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बड़ी बहन की प्यार भरी चुदाई - Badi Behen Ki Pyar Bhari Chudai

 



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हाय फ्रेंड्स, कैसे हो आप सब! उम्मीद करता हूँ कि आप सब ठीक ही होंगे.
मेरा नाम नवीन है, उम्र 22 साल है. मैं गुजरात का रहने वाला हूँ. सूरत में हमारा खुद का अपना मकान है. मेरे घर में हम 5 लोग रहते हैं. मेरे पापा-मम्मी, मेरी बड़ी बहन सोनी, मेरा छोटा भाई अखिलेश और मैं. पापा एक डायमंड कंपनी में जॉब करते हैं और मम्मी घर पे रहती हैं.

यह घटना जब घटी थी, तब मेरी उम्र 19 साल थी यानि आज से 3 साल पहले की घटना है. यह घटना मेरे और मेरी बड़ी बहन सोनी के बीच में घटी थी. उस टाइम सोनी की उम्र 21 साल थी. उस टाइम मैं बीसीए की पढ़ाई कर रहा था, मेरा पहला साल था. मेरी बहन सोनी बीएससी के लास्ट ईयर में थी. छोटा भाई 9 वीं क्लास में पढ़ रहा था. हम एक मिड्ल क्लास फैमिली से बिलॉंग करते हैं, सो लड़कियों को ज़्यादा बाहर घूमने या किसी से ज़्यादा बात करनी की छूट नहीं मिलती है. इसलिए मेरी बहन सोनी सुबह सीधे कॉलेज जाती थी और कॉलेज से सीधा घर आती थी.

अब मैं आपको सोनी का परिचय दे देता हूँ. उसकी हाइट 5 फुट 4 इंच है. रंग गोरा है और फिगर भी लाजवाब है. फिगर का नाप कितना है, वो तो मैंने कभी टेप लेकर मापा नहीं है, पर ले देकर कहा जाए तो वो बहुत खूबसूरत है.

जैसा कि मैंने पहले बताया कि मैं एक मिडल क्लास फैमिली से बिलॉंग करता हूँ, इसलिए सोनी को जीन्स टॉप या स्कर्ट पहनने की छूट नहीं थी. इसलिए वो हमेशा सिंपल ड्रेस में रहती थी.

दोस्तो, मुझे लगता है कि मेरी स्टोरी थोड़ी लंबी हो रही है, पर जब तक मैं आपको कहानी के पात्र से पूरी तरह परिचय नहीं कराऊंगा, तब तक मज़ा नहीं आएगा. इसलिए आप सभी थोड़ा सब्र रख कर इस स्टोरी को पढ़ते जाइए बहुत मज़ा आएगा.

हां तो दोस्तो.. सोनी को घर से वेस्टर्न कपड़े पहनने की छूट नहीं थी. यहां तक कि वो हमारे सामने भी कभी आती तो दुपट्टा लेकर ही आती. मेरी मम्मी बहुत सख्त हैं इसलिए उसे ये सब करना ही पड़ता था.

अब जानते हैं कि कैसे मेरे ओर सोनी के बीच ये प्यार का बंधन बढ़ा. मैं बहुत शांत स्वभाव का लड़का हूँ, इसलिए सोसाइटी में मेरे दोस्त ज़्यादा नहीं हैं. मैं हमेशा कॉलेज से आकर ज़्यादा से ज़्यादा टाइम घर में ही रहता हूँ, जब कोई काम पड़े, तभी बाहर जाता हूँ वरना घर पर ही रह कर पढ़ाई करना या टीवी देखना ही मुझे पसंद है.

जैसा कि मैंने बताया उस टाइम सोनी अपने बीएससी लास्ट ईयर में थी, वो भी अपनी पढ़ाई पे खूब ध्यान देती थी. उसे और आगे तक पढ़ना था, पर घर पे उसकी शादी की बातें शुरू हो गई थीं. शुरू से ही सोनी मुझे बहुत अच्छी लगती थी, लेकिन धीरे धीरे ना जाने कब मेरे अन्दर उसके लिए सेक्स की सारी फीलिंग्स आ गईं, मुझे खुद मालूम नहीं पड़ा. मैं हमेशा उसके जिस्म को याद करके गरम हो जाता था और ना चाहते हुए भी उसको चोदने का विचार मुझे हमेशा से आता रहता था. ना जाने कितनी बार मैंने उसके नाम की मुठ भी मारी थी. मैंने बहुत कोशिश की कि उसके लिए ऐसा न सोचूँ, पर वो थी कि मेरे दिमाग़ से उतरती ही नहीं थी.

उसको लेकर मैं चाह कर भी कुछ नहीं कर सकता था क्योंकि मैंने जैसा पहले ही आपको बताया कि मेरी मम्मी बहुत सख्त थीं और मम्मी और भाई हमेशा हम दोनों के आजू बाजू होते थे. सो कुछ करना तो दूर, मैं उसके साथ कुछ करने के बारे में सोच भी नहीं सकता था.

मम्मी के नियम कड़क होने की वजह से सोनी घर में भी हम भाइयों से ज़्यादा बातें नहीं करती थी, बस कोई काम हो तो ठीक. वरना पूरे दिन अपने काम में लगी रहती थी.

अब ऐसे में मेरे लिए कुछ भी सोच पाना बहुत मुश्किल हो चुका था. मैं ऐसा क्या करूँ मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था.

अब तक उसके जिस्म के लिए मैं इतना पागल हो चुका था कि मेरा एक एक दिन बड़ी मुश्किल से कट रहा था. कॉलेज में जब किसी कपल को साथ घूमते देखता था, तब तो मेरे जिस्म में एक आग जैसी लग जाती थी.
रात को भी सोनी ओर मम्मी एक रूम में सोते थे. मैं और मेरा भाई एक कमरे में और पापा हॉल में सोते थे. इसलिए रात में भी कुछ करने की सोच पाना मुश्किल था.

खैर दिन इसी तरह से बीते जा रहे थे और मैं था, जो कुछ नहीं कर पा रहा था. पर शायद किसी ने सच ही कहा है ऊपर वाला जब देता है तो छप्पर फाड़ के देता है.

एक दिन मैं यूं ही बैठ कर टीवी देख रहा था, मेरा छोटा भाई दूसरे रूम में बैठ कर वीडियो गेम खेल रहा था. इस वक्त मेरी मम्मी और सोनी किचन में काम कर रही थीं. टाइम रात के यही कोई 8 बजे होंगे.

टीवी देखते-देखते मुझे प्यास लगी और मैंने सोनी को आवाज़ लगा कर पानी माँगा. सोनी काम कर रही थी तो उसने कहा कि हां बस ला रही हूँ थोड़ी देर में.

