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छोटी चाची बड़ी चाची की एक साथ चुदाई

 




दोस्तो, मेरे पास करीब सौ से ज्यादा भाभियों और लड़कियों के मेल आए थे, जिसमें उन्होंने मेरी अब तक की सभी कहानियों को काफी सराहा और अगली सेक्स कहानी के लिए रिक्वेस्ट की.

खास तौर पर मेरे पास महिलाओं के बहुत ही ज्यादा मेल आते हैं, जो मिलने की इच्छा जताती हैं. लेकिन मैं अपनी मालकिनों के प्रति वफादार हूँ और आगे भी वफ़ादारी निभाता रहूँगा.

इसी बीच मुझे एक मेल साहिल का मिला, जो अपनी भाभियों की चुदाई करता है. उसने अपनी भाभियों को मेरी सेक्स कहानी के बारे में बताया, तो वो उससे मेरी मुलाक़ात करवाने की कहने लगीं. मतलब साहिल अपनी भाभियों की चुदाई अब मुझसे करवाना चाहता है.

उसने मुझे अपनी भाभियों के साथ कैसे चुदाई की शुरूआत हुई थी, ये भी लिख कर भेजा है. चूंकि उसका परिवार काफी धनी और इज्जतदार है. इसलिए उसका कहना है कि उसकी ये देसी सेक्स आंटी स्टोरी मैं अपने जरिये आप लोगों तक पहुंचाऊं.

मैंने उसकी सेक्स कहानी को आप तक पहुंचाने के लिए उससे हां कह दी. उसने मुझे जो कहानी लिख कर भेजी है, उसे आप उसी के शब्दों में पढ़ें और आनन्द लें.

दोस्तो, मैं साहिल … आपको तहे दिल से और सभी कुंवारी कन्याओं और भाभियों को लंड खड़ा करके नमस्कार करता हूँ.

यह मेरी पहली देसी सेक्स आंटी स्टोरी है. मेरा नाम तो आप जान ही चुके हैं. मैं 25 साल का हूँ. मेरा परिवार आम परिवारों की तरह ही बड़ा है. मेरे परिवार में मेरे अम्मी अब्बू, बड़े चाचा-चाची, छोटे चाचा-चाची और उनके बच्चे … हम सब साथ में ही रहते हैं.

हमारा मकान तीन मंजिला है. सबसे नीचे की मंजिल में अब्बू-अम्मी का कमरा है. बीच में दोनों चाचाओं के कमरे हैं. सबसे ऊपर मेरा कमरा और एक गेस्टरूम है.

मेरे परिवार में सब खुले विचारों के लोग हैं. हमारा कन्ट्र्क्शन का बड़ा काम है. अब्बू और दोनों चाचा साथ में ही काम करते हैं.

मैं अपनी पढ़ाई करता हूँ और थोड़ा बहुत अब्बू के ऑफिस का काम भी कर लेता हूँ.

मेरे घर पर नौकर भी काम करते हैं … इसलिए अम्मी और दोनों चाचियां अपने अपने सवेरे के काम निपटा कर हमेशा बन संवर कर तैयार ही रहती हैं. वे सब कपड़े भी बड़े बड़े गले के बैकलैस और स्लीवलैस ही पहनती हैं. वो तीनों पार्टियों में और क्लब में आना जाना पसंद करती हैं.

अब्बू और चाचा को ऑफिस के काम से फ़ुर्सत ही नहीं मिलती है, इसलिए अम्मी और चाचियां अपने काम या खरीदी के लिए खुद ही अपनी कार लेकर बाज़ार चली जाती हैं.

मेरी चाचियों की उम्र कुछ 40-42 के आस पास होगी. मेरे और चाचा के सभी दोस्त, मेरी दोनों चाचियों के दीवाने हैं. और हो भी क्यों नहीं … वे दोनों हैं ही इतनी कयामत कि क्या कहूँ. उन दोनों के बड़े बड़े चुचे, बड़ी बड़ी गांड, लम्बी हाईट, ग़ोरा रंग. मोहल्ले में न जाने कितने ही लोग उन्हें देख कर अपने लंड की पिचकारियां छोड़ते होने.

मैं खुद भी उन्हें देख कर गर्मा जाता था, पर परिवार की वजह से मैं कुछ कर नहीं सकता था. बस आते जाते उनके हिलते हुए चुचे और थिरकती गांड देख कर लंड सहला लिया करता था.

एक दिन मैं और मेरा दोस्त अपने कॉलेज से घर आ रहे थे.
मेरे दोस्त ने मुझसे कहा- चलो, आज कहीं कॉफ़ी पीने चलते हैं.
मेरे पास भी कुछ काम तो था नहीं, तो मैंने हां कर दी.

