मेरा नाम दीपक सोनी है, मेरी उम्र 29 साल, हाईट 5 फीट 11 इंच है और रंग गोरा है। दिखने में सुंदर हूँ।
मैं यह नहीं कहूँगा की मेरा लण्ड बहुत बड़ा है, पर मोटा बहुत है. मेरा लंड कितनी भी ढीली चूत हो, उसमें भी फंस कर जाता है. जिसकी वजह से मेरे लण्ड ने अच्छी अच्छी औरतों का पानी निकाला हुआ है।
जो भी भाभी या आंटी अब तक मुझसे चुदी है वो आज भी मुझे याद करती है।
जैसा आपने मेरी पिछली कहानी में पढ़ा कि कैसे मैंने मेरी प्यारी चाची को चोद कर अपना दीवाना बना लिया था.
उसके बाद तो जैसे चाची को चस्का ही लग गया था मेरे लंड का!
वो लगभग हर रोज मेरे घर आ जाती थी या जब भी मौका मिलता था वो मुझे अपने घर बुला कर चुदवाती थी.
ना जाने कितनी बार मैंने उनकी चूत और गांड मारी है.
अब तो चाची को गांड मरवाने में भी मजा आने लगा है क्योंकि मेरी गांड मारने का तरीका ही ऐसा है कि मैं दर्द की बजाये मजा देता हूँ गांड मारने में भी!
मैंने और चाची ने अपने और मेरे घर का ऐसा कोई कोना नहीं छोड़ा, जहाँ हमने चुदाई ना की हो।
तो दोस्तो, यह भाभी चूत कहानी मेरी और चाची की नहीं बल्कि उस भाभी की है जिसने चाची को रसोई में रंगे हाथों पकड़ लिया था सलवार का नाड़ा बांधते हुए … और वापिस चली गयी थी।
मेरी भाभी का नाम मंजू है (काल्पनिक नाम)
इस कहानी में सिर्फ नाम ही काल्पनिक है. उसके अलावा पूरी कहानी में कुछ भी काल्पनिक नहीं है. जो जो मेरे साथ हुआ है, वही आपको लिख कर बता रहा हूँ।
भाभी तो चाची से भी मस्त शरीर वाली है. भाभी की उम्र 25 साल, हाईट 5 फिट 10 इंच है। उनके चूचे 32 के, कमर 28 की और गांड 36 की है.
उनकी शादी हुए 1 साल ही हुआ है. भईया किसी कम्पनी में अच्छी पोस्ट पर हैं, उनका काम फील्ड का ज्यादा रहता है तो वो हफ्ते में 4 दिन घर से बाहर ही रहते हैं.
भाभी की गांड तो चाची से भी ज्यादा रसीली है. जब वो चलती है तो उनकी गांड के दोनों पलड़े जबरदस्त हिलते हैं जिनको देख कर बूढ़े के लंड में भी जान आ जाए.
उनका जिस्म दूध जैसा है, मख़मली है.
भाभी लगभग साड़ी ही डालती है और इतनी कस कर बांधती है कि उनकी पैंटी की लाइन भी दिखने लगती है.
जैसा मैंने आपको बताया था कि भाभी को हम पर शक हो गया था.
अब वो मुझ पर और भी ध्यान रखने लगी थी. मैं उनको कहीं भी मिल जाऊँ तो बड़ी कातिलाना स्माइल करती हैं।
उनका मेरे घर भी आना जाना ज्यादा हो गया था.
एक दिन मेरे घर कोई नहीं था. मेरी मम्मी मेरी मौसी जी के घर दूसरे शहर गयी हुई थी.
और पापा अपने ऑफिस टूर से आउट ऑफ़ स्टेशन थे.
मैं घर पर अकेला ही बैठा चाची की वेट कर रहा था.
चाची की चूत मारे मुझे बहुत दिन हो गए थे क्योंकि कुछ दिन से चाचा घर पर ही थे.
तो चाची को आने का मौका ही नहीं मिला. और ना मुझे घर बुला सकती थी.
मैं उनके घर तो जरूर जाता था किसी काम के बहाने … पर कुछ कर नहीं सकते थे.
पर आज चाचा बाहर गए हुए थे तो उनके आने की पूरी पूरी उम्मीद थी मुझे.
