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पड़ोस वाली विधवा चाची को लंड दिखाया

 चाची बिल्कुल अकेली रहती थी घर में …

मैं राज रोहतक (हरियाणा) से आपके सम्मुख हाजिर हूं एक गाँव की चुदाई कहानी लेकर …
यह घटना इसी साल दीपावली से 3 दिन पहले की है कैसे मैंने पड़ोस की चाची को चोदा।

पहले आपको अपने बारे में बता दूँ कि मैं 30 साल का हो गया हूँ. और मेरी शादी नहीं हुई है.

हरियाणा में ज्यादातर यही चलता है कि सरकारी नौकरी है या बहुत जमीन है तो छोकरी है नहीं तो बस अपना हाथ …

फिलहाल शादी का मेरा भी इरादा नहीं है. सेक्स का मैं बहुत शौक़ीन हूँ औरत चाहे किसी उम्र की हो गोरी हो या साँवली हो सबकी चुत की पूजा करता हूँ बहुत इमानदारी से।
मैं गांव से हूँ लेकिन कुछ समय दिल्ली रहा हूँ तो थोड़ी अंग्रेजी भी बोल लेता हूँ.

अभी मेरे पास कोई काम नहीं है तो मां बाप की सेवा कर रहा हूँ. 

मैं अपने सारे राज राज ही रखता हूँ; मैं नहीं चाहता कि मेरी किसी भी दोस्त को कोई परेशानी आए.

तो दोस्तो, मैं कहानी में कुछ हरियाणवी शब्दों का प्रयोग करूंगा क्योंकि ये मेरे कुछ दोस्तों की इच्छा है।

अब मैं असाली बात पर आता हूँ.
यह कहानी मेरे और मेरी पड़ोस में रहने वाली काकी (चाची) की है. हमारे परिवारों की आपस में ज्यादा बोलचाल नहीं है.

मेरी काकी का नाम आसानी के लिए मीना (काल्पनिक) रख लेता हूँ. उनकी उम्र लगभग 42 के आसपास है. वह अनपढ़ हैं, रंग सांवला और कद 5’3″ है. चाची पतली सी हैं.

उनके दो बच्चे हैं, एक लड़की और एक लड़का!
लड़की की शादी हो चुकी है. उनका लड़का 10वीं तक पढ़कर दिल्ली में किसी फैक्टरी मैं काम करता है और सप्ताह में दो दिन घर आता है.
मेरे चाचा यानि चाची के पति की 2 साल पहले बीमारी की वजह से मौत हो गई थी. गरीबी की वजह से उनके लड़के को नौकरी करनी पड़ी।

चाची एक भैंस रखती है और उसका दूध बेचती हैं. उनसे हमारे घर के पीछे दायीं और उनका प्लाट है जहां एक कमरा बना है और आगे की जगह खाली है तो वो वहां भैंस बांधने आती और दोपहर को घर ले जाती हैं तो कभी कभी मेरी मां से उनकी बात हो जाती।

चाची का घर गांव के अन्दर है तो वो बस प्लाट में भैंस बांधने आती और फिर लेने!

मेरे मन में कोई गलत ख्याल नहीं था चाची के लिए.
पर कभी कभी खेत में दिन जाती तो सोचा लेता कि आज त चुत दे दे तो मजा आ जाए।

खेतो में भी चुत चोदने का अलग ही मजा हैं बो भी ईख के खेत में।

अगस्त महीने की बात है दोपहर को 2 बजे मैं नीचे अपने कमरे में लेटा हुआ था तो नींद आ नहीं रही थी. मैं बस आंखें बन्द करके अपनी महिला मित्रों के साथ की गई चुदाइयों को याद कर रहा था.
मेरा लंड खड़ा हो गया था तो मैं हाथ से लंड को सहला रहा था।
और क्या करता … कोई दोस्त मिलने नहीं आ रही थी क्योंकि कॉलेज स्कूल खुले नहीं तो कोई मिलने आ नहीं सकी।

तो मैं लंड सहला रहा था; तभी मीना चाची की आवाज सुनाई दी जो भैंस को उठा रही थी।
मैं उठा और खिड़की से चाची को देखने लगा.