हम दोनों एक कैफे में पहुंचे, तो वहां पर मैंने देखा कि मेरे घर की कार पार्किग में खड़ी है.
मैंने ये देखा, तो एक मिनट रुक कर सोचने लगा. फिर मैं कैफे में चला गया.

हम दोनों अन्दर एक ऐसी जगह बैठ गए जिधर से मुझे कैफे में आने जाने वाले हर आदमी पर नजर जा सकती थी.
कुछ देर बाद मेरी बड़ी चाची एक लड़के के साथ हाथ में हाथ डाल कर बाहर निकल रही थीं. उस वक्त उन्होंने काला स्लीवलैस ब्लाउज और गुलाबी साड़ी पहनी हुई थी. उनके टाईट ब्लाउज में से उनके बड़े बड़े चुचे साफ़ नजर आ रहे थे.

वो लड़का चाची से काफी चिपक रहा था. बाहर जाते हुए न जाने कैसे, चाची ने मुझे देख लिया. मुझे देखते ही चाची एकदम से घबरा कर वहां से तेज कदमों के साथ चली गईं. मैं भी जल्दी से उठा और कैफे से निकल कर अपने घर आ पहुंचा.

घर आकर मैंने देखा कि चाची की कार घर पहुंच गई थी.

मैंने चाची के कमरे में जाकर देखा तो चाची बाथरूम में नहा रही थीं.

तभी पीछे से छोटी चाची ने मुझे देख लिया और बोलीं- यहा क्या कर रहे हो … उधर तुम्हारी अम्मी तुम्हें बुला रही हैं.

और तभी बड़ी चाची बाथरूम से निकल आईं.

मैंने उन्हें देखा कि वो मुझे देख रही थीं. इस समय उन्होंने झीना सा गाउन पहन रखा था. उस गाउन का गला काफी बड़ा था. चाची के दोनों चुचे उसमें से साफ़ दिख रहे थे.

मेरे दिमाग में चाची के बारे में सेक्सी विचार तो पहले से ही थे. इसी लिए मेरी कामुक नजरें चाची के चूचों पर ही जमी हुई थीं. चाची भी ये सब देख रही थीं.

खैर एक पल बाद मैंने खुद को संभाला और कमरे से बाहर जाने लगा.

तभी बड़ी चाची मुझसे बोलीं- उस कैफे में रोज जाते हो … या आज मुझे देखने ही आए थे?
उनकी बात सुनकर मैं तो सकपका गया और बिना कुछ जवाब दिए कमरे से बाहर चला आया.

मेरे बाहर आते वक्त दोनों चाचियों ने जोर का ठहाका लगाया और हंसने लगीं.
मैं उन दोनों की हंसी सुनता हुआ नीचे आ गया.

रात को सबने साथ खाना खाया. खाना खाते वक्त मेरे अब्बू, दोनों चाचा से कहीं जाने की बात कर रहे थे.

मैंने पूछ लिया- बाहर कौन जा रहा है?
अब्बू ने कहा- तुम्हारे दोनों चाचा काम के सिलसिले में चार दिन के लिए बंगलोर जा रहे हैं.

मैं काफ़ी देर से देख रहा था कि चाचा लोगों के बाहर जाने की खबर सुन कर दोनों चाचियां हौले हौले से मुस्कुरा रही थीं.

अब्बू ने चाचाओं से बात खत्म की और खाना खा कर सब अपने अपने कमरे में चले गए. मैं भी अपने कमरे की तरफ़ बढ़ गया.

रात के नौ बज चुके थे. मैं चाचा के कमरे से गुजर रहा था.
तभी बड़े चाचा ने मुझे आवाज दी- साहिल, तुम अभी हमारे साथ एयरपोर्ट छोड़ने चलना.
मैंने कहा- ठीक है.

चाचा की फ्लाइट का टाईम साढ़े ग्यारह बजे का था. मैं कमरे में जाकर टीवी देखने लगा.

थोड़ी देर के बाद चाचा ने मुझे आवाज दी. मैं चाचा के कमरे में पहुंचा तो देखा चाचा अपने बैग में सामान चैक कर रहे थे. चाची पास में खड़ी थीं. चाची मुझे देखते ही मुस्कुराने लगीं.

चाचा ने मुझे देख कर कहा- चलो.

चाची अभी भी पीछे से मुस्कुरा रही थीं. मेरा ध्यान फ़िर से उनके चूचों में अटक गया था.

चाचा ने जोर से कहा- चलो साहिल … क्या सोच रहे हो!
मैंने अपने आपको संभाला और घर से बाहर निकल कर कार की तरफ़ चलने लगा.

हम तीनों कार से एयरपोर्ट पहुंचे, तब ग्यारह बज चुके थे. दोनों चाचा बोले- बेटा काफी वक्त हो गया है … तू घर चला जा, हम चले जाएंगे.

मैं कार से सामान उतार कर चाचा से बाय बोल कर चला आया.

