नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम राज है और मेरी उम्र 24 साल है. आज मैं आपके सामने एक सेक्स कहानी प्रस्तुत कर रहा हूं. यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक सोच पर आधारित है. इस कहानी में चार किरदार हैं. आइए उनका परिचय ले लेते हैं.
मैं- राज, उम्र 24 साल, सुंदर आकर्षक देहयष्टि. मैं दिल्ली में रहता हूं और अभी अविवाहित हूँ.
जीजा जी- उनका नाम अविनाश है, उम्र 30 साल है, दिखने में सुंदर और मस्तमौला व्यक्तित्व. जीजा जी का मुंबई में खुद का बिजनेस है.
दीदी- इनका नाम चित्रा है, उम्र 28 साल. अविनाश जीजा जी की बीवी और मेरी बहन हैं. दीदी दिखने में सुंदर और हॉट हैं. कयामत सा फिगर, नशीली आंखें हैं और काफी मॉडर्न हैं.
आलिया- जीजा जी की बहन, उम्र 25 साल, हॉट फिगर, दिखने में अति सुंदर और कातिलाना स्माइल. रहने का स्टाइलिश अंदाज … अभी अकेली है.
यह सेक्स कहानी मुंबई शहर से शुरू होती है. जीजा जी के घर में मेरी बहन और आलिया को मिला कर सिर्फ तीन लोग रहते हैं. जीजा जी और दीदी बहुत खुश थे लेकिन उन दोनों की एक फैंटेसी थी, जिस वजह से यह कहानी शुरू होती है.
वो दोनों अपनी सेक्स लाइफ में बहुत खुश थे, लेकिन वो दोनों स्वैपिंग करना चाहते थे. यही उन दोनों की फैंटेसी थी. उनकी ये फैंटेसी एक वीडियो के जरिए शुरू हुई थी. उसे देखने के बाद वो दोनों किसी कपल के साथ अदला-बदली करना चाहते थे.
एक रात के दस बजे वो दोनों अपने रूम थे और एक दूसरे की बांहों में चिपक कर लेटे हुए बातें कर रहे थे.
चित्रा- सुनो अविनाश, मेरे पास एक आइडिया है, जिससे हम हमारी फैंटेसी पूरी कर सकते हैं.
अविनाश- क्या?
चित्रा- देखो हम स्वैपिंग करना चाहते हैं. मेरा एक भाई हैं और तुम्हारी एक बहन है.
अविनाश- मतलब!
चित्रा- वो दोनों अब जवान हैं, तो क्यों ना हम हमारी फैंटेसी में उन दोनों को शामिल कर लें.
अविनाश- ओह्ह … चित्रा ये तुम क्या बोल रही हो?
चित्रा- देख अविनाश, वो दोनों एक अच्छे दोस्त हैं. अगर हम उन दोनों को शामिल कर लें, तो हमें कोई प्रॉब्लम नहीं होगी. यही एक सेफ रास्ता है, जिससे किसी को पता भी नहीं चलेगा.
अविनाश- तुम बात तो सही कर रही हो, लेकिन मुझे नहीं लगता है कि सम्भव है. वो दोनों कभी इसके लिए राजी नहीं होंगे.
चित्रा- वो दोनों जरूर मानेंगे. बस हमें उनको मनाना पड़ेगा.
अविनाश- चलो माना कि राज मान भी गया, लेकिन आलिया कभी नहीं मानेगी.
चित्रा- तुम्हारी बहन मेरी अच्छी सहेली भी है, उसे मैं मना लूंगी और तुम राज को मना लेना.
अविनाश- ठीक है … बात करते हैं. लेकिन उन्हें मनाएंगे कैसे … तुमने कुछ सोचा है क्या?
चित्रा- नहीं … मैंने अभी इसके लिए कुछ नहीं सोचा है. मैंने पहले इस बारे में तुमसे बात करना ठीक समझा.
अविनाश- ओके.
फिर वे दोनों सोचने लगे.
