लगातार 25-30 मिनट से मेरी चूत की चुदाई हो रही थी. मैं चूत की जलन बर्दाश्त कर रही थी … क्योंकि जलन से ज्यादा मुझे मज़ा आ रहा था.

लेकिन कुछ देर बाद बहुत जलन होने लगी … जो बर्दाश्त करना सम्भव नहीं था. मैं बोली- भाई अब छोड़ दो चूत में बहुत जलन हो रही है.
वो बहशियाना अंदाज में बोला- अभी कहां मेरी रंडी बहना … अभी तो मैं शुरू ही हुआ हूं.
मैं बोली- ठीक है भोसड़ी के चोद … भैन के लंड … तू मानेगा तो है नहीं … एक काम करो तुम चुत से लंड निकाल कर कुछ देर मेरी गांड में लंड डाल लो.

मेरी ये बात वो मान गया और लंड निकाल कर उसने मेरी गांड पर लगा कर एक जोरदार झटका दे मारा. इस झटके से उसका पूरा लंड गांड में समा गया और वो आगे पीछे करने लगा.

राजीव ने जो वीर्य मेरी गांड में छोड़ा था. वो मेरी गांड में मोबिल आयल की तरह काम कर रहा था. जितनी बार मेरा भाई अपने लंड को आगे पीछे करता, उतनी बार मेरे बदन में आग सी लग रही थी. मैंने ऐसे आनन्द की अनुभूति आज से पहले कभी नहीं ली थी. किसी और के वीर्य में सनी हुई मेरी गांड को कोई और चोद रहा हो. मैं इस मस्त अनुभूति को महसूस कर रही थी.

मेरा भाई झटके पर झटके दिए जा रहा था. इधर राजीव फिर से मेरी चूचियों के साथ खेलने लगा था. फिर वो मेरी चुचियों को पीने लगा था. साथ ही मेरी चूचियों की बौड़ियों को वो दांतों से काट रहा था … जिससे मैं फिर मदहोश होने लगी थी.

तकरीबन 10 मिनट तक मेरा भाई मेरी गांड मारता रहा. अब मेरी गांड भी जलन देने लगी थी.

मैं उससे बोली- साले आज तू क्या खा कर आया है … ऐसा लग रहा है जैसे आज अपनी बहन को रंडी बना कर ही छोड़ेगा.
मेरा भाई लंड ठोकता हुआ बोला- ले साली … और अन्दर ले … तू तो मेरी रंडी है ही साली.
मैं बोली- तू भी तो बहनचोद है साले.
इस पर मेरा भाई बोला- जिसकी तेरी जैसी हॉट चुदक्कड़ बहन हो, वो तो बहनचोद होगा ही. अगर तू मेरी सगी बहन भी होती, तब भी मैं तुझे ऐसे ही चोदता.

ये बोलकर उसने अपना लंड मेरी गांड से निकाला और मेरी चूत पर टिका दिया. अभी मैं सम्भलती कि उसने एक जोरदार झटका दे मारा और एक ही झटके में मेरे भाई के लंड ने मेरी बच्चेदानी की पप्पी ले ली. मैं कराह गई.

वो फिर से मेरी चूत में जोरदार झटके मारने लगा. मैं भी उसके हर धक्के का साथ दे रही थी.

इतने में राजीव मेरी गांड को मसलने लगा था. तकरीबन दस मिनट बाद मेरा भाई झड़ने को आया. उसने अपनी स्पीड को और बढ़ा दिया.
साथ ही साथ वो मुझे गालियां देने लगा- आह … साली … रंडी … कुतिया … आज तेरी चूत रंडी की तरह फाड़ दूंगा. तेरी चूत को भोसड़ा बना दूंगा … साली छिनाल!

मैं भी उसका साथ दे रही थी- आह फाड़ दे बहनचोद … आज अपनी इस बहन को रंडी बना ही दे.

मैं भी कमर उछाल उछाल कर चुदवा रही थी. हम दोनों एक दूसरे को गाली दे रहे थे. तभी मैं फिर से झड़ गयी और कुछ देर बाद मेरा भाई ने भी मेरी चूत में वीर्य की बाढ़ ला दी. वो मेरे ऊपर निढाल होकर गिर गया.

चुदाई के बाद हम लोग अपने रूम में आ गए. मैंने समय देखा, तो चौंक गयी. उस समय रात के 1:30 बज गए थे.

अब आप लोग इतना अंदाजा लगा सकते हैं कि इतनी देर में मेरी कैसी चुदाई हुई होगी.

मैं मिडी फट जाने के बाद एकदम नंगी रह गई थी. अब नीचे जाना था, तो मैं उन दोनों के बीच में छिपते हुए किसी तरह कमरे में पहुंची.

रूम में पहुंचते ही वो लोग मेरे पर फिर से टूट पड़े और हम लोगों ने फिर से थ्री-सम सेक्स किया और पता नहीं कब सो गए.

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