मैं सिर्फ अंडरवियर में बैठा अन्तर्वासना पर सेक्स स्टोरी पढ़ रहा था और अपना लंड हिला रहा था.
तभी घर की घंटी बजी.
मुझे लगा कि चाची ही होगी.
तो मैंने अपना अंडरवियर भी निकल दिया और ऐसे ही गेट खोलने चला गया उनको सरप्राइज देने!
पर जैसे ही मैंने गेट खोला, सामने वही भाभी खड़ी थी.
मुझे इस अवस्था में देख कर उनका चेहरा शर्म से लाल हो गया और अपना चेहरा अपने आंचल से ढक लिया.
मेरे तो जैसे एकदम होश ही उड़ गए.
मैं सीधा अंदर भागा.
वो भी मेरे पीछे पीछे अंदर आ गयी और हंसने लगी, बोली- क्या हुआ देवर जी? किसका वेट कर रहे थे इस अवस्था में?
मैंने कहा- किसी का भी नहीं भाभी!
तो उन्होंने कहा- तो क्या फिर आप हर किसी का ऐसे ही स्वागत करते हो क्या बिना कपड़ों के?
अब मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या कहूँ.
पर भाभी समझ गयी थी और बोली- मैं समझ सकती हूँ देवर जी. इस उम्र में ऐसा ही होता है. पर थोड़ा बहुत ध्यान हमारा भी रख लिया करो।
मैंने कहा- मैं कुछ समझा नहीं भाभी?
तो उन्होंने कहा- अब इतने भी नासमझ ना बनो, तुम्हारी इस हथियार के तो बहुत कारनामे देखे है मैंने!
यह कहते हुए भाभी ने धीरे से मेरे लंड पर कच्छे के ऊपर से ही हाथ फेर दिया और हंसने लगी.
मेरा लंड तो दुगनी स्पीड से खड़ा हो गया और फटने को हो गया।
मैंने कहा- ऐसा क्या कारनामा और कब देख लिया भाभी आपने?
तो उन्होंने एक जबरदस्त सेक्सी स्माइल कर के बोली: बताऊँगी जनाब! इतनी भी क्या जल्दी है?
मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं!
फिर उन्होंने कहा- आप चिंता ना करो, मैं किसी को भी नहीं कहूँगी कि तुमने चाची के साथ क्या क्या किया है.
मेरे तो पसीने ही छुट गए, मैंने कहा- मैंने क्यय क्ययय क्या किया है, बताओ?
उन्होंने कहा- अरे इतना डर क्यों रहे हो और इतना हकला क्यों रहे हो? मैंने तो बहुत दिन से तुम दोनों पर नजर रखी हुई थी. कभी तुम उसके घर … और कभी वो तुम्हारे घर! पूरे मजे लिए हैं तुम दोनों ने! पर मुझे एक बात का दुःख है।
मैंने कहा- किस बात का भाभी जी?
तो उन्होंने कहा- तूने सारा प्यार चाची को ही दे दिया. कुछ ख्याल हमारा भी रख लेते।
मुझे लगा कि अब भाभी को सारी बातों का पता ही लग गया है तो क्यों ना बिल्कुल खुलकर ही बात कर ली जाये.
जिस हिसाब से भाभी खुल कर बात कर रही थी तो मुझे लग भी रहा था कि भाभी चुदने के इरादे से ही आयी हैं.
क्या पता चाची की जगह आज भाभी की चूत मिल जाये!
इस वक़्त तो मुझे सिर्फ चूत और गांड चाहिए थी. मेरा लंड अकड़ कर जो खड़ा था अब वो चाहे वो भाभी की हो या चाची की.
मैंने कहा- क्या करूं भाभी, आपने भी तो कभी लाइन ही नहीं दी. मेरा लंड तो कब से आपके लिए तैयार था।
उन्होंने कहा- अच्छा जी, ये बात है! सच कहुँ दीपू, जब से मैंने तुम्हारा लंड उस दिन कच्छे में खड़ा देखा था, तब से मैं तो यही सोच रही थी कि ये कच्छे में इतना हॉट लग रहा था तो बाहर आने के बाद कैसा लगेगा. तब से मुझे और कुछ दिख ही नहीं रहा.