अविनाश- हम उनसे झूठ तो नहीं बोल सकते हैं, इसलिए उन दोनों को बातों से फंसाना पड़ेगा.
चित्रा- हां ये तो है. चलो ऐसे ही करते हैं.
दूसरे दिन, जब जीजा जी ऑफिस निकल गए थे. उनके जाने के बाद दीदी और आलिया दोनों टीवी देख रही थीं.
चित्रा- आलिया मैं तुमसे एक बात पूछूं!
आलिया- क्या!
चित्रा- तुम्हें मेरा भाई कैसा लगता है?
आलिया- मतलब!
चित्रा- क्या वो तुम्हें पंसद है?
आलिया- भाभी आप कहना क्या चाहती हैं?
चित्रा- पहले वादा करो, तुम गुस्सा नहीं होगी.
आलिया- पहले आप बताइए.
चित्रा- पहले वादा.
आलिया- ठीक है.
चित्रा- मेरी और तुम्हारे भाई की एक फैंटेसी है.
आलिया- कैसी फैंटेसी?
चित्रा- हम दोनों स्वैपिंग करना चाहते हैं.
आलिया- क्या … आर यू क्रेज़ी? भाभी, आप ये क्या बोल रही हो?
चित्रा- हम चाहते हैं कि तुम दोनों इस फैंटेसी में शामिल हो.
आलिया- भाभी आप पागल हो गई हैं. आप चाहते हैं कि मैं भाई के साथ? … आप ऐसा सोच भी कैसे सकती हो?
चित्रा- देख आलिया, कल तुम किसी से शादी जरूर करोगी. तुम और राज एक अच्छे दोस्त हो. इसलिए हम चाहते हैं कि तुम दोनों हमारी फैंटेसी पूरी करने में हमारी मदद करो.
आलिया- नेवर … नेवर … मैं ऐसा कभी नहीं कर सकती.
चित्रा- देख … अगर हम दोनों दूसरे कपल के साथ मिलकर स्वैपिंग करेंगे, तो प्रॉब्लम हो सकती है. अगर तुम दोनों हमारा साथ दोगे, तो कोई प्रॉब्लम नहीं होगी.
आलिया तेज स्वर में बोली- आप भाई-बहन के स्वैपिंग की बात कर रही हैं. ये किसी भी तरह से सम्भव नहीं है भाभी.
ये कहते हुए आलिया खड़ी होकर अपने कमरे में चली गई. चित्रा उसे जाते हुए देखती रही.
दूसरी तरफ ऑफिस में अविनाश मेरे भाई राज से फोन पर बात करने लगे.
अविनाश- हाई राज.
मैं- हैलो जीजा जी, इस समय कैसे याद किया.
अविनाश- तुमसे थोड़ा काम है.
मैं- हां बताइए न.
अविनाश- पहले तुम वादा करो कि मेरी बात पर गुस्सा नहीं होगे.
मैं- अरे जीजा जी … मैं आज तक कभी आपकी बात पर गुस्सा हुआ भी हूं.
अविनाश- मेरा एक दोस्त है, जिसने मुझे एक बात कही है. वो क्या करे, उसे कुछ समझ नहीं आ रहा है … और ना ही मेरे पास उसके सवाल का जवाब है. इसलिए मैंने सोचा कि में तुमसे मदद ले लूं.
मैं- ऐसा कौन सा सवाल है, जिसका जवाब आपके पास नहीं है.
अविनाश- मेरा जो दोस्त है, उसकी और उसकी वाइफ की एक अजीब फैंटेसी है, जो वो दोनों पूरा करना चाहते हैं.
मैं- कैसी फैंटेसी?
अविनाश- वो दोनों अपने भाई-बहन के साथ स्वैपिंग करना चाहते हैं.
मैं- क्या … आपका दोस्त पागल तो नहीं हो गया है?
अविनाश- उन दोनों के पास अपनी फैंटेसी पूरी करने के लिए यही एक रास्ता है, वो नहीं चाहते हैं कि उन दोनों का नाम खराब हो. क्योंकि उन दोनों की बहुत इज्जत है.