तभी मैंने क्या देखा कि चाची चारों तरफ देख कर वहीं पेशाब करने बैठ गई.
मैंने झट से लंड निकाला और चाची को देखते हुए मुट्ठी मारने लगा।

चाची सलवार नीचे करके पेशाब कर रही थी तो मुझे उनकी गांड की झलक दिख गई.
मेरा लंड भी पहलवान की तरह अकड़ गया.

मैंने सोचा कि क्यों ना चाची पर कोशिश की जाए. लंड की जरूरत तो इनको भी होगी. अगर सेटिंग हो गयी तो चाची अकेली रहती है, दिन रात खूब मजा देगी।

आपको पहले भी बताया था कि हमारे घर के पीछे और आगे भी दोनों जगह बाथरूम व खाली जगह ताकि सर्दी में आराम से धूप में बैठ सकें.
पीछे वाले बाथरूम का दरवाजा चाची के प्लाट की तरफ है.

तो मैं बाहर आया और बाथरूम के दरवाजे पर खड़ा हो गया और लंड को हिलाने लगा। ताकि मेरा लंड चाची को दिख जाए और उसे लगे कि मुझे ध्यान नहीं. मेरा लंड चाची की ओर और मैं दूसरी ओर देखने लगा.

काम वासना के चलते मेरे मन में कोई डर नहीं, कोई ख्याल नहीं!
मैं बस मुट्ठी चलाता रहा. मैं चोर नजर से चाची को देख रहा था. वो कभी मुझको देखती, कभी आगे पीछे कि कहीं कोई और तो नहीं आ रहा।

मुठ मारते मारते मैं आखिर स्टेशन पर पहुँच गया तो मैंने मुंह सीधा कर लिया.
अब मेरी और चाची की नजर मिली और मेर लंड ने माल गिराना शुरु कर दिया.

चाची अपनी भैंस को लेकर चली गई.

मुठ मारते समय इतना आन्नद आया कि लगा यही जिंदगी का मजा है, इससे बढ़ कर कुछ ना है।

फिर मैं सो गया.
चाची जब भी भैंस बांधने आती, मैं खिड़की से देखता उनको.
तो वो किसी ना किसी बहाने प्लाट में रुकी रहती और हमारे बाथरूम की तरफ देखती.
आते जाते भी उनकी नजर इसी तरफ होती।

फिर तो मैंने भी सोच लिया कि जो होगा देखा जाएगा आज कुछ नया करूंगा.
मैं इन्तजार कर रहा था मीना चाची का!

दोपहर को जैसे ही वो आयी, मैं झट से कमरे से बाहर निकला.
चाची ने मुझे देखा और झाडू उठाकर सफाई करने लगी. और बीच बीच में मेरी और देखती तो मैं लंड पर हाथ फेर देता।

मुझ पर कामदेव फिर असर दिखाने लगा. फिर मैंने अपना लोड़ा निकाला और करने लगा नई दिल्ली पुरानी दिल्ली!
मतलब मुठ मारने लगा.

अब तो मीना डार्लिंग मेरी ओर देखती तो मैं मुंह को ऐसा करने लगा जैसे पप्पी ले रहा हूँ.
तो वो काम छोड़कर मेरी ओर देखती रही।

मैंने इशारा किया कि मैं आ जाऊं वहाँ?
तो उसने चारों ओर देखा, फिर काम करने लगी।

बस फेर तो मुठ मारनी छोड़ मैं घर से निकल गया और चाची के प्लाट में पहुंच गया.
चाची और मेरी नजर मिली; हम दोनों मुस्कुराये.

फिर चाची कमरे में गयी. मैं भी चारों ओर देखकर घुस गया.

चाची की नजर मेरे लंड पर थी; वो बोली- तन्ने त जमा शर्म बेच खायी.
मैं बोला- के बात चाची?
चाची बोली- इब चाची दिखगी जब इस लोडे और अपने झुनझुने (आंड) दिखाव था … जव ना बेरा था चाची लागु हूँ तेरी?