भाभी आगे बोली- तुम्हारे भाई का तो यार 4 इंच से भी कम है. पर उस दिन तुम्हारा लंड देखते ही मेरी चूत गीली हो गयी थी. मैंने आज तक इतना मोटा और लम्बा लंड कभी नहीं देखा.
अब भाभी बिल्कुल खुल कर बोलने लगी थी. जिसे सुन सुन कर मेरे लंड में और भी जोश आने लग गया था. मेरा लंड झटके मारने लगा था. जिसे भाभी सेक्सी तिरछी नजरों से देख रही थी.
वे बोली- दिल तो कर रहा था कि उसी दिन तुम्हारा पकड़ लूं. पर तुम चाची के साथ ही लगे हुए थे. और उसके बाद मैंने ना जाने कितनी बार तुम्हें हिंट दिए. पर तुम तो चाची के पल्लू से ही चिपके हुए थे. आज सही समय लग रहा है मुझे क्योंकि मुझे पता था आज तुम्हारी मम्मी तुम्हारी मौसी के घर जाएगी और तुम घर पर अकेले होंगे.
भाभी बताती रही- मैं तो आज ये सोच कर आयी थी कि चाहे आज कुछ भी हो जाये, मैं आज तुमसे चुद कर ही जाऊँगी. पर मुझे क्या पता था, तुम यहाँ मुझे ऐसे मिलोगे और मेरा आधा काम आसान कर दोगे. वैसे मैंने तुम्हारी और चाची की चुदाई देखी है यार, क्या मस्त झटके लगाते हो तुम! और क्या मस्त स्टैमिना है तुम्हारा, मैंने तो तुम्हारी पूरी चुदाई देखी थी.
मैंने कहा- अरे भाभी, आपने कब देख ली हमारी चुदाई?
उन्होंने कहा- जिस दिन मैं चीनी लेने आयी थी और थोड़ी देर बाद चाची चली गयी थी.
मैंने कहा- हां चाची तो चली गयी थी।
फिर उन्होंने कहा- थोड़ी देर बाद चाची वापसी आती हुई दिखी मुझे और सीधा तुम्हारे घर आयी. तब मैं भी उनके पीछे पीछे आयी थी और तुम्हारी जबरदस्त चुदाई देखी थी।
तो मैंने कहा- तो भाभी आप भी अंदर आ जाती, मैं आपका भी पानी निकल देता।
उन्होंने कहा- दीपू, मैं तुम्हारा मजा ख़राब नहीं करना चाहती थी. पर मैंने उस दिन तुम्हारी मदमस्त कर देने वाली चुदाई देख कर इतना जरूर सोच लिया था कि अब मुझे भी तुमसे जरूर अपनी चूत की प्यास बुझवानी है।
भाभी कहने लगी- प्लीज दीपू, मेरा इतना काम कर दो. मैं तुम्हारा जिंदगी भर अहसान नहीं भूलूंगी. अगर तुमने मेरी अच्छे से प्यास बुझा दी जैसे चाची की बुझाई थी. तो पक्का प्रॉमिस करती हूँ, मेरे साथ साथ मेरी बहुत सी सहलियाँ को भी तुझसे चुदवा कर तुम्हारा पानी निकलवा दूँगी। मेरी बहुत से दोस्त ऐसी हैं जो अपने अपने पतियों से चुदाई से खुश नहीं है.
मैंने कहा- भाभी नेकी और पूछ पूछ! अगर सच में वो सब अपने पतियों के सेक्स से खुश नहीं हैं तो मैं आपके कहने पर फ्री मैं ही उनकी सेवा कर दूँगा।
भाभी पूरी खुश हो गयी और भाग कर मेरे गले लग गयी. वे मेरी गर्दन को चूमने चाटने लगी.
मेरे शरीर में 440 वाट का करंट सा दौड़ गया।
भाभी का शरीर इतना मुलायम और कोमल था कि मुझसे रहा ना गया और मैंने उनको पूरी अपनी आग़ोश में ले लिया।
तभी भाभी बोली- दीपू, प्लीज अब अपना बना ले यार, अब और बर्दाश्त नहीं हो रहा।
अब मैं भी उनकी गर्दन और कान के पास चूमने लगा और अपने दोनों हाथों से उनकी कमर पकड़ ली.