मैं- जीजा जी आपका दोस्त पागल हो गया है.
अविनाश- उन दोनों को अपनी फैंटेसी पूरी करनी है.
मैं- इसमें मैं क्या कर सकता हूं.
अविनाश- तुम ही कोई सोल्यूशन दो.
मैं- अगर वो अपनी फैंटेसी पूरी करना चाहते हैं, तो किसी दूसरे कपल के साथ कर लें.
अविनाश- उनके पास दूसरा कोई आसान विकल्प नहीं है.
मैं- वैसे आपका ऐसा क्रेज़ी दोस्त कौन है.
अविनाश ने हिचकते हुए कहा- मैं!
मैं- क्या … क्या आप मजाक कर हैं?
अविनाश- नहीं यार, मैं एकदम सीरियस हूँ.
मैं- क्या … जीजा जी … आप क्या बोल रहे हो. दीदी ऐसा कभी नहीं सोच सकती.
अविनाश- मैं सही बोल रहा हूँ.
मैं- जीजा जी, आप गलत बोल रहे हो.
अविनाश- तुम ही हमारी मदद कर सकते हो.
मैं- माफ करना जीजा जी, ये नहीं हो सकता.
अविनाश- क्या तुम हमारे लिए इतना नहीं कर सकते हो.
मैं- मैं अपनी जान दे सकता हूं, लेकिन ऐसा नहीं कर सकता.
अविनाश- प्लीज़ राज … हां बोल दो, तुम्हें तुम्हारी दीदी की कसम.
मैं- लेकिन हम भाई-बहन…
अविनाश- देख राज इसके लिए हम तीनों तैयार हैं. बस तुम्हारी हां चाहिए … प्लीज़!
मैं- तीसरा कौन है.
अविनाश- आलिया.
मैं- क्या … वो कभी हां नहीं कहेगी.
अविनाश- उसकी छोड़ो, तुम बताओ … क्या तुम हमारे लिए इतना नहीं कर सकते हो.
मैं- माफ करना जीजा जी.
अविनाश ने इमोशनल होकर कहा- कोई बात नहीं, मुझे लगा तुम जरूर मदद करोगे.
मैं- जीजा जी, मैं सोचकर बताता हूँ.
अविनाश- ठीक है, मुझे तुम्हारे जवाब का इंतजार रहेगा.
रात को खाने समय आलिया थोड़ी रुठी सी लग रही थी. खाना खत्म करके आलिया अपने रूम में चली गई. चित्रा और अविनाश भी उसे जाते देख कर अपने कमरे में चले गए.
अविनाश- क्या हुआ?
चित्रा- आलिया नहीं मानी … और राज ने क्या कहा?
अविनाश- आधा काम तो हो गया है, बस आधा काम तुमको पूरा करना है.
चित्रा- मतलब!
अविनाश- अपना फोन दो.
तभी अविनाश ने चित्रा के फोन से मुझे एक मैसेज किया.
चित्रा ने पूछा- क्या मैसेज किया?
अविनाश- तुम खुद ही पढ़ लो.
चित्रा मैसेज पढ़ने लगी- हाय भाई, मैं जानती हूँ कि यह करना गलत है, लेकिन क्या तुम अपनी बहन के लिए इतना नहीं कर सकते. अविनाश के बाद मुझे सबसे ज्यादा तुम ही पंसद हो, प्लीज मान जाओ. अपनी प्यारी बहन के खातिर, प्लीज!
चित्रा ने अविनाश की तरफ मुस्कुरा कर देखा.
अविनाश- अब वो जरूर मानेगा.
चित्रा- तुमने तो अपना काम कर लिया, लेकिन आलिया को मनाना बहुत मुश्किल है.
अविनाश- आलिया को मनाने के लिए तुम्हें उसे इमोशनल करना होगा.
चित्रा- कल देखती हूँ.
फिर अविनाश के जाने के बाद चित्रा आलिया के रूम में गई.
आलिया- भाभी अगर आप उसी बारे में बात करने आई हैं, तो मुझे कोई बात नहीं करनी है.