मैं बोला- चाची, यो खड़ा होते ही काबु मैं ना रहता! फेर तु बढिया लागे है मनै. तनै तो खेत मैं देखकर भी मुठ मारी है. देख तनै देख कर यो लंड कयोकर पागल हो जा है.
और लंड बाहर निकाल लिया मैंने।

चाची बोली- कती बेशर्म है कमीना. तनै बेरा है ना … किसी न बेरा लाग गी तो के होवगा मेरा … तु त छोरा है, कुछ ना होव … पर मेरी बेज्जती हो जावगी।

मैं बोला- बेरा कयोकर लागगी? मैं तो किसी त बताऊ ना … तु देख कदै बता दे?
और मैं उसके और नजदीक आ गया।

चाची की नजर लंड पर थी. फिर बोली- गांड त तेरी भी टुट गी किसे त बतायी तो!
मैं बोला- मैं ना बताऊ।

चाची बोली- ठीक सै. इब के करेगा? जा कोई आ जावगा?
मैं बोला- लंड न ठंडा तो कर दे इब।

चाची बिना बोले बाहर गई, चारों तरफ देखा, फिर अन्दर आ गयी और लंड पकड़ कर हिलाने लगी।

मैंने चाची का मुंह पकड़ कर होंठ मिला लिए और मैं जोर जोर से चूसने लगा.
चाची कती ढीली हो गयी।

फिर थोड़ा धक्का देकर अलग हुई और बोली- तु त कती बावलीगांड समझ रहा ह … सांस तो लैन दे।
मैं बोला- के करु रुका ना गया।
चाची हंसने लगी.

तो मैं चाची की कुर्ती उठा कर चुची पीने लगा.
चाची ने मेरा लंड छोड़ा और सर पर हाथ फेरने लगी।

वो गर्म होने लगी सांस तेज चलने लगी.
चुची छोड़ कर मैंने सलवार का नाडा़ पकड़ लिया तो चाची न मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- कोई आ गया त रुका नी जाता.
मैं बोला- रुका गया होता त यहाँ ना आता।

चाची बोली- देख करना है (चोदना है) तो तावला तावला कर ले … कोई भी आ सके है … के बेरा लागे है।
और खुद सलवार का नाडा़ खोल दिया और सलवार घुटनों पर आ गयी।
चाची बोली- तावला कर ले.
फिर झुक गयी।

मैंने चाची की चुत में उंगली डाल दी तो चाची न आह भरी.
चाची की चुत गीली हो चुकी थी।

वो बोली- बस बाड दे इब वार (देर) ना कर!

मैं चाची के पीछे आ गया और लंड को चुत पर लगाया और एक झटका लगाया तो लंड की टोपी अन्दर!
चाची ने आहहह की आवाज निकाली।

आजकल गांव में डागी स्टाइल बहुत चला हुआ है बस जगह दिखी सलवार नीचे की और झुका कर चुदायी शुरू।

चाची कुतिया बनी हुई थी और मैं कुत्ता.
मैंने एक झटका और मारा पूरा लंड अन्दर।
चाची बोली- सहज बाड़ ले … चुत है मेरी या।

फिर चाची ने पीछे हाथ लेकर मेरी टांगों को पकड़ लिया और मैंने उनकी चूचियों को और घचके लगाने लगा।
चाची आईईई आआई ईई कर रही थी.

मैं चाची की चूचियों को जोर से पकड़ कर मसल कर चोद रहा था.

चाची बोली- तावला कर ले … मैं दुखी हो ली हूँ आहह!
मैं बोला- ठीक है.

अब मैं तेज तेज ठोकने लगा और लंड झड़ने को हो गया तो मैं चाची की कमर चूमते हुए कहने लगा- मीना मेरी जान आहहह!
और मैंने कसकर कमर पकड़ ली और चाची ने भी टांगों को कसकर पकड़ लिया.