रास्ते भर मेरे सामने चाची का चेहरा घूम रहा था. मैं घर में घुस कर अपने कमरे में जाने लगा. अब्बू-अम्मी सो गए थे.

ऊपर चढ़ा, तो देखा बड़ी चाची जाग रही थीं.
मैं अपने कमरे में जाने लगा, तो चाची ने आवाज दी- साहिल.
मैं उनके दरवाजे तक पहुंच गया- क्या हुआ?

चाची ने मुझे कमरे में अन्दर बुलाया. मैंने देखा कि चाची ने अब सिर्फ़ एक जाली वाली नाईटी पहनी थी. मेरा ध्यान फ़िर से उनके चूचों पर चला गया. नाईटी से उनके चूचों के निप्पल साफ़ दिख रहे थे.

इतने में चाची बोलीं- तुमने मुझे देख लिया था न?
मैंने पूछा- हां, वो लड़का कौन था?
उन्होंने बिंदास कहा- वो मेरा ब्वॉयफ्रेंड है.

मैंने कहा- चाचा को पता है?
चाची ने कहा- नहीं, लेकिन तुम भी मत बताना प्लीज़.

मैंने उनसे पूछा- क्यों, चाचा में क्या कमी है?
चाची एकदम से झल्लाने लगीं- तुम समझते नहीं हो.
मैंने पूछा- क्या हुआ?
वो बोलीं- तुम्हारे चाचा को काम से फ़ुर्सत ही कहां है. इतनी जवान और खूबसूरत बीवी घर पर है, पर मेरी तरफ वे देखते ही नहीं हैं.

मैं चाची की तरफ हैरानी से देखने लगा.

चाची मुझसे पूछने लगीं- क्या तुमको नहीं पता कि जवान बीवी को क्या चाहिए होता है?
मैंने पूछ लिया- क्या चाहिये होता है?
वो बोलीं- ज्यादा भोले मत बनो साहिल, मुझे मालूम है कि तुम्हें सब पता है. क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है?
मैंने कहा- हां एक है तो सही.
चाची ने पूछा- लेटने वाली है या गाड़ी के पीछे बैठने वाली है.

वो इतना कह कर मुस्कुराने लगीं और बोलीं- कैफे वाली बात किसी को नहीं बताओगे, तो मैं तुम्हें एक गिफ़्ट दूंगी.
मैंने कहा- ठीक है, मैं नहीं कहूँगा.

चाची से बातें करते वक्त मेरी नजरें उनके उठे हुए मस्त चूचों पर ही बार बार जा रही थी. चाची ये सब ध्यान से देख रही थीं.

फिर चाची ने कहा- अच्छा अपनी आंखें बन्द करो, तुम्हें अब ही एक गिफ़्ट मिलेगा.

मैंने आंखें बन्द कर लीं.

कुछ आधा मिनट के बाद मैंने कहा- और कितनी देर लगेगी?

तभी मेरे होंठों पर किसी के होंठ टच हुए. मैं मन ही मन खुश हो रहा था कि अब तो चाची भी तैयार हैं.
फिर जैसे ही मैंने अपनी आंखें खोलीं, छोटी चाची मेरे होंठों पर किस कर रही थीं.

मैंने हैरानी से देखा, तो वे दोनों देख कर मुस्कुराने लगीं. मुझे मालूम ही नहीं चला था कि छोटी चाची भी कमरे में आ गई होंगी.
तभी बड़ी चाची बोलीं- आज हम दोनों तुझे लेटना सिखाएंगे.

बड़ी चाची ने अपने पर्स से एक टेबलेट निकाली और मुझे खाने का बोलीं.
मैंने पूछा- क्या है ये?

बड़ी चाची ने कहा कि तुम अभी नए हो और जवान भी … और हम दो हैं. तुम हम दोनों को अच्छी तरह चोद पाओ, इसलिए ये स्टेमिना बढ़ाने की दवा है. इससे तुम ज्यादा टाइम चुदाई कर पाओगे.

छोटी चाची दूध का गिलास भर कर लायी थीं.

मैंने उनके मुँह से ‘चोद पाओ’ शब्द सुना तो खुश हो गया. मैंने झट से उनके हाथ से वो टेबलेट ले ली और मुँह रख कर ऊपर से दूध का गिलास पीकर गोली खा ली.

मैंने दूध पिया तो मेरे होंठों की बगल से दूध की लकीर बन गई. ये देख कर दोनों मेरे गालों को चूमने लगीं और बारी बारी से मुझे किसिंग करने लगीं. हम तीनों फ़ोरप्ले करने लगे.

मैंने खुलते हुए कहा- हां तो रंडियों, अब ज्यादा मत तड़पाओ … लंड लेने की तैयारी शुरू कर दो.

मेरी बात सुनकर उन दोनों ने आपस में कान में कुछ कानाफूसी की और हंसने लगीं.