चित्रा आलिया के पास बैठ गई- हमारे लिए इतना नहीं कर सकती हो?
आलिया- अगर आप दोनों को अपनी फैंटेसी पूरी करने का इतना ही शौक है, तो एक काम करो भाई के कई सारे दोस्त हैं, उनके साथ स्वैपिंग कर लो. लेकिन मैं ऐसा गलत काम नहीं करूंगी.
चित्रा- तुम्हारे भाई ने तुम्हारी हर एक ख्वाहिश पूरी की है. कभी किसी चीज़ की कमी नहीं होने दी है. फिर भी कोई बात नहीं, तुम अपने भाई के लिए इतना भी नहीं कर सकती. एक बात याद रखना सबसे पहले तुम एक लड़की हो और फिर किसी की बहन हो. तुम्हारे भाई तुमसे बहुत प्यार करते हैं.
चित्रा इतना कहकर वहां से उठी और अपने कमरे में चली गई.
कुछ मिनट बाद चित्रा के फोन में आलिया का मैसेज आया- ठीक है, लेकिन यह पहली और आखिरी बार होगा.
आलिया का मैसेज पढ़कर चित्रा बहुत खुश हो गई. उसने तुरंत अविनाश को कॉल किया.
अविनाश- यस डार्लिंग?
चित्रा- आलिया ने हां बोल दी है.
अविनाश खुश होकर चहका- रियली!
चित्रा- यस.
अविनाश- राज भी राजी है.
चित्रा- गुड.
अविनाश- तो राज को कब बुलाना है?
चित्रा- परसों.
अविनाश- डन.
चित्रा- सुनो प्रोटेक्शन का सारा बन्दोबस्त कर लेना.
अविनाश- ओके डन.
चित्रा- फाइनली हमारी फैंटेसी अब पूरी होगी. मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा कि हमारी फैंटेसी के चक्कर में दो बहनें अपने भाइयों से चुदने वाली हैं.
अविनाश- ऐसे तो कई किस्से हैं. जैसे कि दो बहनें अपने भाई से चुदेंगी, एक बीवी अपने पति के सामने दूसरे मर्द से चुदेगी, तो दूसरी बहन अपने भाई के सामने किसी और मर्द से चुदेगी. एक भाभी अपने ननदरानी के सामने अपने भाई से चुदेगी, तो एक ननदरानी अपनी भाभी के सामने अपने भाई से चुदेगी. परसों की रात किसी की बीवी चुदेगी, तो किसी की बहन … तो किसी की भाभी, तो किसी ननदरानी.
चित्रा- अब बस करो.
अविनाश- वैसे प्लान क्या है?
चित्रा- वो तुम घर पर आओगे, तब बताऊंगी.
इसी खुशी की वजह से दो दिन कैसे बीत गए, पता ही नहीं चला. मैं भी खुश था कि मुझे आलिया के साथ सेक्स करने का मौका मिलेगा, बस अपने बहन के साथ सेक्स करना मुझे थोड़ा अजीब लग रहा था. फिर मैंने तीसरे दिन मुंबई जाने के लिए फ्लाईट पकड़ ली.
मैं मुंबई एयरपोर्ट पर शाम को करीब सात बजे पहुंचा, मुझे लेने के लिए जीजा जी आए थे. हम दोनों ने हाथ मिलाए और कार में बैठ गए. फिर हम दोनों इधर-उधर की बातें करने लगे और जीजा जी कार चलाते रहे.
कुछ देर बाद जीजा जी ने एक वाइन शॉप से चार बोटल स्कॉच व्हिस्की की ले लीं. हम चारों ही एक साथ ड्रिंक कर चुके थे … मगर हम कभी खास मौके पर ही ड्रिंक्स करते थे.
जीजा जी का घर एकदम आलीशान था, शहर के शोर शराबे से दूर. जीजा जी का घर एक मंजिला था, जिसमें चार कमरे, एक स्टडी रूम, किचन, हॉल था. जब हम घर पहुंचे, तो वाचमैन ने गाड़ी देख कर गेट खोल दिया. जीजा जी के मेन गेट से मुख्य घर 200 मी दूर है, इसलिए हमें वाचमैन की कोई परवाह नहीं थी.