जैसे ही लंड झड़ने लगा, मैंने एक जोर के झटके से पूरा लंड घुसा दिया और चाची की कमर कस कर पकड़ ली।
और मैं चाची की चूत के अन्दर ही झड़ गया. थोड़ी देर मैं ऐसा ही रहा।

फिर चाची बोली- इब हट ले न … या चुत काट ले जा … जी ना भरता तो तेरा।
मैं बोला- तु त मस्त है मीना तेरे बिना अब क्या जीना!

फिर चाची ने एक कपड़े से चुत साफ की और सलवार बांधने लगी।

चाची बोली- इब के मिलगा तनै … दर्द कर दिया.
मैं बोला- चुत मिलगी और तु मिलगी. रात की के सलाह है?

चाची बोली- बावला हो रहा है के? रात न त बुरा हाल कर देगा तु! डर लागै है मनै त!
मैं बोला- र लागता तो चुत ना देती तु!

चाची बोली- रात न जब सही टाइम होगा तब बता दुंगी. आज तो छोरा आवगा घरा.
मैं बोला- ठीक है, तावली बताना … ना तो मुठ मारनी पडेगी रोज!
चाची बोली- बेशर्म है ठीक है मैं इब जाऊ हूँ।
और चाची भैस लेकर चली गई.

थोड़ी देर में मैं भी वहाँ से चला आया।

कहते हैं सब काम समय पर होता है, इंसान के जल्दी करने से कुछ नहीं होता.
चाची की लड़की भी अगले दिन आ गई; उसे आप्रेशन करवाना था बच्चे ना होने का।

तो वो 2-3 महीने यही रही और दिवाली से 1 सप्ताह पहले ही अपने ससुराल गयी।

दीवाली से 3 दिन पहले ही चाची ने कहा- आज आ जिए रात न … घने दिन होगे करे नै!
मैं बोला- ठीक है चाची … तू तैयार रिहिये झाट साफ कर कै!
चाची हंसने लगी और बोली- सब साफ कर ल्यूंगी.
और चाची चली गई.

मैं रात होने का इंतजार करने लगा।

रात को 11 बजे मैं उठा और घर की दीवार कूदकर निकल गया.
बाहर सब सुनसान था.

मैं चाची के घर के बाहर गया और दीवार कूदकर अन्दर गया तो उनके कमरे का दरवाजा बंद नहीं था, हाथ लगाते ही खुल गया।

चाची सो रही थी एक ओर करवट लेकर!
मैं चुपके से उसके पीछे लेट गया और गांड पर लंड लगाकर गालों पर किस करने लगा.

चाची बोली-कितनी वारी (देर) मैं आया तु।
मैं बोला- बस हिसाब देख कर आना पड़े है.

और उसका मुंह अपनी तरफ करके होंठ चूसने लगा. चाची मेरा साथ देने लगी. हमारी जीभ एक दूसरे के मुंह में थी.

फिर थोड़ी देर में हम अलग हुए तो मैं उठा और अपने सारे कपड़े निकाल दिए और चाची के भी कपड़े निकालने लगा.

मैंने चाची को भी बिल्कुल नंगी कर दिया. फिर चाची पलंग पर लेट गई, मैं चाची के ऊपर आ गया और हमारे होंठ मिल गए फिर से.

और लंड बार बार अंगड़ाई तोड़ रहा था तो मैं चाची की चूचियों को पीने लगा.
चाची की सांस तेज हो रही थी और प्यार से मेरे सिर पर हाथ फेर रही थी।

मैं बारी बारी से चूचियों को चूस रहा था.
फिर धीरे-धीरे मैं पेट चूमने लगा.

चाची ने अब आंख बन्द कर ली. फिर मैं पेट चूमते हुए पहुंच गया चाची की चुत तक.

मैं पलंग से नीचे उतर गया और नीचे घुटनों के बल बैठ गया और चाची को कहा- टांगें मेरे कंधे पर रख दो।
चाची ने अपनी नंगी टांगें मेरे कंधे पर रख दी.