मैंने पूछा- क्या हुआ?
छोटी चाची बोलीं- आज तो हम दोनों पूरा मजा लेंगी.

इसके बाद बड़ी चाची कम्पयूटर की तरफ़ बढ़ीं और उन्होंने कम्पयूटर चालू कर दिया. फिर एक पेन ड्राईव लगा कर उसमें ब्लू फ़िल्म लगा दी. उस ब्लू फिल्म में दो महिलाएं, एक पुरुष का लंड हाथ में लेकर आगे पीछे कर रही थीं.

बड़ी चाची मेरे पास आकर बोलीं- आज फ़िल्म में जो भी होगा, वही हम भी करेंगे.

हम तीनों मूवी देखने लगे. उसमें करीब तीस मिनट की चुदाई थी.

मूवी देखते ही मेरा लंड पैंट के अन्दर कड़क होने लगा. पेन्ट के अन्दर ही लंड अंगड़ाइयां ले रहा था. हम तीनों बेड पर बैठ कर चुदाई की फिल्म का मज़ा ले रहे थे.
मेरे दोनों हाथ चाचियों के बदन पर चल रहे थे. चाचियों के हाथ मेरे सीने पर और पेन्ट के उभरे हुए हिस्से पर चल रहे थे.

तभी अचानक मैंने कहा- दरवाजा तो लगा दो.
बड़ी चाची ने मुझे बेड पर धक्का देकर गिरा दिया और छोटी चाची उठ कर दरवाजा बंद करने चली गईं.

अब मैं पूरी तरह से अपनी चाचियों की चुदाई के लिए तैयार था. दोनों चाचियां बेड के पास खड़ी गईं और एक दूसरे के कपड़े उतारने लगीं. इस दौरान वो दोनों एक दूसरे के होंठों पर किस भी कर रही थीं.

कुछ देर बाद दोनों के जिस्म पर केवल पैंटी ही रह गईं. दोनों एक दूसरे के चुचे सहला रही थीं. मैंने पहली बार इतने बड़े बड़े चुचे एक साथ देखे थे.

फ़िर बड़ी चाची ने मुझे गाली देकर कहा- मादरचोद … मुझे ही नंगी करवाएगा या खुद भी लंड निकालेगा?

मैं बेड पर ही उठ खड़ा हुआ और नीचे उतर कर मैंने दोनों को अपनी बांहों में ले लिया. अब हम तीनों एक दूसरे को किस कर रहे थे. वे दोनों मुझे लगभग नौंच रही थी. कुछ ही पलों में मेरा लंड मेरे काबू से बाहर हो गया था. ऐसा लग रहा था कि गोली ने अपना असर दिखाना चालू कर दिया था.

बड़ी चाची ने मेरी टी-शर्ट को निकाल दिया और छोटी चाची अपने एक हाथ मेरे लंड को पजामे के ऊपर से टटोल रही थीं. फ़िर उन दोनों ने एक एक हाथ से मेरा पजामा नीचे सरका दिया.

मैंने भी देर नहीं की और पजामे को पैर की मदद से पूरा उतार दिया.

अब हम तीनों के शरीर पर केवल लंड चुत को ढंकने वाले अंडरगारमेंट्स ही रह गए थे.

दोनों रंडियों की कामुक नजर मेरे अंडरवियर पर ही टिकी थी.

छोटी चाची मचलते हुए बोलीं- तेरी चाबी तो बाहर आने को मचल रही है.
ये कहते हुए वो मेरे लंड को सहलाने लगीं.

उनकी बात पर हम तीनों ही हंस दिए.

अब दोनों ने एक एक हाथ से एक दूसरे के चुचे मसलना शुरू कर दिए थे और दूसरे हाथ से मेरे लंड को अंडरवियर के ऊपर से ही सहला रही थीं. मुझसे कन्ट्रोल नहीं हुआ, तो मैंने अपना अंडरवियर भी उतार दिया.

दोनों ने मेरे छह इंच के मोटे लंड को देखा तो वाओ कहते हुए लंड को हाथ में ले कर आगे पीछे करने लगीं.

मेरा गोरा लंड तन कर खम्बे सा खड़ा था और चमक रहा था.

छोटी चाची बोलीं- तेरी गर्लफ्रेंड ने अपनी चुत में कितनी बार इसको लिया है. तूने तो उसकी चुत को बहुत बार चोदी होगी.
ये कह कर दोनों हंसने लगीं.

मैं दोनों चाचियों के बड़े बड़े चूचों को नीचे झुक कर अपने मुँह में लेने लगा. बड़ी चाची के चुचे, छोटी चाची से थोड़े ज्यादा बड़े थे. मैंने इतने बड़े बड़े चुचे पहली बार देखे थे … तो मुझसे रहा ही नहीं जा रहा था. जब मैंने उनके चूचों को मुँह में लेना चालू किया, तो उनकी सिसकारियां फूट पड़ीं.