जीजा जी के हाथ में स्कॉच की बोतलों का बैग था और मेरे हाथ में मेरा बैग था.
हम दोनों घर के गेट पर पहुंचे. जीजा जी ने डोरबेल बजा दी. आलिया आई और उसने गेट खोल दिया. वो मुझे देखकर हाय कहकर मुस्करा दी.
मैंने भी उसे मुस्कुरा कर देखा और उसके मम्मों पर एक कातिल नजर डाली. वो भी ये देख कर शर्मा गई.
हम दोनों अन्दर आ गए और आलिया ने डोर लॉक कर दिया.
आलिया ने जीजा जी के हाथ से स्कॉच का बैग ले लिया और रसोई में चली गई. तभी दीदी रसोई से बाहर आ गई और हम दोनों गले मिलने लगे. आज मुझे अपनी दीदी के मम्मे कुछ अलग ही अहसास दे रहे थे. आज दीदी मुझसे चुदने वाली थीं.
दीदी- राज तुम फ्रेश हो जाओ, तब तक खाना भी तैयार हो जाएगा.
मैं- ओके.
मैं दूसरे कमरे में चला गया और अपने बैग से कपड़े निकाल कर नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया. जब मैं बाथरूम में नहाने लगा … तो आज की हसीन रात के बारे में सोचने लगा. अब तो मैं अपनी दीदी के बारे में भी सोचने लगा था. दीदी और आलिया दोनों हॉट माल थीं, जिन्हें देखकर कोई भी मर्द घायल हो जाए.
मैं फ्रेश होकर रूम से बाहर आ गया और जीजा जी के साथ सोफे पर बैठकर टीवी देखने लगा. वो दोनों रसोई में खाना बना रही थीं.
तभी दीदी ने आवाज़ दी और खाना खाने के लिए बुलाया. मैं और जीजा जी वहां डाइनिंग टेबल के पास जाकर बैठ गए.
डाइनिंग टेबल पर मेरे सामने दीदी बैठी थीं, मेरे पास आलिया बैठी थी. दीदी के पास जीजा जी बैठे थे.
दीदी खाना सर्व करने लगीं. मैं उन दोनों लड़कियों को बारी बारी से देख रहा था. उन दोनों इस समय टी-शर्ट और शॉर्ट पहने हुए थीं.
हम चारों खाना खाते हुए एक दूसरे की तरफ देख रहे थे. फिर खाना खत्म हुआ और मैं जीजा के साथ हॉल में आ गया. वो दोनों बर्तन साफ करने रसोई में चली गईं.
इधर हम दोनों टीवी देख रहे थे, तभी आलिया वहां पर आ गई. वो मेरे सामने वाले सोफे पर बैठ गई. दीदी स्कॉच व्हिस्की की बोतल और चार गिलास लेकर आ गईं. वो जीजा जी के पास बैठ कर गिलास में व्हिस्की डालने लगीं.
फिर हम चारों ने गिलास उठाए और चियर्स बोल कर पैग चुसकना शुरू कर दिया. जीजा जी ने एक ही सांस में पैग हलक के नीचे उतारा और दोबारा पैग बनाने लगे. तभी मैंने भी अपना गिलास खाली किया और अपना गिलास भी आगे कर दिया. कुछ ही पल बाद दीदी और आलिया भी दूसरे पैग का मजा लेने लगीं.
जीजा जी का कहना था कि शराब हमेशा खाने के बाद ही लेना चाहिए.
जल्दी ही हम सबने तीन तीन पैग मार लिए. करीब दस बजे तक हम टीवी देखते रहे.
चित्रा ने आलिया का हाथ पकड़ते हुए उसे चलने के लिए कहा- आलिया कम ऑन … एन्जॉय यार.
