मेरा नाम राज (बदला हुआ नाम) है, मैं बिहार का रहने वाला हूँ, पर मैं बिहार में नहीं रहता.. दिल्ली में रहता हूँ। मेरा परिवार भी दिल्ली में ही है।
यह कहानी मेरी और मेरी बड़ी दीदी की चुदाई की कहानी है। मेरी दीदी रश्मि (बदला हुआ नाम) की उम्र 21 साल है और वो दिखने में बहुत गोरी है.. उसका बदन भरा हुआ है। उसकी चुची काफी बड़ी हैं व उसकी गांड भी काफी निकली हुई है, जिसे देखकर किसी का भी मन उसे मसलने का करने लगे।
पहले तो मैंने कभी भी उसके बारे में कुछ गलत जैसे दीदी की चुदाई का नहीं सोचा था। पर ये कहानी शुरू हुई कुछ महीने पहले, जब मैंने अपनी दीदी रश्मि को एक लड़के के साथ देखा। उस वक्त मैंने सोचा कि शायद वो उसका दोस्त होगा तो मैं उस बात को भूल गया।
फिर एक दिन मैं पोर्न देख रहा था कि उसी वक्त मेरी दीदी नहा कर बाहर निकली थी कि मेरी नजर उस पर पड़ गई। वो अभी बाथरूम से निकली ही थी, वो अपने ऊपर तौलिया लपेटे हुए थी.. जिसमें उसकी चुची काफी तनी हुई लग रहे थे।
मैंने अपनी नजर हटा लीं.. क्योंकि वो मेरी बड़ी दीदी थी।
फिर कुछ दिन बाद मैं रात को पोर्न देख रहा था कि उसी वक्त मैंने दीदी को नाइटी पहने देखा। उस वक्त उसे देखते ही मेरा लंड जो पहले से ही खड़ा था.. और टाइट हो गया। मुझसे रहा न गया तो मैं बाथरूम में जाकर उसके नाम की मुठ मार कर आया और सो गया।
अब मैं जब भी पोर्न देखता या मुठ मारता.. तो दीदी की गांड और उसकी चुची ही दिमाग में आ जाती। फिर भी वो मेरी दीदी थी.. इसलिए मैंने उसकी तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दिया।
मैं यह बता दूँ कि उससे मेरी खूब पटती है.. इसलिए मैं कभी-कभी उससे मजाक भी कर लेता था। पर आजकल जब भी मैं उससे बात करता हूँ, तो मेरी पहली नजर उसकी तनी हुई चूचियों पर ही चली जाती है। इस बात पर शायद उसने भी ध्यान नहीं दिया।
कुछ दिनों बाद जब वो नहा रही थी। उसी वक्त मैं पोर्न देख कर निकला ही था कि बाथरूम से किसी की नहाने की आवाज सुनाई दी। चूँकि मेरा कमरा बाथरूम के काफी पास है.. इसलिए बाथरूम की आवाज स्पष्ट सुनाई देती है। मैं आवाज सुन कर समझ गया कि दीदी ही नहा रही होगी।
आप तो जानते ही हैं कि पोर्न देखने के बाद लंड की हालत क्या होती है।
अब मैं ये सोच रहा था कि वो कब बाथरूम से बाहर निकले और मैं उसका गदराया हुआ शरीर देख कर दीदी की चुदाई का सोच कर जल्दी से मुठ मार लूँ।
पर वो निकल ही नहीं रही थी.. तो मैंने आवाज लगा कर उससे बोला- दीदी और कितना नहाओगी?
तो उसने बोला- बस पांच मिनट और!
मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था.. तो मैंने सोचा कि देखूँ तो सही.. ये बाथरूम में इतनी देर से कर क्या रही है।
जब मैंने की-होल से अन्दर देखा तो बस देखता ही रह गया। उसकी क्या मस्त गोरी-गोरी और निकली हुई गांड थी और चुची.. तो पूछो मत, बिल्कुल गोल और बड़ी-बड़ी.. अह.. उसे देखते ही मेरा लंड और तन्ना गया। अब मेरे दिमाग में शैतान घूमने लगा… उस दिन से जब भी दीदी को अकेला देखता.. तो मैं उसे नहीं, उसकी चुची को देखता और उसकी गांड को छूने की कोशिश करता रहता।
एक रात को वो नाइटी पहने छत पर खड़ी थी.. तो मैंने में धीरे-धीरे उसकी गांड को बातों के दरमियान छूता रहा, पर उसने इस सबकी ओर इतना ध्यान नहीं दिया।
मैं उसकी गांड के स्पर्श से गनगना गया था और बस उसे चोदने की सोचने लगा कि इसे कैसे चोदूं।
एक दिन वो छत पर रेलिंग के सहारे झुकी हुई थी और किसी से बात कर रही थी। तब मैं भी वहीं पे था, उसकी गांड देख कर तो मेरा लंड खड़ा हो गया। शायद उसने नाइटी के अन्दर कुछ नहीं पहना था.. इसलिए उसकी बड़ी गांड की दरार साफ दिख रही थी।
अब मैं और बेचैन हो गया और उसे चोदने की मेरी प्यास और बढ़ने लगी। मैं ये सोच रहा था कि जल्द से जल्द कैसे दीदी की चुदाई कर दूं। सारे-सारे दिन मेरे दिमाग में अब बस यही ख्याल चलता रहता था.. मैं अब उसको ही सोच कर मुठ मारता था। जब भी मैं उसकी चुची या गांड देखता मेरा लंड खड़ा हो जाता.. फिर मुठ मारना पड़ता था।
अब मैं उसकी बातें सुनता था कि वो किससे बात करती है। उसका पीछा भी करने लगा कि वो किससे मिलती है।
कुछ दिनों बाद मुझे सब मालूम हो गया कि उसका एक बॉयफ्रेंड था और वो उससे रोज मिलती थी। उसी के साथ वो रात को जब सब सो जाते तो छत पे जाकर बात भी करती थी।
इतना सब कुछ करने और जानने के बाद भी मुझे अब तक दीदी की चुदाई का कोई रास्ता नहीं दिख रहा था। फिर भी मैं ताक में रहने लगा और एक दिन मुझे रास्ता मिल ही गया।
मैं कभी-कभी उसके मोबाइल में गेम खेलता था, क्योंकि उसका मोबाइल मेरे मोबाइल से अच्छा था।
मैं एक दिन गेम खेलने के बाद उसके मोबाइल में छेड़छाड़ करने लगा और मैंने देखा कि उसके मोबाइल में उसकी और उसके बॉयफ्रेंड के साथ कुछ फोटो थीं, सो मैंने जल्दी से वो फोटो अपने मोबाइल में ब्लूटूथ के जरिए ले लीं।
अब बस मैं ये सोच रहा था कि शुरूआत कैसे और कब करें। फिर मैंने सोचा जब इतने दिन तक इंतजार किया तो थोड़ा और सही।
अब मैं सही मौके का इन्तजार करने लगा और वो मौका मुझे जल्दी ही मिल गया।
जब वो रात को छत पर बात करती थी.. तब मैंने सोचा कि इसी वक्त ही कुछ करना होगा।
फिर दूसरे दिन मैं रात होने का इंतजार करने लगा। इसके पहले शाम को मार्किट जाकर मैंने कुछ कन्डोम खरीद लिए। मैंने सोचा कि अपनी ओर से सब तैयारी कर ली जाए। यही सोच कर मैंने कुछ कंडोम और कुछ आई-पिल ले लीं।
मैं रात का इंतजार करने लगा और अब बहुत जल्दी हो वो घड़ी भी आ गई, जिसका मैं बहुत दिनों से इंतजार कर रहा था। इस वक्त मुझे डर भी लग रहा था कि पता नहीं क्या होगा.. क्या नहीं, पर मैंने हिम्मत करके सोचा कि आज करके ही देखते हैं.. चाहे जो हो, देखा जाएगा।
इन्तजार करते-करते रात भी हो गई, हम लोगों ने खाना भी खा लिया। सब लोग कुछ देर टीवी देखने के बाद सोने चले गए। मैं भी अपने रूम में चला गया और दीदी भी चली गई। कुछ समय बाद पहले मैं निकल कर छत पर गया, तो देखा की उधर कोई नहीं है.. तो मेरा मन उदास हो गया।
तभी पीछे से दीदी की आवाज आई और वो मुझसे बोली- तू अभी तक सोया नहीं?