और अब चाची की चुत मेरे मुंह के पास आ गई.
मैं नाक चुत पर लगाकर चुत की खुशबू लेने लगा।

फिर मैंने चुत पर जीभ लगायी ही थी कि चाची ने लम्बी सांस ली और सीसीईईईई की आवाज की.

मैं चुत में जीभ से चाची की चुत चुदायी करने लगा।

चाची बोल रही थी- आआआहह हहह रुक जा आआहहह … बस बहुत हो गया इब कर ले आआअ!
पर मैं लगा रहा.

चाची फिर बोली- बाड़ दे इब त लोले न! आहह हहहह रुका ना जाता … आआ आईईई बाडडड दे।

मैं उठा और चाची के ऊपर आ गया और होंठो को चूसने लगा. चाची ने खुद लंड पकड़कर चुत पर लगा कर मुझे अपनी बांहों में कस लिया.

मैंने भी धीरे से धक्का लगाया लंड का टोपा घुसते ही चाची ने सीईई ईआआ हह की आवाज निकाली और मैं चाची की चुत चोदने लगा।

पुरा लंड घुसा कर में रुक जाता तो चाची ‘आआआइइइ’ करती.

2-3 मिनट में चाची बोली- इब ना रुकिये … तेज तेज कर आह हह हहह कर … और कर … आहह हहह गई मैं … कर और कर … आहहह!
और चाची की चुत ने मेरे लंड को जकड़ लिया और चाची ने मुझे कसकर बांहों में जकड़ लिया।

मैंने भी झटके मारने की स्पीड बढ़ा दी और मेरे लंड ने भी झड़ना शुरू कर दिया.
फिर थोडी़ देर में हम उठे. चाची बाथरूम गयी और अपनी चूत साफ करके वापस पंलग पर लेट गई.
मैं भी पेशाब करके नंगी चाची के साथ में लेट गया।

चाची बोली- आज तो छोरे … तने इतना मजा दिया … सोची ना थी इब कदै मिल जावगा. तेरा चाचा गुजरे बाद तो मैं भीतर त कती टुट गी थी।
मैं बोला- मीना जानु, मैं हूँ इब तेरे साथ!
और मैं चाची के चूतड़ों पर हाथ चलाने लगा।

चाची बोली- के बात है? गांड भी मारगा के अपनी चाच्ची की ?
मैं बोला- ना त.

चाची बोली- गांड मारनी हो त मार लिए … तेरा चाचा भी मारा करता।
मैं बोला- ठीक है आज गांड भी मारुंगा.

तो रात को 1 बार गांड भी मारी और चुत भी.

सुबह 3 बजे मैं चाची के घर से निकल गया क्योंकि दुधिया के आने का समय हो गया था।


कुछ समय के बाद मैं एक दिन चाची से मिला और चुदाई की तैयारी से पहले चाची की गांड पर हाथ फेरने लगा.

चाची बोलीं- गांड मारेगा के!
मैं बोला- ना तो.
इस पर चाची आंख दबाते हुए बोलीं- मार लिए … जी करता हो त … तेरा चाचा भी म्हारी गांड मारा करता सै.

चाची की भरी हुई गांड मारने का मन तो मेरा भी था क्योंकि औरत की गांड मारने में बहुत मजा आता है, अगर वो खुद से अपनी गांड मरवाने के लिए सहमत हो तो सच में बड़ा मजा आता है.

मैंने कहा- चाची, फेर तो मुझे थारी गांड ही मारनी सै.

बस मैं चाची की गांड में उंगली करता हुआ उनके मस्त गाल चूमने लगा और चाची मेरे लंड पर हाथ फिराने लगी.

थोड़ी देर में ही मेरा लंड तैयार हो गया और मैं चाची के ऊपर चढ़ गया.

मैं चाची के रसीले होंठ चूसने लगा. चाची भी मेरी कमर पर हाथ फिराने लगीं और जल्द ही हमारी जीभ एक दूसरे आपस में प्यार करने लगी थीं.
हम दोनों मस्ती से एक दूसरे की लार को चूस कर गर्म होते जा रहे थे.