पर मैं न जाने क्यों उतने में गुस्सा हो गया और ज़ोर से चिल्ला कर बोला कि जल्दी से पानी दे.

इसलिए वो जल्दी जल्दी पानी लेकर आई. मैं उसे देख कर शॉक रह गया क्योंकि उस टाइम उसके ऊपर उसका दुपट्टा नहीं था. वो मुझे पानी देकर तुरंत किचन में भाग गई. पर मम्मी ने ये देख लिया था कि दुपट्टा के बिना मेरे सामने चली गई थी, इसलिए मम्मी उस पर आग-बबूला होने लगीं और गुस्से में उसे बहुत कुछ सुना दिया.

ये सब देख कर मुझे भी अफ़सोस हुआ. पर मैं कर भी क्या सकता था. मुझे ज़्यादा खराब तो तब लगा, जब मैंने सोनी की आँखों में आँसू देखे.

खैर.. उस दिन रात को खाने के बाद मैंने सोनी को सॉरी कहा, पर सोनी ने कोई जवाब नहीं दिया और नजरें झुका कर वो अपने रूम में सोने चली गई.

उस दिन पूरी रात मुझे नींद नहीं आई और सोनी का वो मासूम चेहरा मेरी नज़रों के सामने घूमता रहा.

अगली सुबह जब हम तीनों भाई बहन कॉलेज जाने के लिए उठे, तो सोनी मुझे ब्रश करती हुई बाल्कनी में दिखी. मैंने सोचा कल इसे मेरी वजह से डांट पड़ी है तो क्यों ना आज इसे बाहर कुछ अच्छा सा खिला कर खुश कर दिया जाए. यही सोच कर मैं उसके करीब गया और धीरे से उससे बोला- सोनी, मैं जानता हूँ कि तुमने कल के लिए मुझे अभी तक माफ़ नहीं किया है, इसलिए आज दोपहर को 2 बजे मैं तुम्हें तुम्हारे कॉलेज के बाहर मिलूँगा, फिर हम लंच करने किसी अच्छे से होटल में जाएँगे.

सोनी ने ये सुन कर कुछ जबाव नहीं दिया और वहां से चली गई.
मैं सोच में था कि मेरी बहन 2 बजे आएगी भी या नहीं?

खैर.. मैं तैयार होकर जब घर से निकल कर जूते पहन रहा था तभी सोनी मेरे पास आई और उसने मुझसे धीरे से कहा- नवीन, अगर मम्मी को पता लग गया कि हम कॉलेज बंक करके बाहर घूमने गए थे, तो हमारी खैर नहीं.
मैंने कहा- तुम टेंशन मत लो, हम कौन सा रोज रोज क्लास बंक कर रहे हैं. बस एक दिन की ही तो बात है, कुछ पता नहीं चलेगा. मैं 2 बजे तुम्हारे कॉलेज के गेट पर आऊँगा, तुम तैयार रहना!
इतना कह कर मैंने उसे बाय कहा और वहां से निकल पड़ा.

दोस्तो, यही वो पल था, जहां से पहली बार मेरे और मेरी बहन सोनी के रिश्ते ने कुछ अलग रास्ते को पकड़ लिया था.

मैं कॉलेज में जाकर बेसब्री से 2 बजने का इंतज़ार कर रहा था. जैसे ही 2 बजे में फटाफट बाइक ले कर भागा और सोनी के कॉलेज के गेट के आगे जाकर खड़ा हो गया. थोड़ी देर इंतज़ार करने के बाद मुझे लगा कि शायद सोनी नहीं आने वाली है.
मैं निराश मन से बाइक स्टार्ट करके जाने की सोच ही रहा था कि उतने में सोनी अपनी एक फ्रेंड के साथ आई. उसकी फ्रेंड भी दिखने में एकदम मस्त थी, पर पता नहीं क्यों उस दिन मुझे अपनी बहन के अलावा दूसरी कोई लड़की अच्छी ही नहीं लग रही थी.
पता नहीं सोनी सच मैं ज़्यादा अच्छी लग रही थी या फिर मेरे सर पे उसका भूत चढ़ा हुआ था.

मेरी बहन ने अपनी फ्रेंड से मेरा परिचय करवाया और फिर मैं और सोनी बाइक पर बैठ कर होटल की तरफ निकल गए. आज सोनी ने रेड कलर की ड्रेस पहनी हुई थी और सच पूछो तो मेरा दिल इतने ज़ोर से धड़क रहा था कि मैं बयान नहीं कर सकता. उसके परफ्यूम की खुशबू मुझे पागल बना रही थी.

जैसे तैसे मैंने अपने आपको कंट्रोल किया और हम होटल पहुँच गए. वहां जा कर हमने खाना ऑर्डर किया और खाते खाते बातें करने लगे.

उस दिन मेरी बहन थोड़ा खुल कर बातें कर रही थी. ऐसा लग रहा था जैसे कोई परिंदा पिंजरे से आज़ाद हो गया हो. मुझे ये देख कर बहुत ही अच्छा लग रहा था.
मैंने कहा- सोनी, तुम इस तरह से खुल के बातें करती हो, तो कितनी प्यारी लगती हो. फिर घर पर इस तरह से डरी डरी और चुपचाप क्यों रहती हो?
दो मिनट नीचे देखने के बाद उसने कहा- नवीन मैं भी खुल कर रहना चाहती हूँ, पर मम्मी के नियम और सोसाइटी में लोगों की सोच की वजह से मुझे दब कर रहना पड़ता है.

फिर दूसरे ही पल उसने टॉपिक चेंज कर दिया और हम यहां वहां की बातें करने लगे. लंच खत्म होने के बाद मैंने उसे उसके कॉलेज ड्रॉप किया और खुद अपने कॉलेज जाने के लिए निकला, तभी उसने मुझे पीछे से आवाज़ लगाई.
मैं रुका, तो वो मेरे पास आई और मुझे थैंक्स बोल कर कहा कि नवीन प्लीज़ ये बात घर पर किसी को मत बताना वरना तुम तो जानते हो ना.. मम्मी का नेचर..!

मैंने उसका हाथ अपने हाथ में पकड़ के बोला- तुम टेंशन मत लो, मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगा प्रॉमिस.
अब वो थोड़ा खुश हुई और बाय बोल कर चली गई. मुझे भी उस दिन बहुत अच्छा लगा.