फिर वो दोनों गेस्ट वाले कमरे में चली गईं. उनके जाने के एक मिनट बाद हम दोनों भी खड़े होकर उसी कमरे में चले गए.
अविनाश ने सिगरेट सुलगाते हुए कहा- हमारी फैंटेसी पूरी करने के लिए तुम दोनों का धन्यवाद.
चित्रा ने नशे की मस्ती में मुझसे कहा- राज डियर … पहले तुम्हारे बारी है. जिस तरह जैसे अविनाश ने तुम्हारी बहन की सील तोड़ी थी, आज तुम उसकी बहन की सील तोड़ोगे.
दीदी आज दारू के नशे में फुल मूड में आ गई थीं … जिस तरह से वो बात कर रही थीं … उससे मुझे समझ आ गया था कि आज मुझे अपनी बहन का छिनालों वाला रंग देखने मिलने वाला है.
मैंने दीदी के चूचों की तरफ देखा.
चित्रा ने मुस्कुराते हुए कहा- ये भी तेरे लिए तैयार हैं … मगर पहले तुम दोनों एक दूसरे को किस करो.
आलिया कसमसाते हुए बोली- भाई, मुझसे नहीं होगा.
अविनाश- चित्रा.
तभी दीदी आलिया के पास गई और आलिया के होंठों को चूमने लगी. पहले तो आलिया को अजीब लगता रहा, लेकिन फिर नशे की वजह से वो भी दीदी का साथ देने लगी.
जीजा जी सिगरेट का धुंआ छोड़ते हुए वहां पर पड़ी कुर्सी पर बैठ गए और मैं खड़ा होकर उन दोनों को किस करते देखने लगा.
तभी एक मिनट बाद दीदी रुक गईं और उन्होंने मुझे इशारा कर दिया.
मैं उठ कर उधर गया और आलिया का मुँह पकड़कर उसे किस करने लगा. अब आलिया का संकोच कम हो गया था और वो मुझे साथ देने लगी थी.
उधर दीदी जीजा जी की गोद में जा कर बैठ गईं … और जीजा जी के हाथ से सिगरेट लेकर धुंआ उड़ाने लगीं.
आलिया भी कामुक होकर मेरा साथ देने लगी थी. आलिया के होंठों को चूमने में मुझे बहुत मजा आ रहा था. मेरे दोनों हाथ आलिया की कमर पर आ गए थे और हम दोनों किस करने में मशगूल हो गए.
सामने दीदी जीजा जी की गोद में बैठकर उनको किस कर रही थीं. हम दोनों की गर्म सांसें एक दूसरे के मुँह को छू रही थीं. हम दोनों मस्त होकर किस करने लगे थे. मैं अपने दोनों हाथों से आलिया की गांड को सहला रहा था, हम इतने मशगूल हो गए थे कि हम यह भूल गए थे कि इस कमरे में हमारे अलावा भी दो और लोग हैं.
दीदी- आलिया, राज की टी-शर्ट निकाल दो.
तभी आलिया ने मेरी टी-शर्ट निकाल दी और मैंने भी आलिया की टी-शर्ट निकाल दी. उसने इस समय काले रंग की ब्रा पहनी थी. उसके 34B साइज के चुचे देखकर मेरा लंड तन गया. उधर अपनी बहन आलिया के चूचे ब्रा में देख कर अविनाश जीजा जी का लंड भी तन गया था. मैं और आलिया हम दोनों किस करने में लग गए.
दीदी जीजा जी कान में बोलीं- क्या बात है डियर, अपनी बहन का हॉट फिगर देखकर लंड उछलने लगा है क्या!
अविनाश- हां यार, वो है ही इतनी हॉट.
चित्रा- वैसे आज मेरा भाई तुम्हारी बहन को अच्छे से पेलेगा.
अविनाश- जैसे मैं तुम्हें पेलता हूं.
दीदी जीजा जी के होंठों को चूमने लगीं और इधर मैं आलिया के होंठों को चूम रहा था.
चित्रा- अब पूरी रात सिर्फ किस ही करोगे या आगे भी कुछ करोगे?