मैंने दोनों के चूचों को बारी से मसलता और चूसता जा रहा था. इससे दोनों के गले से ‘आह … आह …’ की आवाज निकलने लगी.

दोनों के हाथ मेरे लंड पर चल रहे थे और वे अपने मुँह से बड़बड़ा रही थीं.

छोटी चाची- आह दीदी … क्या मस्त लंड है साले का.
बड़ी चाची बोलीं- हां साला घर का माल हमें दिखा ही नहीं.

मुझे भी आज समझ आ गया था कि दोनों चाची मेरे लंड का कचूमर निकाल कर ही रहेंगी.

इस तरह से वे दोनों घुटनों के बल नीचे बैठ गईं और मेरे छह इंच लम्बे और काफी मोटे लंड को बड़ी हसरत से देखने लगीं.

इतने में छोटी चाची ने मेरे लंड के सुपारे को अपनी जुबान से चाटना शुरू कर दिया. उनकी जीभ लंड के सुपारे से टच हुई तो मेरे पूरे बदन में एकदम करंट सा दौड़ गया. ये सब मेरे साथ पहली बार हो रहा था.

मैंने सीत्कार भरते हुए उनके सरों पर अपने हाथ जमाए और पूछा- साली रंडियो, लंड चूसना कहां से सीखा?
तो छोटी चाची बोलीं- आह … इसने सिखाया है सब!

बड़ी चाची हंसती हुई छोटी चाची के दोनों चुचों को एक साथ करके अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं.

इस तरह से हम तीनों एक दूसरे गर्म कर रहे थे और वासना में मादक सिसकारियां भी भर रहे थे.

बड़ी चाची ने मेरा लंड छोटी चाची के हाथ से लिया और बोलीं- साली कुतिया अकेले ही लंड खाएगी क्या?

फ़िर वे दोनों भूखी शेरनी की तरह मेरे लंड पर टूट पड़ीं. एक रांड मेरे लंड के सुपारे को मुँह में लेकर चूस रही थी, तो दूसरी मेरे आंडों को चूसने में लगी थी.

इस सबसे मैं तो जैसे आसमान में उड़ने लगा था. दोनों ब्लू फिल्म में सीन देख देख कर मेरे लंड को चूसे जा रही थीं.

पूरे कमरे में ‘उह्ह्ह्ह … ऊग्ग्ग … उह्ह्ह्ह …’ की कामुक आवाजें ही आ रही थीं. एक चाची मेरा लंड मुँह में लेतीं, तो दूसरी मेरे गोटे चूसने लगतीं. मैं तो पागल हुआ जा रहा था और अपनी कमर को आगे पीछे करने लगा था.

वे नीचे दोनों एक दूसरे को गालियां देती हुई कुछ ज्यादा ही कामुक होती जा रही थीं.
मेरे लंड को गालियां देती हुई कह रही थीं- साला इतना मस्त लंड घर में ही था … और हम बाहर लंड खोज रही थीं.

एक लंड, तो दूसरी अंडकोष को मुँह में ले रही थीं. उनके लंड चाटने और थूक की वज़ह से मेरा लंड एकदम चमक रहा था. मैं भी उन दोनों के बाल पकड़ कर लंड को उनके मुँह में अन्दर तक डालने लगा था.

बड़ी चाची ने अपना अनुभव दिखाते हुए लंड को अपने गले से नीचे तक ले लिया और पूरा मुँह में ले लिया. वो अपनी जुबान से मेरे लंड की जड़ पर फिराने लगीं. वो इंग्लिश और हिंदी में अपने अपने पतियों को गालियां भी दे रही थीं.

‘आह साले नामर्द … भैन के लौड़े हमारे गांडू खाविन्द इतनी खूबसूरत चुत भी नहीं चोद पा रहे हैं … और ये मादरचोद इतना बड़ा लंड घर में अपनी गांड में घुसाए बैठा था.’

वो मेरे लंड पर चपत भी लगा रही थीं और ‘सो बिग कॉक … नाईस बिग कॉक … उह्ह्ह यस फ़क माय माउथ … यू बास्टर्ड.. सो हार्ड कॉक …’ कहे जा रही थीं.
मैं भी ‘आआआ … उह्ह्ह …’ की आवाजें निकाल रहा था.

थोड़ी देर के बाद मैंने उनको ऊपर उठाते हुए खड़ा किया और उनके चूचों को चूसने लगा.

दोनों चाचियां अब सिर्फ गालियों में ही बातें कर रही थीं- आह खा ले मेरे हरामी भतीजे … खा ले भोसड़ी के इन्हें … तेरा नामर्द चाचा तो इन्हें देखता भी नहीं है.