शाम को जब हम घर पर डिनर कर रहे थे, तब मेरी बहन मेरे सामने वाली चेयर पर बैठी थी. यूं ही खाना खाते खाते हमारी नजरें एक दूसरे से टकरा गईं और हमने एक दूसरे को स्माइल पास कर दी.
अब मुझे लगने लगा था कि शायद मैं जो अपनी बहन से चाहता हूँ, वो मुझे जल्दी ही मिलने वाला है. सुबह जो हम होटल में गए थे एक साथ खाने, वो सोच सोच कर तो मैं और भी ज़्यादा खुश हो रहा था.

अब हम इसी तरह से हर 3-4 दिन पर बाहर मिलने लगे और टाइम स्पेंड करने लगे. घर पर ये बात किसी को पता नहीं थी कि हम इस तरह से बाहर मिलते हैं.

शुरू शुरू में तो सोनी जरा डरती थी कि इस तरह कॉलेज में लेक्चर बंक करके मेरे साथ घूमने में खतरा है, पर धीरे-धीरे उसका भी डर निकल गया और हम भाई बहन इसी तरह से मिलने लगे.

सोनी दिन पे दिन मुझे खूबसूरत लगने लगी थी. मैं तो जैसे भूल ही गया था कि वो मेरी गर्लफ्रेंड नहीं, मेरी बहन है. इस तरह से सोनी भी पहली बार किसी लड़के के साथ इतना घूमने फिरने लगी थी.

अब तो हमारे बीच मज़ाक मस्ती भी खूब होती थी. कभी वो मुझे मस्ती में मार देती तो कभी मैं मस्ती में उसके जिस्म में हाथ फिरा लेता था. अब मेरे लिए वक़्त आ गया था कि मैं कुछ आगे बढूँ.. पर मैं किसी भी प्रकार का रिस्क नहीं लेना चाहता था. मेरा मन था कि भले ये दो महीने लेट पटे, पर जब पटे तब मुझे खुश कर दे.

एक दिन यूं ही हमारी सन्डे की छुट्टी थी तो पापा ने कहा- जाओ बेटा, तुम तीनों घूम आओ, उधर मेला लगा है थोड़ा एंजाय भी कर लोगे.
मैं तो बहुत खुश हुआ, पर मम्मी ने कहा कि रात के 10 बजे से पहले घर पे आ जाना वरना खैर नहीं और हां, सोनी का ध्यान रखना.
मैं तो खुश हो गया और हम तीनों भाई बहन रेडी हो गए.

मेरी बहन ने उस दिन ग्रीन कलर का ड्रेस पहना था. उसकी ड्रेस उसकी बॉडी से थोड़ी सी फिट थी और उस फिटिंग ड्रेस में वो क़यामत लग रही थी. उसकी चुचियां और गांड का शेप देख कर तो मन कर रहा था कि बस उस पर अपना हाथ फिराता ही रहूँ.

खैर जाने के लिए मैंने बाइक निकाली और बाइक पर मेरे पीछे मेरा भाई आकर बैठ गया. मेरा तो खून एक जगह रुक गया. क्योंकि मैं सोनी को एक्सपेक्ट कर रहा था. पर मैं कुछ बोल भी नहीं सकता था वरना उसे शक़ हो जाता.
तभी खुद सोनी ने भाई से कहा- मुझे बीच में बैठने दे क्योंकि मैं लड़की हूँ, पीछे बैठने में मुझे डर लगता है कि कहीं गिर ना जाऊं.

मेरा भाई पीछे सरक गया. अब बाइक पर सबसे आगे में था, मेरे पीछे सोनी और उसके पीछे मेरा छोटा भाई.

एक बाइक पर तीन लोग होने की वजह से सोनी मुझसे एकदम चिपक कर बैठी थी जिससे कि मेरा लंड तो तुरंत खड़ा हो गया. उसकी गरम साँसें मेरे गले पे मुझे महसूस हो रही थीं जो मुझे पागल बना रही थीं. उसकी सेव के जैसी टाइट चुचियां मेरी पीठ पर दब रही थीं. मैं तो बस जैसे कि स्वर्ग में पहुँच गया था.

इसी तरह हम मेले में पहुँचे, वहां काफ़ी भीड़ थी और तरह तरह के झूले लगे हुए थे. सोनी तो जैसे ख़ुशी से पागल हो उठी थी. हम अन्दर गए और यहां वहां घूमने लगे. भीड़ ज़्यादा होने की वजह से सोनी ने मेरा हाथ पकड़ रखा था.

इसी तरह घूमते घूमते हम एक झूले की तरफ गए. मैंने सोनी से पूछा- सोनी, चलो झूले पे चलते हैं.
वो कुछ बोले, उससे पहले मेरे भाई ने कहा- हां हां चलो, मुझे तो झूला झूलना है.
मैंने तीन टिकट लीं और हम झूले की तरफ बढे.

अब जैसा कि मैंने आपको बताया कि वहां भीड़ ज़्यादा थी, इसलिए झूले पर बैठने के लिए हमें लाइन में खड़े होना पड़ा. लाइन में सबसे आगे मेरा छोटा भाई खड़ा था, उसके पीछे सोनी और सोनी के पीछे में था. भीड़ ज़्यादा होने की वजह से हम चिपक चिपक कर खड़े थे, मुझे तो सोनी के जिस्म की गर्मी मदहोश कर रही थी. मेरा एक हाथ हल्का सा उसकी गांड पे टच हो रहा था. इसे सोनी ने कुछ माइंड नहीं किया… पर मुझसे कंट्रोल करना अब मुश्किल हो गया था. मैंने ज़ोर से अपने हाथ से अपनी बहन की गांड को पकड़ के मसल दिया.

उसने झट से मेरी और देखा और बोली- ये क्या कर रहे हो तुम?

मैं कुछ बोलता, उससे पहले ही हमारा नंबर आ गया और हम दोनों एक साथ एक झूले पे बैठ गए. मेरा छोटा भाई किसी और के साथ बैठ गया था. जब झूला चालू हुआ तो सोनी ने मुझसे कहा- नवीन, तुझे शर्म नहीं आई अपनी बड़ी बहन के साथ ऐसा करते हुए? मैं तो तुझे अपने भाई के साथ साथ अपना एक बहुत अच्छा दोस्त समझने लगी थी, पर तूने तो सब पे पानी फेर दिया.

मैं अपनी इस हरकत पर शर्मिंदा था और बुत बन कर उसकी बातें सुन रहा था.
उसने आगे जारी रखते हुए कहा- अगर ये बात घर में पता चल जाए ना, तो मम्मी पापा तुझे मार मार के घर से निकाल देंगे. हालांकि मैं ऐसा कुछ नहीं करूँगी, पर तेरी सज़ा ये है कि आज के बाद मुझसे कभी बात करने की कोशिश भी मत करना आई हेट यू.. भाई के नाम पर धब्बा है तू.