मैं उसकी आवाज सुन कर खुश हो गया और बोला- नहीं यार नींद नहीं आ रही है।
उसने भी बोला- हाँ यार मुझे भी नींद नहीं आ रही है।
इस बीच मैं उसे कम और उसकी चुची को कुछ ज्यादा घूरने लगा, पर आज उसने मुझे अपनी चुची देखते हुए देख कर भी अनदेखा कर दिया और वो मोबाइल निकाल कर अपने बॉयफ्रेंड से बात करने लगी।
मैं भी उसके पास ही बैठा था। मैं कभी उसकी गांड को देखता.. कभी उसकी चुची की तरफ घूरने लगता।
पर आज पता नहीं क्यों.. उसने थोड़ी ही देर बात की और फोन रख दिया। तब मैंने सोचा कि मौका अच्छा है, अपना जाल बिछाना चाहिए.. क्योंकि मेरा लंड उसकी बड़ी गांड की गहराई को नापने के लिए बेचैन था।
फिर मैं धीरे से दीदी के पास को सरक गया और उससे बात करने लगा। बातें करते-करते मैं उसे कम उसकी चुची की नोक को ज्यादा देख रहा था।
वो मुझे देखती और अपनी नजरें हटा लेती।
मैंने बातों ही बातों में उससे पूछा- तुम रोज रात को किससे बात करती हो और वो भी किसी को बिना बताए?
तो वो बोली- मैं अपने बॉयफ्रेंड से बात करती हूँ।
शायद वो भी मुझसे खुलना चाह रही थी।
इस बीच मैं उसकी मोटी गांड को छुए जा रहा था। मैंने सोचा कि ज्यादा देर नहीं करनी चाहिए.. और अब खेल स्टार्ट कर देना चाहिए।
मैंने धीरे से उसकी गांड पर हाथ रख दिया उम्म्ह… अहह… हय… याह… और उससे बात करने लगा।
उसने मेरा हाथ अपनी गांड से हटा दिया.. पर मैंने फिर उसकी गांड पर हाथ रखा और अबकी बार तो मैं उसकी गांड मसलने लगा।
उसने बोला- ये क्या कर रहा है तू?
मैंने बोला- दीदी तुम बहुत सुन्दर हो।
तो वो बोली- वो तो मैं हूँ ही.. पर ये तुम क्या कर रहे हो?
मैंने बोला- तुम्हारी गांड को छू रहा हूँ और क्या?
उसने बोला- तू रुक.. अभी मैं जाकर माँ को बोलती हूँ कि तू मेरे साथ क्या कर रहा है।
मैंने अपना जाल फेंका और बोला- हाँ हाँ जाओ जाओ.. बोल दो और ये भी सुन लो कि मैं भी मम्मी को तुम्हारे और तुम्हारे बॉयफ्रेंड की बात बता दूंगा कि तुम्हारा एक बॉयफ्रेंड भी है.. जिसके साथ तुम कहीं जाती भी हो।
वो बोली- मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता.. जा बोल दे।
यह कहते ही वो जाने लगी तो मैं डर गया। फिर मैंने अपना लास्ट और जबरदस्त वाला जाल फेंका।
मैंने उससे बोला- जाने से पहले एक चीज को देख कर समझ लो.. तब जाके माँ को बता देना जो तुम बताने जा रही हो।
तो वो बोली- क्या है.. जल्दी दिखा!
और ये कह कर दीदी मेरे पास आ गई। मैंने अपना मोबाइल निकाला और उसकी फोटो दिखाई जो कि उसके बॉयफ्रेंड और उसकी जॉइंट फोटो थी और फोटो भी कुछ ऐसी थी.. कि मेरी दीदी अपने बॉयफ्रेंड की गोद में बैठी थी।
उसने ये देख कर पहले तो कुछ नहीं कहा और मेरी तरफ देखने लगी।
तब मैंने सोचा कि अब देर नहीं करना चाहिए और मैंने उसकी गांड पर हाथ रख कर मसलने लगा।
वो बोली- तू मेरा छोटा भाई है.. ये सब पाप है.. मत कर!