वो जोर जोर से सिसकारियां लेते हुए मेरे बालों को नौंच खसोट रही थीं. मेरे हाथ पीछे से उनकी गांड का नाप ले रहे थे. दोनों अपने हाथों से अपने चुचे मेरे मुँह में घुसेड़ रही थीं और गालियां दे रही थीं. वे एक दूसरे को किस भी कर रही थीं.

दस मिनट तक ऐसा ही चलता रहा. फ़िर मैं बोला- चाबी तो देख ली, ताला नहीं दिखाओगी रंडियो.
ये सुनकर वे दोनों मुझसे थोड़ी दूर होकर सामने सोफ़े पर जा कर बैठ गईं और मुझे पास आने का इशारा करने लगीं.

मैं उनके पास जाने लगा, मेरा लंड सांप की तरह फन हिला रहा था. मैं पास पहुंचा, तो फिल्म में देख कर दोनों अपनी अपनी पेन्टी में हाथ डाल कर खुद को उत्तेजित कर रही थीं.

मैं उनके पास पहुंच कर अपने घुटनों के बल बैठ गया.
छोटी चाची बोलीं- देख उधर फ़िल्म में … ऐसा ही करना है.

फ़िर दोनों ने अपने पैर ऊपर उठाए और कहा- चलो भतीजे, अपनी चच्चियों के ताले भी देख लो.

मैंने झट से एक एक करके उन दोनों की पैन्टी उनकी टांगों से अलग कर दी.
अब दोनों की एकदम गुलाबी चुत मेरे सामने थी.

जैसे ही अपना हाथ मैंने चुत पर रखा, तो दोनों कसमसाने लगीं और ‘आह्ह्ह … उह्ह्ह …’ करने लगीं.

मैंने फ़िल्म की तरफ़ देखा, तो पुरुष उन दोनों महिलाओं की चुत बारी बारी से चाट रहा था. ये सब मेरे साथ पहली बार था, इसलिए कुछ भी दिमाग से काम नहीं चल रहा था, बस हुए जा रहा था.

फ़िर मैंने भी फ़िल्म जैसा ही करना चालू कर दिया. छोटी चाची की चुत ज्यादा गुलाबी थी, तो पहले उसी से चालू किया. जैसे ही मैंने अपनी जुबान उनकी चुत पर फ़िराना चालू की, वो गांड उछालने लगीं.

मैं अपने एक हाथ की उंगली को बड़ी चाची की चुत में डालने लगा.
दोनों ही ‘आह्ह्ह्ह … ऊउईई … सक माय पुस्सी …’ की आवाजें निकालने लगीं.
मैंने पाली बदली, अब बड़ी चाची की चुत चूसने का नम्बर था.

बड़ी चाची तो और भी ज्यादा कामुक हुई जा रही थीं. वो भी चुत चटने से सिसकारियां लेने लगीं.

यह सिलसिला दस मिनट तक चलता रहा. फ़िर छोटी चाची उठीं और मेरे बराबर बैठ कर वो भी बड़ी चाची की चुत साथ में चाटने लगीं.

बड़ी चाची बिना पानी की मछली जैसी तड़पने लगीं और उन्होंने गालियां देना चालू कर दिया- याआआअ … ऊऊह … सक यस … यू बिच सक माय पुसी.. आह गुड .. साले चोदू तेज कर भड़वे … साले मादरचोद … जोर से चाटो!

मैंने अब अपनी जगह बदली और छोटी चाची के पास जाकर उनको घोड़ी की तरह बना दिया. उन्होंने झट से अपनी गांड फैला कर चुत खोल दी. मैं पीछे से अपना लंड उनकी चुत में पेलने लगा.

मैंने निशाना लगाया पर उनकी चूत छोटी होने की वजह से मेरा लंड फ़िसल गया. मैंने फिर से ट्राई किया, लेकिन फिर असफल रहा. मैंने फिर से कोशिश की और अब की बार लंड का सुपारा अन्दर चला गया.

लंड का सुपारा छोटी चाची की चुत में जैसे ही घुसा, उन्होंने बड़ी चाची की चुत को अपने मुँह से छोड़ कर एक गहरी कराह भरी और बोलीं- अरे … ये ताला बहुत दिन से बन्द पड़ा है … जरा प्यार से चोद मादरचोद. इसका तो बॉयफ्रेंड है, मेरा तो चार महीने से उंगलियों से काम चल रहा है.

मैंने लंड अन्दर पेलते हुए कहा- अब कोई शिकायत नहीं होगी मेरी जान … मेरा लंड मिलता रहेगा.

इतने में सामने से बड़ी चाची बोलीं- पूरा डाल और जोर से इसकी चुत में पेल … साली की फट जाना चाहिए.

बड़ी चाची की बात सुन कर मैंने एक जोर का धक्का दे मारा. अबकी बार आधे से ज्यादा लंड चुत के अन्दर घुसता चला गया था. उधर बड़ी चाची ने छोटी चाची का मुँह जोर से अपनी चुत में दबा दिया था, तो छोटी चाची की चीख उनके गले में ही घुट कर रह गई.