मैं भी थोड़ा भावुक हो गया था और मैंने उससे सॉरी कहा, पर उसने मेरी कोई बात नहीं सुनी.

तब तक झूला रुक गया और हम उतर कर बाहर आ गए. पीछे से मेरा छोटा भाई भी आया और बोला- चलो भैया, उस दूसरे वाले झूले पर चलते हैं.
इतने में सोनी ने गुस्से से मेरी तरफ देखा और बोली- मुझे कहीं नहीं जाना, मुझे चक्कर आ रहे हैं, घर चलो.
मेरे छोटे भाई ने उसकी आँखों में आँसू देख कर कहा- दीदी, आप रो क्यों रही हो?
वो कुछ बोलती उससे पहले मैंने बोल दिया कि दीदी को चक्कर आ रहा है इसकी वजह से.

हम वहां से घर आ गए. हर आकर भी सोनी मुझसे बात नहीं कर रही थी. मैंने भी ज़्यादा फोर्स करना सही नहीं समझा क्योंकि मुझे डर था कि कहीं घर पे ये बात किसी को मालूम ना पड़ जाए.

उसके बाद मेरी बहन सोनी ने मुझसे जैसे नाता ही तोड़ दिया हो, बातें करना तो दूर उसने मेरी तरफ देखना भी बंद कर दिया था. इसलिए मैं बहुत अकेला पड़ गया था.

एक दिन रात में दस बजे मैं कमरे में बैठा था, मेरा छोटा भाई सो गया था. मुझे सोनी की याद आ रही थी और मैं रो रहा था. तभी अचानक किसी ने रूम का दरवाजा खटखटाया. मैंने अपने आपको थोड़ा ठीक किया और दरवाजा खोला तो सामने सोनी हाथ में पानी की बोतल ले कर खड़ी थी. उसने रूम में आकर पानी की बॉटल रखी और जाने लगी कि तभी उसकी नज़र मेरे पे पड़ी. उसे शायद मालूम पड़ गया था कि मैं रो रहा हूँ.

उसने जाते जाते मुझे इनडायरेक्ट्ली बस इतना कहा कि कुछ ग़लतियों की कोई माफी नहीं होती.
वो इतना कह कर वहां से चली गई.

अगले दिन मैंने ठान लिया था कि आज चाहे जो भी हो, मैं उससे माफी लेकर ही रहूँगा.

सुबह कॉलेज की ओर निकलते टाइम मैंने उससे कहा कि सोनी मैं आज 2 बजे तुझे कॉलेज से लेने आऊंगा, अगर तू नहीं आई तो सबके सामने से आकर तुझे ले जाऊंगा.. फिर मुझे मत बोलना.

इतना कह कर मैं चला गया. जब 2 बजे मैं उसके कॉलेज के गेट के पास पहुँचा, तो वो वहां पर पहले से ही खड़ी थी.
मेरे जाते ही उसने अपना मुँह घुमा लिया.
मैंने कहा- चल बैठ बाइक पे.
तो उसने कहा- नहीं, जो बोलना है इधर ही बोल.
मैंने कहा- चुपचाप बैठ जा, वरना यहीं बवाल करने लगूंगा, आज मेरा दिमाग़ बहुत खराब हो गया है.

उसने दो मिनट कुछ सोचा और बाइक पे बैठ गई. मैं उसे बैठा कर सीधा एक गार्डन में ले गया.
गार्डन में पहुँच कर उसने गुस्से से मुझे एक जोरदार तमाचा मारा और बोली- तू समझता क्या है अपने आपको? पहले खुद ग़लती करता है फिर मुझे धमकी देता है?
मैं- ऐसा नहीं है, पर तू कम से कम एक बार मेरी बात तो सुन ले, फिर चाहे जो करना होगा कर लेना!
सोनी- नहीं सुननी मुझे तेरी कोई बात.. और अगर अब आइन्दा मेरे पीछे आया तो ये बात घर पे भी बता दूँगी.

मैं- पहले मेरी बात सुन ले फिर जिसे बताना है बता देना.
सोनी- मुझे कुछ नहीं सुनना.. हट मेरा रास्ता छोड़.
मैं- मतलब तू मुझे माफ़ नहीं करने वाली है? ठीक है तो अगर तू आज यहां से मुझे माफ़ किए बिना चली गई तो मैं तेरी कसम खा के बोलता हूँ कि आज मैं अपनी जान दे दूँगा.
सोनी रोते हुए बोली- ठीक है बोल?

मैं- सोनी, देख अगर तुझे मैं ग़लत लगता हूँ तो ऐसा ही सही, पर मेरी एक बात सुन ले, मैं तुझसे बहुत प्यार करने लगा हूँ और तेरे बिना मुझे कहीं अच्छा नहीं लगता. मैं जानता हूँ कि तू मेरी बहन है, पर ना चाहते हुए भी मैं तुझे नहीं भूल सकता. तू चाहे तो मेरी जान ले ले, पर मैं तेरे बिना नहीं रह सकता.. आई लव यू!
सोनी- नवीन तू पागल हो गया है क्या..! तुझे पता भी है कि तू क्या बोल रहा है? ऐसा नहीं हो सकता ऐसा सोचना भी पाप है. मुझे तो तुझे अपना भाई कहने में शरम आती है.
मैं- तो ठीक है, आज के बाद मैं भी तुझे अपनी शक्ल नहीं दिखाऊंगा. आज मैं पक्का अपने आपको कुछ कर लूँगा.

इतना बोल मैंने गुस्से में बाइक चालू की और फुल स्पीड में जाने लगा. सोनी घबरा गई और उसने मुझे पीछे से आवाज़ भी दी, पर मैं नहीं रुका और फुल स्पीड से जाने लगा कि तभी रास्ते में एक कुत्ता आ गया और उसे बचाने के चक्कर में मैं बाइक लेकर जोरदार तरीके से फिसल गया.

जब आँख खुली तो अपने आपको घर में बेड पे पाया. सामने मम्मी खड़ी थीं, वे ज़ोर ज़ोर से रो रही थीं.


बिस्तर पर मेरी आँख खुली तो मम्मी मुझसे पूछने लगीं कि बेटा ये सब कैसे हुआ?

पापा डॉक्टर साहब से बात कर रहे थे. मैंने मम्मी की तरफ देख कर बोला- मम्मी मैं ठीक हूँ.. अभी बात करने का मन नहीं हो रहा, बाद में सब बताऊंगा.
मेरी मम्मी ने भी कहा- ठीक है बेटा तू आराम कर.. मैं जाती हूँ.
जाते जाते उन्होंने कहा- सोनी बेटा, नवीन का ख्याल रखना.