भाभी जोर जोर से सिसकारियां ले रही थी- आअह आआ इस्स्स्स स्शह्ह, ओह्ह दीपूउउउ … आह आह ओह ओह!
थी और बोली- मैं कब से तरस रही थी इस प्यार के लिए।
मैंने कहा- भाभी अब में हूँ ना आपके लिए, अब आपको कभी इस प्यार की कमी नहीं होने दूँगा।
भाभी ने अपना एक हाथ नीचे लाते हुए मेरे लंड पर रख दिया और दूसरे हाथ से मेरी कमर को सहला रही थी.
फिर बोली- तुम्हारा लंड तो पूरा फौलादी बना हुआ है, चाची कैसे इसे अपनी चूत और गांड में ले लिया?
मैंने कहा- जैसे आप लोगी भाभी!
उन्होंने कहा- दीपू, मेरी चूत बहुत टाइट है. तेरे भाई का लंड तो बहुत छोटा है. मुझे तो उस से ही दर्द होता है, तुम्हारा लंड मैं कैसे लूंगी?
मैंने कहा- भाभी आप टेंशन ना लो, मैं आपको दर्द भी नहीं होने दूँगा और मजे भी दूँगा।
उन्होंने कहा- इसीलिए तो तुम्हारी पास आयी हूँ. और दीपू, प्लीज ये बात किसी को पता ना चले. नहीं तो मेरी बहुत बदनामी होगी।
मैंने कहा- भाभी, आप मेरे पास आये हो तो आपकी इज्जत मेरी इज्जत है. आप टेंशन ना लो।
और भाभी जोर जोर से मेरे लंड को रगड़ने लगी।
मैं भी भाभी को किस करते करते हुए अपने दोनों हाथ भाभी के दोनों चूचों पर ले आया और उनको रगड़ने लगा. मैं भाभी के निप्पल को उंगली और अंगूठे से रगड़ने लगा.
भाभी पूरी तरह तड़पने लगी और मस्त सिसकारियां निकालने लगी.
मैं धीरे धीरे भाभी के शरीर से कपड़े अलग करने लगा.
अब भाभी मेरे सामने सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज में थी.
मैंने उनका ब्लाउज और पेटीकोट भी निकाल दिया.
मैं आपको बता नहीं सकता कि भाभी क्या मस्त लग रही थी.
उन्होंने रेड कलर की ब्रा और रेड कलर की ही जालीदार पैंटी पहनी हुई थी.
और ये दोनों ही उनके दूधिया जिस्म पर मस्त लग रही थी.
मैं तो सिर्फ देखता ही रह गया।
भाभी ने कहा- क्या देख रहे हो देवर जी?
मैंने कहा- भाभी, आपका शरीर तो चाची को भी दूर बिठा रहा है. आपके सामने तो चाची भी पानी ना मांगे!
यह सुन कर भाभी शर्म से लाल हो गयी और मैंने आगे बढ़ कर उनको फिर से गले लगा लिया.
और जब हम दोनों के नंगे शरीर एक दूसरे से टकराये तो मैं आपको बता नहीं सकता कि मुझे कितना आनंद आया.
मैं उनको उठा कर अपने बैडरूम में ले गया और बेड पर लिटा दिया.
फिर मैं उनके पैरों से शुरू हो गया.
मैं उनके पैर के अंगूठे को मुँह में लेकर चूसने लगा.
भाभी पूरी तरह तिलमिलाने लगी और मैं किस करते करते ऊपर की तरफ आने लगा।
मैंने उनकी पैंटी के ऊपर से ही उनकी चूत पर किस किया और देखा कि भाभी की चूत से धीरे धीरे पानी आ रहा है.
क्या मस्त खुशबू थी उनके चूत के पानी की!
मैं तो पागलों की तरह उनकी चूत पर अपनी नाक रगड़ने लगा.
भाभी तो पागलों की तरह मचलने लगी. उन्होंने अपने दोनों हाथों से बेड की चादर को पकड़े हुआ था और अपनी गर्दन को ऊपर उठा रही थी.
मैंने अपनी नाक चूत से हटा कर उनकी पैंटी को उनके जिस्म से अलग कर दिया.
