मेरी दीदी का नाम शोभा है। मेरा सबसे प्यारा दोस्त का नाम करण है, उसकी बड़ी बहन का नाम शिखा है, शिखा 20 साल की बहुत खूबसूरत लड़की है, फिगर है 34- 30- 34 लम्बे बाल 5 फीट 5 इंच हाइट, गोरा रंग, पीछे की तरफ निकली हुई मतवाली गांड, चेहरा श्रद्धा कपूर जैसा। उसकी शादी 18 साल में ही हो गई थी लेकिन 6 महीने में उसका उसके पति से तलाक हो गया था क्योंकि वह शराबी और अय्याश आदमी था नशे में शिखा को मारता पीटता था।
तलाक के बाद से वह अपने घर आकर रहने लगी।
इधर कुछ दिनों पहले करण को मालूम पड़ा कि उसकी दीदी का सम्बन्ध कॉलेज के एक बदनाम लड़के अमित के साथ हो गया था। मैं भी करण के घर जाता रहता हूँ और शिखा को दीदी बुलाता हूँ।
करण को परेशान देखकर मैंने उससे पूछा तो उसने मुझे सारी बात बतायी।
मैंने उससे कहा कि वो अपनी दीदी को समझाए कि अमित अच्छा लड़का नहीं है, वह कई लड़कियों की जिंदगी तबाह कर चुका है।
करण- मैं कई बार दीदी को समझा चुका हूँ वह किसी की बात सुनने को तैयार नहीं है। ऐसा करो, एक दिन तुम आओ और दीदी से बात करो।
“ठीक है, जल्दी ही मैं आऊँगा।”
अमित का एक खास दोस्त जो मेरा भी दोस्त है जिसका नाम रवि है, मैं उसके रूम पर गया और अमित के बारे में पूछा।
रवि- देख यार, अमित बहुत ही घटिया लड़का है। वह लड़कियों को अपने जाल में फँसाता है और फिर उनकी नंगी xxx वीडियो बना कर उन्हें ब्लैकमेल करता है। उसने शहर के बाहर एक रूम किराये पर ले रखा है। जहाँ वह लड़कियों को फ़ुसला कर ले जाता है।
मैं उस रूम का पता लेकर चल दिया। फिर मैंने मालूम किया कि अमित कालेज में है क्या। मुझे मालूम चल गया कि अमित कालेज में ही है।
मेरे एक दोस्त की ताले चाबी की दुकान है, मैंने उससे कुछ मास्टर चाबियाँ हासिल की और शहर के बाहर अमित के रूम पर चल दिया।
जब मैं वहाँ पहुंचा तो वहाँ कोई नहीं था, वह इलाका एकदम सुनसान था, मैं अमित के रूम के सामने खड़ा हो गया।
मास्टर चाबियों की मदद से उसके रूम का ताला खोल दिया. जब मैं अंदर प्रवेश किया अंदर तो कुछ खास सामान नहीं था, एक TV था और एक बेड था. बेड साफ सुथरा था, बेड के नीचे संदूक था जिसमें ताला लगा था जब मैंने संदूक को खोला तो उसमें कुछ सीडी और मेमोरी कार्ड मिला. फिर उसे बंद कर दिया, मैं उसे लेकर रूम से बाहर चल दिया और रूम को बंद करके अपने घर आ गया।
जब मैंने मेमोरी कार्ड चेक किया तो उसमें बहुत सारी सेक्सी फिल्में थी और एक फ़ाइल पर प्राइवेट लिखा था। जब मैंने उस फ़ाइल को ओपन किया तो उसमें 8 क्सक्सक्स वीडियो थे जिनमें एक वीडियो करण की दीदी शिखा का था। उसमें पहले तो दोनों किसिंग करते है, बाद में नंगी होकर शिखा अमित का लण्ड चूसकर उसका पानी निकाल देती है।
10 मिनट का वीडियो था।
दूसरे दिन मुझे मालूम चल गया था कि करण और उसकी माँ बाहर जाने वाले थे, घर पर शिखा अकेली रहेगी।
शिखा की फ़िल्म और जवानी देख कर मेरी नियत ख़राब हो गई थी उस पर।
मैं करण के घर पहुँचा तो शिखा दीदी ने गेट खोला- हाई सन्नी!
मैं- हाई दीदी, करण कहाँ है दीदी?
दीदी- तुम लेट हो गये, सन्नी वो अभी कुछ देर पहले माँ के साथ गया है, अब रात से पहले नहीं आने वाला!
मैं- ओह्ह शिट!
दीदी- क्या हुआ सन्नी? कोई काम था क्या?
मैं- हाँ दीदी, उसके कंप्यूटर में मेरे नोट्स पड़े हुए थे, वो लेने थे!
दीदी- कोई बात नहीं सन्नी, तुम अंदर आ जाओ और नोट्स कॉपी कर लो.
मैं अंदर चला गया और दीदी भी अंदर आ गई.
दीदी- तुम कुछ लोगे चाय कॉफी?
मैं- नहीं दीदी, थॅंक्स, मैं अभी घर से नाश्ता करके ही आया हूँ.
दीदी- ठीक है, तुम जाओ करण के रूम में… मैं ज़रा घर का काम करने लगी हूँ.
दीदी ने पंजाबी सूट पहना हुआ था जो बहुत अच्छा लग रहा था क्योंकि दीदी का जिस्म भी शोभा दीदी की तरह भरा हुआ था, मोटी नहीं थी लेकिन स्लिम भी नहीं थी, बूब्स और गान्ड भी एकदम
मस्त थी, जैसे कोई 20-22 साल की पंजाबी लड़की होती है, एकदम गोरी चिट्टी और भरे हुए जिस्म की मालकिन!
साला दिल किया कि अभी यही चोदना शुरू कर दूं.
मैं चुपचाप करण के रूम में चला गया और दीदी अपना काम करने लगी, मैंने सोचा अब दीदी से बात कैसे शुरू की जाए!
तभी एक आइडिया आया, मैं 10 मिनट बाद बाहर गया और अपने मोबाइल को देख कर ज़ोर से हँसने लगा, इतना ज़ोर से कि किचन में दीदी को मेरी आवाज़ सुन जाए!
और ऐसा ही हुआ, दीदी को मेरी आवाज़ सुन गई और वो बाहर आ गई.
दीदी- अरे इतना खुश क्यों हो रहे हो? कोई जोक वाला मेसेज आया है क्या मोबाइल पे?
मैं- जी दीदी, बहुत अच्छा मेसेज आया है.
दीदी- मुझे भी दिखाना ज़रा?
मैं- नहीं, ऐसे नहीं दीदी, आप अपने मोबाइल का ब्लूटूथ ऑन करो, मैं सेंड करता हूँ, फिर आराम से देखना आप!