मैं धीरे धीरे अपनी कमर आगे पीछे करने लगा.

छोटी चाची- आह्ह्ह … उम्म्ह्ह … उह्ह्ह … यस फक माय पुस्सी … यू फक सो गुड.
उनकी मदमस्त आवाजें निकलने लगीं. इसी के साथ वो बड़ी चाची की चुत भी चाट रही थीं.

बड़ी चाची भी कराह रही थीं- यस यस यस … ओह्ह्ह माय पुस्सी … यु सक सो गुड.

उन दोनों की मादक आवाजें मुझे उत्तेजित कर रही थीं.

करीब दो मिनट तक मैंने अपनी चाल स्लो ही रखी, फिर मैंने अपनी कमर को थोड़ा तेज किया. अब छोटी चाची भी मेरा साथ देने लगी थीं. मेरा छह इंच का लंड चुत में पिस्टन की तरह अन्दर बाहर होने लगा था. आगे से बड़ी चाची भी गालियां और सिसकारियां निकाल रही थीं.

पूरे कमरे में चुदाई का संगीत गूंजने लगा था.

‘आ आह … आह्ह उईई …’ की मधुर आवाजें आ रही थीं. मैं छोटी चाची की कमर पकड़ कर उनकी चूत में लंड पेले जा रहा था.

कुछ मिनट के बाद दोनों चाचियों का पानी थोड़ा आगे पीछे निकला. पहले छोटी की बुर झड़ी, फिर बड़ी की चुत ने फव्वारा छोड़ दिया. मैंने अपना लंड छोटी चाची की चुत से निकाल कर दोनों के सामने कर दिया और खुद झुक कर बड़ी की चुत के रस को चाटने लगा.

दोनों की मादक आवाजें आ रही थीं- ऊउह्ह्ह यम्मी … उह्ह्ह्हह.

उन दोनों ने मेरा लंड का प्री-कम चाट चाट कर साफ़ कर दिया.

मैंने बड़ी चाची से कहा- अब तेरे ताले का नम्बर है कुतिया … बहुत आग है तेरे ताले में.

अब मैं घुटनों के बल बैठा और बड़ी चाची की चूत पर लंड का निशाना लगा कर रेडी हो गया.

बड़ी चाची की चुत भी थोड़ी बड़ी थी. मैंने एक धक्का मारा, तो चुत बड़ी और छोटी चाची के चाटने की वजह से लंड लगभग तीन इंच अन्दर घुसता चला गया. लंड मोटा होने की वजह से चाची को थोड़ा दर्द हुआ.

मैंने पूछा- क्या हुआ कुतिया?
तभी छोटी चाची जो अब सोफ़े पर आकर बैठ गई थीं, वो बोलीं- मेरे घोड़े तू डाल जोर से … ये तो नाटक कर रही है साली.

मैंने एक और धक्का दे मारा, तो मेरा पूरा लंड चुत के अन्दर चला गया.
बड़ी चाची ने कसमसाते हुए अपना सर ऊपर उठाया और जोर की आह भरी.
मैंने उनकी आह को अनसुना करते हुए तेज धक्के देना चालू कर दिए.

बड़ी चाची गालियां देते हुए अपनी कमर ऊपर उठाने लगीं.
मैंने अपनी चुदाई की रफ़्तार बढ़ा दी और छोटी चाची के चूचों को मुँह में लेने लगा.

छोटी चाची अपनी एक उंगली से बड़ी चाची के चुत के दाने को सहला रही थीं.
मैं कभी बड़ी चाची के निप्पल दबाता, तो कभी छोटी चाची के निप्पल को. कभी उनके होंठों को किस करता.

कुछ मिनट तक ऐसे ही चुदाई का खेल चलता रहा. फिर मैंने बड़ी छोटी को बड़ी चाची के बाजू में सोफे के ऊपर खड़ा कर दिया और उनके सर को बड़ी चाची की मुँह के पास करते हुए झुका दिया. इससे छोटी चाची की चुत मेरे मुँह के सामने आ गई थी और मैं चुत चाटने लगा.

दस मिनट की चुदाई के बाद बड़ी चाची ने छोटी चाची को जोर से जकड़ लिया और अपने दांतों को भींचने लगीं.

मुझे नीचे उनकी चुत में गर्म लावा फूटने का अहसास हुआ तो मैं समझ गया कि चाची का काम हो गया.

बड़ी चाची एकदम से निढाल पड़ गईं और तभी चुत चाटे जाने से छोटी चाची की चुत से भी पानी निकल गया.

हम तीनों ही मजा लेने लगे थे. मेरा लंड अभी भी खड़ा था. दवा का असर भरपूर था. मैं सोफे पर बैठ गया और छोटी चाची को ऊपर आने का बोला.
वो अपनी चुत को मेरे लंड पर रख कर अन्दर बाहर करने लगीं.