क्या मस्त लाल चूत थी यार! एकदम मस्त क्लीन शेव की हुई और एकदम गोरी चूत!
देखते ही मेरा लंड जोर जोर से सलामी देने लगा था अंडरवियर के अंदर से ही!
अब मुझसे रुका ना गया और मैंने उनकी चूत पर अपने होंठ रख दिए.
धीरे से जीभ को उनकी चूत के अंदर देकर उनके चूत के दाने को जीभ से रगड़ने लगा.
भाभी बिन पानी के मछली की तरह तड़पने लगी.
और क्या मस्त सिसकारियां निकाल रही थी- आआह्ह हआआ अअह अअहां ओह्ह ह्हह ईस्स ईश्सस दीपू … खा जाओ मेरी चूत को! आज तक तुम्हारी भाई ने इस पर मुँह भी नहीं रखा और तुमने तो मुझे जन्नत की सैर करा दी यार! ऊओह्ह येस … ऊह्ह्होह … अहाह!
“और तेज चाटो यार … आज मेरी सारी मनोकामना पूरी कर दो! आज से मैं सिर्फ तुम्हारी बन कर रहना चाहती हूँ!”
मुझमें भाभी की कामुक सिसकारियाँ सुन कर और भी जोश आ गया और मैंने दोनों हाथों से भाभी की ब्रा भी निकाल दी.
भाभी के चूचों को नंगा कर के दोनों हाथ से रगड़ने लगा.
फिर मैंने मुँह ऊपर उठा कर चूचों को देखा.
क्या मस्त गोरे गोरे और मोटे मोटे चूचे थे यार भाभी के!
मैं तो भाभी के चूचों को देखता ही रह गया.
और फिर पूरी जीभ उनकी चूत में दे दी.
भाभी की चूत पानी से लबालब भरी हुई थी जिसे मैं जीभ से चाट चाट कर साफ़ कर रहा था।
साथ ही साथ भाभी के चूचों को दबाये जा रहा था।
भाभी ने कहा- दीपू, प्लीज अब चोद भी दो यार! अब कण्ट्रोल नहीं हो रहा. नहीं तो मैं तुम्हारे मुँह में नहीं अपना पानी निकाल दूँगी।
मैंने कहा- भाभी आने दो पानी को, मैं तुम्हारा नमकीन टेस्टी पानी पीना चाहता हूँ।
और फिर मैं और जोर जोर से भाभी की चूत चाटने लगा.
भाभी का शरीर सिसकारियों के साथ अकड़ने लगा.
मुझे पता चल गया था कि अब भाभी का पानी निकलने वाला है.
मैंने अपने जीभ की स्पीड और बढ़ा दी और भाभी ने दोनों हाथों से मेरे सिर को जोर से अपनी चूत पर रगड़ने लगी और पानी निकालने लगी.
मैं भी लास्ट तक भाभी का सारा पानी पी गया और भाभी निढाल होकर अपने हाथ मेरे सिर से हटा कर जोर जोर से हाम्फ़ने लगी.
पर मेरा लंड तो अब भी वैसे ही फटने को हो रहा था।
अब भाभी उठ कर बाथरूम गयी और अपनी चूत साफ़ कर के बाहर आयी।
वे पास आ कर मेरे पास लेट गयी और बोली- दीपू, तुमने आज जो अभी तक मुझे जो सुख दिया है, वो मेरी लाइफ का सबसे बेस्ट मोमेंट था, जिसे मैं जिंदगी भर नहीं भूल सकती। सच कहूँ तो मैंने सिर्फ आज तक सुना था कि चूत चटवाने में मजा आता है. पर वो मजा आज तुमने मुझे महसूस कराया है. थैंक्यू मेरी जान!
यह कहती हुई भाभी ने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और मेरे होंठों को चूसने लगी.
क्या मस्त अनुभव था उनके होंठों को चूसने का!
बहुत ही मस्त और कोमल होंठ थे भाभी के!
फिर भाभी ने अपना एक हाथ नीचे ले जा कर मेरा अंडरवियर निकाल दिया और मेरे लंड के साथ खेलने लगी.
उन्होंने किस छोड़ कर मेरे लंड पर हमला बोल दिया और मेरे नंगे लंड को गौर से देखने लगी.