दीदी- अरे अपने मोबाइल पर दिखा दो?
मैं- नहीं दीदी, अगर बाद में फिर आपका देखने को दिल किया तो आप अपने मोबाइल पर देख सकती हो इसलिए ब्लूटूथ ऑन करो मैं सेंड करता हूँ.
दीदी- लगता है कुछ खास ही है.
मैं- हाँ दीदी बहुत खास वीडियो है, फन्नी वीडियो!
दीदी- ठीक है बाबा, करती हूँ ऑन!
दीदी ने रूम से अपना मोबाइल लिया और ब्लूटूथ ऑन करके सामने टेबल पर रख दिया और मैंने भी ब्लूटूथ से फाइल सेंड करनी शुरू कर दी, फाइल सेंड हो रही थी और मैं दीदी को देख कर खुश
हो रहा था, दीदी भी मेरी मुस्कान को देख कर हल्की हल्की खुश हो रही थी.
तभी बीप की आवाज़ हुई और फाइल सेंड हो गई, मैंने अपना मोबाइल उठा लिया और दीदी ने अपना मोबाइल उठा कर फाइल को देखना शुरू किया और एक ही पल में उनके हाथ से मोबाइल वापिस टेबल पर गिर गया लेकिन वीडियो बंद नहीं हुई और दीदी भी फटी हुई आँखों से वीडियो देखने लगी, यह वही वीडियो थी जिसमें दीदी अमित का लंड चूस रही थी.
मैं- क्यों दीदी, अच्छी लगी वीडियो?
दीदी ने गुस्से से मेरी तरफ देखा- कहाँ से मिली तुझे ये वीडियो, तू कुत्ता मेरा और अमित का पीछा करता है क्या, मैं तेरा सर फोड़ दूँगी हरामजादे!
मैं- अरे दीदी, इतनी गालियाँ मत दो, वरना वीडियो सारे कॉलेज में बाँट दूँगा, और सबसे पहले दूँगा आपके भाई को!
मेरी बातें सुन कर उसका गुस्सा थोड़ा शांत हुआ- सन्नी प्लीज ऐसा मत करना, मेरी ज़िंदगी बर्बाद कर के तुमको क्या मिलेगा? प्लीज सन्नी! ये वीडियो तुमको कहाँ से मिली? क्या तुम उस टाइम वहीं पर थे?
मैं- इन बातों का कोई मतलब नहीं है अब दीदी, वीडियो कहाँ से मिली कैसे मिली, बस मिल गई.
दीदी- देखो सन्नी, मैं करण की बेहन हूँ तो तुम्हारी भी बहन हुई ना! क्या तुम अपनी बहन को ऐसे बदनाम करते कभी?
मैं जानबूझ कर नाटक करते हुए बोला- मेरी बहन ऐसा कोई काम नहीं करती कभी, और अगर करती तो मैं उसकी जान ले लेता.
वो मेरी बात सुन कर थोड़ा डर गई और रोने लगी- सन्नी प्लीज, मेरे से अब ग़लती हो गई, तुम किसी को मत बताना प्लीज़… वरना मेरे घर वाले मुझे मार देंगे, तुम जो कहोगे, मैं करने को तैयार हूँ प्लीज सन्नी!
मैंने सोचा कि क्यों ना इसका फ़ायदा उठाया जाए, वैसे भी तो साली थी ही एकदम मस्त माल, मेरी जगह कोई भी होता तो ऐसा मौका हाथ से नहीं जाने देता और ख़ास कर जब ऐसी खूबसूरत बला सामने हो तो!
मैं- ठीक है दीदी, मैं किसी को कुछ नहीं बताऊँगा लेकिन बदले में आपको मेरा एक काम करना पड़ेगा!
दीदी- सन्नी मैं कुछ भी करने को तैयार हूँ; प्लीज़ तुम ये वीडियो मुझे दे दो और अपने मोबाइल से डीलीट कर दो वो भी हमेशा के लिए!
मैं- ठीक है दीदी, मैं इस वीडियो का मास्टर पीस आपको दे देता हूँ और अपने मोबाइल से भी हमेशा के लिए डीलीट कर देता हूँ लेकिन बदले में आपको वही सब करना होगा जो आप अमित के साथ कर रही हो वीडियो में!
दीदी गुस्से में बोली- तेरी हिम्मत कैसे हुई सन्नी ये बकवास करने की?
मैं- अरे दीदी, गुस्सा मत करो, देखो मेरी हिम्मत जो ये वीडियो ले के आपके पास आ गया, चाहता तो पहले आपकी माँ और भाई के पास जाता ताकि वो लोग आपका ऐसा हाल करते कि दोबारा आप ऐसी ग़लती नहीं करती.
वो फिर से सर को झुका कर चुपचाप बैठ गई.
मैं- बोलो दीदी, क्या बोलती हो, मेरा लंड भी अपने नर्म और पिंक लिप्स में ले के चूसोगी या मैं ये वीडियो करण को दे दूं?
दीदी- सन्नी, मैं तेरी बहन जैसी हूँ; तू मेरे साथ ऐसी हरकत करना चाहता है?
मैंने सोचा कि अब इसको क्या बताऊँ कि मैं तो अपनी बहन को भी चोदना चाहता हूँ- दीदी फालतू की बात मत कर बोलो, यस और नो?
वो चुप रही कुछ देर!
मैं- दीदी जल्दी बोलो, वर्ना मैं चलता हूँ, कॉलेज और सबको ये वीडियो दिखाता हूँ.
दीदी- नहीं प्लीज़ सन्नी, ऐसा मत करो मेरे साथ!
मैंने कोई बात नहीं की और खड़ा होकर पैंट उतार कर नीचे कर दी और लंड को हाथ में पकड़ लिया जो अब तक बातों ही बातों में पूरा औकात में आ चुका था. दीदी की नज़र मेरे मूसल पर पड़ी तो वो फटी आँखों से मेरे मूसल को घूरने लगी, मैंने दीदी की अपने पास आने का इशारा किया पर वो मेरे लंड को ही घूरती रही, मैं खुद ही चल कर दीदी के पास चला गया.
तभी दीदी ने अपना सर नीचे कर लिया; मैंने भी हाथ से दीदी के सर को पकड़ा और उसका फेस ऊपर कर दिया, दीदी ने एक पल मेरी तरफ देखा.
मैं- क्या बोलती हो दीदी? इसको चूसना है या फिर मैं जाऊँ यहाँ से?
दीदी ने एक बार मुझे देखा और फिर एक हाथ से मेरे लंड को पकड़ लिया और फिर मेरी तरफ देखने लगी.
मैं- क्या हुआ दीदी? मुंह में लो ना इसको… अगर नहीं लेना तो बता दो, मैं चला जाता हूँ कॉलेज!