दीदी की बात सुनकर मैंने आलिया को घुमा दिया और उसकी ब्रा का हुक खोल कर निकाल दिया. अब मैं अपने दोनों हाथ से आलिया के मम्मों को सहलाने लगा.
आलिया दीदी और जीजा जी की तरफ सेक्सी नजरों से देख रही थी. मैं आलिया के मम्मों को जोर से दबाने लगा और उसकी चूचियों के कड़क हो चुके दोनों निप्पलों को अपने दोनों हाथों की उंगलियों के बीच दबा कर मींजने लगा. इससे आलिया मदहोशी की हालत में सीत्कार करने लगी.
इधर मैं आलिया के मम्मों को मसल रहा था, तो उधर जीजा जी दीदी के मम्मों को मसल रहे थे. आलिया के चुचे बड़े टाइट थे.
उसी समय आलिया अपने हाथों से मेरे हाथों को रोक कर घूम गई और मुझको किस करने लगी.
ये सब दो ही मिनट हुआ था कि मुझसे कन्ट्रोल नहीं हो रहा था. मैंने आलिया को बेड पर पटक दिया … और आलिया के ऊपर चढ़कर उसके होंठों को चूमने लगा. दीदी और जीजा जी हम दोनों को देख रहे थे.
मैं आलिया के मम्मों को सहलाते हुए उसके पूरे बदन को चूमने लगा. आलिया कामुक आवाज कर रही थी. मैंने अब उसका शॉर्ट और काली पैंटी भी निकाल दिया. मैंने देखा कि आलिया की चुत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी. उधर जीजा जी दीदी के मम्मों को मस्ती से सहलाए जा रहे थे.
जीजा जी- तुम्हारा भाई तो खिलाड़ी लग रहा है.
दीदी- आखिर भाई किसका है.
मैं जैसे ही आलिया की चुत को चाटने लगा, तो आलिया एकदम से सिसक गई और बेडशीट को पकड़कर कसमसाने लगी. आलिया की चुत बहुत टाइट थी और बड़ी ही मादक थी. आलिया मुझे ज्यादा देर तक बर्दाश्त नहीं कर पाई., और उसके शरीर में ऐंठन शुरू हो गई.
आलिया- आहह उह ओह आ आहह!
दीदी- राज अब और मत तड़पा … जल्दी से चोद डाल.
मैंने दीदी की तरफ देखा. दीदी अपने नंगे मम्मों को जीजा जी से चुसवाने लगी थीं. मैंने आलिया की दोनों टांगें फैला दीं और उसकी कमसिन चुत की फांकों पर अपना लंड सैट कर दिया.
तभी आलिया ने मुझे रोक दिया- प्रोटेक्शन!
दीदी- रुको … मैं देती हूं.
मैं भी सोच रहा था कि साली को नशे में भी कंडोम की याद बनी रही.
दीदी ने झट से उठ कर ड्रावर में से कंडोम का पैकेट निकाल कर मुझे दे दिया. मैंने कंडोम पहनकर आलिया की चुत पर लंड सैट किया और एक जोर का धक्का लगा दिया. पहले ही शॉट में मेरा आधा लंड चुत में घुस गया.
आलिया दर्द के मारे जोरों से चिल्ला उठी- ओहह मर गई … उम्म्ह… अहह… हय… याह…
मैंने उसकी चीख सुनी तो डर के मारे आलिया की चुत से लंड निकाल लिया.
जीजा जी- साले साहब, धीमे से.
आलिया तड़फ कर कहने लगी- उंह … बहुत मोटा है … मुझसे नहीं होगा.
तभी दीदी ने मुझे किस करने का इशारा कर दिया और मैं आलिया के होंठों को चूमने लगा.
कुछ देर बाद जब आलिया शांत हो गई, तब मैंने फिर से लंड को सैट किया.
आलिया डरते हुए बोली- धीमे डालना, बहुत दर्द हो रहा है.