फिर भाभी जोर जोर से मेरे लंड को रगड़ने लगी.
मेरा लंड उनके एक हाथ से तो पकड़ा ही नहीं जा रहा था इसलिए वे दोनों हाथ से मेरे लंड को पकड़ कर ऊपर नीचे करने लगी.
जब उनके हाथ दुखने लगे तो मेरे साइड में आ कर लेट गयी और मुझे किस करने लेगी।
अब मैंने उनके बूब्स को चूसना शुरू कर दिया.
क्या नर्म और गर्म बूब्स थे!
वाआह … मजा आ गया!
भाभी फिर से सिसकारियां निकालने लगी थी- अहः अहः अहाहहः अहहाह ओह्ह्ह्ह उउऊइई!
और मैं लगातार उनके बूब्स को चूसता रहा.
भाभी फिर से गर्म हो गयी थी, फिर हम 69 की अवस्था में आ गए और मैंने फिर से उनकी चूत में जीभ डाल दी.
वे बिना संकोच किये मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी.
उनके गर्म गर्म होंठ जैसे ही मेरे लंड पर लगे, मैं तो जन्नत में पहुंच गया था.
और उन्होंने जिस मस्त तरीके से मेरा लंड चूसा, मैं तो उनका मुरीद हो गया था.
हमने कम से कम 20 मिनट तक लंड और चूत चुसाई की।
उन्होंने कहा- दीपू तुम्हारा होता नहीं क्या, इतने देर हो गए तुम्हारा लंड चूसते हुये?
मैंने कहा- भाभी मेरे अंदर यही तो खास बात है. मेरा लंड मोटा और लम्बा होने के साथ साथ जल्दी से झड़ता नहीं है।
उन्होंने कहा- फिर तो आज में पूरी जन्नत की सैर करुँगी।
मैंने कहा- बेशक भाभी, आज आपको वो सैर कराऊंगा, आप देखते रह जाओगी।
भाभी ने कहा- दीपू मेरी जान, अब बर्दाश्त नहीं हो रहा यार! प्लीज अब अपना लंड डाल ही दो मेरी चूत में! और इसको चोद चोद कर बुरा हाल कर दो इसका! इसने मुझे बहुत तरसाया है।
मैंने कहा- जो हुकुम मेरी मेरी जान! वैसे कैसे चुदना पसंद करोगी आप? डॉगी स्टाइल, ऑन टॉप या सिंपल … जैसे आप नीचे लेट जाओ और मैं आपके ऊपर आ कर चोद देता हूँ?
उन्होंने कहा- यार सिंपल तो बहुत चुद ले तेरे भाई से! उनको तो इसके अलावा कुछ आता भी नहीं है. पर मैं आज पहली बार तुम्हारा ले रही हूँ तो तुम ही ऊपर आ कर धीरे धीरे अंदर डालना यार! तुम्हारा बहुत मोटा और लम्बा है इसलिए। एक बार लंड को चूत में जाने दो तक से उसके बाद जो ओर जैसा चाहो वैसे मुझे चोद लेना.
तो मैंने कहा- ओके मेरी जान!
मैंने उनकी कमर के नीचे तकिया लगाया जिससे उनकी चूत उठ कर ऊपर आ गयी।
फिर मैंने भाभी की दोनों टांगो चौड़ा कर दिया और लंड को जैसे ही उनकी चूत पर रखा वो तिलमिलाने लगी.
मैं अपना लंड से उनकी चूत पर रगड़ने लगा जिससे भाभी पागलों की तरह तड़पने लगी और सिसकारियां भरने लगी.
वे बोली- प्लीज यार, अब तो डाल दो. अब और सहा नहीं जा रहा है.
फिर मैं धीरे धीरे लंड भाभी की चूत में डालने लगा.
सच में दोस्तो, उनकी चूत बहुत ज्यादा टाईट थी, लंड अंदर जा ही नहीं रहा था.
फिर मैंने सामने सरसों के तेल की शीशी देखी. मैं वो उठा कर लाया और बहुत सा तेल मेरे लंड पर और भाभी की चूत पर लगाया.
तब धीरे धीरे करके मैं लंड अंदर करने लगा.
भाभी ने जोर से बेड की चादर को पकड़ लिया और बोली- प्लीज जरा धीरे धीरे डालना!