दीदी मेरी तरफ ही देखती रही.
तभी मैंने दीदी के सर को अपने हाथों से पकड़ा और अपने लंड की तरफ बढ़ा दिया, दीदी ने अपने फेस को दूसरी तरफ मोड़ दिया, मैंने फिर से दीदी के सर को पकड़ा और फेस को लंड की तरफ टर्न कर दिया.
इस बार दीदी ने मेरे लंड को हल्के से अपने लिप्स से लगा लिया लेकिन एक ही पल में लिप्स को फिर से दूर कर दिया.
मैं- तो ठीक है, मैं कॉलेज ही जाता हूँ और सारे कॉलेज में इस वीडियो को बाँट देता हूँ क्योंकि आपने तो अमित का ही लंड चूसना है, मेरा नहीं!
मैं जाने के लिए मुड़ा और अपनी पैन्ट को ऊपर करने लगा; तभी दीदी उठ कर मेरे सामने आ गई; मेरे देखते ही देखते ज़मीन पर बैठ गई और मेरी पैन्ट को वापिस नीचे करके लंड को हाथ में पकड़ा और लंड की टोपी को किस करने लगी.
साला एकदम से दीदी के लिप्स लगते ही लंड ने ज़ोर से उछलना शुरू कर दिया.
मैं- अब ज़्यादा मत तड़पाओ दीदी, जल्दी से लंड को मुंह में लो ना, देखो कैसे तड़प रहा है!
दीदी- कैसे लूँ सन्नी?
मैं- वैसे ही दीदी… जैसे अमित का लंड लिया था मुँह में!
दीदी- सन्नी, उसका लंड तो था ही छोटा सा लेकिन तेरा लंड तो किसी घोड़े का लंड जितना बड़ा है, कैसे लूँ इस मूसल को अपने मुँह में!
मैंने दीदी के मुँह को पकड़ा और अपनी 2 उंगलियाँ दीदी ने लिप्स में घुसा कर उनके मुँह को खोला और मुँह के खुलते ही लंड की टोपी को मुँह में घुसा दिया और सर को पकड़ कर लंड पर दबा दिया जिससे मेरा 3 इंच लंड दीदी में मुँह में चला गया और तभी दीदी को बहुत तेज खाँसी आने लगी और उन्होने लंड को मुँह से निकाल दिया.
दीदी- ऐसे मत करो सन्नी, मैं खुद करती हूँ.
मैं- तो करो ना खुद… मुझे क्यों मजबूर करती हो ऐसा करने को!
दीदी ने मुँह खोला और लंड की टोपी को लिप्स में भर के मुँह में लिया और हल्के से चूसने लगी.
तभी मेरी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ निकल गई, उसके लिप्स थे ही इतने सॉफ्ट और अंदाज़ भी अच्छा था लंड चूसने का; दीदी लंड की टोपी को ही लिप्स में लेके हल्के से आगे पीछे करते हुए चूसने लगी.
मैं- दीदी थोड़ा और लो ना इसको अपने मुँह में!
दीदी ने मुँह को खोला और थोड़ा ज़्यादा लंड मुँह में लिया और अपने दोनों हाथों को लंड पर रख के मुट्ठी में पकड़ लिया, वो दोनों हाथों को लंड पर हल्के से चला रही थी और बाकी के बचे लंड को मुँह में लेके चूस रही थी जो सिर्फ़ 2-3 इंच ही था.
मैंने दीदी के एक हाथ को लंड से उठा दिया और अपनी बॉल्स पर रख दिया और दीदी को थोड़ा और लंड लेने का इशारा किया.
दीदी भी एक हाथ से लंड को सहलाते हुए और दूसरे से बॉल्स को सहलाते हुए थोड़ा और ज़्यादा लंड मुँह में लेने की कोशिश करने लगी, मैंने भी दीदी के सर को हाथों में पकड़ा और लंड को हल्के से आगे पीछे करने लगा; मेरा लंड अब आधा दीदी में मुँह में जाने लगा था लेकिन दीदी के हल्के दाँत मेरे लंड पर लग रहे थे. दीदी को भी ये पता लगा तो दीदी ने मुँह को और ज़्यादा खोलने की कोशिश की; लेकिन मेरा लंड था ही इतना मोटा कि दीदी का पूरा मुँह खुल गया था फिर भी लंड दाँतों से टकरा रहा था.
मैं दीदी की तरफ ही देख रहा था, तभी दीदी ने अपने फेस को थोड़ा ऊपर करके आँखों ही आँखों में इशारा किया कि अब इस से ज़्यादा मुँह नहीं खोल सकती थी इसलिए मैं इतने लंड को ही मुँह में पेलने लगा था. मैंने खड़े खड़े अपनी टी-शर्ट और बनियान निकाल दी और ऊपर का जिस्मा नंगा कर दिया.
दीदी मुझे अजीब नज़रों से देख रही थी, तभी मैंने दीदी को उठाया और अपने साथ सोफे पर ले गया और वहाँ बैठ कर अपने जूते और पैन्ट भी निकाल कर नंगा हो गया. दीदी ने अपने सर को दूसरी तरफ घुमा लिया, वो मुझे नंगा नहीं देखना चाहती थी.
दीदी- सन्नी, लंड चूसने के लिए तुमने सारे कपड़े क्यूँ उतार दिए?
मैं- अरे दीदी जब मस्ती ही करनी है तो पूरी तरह करो ना!
दीदी- नहीं सन्नी, मैं इस से आगे कुछ नहीं करूँगी.
मैं- ठीक है दीदी, मत करना लेकिन लंड तो चूसो ना!
मैंने दीदी के सर को पकड़ कर अपनी तरफ किया और लंड पर झुका दिया; दीदी ने भी लंड को मुँह में लिया और आधे लंड पर सर को ऊपर नीचे करते हुए चूसने लगी.
मैंने मौका देखा और दीदी के हाथ को अपनी चेस्ट पर रखा और अपने हाथ से पकड़ कर अपनी चेस्ट पर घुमाने लगा. दीदी ने अपने हाथ को पीछे खींच लिया तब मैंने अपने हाथ को दीदी की पीठ पर रख दिया.
दीदी एकदम से उठ गई- सन्नी, ये क्या कर रहे हो?
मैं- वही जो करना चाहिए.
दीदी- तुमने लंड चूसने को बोला वो मैं कर रही हूँ, तुम प्लीज मुझे टच मत करो.
मैं- दीदी, ऐसे मज़ा नहीं आ रहा ना… हल्का हल्का टच करने दो ना प्लीज!
दीदी- नहीं सन्नी!
मैं- ठीक है तो मैं चला जाता हूँ.