इस बीच मेरा लंड चाची की चुत के ऊपर टक्कर मार रहा था. कुछ देर बाद हम दोनों ने किस करना बंद किया और एक दूसरे की आंखों में देखने लगे थे. चाची वासना से मेरे गालों पर, कभी होंठों पर उंगली चला रही थीं.

चाची बोलीं- मैंने कदे भी ना सोची थी कि फेर चुत न लाठी मिलेगी.. बस यू सोचा था कि अब तो अगले जन्म में ही शान्ति मिलेगी.
मैं बोला- चाची ज्यादा ना सोचा करते … जो सोचे हैं ना … वो कदी होया ना करता.

चाची कुछ नहीं बोली, बस मुझे देखने लगी और अपना मुँह ऊपर करके होंठ से होंठ मिला लिए.

मेरा लंड भी और जोश में आ गया था और चाची की चुत में घुसने की कोशिश करने लगा.

चाची ने भी अपने हाथ से लंड पकड़ कर चुत पर लगा लिया, तो मैंने जोर से झटका दे मारा.
इस झटके से मेरा आधे से ज्यादा लंड चुत में घुस गया.

चाची को अभी अहसास ही नहीं था कि मैं ऐसा करूंगा. उन्होंने दर्द की वजह से मेरा होंठ काट लिया.

फिर चाची बोलीं- जान सी काढ दी तनै … तों अराम त बाड़ देता.
मैं बोला- जानू दर्द में ही त मजा आबे है.

चाची सीत्कार भरती हुई बोलीं- कमीना है पक्का.

मैंने चाची की बात पर हंसते हुए उनके होंठों पर होंठ टिका दिए और चाची को धकापेल चोदने लगा.

इस वक्त हमें कोई होश नहीं था … बस हम दोनों लंड चुत की चुदाई में मस्त थे.
मैं लंड थोड़ा सा बाहर निकालता और फिर एकदम से अन्दर डाल देता.
इससे चाची मुँह से ‘ऊऊऊऊ.. ’ की आवाज निकाल देतीं क्योंकि उनके होंठ मेरे होंठों में कैद थे.

दस मिनट की पेलमपाली के बाद अब चाची झड़ने के करीब आ गयी थीं और उन्होंने मुझे कसके बांहों में जकड़ लिया था. मैं भी तेजी से चाची को चोदने लगा.

चाची दो चार धक्कों में ही बिल्कुल से अकड़ गईं और ‘आहहा हाह …’ करती हुई बोलीं- गई … मैं तो आआ आहह.

इस तरह चाची झड़ गई थीं. मेरे लंड पर चाची के कामरस की बरसात हो रही थी और चाची के गर्म रस से पिघल कर मेरा लंड भी अब बरसात करने के मूड में आ गया था.

आठ दस झटकों में ही मैंने भी चाची की चुत को वीर्य से भर दिया.

हम दोनों निढाल होकर कुछ मिनट तक ऐसे ही चिपके लेटे रहे.
फिर मेरा लंड भी अब छोटा होकर चाची की चुत से बाहर आ गया.

हम दोनों उठे और बाथरूम में जाकर पेशाब करके लंड चुत साफ़ करने लगे.

चाची ने अपनी चुत में उंगली डाल कर उसे साफ की और मेरे लंड को भी प्यार से साफ कर दिया.

हम दोनों कमरे में आकर बिस्तर पर लेट गए.

अब मेरी नजर चाची की गांड पर थी.
मैं चाची की चूचियों को सहलाने लगा तो चाची बोलीं- अब सो जा.
मैं बोला- अभी ना.

चाची बोलीं- और ईब ना करना … छक गी मैं तो आज.
मैं बोला- ना … एक बार और करूंगा और वो भी गांड में.
चाची बोलीं- मैं के मना करूं हूँ … पर इब ना. इब सुबह कर लिए.