मैंने कहा- भाभी, यू डोंट वरी … मैं आपको दर्द नहीं होने दूँगा।
फिर मैंने धीरे से हल्का सा झटका दिया और लंड की टोपी अंदर गयी।
भाभी जोर से तिलमिलायी और बोली- आराम से मेरी जान!
मैं वहीं रुक गया और उनके बूब्स को चूसने लगा, उनकी गर्दन और कान के पास किस करने लगा.
2 मिनट रुकने के बाद मुझे लगा कि अब भाभी ठीक है.
तो मैंने एक थोड़ा जोर से झटका मारा और आधा लंड भाभी की चूत के अंदर समा चुका था.
पर इस बार भाभी को ज्यादा दर्द नहीं होने दिया. उन्होंने बस हल्की सी सिसकारी ली- आअह्ह्हा स्स्शह स्सह्ह आअह्ह!
1 मिनट रुकने के बाद मैंने दूसरा जोर से झटका मारा और पूरा लंड भाभी की चूत के अंदर!
अब की बार भाभी उछल कर पड़ी.
भाभी की हल्की चीख निकल गई और कुछ कुछ पानी आँखों से आना शुरू हो गया.
पर मैंने उनको कण्ट्रोल कर लिया और लंड बाहर नहीं निकलने दिया.
भाभी बोली- यार, अब की बार दर्द हुआ।
मैंने कहा- मेरी जान, थोड़ा बहुत तो दर्द तो होगा ही! नहीं तो आपको पता कैसे चलेगा कि आपने लंड लिया है. कुछ तो महसूस भी होना चाहिए।
फिर मैंने धीरे धीरे झटके लगाने शुरू कर दिए और पूछा- अब कैसा लग रहा है भाभी?
उन्होंने कहा- अब पहले से कुछ ठीक लग रहा है।
फिर धीरे धीरे मैंने अपनी स्पीड तेज कर दी और उनके होंठों को चूसने लगा.
अब भाभी पूरी गर्म हो चुकी थी और उनको अब मजे आने लगे थे.
वे अपनी गांड उठा कर मेरा लंड अंदर बाहर करवाने लगी थी और मेरा पूरा साथ दे रही थी.
भाभी पूरी सिसकारियों के साथ मेरा लंड ले रही थी और पूरी स्पीड में भाभी को चोद रहा था.
अब मैंने भाभी को डॉगी स्टाइल में होने को कहा.
वो तुरंत डॉगी स्टाइल में हो गयी.
जब मैं उनके पीछे आया और उनकी गांड देखी तो देखता ही रह गया.
क्या मस्त गांड लग रही थी!
मैंने उनकी गांड को पकड़ कर मेरा लंड उनकी चूत पर रखा और एक जोरदार शॉट मारा और पूरा लंड उनकी चूत में!
भाभी सिर्फ अअअ अअअ हाआ ओह्ह्ह्हह कर के रह गयी.
मैं उनकी गांड को पकड़ कर चोदने लगा.
चोदते चोदते मैंने पूछा- भाभी मुझे आपकी गांड भी मारनी है?
तो उन्होंने कहा- यार, पहले मेरी चूत को शांत कर दो. फिर कुछ भी मार लेना, मैं अब पूरी तुम्हारी हूँ जान!
कम से कम 15 मिनट डॉगी स्टाइल में चोदने के बाद मैंने उनको मेरे ऊपर बुला लिया.
इस दौरान उनका एक बार तो हो चुका था.
फिर वो मेरे लंड पर बैठ कर चुदने लगी।
कम से कम 20 मिनट की चुदाई के बाद भाभी अकड़ने लगी और बोली- दीपू, मेरा दूसरी बार हो रहा है! आअह्ह आआ हहए ओह्ह्ह मैं आ रही हूँ!
मेरा भी होने ही वाला था, मैंने भी अपने स्पीड दुगनी कर दी और हम दोनों एक साथ स्खलित हो गये.
भाभी मेरे ऊपर ही लेटी रही और कुछ समय बाद भाभी उठ कर बाथरूम गयी.
जब भाभी नंगी चल रही थी तो उनकी नंगी गांड क्या मस्त लग रही थी.
मुझे लगा कि आज तो मैं इनकी गांड मार कर ही रहूँगा.