दीदी उदास हो के वापिस नीचे झुकी और चुपचाप लंड को चूसने लगी, मैं खुश हो गया, दीदी ने लंड को फिर से मुँह में ले के चूसना शुरू कर दिया और मैंने हाथ दीदी की पीठ पर रख दिया और आराम से पीठ पर हाथ घुमाने लगा.
अबकी बार दीदी कुछ नहीं बोली और लंड चूसती रही, मैं बड़े प्यार से हाथ को पीठ पर घुमा रहा था.
तभी मेरा हाथ दीदी की ब्रा की पट्टी पर लगा जहाँ हुक लगे हुए थे- दीदी, अपनी कमीज़ उतारो ना?
दीदी ने मेरी तरफ देखा, इससे पहले दीदी कुछ बोलती, मैंने दीदी को टेबल पर पड़े मोबाइल की तरफ इशारा कर दिया, दीदी ने चुपचाप अपने हाथ ऊपर उठा कर कमीज़ उतार दी. दीदी के कमीज़ उतारते ही मैं दीदी के बड़े बड़े बूब्स को खा जाने वाली नज़र से देखने लगा.
दीदी मेरी नज़र के अंदाज़ को पहचान गई और जल्दी से लंड पर झुक गई ताकि मैं बूब्स को ज़्यादा नहीं देख सकूँ.
मैंने भी हाथ को वापिस दीदी की पीठ पर घुमाना शुरू कर दिया; क्या मक्खन जैसी चिकनी और गोरी पीठ थी; साला हाथ खुद ब खुद फिसलता जा रहा था. मैं भी दीदी की पीठ पर हाथ को बड़े प्यार से अपनी उंगलियाँ खोल कर सहला रहा था. मैंने महसूस किया कि दीदी की पीठ हल्के झटके खा रही थी, उनको मेरा हाथ पीठ पर घूमता हुआ अच्छा लग रहा था और शायद उनको मस्ती चढ़ रही थी.
तभी मेरा हाथ दीदी की ब्रा की पट्टी पर लगा जहाँ हुक थे, मैंने कोई देर किए बिना हुक खोल दिया.
दीदी ब्रा खुलते ही ऊपर उठने लगी लेकिन मैंने दीदी के सर को लंड पर दबा दिया और दीदी भी चुपचाप लंड को चूसने लगी.
मैंने भी अब दीदी की पूरी तरह नंगी पीठ को प्यार से सहलाना शुरू कर दिया. दीदी की पीठ भी हल्के झटके खाने लगी थी।
मैंने दीदी के सर को अपने लंड पर दबा दिया और दीदी भी चुपचाप लंड को चूसने लगी. मैंने भी अब दीदी की पूरी तरह नंगी पीठ को प्यार से सहलाना शुरू कर दिया. दीदी की पीठ भी हल्के झटके खाने लगी थी।
कुछ देर बाद मैंने दीदी के सर को ऊपर उठा दिया और दीदी को सोफे की बैक से लगा कर बिठा दिया, दीदी के लिप्स पर हल्का थूक लगा हुआ था, वो मेरी तरफ देख रही थी और तभी मेरा ध्यान दीदी के बूब्स की तरफ गया जहाँ से ब्रा नीचे लटक रही थी और बूब्स लगभग सारे नंगे हो गये थे. मैंने हाथ बढ़ा कर ब्रा को पकड़ा, तभी दीदी ने मेरे हाथ को पकड़ा लेकिन मैं नहीं रुका और ब्रा को निकालने लगा.
दीदी अपने सर को इधर उधर हिला कर मुझे मना कर रही थी कि मैं ऐसा ना करूँ लेकिन मैं उनकी कोई बात नहीं मान रहा था. कुछ ही देर में ब्रा उतर गई और नंगे बूब्स मेरे सामने आ गये. मैंने बिना कोई देर किए एक बूब को हाथ में पकड़ा और प्यार से दबा दिया, दीदी ने मेरा हाथ अपने बूब्स से हटा दिया तो मैंने दीदी से अपना हाथ छुड़ाया और अपने हाथ से दीदी के हाथ को पकड़ा कर साइड किया. तभी दीदी ने अपने दूसरे हाथ से मुझे रोकने की कोशिश की लेकिन मैं नहीं रुका और दीदी के दूसरे हाथ को भी अपने हाथ में पकड़ लिया और दीदी को सोफे पर लेटा दिया.
मैं पूरा नंगा था जबकि दीदी का ऊपर वाला जिस्म नंगा था, मैंने दीदी की सोफे पेर लेटा दिया और खुद थोड़ी सी जगह पर बैठ कर दीदी के ऊपर की तरफ आ गया और दीदी के दोनों हाथों को सोफे के साथ ज़ोर से दबा दिया,
दीदी- सन्नी, ऐसा मत करो प्लीज़!
मैंने कोई बात नहीं सुनी और सीधा एक बूब को मुँह में भर लिया और चूसने लगा, दीदी के बूब्स के निप्पल हार्ड हो चुके थे, इसका मतलब था दीदी भी हल्की मस्ती में आ चुकी थी लेकिन फिर भी मुझे मना कर रही थी.
मैंने बूब को मुँह में भर लिया और चूसने लगा और कभी कभी घुंडी को दाँत से काटने लगा, दीदी बस बार बार मुझे ऐसा करने से रोकती जा रही थी- सन्नी मत करो, ये गलत है, रुक जाओ प्लीज।
लेकिन जब भी मैं दीदी के बूब की घुंडी को दाँत से काटता तो दीदी की हल्की सी आहह निकल जाती, मैं समझ गया कि ना चाह कर भी दीदी को मस्ती चढ़ने लगी थी, मैं भी दीदी के दोनों बूब्स को बारी बारी से मुँह में भर के चूसने लगा और कभी कभी दाँत से बूब्स की घुंडी को हल्के से काट भी देता.
फिर मैंने दीदी के एक हाथ को छोड़ दिया और अपने फ्री हाथ को दीदी के एक फ्री बूब पर रख दिया और उस बूब को सहलाने और दबाने लगा. दीदी का हाथ वैसे ही सोफे पर पड़ा रहा जैसे मैंने
रखा था लेकिन वो अभी भी मुझे ऐसा करने से मना कर रही थी.
मैंने दीदी के दूसरे हाथ को भी छोड़ दिया और दोनों हाथों से बूब्स को मसल मसल कर चूसने लगा, दीदी बस अपने सर को हिलाती रही और तड़प कर मुझे ऐसा करके से रोकती रही लेकिन दीदी के हाथ अपनी जगह पर ही थे.
फिर मैंने दीदी के एक बूब से अपना हाथ हटा लिया और बूब्स से नीचे होते हुए पेट को सहलाते हुए दीदी की कमर से फिराते हुए दीदी की चूत के ऊपर पहुँच गया.