मैंने सोचा कि थोड़ी देर आंख बन्द कर लेता हूँ. फिर गांड मारना चालू करूंगा. मैंने कहा- ठीक है.
फिर हम एक दूसरे की बांहों में सो गए.

आधे घंटे बाद मेरी आंख खुल गई और मैं चाची का चेहरा देखने लगा.
वो आंखें मूंदे सो रही थीं. मुझे उनके मासूम मुस्कान भरे संतृप्त चेहरे को देख कर बहुत प्यार आ रहा था.

मैंने उनके माथे को चूम लिया. इससे कुछ ही पलों में मेरे लंड ने फिर से गर्दन उठानी शुरू कर दी.

मैं चाची के गालों को चूमने लगा.
तो चाची ने आंख खोली और बोलीं- माने कोन्या.
मैं बोला- जान रुका ना जाता.

मैंने चाची का हाथ पकड़ कर लंड पर रख दिया.
चाची बोलीं- यो भी नहीं रूकता … चाल मैं मूत कै आऊँ हूँ.

चाची उठ कर बाथरूम में जाने लगीं तो मैं उनकी गांड देखने लगा.
फिर मैं भी पेशाब करने चला गया और हम दोनों एक साथ पेशाब करने लगे.

चाची पेशाब करके उठीं और बेड पर लेटने के जाने लगीं.
मैंने उन्हें पकड़ लिया और उनकी गांड पर लंड रगड़ने लगा और उनकी एक चुची को दबाने लगा.

चाची भी गांड हिलाने लगीं और मैं चाची की गर्दन और कानों को चूमने लगा.

वो फिर से गर्म होने लगीं और उन्होंने पीछे हाथ करके लंड को पकड़ लिया.

चाची बोली- यो त थकता ही ना है!
मैं बोला- इसके सामने इतनी खूबसूरत चुत है तो ये क्यों थकेगा!

फिर चाची ने कमरे में चलने का इशारा किया, तो हम दोनों बेड पर आ गए.
मैं लेट गया और चाची मेरे ऊपर चढ़ कर लेट गईं. उन्होंने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
वो मस्ती से मेरे होंठों को चूसने और हल्का हल्का काटने लगीं.

मैं भी चाची के रसीले होंठों में खो गया. फिर चाची मेरे होंठों को छोड़ कर धीरे-धीरे मेरी छाती को चूमने लगीं.

उनके नाजुक होंठों की छुअन से मुझे इतना ज्यादा मजा आ रहा था कि लंड तो इतने में झटके देने लगा.

चाची ने भी लंड का कड़ापन महसूस कर लिया था. वो मेरे शरीर को चूमते चूमते नीचे को आ गईं और मेरे लंड को अपने हाथों में पकड़ लिया.
अचानक से चाची ने लंड पर अपने होंठ रख दिए और लंड के टोपे को मीठी टॉफी की तरह चूसने लगीं.

मैं क्या बताऊं … इतना मजा तो मुझे अब तक किसी कुंवारी लौंडिया ने भी नहीं दिया था.

कुछ ही पलों बाद चाची मेरा पूरा लंड मुँह में लेने की कोशिश करने लगीं. इससे मेरा लंड बिल्कुल से नियंत्रण खोने लगा.

मैंने खुद को सम्भाला और चाची को रुकने को कहा क्योंकि मुझे चाची की गांड मारनी थी.
लंड झड़ जाता तो आधा घंटा फिर से लग जाता.

चाची रुक गईं और बोलीं- के होया … मजा ना आया के?
मैं बोला- मजा त बहुत आया … पर अभी मुझे थारा मुँह नहीं … कुछ और चोदना है.

चाची समझ गईं और चाची उठीं और अन्दर चली गईं.
वो सरसों के तेल की शीशी लेकर आईं और मेरे लंड पर तेल टपकाते हुए उसकी मालिश करने लगीं.
उस शीशी के छेद से लंड पर तेल टपकाते हुए चाची ने लंड को तेल में पूरा भिगो दिया था.