मैंने कुछ नहीं कहा और एक हाथ से गांड और एक हाथ बढ़ा कर दीदी की चुची को मसलने लगा। वो मुझसे अलग होने की कोशिश करने लगी.. तो मैंने उसे जोर से पकड़ा और अपनी ओर खींच लिया।
मैंने कहा- बस एक बार मैं तुम्हारी गांड और बुर में अपना लंड डाल के चोदना चाहता हूँ।
मैं उससे ये सब बोल भी रहा था और उसकी चुची भी मसल रहा था।
मेरी ये बात सुनते ही उसने एकदम से मुझे अलग किया और बोली- तू मुझे परेशान कर रहा है?
मैंने बोला- देख जो तुझे अपनी ही घर में मिल जाएगा, वो तू दूसरों से क्यों ले रही है?
उसने कहा- नहीं तू मेरा भाई है और वो भी दो साल छोटा है।
मैंने कहा- तो क्या हो गया.. मेरा लंड भी तो देखो.. ये तो बड़ा है न..!
इतना बोलते ही मैं अपना लंड जोकि एकदम तन्नाया हुआ था.. निकाल कर उसे दिखा दिया।
वो लंड देखते हुए बोली- अब मैं जा रही हूँ माँ से बोलने कि तू मेरे साथ जबरदस्ती कर रहा था।
मैंने बोला- हाँ जाओ.. और बोल दो।
मेरे इतना बोलते ही वो चली गई और मेरी गांड फट गई। मैं सोचने लगा कि अब आज तो मैं पक्का पिटूँगा.. अच्छे से पिटूँगा और मेरा इज्जत का कबाड़ा हो जाएगा।
मैं अभी यही सोच रहा था कि वो वापस आ गई और मेरे पास आकर बोलने लगी- ये सब गलत है.. पाप है, तुझे पाप लगेगा।
मैंने बोला- पाप तो मुझे लगेगा न.. तुम क्यों टेंशन ले रही हो?
तो वो कुछ नहीं बोली।
मैं समझ गया और मैंने उसे फिर से अपनी ओर खींच लिया और उसको किस करने लगा पर वो फिर से आना-कानी करने लगी तो मैंने कहा- ठीक है तुम कुछ मत करो.. बस मुझे करने दो।
तब भी उसने कुछ नहीं बोला और मैं उसे किस करने लगा। इस बार उसने आना-कानी नहीं की.. बस चुपचाप खड़ी रही। मैं उसके होंठों को चूसता रहा।
फिर उसे चूसते-चूसते मैंने अपना हाथ उसकी चुची पर रखा.. पर उसने मेरा हाथ हटा दिया।
मैंने फिर कहा- अब अगर तुमने आना-कानी की, तो मैं जाकर सबको फोटो दिखा दूंगा।
वो बोली- प्लीज़ नहीं नहीं.. ऐसा मत करना..
मैंने बोला- तो जो मैं कर रहा हूँ.. मुझे करने दो।
मैं उसके होंठों को चूमने और चूसने लगा। धीरे-धीरे अपना हाथ उसकी चुची पर ले गया और उसकी चुची सहलाने लगा। अब मेरा लंड धीरे-धीरे कड़क हो रहा था, मैंने उससे कहा- अब तुम पीछे घूम जाओ।
वो बिना कुछ बोले पीछे घूम गई, मैं अपना हाथ आगे करके उसकी चुची दबाने लगा और पीछे से अपना लंड उसकी बड़ी और निकली हुए गांड की दरार में रगड़ने लगा।
उसने कहा- पीछे से क्या कर रहे हो?