मैंने आलिया की बात सुनकर धीमे से धक्का मारा, जिससे इस बार वो धीमे स्वर में आवाज़ करने लगी. कुछ देर की मशक्कत के बाद मैंने कुछ लंड अन्दर पेल दिया और उसको चूमने सहलाने लगा. एक मिनट बाद आलिया को दर्द से मुक्ति मिल गई और अब मैं उतने ही लंड को चुत में अन्दर-बाहर करने लगा. आलिया भी चुदाई का मजा लेते हुए कामुक आवाजें करने लगी.
अविनाश- तुम्हारे भाई का लंड तो बहुत बड़ा है जान.
चित्रा- हां यार … इसका बहुत बड़ा मूसल है … पता नहीं आलिया का क्या हो रहा होगा.
उसी समय मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी. कुछ देर बाद मैंने एक जोर का झटका मारा, जिससे मेरा आधे से ज्यादा लंड चुत में घुस गया.
और आलिया फिर से जोरों से चिल्लाने लगी- आहहह राज, स्टॉप इट … आह यू हर्ट मी … राज स्टॉप इट … प्लीज बाहर निकालो … मुझे दर्द हो रहा है.
मैंने आलिया की बात सुनकर और उत्साहित होकर जोर से झटके मारना शुरू कर दिए. इससे आलिया की आंख में आंसू आ गए … मगर मैं बेरहमी से आलिया को उसके भाई के सामने पेलता रहा.
आलिया- आहहह … राज आह भाई … राज मुझे दर्द हो रहा है.
जीजा जी और दीदी लंड चुत की सीलतोड़ चुदाई देखने का आनन्द ले रहे थे.
आलिया ने दोनों हाथों से बेडशीट पकड़ ली थी … मैं पूरी ताकत से आलिया को चोदने में लगा हुआ था. हालांकि कुछ देर बाद आलिया की चीखें खत्म हो गई थीं.
करीब दस मिनट लगादार चोदने के बाद मैं झड़ गया और कंडोम निकाल कर आलिया के पास लेट गया.
आलिया अपनी चुत को हाथ सहलाते हुए सीत्कार कर रही थी. आलिया की चुत पर हल्का सा खून लगा था.
तभी दीदी खड़ी होकर आलिया के पास आईं और जीजा जी बाहर निकल गए.
दीदी- रिलेक्स … पहली बार ऐसा ही होता है.
अपनी ननद आलिया की चुत को दीदी ने टिश्यू पेपर से साफ किया और उसको चूम लिया. आलिया की दर्द मिश्रित मुस्कान निकलने लगी. दीदी ने भी उसको हंस कर देखा और वो दोनों किस करने लगीं.
मैं उन दोनों को चूमते हुए देख रहा था. तभी जीजा जी व्हिस्की की बोटल लेकर कमरे में आ गए.
जीजा जी ने पैग बनाए और पहले मुझे गिलास देते हुए बोले- लो थकान दूर करो.
उसके बाद जीजा जी ने उन दोनों को भी गिलास दे दिए.
मैं- सॉरी आलिया.
आलिया मुस्कुराते हुए- इट्स ओके.
फिर हम चारों चियर्स कहकर पैग मारने लगे. इस समय हम दोनों नग्न अवस्था में थे, जबकि दीदी और जीजा जी ने कपड़े पहने हुए थे.
चित्रा- आलिया … एक काम करो तुम शावर ले लो … तुम्हें राहत मिलेगी.
आलिया- ठीक है.
फिर आलिया धीमे से उठकर बाथरूम में चली गई और हम तीनों ने एक एक पैग और बना लिया.
जीजा जी- राज, तुमने तो मेरी बहन की बैंड बजा दी.
चित्रा- और तुम मेरी बैंड बजाते हो उसका क्या!
इस बात पर हम तीनों हंसने लगे. जीजा जी ने कहा इसी बात पर एक सिगरेट सुलगाओ यार.
दीदी अपने होंठों में सिगरेट दबा कर लाईटर से सुलगाने लगीं. मैं दीदी को कामुक नजर से देख रहा था. मुझे उनमें एक चुदक्कड़ माल दिख रहा था.

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