मेरी नज़र अचानक सोनी पर पड़ी, जो मेरे पीछे दीवार से चिपक कर खड़ी थी और बहुत रो रही थी.
मेरी माँ के जाने के बाद वो तुरंत मेरे पास आई और उसने मेरे हाथ को चूमते हुए कहा- नवीन तुमने ऐसा क्यों किया? ऐसा भी कोई करता है क्या भला?
मैं- अरे मुझे कुछ नहीं हुआ है.. बस थोड़ी सी चोट ही तो लगी है.. दो चार दिन में ठीक हो जाएगी.
सोनी- नवीन सॉरी मैंने उस टाइम तुम्हारी बात नहीं सुनी. लेकिन तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था. मुझे तो एक पल के लिए लगा जैसे मैंने तुम्हें खो दिया हो.. यू आर माय बेस्ट फ्रेंड.
मैं- ठीक है सोनी तुम रोना मत.. मुझे नींद आ रही है, मैं सो रहा हूँ.. तुम भी सो जाओ.
सोनी- ठीक है पर किसी भी चीज़ की ज़रूरत हो तो बुला लेना.
मैं- हां ठीक है बाय गुड नाइट.

मैं सो गया.

जब अगली सुबह मेरी नींद खुली तो सोनी सामने चाय लेकर खड़ी थी. उसे देख कर मैं खुश हो गया और गुड मॉर्निंग बोला. उसने मुझे चाय दी और मेरे बाजू में आकर बैठ गई.

मैंने पूछा- आज तुम्हारा कॉलेज नहीं है क्या?
तो उसने कहा कि उसने कॉलेज से 4 दिन की छुट्टी ले ली है और वो इन 4 दिनों में मेरी देखभाल करेगी.

मैं तो बहुत खुश हो गया. अब तो वो हमेशा मेरा ख्याल रखने लगी. मैं कोई भी काम बोलूँ तो फटाक से कर देती.
अब मुझे बहुत मज़ा आने लगा था.

इसी तरह एक दिन वो मेरे बाजू में बैठ कर मुझसे बातें कर रही थी और मम्मी किचन में खाना बना रही थीं. उस दिन उसने क्रीम कलर का ड्रेस पहना हुआ था और जस्ट अभी अभी नहा कर आई थी. उसके बाल खुले थे, मैं तो उसकी खुशबू से एकदम पागल सा हो रहा था.
मैं खुद को एक अलग ही दुनिया में महसूस कर रहा था. मैंने धीरे से अपना एक हाथ उसकी गांड पे रखा और धीरे धीरे फिराने लगा.
उसने मेरे हाथ पकड़ लिया और ज़ोर से साइड में करके चली गई.

मैंने भी सोच लिया था कि अब तो जो हो सो हो, पर अब इसे इस तरह से नहीं जाने दूँगा. शाम को जब वो मेरे लिए नाश्ता लेकर आई तो मुझे नाश्ता देकर मेरे सामने बैठ गई.
मैंने उससे कहा- वहां क्यों बैठी हो, मेरे पास आ कर बैठो.
उसने कहा- नहीं मैं नहीं आऊंगी.
मैंने कहा- ठीक है, फिर ले जाओ ये नाश्ता.. मुझे कुछ नहीं खाना. अगर ऐसा ही था तो फिर मर जाने देना था ना मुझे.. फिर क्या करने ले आए इधर घर पर. वैसे भी हर किसी को बस मुझसे ही तो प्राब्लम है.

इतना कहने के बाद मैंने नाश्ता साइड में रख दिया और बुक उठा कर पढ़ने लगा.
वो 4-5 मिनट बाद उठी नाश्ते की प्लेट लेकर आई और मेरे बाजू में बैठ कर बोली- अच्छा लो मैं आ गई तुम्हारे बाजू में.. अब तो नाश्ता कर लो.
मैंने कहा- तुम खिलाओ.
उसने मुझे नाश्ता खिलाना शुरू कर दिया. मैंने उससे कहा- यू आर वेरी ब्यूटीफुल.

उसने कोई जवाब नहीं दिया. मैंने फिर कुछ बोला नहीं और धीरे से अपना हाथ उसकी गांड पर रख कर फिराने लगा. उसने एक बार फिर मेरा हाथ पकड़ लिया.

मैंने कहा- अगर इस बार मुझे रोका ना तो पक्का आज अपनी जान दे दूँगा.. फिर अफ़सोस मत करना.

इतना सुनते ही उसने मेरा हाथ छोड़ दिया. मैं फिर से उसकी गांड पे हाथ फिराने लगा और वो मुझे नाश्ता खिलाए जा रही थी. तभी मेरी नज़र उसकी तरफ पड़ी तो मैंने देखा कि उसकी आँखों में आँसू थे.
मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो उसने कहा- कुछ नहीं.
मैंने कहा- बता ना!
उसने कहा- नवीन, मैं तुम्हारी फीलिंग्स को समझती हूँ लेकिन घर में ये सब करना ठीक नहीं है और ऊपर से हम भाई बहन हैं. प्लीज़ समझने की कोशिश करो.
मैंने कहा- देख सोनी, हमारा रिश्ता सिर्फ़ हमारे बीच में होगा, घर वालों के सामने हम भाई बहन ही रहेंगे.

उसने एक बार मेरी तरफ देखा और चुपचाप उठ कर बाहर चली गई.

इसी तरह से दो तीन निकल गए और मैं 90% ठीक हो गया था. अब मुझे सोनी के साथ कुछ बड़ा करना था और तलाश थी तो बस एक मौके की.

एक दिन रात के लगभग दो बजे मैं पानी पीने किचन में गया. तभी सोनी भी पानी पीने आई. मैं उसे देख कर पागल हो गया और उसे मैंने अपने पास बुलाया. फिर उसे अपने सीने से चिपका के बेतहाशा किस करने लगा. उसके गुलाबी होंठ चूसने लगा. पर वो मेरा साथ नहीं दे रही थी. और वो मुझसे खुद को छुड़ा कर भाग गई.

अगले दिन सुबह नाश्ता के वक़्त मैंने उसकी तरफ देख कर एक स्माइल दी, तो वो थोड़ा शरमा गई. अब मुझे यकीन हो गया था कि लड़की पट चुकी है, बस मौका मिला तो काम बन ही जाएगा.

शाम को कॉलेज से आते टाइम मैंने मैनफ़ोर्से कंडोम का एक 20 पीस वाला पैकेट ले कर रख लिया, क्योंकि मुझे पता था कि अब कभी भी कुछ भी हो सकता है.