तो मैंने बोला- अभी मैं अपने लंड को तुम्हारी गांड दरार में डाल के तैयार कर रहा हूँ।
उसने बोला- अब रुक जाओ, हो गया.. अब इससे ज्यादा नहीं।
मैंने बोला- अभी हुआ ही क्या है.. मुझे अभी बहुत कुछ करना है और अब तो मेरा लंड भी तुम्हारी नर्म-नर्म गांड की दरार में जाकर कड़ा हो गया है, अब तो ये बिना मजा लिए नहीं मानेगा।
वो बोली- ठीक है.. पर यहाँ कोई देख लेगा।
मैंने उससे बोला- इतनी रात को कौन जग रहा होगा।
मैंने आस-पास की छतों और रेलिंग पर देखा और बोला- कहीं कोई नहीं है।
मैं चालू हो गया और उसकी चुची को जोर-जोर से मसलने लगा। उसकी गांड की दरार में अपना लंड डालने की कोशिश करता रहा.. पर अन्दर नहीं घुस सकता था.. क्योंकि उसने भी पैंट और टी-शर्ट वाली नाइट ड्रेस पहन रखी थी।
मैंने अपने लंड को अपने पैंट से पूरा आजाद किया क्योंकि मैं जानता था कि आज चुदाई होने वाली है, इसलिए मैंने अंडरवियर पहले से ही नहीं पहनी थी। मैंने अपना लंड निकाल कर उसकी गांड की दरार में फिर से डालने लगा.. पर बिना पजामा हटाए कैसे जा सकता था।
दोस्तो, मैं बता दूँ कि इससे पहले मैंने पहले कभी भी सेक्स नहीं किया था, सिर्फ मुठ मार के ही काम चला लेता था इसलिए मैं कुछ ज्यादा ही जल्दी-जल्दी कर रहा था।
उसने बोला- मेरी चुची दुःख रही हैं.. जरा धीरे से करो।
तो मैंने कुछ नहीं कहा.. क्योंकि मैं कुछ बोलने के मूड में नहीं था। मैं तो बस उसकी गांड में ऊपर से ही लंड फंसाए लगा हुआ था।
मैंने सोचा कि अभी पूरी रात बाकी है.. आराम से करता हूँ।
मैंने दीदी से बोला- दीदी मुझे ना.. तेरे दूध पीना है।
उसने कुछ नहीं कहा तो मैं समझ गया कि अब मैं कुछ भी कर सकता हूँ।
मैंने उसकी टी-शर्ट को जैसे ही उठाया मेरा तो समझो भाग्य ही खुल गया.. क्योंकि दीदी की बड़ी और गोल-गोल चुची मेरे सामने बिल्कुल नंगी थी।
पता नहीं क्यों उस दिन दीदी ने ब्रा क्यों नहीं पहनी थी।
खैर.. मुझे उससे क्या.. मुझे तो बस अब दीदी की बड़ी-बड़ी चुची ही दिख रही थी। मैंने देर ना करते हुए अपना मुँह उसके गोरी और बड़ी चुची पर लगा दिया। मैं एक को चूस रहा था और दूसरी को हाथ से मसल रहा था।
कभी में दीदी की दाईं वाली चुची पीता.. तो कभी बाएँ वाले आम को मसलता। जब बाईं चुची को चूसता तो दाईं वाली को मसलता।
कुछ देर तक ऐसा ही चलता रहा और दीदी अपनी आँखें बंद करके खड़ी थी।
फिर मैंने अपना हाथ दीदी की कमर पर रखा ही था कि दीदी बोल उठी- नहीं.. ये मत करो और तुम्हें जो करना है करो.. पर नीचे हाथ मत लगाओ।
पर मैं कहाँ मानने वाला था.. मेरा तो लंड और दिमाग बस एक ही चीज मांग रहा था दीदी की चुदाई। मैंने फिर दीदी के पेट और पीठ को सहलाना शुरू किया। अब भी वो ना कुछ बोल रही थी.. ना ही मेरा साथ दे रही थी।
मैंने सोचा जाने दो.. क्या करना.. मुझे तो बस मजा आ रहा है। मैंने सहलाना चालू रखा और साथ-साथ में उसे किस भी कर रहा था। कभी मैं उसके होंठ अपने दांतों से कुचलता तो कभी चूसता, तो कभी उसकी चुची को मसलता.. तो कभी उसकी चुची में से दूध निकालने की कोशिश करता।
अब तक मैं बहुत गर्म हो गया था.. तो मैंने अपना एक हाथ दीदी की गांड और एक हाथ बुर पर रख दिया और सहलाने लगा।
मुझे लग रहा था कि मेरी दीदी भी गर्म हो रही है। यही हुआ भी दीदी मेरा हाथ पकड़ कर अपनी बुर पर दबाने लगी।
मैंने कहा- मजा आ रहा है ना दीदी?