मैं तो पूरे जोश में था ही, तो मैंने फ़ुल स्पीड जल्दी पकड़ ली और लंड अन्दर बाहर करने लगा. मैं पास में बैठी बड़ी चाची को किस करने लगा.

दस मिनट की छोटी चाची की मेहनत के बाद मैंने कहा- आह चाची … मैं झड़ने वाला हूँ … माल कहां निकालूं?
चाची ने कहा- जरा रुक.

वो उठ कर लंड के सामने बैठ गईं और ‘यस यस यस … कम ऑन … शेक फ़ास्ट कम ऑन …’ बोलने लगीं. मैं उनके सामने खड़ा हो गया और लंड को तेजी से आगे पीछे करने लगा.

तभी तेज पिचकारियों के साथ मैंने चाची के मम्मों पर वीर्य की बौछार कर दी. उन दोनों के बड़े बड़े चूचे पूरी तरह से वीर्य से सन गए थे.

छोटी चाची मेरे वीर्य को उंगली से लेकर टेस्ट करने लगी और बोलीं- इसका टेस्ट तो बड़ा अच्छा है.
बड़ी ने भी वीर्य चखा और मेरे लंड को मुँह में लेकर उसका बचा हुआ रस भी खा लिया.

फिर हम तीनों साथ में नहाए. दोनों चाची मेरे गालों पर किस कर रही थीं और छोटी चाची कहने लगीं कि मेरे राजा तू तो लम्बी रेस का घोड़ा निकला. आज से हम दोनों तेरी गुलाम हो गईं.

फ़िर बड़ी चाची कहने लगीं- हां, आज से बाहर वाले सब लंड बंद … अब से बस तू ही हमारा परमानेंट चोदू हो गया.

ये कहते हुए दोनों ऐसे ही अगल बगल आ कर मेरे सीने के निप्पलों और पेट पर किस करके नहाने लगीं.

नहाने के बाद कमरे में आकर वो दोनों मेरे आजू बाजू लेट गईं.
मैंने बड़ी चाची से पूछा- आपने ये सब कहां से सीखा?
वे बोलीं- मेरी एक सहेली है, उसने ही ये सब बताया है.

फ़िर रात में एक बार हम तीनों ने फ़िर से सेक्स किया और सो गए. सवेरे जल्दी उठ कर छोटी चाची ने मुझे भी उठाया और अपने कमरे भेज दिया. क्योंकि अम्मी मेरे कमरे में मुझे रोज उठाने आती हैं. मुझे मेरे कमरे में नहीं देख कर उन्हें रात की बात पता चल सकती थी.

ये सब चार दिनों तक बिंदास चलता रहा.

फ़िर दोनों चाचा बंगलोर से वापस आ गए, तो चुदाई में ब्रेक लग गया. मगर जब भी हमें मौक़ा मिलता, हम तीनों खूब चुदाई करते.

दोनों चाची अब मेरे खाने पीने का कुछ ज्यादा ही ख्याल रखने लगी थीं और दोनों मुझे हर वक़्त अपने साथ रखने लगी थीं. उन्होंने मुझे अम्मी की चुदास के बारे में भी बताया था. मगर मैं अपनी अम्मी को चोदने की हिम्मत न कर सका.

दोस्तो, इधर साहिल की सेक्स कहानी खत्म हुई. उसने अपनी दोनों आंटियों को चोदने के बाद मुझे कई मेल किए, जिसके बाद मैंने वहां जाने का फैसला किया. वहां जाकर मैंने उसकी दोनों चाचियों की तीन दिन तक होटल में जम कर चुदाई की. वो भी मेरे लंड की मुरीद बन गईं.

फिर साहिल की अम्मी, उसकी चाचियों के लिए बड़ी समस्या थीं … जिसके लिए मैंने उनको सुझाव दिया कि अपनी अम्मी की भी किसी से सैटिंग करवा दो, तो उन तीनों ने मिल कर बड़ी चाची के बॉयफ्रेंड को साहिल की अम्मी के लिए पसंद कर लिया. मैंने उस लड़के को साहिल की अम्मी का बॉयफ्रेंड बनने में मदद की. अब वहां किसी तरह की कोई प्रॉब्लम नहीं है.

कुछ दिन बाद साहिल से बात हुई कि उसकी अम्मी को भी पता चल गया कि दोनों चाचियां उसके बेटे से ही चुदवाती हैं. उन्होंने ऐतराज जताया तो बड़ी चाची ने अम्मी को धमकाते हुए कहा कि आपने हमारे बारे में किसी से कुछ कहा, तो हम भी आपके बारे में बता देंगे.

ये सुनकर सभी ने चुप रहने का फैसला किया. साहिल की अम्मी ने भी कोई विरोध नहीं किया.

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