घर आकर मैं तो मौके की ही तलाश में था, पर वो किचन से बाहर आ ही नहीं रही थी. मम्मी के साथ काम में लगी हुई थी. बीच में मम्मी एक बार वॉशरूम गईं तो मैं मौका देख कर किचन में घुस गया और पीछे से उसे ज़ोर से हग कर लिया, वो डर गई और मुझसे छुड़ा कर दूर हो गई.

वो बोली- ये क्या कर रहे हो कोई देख लेगा.
मैंने कहा- सुन आज मुझे किसी भी हालत में तेरे साथ रोमांस करना है.
उसने कहा- ये पासिबल नहीं है.
मैंने कहा- मैं आज रात को 2 बजे किचन में आऊँगा, तू मुझे वहां मिलना.

इतना बोल कर मैं अपने कमरे में चला गया, फिर हमारी कोई बात नहीं हुई. मैं रात के 2 बजने का इन्तजार करने लगा. दो बजने में जब 5 मिनट बाकी थे, तभी मैं किचन में घुस गया. थोड़ी देर में वो आई तो मैंने आते ही उसे पकड़ लिया और बहुत ज़ोर से हग कर लिया.

मैं उसे बेतहाशा किस किए जा रहा था और आज वो भी मेरा साथ दे रही थी. हम एक दूसरे में इतने पागल हो गए थे कि मेरे हाथ से बाजू में रखा एक बर्तन गिर गया, जिससे पापा की नींद खुल गई.

उन्होंने जोर से आवाज लगा कर कहा- कौन है वहां?
मेरी बहन ने जवाब दिया- मैं हूँ पापा, पानी पीने आई थी.

पापा ने कुछ नहीं बोला और वापस सो गए. अब सोनी मुझे धीरे धीरे डाँटने लगी- पागल कहीं के.. इसी लिए कह रही थी घर में सेफ नहीं है.. मरवा दिया ना आज?
मैंने कहा- यार कुछ तो नहीं हुआ. ठीक है.. कल हम गेस्ट हाउस चलेंगे बस.
उसने कहा- नहीं मुझे गेस्ट हाउस नहीं जाना, वहां बहुत रिस्क रहता है. ऊपर से किसी को पता चल गया तो बहुत बदनामी होगी.

इतना कह कर वो अपने रूम में चली गई. मेरी हालत तो उस लोमड़ी की तरह हो गई थी, जिसके सामने अंगूर लटके हुए थे, पर खा नहीं सकता था.
यूं ही कुछ दिन निकल गए.

एक दिन गाँव से मेरे मामा मामी और उनके 2 बच्चे आ गए. उनके बच्चे ज़्यादा बड़े नहीं थे. एक लड़का 8 साल का था, दूसरा 10 साल का. अब तो जो मैं थोड़ा बहुत रोमांस कर पाता था, उसके भी लौड़े लग गए. पर ऊपर वाले को तो कुछ और ही मंजूर था.

उस दिन पूरा दिन मेरे हाथ कुछ नहीं लगा, लेकिन रात में सोने की प्राब्लम सामने खड़ी हो गई. बहुत माथा पच्ची करने के बाद ये हल निकाला कि एक रूम में मम्मी, सोनी मैं और मेरा छोटा भाई सो जाएँगे और दूसरे रूम में मामा मामी और उनके दोनों बच्चे सो जाएंगे. पापा अपनी जगह मतलब हॉल में ही सो गए. रात को हम सब सोने लगे तो सबसे पहले मम्मी सोईं फिर सोनी, उसके बाजू में मेरा छोटा भाई और सबसे आख़िर में मैं सोया. उस दिन मम्मी की तबियत कुछ खराब सी थी तो उन्होंने नींद की गोली खा ली थी और वे बेसुध सो रही थीं.

रात के लगभग 3 बज गए पर मुझे नींद नहीं आ रही थी. मेरे ऊपर सोनी की जवानी को चूसने का भूत सवार हो रहा था. मैंने धीरे से हाथ आगे ले जा कर सोनी को उठाया तो उसने आधी नींद में ही इशारे से पूछा- क्या हुआ?

मैंने भी इशारे में कहा- इधर आ जा बाजू में.
उसने मम्मी की तरफ हाथ दिखा कर इशारा किया कि रिस्क है.
मैंने कहा- प्लीज़ सिर्फ़ 10 मिनट के लिए आ जा.
पर वो नहीं मान रही थी तो मैंने उससे कहा- ठीक है तो मैं बीच में आ जाता हूँ.

दोस्तो, ये बातें इशारों में ही हो रही थीं.

मेरे ऐसा बोलने से उसने दो मिनट सोचा और धीरे से उठ के खड़ी हो गई. फिर चुपचाप मेरे पास आकर खड़ी रही. अगले एक मिनट में मैं थोड़ा पीछे हट गया जिससे मेरे और मेरे छोटे भाई के बीच में काफ़ी जगह बन गई. वो उधर धीरे से लेट गई. उसने एकदम पतले कपड़े का सलवार सूट पहन रखा था.

वो लेटी, तो उसका मुँह मम्मी की तरफ था क्योंकि उसे डर लग रहा था. मतलब ये कि उसकी मखमली रसीली गांड मेरी तरफ थी. मैं भी वक़्त की अहमियत को समझते हुए उससे जाकर चिपक गया और पीछे से उसकी पीठ पे किस करने लगा. मैंने लंड सलवार के ऊपर से ही अपनी बहन की उभरी हुई गांड के दरार के बीच दबा रखा था. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. गरम तो वो भी हो गई थी, पर उसे अभी भी थोड़ा डर लग रहा था.

मैंने धीरे से अपने हाथ उसकी पतली कमर पे रखा और धीरे धीरे फिराने लगा. वो एकदम अपनी आवाज़ को दबा कर रखना चाहती थी, पर फिर भी उसके मुँह से धीरे धीरे ‘आआअहह.. आआहह… इसस्सस्स इसस्सस्स…’ की आवाज़ निकल रही थी.

फिर पीछे से ही मैं अपना हाथ उसके मम्मों पे ले गया. उसके चूचे एकदम कड़क थे. मैं उन्हें आराम आराम से दबाने लगा.
अब उस पल का नशा सोनी के ऊपर चढ़ने लगा. वो एकदम मदहोश हो गई थी और धीरे से मुझे बोल रही थी- बड़े बेशरम हो तुम नवीन.
उसकी ये बातें मुझे और भी ज़्यादा बेशरम बना रही थीं.

अब मैंने धीरे से उठकर रूम के नाइट लैंप को बंद कर दिया और वापस अपनी जगह पर आ गया.
सोनी ने धीरे से कहा- ऐसा क्यों किया??
तो मैंने कहा- ताकि रूम में कुछ दिखे नहीं.