तभी दीदी ने मेरा हाथ पकड़ लिया लेकिन तब तक बहुत देर हो गई थी, मेरा हाथ दीदी की चूत पर पहुँच गया था और मैंने हल्के से चूत को सहलाना शुरू कर दिया. दीदी मेरे हाथ को पकड़ कर चूत से दूर करने की नाकाम कोशिश करने लगी. मैंने दीदी के हाथ को वापिस ऊपर किया और अपने एक हाथ में दीदी के दोनों हाथों को कस के पकड़ लिया और दूसरे हाथ को वापिस चूत पर ले गया और सलवार और पैंटी के ऊपर से ही चूत को सहलाने लगा.
दीदी- सन्नी, ऐसा मत करो प्लीज़… तुमने बोला था कि तुमको सिर्फ़ लंड चुसवाना है, अब ये सब मत करो.
मैं कुछ नहीं सुन रहा था और बूब्स को चूसता हुआ चूत को सहला रहा था. सलवार और पैंटी के ऊपर से ही पता चल गया कि दीदी की चूत में पानी आ गया था, सलवार और पैंटी गीली हो गई थी
और चूत का पानी मेरे हाथ की उंगलियों में लग गया था.
दीदी भी तैयार थी लेकिन फिर भी वो मना कर रही थी.
मैंने हाथ से दीदी की सलवार के नाड़े को पकड़ा और खींच दिया, सलवार खुल गई, मैंने दीदी की तरफ देखा तो उनके होश उड़ गये थे, मैंने एक हाथ से सलवार को उतारना शुरू कर दिया और खुद सोफे पर दीदी के साथ थोड़ी से जगह में लेट गया. कुछ सलवार तो हाथ से घुटने तक चली गई और बाकी की सलवार को मैंने अपने पैरों से उतारना शुरू कर दिया.
दीदी ने अपने घुटनों को ऊपर करके मोड़ लिया और मुझे सलवार उतारने से रोकने लगी लेकिन दीदी की कोशिश नाकाम रही और कुछ ही देर में सलवार सोफे से होते हुए ज़मीन पर गिर गई थी. अब दीदी सिर्फ़ पैंटी में थी, मैं दीदी के बूब्स चूसते हुए पैंटी के ऊपर से दीदी की चूत को सहलाने लगा. पैंटी पूरी तरह गीली हो चुकी थी और इसी बात से मेरी भी मस्ती कुछ बढ़ गई थी, मैंने दीदी के बूब्स से अपने फेस को हटा लिया और दीदी की पैंटी की तरफ हो गया और हाथ से पैंटी को पकड़ कर उतारने लगा.
दीदी- सन्नी मत करो ऐसा प्लीज़!
मैं- दीदी, मैं चुदाई नहीं कर रहा लेकिन हल्की सी मस्ती तो कर सकता हूँ ना!
दीदी- हल्की मस्ती के लिए मुझे नंगी क्यूँ कर रहे हो तुम?
मैं- क्या करूँ दीदी, जब तक 2 बदन नंगे नहीं होते, मस्ती नहीं चढ़ती और ना ही मजा आता है.
इतना बोल कर मैंने दीदी की पैंटी को भी उतार दिया. अब दीदी मेरे सामने सोफे पर बिल्कुल नंगी थी, पैंटी उतर जाने के बाद मैंने देखा कि दीदी की चूत पर एक भी बाल नहीं था और चूत एकदम साफ और चिकनी थी, चूत का पानी चूत के बाहर की तरफ लगा हुआ था जिससे चूत एकदम काँच की तरह चमक रही थी.
दीदी ने मुझे उनकी चूत को घूरते देखा तो दोनों टाँगों से चूत को मेरे से छुपा लिया और अपने सर को भी शरमा कर दूसरी तरफ पलट लिया. मैं खड़ा हुआ और दीदी को सोफे से अपनी गोद में उठा लिया.
दीदी एकदम से चौंक गई और मुझे अजीब नज़रों से देखने लगी जबकि मैं मुस्कुराते हुए दीदी को देख रहा था. मैं दीदी को उठा कर दीदी के रूम में ले गया और बेड पर लेटा दिया और खुद बेड पर
चढ़ कर दीदी की साइड में लेट गया.
दीदी- देखो सन्नी, ये ग़लत कर रहे हो तुम, बात सिर्फ़ लंड चूसने की हुई थी और अब तुम…
मैंने दीदी को बीच में ही चुप करवा दिया- दीदी मैं समझ सकता हूँ कि आप क्या बोल रही हो, लेकिन डरो नहीं, मैं कुछ नहीं करूँगा, मैं तो बस हल्की सी मस्ती कर रहा हूँ, बाकी का काम मैं आपकी मर्ज़ी के बिना नहीं करूँगा.
दीदी मेरी बात समझ गई कि मैं क्या बोल रहा हूँ, मेरा मतलब था कि मैं दीदी की मर्ज़ी के बिना उनकी चूत में लंड नहीं डालूँगा.
मैंने दीदी के लिप्स को किस करना चाहा लेकिन दीदी ने मुँह दूसरी तरफ घुमा लिया तो मैं अपने मुँह को दीदी के बूब्स की तरफ ले गया और बूब्स को मुँह में भर के चूसने लगा और हाथ को दीदी की चूत की तरफ ले गया. मैं दीदी के ज़्यादा से ज़्यादा बूब्स को मुँह में भरने की कोशिश कर रहा था और दीदी की तरफ देख रहा था. दीदी भी अब मेरी तरफ देख रही थी लेकिन कुछ
बोल नहीं रही थी.
तभी मैं अपना हाथ दीदी की चूत की तरफ जाने लगा और दीदी ने अपनी टाँगों को जकड़ कर चूत को छुपाने की कोशिश की लेकिन तभी मैंने अपनी एक टाँग दीदी की दोनों टाँगों में रख दी जिस से दीदी अपनी दोनों टाँगों को पूरी तरह से जकड़ नहीं पाई और मेरा हाथ दीदी की चूत तक चला गया और मैंने दीदी की चूत को बड़े प्यार से सहलाना शुरू कर दिया.