मैं बोला- जानू, तुम पेट के बल लेट जाओ.

अब मैं खड़ा हो गया. चाची पेट के बल लेट गईं … उनके पहाड़ से उठे कूल्हों को देख कर मैं खुद को रोक नहीं पाया.
मैं चाची के ऊपर लेट गया और लंड को कूल्हों की दरार में फंसा दिया.

चाची अब गांड को भींच रही थी … तो कभी खोल रही थीं. चाची बोलीं- तेल की शीशी उठा ले.

मैं भी उठ कर तेल की शीशी को हाथ में लेकर आ चढ़ गया. मैं एक उंगली तेल में भिगोई और चाची की गांड में घुसा दी.
चाची की गांड ज्यादा टाइट नहीं थी क्योंकि चाचा चाची की गांड भी मारते थे.

मैंने दो तीन बार तेल में उंगली डुबो कर गांड में डाली और गांड को लंड के लिए तैयार कर दी.

मैंने बेड पर ही चाची को घोड़ी बनने को कहा.
तो चाची घोड़ी बन गईं और मैं उनके पीछे आ गया.
मैंने खड़े लंड को गांड के छेद पर लगा दिया और चाची को गांड ढीली छोड़ने को कहा.

चाची ने गांड ढीली छोड़ी, तो मैंने लंड के सुपारे पर शीशी से तेल टपका दिया. फिर उसी पल लंड को थोड़ा सा दबाव दिया, तो लंड का टोपा गांड में अन्दर घुस गया.

चाची ने ‘आईईई ..’ की आवाज निकाली, तो मैंने फिर से तेल टपकाया और थोड़ा और दबाव बनाया.
मेरा लंड थोड़ा और अन्दर घुस गया.

चाची कराह रही थीं.
इस वजह से मैं रुका रहा.

फिर मैंने थोड़ा लंड बाहर निकाला और जोर से झटका दे मारा. इस बार मेरा लंड पूरा अन्दर घुस गया था.

चाची मेरे इस झटके से सम्भल नहीं पाईं और उन्होंने बिस्तर पर मुँह टिका दिया. साथ में वो जोर से चिल्ला दीं- आईईई मां … मार दी कती. (मुझे बिल्कुल मार दिया)
मैं बोला- बस जान हो गया … जो होना था.

चाची कराहते हुए बोलीं- आराम त बाड़ देता … मैं के मना करूं थी.
मैं बोला- गलती हो गई … अब आराम से करूंगा.

बस मैंने चाची की कमर पकड़ ली और आराम से झटके लगाने लगा. चाची सीत्कार भरते हुए बेड पर मुँह दबाने लगीं.

मैं भी बड़े प्यार से चाची की गांड चोदने लगा. सच में चाची की मखमली गांड मारने में बहुत मजा आ रहा था.

कुछ देर बाद मैंने लंड निकाल लिया और बोला- जान, ऐसे ही पेट के बल लेट जाओ.

चाची लम्बी लेट गईं और मैं चाची के ऊपर छा गया.
उनके चूतड़ों को फैला कर गांड का छेद चौड़ा किया और चाची की गांड में लंड पेल दिया.
अबकी बार आराम से लंड अन्दर चला गया.

चाची को भी मजा आ गया था.

अब मैं मस्ती में चाची की गांड मारने लगा.
चाची भी गांड मटकाते हुए बोलीं- आह इब मजा आने लगा … करता रह.

मैं चाची की और तेजी से गांड चोदने लगा.

थोड़ी देर बाद मैंने लंड निकाल लिया और चाची को सीधा करके बेड के किनारे ले आया. उनकी दोनों टांगें उठा कर गांड में लंड डाल दिया और चाची के होंठों को चूसने लगा.

चाची भी अब मुझे बांहों में जकड़ कर चूम रही थीं.
मैं तेजी से चाची की गांड सटासट चोदने लगा और चाची की गांड में ही झड़ गया.

फिर चाची ने ही मेरे लंड को साफ किया और सुबह 3 बजे मैं घर आ गया.

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