इसके बाद मैंने सोनी को सीधा लेटाया और उसके ऊपर चढ़ कर उसके गुलाबी और सॉफ्ट होंठों को चूसने लगा. वो मेरा भरपूर साथ दे रही थी.

लगभग 5-10 मिनट उसके होंठों को चूसने के बाद मैं उसके गले पे किस करने लगा. वो धीरे धीरे बेकाबू होती जा रही थी.

बस ‘आआअहह.. आआहह.. ऊऊहह.. नवीईईनन..’ ऐसी आवाज़ निकालने लगी थी. इधर मैं उसके मम्मों को कपड़ों के ऊपर से ही किस किए जा रहा था. हमारा सफ़र धीरे धीरे अपने मुकाम की तरफ पहुँच रहा था कि तभी मुझे सोनी ने रोक दिया और बोली- बस नवीन, अब इससे ज़्यादा नहीं हो सकता.

मैंने कहा- आज मैं पागल हो गया हूँ.. आज तुझे अपना बना कर रहूँगा.
सोनी ने कहा- नवीन इधर मम्मी और भाई दोनों हैं, हम आज सब कुछ नहीं कर सकते.
मैंने कहा- मैं कुछ नहीं जानता सोनी. मैं इस दिन का कब से इंतज़ार रहा हूँ, मुझे तो आज करना ही है.. किसी भी हालत में.

सोनी की भी हालत खराब थी, पर वो उसे छुपाने की कोशिश कर रही थी. फिर उसने थोड़ा सोच कर कहा- ठीक है.. घर के पीछे वाली सीढ़ियों पर चलो, वहां कोई नहीं आएगा.
मैंने कहा- ठीक है.
उसने कहा- तुम चलो पहले.. फिर मैं आती हूँ.

मैं तुरंत ही चुपके से वहां पहुँच गया. तभी मेरी बहन भी धीरे धीरे आई. मैंने उसे देखते ही अपनी बांहों में जकड़ लिया और किस करने लगा.

उसने कहा- नवीन आज हम पहली बार ये सब कर रहे हैं. तुम पहले मर्द हो जो मेरे जिस्म के साथ खेल रहा है. इस लिए आराम से करो.

मैंने उसे पीछे से हग किया और नीचे बैठ कर उसकी गांड पे कपड़े के ऊपर से ही अपना मुँह रगड़ने लगा. फिर बैठे बैठे ही उसे सीधा घुमाया और धीरे धीरे किस करता करता ऊपर की तरफ बढ़ने लगा. उसकी कमर के पास आते ही उसकी नाभि को चूमने लगा. उसमें अपनी जीभ डाल कर फिराने लगा. वो मेरा मुँह पकड़ के ज़ोर से अपने नाभि से चिपका रही थी.

फिर मैंने धीरे से उसका टॉप उतार दिया. उसने काले कलर की ब्रा पहनी हुई थी. उसकी ब्रा में क़ैद चूचे मेरे ऊपर कहर ढा रहे थे.

मैं ब्रा के ऊपर से ही अपनी बहन के मम्मों को किस करने लगा. मेरी बरसों की कामना आज पूरी हो रही थी. उसके जिस्म से जैसे शहद टपक रहा था.. और मैं एक भालू की तरह उस रस का एक एक कतरा पी जाने को आतुर था.

हम दोनों जिस्म के इस खेल में काफ़ी डूब चुके थे. मानो ऐसा लग रहा था कि जैसे इसका कोई अंत ही नहीं है.

मेरी बहन की जवानी इतनी तीखी थी कि पानी में भी आग लगा दे. उसका जलता हुआ जिस्म मुझे धीरे धीरे एक दुनिया से दूसरी दुनिया में ले जा रहा था. उसके मम्मों पे किस करते करते मैंने एक हाथ से उसके सलवार का नाड़ा खोल दिया जिससे उसकी सलवार नीचे गिर गई. फिर मैंने एक हाथ से उसकी ब्रा भी खोल दी. अब उसके चूचे दो आज़ाद सेब की तरह मुझे अपनी तरफ बुला रहा थे. मैंने भी देर ना करते हुए उसे सीढ़ियों पे लेटा दिया और उसके एक चूचे को मुँह में लेकर एक छोटे बच्चे की तरह चूसने लगा.

सोनी जवानी की आग में इस कदर खो गई थी कि स्स्स्स्शह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… ऊऊ.. ऊऊओह.. की आवाजें निकाल रही थी. उसका संभालना मुश्किल हो गया था और वो मुझे बार बार कह रही थी कि नवीन जो करना है, प्लीज़ जल्दी करो वरना कोई आ जाएगा.

मैं यहां उसके मम्मों के साथ खेल रहा था. धीरे धीरे किस करता हुआ चाटता हुआ मैं नीचे की तरफ बढ़ता जा रहा था. फिर पेंटी के ऊपर से ही उसकी चुत पे किस करने लगा. वहां से एक अजीब सी सुगंध आ रही थी.. जो मुझे इस जवानी के खेल में और भी ज़्यादा ताकतवर बना रही थी. उसमें से निकल रही गर्मी तो मानो शरीर में एक करेंट पैदा कर रही थी. मैं तो भूल चुका था कि ये मेरी बहन है या कोई सेक्स की देवी है. अपनी ही बहन को आज नंगी करके उसका भोग लगाने का मुझे जो अवसर मिला था, मैं उसे गंवाना नहीं चाहता था.

मैंने धीरे से उसकी पेंटी उतार दी और अपनी बहन की चुत को मुँह में भरके बेतहाशा चूसने लगा.
वो एकदम सिहर सी गई.. और उसने अपने पैरों को सिकोड़ कर अपनी चुत पे मेरा सर ज़ोर से दबाने लगी.

मैं भी एक अनंत सुख के सागर में गोते लगा रहा था. फिर मैंने अपनी जीभ से उसकी चुत को चाटना शुरू किया. हल्के हल्के बालों वाली उसकी चुत मुझे पागल बना रही थी. ऐसा लग रहा था कि बस अब ये पल यहीं थम जाए और कभी खत्म ना हो.

इतना सुख का आभास मुझे आज तक कभी नहीं हुआ था. मेरी बहन.. मेरी जान आज मुझे वो सुख से रूबरू करा रही थी.

अब उसके लिए कंट्रोल करना काफ़ी मुश्किल हो गया था और वो काफ़ी तेज तेज साँसें लेने लगी थी. वो लगातार मुझसे कहे जा रही थी- जो करना है जल्दी करो प्लीज़.