मैं अपनी सबसे बड़ी वाली उंगली को दीदी की चूत की लाइन में ऊपर से नीचे चला रहा था और बूब्स चूसते हुए दीदी की तरफ देख रहा था. दीदी भी मेरी तरफ देख रही थी. जैसे ही दीदी की चूत पर मेरी उंगली की स्पीड तेज हुई, दीदी की हल्की हल्की सिसकारियाँ निकलने लगी, मैंने भी उसी टाइम अपनी उंगली दीदी की चूत में घुसा दी और दीदी की एक तेज सिसकारी निकल गई ‘आआआ आआआअहह’
मैंने मौका देखा और एक और उंगली दीदी की चूत में घुसा दी, मेरी दोनों उंगलियाँ फिसल कर चूत के पानी से चिकनी होकर आराम से अंदर चली गई और मैंने भी उंगलियों को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया और बूब्स को भी तेज़ी से चूसने और काटने लगा. दीदी की सिसकारियाँ भी तेज होने लगी और मैंने भी उंगलियों की स्पीड को तेज कर दी. दीदी ने अपने हाथ को मेरे सर पर रख दिया और दूसरे हाथ से अपने बूब को मसलने लगी. इसका मतलब था कि दीदी अब पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी।
मैं पूरी तेज़ी से चूत में उंगलियों को अंदर बाहर करने लगा और साथ ही दीदी के एक बूब को चूसने लगा. दीदी ने भी अपने एक हाथ को मेरे सर पर रख कर मेरे सर को बूब पर दबा लिया और दूसरे हाथ से खाली पड़े बूब को मसलने और सहलाने लगी ‘आहह उम्म्ह… अहह… हय… याह… उउउहह!’ करते हुए सिसकारियाँ लेने लगी.
2 मिनट बाद ही दीदी ने मेरे सर को कस के अपने बूब पर दबा दिया और दूसरे हाथ से बूब को ज़ोर से दबा लिया. तभी मेरे हाथ को बहुत ज़्यादा गीला गीला महसूस हुआ, मैं समझ गया कि दीदी की चूत ने पानी छोड़ दिया है.
लेकिन मैंने हाथ को दीदी की चूत से नहीं हटाया और उंगलियों को भी चूत में तेज़ी से अंदर बाहर करना जारी रखा, दीदी ने मेरे हाथ को पकड़ लिया और अपने सर को इधर उधर झटकने लगी और मेरे हाथ को भी चूत से हटाने लगी लेकिन मैं नहीं रुका और तेजी से बूब को चूसते हुए चूत को उंगलियों से चोदता रहा।
दीदी पूरे ज़ोर से हाथ को हटा रही थी और दूसरे हाथ से मेरे सर के बालों को खींच कर मुझे बूब छोड़ने को बोल रही थी लेकिन मैं नहीं रुका और अपना काम जारी रखा.
कुछ ही देर में दीदी की सिसकारियाँ फिर शुरू हो गई और जो हाथ मेरे बालों को कस के खींच रहा था, उसने मेरे सर को सहलाना शुरू कर दिया था और दूसरे हाथ ने मेरे हाथ को पकड़ कर तेज़ी से चूत में आगे पीछे करना शुरू कर दिया था, दीदी फिर से मस्ती में आ चुकी थी.
तभी दीदी ने मेरे हाथ को छोड़ दिया और मेरे लंड को हाथ में पकड़ लिया फिर लंड पर हाथ को ऊपर नीचे करने लगी, मैंने भी मौका देखा और दीदी के ऊपर चढ़ गया। दीदी ने मुझे हैरानी से देखा मैंने भी सर हिला कर इशारा किया कि मैं कुछ नहीं करूँगा जब तक आप नहीं बोलोगी.
दीदी ने एक स्वीट स्माइल दी और लंड पर हाथ चलाती रही, तभी मैंने खुद का पूरा भार दीदी के जिस्म पे डाल दिया जिस से दीदी का हाथ मेरे लंड से हट गया और मैंने खुद अपने हाथ से लंड को पकड़ा और दीदी की चूत के ऊपर अपने लंड की टोपी को रगड़ने लगा और फिर से दीदी के बूब को मुँह में भर लिया.
दीदी की सिसकारियाँ अब बहुत तेज थी, दीदी का जिस्म कभी अकड़ रहा था तो कभी ढीला हो रहा था, दीदी बार बार इधर उधर हिल रही थी, बुरी तरह से मचल रही थी. तभी दीदी ने मेरे सर को बालों से पकड़ा और अपने बूब्स से ऊपर उठा दिया.
मैंने दीदी की तरफ देखा, मानो वो पूछ रही थी कि अब मुझे क्यों तड़पा रहे हो? लंड को चूत में क्यों नहीं घुसाते?
लेकिन मैं चुपचाप लंड को चूत के ऊपर वाले लिप्स पर रगड़ रहा था. तभी दीदी ने मेरे सर को छोड़ा और हाथ को जल्दी से नीचे मेरे लंड पर ले गई और लंड को पकड़ कर चूत पर रख दिया और मुझे आगे होने को इशारा करने लगी.
लेकिन मैं दीदी के जिस्म से ऊपर उठ गया और लंड को दीदी की चूत से दूर कर लिया लेकिन दीदी ने मेरे लंड को नहीं छोड़ा और ऐसे ही चूत पर टिकाए रखा और खुद अपनी कमर को ऊपर करके लंड को चूत में लेने की कोशिश करने लगी।
मैं हंस कर दीदी की तरफ़ देख रहा था जबकि उनके चेहरे पर हल्का गुस्सा और बहुत ज़्यादा मस्ती नज़र आ रही थी.
मैंने खुद को हल्का नीचे किया, मेरा लंड चूत के ऊपर था, मेरे नीचे होते ही लंड की टोपी चूत में घुस गई और दीदी ने अपना हाथ हटा कर एक तेज आहह भरी सिसकारी निकाली और मैंने भी लंड को थोड़ा और अंदर घुसा दिया लेकिन लंड अंदर नहीं जा रहा था क्योंकि दीदी की चूत मेरे लंड के लिए थोड़ी टाइट थी. मैंने लंड को हाथ से पकड़ा और पीछे होकर फिर तेज़ी से धक्का मारा तो दीदी ज़ोर से चिल्ला उठी और मेरा आधे से ज़्यादा लंड दीदी की चूत में उतर गया.
“हईए म्म्मररर गईईई… ररीए ससन्नईई आहह उउऊहह…” दीदी का जिस्म तड़प उठा और दीदी की आँखों में हल्के आँसू आ गये लेकिन दीदी ने मुझे रोका नहीं और मैंने भी लंड को फिर से वापिस बाहर किया और तेज़ी से जोरदार धक्का मारा तो लंड पूरा का पूरा चूत की जड़ तक चला गया और दीदी बस ज़ोर से चिल्ला उठी. और अपने हाथों से बेड की शीट को पकड़ कर मसलने लगी.
पूरा लंड घुसते ही मैंने तेज़ी से बिना रुके दीदी की चूत को चोदना शुरू कर दिया और दीदी हल्के दर्द भरी सिसकारियाँ लेती रही और बेड की शीट को हाथों से ज़ोर से मसलने लगी, बेड की शीट पूरी बिखर गई थी और दीदी के हाथों में आ गई थी, बेड पर उतनी ही जगह पर बेड शीट बिछी रह गई थी जितनी जगह पर हम लोग लेटे हुए थे.