यही सोच सोच कर मेरा लंड दुबारा खड़ा हो गया.
जब तक भाभी बाथरूम से बाहर आयी तो मेरा खड़ा लंड देख कर बोली- लंड है या क्या है ये यार? अभी चूत से झड़ कर बाहर निकले इसको 10 मिनट भी नहीं हुए हैं. और ये फिर से खड़ा हो गया है।
मैंने कहा- भाभी आपकी नंगी गांड को चलते हुई देख कर फिर से खड़ा हो गया है।
भाभी बोली- फिर क्या इरादा है मेरे जान? वैसे तुमने आज मुझे वो ख़ुशी दी है, इसके बदले मैं तुझे जो दूँ वो कम है. मेरा आज तक एक बार भी ठीक से नहीं हुआ और तुमने एक बार में ही मेरा 2 बार करा दिया है।
मैंने कहा- भाभी सिर्फ मुझे आपकी गांड मारनी है।
दो मिनट सोचने के बाद वे बोली- यार, तेरे लंड ने चूत का यह हाल कर दिया. तो गांड का तो फट कर हाथ में आ जायेगी।
मैंने कहा- भाभी, धीरे धीरे करूंगा, ज्यादा से ज्यादा तेल लगाऊँगा।
फिर उन्होंने कहा- ओके मेरी जान, कर ले पर धीरे धीरे।
मैंने उन्होंने वापिस डॉगी स्टाइल में किया और उनकी गांड पर खूब तेल लगाकर एक उंगली उनकी गांड में डाल कर गांड का छेद थोड़ा ढीला किया.
फिर मेरे लंड को भी अच्छे से तेल में भीगो कर भाभी की गांड पर रखा.
जैसे ही भाभी की गांड पर लंड रखा भाभी एकदम टाईट हो गयी.
मैंने कहा- भाभी, अपने आप को ढीला रखो फिर दर्द नहीं होगा.
फिर वो कुछ ढीली हुई. मैंने लंड का दबाव गांड पर बनाया और धीरे धीरे लंड को उनकी गांड में उतारता रहा.
जहाँ ज्यादा दर्द होता … वहीं रुक जाता और बाहर निकालकर और तेल लगाता गांड पर भी और लंड पर भी! फिर अंदर देता.
ऐसे करते करते मैंने मेरा पूरा लंड भाभी की गांड में दिया और उनको इतना आभास भी नहीं हुआ.
थोड़ा बहुत तो दर्द हुआ पर उतना नहीं होने दिया जितना वो डर रही थी.
उसके बाद मैं उनकी गांड को पकड़ कर जोर जोर से झटके मारने लगा.
फिर तो भाभी में भी जोश आ गया और वो अपने गांड को आगे पीछे करके मेरा लंड अपने आप अंदर ले रही थी.
बहुत देर तक मैंने उनकी गांड मारी.
फिर भाभी बुरी तरह थक गयी थी, बोली- दीपू यार, अब पैर दर्द करने लगे हैं. प्लीज अब जल्दी निकाल लो अपना पानी! मेरी गांड के मजे फिर कभी ले लेना.
यह सुनते ही मैंने अपने स्पीड बढ़ा दी और मैं साथ में भाभी की चूत में भी उंगली करने लगा जिससे उनका तीसरी बार भी पानी निकाल गया था.
मैंने अपना पानी भाभी की गांड में डाल दिया।
तो ऐसे मैंने मेरी मस्त सेक्सी भाभी की गांड मारी.
इसके बाद बहुत बार भाभी ने मुझसे चुदवाया, जिसमें चूत भी थी और गांड भी।
अब तो भाभी को भी गांड मरवाने में मजा आता है।
दोस्तो, यह स्टोरी भाभी से पूछ कर लिख रहा हूँ.
इस समय भाभी मेरे साथ ही हैं जब मैं स्टोरी लिख रहा हूँ. वे मेरा लंड चूस रही हैं.
मैं भी बीच बीच में उनके बूब्स दबा रहा हूँ और चूत में उंगली कर रहा हूँ।
भाभी ने अपने प्रोमिस को पूरा करते हुए अपनी कई सहेलियों (भाभियाँ और आंटी) की चूत और गांड दिलवाई।

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