मैंने भी वक़्त की नज़ाकत को समझते हुए अपने सारे कपड़े उतार फेंके. मेरा 7 इंच का लंड एक मोटे बम्बू की तरह बस अपनी जगह तलाशने के लिए बेताब था. मेरी बहन ने एक नज़र मेरे लंड को देखा और वापस अपनी आँखें बंद करके लेटी रही. मैंने अपना लंड उसके हाथ में पकड़ाया तो उसने तुरंत ही अपना हाथ ज़ोर से हटा लिया.. मानो उसे कोई करंट सा लग गया हो.
उसने मेरी तरफ खामोशी से देखा और बस देखती रही.

मैंने भी ज़्यादा टाइम बर्बाद ना करते हुए कंडोम का पैकेट निकाला और अपने लंड पे लगा के तैयार हो गया. फिर धीरे से अपने लंड को उसकी चुत पे रख कर उसके बालों को सहलाने लगा.
वो बेकाबू हो कर बस एक ही चीज़ कहे जा रही थी- नवीईईईन.. प्लीज़ आराम से करना.. प्लीज आईसीईईई..

मैंने भी बड़े प्यार से लंड को बहन की चूत पे रख कर एक आराम से झटका मारा.. पर लंड फिसल गया. मैंने वापस दो तीन बार कोशिश की पर कोई फायदा नहीं हुआ. तब मैं समझ गया कि इस तरह नाजुकता से काम नहीं बनेगा. लेकिन मैं अपनी राजकुमारी को तकलीफ़ भी नहीं देना चाहता था.

मैंने धीरे से उसे कान में बोला- जान इस तरह मंज़िल नहीं मिलेगी.. अपने नवीन के लिए थोड़ा सा दर्द सहोगी?
उसने बोला कुछ नहीं बस आँखों ही आँखों में देखती रही और मुझे इशारों में ही इजाजत मिल गई.

फिर क्या था.. मैंने उसके पैरों को थोड़ा सा और फैलाया और एक हाथ से लंड को पकड़ कर चुत के छेद पर टिका कर थोड़ा ज़ोर का धक्का मारा.. जिससे मेरा आधा लंड उसकी चुत में घुस गया. उसने ज़ोर से अपने मुँह पे हाथ रख कर खुद का मुँह दबा लिया ताकि आवाज़ बाहर ना जाए. फिर मैंने झट से उसके हाथ हटा के उसके होंठों को अपने होंठों में जकड़ लिया और चूसने लगा.

एक मिनट बाद वो थोड़ी संयत लग रही थी तो थोड़ा सा पीछे हो के मैंने वापस एक झटका मारा. इस बार शायद पूरा लंड उसकी चुत में जा चुका था. उसने बहुत ज़ोर से मुझे पकड़ा और अपने नाख़ून ज़ोर से मेरी पीठ पे गड़ा दिए. पर मैं इस जवानी के खेल में इतना मस्त हो गया था कि मुझे दर्द का एहसास भी नहीं हुआ.

कुछ देर की किसिंग के बाद मैंने धीरे धीरे स्ट्रोक मारने शुरू किए. अब वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी. उसकी मस्त जवानी को चूसने में मुझे काफ़ी मज़ा मिल रहा था.

वो ज़ोर ज़ोर से सिसकारियां ले रही थी. ‘इसस्स… स्स्स्शहह… इसस्स्स्स… स्स्स्शहह… आआहह…’ और मेरा भरपूर साथ भी दे रही थी. मैं सब कुछ भूल के बस धक्के पे धक्के दिए जा रहा था.

अब सिर्फ़ ‘आआहह.. उऊहह..’ और ‘पच पच..’ की आवाज़ आ रही थी. हम दोनों भाई बहन कामवासना में डूब चुके थे. हमारा एक दूसरे के लिए प्यार आज दिल खोल के बह रहा था. हम भूल चुके थे हमारा रिश्ता क्या है और हम क्या कर रहे हैं. बस दो प्यासों की तरह एक दूसरे की जिस्म की अग्नि को बुझाए जा रहे थे.

इधर हमें ये सब करते लगभग एक घंटा हो चुका था, पर वक़्त की परवाह किसे थी. सारे रिश्ते नाते, वक़्त दुनिया.. सब कभी पीछे छोड़ कर हम दो भाई बहन अपनी मनोकामना पूरी करने में लगे हुए थे.

अब मुझे अनंत सुख का एहसास होने लगा.. और 2-4 काफ़ी तेज धक्कों के बाद ज्वालामुखी का एक ऐसा फव्वारा छूटा जो अपनी अग्नि में सब बहा ले गया. मेरा वीर्य कंडोम में निकल रहा था और इतना ज़्यादा माल आज पहली बार निकला था. मैं निढाल हो कर अपनी बहन के बाजू में गिर गया.

फिर 5-10 मिनट बाद जब हम भाई बहन होश में आए तो टाइम देखा सुबह के 4:15 हो रहे थे. मैं झट से उठा अपना कंडोम निकाल कर बाहर फेंका और फटाफट कपड़े पहन कर तैयार हो गया. सोनी ने भी लेटे लेटे कपड़े पहने. मैं जब रूम की तरफ जाने लगा तो मेरी नज़र सोनी पे पड़ी. उसकी आँखों से बेतहाशा आँसू गिरते जा रहे थे.

मैंने पूछा- क्या हुआ.. दर्द हो रहा है?
उसने कहा- नहीं, आज मेरे शरीर को शांति मिल गई है.. ये उसी के आँसू हैं.
फिर मुझे उसने प्यार से अपने पास बिठाया और मेरी गोद में सिर रख के लेट गई. फिर मुझे थैंक्यू बोली और कहा कि हमेशा मेरा साथ देगी.

दस मिनट बैठने के बाद मैंने उससे कहा- जल्दी चलो वरना मम्मी उठ गईं तो प्राब्लम हो जाएगी.

वो उठी और हम जाने लगे, पर वो ठीक से चल नहीं पा रही थी. मैंने उसे सहारा दिया और हम रूम की तरफ जाने लगे. आज हम दोनों भाई बहन की शक्ल पर एक संतुष्टि का भाव था. हम रूम में पहुँचे तो सोनी उसकी जगह पे जा कर सो गई और मैं अपनी.

अगले दिन सुबह जब हम उठे तो एक दूसरे से नजरें नहीं मिला पा रहे थे. नाश्ते की टेबल पे बैठ के हम साथ साथ नाश्ता कर रहे थे. सभी घर वाले बैठे थे वो मेरे सामने बैठी थी.

तभी ना चाहते हुए भी हमारी नज़र एक हो गईं. यूं ही कुछ 20-30 सेकेंड हम एक दूसरे को गम्भीरता से देखते रहे, फिर अचानक ज़ोर ज़ोर से हंसने लगे.
मम्मी ने पूछा- क्या हुआ?
हमने कहा- कुछ नहीं, कॉलेज की एक बात याद आ गई है.


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