मैंने लंड को तेज़ी से चूत में पेलना जारी रखा और साथ ही नीचे होकर बूब्स को हाथों से मसलने और चूसने लगा, दीदी के हाथ भी अब बेडशीट से हटा कर मेरे सर पर आ गये थे वो भी मेरे सर को बड़े प्यार से एक हाथ से सहला रही थी और साथ ही एक हाथ को मेरी पीठ पर घुमाने लगी थी. अब उसकी सिसकारियों में दर्द भी कम हो गया था और बच गई थी सिर्फ़ मस्ती भरी सिसकारियाँ जो कुछ ज़्यादा ही मस्त लग रही थी मैंने दीदी के बूब्स से सर उठा कर दीदी के फेस की तरफ देखा तो वो बडे प्यार से सिसकारियाँ ले रही थी. मेरे देखते ही उन्होंने मुझे एक हल्की सी मस्ती भरी स्माइल दी और मैंने अपने फेस को दीदी के फेस के करीब कर दिया और लिप्स को दीदी के लिप्स पर रख दिया. दीदी ने भी मेरे को रेस्पॉन्स दिया और मेरे सर को हाथ से पकड़ कर लिप्स की तरफ़ खीच लिया और एक ही पल में मेरे लिप्स दीदी के लिप्स से जकड़े गये.
‘उउऊहह…’ क्या सॉफ्ट लिप्स थे इनको किस करते ही मुझे शोभा दीदी की याद आ गई थी और वैसे भी शिखा दीदी शोभा दीदी का जैसी ही थी, गोरी चिट्टी भरा हुआ जिस्म और बड़े बूब्स, ज़्यादा बड़े नहीं लेकिन अपनी उमर के हिसाब से बड़े थे, और एकदम गोरे गोरे, लिप्स भी एकदम सॉफ्ट थे।
मैंने दीदी की चूत में लंड पेलने की स्पीड तेज कर दी और दीदी ने भी रेस्पॉन्स देते हुए मेरे लिप्स को पागलों की तरह चूसना शुरू कर दिया और हाथों को मेरी पीठ पर मस्ती से घुमाने लगी और साथ ही अपनी टाँगों को मेरी पीठ पर घुमा कर मुझे जकड़ लिया, मेरा लंड पूरा अंदर बाहर हो रहा था, वो भी तेज़ी के साथ!
दीदी की चूत खुली हुई थी लेकिन इतनी भी नहीं, दीदी की शादी हो गई थी लेकिन तलाक़ भी जल्दी ही हो गया था, फिर भी दीदी 6 महिने तक अपने ससुराल में रही थी लेकिन चूत से नहीं लग रहा था कि 6 महीने तक वो अपने ससुराल में अपने पति से चुड़ी होगी क्योंकि अगर 6 महीने तक उसके पति ने उसको चोदा होता तो उसकी चूत टाइट नहीं होती.
मेरा मूसल दीदी की चूत की दीवारों से पूरी तरह से घिसता और रगड़ ख़ाता हुआ अंदर बाहर हो रहा था और मेरे को मुठ मारते टाइम जैसे हाथ की पकड़ होती है लंड पर, वैसे ही चूत की पकड़ महसूस हो रही थी लेकिन ये पकड़ मजबूत होने के साथ एक सॉफ्ट सा अहसास भी दे रही थी.
जैसे मेरे को पूरी मस्ती चढ़ गई थी, वैसे ही दीदी का भी बुरा हाल हो गया था, वो पागलों की तरह मेरे लिप्स को काटने और चूसने में लगी हुई थी, ऐसा लग रहा था कि मैं दीदी को नहीं, दीदी मेरे को चोद रही थी. दीदी अपने हाथों से मेरी पीठ को पकड़ कर मुझे तेज़ी से ऊपर नीचे करने में लगी हुई थी.
तभी मैंने खुद के हाथ बेड पर रखे और हाथों के सहारे बेड से ऊपर उठ गया. दीदी ने भी अपनी टाँगों की मेरी कमर से हटा लिया और मुझे उठने दिया, मेरा आगे का जिस्म अब हवा में उठ गया था और लिप्स दीदी के लिप्स से आज़ाद हो गये थे।
लेकिन दीदी को ये अच्छा नहीं लगा तो दीदी ने अपने दोनों हाथों को कुहनी से मोड़ कर बेड से लगा लिया और खुद के सर को और शोल्डर को ऊपर कर लिया जिस से दीदी के लिप्स फिर से मेरे लिप्स के करीब आ गये थे. दीदी खुद यही चाहती थी कि मेरे लिप्स उनके लिप्स से दूर नहीं हों, मैंने भी लिप्स को फिर से दीदी के लिप्स से जकड़ लिया और एक बार फिर से पागलपन से और मस्ती से भरपूर किस शुरू हो गई थी साथ ही मैंने हाथों को बेड पर रख के बेड का सहारा लिया और स्पीड और भी ज़्यादा तेज कर दी और साथ ही लंड का धक्का भी पूरा जोरदार कर दिया जिस से लंड पूरी तेज़ी और जोश से चूत की दीवारों से टकराने लगा था.
दीदी ने मेरे लोअर लिप को मुँह में भर लिया और चूसने लगी, ऐसे ही दीदी का ऊपर वाला होंठ मेरे मुँह में आ गया और हम दोनों पागलों की तरह एक दूसरे के लिप्स को चूसने लगे थे. दीदी कई बार अपनी ज़ुबान को मेरे मुँह में घुसा देती और मैं भी दीदी की ज़ुबान को प्यार से चूसने लगता लेकिन जब मैं अपनी ज़ुबान को दीदी के मुँह में डालता तो दीदी पागल कुतिया की तरह मेरी ज़ुबान पर टूट पड़ती थी.
कुछ देर बाद मैं दीदी के ऊपर से उतर गया लेकिन दीदी नहीं चाहती थी मैं ऊपर से हट जाऊँ, दीदी ने मुझे मेरी पीठ से कस के पकड़ लिया और ऊपर से हटने नहीं दिया. तभी मैंने भी दीदी को कमर से पकड़ा और तेज़ी से खुद के जिस्म को बेड पर गिरा दिया और दीदी को भी अपने साथ पलट दिया और फिर जल्दी से पीठ के बल हो गया. ऐसा करने से मैं बेड पर लेट गया और दीदी मेरे ऊपर आ गई लेकिन इतने टाइम में भी मेरा लंड दीदी की चूत में ही रहा.
मेरे ऊपर आते ही दीदी पागलों की तरह ऊपर नीचे होने की कोशिश करने लगी लेकिन ऐसा लगा जैसे दीदी इस खेल से थोड़ी अंजान थी, मैंने खुद दीदी की टाँगों को पकड़ा और उनके घुटनों को मोड़ कर बेड से लगा दिया.