उसने कहा- मैं तो उसी वक्त से ये सोच रही थी कि तू मुझे ज्यादा कुछ नहीं करेगा.. पर जब तूने मेरी बुर को छू ही लिया तो अब जो चाहे वो कर ले।
मैंने दीदी से कहा- तुम एक हाथ से मेरा लंड पकड़ो और उसे सहलाओ।
उसने भी ऐसा ही किया.. अब वो मेरे लंड को अपने हाथों में ले कर उससे खेलने लगी.. मैं उसकी बुर और गांड से खेलने लगा। अब तक हम दोनों खड़े-खड़े ही सब कर रहे थे तो मैंने अब देर ना करते हुए उससे कहा- अब तुम नंगी हो जाओ।
उसने कहा- नहीं यार, मुझे नंगी नहीं होना।
मैंने जबरदस्ती उसकी पैंट को खींच कर नीचे कर दिया और फिर उसे उसके बदन से निकाल फेंका। अब दीदी मेरा साथ बिल्कुल नंगी और मेरे से सटी हुई थी। मैंने भी उससे थोड़ा सा झुका दिया। मेरा लंड बहुत देर से उसकी गांड में जाने की कोशिश कर रहा था.. तो मैंने अब देर ना करते हुए उसे झुका कर अपना पांच इंच का लंड उसकी गांड पर रखा ही था।
उसने बोला- ओह.. पीछे नहीं.. आगे डालो।
मैंने कहा- नहीं.. मैं पहले तुम्हारी गांड की गहराई को नापना चाहता हूँ।
उसने बोला- प्लीज़.. अपनी दीदी की बात नहीं मानोगे!
तो मैंने कहा- अच्छा पहले एक बार गांड में डलवा लो.. उसके बाद बुर में डालूँगा।
वो फिर से कहने लगी- नहीं.. गांड में बहुत दर्द होगा।
मैंने कहा- क्या तुमने पहले किसी से चुदवाया है?
तो उसने कहा- नहीं..
मैंने कहा- तो तुम्हें कैसे पता कि गांड में डालने से ज्यादा दर्द होता है?
उसने कहा- बस मुझे पता है।
मैंने देर ना करते हुए उसकी नर्म और निकली हुए गांड में अपना तना हुआ लंड जैसे ही थोड़ा सा डाला कि वो चिल्ला पड़ी।
मैंने कहा- आवाज मत करो.. अभी तो सिर्फ लंड का टोपा ही तुम्हारी गांड में घुसा है।
उसने कहा- नहीं.. निकाल दो.. बहुत दर्द हो रहा है।
मैंने उसकी बात ना मानते हुए एक जोरदार धक्का मारा और मेरा आधा लंड उसकी नर्म गांड के छेद में घुस गया।
वो दर्द से कलप उठी और धीरे-धीरे सिसकारियाँ लेने लगी ‘उइइ.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओय्य.. आह्ह्ह..’ की आवाज उसके मुँह से निकलने लगी थी।
मैंने एक और धक्का मारा तो मेरा पूरा लंड दीदी की गांड में घुस गया, उसने एकदम से अपनी गांड सिकोड़ ली।
तो मैंने कहा- गांड सिकोड़ोगी.. तो तुम्हें और दर्द होगा।
उसने कहा- नहीं… अब बाहर निकाल लो अपना.. प्लीज़ मुझे दर्द हो रहा है।
मैं वैसे ही रुक गया और मैंने कहा- क्या निकालूँ?
उसने कहा- जो तुमने डाला है।
मैंने कहा- मैंने क्या डाला है?
तो उसने गुस्से में कहा- साले अपना लंड निकालो जल्दी..!
मैंने कहा- कुछ देर ऐसे ही रुक जाओ.. और फिर निकाल दूंगा।
मैं दीदी की चुची जोर-जोर से मसलने लगा.. अब कुछ देर के बाद वो धीरे-धीरे अपनी गांड हिला रही थी।
मैंने कहा- दीदी, तुम्हारी जिस्म तो एकदम मेंटेन है।
तो उसने कहा- अब जल्दी करो जो करना है।
मैं धीरे-धीरे दीदी की गांड में लंड पेलने लगा और वो ‘आअह्ह.. उउह.. और तेज.. और तेज.. और अन्दर पेलो.. अह.. और फ़ास्ट डालो ना..!’ बोलते हुए सिस्कारी लेने लगी।
मैं अब बहुत जोरों से दीदी की गांड की चुदाई करने लगा। कुछ देर के बाद मैंने अपना लंड निकाल लिया.. तो उसने कहा- अब क्यों निकाला लंड को?
मैंने कहा- अब कंडोम तो लगा लूँ।
जैसे ही मैं कंडोम निकाला तो उसने कहा- रुको.. कंडोम मत लगाओ, बिना कंडोम के ही करो.. तुम्हारा लंड बहुत लम्बा है। अब देर न करो.. जल्दी से अपने लंड को मेरी गांड में गुसा दो।
दीदी की चुदास देख कर मैं भी और ज्यादा जोश में आ गया। मैंने झट से उससे झुकाया और उसके गांड में लंड पेल दिया और गांड चुदाई करने लगा।
कुछ देर बाद मेरा सारा पानी दीदी की गांड में ही गिर गया।
वो उठ के खड़ी सी हो गई, मैंने थोड़ा रुकने के बाद कहा- कुछ देर मैं तुम्हारी बुर चाटना चाहता हूँ।
वो अपने दोनों पैरों को फैला कर खड़ी हो गई।
मैंने कहा- जमीन पर लेट जाओ।
वो जमीन पर लेट गई और मैं उसकी बुर चाटने लगा और कभी-कभी उसके दूध को जोर से मसल देता।
वो भी गर्मा गई और मेरा सर अपनी बुर में जोर से सटा लिया।
मैं उसकी बुर को अपने जीभ से ही चोदने लगा। मेरा लंड एक बार फिर खड़ा हो गया तो मैंने दीदी से कहा- अबकी बार बुर में डालना है।
उसने बिना कुछ कहे अपनी जांघों को फैला दिया तो मैं भी समझ गया कि अब दीदी भी मेरा लंड अपनी बुर में लेना चाहती है।
पहले मैंने अपने लंड की नोक को कुछ देर दीदी की बुर के छेद पर सहलाया। दीदी आवाज करने लगी ‘आआअह.. ऊऊह्ह.. इस्सस्स.. उउउम्मह..’
मैं उसकी कामुक आवाज सुन कर और भी जोश में आ गया और देर ना करते हुए उसकी बुर में अपना लंड डालने लगा। पर मेरा लंड उसकी बुर में नहीं घुस रहा था।
मैं समझ गया कि दीदी ने अब तक किसी से नहीं चुदवाया है, मैंने दीदी को जोर से बांहों में पकड़ लिया और अपना लंड दीदी की बुर पर लगा कर जोर से एक धक्का मारा, मेरा आधा लंड एक बार में ही दीदी की बुर को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया..
दीदी जोर से चिल्लाई।
मैंने उससे कहा- दीदी, मत आवाज करो।
तो उसने बोला- साला कुत्ता कहीं का.. मैं दर्द से मर रही हूँ और तुझे आवाज की पड़ी है।
तो मैंने कहा- प्लीज़ आवाज मत करो मेरी प्यारी दीदी।
वो चुप हो गई और मैंने फिर से एक जोर से धक्का लगाया और मेरा पूरा लंड दीदी की बुर में घुस चुका था।
मैंने देखा कि पूरा लंड घुस गया है कि नहीं.. पर जैसे ही मैं देखा कि दीदी की बुर से खून की कुछ बूंदें गिर रही थीं।
मैं इसी स्थिति में कुछ देर रुक गया.. और दीदी से बातें करने लगा।
फिर मैंने कहा- अब चोदना करूँ?
वो कुछ नहीं बोली.. मैंने भी ज्यादा कुछ नहीं बोला और पेलना चालू कर दिया। दीदी की बुर बहुत गर्म हो उठी थी, जैसे दीदी की बुर में आग लग गई हो।
दीदी ‘ऊऊओह.. आआह.. ऊऊ.. और ज्जोर से अह.. इस्स्स..’ करने लगी। मैं दीदी की सिसकारियां सुन कर और जोश में पेलने लगा।
अब दीदी ने मुझे जोर से पकड़ लिया और दीदी अपनी गांड उछालने लगी।
कुछ ही देर में दीदी की बुर से पानी निकल गया.. पर मेरा तो माल अब तक नहीं निकला था.. क्योंकि ये मेरा दूसरी बार था, इसलिए शायद जल्दी नहीं निकल रहा था।
थोड़ी देर बाद मुझे भी लगने लगा कि अब मेरा पानी गिरने वाला है, तो मैं धक्का जोर-जोर से देने लगा और दीदी की बुर में ही गिर गया।

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