दीदी भी समझ गई और खुद के घुटनो को मोड़ कर बेड से लगा कर तेजी से कमर को ऊपर नीचे करने लगी जिस से लंड बिल्कुल सीधा चूत में जाने लगा लेकिन दीदी की स्पीड स्लो थी.
मैंने अपने हाथ दीदी की गान्ड पर रख दिए और तेज़ी से गान्ड को आगे पीछे करने लगा लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ तो मैंने दीदी को गान्ड पे हल्के से हाथ मारा और रुकने को बोला तो दीदी रुक गई और दीदी के रुकते ही मैंने खुद अपनी कमर को बेड से ऊपर उछालना शुरू किया और खुद तेज़ी से ऊपर नीचे होकर दीदी की चूत को चोदने लगा.
दीदी भी तेज़ी से अपनी कमर को नीचे की ओर करने लगी और दोनों मिल कर स्पीड को तेज करने लगे. साथ ही हम दोनों किस करते रहे, जब भी मैं ऊपर होता और दीदी नीचे तो दीदी के बूब्स मेरी चेस्ट पर दब जाते और मुझे चेस्ट पर मीठा मीठा अहसास होता.
मैंने जल्दी से हाथ को दीदी की गान्ड से उठा कर दीदी के बूब्स पर रखा और ज़ोर से मसलने लगा. कुछ देर पहले मैं बूब्स को चूस रहा था इसलिए बूब्स पर हल्का सा थूक लगा हुआ था जिससे हाथ चिकना होकर दीदी के बूब्स फिर दब दब कर फिसल रहा था, मैंने थूक की चिकनाहट का सहारा लिया और दोनों हाथों की उंगलियों से बूब्स के निप्पलों को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा.
ऐसा करने से दीदी को ज़्यादा मस्ती चढ़ने लगी और दीदी ने अपने लिप्स को पीछे करके मेरे लिप्स से आज़ाद कर लिया और तेज़ी से सिसकारियाँ लेने लगी ‘आआअहह उऊहह उहह हमम्म्म उम्म्ह… अहह… हय… याह… हहययय ययईईई!
दीदी की सिसकारियाँ कुछ ज़्यादा ही तेज थी, मुझे लगा कहीं दीदी झड़ने वाली ना हो इसलिए मैंने दीदी को झटके से नीचे उतार दिया और खुद उठ कर बैठ गया और दीदी को झुकने को बोला तो वो भी जल्दी से झुक गई और अपनी गान्ड उठा कर मेरे सामने कर दी और सर को बेड से लगा लिया.
मैंने जल्दी से लंड को चूत पर रखा और तेज़ी से चूत में घुसा दिया लेकिन स्पीड स्लो ही रखी और धीरे धीरे दीदी को चोदने लगा, दीदी खुद ही अपनी गान्ड को आगे पीछे करके मेरे लंड को तेज़ी से चूत में लेने लगी और सिसकारियाँ भी तेज़ी से लेने लगी, मैं समझ गया अब दीदी सच में झड़ने वाली है तो मैंने भी स्पीड तेज कर दी.
दीदी 1 मिनट बाद ही तेज तेज और ज़ोर से सिसकारियाँ लेते हुए झड़ गई और सारा पानी बेड पर गिरने लगा लेकिन मैंने फिर भी स्पीड स्लो नहीं की और तेज़ी से दीदी की चूत को चोदता रहा. दीदी का पानी निकल जाने के बाद दीदी ने हटने की कोशिश की लेकिन मैंने दीदी को कमर से कस के पकड़ लिया क्योंकि मेरा अभी तक नहीं हुआ था.
लेकिन दीदी ने ज़ोर लगाया और मेरे से छूट कर बेड पर आगे की तरफ हो गई तो मैंने भी जल्दी से खुद को दीदी के ऊपर गिरा दिया और लंड को पकड़ कर चूत में घुसा दिया और दीदी के हाथों को पकड़ कर बेड से लगा लिया.
“स..नी… उम्म म्म्माआह…” मैंने लंड डालते ही वापिस स्पीड से चोदना शुरू कर दिया और साथ ही दीदी के कन्धों को हल्के हल्के काटने लगा. दीदी के दोनों हाथ मेरे हाथों में थे और पूरी तरह खुल कर बेड पर लगे हुए थे जिससे मुझे स्पीड तेज रखना मुश्किल हो रहा था.
तभी मैंने दीदी के हाथ छोड़ दिए और दीदी की पीठ पर अपने हाथ रख के दीदी को नीचे दबा लिया ताकि वो उठ ना सके और साथ ही अपने जिस्म को थोड़ा हवा में भी उठा लिया ताकि स्पीड तेज कर सकूँ.
दीदी ने हाथ पैर मारने शुरू कर दिए और हिलने डुलने लगी, मुझे अब थोड़ा थोड़ा गुस्सा आ रहा था क्योंकि एक तो मैं छूटने के करीब ही था और ऊपर से दीदी बार बार हिलडुल रही थी जिससे स्पीड तेज करने में मुश्किल हो रही थी. मैंने दीदी के दोनों हाथों को पकड़ा और मोड़ कर दीदी की पीठ पर रख दिया और दीदी के हाथों पर अपने हाथ रख के वापिस ऊपर उठ गया जिससे मेरे वजन की वजह से दीदी को हाथ हिलना मुश्किल हो रहा था और मेरी स्पीड भी तेज होने लगी थी.
“हाय… सन्नी… म…र… ग…ई… छोड़ दे!”
लेकिन मैं तो बस झड़ने ही वाला था इसलिए दीदी की बातों को सुन कर भी अनसुना कर रहा था.
दीदी थोड़ा गुस्से और दर्द में मिलीजुली आवाज़ से मुझे हटने को बोल रही थी लेकिन मैं फुल स्पीड से चुदाई करने में लगा हुआ था.
तभी 2 मिनट बाद ही मुझे लगा कि मेरा काम होने वाला है और मैंने जल्दी से लंड को चूत से निकाला और लंड ने चूत से निकलते ही दीदी की पीठ पर पानी की तेज-2 पिचकारियाँ मारना शुरू कर दिया और दीदी की पूरी पीठ मेरे स्पर्म से भर गई, मैं साइड पर गिर गया और तेज तेज साँसें लेने लगा. मैंने दीदी की तरफ देखा तो उनकी आँखों में आँसू थे लेकिन चेहरे पर एक राहत भरी झलक भी नज़र आ रही थी.
कुछ देर बाद दीदी उठी और बाथरूम में चली गई और 5 मिनट बाद वापिस बेड पर आ गई, दीदी ने अपने नंगे बदन पर एक तौलिया लपेटा हुआ था.

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